मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई कमेटी सभी कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है : राजीव जैन

 

चंडीगढ़, 28 जून – हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने कहा कि अदालत के निर्णय को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई कमेटी सभी कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हितों को लेकर पूरी तरह से गंभीर और संवेदनशील है।

आज सर्व हरियाणा कर्मचारी संघ के बैनर नीचे कर्मचारियों द्वारा पंचकूला में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व सरकार की नियमित पालिसी को रद्द करके 6 माह में नए सिरे से भर्ती के निर्णय पर जताए गए विरोध पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कर्मचारियों के हित में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान में भी अदालत के निर्णय पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई जा चुकी है, जो सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

आगामी 15 अगस्त से गुरुग्राम में 200 लो फलोर नोन एसी बसें चलेंगी।

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चंडीगढ़ 28 जून- गुरुग्राम में सिटी बस सेवा को सुचारू करने के लिए आगामी 15 अगस्त से 200 लो फलोर नोन एसी बसें चलाई जाएंगी। ये बसें शहर के विभिन्न 11 रूटो पर चलेंगी और इनके लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में 450 बस क्यू शैल्टर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस सिटी बस सेवा के लिए गुरुग्राम में तीन बस डिपो-सैक्टर 10, सैक्टर 54 तथा सैक्टर 72 में बनाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगले चरण में मानेसर क्षेत्र में भी सिटी बस का एक डिपो बनाया जाएगा क्योंकि वहां से भी भारी संख्या में सवारियों का आवागमन इन बसों के माध्यम से होता है।

गुरुग्राम का मुख्य बस अड्डा सिही गांव में बनाने की योजना है। उन्होंने बताया कि वहां पर मैट्रो डिपो के साथ बस अड्डे का एक इंटिग्रेटिड प्रोजैक्ट तैयार किया जाएगा।

विजय बंसल ने HMT के हितार्थ दिया सभी दलों के नेताओ को निमंत्रण

विजय बंसल पत्रकार वार्ता में


सेब मंडी का विरोध,एचएमटी में नया उद्योग लगाने की मांग 


पिंजोर जून 28 :

एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक व पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार , विजय बंसल ने 3 जुलाई को एचएमटी बचाओ धरना करने का एलान किया है।विजय बंसल ने भाजपा सरकार द्वारा एचएमटी को बंद करने के विरोध में व इस औद्योगिक प्लांट पर निजी लोगो को फायदा पहुंचाने की नजर से प्रस्तावित सेब मार्किट बनाने के विरोध में तथा उद्योग लगाने की मांग को लेकर धरना देने का निर्णय लिया है।विजय बसंल के नेतृत्व में इससे पूर्व भी हजारो की संख्या में एचएमटी पिंजोर से चंडीगढ़ तक पदयात्रा निकाल कर सरकार के विरुद्ध रोष व्यक्त किया था।एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति का गठन 2016 में किया गया था।गौरतलब है कि विजय बंसल ने सभी दलों के नेताओ को राजनीतिक स्वार्थो से उठकर क्षेत्र को बचाने के लिए व सरकार के विरुद्ध इस धरने में पहुंचने के लिए निमंत्रण दिया है।विजय बंसल ने बताया है कि इस धरने में कांग्रेस,इनेलो समेत अनेक विपक्षी दलों के नेताओ की आने की संभावना है।विजय बंसल के नेतृत्व में 3 जुलाई को एचएमटी बचाओ धरना एचएमटी के बस स्टैंड पर प्रातः 9.30 बजे होगा जहा हजारो की तादाद में स्थानीय निवासी व एचएमटी के कमर्चारी व सेवानिवृत कर्मचारी पहुंचेगे।विजय बंसल ने कहा कि एचएमटी इस क्षेत्र की जीवनरेखा है, और इसे बचाने के लिए सभी को एक मंच कर आकर लड़ाई लड़नी होगी तथा सरकार की जनविरोधीनीतियों के विरुद्ध इस लड़ाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना होगा।विजय बंसल ने स्थानीय निवासियों से आह्वान किया है कि एचएमटी बचाओ धरना में हजारो की तादाद में पहुंच कर सरकार को अपनी एकता का परिचय दे।सरकार द्वारा एचएमटी की जगह पर सेब मंडी लगाने का प्रस्ताव हुआ है, जबकि इस क्षेत्र में सेब की पैदावार ही नही है और यहाँ के किसानो – नोजवानो व स्थानीय निवासियों को इस सेब मंडी से कोई फायदा नही होने वाला जबकि सरकार को यहां कोई बड़ा उद्योग लगाना चाहिए या एचएमटी को पुनः शुरू करके जनहित में कार्य करना चाहिए।एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक विजय बंसल ने कहा कि एचएमटी ट्रेक्टर प्लांट बन्द होने से लाखों का रोजगार खत्म हुआ है जबकि सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते मशीन टूल्स भी बन्द होने के कगार पर है।अब सरकार की मंशा जाहिर है जिसके विरोध में विजय बंसल के साथ हर स्थानीय निवासी,नेता,कार्यकर्ता व कर्मचारी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।

