कांग्रेस की स्थिति ऐसी कि ‘माया मिली न राम’: नक़वी


नकवी ने कहा, मोदी सरकार ने पहले दिन से ही गांव, गरीब, किसान, महिलाओं और युवाओं को ध्यान में रखकर काम किया है


केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, ‘कमरे में टोपी और सड़क पर तिलक, एक तरफ धर्म निरपेक्षता का चोला और दूसरी तरफ सांप्रदायिकता का झोला, ये कांग्रेस जैसी ग्रांड ओल्ड पार्टी की ब्रांड न्यू पहचान बनी हुई है.’

नकवी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, ‘स्थिति ये है कि न माया मिली और न राम.’ पीएम मोदी पर निशाना साधने वाले नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए नकवी ने कहा, ‘जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कांग्रेस के नेता कर रहे हैं, उससे उनकी मानसिक स्थिति पता लगती है.’

नकवी ने कहा, ‘मोदी सरकार ने पहले दिन से ही गांव, गरीब, किसान, महिलाओं और युवाओं को ध्यान में रखकर काम किया है जिससे देश का विकास हो. इसके अलावा बीते साढ़े चार सालों में 32 करोड़ 80 लाख बैंक खाते खोले गए हैं.’

केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए नकवी ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के हर हिस्से को मिला है. हम भारत को विश्व गुरू बनाने के रास्ते पर आगे ले जा रहे हैं. समावेशी-सर्वस्पर्शी विकास भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रनीति है.


Room me topi, aur road pe tilak. Ek taraf dharm nirpekshata ka chola aur dusri taraf sampradayikta ka jhola- ye Congress jo grand old party hai uski brand new pehchan bani hui hai. Stithi ye hai ki na maya mili na Ram: Union Minister Mukhtar Abbas Naqvi

CBI got nod to sue, Chidambram got bail extended till 18 Dec


Besides Mr. Chidambaram, sanction is required for the prosection of five public servants.


The sanction required to prosecute former Union Minister P. Chidambaram in the Aircel-Maxis case has been obtained from the authorities concerned, the CBI told a court on November 26.

The court, which further extended the protection from arrest to Mr. Chidambaram and his son Karti till December 18, also granted three weeks to the agency to get sanction against some other people who are accused in the case.

Special Judge O. P. Saini posted the next date of hearing on December 18. There are 18 accused in the case. Besides Mr. Chidambaram, sanction is required for the prosecution of five public servants.

Solicitor General Tushar Mehta submitted on behalf of the CBI that “the competent authority in the central government has accorded sanction for prosecution of accused P. Chidambaram under section 197 of CrPC and section 19 of Prevention of Corruption Act.”

“Sanction for prosecution in respect of remaining accused public servants [five] are still awaited,” he said, seeking two more weeks to get the nod.

The CBI said that court’s refusal to grant more time to obtain the sanction for other accused “in a matter pertaining to such a serious offences, may frustrate the cause of justice“.

It further said, “In view of the facts and circumstances stated above, it is most humbly and respectfully prayed that the prosecution sanction received from the competent authority in the central government in respect of accused P. Chidambaram may kindly be taken on record and a further time may be given to file sanction for prosecution in respect of remaining accused public servants.”

Custodial interrogation required

On behalf of the Enforcement Directorate (ED) in a related money laundering case, Mr. Mehta orally told the court that the accused “misled the agency and made false statement. He suppressed information about the bank accounts in other countries and the money received from various sources.”

“Custodial interrogation is required since various new materials have surfaced after filing of the charge sheet,” the ED, also represented by special public prosecutors N.K. Matta and Nitesh Rana, said.

Senior advocate Kapil Sibal, appearing for Mr. Chidambaram, requested the court to extend the protection of the former Union Minister, as well as his son and co-accused Mr. Karti in the both the cases filed by the CBI as well the ED. The father-son duo recently denied the allegations of both the agencies that they were evasive and non-cooperative during the probe in the case, and said the allegations against them were “unsubstantiated” and there was no need of their custodial interrogation.

The submissions were made in their rejoinder, filed by advocates P.K. Dubey and Arshdeep Singh, in response to the replies of the probe agencies. The CBI and ED, in their replies to the anticipatory bail pleas of Chidambarams, had alleged that they were not cooperating in the investigations.

