जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण पर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव की अभद्र टिप्पणी पर कांग्रेस चुप


गौरतलब है अभी कुछ दिन पहिले ही सुरजेवाला ने कांग्रेस्स के डीएनए में ब्राह्मण होने की बात काही थी, अब यह….. 


हिमाचल प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे नीरज भारती वक्त-वक्त पर अपनी अभद्र टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहते हैं. वो फिर अपनी एक फेसबुक पोस्ट को लेकर विवादों में आ गए हैं. जन्माष्टमी के मौके पर एक फेसबुक पोस्ट में भारती ने कृष्ण पर अपमानजनक पोस्ट किया है.

भारती ने जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण भगवान की एक फोटो फेसबुक पर शेयर की, जिसमें वह पेड़ पर बैठे हैं और नीचे नग्न अवस्था में गोपियों को नहाते हुए दिखाया है. इस फोटो के साथ भारती ने लिखा, ‘आज इसका जन्मदिन है क्या?’

भारती की इस पोस्ट पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने भारती पर निशाना साधा और साथ ही राहुल गांधी को भी लपेटे में ले लिया. ठाकुर ने राहुल से सवाल किया.

बीजेपी के संसद में मुख्य सचेतक ठाकुर ने फेसबुक पर लिखा, ‘आपकी मानसरोवर यात्रा ढोंग है. आपकी सुरक्षा के तहत ऐसे अपमानजनक पोस्ट लोगों की धार्मिक भावनाओं पर हमला हैं.’ ठाकुर ने अपने इस पोस्ट के साथ भारती की पूर्व हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री वीरभद्र के साथ की दो तस्वीरें भी पोस्ट कीं.

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि ऐसे पोस्ट कांग्रेस की एंटी हिंदू की छवि को उजागर करते हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से कांगड़ा के सुपरिटेंडेंट ने कहा है कि उन्हें इस बारे में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, अगर मिलती है तो भारती पर उचित कार्रवाई करेंगे.

भारती के अभद्र टिप्पणी के मामले में कांग्रेस ने अपना पल्ला झाड़ा है. कांग्रेस के प्रवक्ता नरेश चौहान का कहना है कि कांग्रेस इस तरह की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करती है. कांग्रेस पार्टी इस मामले से खुद को अलग करती है और यह उनका निजी मामला है. कांग्रेस की विचारधारा ऐसी नहीं है.

नीरज भारती पर पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के चलते एफआईआर दर्ज करवाया जा चुका है. इस पोस्ट पर बीजेपी लीडर प्रतिभा बाली ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने उनका भी अपमान किया. इसके अलावा वह फेसबुक पर अपनी विवादित पोस्ट के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी, स्मृति ईरानी, बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर पर भी अभद्र टिप्पणियां कर चुके हैं.

पुलिस ने हड़ताली रोडवेज कर्मचारियों पर बरसाए डंडे, बसों को किया रवाना

खबर ओर फोटो अजय कुमार


प्रशासन पूरी सुरक्षा में बसों को चलाने की कोशिश कर रहा है और लम्बे रूट की कई बसों को सुरक्षा के बीच रवाना किया गया


फोटो अजय कुमार

फोटो अजय कुमार

हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आज प्रदेश भर मेंहरियाणा रोडवेज की बसों का चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी. लेकिन सरकार की सख्ती के चलते रोडवेज का चक्का जाम बेअसर दिखाई दिया. जींद में चक्का जाम कर रहे रोडवेज कर्मियों पर आज सुबह पुलिस ने लाठी चार्ज किया. रोडवेज कर्मियों ने जब बसों को रोकना चाहा तो पुलिस ने हड़ताली कर्मचारियों को भगा भगा कर पीटा.

प्रशासन पूरी सुरक्षा में बसों को चलाने की कोशिश कर रहा है और लम्बे रूट की कई बसों को सुरक्षा के बीच रवाना किया गया. पुलिस ने कुछ रोडवेज कर्मियों को भी हिरासत में ले लिया है. बता दें की प्राइवेट बसों को परमिट देने के विरोध में पूरे हरियाणा में रोडवेज कर्मचारियों आज चक्का जाम पर है.

पिछले चार साल में  रोडवेज कर्मचारियों यह 11वीं हड़ताल है. रोडवेज कर्मचारियों का कहना है की पूरे हरियाणा में पूर्ण चक्का जाम रहेगा. पूरे हरियाणा में लाखों यात्री इस चक्का जाम से प्रभावित होते है. सख्त कदम उठाते हुए अबकी बार सरकार ने एस्मा एक्ट लगाया है. हड़ताल को देखते हुए प्रसासन ने जींद बस अड्डे पर सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था. पुलिस को यहाँ बल प्रयोग करना पड़ा बसों की सुरक्षा हेतु पुलिस को यहाँ लाठी चार्ज भी करना पड़ा

सिरसा में रोडवेज की हड़ताल पूरी तरह कामयाब 2: 20 पर बस चलाने का प्रशासन ने किया प्रयास। विरोध के चलते बस नहीं चल पाई।

चरखी दादरी में प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में दादरी में बसों का संचालन करवाया, बसें रोकने पहुंचे रोडवेज के 7 कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार किया। सुबह 4 बजे से बसों का संचालन शुरू हो चुका था। बस स्टैंड से पुलिस गाड़ियों के पीछे निकाली बसें।

