बंगाल में अब मुख्य मंत्री होंगी विश्वविद्यालयों की कुलपति

बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद नया नहीं है। कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती हैं। वहीं, राज्यपाल कहते हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है। चुनाव बाद राज्य में में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। 

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है, लेकिन अब राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक और दांव चल दिया है। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति अब गर्वनर न होकर मुख्यमंत्री होंगी। उन्होंने जल्द ही विधानसभा में कानून में बदलाव करके इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति राज्यपाल होते थे और वही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करते थे.

ममता बनर्जी की सरकार का कहना था कि कुलपति की नियुक्तियों के लिए राज्यपाल के पास नाम भेजे जाते हैं लेकिन मंजुरी नहीं मिलती है। अब विधानसभा में एक नया बिल लाया जाएगा। इसके बाद कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का फैसला तमिलनाडु की सरकार ने भी लिया था। तमिलनाडु में विधानसभा में बिल पेश करके राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया गया था।

तमिलनाडु के सीएम ने उदाहरण दिया था कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही होता है। 

कपिल सिब्बल हाथ छोड़ कर हुए साइकल सवार, अब रजाया सभा जाने की तैयारी

सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम सहित 5 के खिलाफ दर्ज किया केस, 263 चीनी नागरिकों को वीजा के लिए 50 लाख रिश्वत लेने का आरोप

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान एक ‘पॉवर प्रोजेक्ट’ के वास्ते चीन के 250 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई। एक प्राईवेट कंपनी पंजाब के मनसा में 1980 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट लगा रही थी। इसका जिम्मा चीन की एक कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि यह प्रोजेक्ट लेट हो रहा था। आरोप है कि काम को तेजी से कराने के लिए चीनी प्रोफेशनल्स को मनसा लाया गया। इनके लिए वीजा का इंतजाम चेन्नई के एक शख्स ने अपने कुछ साथियों की मदद से किया। इसमें नियमों की अनदेखी हुई। कुल 263 प्रोजेक्ट वीजा जारी किए गए। इतना ही नहीं होम मिनिस्ट्री को इस प्राईवेट कंपनी ने एक लेटर लिखा और इन तमाम वीजा होल्डर्स को फिर से वीजा जारी करने की गुजारिश की। इसकी मंजूरी भी एक महीने में मिल गई। आरोप है कि चेन्नई के एक व्यक्ति ने अपने सहयोगियों की मदद से 50 लाख रुपए रिश्वत मांगी।

कार्ति चिदंबरम(file Photo)

सारिका तिवारी, देओक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नई दिल्ली :  

सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम और 4 अन्य लोगों के खिलाफ चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों को अवैध वीजा दिलवाने के मामले में केस दर्ज किया है। ये लोग चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों से घूस लेकर गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा लोगों को प्रोजेक्ट वीजा उपलब्ध कराते थे। वह भी उस समय जब कार्ति चिदंबरम के पिता केंद्र में मंत्री थे। यानी पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापे चेन्नई और मुंबई में कई स्थानों पर तथा कोप्पल (कर्नाटक), झारसुगुड़ा (ओडिशा), मनसा (पंजाब) और दिल्ली में मारे गए।

कार्ति ने सीबीआई छापों के तुरंत बाद इस बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना ट्वीट किया, ‘‘ अब तो मैं गिनती भी भूल गया हूं कि कितनी बार ऐसा हुआ है? शायद यह एक रिकॉर्ड होगा। ” बाद में उन्होंने और ट्वीट कर कहा कि उनके कार्यालय ने उन्हें छापों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यालय ने अभी ‘रिकॉर्ड’ के बारे में अद्यतन जानकारी दी है, 2015 में दो बार, 2017 में एक बार, 2018 में दो बार और आज, छह!”


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी और अंग्रेजी में किए गए अपने ट्वीट में कहा कि सीबीआई के एक दल ने चेन्नई स्थित उनके निवास और दिल्ली में आधिकारिक आवास पर छापेमारी की। उन्होंने कहा, ‘‘ सीबीआई के दल ने मुझे एक प्राथमिकी दिखाई, जिसमें मेरा नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं था। छापेमारी में कुछ नहीं मिला और कुछ भी जब्त नहीं किया गया।” उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस बात की ओर ध्यान जरूर दिलाना चाहूंगा कि छापेमारी का समय दिलचस्प है।” हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि छापेमारी के “समय” से उनका क्या आशय है। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की पड़ताल के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान ‘तलवंडी साबो बिजली परियोजना’ के लिए जुलाई-अगस्त 2011 में चीन के 263 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, “पंजाब में हमारे प्रतिष्ठान की तलाशी सीबीआई की व्यापक जांच का हिस्सा है। हम अधिकारियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं और उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हमें और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।”


अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी में कार्ति के अलावा उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन, तलवंडी साबो बिजली परियोजना के प्रतिनिधि विकास मखारिया (जिसने कथित तौर पर रिश्वत दी) , कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड (जिसके मार्फत कथित तौर पर रिश्वत पहुंचाई गई) और अन्य अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई को भास्कररमन के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव से 50 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन के कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी।

एजेंसी का आरोप है कि पंजाब के मनसा स्थित तलवंडी साबो बिजली परियोजना के तहत 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित किया जाना था जिसके लिए चीन की एक कम्पनी के साथ अनुबंध किया गया था, लेकिन उसका काम तय समय से पीछे चल रहा था। सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने एक बयान में कहा कि परियोजना निर्धारित समय से पीछे चल रही थी और कंपनी पर जुर्माना लगने की तलवार लटक रही थी।

जोशी ने कहा, “देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) जिला मानसा (पंजाब) में अपनी साइट के लिए अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों और पेशेवरों को लाने की कोशिश कर रही थी और उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक परियोजना वीजा की आवश्यकता थी।” अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनी के प्रतिनिधि मखारिया ने कार्ति से अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए संपर्क किया।

जोशी ने कहा, “उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया।” अधिकारियों ने कहा कि मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी। जोशी ने कहा, “चेन्नई स्थित निजी व्यक्ति (कार्ति) ने अपने करीबी सहयोगी/फ्रंट मैन (भास्कररमन) के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसका भुगतान मनसा स्थित उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) ने किया था।”

तमिलनाडु में अध्यापक पर ईसाई धर्म के प्रचार का आरोप, हिंदू देवी-देवताओं को बताता था ‘शैतान’

तमिलनाडु के कांचीपुरम में सरकारी स्कूलों में छात्रों को शौचालय की सफाई करते हुए देखा गया था। इससे जुड़ा वीडियो वायरल होने पर काफी हंगामा मचा था। इन छात्राओं को कैंपस में कथित रूप से टॉयलेट की सफाई करते हुए देखा गया। इसके बाद कांचीपुरम के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने घटना का संज्ञान लेते हुए जिले के शिक्षा अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया।

कन्याकूमारी: 

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सरकारी स्कूल में एक शिक्षक पर हिंदू धर्म को नीचा दिखाने और ईसाई धर्म का प्रचार करने के आरोप के बाद उसे निलंबित कर दिया गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिले में कन्नतुविलई स्थित एक स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा ने ये आरोप लगाये थे.