मगहर से होगा 2019 का शंखनाद

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई अपील के साथ संत कबीर को उनके मकबरे पर श्रद्धांजलि और फिर मगहर में होने वाली रैली का बड़ा राजनीतिक महत्व हो सकता है.


साल 2014 में ‘मोक्ष’ की नगरी (वाराणसी) से शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा ने एक नया मोड़ लिया है. प्रधानमंत्री अब पूर्वी उत्तर प्रदेश के कस्बे मगहर से बीजेपी का चुनावी बिगुल फूंकने जा रहे हैं. इस कस्बे को ‘नरक का द्वार’ भी कहा जाता है. उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने राम मंदिर के निर्माण की बात फिर से उठानी शुरू कर दी है. ऐसे में लगता है कि पीएम मोदी ‘सबके विकास’ पर फोकस रखेंगे.

बता दें कि पीएम मोदी आज मगहर के दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री, संत कबीर दास की 500वीं पुण्यतिथि पर उनकी परिनिर्वाण स्थली पर जाकर उनकी मजार पर चादर चढ़ाएंगे. साथ ही वह कबीर अकादमी का शिलान्यास करेंगे. मोदी एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे, जिसे बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर प्रचार की शुरूआत के रूप में देख रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की अपनी हालिया कड़ी में इस ओर इशारा भी दिया. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में 15वीं शताब्दी के मशहूर कवि और संत कबीर दास का जिक्र करते हुए कहा था कि कबीर ने ‘लोगों को धर्म और जाति के विभाजन से ऊपर उठने और ज्ञान को पहचान का एकमात्र आधार बनाने की अपील की थी’.

ऐसे में कई लोगों ने कबीर के लिए पीएम मोदी के ‘अचानक उठे प्यार’ पर सवाल उठाया था, जिसका जवाब इस गुरुवार को होने वाले पीएम मोदी के मगहर दौरे में निहित है.

ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री का यह निर्णय ‘अगड़ी जाति’ के लोगों को परेशान कर सकता है, जो राज्य में बीजेपी का मुख्य वोटबैंक रहे हैं. हालांकि, नदजीक से देखने पर यह फैसला उपचुनाव में मिली हार के बाद बेहद सोच समझ कर उठाया गया प्रतीत होता है. गोरखपुर से सटे संत कबीर नगर जिले में स्थित मगहर धार्मिक मान्यताओं में वाराणसी के विरोधी के रूप में खड़ा दिखता है.

‘वाराणसी के खिलाफ मगहर’ कबीर दास बनाम अगड़ी जाति के हिंदुओं पर प्रभुत्व रखने वालों के बीच विचारों के संघर्ष को दर्शाता है. कबीर ने मगहर में अपनी आखिरी सांस लेने का फैसला किया था, क्योंकि वह ब्राह्मणों द्वारा प्रचारित विश्वास के खिलाफ लड़ना चाहते थे कि ‘मोक्ष’ केवल वाराणसी में ही प्राप्त किया जा सकता है, जबकि मगहर में मरने से व्यक्ति नरक में जाता है.

