माया मोह से परे कांग्रेस भाजपा कि राह आसान करती हुई


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है, ‘कांग्रेस पार्टी के रवैये को देखते हुए अब हमारी पार्टी कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी कीमत पर मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.’


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है, ‘कांग्रेस पार्टी के रवैये को देखते हुए अब हमारी पार्टी कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी कीमत पर मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.’ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती का यह ऐलान सियासी हलचल मचाने वाला है. हलचल विपक्षी खेमे में कहीं ज्यादा है, क्योंकि इस ऐलान के बाद बीएसपी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कांग्रेस के साथ किसी भी सहमति की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है.

लेकिन, इस ऐलान का मतलब सिर्फ विधानसभा चुनावों तक ही नहीं है. मायावती के इस ऐलान में दिख रही तल्खी से साफ है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी वो कांग्रेस को पटखनी देने की पूरी कोशिश करेंगी यानी यूपी में भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना भी अब खत्म हो गई है.

मायावती की गुगली से कांग्रेस चित

 

मायावती ने कांग्रेस पर उनकी पार्टी बीएसपी को खत्म करने का आरोप लगाया है. उनके मुताबिक, कांग्रेस पार्टी के नेताओं के रवैये से लगता है कि वे लोग बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए गंभीर होने के बजाए, बीएसपी को ही खत्म करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं. मायावती का आरोप है कि बदनामी मोल लेने के बावजूद भी बीएसपी ने बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस का साथ दिया लेकिन, बदले में कांग्रेस ने बीजेपी की तरह ही हमेशा दगा दिया है और पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है.

मायावती के हमले में कांग्रेस को चारों खाने चित करने की तैयारी है क्योंकि जो कांग्रेस बीजेपी पर जातिवादी और साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाती रही है, अब मायावती ने सीधे कांग्रेस पर भी वही आरोप लगा दिए हैं.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तरफ से किया गया कांग्रेस पर वार बीजेपी के लिए राहत है, कांग्रेस के लिए बाधक है, जबकि, खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए एक अगले लोकसभा चुनाव से पहले खुल कर खेलने का मौका है, यानी बंधन मुक्त मायावती जो कि आने वाले दिनों में अपने हिसाब से सौदा भी कर सकें और हालात के हिसाब से सियासी गोटी भी फिट कर सकें.

बीजेपी के लिए राहत

बात पहले बीजेपी की करें तो पार्टी मायावती के इस कदम से राहत की सांस ले रही है. कम-से-कम उन प्रदेशों में बीजेपी के लिए फिलहाल राहत है जहां कांग्रेस के साथ उसकी सीधी टक्कर है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी सत्ता में है और विधानसभा चुनाव में उसे एक साथ कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

एंटीइंकंबेंसी फैक्टर के अलावा एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बीजेपी के परंपरागत वोटर रहे सवर्ण समाज के विरोध ने पार्टी को परेशान कर दिया है. ऐसे वक्त में कांग्रेस के साथ बीएसपी के गठबंधन से पूरा का पूरा माहौल बदल सकता था. लेकिन, ऐसा हो न सका. बीजेपी के लिए यह राहत भरी बात है. तीसरी ताकत के तौर पर मायावती का मैदान में उतरना इन राज्यों में बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाला रहेगा.

2013 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में बीएसपी को 6.29 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 4.30 फीसदी जबकि राजस्थान में 3.40 फीसदी था. ऐसे में कांग्रेस के साथ बीएसपी का वोट प्रतिशत जुड़ जाने पर यह आंकड़ा बीजेपी के लिए परेशान कर सकता था. खासतौर से छत्तीसगढ़ में और भी ज्यादा परेशानी हो सकती थी जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट प्रतिशत का अंतर महज एक से डेढ़ फीसदी का ही रहा था.

महागठबंधन की कोशिशों को झटका

बात अगर कांग्रेस की करें तो कांग्रेस के लिए अब मायावती का रुख बड़ा बाधक बन सकता है. खासतौर से कांग्रेस ने जिस तरह महागठबंधन बनाने के लिए विपक्षी एकता की बात की थी, उससे देश भर में एक माहौल बनाने की कोशिश हो रही थी. यह कोशिश बीजेपी विरोधी सभी दलों को साथ रखकर चलने की थी. लेकिन, मायावती ने कांग्रेस की इन सभी उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेर दिया है.

