लोकसभा चुनाव में वामदलों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है.
कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी लालू नहीं मिले
कन्हैया कुमार का राजनाइटिक भविष्य तो यहीं तय हो गया की बेगूसराय सीट पर उन्हे अपने दम पर ही लड़ना होगा क्योंकि राज्य परिषद की उनकी उम्मीदवारी पर भी ग्रहण लगता दीख पड़ता है।
बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में अकेले(अपने दम खम पर) चुनाव लड़ेंगे
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के सहारे बिहार में खुद को पुर्नजीवित करने की वामदलों, खासकर सीपीआई और सीपीएम, की रणनीति दम तोड़ती नजर आ रही है. भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि महाभारत 2019 में सीपीआई और सीपीएम की भागीदारी की उन्हें कोई जरूरत नहीं है.
सीपीआई के एक कद्दावर नेता ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘लोकसभा चुनाव में हमलोगों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है. वो नहीं चाहते हैं कि वामदल फिर से बिहार में जिंदा होकर अपने पैरों पर चल सकें.’
पिछले दो सप्ताह से बिहार के वामदलों के कई शीर्ष नेता लालू यादव से मिलने का अथक प्रयास कर रहे हैं. यहां तक कि सीपीआई के मूर्धन्य नेता रहे कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने उन सभी से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
सीपीआई के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने बातचीत में स्वीकार किया, ‘लालू यादव से मिलने के लिए बीते दो शनिवार को हमलोगों ने अर्जी लगाई थी लेकिन सफलता नहीं मिली’.
इसी बीच सीपीआई की बेगूसराय जिला कार्यकारिणी ने 16 फरवरी को सर्वसम्मति से कन्हैया कुमार का नाम चुनाव लड़ने के लिए फाइनल करके राज्य परिषद को भेज दिया है. समझा जाता है कि इस सप्ताह कन्हैया कुमार के अलावा और 4 सीटों के लिए उम्मीदवारों का नाम राज्य परिषद अनुमोदन करके नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी को अंतिम मुहर लगाने के लिए भेज देगी.
स्टेट सेक्रेटरी सत्यनारायण सिंह तथा सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सदस्य राम नरेश पांडेय ने बतौर पर्ववेक्षक बेगूसराय जिला परिषद की बैठक में शिरकत की थी. सत्यनाराण सिंह का कहना है कि किसी सूरत में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई लड़ेगी. कन्हैया कुमार ही उम्मीदवार होंगे. वैसे कुछ दिन पहले बयान जारी कर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.
कन्हैया कुमार को बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाए जाने और वामदलों को महागठबंधन में उचित स्थान देने के सवाल पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी तथा सीपीआई नेता डी राजा भी क्रमशः जनवरी 12 और 19 को रांची जेल में लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि डी राजा ने आरजेडी सुप्रीमो से रिक्वेस्ट की कि बेगूसराय को जोड़कर कम से कम तीन सीट सीपीआई के लिए छोड़ दें. उसी तरह सीताराम येचुरी ने बिहार के राजनीतिक क्षितिज पर आईसीयू में सांस ले रही अपनी पार्टी के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग की है.
महागंठबधन से जुड़े एक नेता का कहना है, ‘हमारे कुनबे में चुनावी जंग में भागीदारी के लिए उसी पार्टी और नेता को तरजीह दी जाती है जिसके घर में या तो ‘लक्ष्मी’ का वास हो या फिर पॉकेट में वोट का जखीरा हो. जगजाहिर है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में बिहार में वाम दलों के पास इन दोनों संसाधनों में से कोई पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है.
हां, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन यानी माले के पीछे अच्छा खासा जन समर्थन है. इसीलिए हमारे नेता लालू यादव के दिल में इनके प्रति स्नेह का भाव है. हो सकता है कि आरा की लोकसभा सीट माले के खाते में चली जाए. 1989 चुनाव में माले के रामेश्वर प्रसाद ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था. माले का अपना मजबूत आधार वोट है.’
चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव प्रत्येक शनिवार को तीन लोगों से मुलाकात करते हैं. 16 फरवरी को आरजेडी चीफ अपने छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मिले. काफी देर तक बातचीत हुई. लेकिन अर्जी लगने के बाद भी वामदलों के नेताओं से मिलने से मना कर दिया.
कयास लग रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो ने तेजस्वी यादव को आरजेडी कोटे से किस सीट पर कौन व्यक्ति चुनाव लड़ेगा इसकी सूची दे दी है. यह भी चर्चा में है कि जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने उत्तराधिकारी पुत्र को यह भी बता दिया है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी, बीएसपी और हम सेकुलर पार्टियों को कौन सीटें दी जाएंगी.
बहरहाल, महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों की बटवारे की घोषणा इस महीने के अंतिम सप्ताह में की जानी की पूरी संभावना है. वैसे आरजेडी के एक नेता ने बताया कि एनडीए की सूची आने तक हमलोगों द्वारा इंतजार किया जा सकता है. जो भी हो, लेकिन एक बात तो लगभग क्लियर हो गई है कि वामदलों के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है.
