जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है


धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं


जनमाष्टमी यानी कृष्ण के जन्म का उत्सव. कृष्ण के जन्म से दो बिल्कुल कड़ियां अलग जुड़ती हैं. एक ओर मथुरा की काल कोठरी है जहां वासुदेव और देवकी जेल में अपनी आठवीं संतान की निश्चित हत्या का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ गोकुल में बच्चे के पैदा होने की खुशियां हैं. कृष्ण के जन्म का ये विरोधाभास उनके जीवन में हर जगह दिखता है. धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं. और समय-समय पर उनके बारे में जो नई कहानियां गढ़ी गईं उन्हें समझना भी किसी समाजशास्त्रीय अध्ययन से कम नहीं है.

अब देखिए वृंदावन कृष्ण की जगह है, लेकिन वृंदावन में रहना है तो ‘राधे-राधे’ कहना है. ऐसा नहीं हो सकता कि आप अयोध्या में रहकर सिया-सिया, लुंबिनी में यशोधरा-यशोधरा या ऐसा कुछ और कहें. यह कृष्ण के ही साथ संभव है. कान्हा, मुरली और माखन के कथाओं में कृष्ण का बचपन बेहद सुहावना लगता है. लेकिन कृष्ण का बचपन एक ऐसे शख्स का बचपन है, जिसके पैदा होने से पहले ही उसके पिता ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली थी. वो एक राज्य की गद्दी का दावेदार हो सकता था तो उसको मारने के लिए हर तरह की कोशिशें की गईं. बचपन के इन झटकों के खत्म होते-होते पता चलता है कि जिस परिवार और परिवेश के साथ वो रह रहा था वो सब उसका था ही नहीं.

कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं. मथुरा के कृष्ण के सामने अलग चुनौतियां दिखती हैं. जिस राज सिंहासन को वो कंस से खाली कराते हैं उसे संभालने में तमाम मुश्किलें आती हैं. अंत में उन्हें मथुरा छोड़नी ही पड़ती है. महाभारत युद्ध में एक तरफ वे खुद होते हैं दूसरी ओर उनकी सेना होती है. वो तमाम योद्धा जिनके साथ उन्होंने कई तैयारियां की होंगी, युद्ध जीते होंगे. अब अगर कृष्ण को जीतना है तो उनकी सेना को मरना होगा. इसीलिए महाभारत के कथानक में कृष्ण जब अर्जुन को ‘मैं ही मारता हूं, मैं ही मरता हूं’ कहते हैं तो खुद इसे जी रहे होते हैं.

महाभारत से इस्कॉन तक कृष्ण

अलग-अलग काल के साहित्य और पुराणों में कृष्ण के कई अलग रूप हैं. मसलन महाभारत में कृष्ण का जिक्र आज लोकप्रिय कृष्ण की छवि से बिलकुल नहीं मिलता. भारतीय परंपरा के सबसे बड़े महाकाव्य में कृष्ण के साथ राधा का वर्णन ही नहीं है. वेदव्यास के साथ-साथ श्रीमदभागवत् में भी राधा-कृष्ण की लीलाओं का कोई वर्णन नहीं है. राधा का विस्तृत वर्णन सबसे पहले ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है. इसके अलावा पद्म पुराण में भी राधा का जिक्र है. राधा के शुरुआती वर्णनों में कई असमानताएं भी हैं. कहीं दोनों की उम्र में बहुत अंतर है, कहीं दोनों हमउम्र हैं.

इसके बाद मैथिल कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति के पदों में राधा आती हैं. यह राधा विरह की ‘आग’ में जल रही हैं. 13वीं 14वीं शताब्दी के विद्यापति राधा-कान्हा के प्रेम के बहाने, शृंगार और काम की तमाम बातें कह जाते हैं. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल से चैतन्य महाप्रभु कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ‘राधे-राधे’ का स्मरण शुरू करते हैं. यह वही समय था जब भारत में सूफी संप्रदाय बढ़ रहा था, जिसमें ईश्वर के साथ प्रेमी-प्रेमिका का संबंध होता है. चैतन्य महाप्रभु के साथ जो हरे कृष्ण वाला नया भक्ति आंदोलन चला उसने भक्ति को एक नया आयाम दिया जहां पूजा-पाठ साधना से उत्सव में बदल गया.