कांग्रेस के लिहाज से यूपी में एसपी-बीएसपी के साथ गठबंधन करना ज्यादा जरूरी था. लेकिन, न ही मायावती और न ही अखिलेश यादव की तरफ से कांग्रेस को लेकर उत्साह दिखाया जा रहा है. कांग्रेस अगर यूपी में महागठबंधन नहीं बना पाई तो फिर लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की उसकी कोशिश परवान नहीं चढ़ पाएगी. मायावती की गुगली से कांग्रेस इस वक्त बुरी तरह से फंस गई है, क्योंकि कांग्रेस के ही जातिवादी-साम्प्रदायिक तीर से मायावती ने उसे घेर दिया है.

मायावती 

अब, बात मायावती की करें तो वो कांग्रेस पर पूरी तरह से ठीकरा फोड़ रही हैं. मायावती को पता है कि उनपर सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों के डर से कांग्रेस से दूर रहने के का आरोप लगेगा. कांग्रेस इन आरोपों को लगाकर बीजेपी के साथ मायावती की मिली-भगत का आरोप लगाएगी, लिहाजा, पहले से ही कांग्रेस पर उनका प्रहार शुरू हो गया है.

लेकिन, हकीकत यही है कि मायावती ने बड़ा सियासी दांव खेला है. मायावती ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपनी उपेक्षा के बहाने कांग्रेस को कायदे से किनारे लगा दिया है. मायावती को इन राज्यों के विधानसभा चुनावों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. लेकिन, यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले उनकी तरफ से जो दांव खेला गया है, उससे कांग्रेस खेमे में हड़कंप है. अगर एसपी के साथ बीएसपी का गठबंधन बन भी जाता है तो उस हालात में चुनाव बाद भी मायावती अलग अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगी. लेकिन, चुनाव से पहले गठबंधन बनने से मायावती के लिए गठबंधन का ठप्पा लगा रहेगा जिससे बीएसपी के मुकाबले फायदा कांग्रेस को ही होगा.

 

 

राजस्थान में जाट आंदोलन

जयपुर:

राजस्थान में जाट आरक्षण का मु्द्दा गर्मा गया है। राज्य के जाट नेताओं ने शुक्रवार को आंदोलन करने की धमकी दी है। नेताओं का कहना है कि सरकार से आज शाम को बातचीत का आश्वासन मिला है। यदि सरकार हमारी बात नहीं मानती है तो कल से जाट आंदोलन होगा।

भरतपुर से जाट नेता और कुम्हेर डीग से कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह ने सरकार को आज शाम तक का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि यदि सरकार शाम तक हमारी मांगों को पूरा करने की तरफ सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो कल से जाट आंदोलन शुरू होगा। इसके अलावा उनका कहना है कि इस बार का आंदोलन इतना बड़ा होगा जिसे कि नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा, ‘पिछले आंदोलनों के दौरान मैंने जनता को मना लिया था लेकिन इस बार जनता नहीं मानेगी

पेट्रोल डीजल पर केंद्र ने 2.50 रुपये की रिलीफ दी और राज्यों से भी इतनी ही कटौती करने की गुजारिश की


हमने देश मे तेल की कीमत घटाने के की प्रयास किये।

पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रुपये की राहत देंगे।


आज वित्त मंत्री ने पत्रकार वार्ता में बताया कि वित्त मंत्रालय पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रुपये की राहत देगा.

तेल की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2.50 रुपये कटौती की घोषणा की है। जेटली ने कहा, ‘आज अंतरमंत्रालयी बैठक में हमने तय किया कि एक्साइज ड्यूटी 1.50 रुपये घटाया जाएगा। इसके अलावा ऑइल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) एक रुपया घटाएंगी। केंद्र सरकार की तरफ से हम 2.50 रुपये प्रति लीटर तुरंत उपभोक्ताओं को राहत देंगे।’ वित्त मंत्री ने राज्यों से भी इतनी ही कटौती करने की गुजारिश की है ताकि ग्राहकों को 5 रुपये की राहत मिले। वित्त मंत्री ने कहा कि कटौती से एक्साइज रेवेन्यू में इस साल 10,500 करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ेगा।

बोले पिछले 4 साल में कच्चा तेल की कीमत सबसे ज्यादा। अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का असर पड़ा। शेयर बाजार में गिरावट है। हमारी घरेलू आर्थिक स्तिथि मजबूत। महंगाई के आंकड़े हमारे पक्ष में है।

