रायसेन में दो समुदायों में टकराव, 1 की मौत, 50 से ज्यादा घायल

जानकारी के मुताबिक मामला रायसेन जिले के खमरिया खुर्द गांव का बताया जा रहा है। यहां शुक्रवार की रात को आदिवासी समाज के दो लड़के एक अन्य समाज की गली से गुजर रहे थे। इसी दौरान दूसरे समुदाय के लोगों से किसी बात को लेकर उनकी कहासुनी हो गई। बात बात में विवाद इतना बढ़ गया कि सामने वाले पक्ष ने दोनों युवकों पर हमला कर दिया।

रायसेन/भोपाल, डेमोरेटिक फ्रंट:

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में दो पक्षों के बीच हुए मामूली विवाद ने भयानक रूप ले लिया। विवाद इतना बढ़ गया कि यहां जमकर हंगामा देखने को मिला। यहां दोनों पक्षों के लोगों ने जमकर आतंक काटा और 5 बाइक के साथ 3 दुकानें आग के हवाले कर दीं। हालांकि बवाल बढ़ने के बाद पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है। मौके पर 4 थानों की पुलिस की तैनाती कर दी गई है। साथ ही सीएम शिवराज सिंह समेत पुलिस के आला अधिकारी भी मामले पर पैनी नजर रख रहे हैं और सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं। बता दें कि मामूली बात को लेकर शुरू हुआ यह विवाद इतना बढ़ गया कि उपद्रव में 38 लोगों को गंभीर चोट आई हैं। वहीं एक व्यक्ति की मौत हो गई है।   इनमें से 6 लोगों की हालत नाजुक बताई जा रही है। वहीं करीब 32 घायलों को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उनका इलाज चल रहा है. सीएम शिवराज सिंह ने भी हमीदिया का दौरा कर घायलों का हाल-चाल जाना है।

जानकारी के मुताबिक मामला रायसेन जिले के खमरिया खुर्द गांव का बताया जा रहा है। यहां शुक्रवार की रात को आदिवासी समाज के दो लड़के एक अन्य समाज की गली से गुजर रहे थे, इसी दौरान दूसरे समुदाय के लोगों से किसी बात को लेकर उनकी कहासुनी हो गई, बात बात में विवाद इतना बढ़ गया कि सामने वाले पक्ष ने दोनों युवकों पर हमला कर दिया। इसके बाद आदिवासी समाज के युवकों ने भी अपने कुछ लोगों को बुलाया और मार-पीट शुरू कर दी। हालांकि मौके पर पहुंचे बुजुर्गों ने मामले को शांत कराया। वहीं थोड़ी देर बाद दोनों ही समुदाय के सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए। आदिवासी समाज के लोगों ने अन्य समुदाय की दुकानें और 5 बाइक को आग हवाले कर दिया। वहीं आदिवासी समाज की तरफ से कई हवाई फायर किए गए. इस झगड़े में करीब 50 लोग घायल हो गए हैं।

मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है। संभागायुक्त गुलशन बामरा द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार सिलवानी पुलिस थाने में इस घटना को लेकर 16 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शनिवार को दोपहर तक करीब 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं अन्य की तलाश में पुलिस जुट गई है। घटना में प्रयुक्त दो हथियार, 12 बोर की रायफल, 2 ट्रेक्टर, एक बोलेरी पिकअप को भी पुलिस ने जब्त कर लिया है।

मामले की जानकारी मिलने के बाद सीएम समेत पुलिस के तमाम आला अधिकारी एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। IG दीपिका सूरी, कलेक्टर अरविंद दुबे और SP विकास शाहवाल भी मौके पर गांव में पहुंच गए हैं। वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद मामले का अपडेट ले रहे हैं। गांव में तनाव की स्थिति को देखते हुए इंटरनेट सेवा भी टप्प कर दी है। घायलों का हालचाल जानने सीएम शिवराज सिंह खुद हमीदिया पहुंचे और 35 मिनट तक स्पताल में रहकर घायलों से मुलाकात की। साथ ही आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है। मृतक राजू आदिवासी के परिवार को पांच लाख रुपए की सहायता राशि देने की भी बात कही गई है। वहीं गंभीर रूप से घायल हरि सिंह और रामजी भाई को 02-02 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की गई है। अन्य घायलों को भी 50-50 हजार रुपए की राशि देने की घोषणा की गई है।

होलिका दहन के दिन ना करें ये गलतियां

धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़ – डेमोक्रेटिक फ्रंट:

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का उत्सव मानाया जाता है। होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त में करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि शुभ मुहूर्त में किया गया काम शुभ फल देता है। धार्मिक मान्यता है होलिका की पूजा से जीवन के सारे कष्टों से छुटाकारा मिलता है। इस साल होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन के दिन कुछ कार्यों को करना बेहद अशुभ माना जाता है। ऐसे में जानते हैं कि होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए।

होलिका दहन के दिन ना करें ये गलतियां

https://youtu.be/NJw0wHz8CPg
  • होलिका दहन की अग्नि को जलती हुई चिता का प्रतीक माना गया है. इसलिए नए शादीशुदा जोड़ों को होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए नहीं देखना चाहिए। दरअसल ऐसा करना अशुभ माना गया है. माना जाता है कि ऐसा करने में जीवन में वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता ह।
  • होलिका दहन के दिन किसी भी व्यक्ति को उधार नहीं देना चाहिए. ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है. साथ ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • माता-पिता के इकलौते संतान को कभी भी होलिका में आहुति नहीं देनी चाहिए. दरअसल इसे अशुभ माना जाता है।  अगर दो बच्चे हैं तो होलिका की अग्नि को जला सकते हैं।
  • होलिका की अग्नि में भूलकर भी पीपल, बरगद और आम की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।  ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा करने से जीवन में नकारात्मकता आती है. होलिका दहन के लिए गूलर और एरंड की लकड़ी शुभ मानी जाती है।  
  • होलिका दहन के दिन भूल से भी किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए।  इस दिन माता-पिता का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है।

साभार ज्योतिष विद् पार्मिंदर सिंह

‘विष्णु और कुत्ते में अंतर नहीं’ : “हिन्दुइज़्म, धर्म या कलंक” – शिक्षिका निर्मला कामड़ 

जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल रूपपुरा में छात्रों को धर्म विरोधी किताब बांटने के मामले ने बुधवार को तूल पकड़ लिया। ग्रामीणों ने एक महिला टीचर पर धर्म विरोधी शिक्षा देने का आरोप लगाते हुए स्कूल पर ताला जड़ दिया। साथ ही विरोध प्रदर्शन करते हुए महिला टीचर को निलंबित करने मांग करने लगे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने समझाइश करते हुए मामला शांत किया। आरोपी महिला टीचर को मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने एपीओ कर दिया है। उधर, आरोपित टीचर ने कहा है कि, ‘मैं दलित समुदाय से हूं, इसलिए गांव के लोग मुझपर झूठा आरोप लगाकर परेशान कर रहे हैं।’

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड के रूपपुरा में एक राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में छात्रों को कथित तौर पर धर्म विशेष से जुड़ी किताब बांटने का मामला बुधवार को गरमा गया जहां ग्रामीणों ने एक महिला टीचर पर धर्म विरोधी शिक्षा देने का आरोप लगाते हुए स्कूल पर ताला जड़ दिया और घंटों तक स्कूल के सामने ही विरोध प्रदर्शन कर महिला टीचर को निलंबित करने की मांग करने लगे। मामले को बढ़ता हुए देख शिक्षा विभाग ने समझाइश करते हुए मामला शांत करवाया और आरोपी महिला टीचर को एपीओ कर दिया गया। वहीं दूसरी तरफ महिला टीचर का कहना है कि मैं दलित समुदाय से हूं जिसके चलते गांव के लोग मुझ पर झूठा आरोप लगाकर परेशान कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक मामला भीलवाड़ा के आसींद थाना क्षेत्र का है। यहाँ के गाँव रूपपुरा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल की शिक्षिका निर्मला कावड़ को निलंबित करने की माँग को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी ‘हिन्दू धर्म विरोधी टीचर निर्मला कामड़ को गिरफ्तार करो’ हैशटैग से ट्रेंड चलाया जा रहा है। धरने पर कई पुरुषों के साथ महिलाएं भी बैठी दिखाई दे रही हैं। मौके पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल तैनात है।

एक अन्य वीडियो में उसी स्कूल के बताए जा रहे एक छात्र का कहना है, “वो किताबें बाँटती थी। वो कहती थीं कि ये किताब लो, जो दिमाग में होगा वो निकल जाएगा। वो क्लास में दूसरे धर्म का प्रचार करती थीं। वो हमें कहती थीं कि ब्रह्मा जी देवता नहीं हैं। ब्रह्मा ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार किया है। और राम जी दशरथ की औलाद नहीं हैं।” इसे नागपुर के समता पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित किया गया है।

विवादित किताब को हरे रंग में प्रिंट किया गया है। इसके तीनों भाग एक साथ ही हैं। इसमें सबसे ऊपर जवाहर लाल नेहरू के शब्द बता कर लिखा गया है, “हिन्दू धर्म निश्चित तौर पर उदार व सहनशील नहीं है। हिन्दू से ज्यादा संकीर्ण व्यक्ति दुनिया में कहीं नहीं है।”

ट्विटर हैंडल जीतमल गुर्जर ‘जीतू’ ने इस किताब के कुछ पन्नों के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। इन पन्नों में लिखा है कि विष्णु और कुत्ते में कोई फर्क नहीं। साथ ही उपनिषदों के मंत्रों को भी एन एन राय द्वारा उनके शब्दों में बताया गया है। साथ ही ब्रह्मा और विश्वामित्र के नामों के साथ आपत्तिजनक बातें कही गईं हैं। हिन्दू देवताओं के लिए ‘नायक नहीं खलनायक’ जैसे शब्द लिखे गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्कूल के प्रिंसिपल मुकेश कुमार को किताबें बाँटे जाने की शिकायत मिली है। लेकिन ये किताबें किसने बाँटी ये उन्हें अब तक नहीं पता। स्थानीय मनरूप गुर्जर ने आरोपित को सस्पेंड करने की माँग की है। वहीं शिक्षिका निर्मला कामड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि वो दलित समुदाय से हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही उन्होने आगे बताया कि उनके कार से आने, बाल खुले रखने और चश्मा पहनने से कुछ लोगों को बहुत दिक्कत है।

 चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अहिंसा छोड़, सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग चुना

वर्ष 1870 में सक्स-कोबर्ग के राजकुमार अल्फ्रेड एवं गोथा प्रयागराज (तब, इलाहाबाद) के दौरे पर आए थे। इस दौरे के स्मरण चिन्ह के रूप में 133 एकड़ भूमि पर इस पार्क का निर्माण किया गया जो शहर के अंग्रेजी क्वार्टर, सिविल लाइन्स के केंद्र में स्थित है। वर्ष 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्र शेखर आज़ाद को अंग्रेज़ों द्वारा एक भयंकर गोलीबारी में वीरगति प्राप्त हुई। आज़ाद की मृत्यु 27 फ़रवरी 1931 में 24 साल की उम्र में हो गई।

मैं भगतसिंह का साधक, 
मृत्यु साधना करता हूँ |
मैं आज़ाद का अनुयायी, 
राष्ट्र आराधना करता हूँ |

: राष्ट्रीय चिंतक मोहन नारायण 

स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास डेस्क : डेमोक्रेटिक फ्रंट

राष्ट्रिय स्वतन्त्रता के ध्येय को जीने वाले स्वाधीनता संग्राम के अनेकों क्रांतिकारियों में से कुछ योद्धा बहुत ही विरले हुए। जिनकी बहादुरी और स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रबल महात्वाकांक्षा ने उन्हें जनमानस की स्मृति में चिरस्थायी कर दिया। उनके शौर्य की कहानियों को दोहराए बिना राष्ट्र की स्वाधीनता का इतिहास बया ही नहीं किया जा सकता है। जब भी हम देश के क्रांतिकारियों, आजादी के संघर्षों को याद करते है तो हमारे अंतर्मन में एक खुले बदन, जनेऊधारी, हाथ में पिस्तौल लेकर मूछों पर ताव देते बलिष्ठ युवा की छवि उभर कर आ जाती है। मां भारती के इस सपूत का नाम था चंद्रशेखर आजाद. जिनकी आज पुण्यतिथि है।