ऐसी परिस्थति में बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में एकला तलवार भाजेंगे. कुछ सीटों पर आपसी तालमेल कर सकते हैं. वैसे जानकारी के लिए पड़ोसी राज्य झारखंड में भी महागठबंधन ने वामदलों को लोकसभा की कुल 14 सीटों में से एक सीट भी नहीं दी है, जिसे लेकर वामदलों में नाराजगी है.
वामदल की नाराजगी को दूर करने के लिए झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ने 16 फरवरी को कहा, ‘विधानसभा चुनाव में हमलोग लेफ्ट पार्टियों को उचित जगह और सम्मान देंगे.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Yechury.jpg300600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 04:42:402019-02-20 04:42:44छतीसगढ़ की तरह बिहार में भी महागठबंधन में पीछे छूटते वामदल
नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और महंगाई क्षतिपूर्ति में तीन प्रतिशत बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. बढ़ा भत्ता एक जनवरी 2019 से लागू माना जाएगा. इससे केन्द्र सरकार के 1.1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस वृद्धि के बाद महंगाई भत्ता 12 प्रतिशत हो जायेगा. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता तीन प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया है.
महंगाई भत्ता बढ़ने से केन्द्र सरकार के 48.41 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा इस समय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता नौ प्रतिशत है. बढ़ा हुआ भत्ता एक जनवरी 2019 से लागू होगा. महंगाई भत्ता बढ़ने से केन्द्र सरकार के 48.41 लाख कर्मचारियों और 62.03 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा. महंगाई भत्ते की यह वृद्धि 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है. भत्ते में स्वीकार्य फार्मूले के अनुरूप वृद्धि हुई है.
इससे पहले 29 अगस्त 2018 को महंगाई भत्ता बढ़ाया गया था इससे पहले 29 अगस्त 2018 को आर्थिक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को सौगात देते हुए महंगाई भत्ता (DA) दो फीसदी बढ़ा दिया था. उस समय केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता 7 फीसदी मिलता था. जिसे बढ़ाने के बाद 9 फीसदी कर दिया गया था. बता दें, महंगाई भत्ता की गणना कर्मचारी की बेसिक सैलरी के आधार पर होती है. उससे पहले मार्च 2018 में सरकार ने दो फीसदी डीए बढ़ाया था. इसे 5 से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/20091-urjit-arun-jaitley-ians.jpg478849Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 02:44:372019-02-20 05:22:22महंगाई भत्ता बढ्ने से 1.1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशन धारकों को होगा लाभ
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट कर्नल कंवलजीत सिंह ढिल्लन ने आतंकियों को सख्त पैगाम देते हुए कहा, ‘सेना के पास सरेंडर पॉलिसी है और सभी आतंकी सरेंडर कर दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें.’ सनद रहे यह वही बयान है जिसके बाद पाकिस्तानी वज़ीर ने पाँच दिन बाद कैमरे का सामना किया था
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले को लेकर भारतीय सेना ने सख्त चेतावनी दी है. सेना ने बेहद सख्त लहजे में साफ किया कि आतंकियों के पास दो ही विकल्प हैं, या तो वो सरेंडर कर दें या फिर गोलियों के लिए तैयार रहें.
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट कर्नल कंवलजीत सिंह ढिल्लन ने आतंकियों को सख्त पैगाम देते हुए कहा, ‘सेना के पास सरेंडर पॉलिसी है और सभी आतंकी सरेंडर कर दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें.’ ढिल्लन ने आतंकियों के मां-बाप को सलाह देते हुए कहा कि उनके मां-बाप आतंक की राह पकड़ चुके अपने बच्चों को सरेंडर करने के लिए कहें, क्योंकि जो बंदूक उठाएगा वो मारा जाएगा.
लेफ्टिनेंट कर्नल केजेएस ढिल्लन ने जानकारी दी कि सेना ने 100 घंटे से कम समय में पुलवामा आतंकी हमले का बदला ले लिया है. सेना के मुताबिक कश्मीर में जैश का सफाया हो चुका है. पुलवामा में सोमवार को हुई मुठभेड़ में 2 पाकिस्तानी और एक कश्मीरी आतंकी मार गिराए गए हैं. इस साल जैश के 31 आतंकी मार गिराए गए हैं. सेना ने आगे कहा कि जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तानी सेना का ही बच्चा है.
ढिल्लन ने कहा, ‘इस हमले में ISI के हाथ होने की आशंका से इनकार नहीं करते हैं. जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान आर्मी का ही बच्चा है. इस हमले में पाकिस्तानी सेना का 100 फीसदी इनवॉल्वमेंट हैं. इसमें हमें और आपको कोई शक नहीं है.’
