पीजीटी के उम्मीदवारों की मानसिक पीड़ा को ध्यान में रख कोर्ट में पैरवी की जाये : सर्व कर्मचारी संघ

पंचकूला, 22जनवरी:

सर्वकर्मचारी संघ ने पात्र उम्मीदवारों के भविष्य के लिये आयोग से की अपील। उन्होंने आयोग से अपील करते हुए कहा कि वे पात्र उम्मीदवारों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई स्टे को हटवाये या फिर उम्मीदवारों के हित में अच्छे ढंग से पैरवी करते हुए कोर्ट केस को जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करें।

संघ ने कहा कि यह मामला पी॰जी॰टी॰ इतिहास विषय का है, जिसका साक्षात्कार 15-16 फरवरी 2017 को हो चुका है। आंसर कुंजी में खामियों के कारण भर्ती पर हाईकोर्ट में स्टे लग गया था लेकिन 13 नवंबर 2018 को भर्ती से स्टे हट गया था। कर्मचारी चयन आयोग ने माननीय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार 17 नवंबर 2018 को रिजल्ट रिवाईज किया व 26 दिसंबर 2018 को योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिये बुलाया गया। लेकिन पुनः आंसर की में खामियों को उज्जागर करते हुए कुछ अयोग्य उम्मीदवारों द्वारा हाईकोर्ट से दोबारा स्टे लेकर रिजल्ट पर रोक लगवा दी गई। अतः इस भर्ती को लेकर योग्य उम्मीदवार मानसिक रुप से परेशान हो रहे है।

उन्होंने पी॰जी॰टी॰ इतिहास के चेयरमैन महोदय से विन्रम निवेदन करते हुए कहा कि वे हाईकोर्ट में मजबूत पैरवी करके स्टे हटवाये और जल्द से जल्द अंतिम परिणाम घोषित करें या फिर कोर्ट केस उम्मीदवारों का रिजल्ट रोककर शेष भर्ती को पूरा किया जाये।

राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस का साथ दे सकती है वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष (कार्याध्यक्ष) आलोक कुमार ने कहा यदि कांग्रेस हमारे लिए अपने दरवाजे खोलती है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण को शामिल करती है तो हम विचार करेंगे

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष (कार्याध्यक्ष) आलोक कुमार ने राम मंदिर निर्माण के लिए कानून न बनाने पर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा, ‘हमें लगता था कि सरकार कानून बनाएगी. हमने आग्रह भी किया था और सरकार को कानून लाना भी चाहिए था. लेकिन अब लगता है कि सरकार कानून नहीं लाएगी. कम से कम इस कार्यकाल में तो नहीं लाएगी. इसलिए हम दूसरे विकल्पों के साथ संतों के सामने इस मामले को रखेंगे. 1 फरवरी को धर्म संसद में अब संत ही तय करेंगे कि हमें क्या करना है?’

कांग्रेस के साथ जाने पर क्या बोली VHP?

कुंभ मेला शिविर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व और राममंदिर को लेकर जो भी सकारात्मक संकेत देगा, हम उसके साथ जा सकते हैं. वहीं एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विकल्प तो कई हो सकते हैं. यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस के साथ भी जा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि पहले वे अपने दरवाजे तो हमारे लिए खोले. कांग्रेस ने तो अपने दरवाजे हमारे लिए बंद कर रखे हैं. कांग्रेस के साथ जाने के लिए पहले कांग्रेस सेवा दल से जुड़ना होता है. यदि कांग्रेस हमारे लिए अपने दरवाजे खोलती है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण को शामिल करती है तो हम विचार करेंगे.

हालांकि उन्होंने कांग्रेस पर राममंदिर मुद्दे को कोर्ट में लटकाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं (जो वकील भी हैं) ने पूरा प्रयास किया कि यह मामला और लटके. सीजेआई पर दबाव बनाया गया. उनके खिलाफ महाभियोग की नोटिस दी गई. यह पूछे जाने पर कि क्या फिर चुनाव में वह बीजेपी को ही सपोर्ट करेंगे.

आलोक कुमार ने कहा कि यह संत ही तय करेंगे. हम तो पूरी स्थिति उनके सामने रखेंगे. हालांकि फिलहाल हिंदुत्व और राममंदिर के बारे में बीजेपी के अलावा कोई दूसरी पार्टी सोचने वाली तो नहीं दिख रही.

