अखिलेश और राहुल के बीच सबकुछ ठीक नहीं


बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के तेवर दिखाने के बाद अब समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को इशारों-इशारों में बड़ी चेतावनी दे दी है


2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनने से पहले ही खत्म होता दिखाई दे रहा है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के तेवर दिखाने के बाद अब समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को इशारों-इशारों में बड़ी चेतावनी दे दी है. ‘महागठबंधन’ बनने पर अखिलेश यादव ने कहा, ‘अगर साइकिल (एसपी का चुनाव चिन्ह) को रोकोगे तो आपका हाथ (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) हैंडल से हटा दिया जाएगा.’

2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह अब मुश्किल नजर आ रही है

अखिलेश यादव ने बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,” इसलिए हमने भी तय किया है कि साइकिल को रोकोगे तो आपका हाथ हैंडल से हटा दिया जाएगा. कंट्रोल और किसी के हाथ में हो जाएगा”. अखिलेश ने इस बयान के जरिए साफ संकेत दे दिया है कि 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह अब मुश्किल नजर आ रही है. अगर कांग्रेस ने एसपी की सहमति से अलग कोई फैसला लिया, तो संभव है कि कांग्रेस को पार्टी बड़ा झटका दे सकती है. बता दें बीएसपी-एसपी का पहले से ही गठबंधन हो चुका है.

मायावती ने गठबंधन न करने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया है

उधर गठबंधन में सीटों को लेकर मायावती कितना गंभीर हैं, इसका अंदाजा 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में उनके कदम से लग जाता है. मायावती ने यहां गठबंधन न करने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया है. उन्होंने सीट शेयरिंग में बीएसपी को उचित हिस्सा नहीं दिए जाने की बात कहकर ऐलान कर दिया है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा. बीएसपी अब इन राज्यों में दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरने की तैयारी मे है. दूसरी तरफ एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस से विधानसभा चुनावों में गठबंधन नहीं करने का ऐलान किया है.

लखनऊ के सत्ता के गलियारे में महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं

इन बयानों से कांग्रेस की यूपी में महागठबंधन की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है. वहीं दूसरी तरफ बीएसपी के कड़े रुख से समाजवादी पार्टी पर भी दबाव बढ़ता दिख रहा है. लखनऊ के सत्ता के गलियारे में महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि बीएसपी तो सीटों को लेकर समझौता करने वाली नहीं, लिहाजा देखना ये होगा कि अखिलेश यादव कितनी सीटों पर राजी होते हैं?

जेडीयू ने कहा कि मोदी को सिर्फ नीतीश ही टक्कर दे सकते हैं

दरअसल, यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के तुरंत बाद महागठबंधन बनाने को लेकर कांग्रेस और जेडीयू के बयान आए थे. लेकिन साथ ही नेता कौन होगा इस पर भी बयानबाजी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी के अलावा और कोई नेता नहीं हो सकता तो जेडीयू ने कहा कि मोदी को सिर्फ नीतीश ही टक्कर दे सकते हैं. बाद में नीतीश का भी बयान आया कि अगर यूपी में कांग्रेस-बीएसपी और एसपी मिलकर लड़े होते तो बीजेपी से 10 प्रतिशत ज्यादा वोट पाते.

बिहार में बीजेपी हारी क्योंकि यहां विपक्ष एकजुट था

बिहार में बीजेपी इसलिए हारी क्योंकि यहां विपक्ष एकजुट था. अब यही एकजुटता पूरे देश में दिखानी होगी. तभी बेड़ा पार होगा लेकिन यहां सवाल ये है कि मोदी के खिलाफ एक नेता पर क्या राय बनेगी. राहुल गांधी, नीतीश, मुलायम, ममता, लालू, मायावती, नवीन पटनायक में पीएम फेस को लेकर किस हद तक सहमति बन पाएगी इस पर सबकी निगाहें रहेंगी.

कई उम्मीदवारों ने एक-दूसरे पर भितरघात का आरोप लगाया

महागठबंधन के नाम पर अगर ये दो दर्जन से ज्यादा पार्टियां एक हो भी जाती हैं तो इनके कार्यकर्ता कितने साथ आएंगे ये फैक्टर भी अहम होगा. यूपी में एसपी-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव तो लड़ा लेकिन कई सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार मैदान में उतर गए. चुनाव में हार के तुरंत बाद कई उम्मीदवारों ने एक-दूसरे की पार्टियों पर भितरघात का आरोप लगाना शुरू कर दिया. ऐसा हाल ही अन्य राज्यों में भी होगा.