अब देखिए बात कृष्ण की करनी है और जिक्र लगातार राधा का हो रहा है. राधा से शुरू किए बिना कृष्ण की बात करना बहुत मुश्किल है. वापस कृष्ण पर आते हैं. भक्तिकाल में कृष्ण का जिक्र उनकी बाल लीलाओं तक ही सीमित है. कृष्ण ब्रज छोड़ कर जाते हैं तो सूरदास और उनके साथ बाकी सभी कवि भी ब्रज में ठहर जाते हैं. उसके आगे की कहानी वो नहीं सुनाते हैं. भक्तिकाल के कृष्ण ही सनातन परंपरा में पहली बार ईश्वर को मानवीय चेहरा देते हैं. भक्तिकाल के बाद रीतिकाल आता है और कवियों का ध्यान कृष्ण की लीलाओं से गोपियों और राधा पर ज्यादा जाने लगता है. बिहारी भी जब श्रृद्धा के साथ सतसई शुरू करते हैं, तो ‘मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोए’ ही कहते हैं. इन सबके बाद 60 के दशक में इस्कॉन जैसा मूवमेंट आता है जो उस समय दुनिया भर में फैल रहे हिप्पी मूवमेंट के साथ मिलकर ‘हरे कृष्णा’ मूवमेंट बनाता है.

ईश्वर का भारतीय रूप हैं कृष्ण

कृष्ण को संपूर्ण अवतार कहा जाता है. गीता में वे खुद को योगेश्वर भी कहते हैं. सही मायनों में ये कृष्ण हैं जो ईश्वर के भारतीय चेहरे का प्रतीक बनते हैं. अगर कथाओं के जरिए बात कहें तो वे छोटी सी उम्र में इंद्र की सत्ता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जीवन भर युद्ध की कठोरता और संघर्षों के बावजूद भी उनके पास मुरली और संगीत की सराहना का समय है. वहीं वह प्रेम को पाकर भी प्रेम को तरसते रहते हैं. यही कारण है कि योगेश्वर कृष्ण की ‘लीलाओं’ के बहाने मध्यकाल में लेखकों ने तमाम तरह की कुंठाओं को भी छंद में पिरोकर लिखा है. उनका यह अनेकता में एकता वाला रूप है जिसके चलते कृष्ण को हम बतौर ईश्वर अलग तरह से अपनाते हैं.

तमाम जटिलताएं

इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्ण की लीलाओं के नाम पर बहुत सी अतिशयोक्तियां कहीं गईं हैं. बहुत कुछ ऐसा कहा गया है जो, ‘आप करें तो रास लीला…’ जैसे मुहावरे गढ़ने का मौका देता है. लेकिन इन कथाओं की मिलावटों को हटा देने पर जो निकल कर आता है वो चरित्र अपने आप में खास है. अगर किसी बात को मानें और किसी को न मानें को समझने में कठिनाई हो तो एक काम करिए, कथानकों को जमीन पर जांचिए. उदाहरण के लिए वृंदावन और मथुरा में कुछ मिनट पैदल चलने जितनी दूरी है. मथुरा और गोकुल या वृंदावन और बरसाने का सफर भी 2-3 घंटे पैदल चलकर पूरा किया जा सकता है. इस कसौटी पर कसेंगे तो समझ जाएंगे कि कौन-कौन सी विरह की कथाएं कवियों की कल्पना का हिस्सा हैं.

कृष्ण के जीवन में बहुत सारे रंग हैं. कुछ बहुत बाद में जोड़े गए प्रसंग हैं जिन्हें सही मायनों में धार्मिक-सामाजिक हर तरह के परिवेश से हटा दिया जाना चाहिए. राधा के वर्णन जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो महाभारत और भागवत में नहीं मिलती मगर आज कृष्ण का वर्णन उनके बिना संभव नहीं है. इन सबके बाद भगवद् गीता है जो सनातन धर्म के एक मात्र और संपूर्ण कलाओं वाले अवतार की कही बात. जिसमें वो अपनी तुलना तमाम प्रतीकों से करते हुए खुद को पीपल, नारद कपिल मुनि जैसा बताते हैं. आज जब तमाम चीजों की रक्षा के नाम पर हत्याओं और अराजकता एक सामान्य अवधारणा बनती जा रही है. निर्लज्जता, झूठ और तमाम तरह की हिंसा को कथित धर्म की रक्षा के नाम पर फैलाया जा रहा है, ऐसे में कृष्ण के लिए अर्जुन का कहा गया श्लोक याद रखना चाहिए यतः सत्यं यतो धर्मो यतो ह्लीराजर्वं यतः. ततो भवति गोविंदो यतः कृष्णोस्ततो जयः यानी जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है. अंतिम बात यही है कि कृष्ण होना सरस होना, क्षमाशील होना, नियमों की जगह परिस्थिति देख कर फैसले लेना और सबसे ज़रूरी, निरंकुशता के प्रतिपक्ष में रहना है.