मीडिया के पूछे जाने पर कि क्या दोबारा बीजेपी की सरकार बनने पर वह बीजेपी पर राममंदिर के लिए दबाव बनाएंगे? उन्होंने कहा कि हम फिर उनसे आग्रह करेंगे. जनमत चाहता है कि राममंदिर बने. हमें उम्मीद है कि 2025 तक राममंदिर जरूर बन जाएगा. हालांकि यह नहीं बताया कि शुरू कब होगा.

आस्था का कुम्भ, 12 लाख करोड़ की कमाई : सीआईआई

लखनऊ: प्रयागराज में संगम की रेती पर बसे आस्था के कुंभ से उत्तर प्रदेश सरकार को 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है. उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने यह अनुमान लगाया है. सीआईआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जनवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाला कुंभ मेला हालांकि धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है मगर इसके आयोजन से जुड़े कार्यों में छह लाख से ज्यादा कामगारों के लिए रोजगार उत्पन्न हो रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 दिन तक चलने वाले कुंभ मेले के लिए आयोजन के लिए 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जो वर्ष 2013 में आयोजित महाकुंभ के बजट का तीन गुना है.

सीआईआई के अध्ययन के मुताबिक कुंभ मेला क्षेत्र में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी. वहीं, करीब 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा. साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर बनेंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा टूर गाइड टैक्सी चालक द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के तौर पर रोजगार के 55 हजार नए अवसर भी सृजित होंगे. इससे सरकारी एजेंसियों तथा वैयक्तिक कारोबारियों की आय बढ़ेगी.

सीआईआई के अनुमान के मुताबिक कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 12 सौ अरब रुपये का राजस्व मिलेगा. इसके अलावा पड़ोस के राज्यों राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश को भी इसका फायदा होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं.कुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. दुनिया का यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिकता और विलक्षणता के लिए प्रसिद्ध है

माता मनसा देवी परिसर में 2 दिवसीय ज्योतिष कार्यशाला का शुभारंभ

आज पंचकूला में माता मनसा देवी मन्दिर परिसर में माता मनसा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित भण्डारा ( ग्रेन मार्किट) के प्रांगण में आज दो दिवसीय जयोतिष कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। लक्ष्य ज्योतिष संस्थान द्वारा एवं ग्रेन मार्किट भण्डारा द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से आए ज्योतिषी भाग ले रहे हैं।

वास्तु, लाल किताब, वैदिक ज्योतिष, नाड़ी ज्योतिष, टैरो, अंक ज्योतिष, हस्त रेखा, योग, आभा मण्डल, बिशेषज्ञ, विचारक और विद्वान इस कार्यशाला में निःशुल्क परामर्श दे रहे हैं।

लक्ष्य ज्योतिष की अध्यक्ष बीना शर्मा ने बताया कि संस्था द्वारा पिछले पाँच वर्षों से इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसका मकसद है कि ज्योतिष से सम्बंधित विभिन्न विधाओं के बारे में लोगों को जानकारी देना और उनकी समस्याओं का निवारण करना।

नेचुरोपैथ , ज्योतिषविद एवम् योगाचार्य अश्विनी गौतम ने बताया कि कार्यशाला में शरीर और मन से जुडी समस्याओं का निवारण करने का प्रयास किया जाता है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि प्रत्येक शरीर की अलग संरचना होती है उसी को ध्यान में रखते हुए समस्याओं का समाधान किया जाता है।

इसी कड़ी में दिल्ली से आईं टैरो विशेषज्ञा पूनम ठाकुर ने www.demokraticfront.com से बातचीत के दौरान बताया कि टैरो विधा आत्मिक शक्तियों के सम्बंधों पर आधारित है।जो कि प्रश्नों के उत्तर देने के आलावा व्यक्तिगत सलाहकार और मार्गदर्शक का भी काम करती है।

पंचकूला में रेकी विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाने वाले विजय मिश्रा कार्यशाला में रेकी के ज़रिये लोगो के मन और आत्मा के रोगों का निःशुल्क इलाज कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस विद्या से लोगों का बहुत कल्याण हो रहा है।

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राजस्थान: चर्चा में हनुमान बेनीवाल और कर्ज़ माफी

बेनीवाल के व्यवहार के अलावा इनदिनों राजस्थान में एक मुद्दा और चर्चा में छाया है. चुनावी सभाओं में राहुल गांधी जीतने के 10 दिन के अंदर किसानों के पूरे कर्ज को माफ करने का ऐलान करते थे

हनुमान बेनीवाल राजस्थानी कहावत जिसका हिंदी मतलब होता है कि नया नया रईस अपनी गर्दन ज्यादा ही ऊंची करके चलता हैको चिरतार्थ करते दिख पड़ते हैं। इस बार चुनाव जीतने के साथ ही वे अजीबो गरीब तरीके से अपनी ओर ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं.

