भारत के टॉप कॉलेज और यूनिवर्सिटी की सूची कुल 11 कैटेगरीज में जारी की गई है। इनमें यूनिवर्सिटी, मैनेजमेंट, कॉलेज, फार्मेसी, मेडिकल, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूट ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स (ARIIA 2021), लॉ एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट्स और ऑवरऑल शामिल हैं। आधिकारिक वेबसाइट nirfindia.org पर पूरी सूची देख सकते हैं। आइए जानते हैं कैटेगरी वाइज टॉप भारत के टॉप विश्वविद्याल और महाविद्याल कौन से हैं।
NIRF रैंकिंग 2021 लिस्ट जारी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की घोषणा।
कुल 11 कैटेगरी में जारी हुई एनआईआरएफ रैंकिंग लिस्ट।
नयी दिल्ली (ब्यूरो):
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंकिंग जारी की जाती है। देश के विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, मैनेजमेन्ट और फार्मेसी संस्थानों की रैंकिंग के लिए एनआईआरएफ संस्था बनाई है। इससे पूर्व रैकिंग के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं थी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को वर्ष 2021 की एनआईआरएफ रैंकिंग (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) जारी कर दी। इस वर्ष भी ओवरऑल कैटेगरी में आईआईटी मद्रास को देश का बेस्ट शैक्षणिक संस्थान चुना गया है। वहीं आईआईएससी बेंगलुरु दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसरे स्थान पर हैं। बेस्ट यूनिवर्सिटी कैटेगरी में आईआईएससी बेंगलुरु पहले, जेएनयू दूसरे और बीएचयू तीसरे पायदान पर हैं। इस वर्ष रैंकिंग फ्रेमवर्क में टॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट्स की कैटेगरी भी शामिल की गई है। इस कैटेगरी में इस वर्ष आईआईएससी बेंगलुरु पहले, आईआईटी मद्रास दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसेर स्थान पर रहे।
मिरांडा हाउस, दिल्ली
लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ वुमेन, दिल्ली
लोयोला कॉलेज, चेन्नई
सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता
रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर, हावड़ा
पीएसजीआर कृष्णम्मल कॉलेज फॉर वूमेन, कोयंबटूर
प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई
सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली
हिंदू कॉलेज, दिल्ली
श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली
गौरतलब है कि साल 2016 में एनआईआरएफ लिस्ट 4 श्रेणियों में तैयार की गई थी, जो साल 2019 में बढ़कर 9 हो गए. इस साल एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2021 की घोषणा कुल दस श्रेणियों के लिये की गई है. इसमें विश्वविद्यालय, प्रबंधन, कॉलेज, फार्मेसी, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, ARIIA (नवाचार उपलब्धियों पर संस्थानों की अटल रैंकिंग) और लॉ जैसी कैटगरीज शामिल हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/09/srkaarii_naukrii_LIVE_1.jpg300400Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-09-09 12:11:342021-09-09 12:11:58NIRF 2021 लिस्ट जारी
आज एक विडियो विरल हुई है जिसमें एक व्यक्ति महिला डॉक्टर के साथ मार पीट करता दिखाई पद रहा है, जो उस महिला को लातों से मार रहा है।
यदि यह विडियो सच है तो उस व्यक्ति, तथाकथित नेता पर क्या कार्यवाई बनती है?
और क्या उस पर वह बनती कार्यवाई होगी या फिर (compromise) दबाव में सम्झौता करवाया जाएगा?
जानिए वायरल विडियो का सच
कोरोना लॉकडाउन में लोगों की सेवा कर रहे फ्रंटलाइन वर्कर्स में डॉक्टरों और स्टॉफ से बुरे व्यवहार की कई घटनाएं सामने आईं हैं। लेकिन, इन घटनाओं के बहाने फेक न्यूज भी वायरल हो रही हैं। ऐसी ही एक खबर और वीडियो तमिलनाडु का है जिसमें लुंगी पहने डीएमके पार्टी का एक नेता एक महिला की पिटाई कर रहा है।
वीडियो में नजर आ रहा है कि ये आदमी महिला को थप्पड़ और लात से मार रहा है जबकि कुछ और बीचबचाव करने का प्रयास कर रही हैं। इसी वीडियो को इन दिनों वायरल किया जा रहा है और यह कहानी फैलाइ जा रही है कि पीटने वाला शख्स तमिलनाडु डीएमके नेता सेल्वाकुमार है और वह ऑन ड्यूटी डॉक्टर को पीट रहा है।
क्या हो रहा वायरल
सोशल मीडिया पर कुछ नासमझ यूजर्स बिना सच जाने इस वीडियो के बहाने झूठ फैला रहे हैं। इस वीडियो को लेकर कुछ ऐसे झूठे मैसेज वायरल हो रहे।
फैक्ट चेक पड़ताल
जब हमने इस वीडियो को खोजना शुरू किया तो इंटरनेट पर यह घटना मई 2018 की निकली, जो सितम्बर में पहली बार वीडियो के रूप में सामने आई थी। ये सच है कि वीडियो उस समय के लिहाज से सही है और पीटने वाला व्यक्ति भी डीएमके का एक छुटभैया नेता सेल्वाकुमार ही है।
वायरल वीडियो में www.puthiathalaimurai.com का वॉटरमार्क लगा है। इस यूट्यूब चैनल पर ये वीडियो 13 सितंबर, 2018 को अपलोड हुआ था क्योंकि उसी दिन न्यूज एजेंसी ANI ने इस खबर को वीडियो के साथ ट्वीट भी किया था।
इस वीडियो में नजर आ रहा है कि तमिलनाडु के पेरंबलूर शहर में डीएमके पार्टी नेता सेल्वाकुमार ने एक ब्यूटीपार्लर में एक महिला से मारपीट की थी। ये नेता उस इलाके का पूर्व पार्षद था। हालांकि बाद में महिला की शिकायत पर सेल्वाकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इंटरनेट पर एक दैनिक ने भी इस खबर को प्रकाशित किया था। 13 सितंबर 2018 की पुरानी खबर से यह भी सामने आया कि वह महिला डॉक्टर या नर्स नहीं, बल्कि उस ब्यूटी पार्लर की मालकिन सत्या थी।
सफेद साड़ी पहने होने के कारण सोशल मीडिया में उसे मेडिकल प्रोफेशन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है, जबकि घटनास्थल ब्यूटी पार्लर का था और वहां पर पूरे स्टॉफ ने सफेद ड्रेस पहनीं थी।
सत्या ने सेल्वाकुमार पर पैसों के लेनदेन का आरोप लगाया था। महिला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी जिस पर कुछ महीनों बाद सेल्वाकुमार की गिरफ्तारी हुई थी। खबरों के मुताबिक उन्हें सितंबर 2018 में पार्टी से निकाल दिया गया था और दिसंबर 2018 में वापस शामिल कर लिया गया था।
