पार्टी के आचरण से प्रियंका चतुर्वेदी आहत

अभी नवरातर में प्रधानमंत्री मोदी को नारी सुरक्षा के मुद्दे पर कटघरे में खादीकरने वाली प्रियंका क्या आज राहुल गांधी पर अपने अपमान के लिए श्कया भी कर पाएँगी या आज फिर कहेंगी की मोदी राज में उनके साथ एसी अभद्रता हुई है। कांग्रेस प्र्वकता बहुत ही जल्दी भूल जातीं हैं की अभी कुछ महीने पहले इनकी बेटी के बारे में अभद्र टिप्पणी की गयी थी। जब दोषी का भाजपा से कोई नाता न मिला तब इनहोने मामले को ठंडे बस्ते में दाल दिया माने कोई सुनवाई या उस पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही की कोई खबर नहीं सुनाई पड़ी।

प्रियंका चतुर्वेदी का छलका दर्द, ‘कांग्रेस में मुझे धमकाने वालों को यूं ही छोड़ दिया गया’

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने आज ट्विटर पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने मथुरा में उनके साथ दुर्व्यवहार करनेवालों को फिर से पार्टी में लेने के फैसले पर निराशा जताया। प्रियंका ने ट्वीट कर लिखा कि पार्टी के इस फैसले से उन्हें काफी तकलीफ पहुंची है।


प्रियंका चतुर्वेदी ने बदसलूकी करनेवालों को फिर से पार्टी में लिए जाने के फैसले पर सवाल उठाया

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कुछ बदमाश किस्म के लोगों को तरजीह दी जा रही है प्रियंका के ट्वीट पर जब कपिल सिब्बल से सवाल पूछा गया तो वह इसे टाल गए प्रियंका ने ट्वीट कर पार्टी के फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर की

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता और बीजेपी सरकार की मुखर आलोचना करनेवालीं प्रियंका चतुर्वेदी ने आज अपनी ही पार्टी से निराशा जाहिर की। प्रियंका ने अफने साथ बदसलूकी करनेवाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी में फिर से लेने के फैसले की आलोचना ट्विटर पर की। पार्टी के इस फैसले से निराशा जताते हुए कहा कि पार्टी के अंदर होनेवाले इस व्यवहार से उन्हें बहुत तकलीफ पहुंची है। इस मामले पर जब वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल से पूछा गया तो उन्होंने सवाल को टालते हुए कहा कि मैं देख लूंगा।
प्रिंयका ने ट्वीट किया, ‘यह देखना बहुत दुखद है कि कुछ खराब आचरण करनेवाले लोगों को कांग्रेस में अपना खून-पसीना पार्टी को देनेवाले लोगों के स्थान पर तरजीह दी जा रही है। मैंने पहले भी अपनी पार्टी के लिए लोगों की ओर से फेंके पत्थर और अपशब्दों की मार सही हैं, लेकिन पार्टी के अंदर मेरे साथ दुर्व्यवहार करनेवालों को, मुझे धमकानेवालों को बिना किसी कार्रवाई के ऐसे ही छोड़ा जा रहा है, यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है।’

Priyanka Chaturvedi

@priyankac19
Deeply saddened that lumpen goons get prefence in @incindia over those who have given their sweat&blood. Having faced brickbats&abuse across board for the party but yet those who threatened me within the party getting away with not even a rap on their knuckles is unfortunate.

Vijai Laxmi Sharma
@vijailaxmi1
UPCC first suspends some of its leaders for their unruly behaviour with party spokesperson Priyanka Chaturvedi in mathura and then reinstate them after few days.

यह है पूरा मामला
दरअसल प्रियंका ने एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए यह लिखा। मथुरा में राफेल मुद्दे को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, जहां उनके साथ पार्टी के ही कुछ सदस्यों ने दुर्व्यवहार किया। हालांकि, उनकी इस शिकायत के बाद उन सदस्यों को पार्टी से निकाल दिया गया था, लेकिन फिर से उन्हें पार्टी में शामिल करने का पत्र जारी किया गया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की तरफ से जारी पत्र में कहा गया कि निलंबित सदस्यों ने अपने व्यवहार और आचरण के लिए खेद जताया है। उनके अनुरोध पर फिर से उन्हें पार्टी में शामिल किया जा रहा है।

Kanimozhi house raided IT officials said it was ‘false tip’

CHENNAI: 

Amid allegations of a huge cash-for-votes racket in Tamil Nadu, officials of the Income Tax department visited the house of DMK leader Kanimozhi this evening to “verify allegations of cash being stashed there,” sources said.  Kanimozhi, DMK lawmaker and the sister of party chief MK Stalin, is the candidate for the Tuticorin seat. It was alleged that “lots of cash” was stashed on the first floor of her house in Thoothukudi, sources said. IT sources, however, said later that it was a “false tip” and they drew a blank. No case has been registered.

