कार्यकारिणी समिति की बैठक के एक दिन पहले वल्लभ ने छोड़ा हाथ का साथ

Left MLA Vallabh Dharaviya

अहमदाबाद: 

गुजरात में कांग्रेस के एक के बाद एक विधायक पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे हैं. पिछले चार दिन में तीन विधायक पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं. कांग्रेस कार्य समिति की बैठक अहमदाबाद में कल बैठक होने वाली है. बैठक से एक दिन पहले सोमवार को जामनगर (ग्रामीण) से विधायक वल्लभ धारविया ने पार्टी छोड़ दी. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को सोमवार दोपहर को इस्तीफा सौंप दिया. सूत्रों के मुताबिक, धारवरिया भी सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. त्रिवेदी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “धारविया ने जामनगर (ग्रामीण) के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने मुझे बताया कि वह स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं.” 

धारविया के इस्तीफे से पहले उनकी पार्टी के पूर्व सहयोगी परषोत्तम सबारिया ने आठ मार्च को ध्रांगधरा विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया था. वह सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. सबारिया को सिंचाई घोटाले के संबंध में गत वर्ष अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था और गुजरात हाईकोर्ट से उन्हें फरवरी में जमानत मिली थी.

सबारिया ने कहा कि उन पर बीजेपी में शामिल होने का दबाव नहीं था और साथ ही दावा किया था कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए पार्टी बदल रहे हैं. आठ मार्च को माणवदर से कांग्रेस विधायक जवाहर चावड़ा ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और वह भी बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्हें नौ मार्च को विजय रुपाणी सरकार में मंत्री बनाया गया था. 

पिछले कुछ महीनों में पांच विधायकों ने तोड़ा नाता
पिछले कुछ महीने में गुजरात में इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायकों की संख्या पांच हो गई है. इन पांच विधायकों के अलावा कांग्रेस ने एक और विधायक गंवा दिया जब भगवान बराड़ को पांच मार्च को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया. उन्हें अवैध खनन मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. पिछले साल जुलाई में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कुंवरजी बावलिया ने भी इस्तीफा दे दिया था और उन्हें बाद में राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया वह तब बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव जीते थे.

पिछले महीने उंझा से पहली बार विधायक बनी आशा पटेल ने सदन और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और वह सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गई थीं. बीजेपी के पास अब 182 सदस्यीय विधानसभा में 100 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 71 विधायक हैं. 

गुजरात में कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी बैठक कल 
आगामी लोकसभा चुनावों पर चर्चा के लिए गुजरात में मंगलवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होगी. बैठक के बाद गांधीनगर के अडालज में एक रैली होगी जिसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा राजनीति में आने के बाद पहली बार जनसभा को संबोधित कर सकती हैं. कांग्रेस की निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई सीडब्ल्यूसी की बैठक गुजरात में 58 साल बाद हो रही है. इससे पहले 1961 में बैठक हुई थी. 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पार्टी में शामिल होंगे. एक महीने के भीतर राहुल गांधी का गुजरात का यह दूसरा दौरा होगा। इससे पहले उन्होंने 14 फरवरी को वलसाड जिले में रैली को संबोधित किया था. हालांकि बैठक से पहले चार विधायकों ने इस्तीफे ने मजा किरकिरा कर दिया है. 

कॉंग्रेस भाग्य छींका फूटा, कर्ज़ माफी हुआ दूर का सपना

प्रदेश में नोटा और किसानों को झूटे सपने दिखा सत्ता में आई कांग्रेस अपने वादों से भागने के नित नए बहाने ढूंढती फिरती है। ताज़ातरीन उदाहरण आचार संहिता लागू होने पर कांग्रेस के मानो भाग जागे, किसानों की कर्ज़ माफी के नामपर जगह जगह जग हँसाई करवाती कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाने लगा दिये। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आचार संहिता लागू होने के तुरंत पश्चात किसानों को मैसेज करने शुरू कर दिये जिसका सार था की 10 दिनों के वायदे को 75 दिनों तक न निभा पाने के बाद कांग्रेस अब केंद्र सरकार के हाथों मजबूर है। आवेदन तो प्राप्त हो गए हैं लेकिन अब पैसे दे नहीं सकते अब जो कुछ भी होगा वह चुनावों के पश्चात ही संभव है। (गोया कि केंद्र सरकार को लोक सभा चुनाव स्थगित कार्वा इनके वायदा पूर्ति कि बाट जोहनी चाहिए थी।)

भोपालः देश में सत्ता हासिल करने के 7 दिन के भीतर ही किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस सरकार 75 दिन के बाद भी अपने वायदे को पूरा नहीं कर पाई है. किसानों के आवेदन जमा हो जाने के बाद चिन्हित किसानों को प्रमाण पत्र तो दे दिए गए, लेकिन बैंकों में पैसा न होने के कारण किसान ठगा महसूस कर रहे हैं. रविवार को जैसे ही लोकसभा चुनाव की घोषणा होने की खबर मिली वैसे ही मुख्यमंत्री के नाम से किसानों को मोबाइल पर मैसेज भेजने का सिलसिला शुरू हो गया. मुख्यमंत्री कमलनाथ के हवाले से भेजे जा रहे मोबाइल मैसेज में कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण कर्ज माफी की स्वीकृति नहीं मिल पाई है. चुनाव के बाद शीघ्र स्वीकृति दी जाएगी.