वसुंधरा के खिलाफ चुनावी दंगल मनवेन्द्र के दोनों हाथों में लड्डू


बीजेपी छोड़कर पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनौती देने के लिए उनके ही गढ़ में ताल ठोंक रहे हैं

जीत न मिले तो भी मानवेंद्र के दोनों हाथों में लड्डू हो सकते हैं. वसुंधरा राजे के सामने होने की वजह से पूरी मीडिया का अटेंशन इस सीट पर रहेगा और उन्हे लगातार पब्लिसिटी मिलेगी. इसके अलावा, अगर वे अच्छी फाइट देने में कामयाब रहते हैं तो हार के बावजूद वे पार्टी से इनाम के हकदार रहेंगे 

“हम तो वैसे भी हारी हुई लड़ाई लड़ रहे है. नुकसान तो कांग्रेस का ही है.”


बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीधे चुनौती देने के लिए मैदान में आ डटे हैं, या कहें कि ‘जबरन’ ला दिए गए हैं. बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे मानवेंद्र के पिता जसवंत सिंह और वसुंधरा राजे के बीच कुछ साल से अनबन रही है. ये अदावत पिछले दिनों के घटनाक्रम किसी से छिपे नहीं है. लिहाजा, फिलहाल बात करते हैं झालरापाटन से मानवेंद्र की दावेदारी क्या कहती है.

मीडिया की नजर में कांग्रेस की 32 नाम वाली दूसरी लिस्ट की सबसे बड़ी खासियत मानवेंद्र सिंह की उम्मीदवारी ही है. लेकिन टिकट मिलते ही मानवेंद्र ने जो पहला बयान दिया, उसके मतलब कुछ और निकलते से लगते हैं. मानवेंद्र ने कहा कि मैने पार्टी से टिकट मांगा ही नहीं था. मैं तो पश्चिम में पाकिस्तान बॉर्डर का निवासी हूं लेकिन अब पूर्व में भेज दिया गया है. पार्टी ने मुझे बुलाकर पूछा कि क्या ये चैलेंज मंजूर करोगे तो मैंने कह दिया कि देख लेंगे.

जाल में ‘फंस’ तो नहीं गए मानवेंद्र ?

माना जा रहा था कि उन्हे कांग्रेस ज्वॉइन कराने के पीछे अशोक गहलोत का ही हाथ है. इसी बैकिंग के बूते वे प्रदेशाध्यक्ष को बाइपास कर सीधे राहुल गांधी से ‘डील’ कर रहे थे. बाड़मेर में मानवेंद्र के प्रतिद्वंद्वी हरीश चौधरी ने उनके पार्टी में आने का विरोध भी जताया था. लेकिन जब उनकी सीधे राहुल से बातचीत का पता चला तो हरीश चौधरी भी शांत हो गए. अभी तक राजस्थान में आमतौर पर ये चर्चा थी कि मानवेंद्र ने खुद के लिए बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट और पत्नी चित्रा सिंह के लिए शिव विधानसभा सीट से टिकट की ‘डील’ की थी.

कांग्रेस की पहली लिस्ट में शिव सीट से अमीन खान को टिकट दे दिया गया. उधर हरीश चौधरी ने तो लिस्ट आने से पहले ही बायतू से नामांकन भी दाखिल कर दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि मानवेंद्र के राजनीतिक भविष्य का क्या होगा ? अब उनकी ‘अनिच्छा’ और वसुंधरा राजे जैसी ताकतवर हस्ती से प्रतिद्वंद्विता देखकर ये सवाल कहीं बड़ा हो गया है.

1980 के दशक से ही वसुंधरा राजे झालावाड़ जिले को अपना पॉलिटिकल बेस बनाए हुए हैं. 2003 से पहले तक वे झालावाड़ लोकसभा सीट से लगातार जीत दर्ज कर रही थी. यहां से अब उनके बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं. पिछले 15 साल से वे झालरापाटन से विधायक हैं. वैसे भी हाड़ौती संभाग बीजेपी का पुराना गढ़ रहा है. हो सकता है कि वसुंधरा राजे को शिकस्त देना जसोल परिवार की दिली इच्छा हो लेकिन तमाम समीकरणों को देखें तो वसुंधरा राजे के सामने मानवेंद्र के चुनौती बनने में संशय ही दिखता है.

राजपूतों की नाराजगी को भुनाने की कोशिश

मानवेंद्र, राजपूतों की बीजेपी खासकर वसुंधरा राजे से नाराजगी को लगातार हवा दे रहे हैं. हाड़ौती में राजपूतों के अच्छी संख्या में वोट हैं और उन्हे उम्मीद है कि नाराजगी को सुलगाकर वे समाज को अपनी तरफ कर सकते हैं. लेकिन इस रणनीति में भी एक झोल है. राजपूतों के एक वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराजगी तो है. लेकिन लगता है ये समाज के कुछ नेताओं की निजी नाराजगी ज्यादा है.

