हिंदुस्तान जिंक द्वारा अजमेर शरीफ को 100 करोड़ के अनुदान का हिन्दू संगठनों ने किया विरोध


विश्व प्रसिद्ध अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह को विकास के लिए एक औद्योगिक संस्था द्वारा करोड़ों की सहायता राशि दिए जाने के विरोध में आज यहां संघ के आनुसांगिक संगठन बजरंग दल सहित अन्य हिंदू संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है और कलक्ट्रेट पर जबर्दस्त प्रदर्शन किया।


चित्तौड़गढ़:

प्राप्त जानकारी अनुसार गत दिनों चितौड़गढ़ स्थित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आग्रह पर अपने सीएसआर फंड से अजमेर की दरगाह को विकास के लिए एक सौ करोड़ की राशि दिये जाने के विरोध में आज यहां कलेक्ट्रेट पर बजरंग दल एवं शिव सेना ने केंद्र सरकार एवं जिंक प्रबंधन के विरूद्ध जबर्दस्त प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन के दौरान विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री सुधीर भटनागर, बजरंग दल के जिला संयोजक मुकेश नाहटा तथा शिव सेना के गोपाल वेद ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिंक से निकले प्रदूषण से यहां का आमजन त्रस्त है और स्थानीय बेरोजगारों को इस कंपनी में रोजगार नहीं दिया जा रहा है वहीं यहां से हजारों करोड़ का मुनाफा कंपनी ले रही है लेकिन यहां के विकास के लिए अपने सीएसआर फंड को खर्च नहीं किया जा रहा है।

इन नेताओं ने कहा कि हाल ही केंद्रीय मंत्री नकवी के कहने पर जिंक ने अजमेर की दरगाह के विकास के लिए एक सौ करोड़ की राशि दिये जाने का एमओयू साईन करने के साथ दस करोड़ की प्रथम किश्त भी दे दी जो ना केवल तुष्टीकरण है बल्कि स्थानीय निवासियों के हितों पर कुठाराघात भी है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आने वाले दिनों में तमिलनाडू की तरह कंपनी के गेट पर प्रदर्शन कर तालेबंदी की जाएगी। प्रदर्शन के बाद जिला कलॅक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया।

राजस्थान छात्रसंघ चुनाव नतीजे दोनों प्रमुख दलों को थोड़ी ख़ुशी थोड़ा गम


राजस्थान में 10 दिन तक बेसब्री से इंतजार किए गए छात्र संघ चुनावों के नतीजे आ गए हैं. इन नतीजों ने इस बार दोनों ही प्रमुख दलों को थोड़ी खुशी ज्यादा गम दिया है


राजस्थान में 10 दिन तक बेसब्री से इंतजार किए गए छात्र संघ चुनावों के नतीजे आ गए हैं. इन नतीजों ने इस बार दोनों ही प्रमुख दलों को थोड़ी खुशी ज्यादा गम दिया है. बीजेपी (आरएसएस) की स्टूडेंट विंग एबीवीपी और कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई इन नतीजों का अपने-अपने ढंग से विश्लेषण कर रहे हैं.

जोधपुर को छोड़कर पूरे राज्य में 31 अगस्त को छात्र संघ चुनाव हुए थे. जबकि जोधपुर की जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी और इसके संघटक कॉलेजों में 10 सितंबर को चुनाव सम्पन्न हुए हैं. इसकी वजह ये थी कि उन दिनों जोधपुर संभाग में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अपनी गौरव यात्रा निकाल रही थीं.

राजस्थान यूनिवर्सिटी से जुड़ा टोटका

राजस्थान में कुल 14 सरकारी विश्वविद्यालय हैं. इनमें सबसे बड़ा जयपुर का राजस्थान विश्वविद्यालय है. माना जाता है और लगभग हर बार ये साबित भी हुआ है कि जो राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ कार्यालय पर अपना आधिपत्य जमा लेता है वही राज्य में सरकार बनाने में भी कामयाब रहता है. चुनावी साल में तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच इसे सबसे बड़ा टोटका माना जाता है.