फ़तेहाबाद में भी बसों का संचालन शुरू, कर्मचारियों को किया गिरफ़्तार

पलवल में परिवहन का काम सुचारू रूप से चल रहा है, हरियाणा रोडवेज की बस हडताल का कोई असर नहीं
सिरसा में कर्मचारी नेताओं को हिरासत में लेने के बाद बस सेवा बहाल हो गई है

पंचकुला में हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों का बसस्टैंड पर शान्तिपूर्ण धरना जारी रहा, कुछ एक बसे विभाग द्वारा चलाई जा रही है
धरनासथल पर भारी पुलिस बल तैनात ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके।

सवर्ण जातियों का विरोध झेलतीं राजनैतिक पार्टियां


अब सवर्णों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. हिंदी भाषी राज्यों में अपनी जड़े जमाने वाली बीजेपी इस तबके के वोटरों को लेकर सशंकित भी है और चिंतित भी


एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम का विरोध तेज हो रहा है. मध्यप्रदेश के ग्वालियर के फूलबाग मैदान में जुटे करीब दर्जन भर संगठनों की तरफ से इस मुद्दे पर हल्लाबोल शुरू किया गया है. मध्यप्रदेश में सवर्ण संगठनों ने विरोध ज्यादा तेज कर दिया है.

क्षत्रिय महासभा, गुर्जर महासभा, परशुराम सेना जैसे सवर्ण जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों की ओर से विरोध का बिगुल फूंका गया है. 6 सितंबर को इस मुद्दे पर भारत बंद का आह्वान भी किया जा रहा है. इनकी नाराजगी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ है. लेकिन, निशाने पर बीजेपी के नेता और केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री ज्यादा हैं. क्योंकि सरकार बीजेपी की ही है.

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उस पर आरोपों की जांच की जाएगी. इसी के बाद देशभर में एसएसी-एसटी तबके की तरफ से विरोध तेज हो गया था. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों और बीजेपी के सहयोगी दलों की तरफ से भी इस मुद्दे पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई थी.

Supreme Court

राजनीतिक दबाव में केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस मामले में संसद के मॉनसून सत्र में कानून पास कराकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. अब एक बार फिर से पुराने ढर्रे पर ही एससी-एसटी कानून के तहत कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया है. यानी इस एक्ट में फिर से बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है.

एससी-एसटी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए पिछले 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था, जिसमें काफी हिंसक झड़पें भी हुई थीं. मध्यप्रदेश समेत देश भर में बंद का असर भी दिखा था. सरकार को लगा कि इस तबके को मनाने और विरोधियों का मुंह बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाला कानून पास कराना होगा. सरकार ने ऐसा  कर भी दिया. लेकिन, अब यह मुद्दा उसके गले की हड्डी बनता जा रहा है.

बीजेपी के खिलाफ सवर्ण हो रहे लामबंद:

अब सवर्ण संगठनों का विरोध सरकार और बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बनता जा रहा है. सबसे ज्यादा विरोध मध्यप्रदेश में दिख रहा है, जहां, दो महीने के भीतर विधानसभा का चुनाव होना है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस वक्त राज्य भर का दौरा कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी नेता प्रभात झा, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे कई दूसरे नेताओं को भी सवर्ण संगठनों की तरफ से घेरा जा रहा है. उनसे जवाब मांगा जा रहा है. लेकिन, बीजेपी के इन सवर्ण नेताओं के लिए उन्हें समझा पाना मुश्किल हो रहा है.

विरोध की आग मध्यप्रदेश से आगे भी पहुंच रही है. बिहार और यूपी समेत दूसरे प्रदेशों में एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर विरोध हो रहा है. बिहार के बेगूसराय, गया, नालंदा और बाढ़ जिलों में सवर्ण संगठनों ने बंद भी बुलाया. कई जगह पर नेशनल हाईवे भी जाम किया और जमकर विरोध किया.

File photo of protests over SC/ST (Prevention of Atrocities) Act

File photo of protests over SC/ST (Prevention of Atrocities) Act

विरोध बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ दिख रहा है. लेकिन, इससे सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है. इन सवर्ण संगठनों की तरफ से विरोध के क्रम में अगले चुनाव में नोटा दबाने की अपील की जा रही है. इनकी तरफ से बार-बार यही कहा जा रहा है कि नोटा के जरिए हम बीजेपी और कांग्रेस दोनों का विरोध करेंगे.

दरअसल, बीजेपी को अबतक सवर्णों की पार्टी कहा जाता रहा है. ब्राम्हण –बनिया की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी ने धीरे-धीरे समाज के हर तबके में अपना विस्तार भी किया है. पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों के अलावा, एससी-एसटी तबके में भी बीजेपी का जनाधार पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुआ है. खासतौर से 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में कास्ट बैरियर टूट जाने के बाद बीजेपी के वोट शेयर में जबरदस्त इजाफा हुआ. अपने दम पर बीजेपी पहली बार सत्ता में आई.

लोकसभा में कितने हैं एससी-एसटी सांसद?

यहां तक कि लोकसभा में एससी-एसटी सांसदों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 131 है. जिसमें 84 एससी और 47 एसटी सांसदों की संख्या है. मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास इस तबके के 67 सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी किसी भी कीमत पर इस तबके की नाराजगी नहीं मोल लेना चाह रही थी. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का फैसला किया गया.