दोपहर में मिले इन संदेशों को पढ़कर किसान एक बार फिर से इसे सरकार द्वारा कर्ज माफ करने के नाम पर छलावा मान रहे हैं. कर्ज के बोझ तले दबे इन किसानों को विधानसभा चुनाव के पहले कर्जमाफी का जो सपना दिखाया गया था वो लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही मुरझा गया है. बता दें रविवार क आचार संहिता लगते ही किसानों को एक एक कर जिस तरह मैसेज भेजे जा रहे हैं, उसने इनके ख्वाबों को हकीकत में ढलने के पहले ही चकनाचूर कर दिया है. 

बैतूल के लालू वर्मा ऐसे ही किसानों में शामिल है जिन्हें एक हफ्ते पहले मैसेज मिला था कि उनका 47 लाख का कर्ज माफ हो गया है, लेकिन रविवार आए दूसरे मैसेज ने उनकी परेशानी बढ़ा दी. ताजा मैसेज है की अब उनका कर्ज लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते माफ नही हो पा रहा है. लालू वर्मा को अब चिंता है कि उन पर चढ़ा कर्ज उन्होंने 31 मार्च तक नही चुकाया तो खाता ओवर ड्यू हो जाएगा और भविष्य में मिलने वाला कर्ज भी वे नही ले सकेंगे.

बैतूल कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 1 लाख 49 हजार किसानों को जय किसान ऋण माफी योजना का लाभ मिलना है. इनमें से कुछ ही किसानों को प्रमाण पत्र जारी किए जा सके हैं. जिन किसानों को प्रमाण पत्र मिले हैं उनके बैंक खाते में न तो अब तक राशि आ पाई है और न ही उनका कर्ज माफ हो पाया है. सहकारी बैंकों में किसान संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह बताया जा रहा है कि अभी तक राशि मुहैया नहीं कराई जा सकी है. जब राशि मिलेगी तब ही कर्ज माफ किया जा सकेगा. 

जिले की सहकारी समितियों में भी न तो किसानों की अंश पूंजी बची हुई है और न ही राशि मौजूद है. ऐसे में वे पुराना कर्ज तो माफ ही नहीं कर पाएंगी और न ही किसानों को नया कर्ज ही मिल सकेगा. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अफसरों की मानें तो कुल 96 हजार 854 किसान ऋण माफी के दायरे में आ रहे थे. इनमें से 87 हजार किसानों ने फॉर्म जमा कराए हैं. 60 हजार किसानों के कर्ज माफ करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक राशि ही उपलब्ध नहीं हो सकी है. 

यह लिखा है मैसेज में
कर्ज माफी योजना के पात्र किसानों के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एचपी-जेकेएमआरवाय के द्वारा भेजे जा रहे मैसेज में संबंधित किसान को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना में आपका आवेदन मिला है. लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण आपकी ऋण माफी नहीं हो पाई है. चुनाव के बाद शीघ्र स्वीकृति की जावेगी. शुभकामनाएं, आपका कमलनाथ, मुख्यमंत्री.’

कौन है समझौता ब्लास्ट को हिन्दू आतंकवाद से जोड़ने की खौफनाक साजिश के पीछे

Sarika Tiwari, Panchkula. 7th March 2017:

आगामी सप्ताह में सम्झौता ब्लास्ट मामले में फैसला सुना दिया जाएगा। अभी अदालत ने  यह फैसला अपने पास सुरक्शित रखा है। यह एक एतेहासिक मामला है जिसमें हिन्दू आतंकवाद जैसा शब्द निर्मित किया गया। 18 फरवरी 2007 में आधी रात के समय पानीपत में यह ब्लास्ट हुआ जिसमें स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा को आरोपित किया गया । लेकिन आधिकारिक खुलासों के अनुसार इस केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया।

18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रैस में ब्लास्ट हुआ था इसमें 68 लोग मारे गए। इस केस में दो पाकिस्तानी संदिग्ध पकड़े गए, इनमें से एक ने गुनाह कबूल किया लेकिन पुलिस ने सिर्फ 14 दिन में जांच पूरी करके उसे बेगुनाह करार दिया। अदालत में पाकिस्तानी संदिग्ध को केस से बरी करने की अपील की गई और अदालत ने पुलिस की बात पर यकीन किया और पाकिस्तानी संदिग्ध आजाद हो गया। फिर कहां गया ये किसी को नहीं मालूम….क्या ये सब इत्तेफाक था या फिर एक बड़ी राजनीतिक साजिश थी?