2013 में आमतौर पर अशोक गहलोत की सरकार को लेकर एंटी इंकमबैंसी फैक्टर महसूस नहीं किया जा रहा था. जुलाई-अगस्त, 2013 में मोदी लहर इतना जोर भी नहीं पकड़ पाई थी. तब राज्य में बीजेपी कमजोर विपक्ष की भूमिका में थी. वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व की अदावत के कारण धारणा बन रही थी कि बीजेपी जीतना तो दूर कांग्रेस को कड़ी टक्कर भी नहीं दे पाएगी.

राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी माहौल कुल मिलाकर एनएसयूआई के पक्ष में ही लग रहा था. लेकिन अप्रत्याशित रूप से यहां एबीवीपी के कान्हा राम जाट ने जीत दर्ज की. इसके बाद का इतिहास तो सबके सामने है. कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आजादी के बाद अपने सबसे बुरे प्रदर्शन का गवाह बन रही थी. 200 में से कांग्रेस के 2 दर्जन विधायक भी नहीं जीत पाए थे.

नतीजे खुशी से ज्यादा दे गए गम!

इस बार के चुनावी नतीजे मिले जुले से रहे हैं. छात्रों ने न एबीवीपी को खुशी का पूरा मौका दिया है और न ही एनएसयूआई को. राजस्थान यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहां लगातार तीसरे साल निर्दलीय अध्यक्ष चुना गया है. विनोद जाखड़ हालांकि एनएसयूआई के बागी उम्मीदवार थे. लेकिन जाखड़ ने एबीवीपी के उम्मीदवार को 1789 वोटों के बड़े मार्जिन से शिकस्त दी है. उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर भी निर्दलीय उम्मीदवार ही जीते हैं. यहां एबीवीपी को सिर्फ संयुक्त सचिव पद पर जीत मिली. मीनल शर्मा ने इस पद पर जीत दर्ज की.

बाकी विश्वविद्यालयों और ज्यादातर कॉलेजों में भी कमोबेश ऐसे ही नतीजे रहे. जोधपुर की जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी, कोटा यूनिवर्सिटी, बीकानेर की महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी में भी निर्दलीय उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं. उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी, अजमेर की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी और जयपुर की राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी में जरूर एबीवीपी को जीत हासिल हुई है.

अब तक चुनावी साल में राजनीतिक पंडितों के लिए विश्वविद्यालयों के चुनाव नतीजे, विधानसभा की भविष्यवाणी करने का मजबूत आधार होते थे. लेकिन इस बार निर्दलीयों की भारी जीत ने सभी को चक्करघिन्नी बना दिया है. छात्रों ने जो मैंडेट दिया है वो मिलाजुला है. तो क्या समझें कि इस बार विधानसभा त्रिशंकु रह सकती है?

2013 में वसुंधरा राजे के चाणक्य कहे गए और अब निर्दलीय मोर्चा का बैनर खड़ा कर रहे चंद्रराज सिंघवी ने तो इन नतीजों को चेतावनी करार दिया है. सिंघवी ने दावा किया है कि युवाओं ने दोनों पार्टियों को नकार दिया है. आने वाली सरकार में भी निर्दलीयों के ‘की रोल’ की उन्होंने भविष्यवाणी कर दी.

पहली बार ‘वंचितों’ को कमान

बीजेपी-कांग्रेस या निर्दलीय की बहस के इतर एक सबसे अहम बदलाव ने इस बार सबका ध्यान खींचा है. आजादी के बाद इन 70 सालों में पहली बार कोई एससी छात्र देश के सबसे बड़े राज्य की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष चुना गया है. इस बार उपाध्यक्ष पद पर भी अनुसूचित जनजाति (एसटी) की अनुराधा मीना चुनी गई हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

हालांकि पिछले 15 साल में 2 बार एसटी वर्ग का अध्यक्ष रह चुका है लेकिन ये पहली बार ही है जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों अनुसूचित जाति (एससी) और जनजाति (एसटी) वर्ग से हैं. 20 साल पहले तक आमतौर पर ब्राह्मण या राजपूत छात्र ही चुनाव जीतते थे. लेकिन पिछली सदी के आखिरी कुछ वर्षों से ओबीसी छात्रों का छात्रसंघ कार्यालयों में दबदबा बढ़ा. इस बार 2 शीर्ष पदों पर वंचित वर्गों के छात्रों ने जीतकर बदलाव की बयार का स्पष्ट संकेत दे दिया है.