बुधवार को सोशल मीडिया पर स्कूल प्रशासन और पुलिसकर्मियों के सामने आरोप लगाने वाली छात्रा का एक वीडियो क्लिप वायरल हो गया। प्राथमिक जांच के बाद शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है। वह छात्रों को सिलाई और कटिंग सिखाता है।

छात्र के अनुसार, शिक्षक ने एक कहानी सुनाते हुए हिंदू-देवताओं को शैतान के रूप में चित्रित किया और ईसा मसीह की महिमा की और छात्रों को बाइबिल पढ़ने के लिए प्रेरित किया। जब छात्रों ने उत्तर दिया कि वे हिंदू हैं और इसके बजाय भगवद गीता पढ़ना चाहते हैं, तो शिक्षक ने कहा कि गीता खराब है और बाइबिल में अच्छे विचार हैं इसलिए उन्हें बाइबल पढ़नी चाहिए।

छात्र ने कहा कि ईसाईयत का ऐसा प्रचार कक्षाओं के दौरान किया जाता था। लंच ब्रेक के बाद, छात्रों को भी घुटने टेकने और ईसाई धर्म के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा गया। इस बात की जानकारी बच्चों ने अपने माता-पिता को दी तो उन्होंने स्कूल प्रशासन से मामला उठाया।

ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। हाल ही में बेंगलुरु के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली एक विद्यार्थी ने अपनी गणित की शिक्षिका के विषय में यह कहते हुए आरोप लगाया था कि कैसे उन्होंने उसे “मनी” अध्याय में अल्लाह की पूजा करने के लिए कहा। बच्ची ने कहा कि “हर कोई कन्फ्यूज्ड था और उन्हें गलत जबाव आ रहे थे, तो अगले दिन मैडम ने हमसे अल्लाह की इबादत करने के लिए कहा। हमारे हाथों को कटोरे के आकर में मोड़ने के लिए कहा और मैं और मेरे कुछ दोस्त हिन्दू थे, हमने मैडम से मना किया कि हम हिन्दू हैं, और हम अल्लाह की इबादत नहीं कर सकते। पर मैडम ने कहा कि अल्लाह की इबादत करनी चाहिए और अल्लाह एक अच्छे भगवान हैं!”

हालंकि स्कूल ने इस मामले में उस बच्ची को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। स्कूल की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में कहा गया कि उन्होंने जांच करा ली है, पर उन्हें ऐसा कुछ भी प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि कोर्स से इतर कुछ पढ़ाया गया था। और उन्होंने बच्ची के अभिभावकों के खिलाफ ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

देखा जाए तो स्कूलों में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करना और हिन्दू पर्वों का उपहास उडाना बहुत ही आम है, बहुत ही सामान्य बात है। कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे ऐसा प्रतीत हुआ है कि बच्चे जिन स्कूलों में पढने जाते हैं, वही उन्हें हिन्दू धर्म का अपमान करने की प्रेरणा देता है। हमने देखा था कि कैसे हरियाणा में दो स्कूलों में प्रभु श्री राम का अपमान करते हुए रामायण का मंचन किया गया था। इस पर हंगामा हुआ था और बाद में अंतत: स्कूल प्रबंधन को क्षमा मांगनी पड़ी थी।

हाल में दिसंबर में ही मध्यप्रदेश में विदिशा जिले के गंज बासौदा में सैंट जोसेफ स्कूल में 8 बच्चों के धर्मांतरण को लेकर हंगामा किय था।

मिशनरी स्कूल्स हों या निजी या सरकारी, ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक पैटर्न है हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को अपमानित करने के साथ साथ अब्र्हामिक रिलिजन को बढावा देने का। जहाँ एक ओर अल्पसंख्यकों के मजहबी प्रतीकों को उनकी आस्था का विषय मानकर उन्हें प्रयोग करने की छूट के लिए आन्दोलन होते हैं, तो वहीं हिन्दुओं के बच्चों के हाथों से “धर्मनिरपेक्षता” के नाम पर कलावा और जनेऊ हटाए जाने के समाचार आते रहते हैं।

18 फरवरी 2021 को त्रिची में पेरूमल पालयम में सरकारी हाई स्कूल से ऐसा ही मामला सामने आया था, जब एक गणित के शिक्षक शंमुगम ने, जो खुद को पेरियर का अनुयायी बताते थे, उन्होंने भी बच्चों के माथे से तिलक, भभूत हटाने के साथ साथ उनके हाथों पर बंधे कलावा को भी कैंची से काटा था, लड़कियों की चूड़ियाँ तोड़ी थीं और उन्हें हटाने के बहाने से लड़कियों को गलत तरीके से छुआ था।

अभिभावकों ने इस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई थी, और पुलिस की जांच में बच्चों की शिकायत सच पाई गयी थी।

इससे पहले वर्ष 2018 में तमिलनाडु के एक स्कूल में दो लड़कियों को भभूत, चंदन और फूल पहनने पर दण्डित किया गया था। जब अभिभावकों ने क्रोधित होकर प्रदर्शन किया था, तो उनसे कहा गया था कि वह ट्रांसफर सर्टिफिकेट ले सकते हैं।

सितम्बर में शाहजहाँपुर से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमें एक निजी स्कूल पर बच्चों के हाथों से राखी एवं कलावा जबरन हटाया गया था। जब विश्व हिन्दू परिषद के लोगों ने इसका विरोध किया था तो स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा था कि उन्होंने राखी और कलावा कोविड प्रोटोकॉल के चलते हटाया है। इसमें इतना शोर मचाने की जरूरत नहीं है।

वर्ष 2018 में गुजरात से भी माउंट कैरमल हाई स्कूल में भी बच्चों के हाथों से कैंची से राखी काट दी गयी थी। क्रोधित अभिभावकों ने इस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज की थी। जब यह मामला सरकार के समक्ष गया था तो शिक्षा मंत्री ने स्कूल को नोटिस जारी करते हुए इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।

वर्ष 2015 में भी सैंट मेरी कान्वेंट स्कूल कानपुर में बच्चियों को राखी और मेहंदी पहनकर आने के लिए दंडित किया गया था, यह भी आरोप लगा था स्कूल पर कि लडकियों को उन्होंने मेहंदी जबरन छुटाने के लिए कहा, जिसके कारण उनके हाथों से खून आने लगा था!