इस घटना के तार जुड़े है, 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार से जिसके बाद से ही देश भर के युवाओं में राष्ट्रचेतना का तेजी से प्रसार हुआ। बाद में जिसे सन 1920 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन का रुप दिया। इस समय चन्द्रशेखर भी बतौर छात्र सडकों पर उतर आये। महज 15 साल की उम्र के चंद्रशेखर को आन्दोलन में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया। मामले में जब कोर्ट में जज के सामने इन्हें पेश किया गया तब कोई नहीं जानता था कि यहां भारत का इतिहास गढ़ा जाने वाला है जो सदियों के लिए इस देश की अमर बलिदानी परंपरा में एक उदाहरण जोड़ देगी। जज को दिए सवालों के जवाब ने चंद्रशेखर के जीवन को नई दिशा दी. उन्होंने जज के पूछने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, घर का पता जेल बताया। जिससे अंग्रेज जज तिलमिला उठा और उसने उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुना दी। कच्ची उम्र के इस बालक के नंगे बदन पर पड़ता हर एक बेत (कोड़ा) चमड़ी उधेड़ कर ले आता। लेकिन इसके मुंह से बुलंद आवाज के साथ सिर्फ भारत माता की जय… वंदे मातरम के नारे ही सुनाई देते। वहां मौजूद लोगों ने आजाद की इस सहनशीलता और राष्ट्रभक्ति को देख दांतों तले उंगलियां दबा ली।

आजादी की लड़ाई को नई दिशा देने वाले इस विरले योद्धा का जन्म झाबुआ जिले के भाबरा गांव (वर्तमान के अलीराजपूर जिले के चन्द्रशेखर आजाद नगर) में 23 जुलाई सन् 1906 को पण्डित सीताराम तिवारी के यहां हुआ था। इस वीर बालक को अपनी कोख से जन्म देने वाली और अपने रक्त व दूध से सींचने वाली वीरमाता थी जगरानी देवी। चंद्रशेखर ने अपना बचपन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गुजारा था। जहां वे भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाया करते थे, जिसके कारण उनका निशाना अचूक हो गया था। उनका यह कौशल आगे चलकर भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में खूब काम आया।

अपने क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत तो आजाद ने अहिंसा के आंदोलन से की थी लेकिन उन्होंने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों और अपमान को अधिक समय तक नहीं सहा और मां भारती को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग चुन लिया। आजाद के साथ क्रांतिकारी तो कई थे लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल से उनकी खूब बनी। इनकी जोड़ी ने अंग्रेजों की जड़ें हिला कर रख दी।

एक समय तक देश के सभी युवा गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन फरवरी सन् 1922 में ऐतिहासिक चौरी-चौरा घटना ने सशस्त्र क्रांति की चिंगारी को हवा दे दी। उस समय में ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा शहर में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में प्रदर्शनकारियों का पुलिस से संघर्ष हुआ। भीड़ पर काबू करने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाईं जिसके बाद हालात तेजी से बिगड़े और भीड़ ने 22 पुलिसकर्मियों को थाने में बंद कर आग के हवाले कर दिया. इस घटना में हुई 3 नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत से आहत महात्मा गांधी ने तुरंत ही प्रभावी रुप से चल रहे असहयोग आंदोलन को रोक दिया। जिससे युवा क्रांतिकारियों के दल में भारी रोष उठा और उन्होंने अपना मार्ग गांधी से अलग कर लिया

इसके बाद ही चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े और उसके सक्रिय सदस्य बने। इसी दौरान उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी लूट को अंजाम दिया और फरार हो गए। ब्रिटिश सरकार ने इसमें हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी दे दी गई और अन्य को कठोर कारावास के लिए कालापानी भेज दिया गया।

अपने साथियों के बलिदान के बाद आजाद ने उत्तर भारत के सभी क्रांतिकारी दलों को एकजुट करके हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) का गठन किया। जिसमें उनके साथी भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जयदेव कपूर समेत कई क्रांतिकारी थे. जिन्होंने साथ मिलकर उग्र दल के नेता लाला लाजपतराय की हत्या का बदला अंग्रेजी अफसर सॉण्डर्स का वध करके लिया। आजाद कभी नहीं चाहते थे कि भगतसिंह खुद दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड की घटना को अंजाम दे क्योंकि वो जानते थे कि इसके बाद एक बार फिर संगठन बिखर जायेगा लेकिन भगत नहीं माने और इस घटना को अंजाम दिया गया।

 जिसने ब्रिटिश सरकार की रातों की नींद हराम कर दी लेकिन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) बिखर गया। आजाद ने असेम्बली बम कांड के मुकदमे में गिरफ्तार हुए अपने साथियों को छुड़ाने के लिए भरसक प्रयास किए, वे इस संदर्भ में पंडित गणेश शंकर विद्यार्थी और पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी मिले लेकिन बात नहीं बनी। उन्होंने वीरांगना दुर्गा भाभी (क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा की धर्मपत्नी) को भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव की फांसी रुकवाने के लिए गांधीजी के पास भी भेजा लेकिन गांधीजी ने भी उन्हें निराश कर दिया और उनके तीन और साथी आजादी के लिए फांसी पर झूल गए।

इन सारी घटनाओं के बावजूद चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों की नजरों से अब तक बचे हुए थे। वो अपने निशानेबाजी की कला के साथ वेश बदलने की कला में भी माहिर थे। जिसने अंग्रेजों के लिए उन्हें पकड़ने की चुनौती को और बढ़ा दिया था, कहा जाता है कि आजाद को सिर्फ पहचानने के लिए उस समय अंग्रेजी हुकूमत ने 700 लोगों को भर्ती कर रखा था बावजूद उसके वो कभी सफल नहीं हो पाए। लेकिन उन्हीं के संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सेंट्रल कमेटी मेम्बर वीरभद्र तिवारी आखिर में अंग्रेजो के मुखबिर बन गए और वो दिन आया जब मां भारती के इस लाल को इलाहाबाद के अलफ्रेड पार्क (वर्तमान में प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क) में घेर लिया गया।