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ‘चैंपियन ऑफ अनर्थ’: रणदीप सुरजेवाला


अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत कि उभरती तस्वीर कांग्रेस को हजम नहीं हो रही. पहले तो कांग्रेसी प्रवक्ता भारतीय मतदाताओं कि बुद्धि पर ही कटाक्ष करते थे अब वह अन्तराष्ट्रीय मंच संचालकों कि बुद्धि पर भी तंज़ कसने लग पड़े हैं,

रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ऐसा लगता है कि मोदी ‘चैंपियन ऑफ अनर्थ’ साबित हुए हैं.


कांग्रेस ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर किसानों पर बल प्रयोग को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने मोदी को ‘चैंपियन ऑफ अर्थ’ का पुरस्कार दिया है, लेकिन किसानों पर लाठी चलवाकर वह ‘चैंपियन ऑफ अनर्थ’ साबित हुए हैं.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि देश की मोदी सरकार किसान मुक्त भारत का निर्माण करने में जुटी है. मोदी जी चैंपियन ऑफ अनर्थ साबित हुए हैं, जो धरती पुत्र को मारे वह धरती का चैंपियन नहीं नहीं हो सकता.’ दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र ने अपना सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान ‘चैंपियन ऑफ द अर्थ’ प्रदान किया है.

उन्होंने कहा, ‘मोदी जी, भगोड़ों को देते हैं नोट और किसानों को देते हैं लाठी की चोट. अब तो देश के हर कोने से यही स्वर सुनाई देता है-नरेंद्र मोदी, किसान विरोधी.’ सुरजेवाला ने कहा, ‘मोदी सरकार में कई बार किसानों पर लाठियां और गोलियां चलाईं गई हैं. अब तो यह रोजाना की बात हो गई है.’

सुरजेवाला ने कहा, ‘किसानों को एक बार फिर झूठे वादों को टोकरी पकड़ा दी गई. यह सरकार कब तक किसानों को ठगेगी? प्रधानमंत्री जी जवाब दें.’ उन्होंने सवाल किया, ‘एमएसपी का वादा जुमला क्यों बन गया? जब चार साल में बड़े उद्योगपतियों के 3.17 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया तो 62 करोड़ लोगों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता?’

कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘यूरिया और खाद की कीमतें बढ़ाकर किसानों पर अत्याचार क्यों? डीजल की कीमत लगातार बढ़कर किसान की कमर क्यों तोड़ रहे हैं?’

मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही थी लेकिन यहां उन्होंने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया : दिग्विजय सिंह


दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैं नरेंद्र मोदी, अमित शाह, बीजेपी और आरएसएस का सबसे बड़ा आलोचक हूं. राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, हम सभी उनका कहा मानते हैं’


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती के उनपर लगाए आरोपों को खारिज किया है.

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैं पहले ही साफ कर चुका हूं कि मैं मायावती का सम्मान करता हूं. मैं कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन का समर्थक हूं. छत्तीसगढ़ में गठबंधन को लेकर बात हो रही थी लेकिन वो (मायावती) इसके लिए तैयार नहीं हुईं. मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही थी लेकिन यहां उन्होंने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया.’

I’ve already made it clear that I respect Mayawati ji&has been in favour of Congress-BSP alliance from beginning. In Chhattisgarh, there were talks for alliance but she didn’t go for it. In MP too there were talks of alliance, she declared 22 candidates: Digvijaya Singh, Congress

बीजेपी का एजेंट होने के आरोपों पर दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैं नरेंद्र मोदी, अमित शाह, बीजेपी और आरएसएस का सबसे बड़ा आलोचक हूं. राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, हम सभी उनके आदेशों का पालन करेंगे.’

Please ask her, as far as I am concerned, I had been one of the bitterest critics of Modi ji, Amit Shah ji, BJP & RSS. Rahul Gandhi is our Congress chief, we follow his directions: Digvijaya Singh, Congress on BSP chief Mayawati’s statement on him

इससे पहले बुधवार को ही मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि ‘कांग्रेस घमंडी हो गई है और उसे गलतफहमी है कि वो बीजेपी को अकेले अपने दम पर हरा देगी. लेकिन सच्चाई यह है कि लोग कांग्रेस को उसकी गलतियों और भ्रष्टाचार के लिए भूले नहीं हैं.’