चुनाव नतीजों के बाद पहले तो उन्होंने कांग्रेस में चल रही मुख्यमंत्री की जंग में टांग फंसाने की कोशिश की. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उन्होंने चुनौती दे डाली कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया तो लोकसभा चुनाव में उनके समर्थक कांग्रेस की ईंट से ईंट बजा देंगे. दूसरी पार्टी को अपनी बिन मांगी सलाह देना जबरदस्ती गले पड़ने वाली बात ही रही. कांग्रेस ने उनको कोई तवज्जो न देते हुए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया.

इसके बाद, एक दिन बेनीवाल पुलिस मुख्यालय पहुंचे. पुलिस महानिदेशक और दूसरे बड़े अधिकारियों से मुलाकात की. बाद में मीडिया के पास पहुंचे और पुलिस पर उन्हें जबरन इंतजार करवाने का आरोप मढ़ दिया. शायद उनको ऐतराज हो कि जब एक जनप्रतिनिधि आए तो अधिकारी सारा कामकाज छोड़कर उसे क्यों नहीं अटेंड करे.

राज्यपाल पर बेहूदा टिप्पणी

अब विधानसभा सत्र शुरू होने पर भी बेनीवाल की बेतुकी हरकतें नहीं रुक रही हैं. शपथ ग्रहण समारोह में जब उनका नंबर आया तो दर्शक दीर्घा में बैठे उनके समर्थक तालियां बजाने लगे. पूर्व संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ ने इस पर टोका तो बेनीवाल ने तंज कसते हुए कहा कि आप चुप कराके दिखा दो.

सबसे बड़ी घटना तो राज्यपाल कल्याण सिंह के अभिभाषण के दौरान घटित हुई. बेनीवाल सदन के वेल में आ गए और मूंग खरीद के लिए नारेबाजी करने लगे. उन्होंने सीधे राज्यपाल को अपशब्द कह दिए. बेनीवाल ने राज्यपाल से कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री का नाम तक तो याद नहीं रहता. बेहतर होगा कि पहले वे अपना इलाज कराएं.
इस दौरान मुख्यमंत्री अपनी सीट पर बैठे मुस्कुराते रहे. बीजेपी ने बेनीवाल के इस बेहूदा कमेंट पर कड़ा ऐतराज जताया. पूर्व गृहमंत्री और अब नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने सवैंधानिक पदाधिकारी पर अशोभनीय टिप्पणी को सुधारे नहीं जाने पर सदन न चलने देने की धमकी तक दे डाली. लेकिन न बेनीवाल को इससे कुछ फर्क पड़ा और न ही सत्ता पक्ष ने कटारिया के बयान को कोई तवज्जो दी.

कौन है हनुमान बेनीवाल?

हनुमान बेनीवाल नागौर जिले की खींवसर सीट से विधायक हैं. राजनीति उन्होंने छात्र जीवन में ही शुरू कर दी थी. 1996 में वे राजस्थान के सबसे बड़े विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे. कभी वे बीजेपी में हुआ करते थे. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनबन के बाद 2013 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते.

2018 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक पार्टी बनाई और राज्य में तीसरी ताकत खड़ी करने की कोशिश की. पहली बार में अध्यक्ष बेनीवाल समेत इस पार्टी के 3 विधायक चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं. बेनीवाल का पश्चिम राजस्थान, विशेषकर उनके गृह जिले नागौर और आसपास के इलाके में अच्छा प्रभाव है.

इसमे कोई शक नहीं कि जाट युवाओं के बीच उनकी गहरी पैठ है. वे लगातार चुनाव जीत रहे हैं और अपनी पार्टी की जड़ें भी जमाने में सफल रहे हैं. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि उनका उग्र व्यवहार कहीं न कहीं नुकसान भी पहुंचा सकता है. युवा समर्थकों को एंग्री यंग मैन छवि आकर्षित करती है. लेकिन द्विदलीय व्यवस्था वाले राज्य में तीसरी ताकत बनने के लिए उन्हें सौम्य और जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार का परिचय देना होगा. वैसे भी, उनपर समाज के कई समूह घोर जातिवादी राजनीति का आरोप लगाते रहे हैं.

जुमला तो नहीं बन जाएगी किसानों की कर्जमाफी?

