मानेसर लैंड घोटाला मामला: आरोपी अतुल बंसल के कोर्ट में न पहुंचने के चलते आज भी नहीं हुई कोई कार्यवाही।

Moti Lal Vora and Bhupinder Singh Hooda, Photo: Kapil Nagpal

मनेसार भूमि घोटाला मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोहरा बुधवार को पंचकुला में सीबीआई स्पेशल कोर्ट के सामने पेश हुए। सुनवाई में आज आरोपी अतुल बंसल के कोर्ट में न पहुंचने के चलते आज भी नहीं हुई कोई कार्यवाही। कोर्ट ने अब मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 फरवरी दी है। सनद रहे की इससे पहले मई में सीबीआई कोर्ट ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को राहत देते हुए करोड़ों रूपये के मनेसार ज़मीन घोटाले में उन्हे जमानत दी थी।

एबीडबल्यू बिल्डर्स के अतुल बंसल की अनुपस्थिति ने कोर्ट की कार्यवाही को स्थगित करवाया। सनद रहे अतुल बंसल मनेसार ज़मीन घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं। आरोपी अतुल बंसल पिछली पेशी में भी अदालत में पेश नहीं हुए थे, जिस कारण उनके नॉन बेलेबल वारंट निकले गए थे। आज फिर अतुल बंसल के खिलाफ नॉन बेलेबले अरैस्ट वारंट जारी किए गए हैं,
अतुल बंसल की अनुपस्थिति पर कोर्ट ने आज फिर नाराजगी दिखाई, आरोपी

     दरअसल, हरियाणा के गुरुगरम जिले के मनेसार में ज़मीन घोटाले के मामले में सीबीआई ने इस वर्ष फरवरी में हुड्डा, करिष्ठ नौकरशाहों व अन्य के विरुद्ध मामला दर्ज़ किया था। चार्जशीट में वरिष्ठ नौकरशाह छत्तर सिंह,, एस एस ढिल्लों और गुरुगरम की रियल इस्टेट कंपनी एबीडबल्यू बिल्द्र्स के प्रोमोटर अतुल बसन को शामिल किया गया था। तीनों अधिकारी हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रभावशाली प्रमुख सचिव थे। सीबीआई ने सितंबर 2015 में इस संबंध में मामला दर्ज़ किया था। आरोप था की निजी बिलदारों ने हरियाणा सरकार के साथ मिलीभगत कर गुरुगरम जिले के मनेसार, नौरंगपुर, लखनौला गांवों में किसानों और ज़मीन के मालिकों से 400 एकड़ ज़मीन बहुत कम दामों में खरीदी।

     उस समय बेची गयी ज़मीन की कीमत 1600 करोड़ रुपये थी, लेकिन बिल्डरों ने इसे मात्र 100 करोड़ रुपए में खरीद लिया। यह ज़मीनें अगस्त 2004 से अगस्त 2007 के बीच खरीदी गईं। मुख्यमंत्री हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार मार्च 2005 से अक्तूबर 2014 तक हरियाणा में सत्ता में थी। सीबीआई का आरोप है की एबीडबल्यू बिल्द्र्स ने कांग्रेस के कार्यकाल में ज़मीन खरीदने का षड्यंत्र रचा।  

‘क्यों राजीव कुमार को CBI के सामने नहीं आना चाहिए?’ सर्वोच्च न्यायालय

सीबीआई की कार्रवाई को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ममता का धर्मतल्ला के मेट्रो चैनल पर चल रहा धरना तीसरे दिन भी जारी है. उधर इस मामले में सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ-साफ कहा है कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई के समक्ष पेश होना होगा. कोर्ट ने कहा है कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार तटस्थ स्थान (न्यूट्रल प्लेस) शिलॉन्ग में सीबीआई के समक्ष पेश होंगे.

मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई गोगोई ने साफ कहा कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर को सीबीआई के समक्ष पेश होना होगा लेकिन सीबीआई उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. साथ ही सीजेआई ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी से कोर्ट के अवमानना मामले में जवाब भी मांगा है. इसके साथ ही सीजेआई ने कहा है कि पुलिस कमिश्नर और राज्य के चीफ सेक्रेटरी भी अवमानना मामले में कोर्ट को जवाब दें.

अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 20 फरवरी को होगी.