गौरतलब है कि 14 फरवरी यानी गुरुवार को पुलवामा में ही सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. इस घटना के बाद सेना और सुरक्षाबल एक्शन में हैं. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. पाकिस्तानी संगठन की तरफ से हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिशें तेज कर दी हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/download-5.jpg145348Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:23:312019-02-19 17:26:44‘सेना के पास सरेंडर पॉलिसी है और सभी आतंकी सरेंडर कर दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें.’ कनवलजीत सिंह ढिललों
शिवाजी भोंसले उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी ने आदिलशाही सल्तनत की अधीनता स्वीकार ना करते हुए उनसे कई लड़ाईयां की थी। शिवाजी को हिन्दूओं का नायक भी माना जाता है। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक कार्य में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वह बड़े ध्यान से करते थे। वर्ष 1674 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ और उन्हें छत्रपति का ख़िताब मिला।
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोसलें और माता का नाम जीजाबाई था। शिवनेरी दुर्ग पुणे के पास है। उनकी माता ने उनका नाम भगवान शिवाय के नाम पर शिवाजी रखा। उनकी माता भगवान शिवाय से स्वस्थ सन्तान के लिए प्रार्थना किया करती थी। शिवाजी के पिताजी शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे, जो कि डेक्कन सल्तनत के लिए कार्य किया करते थे। शिवाजी के जन्म के समय डेक्कन की सत्ता तीन इस्लामिक सल्तनतों बीजापुर, अहमदनगर और गोलकोंडा में थी। शिवाजी अपनी माँ जीजाबाई के प्रति बेहद समर्पित थे। उनकी माँ बहुत ही धार्मिक थी। उनकी माता शिवाजी को बचपन से ही युद्ध की कहानियां तथा उस युग की घटनाओं के बारे में बताती रहती थीं, खासकर उनकी माँ उन्हें रामायण और महाभारत की प्रमुख कहानियाँ सुनाती थीं। जिन्हें सुनकर शिवाजी के ऊपर बहुत ही गहरा असर पड़ा था। इन दो ग्रंथो की वजह से वो जीवनपर्यन्त हिन्दू महत्वो का बचाव करते रहे। इसी दौरान शाहजी ने दूसरा विवाह किया और अपनी दुसरी पत्नी तुकाबाई के साथ कर्नाटक में आदिलशाह की तरफ से सैन्य अभियानो के लिए चले गए। उन्होंने शिवाजी और जीजाबाई को दादोजी कोंणदेव के पास छोड़ दिया। दादोजी ने शिवाजी को बुनियादी लड़ाई तकनीकों के बारे में जैसे कि- घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानेबाजी सिखाई।
शिवाजी महाराज ने वर्ष
1645 में, आदिलशाह सेना को बिना
सूचित किए कोंड़ना किला पर हमला कर दिया। इसके बाद आदिलशाह सेना ने शिवाजी के पिता
शाहजी को गिरफ्तार कर लिया। आदिलशाह सेना ने यह मांग रखी कि वह उनके पिता को तब रिहा करेगा जब वह कोंड़ना का किला छोड़ देंगे। उनके पिता की रिहाई
के बाद 1645 में शाहजी की मृत्यु
हो गई। पिता की मृत्यु के बाद शिवाजी ने फिर से आक्रमण करना शुरू कर दिया।
वर्ष 1659 में, आदिलशाह ने अपने सबसे
बहादुर सेनापति अफज़ल खान को शिवाजी को मारने के लिए भेजा। शिवाजी और अफज़ल खान 10 नवम्बर 1659 को प्रतापगढ़ के किले
के पास एक झोपड़ी में मिले। दोनों के बीच एक शर्त रखी गई कि वह दोनों अपने साथ केवल
एक ही तलवार लाए गए। शिवाजी को अफज़ल खान पर भरोसा नही था और इसलिए शिवाजी ने अपने
कपड़ो के नीचे कवच डाला और अपनी दाई भुजा पर बाघ नख (Tiger’s Claw) रखा और अफज़ल खान से
मिलने चले गए। अफज़ल खान ने शिवाजी के ऊपर वार किया लेकिन अपने कवच की वजह से वह बच
गए, और फिर शिवाजी ने अपने
बाघ नख (Tiger’s Claw) से अफज़ल खान पर हमला
कर दिया। हमला इतना घातक था कि अफज़ल खान बुरी तरह से घायल हो गया, और उसकी मृत्यु हो गई।
इसके बाद शिवाजी के सैनिकों ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया।
शिवाजी ने 10 नवम्बर 1659 को प्रतापगढ़ के युद्ध
में बीजापुर की सेना को हरा दिया। शिवाजी की सेना ने लगातार आक्रमण करना शुरू कर
दिया। शिवाजी की सेना ने बीजापुर के 3000 सैनिक मार दिए, और अफज़ल खान के दो पुत्रों को गिरफ्तार कर लिया। शिवाजी ने बड़ी
संख्या में हथियारों ,घोड़ों,और दुसरे सैन्य सामानों को अपने अधीन कर लिया। इससे शिवाजी की
सेना और ज्यादा मजबूत हो गई, और मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे मुगल साम्राज्य का सबसे बड़ा खतरा
समझा।