ये दिन था 27 फरवरी 1931 का, आजाद अपने साथी क्रांतिकारी सुखदेव राज से मिलने पहुंचे थे। वे दोनों पार्क में घूम ही रहे थे कि तभी अंग्रेज अफसर नॉट बावर अपने दल-बल के साथ वहां पर आ धमका जिसके बाद दोनों ओर से धुंआधार गोलीबारी शुरू हो गई। अचानक हुए इस घटनाक्रम में आजाद को एक गोली जांघ पर और एक गोली कंधे पर लग चुकी थीं। बावजूद इसके उनके हाव भाव सामान्य बने हुए थे। वे अपने साथी सुखदेव के साथ एक जामुन के पेड़ के पीछे जा छिपे और स्थिति को हाथ से निकलता देख अपने साथी सुखदेव को वहां से सुरक्षित निकाल दिया। इस दौरान आजाद ने 3 गोरे पुलिसवालों को भी ढेर कर दिया लेकिन अब उनके शरीर में लगी गोलियां अपना असर दिखाने लगी थीं।  

वहीं नॉट बावर अपने सिपाहियों के साथ अंधाधुंध गोलियां बरसा रहा था, आखिरकार आजाद की पिस्तौल खाली होने को आ गई! अब पास की गोलियां भी खत्म हो चुकी थीं लिहाजा इस वीर योद्धा ने अपनी पिस्तौल में बची अंतिम गोली को स्वयं की नियति में ही लिखने का साहसिक फैसला कर लिया। आजाद के मूर्छाते नेत्रों में अब भी उनका ध्येय ‘आजाद थे, आजाद है और आजाद रहेंगे!’ स्पष्ट था। अब पार्क में सन्नाटा पसर गया नॉट बावर के तरफ से भी फायरिंग थम गई थीं आजाद हर्षित मन से जीवन की अंतिम घड़ियों में अपने देश की माटी और उसकी आबोहवा को महसूस कर रहे है और यकायक उनकी पिस्तौल आखिर बार गरजी और ये वो क्षण था जब उन्होंने उस पिस्तौल में बची अंतिम गोली को अपनी कनपटी पर दाग लिया था।

‘बमतुल बुखारा’

मां भारती ने अपने लाल को खो दिया था लेकिन उसका ख़ौफ अंग्रेजों में इस कदर हावी था कि गोरे सिपाही उसके मृत शरीर के पास तक आने से कतरा रहे थे और लगातार उन पर गोलियां बरसाए जा रहे थे। आखिर में चंद्रशेखर आजाद की इस बहादुरी से नॉट बावर इतना प्रभावित हो चुका था कि उसने खुद टोपी उतार कर आजाद को सलामी दी और उनकी पिस्तौल को (जिसे आजाद ‘बमतुल बुखारा’ कहते थे) अपने साथ अपने देश ले गया था, जिसे आजादी के बाद वापस भारत लाया गया।

व्साभार नागेश्वर पवार

कॉलरवाली बाघिन का सनातन रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली पेंच टाइगर रिजर्व की विश्व विख्यात कॉलरवाली बाघिन की मृत्यु हो गई है। उसने अपने पूरे जीवन काल में 29 टाइगरों को जन्म दिया जो एक विश्व रिकॉर्ड बताया जाता है। … पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी की मादा टाइगर टी 15 की पहचान कॉलरवाली बाघिन के रूप में थी।

मध्यप्रदेश (ब्यूरो) :

पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी की मादा टाइगर टी 15 की पहचान कॉलरवाली बाघिन के रूप में थी। वह वन्यप्राणी प्रेंमियों के बीच काफी चर्चित थी और कुछ दिनों से बीमार चल रही थी। सोलह साल से ज्यादा उम्र की कॉलरवाली बाघिन को 2005 में उस समय की विख्यात बाघिन बड़ी मादा ने जन्म दिया था। मां की मौत के बाद उसकी विरासत को कॉलरवाली बाघिन टी 15 ने संभालकर अपनी पहचान बनाई और उसने पूरे जीवन काम में 2008 से लेकर 2018 के बीच आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया। उनसे पेंच में टाइगर के कुनबे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी। 

कॉलरवाली बाघिन के 25 शावक जीवित रहे
सोलह साल से ज्यादा उम्र वाली कॉलरवाली बाघिन ने जिन 29 शावकों को जन्म दिया, उनमें से 25 शावक जीवित रहे थे। वन्यप्राणी विशेषज्ञों के मुताबिक एक बाघिन के जीवनकाल में इतनी बढ़ी संख्या में टाइगर शावकों को जन्म देने और उनमें से 25 शावकों के जीवित रहने का अनोखा रिकॉर्ड कॉलरवाली बाघिन के नाम है। उसने सबसे पहले 2008 में तीन शावकों को जन्म दिया था। इसके बाद उसी साल अक्टूबर में चार, अक्टूबर 2010 में पांच, मई 2012 में तीन, अक्टूबर 2013 में तीन, अप्रैल 2015 में चार, 2017 में तीन और दिसंबर 2018 में चार शावकों को कॉलरवाली बाघिन ने जन्म दिया। 

मध्य प्रदेश को टाइगर्स स्टेट का दर्जा दिलाने में 29 शावकों को जन्म देने वाली कॉलरवाली बाघिन की भूमिका अहम थी। कॉलरवाली बाघिन का जन्म सितम्बर 2005 में हुआ था। इस बाघिन को ‘पेंच की रानी’ व ‘सुपर मॉम’ के नाम से भी जाना जाता था। ‘कॉलरवाली’ बाघिन ने मई 2008 से दिसंबर 2018 के मध्य कुल आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया और पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। 29 शावकों में से 25 शावकों को जन्म पश्चात एक बाघिन द्वारा जीवित रख पाना भी अपने आप में अभूतपूर्व कीर्तिमान है। साल 2011 में इस बाघिन ने एक साथ पाँच बच्चों को जन्म दिया था, जो अपने आप में दुर्लभ है।

बाघिन की मौत के बाद से वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी चहेती बाघिन के लिए शोक संदेश लिख रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने ट्वीट कर दुख जताया।

शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, “मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली, मध्य प्रदेश की शान व 29 शावकों की माता पेंच टाइगर रिजर्व की ‘सुपर टाइग्रेस मॉम’ कॉलरवाली बाघिन को श्रद्धांजलि। पेंच टाइगर रिजर्व की ‘रानी’ के शावकों की दहाड़ से मध्य प्रदेश के जंगल सदैव गुँजायमान रहेंगे।”

आईएफएस परवीन कासवान ने अपने ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, “पेंच की कॉलरवाली बाघिन का अंतिम संस्कार किया गया। आपको भारत के अलावा ऐसा कहाँ देखने को मिलेगा।”

एक यूजर ने ‘सुपर मॉम’ के निधन पर लिखा, “हम आज भी ऐसे भारत में रहते हैं, जहाँ बाघों का अंतिम संस्कार किया जाता है। पेंच की कॉलरवाली को अलविदा। ऐसी बाघिन जिसने शावकों की पुश्तों को जन्म दिया। एक ऐसी बाघिन जिसने जीवन पर्यंत शावकों का ध्यान रखा, लेकिन मृत्यु के समय अकेली रही।”

शिवानंद द्विवेदी ने ट्विटर पर लिखा, “यह हिंदू संस्कृति में ही संभव है।”

‘मैं चाहता हूँ कि हमारे संस्कार हमारे बच्चे भी देखें’

लोगों ने कॉलरवाली बाघिन का शुक्रिया भी किया

दरअसल पेंच नेशनल पार्क में इस बाघिन के गले में सबसे पहले रेडियो कॉलर लगाया गया था, ताकि उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके बाद से ही बाघिन को कॉलरवाली के नाम से जाना जाने लगा था। जनवरी 2019 में बाघिन की एक तस्वीर भी वायरल हुई थी, जिसमें वह अपने शावकों को मुँह में दबाकर ले जाती हुई दिखी थी। उसकी माँ को टी-7 बाघिन (बड़ी मादा) और पिता को चार्जर के नाम से जाना जाता था।

अंतर्दृष्टि आर-पार देखने की विधि है : ओशो रजनीश

धर्म संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़:

चीजों को, जैसी वे दिखाई पड़ती हैं, उनको वैसी ही मत मान लेना। उनके भीतर बहुत कुछ है | एक आदमी मर जाता है। हमने कहा, आदमी मर गया। जिस आदमी ने इस बात को यही समझ कर छोड़ दिया, उसके पास अंतर्दृष्टि नहीं है| गौतम बुद्ध एक महोत्सव में भाग लेने जाते थे। रास्ते पर उनके रथ में उनका सारथी था और वे थे। और उन्होने एक बूढे आदमी को देखा। वह उन्होंने पहला बूढ़ा देखा।

जब गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, तो ज्योतिषियों ने उनके पिता को कहा कि यह व्यक्ति बड़ा होकर या तो चक्रवर्ती सम्राट होगा और या संन्यासी हो जाएगा। उनके पिता ने पूछा कि मैं इसे संन्यासी होने से कैसे रोक सकता हूं ? तो उस ज्योतिषि ने बडी अद्भूत बात कही थी। वह समझने वाली है। उस ज्योतिषि ने कहा, अगर इसे संन्यासी होने से रोकना है, तो इसे ऐसे मौंके मत देना जिसमें अंतर्दृष्टि पैदा हो जाए। पिता बहुत हैरान हुए – यह क्या बात हुई ? उनके पिता ने पूछा। ज्योतिषि ने कहा, इसको ऐसे मौंके मत देना कि अंतर्दृष्टि पैदा हो जाए। तो पिता ने कहा, यह तो बडा मुश्किल हुआ, क्या करेंगे ?

उस ज्योतिषी ने कहा कि इसकी बगिया में फूल कुम्हलाने के पहले अलग कर देना। यह कभी कुम्हलाया हुआ फूल न देख सके। क्योंकि यह कुम्हलाया हुआ फूल देखते ही पूछेगा, क्या फूल कुम्हला जाते हैं ? और यह पूछेगा, क्या मनुष्य भी कुम्हला जाते हैं ? और यह पूछेगा, क्या मैं भी कुम्हला जाऊंगा ? और इसमें अंतर्दृष्टि पैदा हो जाएगी। इसके आस-पास बूढे लोगों को मत आने देना। अन्यथा यह पूछेगा, ये बूढे हो गए, क्या मैं भी बूढा हो जाऊंगा ? यह कभी मृत्यु को न देखे। पीले पत्ते गिरते हुए न देखे। अन्यथा यह पूछेगा, पीले पत्ते गिर जाते है, क्या मनुष्य भी एक दिन पीला होकर गिर जाएगा ? क्या मैं गिर जाऊंगा ? और तब इसमें अंतर्दृष्टि पैदा हो जाएगी।

पिता ने बडी चेष्टा की और उन्होंने ऐसी व्यवस्था की, कि बुद्ध के युवा होते-होते तक उन्होंने पीला पत्ता नहीं देखा, कुम्हलाया हुआ फूल नहीं देखा, बूढा आदमी नहीं देखा, मरने की कोई खबर नहीं सुनी। फिर लेकिन यह कब तक हो सकता था ? इस दुनिया में किसी आदमी को कैसे रोका जा सकता है कि मृत्यु को न देखे ? कैसे रोका जा सकता है कि पीले पत्ते न देखे ? कैसे रोका जा सकता है कि कुम्हलाये हुए फूल न देखे ?

लेकिन मैं आपसे कहता हूं, आपने कभी मरता हुआ आदमी नहीं देखा होगा, और कभी आपने पीला पत्ता नहीं देखा, अभी आपने कुम्हलाया फूल नहीं देखा। बुद्ध को उनके बाप ने रोका बहुत मुश्किल से, तब भी एक दिन उन्होंने देख लिया। आपको कोई नहीं रोके हुए है और आप नहीं देख पा रहे है। अंतर्दृष्टि नहीं है, नहीं तो आप संन्यासी हो जाते। यानी सवाल यह हैं, क्योंकि उस ज्योतिषि ने कहा था कि अगर अंतर्दृष्टि पैदा हुई तो यह संन्यासी हो जाएगा। तो जितने लोग संन्यासी नहीं है, मानना चाहिए, उन्हें अंतर्दृष्टि नहीं होगी।