लेकिन, अब सवर्णों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. हिंदी भाषी राज्यों में अपनी जड़े जमाने वाली बीजेपी इस तबके के वोटरों को लेकर सशंकित भी है और चिंतित भी. तभी तो पार्टी नेताओं और मुख्यमंत्रियों को सवर्ण तबके को समझाने की जिम्मेदारी दी गई है कि आखिर यह फैसला क्यों करना पड़ा.

वजह जो भी हो, लेकिन, सवर्ण मतदाताओं के भीतर अब यह बात घर कर गई है कि एससी-एसटी तबके को साधने के लिए सरकार ने उनके साथ अन्याय किया है. अब इस बात को लेकर उनका विरोध शुरू हो गया है. मंडल कमीशन लागू होने के बाद शायद यह पहला मौका है कि सवर्ण तबका भी अब खुलकर अपनी बात कर रहा है. चुनावी साल में राजनीतिक दल परेशान हैं. बीजेपी डरी है कहीं यह नाराजगी उस पर भारी न पड़ जाए ?

क्या वादरा पर वाकई कानूनी शिकंजा कसेगा या फिर……..


‘दामाद श्री’ पुस्तिका में लिखे आरोपों और इस संबंध में गुरुग्राम पुलिस द्वारा दायर की गई एफआईआर में जबरदस्त समानता है.


2014 के लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने तत्कालीन यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाते हुए ‘दामाद श्री’ नाम की एक पुस्तिका जारी की थी. अब इसे संयोग कहें या कुछ और, ‘दामाद श्री’ पुस्तिका में लिखे आरोपों और इस संबंध में गुरुग्राम पुलिस द्वारा दायर की गई एफआईआर में जबरदस्त समानता है. ये एफआईआर गुरुग्राम के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में सुरेंद्र शर्मा नाम के एक शख्स ने राबर्ट वाड्रा के खिलाफ दर्ज करायी है.

‘दामाद श्री’ नाम की इस बुकलेट के कवर पर राबर्ट वाड्रा की फोटो छपी हुई है और वो अपने अक्सर पहने जाने वाले परिधान,टाइट फिटिंग शर्ट, टाई डार्क सन ग्लासेज पहने हुए हैं. उनकी तस्वीर के पीछे बैकग्राउंड में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दिखाई दे रहे हैं. इस बुकलेट की शुरुआत होती है वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी रजिस्ट्रेशन की कहानी के साथ.

नवंबर 2007 में एक लाख रुपए की इक्विटी के साथ इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद गुड़गांव के सेक्टर 83 स्थित शिखपुर गांव में 3.51 एकड़ जमीन की खरीद की गयी वो भी फर्जी चेक के सहारे. इस जमीन के एवज में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को 7.5 करोड़ रुपए का एक चेक फरवरी 2008 में कंपनी की तरफ से जारी किया गया जो कि बाद में फर्जी पाया गया था.

इस जमीन की खरीद के बाद इस जमीन का लैंडयूज बदला गया और उसके बाद इस जमीन को देश की बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक डीएलएफ को अगस्त 2008 में 58 करोड़ रुपए में बेच दिया गया.

पुलिस को जो शिकायत सुरेंद्र शर्मा ने की है उसमें भी इसी तथ्य को इंगित किया गया है. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि इस मामले में तथ्य एक जैसे ही हैं ऐसे में शिकायत और उससे संबंधित जो एफआईआर पुलिस ने दर्ज की है उसमें एकसमान चार्ज एकसमान तरीके से लगाए गए होने चाहिए. लेकिन सच्चाई ये है कि एफआईआर किसी निजी व्यक्ति द्वारा दर्ज कराया गई है न कि किसी स्टेट एजेंसी के द्वारा. इसके अलावा एफआईआर करने का समय भी मायने रखता है. इसका असर निश्चित रूप से हरियाणा की राजनीति और अन्य मामलों पर पड़ सकता है.

यहां ये ध्यान देने वाली बात है कि इस मामले की पड़ताल राज्य की एजेंसियां पहले कई सालों से कर रही थी. इस मामले पर कॉन्सोलिडेशन ऑफ लैंड होल्डिंग के डायरेक्टर जनरल अशोक खेमका पहले भी ऐतराज जताने के बाद इस मामले का खुलासा वो पब्लिक में 2012 में ही कर चुके थे. जस्टिस एस.एन ढींगरा कमेटी ने भी इस संबंध में सरकार को अपनी रिपोर्ट पिछले साल के शुरू में ही सौंप दी थी. इसके बावजूद भी अधिकारिक एजेंसियों ने इस मामले में वाड्रा और हुडा के खिलाफ के अपराधिक मामला दर्ज करने के लिए किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया था.

कांग्रेस की समस्या ये है कि इस मामले में केवल वाड्रा ही आरोपी नहीं हैं बल्कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा भी इस मामले में अभियुक्त बनाए गए हैं. उसी तरह से ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ का नाम भी आरोपियों की सूची में दर्ज है.

जिन धाराओं के तहत पुलिस ने वाड्रा और हुडा पर मामला दर्ज किया है वो काफी गंभीर हैं. धारा 420 (धोखाधड़ी),120 B (आपराधिक साजिश), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी),471 (जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करना) और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13 के तहत इन पर मुकदमा दर्ज किया गया है.