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल जिरह कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस मामले में जिस तरह की पेमेंट दी गई है वह संदेहास्पद है. उनका कहना है कि पेमेंट चेक से हुई हैं. सीबीआई ने इस मामले सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त दस्तावेज सौंपे हैं. सीबीआई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में वह और दस्तावेज जमा करना चाहते हैं लेकिन वे सीलबंद लिफाफे में इसे सौंपेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम ममता बनर्जी सरकार की बातें सुनेंगे. कोर्ट ने आगे कहा कि कोलकाता पुलिस कमिश्न को सीबीआई के सामने पेश होना चाहिए, ताकि जांच एजेंसी पूछताछ कर सके. चीफ जस्टिस ने पूछा, क्यों राजीव कुमार को CBI के सामने नहीं आना चाहिए? सुप्रीम ने कहा, हमारे प्रस्तावित ऑर्डर में पश्चिम बंगाल की सरकार को क्या आपत्ति है?

ममता बनर्जी सरकार की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे. सिंघवी ने कहा कि राजीव कुमार के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं हुआ. अभी तक तीन समन जारी किए गए थे. सीबीआई की तरफ से कोई फॉर्मल ऑर्डर नहीं आया था.

अवैध बस्तियाँ रोहिङ्ग्यान या कोई और प्रशासन मौन

यह मुंबई की धारावी बस्ती के पासव भी नहीं किन्तु उत्तराखण्ड जैसे छोटे राज्य के लिए धारावी से कम भी नहीं। यह तस्वीर देहरादून की धर्मपुर विधानसभा के ब्ंजारवाला के चांदचक की है, जहा साल भर में अचानक 500 से ऊपर झोंपड़ी बन गईं, और हैरानी की बात यह है की पुलिस प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं। शमुन आली नाम के किसान की ज़मीन पर यह बस्ती बस रही है और किराया भी शमुन आली साहब के ही जेब में जा रहा है।

शमून आली की ज़मीन पर बसी अवैध बस्ती

जहां किरायेदार की पहचान अनिवार्य एवं न करवाना एक दंडनीय अपराध और कई मामलों में देश द्रोह भी माना जाता है वहीं शमून अली के यहाँ 500 परिवार झुग्गियाँ बना कर रह रहे हैं और पुलिस आँखें मूंदे बैठी है। सवाल खड़ा होता है की यह लोग कौन हैं और कहाँ से आए हैं? इंका प्रशासन द्वारा स्त्यान अभी तक क्यों नहीं हुआ? स्थानीय लोगों में भाय का माहौल व्यापत है। यह लोग कूड़ा बीनने, कबाड़ी का या अन्य छोटे मोटे काम कर रहे हैं, पर बिना पहचान के बिना सत्यापन के इनका यहाँ होना सुरक्षा की दृष्टि से बहुत बड़ा खतरा मुफ्त में लेने वाली बात है।

इन लोगों का कहना है की उन्हे नगर निगम की मंजूरी मिली है जबकि ज़मीन शमून अली की है और किराया भी वही ले रहे हैं। यहा रहने वाले लोगों के पास अपना कोई पहचान पत्र भी नहीं है जिससे यह पुष्टि हो सके की यह लोग भारत के नागरिक हैं भी या नहीं। सीमांत प्रदेश उत्तराखंड में इस प्रकार की बस्ती का उभरना आने वाले समय में सामरिक राजनैतिक और सामाजिक खतरों की बानगी हो सकते हैं। इस बस्ती में आनेवालों की संख्या में दिनोंदिन हो रही बढ़ौतरी कई प्र्शन उठा रही है।

  • इन्हे यहाँ किसकी शह पर बसाया जा रहा है?
  • इस बारे में प्रशासन, पुलिस और एलआईयू तक को कोई जान कारी क्यों नहीं है?

सीमांत प्रदेश उत्तराखंड में इस प्रकार की घुसपैठ आने वाले समय में कोई बड़े खतरे का रूप ले इसके पहले सरकार को कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है

देखना है की सरकार आने वाले समय में क्या ठोस कदम उठाती है।

साभार गिरिराज उनियाल

ममता से टूटे 17 लाख परिवार

निवेशक ने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए और ठगे गए निवेशकों को पैसा लौटाया जाए.’