पिछले महीने करणी सेना ने जयपुर में बीजेपी को अपनी ताकत दिखाने के लिए सभा का आयोजन किया था. सभा में 50 हजार लोगों के आने का दावा किया गया. लेकिन हालात ये थे कि तय समय पर पूरे स्टेडियम में सिर्फ 100 लोग पहुंचे थे. आयोजकों ने 3 घंटे तक लोगों का इंतजार कर आखिर में सभा रद्द कर दी. इसके बाद बीजेपी ने इन राजपूत नेताओं की रही सही ‘पूछ-परख’ भी बंद कर दी.

वैसे, जीत न मिले तो भी मानवेंद्र के दोनों हाथों में लड्डू हो सकते हैं. वसुंधरा राजे के सामने होने की वजह से पूरी मीडिया का अटेंशन इस सीट पर रहेगा और उन्हे लगातार पब्लिसिटी मिलेगी. इसके अलावा, अगर वे अच्छी फाइट देने में कामयाब रहते हैं तो हार के बावजूद वे पार्टी से इनाम के हकदार रहेंगे. आखिर उन्होने बिना ना-नुकुर किए सबसे बड़ी चुनौती को स्वीकार किया है. इस कदम के जरिए उन्होंने फिलहाल अपने राजनीतिक विरोधियों को शांत करने में भी कामयाबी हासिल कर ली है.

बीजेपी-कांग्रेस में उठापटक चरम पर

सोमवार यानी 19 नवंबर नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है. बीच मे सिर्फ रविवार का दिन है और उठापटक ऐसी मची है कि दोनों ही पार्टियां अभी तक पूरे उम्मीदवार भी घोषित नहीं कर पाई हैं. अब तक कांग्रेस ने 2 लिस्ट में 184 तो बीजेपी ने 3 बार मे 170 उम्मीदवार घोषित किए हैं.

कांग्रेस में पहली लिस्ट के बाद शुरू हुआ बवाल अब और तेज हो गया है. जयपुर जिले की फुलेरा सीट पर टिकट के लिए प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी में राहुल गांधी के सामने ही तीखी बहस हो गई थी. इस सीट के लिए डूडी अपनी रिश्तेदार स्पर्धा चौधरी के लिए टिकट मांग रहे थे. स्पर्धा को टिकट तो नहीं मिला, उल्टे उन्हे 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. निश्चित रूप से ये लड़ाई अब और तीखी होने की आशंका है. सचिन पायलट पर अपनी जाति के खास लोगों को टिकट बांटने के आरोप भी लगने लगे हैं.

इधर, बीजेपी की तीसरी लिस्ट में कांग्रेस से एक दिन पहले ही आए पूर्व मंत्री राम किशोर सैनी को बांदीकुई से टिकट दे दिया गया है. यहां से मौजूदा विधायक अलका गुर्जर का टिकट काटा गया है. जिनके पति ने 1989 में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट को दौसा लोकसभा सीट से शिकस्त दी थी.

पार्टी ने सवाई माधोपुर से जयपुर राजपरिवार की मौजूदा विधायक दीया कुमारी का पत्ता भी काट दिया है. दीया को 2013 में खुद वसुंधरा राजे ही राजनीति में लेकर आई थी. लेकिन इसके बाद से दोनों के बीच ‘कुछ भी ठीक’ नहीं चल रहा था. चर्चा है कि यहां पिछली बार दीया से हारने वाले किरोड़ी लाल मीणा की सिफारिश चली है. पार्टी ने अलवर के थानागाज़ी से मंत्री हेमसिंह भड़ाना का टिकट काटकर वसुंधरा राजे के नजदीकी डॉ रोहिताश्व शर्मा को टिकट दिया है. जमवा रामगढ़ से भी मौजूदा विधायक का टिकट काट दिया गया है. इन पर अपने बेटे को विधानसभा में सरकारी नौकरी लगवाने में अनैतिकता के आरोप लगे थे.

बीजेपी बदलेगी कुछ उम्मीदवार

बीजेपी ने अब कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदलने के संकेत भी दिए हैं. इनमें सबसे ऊपर है टोंक सीट. यहां से सचिन पायलट उतर रहे हैं. जिस तरह से कांग्रेस ने वसुंधरा को घेरने की कोशिश की है, उसके बाद बीजेपी यहां से सरकार मे नंबर 2 युनूस खान को उतारने का मन बना रही है. टोंक सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. युनूस खान को अभी तक टिकट नहीं दिया गया है.

शुक्रवार को उनके सरकारी आवास पर डीडवाणा से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और उनसे निर्दलीय चुनाव लड़ने की इच्छा जताने लगे. इसी दौरान प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी वहां पहुंचे और खान से एकांत में चर्चा की. माना जा रहा है कि पार्टी की तरफ से उन्हे आश्वासन दे दिया गया है. वैसे भी किसी मुसलमान को टिकट न दिए जाने का मुद्दा बड़ा बनता जा रहा था.