हिन्दुओं और मुसलमानों  में बराबर रूप में सम्मानित 15वीं शताब्दी के कवि संत कबीर दास का मगहर में एक मकबरा और समाधि है. संत कबीर के अनुयायियों को ‘कबीर पंथी’ के नाम से जाना जाता है, जो मुख्य रूप से दलित और पिछड़ी मानी जाने वाली हिंदू जातियों से आते हैं. उत्तर प्रदेश में वाराणसी से गोरखपुर तक उनका खासा प्रभाव है.

यह माना जाता है कि कबीर के पिता एक मुस्लिम जुलाहे थे और मुसलमानों के बीच भी उनका एक मजबूत अनुयायी वर्ग है. संत कबीर गरीब और दमित लोगों के बीच राजनीति का एक मजबूत प्रतीक हो सकते हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से बसपा और सपा जैसी पार्टियों का समर्थक माना जाता है.

ऐसे वक्त जब 80 संसदीय सीटों वाली यूपी में बीजेपी के लिए परेशानियों का सबब बढ़ रहा है, तो बीजेपी के लिए संत कबीर मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के एक अग्रदूत बन सकते हैं. बीते कुछ महीनों में दलितों के बीच असंतोष और उनके कथित अलगाव से यहां बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ी है.

बीएसपी और एसपी के एकसाथ आने के बाद गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में हुई हार को दलितों और पिछड़ों की नई एकता के रूप में देखा जा रहा है. आलोचकों का मानना है कि फिलहाल बीजेपी के पास इन मुसीबतों के लिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है. इसलिए, संत कबीर दास बीजेपी के लिए खोया आत्मविश्वास हासिल करने का एक संभावित माध्यम हो सकते हैं.

भाजपा हालांकि कबीर को लेकर किसी भी राजनीति से इनकार करती है. पार्टी के महासचिव और एमएलसी विजय बहदुर पाठक कहते हैं, ‘हमारे लिए कबीर दास राजनीति नहीं, बल्कि विश्वास के पात्र हैं. हमारी पार्टी और सरकार ने हमेशा उनके नजरिये का ध्यान रखा है. कबीर ने निराश-हताश लोगों के लिए लड़ाई लड़ी. कुछ ऐसी ही बीजेपी भी है, जो ‘सबका साथ-सबका विकास’ के लिए प्रतिबद्ध है. पाठक साथ ही कहते हैं कि प्रधानमंत्री मगहर में मंच से संबोधन देंगे तो यह “समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने” के हमारे संकल्प को और मजबूत करेगा.

उधर कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं, ‘कबीर पाखंड के खिलाफ लड़े थे और प्रधानमंत्री का पाखंड मगहर में सामने आएगा. लोगों को इस तरह की तिकड़म से बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.’

अमरनाथ यात्रा तेज़ बारिश के चलते 48 ग्नातों तक स्थगित

 

खराब मौसम के चलते अमरनाथ यात्रा स्‍थगित कर दी गई है. पहलगाम बेस कैंप से रवाना होने वाली यात्रा को नन वैन कैंप में रोका गया है. बता दें कि बुधवार शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही है. वहीं मौसम विज्ञान विभाग ने भी अगले 48 घंटों तक बारिश होने का अनुमान लगाया है. ऐसे में यात्रा को आगे बढ़ाना संभव नहीं लग रहा था. बताया जा रहा है कि अब यात्रा सिर्फ तभी शुरू होगी जबकि मौसम सुधर जाएगा. फिलहाल किसी भी यात्री को पवित्र गुफा की ओर जाने की अनुमति नहीं है. गुरुवार को यात्रा का पहला दिन था. यात्रा को पहलगाम और बाल्‍टल रूट्स से होकर गुजरना था.