यह अत्यंत दुःख एवं क्षोभ का विषय है कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू विद्यार्थियों को और हिन्दुओं की परम्पराओं को ही अपमानित किया जाता है। कभी पेरियर के अनुयाइयों द्वारा, कभी मिशनरी द्वारा तो कभी अल्लाह की इबादत करने वालों के द्वारा और वहीं हिजाब को मजहबी अधिकार और पहचान का माध्यम बताया जाता है!

हिजाब पर फैसला देने वाले जजों को मिली ‘Y’ सुरक्षा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि हमने हिजाब पर फैसला देने वाले तीनों जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है। इसके साथ मुख्यमंत्री ने डीजी और आईजी को विधानसौधा पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत की गहन जांच करने का निर्देश दिया है। जिसमें कुछ लोगों ने जजों को जान से मारने की धमकी दी थी।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, बेंगलुरु:

  कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम छात्राओं को स्कूल और कॉलेज की कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने वाली याचिका के खिलाफ फैसला सुनाने वाली विशेष पीठ का हिस्सा रहे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सुरक्षा कड़ी करने का फैसला किया है। कर्नाटक सरकार का फैसला पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के कुछ तबकों से जजों को जान से मारने की धमकियों के मद्देनजर आया है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को कहा कि हिजाब मुद्दे पर फैसला देने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को वाई-श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धमकी देने वालों के खिलाफ विधानसौधा थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई है। कुछ ही दिन पहले सोशल मीडिया पर तमिलनाडु के मदुरै का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में तमिलनाडु तौहीद जमात का सदस्य कोवई रहमतुल्लाह खुलेआम हिजाब पर फैसला सुनाने वाले जजों को धमकाता दिखा था। वीडियो में वो कह रहा था, “अगर जजों को कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार वो खुद होंगे। झारखंड में मॉर्निंग वॉक के दौरान गलत फैसला देने वाले जज की हत्या हुई थी।”

इस बीच बेंगलुरु पुलिस ने जजों को धमकाने के मामले में कार्रवाई करते हुए कोवई रहमतुल्लाह और जमाल मोहम्मद उस्मानी को गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों को तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों से पकड़ा गया है। इन दोनों आरोपितों पर अलग-अलग क्षेत्रों में FIR दर्ज हुई है। दोनों की गिरफ्तारी शनिवार (19 मार्च) की रात में हुई है।

जनवरी 2022 में शुरू हुए हिजाब विवाद स्कूलों से होकर कर्नाटक हाईकोर्ट तक पहुँच गया था। हाईकोर्ट में तीन जजों की पीठ ने अपने फैसले में हिजाब को इस्लाम का जरूरी हिस्सा मानने से इंकार कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ कई मुस्लिम संगठनों ने 17 मार्च (गुरुवार) को बंद बुलाया था।

पी चिदंबरम ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के यूपी चुनाव में प्रचार न करने के सवाल पर चुप्पी साध ली

उत्तरप्रदेश के पहले पाँच चरणों के चुनाव प्रचार से उनकी अनुपस्थिति ने पार्टी में कई लोगों को चौंका दिया था। राहुल गांधी ने गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और पंजाब में कई जनसभा को संबोधित किया लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार से दूर रहे।  हालांकि राहुल गांधी पिछले दिनों वाराणसी गए थे लेकिन उस दौरान वे सिर्फ गुरु रविदास मंदिर गए। राहुल गांधी का रविदास मंदिर दौरा भी पंजाब चुनाव को ध्यान में रखकर ही आयोजित किया गया था। हालांकि अगले कुछ दिनों में वह प्रयागराज और अमेठी का दौरा कर सकते थे, और वहां चुनाव प्रचार अभियान में भी शामिल हो सकते थे।

  • यू पी के लोगों से पूछना चाहता हूं कि आखिर वह किस मुद्दे पर वोट कर रहे हैं : चिदंबरम
  • यूपी के हर 16 व्यक्ति में से एक व्यक्ति नौकरी या काम के लिए यूपी छोड़कर बाहर जाता है : चिदंबरम
  • यूपी के लोग मेहनती हैं, यूपी ने 8 प्रधानमंत्री दिए हैं, बावजूद इसके यूपी गरीब रह गया है : चिदंबरम
  • यू पी में एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर भी नहीं है : चिदंबरम

डेमोक्रेटिक फ्रंट, लखनऊ(ब्यूरो) :

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान जारी है। भाजपा से लेकर सपा पूरी ताकत के साथ इस चुनाव में उतरी है, मगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अब तक यूपी चुनाव में सक्रियता नहीं दिखी है। आज यानी रविवार को जब कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम लखनऊ में प्रेस वार्ता कर रहे थे, तब उन्हें भी राहुल गांधी से जुड़े एक सवाल का सामना करना पड़ा। पी चिदंबरम ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के यूपी चुनाव में प्रचार न करने के सवाल पर चुप्पी साध ली।

दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस वार्ता की और कहा कि यूपी में आधा चुनाव हो चुका है और कांग्रेस हर विधानसभा में अकेले दम पर मजबूती से लड़ रही है। यूपी की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि यूपी के लोग मेहनती हैं, यूपी ने 8 प्रधानमंत्री दिए हैं, बावजूद इसके यूपी गरीब रह गया है।

पी चिदंबरम ने कहा कि पिछले 5 साल में यूपी की बिल्कुल भी तरक्की नहीं हुई और यूपी की प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से आधी से भी कम है. चिदंबरम ने नीति आयोग समेत कई अन्य एजेंसियों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि यूपी के 12 जिलों में 50 फ़ीसदी से भी अधिक लोग ग़रीब हैं। चिदंबरम ने कहा यूपी के दो जिलों में करीब 60 फ़ीसदी लोग गरीब हैं और इन जिलों में से एक बलरामपुर है, जहां आज वोटिंग हो रही है।