बहरहाल, इस बार लहरविहीन लड़ाई में कांग्रेस जीत को आसान मान कर चल रही थी. लेकिन जिस तरीके से बागियों ने सिर उठाया है, उसने तगड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए बागियों को मनाए बिना जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. हालांकि यही चुनौती बीजेपी के सामने भी है लेकिन नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक नेता ने जो कहा वो जबरदस्त पंचलाइन है- “हम तो वैसे भी हारी हुई लड़ाई लड़ रहे है. नुकसान तो कांग्रेस का ही है.”

ममता शर्मा ने ‘हाथ’ में ‘कमल’ थामा


बीजेपी की सदस्यता का ग्रहण करने के बाद ममता शर्मा ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा, कांग्रेस में इस बार टिकटों की बंदरबांट हुई है


विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही अपने-अपने खेमों में बग़ावती सुरों से परेशान हैं. साथ ही अपने मनपसंद नेताओं को टिकट ना मिलने पर पार्टी के कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आए हैं. ऐसे में रविवार को राजस्थान की कांग्रेस नेता ममता शर्मा बीजेपी में शामिल हो गईं.

उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. बताया जा रहा है कि ममता शर्मा के साथ ही कुछ अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. वहीं ममता शर्मा के बेटे समृद्ध शर्मा कांग्रेस में ही बने रहेंगे.

बीजेपी की सदस्यता का ग्रहण करने के बाद ममता शर्मा ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा, ‘कांग्रेस में इस बार टिकटों की बंदरबांट हुई है. हम पूरा परिवार सालों से कांग्रेस की सेवा करते हैं, लेकिन कांग्रेस ने पूरे परिवार की अवहेलना की है. जो लोग क्षेत्र में मेहनत कर रहे हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जा रहा. मैंने अपने पुत्र के लिए टिकट मांगा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.’

ममता ने कहा, ‘बीजेपी से मुझे चुनाव चिन्ह मिल गया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में पीपल्दा से लडूंगी.’

राजस्थान में 7 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से रविवार को जारी उम्मीदवारों की तीसरी सूची में पार्टी ने एक उम्मीदवार का विधानसभा क्षेत्र बदल दिया वहीं पूर्व की सूची में घोषित दो उम्मीदवारों का नाम हटा दिया. कांग्रेस की ओर जारी तीसरी सूची में पार्टी ने पांच सीटों पर गठबंधन की घोषणा की है. राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान होगा.

चौटाला परिवार दो फाड़, अजय बनाएँगे नयी पार्टी

 

 

 


  • पूर्व सांसद डॉक्‍टर अजय सिंह चौटाला ने अपनी नई पार्टी बनाने का किया ऐलान

  • आईएनएलडी और चश्मा छोटे भाई को किया गिफ्ट, बोले- नया डंडा होगा झंडा

  • 9 दिसंबर को प्रदेश स्तरीय रैली का किया ऐलान, हुड्डा ग्राउंड में किया कार्यकर्ता सम्मेलन

  • अजय चौटाला का आरोप, चंडीगढ़ में बैठकर चार लोग कर रहे हैं फर्जीवाड़ा


  • जींद
    हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में शनिवार को जींद में बड़ा राजनीतिक बंटवारा हो गया। इसमें उनके बड़े बेटे पूर्व सांसद डॉक्‍टर अजय सिंह चौटाला ने अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा, ‘इंडियन नेशनल लोक दल और चश्मा मेरे अजीज बिल्लू ( अभय चौटाला) को गिफ्ट करता हूं। मैं नई पार्टी बनाऊंगा, जिसका नया झंडा होगा।’

    अजय चौटाला ने जींद में आगामी 9 दिसंबर की प्रदेश स्तरीय रैली की घोषणा करते हुए कहा कि नई पार्टी की घोषणा वह इस रैली में करेंगे। अजय चौटाला जींद के हुड्डा ग्राउंड में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व सफीदों रोड स्थित एक होटेल में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें आईएनएलडी के कई प्रदेश प्रकोष्ठों के पदाधिकारी, पूर्व विधायक और जिला अध्यक्ष और पदाधिकारी आए।

    मीटिंग में सभी ने सामूहिक इस्तीफे सौंपते हुए नई पार्टी बनााने का प्रस्ताव मंजूर किया। जींद में आयोजित इस बैठक और कार्यकर्ता सम्मेलन में कार्यकर्ताओं का हूजूम उमड़ा। अजय चौटाला ने कहा कि कार्यकारिणी की बैठक में हमारे सामने तीन विकल्प आए। उन्होंने कहा कि पहला विकल्प आईएनएलडी और चश्मे पर दावा करना मगर यह लंबी प्रक्रिया थी और बैठक में उपस्थित नेताओं ने इसका विरोध किया।

