टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र


फूल छाप कांग्रेसियों का डर इस कदर हावी है कि कांग्रेस को अपने टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र लेना पड़ रहा है


मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को अपने उम्मीदवार चुनने में अभी से ही पसीना आने लगा है. राज्य में कांग्रेस अविश्वास के भंवर में फंसी हुई है. कार्यकर्ता और नेता एक दूसरे को शंका भरी निगाहों से देखते रहते हैं. शंका बीजेपी से मिलीभगत को लेकर होती है? कांग्रेस में ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं को फूल छाप कांग्रेसी का नाम दिया गया है. फूल छाप कांग्रेसियों का डर इस कदर हावी है कि कांग्रेस को अपने टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र लेना पड़ रहा है.

राहुल गांधी के निर्देश पर लिए जा रहे हैं शपथ पत्र

मध्यप्रदेश में विधानसभा के उम्मीदवार तलाश करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मधूसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी गठित की है. मधुसूदन मिस्त्री ने ही पिछले विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नामों की स्क्रीनिंग की थी. कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेताओं को मधुसूदन मिस्त्री की कार्यशैली पसंद नहीं आती है. मिस्त्री अपने अंदाज में ही उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग कर नाम कांग्रेस अध्यक्ष के पास प्रस्तावित कर देते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त भी मिस्त्री ने कई उम्मीदवार राज्य के बड़े कांग्रेसी नेताओं की मर्जी के खिलाफ प्रस्तावित किए थे. ऐसे लोगों को टिकट देने का नतीजा यह हुआ कि वे चुनाव हार गए थे.

इस बार भी मधुसूदन मिस्त्री को उम्मीदवारों की छानबीन की जिम्मेदारी दिए जाने से राज्य के कांग्रेसी नेताओं में कानाफूसी चलती रहती है. मधुसूदन मिस्त्री इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ हैं कि राज्य में कांग्रेस के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता नहीं है. इस कारण से वह बड़ी ही बारीकी से दावेदारों पर ध्यान दे रहे हैं. राज्य में फूल छाप कांग्रेसी होने की आशंका को भी मिस्त्री नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर टिकट के सभी दावेदारों से दस रुपए के स्टांप पेपर पर एक शपथ पत्र भी लिया गया है. राज्य के कांग्रेसियों को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की यह कार्रवाई कुछ अटपटी सी लग रही है. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी का यह फार्मूला गुजरात और कर्नाटक में सफल हुआ था. एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि उम्मीदवारों के चयन के पहले ही अविश्वास का वातावरण तैयार करेंगे तो बीजेपी से मुकाबला करना बेहद कठिन होगा.

राहुल गांधी के निर्देश पर उम्मीदवारों से जो शपथ पत्र लिया जा रहा है उसमें यह शपथ लेने के लिए कहा गया है कि वे (दावेदार) टिकट ना मिलने की स्थिति में पार्टी से बगावत नहीं करेंगे. पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगे. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में कहा कि इस तरह के शपथ पत्र की कोई कानूनी मान्यता या बंधन दिखाई नहीं देता है. यह समय बर्बाद करने वाली कवायद से ज्यादा कुछ नहीं है. यदि गलत व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाता है तो शपथ पत्र देने के बाद भी बगाबत हो सकती है. मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विजेंद्र सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस द्वारा दावेदारों से शपथ पत्र मांगने पर कहा कि यह हास्यास्पद है.

दावेदारों के साक्षात्कार भी ले चुके हैं मिस्त्री

कांग्रेस में पहली बार ऐसा हो रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन ने अपनी टीम के साथ राज्य कांग्रेस के मुख्यालय में बैठकर टिकट के दावेदारों का साक्षात्कार वैसे ही लिया जैसे किसी पब्लिक सर्विस परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों से वन-टू-वन किया जाता है. मिस्त्री के साथ अजय कुमार लल्लू और नेट्टा डिसूजा ने दो दिन तक दावेदारों के साक्षात्कार लिए. चुनाव समिति के सदस्यों और पार्टी के पदाधिकारियों से भी अनौपचारिक चर्चा की. चुनाव समिति के सदस्यों से भी मिस्त्री ने टिकट देने के आधार पर भी चर्चा की. उम्मीदवार कब घोषित किया जाना चाहिए इस पर भी विचार किया गया.

यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ यह पहले ही घोषित कर चुके हैं कि उम्मीदवारों की पहली सूची 15 सितंबर तक जारी कर दी जाएगी. कांंग्रेस पार्टी में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कमलनाथ की इस राय का समर्थन भी कर रहे हैं. इनमें प्रचार समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं. चुनाव की तारीखें घोषित होने के पहले उम्मीदवार घोषित करने का जोखिम भी कांग्रेस को दिखाई दे रहा है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भागीरथ प्रसाद भिंड से उम्मीदवार घोषित हो जाने के बाद भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. ऐसी स्थिति विधानसभा चुनाव में निर्मित ना हो यह कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है.

बायोडाटा के अलावा दावेदारों की पूरी कुंडली भी ले रही है समिति

राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इन सीटों के लिए प्रदेश कांग्रेस में 2,700 से अधिक आवेदन आए हैं. 100 से ज्यादा लोगों ने स्क्रीनिंग कमेटी के सामने सीधे अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि राज्य के कांग्रेसियों को इस बार जीत की उम्मीद दिखाई दे रही है इस कारण हर सीट पर एक दर्जन से अधिक दावेदार टिकट के लिए सामने आए हैं.

मिस्त्री के नेतृत्व वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने दावेदारों से वन-टू-वन चर्चा में जीत की संभावनाओं को लेकर कई सवाल किए हैं. कांग्रेस पिछले 3 चुनाव क्यों हारी इसका पता लगाने की कोशिश समिति ने दावेदारों से चर्चा में की. दावेदारों से सामान्य जानकारी के अलावा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी जानकारी ली गई. दावेदार कांग्रेस का प्रतिबद्ध कार्यकर्त्ता है या नहीं, यह पता लगाने के लिए एक सवाल यह भी पूछा कि उसने संगठन चुनाव में कितने सक्रिय सदस्य बनाए थे? दावेदारों को वे पांच कारण भी बताने पड़े जिनके कारण वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस हार गई थी.