बताया जाता रहा है की शारदा चिटफंड घोटाले में 17 लाख निवेशकों का पैसा डूबा, और अब उनके इंसाफ की उम्मीद भी। यह मामला पैसे – राजनीति से कुछ अलग है। यकीन नहीं होता की ममता बैनर्जी राजनैतिक रूप से इतनी अपरिपक्व हो सकतीं थीं, जितना उन्होने अपने आप को दर्शा दिया। उन्होने अपने इस कदम से यह जाता दिया की उन्हे 17 लाख परिवारों की न कोई चिंता थी न है और न ही अब इन 17 लाख परिवारों के वोट की भी उन्हे लेश मात्र आवश्यकता है।

विभिन्न चिटफंड कंपनियों के हाथों धोखाधड़ी के शिकार हुए निवेशकों और एजेंटों ने सोमवार को कहा कि सीबीआई अधिकारियों को कोलकाता के पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने से रोकने के पश्चिम बंगाल के कदम से वे ठगा-सा महसूस कर रहे हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर करोड़ों रुपए के इस घोटाले के पीछे की सच्चाई को छिपाने का प्रयास करने का आरोप लगाया.

चिटफंड कंपनियों से परेशान लोगों के संगठन चिट फंड सफरर्स फोरम के संयोजक आसिम चटर्जी ने कहा कि कोलकाता के पुलिस प्रमुख राजीव कुमार से पूछताछ की सीबीआई की कोशिश पर राज्य सरकार और केंद्र के बीच टकराव न केवल निंदनीय है बल्कि सच्चाई को छिपाने की कोशिश भी है.

फोरम के एक अन्य संयोजक जयंत हलधर ने कहा कि फोरम जल्द ही चिटफंट कंपनियों के हाथों ठगे गए निवेशकों की रैली करेगा.

उन्होंने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए और ठगे गए निवेशकों को पैसा लौटाया जाए.’

ठगे गए निवेशक बीसू ने कहा, ‘मै एक चिटफंट कंपनी में एजेंट और निवेशक दोनों था. मुझे करीब 30 लाख रुपए का चूना लगा दिया गया. अब जब सीबीआई इस घोटाले के पीछे की सच्चाई ढूंढने का प्रयास कर रही है तब राज्य सरकार उसे रोकने की कोशिश कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.’

उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि राज्य सरकार शीर्ष पुलिस अधिकारी से पूछताछ को रोकने के लिए इतनी आतुर क्यों है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने बार बार कहा है कि उसी की सरकार है जिसने चिट फंड मालिकों को गिरफ्तार कराया.

ममता का सत्ताग्रह

courtesy zee news

सबसे पहले ये समझिए कि इस सीबीआई vs ममता विवाद की जड़ क्या है ? आपको पश्चिम बंगाल के सारदा और Rose Valley घोटाले याद होंगे, जिनमें ममता बनर्जी की पार्टी के कई नेता फंसे हुए हैं. ये घोटाले करीब 19 हज़ार 500 करोड़ रुपये के हैं. इसमें 17 लाख से भी ज़्यादा लोगों का पैसा फंसा हुआ है. 

इन्हीं घोटालों के संबंध में CBI कोलकाता के मौजूदा पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करना चाहती है. इसके लिए राजीव कुमार को कई बार Summon किया गया, लेकिन वो नहीं आए. कल शाम को CBI के अफसरों की एक टीम राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए उनके घर जाना चाहती थी. लेकिन कोलकाता पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. काफी देर तक ये ड्रामा होता रहा. इसके बाद कोलकाता पुलिस, CBI के करीब 25 अधिकारियों को लेकर थाने चली गई. और दो घंटे तक उन्हें हिरासत में रखा. 

इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CBI के खिलाफ कल रात 9 बजे से कोलकाता में धरना शुरू कर दिया. और इस धरने में उनके साथ कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी शामिल हैं. ये धरना इस वक़्त भी जारी है. ममता बनर्जी की उम्र 64 वर्ष है, लेकिन इस उम्र में भी अपने राजनीतिक धरने के लिए उनके पास ऊर्जा की कोई कमी नहीं है.
 