सूत्रों के अनुसार उस समय की सरकार को 2 पाकिस्तानी संदिग्ध को छोड़ने की इतनी जल्दी क्यों थी फिर अचानक इस केस में हिन्दु आतंकवाद कैसे आ गया।

इस केस के पहले इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर थे इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह जो कि अब रिटायर हो चुके हैं। गुरदीप सिंह ने 9 जून 2017 को कोर्ट में अपना बयान रिकॉर्ड करवाया है। इस बयान में इंस्पेक्टर गुरदीप से ने कहा है, ‘ये सही है कि समझौता ब्लॉस्ट में पाकिस्तानी अजमत अली को गिरफ्तार किया गया था। वो बिना पासपोर्ट के, बिना लीगल ट्रैवल डाक्यूमेंटस के भारत आया था। दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई शहरों में घूमा था। मैं अजमत अली के साथ उन शहरों में गया जहां वो गया था। उसने इलाहाबाद में जहां जाने की बात कही वो सही निकली लेकिन अपने सीनियर अधिकारियों, सुपिरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस भारती अरोड़ा और डीआईजी के निर्देष के मुताबिक मैने अजमत अली को कोर्ट से बरी करवाया।’ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ने कोर्ट को जो बयान दिया वो काफी हैरान करने वाला है

ऊपर से आदेश आयापाकिस्तानी संदिग्ध छोड़ा गया

पुलिस अधिकारी ऐसा तभी करते हैं जब उन पर ऊपर से दवाब आता है। आखिर इतने सीनियर अधिकारियों को पाकिस्तानी संदिग्ध को छोड़ने के लिए किसने दबाव बनाया? एक ब्लास्ट केस में सिर्फ 14 दिन में पुलिस ने ये कैसे तय कर लिया कि आरोपी बेगुनाह है और उसे छोड़ देना चाहिए?

अजमत अली है कौन?

कोर्ट में जमा डॉक्युमेंट्स के मुताबिक अजमत अली पाकिस्तानी नागरिक था। उसे भारत में अटारी बॉर्डर के पास से GRP ने अरेस्ट किया था। उसके पास न तो पासपोर्ट था, न वीजा था और ना ही कोई लीगल डॉक्यूमेंट। इस शख्स ने पूछताछ में कबूल किया कि वो पाकिस्तानी है और उसके पिता का नाम मेहम्मद शरीफ है। उसने अपने घर का पता बताय़ा था- हाउस नंबर 24, गली नंबर 51, हमाम स्ट्रीट जिला लाहौर, पाकिस्तान।

सबसे बड़ी बात ये कि ब्लास्ट के बाद दो प्रत्यक्षदर्शियों ने बम रखने वाले का जो हुलिया बताया था वो अजमत अली से मिलता जुलता था। प्रत्यक्षदर्शी के बताने पर स्केच तैयार किए गए थे, और उस स्केच के आधार पर ही अजमत अली और मोहम्मद उस्मान को इस केस में आरोपी बनाया गया था। इंस्पेक्टर गुरदीप ने भी कोर्ट को जो बयान दिया था उसमें कहा है कि ट्रेन में सफर कर रहे शौकत अली और रुखसाना के बताए हुलिए के आधार पर दोनो आरोपियों के स्केच बनाए गए थे।

समझौता ब्लास्ट 18 फरवरी 2007 को हुआ था। पुलिस ने अजमत अली को एक मार्च 2007 को अटारी बॉर्डर के पास से बिना लीगल डॉक्युमेंट्स के गिरफ्तार किया था। उस वक्त वो पाकिस्तान वापस लौटने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद अजमत अली को अमृतसर की सेंट्रल जेल में भेजा गया। वहीं से समझौता ब्लास्ट की जांच टीम को बताया गया था कि समझौता ब्लास्ट के जिन संदिग्धों के उन्होंने स्केच जारी किए हैं उनमें से एक का चेहरा अजमत अली से मिलता है। इसके बाद लोकल पुलिस ने अजमत अली को कोर्ट में समझौता पुलिस की जांच टीम को हैंडओवर कर दिया।

जांच टीम ने 6 मार्च 2007 को कोर्ट से अजमत अली की 14 दिन की रिमांड मांगी। हमारे पास वो ऐप्लिकेशन हैं, जो पुलिस ने कोर्ट में जमा की थी। इस एप्लिकेशन में जांच अधिकारी ने साफ साफ लिखा है कि समझौता ब्लास्ट मामले में गवाहों की याददाश्त के मुताबिक संदिग्धों के स्केचेज़ बनाकर टीवी और अखबारों को जारी किए गए थे। अटारी जीआरपी ने इस स्केच से मिलते जुलते संदिग्ध अजमत अली को गिरफ्तार किया। इसने पूछताछ में बताया कि वो तीन नवंबर 2006 को बिन पासपोर्ट और वीजा के भारत आया था। इसी आधार पर कोर्ट ने अजमत अली को 14 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया था।