करुणा शुक्ल का भाजपा पर राजनैतिक हमला


शुक्ला ने कहा, बीजेपी स्वार्थी पार्टी है और अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजनीति कर रही है. उनका नाम लेकर 2019 चुनावों की तैयारी की जा रही है

करुणा जो 2014 के चुनाव कांग्रेस के निशान पर लड़ कर हार चुकीं हैं, ने छत्तीस गढ़, ओर मध्य प्रदेश की भाजपा पर अटल के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया। पूछे जाने पर की उनका विरोध मात्र इन दो राज्यों के लिए है तो वह ‘जनता सब जानती है’ कह कर सवाल टाल गईं।


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने गुरुवार को बीजेपी पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने बीजेपी पर 2019 के आम चुनावों को देखते हुए वाजपेयी का नाम भुनाने का आरोप लगाया.

शुक्ला ने न्यूज18 से कहा, बीजेपी स्वार्थी पार्टी है और अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजनीति कर रही है. उनका नाम लेकर 2019 चुनावों की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा, बीजेपी को वाजपेयी की मृत्यु पर भी राजनीति करने में शर्म नहीं आती. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि पब्लिक सब जानती है और उसे सब पता है.

इससे पहले बुधवार को बीजेपी ने पूरे देश में बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा शुरू की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अशोक रोड स्थित बीजेपी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सभी राज्यों के बीजेपी अध्यक्षों को अस्थि कलश सौंपा.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, संगठन मंत्री रामलाल समेत कई केंद्रीय मंत्री और पार्टी के नेता मौजूद थे. वाजपेयी की दत्तक बेटी नमिता कौल भट्टाचार्य और परिवार के अन्य लोग भी मौजूद थे.

सभी बीजेपी अध्यक्ष अपने-अपने राज्यों में वाजपेयी की अस्थियों का कलश लेकर जाएंगे. हर राज्य में अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी. पूर्व प्रधानमंत्री की इस कलश यात्रा के लिए राजधानियों, जिलों और तालुकों में भी कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है.

राजनीति के रास्ते आगे बढ़ रही है वाजपेयी की विरासत


अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी के नेता उससे होने वाले फायदों को भी खूब भुना रहे हैं


हरिद्वार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरकी पैड़ी पहुंचे. इस मौके पर कई और नेता-मंत्री भी मौजूद रहे. उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भी परिवार समेत मौजूद थी. अटल जी की अस्थियां मोक्षदायिनी गंगा में विसर्जित कर दी गईं.

इस मौके पर भी बीजेपी के सभी दिग्गजों की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी था कि कैसे बीजेपी आलाकमान ने अपने सबसे प्रिय नेता की विरासत को संजोने, संभालने और उसको आगे बढ़ाने के लिए अपने-आप को अटल जी के प्रति समर्पित कर दिया है.

राजनीति के एक युग का अंत

16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी ने जब दिल्ली में एम्स में अंतिम सांसे लीं. उस दिन सुबह से लेकर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मोदी सरकार के सभी मंत्रियों के अलावा बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक सबने एम्स से लेकर बाद में उनके सरकारी आवास तक अपने-आप को सीमित कर दिया. पल-पल उनकी सेहत का समाचार लेने के लिए सभी तत्पर रहे.

अगले दिन सुबह जब उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय में लाया गया तो वहां भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार पार्टी दफ्तर में वहां मौजूद रहे, जहां बीजेपी के सभी नेता और कार्यकर्ताओं के अलावा अटल जी को चाहने वालों का श्रद्धांजलि देने के लिए तांता लगा था. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस मौके पर लगातार मोदी-शाह के साथ बैठे दिखे. इसके बाद अंतिम यात्रा में स्मृति स्थल तक बीजेपी के सभी नेता अंतिम यात्रा में पैदल ही गए.

उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि यात्रा को विसर्जित करने की बात हो या फिर बीजेपी शासित राज्यों में उनकी विचारों और उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की बात हो, बीजेपी की तरफ से प्रयास जारी है.

अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि यूपी रही है. यूपी के बलरामपुर से ही अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1957 में सांसद चुने गए. बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री रहते लखनऊ का भी प्रतिनिधित्व किया. कानपुर में उन्होंने पढ़ाई की थी. इस लिहाज से यूपी से उनका काफी गहरा नाता रहा है.

कर्मभूमि है यूपी 

अटल जी के पंचतत्व में विलीन होने के बाद अब उनकी यादों को संजोने के लिए यूपी सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं. यूपी में चार स्थलों लखनऊ, कानपुर, बलरामपुर और आगरा में अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक बनाने का फैसला किया गया है जहां से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. इसके अलावा यूपी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की हर छोटी-बड़ी नदियों में अटल अस्थि कलश को विसर्जित किया जाएगा. हालाकि सबसे पहले हरिद्वार में अस्थि कलश यात्रा के बाद उनका अस्थि विसर्जन किया गया है.

यूपी के अलावा बिहार समेत देश के लगभग हर राज्य में उनका अस्थि विसर्जन किया जा रहा है. लेकिन, इस वक्त मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से अटल जी के सम्मान में नई-नई घोषणाओं का अंबार लग रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सात शहर भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और सतना को अटल स्मार्ट सिटी का नाम दिया है. ये सभी शहर अब अटल स्मार्ट सिटी कहे जाएंगे.

इसके अलावा उनके नाम पर और भी कई योजनाओं का नामकरण किया जा रहा है. अगले साल से मध्य प्रदेश के स्कूलों में अटल जी की जीवनी भी पढ़ाई जाएगी. भोपाल में बन रहे विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम भी अटल जी के नाम पर करने का फैसला किया गया है.

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा भी उनकी वहीं हुई थी. यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने प्रदेश की मिट्टी मैं पैदा हुए इस महान शख्स की यादों को अनंत काल के लिए यादगार बनाने में लगे हैं.