निष्कर्ष: डीएमके नेता सेल्वाकुमार के हाथों महिला की पिटाई का पुराना वीडियो लेडी डॉक्टर से मारपीट के झूठे दावे के साथ फिर से वायरल हो रहा है। इसका लॉकडाउन या कोरोना संकटकाल से कोई लेना देना नहीं है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/Doctor-Beaten.jpg384683Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-02 17:05:252021-06-02 17:31:07वायरल विडियो ??? जानिए वायरल विडियो का सच
कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की जंग लगातार जारी है. इस बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से शुभ समाचार देश को मिला है और डीआरडीओ ने एंटी-कोविड मेडिसन, 2 डीजी (2-DG) लॉन्च कर दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में 2 डीजी की पहली खेप को रिलीज की।
नई दिल्ली(ब्यूरो):
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से एंटी-कोविड मेडिसिन, 2 डीजी (2-DG) लॉन्च कर दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस दवा की पहली खेप को रिलीज की।
पाउडर फॉर्म में उपलब्ध है दवा
डीआरडीओ के अनुसार, ‘2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ दवा को इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) द्वारा हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डी लैब के साथ मिलकर तैयार किया है। हाल ही में क्लीनिकल-ट्रायल में पास होने के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इस दवा को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। बताया जा रहा है कि ये दवाई सैशे में उपलब्ध होगी. यानी मरीजों को इसे पानी में घोलकर पीना होगा।
इस दवा से ऑक्सीजन लेवल रहेगा मेंटेन
अधिकारियों का कहना है कि ग्लूकोज पर आधारित इस दवा के सेवन से कोरोना मरीजों को ऑक्सजीन पर ज्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा। साथ ही वे जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे। क्लीनिक्ल-ट्रायल के दौरान भी जिन कोरोना मरीजों को ये दवाई दी गई थी, उनकी RT-PCR रिपोर्ट जल्द निगेटिव आई है। उन्होंने बताया कि ये दवा सीधा वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस व एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोक देती है। इस दवा को आसानी से उत्पादित किया जा सकता है. यानी बहुत जल्द इसे पूरे देश में उपलब्ध कराया जा सकेगा।
देशभर में कोरोना के 24 घंटे में 281386 नए केस आए सामने
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटे में भारत में 2 लाख 81 हजार 286 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए है, जबकि इस दौरान 4106 लोगों की जान गई। इसके बाद भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 49 लाख 65 हजार 463 हो गई है, जबकि 2 लाख 74 हजार 390 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में पिछले 24 घंटे में 3 लाख 78 हजार 741 लोग ठीक हुए, जिसके बाद कोविड-19 से ठीक होने वाले लोगों की संख्या 2 करोड़ 11 लाख 74 हजार 76 हो गई है। इसके साथ ही देशभर में एक्टिव मामलों में भी गिरावट आई है और देशभर में 35 लाख 16 हजार 997 लोगों का इलाज चल रहा है।
डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉक्टर अनंत नारायण ने बताया, ‘सीसीएमबी हैदराबाद में हमने इसका पहला टेस्ट किया था, उसके बाद हमने ड्रग कंट्रोल से कहा कि क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दें। ट्रायल में हमने देखा है कि कोरोना पेशेंट को काफी फायदा हुआ. टेस्टिंग के बाद फेज 2 सही से किया और फेज 3 में हमने बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग किया।’
डीआरडीओ ने डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिल बनाई दवा
कोरोना की इस दवा को डीआरडीओ के Institute of Nuclear Medicine and Allied Sciences यानी INMAS ने हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर तैयार किया है।
इस दवा से 7 दिन में ठीक हो जाएंगे मरीज
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि 2-डीजी एक जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ग्लुकोज से मिलती जुलती है, इसलिए इसका उत्पादन आसान होगा और ये दवा देश में बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सकेगी। डॉक्टर अनंत नारायण ने कहा, ‘इस ड्रग को हम जल्द से जल्द मार्किट में लाने का काम कर रहे है. यह दवा पाउडर के रूप में आता है पानी में घोल कर दिया जाता है। इसको दिन में 2 बार सुबह-शाम देने के बाद मरीज लगभग सात दिन में लोग ठीक हो रहे है।
ऑक्सीजन की किल्लत से मिलेगी राहत
इस दवा के बाजार में आने से एक और बड़ी राहत मिलेगी. अभी जो ऑक्सीजन की मारा-मारी है, दावा है कि इस दवा के मिलने के बाद ये समस्या बहुत हद तक कम होगी साथ ही ये दवा कोविड से संक्रमित मरीजों की अस्पताल में दाखिले की संख्या को भी कम करेगी. यानी मरीज घर पर रहकर ही डॉक्टर की सलाह से ये दवा लेकर ठीक हो जाएंगे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/05/826057-drdo-medicine-2dg.jpg400700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-05-17 11:26:422021-05-17 11:27:462 – DG कोरोना के खिलाफ DRDO का नया हथियार
तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनावों में शशिकला ने डीएमके को हराने के लिए एआईएडीएमके के कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने के लिए कहा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तमिलनाडु राज्य में एमजीआर का शासन जारी रहना चाहिए. शशिकला ने आगे कहा कि अम्मा (जयललिता) ने कहा था कि वे (DMK) दुष्ट शक्तियां हैं. अम्मा के कैडरों को डीएमके को हराने के लिए जोरशोर से काम करना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि अम्मा का सुनहरा शासन आए. उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि तमिलनाडु के लोगों की मैं हमेशा आभारी रहूंगी. मैं राजनीति से दूर रहना चाहती हूं, लेकिन मैं दुआ करती हूं कि अम्मा जैसा स्वर्णिम शासन बने.