Phoolkas threat to quit seems to be attempt to obstruct justice: Congress


Say Capt Amarinder Led Govt Fully Committed To Deliver Justice In Accordance With Law


 

Chandigarh, September 2 ,2018 :

Five senior Cabinet Ministers of Punjab on Sunday condemned AAP leader HS Phoolka’s threat to quit as MLA as an attempt to obstruct the course of justice and said such acts do not behoove a senior leader in a democratic polity like ours.

The ministers, in a statement, said the government was committed to book and punish those indicted by Justice Ranjit Singh Commission through expeditious and thorough investigation, in accordance with the due process of law. The government led by Captain Amarinder Singh was committed to fulfilling its election promise to delivering justice to the innocent victims of the indiscriminate police firing, said the minister, asserting that the guilty would be booked, irrespective of their political affiliation or position.

Phoolka’s ultimatum to book certain individuals in 15 days was a violation of the basic tenets of equity and justice, said the ministers, Navjot Singh Sidhu, Manpreet Singh Badal, Sukhjinder Singh Randhawa, Tript Rajinder Singh Bajwa and Charanjit Singh Channi.

As a senior lawyer himself, Phoolka would be well versed with the needs of equity and justice, said the ministers, urging the AAP leader not to play politics on such a sensitive religious matter. Even the Supreme Court would ordinarily be loath to interfere in a criminal investigation, except in the case of mala fides being involved, since the investigation of an offence is the domain of the police or the investigation agency, which is expected to act impartially, the ministers pointed out.

The unanimous resolution of Punjab Vidhan Sabha for setting up a Special Investigation Team (SIT) to probe the desecration and firing incidents was a sacrosanct directive, which the government was fully committed to implementing, said the ministers. The SIT was in the process of being constituted and would investigate the entire matter in strict accordance with law, said the ministers, adding that carrying out the probe in a free and fair manner, without interference, required that it be allowed to function without pressure.

“Mr. Phoolka should remember that the SIT has been set up to probe the truth behind the desecration of our Holy text. Respect to the Holy Sri Guru Granth Sahib or any other Holy Text such as the Bible, the Geeta or the Quran, itself demands that such a probe be carried out freely and transparently, without any interference, for which the government was also in process of amending the law,” said the ministers, in their joint statement.

Demands for arrest or threats to resign from the Assembly even before the investigation is commenced by the SIT was tantamount to offering the accused ready legal defence of bias and prejudice, said the ministers. They urged all political parties to cooperate to allow the SIT to work freely and fairly, without any pressure.

………. तो क्या 16 सितंबर को फूलका वाकई इस्तीफा देंगे या पलटेंगे?


पंजाब के दाखा से विधायक ने कहा, ‘अगर ये मंत्री 15 सितंबर तक मामला दर्ज करने में असफल रहते हैं तो 16 सितंबर को विधानसभा की सदस्यता छोड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति होऊंगा’


पंजाब के आप विधायक एच एस फूलका ने शनिवार को कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार प्रदेश के कोटकपुरा और बहबलकलां गोलीबारी मामले में अगर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सैनी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती है. तो वह विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे देंगे.

फूलका ने इसके लिए राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों सुखजिंदर सिंह रंधावा, नवजोत सिंह सिद्धू, चरनजीत सिंह चन्नी, मनप्रीत सिंह बादल और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि बादल और सैनी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए.

एसआईटी जांच की मांग

फूलका ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘मैने पांच कैबिनेट मंत्रियों को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है कि बादल और सैनी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. साथ ही इसकी जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जाए. अगर वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें उनके पदों से त्याग पत्र दे देना चाहिए.’

पंजाब के दाखा से विधायक ने कहा, ‘अगर ये मंत्री 15 सितंबर तक मामला दर्ज करने में असफल रहते हैं तो 16 सितंबर को विधानसभा की सदस्यता छोड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति होऊंगा.’ फूलका ने कहा कि बेअदबी पर आई रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा के दौरान इन मंत्रियों के साथ कांग्रेस के अधिकतर विधायकों ने पुलिस की गोलीबारी के मामले में बादल और सैनी को आरोपी बनाने की मांग की थी. लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इनकार कर दिया था.