हालांकि अभी तक एफआईआर करने वाले सुरेंद्र शर्मा और बीजेपी के बीच किसी तरह के संबंध की बात साबित नहीं हुई है लेकिन ये मानना सही नहीं होगा कि कोई साधारण व्यक्ति किसी पुलिस स्टेशन में जाकर इस तरह का कोई गंभीर एफआईआर दर्ज कराने की हिम्मत करेगा और वो भी वाड्रा और भूपेंद्र सिंह हुडा जैसे शक्तिशाली और रसूखदार व्यक्तियों और डीएलएफ जैसी बड़ी कंपनी के खिलाफ. सत्ताधारी दल बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि सरकार का ये चाहना कि इस मामले में कोई सामान्य नागरिक वाड्रा और हुडा के खिलाफ क्रिमिनल केस फाइल कराए, उसकी गंभीरता को दर्शाता है. अब ये स्पष्ट हो चुका है कि सरकार इस मामले को तार्किक तरीके से आगे ले जाने को प्रतिबद्ध है.

मामले की जांच के दौरान ढींगरा कमेटी की रिपोर्ट का इस्तेमाल सोनिया गांधी के दामाद के खिलाफ केस को मजबूत करने के लिए किया जाएगा.

ये भी संयोग की बात है कि जिस दिन गुरुग्राम में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी, उस दिन राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गुरुग्राम में ही मौजूद थे. हालांकि मुख्यमंत्री के एक सहयोगी ने इसे स्पष्ट किया कि इससे वहां उनकी मौजूदगी का कोई लेना देना नहीं और वो वहां पर अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही कार्यक्रमों में शामिल होने गए थे.

सवाल ये उठता है कि वाड्रा के खिलाफ केस दायर करना केवल राज्य के एक ईमानदार व्यक्ति की पहल है या फिर ये सत्ता पक्ष की तरफ से सोच विचार कर लिया गया फैसला है. वैसे दोनों मामलों में बीजेपी के लिए स्थिति अनुकूल ही है.‘दामाद श्री’ पुस्तिका के जारी किए जाने के चार साल बाद अब हरियाणा की बीजेपी सरकार ये दावा कर सकती है कि उसने इस मामले में कानून को अपना काम करने देने की पहल कर दी है.

फ़र्स्टपोस्ट को अपने विश्वसनीय सूत्रों ये पता चला है कि चार सालों तक वाड्रा के खिलाफ मुलायम रुख अपनाने के बाद सरकार को अब इस मामले को तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए जांच में तेजी लाने की आवश्यकता महसूस हुई है. वाड्रा के मामले में बात करते हुए सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का कहना था, ‘किसी को बख्शा नहीं जाएगा. कानून तोड़ने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.’ बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘वाड्रा के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई आने वाले समय में और की जाएगी. मैं जानता हूं की इस संबंध में कुछ प्रगति हुई है.’

राजस्थान के बीकानेर में भी वाड्रा की संदेहास्पद लैंड डील की जांच ने गति पकड़ी है. बीकानेर में जब वाड्रा की लैंड डील हुई थी तो उस समय देश में यूपीए का शासन था और राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार सत्ता में थी. संदेहास्पद लैंड डील के इस मामले में भी वाड्रा और गहलोत सरकार के बीच सांठगांठ को लेकर मीडिया में रिपोर्टों का प्रकाशन होता रहा है.

लेकिन राजस्थान में अभी तक इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है. पिछले साल अगस्त में राजस्थान पुलिस के द्वारा दायर किए गए 18 मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. इन मामलों में एक मामला वाड्रा से भी संबंधित था. एक अधिकारी का कहना था कि कागजातों की समीक्षा में दस्तावेजों के फर्जीवाड़े के चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ है. पता चला है कि जमीन के एक टुकड़े से रियल एस्टेट बिजनेस में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए जमीन को कई लोगों के हाथों से गुजारा गया जिनमें से कुछ लोगों का तो अस्तित्व तक नहीं है.

इस साल फरवरी में वाड्रा एसोसिएट्स के परिसर में इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट की ओर से जांच पड़ताल भी की गयी थी. इससे पहले ईडी ने जयप्रकाश भार्गव और अशोक कुमार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग के तहत इसी मामले में गिरफ्तार किया था. कुमार, काग्रेंस नेता और वाड्रा के नजदीकी महेश नागर का ड्राइवर है और इसका इस्तेमाल वाड्रा की ओर से राजस्थान में जमीन खरीदने में किया गया था.

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को इंडियन पोस्टल बैंक के उद्धाटन के समय दिए गए बयान का आशय भी इस तरह के मामलों में मिलता जुलता है. पीएम मोदी ने कहा था कि जिस समय अधिकतर लोग फोन बैंकिंग से अनजान थे उस समय भी नामदार (पीएम मोदी कांग्रेस के गांधी परिवार को इससे संबोधित करते रहे हैं) ने एक फोन कॉल के जरिए बैंकों को अपने चहेतों को लोन देने के चलन की शुरुआत की थी.

पीएम ने ये भी कहा कि 2014 के पहले मोटा लोन लेने वाले उन 12 डिफॉल्टरों पर भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है और उन सबसे पाई पाई की वसूली की जाएगी. प्रधानमंत्री का बयान और उसका समय, सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोगों को लग रहा है कि उन्होंने वाड्रा को लेकर भी इशारा किया है जिसमें कुछ डिफॉल्टर उद्योगपतियों को फोन पर लोन दिलाने के मामले में वाड्रा की भी भूमिका रही है.

Punjab seeks early Central approval for Rajasthan & Sirhind Feeders’ relining projects

 

New Delhi/Chandigarh, September 04, 2018:

Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh on Tuesday met Union Minister of Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation Nitin Gadkari seeking early nod for Rs. 1976 crore projects of relining of Rajasthan Feeder and Sirhind Feeder.