खैर, एक दिन बुद्ध को दिखाई पड़ गया। वे यात्रा पर गए एक महोत्सव में भाग लेने और एक बूढा आदमी दिखाई पडा और उन्होंने तत्क्षण अपने साथी को पूछा, इस मनुष्य को क्या हो गया ?
उस साथी ने कहा , यह वृद्ध हो गया।
बुद्ध ने पूछा , क्या हर मनुष्य वृद्ध हो जाता है ?
उस साथी ने कहा, हर मनुष्य वृद्ध हो जाता है।
बुद्ध ने पूछा, क्या मेैं भी ?
उस साथी ने कहा, भगवन, कैसे कहूं! लेकिन कोई भी अपवाद नहीं है। आप भी हो जाएंगे।
बुद्ध ने कहा, रथ वापस लौटा लो, रथ वापस ले लो।
सारथी बोला, क्यों ?
बुद्ध ने कहा, मैं बूढा हो गया।
यह अंतर्दृष्टि है। बुद्ध ने कहा, मैं बूढा हो गया। अदभुत बात कही। बहुत अदभुत बात कही।
और वे लौट भी नहीं पाए कि उन्होंने एक मृतक को देखा और बुद्ध ने पूछा, यह क्या हुआ ?
उस सारथी ने कहा, यह बुढापे के बाद दूसरा चरण है, यह आदमी मर गया।
बुद्ध ने पूछा, क्या हर आदमी मर जाता है ?
सारथी ने कहा, हर आदमी।
और बुद्ध ने पूछा, क्या मैं भी ?
और सारथी ने कहा, आप भी। कोई भी अपवाद नहीं है।
बुद्ध ने कहा, अब लोैटाओ या न लौटाओ, सब बराबर है।
साथी ने कहा, क्यों ?
बुद्ध ने कहा, मैं मर गया।

यह अंतर्दृष्टि है। चीजों को उनके ओर-छोर तक देख लेना। चीजें जैसी दिखाई पडें, उनको वैसा स्वीकार न कर लेना, उनके अंतिम चरण तक। जिसको अंतर्दृष्टि पैदा होगी, वह इस भवन की जगह खंडहर भी देखेगा। जिसे अंतर्दृष्टि होगी, वह यहां इतने जिंदा लोगों की जगह इतने मुर्दा लोग भी देखेगा-इन्हीं के बीच, इन्हीं के साथ। जिसे अंतर्दृष्टि होगी, वह जन्म के साथ ही मृत्यु को भी देख लेगा, और सुख के साथ दुःख को भी, और मिलन के साथ विछोह को भी।

अंतर्दृष्टि आर-पार देखने की विधि है। और जिस व्यक्ति को सत्य जानना हो, उसे आर-पार देखना सीखना होगा। क्योंकि परमात्मा कहीं और नहीं है, जिसे आर-पार देखना आ जाए उसे यहीं परमात्मा उपलब्ध हो जाता है। वह आर-पार देखने के माध्यम से हुआ दर्शन है। ओशो रजनीश

ग्वालियर में हिंदू महासभा ने छत्तीसगढ़ की कॉंग्रेस सरकार को चेतावनी दी और गांधी के हत्यारे की पुण्यतिथि मनाई

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे मोहनदास गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे का साथी था। परचुरे ने ही गवालियर में स्थित अपने घर में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को शरण दी थी। परचुरे ने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या के लिए गोडसे और नारायण आप्टे को पिस्टल उपलब्ध कराई थी। इसके ही आरोप में डॉक्टर दत्तात्रेय को आजीवन कारावास हुआ था। हिंदू महासभा की तरफ से छत्तीसगढ़ सरकार को चेतावनी के बाद आज ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की जयंती मनाई। छतीसगढ़ में सरकार कॉंग्रेस की है जिनहोने म्हात्मा गांधी को अपशब्द बोलने पर एक संत को गिरफ्तार कर लिया था।

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे(सबसे दायें), नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम, नयी दिल्ली/मध्य प्रदेश :

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथी थे। परचुरे ने ही ग्वालियर में स्थित अपने घर में गोडसे और आप्टे को शरण दी थी। इन दोनों को महात्मा गांधी की हत्या के लिए पिस्टल भी उसी ने उपलब्ध कराई थी। इसी आरोप में परचुरे को आजीवन कारावास की सजा मिली थी।छत्तीसगढ़ सरकार को चेतावनी के बाद आज ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की जयंती मनाई गई। यह आयोजन हिंदू महासभा की तरफ से किया गया। हिंदू महासभा ने दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की 37वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी तस्वीर का अनावरण किया है। इस मौके पर हिंदू महासभा के प्रदेश पदाधिकारी से लेकर सभी कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम पूर्व घोषित होने के बावजूद पुलिस प्रशासन की तरफ से इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस मौके पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने कहाकि देश का विभाजन मोहनदास करमचंद गांधी ने किया था। इसके चलते 50 लाख हिंदू बेघर हो गए और 10 हिंदुओं का कत्लेआम हो गया।

शहर के बीचों-बीच स्थित हिंदू महासभा कार्यालय में शुक्रवार दोपहर को प्रदेश के सभी हिंदू महासभा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता एकजुट हुए। इसके बाद यहां विधिवत बापू के हत्यारे गोडसे, नारायण आप्टे और दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की तस्वीर लगाई गई। इसके बाद पूजा-अर्चना कर आरती उतारी गई। इस दौरान अंबाला की जेल से लाई गई मिट्टी से बापू के तीनों हत्यारों की तस्वीर का अभिषेक किया।

पूजा-अर्चना के दौरान बापू के हत्यारों की अमर होने की आवाज गूंज रही थी। हिंदू महासभा के लोग बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे नारायण आप्टे और परचुरे के अमर रहने के जयकारे लग रहे थे। इसके साथ ही हिंदू महासभा के लोगों ने उनकी आरती भी उतारी। सबसे खास बात यह है हिंदू महासभा का यह कार्यक्रम पहले से ही घोषित था। कल महासभा के लोगों ने खुद शहर में बीच चौराहे पर चुनौती दी थी कि वह बापू के हत्यारों की पुण्यतिथि मनाएंगे। लेकिन इसके बावजूद आज पुलिस प्रशासन बेखबर नजर आया। 