चेन्नई/नयी दिल्ली: :
तमिलनाडु में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वहां राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। इस बीच बुधवार को राज्य के राजनीतिक गलियारों में तब खलबली मच गई जब वीके शशिकला ने अचानक राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया। शशिकला हाल ही में जेल से रिहा हुई थीं। शशिकला को पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता का सबसे करीबी माना जाता था। उनकी रिहाई के बाद से चुनाव लड़ने की खबरें आ रही थीं, लेकिन अब उनके संन्यास ने सभी अटकलों पर विराम लगा दिया।
मैंने कभी सत्ता, पद, अधिकार या धन की कामना नहीं की. मैं हमेशा अम्मा (जयललिता) के अनुयायियों और तमिलनाडु के लोगों की आभारी रहूंगी. मैंने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है. मैं हमेशा भगवान से प्रार्थना करूंगा कि अम्मा का स्वर्णिम शासन आए.
शशिकला
ये मानते हुए कि हम एक ही मां के संतान हैं, सभी समर्थकों को आगामी चुनावों में एक साथ काम करना चाहिए. सभी को डीएमके के खिलाफ लड़ना चाहिए और अम्मा सरकार बनाना चाहिए. सभी को मेरा शुक्रिया.
शशिकला
चार साल की जेल काटकर चेन्नई वापट लौटी हैं शशिकला
8 फरवरी को शशिकला भारी समर्थन के बीच चार साल की जेल काट कर चेन्नई वापस लौटी थीं. वो बेंगलुरु की जेल में थीं. 27 जनवरी को रिहाई हुई थीं.आय के ज्ञात स्रोत से 66 करोड़ रुपये ज्यादा की संपत्ति के मामले में फरवरी 2017 में चार साल कैद की सजा पाने वाली शशिकला को बेंगलुरु की पराप्पना अग्रहारा जेल में रखा गया था
लंबी खामोशी के बाद शशिकला और AMMK सचिव टीटीवी दिनाकरन ने मीडिया के लोगों और समर्थकों से चेन्नई में मुलाकात की. AIADMK से निष्कासित किए जाने के बाद शशिकला के भतीजे दिनाकरन ने अम्मा मक्कल मुन्नेत्रा कड़घम (AMMK) की स्थापना की थी.
शशिकला ने कहा, “जब मैं कोरोना से संक्रमित थी, तो तमिलनाडु के लोग और AIADMK काडर ने मेरे लिए प्रार्थना की थी और इसलिए मैं ठीक हुई. मैं आप सबका शुक्रिया कहती हूं.”
‘जयललिता के वफादार काडर को साथ खड़ा होना चाहिए’
24 फरवरी को शशिकला ने कहा था, “जयललिता के वफादार काडर को साथ खड़ा होना चाहिए और आने वाले विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए काम करना चाहिए. मैं आप सबके साथ खड़ी हूं.”
“जैसा कि हमारी अम्मा (जयललिता) ने चाहा था, हमारी सरकार (AIADMK) 100 साल बाद भी बनी रहनी चाहिए. इसके लिए हमें साथ चुनाव लड़ना होगा (AIADMK और AMMK). मैं इसकी कामना करती हूं. मैं काडर और लोगों से जल्दी ही मिलूंगी.”.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/03/776292-vk-sasikala.jpg500900Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-03-03 19:32:262021-03-03 19:33:16चुनावों से थी पहले शशिकला का सक्रिय राजनीति से सन्यास का ऐलान
ममता बनर्जी ने कहा कि इस बार पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में खेल खेला जाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के कहने पर चुनाव आयोग ने ऐसा किया. उन्होंने कहा कि बंगाल पर बंगाली ही राज करेगा किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा. ममता बनर्जी ने कहा, ”चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और अमित शाह के दौरे के हिसाब से तारीखों का एलान किया है. जो बीजेपी ने कहा चुनाव आयोग ने वही किया है. गृह मंत्री अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रहे हैं. हम हर हाल में बीजेपी को हराएंगे. खेल जारी है हम खेलेंगे और जीतेंगे भी.”
नई दिल्ली:
4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इसके बाद से ही पार्टी नेता के रिएक्शन आने शुरू हो गए हैं. जहां कुछ नेता इसे अच्छा बता रहे हैं तो वहीं कुछ चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं.
कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘अगर केरल की 140 सीटों, तमिलनाडु की 234 सीटों और पुडुचेरी की 30 सीटों (कुल 404 सीट) पर एक ही दिन में वोटिंग पूरी हो सकती है, तो फिर असम की 126 और पश्चिम बंगाल की 294 सीटों (कुल 420 सीट) के चुनाव के लिए 7-8 फेज की क्या जरूरत है? क्या इसके पीछे कोई कुटिल रणनीती है?
ममता बनर्जी ने भी उठाए सवाल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं. बीजेपी अपने पैसों की ताकत का इस्तेमाल न करे. ममता ने कहा कि बीजेपी हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेल रही है. बंगाल में एक ही चरण में चुनाव होना चाहिए था.