गौरतलब है कि बेअदबी के मामले में हो रहे विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए 2015 में पुलिस को दोनों स्थानो पर गोली चलानी पड़ी थी. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी.

श्री कृष्ण के नामकरण पर पधारे महर्षि गर्ग ने कुंडली विचार जो भविष्यवाणियाँ कीं वह अक्षरश: सत्य थीं

जगत के पालनहार का कृष्ण अवतार विधि का विधान था और वे स्वयं दुनिया का भाग्य लिखते हैं, उनके भाग्य को कोई नहीं पढ सकता। लेकिन जैसे ही मानव योनि में अवतार आया तो वे संसार के बंधन में पड़ जाता है और इस कारण उसे दुनिया के लोकाचार को भी निभाना पडता है। जन्म से मृत्यु तक सभी संस्कार करने पडते हैं।

इन्हीं लोकाचारों में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर महर्षि गर्ग पधारे और उनका नामकरण संस्कार किया। उनका नाम कृष्ण निकाल कर उनके जीवन की अनेकों भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की थी जो अक्षरशः सही रही। इस आधार पर श्रीकृष्ण की कुंडली में ग्रह क्या बोलते हैं का यह संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया जा रहा है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सोलह कला सम्पूर्ण महान योगी श्रीकृष्ण का नामकरण व अन्नप्राशन संस्कार गर्ग ऋषि ने कुल गुरू की हैसियत से किया तथा कृष्ण के जीवन की सभी भविष्यवाणियां की जो अक्षरशः सही रहीं। भाद्रपद मास की इस बेला पर हम गर्ग ऋषि को प्रणाम करते हैं।

अष्टमी तिथिि की मध्य रात्रि में जन्मे कृष्ण का वृषभ लग्न में हुआ। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में बैठे व गुरू, शनि, मंगल, बुध भी अपनी-अपनी उच्च राशियों में बैठे थे। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में बैठे।

योग साधना, सिद्धि एवं विद्याओं की जानकारी के लिए जन्म जन्म कालीन ग्रह ही मुख्य रूप से निर्भर करते हैं। अनुकूल ग्रह योग के कारण ही कृष्ण योग, साधना व सिद्धि में श्रेष्ठ बने। गुरू अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान पर उच्च राशि में बैठ गुप्त साधनाओं से सिद्धि प्राप्त की तथा पंचमेश बुध ने पंचम स्थान पर उच्च राशि कन्या में बैठ हर तरह की कला व तकनीकी को सीखा।

चन्द्रमा ने कला में निपुणता दी। मंगल ने गजब का साहस व निर्भिकता दी। शुक्र ने वैभवशाली व प्रेमी बनवाया। शनि ने शत्रुहन्ता बनाया व सुदर्शन चक्र धारण करवाया। सूर्य ने विश्व में कृष्ण का नाम प्रसिद्ध कर दिया।

जन्म के ग्रहों ने कृष्ण को श्रेष्ठ योगी, शासक, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, चमत्कारी योद्धा, प्रेमी, वैभवशाली बनाया। श्रीकृष्ण की कुंडली में पांच ग्रह चन्द्रमा, गुरू, बुध, मंगल और शनि अपनी उच्च राशि में बैठे तथा सूर्य व मंगल अपनी स्वराशि में हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धि और विवेक का धनी होता है। यही चन्द्रमा का अति प्रिय नक्षत्र और चन्द्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को जातक मे आकर्षण बढा देती है। ऐसे व्यक्ति सभी को प्रेम देते हैं और अन्य लोगों से प्रेम लेते हैं। श्रीकृष्ण को इस योग ने सबका प्रेमी बना दिया और वे भी सबसे प्रेम करते थे।

जन्म कुंडली का पांचवा स्थान विद्या, बुद्धि और विवेक तथा प्रेम, संतान, पूजा, उपासना व साधना की सिद्धि का होता है। यहां बुध ग्रह ने उच्च राशि में जमकर इन क्षेत्रों में कृष्ण को सफल बनाया तथा राहू के संयोग से बुध ग्रह ने परम्पराओं को तुड़वा ङाला और भारी कूटनीतिकज्ञ को धराशायी करवा डाला।