वाजपेयी, शिवराज और विधानसभा चुनाव

दरअसल, मध्यप्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. पिछले पंद्रह साल से प्रदेश की सत्ता में बीजेपी है. इस वक्त राज्य भर में अलग-अलग जगहों पर दौरा करके शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार बनाने की कवायद कर रहे हैं. लिहाजा वह पार्टी के भीष्म पितामह के नाम और काम के दम पर लोगों को जोड़ने में जुटे हैं.

बात अटल जी के सम्मान की कही जा रही है. लेकिन, उनकी जिंदगी से जुड़े हर उस स्थल को विकसित करने, उनके नाम पर सात स्मार्ट शहर का नाम रखने और उनके नाम पर हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने जैसी तमाम कोशिशों से लगता है कि मुख्यमंत्री चौहान  विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता, उनके चाहने वालों का प्यार और उनके प्रति समर्पण को अपने लिए भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें कुछ गलत भी नहीं है, क्योंकि अटल जी बीजेपी के सबसे बड़े और कद्दावर नेता थे.

दरअसल बीजेपी अटल जी के नाम और उनके काम का फायदा आगे भी लेना चाह रही है. उनके आदर्शों और उनके विचारों की पोटली को अपना विरासत बनाकर उसे सहेजने की उसकी कोशिश से इस बात की झलक मिल रही है कि पार्टी उनकी विरासत को लेकर कितनी सजग है.

यूपी भी पीछे नहीं

मध्यप्रदेश भले ही अटल जी की जन्मभूमि रही हो, लेकिन, उनकी कर्मभूमि यूपी को ही माना जाता है. उनकी कर्मभूमि यूपी में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनकी यादों को संजोने-संवारने के प्रति दिखाया गया उत्साह, इतिहास में शामिल हो चुके इस अजातशत्रु के सम्मान में स्मारक का निर्माण कराना और सर्वजन के लोकप्रिय अपनी मधुर वाणी से सबको मंत्रमुग्ध करने वाले जननेता की अस्थियों को पूरे प्रदेश की नदियों में प्रवाहित करना यह दिखाता है कि योगी भी अटल जी के प्रति सम्मान के साथ-साथ उनके प्रति अपने समर्पण और लगाव को दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

भले ही मध्यप्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. लेकिन, आने वाले दिनों में यूपी के भीतर भी अटल जी के नाम, काम और उनके सपने को साकार करने को लेकर योगी सरकार अपनी वचनबद्धता और प्रतिबद्धता दिखा रही है. उनके नाम का सियासी फायदा लेने से बीजेपी यूपी में भी नहीं हिचकेगी.

बीजेपी की तरफ से देश भर में अटल बिहारी वाजपेयी के काम को लेकर जिस तरह से दिखाने और आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है, उससे साफ है कि वो अटल जी की विरासत पर पूरी तरह से अपना हक जता रही है. अटल जी की उदार छवि के नाम पर उन्हें नेहरुवादी बताने वालों के लिए पार्टी कोई स्पेस नहीं छोड़ना चाहती.

भाजपा विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है


प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी अटल जी की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा


16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति में जबरदस्त बदलाव किया है. स्वर्गीय वाजपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है. भारतीय जनता पार्टी नवंबर में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है. उनके भाषणों और कविताओं के जरिए लोगों को जोड़ने की योजना है. स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर कई स्थानों का नामकरण किया जा रहा है. सरकारी योजनाओं का नामकरण भी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की योजना है. अब तक बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर योजनाओं का नामकरण करती रही है.

गांव-गांव में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

चुनावी रणनीति के पहले चरण में 22 से 25 अगस्त के बीच सभी जिला मुख्यालय में और आगामी 25 से 30 अगस्त के बीच सभी विकासखंड और ग्राम पंचायतों में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी. अटल जी की अस्थियों को नर्मदा-क्षिप्रा सहित प्रदेश की सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित किया जाएगा.

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने बताया कि पार्टी की सभी इकाईयों को श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने के लिए कहा गया है. मुख्य आयोजन 21 अगस्त को भोपाल में और 22 अगस्त को ग्वालियर में होगा. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अस्थि कलश वितरण के कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए जाने के कारण कलश के भोपाल पहुंचने की संभावनाएं बहुत कम हो गईं हैं. मीडिया प्रभारी पाराशर ने कहा कि कलश ग्वालियर पहुंच सकता है. इसके बाद राज्य की नदियों में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.

मध्यप्रदेश, अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों ही रही है. ग्वालियर और विदिशा से वाजपेयी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था. ग्वालियर में वे माधवराव सिंधिया से हुए मुकाबले में चुनाव हार गए थे. विदिशा से वे 1991 का लोकसभा चुनाव लड़े थे. बाद में उन्होंने विदिशा सीट से त्यागपत्र दे दिया था. शिवराज सिंह चौहान पहली बार लोकसभा में वाजपेयी द्वारा खाली की गई सीट से उप चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इस कारण वाजपेयी का शिवराज सिंह चौहान से लगाव भी काफी था. उमा भारती के भारी विरोध के बाद भी वाजपेयी ने ही शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था.

जब अटल जी जीवित थे तब उनके नाम पर था सुशासन संस्थान

साल 2004 तक केंद्र की सत्ता में रही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कामकाज को भारतीय जनता पार्टी सुशासन के उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करती रही है. मध्यप्रदेश सरकार के कामकाज में सुशासन लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2007 में सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान की स्थापना की थी. यह संस्थान सरकार की फ्लैगशिप स्कीम का लगातार विश्लेषण करता रहता है. नीति और नियमों में भी बदलाव के सुझाव सरकार को दिए जाते हैं. इसी संस्थान ने राज्य के सभी 51 जिलों में सीएम यंग प्रोफेशनल्स फॉर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 51 युवाओं को नियुक्त किया है. वे जिले की राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाओं की जानकारी सीधे मुख्यमंत्री को भेजते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रेलवे स्टेशन से लेकर स्मार्ट सिटी तक का नामकरण वाजपेयी के नाम पर करने का ऐलान किया है. ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में भव्य स्मारक और स्मृति भवन भी बनाया जाएगा. स्मारक भोपाल में भी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

ग्वालियर के गोरखी के जिस विद्यालय में वाजपेयी कक्षा छह से आठ तक पढ़े थे उसे उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. इसमें स्मार्ट क्लास, प्लेनेटोरियम और म्यूजियम बनाया जाएगा, साथ ही अटल जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