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे का साथी था। परचुरे ने ही ग्वालियर में स्थित अपने घर में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को शरण दी थी। परचुरे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को पिस्टल उपलब्ध कराई थी। इसके आरोप में ही डॉ दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे को आजीवन कारावास हुआ था।

देश में हिंदू महासभा का गढ़ ग्वालियर रहा है। बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर के हिंदू महासभा कार्यालय में कई दिन गुजारे हैं। नाथूराम गोडसे ने जिस बंदूक से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की थी वह बंदूक भी यहीं से खरीदी थी। उसने इसे चलाने की ट्रेनिंग भी यहीं से ली थी।

पीयूष जैन के बाद एक और इत्र व्यापारी रानू मिश्रा के यहां छापा पड़ा है

कन्नौज में इत्र व्यापारी पीयूष जैन के बाद एक और इत्र व्यापारी रानू मिश्रा के यहां छापा पड़ा है। खबरों के अनुसार रानू का घर टीम ने अंदर से बंद कर रखा है और उनके घर में खोजबीन की जा रही है। वहीं पीयूष के घर भी अब भी अधिकारी मौजूद हैं और तलाशी ले रहे हैं।

 इत्र व्यापारी पीयूष जैन

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम – लखनऊ (ब्यूरो) :

यूपी के कन्नौज में एक इत्र कारोबारी के घर जीएसटी की विजिलेंस टीम के छापे की खबर है। जानकारी के मुताबिक कन्नौज शहर के होली मोहल्ला स्थित बड़े इत्र कारोबारी रानू मिश्रा के घर और कारखानों में विजिलेंस टीम जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि रानू मिश्रा, पान मसाला और नमकीन बनाने वाली कंपनियों को इत्र कम्पाउंड की सप्लाई करते हैं। ऐसे में कानपुर के कारोबारी पीयूष जैन के बाद यह दूसरी कार्रवाई है। वहीं दूसरी तरफ कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर छापा मारने के बाद विजिलेंस टीम कन्नौज पहुंची है। बताया जा रहा है कि इत्र कारोबारी पीयूष जैन के दो बेटों को लेकर टीम कन्नौज पहुंची है जहां वो गुरुवार को सील किए मकान का ताला खोलकर सर्च ऑपरेशन शुरू कर चुकी है।

गौरतलब है कि पीयूष जैन कनौज के बड़े व्यापारियों में शुमार हैं। वे 40 से ज्‍यादा कंपनियों के मालिक हैं. इनमें से दो कंपनियां मिडिल ईस्ट में हैं। कन्‍नौज में पीयुष की परफ्यूम फैक्‍ट्री, कोल्‍ड स्‍टोरेज और पेट्रोल पंप भी हैं। मुम्बई में पीयुष का हैड आॅफिस है साथ ही वहां उनका एक बंगला भी है। पीयूष जैन इत्र का सारा बिजनेस मुंबई से करते हैं, यहीं से इनका इत्र विदेशों में भी भेजा जाता है।

इनकम टैक्स को टैक्स चोरी के अलावा शेल कंपनियां बनाकर मोटी-रकम इधर-उधर करने के दस्तावेज मिले हैं। खबरों के अनुसार पीयूष जैन अखिलेश यादव के करीबी हैं। कहा जा रहा है कि उन्हीं के संरक्षण में इतना सबकुछ चल रहा था।

उधर, इस मामले के सामने आने के बाद से राजनीति भी बढ़ गई है। सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने ट्वीट कर लिखा है कि डबल इंजन की सरकार में लूट भी डबल हो गई। कानपुर का व्यापारी भी बीजेपी की हिस्सेदारी का ही आदमी है। बीजेपी का काला मन है इसीलिए वो जबरदस्ती व्यापारी को समाजवादी से जोड़ रही है। समाजवादी का व्यापारी के न इत्र से न बीजेपी के मित्र से कोई लेना देना नहीं। इससे पहले भाजपा के संबित पात्रा ने इस केस को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा था।

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के बाद हरियाणा और यूपी में रात्रि कर्फ्यू

शोधकर्ताओं ने संभावित तीसरी लहर की भविष्यवाणी के लिए भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों और अलग-अलग देशों में ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों का भी इस्तेमाल किया है। रिसर्च करने वाली टीम में आईआईटी कानपुर की गणित और सांख्यिकी विभाग के सबरा प्रसाद राजेशभाई, सुभरा शंकर धर और शलभ शामिल थे। MedRxiv में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के रुझानों के बाद आईआईटी कानपुर के प्रोजेक्ट में कहा गया कि भारत में तीसरी लहर दिसंबर के मध्य में शुरू हो सकती है और ये फरवरी की शुरुआत में चरम पर होगी। बता दें कि शोधकर्ताओं ने तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए गौसियन मिक्सचर मॉडल नाम के सांख्यिकीय उपकरण का इस्तेमाल किया था। गौरतलब है कि गुरुवार को पीएम मोदी ने कोविड-19 संक्रमण को लेकर एक समीक्षा बैठक की थी। केंद्र की इस बैठक में कोविड टास्क फोर्स के सदस्य भी शामिल हुए थे। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों को पत्र लिखा गया है जिसमें संक्रमण से बचने के लिए सख्ती लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम पंचकुला :

देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के प्रसार को देखते हुए हरियाणा सरकार ने पाबंदियों का ऐलान किया है। राज्य में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला किया गया है तो सार्वजनिक स्थानों पर 200 से अधिक लोगों के जुटने पर रोक लगा दी गई है। हरियाणा से पहले मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने भी नाइट कर्फ्यू की घोषणा कर दी है।

राज्य में कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों की समीक्षा बैठक के बाद खट्टर ने कहा, ”राज्य में ओमिक्रॉन केसों के बढ़ने की संभावना को देखते हुए और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए 1 जनवरी 2022 से सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में प्रवेश के लिए वैक्सीन की दोनों खुराक को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर 200 से अधिक लोगों के एकत्रित होने और रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक गाडियों की आवाजाही को सख्ती से बैन कर दिया गया है।”