Mr. Chidambaram filed his anticipatory bail application in May this year. His protection from arrest has been extended from time to time. The agencies have sought the custodial interrogation of both the accused, saying they have not been cooperating and, therefore, making it difficult to complete the investigation in a time-bound manner as directed by the Supreme Court.

The senior Congress leader and his son have come under the scanner of investigating agencies in the ₹3,500-crore Aircel-Maxis deal and the INX Media case involving ₹305 crore.

In its charge sheet filed earlier in the case against former telecom minister Dayanidhi Maran, his brother Kalanithi Maran and others, the CBI alleged that Mr. Chidambaram granted FIPB (Foreign Investment Promotion Board) approval in March 2006 to Mauritius-based Global Communication Services Holdings Ltd., a subsidiary of Maxis. The Maran brothers and the other accused named in the CBI charge sheet were discharged by the special court, which said the agency had failed to produce any material against them to proceed with the trial.

The ED is also probing a separate money-laundering case in the Aircel-Maxis matter, in which Mr. Chidambaram and Mr. Karti have been questioned by the agency and currently their anticipatory bail is pending

ममता के कारण रद्द हुई भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की बैठक


सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से कैंसिल हुई


लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए 22 नवंबर को प्रस्तावित मीटिंग कैंसिल कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से कैंसिल हुई.

दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी विरोधी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें ममता बनर्जी का साथ काफी अहम बताया जा रहा है. लेकिन, अभी तक ममता ने इस मीटिंग के लिए सहमति नहीं जताई है. सूत्रों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू पहले ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे. इसके बाद मीटिंग की अगली तारीख तय होगी.

कौन-कौन सी पार्टियां हो सकती हैं शामिल?

सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस, टीडीपी, आम आदमी पार्टी, जेडीएस, एनसीपी और टीएमसी मान गए हैं. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि मायावती ने बैठक में शामिल होने के लिए हामी नहीं भरी है. बैठक में एंटी बीजेपी फ्रंट को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा.

गहलोत से मिलकर लिया था 22 नवंबर को बैठक का फैसला

सभी दलों को करीब लाने का जिम्मा इस बार तेलुगू देशम पार्टी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लिया है. इससे पहले उन्होंने अमरावती में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत से भी मुलाकात की थी. इस मुलाकात में यह तय हुआ था कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के सभी बड़े दल 22 नवंबर को दिल्ली में बैठक करेंगे. इस बैठक में नोटबंदी, सीबीआई आदि मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी.

केवल इतना ही नहीं नायडू विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. यह बैठक ठीक ममता के उस फैसले के बाद आयोजित की गई है, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश की तरह ही अपने राज्य में भी मामलों की जांच के लिए सीबीआई के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी

कांग्रेस को भारत माता की नहीं बल्कि सोनिया गांधी की जय पसंद: अमित शाह

दिनेश पाठक एवं डेमोक्रेटिक्फ़्र्ण्ट डेस्क


मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव को लेकर अमित शाह का कहना है कि इन राज्यों में बीजेपी की सरकार बनेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है.


देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के अच्छे प्रदर्शन करने की बात कही है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव को लेकर अमित शाह का कहना है कि इन राज्यों में बीजेपी की सरकार बनेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है. बाकी के दो राज्य तेलंगाना और मिजोरम में शाह ने पार्टी के मजबूत होने की बात कही. वहीं राफेल के मामले में अमित शाह ने कहा कि अगर आरोपों में सच्चाई है तो राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाते?

न्यूज18 के विशेष कार्यक्रम ‘एजेंडा मध्य प्रदेश’ में राफेल मामले को लेकर अमित शाह ने कहा कि सच हमारे साथ है और बाकी लोगों के बयान झूठे साबित हो जाएंगे. अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे देश की जनता के सामने शर्मिंदा होना पड़े. राफेल पर लगे आरोपों पर शाह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों में अगर सच्चाई है तो वे सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाते? उन्होंने कहा कि आरोप लगाना और झूठ बोलना राजनीति की संस्कृति नहीं है.