“Crores and crores of rupees are kept in the house of Tamilisai Soundararajan’s (state BJP chief) residence, why no raids there? Modi is using IT, CBI, judiciary and now Election Commission to interfere in the elections. They are doing this as they fear losing,” DMK chief Stalin said.

Elections for the state’s 39 Lok Sabha seats and 18 assembly seats will be held on Thursday, during the second phase.

In the run-up to the polls, a string of raids have been held in the state, in which around Rs. 500 crore — in illegal cash and gold — has been seized.

Today, in a first, election for the Vellore Lok Sabha seat was cancelled following recovery of huge cash from alleged associates of DMK candidate Kathir Anand, the son of DMK treasurer Durai Murugan.

On March 30, tax officials raided Durai Murugan’s residence and allegedly seized Rs. 10.50 lakh. Two days later, they claimed to have seized Rs. 11.53 crore from a cement godown belonging to an associate of the DMK leader.

Last week, tax department officials conducted searches at 18 locations in the state. The list of sites included state capital Chennai, Namakkal and Tirunelveli. Most of the searches were on properties owned by opposition leaders.

Tax raids on opposition leaders have become one of the key issues in the ongoing elections, with most leaders accusing the BJP of targeting political rivals through government agencies.

DMK spokesperson A Saravanan called it “a murder of democracy and a sick joke”. He added, “This is not an embarrassment for us, but this will backfire and the sympathy this would generate will make the DMK win all seats”.

Though 204 crore unaccounted cash has been recovered in Tamil Nadu ahead of polls, the Income Tax officials have not named any political party or candidates with regard to the remaining 190 crore cash.

A senior officer told newsmen “We are investigating their political affiliation”.

द्रमुक नेता के यहाँ से प्रचुर मात्र में धन मिलने से वेल्लोर के चुनाव रद्द

6 माह पुरानी कमलनाथ सरकार में कमलनाथ के निजी सचिव के यहाँ 16 करोड़ का मिलना फिर पार्टी दफ्तर में 20 करोड़ का मिलना कुल मिला कर 283 करोड़ का दावा करना और अब दक्षिण भारत में द्रमुक नेता से 11.53 करोड़ का मिलना क्या बताता है?

नई दिल्‍ली: तमिलनाडु की वेल्लोर लोकसभा सीट का चुनाव रद्द कर दिया गया है. चुनाव प्रचार के दौरान इस लोकसभा क्षेत्र में भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी. तभी से आशंका व्‍यक्‍त की जा रही थी कि इस सीट पर चुनाव रद्द हो सकता है. निर्वाचन आयोग ने इस बारे में एक सिफारिश राष्‍ट्रपति को भेजी थी. जिसे उन्‍होंने स्‍वीकार कर लिया है. इसके बाद इस सीट पर अब चुनाव रद्द हो गया है.

चूंकि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना राष्ट्रपति जारी करते हैं, ऐसे में चुनाव रद्द करना भी उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आता है. द्रमुक उम्मीदवार के कार्यालय से कुछ दिन पहले कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी. तमिलनाडु की इस सीट पर 18 अप्रैल को वोटिंग होनी थी. तमिलनाडु की 38 और पुड्डुचेरी की 1 सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोट‍िंग होगी. इसके लिए चुनाव प्रचार मंगलवार शाम को थम गया. इस चरण में 13 राज्‍यों की 97 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.

चुनाव आयोग ने यह निर्णय आरोपी के. आनंद के साथ ही पार्टी के दो पदाधिकारियों के खिलाफ आयकर विभाग की एक रिपोर्ट के आधार पर 10 अप्रैल को जिला पुलिस द्वारा एक शिकायत दर्ज करने के बाद लिया. पुलिस ने बताया कि आनंद पर अपने नामांकन पत्र के साथ दिए गए हलफनामे में ‘गलत सूचना’ देने के लिए जनप्रतिनिधि कानून के तहत आरोप लगाया गया. दो अन्य के खिलाफ रिश्वत के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया, जिनकी पहचान श्रीनिवासन और दामोदरन के तौर पर हुई है.