उन्होंने आगे कहा कि यूपी के शहरों में हर चार में से एक युवा बेरोजगार है, जबकि यूपी में सरकारी नौकरियों में काफी वैकेंसी है। यूपी की नवजात मृत्यु दर 35 फ़ीसदी बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि यहां पर एक हज़ार लोगों पर 36 फीसदी डॉक्टर हैं, यानी एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर भी नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि मैं यूपी के लोगों से पूछना चाहता हूं कि आखिर वह किस मुद्दे पर वोट कर रहे हैं, क्योंकि यूपी कई पैमानों में देश में सबसे नीचे के पायदान पर है। चिदंबरम ने कहा कि यूपी के हर 16 व्यक्ति में से एक व्यक्ति नौकरी या काम के लिए यूपी छोड़कर बाहर जाता है।

श्रीलंका चीन के कर्ज़ से हो रही कंगाल

सवाल यह है कि श्रीलंका की यह हालत कैसे हुई? इसके कई कारण हैं। कोरोना संकट के कारण देश का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ। साथ ही सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और टैक्स में कटौती ने हालात को और बदतर बना दिया। ऊपर से चीन के कर्ज को चुकाते-चुकाते श्रीलंका की कमर टूट गई। देश में विदेशी मुद्रा भंडार एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। सरकार को घरेलू लोन और विदेशी बॉन्ड्स का भुगतान करने के लिए पैसा छापना पड़ रहा है।

  • श्रीलंका में गहराया वित्तीय और मानवीय संकट
  • महंगाई रेकॉर्ड लेवल पर, सरकारी खजाना खाली
  • देश में 5 लाख लोग गरीबी के मकड़जाल में फंसे
  • चीन का श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज

सारिका तिवारी, डेमोरेटिक फ्रंट॰कॉम -नयी दिल्ली/चंडीगढ़ :

श्रीलंका आज कंगाली की कगार पर खड़ा है। आर्थिक और मानवीय आपदा गहरा गई है। खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत आसमान छू रही। रिकॉर्ड स्तर पर महँगाई है। आखिर श्रीलंका की यह हालत हुई कैसे?

दरअसल, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक पर्यटन पर आश्रित है। इस पर कोरोना महामारी के कारण ग्रहण लग गया है। दूसरी ओर श्रीलंका को चीन से कर्ज लेना काफी महँगा पड़ रहा है। उसके कर्ज चुकाते-चुकाते श्रीलंका आज आर्थिक बदहाली की स्थिति में पहुँच गया है। बताया जा रहा है कि देश का खजाना खाली होने को है और वह जल्द ही दिवालिया हो सकता है।

विश्व बैंक के अनुमानों के मुताबिक महामारी के शुरू होने के बाद से देश में 500,000 लोग गरीबी के मकड़जाल में फंस गए हैं। नवंबर में महंगाई 11.1 फीसदी के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इस कारण जो परिवार पहले संपन्न माने जाते थे, उनके लिए भी दो जून की रोटी जुटानी मुश्किल पड़ रही है। देश के अधिकांश परिवारों के लिए अपनी बुनियादी जरूरतों (Basic Needs) को पूरा करना ही भारी पड़ रहा है। देश में इकनॉमिक एमरजेंसी घोषित करने के साथ ही सेना को जरूरी चीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन इससे भी लोगों की परेशानी दूर नहीं हुई।

आपने साहूकारी व्यवस्था के बारे में जरूर सुना होगा। जहां ब्याज की दरें इतनी अधिक होती थीं कि कर्ज के तले दबे लोगों को इससे बाहर निकलना लगभग नामुमकिन होता था। लोग कर्ज के इस मकड़जाल में इतना उलझ जाते थे कि मूलधन तो छोड़ दीजिए, ब्याज ही कई पीढ़ियां चुकाती रह जाती थीं।

अब यही साहूकारी तस्वीर ग्लोबल हो गई है। यहां कर्ज लेने वाले हैं श्रीलंका, पाकिस्तान सहित अफ्रीका के गरीब देश, और कर्ज बांटने वाला साहूकार है चीन। ड्रैगन अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत दुनिया भर के गरीब देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के नाम पर कर्ज बांट रहा है। गरीब देशों की भ्रष्ट सरकारें चीन का लोन लेकर डिफॉल्ट कर रही हैं, और मौके का फायदा उठाकर चीन इन देशों में जमीनें, द्वीप और हवाई अड्डे हथिया रहा है।

बैंकरप्ट होने की कगार पर श्रीलंका

चीन के कर्ज का मकड़जाल कितना खतरनाक है यह श्रीलंका से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। चीन के हाथों अपना हंबनटोटा द्वीप पहले ही गंवा चुके श्रीलंका पर बैंकरप्ट यानि दीवालिया होने का खतरा पैदा हो गया है। चीन का श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है। पिछले साल उसने देश में वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से और 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। अगले 12 महीनों में देश को घरेलू और विदेशी लोन के भुगतान के लिए करीब 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है। यहां महंगाई 11.1 फीसदी के रेकॉर्ड लेवल पर है और सरकारी खजाना तेजी से खाली हो रहा है। उस पर टूरिज्म सेक्टर जो कुल जीडीपी (GDP) में 10 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, वह कोरोना के चलते ठप हो गया है। कोरोना के चलते करीब 2 लाख लोग नौकरी गंवा चुके हैं। वहीं सरकार द्वारा चाय बागानों को आ​र्गेनिक बनाने के सरकार के तुगलकी फरमान ने चाय उद्योग को लगभग समाप्त कर दिया है। 

चीनी कर्ज में उलझा पाकिस्तान

हमारे पड़ोसी श्रीलंका के अलावा पाकिस्तान भी चीन के जाल में फंस चुका है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, अप्रैल 2021 तक, पाकिस्तान पर अपने विदेशी ऋण का 27.4 प्रतिशत यानी 24.7 बिलियन डॉलर चीन का बकाया है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जो चीन की महत्वाकांक्षी बीआरआई पहल की प्रमुख परियोजना है, इस परियोजना के लिए पाकिस्तान ने चीन से अथाह कर्ज ले रखा है। पिछले साल जब सऊदी अरब ने पाकिस्तान से अपना कर्ज वापस मांगा तो उसे चीन से मनमाने ब्याज पर कर्ज लेकर सऊदी अरब का पैसा वापस लौटाना पड़ा। 