बीएसपी अध्यक्ष ने कहा, ‘दिग्विजय सिंह जो बीजेपी के एजेंट हैं. उन्होंने बयान  दिया है कि मायावती को केंद्र की तरफ से प्रेशर है इसलिए वो गठबंधन करना नहीं चाहतीं. यह निराधार है. दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी नेता नहीं चाहते कि कांग्रेस-बीएसपी का गठबंधन हो. वो सीबीआई, ईडी की तरह डरे हुए हैं.’

दिग्विजय भाजपा के एजेंट , राजस्थान और मध्य प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ेंगी : मायावती


मायावती ने कहा ‘कांग्रेस घमंडी हो गई है और उसे गलतफहमी है कि वह बीजेपी को अकेली हरा देगी लेकिन सच्चाई यह है कि लोग कांग्रेस को उसकी गलती और भ्रष्टाचार के लिए नहीं भूले हैं.’


बीएसपी चीफ मायावती ने बुधवार को कहा कि बीएसपी राजस्थान और मध्य प्रदेश चुनाव अकेली लड़ेगी. इन चुनावों में बीएसपी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी.

“They (Congress) are getting arrogant & are under misconception that they can defeat BJP on their own but the ground reality is that people haven’t forgiven Congress party for their mistakes&corruption…They don’t seem to be ready to rectify themselves”: BSP chief Mayawati 

मायावती ने कहा ‘कांग्रेस घमंडी हो गई है और उसे गलतफहमी है कि वह बीजेपी को अकेली हरा देगी लेकिन सच्चाई यह है कि लोग कांग्रेस को उसकी गलती और भ्रष्टाचार के लिए नहीं भूले हैं.’

“I feel that Sonia Gandhi & Rahul Gandhi’s intentions for Congress-BSP alliance are honest. However some Congress leaders are sabotaging this” : BSP Chief Mayawati

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा ‘मुझे महसूस होता है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इरादे गठबंधन को लेकर ठीक हैं. जबकि कुछ कांग्रेस नेता इसमें गड़बड़ कर रहे हैं.’

“Digvijaya Singh who is also a BJP agent is giving statements that Mayawati ji has a lot of pressure from Centre so she doesn’t want this alliance. This is baseless”: BSP Chief Mayawati

बीएसपी सुप्रीमो ने कहा ‘दिग्विजय सिंह जो बीजेपी के एजेंट हैं. उन्होंने स्टेटमेंट दिया है कि मायावती को केंद्र की तरफ से प्रेशर है इसलिए वह गठबंधन करना नहीं चाहतीं. यह निराधार है. दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी नेता नहीं चाहते कि कांग्रेस-बीएसपी का गठबंधन हो. वह सीबीआई, ईडी की तरह डरे हुए हैं.’

इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी आज चुनाव में मुसलमानों को उम्मीदवार बनाने से डर सकती है, लेकिन बसपा ऐसा नहीं करती.

हरियाणा के कालेजों व यूनिवर्सिटी में 15 अक्तूबर से पहले होंगे चुनाव- राम बिलास शर्मा


तत्कालीन सीएम चौधरी बंसीलाल ने 1996 में छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाई थी


 प्रदेश के काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में 22 साल बाद छात्रसंघ के चुनाव सितंबर के आखिरी या अक्टूबर के पहले सप्ताह में हो सकते हैं। चुनाव की तारीखों का ऐलान एक सप्ताह के अंदर कर दिया जाएगा। यह आश्वासन सीएम मनोहर लाल ने मंगलवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रतिनिधिमंडल को दिया है। एबीवीपी सीएम से मांग की है कि छात्रसंघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली के आधार पर कराए जाने चाहिए। इसके बाद सीएम ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग कर सभी जिलों के डीसी व एसपी को आदेश दिए कि वे चुनावों को लेकर पूरी तैयारी रखें, ताकि छात्रसंघ चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से कराए जा सकें।

कॉलेजों में 20% सीटें भी बढ़ें- एबीवीपी: एबीवीपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र धीमान ने कहा कि प्रदेश में काफी संख्या में बेटियों को कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिल रहा है। ऐसे में 20 फीसदी तक सीटें बढ़ाए जाने की जरूरत है। सीएम ने आश्वासन दिया है कि सीटें बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।