मुगलों के शासक औरंगजेब का ध्यान उत्तर भारत के बाद दक्षिण भारत की तरफ गया। उसे शिवाजी के बारे में पहले से ही मालूम था। औरंगजेब ने दक्षिण भारत में अपने मामा शाइस्ता खान को सूबेदार बना दिया था। शाइस्ता खान अपने 150,000 सैनिकों को लेकर पुणे पहुँच गया और उसने वहां लूटपाट शुरू कर दी। शिवाजी ने अपने 350 मावलो के साथ उनपर हमला कर दिया था, तब शाइस्ता खान अपनी जान बचाकर भाग खड़ा हुआ और शाइस्ता खान को इस हमले में अपनी 3 उँगलियाँ गंवानी पड़ी। इस हमले में शिवाजी महाराज ने शाइस्ता खान के पुत्र और उनके 40 सैनिकों का वध कर दिया। शाइस्ता खान ने पुणे से बाहर मुगल सेना के पास जा कर शरण ली और औरंगजेब ने शर्मिंदगी के मारे शाइस्ता खान को दक्षिण भारत से हटाकर बंगाल का सूबेदार बना दिया।
इस जीत के बाद शिवाजी की शक्ति और ज्यादा मजबूत हो गई थी। लेकिन कुछ समय बाद शाइस्ता खान ने अपने 15,000 सैनिकों के साथ मिलकर शिवाजी के कई क्षेत्रो को जला कर तबाह कर दिया, बाद में शिवाजी ने इस तबाही का बदला लेने के लिए मुगलों के क्षेत्रों में जाकर लूटपाट शुरू कर दी। सूरत उस समय हिन्दू मुसलमानों का हज पर जाने का एक प्रवेश द्वार था। शिवाजी ने 4 हजार सैनिकों के साथ सूरत के व्यापारियों को लूटने का आदेश दिया, लेकिन शिवाजी ने किसी भी आम आदमी को अपनी लूट का शिकार नहीं बनाया।
शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया गया जहां उन्हें लागा कि उनको उचित सम्मान नहीं दिया गया है। इसके खिलाफ उन्होंने अपना रोष दरबार पर निकाला और औरंगजेब पर छल का आरोप लगाया। औरंगजेब ने शिवाजी को कैद कर लिया और शिवाजी पर 500 सैनिकों का पहरा लगा दिया। हालांकि उनके आग्रह करने पर उनकी स्वास्थ्य की दुआ करने वाले आगरा के संत, फकीरों और मन्दिरों में प्रतिदिन मिठाइयाँ और उपहार भेजने की अनुमति दे दी गई थी। कुछ दिनों तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। एक दिन शिवाजी ने संभाजी को मिठाइयों की टोकरी में बैठकर और खुद मिठाई की टोकरी उठाने वाले मजदूर बनकर वहा से भाग गए। इसके बाद शिवाजी ने खुद को और संभाजी को मुगलों से बचाने के लिए संभाजी की मौत की अफवाह फैला दी। इसके बाद संभाजी को मथुरा में एक ब्राह्मण के यहाँ छोड़ कर शिवाजी महाराज बनारस चले गए। औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उसकी हत्या विष देकर करवा डाली। जसवंत सिंह ( शिवाजी का मित्र) के द्वारा पहल करने के बाद सन् 1668 में शिवाजी ने मुगलों के साथ दूसरी बार सन्धि की। औरंगजेब ने शिवाजी को राजा की मान्यता दी। शिवाजी के पुत्र संभाजी को 5000 की मनसबदारी मिली और शिवाजी को पूना, चाकन और सूपा का जिला लौटा दिया गया, लेकिन, सिंहगढ़ और पुरन्दर पर मुग़लों का अधिपत्य बना रहा। सन् 1670 में सूरत नगर को दूसरी बार शिवाजी ने लूटा, नगर से 132 लाख की सम्पत्ति शिवाजी के हाथ लगी और लौटते वक्त शिवाजी ने एक बार फिर मुगल सेना को सूरत में हराया।
सन 1674 तक शिवाजी के सम्राज्य का अच्छा खासा विस्तार हो चूका था। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। क्योंकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे उन्होंने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा। बालाजी राव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से समबंद्ध के प्रमाण भेजे जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आया और उन्होंने राज्याभिषेक किया। राज्याभिषेक के बाद भी पुणे के ब्राह्मणों ने शिवाजी को राजा मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद शिवाजी ने अष्टप्रधान मंडल की स्थापना कि। विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया। इस समारोह में लगभग रायगढ़ के 5000 लोग इकट्ठा हुए थे। शिवाजी को छत्रपति का खिताब दिया गया। उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। इस कारण फिर से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। दो बार हुए इस समारोह में लगभग 50 लाख रुपये खर्च हुए। इस समारोह में हिन्दू स्वराज की स्थापना का उद्घोष किया गया था।
शिवाजी के परिवार में
संस्कृत का ज्ञान अच्छा था और संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया गया था। शिवाजी ने इसी
परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने किलों के नाम संस्कृत में रखे जैसे कि- सिंधुदुर्ग, प्रचंडगढ़, तथा सुवर्णदुर्ग। उनके
राजपुरोहित केशव पंडित स्वंय एक संस्कृत के कवि तथा शास्त्री थे। उन्होंने दरबार
के कई पुराने कायदों को पुनर्जीवित किया एवं शासकिय कार्यों में मराठी तथा संस्कृत
भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दिया।
शिवाजी एक कट्टर हिन्दू थे, वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उनके राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी। शिवाजी ने कई मस्जिदों के निर्माण के लिए दान भी दिए था। हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को बराबर का सम्मान प्राप्त था। उनकी सेना में कई मुस्लिम सैनिक भी थे। शिवाजी हिन्दू संकृति का प्रचार किया करते थे। वह अक्सर दशहरा पर अपने अभियानों का आरम्भ किया करते थे।