युवा हर चुनाव में एक डिसाइडिंग फैक्टर होते हैं. पिछले कुछ समय से सभी पार्टियां युवाओं पर फोकस कर रही हैं. 2014 में सबने देखा कि युवाओं के समर्थन के बूते ही नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद तक पहुंच पाए. लेकिन राजस्थान में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा भी क्या युवा और विकल्प तलाश रहा है? लग रहा है कि सोशल मीडिया के इस दौर में युवा मतदाता अब पार्टी नहीं ‘पर्सन’ देख कर फैसला करने की ओर बढ़ रहा है.

सिरोही के तीनों महाविद्यालयों में लहराया अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का परचम

सिरोही राजकीय महाविद्यालय में विजयी अध्यक्ष एबीवीपी के अनिल कुमार।


राजकीय महाविद्यालय में अध्यक्ष पद पर एबीवीपी समर्थित अनिल प्रजापत विजयी हुए। वहीं राजकीय महिला महाविद्यालय और राजकीय विधि महाविद्यालय में भी एबीवीपी समर्थित प्रत्याशी विजयी हुए हैं।


राज्य सरकार के निर्देशानुसार सवेरे 11 बजे सभी महाविद्यालयों में मतगणना शुरू हो गई। सिरोही राजकीय महाविद्यालय पर सबकी नजर थी। इसी कारण यहां पर सुरक्षा के खासे इंतजामात किए गए थे। अन्य महाविद्यालयों की अपेक्षा यहां का परिणाम सबसे देरी से घोषित किया गया। तमाम कयासों को फेल करते हुए अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी समर्थित अनिलकुमार को 1107, एनएसयूआई समर्थित प्रकाश मेघवाल को 681, प्रदीपसिंह देवड़ को 103 तथा मनीषा गहलोत को 27 मत मिले।

इसी तरह उपाध्यक्ष पद पर लक्ष्मण मीणा को 702, विजयपालसिंह को 264 तथा हितेश पुरोहित को 934 मत मिले। इसी तरह महासचिव पद पर कलीम खान को 656, गजेन्द्र कुमार को 263 तथा प्रवीण पटेल को 982 मत मिले। इसी तरह संयुक्त सचिव के लिए खडी हुई दिव्या भाटी को 1076, ध्रवी राठौड़ को 755 तथा सुरजकुमार को 84 मत मिले। महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ केके शर्मा ने शांतिपूर्ण मतदान करवाए जाने पर सभी का आभार जताया।

पेट्रोल 55 और डीजल 50 रुपए लीटर मिलेगा: गडकरी


केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है, एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा’


पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बायोफ्यूल के उपयोग का तरीका सुझाया है. गडकरी ने कहा, मैं 15 वर्षों से कह रहा हूं कि किसान और आदिवासी बायोफ्यूल बना सकते हैं. जिससे हवाई जहाज तक उड़ सकता है. हमारी नई तकनीक से बनी गाड़ियां किसानों और आदिवासियों द्वारा बनाए गए एथेनॉल से चल सकती हैं.

इसी के साथ उन्होंने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों का भी जिक्र किया. सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, हम पेट्रोल और डीजल के आयात पर 8 लाख करोड़ रुपए खर्च करते हैं. पेट्रोल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत घट रही है.’

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एथेनॉल है पेट्रोल-डीजल का विकल्प

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है. एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा. इसके बाद डीजल की कीमत 50 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल का विकल्प 55 रुपए प्रति लीटर पर उपलब्ध होगा.’

दरअसल पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है. और फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दाम अब तक के सबसे उच्चतम कीमत पर पहुंच गए हैं. इसके चलते सोमवार को कांग्रेस ने बंद का आयोजन भी किया था.

 राजस्थान में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में सरकार ने 4 प्रतिशत की कटौती कर दी है


रविवार को पेट्रोल की कीमतों में 12 पैसे का और उछाल आया है. इसके बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.50 प्रतिलीटर और डीजल की कीमत 72.61 प्रतिलीटर हो गई है


देश में पेट्रोल-डीजल की कीमते लगातार बढ़ रही हैं. पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान सरकार ने वैट कम करने का फैसला किया है. राजस्थान में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में सरकार ने 4 प्रतिशत की कटौती कर दी है. नई कीमतें आधी से रात से लागू होंगी.