अमरनाथ यात्रा के लिए शर्द्धालुओं का पहला जत्था जम्मू से गुरुवार सुबह कड़ी सुरक्षा में रवाना हुआ. जम्मू के भगवती नगर स्थित बेस कैंप से बीवीआर सुब्रमण्यम (मुख्य सचिव), बीबी व्यास (राज्यपाल सलाहकार) और विजय कुमार (राज्यपाल सलाहकार) ने जत्थे को झंडा दिखाकर रवाना किया था.  देशभर से करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ गुफा की यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है.

अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं में साधु भी शामिल हैं. यात्रियों का पहला जत्था कश्मीर के दो बेस कैंपों से बालटाल और पहलगाम के लिए रवाना हुआ. तीर्थयात्री अगले दिन पैदल ही 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुफा मंदिर के लिए रवाना होंगे. 40 दिनों तक चलने वाली यात्रा 26 अगस्त को खत्म होगी, जिस दिन रक्षा बंधन भी है. सुरक्षा अधिकारीयों ने कहा कि अभी तक 1.96 लाख तीर्थयात्रियों ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है. इस बार अमरनाथ जाने वाले वाहनों में रेडियो फ्रीक्वेंसी टैग का इस्तेमाल किया जाएगा और सीआरपीएफ का मोटरसाइकिल दस्ता भी सक्रिय रहेगा.

All you need to know about the Amarnath Yatra


The Amarnath Yatra will begin on June 28 and conclude on August 26.


CHANDIGARH: 

The first batch of Amarnath Yatra pilgrims was flagged of from the Bhagwati Nagar camp in Jammu at 04:45 am on June 27 and they will start their journey to the cave shrine from Baltal and Pahalgam routes on June 28. Officials said a total of 1,904 pilgrims including 330 women and 30 children were part of this batch of Amarnath Yatra pilgrims. The Central Reserve Police Force also launched bike-borne quick reaction teams on Tuesday that will not only respond to any attack or sabotage incident on the yatra route but also double up as an ambulance to rescue unwell pilgrims, security personnel or locals.

Here’s all you need to know about the Amarnath Yatra:

Dates of Amarnath Yatra:

They Amarnath Yatra will begin on June 28 and conclude on August 26, coinciding with Raksha Bandhan.

Security at Amarnath Yatra:

Vehicles tagged with electromagnetic chips, bike and bullet-proof SUV police convoys and scores of bullet-proof bunkers have been deployed as part of the “biggest-ever” security blanket thrown to secure pilgrims undertaking the Amarnath Yatra.

Over 40,000 armed CRPF and state police personnel have virtually dotted the yatra routes from Jammu via Pahalgam and Baltal– with their overwhelming presence in armoured vehicles.

Helicopter service:

The advance online booking for Amarnath Yatra helicopter tickets began on April 27, 2018. Pilgrims could book the tickets through the websites of the heli-operators with which the arrangements had been finalised – UTAir India Private Limited and Global Vectra Helicorp Limited for the Neelgrath-Panjtarni-Neelgrath sector and Himalayan Heli Services Private Limited for the Pahalgam-Panjtarni-Pahalgam sector. The helicopter service can be availed at Rs. 1,600 for one way for Neelgrath-Panjtarni and Rs. 2,751 for Pahalgam-Panjtarni route.

Route of Amarnath Yatra:

The devotees start their Amarnath yatra from Srinagar or Pahalgam on-foot and take one of the two possible routes. The shorter but steeper trek via Baltal, Domial, Barari and Sangam is 14 km long and allows people to take a round trip in 1-2 days. This Amarnath Yatra route is considered more favourable for returning.  It is steep hence, difficult to climb.

The longer Amarnath yatra route via Pahalgam is generally preferred by most of the devotees. The length of the trek varies from 36 to 48 km. The trek usually takes 3-5 days one way. The Amarnath route is much wider than the Baltal trek and slopes gradually.

Registration process of Amarnath Yatra:

Registration and issue of yatra permit is done on first-come-first-serve basis. Travellers can get themselves registered at 440 designated bank branches of the Punjab National Bank, Jammu and Kashmir Bank and YES Bank in 32 states and Union Terriories across the country.