मेडागास्कर, मालदीव और ताजिकिस्तान भी शिकार

मेडागास्कर, मालदीव और ताजिकिस्तान जैसे एशियाई और अफ्रीकी देश चीनी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। चीन ने यहां परियोजनाओं के लिए पानी की तरह पैसा ​बहाया, अब कर्ज न चुकाने पर आंखें तरेरने लगा है। चीन की साजिश सरल है, वो बुनियादी ढांचे के निर्माण का वादा करता है, उलटी-सीधी शर्त रखता है और जब देनदार देश वापस भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे अपनी राष्ट्रीय संपत्ति सौंपने या चीन को रणनीतिक लाभ देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

युगांडा के एयरपोर्ट पर कब्जा

चीन की कारगुजारियों का ताजा उदाहरण युगांडा है। यहां इस अफ्रीकी देश के इकलौते अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर चीन कब्जे की तैयारी कर रहा है। युगांडा ने 2015 में एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना से 200 मिलियन डॉलर के कर्ज का भुगतान करने में विफल रहा है। कर्ज की शर्त के तहत चीन कर्ज न चुकाने की स्थिति में चीनी बैंक इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले लेगा। समझौते के अनुसार, चीन का एक्जिम बैंक युगांडा नागरिक उड्डयन प्राधिकरण और सरकारी बहीखातों दोनों का निरीक्षण कर सकता है।

चीन के चंगुल में अफ्रीका

चीनी पंजा अफ्रीका के गरीब देशों पर लगातार कसता जा रहा है। चीन ने 39 अफ्रीकी देशों में बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के तहत चीन ने यहां अरबों डॉलर का कर्ज बांट रखा है। युगांडा की तरह उसका पड़ोसी देश केन्या भी चीन की हरकतों से परेशान है। अगर केन्या 3.2 बिलियन डॉलर के ऋण वाले समझौते में डिफॉल्ट करता है तो उसे अपना सबसे अहम मोम्बासा के बंदरगाह चीन को सौंपना पड़ सकता है। इसके अलावा छोटे से देश जिबूती भी चीन की साहूकारी का उदाहरण है। 2017 में जिबूती का कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद का 88 फीसदी था। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा चीन का है। चीन वहां अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा बनाने की तैयारी में है। 

मन के आइने के पीछे क्या है?

मन को दर्पण कहा जाता है। लेकिन इस दर्पण के दूसरी तरफ क्या है? आज के स्पाॅट में सद्‌गुरु यही बता रहे हैं, साथ ही यह भी कि आखिर कैसे जाएं आइने के दूसरी तरफ।

एक अनुभव के रूप में समय हम सभी के लिए प्रासंगिक है क्योंकि हम सभी मरणशील हैं। शरीर, मन और भावनाओं के संदर्भ में आप खुद को जो भी समझते हैं, वह सब बस आपकी याद्दाश्त की उपज है। स्मृति के हर स्तर को चाहे वह विकासपरक हो, आनुवंशिक हो, चेतन हो, अवचेतन हो या अचेतन हो, समय के पैमाने से नापा जा सकता है। एक तरह से देखें तो सौरमंडल की भी अपनी स्मृति होती है, जो हर शरीर में प्रतिबिंबित होती है चाहे वह चेतन हो या अचेतन। इस तंत्र ने हर चीज को उसकी संपूर्णता में गढ़ा है।

चेतन होने का अर्थ है समय से परे जाना

अगर आप अपनी शारीरिक या मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं में पूरी तरह से डूबे हुए हैं, तो आप बस समय का प्रतिफल हैं। समय का प्रतिफल होने का मतलब है, बार-बार दुहराया जाने वाला होना, जिसमें आपकी वास्तविक प्रकृति कभी अभिव्यक्त नहीं हो पाएगी। यही वजह है कि आदियोगी के समय से हम चेतना की बात कर रहे हैं।

आपको याद रखना है कि आपकी कोई एक्सपायरी डेट भी है। ऐसे

में कोशिश करें कि अगला पल, अगला दिन, अगला साल बिना जीवन

को जाने न गुजरे। आप जीवन को भोजन, पानी, प्रेम या

मजे के जरिये नहीं जान सकते।

चेतना का अर्थ है समय के चक्रों से परे जाना या ऊपर उठना। आप बाहरी दुनिया के प्रति जागरूक हो सकते हैं, लेकिन आप इस बात को लेकर जागरूक नहीं हैं कि आप एक जीवन के रूप में यहां हैं। आप इस दुनिया व इसके लोगों का अनुभव तो करते हैं, लेकिन आपको खुद का कोई अनुभव नहीं है।

आपका मन और शरीर इस दुनिया और इसके लोगों की देन है। आपकी वास्तविक प्रकृति, आपके अनुभव में है ही नहीं, क्योंकि यह मन के दूसरी तरफ है। एक तरह से आपका मन दर्पण की तरह है। हो सकता है कि यह एक विकृत दर्पण हो, लेकिन फिर भी है तो दर्पण ही। आप दुनिया को देखते हैं, क्योंकि यह आपके मन में प्रतिबिंबित होती है। लेकिन मन खुद को कभी प्रतिबिंबित नहीं करता। ‘खुद’ से मेरा मतलब आपके शरीर या विचारों से नहीं है। आप अपने विचारों और भावनाओं को देख सकते हैं, उनका अवलोकन कर सकते हैं, लेकिन आप खुद का अवलोकन नहीं कर सकते, आत्म दर्शन नहीं कर सकते। आपके अस्तित्व को नहीं देखा जा सकता, इसे केवल महसूस किया जा सकता है। मन आपके आसपास की दुनिया को तो प्रतिबिंबित कर रहा है, लेकिन खुद को एक जीवन के रूप में अनुभव नहीं कर पा रहा है। इस दुनिया में अभी आपके लिए सबसे अहम चीज यह है कि आप यहां हैं।

जीवन का सार आईने की दूसरी तरफ है

अगर आपको खुद का कोई अनुभव नहीं है, अगर आपने जीवन को गहराई में जाकर स्पर्श नहीं किया है, तो अपने स्रोत का अनुभव करने का तो कोई सवाल ही नहीं है। आपने क्लाइडोस्कोप देखा है न? तो ज्यादातर लोग बस क्लाइडोस्कोप की तरह जीवन का अनुभव करते हैं, जो मन के आईने पर घटित हो रही हैं। वे लगातार अपनी स्मृति की खुदाई करने में व्यस्त रहते हैं। इस तरह वे कभी खुद को खुश करते हैं तो कभी दुखी करते हैं। आनंद हो या कश्ट, उसका स्रोत वही है, जो मन में घटित हो रहा है।