अबतक की कहानी साफ है समझौता ट्रेन में ब्लास्ट हुआ, इस ब्लास्ट के दो आईविटनेसेज़ ने ट्रेन में बम रखने वालों का हुलिया बताया, उसके आधार पर दो लोगो के स्केच बने, उन्हें अटारी रेलवे पुलिस ने गिरफ्तार किया और फिर पूछताछ करने के बाद समझौता ब्लास्ट की जांच कर रही टीम को सौंप दिया। इस टीम ने भी उसका चेहरा स्केच से मिला कर देखा, चेहरा मिलता जुलता दिखा, तो उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने इसे 14 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया। 14 दिन की पुलिस रिमांड में पूछताछ हुई।

पूछताछ और जांच के बाद उम्मीद थी कि कुछ कंक्रीट निकल कर सामने आएगा लेकिन 14 दिन बाद, 20 मार्च को जब पुलिस ने दुबारा अजमत अली को कोर्ट में पेश किया तब उम्मीद थी कि पुलिस दुबारा उसका रिमांड मांगेगी, लेकिन हुआ उल्टा। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उनकी जांच पूरी हो गयी है, अजमत अली के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उसे इस केस से डिस्चार्ज कर दिया जाए। कोर्ट ने पुलिस की दलील पर भरोसा किया और कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि अजमत अली की रिहाई की अर्जी पुलिस ने ये कहते हुए दी है कि कि मौजूदा केस की जांच में इसकी कोई जरूरत नहीं है। जब जांच टीम ने ही ये कह दिया कि तो कोर्ट ने अजमत अली को रिहा कर दिया।

करनाल में जांच अधिकारी गुरदीप सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद ही अजमत को छोड़ दिया गया था। उन बड़े अफसरों के बारे में भी बताया जो इस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने इस केस की जांच की और पाकिस्तानी नागरिक को छोड़ा गया। अब यहां एक बड़ा सवाल तो ये है कि इतने सारे शहरों में पुलिस ने जांच सिर्फ 14 दिन में कैसे पूरी कर ली। अजमत अली का न तो नार्को टेस्ट हुआ, न ही पोलीग्राफी टेस्ट किया गया। सिर्फ 14 दिन की पूछताछ के बाद पुलिस ने ये मान लिया कि समझौता ब्लास्ट में अजमत अली का हाथ नहीं है…ये शक तो पैदा करता है।

अजमत अली को छोड़ देना तो एक बड़ा मोड था लेकिन इससे भी बड़ा ट्विस्ट इस केस की शुरुआती जांच में आया था। शुरुआत में उस वक्त की मनमोहन सरकार ने कहा था कि समझौता ब्लास्ट के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है लेकिन जांच बढ़ने के कुछ ही दिन बाद इस केस में भगवा आतंकवाद का नाम आया।

इस केस में शुरुआत में जांच में जल्दी-जल्दी ट्विस्ट आए इसपर हमारे कुछ सवाल हैं…

क्या एक पाकिस्तानी नागरिक जो बम धमाके का आरोपी हो उसे इतनी आसानी से छोड़ा जा सकता है? अक्सर छोटे क्राइम में भी पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक की जांच में भी ऐसी जल्दीबाजी नहीं होती उससे पूछताछ होती है, उसकी बातों को वैरीफाई किया जाता है लेकिन समझौता ब्लास्ट के केस में अजमत अली को तुरंत छोड़ दिया गया।

आखिर सरकार की तरफ से अजमत को छोड़ने की ऐसी जल्दबाजी क्यों की गयी? क्या पुलिस को अजमत अली का नार्को या पोलीग्राफी टेस्ट करके सच निकलवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी? पहले जब इंटेलिजेंस और जांच एजेंसियों ने इस धमाके को लश्कर का मॉड्यूल बताया तो फिर एकाएक इसे हिंदू टेरर का नाम कैसे दिया गया?

हम आपको बताते है कि हिंदू टेरर का नाम कैसे आया, इसका जवाब भी पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग की नोटिंग में मिला। 21 जुलाई 2010 को बंद कमरे में कुछ अधिकारियों की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग ये तय हुआ था कि हरियाणा पुलिस समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट की जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है इसलिए इसे नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी को सौंप देना चाहिए। इसी मीटिंग में ये बात भी हुई थी कि इस केस की जांच हिंदू ग्रुप के इन्वॉल्वमेंट पर भी होना चाहिए। नोटिंग में लिखा है कि एसएस (आईएस) को याद होगा, उनके चेंबर में इस बात पर डिस्कशन हुआ था, कि इसकी जांच हिंदू ग्रुप के ब्लास्ट में शामिल होने की संभावना पर भी होनी चाहिए।