COMMENT

Total number of registrations for Amarnath Yatra:

Over two lakh pilgrims have registered for the annual pilgrimage to the 3,880 metre high cave shrine of Amarnath in south Kashmir Himalayas till now. Last year, over 2.6 lakh people registered for the annual pilgrimage.

अमरनाथ यात्रा और उसके पड़ाव

अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर  शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई १६ मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है।अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है।चंद्रमा घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।

जनश्रुति प्रचलित है कि इसी गुफा में माता पावती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी, जिसे सुनकर सद्योजात शुक-शिशु शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गये थे। गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई दे जाता है, जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी बताते हैं। वे भी अमरकथा सुनकर अमर हुए हैं। ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों को जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव पार्वती अपने प्रत्यक्ष दर्शनों से निहाल करके उस प्राणी को मुक्ति प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने अद्र्धागिनी पार्वती को इस गुफा में एक ऐसी कथा सुनाई थी, जिसमें अमरनाथ की यात्रा और उसके मार्ग में आने वाले अनेक स्थलों का वर्णन था। यह कथा कालांतर में अमरकथा नाम से विख्यात हुई।

कुछ विद्वानों का मत है कि भगवान शंकर जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चन्दन को  चंदनबाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टाप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था। ये तमाम स्थल अब भी अमरनाथ यात्रा में आते हैं। अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गडरिए को चला था। आज भी चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को मिलता है। आश्चर्य की बात यह है कि अमरनाथ गुफा एक नहीं है। अमरावती नदी के पथ पर आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। वे सभी बर्फ से ढकी हैं।

 

शेषनाग झील

 चंदनबाड़ी

पिस्सू टॉप

अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से। यानी कि पहलमान और बलटाल तक किसी भी सवारी से पहुँचें, यहाँ से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल १४ किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। इस मार्ग से जाने वाले लोग अपने जोखिम पर यात्रा करते है। रास्ते में किसी अनहोनी के लिए भारत सरकार जिम्मेदारी नहीं लेती है।

पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर है। यह विख्यात पर्यटन स्थल भी है और यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है। पहलगाम तक जाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर्यटन केंद्र से सरकारी बस उपलब्ध रहती है। पहलगाम में गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा यहीं से आरंभ होती है।

पहलगाम के बाद पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं बिताते हैं। यहाँ रात्रि निवास के लिए कैंप लगाए जाते हैं। इसके ठीक दूसरे दिन पिस्सु घाटी की चढ़ाई शुरू होती है। कहा जाता है कि पिस्सु घाटी पर देवताओं और राक्षसों के बीच घमासान लड़ाई हुई जिसमें राक्षसों की हार हुई। लिद्दर नदी के किनारे-किनारे पहले चरण की यह यात्रा ज्यादा कठिन नहीं है। चंदनबाड़ी से आगे इसी नदी पर बर्फ का यह पुल सलामत रहता है।

चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर दूर शेषनाग में अगला पड़ाव है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला और खतरनाक है। यहीं पर पिस्सू घाटी के दर्शन होते हैं। अमरनाथ यात्रा में पिस्सू घाटी काफी जोखिम भरा स्थल है। पिस्सू घाटी समुद्रतल से 11,120 फुट की ऊँचाई पर है। यात्री शेषनाग पहुँच कर ताजादम होते हैं। यहाँ पर्वतमालाओं के बीच नीले पानी की खूबसूरत झील है। इस झील में झांककर यह भ्रम हो उठता है कि कहीं आसमान तो इस झील में नहीं उतर आया। यह झील करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बाई में फैली है। किंवदंतियों के मुताबिक शेषनाग झील में शेषनाग का वास है और चौबीस घंटों के अंदर शेषनाग एक बार झील के बाहर दर्शन देते हैं, लेकिन यह दर्शन खुशनसीबों को ही नसीब होते हैं। तीर्थयात्री यहाँ रात्रि विश्राम करते हैं और यहीं से तीसरे दिन की यात्रा शुरू करते हैं।