बेनीवाल के व्यवहार के अलावा इनदिनों राजस्थान में एक मुद्दा और चर्चा में छाया है. चुनावी सभाओं में राहुल गांधी जीतने के 10 दिन के अंदर किसानों के पूरे कर्ज को माफ करने का ऐलान करते थे. वे दावा करते थे कि अगर उनका मुख्यमंत्री इस वादे को पूरा नहीं करेगा तो वे मुख्यमंत्री ही बदल देंगे. राजस्थान में कांग्रेस को चुनाव जीते हुए सवा महीने से ज्यादा हो गया है लेकिन अभी तक कर्जमाफी पर बहस ही चल रही है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब किसानों की कर्जमाफी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. गहलोत ने लिखा है कि पूरे देश के किसानों की आर्थिक हालत चुनौतीपूर्ण है. गहलोत के मुताबिक, कांग्रेस की तरह वे भी कर्जमाफी का ऐलान करें. 2 जनवरी को लिखे इस पत्र को उन्होंने 18 जनवरी को सोशल मीडिया पर शेयर किया तो विधानसभा में भी पढ़ कर सुनाया.
बीजेपी ने अब कांग्रेस पर किसानों को गुमराह कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया है. शुक्रवार को इस मुद्दे पर हुई गर्मागर्मी के कारण विधानसभा को 3 बार स्थगित करना पड़ा. नेता प्रतिपक्ष ने सरकार के आदेश को लंगड़ा बता दिया. कटारिया का आरोप है कि 19 और 25 दिसंबर को इस संबंध में निकाले गए आदेशों की भाषा में विसंगति है. एक आदेश में अल्पकालीन फसली ऋण को माफ करने की बात है तो दूसरे में अलग शब्द इस्तेमाल किए गए हैं.

नेताओं के बीच फुटबॉल बन रहे किसान!

मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष की भाषा पर कड़ा ऐतराज जताते हुए दावा किया कि सहकारी बैंकों से लिए 2 लाख तक के कर्ज माफ किए जाएंगे. उन्होंने बीजेपी पर जनता को गुमराह करने के आरोप लगाए. हालांकि चुनाव से पहले कांग्रेस ने सभी किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था. लेकिन अब इसमें नित नई शब्दावलियों का प्रयोग किया जा रहा है.

पहले सिर्फ डॉफाल्टर किसानों की बात कही गई. पार्टी में ही विरोध उठा तो सभी किसानों की बात कही जाने लगी. अब सिर्फ सहकारी बैंकों का नाम लिया जा रहा है. किसानों के सामने यूरिया की खरीद और मूंग की उपज बेचने की समस्या भी विकराल हो चुकी है. एक बात स्पष्ट है, चुनाव आयोग ने मार्च में लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान की घोषणा कर दी है. अगर जल्द ही कांग्रेस सरकार ने स्थिति साफ नहीं की तो याद रखना चाहिए भारतीय मतदाताओं के मतदान व्यवहार को ग्रेनविल ऑस्टिन ने ‘अनप्रेडिक्टेबल’ भी ठहराया था.

अब कांग्रेस के विधायक पहुंचे रिज़ॉर्ट

सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कम से कम आठ विधायक पाला बदल सकते हैं
विधायकों की गैरमौजूदगी को “गंभीरता” से लिया जाएगा और दल-बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्तारुढ़ ग‍ठबंधन में दरार उजागर करते हुए चार नाराज कांग्रेसी विधायक पार्टी विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में शामिल नहीं हुए. हालांकि, कुमारस्वामी ने दावा किया कि गैरहाजिर विधायक उनके संपर्क में हैं और जल्द ही शामिल होंगे. सरकार बचाने के लिए कांग्रेस ने आनन-फानन में अपने विधायकों को रिसॉर्ट में शिफ्ट कर दिया है.

सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कम से कम आठ विधायकों पाला बदल सकते हैं. आंकड़ों के लिहाज से चार विधायकों की गैरमौजूदगी से सात महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस ग‍ठबंधन सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है लेकिन इससे यह संकेत मिलता है कि अब भी असंतोष झेल रही कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है. 

ये 4 विधायक रहे बैठक में गैरहाजिर
कांग्रेस विधायक रमेश जारकीहोली, बी नगेंद्र, उमेश जाधव और महेश कुमाताहल्ली पार्टी विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे. पार्टी उन्हें नोटिस जारी करेगी. हाल ही में कैबिनेट फेरबदल में मंत्रीपद से हटाए जाने के बाद से जारकीहोली बेहद नाखुश थे. बैठक में 76 विधायक मौजूद थे. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि जाधव ने लिखकर कहा था कि वह अस्वस्थ होने के कारण बैठक में भाग नहीं ले सकेंगे वहीं नागेंद्र ने कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल से कहा था कि अदालत में एक मामले के कारण वह बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि दो अन्य विधायकों से कोई सूचना नहीं मिली है.

