सियासी संकट को कॉंग्रेस-जेडीएस ने संवैधानिक संकट बना दिया

हिमाचल प्रदेश में एक छोटा सा शहर है ‘कुमारहट्टी’ वहाँ से कुछ बच्चे डगशाई पढ़ने जाते थे, एक बार स्कूल से आते से आते हुए एक बच्चा पिट गया। तो रोते हुए पीटने वाले बच्चे से बोला की तू अब के पीट, तुझे अपने दोस्तों से पिटवाऊंगा, बेचारा फिर पिटा। आगे जाने पर बोला कोने वाली दुकान वाले अंकल से पिटवाऊंगा तू अबके मार, बेचारा फिर पिटा। आखिर में बोला की तूने अबके पीटा तो आंटी के कुत्ते से कटवाऊंगा बेचारा फिर पीट गया। यह कहानी अटपटी ज़रूर है लेकिन दर्शाती है की जिसने पीटना है वह तो पीटेगा ही, चाहे आप लाख धमका लो दलीलें दे लो। काँग्रेस-जेडीएस पीटने वाले हैं और संविधान पिटने वाला। स्पीकर के पद में बहुत ताकत होती है, इतनी कि वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी अमान्य कर सकता है, कर्नाटका में कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने तय समय सीमा की कोई बंदिश न लगा कर अपनी इज्ज़त बचाई।

माना की स्पीकर के पास बहुत ताकत है पर यह कहाँ लिखा है की राज्यपाल के आदेशों की खिल्ली उड़ाई जाये? कर्णाटक में यही हुआ। राज्यपाल समय देते रहे कॉंग्रेस-जेडीएस राज्यपाल के आदेशों को ‘प्रेमपत्र’ कह कर खिल्ली उड़ाते रहे। राज्यपाल ने केवल समय दिया था की आप शक्ति परिक्ष्ण करवा लो, कॉंग्रेस-जेडीएस ने स्पीकर के साथ मिल कर्नाटक विधान सभा को एक मज़ाक बना कर रख दिया। कुमार स्वामी स्वयं को निर्लिप्त व्यक्ति बताते हैं परंतु सत्ता लोलुप भ्रष्ट नेता की भांति आचरण कर रहे हैं। अलग अलग मुद्दों के साथ सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को नज़रअंदाज़ कर उन फैसलों को फिर से चुनौती दे रहे हैं। विधान सभा चुनावों में हाशिये पर आए कुमारस्वामी लोक सभा चुनावों में बुरी तरह पिट गए। अपने राजनैतिक भविष्य को भाँपते हुए वह मुख्यामन्त्री की कुर्सी से ऐसे चिपके हैं की न हिल पा रहे हैं न हिलाये जा पा रहे हैं। कर्नाटका का राजनैतिक संकट जल्द ही संवैधानिक संकट बन कर खड़ा हो जाएगा।

बेंगलुरू: कर्नाटक में जारी सियासी संकट और गहरा गया है. अब यह संवैधानिक संकट का रूप लेता जा रहा है. कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को भी बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया. राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से मुख्यमंत्री एचडी. कुमारस्वामी को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार शाम 6 बजे तक का समय दिया गया था लेकिन कुमारस्वामी निर्धारित समय तक बहुमत साबित नहीं कर सके. अंत में, स्पीकर ने सदन को सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

कर्नाटक में सियासी नाटक जारी, आज ये तीन संभावनाएं बन सकती हैं: 
1.
 कर्नाटक में आज सबकी निगाहें राज्यपाल पर टिक गई हैं. तीन बार लिखे पत्रों की अवहेलना हुई है. राज्यपाल केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे. देखना होगा कि केंद्र इस रिपोर्ट पर क्या रुख अपनाता है.  

2. सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर की याचिका पर सुनवाई हो सकती है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शीर्ष अदालत से 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की जिसमें 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने के विकल्प चुनने की अनुमति प्रदान की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शक्ति परीक्षण करने के संबंध में राज्यपाल हस्तक्षेप कर रहे हैं. उधर, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने भी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि न्यायालय का 17 जुलाई का आदेश पार्टी के अपने विधायकों को व्हिप जारी करने के अधिकार का हनन करता है. 