रविवार को पेट्रोल की कीमतों में 12 पैसे का और उछाल आया है. इसके बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.50 प्रतिलीटर और डीजल की कीमत 72.61 प्रतिलीटर हो गई है. यह कीमत तब है जब दिल्ली में अन्य सभी मेट्रो सिटी से पेट्रोल सबसे सस्ता है.

देश में आसमान छूते पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बीच कांग्रेस ने सोमवार 10 सितंबर को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया है. कांग्रेस के बुलाए इस बंद को विपक्ष की डीएमके, एनसीपी, आरजेडी, जेडीयू, एसपी, एमएनएस जैसी कुल 18 छोटी-बड़ी पार्टियों का समर्थन है.

अम्मा महाराज ने ही इस पार्टी को पैदा किया और आप लोगों ने उन्हें ही भुला दिया: यशोधरा राजे सिंधिया


यशोधरा राजे इतने गुस्से में थीं कि वो बैठक छोड़कर चली गईं. पार्टी के नेताओं ने उन्हें खूब मनाने की कोशिश की लेकिन वो वापस नहीं आईं


 

मध्य प्रदेश सरकार में खेल एवं युवक कल्याण मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता यशोधरा राजे सिंधिया शुक्रवार को एक पार्टी मीटिंग में पार्टी नेताओं पर खूब बरसीं. वजह ये थी कि उस मीटिंग में बीजेपी के सभी वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें रखी गई थीं, लेकिन राजमाता विजया राजे सिंधिया की तस्वीर गायब थी.

शुक्रवार को भोपाल में पार्टी की विस्तारित बैठक थी. जब यशोधरा राजे इस बैठक में पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि मंच पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय, कुशाभाऊ ठाकरे और अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर तो थी लेकिन पार्टी की संस्थापक विजया राजे सिंधिया की तस्वीर गायब थी. इस पर यशोधरा राजे भड़क गईं. उन्होंने मंच की व्यवस्था संभाल रहे जिला उपाध्यक्ष राम बंसल को फटकारा और वहां मौजूद संगठन मंत्री सुहास भगत और सह संगठन मंत्री अतुल राय को खूब सुनाया.

यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा, ‘मैंने एक बेटी के तौर पर एक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर देखा है कि उन्होंने इस पार्टी को बनाने के लिए कितनी मेहनत की है. वो 24-24 घंटे पार्टी के लिए काम करती रही हैं. बीमारी में उन्होंने लगातार काम किया है और आज बैठकों से उनकी तस्वीर ही गायब है.’

उन्होंने कहा कि ‘अम्मा महाराज ने ही इस पार्टी को पैदा किया. अटल बिहारी वाजपेयी को उन्होंने पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप दिया और आप लोगों ने उन्हें ही भुला दिया.’

यशोधरा राजे इतने गुस्से में थीं कि वो बैठक छोड़कर चली गईं. पार्टी के नेताओं ने उन्हें खूब मनाने की कोशिश की लेकिन वो वापस नहीं आईं. हालांकि, उनके चले जाने के बाद मंच राजमाता की तस्वीर रख दी गई. नेताओं की तरफ से सफाई दी गई कि ऐसा गलती से हो गया होगा, राजमाता सबके लिए आदरणीय हैं.

कहा जा रहा है कि सूबे में चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस नेता और यशोधरा राजे सिंधिया के भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया काफी सक्रिय हैं और अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं, इसलिए सूबे की बीजेपी सिंधिया परिवार से कुछ लेना-देना नहीं रखना चाहती है लेकिन सिंधिया परिवार भले ही सालों से दो पार्टियों में बंटा हुआ हो, लेकिन आज तक राजमाता सिंधिया की जगह सबसे ऊपर ही रही है

अग्रवाल समाज के व्यक्ति विवाह-शादियों में पहली मिलनी महाराजा अग्रसैन जी के नाम पर ले – बजरंग गर्ग 

पंचकूला :