सिफारिश विधि मंत्रालय के विधायी विभाग को मंगलवार को भेजी गई थी जिसने अधिसूचना जारी की. सरकार के सूत्रों ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्णय के बारे में सूचित कर दिया गया है। वह अब राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अधिसूचना के बारे में सूचित करेंगे.

30 मार्च को आयकर अधिकारियों ने आनंद के पिता डी मुरुगन के आवास पर चुनाव प्रचार में बेहिसाब धनराशि इस्तेमाल के संदेह में छापे मारे थे और 10.50 लाख रुपये कथित ‘‘अतिरिक्त’’ नकदी बरामद की थी. दो दिन बाद उन्होंने उसी जिले में द्रमुक नेता के एक सहयोगी के सीमेंट गोदाम से 11.53 करोड़ रुपये जब्त करने का दावा किया था.

मुरुगन ने यद्यपि दावा किया कि उन्होंने कुछ भी छुपाया नहीं है. उन्होंने आयकर विभाग की कार्रवाई के समय पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि छापेमारी कुछ नेताओं का ‘‘षड्यंत्र’’ है जो उनका मुकाबला चुनावी मैदान में नहीं कर सकते.

कभी भी राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं रोबर्ट वाड्रा, उन्हे कौन रोकेगा? राज बब्बर

राबर्ट वाड्रा भारतीय राजनीति में कोई नया नाम नहीं है। आप कांग्रेस के प्रथम परिवार के दामाद हैं। पेशे से व्यापारी और कांग्रेस में इतना दम रखते हैं की यह जब चाहें सक्रिय राजनीति में कूद सकते हैं। राज बब्बर ने तो यहाँ तक कह दिया की उन्हे कौन रोक सकता है राजनीति में आने से? यह दीगर बात है की उन पर ईडी की जांच में सहयोग न देने की शिकायत कई बार हो चुकी है और वह 5 लाख के मुचलके पर बाहर हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा ने राजनीति में आने को लेकर बड़ा बयान दिया है. रॉबर्ट वाड्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फिलहाल अभी मेरी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं है. अब तक इस बारे में कोई योजना नहीं बनाई है. उन्होंने कहा कि मैं लोगों के बीच जाकर कड़ी मेहनत कर रहा हूं. जब लोगों को लगेगा कि मुझे राजनीति में प्रवेश करना चाहिए तो, मैं पूरी ताकत के साथ राजनीति के मैदान में उतरूंगा. 

वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को रॉबर्ट वाड्रा के पार्टी में शामिल होने को लेकर कहा था कि अगर वह चाहेंगे तो पार्टी उनके बारे में जरूर सोचेगी. वह परिवार का हिस्सा हैं. उन्हें पार्टी में सम्मलित करने के लिए कौन मना करेगा. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने सक्रिय राजनीति में आने के बाद कांग्रेस महासचिव के साथ पूर्वी यूपी प्रभारी का पद संभाला था. इसके बाद से ही रॉबर्ट वाड्रा के राजनीति में आने की चर्चाएं लगातार बनी हुई हैं.

बीते सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन से पहले हुए रोड शो में रॉबर्ट वाड्रा अपने दोनों बच्चों और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ नजर आए थे. कुछ समय पहले रॉबर्ट वाड्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जैसे ही मेरे ऊपर लगे सभी आरोप निराधार साबित हो जाएंगे उसके बाद में बड़े स्तर पर काम करना चाहूंगा

शकील अहमद के इस्तीफे और निर्दलीय चुनाव लड़ने से महागठबंधन को झटका या कोई नयी रणनीति???

जहां एक ओर शकील अहमद के इस्तीफे को एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है वहीं राजनीतिज्ञ इस कांग्रेस की सोची समझी चाल करार दे रहे हैं। शकील निर्दलीय कुनव लड़ेंगे जहां प्रोक्ष रूप से उन्हे कांग्रेस का साथ होगा। इस प्रकार कांग्रेस गठबंधन के सामने पाक साफ बनी रहेगी और वहीं जीतने के बाद शकील पुन: कांग्रेस का दामन थाम लेंगे। गठबंधन में कॉंग्रेस एक सीट की बढ़ौतरी कर लेगी।

कांग्रेस नेता शकील अहमद ने पार्टी प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. और राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है.

