जातों और किसानों को जोड़े रखने कि कवायद, सर छोटू राम कि प्रतिमा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के सांपला में सर छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक बड़ी रैली को संबोधित किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के सांपला में सर छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक बड़ी रैली को संबोधित किया. जाटलैंड में सर छोटूराम को यादकर मोदी ने नाराज जाटों को अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश की. छोटूराम जाटों के अलावा किसानों के भी मसीहा थे. मोदी अपनी रैली के दौरान सर छोटूराम की तारीफ करते दिखे. उन्हें हरियाणा के बाहर भी याद करने और उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत बताई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांपला की रैली में ‘दीनबंधु’ सर छोटूराम को किसानों का मसीहा बताते हुए सरकार की तरफ से किसानों के लिए किए गए कामों को एक-एक कर गिनाया. फसल के एमएसपी में की गई बढ़ोतरी से लेकर फसल बीमा योजना और सॉयल हेल्थ कार्ड तक का जिक्र कर मोदी ने किसानों को लुभाने की पूरी कोशिश की. मोदी का सांपला जाना और वहां सर छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण करना आने वाले दिनों में बीजेपी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है
हालांकि, सर छोटूराम की प्रतिमा करीब 9 महीने पहले ही बनकर तैयार हो गई थी. लेकिन, अबतक इसका अनावरण नहीं हो रहा था. उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1 नवंबर को हरियाणा के करनाल में खट्टर सरकार के चार साल पूरा होने के मौके पर कार्यक्रम में आने की चर्चा थी. लेकिन, उसके पहले 9 अक्टूबर को ही मोदी ने ‘जाटलैंड’ गढ़ सांपला पहुंचकर जाटों और किसानों को लुभाने के लिए सर छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण कर दिया.
पिछले 9 महीने से छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण नहीं करने को लेकर आईएनएलडी ने बीजेपी को निशाने पर लिया था. माना जा रहा है कि इस राजनीति के चलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हरियाणा का दौरा वक्त से पहले करना पड़ा.
हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मोदी की यात्रा समय से पहले कराने पर कहा कि मूर्ति का अनावरण कोई मुद्दा नहीं था. खट्टर ने कहा, ‘नवंबर में तीन राज्यों के चुनाव होने हैं, बाद में प्रधानमंत्री मोदी को वक्त नहीं मिलेगा. इसलिए वह 9 अक्टूबर को आएंगे. अगर वह 1 नवंबर को भी आ सके तो वह खुश होंगे. हालांकि इस दिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपस्थित रहेंगे.’
चौधरी वीरेंद्र सिंह का विरासत पर दावा
गौरतलब है कि सर छोटूराम की विरासत को लेकर आईएनएलडी की तरफ से ओमप्रकाश चौटाला ने भी दावा किया था. दूसरी तरफ 2014 में कांग्रेस से बीजेपी में आए जाट नेता और केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी अपने आपको उनका राजनीतिक वारिस घोषित किया है. चौधरी वीरेंद्र सिंह सर छोटूराम के पोते हैं. ऐसे में लड़ाई छोटूराम के बहाने जाटों को साधने की हो रही है.
चौधरी वीरेंद्र सिंह ने ही 2004 में उनकी याद में स्मारक बनाने का सुझाव दिया था. 2005 में आईएनएलडी सुप्रीमो ओम प्रकाश चोटाला ने गढ़ सांपला में एक विशाल रैली का आयोजन कर सर छोटूराम को एक कमरे का म्यूजियम समर्पित किया था. इस म्यूजियम में उनकी किताबें, कपड़े और इस्तेमाल किए जाने वाले दूसर सामान भी रखे गए थे.
लेकिन, चौधरी वीरेंद्र सिंह ने खुद को उनका राजनीतिक वारिस घोषित करते हुए गढ़ सांपला में उनकी ऊंची मूर्ति स्थापित करने की घोषणा 2016 में कर दी थी. इसके बाद ही 64 फीट ऊंची लोहे की प्रतिमा बनाई गई है जिसका अनावरण प्रधानमंत्री ने किया है. हालाकि, चौटाला द्वारा बनवाई गई छोटी मूर्ति को सांपला के सरकारी कॉलेज में शिफ्ट करा दिया गया है, क्योंकि बीजेपी इसमें चौटाला और उनकी पार्टी को कोई श्रेय नहीं लेने देना चाहती.
हरियाणा में जाटों का बड़ा महत्व
हरियाणा में लगभग एक चौथाई आबादी जाटों की है. हरियाणा की राजनीति में जाटों का दबदबा काफी ज्यादा है. पिछले लोकसभा और उसके बाद विधानसभा के चुनावों में भी अधिकांश जाटों ने मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी के पक्ष में अपना समर्थन जताया था. लेकिन, वहां मुख्यमंत्री एक गैर-जाट मनोहर लाल खट्टर को बना दिया गया.
जाट आंदोलन के दौरान जिस तरह खट्टर सरकार का व्यवहार था, उसको लेकर भी जाटों में काफी नाराजगी रही है. बीजेपी के कई प्रदेश स्तर के नेताओं की तरफ से भी इन चार सालों में की गई बयानबाजी से जाटों के एक तबके में रोष भी है. अब बीजेपी की कोशिश पिछली बार की तरफ फिर से जाटों को साधने की है. सर छोटूराम के नाम पर बीजेपी की कोशिश इसी रणनीति का हिस्सा लग रही है.