वहीं अमित शाह का कहना है कि कांग्रेस को सोनिया गांधी की जय पसंद है. अमित शाह का कहना है कि एक वीडियो काफी फैल रहा है. इसमें कांग्रेस कार्यकर्ता जो ‘भारत माता की जय’ का नारा लगा रहा है, उसे ‘सोनिया गांधी की जय’ का नारा देने के लिए कहा गया. अगर यह वीडियो सच है तो कांग्रेस के लोगों को शर्म करनी चाहिए.

अमित शाह ने राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि राजस्थान में फिर से बीजेपी की सरकार बनेगी. जनसमर्थन हमारे साथ है. देखते-देखते माहौल बनेगा और बीजेपी की सरकार आएगी. महागठबंधन को लेकर शाह का कहना है कि उत्तर प्रदेश छोड़कर किसी भी राज्य में महागठबंधन का कोई अस्तित्व नहीं है. वहीं अगर उत्तर प्रदेश में सभी मिलकर भी आ जाएं तो बीजेपी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट फीसदी मिलेगा.

अमित शाह ने कहा कि वो उन सबसे सवाल करना चाहते हैं कि जो लोकतंत्र की बात करते हैं वे कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल क्यों नहीं खड़ा करते. इसको लेकर शाह ने कहा कि पीछे जब कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना जाना था तब सबको पता था कि सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा. सबको इस बात की जानकारी थी कि यह पद राहुल गांधी को मिलेगा. शाह ने कहा ‘किसी को नहीं पता कि मेरे बाद बीजेपी का अध्यक्ष कौन होगा. क्योंकि हमारी पार्टी में लोकतंत्र है. यहां एक चायवाला दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री बना और एक पोस्टर चिपकाने वाला कार्यकर्ता दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष बन सका.’

हाल ही सीबीआई मुद्दा काफी सुर्खियों में बना हुआ है. सीबीआई मामले में शाह ने कहा इससे सीबीआई की छवि पर असर पड़ा है लेकिन ऐसे मामले में सरकार भी चुप नहीं बैठेगी. सरकार को बीच बचाव के लिए आगे आना ही पड़ेगा.

Congress’ lack of strategy, inability to seize initiative may cost it in Chhattisgarh, Rajasthan, MP

Curtsy: Sushit K Sen

The Assembly elections that are now already in progress should have been the ‘moment’ of opportunity that the bedraggled Congress was waiting for after being mauled in the 2014 Lok Sabha elections and a raft of state elections thereafter.

Instead of seizing the day, the Congress finds itself instead in a beleaguered state, principally because of a lack of coherent strategy, leading to a state of drift, and its delusions of grandeur, in turn caused mainly by its inability to come to terms with the screamingly plain truth that it is no more the sole arbiter of India’s destiny.

The lack of a coherent strategy has been caused by and reflects a lack of organisational cohesion. Thus, for instance, the failure of the ‘high command’ to stamp election campaigns with its own imprint and ensure a coordinated approach in the three north Indian states going to the polls — Chhattisgarh, Madhya Pradesh and Rajasthan — may end up costing it dearly.

Let us take the states one by one. An alliance with the Bahujan Samaj Party (BSP) in Chhattisgarh would have sewn up the state for the Congress, on the back of 15 years of Bharatiya Janata Party (BJP) rule under Chief Minister Raman Singh. Their combined voting percentage would have been close to 45 per cent compared to the BJP’s 41 percent, if we extrapolate the 2013 Assembly results. The chances, of course, are that this difference would have been higher given a certain anti-incumbency fatigue and the BJP’s current difficulties over the Rafale controversy and other issues, that have cast the party in a noticeably poor light.