शेषनाग से पंचतरणी आठ मील के फासले पर है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे को पार करना पड़ता हैं, जिनकी समुद्रतल से ऊँचाई क्रमश: 13,500 फुट व 14,500 फुट है। महागुणास चोटी से पंचतरणी तक का सारा रास्ता उतराई का है। यहाँ पांच छोटी-छोटी सरिताएँ बहने के कारण ही इस स्थल का नाम पंचतरणी पड़ा है। यह स्थान चारों तरफ से पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चोटियों से ढका है। ऊँचाई की वजह से ठंड भी ज्यादा होती है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से तीर्थयात्रियों को यहाँ सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते हैं।

अमरनाथ की गुफा यहाँ से केवल आठ किलोमीटर दूर रह जाती हैं और रास्ते में बर्फ ही बर्फ जमी रहती है। इसी दिन गुफा के नजदीक पहुँच कर पड़ाव डाल रात बिता सकते हैं और दूसरे दिन सुबह पूजा अर्चना कर पंचतरणी लौटा जा सकता है। कुछ यात्री शाम तक शेषनाग तक वापस पहुँच जाते हैं। यह रास्ता काफी कठिन है, लेकिन अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहुँचते ही सफर की सारी थकान पल भर में छू-मंतर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।

बलटाल से अमरनाथ– जम्मू से बलटाल की दूरी 400 किलोमीटर है। जम्मू से उधमपुर के रास्ते बलटाल के लिए जम्मू कश्मीर पर्यटक स्वागत केंद्र की बसें आसानी से मिल जाती हैं। बलटाल कैंप से तीर्थयात्री एक दिन में अमरनाथ गुफा की यात्रा कर वापस कैंप लौट सकते हैं।

तेजस्वी की आय और संपतियां करोड़ों की और टैक्स शून्य : सुशिल मोदी


मोदी ने कहा ‘तेजस्वी ना सिर्फ 750 करोड़ का मॉल बनवा रहे हैं बल्कि करोड़ों का लोहे का व्यापार भी कर रहे हैं.’


बिहार में राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. एक तरफ सुशील और दूसरी तेजस्वी यादव. सुशील मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मोदी ने तेजस्वी पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है.

सुशील मोदी ने कहा ‘तेजस्वी एक लारा एंड सन्स नामक कंपनी, जिंदल एंड सन्स के हैंडलिंग और स्टोरेज एजेंट के रूप में चला रहे थे. तेजस्वी ने चुनाव आयोग को दिए एफिडेफिट में भी गलत जानकारी दी है और फ्रॉड करते हुए VAT रिटर्न में भी अपना टर्नओवर शून्य दिखाया है.’

मोदी ने कहा ‘तेजस्वी ना सिर्फ 750 करोड़ का मॉल बनवा रहे हैं बल्कि करोड़ों का लोहे का व्यापार भी कर रहे हैं.’

मोदी ने सवाल उठाया ‘लोहा और स्टील के जिंदलकंपनी के हैंडलिंग एजेंट के तथ्यों को आजतक छुपाया क्यों गया. चुनाव आयोग को दिए गए संपत्ति के ब्यौरे में इस जमीन और व्यापार का उल्लेख क्यों नहीं किया गया.’

उन्होंने कहा ‘तेजस्वी यादव जिंदल कंपनी के एजेंट के रूप में करोड़ों का व्यापार करते रहे लेकिन VAT के रिटर्न में टर्नओवर शून्य दिखाते रहे. साथ में तेजस्वी यादव सिर्फ 22 साल की उम्र में लारा सन्स जैसी कंपनी के मालिक कैसे बन गए?’

सरकारी कर्मचारी अब नहीं कर सकेंगे दूसरा विवाह


क्या यह नियम 4 शादियों की धार्मिक आज़ादी पर अदृश्य वार तो नहीं


सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट मीटिंग हुई. इस बैठक में कुल 17 प्रस्ताव पास हुए. सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने सरकार के फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किया गया है.