सिद्धरमैया ने कहा कि अनुपस्थित रहे विधायकों के जवाब मिलने के बाद इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान और राज्य नेताओं के साथ विचार विमर्श किया जाएगा और उसके बाद अगला कदम तय किया जाएगा. बै‍ठक से पहले कांग्रेस विधायकों को जारी नोटिस में सीएलपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने चेतावनी दी थी कि विधायकों की गैरमौजूदगी को “गंभीरता” से लिया जाएगा और दल-बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

इस बीच, भाजपा के विधायक अब भी गुरुग्राम के एक लग्जरी होटल में ठहरे हुए हैं और पार्टी का कहना है कि विधायकों को कांग्रेसी खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. यह अब भी नहीं पता है कि सोमवार से यहां डेरा डाले विधायक वापस कब लौटेंगे. ग‍ठबंधन सरकार को मंगलवार को पहला झटका तब लगा जब दो निर्दलीय विधायकों ने उससे समर्थन ले लिया था.

क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों की बिसात है ममता की महारैली

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी एकता का इसे प्रदर्शन माना जा रहा है. “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.” : टीएमसी
भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी गेगोंग अपांग और शत्रुघ्न सिन्हा भी शिरकत करेंगे

कोलकाता: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ बने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन के बाद कोलकाता में शनिवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की विपक्षी दलों की महारैली होने जा रही है. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी एकता का इसे प्रदर्शन माना जा रहा है. यह रैली यहां ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में होगी. हालांकि, विपक्ष के कई नेता इस रैली में नजर नहीं आएंगे.  

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रैली में भाग लेंगे जबकि बसपा की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा के शिरकत करने की संभावना है. हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती खुद इस रैली में हिस्सा नहीं लेंगी. आरएलडी के अजीत सिंह और जयंत चौधरी भी मौजूद रहेंगे. वहीं, रैली में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे. 

उत्तर प्रदेश में नया चुनावी समीकरण बनाने वाली सपा और बसपा सहित सभी बड़ी विपक्षी पार्टियों की इस रैली में मौजूदगी काफी मायने रखती है. वहीं, कांग्रेस को भी यह लगता है कि विपक्ष की महारैली से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण के बारे में गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. रैली का आयोजन कर रही तृणमूल कांग्रेस ने कहा, “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.”

इस रैली में जिन अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है, उनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं. इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के भी शामिल होने की उम्मीद है. कांग्रेस से खड़गे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी रैली में भाग लेंगे. 

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ – साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी भी मंच पर नजर आएंगे. मंगलवार को भाजपा छोड़ने वाले अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग भी रैली में शामिल होंगे. 

आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम माता मनसा देवी परिसर-जगदीप ढांडा

पंचकूला, 18 जनवरी:

         अतिरिक्त उपायुक्त जगदीप ढांडा की अध्यक्षता में अगामी 23 से 29 जनवरी तक चलने वाले माता मनसा देवी परिसर में 11 वें आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये बैठक आयोजित की गई। बैठक में एसडीएम पंकज सेतिया, नेहरु युवा केंद्र के संयोजक डाॅ जीएस बाजवा, उपसिविल सर्जन सरोज अग्रवाल, श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड की सचिव शारदा प्रजापति सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।

अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि यह कार्यक्रम नेहरु युवा केंद्र पंचकूला, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार एवं जिला प्रशासन पंचकूला द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के लगभग 200 युवक, युवतियां व सिक्योरिटी आॅफिसर भाग लेंगें। उन्होंने श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड की सचिव को निर्देश दिये कि वे मंदिर परिसर लक्ष्मी भवन धर्मशाला में इनके ठहरने व खाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने एमडीएम पंचकूला से कहा कि वे जिला की विभिन्न जगहों पर इन्हें भ्रमण करवाने के लिये ट्रांसपोरेशन की व्यवस्था करवाना सुनिश्चित करें ताकि ये युवा यहां की संस्कृति को नजदीक से देख सके। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निदेश दिये कि वे इस कार्यक्रम में प्रत्येक दिन किसी चिकित्सक की ड्यूटि लगाये। उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस विभाग के अधिकारी को निर्देश दिये कि वे सातों दिन एक पीसीआर व जवानों को लक्ष्मी भवन में तैनात रखें।