Captain Amarinder informed the Union Minister that estimates of  projects for Relining of Rajasthan Feeder Reach RD 179000 – 496000 (Punjab portion) and Sirhind Feeder from RD 119700 to 447927 were sanctioned by Central Water Commission in year 2009 for Rs 952.100 crores and Rs 489.165 crores respectively. He said  that  work on these could not be taken up due to various reasons and now the Punjab Government had completed the groundwork and was ready to float global tenders for the work.

The Chief Minister said that since the projects do not figure in the list of 99 prioritized projects, the approval of the Union Government was requires for inclusion in the prioritized projects. He further said the revised cost of the projects, i.e. Rs. 1305.267 Cr. for Rajasthan Feeder and Rs. 671.478 Cr. for Sirhind Feeder, had  been cleared by MoWR, GR & RD, New Delhi on 06-04-2016. Besides, the Punjab Government has submitted all paperwork, including commitment to fund state share of funds, and is awaiting the Union Ministry’s approval, he added.

Moreover, the Government of Rajasthan has also made commitment to fund its share in the projects, the Chief Minister informed Gadkari.

Seeking urgent approval of the project, the Chief Minister said work will be completed in three years and there is a very small window of 70 days each year as it requires closure of the canals. Captain Amarinder said that in view of the large quantum of work required to be executed in a very short period, the contractor will require a period of at least six months for mobilization and any delay in approvals is likely to delay start of the project beyond March 2019.

The Chief Minister requested personal intervention of Union Minister for expeditious approvals at various levels of these two lifeline projects of Punjab and Rajasthan.

Gadkari promising early processing of approval of these projects, said that he understands the importance of these two irrigation projects for an agrarian state like Punjab.

मिग-27 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया – पायलट सुरक्षित

 

जोधपुर के बनाड़ थाना इलाके में तकनीकी खराबी के चलते भारतीय वायुसेना का मिग-27 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया है | यह हादसा देवरिया गांव के पास हुआ है | इसमें पायलट सुरक्षित है | इस हादसे के बाद प्रशासन ने फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची | एयरफोर्स के अधिकारी और पुलिस के जवान भी मौके पर पहुंच गए हैं | विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है | वायुसेना ने बताया कि मंगलवार सुबह जोधपुर से एक मिग 27 विमान ने नियमित उड़ान भरी और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया है | पायलट सुरक्षित रूप से बाहर निकाल गया है और इस मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं |

वायुसेना के प्रवक्‍ता ने बताया है कि मिग-27 ने एयरबेस से सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर उड़ान भरी थी और 9 बजकर दो मिनट पर मिग-27 क्रैश हो गया | इससे पहले छह जुलाई को भारतीय वायुसेना का ट्रेनर फाइटर जेट मिग 23 जोधपुर में क्रैश हुआ था | इस हादसे में फाइटर पर सवार दोनों पायलट सुरक्षित बाहर निकल गए थे | गोपासर के निकट एक खेत में नीचे गिरते ही इसमें आग लग गई थी | जेट मिग-23 ने करीब 12 बजे जोधपुर से उड़ान भरी थी और बालेसर क्षेत्र के गोपासर गांव के निकट इसके इंजन ने काम करना बंद कर दिया था | विमान के खेत में गिरते ही इसमें आग लग गई |

जुलाई में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक गांव में एक मिग-21 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हुअर था | इस घटना में भारतीय वायुसेना के एक पायलट की जान चली गई थी | वायुसेना ने बताया था कि विमान नियमित उड़ान पर था | वह दोपहर 1 बज कर करीब 20 मिनट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था |

जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है


धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं


जनमाष्टमी यानी कृष्ण के जन्म का उत्सव. कृष्ण के जन्म से दो बिल्कुल कड़ियां अलग जुड़ती हैं. एक ओर मथुरा की काल कोठरी है जहां वासुदेव और देवकी जेल में अपनी आठवीं संतान की निश्चित हत्या का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ गोकुल में बच्चे के पैदा होने की खुशियां हैं. कृष्ण के जन्म का ये विरोधाभास उनके जीवन में हर जगह दिखता है. धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं. और समय-समय पर उनके बारे में जो नई कहानियां गढ़ी गईं उन्हें समझना भी किसी समाजशास्त्रीय अध्ययन से कम नहीं है.

अब देखिए वृंदावन कृष्ण की जगह है, लेकिन वृंदावन में रहना है तो ‘राधे-राधे’ कहना है. ऐसा नहीं हो सकता कि आप अयोध्या में रहकर सिया-सिया, लुंबिनी में यशोधरा-यशोधरा या ऐसा कुछ और कहें. यह कृष्ण के ही साथ संभव है. कान्हा, मुरली और माखन के कथाओं में कृष्ण का बचपन बेहद सुहावना लगता है. लेकिन कृष्ण का बचपन एक ऐसे शख्स का बचपन है, जिसके पैदा होने से पहले ही उसके पिता ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली थी. वो एक राज्य की गद्दी का दावेदार हो सकता था तो उसको मारने के लिए हर तरह की कोशिशें की गईं. बचपन के इन झटकों के खत्म होते-होते पता चलता है कि जिस परिवार और परिवेश के साथ वो रह रहा था वो सब उसका था ही नहीं.

कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं. मथुरा के कृष्ण के सामने अलग चुनौतियां दिखती हैं. जिस राज सिंहासन को वो कंस से खाली कराते हैं उसे संभालने में तमाम मुश्किलें आती हैं. अंत में उन्हें मथुरा छोड़नी ही पड़ती है. महाभारत युद्ध में एक तरफ वे खुद होते हैं दूसरी ओर उनकी सेना होती है. वो तमाम योद्धा जिनके साथ उन्होंने कई तैयारियां की होंगी, युद्ध जीते होंगे. अब अगर कृष्ण को जीतना है तो उनकी सेना को मरना होगा. इसीलिए महाभारत के कथानक में कृष्ण जब अर्जुन को ‘मैं ही मारता हूं, मैं ही मरता हूं’ कहते हैं तो खुद इसे जी रहे होते हैं.

महाभारत से इस्कॉन तक कृष्ण

अलग-अलग काल के साहित्य और पुराणों में कृष्ण के कई अलग रूप हैं. मसलन महाभारत में कृष्ण का जिक्र आज लोकप्रिय कृष्ण की छवि से बिलकुल नहीं मिलता. भारतीय परंपरा के सबसे बड़े महाकाव्य में कृष्ण के साथ राधा का वर्णन ही नहीं है. वेदव्यास के साथ-साथ श्रीमदभागवत् में भी राधा-कृष्ण की लीलाओं का कोई वर्णन नहीं है. राधा का विस्तृत वर्णन सबसे पहले ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है. इसके अलावा पद्म पुराण में भी राधा का जिक्र है. राधा के शुरुआती वर्णनों में कई असमानताएं भी हैं. कहीं दोनों की उम्र में बहुत अंतर है, कहीं दोनों हमउम्र हैं.

इसके बाद मैथिल कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति के पदों में राधा आती हैं. यह राधा विरह की ‘आग’ में जल रही हैं. 13वीं 14वीं शताब्दी के विद्यापति राधा-कान्हा के प्रेम के बहाने, शृंगार और काम की तमाम बातें कह जाते हैं. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल से चैतन्य महाप्रभु कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ‘राधे-राधे’ का स्मरण शुरू करते हैं. यह वही समय था जब भारत में सूफी संप्रदाय बढ़ रहा था, जिसमें ईश्वर के साथ प्रेमी-प्रेमिका का संबंध होता है. चैतन्य महाप्रभु के साथ जो हरे कृष्ण वाला नया भक्ति आंदोलन चला उसने भक्ति को एक नया आयाम दिया जहां पूजा-पाठ साधना से उत्सव में बदल गया.

अब देखिए बात कृष्ण की करनी है और जिक्र लगातार राधा का हो रहा है. राधा से शुरू किए बिना कृष्ण की बात करना बहुत मुश्किल है. वापस कृष्ण पर आते हैं. भक्तिकाल में कृष्ण का जिक्र उनकी बाल लीलाओं तक ही सीमित है. कृष्ण ब्रज छोड़ कर जाते हैं तो सूरदास और उनके साथ बाकी सभी कवि भी ब्रज में ठहर जाते हैं. उसके आगे की कहानी वो नहीं सुनाते हैं. भक्तिकाल के कृष्ण ही सनातन परंपरा में पहली बार ईश्वर को मानवीय चेहरा देते हैं. भक्तिकाल के बाद रीतिकाल आता है और कवियों का ध्यान कृष्ण की लीलाओं से गोपियों और राधा पर ज्यादा जाने लगता है. बिहारी भी जब श्रृद्धा के साथ सतसई शुरू करते हैं, तो ‘मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोए’ ही कहते हैं. इन सबके बाद 60 के दशक में इस्कॉन जैसा मूवमेंट आता है जो उस समय दुनिया भर में फैल रहे हिप्पी मूवमेंट के साथ मिलकर ‘हरे कृष्णा’ मूवमेंट बनाता है.

ईश्वर का भारतीय रूप हैं कृष्ण

कृष्ण को संपूर्ण अवतार कहा जाता है. गीता में वे खुद को योगेश्वर भी कहते हैं. सही मायनों में ये कृष्ण हैं जो ईश्वर के भारतीय चेहरे का प्रतीक बनते हैं. अगर कथाओं के जरिए बात कहें तो वे छोटी सी उम्र में इंद्र की सत्ता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जीवन भर युद्ध की कठोरता और संघर्षों के बावजूद भी उनके पास मुरली और संगीत की सराहना का समय है. वहीं वह प्रेम को पाकर भी प्रेम को तरसते रहते हैं. यही कारण है कि योगेश्वर कृष्ण की ‘लीलाओं’ के बहाने मध्यकाल में लेखकों ने तमाम तरह की कुंठाओं को भी छंद में पिरोकर लिखा है. उनका यह अनेकता में एकता वाला रूप है जिसके चलते कृष्ण को हम बतौर ईश्वर अलग तरह से अपनाते हैं.

तमाम जटिलताएं

इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्ण की लीलाओं के नाम पर बहुत सी अतिशयोक्तियां कहीं गईं हैं. बहुत कुछ ऐसा कहा गया है जो, ‘आप करें तो रास लीला…’ जैसे मुहावरे गढ़ने का मौका देता है. लेकिन इन कथाओं की मिलावटों को हटा देने पर जो निकल कर आता है वो चरित्र अपने आप में खास है. अगर किसी बात को मानें और किसी को न मानें को समझने में कठिनाई हो तो एक काम करिए, कथानकों को जमीन पर जांचिए. उदाहरण के लिए वृंदावन और मथुरा में कुछ मिनट पैदल चलने जितनी दूरी है. मथुरा और गोकुल या वृंदावन और बरसाने का सफर भी 2-3 घंटे पैदल चलकर पूरा किया जा सकता है. इस कसौटी पर कसेंगे तो समझ जाएंगे कि कौन-कौन सी विरह की कथाएं कवियों की कल्पना का हिस्सा हैं.