ममता बनर्जी ने पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक रंग दे दिया. और ये आरोप लगाए कि CBI केन्द्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है. और देश का संघीय ढांचा खतरे में है. इसके साथ ही ममता बनर्जी के इस धरने के खिलाफ देश भर की विपक्षी पार्टियां इक्कठी हो गईँ. ममता बनर्जी के धरने को चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव समेत बहुत से नेताओं का समर्थन मिल गया है. राहुल गांधी, पहले ममता बनर्जी का विरोध करते थे, उन पर सवाल उठाते थे. लेकिन अब उन्होंने यू-टर्न ले लिया है. आगे हम इस पर भी विस्तार से बात करेंगे. 

एक मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी के जितने भी काम थे, वो आज उन्होंने इसी धरना स्थल से किए. ममता बनर्जी ने इसी धरना स्थल पर कैबिनेट की मीटिंग की, किसानों की रैली को संबोधित किया और पुलिसवालों को कुछ अवॉर्ड्स भी दिए. यानी ममता बनर्जी ने पूरी तैयारी की हुई है और वो इस धरने को एक तरह की राजनीतिक Vacation बनाना चाहती हैं?

हालांकि राजनीतिक लाभ के लिए देश की संस्थाओं की हत्या करना बहुत ख़तरनाक है. और जब भी ऐसा होता है, तो देश विखंडित हो जाता है. और देश के छोटे छोटे राज्य भी.. संविधान के नैतिक दायित्वों का उल्लंघन करने लगते हैं. ज़रा सोचिए कि क्या अब भारत में वो समय आ गया है जब पश्चिम बंगाल जाने के लिए वीज़ा लगेगा? वहाँ ना तो भारत का पासपोर्ट चलेगा और न ही भारत की नागरिकता मान्य होगी ? अगर यही फॉर्मूला देश के दूसरे राज्यों में चल निकला, तो कुछ दिन बाद मायावती,लालू यादव और चंद्रबाबू नायडू सहित विपक्षी दलों के तमाम नेता अपना अलग देश बना लेंगे. और वो परिस्थिति भारत की अखंडता के लिए शुभ नहीं होगी. 
 
बड़ा सवाल ये है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI को किसी राज्य में पूछताछ और कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं ? अगर किसी राज्य में कोई घोटाला हुआ है, तो वहां जांच के लिए CBI नहीं जाएगी तो कौन जाएगा? क्या ममता बनर्जी अपने नेताओं और पुलिस अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच, अपनी ही पुलिस से करवाना चाहती हैं? वैसे CBI को ये जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सौंपी गई थी, तो क्या ये भी मान लिया जाए कि ममता बनर्जी को इस देश के सुप्रीम कोर्ट पर भी विश्वास नहीं है? 

अगर कल को ममता बनर्जी की तरह ही देश के हर राज्य का मुख्यमंत्री ये कह दे कि उसे CBI पर विश्वास नहीं है और अगर CBI उसके राज्य में कोई कार्रवाई करेगी, तो वो CBI के अफसरों को गिरफ्तार करवा देगा, तो फिर क्या होगा? क्या ये देश के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी? इस तरह तो मायावती, लालू यादव और चंद्रबाबू नायडू सहित विपक्षी दलों के तमाम नेता, अपनी मनमानी करके.. एक तरह से अपना अलग देश बना लेंगे. और वो परिस्थिति भारत की अखंडता के लिए शुभ नहीं होगी. 

CBI के अधिकारियों को हिरासत में लेने के पीछे कोलकाता पुलिस का पहला तर्क ये था कि इन अधिकारियों के पास कोई वॉरंट या कागज़ नहीं थे. जबकि हमारे पास CBI की वो पत्र मौजूद है, जो पुलिस कमिश्नर के घर जाने से पहले CBI के अधिकारियों ने पुलिस को लिखा था. 
 
ये पत्र CBI ने कल कोलकाता पुलिस को लिखी थी. इस चिट्ठी में CBI ने सुरक्षा की मांग की है. CBI ने लिखा है कि उसे कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर एक Secret Operation करना है, इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए. ये चिट्ठी CBI के पुलिस इंस्पेक्टर प्रसेनजीत मुखर्जी की तरफ से लिखी गई है. 
 
अब आपको ये बताते हैं कि कोलकाता पुलिस ने CBI के अधिकारियों के साथ कैसा व्यवहार किया ? आज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है और इस रिपोर्ट में बहुत बड़े खुलासे हुए हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस और राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा कर दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि ना सिर्फ CBI के अधिकारियों को रोका गया, बल्कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने उनके मोबाइल फोन और कागज़ात भी छीन लिए. CBI के बहुत से अधिकारियों, और यहां तक कि महिला अधिकारियों के साथ भी बुरा व्यवहार किया गया. और उन्हें थाने में अवैध हिरासत में रखा गया. 