भोपाल में 600 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे ग्लोबल स्किल पार्क का नाम स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखा जाएगा. प्रदेश के स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किए जा रहे सात शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना में वाजपेयी के नाम पर विश्वस्तरीय पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे. इन पुस्तकालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में युवाओं के लिए कोचिंग, शोध और सामाजिक चिंतन के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

इसी तरह सात स्मार्ट सिटी में बन रहे इनक्यूबेशन सेंटर्स का नाम भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर होगा. इन सेंटर्स पर मध्यप्रदेश के युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की प्रतिमा के साथ उनके कार्यों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके. प्रदेश में श्रमिकों के बच्चों के लिए बनाए जा रहे चार श्रमोदय विद्यालयों के नाम भी स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखे जाएंगे. विदिशा में शुरू हो रहे मेडिकल कॉलेज का नाम भी अटल जी के नाम पर रखा जाएगा. भोपाल के अत्याधुनिक हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है.

मुख्य धारा में आ सकते हैं वाजपेयी के परिजन

मध्यप्रदेश सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की जीवनी अगले सत्र से शामिल करने जा रही है. वाजपेयी के प्रति पार्टी नेतृत्व,अति सक्रियता दिखाकर राज्य के ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश कर रहा है. मध्यप्रदेश में वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा मुरैना से सांसद हैं. वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ अनूप मिश्रा भी हर संस्कार को पूरा कराने में लगातार सक्रिय हैं. स्वर्गीय वाजपेयी का भी अनूप मिश्रा से काफी लगाव था.

एक समय राज्य के सबसे ताकतवर मंत्री रहे अनूप मिश्रा इन दिनों पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं. वाजपेयी के निधन के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी अनूप मिश्रा को वापस राज्य में सक्रिय कर सकती है. ग्वालियर-चंबल संभाग में मिश्रा का काफी असर है. राज्य में पार्टी की आंतरिक राजनीति के कारण अनूप मिश्रा सक्रिय दिखाई नहीं देते हैं. मिश्रा के अलावा वाजपेयी परिवार का कोई अन्य सदस्य राजनीति में नहीं है.

श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेसी भी हिस्सा ले सकते हैं?

हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा को पूरी तरह अराजनीतिक रखने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी के सूत्रों ने दावा किया है कि श्रद्धाजंलि सभा में पार्टी के झंडे नहीं लगाए जाएंगे. इसके बाद भी कांग्रेस को लग रहा है कि वाजपेयी के निधन को बीजेपी चुनाव में भुनाना चाहती है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से प्रदेश भर में होर्डिंग लगाए गए हैं, उससे लग रहा है कि वाजपेयी की मौत को बीजेपी इवेंट के रूप में प्रस्तुत कर रही है. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने सभी कांग्रेस नेताओं से अपील की है कि वे श्रद्धांजलि सभा में जरूर हिस्सा लें. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा.

अटल जी की जीवनी स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में होगी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की जीवनी अगले वर्ष से स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी. स्वर्गीय अटल जी के नाम से तीन राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किए जाएंगे. पांच-पांच लाख रुपए के यह पुरस्कार कविता, पत्रकारिता और सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिए जाएंगे.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां मध्य प्रदेश की दस प्रमुख नदियों में विसर्जित की जाएंगी


अलग-अलग नदियों के लिए जाने वाली अस्थि कलश यात्राएं किस रूट से होकर जाएंगी और कौन-कौन नेता अस्थि कलश लेकर जाएंगे, यह भी तय हो गया है


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां मध्य प्रदेश की दस प्रमुख नदियों में विसर्जित की जाएंगी. प्रदेश की जिन नदियों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों को विसर्जित किया जाएगा, उनमें नर्मदा, क्षिप्रा, ताप्ती, चंबल, सोन, बेतवा, पार्वती, सिंध, पेंच और केन नदियां शामिल हैं. विभिन्न नदियों के लिए अलग-अलग अस्थि कलश यात्राएं 23 अगस्त को सुबह 8 बजे प्रदेश कार्यालय से एक साथ रवाना होंगी. सिर्फ चंबल नदी को जाने वाली अस्थि कलश यात्रा ग्वालियर से प्रारंभ होगी.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा है. प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल जी के जीवन के कई वर्ष मध्यप्रदेश में ही बीते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की दस प्रमुख नदियों में उनकी अस्थियों को विसर्जित किए जाने का निर्णय लिया गया है. अस्थि कलश यात्राओं के लिए पार्टी के प्रदेश कार्यालय ने पूरा कार्यक्रम तैयार कर लिया है.

अलग-अलग नदियों के लिए जाने वाली अस्थि कलश यात्राएं किस रूट से होकर जाएंगी और कौन-कौन नेता अस्थि कलश लेकर जाएंगे, यह भी तय हो गया है. इस कार्यक्रम के अनुसार पुण्य सलिला नर्मदा नदी में अस्थि विसर्जन के लिए जाने वाली यात्रा में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह शामिल होंगे. अलग-अलग नदियों को जाने वाली यात्राओं के रूट और उनमें शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं के नाम इस प्रकार हैं-

नर्मदा नदी, होशंगाबाद– यह यात्रा मण्डीदीप, ओबेदुल्लागंज, बुधनी होते हुए नर्मदा तट होशंगाबाद पहुंचेगी. यात्रा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह शामिल होंगे.

पार्वती नदी, चाचैड़ा – यह यात्रा बैरसिया, नरसिंहगढ़, पचैर, सारंगपुर, शाजापुर, आगर, सुसनेर, जीरापुर, खिलचीपुर, राजगढ़, ब्यावरा होते हुए चाचैड़ा पहुंचेगी. इस यात्रा में मंत्री रामपाल सिंह, प्रदेश मंत्री पंकज जोशी, प्रदेश महामंत्री और सांसद मनोहर उंटवाल शामिल होंगे.

क्षिप्रा नदी, उज्जैन– यह यात्रा सीहोर, देवास, इंदौर होते हुए क्षिप्रा तट उज्जैन पहुंचेगी. यात्रा में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, मंत्री पारस जैन, सुदर्शन गुप्ता और बंशीलाल गुर्जर शामिल होंगे.