BJP ने दिया करारा जवाब
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) बंगाल चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें पर बहुमत हासिल करेगी. इस दौरान उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो 8 फेज में चुनाव होने से डर गईं हैं. मैं राजनीति का खेल समझने वालों से कहना चाहता हूं कि उनके दिन लदने वाले हैं.
गुलाम नबी आजाद ने भी कही ये बात
वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसन ने कहा कि इस चुनाव के लिए हम तैयार हैं और बीजेपी कहीं नहीं आएगी. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल चुनाव में डट कर मुकाबला करेगी. हम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे. चुनाव आयोग शांति के साथ मतदान प्रक्रिया को पूरा कराए. ताकि लोग निर्भीक होकर अपने मत का इस्तेमाल कर सकें.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/mamta-new.jpg400700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-26 16:15:282021-02-26 16:21:47चुनावों की तारीखों पर रार, ममता का आयोग पर वार
पश्चिम बंगाल और केरल समेत 4 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव (Assembly Election 2021) की तारीखों का ऐलान हो गया। पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग होगी, जबकि असम में 3 चरणों में चुनाव होंगे. इसके अलावा केरल, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एक चरण में चुनाव होंगे।
पश्चिम बंगाल में चुनाव तारीखों की घोषणा, 27 मार्च को पहले चरण के वोट, 2 मई को होगी वोटों की गिनती।
पश्चिम बंगाल में आखिरी यानी आठवें चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होगीः चुनाव आयोग।
पश्चिम बंगाल में छठे चरण की वोटिंग 22 अप्रैल को, सातवें चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होगीः चुनाव आयोग।
पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग होगी। 27 मार्च को पहले चरण,1 अप्रैल को दूसरे चरण का, 6 अप्रैल को तीसरे चरण, 10 अप्रैल को चौथे चरण, 17 अप्रैल को पांचवे चरण की वोटिंग होगीः चुनाव आयोग।
तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एक ही चरण में सभी सीटों पर होगी वोटिंगः चुनाव आयोग।
नई दिल्ली:
इलेक्शन कमीशन ने पांच राज्यों में चुनाव तारीख की घोषणा कर दी है। इलेक्शन कमीशन ने चुनावों संबंधी तैयारियों की भी पूरी जानकारी दी है। पांच राज्यों में 18 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे, केरल और पुडुचेरी में मतदान केंद्र बढ़ाए गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि सभी पोलिंग स्टेशनों पर मास्क, सेनिटाइजेर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए जाएंगे. वरिष्ठ नागरिकों के लिए वॉलिटिंयर की तैनाती की जाएगी।
जानें बंगाल में कब-कब चुनाव
राजनीतिक रूप से सबसे गर्म माने जा रहे पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग की जाएगी। 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए वोटिंग 27 मार्च (30 सीट), 1 अप्रैल (30 सीट), 6 अप्रैल (31 सीट), 10 अप्रैल (44 सीट), 17 अप्रैल (45 सीट), 22 अप्रैल (43 सीट), 26 अप्रैल (36 सीट), 29 अप्रैल (35 सीट) को होगी।पश्चिम बंगाल में भी काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।
असम में तीन चरण में चुनाव
उत्तर-पूर्व के सबसे बड़े राज्य असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। राज्य में 27 मार्च को पहले चरण में 47 सीटों पर वोटिंग होगी। इसके बाद 1 अप्रैल को 39 सीटों पर दूसरे चरण और 6 अप्रैल को तीसरे चरण में 30 सीटों पर वोटिंग होगी। यहां भी काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।
तमिलनाडु में 234 सीट पर भी एक फेज में चुनाव
दक्षिण भारत के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों पर एक फेज में चुनाव संपन्न कराया जाएगा। राज्य की सभी सीटों पर 6 अप्रैल को वोटिंग होगी। काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।
केंद्रशासित पुडुचेरी में भी एक फेज में होगी वोटिंग
इसके अलावा वर्तमान में राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे पुडुचेरी में भी एक फेज में सभी सीटों पर वोटिंग का फैसला किया गया है। राज्य में 6 अप्रैल को वोटिंग करवाई जाएगी। राज्य विधानसभा में 30 सीटें हैं। काउंटिंग 2 मई को संपन्न होगी।
केरल में एक चरण में वोटिंग, 2 मई को नतीजे
कांग्रेस और लेफ्ट के गढ़ कहे जाने वाले केरल में भी एक फेज में वोटिंग का फैसला किया गया है।पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की तरफ केरल में भी 6 अप्रैल को सभी सीटों पर वोटिंग की जाएगी। राज्यसभा विधानसभा में 140 सीटें हैं।
चुनावी माहौल की बात करें तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मियां पहले से तेज हैं। राज्य में दो टर्म से लगातार सत्ता में बनी हुई तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार भी सरकार बनाने के दावे कर रही है। वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाते हुए उत्साह से लबरेज है। बीजेपी की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा है कि वो 294 सीटों की विधानसभा में 200 सीटें हासिल करेगी. इस बीत कई कद्दावर टीएमसी नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है।