रिपोर्ट में लिखा है कि ना सिर्फ CBI के अफसरों को बल्कि CBI के Joint डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव के परिवार को भी परेशान किया गया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने पंकज श्रीवास्तव के घर की घेराबंदी कर दी थी और इस दौरान उनकी पत्नी और बेटी को परेशान किया गया. हमने कल रात से अब तक के इस घटनाक्रम पर एक रिपोर्ट तैयार की है. ये एक हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा था. इसके हर एक पहलू के बारे में आपको पता होना चाहिए.

अब आपको उस व्यक्ति के बारे में बताते हैं, जिसकी वजह से पश्चिम बंगाल में राजनीति की आग लगी हुई है. और ममता बनर्जी और CBI के बीच ये पूरा हंगामा हुआ है. ये व्यक्ति हैं कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार जो ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठे हुए हैं. आपके मन में भी ये सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि इन घोटालों में राजीव कुमार की क्या भूमिका है? 

राजीव कुमार की उम्र 53 वर्ष है. वो 1989 बैच के IPS अफसर हैं. IPS का मतलब होता है – Indian Police services. यानी भारतीय पुलिस सेवा. लेकिन उनका जो आचरण है वो इससे मेल नहीं खाता. वो ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठकर भारत की नहीं बल्कि ममता बनर्जी की सेवा कर रहे हैं. 

राजीव कुमार चिट फंड घोटालों के लिए राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई Special Investigation Team यानी SIT के प्रमुख थे. उन्होंने 2013 में सारदा और Rose Valley घोटाले की जांच की थी. लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले CBI को सौंप दिए. बाद में CBI ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार ने कई Documents, Pen Drive और जांच से जुड़े Mobile Phones उसे नहीं सौंपे. इस बारे में राजीव कुमार को कई बार समन भेजा गया लेकिन वो CBI के सामने पेश नहीं हुए. CBI के मुताबिक इन्‍हीं सबूतों के सिलसिले में उसके अधिकारी रविवार रात राजीव कुमार के आवास पर गए थे.
  
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे दो बड़े घोटाले छिपे हुए हैं. जिनका नाम है सारदा चिटफंड घोटाला और Rose Valley घोटाला. और जब तक आपको इन घोटालों की जानकारी नहीं होगी, आपको इस केस की गंभीरता का पता नहीं चलेगा. आप ये नहीं समझ पाएंगे कि ममता बनर्जी किस तरह भ्रष्टाचारियों को बचा रही हैं? पूरे देश में ममता बनर्जी की राजनीति की बात हो रही है. Mamta vs Modi जैसी राजनीतिक शब्दावली का प्रयोग हो रहा है. लेकिन कोई भी उन लोगों की बात नहीं कर रहा जिन्होंने घोटाले में अपना सब कुछ गंवा दिया.

सारदा घोटाले में देश के कई राज्यों के लाखों गरीबों के जीवन भर की कमाई, कुछ ताकतवर लोगों ने लूट ली, और अपनी जेबें भर लीं. गरीबों की कमाई से इन ताकतवर लोगों ने जमकर अय्याशी की…टीवी चैनल खोले…बेहिसाब पैसा जुटाया….और गरीबों को धोखा दे दिया. इसमें सत्ता के तंत्र से लेकर मीडिया तक, सब शामिल रहे.
 
सारदा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित देश के कई राज्यों में करीब 17 लाख लोगों से करोड़ों रुपये जुटाए. Ponzi Schemes के ज़रिए लोगों को बड़े मुनाफे का लालच दिया गया और बाद में इन योजनाओं के Agents ने दुकानें बंद कर ली. 2013 में सारदा ग्रुप का घोटाला सामने आया और ये घोटाला करीब ढाई हज़ार करोड़ रुपये का बताया गया. सारदा ग्रुप के 17 लाख निवेशक थे, और घोटाला सामने आने के बाद पूरे बंगाल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. यहां तक कि सारदा ग्रुप की स्कीम में पैसा लगाने वाले करीब 311 एजेंटों और लोगों ने खुदकुशी भी कर ली. वर्ष 2013 में घोटाला सामने आने के बाद इसके मुख्य आरोपी और सारदा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्तो सेन को गिरफ्तार किया गया. 