स्वगृही शुक्र ने उन्हें वैभवशाली बनाया तो वहां उच्च राशि में बैठे शनि ने जमकर शत्रुओं का संहार करवाया। भाग्य व धर्मस्थान में उच्च राशि में बैठे मंगल ने उनका भाग्य छोटी उम्र में ही बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मारकेश व व्ययेश बने मंगल ने धर्म युद्ध कराकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कराया।

अष्टमेश गुरू को मारकेश मंगल ने देख उनके पांव के अगूठे में वार करा पुनः बैकुणठ धाम पहुंचाया। अष्टमेश और मारकेश का यह षडाष्ठक योग बना हुआ है और मारकेश मंगल ग्रह को पांचवी दृष्टि से राहू देख रहा। यह सब ज्योतिष शास्त्र के ग्रह नक्षत्रों का आकलन मात्र है। सत्य क्या था यह तो परमात्मा श्रीकृष्ण ही बता सकते हैं।

Parkash Singh Badal, Sukhbir Singh Badal and Sumedh Singh Saini must be taken into custody for unearthing the truth about who ordered firing: Randhawa

File Photo Of Badals

Chandigarh, September 2, 2018 :

Senior Congress leader and Cabinet Minister, Punjab, S. Sukhjinder Singh Randhawa has reacted strongly to the statement of ex Chief Minister Parkash Singh Badal in which the latter has denied ordering firing on the innocent Sikhs protesting in the aftermath of the sacrilege of Sri Guru Granth Sahib.

S. Sukhjinder Singh Randhawa has asked the ex Chief Minister to make it clear that if he hadn’t ordered firing at behbal kalan and kotkapura then did these orders came from the then Deputy Chief Minister Sukhbir Singh Badal or the then DGP Sumedh Singh Saini.

The congress leader demanded that the trio of   Parkash Singh Badal, Sukhbir Singh Badal and Sumedh Singh Saini must be taken into custody for unearthing the truth about who ordered firing. Questioning senior Badal, S. Randhawa said that if firing orders didn’t came from him then who ordered it.

Expressing astonishment,  S. Randhawa said that the then Chief Minister holds a word with the Faridkot administration and the DGP on phone and he doesn’t orders firing but still the police fires on the innocent Sikhs. He also said that Parkash Singh Badal should first ask his son, who was the Home Minister at that time, that whether or not the firing took place at his orders.

The Congress leader further said that Captain Amarinder Singh doesn’t need a certificate and sermonising from the so called panthic akalis on his credentials as a Sikh. He elaborated that the whole world knows about the deep faith the family of Captain Amarinder Singh has in Sikhism and on the other side the whole Punjab is well aware of the evil designs of the Badal family to further it’s political ends by weakening the panth. So, the Badal conglomerate should first look into its own misdeeds.

S. Randhawa also demanded an explanation from the Shiromani Akali Dal over a statement of Sukhbir Singh Badal appearing today in media in which he has said that the decision of staging a walkout from the Vidhan Sabha during the discussion on Justice Ranjit Singh commission report was taken in a meeting of the core committee of the Shiromani Akali Dal under the leadership of Parkash Singh Badal. He also said that this statement exposes the double standards practiced by the akalis who were citing less speaking time allotted to them as the reason for walkout whereas Sukhbir Singh Badal says that the walkout decision was taken in core committee meeting presided over by Parkash Singh Badal. S. Randhawa said that akali dal cannot dare face the people owing to its gravest sins and is running from facing the people in both inside and outside the Vidhan Sabha.

S. Randhawa also said that now Parkash Singh Badal is presenting his version with false statements but the people of Punjab would not be befooled by these falsehoods.

‘ Yeh Desh Hai Veer Jawano ka’ – the theme logo of PU Youth Festivals

Photo by Rakesh Shah

Chandigarh September 1,  2018

Prof Raj Kumar , Vice Chancellor , Panjab University Chandigarh released the Theme Logo of PU Youth festivals, here today in the Principals Meeting held in the  University. This year,all the Panjab Univesrity Youth Festivals will be dedicated to Indian Military Forces under the theme logo ‘ Yeh Desh Hai Veer Jawano ka’.

Prof Kumar said that there is lot of energy in our youth and we should use this energy for the development of the Nation. He expressed that the youth festivals are the best source to channelize the creativity of our young students. While welcoming, the Vice Chancellor, Dr. Parvinder Singh, DCDC appreciated the efforts of the colleges  for
successful conduct of the these festivals and other recreational activities.