Many traditional BJP voters are planning to either abstain or vote for other parties. Unfortunately, the Congress has failed to capitalise on this disenchantment by playing an instrumental role in creating a united front. Instead, the Congress’s brains trust, for want of a better appellation, is seeking to counter the BJP’s strident majoritarianism and authoritarianism with its own brand of Hindutva-based mobilisation, not pausing to consider whether it can compete with the BJP by legitimising its ideological positions and political programmes. The Congress’ election manifesto for Madhya Pradesh and the position its state unit has taken in Kerala, which aims at encouraging ‘devotees’ to prevent the Left Front government from implementing the Supreme Court’s Sabarimala order, are unbelievable concessions to Hindu ‘sentiment’

In following the route it has been pursuing, the Congress has isolated itself at a juncture in which other opposition parties have been actively pursuing the objective of joint action. Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav has rejected, for instance, a late, and obviously spurious, not to say infructuous, attempt by the Congress to build an alliance comprising the Samajwadi Party, Nationalist Congress Party, Sharad Yadav’s Loktantrik Janata Dal and Ajit Singh’s Rashtriya Lok Dal in Rajasthan. This is being seen by some as being a precursor to the BSP and Samajwadi Party tying up in Uttar Pradesh and in the process shutting out the Congress. In terms of seats, this would not be catastrophic, especially if, as is likely, the combine backs Congress president Rahul Gandhi and United Progressive Alliance chairperson Sonia Gandhi’s candidature from Amethi and Rae Bareli. But in symbolic terms, such an outcome would be a big blow to the Congress and its claims to leading the alliance against the BJP.

Andhra Pradesh chief minister Chandrababu Naidu and West Bengal chief minister Mamata Banerjee are already coordinating Opposition action, with a meeting held in Kolkata on Monday. In the meanwhile, both have sounded the bugle by withdrawing a general waiver to the Central Bureau of Investigation to pursue investigations in their states. Naidu, moreover, is trying to bring Opposition parties together to approach the Supreme Court with a plea for the curtailment of the powers of other Central agencies — the Income Tax Department, the Enforcement Directorate et al — in investigating cases relating to, or ‘targeting’, Opposition parties before the next Lok Sabha elections.

While the Congress has not specifically been excluded from the ambit of this initiative, it has clearly lost the initiative. To revive its fortunes appreciably, the Congress will have to engage with other opposition parties more constructively. As other opposition leaders have pointed out, the Congress, as the only opposition party with a nationwide presence, has to take the lead and make ‘disproportionate’ sacrifices as it did in Karnataka, reaping handsome dividends.

Simultaneously, the Congress has to come up with ripostes to the BJP’s barrage of gibes about the ‘ownership’ of the party. Prime Minister Narendra Modi and BJP president Amit Shah have been constantly lampooning the Congress over the role played in its affairs by the Gandhi family. Modi has dared Rahul Gandhi to step down and allow someone from outside the family to become party president and, by extension, the party’s prime ministerial nominee. He has most recently pointed to the manner in which Sitaram Kesri was ousted from the party presidency in 1998 after a year-and-a-half stint to make way for Sonia Gandhi. Shah, meanwhile, has likened the Congress to a private limited company owned by the Gandhi family.

It’s not easy to counter these gibes because they are substantially true. Congress leader P Chidambaram tried by producing a list of non-Gandhi Congress presidents, but got his history a little mixed up. Of those whom he named, only Kesri and PV Narasimha Rao belonged to the era after the second split in the party and the creation of the Congress (I). Thus, K Kamaraj, S Nijalingappa, D Sanjivayya and others were presidents of the Congress before the first split in 1969. C Subramaniam (interim president), Jagjivan Ram, Shankar Dayal Sharma, Dev Kant Barooah and K Brahmanand Reddy were presidents after the first split but before the second one in 1978. After that, Indira Gandhi was the president of the new party till her assassination in 1984 and Rajiv Gandhi until his, in 1996.

It was only after Rajiv’s death that Rao became party president and prime minister and he was followed as Congress president by Kesri, mainly because Sonia showed no desire to become a politician. After she acceded following repeated pleas, which itself is a revealing fact, she became party president followed recently by son Rahul. Thus, in the 40 years after the 1978 split, a Congress leader has led the party for just seven-odd years.

It’s a different matter that BJP leaders, too, are unaware of historical nuance, failing to distinguish between the Congress in its various phases, which leads them in semi-literate fashion to equate, for instance, Nehru with Indira Gandhi. It must also be recalled in fairness to the Congress that in the 38 years since Indira Gandhi returned to power — in 1980, a Gandhi has been prime minister for nine years, while Congress leaders from outside the Congress have held the chair for 15 years: Rao was prime minister for five of those and Manmohan Singh for 10. The BJP forgets, too, that Sonia lifted her party up by the bootstraps by renouncing prime ministerial office. It was an act of self-abnegation and sacrifice that may have been prompted by tactical motives but was nevertheless an extremely courageous and self-disregarding one.