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. बिहार में मधुबनी सीट महागठबंधन के सहयोगी दल के पास जाने के बाद से शकील अहमद आलाकमान को इस पर पूर्ण विचार करने को कह रहे थे. वहीं, आरजेडी नेता असरफ फातमी ने भी पार्टी को इसके लिए अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी. अब शकील अहमद ने मधुबनी सीट से नामांकन कराने का फैसला कर लिया है और पार्टी से इस्तीफा देने के लिए राहुल गांधी को चिट्ठी भेज दी है.

शकील अहमद ने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भी भेज दिया है. हालांकि कहा जा रहा है कि उन्होंने पूर्ण विचार के लिए 18 तारीख तक अल्टीमेटम दे दिया है. लेकिन वह मधुबनी सीट से मंगलवार को नामांकन करने का फैसला किया है.

शकील अहमद ने कहा है कि वह मधुबनी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार है. इसलिए वह मंगलवार को नामांकन भी कराएंगे. बता दें कि महागठबंधन में मधुबनी सीट वीआईपी पार्टी के खाते में गई है. और पार्टी ने बद्री कुमार पूर्वे को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है.

Congress’s Shakeel Ahmad tweets, “As I have decided to file my nomination papers tomorrow from Madhubani Parliamentary Constituency in Bihar, I’m resigning from the post of Senior Spokesperson of AICC. I’m sending my resignation to Congress President Shri Rahul Gandhi.”(file pic) pic.twitter.com/axaHxTV0S41906:10 PM – Apr 15, 2019Twitter Ads info and privacy66 people are talking about this

इससे पहले आरजेडी नेता अली असरफ फातमी ने भी पार्टी छोड़ने के संकेद दिए थे. उन्होंने पार्टी को 18 तारीख तक का अल्टीमेटम दिया है. जिसके बाद उन्होंने ने भी मधुबनी सीट से नामांकन कराने का दावा किया है. हालांकि उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस शकील अहमद को सिंबल दे देती है तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे.

फातमी ने कहा था कि उनकी बात लालू यादव और तेजस्वी यादव से मधुबनी सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में किस तरह की साजिश की गई जो सीट वीआईपी को दे दिया गया. वहीं, फातमी ने शकील अहमद के नाम को लेकर महागठबंधन को मौका दिया है और कहा है कि इस पर भी विचार किया जा सकता है.

बहरहाल, महागठबंधन में अब फिर से अंदर खाने में जंग छीड़ गई है. मधुबनी सीट को वीआईपी पार्टी को देने के बाद आरजेडी और कांग्रेस दोनों नेताओं ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं. ऐसे में देखना यह कि महागठबंधन में मधुबनी सीट के लिए क्या फैसला होता है. अगर इस पर विचार नहीं किया गया तो मधबनी सीट उनके हाथ से निकलते हुई दिख रही है.

Rahul to face another defamation suit at Bhopal

While Kamalnath is CM Madhya Pradesh no one can harm Rahul. but one thing for sure after 23rd May 2019, if Congress looses the electoral battle Rahul and his team has to work very hard to keep Rahul safe from ‘the LAW’ His constant personal jibes on Prime Minister Narendra Modi and continuing mushrooming of defamation cases will keep him busy for next five years.

Bhopal: A defamation suit was filed against Congress president Rahul Gandhi in a court in Bhopal on Monday over his alleged statement that “saare Modi chor hai” (All Modis are thieves) remark.

“I have faced a lot of insult because of his remark. A lot of people asked if all Modis are thieves and hence I filed the suit,” said Pradeep Modi, the petitioner.

The Congress president on 13 April, while taking a jibe at Prime Minister Modi, had reportedly said: “I have a question. Why do all thieves have Modi in their names — whether it is Nirav Modi, Lalit Modi or Narendra Modi? We don’t know how many more such Modis will come out.”

“If you want to say such things, please say it to the person concerned. Talking about a community is objectionable. When I came to the court today, a few of my friends made fun of me. After getting hurt because of this, I have filed this defamation suit,” the petitioner said.

The court will take up the defamation suit on 1 May.