अग्रोहा विकास ट्रस्ट अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने वैश्य समाज के प्रतिनिधियों की बैठक लेने के उपरांत अग्रवाल भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि अग्रवाल विकास ट्रस्ट द्वारा पंचकूला में 4 नवंबर 2018 को उत्तरी भारत का 13 वां युवक-युवती परिचय सम्मेलन का भव्य आयोजन संस्था के प्रधान सत्यनारायण गुप्ता के नेतृत्व में किया जाएगा। जिसमें हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, यूपी, राजस्थान व उत्तराखंड के अलावा देश भर से अग्रवाल युवक-युवती परिवार सहित भारी संख्या में भाग लेंगे। युवक-युक्तियों के परिचय फार्म भरवाने के लिए हर राज्य में अलग-अलग स्थान बनाए गए है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि परिचय सम्मेलन के माध्यम से युवक-युवतियों को एक ही मंच पर मनचाहा वर-वधु मिलने में आसानी होती है। जबकि पंचकूला में परिचय सम्मेलन के माध्यम से लगभग अब तक 5000 परिवारों के रिश्ते हो चुके हैं। इतना ही नहीं इन रिश्तो के माध्यम से फजूल खर्चों पर रोक लगती है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने समाज के व्यक्तियों से अपील की है कि वह विवाह- शादियों में पहली मिलनी महाराजा अग्रसेन जी के नाम की ली जाए व मिलनी चांदी व सोने की बजाए पहले की तरह कागज के रुपए की ले। श्री गर्ग ने कहां की देश की विकास व तरक्की में अहम भूमिका वैश्य समाज की है। जिन्होंने राष्ट्रीय व जनता के हित में मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल, गौशाला, धर्मशाला, मंदिर, स्कूल, पियाऊ आदि संस्थाएं देश के गांव व शहरों में बना कर सेवा कार्यों में जुटा हुआ है। इतना ही नहीं केंद्र व प्रदेश की हर सरकारों को चलाने व देश के विकास कार्यों के लिए भी सबसे ज्यादा धन टैक्स के रूप में राजस्व देकर सरकार को पूरा सहयोग कर रहा है। मगर जो सहयोग केंद्र व प्रदेश की सरकारों से वैश्य समाज को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा हैं। जिसके कारण आज देश का वैश्य समाज का परिवार रात-दिन व्यापार में पिछड़ता जा रहा है। जो समाज के साथ-साथ देश के हित में नहीं है। क्योंकि वैश्य समाज व्यापार व उद्योग के माध्यम से लाखों बेरोजगारों को रोजगार देकर बेरोजगारी को काफी हद तक कम करने में अपनी अहम भूमिका पूरे देश में निभा रहा हैै। राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को देश की तरक्की, वैश्य समाज व व्यापारियों के हित में नई-नई योजना बनाकर ज्यादा से ज्यादा सुविधा व रियायते देनी चाहिए। ताकि देश में पहले से ज्यादा व्यापार व उद्योग को बढ़ावा मिल सके। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि बिना राजनीति के सामाजिक व धार्मिक कार्य पूरे करने में बड़ी भारी दिक्कतें समाज में आती है। श्री गर्ग ने कहा कि समाज के युवाओं से समाज व राष्ट्र के हित में आगे आकर ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक में भागीदारी सुनिश्चित करें। इस मौके पर अग्रवाल विकास ट्रस्ट जिला प्रधान सत्यनारायण गुप्ता, संरक्षक कुसुम गुप्ता, उप प्रधान मनोज अग्रवाल, मनोज कुमार अग्रवाल, आनंद अग्रवाल, वरिष्ठ उपप्रधान प्रमोद जिंदल, सेक्रेटरी बी एम गुप्ता, राकेश गोयल, रामनाथ अग्रवाल, सचिव विपिन बिंदल, नरेंद्र जैन, वीरेंद्र गर्ग, कृष्ण गोयल, नरेश सिंगला, रामचरण सिंगला, विवेक सिंगला, राजेश जैन, इंद्र गुप्ता, सेक्रेटरी सचिन अग्रवाल, महिला अग्रवाल विकास ट्रस्ट प्रधान उषा अग्रवाल, कोषाध्यक्ष स्नेह लता गोयल, पी आर ओ रोहित आदि प्रतिनिधी भारी संख्या में मौजूद थे।

फोटो बाबत – अग्रोहा विकास ट्रस्ट अग्रोहा धाम व व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग पत्रकार वार्ता करते हुए।

Gen Bajwa supports ‘Self Determination’ for J&K


Islamabad supports self-determination, Gen. Qamar Javed Bajwa says in the presence of Prime Minister Imran Khan during Defence and Martyrs Day ceremony.