5 तक तारीख घोषित करे सरकार- इनसो: इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (इनसो) के अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने कहा, ‘5 अगस्त तक चुनाव की घोषणा न होने पर इनसो ने आंदोलन की चेतावनी दे रखी है। सरकार ने एबीवीपी के प्रतिनिधियों को बुलाकर पुरानी बात दोहरा दी। हम 5 अगस्त तक चुनाव की तारीख चाहते हैं। चुनाव डायरेक्ट होने चाहिए। सरकार ने छात्रसंघ चुनाव के लिए न बजट जारी किया, न यूनिवर्सिटी के कैलेंडर में शामिल किया है।’

सरकार के फैसले का स्वागत- एनएसयूआई: एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कहा, ‘सरकार छात्रसंघ चुनाव कराती है तो हम इसका स्वागत करते हैं। सरकार जल्द ही नोटिफिकेशन जारी करे। यूनिवर्सिटी के कैलेंडर में इसे शामिल कराए। चुनाव डायरेक्टर ही कराए जाएं।’

1996 में बंसीलाल ने लगाई थी रोक: हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा की गठबंधन सरकार में तत्कालीन सीएम चौधरी बंसीलाल ने 1996 में छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाई थी। इसके बाद से स्टूडेंट्स की ओर से चुनाव की मांग की जाती रही। 22 साल में भाजपा-इनेलो गठबंधन के बाद 10 साल तक कांग्रेस की सरकार रही, पर चुनाव बहाल नहीं हो सके। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने छात्रसंघ चुनाव का वादा किया था।

22 साल बाद हरियाणा में छार संघ चुनाव

शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा और मुख्य मंत्री मनोहरलाल खट्टर की फाइल फोटो

अजय कुमार , पंचकुला Big Breaking….


हरियाणा के कालेजों व यूनिवर्सिटी में 15 अक्तूबर से पहले होंगे चुनाव- राम बिलास शर्मा
22 साल बाद हो रहें है हरियाणा में छात्र संघ के चुनाव- शर्मा
2016-17 से पहले खोले गए कालेजों में ही होंगे चुनाव- शिक्षा मंत्री
अप्रत्यक्ष रूप से होगी छात्र संघ के प्रधान का चुनाव-शर्मा
प्रोफेसर टंकेश्वर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर होंगे चुनाव -शर्मा


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधिमंडल के मुलाकात करने के तुरंत बाद हरियाणा सरकार ने राज्य में 22 साल से बंद छात्र संघ के चुनाव बहाल करने का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में विद्यार्थियों से यह वादा किया था। सत्ता में आने के चार साल बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ऐलान किया है कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में सितंबर के आखिर अथवा अक्टूबर के शुरू में छात्र संघ के चुनाव कराए जाएंगे

भाजपा ने सत्ता में आने के चार साल बाद किया चुनावी वादा पूरा

राज्‍य की छात्र राजनीति के कई सुखद पहलू हैैं तो दागदार पहलू भी कम नहींं। विश्वविद्यालयों और कालेजों के कैंपस युवाओं के खून से रंगे हैैं। करीब 12 छात्र नेताओं की हत्या और हर जिले में मुकदमेबाजी से आजिज तत्कालीन हविपा-भाजपा सरकार के मुखिया चौ. बंसीलाल ने १९९६ में छात्र संघ के चुनाव पर रोक लगा दी थी। तभी से छात्र राजनीति हाशिए पर है।

चुनाव का तरीका अभी तय नहीं, सीएम ने डीसी-एसपी को दिए निर्देश

इन 22सालों में कांग्रेस और इनेलो की सरकारें रहीं। दोनों पार्टियों के छात्र संगठन लगातार छात्र संघ चुनाव कराने की मांग करते रहे, लेकिन कोई पार्टी आज तक साहस नहीं जुटा पाई। भाजपा ने भी हालांकि हिम्मत कर अपना बड़ा चुनावी वादा पूरा किया है। अभी तक यह साफ नहीं किया गया कि चुनाव डायरेक्ट प्रणाली से होंगे अथवा मतदान के जरिये। सरकार के पास हिंसा से बचने के लिए ऑनलाइन सिस्टम के जरिये भी चुनाव कराने का विकल्प है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जिला उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में छात्र संघ के चुनाव की तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए हैैं। उन्होंने डीसी-एसपी से कहा कि शांतिपूर्ण चुनाव सरकार का पहला टारगेट है। सीएम ने डीसी व एसपी को संकेत दिया कि चुनाव सितंबर अथवा अक्टूबर में होंगे।