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी युवाओं को विभिन्न स्थानों की भाषा, लोकाचार एवं जीवनशैली को समझकर शिक्षित रास्ते पर रोजगार के अवसर तलाशना और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्मारकों को देखना है। इससे सदभावना, शांति, सांस्कृतिक आदान प्रदान एवं समग्र विकास होगा। उन्होंने नेहरु युवा केंद्र पंचकूला के संयोजक डाॅ जीएस बाजवा से कहा कि वे इन युवाओं को यादविंद्रा गार्डन, सीआरपीएफ कैंप पिंजौर तथा राजभवन का भी भ्रमण करवाना सुनिश्चित करें ताकि इन युवाओं को यहां की संस्कृति का बोध हो। इसके साथ साथ कालका व सेक्टर-1 पंचकूला के काॅलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करवाये। उन्होेने अधिकारियों से कहा कि वे गणतन्त्र दिवस समारोह में इन युवाओं को बैठाने की विशेष व्यवस्था करना सुनिश्चित करें।

कांग्रेस के लिए लोक सभा की वैतरणी गुटबाजी डुबाएगी

जिन चेहरों के ईर्दगिर्द राजस्थान की राजनीति घूमती है वो चेहरे अपनी पदस्थापना से संतुष्ट हैं?
विधानसभा अध्यक्ष बनने वाले सीपी जोशी के लिए राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष पद छोड़ना कठिन फैसला हो सकता है.

राजस्थान की राजनीति में गुटबाजी और अंदरूनी कलह के बाद चुनावी मौसम में उम्मीदवारों का टिकट मामला, सीएम पद की रेस और फिर सरकार के लिए मंत्रीपद का बंटवारा शांति से निपट गया. राज्य के सभी अनुभवी और जोश से लबरेज नेताओं के सम्मान का ध्यान रखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने ताजपोशी भी कर दी. ये सब देखते हुए सियासत की सीधी तस्वीर कहती है कि राजस्थान कांग्रेस में अब शांति है और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस जुट गई है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या वाकई राजस्थान में गुटबाजी थम गई?

अशोक गहलोत को गुजरात और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में अपनी जादुगरी दिखाने का ईनाम मिला तो सचिन पायलट को 21 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के एवज में डिप्टी सीएम का पद मिला. वहीं शपथ लेने वाले मंत्रियों की सूची में नाम न होने के बाद अब सीपी जोशी को भी विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया गया है.

क्या वाकई जिन चेहरों के ईर्दगिर्द राजस्थान की राजनीति घूमती है वो चेहरे अपनी पदस्थापना से संतुष्ट हैं? क्या ये सब मिलकर कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव की ही तरह दमदार प्रदर्शन के लिए सामूहिक प्रण और रण करेंगे?

साल 2013 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ से राजस्थान का किला जिस तरह फिसला उससे दोबारा जीत दूर दूर तक मुमकिन नहीं थी. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में गुटबाजी हावी न हो उसके लिए कांग्रेस ने सबसे पहले गुटबाजी पर विराम लगाने की रणनीति पर काम किया. कांग्रेस ने सीएम की रेस में सभी चेहरों को चुनाव के आखिर तक बने रहने दिया. किसी भी एक नाम को न तो खारिज किया और न ही आगे बढ़ाया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब राजस्थान विधानसभा चुनाव से तकरीबन 4 महीने पहले जयपुर में रोड शो किया तो उन्होंने मंच पर अशोक गहलोत और सचिन पायलट को गले मिलवाकर समर्थकों में संदेश भिजवाया. संदेश साफ था कि पहले सब मिलकर लड़ें और बाद में तय होगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा.

लेकिन संकेतात्मक प्रयासों के बावजूद राजस्थान में पार्टी अंदरूनी कलह और गुटबाजी को झेल रही थी. पहली गुटबाजी टिकटों के बंटवारे को लेकर अपनी पसंद के उम्मीदवारों को मौका दिए जाने पर शुरू हुई. विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने का पहला दिन आ चुका था. लेकिन कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर सकी थीं.

नामों पर मंथन के साथ-साथ खींचतान चलती रही. यहां तक कि अशोक गहलोत- सचिन पायलट के बीच टिकटों के बंटवारे के वक्त खींचतान के आरोप लग रहे थे. राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के बीच तो तीखी बहस तक हो गई थी. वहीं ‘मेरा बूथ, मेरा गौरव’ अभियान नाम के कार्यक्रमों में नेताओं के साथ मारपीट और कपड़े फाड़ने की घटना भी सामने आई थी.