खट्टर ने कहा, ”ओमिक्रॉन के प्रभाव को रोकने के लिए जरूरी है कि लोगों को और अधिक जागरूक बनाया जाए। सभी को टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। कोविड के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग को तैयारी पूरी कर लेनी चाहिए। 23 दिसंबर को दो लाख से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक मिली। इसके अलावा हर दिन 30 से 32 हजार मरीजों की जांच की जा रही है और जो पॉजिटिव पाए जा रहे हैं उनकी जीनोम स्वीकेंसिंग कराई जा रही है।”

हरियाणा सरकार ने लोगों को क्रिसमस का त्यौहार और नए साल का जश्न मनाने की छूट देते हुए 1 जनवरी से नाइट कर्फ्यू लागू करने के आदेश दिए हैं। हरियाणा सरकार के रात्रि कर्फ्यू के दौरान रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक आवागमन पूरी तरह से बंद रहेगा। इसके साथ ही 1 जनवरी से हरियाणा के सराकरी संस्थानों में एंट्री करने के लिए वैक्सीनेशन की दोनो डोज को अनिवार्य बना दिया गया है।

हरियाणा और गुजरात से पहले यूपी सरकार की तरफ से राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया गया है। सरकार की  तरफ से जारी आदेश में 25 दिसंबर से रात्रि 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक कोरोना कर्फ्यू लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।  वहीं शादी-विवाह आदि सार्वजनिक आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल के साथ अधिकतम 200 लोगों के भागीदारी की अनुमति दी गई है। आयोजनकर्ता इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को देंगे।

मध्य प्रदेश सरकार ने भी तीसरी लहर की आशंका के चलते राज्य में नाइट कर्फ्यू को लागू कर दिया है। कर्फ्यू रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक जारी रहेगा. सरकार की तरफ से कोरोना संक्रमण से बचने के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की गई है। नए आदेश के बाद सभी सिनेमाहॉल, मल्टीप्लेक्स, थियेटर, जिम, कोचिंग सेंटर, क्लब और स्टेडियम में 18 साल से अधिक उम्र के सिर्फ वो ही लोग प्रवेश पा सकेंगे जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। सभी विभागाध्यक्षों, ऑफिस हेड को ये देखना होगा कि उनके स्टाफ ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवायीं या नहीं। अगर नहीं लगवायीं तो उन्हें ऐसा करने के प्रेरित करें।

गौरतलब है कि गुरुवार को पीएम मोदी ने कोविड-19 संक्रमण को लेकर एक समीक्षा बैठक की थी। केंद्र की इस बैठक में कोविड टास्क फोर्स के सदस्य भी शामिल हुए थे। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों को पत्र लिखा गया है जिसमें संक्रमण से बचने के लिए सख्ती लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

ताकत दिखाना, जिससे दूसरे समुदाय की भावना भड़कती है, वह उचित नहीं है – खट्टर

विधानसभा में शून्यकाल के दौरान नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने हिंदू संगठनों की ओर से की जा रही आपत्ति का मुद्दा उठाया था। इसका जवाब देते हुए खट्टर ने कहा कि सभी धर्मों के लोग निर्धारित धार्मिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में प्रार्थना करते हैं और सभी बड़े त्योहारों के लिए खुले में अनुमति दी जाती है। अहमद के मुद्दे पर खट्टर ने कहा, ‘लेकिन ताकत दिखाना, जिससे दूसरे समुदाय की भावना भड़कती है, वह उचित नहीं है।’

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम चंडीगढ़

हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में नमाज का मामला राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी उठा। इस मामले को उठाने वाले नूँह से कॉन्ग्रेस विधायक आफताब अहमद के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि ताकत दिखाकर दूसरे समुदाय की भावनाओं को भड़काना उचित नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार (21 दिसंबर 2021) को शून्यकाल के दौरान कॉन्ग्रेस विधायक अहमद ने गुरुग्राम में मुस्लिमों द्वारा खुले में नमाज करने पर हिंदू संगठनों के विरोध का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “कुछ तत्व लगातार जुमे (शुक्रवार) की नमाज को बाधित कर रहे हैं। संविधान ने सभी को अपने धर्मों के पालन के इजाजत दी है। किसी को भी नमाज में बाधा डालने का अधिकार नहीं है। गुरुग्राम में हजारों करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। शहर विकास का प्रतीक है। अगर कोई अपनी मर्जी से प्रार्थना भी नहीं कर पाएगा तो क्या संदेश जाएगा।”

इसके जवाब में सीएम ने कहा, “सभी धर्मों के लोग मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्चों जैसी धार्मिक जगहों पर ही प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा सभी बड़े त्योहारों के मौके पर खुले में प्रार्थना की अनुमति दी जाती है। लेकिन ताकत का प्रदर्शन करना जो दूसरे समुदाय की भावनाओं को भड़काता है, उचित नहीं है।” मुख्यमंत्री के मुताबिक, किसी को भी खुले इस तरह के आयोजन नहीं करने चाहिए। यह हम सब जिम्मेदारी है कि शांतिपूर्ण माहौल बना रहे।

खट्टर ने इस बात पर खुशी भी व्यक्त की कि लोग एक निश्चित स्थान पर जुमे की नमाज के लिए समहत हुए हैं और नए सिस्टम के लागू होने तक इस पर सहमति है। इसके साथ ही सीएम ने खुले में नमाज के मुद्दे को स्थानीय विवाद करार दिया और कहा कि इस मसले को हवा नहीं देनी चाहिए, अन्यथा इससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।

इससे पहले 10 दिसंबर 2021 को सीएम ने सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि खुले में नमाज की प्रथा को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि खुले में नमाज किसी भी हाल में नहीं होना चाहिए। खट्टर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था, “हमने यहाँ पुलिस को भी कहा है और डिप्टी कमिश्नर को भी कहा है। इस विषय का समाधान निकालना है। कोई अपनी जगह पर नमाज़ पढ़े या पूजा-पाठ करे, इससे हमें कोई दिक्क्त नहीं है। धार्मिक स्थल इसीलिए बने होते हैं। खुले में ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होना चाहिए। ये नमाज़ पढ़ने की जो प्रथा यहाँ खुले में शुरू की गई है, वो कतई सहन नहीं की जाएगी। सबके साथ बैठकर इसका समाधान निकाला जाएगा।” साथ ही सीएम ने खुले में नमाज के लिए जिन 37 स्थानों को निश्चित किया गया था, उसे भी रद्द कर दिया था।