पुलिस की नोटिंग से सवाल ये उठता है कि  किसके कहने पर हिंदू टेरर ग्रुप का नाम इस धमाके से जोड़ने का आइडिया आया? बंद कमरे में वो कौन-कौन ऑफिसर थे जिन्होंने इस धमाके को हिंदू टेरर का एंगल देने की कोशिश की? इन अफसरों के नाम सामने आना जरूरी हैं, उनसे पूछताछ होगी, तभी पता चलेगा कि उनपर किसका दबाव था… बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि ये देश के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि सिर्फ हिंदू आतंकवाद का नाम देने के लिए ये पूरी साजिश रची गयी थी।

बता दें कि तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने AICC की मीटिंग में भगवा आतंकवाद की बात करके सबको चौंका दिया था बाद में पी चिदंबरम ने और दिग्विजय सिंह ने बार-बार बीजेपी को बैकफुट पर लाने के लिए इस जुमले का इस्तेमाल किया। समझौता ब्लास्ट के केस में जिस तरह से पहले लश्कर ए तैयबा का नाम आया फिर उस वक्त की सरकार ने पाकिस्तानियों को छोड़ दिया और स्वामी असीमानंद को आरोपी बनाकर इस केस को पूरी तरह पलट दिया….इसके पीछे एक सोची समझी साजिश थी।

अब ये साफ है कि भगवा आतंकवाद का जुमला क्वाइन करने के लिए, हिन्दू आतंकवाद का हब्बा खड़ा करने के लिए इस केस में पाकिस्तानियों को बचाया गया और भारतीय हिंदुओं को फंसाया गया। अब सवाल सिर्फ इतना है कि इस साजिश के पीछे किसका शातिर दिमाग था।

फैसला चाहे जो आए लेकिन साजिश कर्ताओं  का पर्दा फ़ाश होना अति आवश्यक है।

इमरान खान बधाई के पात्र और सरकार कथित हमलों के सबूत दे: दिग्विजय

वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पार्टी के महासचिव और राहुल गांधी के राजनैतिक गुरु माने जाने वाले दिग्विजय सिंह ने पाकिस्तानी प्रधान मंत्री को बधाई देते हुए अपनी सरकार से पाकिस्तान के काश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किए गाय कथित हमले के सबूत मांगे हैं और उन्होने इसके लिए अमरीका का उदाहरण भी दिया।

इंदौर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह ने शनिवार को भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक से सबूत मांगे. दिग्विजय सिंह ने कहा कि तकनीक इस जमाने में किसी भी चीज का सबूत मिल जाता है. सरकार को एयर स्ट्राइक का सबूत देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार से एयर स्ट्राइक सबूत मांगता है तो भारत सरकार को सबूत देकर उनका मुंह बंद कर देना चाहिए. दिग्विजय ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान को रिहा करने के फैसले पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को बधाई भी दी.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि अमेरिका ने भी ओसामा बिन लादेन की मौत का सबूत दिया था. उसी तरह भारत सरकार को भी एयर स्ट्राइक का सबूत देना चाहिए. अभिनंदन की वतन वापसी को लेकर बोले उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान के पीएम इमरान को इसके लिए बधाई देता हूं. उन्होंने साबित किया कि वे अच्छे पड़ोसी हैं. इमरान ने बिना टालमटोल किये विंग कमांडर को छोड़ दिया. अब इमरान खान को बहादुरी से हाफिज सईद ओर अजहर मसूद को भी भारत को सौंप देना चाहिए. 

कैलाश विजयवर्गीय के बयानों पर हमला बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं पिछले कुछ दिनों से उनके बयान देख रहा हूं, वह भटके हुए लग रहे है. दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने कुछ राजनीतिक लोगों और पत्रकारों को पाकिस्तान का समर्थक बताया था.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने भी शनिवार को आरोप लगाया कि बीजेपी के मंत्री पाकिस्तान में हवाई हमले में हताहतों की संख्या के बारे में मीडिया में ”बढ़ा चढ़ाकर” आंकड़े लीक कर रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा दिये गये किसी भी आंकड़े को ”गंभीरता” से नहीं लिया जा सकता है. तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्विटर पर कहा कि सुरक्षा बलों ने हमले में हताहतों की कुल संख्या के बारे कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है.

उन्होंने टीवी समाचार की खबरों के स्क्रीनशॉट के साथ ट्वीट किया, ”भारतीय वायुसेना लगातार कह रही है : ”कोई संख्या नहीं”. तो फिर बीजेपी के एक-दो मंत्री यह संख्या बढ़ा चढ़ाकर क्यों लीक कर रहे हैं? और दिल्ली की मीडिया इन आंकड़ों के जाल में फंस गयी. क्या कोई भी आंकड़ा जो यह सरकार देगी उस पर गंभीरता से भरोसा किया जा सकता है? पत्रकार? या दुष्प्रचार उर्फ सूत्रों के गुलाम?” टीवी समाचार चैनलों पर सूत्रों के हवाले से हवाई हमले में जैश-ए-मोहम्मद के 200-300 आतंकवादियों के मारे जाने की बात कही जा रही है.