The petitioner’s counsel Pramod Saxena said: “With this statement, Rahul Gandhi has tried to portray one community as a thief during his political speech in Karnataka. Following this, a defamation case has been filed by Pradeep Modi in a court here.”

Rahul in trouble deep as SC serves notice to Rahul over his favourite ‘Rafael’

SC notice to Rahul Gandhi over Rafale comments damages his credibility, questions his ‘maturity’ for top job

“remarks made by Rahul to media/public have been incorrectly attributed to this court…” and “…having clarified the matter we deem it proper to ask the respondent [Gandhi] for his explanation”.

While Modi is consistently shown as a trusted figure among the electorate in various surveys, Rahul has failed to live up to his role as a challenger.

The Supreme Court has asked Rahul Gandhi to give an explanation over his remarks on the Rafale case. Though not formal but a notice has been sent to the Congress president seeking his explanation on or before 22 April with the matter set for hearing a day after.

The apex court has been irked by the cavalier way in which Rahul seemingly distorted its views and sought to put a political spin to the court’s decision to admit three sets of fresh documents in the Rafale review petition. In as much as the top court’s ruling goes against the Narendra Modi government’s objections to the admissibility of those documents relied upon by the review petitioners, it is a setback to the Centre.

The government had objected to the citation of these documents by initially calling it “stolen”, threatened to invoke Official Secrets Act against The Hindu (and other publication that had brought the contents into public domain) and subsequently, Attorney General KK Venugopal argued before the court that the papers were leaked, unauthorisedly photocopied, and that they “are sensitive to National Security which relates to war capacity of combat aircraft”.

By admitting these documents and rejecting the government’s objection, the Supreme Court gave fresh impetus to the Rafale case bang in the middle of the Lok Sabha election. However, the apex court’s decision was technical and by no means a judgment on the larger Rafale case

Unfortunately, Rahul showed yet again his very limited gasp of politics. His enthusiasm to bring the development on to sharp focus during campaign season is understandable, but by seeking to make a political capital out of it, the Congress president has now invited court rebuke that will be used by the BJP to further raise questions against the credibility of the Rafale ‘scam’.

Rahul’s interpretation of the Supreme Court’s decision — that the apex court has validated his accusation against the prime minister having stolen money from the air force and given it to his ‘friend’ Anil Ambani — was slammed by the BJP. Union defence minister Nirmala Sitharaman had accused Rahul of “perpetrating lies”, a complaint was lodged with the Election Commission and BJP MP Meenakshi Lekhi took the Congress chief to court, filing a contempt petition and requesting the apex court to take criminal action against him.

Lekhi’s petition read “the words used and attributed by him (Gandhi) to the Supreme Court in the Rafale case has been made to appear something else. He is replacing his personal statement as Supreme Court’s order and trying to create prejudice”.

The Supreme Court bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi and comprising Justices Deepak Gupta and Sanjiv Khanna orally observerd that the “remarks made by Rahul to media/public have been incorrectly attributed to this court…” and “…having clarified the matter we deem it proper to ask the respondent [Gandhi] for his explanation”.

The bench, in its order said that the court “had no occasion to record any such views or make observations in as much as what was decided by this court was the legal admissibility of certain document to which objections were raised”.

The order also said that “no views, observations or findings should be attributed to the Court in political address to the media and in public speeches, unless such views, observations or findings are recorded by the court”.

The court observations may not mean much in terms of criminal proceedings against the Congress president, but it doesn’t need to. The damage to Rahul’s reputation has been done. The Congress president’s repeated flippant and cavalier behaviour calls into question his maturity as a politician at a time when Congress is projecting him as Modi’s only competitor.

In a presidential mode of election — in which mould the 2019 Lok Sabha polls have been cast into — the credibility of the candidates carries great significance. While Modi is consistently shown as a trusted figure among the electorate in various surveys, Rahul has failed to live up to his role as a challenger.

What the court rebuke does is further degrade that trust factor and makes it difficult for the electorate to take Rahul’s even legit charges seriously. The Congress president must ask himself whether he needs to take a pause and mull over the way he is conducting his politics.

Wins and losses are inevitable in elections, but the person who aspires for the top job must show himself to be responsible in his words and actions for it. This is not the first time Rahul has failed in that role. No high-octane PR campaign may undo the damage.