सारदा ग्रुप के ज़रिए जिन लोगों ने अपनी जेबें भरीं और जिनका नाम इस घोटाले में आया…उनमें से कई मंत्री और सांसद भी थे, जिन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था लेकिन इनमें से ज़्यादातर आरोपी ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं. इस लिस्ट में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष, ममता बनर्जी सरकार के पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद श्रृंजॉय बोस, पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी और तृणमूल कांग्रेस के नेता रजत मजूमदार और तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पॉल हैं. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता मतंग सिंह भी जेल से बाहर आ चुके हैं . यानी इस घोटाले में बहुत बड़े बड़े लोगों के नाम शामिल हैं. अब आपको Rose Valley घोटाले के बारे में बताते हैं. 
 
ये घोटाला भी सारदा घोटाला की तरह ही हुआ था. ये करीब 17 हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला है. इस घोटाले में लोगों से किश्तों में पैसे लिए जा रहे थे. और उन्हें ये भरोसा दिया जा रहा था कि उन्हें मकान दिए जाएंगे और विदेश यात्राएं करवाई जाएंगी. निवेशकों के पास ये भी विकल्प था कि अगर वो चाहें तो सारी किश्त जमा होने के बाद अच्छे खासे ब्याज़ पर अपने पैसे वापस भी ले सकते हैं. इसका मास्टरमाइंड था गौतम कुंडू जो इस Rose Valley Group का चेयरमैन था. लेकिन पैसा जमा होने के बाद लोगों को ना तो पैसे मिले और ना ही विदेश यात्राएं. केन्द्र सरकार ने दखल दिया. और निवेशकों को उनका पैसा लौटाने का आदेश दिया. लेकिन इस स्कीम में पैसा लगाने वाले लोगों को उनका पैसा आज तक वापस नहीं मिला. 
 
हमने आज ऐसे बहुत से लोगों से बात की है, जिन्हें आज भी अपना पैसा वापस मिलने की आस है. सबसे बड़ा विरोधाभास ये है कि इस पूरे मामले में ममता बनर्जी, सारदा और Rose Valley घोटाले के पीड़ितों के साथ अन्याय कर रही हैं. CBI इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई करना चाहती है. लेकिन ममता बनर्जी CBI की कार्रवाई के खिलाफ़ ही धरना दे रही हैं और इसे सत्याग्रह बता रही हैं. जबकि असलियत में ये सत्याग्रह नहीं, बल्कि सत्ताग्रह है. 

AIBOC MAHAMORCHA AT JANTAR MANTAR NEW DELHI

Today , on the call of AIBOC, a body of bank officers having more than 3.20 Lacs bank officers accross the country ,  “Delhi Chalo ” more than 20000 officers   from the different parts of the country staged a Maha Morca at Jantar Mantar New Delhi , demanding early and decent wage hike , opposing merger of Public Sector Banks , Immediate implementation of five day week , updation of pension , strengent laws for recovery of Corporate bad loans and other issues.

Addressing media persons Sh Deepak Sharma Joint General Secretary AIBOC stated that more than 4000 officers from Haryana, Punjab, J&K, Himachal and Chandigarh UT  participated in the Maha Morcha and displayed their anguish over the delay in resolving long pending genuine demands of wage revision to all scales as per Charter of demands, Scrapping of NPS and restoration of defined pension scheme, five day week, updating of pension and family pension, adequate recruitment in Public Sector Banks, publication of wilful Corporate defaulters and  Compassionate appointment in Banks. Bank officers were also protesting against proposed merger of Vijaya Bank, Dena Bank and Bank of Baroda.

He further said that there is a great resentment amongst Bank officers for undue delay in wage revision  and in case Central Government do not accept  their demands at the earliest  they would further  intensify their agitation.