Self-abnegation, self-sacrifice and disregard for one’s own ambitions are not descriptions one would normally apply either to Modi or Shah. Both are viscerally ambitious, authoritarian, paranoid and power-hungry beyond even the accepted standards of political life, which are not particularly high. The charges made by the duumvirate do not carry much weight because ever since the leadership of the party ceded power to Modi (who inducted Shah as his hatchet man), the BJP has ceased to be the functionally democratic party it once was (as was its forbear, the Jana Sangh), possibly the only positive thing one can say about the merchants of Hindutva.

Under the Modi-Shah dispensation, the BJP has acquired the worst traits of the Congress — for instance, the practice of nominating chief ministers from Delhi rather than allowing the relevant legislature parties to elect their own leaders.

It’s a case, to use a tired cliché, of the pot calling the kettle black. The only difference is that Modi rose from the ranks and captured the party, while Rahul did it as a matter almost of birthright. The difference, such as it is, is functionally not much of a difference.

Politically, the Congress would do better by pointing to the BJP’s penchant for trying to capture all manner of institutions and subverting them to subserve its alfresco designs of imposing a theocratic template on the Indian polity. For all its faults, opportunism of the kind that leads it into the terrain of ‘soft Hindutva’, whatever that’s supposed to mean, being one of the worst of them, the Congress cannot be accused of trying to systematically capture and subvert institutions. That’s one arena in which it has remained, generally speaking, true to its mainstream heritage. It should trumpet this achievement.

ममता शर्मा ने ‘हाथ’ में ‘कमल’ थामा


बीजेपी की सदस्यता का ग्रहण करने के बाद ममता शर्मा ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा, कांग्रेस में इस बार टिकटों की बंदरबांट हुई है


विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही अपने-अपने खेमों में बग़ावती सुरों से परेशान हैं. साथ ही अपने मनपसंद नेताओं को टिकट ना मिलने पर पार्टी के कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आए हैं. ऐसे में रविवार को राजस्थान की कांग्रेस नेता ममता शर्मा बीजेपी में शामिल हो गईं.

उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. बताया जा रहा है कि ममता शर्मा के साथ ही कुछ अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. वहीं ममता शर्मा के बेटे समृद्ध शर्मा कांग्रेस में ही बने रहेंगे.

बीजेपी की सदस्यता का ग्रहण करने के बाद ममता शर्मा ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा, ‘कांग्रेस में इस बार टिकटों की बंदरबांट हुई है. हम पूरा परिवार सालों से कांग्रेस की सेवा करते हैं, लेकिन कांग्रेस ने पूरे परिवार की अवहेलना की है. जो लोग क्षेत्र में मेहनत कर रहे हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जा रहा. मैंने अपने पुत्र के लिए टिकट मांगा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.’

ममता ने कहा, ‘बीजेपी से मुझे चुनाव चिन्ह मिल गया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में पीपल्दा से लडूंगी.’

राजस्थान में 7 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से रविवार को जारी उम्मीदवारों की तीसरी सूची में पार्टी ने एक उम्मीदवार का विधानसभा क्षेत्र बदल दिया वहीं पूर्व की सूची में घोषित दो उम्मीदवारों का नाम हटा दिया. कांग्रेस की ओर जारी तीसरी सूची में पार्टी ने पांच सीटों पर गठबंधन की घोषणा की है. राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान होगा.

Saffron party took ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’: Modi

The second phase of polling in 72 seats, out of the 90-member Assembly, would be held on 20th of November 2018. Assuring a wave of development and progress under the BJP rule, PM Modi said the saffron party was the only party that took forward the mantra ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’ in the country without any form of discrimination.

Prime Minister Narendra Modi on Friday appreciated the people of Bastar in Chhattisgarh for turning out in large numbers to vote in the first phase of polling, despite targeted attacks by the Naxals.

The turnout in the first phase of Chhattisgarh polls in 18 seats on November 12 was recorded at 76.28 per cent, as compared to 75.79 per cent in the 2013 polls.He said by improving the voting percentage, the people of Chhattisgarh have proved the strength of Indian democracy even in harsh conditions.