महिला आयोग आरोपों को साबित करे: आज़म खान

समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव की उपस्थिती में आज़म खान ने जयाप्रदा पर अभद्र टिप्पणी की तो भाजपा ने अखिलेश यादव से माफी मांगने की बात कही। लेकिन समाजवादियों केतिहास में न तो आज तक एस कभी हुआ है न ही आगे इस बात की उम्मीद है। महिला आयोग ने इस घटना का स्वत:संग्यान लेते हुए आजम खान को नोटिस भेजा और उनका नामांकन रद्द करने की मांग भी की। इधर आज़म खान अपने चीर परिचित अंदाज़ में कहते सुनाई दिये की ‘कोई साबित कर दे मैं चुनाव नहीं लड़ूँगा’

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी और फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा के खिलाफ एक विवादास्पद टिप्पणी की है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने खान की टिप्पणी को ”बेहद शर्मनाक” करार दिया और कहा कि महिला आयोग उन्हें एक कारण बताओ नोटिस भेज रहा है. खान की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये शर्मा ने ट्वीट किया कि एनसीडब्ल्यू चुनाव आयोग से यह भी अनुरोध करेगा कि उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए.

शर्मा ने यह प्रतिक्रिया एक अन्य व्यक्ति के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दी, जिसने सपा नेता का कथित वीडियो ट्वीट किया था. खान का ”अपमानजनक” टिप्पणी वाला वीडियो कई सोशल मीडिया साइटों पर साझा किया जा रहा है. वीडियो के मुताबिक रामपुर में एक चुनावी सभा में खान ने कहा “रामपुर वालों, उत्तर प्रदेश वालों, हिंदुस्तान वालों. उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लग गए. मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का जो अंडरवियर है वह भी खाकी रंग का है. मैं 17 दिन में पहचान गया, आपको पहचानने में 17 बरस लगे, 17 बरस.” 

हालांकि, आजम खान ने इस वीडियो में जयाप्रदा का नाम नहीं लिया है लेकिन भाजपा इसे जया के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के रूप में पेश कर रही है. खान की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शर्मा ने कहा, ”यह बेहद शर्मनाक” है.

आजम खान के जयाप्रदा पर बिगड़े बोल

आज़म खान, अकबरुद्दीन ओवैसी या कई और नेता सभी का विवादित बयानों से नाता रहा है। आज़म खान का और अमर सिंह का 36 का आंकड़ा रहा है। आजम खान ने अमर सिंह की हर बात को नकारा है। अमर सिंह द्वारा राजनीति में लायी गयी जया पर्दा आज़म खान को कभी भी पसंद नहीं थी। उन्होने पहले भी जयाप्रदा के खिलाफ प्रोक्ष रूप से और प्रकट में भी बहुत दुष्प्रचार किया है। लेकिन अब तो मानो वह अपनी नफरत को एक नयी ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Electons 2019) का सियासी रण अपने चरम पर है. इसके चलते आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी जमकर की जा रही है. इन सबके बीच नेताओं ने अब भाषायी मर्यादाएं भी लांघना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान ने रविवार को बीजेपी प्रत्याशी और अभिनेत्री जया प्रदा को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है.

रामपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए आजम खान ने बिना नाम लिए बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसको हम उंगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया. उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लग गए. मैं 17 दिनों में पहचान गया था कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है. इस रैली में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद थे. उनके इस बयान पर बीजेपी ने सख्‍त ऐतराज जताते हुए माफी की मांग की है.

महागठबंधन प्रत्याशी आजम खान और बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा के बीच इससे पहले भी जुबानी जंग हो चुकी है. इससे पहले बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा ने समाजवादी पार्टी उम्मीदवार आजम खान पर तंज कसा था. उन्होंने एक रैली के दौरान कहा था कि मैं तो आजम खान को अपना भाई मानती थी लेकिन वह मुझे बहन बुलाने के साथ मेरे बीमार होने की भी कामना करते रहे. जया प्रदा ने आगे कहा कि क्या आपका भाई आपको नाचने वाली के तौर पर देख सकता है. यही वजह थी कि मैं रामपुर छोड़ने चाहती थी. 