ताप्ती नदी, बुरहानपुर– यह यात्रा मण्डीदीप, ओबेदुल्लागंज, रहटी, खातेगांव, खंडवा होते हुए बुरहानपुर पहुंचेगी. इस यात्रा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, मंत्री अर्चना चिटनीस, मंत्री अंतरसिंह आर्य और जीतू जिराती शामिल होंगे.

सोन नदी, रीवा – यह यात्रा बरेली, पिपरिया, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिंडोरी, उमरिया, शहडोल, सीधी होते हुए रीवा पहुंचेगी. इस यात्रा में मंत्री राजेन्द्र शुक्ला, अजय प्रताप सिंह, पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह, शरतेन्दु तिवारी शामिल होंगे.

बेतवा नदी, ओरछा – यह यात्रा विदिशा, सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़ होते हुए ओरछा पहुंचेगी. इस यात्रा में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार, मंत्री गोपाल भार्गव, गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, सांसद प्रहलाद पटेल, प्रदीप लारिया और दशरथ सिंह शामिल होंगे.

पेंच नदी, छिंदवाड़ा – यह यात्रा सोहागपुर, पिपरिया, गाडरवाड़ा, लखनादौन, छपारा, सिवनी, छिंदवाड़ा होते हुए परासिया पहुंचेगी. इस यात्रा में मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे, शरद जैन, प्रदेश मंत्री कन्हाई राम रघुवंशी, वीरेन्द्र फौजदार शामिल होंगे.

सिंध नदी, दतिया – यह यात्रा शिवपुरी, सिरसौद, करेरा, दिनारा होते हुए दतिया पहुंचेगी. इस यात्रा में मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, लालसिंह आर्य, रुस्तम सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष अरविन्द भदौरिया, प्रदेश महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा शामिल होंगे.

केन नदी, पन्ना – यह यात्रा रायसेन, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी होते हुए पन्ना पहुंचेगी. इस यात्रा में मंत्री सुरेन्द्र पटवा, सांसद कैलाश सोनी, सदानंद गोडबोले, शशांक श्रीवास्तव, बृजेन्द्रप्रताप सिंह शामिल होंगे.

चंबल नदी – यह यात्रा ग्वालियर से शुरू होकर चंबल नदी तक जाएगी.

“हमारे बीच में नहीं हैं. लेकिन उन्होंने हमें जो कुछ दिया, उसे हमको ग्रहण करना चाहिए”आडवाणी


आडवाणी ने अटल के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा, ‘हम साथ में सिनेमा देखते थे.’


पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सार्वजनिक, सर्वदलीय प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इस प्रार्थना सभा में आध्यात्म की दुनिया से जुड़े लोग भी शामिल हुए.

इस मौके पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, मैंने जीवन में बहुत सारी सभाएं संबोधित की, लेकिन कभी इस तरह की सभा को संबोधित करूंगा, ऐसी कल्पना नहीं की थी. अटल के साथ मेरी दोस्ती 65 सालों से थी और यह मेरा सौभाग्य था कि मुझे उनके साथ समय बिताने का मौका मिला.’

आडवाणी ने कहा, ‘मैंने एक किताब लिखी थी, उसमें अटल के नहीं आने पर मैं बहुत दुखी हुआ था. मैंने उनसे जीवन में बहुत कुछ पाया है.’ अटल के साथ बिताए अपने दिनों को याद करते हुए आडवाणी ने कहा कि हमारे पूर्व पीएम वाजपेयी खाना बहुत अच्छा पकाते थे. फिर चाहें वो खिचड़ी ही क्यों न बनाएं, वह भी बहुत अच्छी बनती थी.’

आडवाणी ने यह भी बताया कि वह और वाजपेयी साथ में सिनेमा देखा करते थे. उन्होंने कहा कि हमें यह सोचकर दुख होता है कि अब वह हमारे बीच में नहीं हैं. लेकिन उन्होंने हमें जो कुछ दिया, उसे हमको ग्रहण करना चाहिए.

5चवां अग्रवाल युवक युवती परिचय सम्मेलन का आयोजन सफल हुआ

[18/08 6:29 pm] Satya narayan Gupta:

5चवां अग्रवाल युवक युवती परिचय सम्मेलन का आयोजन सफल हुआ इस कार्यक्रम का आयोजन अग्रवाल परिवार संगठन ट्रस्ट रजिस्टर्ड द्वारा पम्रशांत बिहार सैक्टर 14 रोहिणी दिल्ली के तत्वावधान में किया गया इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संगठन के अध्यक्ष श्री जगमोहन गुप्ता ने बताया कि परिचय सम्मेलन में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली,यू पी, राजस्थान, उत्तराखंड, चंडीगढ़, तथा मध्य प्रदेश के 800 के लगभग बच्चों एवं उनके परिजनों ने भाग लिया। -। उन्होंने ने बताया कि इस से पुर्व चार परिचय सम्मेलन करवा चुके हैं और उक्त सम्मेलनों के माध्यम से 40% रिश्ते हो चुकें है इसलिए इस पांचवें अग्रवाल युवक युवती परिचय सम्मेलन का आकार बढ़ाने का प्रयास किया है और सफल भी हुए जिस कारण 800 के लगभग शादी के लायक युवक युवतियों ने और उनके परिवारजनों ने कार्यक्रम में शिरकत की -। श्री जगमोहन ने बताया कि उक्त कार्यक्रम में 10%के आस पास परिवारवालों के रिश्ते हो गय और कुछ की बात चित चल रही है
[इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मोहिंदर गोयल विधायक ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की तथा उक्त परिचय सम्मेलन में 600 युवक युवतियों के बायोडाटा उपलब्ध करवाए तथा परिचय पुस्तिका का विमोचन किया इस अवसर अग्रवाल विकास ट्रस्ट पंचकूला के प्रधान सत्यनारायण गुप्ता विशेष अतिथि थे और अग्रवाल समाज के लोग भारी संख्या में उपस्थित रहे

केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 10 करोड़ रुपए की राशि देने की घोषणा की

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि प्रधानमंत्री ने केरल को 500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है. यह राशि 12 अगस्त को गृह मंत्रालय की ओर से 100 करोड़ रुपए की देने की घोषणा से अलग है. कोच्चि में एक उच्च स्तरीय बैठक की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री ने बाढ़ से प्रभावित कुछ क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया.