शिवाजी ने काफी कुशलता से अपनी सेना को खड़ा किया था। उनके पास एक विशाल नौसेना (Navy) भी थी। जिसके प्रमुख मयंक भंडारी थे। शिवाजी ने अनुशासित सेना तथा सुस्थापित प्रशासनिक संगठनों की मदद से एक निपुण तथा प्रगतिशील सभ्य शासन स्थापित किया। उन्होंने सैन्य रणनीति में नवीन तरीके अपनाएं जिसमें दुश्मनों पर अचानक आक्रमण करना जैसे तरीके शामिल थे।
शिवाजी को एक सम्राट के रूप में जाना जाता है। उनको बचपन में कुछ खास शिक्षा नहीं मिली थी, लेकिन वह फिर भी भारतीय इतिहास और राजनीति से अच्छी तरह से परिचत थे। शिवाजी ने प्रशासकीय कार्यों में मदद के लिए आठ मंत्रियों का एक मंडल तैयार किया था, जिसे अष्टप्रधान कहा जाता था। इसमें मंत्रियों प्रधान को पेशवा कहते थे, राजा के बाद सबसे ज्यादा महत्व पेशवा का होता था। अमात्य वित्त मंत्री और राजस्व के कार्यों को देखता था, और मंत्री राजा के दैनिक कार्यों का लेखा जोखा रखता था। सचिव दफ्तरी काम किया करता था। सुमन्त विदेश मंत्री होता था जो सारे बाहर के काम किया करता था। सेनापति सेना का प्रधान होता था। पण्डितराव दान और धार्मिक कार्य किया करता था। न्यायाधीश कानूनी मामलों की देखरेख करता था।
मराठा साम्राज्य उस समय तीन या चार विभागों में बटा हुआ था।
प्रत्येक प्रान्त में एक सूबेदार था जिसे प्रान्तपति कहा जाता था। हरेक सूबेदार के
पास एक अष्टप्रधान समिति होती थी। न्यायव्यवस्था प्राचीन प्रणाली पर आधारित थी।
शुक्राचार्य, कौटिल्य और हिन्दू धर्मशास्त्रों को
आधार मानकर निर्णय दिया जाता था। गाँव के पटेल फौजदारी मुकदमों की जाँच करते थे।
राज्य की आय का साधन भूमिकर था,
सरदेशमुखी से भी
राजस्व वसूला जाता था। पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा की गारंटी के लिए वसूले जाने
वाला सरदेशमुखी कर था। शिवाजी अपने आपको मराठों का सरदेशमुख कहा करते थे और इसी
हैसियत से सरदेशमुखी कर वसूला जाता था।
शिवाजी महाराज ने अपने पिता से स्वराज की शिक्षा हासिल की, जब बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया था तो शिवाजी ने एक आदर्श पुत्र की तरह अपने पिता को बीजापुर के सुल्तान से सन्धि कर के छुड़वा लिया। अपने पिता की मृत्यु के बाद ही शिवाजी ने अपना राज-तिलक करवाया। सभी प्रजा शिवजी का सम्मान करती थी और यही कारण है कि शिवाजी के शासनकाल के दौरान कोई आन्तरिक विद्रोह जैसी घटना नहीं हुई थी। वह एक महान सेना नायक के साथ-साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। वह अपने शत्रु को आसानी से मात दे देते थे।
एक
स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया। जिसे “शिवराई”
कहते थे, और यह सिक्का संस्कृत भाषा में था।
3 अप्रैल, 1680 में लगातार तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद यह वीर हिन्दू
सम्राट सदा के लिए इतिहासों में अमर हो गया, और उस समय उनकी आयु 50 वर्ष थी। शिवाजी महाराज एक वीर पुरुष थे, जिन्होंने अपना पूरा
जीवन मराठा, हिन्दू साम्राज्य के लिए समर्पित कर दिया। मराठा इतिहास में
सबसे पहला नाम शिवाजी का ही आता है। आज महाराष्ट्र में ही नहीं पूरे देश में वीर
शिवाजी महाराज की जयंती बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जाती है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/शिवाजी-महाराज-का-राज्याभिषेक.jpg368768Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:11:212019-02-19 17:11:23शिवाजी भोंसले उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज
मुंबई: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मुंबई के निजी एफएम चैनलों से कहा है कि वे पाकिस्तानी कलाकारों के गीत नहीं बजाएं. राज ठाकरे की पार्टी के एक नेता ने परिधानों के अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों से भी कहा है कि वे पाकिस्तान में बने कपड़े नहीं बेचें. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की महासचिव शालिनी ठाकरे ने कहा कि आतंकवादी हमले के मद्देनजर पार्टी ने यह निर्णय किया है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये एफएम चैनल पाकिस्तानी कलाकारों का संगीत नहीं रोकते हैं तो उन्हें इसका नतीजा भुगतने को तैयार रहना चाहिए.’’
मनसे नेता अखिल चित्रे ने परिधानों के अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को लिखा है और उनसे कहा है कि वे पाकिस्तान में पूरी तरह बने अथवा आंशिक रूप से बने कपड़े नहीं बेचें. उन्होंने कहा, ‘‘हमें पाकिस्तान में बने कपड़े खरीदने की आवश्यकता नहीं है. मैंने कपड़ों के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को ईमेल भेजा है और उनसे इसे रोकने को कहा है.