नए नियमों के मुताबिक, क्लर्क, एकाउंटेंट, कॉन्फिडेंशियल असिस्टेंट दूसरी शादी नहीं कर सकते. ये दूसरे जीवनसाथी के साथ लिव-इन में भी नहीं रह सकते हैं. सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि पहले भी इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, कॉन्स्टेबल आदि के लिए नियमों में बदलाव किया जा चुका है.

इसके अलावा योगी सरकार ने प्रदेश में सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना दोबारा कराने की मंजूरी दे दी है. सरकार का तर्क है कि 2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना यानी SECC की गई थी. इस सर्वे मे ये सामने आया कि सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं में कई लोग छूट रहे हैं. बाकी लोगों को भी कल्याणकारी योजनाओं में शामिल करने के लिए यह सर्वे बेहद जरूरी है.

इसमें मुख्य रूप से दो बिंदु हैं. पहला अगर पर्सनल लॉ आपको दूसरी शादी की इजाजत नहीं देता है तो यह नियम लागू होगा. अगर पर्सनल लॉ दूसरी शादी की मंजूरी देता है तो यह नियम लागू नहीं होगा.

कैबिनेट के अहम फैसले 

-जेई और एईएस बीमारी के लिए ‘मुख्यमंत्री आरओ पेयजल योजना’ के तहत गोरखपुर और बस्ती मंडल के सात जिलों, बुंदेलखंड के सात जिलों में 25 लीटर क्षमता का आरओ लगाया जाएगा. सभी प्राथमिक विद्यालयों में 71.5 करोड़ का खर्च आएगा. पांच साल के लिए ठेके दिए जाएंगे.

– पुलिस के मैनुअल में संशोधन किया गया है. अब क्लर्क, एकाउंटेंट, कॉन्फिडेंशियल असिस्टेंट ये सभी दूसरी शादी नहीं कर सकते या दूसरे जीवनसाथी के रूप में लिव-इन पार्टनर नहीं रख सकते.

-2017-18 की योजना में अब विभागों को कैबिनेट के जरिए प्रस्ताव पास कराना होगा. कौशल विकास मिशन और प्राविधिक शिक्षा विभाग ने बुधवार को अनुमोदन लिया.

-कैग की रिपोर्ट के लिए कैबिनेट ने अनुमोदन दिया.

-डॉ. राम मनोहर लोहिया के दोनों चिकित्सालयों का विलय कर उन्हें एम्स की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. राज्यपाल को इसे पुर्नविचार के लिए भेजा है. इसी के तहत अब इसमें संशोधन किया जाएगा. अब इसके वाइस चांसलर राजपाल होंगे.

– पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के प्रक्षिक्षण के लिए, सरकार ने अब ओबीसी को भी इसमें जोड़ा है. इसमें कारीगरी से लेकर इलेक्ट्रिशियन सिक्योरटी गार्ड जैसे काम का प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही इन्हें लोन भी दिलवाया जाएगा.

– शामली में बेहतर बिजली के लिए 400 किलोवाट का सब स्टेशन 738.61 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा. इससे मुजफरनगर, शामली व मेरठ जिला कवर होगा.

– 2013 में निर्णय किया गया था कि पॉवर कम्पनी की शेल तैयार की जाय. सोनभद्र पावर कम्पनी शेल कंपनी बनाई गई थी, जो खत्म कर दी गई है.

– ग्राम सभा की जमीन सर्किल रेट के आधार पर अब औद्योगिक विभाग को दी जा सकेगी.

– 1000 करोड़ तक का कोई भी पीपीपी मॉडल प्रोजेक्ट लगाना चाहते हैं तो टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत विभाग सीधे ऐसा कर सकता है.

– दो करोड़ 40 लाख तक अब विधायकों को विकास निधि मिलेगी, जिसमें 40 लाख तक जीएसटी में जाएगा.

–  मगहर में विकास के लिए 250 लाख की धनराशि दी गई थी. अब इसका विकास सोसाइटी के तहत किया जाएगा. सरकार ने इसमें चार संस्थाओं को रजिस्टर्ड किया है, एक पुस्तकालय भी इसके अन्तर्गत अब बनेगा.