    अजय ने कहा कि दूसरा विकल्प किसी राष्ट्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करें तो इसका भी विरोध हुआ। अजय चौटाला ने नई पार्टी का गठन करने का विकल्प दिया तो सभी ने हाथ उठाकर समर्थन किया। उन्‍होंने बताया कि कार्यकारिणी की बैठक में मौजूद सभी पदधिकारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफे सौंपे। अजय कहा, ‘मैं दो दिन बाद सारे इस्तीफे लेकर जेल जाऊंगा और वहां ओमप्रकाश चौटाला को दे दूंगा और कहूंगा कि देखो इसे पार्टी कहते हैं।’

    अजय चौटाला ने अपने छोटे भाई अभय चौटाला पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि चंडीगढ़ में बैठकर जो 4 लोग फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। 10 विधायकों को बंधुआ बनाकर फोटो खिंचवाया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि विधायकों को बंधुआ बनाने वाले ही पार्टी का नाश करने वाले हैं। अजय ने कहा, ‘साजिश के तहत पहले तो दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बर्खास्त किया, फिर मुझे पार्टी से निकाला। हमारा क्या कसूर था? मैंने हमेशा पार्टी को खून पसीने से सींचा।’ अजय चौटाला ने कहा, ‘मुझे 20 तारिख को वापस जेल में जाना है और आपको दुष्यंत सौंपकर जा रहा हूं, इसे संभालकर रखना।’

Shiv Sena endorsed Shahid Afridi’s statement on Kashmir

 

The Shiv Sena on today reacted on former Pakistani cricketer Shahid Afridi’s remarks that his country “does not want Kashmir” and said all sane Pakistanis would endorse the view.

According to the Sena, in an editorial in its mouthpiece ‘Saamana’, said Pakistan’s government and the military chief gave more impetus on trying to harm India than governing the country as a result of which it has to seek external financial aid even 70 years after Independence.

Former all-round cricketer of Pakistan Shahid Afridi on Wednesday proposed that Pakistan-occupied Kashmir should be given “independence”, saying the country does not want the region as it cannot even manage its four provinces.

Afridi was addressing students in London when he is learnt to have the statement. The video, in which he is heard saying that Pakistan is not interested in Kashmir and since the country is against giving it to India, the region should be given independence, has gone viral on the social media.

“I say Pakistan doesn’t want Kashmir. Don’t give it to India either. Let Kashmir be independent. At least humanity will be alive. Let people not die,” he said.

He went on add that “humanity” or “insaniyat” should be prioritised.

Afridi later blamed the Indian media for quoting him.

The Sena’s editorial Friday stated, “Pakistan has become so poor in trying to support terrorism and corruption that it now is left with only the option of selling cattle and vehicles from the Prime Minister’s residence.”

It claimed that Pakistan was on the verge of a financial breakdown and it had been relegated to begging for a bailout from countries like China after the International Monetary Fund (IMF) turned down its aid request.

“If the country needs financial oxygen to keep its economy going, alive, how will it take care of Kashmir? Not just Afridi, every sane Pakistani will hold the same view. However, who asks the common man there?” the editorial questioned.

“The government and the military chief there give more impetus on harming India than doing good for its people. Therefore, they have to beg for aid even 70 years after Independence,” it said.

The Sena further dubbed Afridi as “anti-Indian” and said he has, in the past, made derogatory statements against India.

Citing examples, it said Afridi had shown a soft corner for 13 terrorists eliminated by Indian security forces and has been repeatedly advocating Independence for Kashmir.

A day after Afridi’s remarks, Home Minister Rajnath Singh on Thursday said the former cricketer’s comment that his country could not even manage its four provinces, was right.

Addressing a press conference in Raipur, the minister said, “What is he said is right. They are not able to manage Pakistan. How can they manage Kashmir? Kashmir is and will be a part of India.”

Saffron party took ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’: Modi

The second phase of polling in 72 seats, out of the 90-member Assembly, would be held on 20th of November 2018. Assuring a wave of development and progress under the BJP rule, PM Modi said the saffron party was the only party that took forward the mantra ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’ in the country without any form of discrimination.

Prime Minister Narendra Modi on Friday appreciated the people of Bastar in Chhattisgarh for turning out in large numbers to vote in the first phase of polling, despite targeted attacks by the Naxals.

The turnout in the first phase of Chhattisgarh polls in 18 seats on November 12 was recorded at 76.28 per cent, as compared to 75.79 per cent in the 2013 polls.He said by improving the voting percentage, the people of Chhattisgarh have proved the strength of Indian democracy even in harsh conditions.