बाद में एक बयान में ब्रायन ने आरोप लगाया कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर ”विभाजनकारी राजनीति” कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ”देखिये ‘वोट बैंक की राजनीति’ के बारे में कौन बात कर रहा है. अमित शाह और बीजेपी विभाजनकारी और नफरत की राजनीति के सबसे बड़े समर्थक हैं.” उन्होंने कहा, ”हमलोग देशभक्ति पर उनका भाषण नहीं सुनेंगे. हमारी सशस्त्र सेना का नाता भारत से है न कि मोदी-शाह-बीजेपी से.” 

इस बयान के आने से एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीमा पार जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर हवाई हमले के असर को लेकर सरकार से सबूत मांगे थे. भारत ने 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद यह हवाई हमला किया. पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे.

उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में सपा 4 सीटों पर लड़ेगी चुनाव बाकी पर बसपा

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं, समाजवादी 37 सीटों पर तो बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

उत्तर प्रदेश में गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी एकसाथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी सूचना दी.

इस गठबंधन के तहत मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी महज तीन सीटों- बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो सीट पर चुनाव लड़ेगी. बाकी सभी सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशी मैदान में होंगे. उधर उत्तराखंड में एसपी के खाते में एक सीट गई है. गठबंधन के तहत एसपी गढ़वाल (पौड़ी) लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगी. शेष चार सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार मैदान में होंगे.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं, समाजवादी 37 सीटों पर तो बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को भी तीन सीटें दी गई हैं. वहीं कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगा.

बता दें हाल ही में संपन्न हुए मधुआ प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी एक सीट और बहुजन समाज पार्टी को दो सीट पर जीत हासिल हुई थी. विधानसभा चुनाव में दोनों ही दल अलग-अलग लड़े थे. कई सीटों पर एसपी-बीएसपी उम्मीदवारों ने कांग्रेस के गणित को खराब किया था. दिलचस्प बात ये है कि मध्य प्रदेश में दोनों ही दलों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस को दूर ही रखा गया है.

द्देश आपके झूठे प्रचार से आजिज़ आ चुका है राहुल जी: बीजेपी

नई दिल्लीः पुलवामा आतंकी हमले वाले दिन प्रधानमंत्री पर फिल्म की शूटिंग में व्यस्त रहने के राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष उस दिन सुबह के समय का फोटो जारी करके देश को गुमराह करना बंद करें, देश आपके फेक न्यूज से तंग आ चुका है.  राहुल गांधी के ट्वीट के बाद बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘ राहुल जी, भारत आपके फेक न्यूज से तंग आ चुका है . उस दिन सुबह के समय की फोटो निर्लज्जता से जारी करके देश को गुमराह करना बंद करें .’’ 

कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए बीजेपी के ट्विटर हैंडल पर कहा गया है कि ऐसा लगता है कि आपको पहले पता चल गया होगा, लेकिन भारत के लोगों को शाम में ही जानकारी मिली. बीजेपी ने कहा कि अगली बार इससे बेहतर स्टंट करें जहां जवानों की शहादत नहीं जुड़ी हुई हो.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा आतंकी हमले वाले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग करने संबंधी खबरों को लेकर शुक्रवार को उन पर हमला बोला और आरोप लगाया कि जब शहीदों के घर ‘दर्द का दरिया’ उमड़ा था तो ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ हंसते हुए दरिया में शूटिंग कर रहे थे. 

शहीदों के घर ‘दर्द का दरिया’ उमड़ा था और ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ दरिया में शूटिंग कर रहे थे: राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा आतंकी हमले वाले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग करने संबंधी खबरों को लेकर शुक्रवार को उन पर हमला बोला और आरोप लगाया कि जब शहीदों के घर ‘दर्द का दरिया’ उमड़ा था तो ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ हंसते हुए दरिया में शूटिंग कर रहे थे.

गांधी ने प्रधानमंत्री की शूटिंग से जुड़ी तस्वीर ट्विटर पर शेयर करते हुए कहा, ‘‘पुलवामा में 40 जवानों की शहादत की खबर के तीन घंटे बाद भी ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ फिल्म शूटिंग करते रहे. देश के दिल व शहीदों के घरों में दर्द का दरिया उमड़ा था और वे हंसते हुए दरिया में फोटोशूट पर थे.’’ 

इससे पहले बृहस्पतिवार को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि जब देश इस जघन्य हमले के कारण सदमे में था तो उस वक्त मोदी कार्बेट पार्क में एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग और नौकायन कर रहे थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री अपनी सत्ता बचाने के लिए जवानों की शहादत और ‘राजधर्म’ भूल गए. सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हमला 14 फरवरी दिन में करीब तीन बजे हुए और प्रधानमंत्री करीब सात बजे तक शूटिंग और चाय नाश्ते में व्यस्त थे. प्रधानमंत्री के इस आचरण को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं.’’ 