इनमें शुभेंदू अधिकारी सबसे कद्दावर नेता माने जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक ममता को इसका नुकसान हो सकता है। हालांकि खुद ममता बनर्जी की तरफ से कहा जा चुका है उन्हें इसका कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है। यहां तक कि उन्होंने शुभेंदू अधिकारी के गढ़ कहे जाने वाले नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की रणनीतिक घोषणा भी कर दी है।
वहीं पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी 2016 में मिली ऐतिहासिक सफलता को दोहराने के दावे कर रही है। विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सीएए के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। तमिलनाडु में बीजेपी सत्तारूढ़ एआईडीएमके के साथ है. वहीं केरल में पिनराई विजयन एक बार फिर एलडीएफ को सत्ता में वापस लाने की कोशिश करेंगे। पॉन्डिचेरी में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच चुनाव रोचक होने की संभावना है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/02/143321-arora-1.jpg478849Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-26 14:56:132021-02-26 14:58:19बंगाल सहित 5 राज्यों में विधान सभा चुनावों ई दुंदुभि, नतीजे 2 मई को
चुनावों में हारने के पश्चात अपने ही विपक्षी दलों से मिल कर सरकार बनाने की परंपरा कांग्रेस की ही शुरू की हुई है। जिनसे लड़ो उनही के साथ मिल कर सरकार बना डालो। जब कॉंग्रेस के साथ आमने सामने की भाजपा के साथ त्रिकोणिय लड़ाई में हार चुके दलों के नेता भाजपा को सत्ता से दूर ररखने के लिए अपने कैडर को नज़रअंदाज़ कर आपस में हाथ मिला लेते हैं, फिर अपनी ही पार्टी में असंतोष पनपने पर भाजपा पर आरोप लगाते हैं। अभी हाल ही के घटनाक्रम में राहुल गांधी का ब्यान बेहद निराशाजनक है । राहुल गांधी ने कहा कि वो एक के बाद एक चुनी हुई सरकारों को गिराते हैं। आजाद भारत में पहली बार चुनाव जीतने का मतलब चुनाव हारना है और चुनाव हारने का मतलब चुनाव जीतना है। यह राजनैतिक दल चुनावी हार को चुनावों ए पश्चात के गठबंधन को जनता का फैसला मानते हैं, जबकि जनता अपना फैसला दे चुकी होती है।
पुड्डुचेरी/ नयी दिल्ली:
पुडुचेरी में सरकार गंवाने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस की अंतर्कलह उजागर हो गई है। पुडुचेरी में सरकार जाने का ठीकरा बेशक वी नारायणस्वामी के सिर फोड़ा जा रहा हो, लेकिन कुछ नेता इसमें कांग्रेस आलाकमान को भी बराबर रूप से जिम्मेदार बता रहे हैं। इनकी शिकायत है कि पुडुचेरी में सियासी संकट की खबरें काफी वक्त से आ रही थीं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इस असंतोष को नजरअंदाज किया। पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने वाले नारायणसामी पार्टी आलाकमान के करीबी हैं। ऐसे में सत्ता बचा पाने की उनकी असफलता की आंच कहीं न कहीं पार्टी नेतृत्व को भी पहले से ही चुनौतियों से जूझ रही कांग्रेस के लिए पुडुचेरी में सरकार का पतन उसकी सियासी मुसीबतें और बढ़ाएंगी। पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले लगे इस बड़े झटके से पार्टी की राजनीतिक परेशानियों में इजाफा तो होगा ही, साथ ही पिछले कुछ महीनों से जारी अंदरूनी असंतोष के एक बार फिर से मुखर होने की आशकाएं बढ़ गई हैं।
हालांकि, कांग्रेस का अभी भी मानना है कि वह आगामी चुनावों में सहानुभूति फैक्टर पर लाभ उठा सकती है। मगर, ज्यादातर पार्टी नेता इससे कोई इत्तेफाक नहीं रखते। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नारायणसामी और पार्टी आलाकमान दोनों ने कुछ विधायकों को अति आत्मविश्वास में कम करके आंका। इसी अति आत्मविश्वास में कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल मध्य प्रदेश में अपनी सरकार खो दी थी। कर्नाटक में यही हाल हुआ था।
एक दैनिक समाछर पत्र के , पुडुचेरी संकट को लेकर सूत्रों को कहना है कि वहां 2018 में ही दूसरी पार्टी ने विधायकों को साधने की कोशिश शुरू कर दी थी. ।विधायक ई थेप्पनथन और विजेवेनी वी ने तत्कालीन स्पीकर वी वैथीलिंगम से इसकी शिकायत भी की थी। इसमें कहा गया था कि कांग्रेस के दो विधायक (एक एआईएडीएमके से और दूसरा एनआर कांग्रेस से) को दल बदलने के लिए मोटी रकम का ऑफर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, स्पीकर को इसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सौंपी गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन स्पीकर वी वैथीलिंगम ने ऑडियो रिकॉर्डिंग मिलने की बात भी कबूली है। उनके मुताबिक, इस मामले में पूछताछ भी की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया था। फिर 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया. पुडुचेरी के एक कांग्रेस नेता ने बताया, ‘बाद में नए विधानसभा स्पीकर बनाए गए पी शिवकोलन्धु को भी ऑडियो रिकॉर्डिंग सौंपी गई थी। लेकिन उन्होंने इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।’
पार्टी के एक हाईकमान नेता ने कहा, ‘नमसिव्यम जैसे नेताओं को प्रमुख पोर्टफोलियो दिए गए थे। हम और क्या दे सकते हैं? अगर वह सीएम बनना चाहते थे तो उन्हें विधायकों का समर्थन मिलना चाहिए था। वह अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं।’ पार्टी के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘बीजेपी, AIADMK और NR कांग्रेस के साथ गठबंधन में होगी।’