Photo by Rakesh Shah

Dr Nirmal Jaura Director  Youth Welfare informed that twelve Zonal Youth Festivals  will be organised in the various colleges of the university and the final Inter- Zonal Youth Festival will be held at Dasmesh Girls College, Badal Distt. Sri Muktsar Sahib . This University Festival will be inaugurated by the Vice Chancellor Dr Raj Kumar on Oct 30, 2018.

Col G S Chadda Registrar , Principal Gurdeep Sharma , Dr S S Deol , Dr R  K Mahajan , Dr Anita Kaushal , Dr I S Sandhu , Dr S S Sangha , Sh Vikram Nayar FDO , SVC Dr A  S  Aluwaila and Panjab University Senate and Syndicate members were also present in the occasion

The beautiful token of Punjabi Culture Phulkari and Pakhi was presented to the Vice Chancellor

VC-Principals Interface at PU

Photo by Rakesh Shah

photo by: Rakesh Shah

The Vice-Chancellor-Principals’ Interface Meeting of all the affiliated Colleges of Panjab University, Chandigarh under the Chairmanship of Professor Raj Kumar, Vice-Chancellor was held here today at Rajiv Gandhi College Bhawan, Panjab University Chandigarh.

As many as 113 Principals and Conveners and organizing secretaries of PU Zonal Youth & Heritage Festival-2018 from various affiliated colleges were present. Dr. Parvinder Singh, Dean College Development and Controller of examinations accorded a warm welcome to the Vice-Chancellor on his personal behalf and on behalf of the principals of all the affiliated colleges.  He also welcomed the Principals, members of the Senate, Col. G.S. Chadha, Registrar, CA Vikram and Dr. Nirmal Jaura, Director Youth Festival.

The Vice-Chancellor in his Presidential Address,  highlighted the importance of the colleges for the University and assured them that they would collectively try to resolve the issues being faced by them. He said that he would hold quarterly meetings with the Principals.  He shared his vision with the participants and called upon them to take
steps for providing quality education to the students and come up to the expectations of the shareholders. The Vice-Chancellor also released the Logo of the PU Zonal Youth & Heritage Festival-2018.

CA Vikram Nayyar, FDO discussed the issues relating to Financial Grants/Funds/Payments/Honorarium etc. and their redressal mechanism adopted by the University.

Col. G.S. Chadha, Registrar discussed the administrative issues and Redressal mechanism pertaining to PU affiliated colleges.

Prof. A.S. Ahluwalia, Secretary to Vice-Chancellor highlighted the Challenges in Higher Education and said that education has to match global standards so that our students get better employability in the era of globalization.

At the end of the meeting, many issues relating to colleges were highlighted by Principals and suggestions were given for redressal of the grievances.

PU VC meets Finance Minister

Photo by Rakesh Shah

 

Chandigarh September 1,  2018

Panjab University Vice Chancellor Prof Raj Kumar  met   Sh  Arun Jaitley , Minister of Finance and Corporate Affairs yesterday in New Delhi. PU VC  requested for implementation of 7th Pay commission for PU employees.

Prof Kumar also had a meeting with Sh. Gajendra Singh Shekhawat, Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare. He discussed in details about Research and Development of Bio-Fuels and Bio-Diesels to improvise upon agricultural practices in the state of Punjab.They deliberated on introducing newer technology for doing so.On the basis of these discussions, a proposal shall be submitted by PU for suitable grants for three affiliated colleges in Punjab and PU Rural Regional Centre.

With the arrest of youth Chandigarh police successfully solved snatching cases

 

Chandigarh                                                                                                                                                                                        01.09.2018