अगर वे इसका पालन नहीं करते हैं तो उन्हें इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.’’ मनसे की सिने शाखा ने शनिवार को संगीत कंपनियों से कहा था कि वे पाकिस्तानी गायकों के साथ काम न करें. हाल ही में भूषण कुमार की टी सीरीज ने पाकिस्तानी गायकों राहत फतह अली खान और अतिफ असलम के साथ करार किया था. उरी में 2016 में हुए आतंकवादी हमले के बाद मनसे ने भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकारों को देश छोड़ने को कहा था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/download-4.jpg168300Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-18 15:39:092019-02-18 15:39:12मनसे ने एफ़एम चैनलों को पाकिस्तानी कलाकारों के गीत संगीत न बजने की दी सलाह
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जिला के अंतर्गत पड़ने वाले पिंजौर खंड में स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पिंजौर में लिविंग इन द शैडो कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य दंडाधिकारी श्री विवेक गोयल ने मुख्यातिथि के रुप में शिरकत की। श्री गोयल लिविंग इन द शैडो प्रोजैक्ट के तहत एसिड एटैक पीडितों के पुनर्वास को लेकर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यशाला में पैनल अधिवक्ता तथा कानून स्वयं सेवकों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि एसिड अटैक पीडिता को अब 8 हजार रूपए की मासिक सहायता राशि मिलेगी।
उन्होंने कहा कि देश में एसिड अटैक की घटनाओं को देखते हुए हरियाणा सरकार ने वर्ष 2013 में एसिड पीडित महिलाओं को राहत देने एवं उनके पुनर्वास के लिए योजना लागू की है। इसमें 2016 में संशोधन भी किया गया। इसके तहत एसिड पीडितों को तुरंत प्रभाव से सहायता, निशुल्क ईलाज तथा पुनर्वास के लिए मदद दिए जाने का प्रावधान है। इस दौरान एसिड पीडितों को व्यावसायिक शिक्षा देने पर विचार विमर्श किया गया। जब भी कोई पीडिता सामने आती है तो उसके लिए व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी ताकि वे सही ढंग से अपना जीवन यापन कर सके।
सीजेएम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जब भी ऐसे मामले आएं उन्हें सही ढंग से मैडिकल सुविधा उपलब्ध करवाई जाए और उसकी काउंसलिंग करवाई जाए। सरकार द्वारा अनुमोदित अस्पतालों की सूची भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उपलब्ध करवाएं ताकि वहां एसिड प्रभावित महिलाओं का ईलाज करवाया जा सके। लिविंग इन द शैडो कार्यक्रम में एसिड एटैक से संबंधित एक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया। इस जागरुकता कार्यक्रम में स्कूल के 150 से अधिक विद्यार्थियों व अध्यापकों ने भाग लिया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/1-4.jpg34564608Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-18 13:54:462019-02-18 13:58:18एसिड अटैक पीडिता को मिलेगी 8 हजार रूपए की मासिक सहायता राशि- विवेक गोयल
द हेग: इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई में भारत की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए. उन्होंने कहा कि यह मामला विएना संधि का उल्लंघन है. उन्होंने कहा, ”जाधव को बिना काउंसलर (वकील) की सुविधा के लगातार कस्टडी में रखा गया है. इसको गैरकानूनी करार दिया जाना चाहिए.” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान इसको एक प्रोपैंगेडा के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान को अविलंब जाधव को काउंसर की सुविधा प्रदान करनी चाहिए क्योंकि वह ऐसा करने के लिए बाध्य है.
उन्होंने कहा कि 30 मार्च, 2016 को भारत ने जाधव को काउंसलर सुविधा दिलाने का आग्रह पाकिस्तान से किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उसके बाद अलग-अलग तारीखों में 13 बार इस तरह का आग्रह भारत की तरफ से किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि 19 जून, 2017 को भारत ने पाकिस्तान से जांच में सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि जाधव के किसी आतंकी गतिविधि में शामिल होने के संबंध में पाकिस्तान की तरफ से कोई विश्वसनीय सबूत उपलब्ध नहीं कराए गए.
हरीश साल्वे ने कहा कि जाधव की कथित स्वीकारोक्ति बतलाती है कि उनको इसके लिए बाध्य किया गया. भारत ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि पाक सरकार ने सार्क कन्वेंशन को अंगीकार नहीं किया है. इस संधि के तहत आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस बात के लिए पर्याप्त सबूत देना चाहिए कि उसको काउंसलर की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने का वक्त क्यों चाहिए?
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में सोमवार से शुरू हो रही चार दिवसीय सार्वजनिक सुनवाई में भारत और पाकिस्तान जिरह अपना-अपना पक्ष रखेंगे. जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई है. भारत ने कहा है कि जाधव निर्दोष हैं.