PU girls win AIIUBoxing Championship

 Panjab University Boxing (Women) team got over all championship trophy by winning 3 Gold and 3 bronze medals in the All India Inter University Boxing (Women) championship held at JRN Rajasthan Vidyapeeth, Udaipur (Raj) from 27.01.2019 to 31.01.2019.  Prof. Raj Kumar, Vice-Chancellor of the Panjab University and Prof. Parminder Singh, Director, Directorate of Sports gave congratulations to the team and as well as coach Mr. Vishal Dhiya and Manager Ms. Neema. The results are as under:-

First           Panjab University, Chandigarh.
Second          Kurkshetra University, Kurukshetra 
Third            MDU, Rohtak

Our Medalist player names are:
        57 Kg.          Jasmine         Gold Medal
        64 Kg.          Deeksha Gold Medal
        81 Kg.          Nandini        Gold Medal      
        51 Kg.          Gargi            Bronze Medal
        54 Kg.          Savita          Bronze Medal
        57 Kg.          Annu            Bronze Medal

        Panjab University Boxer Jasmine declared Best Boxer in the All India Inter University Boxing (Women) Championship for the session 2018-19

आंध्रा में कांग्रेस मूर्छित अवस्था में: किशोर चंद्र देव

नयी दिल्ली, तीन फरवरी:

पूर्व केंद्रीय मंत्री वी किशोर चंद्र देव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनका आरोप है कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में ‘‘मूर्छित’’ अवस्था में है और संगठन में नयी जान फूंकने के लिए पार्टी ने पिछले चार साल में कोई कदम

नई दिल्ली : 

सत्तारूढ़ बीजेपी को हटाकर केंद्र की कुर्सी पर काबिज होने की पुरजोर कोशिश में जुटी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका लगा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री वी किशोर चंद्र देव (V Kishore Chandra Deo) ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में ‘मूर्छित’अवस्था में है और संगठन में नई जान फूंकने के लिए पार्टी ने पिछले चार साल में कोई कदम नहीं उठाया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे दो वाक्य के पत्र में देव (V Kishore Chandra Deo) ने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. देव पिछले करीब 45 साल से कांग्रेस के सदस्य थे. हाल में उन्हें पार्टी की नवगठित आदिवासी शाखा ‘अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. साल 2011 में वह मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री रह चुके हैं.
वह आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हैं. वी किशोर चंद्र देव (V Kishore Chandra Deo) ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने तो मेरी ओर से जाहिर की गई चिंताएं और मेरे सुझाव भी नहीं पढ़े, ऐसे में उन पर अमल की बात क्या करूं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उस पार्टी को छोड़ने का फैसला करना काफी तकलीफदेह है जिसकी सेवा मैंने 45 साल तक की है. उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में अपने भविष्य की रणनीति तय करेंगे. हालांकि उन्होंने राजनीति छोड़न से इनकार किया है.

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. माल्दा (उत्तर) से पार्टी सांसद मौसम बेनजीर नूर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था. दिवंगत कांग्रेस नेता एबीए गनी खान चौधरी की भतीजी नूर ने राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ में ममता बनर्जी से मुलाकात की, जिसके बाद उनके टीएमसी में शामिल होने की घोषणा की ग

सीबीआई V/s बंगाल पुलिस राजीव कुमार के खिलाफ है पर्याप्त आधार: एम. नागेश्वर राव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच बढ़ते तनाव के बीच राज्य पुलिस और सीबीआई के बीच टकराव के हालात देखने को मिले.

कोलकाता: चिटफंड घोटालों के सिलसिले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों की एक टीम को रविवार रात पश्चिम बंगाल पुलिस ने हिरासत में लेकर छोड़ दिया.  इसको लेकर सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव ने कहा, ”हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इन चिट फंड मामलों की जांच कर रहे हैं. कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत के निर्देश से पहले पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ने एसआईटी का गठन भी किया गया था.”

राव ने बताया, ”उनका (राजीव कुमार) सबूतों को नष्ट करने और न्याय में बाधा डालने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने घोटाले से जुड़े सभी सबूतों और दस्तावेजों को जब्त कर लिया है. वे सभी दस्तावेजों को सौंपने में हमारा सहयोग नहीं कर रहे हैं और बहुत सारे सबूत नष्ट हो गए हैं या गायब हो गए हैं.”

हम कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने गए थे
सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि एजेंसी के अधिकारी कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के आवास पर उनसे चिटफंड मामले में पूछताछ करने गए थे और ‘अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते’.

कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने की सीबीआई की कोशिश ने उस समय अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जब उन्हें पुलिस प्रमुख के आवास में प्रवेश करने से रोका गया. इसके बाद सीबीआई के अधिकारियों को पुलिस जीप से थाने ले जाया गया और हिरासत में ले लिया गया.