Pakistan Army chief Gen. Qamar Javed Bajwa on Friday raked up the Kashmir issue and reaffirmed Islamabad’s support for “self-determination” in Jammu and Kashmir.

The Pakistan Army learnt a lot from the 1965 and 1971 wars with India and had made the country’s defence impregnable by developing nuclear weapons, he said at a Defence and Martyrs Day, organised to mark the anniversary of the 1965 war with India, at the Army headquarters in Rawalpindi.

The event was attended by Prime Minister Imran Khan.

Gen. Bajwa said Pakistan supported the people of Jammu and Kashmir in their “struggle for the right to self-determination”.

“We have learned a lot from the wars of 65 and 71. We were able to further strengthen our defence forces in the wake of these wars. Despite difficult economic times, we were able to become an atomic power. September 6, 1965, is an important day in the history of our nation,” he said, adding that Pakistani soldiers jumped into the fiery pits of warfare but did not let the country be harmed. “The bravery shown by our nation during the 1965 war serves as an important lesson and an inspiration to our youth even today.”

Won’t fight other people’s wars, says Khan

Mr. Khan said Pakistan would never fight any other country’s war in future and his government’s foreign policy would be in the best interest of the nation. “We will not become part of a war of any other country [in future]… Our foreign policy will be in the best interest of the nation,” he said, apparently referring to the country’s involvement in neighbouring Afghanistan.

Pakistan was the ally of the United States during the Cold War as it fought the American war with the erstwhile Soviet Union in Afghanistan.

Mr. Khan praised the armed forces for combating terrorism. “No other nation has fought the war on terror like the Pakistan Army.” The role of the security forces and intelligence agencies in making the country safer against all threats was unparalleled, he said.

Mr. Khan also talked about investing in human capital by sending children to schools and building hospitals and system of merit so that everyone is treated equally on the pattern of first Muslim state of Medina. “The government will bring meritocracy and transparency in all sectors by following the golden principles of state of Medina,” he said.

स्वर्णों के लिए कांग्रेस ओर भाजपा एक समान


स्वर्णों ने दिग्विजय को सत्ताच्युत किया था अब शिवराज उर्फ भाजपा की बारी है , नोटा की तैयारी है

स्वर्णों को अपनी मलकीयत समझने वाली भाजपा ने अपना जनाधार खो दिया 


मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज द्वारा बुलाया गया भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला. चंबल संभाग में सवर्णों ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव किया. एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ हुए इस बंद की सबसे ज्यादा हलचल भारतीय जनता पार्टी में देखी गई. भिंड में बीजेपी विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह के पुत्र पुष्पेन्द्र सिंह बंद को सफल बनाने के लिए सवर्ण समाज के साथ सड़क पर उतर आए. रैली निकालने की कोशिश में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

वहीं रीवा में वरिष्ठ नेता लक्ष्मण तिवारी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. बंद की व्यापक सफलता को भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है. राज्य में सवर्णों की नाराजगी को उभारने के पीछे पार्टी के असंतुष्टों का हाथ भी देखा जा रहा है. दो माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सवर्ण आक्रोश का असर देखने को मिल सकता है. प्रदेश में सवर्णों ने सड़क पर अपनी ताकत का प्रदर्शन पहली बार किया है. लेकिन,2003 के विधानसभा चुनाव में वह अपने वोट से तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को वनवास दे चुकी है.

शिवराज को याद आया राजधर्म कहा, वंचित वर्ग उनकी प्राथमिकता में है

शिव राज कुर्सी की राजनीति में मई के लाल को भूल बैठे

2 अप्रैल के दलित आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा को देखते हुए ग्वालियर-चंबल संभाग में सुरक्षा के बड़े पैमान पर इंतजाम किए गए थे. इस संभाग के अशोकनगर, गुना, भिंड और मुरैना में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की छिटपुट घटनाएं हुईं. अशोकनगर में प्रदर्शनकारियों ने रेल की पटरी पर बैठकर पटरी जाम करने की कोशिश की. जबलुपर में भी इस तरह की कोशिश सफल नहीं हुई.