उधर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की सुरक्षा पर प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को लेकर आरोप लगाने का देश की जनता पर कोई असर नहीं होने वाला है. गौरतलब है कि गत 14 फरवरी को हुए पुलवामा आत्मघाती आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे.

मध्य प्रदेश कांग्रेस कर्णाटक की तर्ज़ पर

भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के रवैए से नाराज सत्ता पक्ष के ही विधायक लामबंद हो रहे हैं. ऐसे 25 से अधिक विधायकों ने तो एक क्लब ही बना लिया है. इन विधायकों में से कई मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं.

सूत्रों का कहना है कि कई मंत्रियों के रवैए से विधायकों में नाराजगी है. इस क्लब में अधिकांश विधायक वे हैं जो पहली बार विधानसभा का चुनाव जीत कर आए हैं. इस क्लब में सत्ताधारी दल के अलावा निर्दलीय और कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले दलों के विधायक भी बताए जा रहे हैं.

बसपा की विधायक रामबाई ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए स्वीकार किया कि 28 से 30 विधायक इस क्लब में हैं. इसी तरह विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने भी विधायकों की नाराजगी का जिक्र किया. सूत्रों का कहना है कि विधायकों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनके क्षेत्रों में अफसरों के तबादले उनकी सलाह के बगैर व उन्हें भरोसे में लिए बगैर किए जा रहे है और मंत्री लगातार उनकी उपेक्षा कर रहे हैं. 

इब्तेदाए गांधी है रोता है क्या….

कांग्रेस पार्टी की महासचिव का पदभार संभालने से लेकर अपने पति के भ्र्श्तचर में दोषारोपण के पश्चात ईडी द्वारा की जा रही जांच में तथाकथित सहयोग को लेकर चर्चा में आई प्रियंका वाड्रा ने यूपी में एक मेगा रोड शो किया और वहाँ चोरों और जेब कतरों की चांदी हो गयी विपक्ष तो अभी से यह कहने लग गया है की इसी नीति और नियत के साथ यह देश को लूटने का प्रयास करेंगे। जहां जहां गांधी परिवार जाएगा उनके गिरहकट, चोर, लुटेरे दलाल सभी साथ साथ हैं।

जहां आम लोगों के कीमती सामान पर हाथ साफ किए गए वहीं पार्टी नेताओं सहित शहर के अस्सिटेंट मजिट्रेट और कांग्रेस के प्रवक्ता जीशान हैदर के भी फोन इस भीड़ में चोरी कर लिए गए

कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश पूर्व की कमान थमा दी है. लोकसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश राजनीतिक तौर पर सबसे महत्वपूर्ण राज्य है. सोमवार को प्रियंका ने अपने रोड शो के जरिए राज्य में अपनी चुनावी तैयारियों की शुरुआत कर दी. इस रोड शो में भले प्रियंका ने कुछ नहीं कहा लेकिन उनके बड़े भाई और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने जरुर घोषणा कर दी कि बीजेपी को उखाड़ फेंकने का समय आ गया है और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी.

प्रियंका के रोड शो में लोगों का हुजूम जमा हो गया. पूरे रास्ते पर लोगों की भीड़ प्रियंका का इंतजार कर रही थी. भीड़ का आलम ये था कि 15 किलोमीटर के सफर के लिए प्रियंका को 6 घंटे का वक्त लगा. रोड शो में प्रियंका के साथ राहुल गांधी और यूपी पश्चिम के जेनरल सेकरेट्री ज्योतिरादित्य सिंघिया भी मौजूद थे. एयरपोर्ट से लेकर राज्य में पार्टी के मुख्यालय तक के 15 किलोमीटर के इस रोड शो में हर तरफ सिर्फ लोग ही लोग थे. और इसी भीड़ का पॉकेटमारों ने खुब फायदा उठाया. प्रियंका के रोड शो में कम से कम 50 मोबाइल फोन चोरी हो गए.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भीड़ में एक मोबाइल चोर को पकड़ा और उसे पुलिस के हवाले कर दिया. एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने पुलिस को बताया कि मेगा रैली में कम से कम 50 लोगों के मोबाइल और पर्स चोरी हुए हैं. लेकिन पुलिस ने उस संदिग्ध को छोड़ दिया क्योंकि उसके पास से चोरी का एक भी मोबाइल या पर्स बरामद नहीं हुआ. सरोजनी नगर पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज करा दी गई है.

पार्टी नेताओं सहित शहर के अस्सिटेंट मजिट्रेट और कांग्रेस के प्रवक्ता जीशान हैदर के भी फोन इस भीड़ में चोरी कर लिए गए. मामले की आधिकारिक शिकायत दर्ज करा ली गई है और साइबर सेल एक्सपर्ट द्वारा जांच जारी है.