वहीं, कुछ ही दिन पहले आजम खान ने रामपुर के शाहाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि जब बीजेपी के कैंडिडेट ने अपने सफर की शुरुआत की तो उन्होंने कहा कि मैं दानव का वध करने के लिए जा रही हूं. आजम खान ने कहा था कि उन्होंने रामपुर के बच्चों के लिए भीख मांग कर के स्कूल बनवाया, लाचार बच्चों के लिए एक अजीम-ओ-शान यूनिवर्सिटी बनवाई. लोगों को कोई परेशानी न हो इसलिए सड़क और पानी का काम कराया. लेकिन बीजेपी वालों के लिए मैं दानव हूं और इस बार मेरा वध होगा.

आजम खान के इस बयान के बाद बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा ने पलटवार करते हुए पुराने गंज में जनसभा के दौरान उन्होंने आजम खान को भाई कहकर संबोधित करते हुए कहा था कि मैंने कभी आपको अभद्र शब्द नहीं कहे. ये मेरे संस्कार हैं. उन्होंने कहा था कि मेरी मां ने मुझे संस्कार दिया हैं. जयाप्रदा ने कहा था कि मैं आपके सामने आकर बोल सकती हूं कि आप झूठे हैं. आप झूठ बोलकर भ्रम फैलाते हैं कि मैं रामपुर से भाग जाऊं.

बता दें कि जया प्रदा ने 2004 और 2009 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. उन्हें 2010 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और अमर सिंह के संपर्क में रहने की वजह से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. ध्यान हो कि आजम खान ने कुछ समय पहले जया प्रदा को एक नाचने वाली बताया था. आजम खान हमेशा से ही अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं.

“अगर मोदी वाराणसी से दोबारा जीत जाते हैं और प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा.” रेवन्ना

आज लोक सभा के महोत्सव का पहला चरण सम्पन्न हुआ मतदाताओं ने खूब ज़ोर शोर से इस महोत्सव का आनंद लिया और बढ़ चढ़ कर मतदान किया। उत्तर भारत में दो लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में नामांकन भरे गए। दोनों जगहों पर समर्थकों का उत्साह देखते ही बनता था। वहीं आज लोकतन्त्र को शर्मसार करने वाला बयान भी आया, यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बड़े पुत्र और कर्नाटका के मुख्य मंत्री कुमारस्वामी के बड़े भाई की ओर से आया। उन्होने कहा की यदि राष्ट्र की जनता एक बार फिर मोदी को प्रधानमंत्री चुनती है तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे। अर्थात वह जनमत को नकारते हुए अपने वक्तव्य पर अडिग रहेंगे। चुनावी जुमले तो पहले भी आते रहते थे परंतु इतना डैम रखने वाले वादे से मुकरना कठिन होगा। आम जनता का कहना है की रेवन्ना अब अप्रासंगिक हो चुके हैं अत: उनसे ऐसे बयान की अपेक्षा की जा सकती है।

मैसुरू: लोकसभा चुनाव 2019 की बिसात पर नेताओं के अपने-अपने वादे हैं, अपने-अपने वचन हैं. अब उनका पालन कितना होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बड़े बेटे एचडी रेवन्ना कर्नाटक सरकर में मंत्री हैं. रेवन्ना ने गुरुवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से दोबारा जीतकर प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे.

बेंगलुरू से लगभग 150 किलोमीटर दूर मैसुरू में रेवन्ना ने संवाददाताओं से कहा, “अगर मोदी वाराणसी से दोबारा जीत जाते हैं और प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. बीजेपी इस बार सत्ता में नहीं आएगी.”

मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बड़े भाई रेवन्ना मैसुरू से कांग्रेस प्रत्याशी सीएच विजयशंकर के प्रचार के लिए आए थे, जो यहां से बीजेपी के वर्तमान सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, “
यूपीए को दोबारा सत्ता में लाने और सांप्रदायिक बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए हमारी पार्टी ने चुनाव पूर्व कांग्रेस से गठबंधन किया है, क्योंकि हमने देशभर के परेशान किसानों के हितों की रक्षा की है.”

रेवन्ना ने कहा, “मैं यह जानना चाहता हूं कि मोदी ने पिछले पांच सालों में किसानों के लिए क्या किया है. राज्य सरकार ने हालांकि 15 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दिलाने के लिए केंद्र सरकार को उनकी सूची भेजी थी, जिसके लिए मोदी कहते हैं कि केंद्र को वह सूची अभी तक नहीं मिली है. यह झूठ है.”