दरअसल, राजनीति के तराजू में महत्वाकांक्षा और असुरक्षा के पलड़ों के बीच नेता हाथ आए मौके को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहते हैं और यही वजह है कि जब चुनाव आते हैं तो उनका सब्र एक तरफ और आक्रमण हावी हो जाता है. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने समय समय पर इसी सब्र के बांध को मजबूती से बांधने का काम किया ताकि चुनाव तक एकजुटता बनी रहे. सार्वजनिक मंच पर गहलोत और पायलट को साथ खड़े कर दोनों के ही समर्थकों में सीएम पद को लेकर सस्पेंस भरने का काम किया ताकि चुनावी संगठन और प्रबंधन कमजोर न हो सके. एक तस्वीर राजस्थान की सियासत में वाइरल हुई थी. एक रैली के दौरान एक ही मोटर साइकिल पर अशोक गहलोत और सचिन पायलट साथ जा रहे थे.

किसी तरह गुटबाजी पर अंकुश लगा. लेकिन चुनावी नतीजों ने कांग्रेस को सीटों की सेंचुरी बनाने से रोक दिया. बावजूद इसके कांग्रेस ने राजस्थान में अपने तीन बड़े खिलाड़ियों के जरिए सभी जातियों को साधने का काम जरूर बखूबी से पूरा किया. अब जबकि गहलोत सरकार ने पूरी तरह से कामकाज शुरू नहीं किया है तो ऐसे में पार्टी की गुटबाजी का कोई ताजा मामला सामने नहीं है जो कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बने.

गहलोत और पायलट के बीच सत्ता के समझौते के तहत 15–15 मंत्रीपदों के बंटवारे पर सहमति बनी थी. अभी तक कुल 23 मंत्री शपथ ले चुके हैं जिसमें गहलोत समर्थित मंत्रियों की तादाद ज्यादा है. कुल 30 मंत्रियों को शपथ लेना है. ऐसे में 7 मंत्रियों के नाम पर खींचतान हो सकती है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पास वित्त मंत्रालय रखा तो पीडब्लूडी विभाग सचिन पायलट को दिया गया. ताकि भारी मंत्रालयों को लेकर छोटी सी नाराजगी बड़ा रूप न ले सके. बाकी बचे मंत्रालयों के बंटवारे के दौरान गुटबाजी असर दिखा सकती है. इसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए बनने वाली स्क्रीनिंग कमेटी में ही ये तस्वीर साफ हो सकेगी कि राजस्थान में किस गुट का जोर चला और गुटबाजी की नई शक्ल क्या होगी?

विधानसभा अध्यक्ष बनने वाले सीपी जोशी के लिए राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष पद छोड़ना कठिन फैसला हो सकता है. वो आरसीए अध्यक्ष पद छोड़ना नहीं चाहते हैं और शायद इस वजह से पार्टी में नया तनाव उभर सकता है.

बहरहाल, किसानों की कर्जमाफी का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार ने भले ही दो दिन में कर्जमाफी का ऐलान कर दिया लेकिन ये ऐलान अभी फाइलों से बाहर निकल नहीं सका है.  कर्जमाफी को लेकर कुछ शर्तें तय की जा रही हैं जिनको लेकर विरोध के सुर उठ रहे हैं. अगर शर्ते किसानों की उम्मीदों के खिलाफ गईं तो इसका खामियाज़ा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. फिलहाल, राजस्थान कांग्रेस और राजस्थान सरकार में सब शांत है.

बागी घर लौटे,कर्नाटक संकट टला

तथाकथित बागी विधायक अपने खेमे में पहुंचे और पार्टी में अपना विश्वास जताया, कर्नाटक संकट टला और एक पार्टी वैश्विक अपमान से बची

बेंगलुरु: कांग्रेस विधायक दल की शुक्रवार को होने वाली विधायक दल की अहम बैठक से पहले कई कांग्रेस विधायक पार्टी में लौट आए जिससे एचडी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार के लिए संकट के टलने की उम्मीद जगी है. इन विधायकों पर कथित तौर पर भाजपा की नजर थी. कांग्रेस ने पार्टी के अंदर असंतोष थामने की कोशिश तेज कर दी हैं. उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा यहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सरकार को गिराने के किसी भी अभियान में शामिल नहीं है.