मन के आईने में जो कुछ भी हो रहा है, वह आपको जीवन भर या उससे भी ज्यादा समय तक उलझाए रखता है। वही विचार, वही भाव बार बार आते रहते हैं। आपको याद रखना है कि आपकी कोई एक्सपायरी डेट भी है। ऐसे में कोशिश करें कि अगला पल, अगला दिन, अगला साल बिना जीवन को जाने न गुजरे। आप जीवन को भोजन, पानी, प्रेम या मजे के जरिये नहीं जान सकते। उसे जानने का एकमात्र तरीका यही है कि आप आईने के दूसरी तरफ देखें। आईने के इस तरफ तो आपको केवल नाटक दिखाई देगा, जीवन का सार आपको नहीं मिलने वाला।

यह सब करने के कई तरीके हैं। एक आसान सा तरीका यह है कि आप ईशा क्रिया करें। जब आप कहते हैं कि मैं शरीर नहीं हूं, जब आप कहते हैं कि मैं मन नहीं हूं, तो असल में आप यह कह रहे होते हैं कि मैं स्मृति की उपज नहीं हूं। मैं तमाम चीजों का ढेर नहीं हूं। मैं निश्चित रूप से उससे कहीं ज्यादा हूं। आपकी जीवंतता मूल स्रोत से आती है, जो आपके मन के आईने के दूसरी तरफ है।

अनुभव आत्म तत्व पैदा करता है

मैं चाहता हूं कि आप लगातार कोशिशें करें। आप अभी जहां भी हैं, अपनी आंखें बंद करें और देखें कि क्या आप वाकई यहां हैं। विचार और भाव वहां है, शरीर वहां है, लेकिन क्या आप वहां हैं ? इसका अनुभव करने के लिए आप कुछ आसान से तरीके अपना सकते हैं। सदियों से ऐसी परंपरा रही है कि जो कोई भी आध्यात्मिक होना चाहता है, वह लंबे समय के लिए भोजन त्याग देता है।

आपको याद रखना है कि आपकी कोई एक्सपायरी डेट भी है। ऐसे में कोशिश करें कि अगला पल, अगला दिन, अगला साल बिना जीवन को जाने न गुजरे। आप जीवन को भोजन, पानी, प्रेम या मजे के जरिये नहीं जान सकते।

इसकी वजह खुद को तड़पाना नहीं है। जब आप वास्तव में भूखे हैं और आप बैठ जाएं तो आप महसूस करेंगे कि आपके और आपके शरीर के बीच में एक तरह का भेद है। इसके बाद जब आप भोजन का पहला निवाला खाते हैं, तो आपको एक सुखद अहसास होता है, जो आपके पूरे शरीर में फैल जाता है। इसी तरह अगर आप बहुत प्यासे हैं और आपको पानी का एक गिलास मिल जाए तो आपका पूरा शरीर प्रफुल्लित हो उठता है।

इस सुखद अहसास को महसूस करें। यह कोई पेट भरने या प्यास बुझने का मामला नहीं है, यह अनुभव की सुखदता है, जो आपके भीतर से पैदा होती है। मन अनुभव का चुनाव तो करता है, लेकिन यह अनुभव का कारण नहीं बन सकता। आपके भीतर कुछ होता है, जिसे आप ‘आत्म’ कहते हैं, यही अनुभव पैदा करता है।

कैसे जाएं आईने के दूसरी तरफ?

इस संदर्भ में दो पहलू हैं – संवेदना ओर अनुभूति। इंद्रिय सुख असली चीज नहीं है क्योंकि इंद्रियां अनुभव पैदा नहीं करतीं।

आप अभी जहां भी हैं, अपनी आंखें बंद करें और देखें

कि क्या आप वाकई यहां हैं। विचार और भाव वहां है,

शरीर वहां है, लेकिन क्या आप वहां हैं ? इसका अनुभव करने के लिए

आप कुछ आसान से तरीके अपना सकते हैं।

मान लीजिए आपने एक गिलास पानी पिया। प्यास बुझ रही है, शरीर को ठंडक मिल रही है, लेकिन आप सिर्फ इसी संवेदना को महसूस न करें। अहम है उस सुखद अहसास को महसूस करना, जो एक गहरे स्तर पर घटित होता है।

ऐसी चीज को चुनें जो आपके भीतर सुखदता पैदा करती है, चाहे वह हवा हो, सांस हो, पानी हो, भोजन हो या ऐसी ही कोई और चीज। भले ही कुछ सेकंड के लिए सही, सुखदता के इस अनुभव के साथ ठहरें और इस दौरान इस सुखदता को बिना किसी विचार या भाव के महसूस करें। धीरे-धीरे आप आईने की दूसरी तरफ की ओर जाने लगेंगे। ज्ब वक्त गुजरता है तब आप अपनी स्मृति और वक्त की उपज होते हैं। संध्या या रूपांतरण के समय एक खास किस्म का अंतराल आता है, एक खास शून्यता पैदा होती है, जिससे परे जाना है। संध्या काल ऐसा ही मौका है। आपके अपने सिस्टम के लिए सबसे अहम रूपांतरण का जो समय होता है वो है – जब आप सोते हैं और जब आप जागते हैं। इस रूपांतरण में एक छोटा सा अंतराल होता है। हम इस अंतराल का इस्तेमाल करना चाहते हैं।

जब आप जागते हैं तो एक खास किस्म का सुख आपके पूरे शरीर में फैल जाता है। अगर आप उस पल और पूरे दिन उसी सुखद अहसास के साथ रहें, आपका मन सुख में डुबा रहेगा। अगर आपका मन आपके लिए सुखद चीजें करता है, तो आप भी अपने आस पास की दुनिया के लिए सुखद चीजें करते रहेंगे। ठीक इसी तरह से जब आप सोने वाले होते हैं, सुख आपके पूरे शरीर में फैलता है। अगर आप इस सुखद अहसास को गौर से महसूस करें तो आप देखेंगे कि आपकी नींद की क्वालिटी शानदार हो गई है, आपको सपने आने बंद हो गए हैं क्योंकि आप आईने की दूसरी तरफ हैं।