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इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पुलिस प्रमुख के आवास पर पहुंची और केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया. जैसे को तैसा का कदम उठाते हुए कोलकाता के पुलिस अधिकारियों की एक टीम सीजीओ परिसर पहुंची. यहां सीबीआई का राज्य मुख्यालय है.

कोलकाता में पुलिस ने सभी सीबीआई अफसर छोड़े, CBI दफ्तरों पर सीआरपीएफ तैनात
तेजी से हो रहे इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ हम पुलिस प्रमुख के आवास पर जांच के लिए पहुंचे थे. और अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते.’

उनसे जब पुलिस अधिकारियों द्वारा सीबीआई कार्यालयों की घेराबंदी और उनके खुद के घर की घेराबंदी करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे भी हिरासत में लिया गया और मेरे घर के बाहर पुलिस अधिकारी खड़े हैं.’

कोलकाता पुलिस का बयान
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों को पूछताछ के बाद थाने से जाने दिया गया है. त्रिपाठी ने कहा, ‘‘ उन्होंने कहा कि वह यहां एक गुप्त अभियान के लिए आए थे. हमें नहीं पता कि यह किस तरह का अभियान है.’ बाद में शाम में केंद्रीय बल कोलकाता के सीबीआई कार्यालय पहुंचे, जिसकी घेराबंदी शहर की पुलिस पहले ही कर चुकी है.

कोलकाता पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों की एक टीम बिना किसी कागजात के आई थी, जिसे उन्होंने ‘सीक्रेट’ कहा था. जब प्रवीण त्रिपाठी से पूछा गया कि ऑपरेशन किस बारे में है, तो वे संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं दे सके.

अब वक्‍त आ गया है कि‍ बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाए: अधीर रंजन चौधरी

file photo : Adhir Ranjan Choudhary

ममता vs सीबीआई मामले में बंटी कांग्रेस, राहुल समर्थन में तो सांसद बोले-सीएम डाकुओं के साथ राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं.

नई दिल्‍ली पश्‍च‍िम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी सरकार और सीबीआई के बीच छिड़ी जंग के बीच कांग्रेस उलझ गई है. इस मामले में पश्‍च‍िम बंगाल कांग्रेस ने अपनी राय जहां ममता बनर्जी के खिलाफ दी है तो वहीं कांग्रेस आलाकमान बंगाल की सीएम के साथ खड़ा नजर आ रहा है. राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बनर्जी से फोन पर बात की और उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विपक्ष एकजुट है और यह फासीवादी ताकतों को हराएगा. राहुल ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल का घटनाक्रम भारत की संस्थाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा के निरंतर हमलों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर ममता के साथ है.

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कांग्रेस ने कहा कि कोलकाता में सीबीआई की कार्रवाई स्पष्ट तौर पर शक्ति का गलत इस्तेमाल करने और संघीय राजनीति पर ‘हमला’ करने जैसा है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह द्वारा सार्वजनिक तौर पर दी गई ‘धमकी’ के 48 घंटे के भीतर आया है. पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि बनर्जी को लेकर नरेंद्र मोदी और शाह की दुर्भावना काफी जहरीली है. भाजपा और नरेंद्र मोदी राज्य में विवाद पैदा करने के लिए बेचैन हैं.

राज्‍य में कांग्रेस के दिग्‍गज नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच की जा रही है. लेकि‍न ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं. ये कैसा राज्‍य है, जहां भ्रष्‍ट पुलिस अधिकारी के बचाव में वह धरना प्रदर्शन कर रही हैं. अधीर रंजन चौधरी ने कहा अब वक्‍त आ गया है कि‍ बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाए.

अधीर रंजन चौधरी तृणमूल के कट्टर आलोचक
अधीर रंजन चौधरी ने तो साफ कर दिया है कि भले उनकी पार्टी आलाकमान की कुछ भी सोच हो, लेकिन वह सोचते हैं कि इस मामले में ममता बनर्जी गलत हैं, क्‍योंकि वह अपनी आंखों से रोजाना प्रदेश में गलत होता देख रहे हैं. बता दें कि अधीर रंजन चौधरी ही वह नेता हैं, जो कांग्रेस और तृणमूल के गठबंधन के सबसे ज्‍यादा खिलाफ हैं.