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के विधायक भी गुरुग्राम से लौट रहे हैं जहां वे कुछ दिनों से ठहरे हुए थे. सरकार को अस्थिर करने की ‘व्यर्थ कोशिश’ करने को लेकर भाजपा पर हमला करते हुए कुमारस्वामी ने उस पर अपने विधायकों को गुरूग्राम के एक होटल में ‘बंधक बना कर’ रखने का आरोप लगाया. सरकार गठन के अपने प्रयास के तहत कांग्रेस विधायकों को फुसलाने की भाजपा की कथित कोशिशों की खबरों से पैदा राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे कुमारस्वामी ने भगवा पार्टी के इस आरोप को खारिज कर दिया कि वह भाजपा विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. शुक्रवार की कांग्रेस विधायक दल की बैठक को सरकार गिराने की भाजपा की कथित कोशिश के जवाब में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है. सत्तारूढ़ गठबंधन ने कहा है कि भाजपा की कोशिश विफल रही है.

कांग्रेस विधायकों को जारी नोटिस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने चेतावनी दी कि शुक्रवार की बैठक में विधायकों की गैर-मौजूदगी को गंभीरता से लिया जाएगा. सिद्धरमैया ने कहा, “मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि आपकी गैर हाजिरी को गंभरता से लिया जाएगा और यह माना जाएगा कि आपने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिकता सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ने का फैसला कर लिया है.” 
 
उन्होंने कहा कि ऐसे में दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. हुबली में सिद्धरमैया ने दावा किया कि पार्टी के सभी विधायक सीएलपी की बैठक में आएंगे. जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी में लौटने वाले असंतुष्ट विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा तो उन्होंने कहा, “हमने किसी से नहीं कहा है कि हम उन्हें मंत्री या कुछ और बनायेंगे. कांग्रेस में कोई असंतोष नहीं है.” 

कांग्रेस के लिए राहत की बात है कि कुछ और विधायक, जो कथित रूप से पार्टी के संपर्क से कट गए गए थे तथा जिन्हें कथित रूप से भाजपा अपने पाले में करने के लिए बहला फुसला रही थी, सामने आए और उन्होंने पार्टी के प्रति निष्ठा जताई. येल्लापुर के विधायक शिवराम हेब्बार ने बृहस्पतिवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुंडू राव से भेंट की और कहा कि वह परिवार के साथ अंडमान निकोबार गये थे जिसकी योजना एक महीने पहले बनी थी.

उन्होंने अपनी इस यात्रा को वर्तमान घटनाक्रम के साथ महज संयोग बताया और कहा, “मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं… किसी भी कारणसे बिक जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.’’ उनकी तरह कई और विधायकों ने करीब करीब ऐसी ही बात कही. वैसे असंतोष से इनकार करने वाले बल्लारी के विधायक बी नागेंद्र ने अदालती सुनवाई के चलते विधायक दल की बैठक में पहुंच पाने पर संदेह प्रकट किया.

कुमारस्वामी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष येद्दियुरप्पा का बार बार यह दावा करना कि मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस जदएस के नेता उनकी पार्टी के विधायकों को लालच दे रहे हैं, उनके लिए हैरत की बात है. उन्होंने कहा, ‘‘वे (सरकार को अस्थिर करने के लिए) सभी प्रकार की व्यर्थ कोशिशें कर रहे हैं. कौन आगे आगे चल रहा है और (विधायकों को) फुसलाने में जुटा है?’’ 

उन्होंने सवाल दागा, “आज मैं येदियुरप्पा और उनके मित्रों से से पूछना चाहता हूं कि कब तक आप गुरुग्राम के एक होटल में ठहरे रहेंगे, आपने किस वजह से विधायकों को बंधक बना रखा है.” बीजेपी पर विधायकों को फुसलाने के लिए ‘हर चीज’ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, “लेकिन अब आप हमपर आरोप मढ़ रहे हैं, यदि आप महसूस करते हैं कि आप जो कुछ कह रहे हैं लोग मान लेंगे, तो आप गलत हैं. लोग सही समय पर भाजपा नेताओं को जवाब देंगे.”  

उधर, येदियुरप्पा ने कहा, “बीजेपी से कोई भी किसी भी प्रकार के अभियान या कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के विधायकों को फुसलाने में नहीं लगा है.’’ उन्होंने कहा, “हमने एक स्थान पर अपने सभी विधायकों को एकत्रित किया था और पिछले दो तीन दिन से आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा कर रहे थे. आज सभी लौट रहे हैं.” उन्होंने कहा, “हम अपने विधायकों को एकत्रित करते हैं तो उन्हें डर किस बात का है, मुझे समझ में नहीं आता. कांग्रेस और जेडीएस के बीच की अंदरूनी लड़ाई नियंत्रण के बाहर जा रही है, अपनी अंदरूनी लड़ाई पर पर्दा डालने के लिए वे भाजपा पर दोष मढ़ रहे हैं.”