ऐसा लगता है कि कांग्रेस आलाकमान को इस बात का अंदेशा था कि पुडुचेरी में उसकी सरकार गिर जाएगी। पुडुचेरी में एक कांग्रेस नेता कहते हैं, ‘हमने कुछ समस्याओं का अनुमान लगाया था। हमें एक या दो लोगों के जाने का अंदेशा था। हमने सोचा कि चूंकि चुनावी माहौल है. इसलिए दूसरी पार्टी सरकार को पछाड़ना चाहती है। सरकार गिर जाएगी हमें इसका अंदाजा न हुआ।’ ये नेता आगे कहते हैं, ‘वैसे ये हमारे लिए यह कुछ मायनों में आगे चलकर लाभकारी हो सकता है। हमें एक बड़ा टॉकिंग पॉइंट मिल गया है। अब ध्यान केवल सरकार के प्रदर्शन पर होगा. अब हम इस सबके बारे में बात कर सकते हैं।’
वैसे सत्ता के लिहाज से पुडुचेरी का राजनीतिक प्रभाव चाहे बहुत ज्यादा न हो, मगर देश की सियासत में कांग्रेस के सिकुड़े आधार को देखते हुए पार्टी के मनोबल की दृष्टि से इसकी अहमियत थी। ऐसे में पार्टी की रीति-नीति और संगठन के संचालन को लेकर असंतोष की आवाज उठा रहे कांग्रेस के ‘जी 23’ के नेताओं के लिए पुडुचेरी का यह प्रकरण नेतृत्व पर दबाव बनाने का एक और मौका बन सकता है।
इस साल जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें पुडुचेरी भी शामिल है। चुनाव में केवल दो-तीन महीने रह जाने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व अपनी सरकार नहीं बचा पाया। सरकार गिर जाने के बाद सूबे में पार्टी के टूटे मनोबल का असर अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव में भी पड़ सकता है. ऐसे में सूबे के चुनाव में पार्टी की चुनौतियां गहरी हो गई हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/01/Sonia-gandhi-Rahul-Gandhi1.jpg508670Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-23 13:12:132021-02-23 13:12:32पुडुचेरी में सरकार गंवाने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस की अंतर्कलह उजागर हो गई है, अबकी बार आलाकमान पर भी उठ रहे सवाल
एक जमाना था जब दक्षिण भारत को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था. लेकिन तस्वीर बदल रही है। आईए एक नजर डालते हैं कि अब किन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार के गिरने के पीछे बीजेपी का हाथ होते हुए आरोप लगाया था कि पहले कर्नाटक, मध्यप्रदेश और अब पुडुचेरी में विधायकों को प्रलोभन देकर इस्तीफा दिलवाना भाजपा का गलत तरीके से सत्ता हथियाने का तरीका है। जिसका इस्तेमाल उसने राजस्थान में भी करने की कोशिश की थी मगर राजस्थान की जनता ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। सीएम गहलोत ने कहा है कि भाजपा इन तौर-तरीके को अपनाकर लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है मगर पुडुचेरी की जनता उसे सबक सिखाकर मानेगी। वह इन चुनावों में भाजपा को जवाब देगी।
नई दिल्ली ( ब्यूरो):
पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिर गई है। सोमवार को फ्लोर टेस्ट में मुख्यमंत्री वी। नारायणसामी हार गए। नारायणसामी ने उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन और द्रमुक के विधायक वेंकटेशन के रविवार को इस्तीफा देने के बाद 33 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई। जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक हैं।
पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद कांग्रेस का दक्षिण भारत से सफाया हो गया है. दो साल पहले कर्नाटक में कांग्रेस की हार हुई थी। और अब पार्टी की सत्ता पुडुचेरी में भी खत्म हो गई है। एक जमाना था जब दक्षिण भारत को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। लेकिन तस्वीर बदल रही है. आईए एक नजर डालते हैं कि अब किन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों हार के बाद कांग्रेस कमजोर होती दिख रही है। कुछ राज्यों में पार्टी की जरूर वापसी हुई है. लेकिन अगर पूरे देश की बड़ी तस्वीर देखी जाए तो कांग्रेस पिछड़ती दिख रही है. अब सिर्फ 5 राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह गई है। ये राज्य हैं- पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और झारखंड। महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस गठबंधन में शामिल है।
इन राज्यों से छीन गई सत्ता
मध्यप्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में लौटी थी. लेकिन सिर्फ 15 महीने बाद ही सरकार गिर गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही 25 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। एक बार फिर से शिवराज सिंह सीएम बन गए. कर्नाटक में जुलाई 2019 में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, और यहां भी सरकार गिर गई।
5 राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की चुनौती
इस साल अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के लिए जीत दर्ज करना बेहद मुश्किल चुनौती होगी. बंगाल में इस बार असली लड़ाई बीजेपी और और तृणमूल कांग्रेस के बीच है. यहां कांग्रेस पार्टी लेफ्ट के साथ गठबंधन में है.। उधर तमिलनाडु में कांग्रेस डीएमके के साथ गठबंधन के जरिये सत्ता में वापसी की कोशिश करेगी। केरल और असम में भी कांग्रेस के लिए चुनौती आसान नहीं है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/Rahul-Sonia-gandhi-birthday.jpg464696Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-23 12:12:432021-02-23 12:13:06नारायणसामी कि सरकार गिरने के बाद दक्षिण भारत से साफ हुई कॉंग्रेस
भाजपा ने कहा कि कांग्रेस सरकार सदन में अपना विश्वास मत हासिल नहीं कर पाएगी तो उन्होंने कहा निश्चित रूप से। सौ फीसद। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना है तो उन्होंने कहा कि यह एकमात्र विकल्प है। जब सुराना से पूछा गया कि क्या कांग्रेस सरकार सदन में अपना विश्वास मत हासिल नहीं कर पाएगी तो उन्होंने कहा, निश्चित रूप से। सौ फीसद। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना है तो उन्होंने कहा कि यह एकमात्र विकल्प है।