तीन कुलपति और एक रजिस्ट्रार की कमेटी ने सरकार  के समक्ष सिफारिश की है कि कुछ विश्वविद्यालयों व कालेजों में आॅनलाइन चुनाव करा लिए जाएं। प्रयोग सफल रहा तो अगले सत्र से सभी कालेजों व विश्वविद्यालयों में आॅनलाइन ही चुनाव होंगे। इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला और एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा इसके हक में नहीं हैैं। दूसरी ओर, एबीवीपी के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजेंद्र धीमान ने डायरेक्ट चुनाव की पेशकश की है।

कांग्रेस का एक ही नारा है- मोदी को हटाना है, अब चाहे पाकिस्तान हटा दे या माओवादी हटा दें: पात्रा


बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है


भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी मामले में विपक्ष के हमलों के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है. पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल किया कि राहुल गांधी आप बार-बार राष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े क्यों नज़र आते हैं?

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है. उन्होंने कहा, ‘इस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र हित की जीत है.’

पात्रा ने कहा कि ऐसे लोग जो राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करते हैं, उन्हें यह चुनने की छूट नहीं है कि वे किस प्रकार की जांच का सामना करेंगे और कानून कब और कैसे काम करेगा.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की जीत है. यह फैसला कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने का काम करती है. उन्होंने कहा कि अपने निजी स्वार्थ के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी आज देश को कुचलने और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के लिए भी तैयार हैं.

पात्रा ने सवाल किया, ‘राहुल जी आप बार-बार राष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े क्यों नज़र आते हैं?’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का एक ही नारा है- मोदी को हटाना है, अब चाहे पाकिस्तान हटा दे या माओवादी हटा दें, लेकिन देश की जनता राष्ट्र सुरक्षा और मोदी के साथ है.

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा प्रकरण के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार करने के साथ ही इन गिरफ्तारियों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आग्रह भी ठुकरा दिया. महाराष्ट्र पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को पिछले महीने गिरफ्तार किया था परंतु शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश पर उन्हें घरों में नजरबंद रखा गया था.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले से इन कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिए इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिकायें ठुकरा दीं.

वैदिक शिक्षा पद्धति के लिए बोर्ड के गठन पर विचार करेगी केंद्र सरकार: अमित शाह


शिक्षा की वैदिक पद्धति को ही सर्वांगीण विकास का मार्ग दिखाने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के सर्वांगीण विकास के प्रति संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि योगगुरु स्वामी रामदेव ने ‘आचार्यकुलम’ के रूप में वैदिक शिक्षा का विकल्प देकर मैकाले की शिक्षा पद्धति से देश को मुक्ति का मार्ग दिया है और केंद्र सरकार वैदिक शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड गठन के प्रस्तावित प्रारूप पर विचार करेगी.

यहां आचार्यकुलम का उद्घाटन करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकारें स्वामी रामदेव और पतंजलि योगपीठ के इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी.

शिक्षा की वैदिक पद्धति को ही सर्वांगीण विकास का मार्ग दिखाने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के सर्वांगीण विकास के प्रति संकल्पबद्ध होकर कार्य काम कर रही है.

शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने मैकाले शिक्षा पद्धति को लागू कर समाज को बांटने का काम किया था. उन्होंने आश्वासन दिया कि वैदिक शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड गठन के प्रस्तावित प्रारूप पर विचार करेगी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि स्वयं रामदेव ने वैदिक शिक्षा प्रणाली और आधुनिक शिक्षा का समन्वय कर क्रांतिकारी कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि आचार्य बालकृष्ण की अगुवाई में आचार्यकुलम नये भारत का निर्माण करेगा. स्वामी रामदेव ने केंद्र सरकार से शीघ्र वैदिक शिक्षा बोर्ड गठित किये जाने का आग्रह किया.

आचार्यकुलम के उदघाटन अवसर पर हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी, जूना अखाड़ा के पीठाधीशा महामंडलेशवर स्वामी अवधेशानंद और आचार्य बालकृष्ण ने भी समारोह को संबोधित किया. बीजेपी अध्यक्ष शाह ने पतंजलि अनुसंधान केंद्र सहित फूड पार्क व योगग्राम का निरीक्षण भी किया.