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने बारिश और बाढ़ से जूझ रहे केरल के विभिन्न इलाकों से 10 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला है और कहा है कि उसने अब तक का देश का सबसे बड़ा राहत और बचाव अभियान छेड़ा है.

एनडीआरएफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि उसकी कुल 58 टीम राहत एवं बचाव काम के लिए केरल में तैनात की गई हैं. उनमें से 55 टीम वहां काम कर रही हैं जबकि तीन टीम रास्ते में है. प्रवक्ता ने कहा, ‘बाढ़ से जूझ रहे केरल राज्य में बल ने अपना राहत एवं बचाव अभियान तेज कर दिया है.’

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हम केरल बाढ़ से प्रभावित लोगों को लेकर चिंतित हैं. केंद्र सरकार हर संभंव मदद कर रही है. रेल अब मुफ्त में खाने पीने की चीजें बाढ़ प्रभावित इलाकों में ले जाएगी.


 

हरियाणा:

केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 10 करोड़ रुपए की राशि देने की घोषणा की।
बीते 100 सालों में सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहे हैं केरलवासी जान-माल के भारी नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लिया निर्णय।
बाढ़ पीड़ितों को मदद और बचाव कार्यों के लिए सहयोग की दिशा में लिया गया निर्णय।

 


मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केरल बाढ़ प्रभावितों के मदद के लिए 10 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है.

 

 

 


कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका के बीजेपी के सभी कॉरपोरेटर केरल बाढ़ प्रभावित लोगों के मदद के लिए अपनी एक महीने की सैलरी दान करेंगे

 

 

 

 


उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केरल बाढ़ प्रभावितों के मदद के लिए 15 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है.

 

 

 

 

 


छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने केरल के मुख्यमंत्री विजयन से फोन पर बात कर हर संभंव मदद करने का भरोसा दिया है.

 

 

 


गुजरात

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने केरल बाढ़ प्रभावित लोगों के मदद के लिए 10 करोड़ रुपए की मदद की घोषणा की है.

 

 

 


महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केरल में बाढ़ प्रभावित लोगों के मदद के लिए 20 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है.

 

 

 


झारखंड

केरल में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 5 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है

 

 

 


ओडिशा

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी केरल के लिए 5 करोड़ रुपए की सहायता राशि का ऐलान किया है. पटनायक ने नौकाओं के साथ 245 दमकलकर्मी केरल भेजने का ऐलान किया.

 

 

 


हार

बाढ़ की मार झेल रहे केरल की मदद में बिहार सरकार आगे आई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को केरल को 10 करोड़ रुपए की मदद का ऐलान किया.

 

 

 


मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री ने हवाई सर्वे किया और हालात जाने. हमारे हेलिकॉप्टर खराब मौसम के कारण कुछ जगहों पर नहीं जा सके. वित्तीय सहायता देने के लिए हमने पीएम का आभार जताया और उनसे और हेलिकॉप्टर और नौकाएं देने की गुहार लगाई है.


मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने कहा, हमने प्रधानमंत्री को सभी परिस्थितियों की जानकारी दे दी. केरल में हालात बहुत खराब हैं. हमें एकजुट होना पड़ेगा. प्रधानमंत्री ने केरल की हालत को बखूबी समझा. राजस्व विभाग के अधिकारी भी हमारे साथ थे.


प्रधानमंत्री के साथ बैठक में मुख्यमंत्री विजयन ने प्रदेश में बाढ़ से हुई तबाही का हाल बताया. विजयन के मुताबिक केरल को 19,512 करोड़ की हानि हुई है.


 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए आज यानी शनिवार सुबह कोच्चि पहुंचे हैं. उन्होंने यहां मुख्यमंत्री पिनारई विजयन और राज्य सरकार के साथ बाढ़ राहत को लेकर बैठक की है. उन्होंने केरल में बाढ़ राहत के लिए 500 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इससे पहले केरल की आपदा के लिए 100 करोड़ पैकेज का ऐलान किया था. तब इतनी बड़ी आपदा के लिए इतने कम पैकेज की घोषणा करने पर सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था.

केरल में भारी बारिश और बाढ़ के चलते अकले शुक्रवार को ही 106 लोगों की मौत हो गई है. इसी के साथ केरल में बीते 8 अगस्त से बाढ़ और बारिश की वजह से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 324 हो गया है.

प्राकृतिक आपदा की इस स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन की कमी और पेट्रोल पंपों में तेल नहीं होने से संकट और गहरा हो गया. बाढ़ की वजह से पर्यटन के लिए मशहूर केरल को गहरा धक्का लगा है. हजारों एकड़ खेत में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. लोगों के घर और मकान ढह गए हैं. साथ ही सड़कें पुल और बुनियादी ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचा है.

अलग-अलग जगहों पर फंसे 80,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया. इनमें 71,000 से ज्यादा लोग बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित एर्नाकुलम जिले के अलुवा क्षेत्र से थे.

तीनों सेनाओं के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने छतों और ऊंची जगहों पर फंसे लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने का काम शुक्रवार को फिर से शुरू किया. पहाड़ी इलाकों में पहाड़ के हिस्से जमीन पर गिरने से सड़क जाम हो रहे हैं, जिससे बाकी जगहों से उनका संपर्क टूट जा रहा है. द्वीप की शक्ल ले चुके कई गांवों में फंसे लोगों को निकालने का अभियान भी जारी है.

नौका से नहीं पहुंचने लायक जगहों में फंसी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित कई लोगों को सेना के हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है.ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन में रह रहे केरल के लोगों ने टीवी चैनलों के जरिए अधिकारियों से अपील की है कि वे उनके प्रियजन की मदद करें.