पुड्डुचेरी/नयी दिल्ली :
पुडुचेरी की विधानसभा में कॉन्ग्रेस के तीन और विधायक पार्टी से इस्तीफा देने को तैयार हैं। यह ताजा दावा भाजपा नेता ने शुक्रवार (फरवरी 19, 2021) को किया है। इससे पहले चार कॉन्ग्रेस नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। इनमें से दो ने भाजपा भी ज्वाइन कर ली है। जिनके नाम ए नमस्सिवम ( A Namassivayam) और ई थेप्पनथन ( E Theeppainthan) हैं।
केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा के इंचार्ज निर्मल कुमार सुराणा ने कहा कि अन्य दो कॉन्ग्रेस विधायक- मल्लदी कृष्ण राव और ए जॉन कुमार भी जे पी नड्डा के नेतृत्व वाली भाजपा में शामिल होंगे।
उन्होंने पीटीआई को बताया, “वह दोनों (कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देने वाले नेता) भाजपा से जुड़ने वाले हैं। वह हमारे शीर्ष नेतृत्व से बात कर रहे हैं” बीजेपी नेता का मानना है कि कॉन्ग्रेस सदन में शत प्रतिशत विश्वास मत खोने वाली है।
हालाँकि, सवालों के जवाब देते हुए बीजेपी नेता ने उन तीन कॉन्ग्रेस नेताओं के नाम बताने से इंकार किया जो भाजपा से जुड़ने वाले हैं। उन्होंने कहा, “मैं अभी नहीं बता सकता। वह (तीनों विधायक) नारायणस्वामी सरकार से नाखुश हैं और इस्तीफा देना चाहते हैं। ये बात 100 प्रतिशत पक्की है कि वह इस्तीफा देंगे।” सुराणा ने कहा कि जो कोई भी भाजपा की विचारधारा स्वीकारता है और इससे जुड़कर पुडुचेरी के विकास पर काम करना चाहता है, पार्टी उसे लेने को तैयार है।
गौरतलब है कि 22 फरवरी को पुडुचेरी में बहुमत साबित करने की बात उठने के बाद सत्ताधारी कॉन्ग्रेस ने गुरुवार को बैठक की थी । हालाँकि, इसमें पार्टी ने भविष्य की कार्रवाई के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया और विश्वास मत से एक दिन पहले फिर से मिलने का संकल्प लिया।
बता दें कि पुडुचेरी की 33 सदस्यीय विधानसभा में कुल 30 विधायक चुनकर आते हैं। ऐसे में वर्तमान में यहाँ स्पीकर समेत कॉन्ग्रेस के दस सदस्य हैं। जबकि इसके गठबंधन सहयोगी DMK के पास तीन सदस्य हैं और माहे क्षेत्र भी स्वतंत्र रूप से इसका समर्थन करता है।
इसी प्रकार नए सदस्यों के जुड़ने के साथ सदन में विपक्ष के कुल 14 सदस्य हो गए हैं, जिन पर कॉन्ग्रेस का कहना है कि उन तीन नेताओं को विपक्ष में अभी नहीं गिना जाना चाहिए जो हाल में शामिल हुए और उन्हें कॉन्फिडेंस मोशन के दौरान वोट करने का भी अधिकार नहीं होना चाहिए। विपक्ष के पास सिर्फ़ 11 की शक्ति है न कि 14 की।
मालूम हो कि साल 2016 में पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। कॉन्ग्रेस को 3 डीएमके और 1 निर्दलीय विधायक का समर्थन मिला था। मगर अब सदन में कॉन्ग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 10 हो गई है। 4 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि एक को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के कारण पार्टी से बाहर निकाला जा चुका है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/02/IMG_20210216_200551.jpg7791080Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-19 14:33:532021-02-19 14:34:34“मैं अभी नहीं बता सकता। वह (तीनों विधायक) नारायणस्वामी सरकार से नाखुश हैं और इस्तीफा देना चाहते हैं। ये बात 100 % पक्की है कि वह इस्तीफा देंगे।” : निर्मल कुमार सुराणा
राहुल गांधी के दौरे से ए दिन पहले पुडुचेरी में कॉंग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गयी है। काँग्रेस राज्यपाल के नाम पर किरन बेदी का इस्तीफा मांगे उससे पहले ही राष्ट्रपति महोदय ने किरण बेदी को राज्यपाल के पद से मुक्त कर दिया, खबर मिलते ही कॉंग्रेस खेमे में एक लहर दौड़ पड़ी और वह लड्डू बांटने लगे। लेकिन मज़े की बात यह है की भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक को कॉंग्रेस न तो समझ पाई न ही उसे पास इसका कोई तोड़ है। किरण बेदी को हटा कर भाजपा ने कॉंग्रेस से एक चुनावी मुद्दा छीन लिया। पुद्द्चेरी में राज्य पाल किरण बेदी एक बड़ा चुनावी मुद्दा थीं। जो अब नहीं रहीं। कॉंग्रेस लड्डुओं ए स्वाद में यहाँ चूक गयी। अब नयी राज्यपाल का अतिरिक्त भार तमिल साई सुंडेरराजन को दिया गया है जो पहले तमिल नाडु में भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष हुआ करतीं थीं। सनद रहे की पुद्दुचेरी में तमिल नडू की राजनीति का पूरा पूरा असर रहता है। विश्लेषकों की मानें तो भाजपा के 14 विधाया हैं कॉंग्रेस से छटके 4 विधाया भी भाजपा का दमन थाम सकते हैं। उपचुनाव जो जल्दी ही होने वाले हैं, के पश्चात भाजपा की सरकार बनना तय माना जा रहा है। उधर किरण बेदी यदि चुनाव लड़तीं हैं तो भाजपा उनका स्वागत करेगी। वैसे किरण बेदी को ले कर भाजपा के पास और भी विकल्प है, वह किरण को बतौर राज्यपाल पंजाब, हरियाणा महाराष्ट्र भी भेज सकती है।
सरिया तिवारी,पुड्डुचेरी/चंडीगढ़ :
पुडुचेरी में हाल के दिनों में कॉन्ग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद वहाँ की कॉन्ग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसा लग रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश का राजनीतिक ड्रामा अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनावों तक यूँ ही चलता रहेगा। अब केंद्र सरकार ने उप-राज्यपाल किरण बेदी को अपने पद से हटा दिया है। उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