विएना संधि का उल्लंघन भारत 48 वर्षीय जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा ‘‘हास्यास्पद मुकदमे’’ में सुनाई गई सजा के खिलाफ मई 2017 में आईसीजे गया था. भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने आठ मई 2017 को आईसीजे से संपर्क कर कहा था कि पाकिस्तान ने जाधव तक राजनयिक संबंधी पहुंच से बार-बार इनकार कर राजनयिक रिश्तों से संबंधित 1963 की विएना संधि का ‘‘घोर उल्लंघन’’ किया है.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों को निपटाने के लिए स्थापित आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 को मामले का निपटारा होने तक जाधव की सजा पर अमल करने से पाकिस्तान को रोक दिया था. आईसीजे ने मामले में सार्वजनिक सुनवाई के लिए 18 से 21 फरवरी तक का समय निर्धारित किया है. यह सुनवाई द हेग, नीदरलैंड स्थित पीस पैलेस में हो रही है.
The Hague (Netherlands): International Court of Justice (ICJ) starts public hearing in Indian National Kulbhushan Jadhav case
पहले भारत पेश करेगा दलीलें भारत पहले 18 फरवरी को अपनी दलीलें पेश करेगा. वहीं, पाकिस्तान को 19 फरवरी को अभिवेदन देने का मौका मिलेगा. इसके बाद 20 फरवरी को भारत उत्तर देगा, जबकि पाकिस्तान 21 फरवरी को अपना समापन अभिवेदन देगा. ऐसी उम्मीद है कि आईसीजे का फैसला 2019 की गर्मियों में आ सकता है. इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने उल्लेख किया था कि जाधव के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत सभी प्रयास करने को प्रतिबद्ध है. कुमार ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली में एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘भारत अदालत में अपना मामला रखेगा.’’
पाकिस्तान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर आईसीजे में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जबकि दक्षिण एशिया मामलों के महानिदेशक मोहम्मद फैसल विदेश विभाग के पक्ष का नेतृत्व करेंगे. सुनवाई से पहले पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनका देश जाधव के मामले में आईसीजे के फैसले को क्रियान्वित करने को लेकर कटिबद्ध है.
पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने जाधव को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से तीन मार्च 2016 को तब गिरफ्तार किया था जब उन्होंने ईरान से प्रवेश किया था. वहीं, भारत का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया जहां वह सेवानिवृत्ति के बाद व्यवसाय करने गए थे. जाधव को सजा सुनाए जाने पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.
पाकिस्तान ने आईसीजे में जाधव तक राजनयिक पहुंच के भारत के आग्रह को खारिज कर दिया था और दावा किया था कि भारत अपने ‘‘जासूस’’ द्वारा एकत्र गई सूचना तक पहुंच बनाना चाहता है. हालांकि, पाकिस्तान ने 25 दिसंबर 2017 को इस्लामाबाद में जाधव से उनकी मां और पत्नी की मुलाकात कराई थी. आईसीजे में यह सुनवाई ऐसे समय में हो रही है जब चार दिन पहले जम्मू कश्मीर में हुए भीषण आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/images-10.jpg163310Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-18 11:09:012019-02-18 11:09:03पाकिस्तान कुलभूषण जाधव एक प्रोपैंगेडा के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है: हरीश साल्वे
बद्दी। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए जवानों की मौत की साजिश रचने वाले पाक आंतकी की तारीफ करने वाले एक युवा छात्र को बददी जिला पुलिस ने हिरासत में लिया है। पूलिस ने इस मामले को पूरी तरह गुप्त रखा क्योंकि जहां पुलवामा हमले से पूरा देश आक्रोशित है वहीं बीबीएन के युवा भी बहुत ज्यादा आक्रोशित है। गौरतलब है कि वेलेंनटाईन वाले दिन पुलवामा में सेना की गाडी में एक कार ने घुसकर विस्फोट कर कर दिया जिससे सेना के काफिले में शामिल 42 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में आरडीएक्स लाकर मानव बम बना फियादीन हमला करने वाला जैश का कमांडो 22 साल का आदिल अहमद डार उर्फ बकास भी मारा गया था। जो कि पिछले साल आंतकी संगठन जैश-ए- मोहमद में शामिल हुआ था। उसने सीमा पार कर पाकिस्तान में कमांडो ट्रेनिंग ली थी। गुरुवार को वह 350 किलो आरडीएक्स से भरी एसयूवी को सीआरपीएफ की बस से जा भिड़ा था। इस भयानक हमले में 42 जवान शहीद हुए थे। जैसे ही इस विस्फोट से भारतीय जवान शहीद हुए बरोटीवाला के निजी विवि के मुस्लिम छात्र ने अपनी फेसबुक प्रोफाईल को अपडेट कर दिया और सरेआम आंतकी आदिल की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा आमीन, अल्लाह आपको जन्नत नसीब करे। किसी ने इस पोस्ट की शिकायत तुरंत पुलिस को करी और बरोटीवाला पुलिस ने भी तुरंत मामले की गंभीरता को समझते हुए इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के छात्र को तुरंत हिरासत में ले लिया। पुलिस ने इसको एंटी नेशनल गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में गिरफतार कर लिया है और तहसीन गुल्ल को किसी सुरक्षित स्थान पर रखा है। बीबीएन का पूरा प्रशासन, सीआईडी, जिला प्रशासन और आईबी सहित तमाम विभाग इस मामले को खंगालने में जुट गए हैं।