ऑस्ट्रेलिया में रह रही सौम्या ने कहा कि उनके माता और कुछ रिश्तेदार बीते दो दिनों से अलुवा में फंसे हुए हैं. एक अन्य ने कहा कि उनकी बुजुर्ग रिश्तेदार मैरी वर्गीज को ऑक्सीजन सिलिंडर की सख्त जरूरत है और उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है. एक वॉट्सऐप वीडियो में छह साल के बच्चे के साथ एक जगह पर फंसी हुई महिला मदद की गुहार लगाती नजर आ रही है. वह कह रही है, ‘हमारे पास न खाना है और न पीने को पानी। कृपया हमारी मदद करें.’

In tribute to Vajpayee, PM Modi walks the extra mile

Indian Prime Minister Narendra Modi (R) walks behind a truck pulling the coffin with the body of former Indian prime minister Atal Bihari Vajpayee during a funeral procession in New Delhi on August 17, 2018.
Three-time Indian prime minister Atal Bihari Vajpayee died August 16, sparking tributes from across the political spectrum as current leader Narendra Modi mourned the “irreplaceable loss” of the respected statesman.


In a rare gesture, Prime Minister Modi joined the sea of people who walked down from the BJP headquarters up to the Smriti Sthal, a distance of roughly 5km


He may not be a true follower of the style of politics that former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee believed in, but Prime Minister Narendra Modi paid a rare tribute to the three-time BJP PM by covering his final journey on foot on Friday.

In a rare gesture, Prime Minister Modi joined the sea of people who walked down from the BJP headquarters up to the Smriti Sthal, a distance of roughly 5 km. By doing so, the Prime Minister set aside the protocol and apprehensions over his security. This was a silent gesture of PM Modi to show how much he loved and respected BJP stalwart AB Vajpayee

Prime Minister Narendra Modi paying his last respects to former prime minister Atal Bihari Vajpayee at the cremation ground in New Delhi on August 17, 2018.

Vajpayee’s funeral procession started from the BJP headquarters on the Deen Dayal Upadhyay Marg, and then took the Bahadur Shah Zaffar Marg, crossed Delhi Gate and Daryaganj, to take the Netaji Subhash Marg, before reaching Smriti Sthal at Shanti Van.

Social media was flooded with posts appreciating PM Modi’s gesture towards the former PM.

Atal Bihari Vajpayee Left for Heavenly Abode

 

Atal Bihari Vajpayee ,93, left for Heavenly Abode  today at05:05  pm  according to an official declaration .

 

Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee continues to be on life support system since Wednesday and as per hospital sources at the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) his condition “is very critical”.

A press release from the AIIMS on Thursday morning said: “Former Prime Minister Shri Atal Bihari Vajpayee’s condition continues to be the same. He is critical and is on life support systems.”

On August 16 morning, Prime Minister Narendra Modi visited AIIMS to enquire about the health condition of Mr. Vajpayee, his second visit in less than 24 hours. Mr. Modi had visited the hospital on Wednesday evening to enquire about the BJP leader’s condition.

On Thursday morning, Vice-President M. Venkaiah Naidu and BJP leaders, including Home Minister Rajnath Singh, party president Amit Shah and BJP veteran L.K. Advani, also visited the AIIMS to enquire about him.

Atal Bihari Vajpayee was an iconic leader of the Bharatiya Janata Party (BJP), known for his cultural moderation, liberalism and political reasonableness. He became the Prime Minister of India thrice. It was during his tenure that India successfully conducted nuclear tests at Pokhran and renewed hopes for peace between India and Pakistan emerged with the start of the New Delhi-Lahore bus service. His government has been till date the only non-Congress government to stay in power for five years. Besides being a seasoned politician and outstanding parliamentarian, Atal Bihari Vajpayee is also a renowned poet and a highly popular personality across the political spectrum.

The Narendra Modi Government has announced the conferment of Bharat Ratna on former prime minister Atal Bihari Vajpayee. His birthday on 25 December has been declared as ‘Good Governance Day’. Famous for his oratorical skills.

Early life

Atal Bihari Vajpayee was born in a middle-class Brahmin family to Krishna Devi and Krishna Bihari Vajpayee on 25 December, 1924 in Gwalior (Madhya Pradesh). His father was a poet and a school teacher. Vajpayee did his schooling from the Saraswati Shishu Mandir, Gwalior. Later, he studied at Victoria College, Gwalior – now Laxmi Bai College, for his graduation. It was at Dayanand Anglo-Vedic College, Kanpur that Vajpayee completed his post-graduation in Political Science.

Joining as the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) worker in 1939, Vajpayee became a pracharak (full-time worker) in 1947. He also worked for Rashtradharma Hindi monthly, Panchjanya Hindi weekly and the dailies Swadesh and Veer Arjun.

Vajpayee chose to stay bachelor for whole life.

Political Career

Atal Bihari Vajpayee began his career in politics as a freedom fighter. Later he joined the Bharatiya Jana Sangh (BJS), a Hindu right-wing political party, under the leadership of Dr Syama Prasad Mookerjee. He became national secretary of BJS in charge of the Northern region.

As the new leader of BJS, Vajpayee was elected to the Lok Sabha for the first time in 1957 from Balrampur. He rose to become the national president of the Jana Sangh in 1968. Supported by his colleagues Nanaji Deshmukh, Balraj Madhok and L K Advani, Vajpayee took the Jana Sangh to greater glory.

Atal Bihari Vajpayee participated in the Total Revolution movement launched by Jayaprakash Narayan (JP) against the Internal Emergency imposed by then prime minister Indira Gandhi in 1975. In 1977, Jana Sangh became a part of the Janata Party, the grand-alliance against the Indira Gandhi government.

Atal Bihari Vajpayee became a Union Minister in 1977 when Morarji Desai-led Janata Party coalition came to power for the first time. He became the Minister of External Affairs. As foreign minister, Vajpayee became the first person to deliver a speech at the United Nations General Assembly in Hindi. His career as a minister was short-lived as he resigned from his post following the resignation of Morarji Desai in 1979. But by then, Vajpayee had established himself as a political leader.

Vajpayee along with Lal Krishna Advani, Bhairon Singh Shekhawat and others from the BJS and Rashtriya Swyamsevak Sangh (RSS) formed the Bharatiya Janata Party in 1980. He became a strong critic of the Congress (I) government that followed the fall of Janata Party government.