अब कांग्रेस के हाथ लगी 10 करोड़ का लालच देने वाली औडियो क्लिप

कर्नाटक में वाकयी राजनैतिक घमासान मचा हुआ है या फिर यह एक चुनावी शगूफा मात्र है? यह सम्झना उतना ही कठिन है जितना कि कांग्रेस के बयानों पर यकीन करना। कुछ महत्त्व पूर्ण बातें जो शक पैदा करतीं हैं वह यह की कांग्रेस ही के एमएलए बिकाऊ हूँ की तख्ती गले में डाले घूमते है, उन्हे पार्टी अथवा सरकार से कोई नाराजगी नहीं?
दूसरे यह समझ नहीं आता कि जेडीएस के विधायक किस मिट्टी के बने हैं जिनहे खरीदने बेचने कि बात ही नहीं उठती कांग्रेस अपने घटक दल से ही यह नीति क्यों नहीं सीख लेती कि विधायकों को किस तरह से ईमानदार बनाया जाये
एक और बात जो समझ से परे है कि सरकार एचडी कुमारस्वामी कि अस्थिर होती है तो वह इल्ज़ाम कांग्रेस पर लगाते हैं.

कर्नाटक का राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. एक तरफ बीजेपी का कहना है कि राज्य सरकार के पास बहुमत नहीं है तो दूसरी तरफ कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी विधायकों की खरीद फरोख्त कर एचडी कुमारस्वामी की सरकार को अस्थिर करना चाहती है. शनिवार सुबह कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक में कथित ऑडियो टेप जारी होने के दावे के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस पीसी में कांग्रेस ने सीधे पीएम मोदी, अमित शाह और बीएस येदियुरप्पा पर आरोप लगाए.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘कर्नाटक से आई खबर को सुनकर पूरा देश हैरान है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने एक ऑडियो क्लिप जारी किया, जिसमें येदियुरप्पा जेडीएस विधायक के भाई से कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने की बात कर रहे हैं. यह मोदी जी और अमित शाह की गंदी राजनीति को दिखाता है.’

वेणुगोपाल ने कहा, ‘ऑडियो क्लिप में सुना जा सकता है कि बीएस येदियुरप्पा विधायकों को 10 करोड़ ऑफर कर रहे हैं. यह साफ है कि 18 विधायक हैं और इसमें 200 करोड़ का खर्च आएगा. वे 12 विधायकों को मंत्री का पद ऑफर कर रहे हैं और 6 को अलग-अलग बोर्ड का चेयरमैन बनाने की बात कर रहे हैं.’

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘वे इस्तीफा देने के बाद विधायकों को चुनाव खर्च के लिए भी पैसे देने की बात कर रहे हैं. उन्होंने अपने विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पीकर को 50 करोड़ रुपए की पेशकश की. क्लिपिंग में येदियुरप्पा, अमित शाह और नरेंद्र मोदी जी के नामों का जिक्र भी कर रहे हैं.’

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले पर कहा कि किस हैसियत से कर्नाटक बीजेपी प्रमुख और पूर्व सीएम सुप्रीम कोर्ट के जजों से संपर्क कर केस को सही साबित करने की चर्चा कर रहे हैं? क्या नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया है? सुरजेवाला ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट बीजेपी का ‘जेबी दुकान’ बन गया है?

दरअसल, शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था. इस ऑडियो के माध्यम से उन्होंने सरकार को गिराने के लिए बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप भी लगाया. कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस सरकार बनने के बाद से ही लगातार उठापटक जारी है.


राजीव कुमार से पूछताछ जारी अब कुनाल घोष की बारी

केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष से भी रविवार को शिलॉन्ग में पूछताछ करेगी

शारदा चिटफंड घोटाले मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ की. उनसे यह पूछताछ पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में की गई. हजारों करोड़ रुपए के शारदा चिटफंड स्कैम में सबूतों को नष्ट करने में भूमिका को लेकर राजीव कुमार सीबीआई के निशाने पर हैं.

इसके अलावा अब सीबीआई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व सांसद कुणाल घोष से भी पूछताछ करने वाली है. सीबीआई उनसे रविवार को शिलॉन्ग में ही सवाल-जवाब करेगी.
मेघालय में सीबीआई के जरिए तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद कुणाल घोष से पूछताछ की जाएगी. यह पूछताछ शिलॉन्ग के सीबीआई ऑफिस में 10 फरवरी को की जाएगी. इसके अलावा राजीव कुमार से एक बार फिर शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई के जरिए 10 फरवरी को पूछताछ की जाएगी. यह पूछताछ भी शिलॉन्ग में ही होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था निर्देश

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर ‘शारदा चिटफंड घोटाले’ से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआई के साथ ‘विश्वसनीय रूप से’ सहयोग करें. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

राजीव कुमार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीबी हैं

रिपोर्ट्स में बताया गया था कि कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्टेट क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट के साथ मिलकर 80-100 सवालों की एक लिस्ट तैयार की थी. जो सीबीआई के अधिकारी राजीव कुमार से पूछे जाने हैं.