कृष्ण के जीवन में बहुत सारे रंग हैं. कुछ बहुत बाद में जोड़े गए प्रसंग हैं जिन्हें सही मायनों में धार्मिक-सामाजिक हर तरह के परिवेश से हटा दिया जाना चाहिए. राधा के वर्णन जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो महाभारत और भागवत में नहीं मिलती मगर आज कृष्ण का वर्णन उनके बिना संभव नहीं है. इन सबके बाद भगवद् गीता है जो सनातन धर्म के एक मात्र और संपूर्ण कलाओं वाले अवतार की कही बात. जिसमें वो अपनी तुलना तमाम प्रतीकों से करते हुए खुद को पीपल, नारद कपिल मुनि जैसा बताते हैं. आज जब तमाम चीजों की रक्षा के नाम पर हत्याओं और अराजकता एक सामान्य अवधारणा बनती जा रही है. निर्लज्जता, झूठ और तमाम तरह की हिंसा को कथित धर्म की रक्षा के नाम पर फैलाया जा रहा है, ऐसे में कृष्ण के लिए अर्जुन का कहा गया श्लोक याद रखना चाहिए यतः सत्यं यतो धर्मो यतो ह्लीराजर्वं यतः. ततो भवति गोविंदो यतः कृष्णोस्ततो जयः यानी जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है. अंतिम बात यही है कि कृष्ण होना सरस होना, क्षमाशील होना, नियमों की जगह परिस्थिति देख कर फैसले लेना और सबसे ज़रूरी, निरंकुशता के प्रतिपक्ष में रहना है.

श्री कृष्ण के नामकरण पर पधारे महर्षि गर्ग ने कुंडली विचार जो भविष्यवाणियाँ कीं वह अक्षरश: सत्य थीं

जगत के पालनहार का कृष्ण अवतार विधि का विधान था और वे स्वयं दुनिया का भाग्य लिखते हैं, उनके भाग्य को कोई नहीं पढ सकता। लेकिन जैसे ही मानव योनि में अवतार आया तो वे संसार के बंधन में पड़ जाता है और इस कारण उसे दुनिया के लोकाचार को भी निभाना पडता है। जन्म से मृत्यु तक सभी संस्कार करने पडते हैं।

इन्हीं लोकाचारों में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर महर्षि गर्ग पधारे और उनका नामकरण संस्कार किया। उनका नाम कृष्ण निकाल कर उनके जीवन की अनेकों भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की थी जो अक्षरशः सही रही। इस आधार पर श्रीकृष्ण की कुंडली में ग्रह क्या बोलते हैं का यह संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया जा रहा है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सोलह कला सम्पूर्ण महान योगी श्रीकृष्ण का नामकरण व अन्नप्राशन संस्कार गर्ग ऋषि ने कुल गुरू की हैसियत से किया तथा कृष्ण के जीवन की सभी भविष्यवाणियां की जो अक्षरशः सही रहीं। भाद्रपद मास की इस बेला पर हम गर्ग ऋषि को प्रणाम करते हैं।

अष्टमी तिथिि की मध्य रात्रि में जन्मे कृष्ण का वृषभ लग्न में हुआ। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में बैठे व गुरू, शनि, मंगल, बुध भी अपनी-अपनी उच्च राशियों में बैठे थे। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में बैठे।

योग साधना, सिद्धि एवं विद्याओं की जानकारी के लिए जन्म जन्म कालीन ग्रह ही मुख्य रूप से निर्भर करते हैं। अनुकूल ग्रह योग के कारण ही कृष्ण योग, साधना व सिद्धि में श्रेष्ठ बने। गुरू अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान पर उच्च राशि में बैठ गुप्त साधनाओं से सिद्धि प्राप्त की तथा पंचमेश बुध ने पंचम स्थान पर उच्च राशि कन्या में बैठ हर तरह की कला व तकनीकी को सीखा।

चन्द्रमा ने कला में निपुणता दी। मंगल ने गजब का साहस व निर्भिकता दी। शुक्र ने वैभवशाली व प्रेमी बनवाया। शनि ने शत्रुहन्ता बनाया व सुदर्शन चक्र धारण करवाया। सूर्य ने विश्व में कृष्ण का नाम प्रसिद्ध कर दिया।

जन्म के ग्रहों ने कृष्ण को श्रेष्ठ योगी, शासक, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, चमत्कारी योद्धा, प्रेमी, वैभवशाली बनाया। श्रीकृष्ण की कुंडली में पांच ग्रह चन्द्रमा, गुरू, बुध, मंगल और शनि अपनी उच्च राशि में बैठे तथा सूर्य व मंगल अपनी स्वराशि में हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धि और विवेक का धनी होता है। यही चन्द्रमा का अति प्रिय नक्षत्र और चन्द्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को जातक मे आकर्षण बढा देती है। ऐसे व्यक्ति सभी को प्रेम देते हैं और अन्य लोगों से प्रेम लेते हैं। श्रीकृष्ण को इस योग ने सबका प्रेमी बना दिया और वे भी सबसे प्रेम करते थे।