Addressing a rally in Chhattisgarh’s Ambikapur, PM Modi further urged the people to register an even higher voting percentage than Bastar in the second phase of polling on November 20 to give an answer to those creating violence.

Shifting his focus to the opposition Congress, PM accused the party of disregarding Ambikapur and said the Congress will be ousted from the state after the election.

He further said the Congress had not yet come to terms with the fact that a ‘Chaiwala’ had become the Prime Minister of the country.

Congress leader Shashi Tharoor had earlier said that India has a tea-seller as its prime minister today because of the country’s first PM Jawaharlal Nehru.

Modi, in his speech, challenged the Congress to allow a good leader of the party outside of the Gandhi family to become the party president for five years. He said then only will he agree that Nehru had really created a truly democratic system within the Congress.

Recalling how former prime minister Atal Bihari Vajpayee had peacefully divided and created the two states of Madhya Pradesh and Chhattisgarh, he took the opportunity to accuse the Congress of creating a mess during the formation of Telangana.

Punjab on high alert

 

Sources said that all the four accused had hired the taxi from Jammu to Amritsar in Punjab and had dinner at a restaurant near Samba in Jammu where they picked up a quarrel with the owner.

 

CHANDIGARH-JAMMU, Nov 14:

Alert has been sounded in Pathankot-Kathua regions on Punjab-J&K border after four persons hijacked a taxi on gun point in Madhopur.
“As per initial reports, four persons hijacked a taxi having J&K registration (JK02AW-0922) Silver Colour, Innova from Madhopur between Punjab-Kathua,” police sources here said.
They said that as per driver namely Raj Kumar, son of Babu Ram, resident of Saza, district Doda, four persons hired the taxi from Jammu for Pathankot on Tuesday night and on reaching Madhopur, they pointed revolver at him and fled away with the vehicle leaving him injured.
“Alert has been sounded and manhunt launched in Pathankot and other adjoining areas to track them with the vehicle,” they said.
Meanwhile, a senior officer of J&K Police said that initially nothing can be said whether the hijackers were terrorists or it is a foul play by some mischief persons.
“We are in regular touch with the Punjab Police,” they added. Vice President of Railways Taxi Union, Rajvinder Singh said that on seeing CCTV footage, four men were seen boarding the taxi.
“They were asked to hire a small car as they were four in number but they did agree and after paying an amount of Rs 3550, they booked Innova in the name of Major Sarabjeet,” said the Taxi Union leader.
He said that as per the driver, who called them after an incident, said that the occupants were communicating in “pure” Punjabi language, which is often spoken in Pakistan and they stopped once at Kathua for meals.
“At Madhopur where token is deposited, the driver was about to step out but the travellers, beat him and fled away with vehicle,” said the Union leader. He added that they are in regular touch with the Punjab Police.
“If the occupants claimed that they were Army men at Lakhanpur Toll, the duty men should have checked their identity cards to prevent this incidence,” he added and said that prompt action is required so that major incident can be foiled. However, security has been tightened on Jammu-Pathankot national highway while check points are also raised

मुगलिया_कांग्रेस: “हम निपट लेंगे इनसे बाद में पर मतदान के दिन तक आपको सब कुछ सहना पड़ेगा”, कमलनाथ

#RSSvsKamalnath

 

बीजेपी ने अपने ट्विटर पर कमलनाथ का एक वीडियो शेयर किया था. यह वीडियो अपने कंटेंट की वजह से वायरल हो गया है. वीडियो में कमलनाथ मुस्लिम समुदाय के लोगों से चुनावों पर चर्चा कर रहे हैं. इसमं कांग्रेस नेता आरएसएस के बारे में मुस्लिम समुदाय को बता रहे हैं.

वायरल हुए इस वीडियो में कमलनाथ कह रहे हैं कि ‘आरएसएस के जो कार्यकर्ता हैं वो क्या कर रहे हैं, मुझे इसकी जानकारी है, मैं तो छिंदवाड़ा की बात करूं, मुझे तो लोग आ के बता देते हैं. आरएसएस क्योंकि नागपुर से जुड़ा हुआ है. यहां तो उनके लिए सुबह आओ, रात को चले जाओ और बड़ा ही आसान है. उनका एक ही स्लोगन है. अगर हिंदू को वोट देना है तो हिंदू शेर मोदी को वोट दो. अगर मुस्लिम को वोट देना है तो कांग्रेस को वोट दो. केवल दो लाइन, और कोई पाठ पढ़ाने नहीं जाते. ये इनकी रणनीति है और इसमें आप सबको बड़ा सतर्क रहना पड़ेगा. आपको उलझाने की कोशिश करेंगे. हम निपट लेंगे इनसे बाद में पर मतदान के दिन तक आपको सबकुछ सहना पड़ेगा.’