Chandigarh police achieved a success to work out the snatching case occurred in Sector 22 Chandigarh by the team under the supervision of Sh. Krishan Kumar, SDPO Central Division, lead by SHO-17 and I/C PP-22 with police party by the arrest of accused Varun Chaudhary S/o Suresh Kumar R/o H. No. 17, Type-13 JEF, PGI, Sector-12 Chandigarh Age-21 years alongwith one juvenile
During interrogation of accused Varun Chaudhary, case FIR No. 242 dated 21.07.18 U/s 379,356,411 IPC PS-17 has been worked out with recovery of mobile phone and purse. Both were produced before the Hon’ble court, juvenile was sent to Juvenile home and one day police remand of accused Varun Chaudhary was obtained. During remand he revealed that in the year of 2015 he was arrested in four snatching cases in Chandigarh. He further confessed that he along with said juvenile committed snatchings on a blue color pulsar M/Cycle before the Month of July-2018. They committed 03 snatchings in different Police Stations of Chandigarh and 01 in Phase-6 Mohali (PB). These snatching confessed by him are being verified. M/cycle involved in snatching cases, which in now in accidental condition at Mohali was also taken into police possession. He is on police remand and more recovery or snatching cases could be affected.
Recovered Item:-
Xolo Mobile Phone Duel SIM, Purse & Blue Pulsar M/Cycle
Profile of accused:-
Varun Chaudhary S/o Suresh Kumar R/o H. No. 17, Type-13 JEF, PGI, Sector-12 Chandigarh Age -21 year, Qualification- 12th, Un-married, unemployed.
One Juvenile
Previous History of accused Varun Chaudhary:
FIR No. 34/23.01.15 U/s 356,379,411,34 IPC PS-11
FIR No. 114/16.03.15 U/s 356,379,411,34 IPC PS-11
FIR No. 73/27.02.15 U/s 356,379,411,34 IPC PS-17
FIR No. 94/28.02.15 U/s 356,379 IPC PS-26

Sudha Bhardwaj denies Maharashtra police’s claims, terms letter “concocted”, “fabricated”

Sudha-Bhardwaj


At a press conference in Mumbai on Friday, the Maharashtra Police said that Bharadwaj had written a letter to a certain “Comrade Prakash”.


Activist Sudha Bharadwaj, who was arrested along with four others on 28 August, rejected the Maharashtra Police’s accusation that the accused had “clear links” with Maoists. In a hand-written statement issued on 1 September, Bharadwaj, who is currently under house arrest, said the police had “totally concocted” a letter to implicate her.

“It is a totally concocted letter fabricated to criminalise me and other human rights lawyers, activists and organisations,” the letter read.

Bharadwaj’s statement was shared through her lawyer Vrinda Grover.

At a press conference in Mumbai on Friday, the Maharashtra Police said that Bharadwaj had written a letter to a certain “Comrade Prakash”. The police had also read out passages from seized letters allegedly establishing the links between the Naxals and those arrested.

Bharadwaj, a visiting professor of Law-Poverty and tribal rights at the National Law University (NLU), Delhi, said that the purported letter shown by the police is a “mixture of innocuous”.

She claimed a number of human rights lawyers, activists and organisations were deliberately named to cast a stigma over them, obstruct their work and incite hatred against them.

“I categorically state that I have never given Rs 50,000 to hold any programme in Moga. Nor do I know any Comrade Ankit who is in touch with Kashmiri separatists,” she wrote.

The activist, who is also the general secretary of People’s Union for Civil Liberties (PUCL) in Chhattisgarh, said that she knows Gautam Navlakha as “a senior and respected human rights activist whose name has been mentioned in a manner to criminalise and incite hatred against him”.

Navlakha is journalist and civil rights activist who is also involved with PUCL. He has also served as a convener for International People’s Tribunal for Human Rights and Justice in Kashmir. He was picked up by the Pune Police from New Delhi on the same day as the other four.

Early this week, the police raided the homes of activists and lawyers from five states – Varavara Roa in Hyderabad, Vernon Gonsalves and Arun Ferreira in Mumbai, Bharadwaj in Fariadabad and Navalakha in Delhi. All five were arrested.

Lawyers of the arrested activists slammed the Pune Police for trying to indulge in media trial by publicly sharing sensitive information that is part of investigation.

“What police has done today in the press conference is wrong. Even defence lawyers do not have access to these documents, which the police claim as evidence against accused persons. It is clear that the police is indulging in media trial to put pressure on the judiciary,” Rohan Nahar, lawyer for P Varavara Rao, was quoted as saying by Indian Express.

Vernon Gonsalves’ lawyer Tosif Shaikh, too, backed the “media trial” claim stating that the police does not have strong evidence to prove allegations.

On Friday, ADG (Law and Order), Maharashtra Police, Parambir Singh said at a press conference in Mumbai that the arrests were made only after “we were confident that clear links have been established”.

“Evidence clearly establishes their roles with Maoists,” he said adding that letters exchanged between the activists point to the plotting of a “Rajiv Gandhi-like” incident