जन्म कुंडली का पांचवा स्थान विद्या, बुद्धि और विवेक तथा प्रेम, संतान, पूजा, उपासना व साधना की सिद्धि का होता है। यहां बुध ग्रह ने उच्च राशि में जमकर इन क्षेत्रों में कृष्ण को सफल बनाया तथा राहू के संयोग से बुध ग्रह ने परम्पराओं को तुड़वा ङाला और भारी कूटनीतिकज्ञ को धराशायी करवा डाला।

स्वगृही शुक्र ने उन्हें वैभवशाली बनाया तो वहां उच्च राशि में बैठे शनि ने जमकर शत्रुओं का संहार करवाया। भाग्य व धर्मस्थान में उच्च राशि में बैठे मंगल ने उनका भाग्य छोटी उम्र में ही बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मारकेश व व्ययेश बने मंगल ने धर्म युद्ध कराकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कराया।

अष्टमेश गुरू को मारकेश मंगल ने देख उनके पांव के अगूठे में वार करा पुनः बैकुणठ धाम पहुंचाया। अष्टमेश और मारकेश का यह षडाष्ठक योग बना हुआ है और मारकेश मंगल ग्रह को पांचवी दृष्टि से राहू देख रहा। यह सब ज्योतिष शास्त्र के ग्रह नक्षत्रों का आकलन मात्र है। सत्य क्या था यह तो परमात्मा श्रीकृष्ण ही बता सकते हैं।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव श्री देवेन्द्र यादव का महवा विधानसभा क्षेत्र में श्री छोटूराम मीना के नेतृत्व में पंच पटलों और जनता द्वारा भव्य स्वागत

 

2 सितंबर, महवा:
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव श्री देवेंद्र यादव का महवा विधानसभा क्षेत्र में श्री छोटूराम मीना ने पंच पटेलों तथा अपने अन्य हजार लोगों के साथ गर्म जोशी से भव्य स्वागत किया |
मिशन 2019 अभियान के अंतर्गत इस यात्रा मेँ श्री देवेंद्र यादव जन साधारण को कांग्रेस की विकास नीतियों से अवगत करवा रहे हैं औऱ जनता को अधिक से अधिक पार्टी से जुड़ने के लिए आह्वान कर रहे हैं।
महवा विधानसभा क्षेत्र के कर्मठ युवा और कांग्रेस नेता श्री छोटूराम मीना ने श्री देवेन्द्र सिंह यादव को उनकी इस यात्रा की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।तथा आशा व्यक्त की कि कांग्रेस पार्टी को अत्यधिक लोगों का सहयोग मिलेगा और जनता से आग्रह किया कि कांग्रेस से जुड़ें और पाए और देश विकास मिशन 2019 को सफल बनाने के लिए सहयोग दें।
श्री मीना ने समारोह में उपस्थित जनसमूह का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

क्षेत्र के विकास के लिए कांग्रेस के हाथ मजबूत करें : छोटूराम

 

महवा, 31 सितम्बर:
राजस्थान प्रदेश पर्यावरण प्रकोष्ठ के महासचिव ,युवा एवं विकासशील नेता श्री छोटूराम मीणा ने आज महवा विधान सभा क्षेत्र महवा का दौरा किया और ग्राम वासियों को 10 सितंबर 2018 को होने वाली कांग्रेस की संकल्प रैली में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होने का आग्रह किया ।
आज के जन सम्पर्क कार्यक्रम कांग्रेस के युवा नेता श्री छोटूराम मीणा ने कहा क्षेत्र को जहां युवा शक्ति की आवश्यकता है वहीं अनुभवी और परिपक्व नागरिकों की भी बहुत आवश्यकता है। अधिक से अधिक लोगों को कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ कर राज्य और क्षेत्र के हित के लिए कांग्रेस को मजबूत करना होगा।
स्थानीय लोगों से क्षेत्र के विकास पर चर्चा की और मौजूदा विधायक द्वारा इस क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता न देने की कड़ी आलोचना की। श्री मीणा ने कहा कि विकास कांग्रेस की प्राथमिकताओं में हमेशा से ही सर्वोपरी रहा है और आगे भी रहेगा। उन्होंने कहा कि जनता यदि विकास चाहती है तो यह केवल नेतृत्व में बदलाव लाने से ही सम्भव है।
इस दौरान उन्होंने विभिन्न गांवों के पंच पटेलों से मिलकर स्थानीय समस्याओं पर विचार किया और राज्य सरकार को इनसे अवगत करवाने और समाधान करवाने में हर सम्भव प्रयास करने का आश्वासन दिया।
इस दौरान गांव साँधा और आसपास के पंच पटेल भी वहां मौजूद रहे जिन्होंने श्री छोटूराम मीणा के द्वारा क्षेत्र में दिए योगदान और नेतृत्व पर पूरा विश्वास जताया।


बालाहेड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच श्री सीताराम मीणा जी व महुखेड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच श्री रमेश जी तथा गांव के पंच पटेलों और अन्य लोगों ने श्री छोटूराम मीणा का गर्मजोशी से स्वागत किया | ग्राम वासियों की विभिन्न समस्याओं को सुनने तथा उन्हें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने तथा कम से कम कीटनाशकों का प्रयोग करके पर्यावरण को बचाने का अनुरोध किया। श्री छोटूराम मीणा ने क्षेत्र के सभी वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।