कमलनाथ की सफाई

कमलनाथ ने कहा ‘मेरे वायरल वीडियो में अपत्तिजनक क्या है? मैं कह रहा हूं कि सावधान रहो, ऐसे लोगों से जो बाहर से हमारे बीच आकर, समाज को बांटने का प्रयास करते हैं. ऐसे बाहरी लोगों से सतर्क रहो. ये लोग आपको, समाज को बांटने का प्रयास करेंगे. वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाकर ये लोग समाज को बांटने वाले मुद्दों पर आपको उलझाने का प्रयास करेंगे. ऐसे लोगों से आप सतर्क रहें, ना उलझें. ऐसे लोगों की रणनीति को हम कामयाब नहीं होने दें. हमारा सद्भाव हमेशा बना रहे. ऐसा मैं हर वर्ग के बीच जाकर कहता हूं. इसमें गलत क्या है?’

कलाग्राम में बिखरते भारत के सांस्कृतिक रंग

आर्ट एंड क्राफ्ट मेला., फोटो फीचर : पुरनूर, चंडीगढ़

 

 

कलाग्राम में 18 नवम्बर तक चलने वाले आर्ट एंड क्राफ्ट मेले में खूब रौनक है. और इसकी वजह है भारत के भिन्न भिन्न क्षेत्र से आये कलाकार, कारीगर, व्यापारी व् खिलाड़ी. यहाँ पर आये सभी कलाकारों ने अपने नृत्य,अपने संगीत व् अपने आत्मविश्वास के साथ मेले का आकर्षण बने हुए हैं.

 

भारत के भिन्न भिन्न क्षेत्रों से आये कलाकारों में शामिल हैं राजस्थान के ‘ब्न्वालाल जाट’ का कच्ची घोड़ी डांस ग्रुप जिसमें ब्न्वालाल जी के साथ साथ 7 और लोग भी हैं . कच्ची घोड़ी ग्रुप में संगीत के   लिए ढोलकी, करताल व् अल्गोज़ा जैसे संगीत वादयन्त्रों का इस्तेमाल किया जाता है. ब्न्वालाल कहतें हैं कि ग्रुप उनके लिए उनका परिवार है. इस ग्रुप में हर एक सदस्य के पास अपना एक हुनर है जैसे ढोलक वादक विनोद, अल्होजा वादक शिवजी राव व् झांज पर इनका साथ देते हुए शिवजी राव, राम दयाल जाट और जगदीश जाट यहाँ पर इनके साथ गंगाधरी जो कि इस ग्रुप के नृतक हैं व् साथ ही कच्ची घोड़ी नृतक सीता राम भी हैं.

कच्ची घोड़ी डांस ग्रुप के अलावा यहाँ मध्य परदेश से रामसहाय पांडे अपने बधाई डांस ग्रुप के साथ आये हुए हैं. उनके ग्रुप ने यहाँ पुरे उत्साह के साथ बधाई नृत्य पेश किया.

सिक्किम से घातु डांस ग्रुप व् बठिंडा से आये वकील सिंह की नटों कि टोली जो कि हवा में ऊँची छलांग लगाने के साथ साथ अपने गले से दम लगाकर लोहे का सख्त से सख्त सरिया भी मोड़ देती है, वकील सिंह का कहना है कि वह यह काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं व यह उनकी बरसों कि मेहनत है जो कि आज उन्हें और उनके पूरे ग्रुप को बिना किसी डर के यह खतरनाक करतब करने में मदद करती है.

 

 

 

“जन आवाज़” 2019 के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे अशोक तंवर


अशोक तंवर अपनी पार्टी के “वचन पत्र” को ले कर खासी मशक्कत कर रहे हैं. उनके साथ अनेकों सरकारी विभागों के अध्यक्ष भी देखे जा सकते हैं. हरियाणा में राजनैतिक बयार बह रही है जहां सभी अपनी अपनी पत्रिका कि तैयारी में जुटे हैं वहीँ कुछ बातें समझ से बाहर हैं. आम आदमी से कांग्रेस का गठबंधन समझ से बाहर है.

क्या माकन के कद को छोटा करने की कवायद की जा रही है? और क्या इसी लिए माकन कुछ सप्ताह पहले पार्टी से विमुख हो गये थे?   (कांग्रेस कभी किसी को अपनी मर्ज़ी से नहीं जाने देती, खुद निकालती है और कैसे सभी जानते हैं)

क्या दिल्ली में सीटों का 5 – 2 का सौदा हो चुका है? क्या इसी लिए माकन को केजरीवाल पर नरम रहने के लिए कहा गया है? (आम आदमी 5 – कांग्रेस  2)

क्या आम आदमी के साथ हरियाणा में भी कोई सांठ गाँठ कर अशोक तंवर को भी किनारे तो नहीं किया जाएगा?