तमिलसाई पहले तमिलनाडु में भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष हुआ करती थीं। मंगलवार (फरवरी 16, 2021) की रात राष्ट्रपति भवन की इस अधिसूचना के बाद घटनाक्रम तेज़ी से बदलने लगा। राष्ट्रपति भवन ने कहा है कि जब तक पुडुचेरी के उप-राज्यपाल के रूप में अगली नियुक्ति नहीं की जाती, तमिलसाई सुंदरराजन अतिरिक्त प्रभार संभालती रहेंगी। भाजपा के एक यूनिट के कुछ नेताओं ने भी किरण बेदी के कामकाज से आपत्ति जताई थी।
किरण बेदी को मई 2016 में उप-राज्यपाल बनाया गया था, ऐसे में उनका कार्यकाल पूरा होने को मात्र 3 महीने ही बचे हुए थे। कॉन्ग्रेस पार्टी ने लगातार पुडुचेरी में ये बात फैलाई थी कि किरण बेदी के कामकाज से जनता नाराज़ है और वो चुनी हुई सरकार के ऊपर हावी हैं। स्थानीय भाजपा यूनिट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को 3 बार याचिका भेज कर किरण बेदी को हटाने की माँग की थी।
किरण बेदी ने पुडुचेरी में ट्रैफिक नियमों में सख्ती की थी और हेलमेट न पहनने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया था। गरीबों को अनाज के बदले ‘डायरेक्ट बेनेफिर ट्रांसफर (DBT)’ पर जोर दिया गया था। प्रदेश सरकार ने जब सरकारी स्कूल के बच्चों को प्रदेश के इंजीनियरिंग/मेडिकल कॉलेजों में 10% आरक्षण देने का फैसला लिया तो किरण बेदी ने इसे नकार दिया था। कॉन्ग्रेस इन बातों से नाराज थी।
किरण बेदी के हटाए जाने की खबर के साथ ही प्रदेश भर में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़ कर अपनी ख़ुशी जताई। कॉन्ग्रेस के दफ्तरों में जश्न मनाया गया। खुद मुख्यमंत्री वेलु नारायणसामी ने नेताओं के बीच मिठाई बाँट कर जश्न मनाया।
सीएम नारायणसामी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से किरण बेदी को हटाने की माँग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बेदी प्रदेश सरकार की विकास और जन-कल्याणकारी योजनाओं पर ब्रेक लगा रही हैं।
वी नारायणसामी ने इस फैसले के तुरंत बाद एक प्रेस बैठक बुलाई और उसमें कहा कि ये न सिर्फ कॉन्ग्रेस पार्टी, बल्कि पुडुचेरी की जनता की भी जीत है। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में किरण बेदी के लगातार हस्तक्षेप के बाद जनता के अधिकार सुरक्षित नहीं रह गए थे। उन्होंने कहा कि पुडुचेरी की जनता ने किरण बेदी को ‘एक बड़ा सबक सिखाया’ है। किरण बेदी अब तक इस मामले में खामोश ही हैं।
किरण बेदी के हटाए जाने की खबर के साथ ही प्रदेश भर में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़ कर अपनी ख़ुशी जताई। कॉन्ग्रेस के दफ्तरों में जश्न मनाया गया। खुद मुख्यमंत्री वेलु नारायणसामी ने नेताओं के बीच मिठाई बाँट कर जश्न मनाया।
सीएम नारायणसामी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से किरण बेदी को हटाने की माँग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बेदी प्रदेश सरकार की विकास और जन-कल्याणकारी योजनाओं पर ब्रेक लगा रही हैं।
वी नारायणसामी ने इस फैसले के तुरंत बाद एक प्रेस बैठक बुलाई और उसमें कहा कि ये न सिर्फ कॉन्ग्रेस पार्टी, बल्कि पुडुचेरी की जनता की भी जीत है। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में किरण बेदी के लगातार हस्तक्षेप के बाद जनता के अधिकार सुरक्षित नहीं रह गए थे। उन्होंने कहा कि पुडुचेरी की जनता ने किरण बेदी को ‘एक बड़ा सबक सिखाया’ है। किरण बेदी अब तक इस मामले में खामोश ही हैं।
एक और अटकल ये लगाई जा रही है कि किरण बेदी सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकती हैं, इसीलिए उन्हें हटाया गया है। पिछले साढ़े 4 वर्षों से भी अधिक समय के अपने कार्यकाल में उन्होंने पुडुचेरी में बतौर उप-राज्यपाल प्रतिदिन जनसंपर्क को प्राथमिकता दी है। ये बात नारायणसामी के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी गूँजी। नारायणसामी ने कहा कि अगर वो भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में आती हैं तो उनका स्वागत है।
नारायणसामी ने कहा कि हमने न जाने कितने ही उपवास किए और धरने दिए, तब जाकर केंद्र सरकार की अब नींद खुली है। उन्होंने कहा कि अब पुडुचेरी की जनता खुश है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस पार्टी ने इसे भाजपा का ड्रामा बताते हुए कहा कि पार्टी को पता था कि अगर बेदी इस पद पर रहतीं तो भाजपा को वोट नहीं मिलते। अब सभी की नजरें राहुल गाँधी पर हैं, जो 4 दिनों के चुनावी कैम्पेन के लिए आज पुडुचेरी पहुँच रहे हैं। कॉन्ग्रेस की सोशल मीडिया संयोजक ने बेदी और संघ/भाजपा के लिए काम करने के आरोप लगाए।
बता दें कि पुडुचेरी में कॉन्ग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई है क्योंकि पार्टी के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री वेलु नारायणसामी (Velu Narayanasamy) सरकार ने एक विधायक के जाने से बहुमत खो दिया है। विधायक ए जॉन कुमार ने मंगलवार (फरवरी 16, 2021) को विधानसभा से अपना इस्तीफा स्पीकर वीपी शिवाकोलुन्थु को सौंप दिया है। कॉन्ग्रेस यहाँ DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) के साथ गठबंधन बना कर सत्ता में है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/02/narayanasamy2-1613532659.jpg338600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-18 03:18:012021-02-18 03:18:52किरण बेदी के हटते ही कॉंग्रेस ने बांटे लड्डू
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