Vajpayee did not support Operation Blue Star and raised his voice against the anti-Sikh violence after the assassination of Prime Minister Indira Gandhi in 1984 by two of her Sikh bodyguards.

The BJP won two parliamentary seats in the 1984 elections. Vajpayee functioned as BJP President and Leader of the Opposition in the Parliament. Known for his liberal views, Vajpayee bemoaned the demolition of the Babri Mosque on 6 December, 1992 and declared it as the BJP’s “worst miscalculation”.

As Prime Minister of India

By 1984 elections, the BJP had established itself as an important political party in Indian politics. Vajpayee was sworn in as the 10th Prime Minister of India following the 1996 General Elections, where the BJP emerged as the single largest party in the Lok Sabha. However, the government collapsed after only 13 days after his government could not gather support from other parties to obtain a majority. He thus became the shortest serving Prime Minister in India.

The BJP-led coalition government came back to power as the National Democratic Alliance (NDA) in 1998. Vajpayee was again sworn in as the Prime Minister.

Vajpayee’s second term as PM is known for Nuclear tests conducted at Pokhran desert in Rajasthan, in May 1998. Vajpayee also pushed for peace process with Pakistan. He inaugurated the historic Delhi-Lahore bus service in February 1999. He also pitched for resolving the Kashmir dispute and other conflicts with Pakistan.

But Pakistan ditched India by launching Kargil War, wherein Pakistani soldiers infiltrated into the Kashmir Valley and captured border hilltops around the town of Kargil.

Indian army units, under Operation Vijay, fought Pakistani intruders braving heavy artillery shelling amidst extremely cold weather, and treacherous hilly terrain, and ultimately emerged victorious. However, Vajpayee’s government lasted 13 months when the All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam (AIADMK) withdrew its support to the government in mid-1999.

In the following election, however, the NDA came back with full majority and Vajpayee was able to complete five years (1999-2004) in office as a non-Congress PM for the first time. Atal Bihari Vajpayee took oath as Prime Minister of India for the third time on 13 October 1999.

However, his third term also saw India yielding to terrorists when in December 1999, Indian Airlines flight IC 814 from Kathmandu to New Delhi was hijacked and taken to Kandahar, Afghanistan. The government had to release dread terrorists including Maulana Masood Azhar from prison to secure the freedom of passengers. On the brighter side, the Vajpayee government introduced many economic and infrastructural reforms, including encouraging the private sector and foreign investments. It also undertook National Highway Development Projects and Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana. Vajpayee adopted pro-business, free-market reforms approach to boost India’s economic development.

In March 2000, Vajpayee signed the Historic Vision Document during the visit of the then US President Bill Clinton. The Declaration incorporated several strategic issues, apart from pitching for expansion in trade and economic ties between the two countries.

Atal Bihari Vajpayee again tried for peace with Pakistan during the Agra summit with the then Pakistan President Pervez Musharraf, but the talks failed to achieve any breakthrough as Musharraf declined to leave aside the Kashmir issue.

The Atal Bihari Vajpayee regime also witnessed an attack on Indian Parliament on 13 December 2001, when Pakistan-supported terrorists stormed the Parliament building in Delhi. They were ultimately foiled in their attempts by the Indian security forces.

Vajpayee as PM was pained when communal riots broke out in Gujarat in 2002 after the Godhra train tragedy.

Retirement

The 2004 General Election brought about the downfall of the NDA, which lost almost half its seats and the Congress-led United Progressive Alliance (UPA) assumed the reins of power. Vajpayee refused to take up the position of the Leader of the Opposition paving the way for Lal Krishna Advani’s leadership of BJP. He now lives in retirement and seclusion owing to ill health.

Awards

  • Prime Minister Narendra Modi and Foreign Minister Sushma Swaraj (far right) hand over the Liberation War award to Vajpayee’s family members.
  • Padma Vibhushan in 1992
  • D. Lit. from Kanpur University in 1993
  • Lokmanya Tilak Award in 1994
  • Best Parliamentarian Award in 1994
  • Bharat Ratna Pandit Govind Vallabh Pant Award in 1994
  • Bharat Ratna in 2015
  • Liberation War award (Bangladesh Muktijuddho Sanmanona) in 2015

Facts and Information about Atal Bihari Vajpayee

Born 25 December 1924 (age 93) at Gwalior (Madhya Pradesh)
Parents Krishna Devi, Krishna Bihari Vajpayee
Education Victoria College (Now Laxmibai College), Gwalior ; DAV College, Kanpur .
Marriage Unmarried but has an adopted daughter, Namita
Recognition Known for his liberal social, cultural and political views
Awards Padma Vibhushan (1992), Honorary Doctorate of Philosophy from the Kanpur University (1993) and Bharat Ratna (2014)
Other than Politics An acclaimed poet, journalist and a brilliant orator
Political career Started as a freedom fighter; took part in Quit India Movement in 1942. Met Bharatiya Jana Sangh (BJS) leader Syama Prasad Mookerjee, took over BJS leadership after Mookerjee’s deathFounded the Bharatiya Janata Party (the BJP), along with his colleagues such as Lal Krishna Advani and Bhairon Singh Shekhawat in 1980. Served as the president of this party, during the first five years.

Served as a Member of Parliament for 50 years. Was elected 10 times to Lok Sabha beginning with 1957, represented six different constituencies.

As Prime Minister Elected as the Prime Minister of India thrice: 1996 – Vajpayee became Prime Minister for the first time but had to resign in just 13 days after the BJP failed to get the support of other parties.1998 – Headed the National Democratic Party (NDA) government as the Prime Minister for the second time but could rule only for 13 months when the All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam (AIADMK) withdrew its support.

1999 – Completed his full five-year term, becoming the longest serving non-Congress Prime Minister at the Centre (13 October 1999- 19 May 2004).

Vajpayee retired from politics in 2005.

Legacy – In May 1998, the Vajpayee government conducted five underground nuclear tests in Pokhran, Rajasthan.– Strongly pitching for India-Pakistan friendship, he inaugurated a bus service from Delhi to Lahore in Pakistan in 1999.

– His government set out on a number of economic reforms and encouraged foreign investment and privatisation.

– Asked the then Gujarat CM Narendra Modi to abide by his ‘Rajdharma’ after the Gujarat communal riots.