फारूक अब्दुल्लाह को कोई फौरी राहत नहीं
एमडीएमके नेता वाइको ने अपने करीबी दोस्त और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी. इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि फारूक अब्दुल्ला पर PSA एक्ट लगाया गया है. इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.
नई दिल्लीः
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को ‘गैरकानूनी रुप से हिरासत’ में रखे जाने के आरोप वाली MDMK नेता वाइको की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस ने कहा कि अब इस मामले में अब कुछ बचा नहीं है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बाद जम्मू कश्मीर में लगाई गई पाबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मंगलवार को करेगी सुनवाई.
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि इन याचिकाओं को मुख्य मामले के साथ जोड़ दिया गया है, जिस पर मंगलवार 1 अक्टूबर को सुनवाई होनी है. दरअसल, अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कल सुनवाई करने वाली है.
वाइको ने की थी अब्दुल्ला को कोर्ट में पेश करने की गुजारिश
तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद वाइको ने इस याचिका में फारूक अब्दुल्ला को कोर्ट के सामने पेश करने की गुजारिश की थी. लेकिन, चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि पीएसए एक्ट के तहत डिटेंशन ऑर्डर जारी होने के बाद इस याचिका में विचार करने के लिए और कुछ नहीं रह गया है.
सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने वाइको के वकील से कहा, ‘वह (अब्दुल्ला) जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत के आदेश को सक्षम प्राधिकरण के समक्ष चुनौती दे सकता है.’
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से दो हफ्ते में कश्मीर के हालात पर जवाब दाखिल करने को कहा था.कोर्ट ने पूछा था कि हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में कब तक हालात सामान्य हो जाएंगे.कोर्ट ने सरकार से कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य जनजीवन सुनिश्चित करें, लेकिन इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए, यह मामला काफी गंभीर है.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके प्रमुख वाइको की याचिका (हैबियस कार्पस) पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब मांगा था.वाइको ने याचिका में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को 15 सितंबर को चेन्नई में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई की 111वीं जयंती में शामिल होना था. लेकिन 6 अगस्त के बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है.जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी.सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, जम्मू, बारामूला और अनंतनाग जाने की इजाजत दी थी. लेकिन इस दौरान वे कोई भाषण नहीं दे सकते और न ही कोई रैली करेंगे.
कश्मीर टाइम्स की संपादक की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि कश्मीर में इंटरनेट बंद है, मीडिया सही काम नहीं कर पा रही है.इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया था कि कश्मीर में न्यूज पेपर 5 अगस्त से पब्लिश हो रहे हैं, दूरदर्शन, लोकल टीवी चैनल और रेडियो भी चालू हैं.मीडियाकर्मियों को इंटरनेट और टेलीफोन समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.राज्य में लैंडलाइन और अन्य संचार साधन चालू हो गए हैं.तमाम पाबंदियां हटा ली गई हैं.चिकित्सा सुविधाओं बेहतर तरीके से संचालित हो रही हैं.5.5 लाख लोग ओडीपी में इलाज करा चुके हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में नाबालिगों को भी हिरासत में लिए जाने के आरोप पर हाईकोर्ट की ज्युवेनाइल जस्टिस कमिटी से एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी.पिछली बार इसी मामले की सुनवाई में वकील ने कहा था कि हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पाना मुश्किल है. हाईकोर्ट ने रिपोर्ट भेजकर इस दावे को गलत बताया है. सुप्रीम ने कहा था कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से हमें रिपोर्ट मिली है और ये बात गलत है कि J&K के लोगों को हाई कोर्ट जाने में दिक्कत है.