भूपेन्द्र सिंह हुड्डा बहुत कारसाज मुख्यमंत्री रहे हैं, पर ठक्कर भी अब टक्कर देने में सक्षम हैं. जहां लोग अभी तक हुड्डा की कार्य शैली को नहीं भुला पाए हैं वहीँ अब ठक्कर भी जनता और मिडिया की पसंद बनते जा रहे हैं.

कुल मिला कर क्या यह समय तंवर और माकन के लिए ठीक है?


पंचकुला :

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपने चुनाव घोषणा-पत्र को ‘जन-आवाज़’ बनाने के उद्देश्य से आम लोगों के विचार जानने के लिए खाद्य सुरक्षा और पोष्टिकता, स्वास्थ संभाल, अनुसूचित जातियों व जनजातियों और पिछड़े वर्गों सम्बद्ध कार्यकारी ग्रुप की एक बैठक मंगलवार को पंचकुला स्थित किसान भवन में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर के नेतृत्व में हुई।

बैठक की अध्यक्षता राज्य सभा सदस्य और चुनाव घोषण पत्र समिति के संयोजक राजीव गौवड़ा ने की। इसमें चुनाव घोषण पत्र समिति के कोआर्डीनेटर डॉ. अमुल देशमुख, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमेन डॉ. नितिन राऊत, पंजाब के प्रतिनिधि डॉ. राजदीप सिंह संधु और भारी संख्या में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता ऑपिनियन बिल्डरस आदि ने भाग लिया। यह बैठक दो चरणों में हुई। पहले चरण में डॉक्टरों, निती निर्धरितकर्ताओं, मेडिकल कालेजों के विशेषज्ञों, एन.जी.ओ. के प्रतिनिधियों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों आदि ने भाग लिया जिनकी संख्या 90 के करीब थी। बैठक में किन्नरों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी समस्यायें रखीं जिनमें उनके सामाजिक तौर पर पुर्नवास की समस्या विशेष थी। दूसरे चरण में अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों, समाजसेवियों आदि वर्गों के 100 से अधिक नेताओं ने भाग लिया।

बैठक के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए राजीव गौवड़ा ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने पार्टी के चुनाव घोषणा-पत्र को ‘जन-आवाज़’ बनाने के उद्देश्य से देशभर में भ्रमण करके लोगों के विचार जानने के लिए 19 विषयों पर कार्यकारी ग्रुपों का गठन किया है। इन ग्रुपों द्वारा लोगों के विचार जानने के बाद मध्य जनवरी तक अपनी रिपोर्ट दे दी जायेगी जिस पर कांग्रेस कार्यकारिणी समिति द्वारा विचार करने के बाद सभी महत्वपूर्ण विषयों को कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल किया जायेगा।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की चुनाव घोषणा पत्र समिति के कोऑर्डीनेटर डॉ. अमुल देशमुख ने बताया कि जन-आवाज़ के बारे में जानकारी लेने के लिए 20-30 विषय निर्धारित किए गए हैं जिनके बारे में देशभर में कार्यकारी ग्रुप बैठकें कर रहे हैं और आज की यह बैठक इसी कार्यक्रम का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि बैठकों के दो चरणों के बाद हरियाणा में एक बैठक और की जायेगी जिसका विषय खेल-कूद होगा क्योंकि हरियाणा राजय खेल-कूद में विषय महत्व रखता है।

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर ने बैठक में भाग लेने वालों का धन्यवाद दिया और कहा कि बैठक में बहुत ही बहुमुल्य सुझाव प्राप्त हुए हैं जो कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र को जन-आवाज बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में पानी, स्वास्थ्य, कृषि संबंधी और पर्यावरण की विशेष समस्यायें हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अनुसूचित जातियों और पिछड़ा वर्गों के हितों का कोई ध्यान नहीं रखा है। उन्होंने कहा कि ये वर्ग रोजगार, सामाजिक विकास व सुरक्षा, शिक्षा आदि में काफी पिछड़ गए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषण पत्र में इन विषयों को भी शामिल करने के लिए विशेष ध्यान दिया जायेगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने सदैव ही कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया है और भविष्य में भी इन्हें महत्व दिया जायेगा। उन्होंने पूर्व आईएएस श्री दलबीर भारती द्वारा मंच संचालन करने के लिए धन्यवाद किया।


सरकारी अधिकारी कांग्रेस के साथ अपनी तथा कथित समबन्धों को दर्शाने में नहीं चूक रहे, कहीं राहुल उन्हें भी व्यापम वाले डॉ. आनंद राय कि भांति धोखा न दे दें (बकौल डॉ.आनंद राय  राहुल ने उन्हें टिकेट देने का वायदा किया था इसीलिए उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी, और अब उन्हें मिलते भी नहीं)