– उच्च न्ययालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश के स्पाउस या विधवा पत्नी, पति के लिए भत्ते की धनराशि बढ़ा दी गई है. इसे अब 20 हजार और 15 हजार कर दिया गया है. पहले यह 14 हजार थी. इसी के साथ उच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश की मृत्यु उपरांत परिवार को सहायता राशि प्रतिमाह 10 हजार और 7500 रुपया कर दिया गया है.

– मिर्जापुर के विंध्यांचल में विकास कार्य नहीं हो पा रहा था. यहां पर विंध्यांचल विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है, इसमें 68 गांव भी शामिल किए गए हैं.

– पूर्वांचल एक्सप्रेस योजना में आरएफपी, आरएफक्यू आया है, जिसे 36 महीनों में बनाया जाएगा. अगर 30 माह में बन जाएगा तो उसे सरकार छूट देगी. पहले पेनाल्टी लगाने की बात कही गई थी, जिसे अब रिलेक्स किया गया है.

– 2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना यानी एसईसीसी की गई थी. इस सर्वे मे ये सामने आया कि सरकार की तमाम कल्याण कारी योजनाओं में कई लोग छूट जा रहे हैं. जो लोग छूट गए हैं. उनके लिए ग्राम विकास के माध्यम से दोबारा सर्वे करने को कहा गया है. साथ ही तीन माह के अंदर लाभ मिलेगा सभी योजनाओं में लाभ दिया जाएगा.

– उत्तर प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों को अब यूपी के सभी सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई है. राजकीय चिकित्सालयों में इन्हें और इनके परिवार को मुफ्त चिकित्सा की सुविधा दी गई है.

इसके इलावा आज योगी कैबिनेट ने 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे मुख्यसचिव राजीव कुमार को विदाई दी और उन्हें नौकरशाही के कुशल नेतृत्व के लिए बधाई और धन्यवाद ज्ञापित किया. मुख्य सचिव की हैसियत से राजीव कुमार की यह आख़िरी कैबिनेट मीटिंग थी.

University Grants Commission V/s Higher Education Commission

Shri Prakash Javadekar Union Minister for Human Resource Development,


Will this step help curb corruption or will increase it manyfolds???


NEW DELHI:

The University Grants Commission is all set to give way to the Higher Education Commission of India (Repeal of University Grants Commission Act) Act 2018, which the government is branding as the “end of inspection raj.”

The ministry of human resource development (MHRD) has uploaded the draft of the Act, which provides for establishing the HECI by repealing the UGC Act, 1956, on its website on Wednesday evening. The government is inviting feedback from the public.

The ministry has prepared a draft Act for repeal of UGC and setting up of the commission, whose mandate would be to improve academic standards with a specific focus on learning outcomes, evaluation of academic performance by institutions, mentoring of institutions, training of teachers and promoting the use of educational technology, among others. Unlike UGC, HECI will not have grant functions and would focus only on academic matters. The ministry will deal with the grant functions.

The idea is to downsize the scope of regulation with “no interference in the management issues of the educational institutions,” according to a senior government official.

The proposed commission will have 12 other members appointed by the central government, apart from the chairperson and vice-chairperson. The members would include secretaries of higher education, ministry of skill development and entrepreneurship and department of science and technology, as well as the chairpersons of AICTE and NCTE and two serving vice chancellors, among others.

According to the draft, the functions of the commission include steps for promoting the quality of an academic instruction and maintenance of academic standards, specifying learning outcomes for courses of study in higher education, laying down standards of teaching, assessment, research and evaluating the yearly academic performance of higher educational institutions, as well as putting in place a robust accreditation system for evaluation of academic outcomes by various HEIs, mentoring of institutions found to be failing in maintaining the required academic standards and ordering those institutions to be closed that fail to adhere to the minimum standards as long as it does not affect the student’s interest or those that fail to get accreditation within the specified period, among others.

Educationists, stakeholders and others can furnish their comments and suggestions by July 7, 2018, until 5 pm.