ज्यादातर लोग केवल इंद्रिय सुख को ही जानते हैं। वे उस सुख के बारे में जागरूक नहीं होते, जो उनके भीतर कहीं गहरे में है। आमतौर पर ध्यान आदि करने के लिए आंखें बंद करके बैठने को बोला जाता है। ऐसा इसीलिए है कि आईने को बिंब नहीं मिले, उसकी सतह पर पड़ने वाली बातें कम हो जाती हैं। अगर लंबे समय तक ऐसी कोई फालतू बातें नहीं मिलेंगी, तो मन किसी भी चीज को प्रतिबिंबित नहीं करेगा। फिर आईने की दूसरी तरफ जाना आसान होगा। आप अभी जो महसूस कर रहे हैं, वह केवल प्रतिबिंब ही है। वास्तविकता तो आइने के दूसरी तरफ है। जो दूसरा पक्ष है, वह वक्त और स्थान का उपज नहीं है। सब कुछ अभी और यहीं है। पूरा का पूरा जगत यहीं है, यह एक आसान सा तरीका है, लेकिन चूंकि आप अपने मनोवैज्ञानिक नाटक में ही व्यस्त हैं, आप जीवन को पूरी तरह से खो देते हैं। चूंकि जीवन को खो दिया जाता है, इसलिए वह लोगों को बार-बार के चक्रों से दंडित करता रहता है।

जीवन को शक्तिशाली तरीके से अनुभव करें

दुनिया में सबसे अहम यह है कि आप जीवन का एक शक्तिशाली अनुभव लें। अभी आप जीवन को छोड़कर सब कुछ अच्छी तरह से जानते हैं। हर आती जाती सांस के साथ, हर कदम के साथ, आप बैठते हैं तब, आप खाते हैं तब, आप पीते हैं तब, आपके पास एक तरह की सुखदता को महसूस करने का मौका होता है, जो आपके पूरे शरीर में फैली होती है। इस सुखदता को इंद्रियों के स्तर पर नहीं, बल्कि गहराई में जाकर महसूस करने की जरूरत है।

ज्यादातर लोग इस अनुभव के प्रति जागरूक नहीं होते क्योंकि उनका मनोवैज्ञानिक नाटक, उनके भाव, उनके विचार इस पर पूरी तरह से हावी हो जाते हैं। हम जो शक्तिशाली क्रियाएं आपको बताते हैं, उनका मकसद आपको मन के आईने की दूसरी तरफ ले जाना होता है जिससे आप जीवन का स्वाद ले सकें। ऐसा जीवन समय की देन नहीं है, वह स्मृति की भी देन नहीं है और न ही कुछ चीजों का संग्रह है। वह जीवन का आधार है। जीवन और जीवन के स्रोत में कोई फर्क नहीं है। जीवन ही जीवन का स्रोत है। इस जगत में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां इस जगत और जगतकर्ता का अस्तित्व अलग अलग हो। जीवन और ईश्वर के बीच का फर्क सिर्फ इंसानी मन में होता है।

जीवन किसी भी कष्ट को जानता ही नहीं

आप जिस भी कष्ट से गुजर रहे हैं, वह आपका खुद का बनाया हुआ है। गहराई में मौजूद जीवन परेशानी जैसी किसी चीज को जानता ही नहीं है। परेशानी इंद्रियों के स्तर पर हो सकती है। कई बार यह मन के स्तर पर होता है।

आप जिस भी कश्ट से गुजर रहे हैं, वह

आपका खुद का बनाया हुआ है। गहराई में मौजूद जीवन

परेशानी जैसी किसी चीज को जानता ही नहीं है। परेशानी इंद्रियों के स्तर पर हो सकती है।

कई बार यह मन के स्तर पर होता है।

एक बार अगर आप आईने की दूसरी तरफ चले जाएं, तो जो कुछ भी होता है, वे सब ऊपरी तरंगें हैं। जब आप इस बात को अनुभव कर लेते हैं तो आप एक जीवन के भक्त बन जाते हैं। आज दुनिया में इसी चीज की जरूरत है। ईश्वर, जो दूसरों का जीवन लेने को आतुर है, उसके भक्त बनने के बजाय लोगों को जीवन का भक्त बनना चाहिए, जो इस जगत के स्रोत को मूर्त रूप देता है। अगर आप ध्यान दें, आप पाएंगे कि मन एक विशाल और रंगीन ब्यौरा बना रहा है। जीवन भी लगातार अपना खुद का ब्यौरा तैयार कर रहा है। आपको उसके संपर्क में आने की जरूरत है। इसे जानने के लिए जीवंतता सबसे अहम पहलू है। अगर आप एक पल पर अधिकार कर लें, तो आप इस पूरे जगत पर अधिकार कर लेते हैं। अगर आप एक पल को हासिल कर लें तो पूरा जगत आपके पहलू में आ जाता है।

हेलिकॉप्टर दुर्घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में होनी चाहिए : सुब्रमण्यम स्वामी

भाजपा राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तमिलनाडु में हुए हेलिकॉप्टर दुर्घटना मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में करवाने की मांग की है। इस दुर्घटना में भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और उनके रक्षा सलाहकार समेत 13 लोगों की मौत हो गई। सरकार ने सीडीएस रावत की मौत की जाँच के लिए हाई लेवल कमेटी गठित की है, लेकिन भाजपा सांसद चाहते हैं कि इस मामले की जाँच सरकार या उसकी एजेंसियों के बजाय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश करें।

नयी दिल्ली (ब्यूरो):

एक दैनिक हिन्दी समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में स्वामी ने कहा, “मैं इस मामले में सवाल खड़ा नहीं कर रहा हूँ। मेरा कहना है कि सेना के एक बड़े अधिकारी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हुई है, वो भी अपने देश में। वो एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जा रहे थे और उसका पायलट भी मिलिट्री से ही था। इसलिए मिलिट्री पर कोई दबाव नहीं आना चाहिए।”

स्वामी को आशंका है कि सेना पर दबाव बनाकर कहीं तथ्यों को दबा न दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले की जाँच ऐसे व्यक्ति से करवानी चाहिए, जो न तो सेना से हो और न ही सरकार से। उनकी नजर मेें वो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ही हो सकते हैं। अपनी बातों को बल देने के लिए स्वामी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या के मामले का उदाहरण दिया और कहा कि कैनेडी की हत्या के बाद उनकी मौत की जाँच का जिम्मा अमेरिका के चीफ जस्टिस को दिया गया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह सार्वजनिक मामला है। उन्होंने कहा कि हमारे दुश्मन, लोगों को गुमराह करने के लिए कई तरह के दुष्प्रचार कर रहे हैं, इसलिए इसकी वास्तविकता को सामने लाने के लिए मेरी यह मांग है कि इस दुर्घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में होनी चाहिए और सेना से जुड़े अधिकारी जांच के लिए एक्सपर्ट के तौर पर कमेटी में होने चाहिए।