सिविल इंजीनिरिंग का छात्र है : वीसी इस संदर्भ में चितकारा विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर वीरेंद्र कंवर से बात की गई तो उन्होने कहा कि हमारे एक सिविल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र तहसीन गुल्ल निवासी जमू कश्मीर हरवर्द को पुलिस पूछ ताछ के लिए ले गई है। उन्होने कहा कि मुझे मामले के बारे में ज्यादा नहीं पता लेकिन यह पता चला कि उसने किसी देश विरोधी पोस्ट को लाईक किया था। हमने उसको तुरंत प्रभाव से विश्वविद्यालय से निकाल दिया है। वहीं दूसरी ओर बददी एसपी बददी रोहित मालपानी ने बताया कि हमारे ध्यान में जैसे ही यह मामला आया तो हमने तुरंत विवि प्रशासन से इस बाबत संपूर्ण जानकारी लिखकर ली और छात्र का पूरा पता व इतिहास खंगाला तो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढावा देने व उसमें संलिप्त पाए जाने पर तहसीन गुल्ल को गिरफ्तार कर लिया गया है। अभी इस मामले में जांच जारी है। पुलिस ने आरोपी का मोबाइल लिया कब्जे मेंं एएसपी नरेश शर्मा ने बताया कि आज तहसीन गुल्ल को कसौली की अदालत में पेश किया जहां से उसको 11 दिन की न्यायिक हिरासत मिली है। अब उसको 28 फरवरी को दोबारा पेश किया जाएगा। उन्होने बताया कि आरोपी का मोबाईल कब्जे में ले लिया है और उसके कमरे की तलाशी के दौरान कुछ संदिग्ध नहीं मिला है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/69.gif551413Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-18 03:23:472019-02-18 03:23:49आतंकी की तारीफ करने वाला काश्मीरी विद्यार्थी शिकंजे में
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी द्वारा पुलवामा में लगाई आग का आक्रोश संपूरण भारत में फैल चुका है, हम रोज़ कहीं न कहीं किसी न किसी जगह से आक्रोश की लहर देखते हैं, सभी भारतीय यह बताने में नहीं चूक रहे की भारत भूमि का हर पत्थर ज्वालामुखी है और हर कनकर एक शोला है, इसी कड़ी में पाकिस्तान के लिए आतंक का पर्याय सूरजपुर से भी पुलवामा विरोध की आवाज़ें उठीं हैं, पाकिस्तान 1971 में सूरजपुर का नाम सुन कर कांप जाता था, आज वहाँ से छोटे छोटे बच्चों ने और बुज़ुर्गों ने पाकिस्तान को ललकारा है। पाकिस्तान याद रखे काश्मीर हमारा है।
राज कुमार, पंचकूला: पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद 44 जवानों के सम्मान मैं सूरजपुर गाँव वार्ड नंबर -6 में कैंडल मार्च निकला गया …
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए गए कायराना आतंकी हमले के खिलाफ देश में हर तरफ आक्रोश का माहौल है। इस बीच देशभर में तमाम जगहों के साथ सूरजपुर गाँव वार्ड नंबर -6 से आतंकी हमले में राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारत मां के वीर सपूतों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए आज कैंडल मार्च निकला गया.
बड़ी तादाद में पहुंचे लोगों ने कैंडल मार्च में हिस्सा लेकर शहीद जवानों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और बाद में 2 मिनट का मौन रखकर पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/pulvama-anger1.jpg9601280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-17 20:31:472019-02-17 20:31:50पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद 44 जवानों के सम्मान में सूरजपुर गाँव वार्ड नंबर -6 में कैंडल मार्च निकला गया
पुलवामा हमले के विरोध में आज शिवसेना हिंदुस्तान चंडीगढ़ ने किया रोष प्रदर्शन पुलवामा हमले में हुए शहीदों को शिवसेना हिंदुस्तान चंडीगढ़,अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद चंडीगढ़, सैक्टर 32 और सैक्टर 15 की मार्किटों कमेटीयों ने अपनी दुकानें बंद करके शहीदों को श्रधांजलि देते हुए रोष प्रदर्शन किया ।
पाकिस्तान व आतंकवाद विरोधी नारे लगाते हुए कैड़ल मार्च साथ एक रोष रैली भी निकाली गई और पाकिस्तान का झंडा भी जलाया गया।
इस रोष प्रदर्शन में पंजाब राज महासचिव व चंडीगढ़ प्रदेश प्रमुख अजय सिंह चौहान, चंडीगढ़ पार्टी सलाहकार ओम फिरोज सिंह, मौली पिंड प्रमुख क्रष्ण चौहान, वार्ड नं 5 से वरेंद्र सिंह विरदी, मौली जागरां से नरेन्द्र जी, सैक्टर 47 से ब्लाक प्रमुख सुरेश यादव, अतंरराष्ट्रीय हिंदू परिषद से पंडित राम बहादुर मिश्रा, चंडीगढ़ प्रमुख विजय सिंह भरद्वाज,मुनिष बक्षी,बलबीर कृष्ण गर्ग,दविजेंदर ड़ोगरा, सैक्टर 15 मार्किट कमेटी प्रमुख व सभी दुकानदार आदि शामिल हुए ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Shivsena-Panchkula4.jpg5811032Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-17 20:12:442019-02-17 20:33:00शिवसेना चंडीगढ़ में पुलवामा के विरोध में पाक झण्डा फूंका
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