उज्जैन जिले में दो वर्ग जरूर आमने-सामने आ गए. राज्य के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह लगातार हालात पर नजर रखे हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने भूपेन्द्र सिंह के बंगले का भी घेराव किया गया था. गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि बंद के दौरान कोई अप्रिय स्थिति कही निर्मित नहीं हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी जनआशीर्वाद यात्रा के तहत खंडवा जिले में सभाएं कर रहे थे. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान भी कोई व्यधान की घटना नहीं है. सीएम के यात्रा मार्ग पर सवर्णों ने अपने घर पर एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ बैनर लगा रखे थे.

कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मैहर में परिवर्तन रैली कर रहे थे. वहां भी सभा और रोड शो में सवर्णों के बंद का असर नहीं दिखा. एट्रोसिटी एक्ट का सवर्णों द्वारा किए जा रहे विरोध के बारे में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि सबके मन की बात सुनकर, सबके हित की बात की जाएगी. जब उनसे माई के लाल वाले बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संबल योजना हर वर्ग के लिए है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे राजधर्म का पालन करेंगे. वहीं भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान ने विट्टन मार्केट स्थित अपनी फूलों की दुकान भी नहीं खोली. बुधवार को दमोह में सवर्णों की नाराजगी का शिकार हुए प्रहलाद पटेल ने सफल बंद के बाद कहा कि जरूरी हुआ तो कानून में संशोधन किया जाएगा.

पुलिस के लचीले रवैये के कारण बनी रही शांति

भारत बंद के आह्वान के चलते सीबीएसई और एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में छुट्टी का एलान कर दिया गया था. कॉलेज भी बंद रहे. बंद के चलते राज्य के तीस से अधिक जिलों में धारा 144 लागू की गई थी. इसके बाद भी कई स्थानों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर दिखाई दिए. जलूस की शक्ल में अधिकारियों को ज्ञापन देने गए. पुलिस प्रशासन को डर इस बात का था कि यदि प्रदर्शनकारियों पर किसी तरह का बल प्रयोग किया गया तो पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर हिंसा फैल सकती है. इंटेलिजेंस इनपुट यह भी था कि भीम अर्मी प्रतिक्रिया स्वरूप सड़कों पर आ सकती है. इस कारण पुलिस ने प्रदेश भर में अंबेडकर प्रतिमा की सुरक्षा बढ़ा दी थी.

पुलिस बल में भी आंदोलन को लेकर दो विचार धाराएं देखने को मिल रही थीं. राज्य के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के दौरान इस बात की ओर इशारा करते हुए पुलिस अधीक्षकों से कहा था कि प्राथमिकता कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने में दी जाना चाहिए. शहडोल की घटना को पुलिस बल में विपरीत विचारधाराओं के टकराव के तौर पर देखा जा रहा है.

शहडोल में धारा 144 लागू नहीं थे. लोग गांधी चौक पर जमा थे. अचानक लाठी चार्ज हो गया. शहडोल एसपी कुमार सौरभ पर इरादतना हिंसा फैलाने के उद्देश्य से लाठी चार्ज कर गायब हो जाने का आरोप सपाक्स ने लगाया है. शहडोल एसपी हटाए जाने की मांग को लेकर सवर्ण समाज के लोगों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया. कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव ने मामले की जांच मजिस्ट्रेट से कराने का आश्वासन दिया. इसके बाद ही स्थिति कुछ सामान्य हुई.

2003 में दिग्विजय सिंह को सत्ता से बाहर करने में थी सवर्णों की भूमिका

मई के लालों ही ने डिग्गी राजा को सत्ता से बाहर किया था

वर्ष 1998 में लगातार दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में राज्य में लगातार दूसरी बार कांग्रेसी सरकार बनी थी. सरकार बनने के बाद दिग्विजय सिंह ने अपनी सरकार की नीतियों के जरिए सवर्णों की उपेक्षा करना शुरू कर दिया था. वर्ष 2000 तक छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश का ही हिस्सा था. राज्य में विधानसभा की कुल 320 सीटें थीं. इसमें 75 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थीं. कुल 43 सीटें दलित वर्ग के लिए आरक्षित. 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह आरक्षित सीटों को ही माना जाता था. दिग्विजय सिंह ने वर्ष 2003 के चुनाव का एजेंडा 1998 के नतीजों के बाद से ही तय करना शुरू कर दिया था.