उन्होने कहा कि कमेटी की जांच रिपोर्ट को सर्वमान्य बनाने के लिए यह जरूरी है क्योंकि देश के लोगों को आज भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करके भी इस मांग को उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, सीडीएस, उनकी पत्नी और कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मृत्यु कैसे हुई, इस बारे में संदेह पैदा होता है। इसलिए सरकार को किसी बाहरी व्यक्ति जैसे एससी जज द्वारा सरकारी जांच का नेतृत्व कराना चाहिए।

CDS की घटक दुर्घटना पर धर्म विशेष के लोगों ने हंसी मचाई

CDS बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की खबर बताई गई थी। अब किसी की दुर्घटना पर इस तरह के रिएक्शन देने वाले लोगों की मानशिकता पर हैरानी होती है। हालांकि गौर करने वाली बात ये भी है कि खबर पर हंसने वाले लोग एक ख़ास धर्म से जुड़े हुए हैं। 

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

तमिलनाडु के कुन्नूर में आर्मी का एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है। बताया जा रहा है कि इस हेलीकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत भी सवार थे।बताया जा रहा है कि मौसम की खराबी के वजह से ये हादसा हुआ है। खबरों की मानें तो  हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और अपनी पत्नी के साथ सवार थे। बताया जा रहा है कि कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। हालांकि अब इस हादसे को लेकर जहां हर कोई स्तब्ध है। वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे रिएक्शन दे रहे हैं जैसे कोई दुश्मन इस दुर्घटना में घायल हुआ हो.. आखिर ये लोग कौन हैं? और ऐसा रिएक्शन क्यों दे रहे हैं ये बड़ा सवाल है।

जनरल बिपिन रावत का हैलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद इस्लामी कट्टरपंथियों ने सोशल मीडिया पर जश्न मनाना शुरू कर दिया है। इस दुर्घटना में उनकी पत्नी की मौत की पुष्टि हुई थी। इस दुखद दुर्घटना वाली खबर पर ‘हाहा’ का रिएक्शन दिया जा रहा है, जो परेशान करने वाला है। NDTV की खबर पर तो एक-दो नहीं, बल्कि खबर लिखे जाने तक 116 ऐसे लोग थे जिन्होंने ‘हाहा’ का रिएक्शन देकर जश्न मनाया। नीचे दी गई तस्वीर में आप उनके बारे में देख सकते हैं:

फेसबुक पर ANI की खबर पर भी कई लोगों ने ऐसा ही रिएक्शन देकर जश्न मनाया। ANI ने हैलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद धू-धू कर जलते उसके पार्ट-पुर्जों की तस्वीरें शेयर की थी और बताया था कि कैसे लोग आग बुझाने में लगे हुए हैं। खबर लिखे जाने तक 24 लोगों ने यहाँ भी ‘हाहा’ का रिएक्शन दिया था।

सबसे पहले देखिए वायु सेना का बयान।  वायु सेना ने कहा है, ”सीडीएस जनरल बिपिन रावत को लेकर जा रहा IAF Mi-17V5 हेलिकॉप्टर, तमिलनाडु के कुन्नूर के पास आज दुर्घटना का शिकार हो गया।  दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए गए हैं। ”

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी इस खबर के बाद फेसबुक पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने आशा जताई कि हैलीकॉप्टर में सवार जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित बाकी सभी लोग सुरक्षित होंगे। हालाँकि, इस पोस्ट पर भी ‘हाहा’ का रिएक्शन देने वाले खबर लिखे जाने तक एक दर्जन की संख्या में पहुँच चुके थे।

तमिलनाडु के कुन्नूर में भारतीय वायुसेना का हैलीकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत समेत 14 लोग सवार थे। भारतीय वायुसेना और नीलगिरि के प्रशासन ने पुष्टि की है कि अब तक 5 शव बरामद किए जा चुके हैं। ये हैलीकॉप्टर कोयम्बटूर से सुलुर की ओर उड़ान भर रहा था, जहाँ जनरल बिपिन रावत को लेकर कॉलेज में लेक्चर सीरीज के लिए जाना था। सुलुर से उन्हें राजधानी दिल्ली के लिए उड़ान भरना था।

स्थानीय लोगों ने भी धू-धू कर जलते हुए चॉपर से आग बुझाने में मदद की। इसकी कई तस्वीरें भी सामने आई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल लगातार इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं और घायलों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली लाए जाने पर मंथन चल रहा है। बताया जा रहा है कि अचानक मौसम खराब होने के कारण ये दुर्घटना हुई।हालाँकि, शक्तिशाली इंजन वाला ये हैलीकॉप्टर सियाचिन सहित कठिन परिस्थितियों में भी उड़ान भरता है। एयर एम्बुलेंस भेजा गया है।

तमिलनाडु में Mi सीरीज का एक भारतीय सेना का हैलीकॉप्टर क्रैश हो गया है। CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) बिपिन रावत भी उसमें सवार थे। उनके साथ उनके कुछ स्टाफ और परिवार के लोग भी इसमें सवार थे। ये दुर्घटना नीलगिरि जिले के कुन्नूर में बुधवार (8 दिसंबर, 2021) को हुई है। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें हैलीकॉप्टर से धुआँ निकलते हुए देखा जा सकता है और उसके पुर्जे अलग-अलग हो गए हैं। पानी डाल कर आग को बुझाया गया।

कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उस हैलीकॉप्टर में सवार थे। कोयम्बटूर और सुलुर के बीच हुए इस हादसे के बाद भारतीय सेना रेसकर ऑपरेशन चला रही है। भारतीय सेना ने इस घटना के कारणों की जाँच के लिए भी आदेश दे दिए हैं। जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित इसमें कुल 14 लोग सवार थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि 80% जली हुई दो बॉडीज को नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया है। उन्होंने बताया कि निचले इलाके में कुछ और बॉडीज पड़े हुए देखे जा सकते हैं।

आसपास के सभी बसों के अगल-बगल के इलाकों में भारतीय सेना सर्च एवं रेसुए ऑपरेशन चला रही है। तीन लोगों को बचा भी लिया गया है। ये सभी गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें इलाज के लिए वेलिंग्टन कैंटोनमेंट के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चौथे व्यक्ति के लिए तलाश जारी है। ये हैलीकॉप्टर Mi-17V5 मॉडल का था। इस हैलीकॉप्टर में एक ब्रिगेडियर रैंक का अधिकारी, एक अन्य अधिकारी और दो पायलट भी मौजूद थे। घटनास्थल पर स्थानीय लोग, भारतीय सेना के जवान और कई पुलिसकर्मी भी मौजूद हैं।