Addressing a rally in Chhattisgarh’s Ambikapur, PM Modi further urged the people to register an even higher voting percentage than Bastar in the second phase of polling on November 20 to give an answer to those creating violence.

Shifting his focus to the opposition Congress, PM accused the party of disregarding Ambikapur and said the Congress will be ousted from the state after the election.

He further said the Congress had not yet come to terms with the fact that a ‘Chaiwala’ had become the Prime Minister of the country.

Congress leader Shashi Tharoor had earlier said that India has a tea-seller as its prime minister today because of the country’s first PM Jawaharlal Nehru.

Modi, in his speech, challenged the Congress to allow a good leader of the party outside of the Gandhi family to become the party president for five years. He said then only will he agree that Nehru had really created a truly democratic system within the Congress.

Recalling how former prime minister Atal Bihari Vajpayee had peacefully divided and created the two states of Madhya Pradesh and Chhattisgarh, he took the opportunity to accuse the Congress of creating a mess during the formation of Telangana.

The huge enthusiasm  at the Chhath festival at Maloya


36 hour fast, the first arghya given to Sun God, the Chhath vrat is specially considered auspicious  for women aspiring son


Chandigarh:
Special arrangements had been made by the Purvanchal Organizing Committee for the Chhath festival on the pond located in Maloya. During the festival, devotees who had fasted started thronging from two o’clock in the afternoon. Most of the women’s  came here singing from their houses singing  the Chathi  Maai and Suraj Dev’s songs. A large crowd gathered by four o’clock in the evening. Meanwhile, almost all the roads in the surrounding areas, including Maloa, remained resonant with Chhath’s songs. Nearly thousands of pilgrims from all corners and villages around Maloa, Dadu Majra, Sector 39, Jujharanagar and villages and people from all corners of the village reached there to give the first half of Chhath. Ram babu, chief secretary of Purvanchal organization committee, general secretary Sanjay Bihari, chairman Kedar Yadav, KP Singh, Rahul Verma, Shivnath, Subhash, Shatbughan, Ranjit and other members congratulated all the fasting women for Chhath Puja. In order to give offering to the sun , people raised Prasad and lamp in the hands and bowed down to Lord Bhaskar and wished for prosperity and worshiped chath  mai with Lord Sun.

‘ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे’: संबित पात्रा

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कांग्रेस के ‘वचन पत्र’ पर विवाद, BJP ने RSS को लेकर किए वादे पर जताई आपत्ति


चुनाव का सीजन आते ही वादों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने कुछ ऐसा वादा कर दिया है जिसे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. कांग्रेस ने शनिवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को ‘वचन पत्र’ कहा जा रहा है. दिलचस्प है कि कई दूसरी चीजों के साथ कांग्रेस ने अपने इस घोषणा पत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं पर पाबंदी लगाने का भी वादा किया है. इस घोषणा पत्र के इस बिंदु को लेकर बीजेपी ने उस पर बड़ा हमला बोला है.

क्या लिखा है कांग्रेस के घोषणापत्र में?

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि सरकारी ऑफिसों में RSS की शाखाएं नहीं लगने देंगे. कांग्रेस ने यह भी लिखा है कि शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों को शाखाओं में छूट संबंधी आदेश निरस्त करेंगे. इसके अलावा कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में व्यापम घोटाले की परीक्षाओं में पिछले 10 सालों में शामिल हुए लाखों उम्मीदवारों का शुल्क वापस लौटाने का वादा किया है. साथ ही कांग्रेस का वादा है कि व्यापम को बंद कर दिया जाएगा.

शनिवार को 112 पन्नों के कांग्रेस के इस वचन पत्र में पार्टी की ओर से प्रदेश के हर वर्ग के लिए तमाम वादे किए गए हैं. बीजेपी ने वचन पत्र में कांग्रेस के इस वादे, ‘अगर वो सत्ता में आई तो सरकारी इमारतों और उनके परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा नहीं लगने देगी.’ पर आपत्ति जताई है.