दलित एजेंडा के जरिए उन्होंने सवर्णों के एकाधिकार को समाप्त करने की सरकारी कोशिश तेज कर दी थी. सरकारी सप्लाई और सरकारी ठेके देने में भी आरक्षण लागू कर दिया था. यह व्यवस्था अभी भी जारी है. दिग्विजय सिंह निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करना चाहते थे. संवैधानिक मजबूरियों के चलते वे इसे लागू नहीं कर पाए थे. दिग्विजय सिंह को अपने दलित एजेंडा पर इतना भरोसा था कि उन्होंने एक कार्यक्रम में उत्साहित होकर यहां तक कह दिया कि उन्हें सवर्णों के वोटों की जरूरत नहीं है.

वर्ष 2003 का विधानसभा चुनाव हारने के कुछ समय बाद दिग्विजय सिंह ने अपने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा था कि जो मैने कहा नहीं था, उसे अखबारों ने हेडलाइन बनाकर छाप दिया. दिग्विजय सिंह के दलित एजेंडा को आदिवासी वर्ग ने भी मान्यता नहीं दी थी. आदिवासी खुद को दलित के साथ जोड़े जाने से नाराज थे. चुनाव नतीजों में दिग्विजय सिंह का दलित एजेंडा कहीं नहीं दिखा था. कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को भी नहीं बचा पाई थी. आदिवासी इलाकों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा था. सवर्णों ने खुलकर बीजेपी का साथ दिया था.

बीजेपी और शिवराजके लिए मुसीबत बन गया है ‘कोई माई लाल’

सवर्णों को अपने पक्ष में बांधे रखने के लिए शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में दिग्विजय सिंह सरकार के दिनों की याद वोटरों को दिलाती है. बीजेपी लगातार तीन चुनाव दलित एजेंडा के डर को दिखाकर जीतती रही है. भाजपा की चौथी जीत के रास्ते में बड़ी रुकावट, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अति उत्साह में कहा गया शब्द कि कौन माई का लाल है जो पदोन्नति में आरक्षण को रोक दे? बना हुआ है.

शिवराज सिंह चौहान ने यह चुनौती अनुसूचित जाति,जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संगठन (अजाक्स) के कार्यकम में दी थी. पहले तो यह माना जा रहा था कि सवर्ण संगठित होकर इसका जवाब नहीं दे पाएंगे. सवर्णों ने धीरे-धीरे संगठित होना शुरू किया. मैं हूं माई का लाल लिखी हुई टोपी लगाकर शिवराज सिंह चौहान का विरोध शुरू करना शुरू कर दिया. स्थिति वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के जैसी ही बन गई हैं. दिग्विजय सिंह का बयान सवर्णों के वोट नहीं चाहिए और शिवराज सिंह चौहान का बयान कौन माई का लाल है जो पदोन्नति में आरक्षण रोक दे, सवर्णों को एक समान ही लग रहे हैं.

कांग्रेस की माँग तुरंत पेट्रो पदार्थों व रसोई गैस पर एक्ससाइज़ डूटी कम की जाए। इसे GST के दायरे में लाया जाए।

 

कांग्रेस ने कहा के देश में पेट्रोल डीज़ल व गैस सिलेंडर की बढ़ती क़ीमतों को लेकर भयंकर आक्रोश है। इसे लेकर कांग्रेस ने देशवासियों से 10 सितंबर को होनेवाले देशव्यापी बंद का आयोजन में भाग लेने की अपील की। इसने देशभर के पेट्रोलपंपस पर सुबह 9 बजे से लेकर दोहपर 3 बजे तक प्रतीकात्मक धरना होगा। दोपहर को इसलिए ताकि जनता को परेशानी न होगा।

कांग्रेस ने 11 लाख करोड़ रुपए फ़्यूअल लूट का आरोप मोदी सरकार पर लगाया। कांग्रेस का कहना कि दूसरे विपक्षी दलों ने भी इसके समर्थन का आश्वासन दिया।
आज कांग्रेस के टॉप लीडरशिप ने प्रभारी महासचिवों व पीसीसी चीफ़ के साथ मीटिंग कर इस कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। – सुरजेवाला

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