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस को इस पर घेरते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे’

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Looks like the Congress these days has only one motto- ‘Mandir nahi ban ne denge, Shakha nahi chalne denge:’ Sambit Patra,BJP on in its manifesto in says RSS ‘shakhas’ would not be allowed in Government buildings

वहीं बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का वचन दिया है! अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते. पर वहां क्यों लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण और वोटबैंक की ही जो है. जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी.’


Kailash Vijayvargiya

@KailashOnline

मे अपने विचार सामने लाते हुए..  कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का “वचन” दिया है.!
अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते। पर वहाँ क्यो लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण व वोटबैंक की ही जो है। जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।


कांग्रेस के वचन पत्र में सरकार भवनों में RSS शाखा लगाने पर रोक का वादा

दरअसल कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा है कि वो यहां सरकार बनने पर सरकारी भवनों में आरएसएस की शाखा लगाने पर रोक लगेगी. साथ ही इसमें सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने के पूर्व के आदेश को भी रद्द करेगी.


in its manifesto in has said if the party comes to power then RSS ‘shakhas’ would not be allowed in Government buildings and premises, also earlier order to allow Govt employees to attend RSS ‘shakhas’ will be revoked.


कांग्रेस मध्य प्रदेश में बीते 15 वर्षों से सत्ता से दूर है. इसलिए उसकी कोशिश है कि वो हर हालत में चुनाव में शिवराज सरकार को उखाड़ फेंके. इसे सच साबित करने के लिए खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जहां लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं वहीं सरकार को घेरने के लिए कमलनाथ समेत पार्टी के बड़े नेता सार्वजनिक तौर पर सबके सहयोग की बात कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों के लिए 28 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होना है. इसी दिन पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में भी वोटिंग होगी. एमपी समेत पांचों चुनावी राज्यों में 11 दिसंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे

“Competition is normal, but contest must not turn into conflict.”: Nirmala Sitharaman


India and China should respect each other and resolve issues through dialogues and join hands together for peace and prosperity.


Defence Minister Nirmala Sitharaman on Sunday pitched for dialogues between India and China on various issues, saying differences between the two nations should not be allowed to become disputes.

Both India and China should respect each other and resolve issues through dialogues and join hands together for peace and prosperity, Ms. Sitharaman said.

There are various issues such as defence, border disputes, border trades and presence of Indian and Chinese defence forces in the Indian Ocean which can be resolved through continuous dialogues, the minister said.

“Competition is normal, but contest must not turn into conflict. Differences should not be allowed to become disputes, she said in Itanagar.

“Solution lies in dialogue, solution lies in peaceful engagement. But for this, mutual trust should be there.” However, she added, mutual recognition of sensitivity in each country should be respected and resolved through dialogues.

Ms. Sitharaman was delivering the seventh memorial lecture of former RSS activist from Arunachal Pradesh, Rutum Kamgo, on the theme: ‘Towards Bridging the Indo-China Relationship for an Emerging Asia’

On a proposal of Chief Minister Pema Khandu for opening up border trade with China through Bum La Pass, Ms. Sitharaman said trade was possible with the border villages of both the countries, like the current border haats at Nathu La in Sikkim and Moreh in Manipur.

However, she added, the balance of trade between the countries was in favour of China. “Trade between India and China is done in large scale amounting to USD 80-90 billion. But, sadly, we are purchasing from them in huge quantities. But, for our products, their market is not open.”

“We have several products like telecommunication, vegetables, tea, soya, raw sugar, pharmaceuticals etc in which China evinces keen interest,” the Defence Minister said, adding that there were certain areas where both the nations could cooperate, especially in containing terrorism and promoting sustainable development.

The minister termed India and China the growth engines for the entire world, saying that emergence of both the countries would pave the way for an emerging Asia. “Peace, security and development in Asia are possible when India and China are developed. Development of both the nations is possible only when there is mutual respect and understanding among the two countries.”

She quoted Prime Minister Narendra Modi as saying that both the countries should follow the mantra of samman (respect), sambad (dialogue), sahyog(cooperation), shanti (peace) and samriddhi (prosperity) for development.

“There are many multi-lateral institutions in the world like (the) UN, IMF, World Bank etc where representations from country like us with more population and demands are negligible. India and China should raise the issue jointly for mutual benefits,” she added