3. बीजेपी पूरे राज्य में विरोध-प्रदर्शन कर सकती है. बीजेपी विधायकों ने बहुमत परीक्षण में देरी होने पर गुरुवार को विधानसभा में पूरी रात धरना दिया था. बीजेपी नेता येदियुरप्पा लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके पास 106 विधायकों का समर्थन है. बीजेपी अपने विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ा सकती है. 

ॐ बिड़ला ने कॉंग्रेस के सदन को स्थगित करने के प्रयास को विफल किया

कॉंग्रेस अरनाता में अपनी चालों से जनता का ध्यान हटाने के लिए नए नए हंगामे कर या रच रही है। कभी कांग्रेसी नेता अपने दलबल के साथ राहस्त्रीय मार्ग पर धारणा दे देते हैं तो कभी लोकसभा में हँगामा कर सदन को बाधित करने का प्रयास करते हैं। आज सदन में स्पीकर ओम बिरला ने शुक्रवार को सदन में हंगामा कर रहे विपक्ष के सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि आप संसद के किसी स्टाफ को हाथ न लगाएं.

नई दिल्ली: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शुक्रवार को सदन में हंगामा कर रहे विपक्ष के सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा कि आप संसद के किसी स्टाफ को हाथ न लगाएं. उनकी टिप्पणी उस समय आई जब कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके सांसद प्रश्न काल के दौरान हंगामा करते हुए वेल में आ गए. हंगामा करने वाले सांसद कर्नाटक की स्थिति पर चर्चा करना चाहते थे लेकिन स्पीकर ने इससे इनकार कर दिया. इससे विपक्ष के सांसद नाराज हो गए.  

स्पीकर ने नाराज सांसदों से वापस अपनी सीट पर बैठने और प्रश्न काल जारी रखने का अनुरोध किया लेकिन विपक्ष के सांसद “हमें न्याय चाहिए’ और “तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाने लगे. इस पर स्पीकर ने कहा, “आप सभी ने निर्णय लिया था कि राज्य से संबंधित मामलों की चर्चा सदन में नहीं की जा सकती. यह एक राज्य विशेष का मामला है और संवैधानिक पद से संबंधित है.” 

कुछ समय बाद, स्पीकर ने फिर से प्रश्नकाल जारी रखने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, “मैंने आपको इस मामले को दो बार उठाने की अनुमति दी है. इसके बावजूद, मैं आपको सदन में पेपर रखे जाने जाने के बाद इस पर शून्य काल के दौरान बोलने का मौका दूंगा.”

बिरला ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की ओर इशारा किया जिन्होंने पिछले सप्ताह इस मामले को उठाया था. स्पीकर के आश्वासन के बाद, विपक्ष के सांसद वापस अपनी सीट पर चले और प्रश्नकाल की कार्यवाही आगे बढ़ी. 

कर्नाटक मामले को लेकर विपक्ष ने लोकसभा से किया बॉयकट
कर्नाटक संकट को लेकर कांग्रेस, डीएमके व टीएमसी सहित विपक्ष ने शुक्रवार को लोकसभा से बॉयकट किया. विपक्ष ने बीजेपी पर राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के शून्य काल के दौरान कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को इस मुद्दे पर बहुत कम समय के लिए बोलने की इजाजत दी, इस पर सांसद एकत्र हुए और बॉयकट कर गए.

कमल नाथ ने मोदी का आभार मनाया

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम औद्योगिकीकरण की बात राजनीति के लिये नहीं, नौजवानों के भविष्य के लिये करते हैं. 

भोपाल/विवेक पटैया: मुख्यमंत्री कमल नाथ ने विधानसभा में अपने विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का केंद्र बनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी में नित नए परिवर्तन हो रहे हैं. युवाओं को नई टेक्नोलॉजी से अपडेट रखकर उनकी ऐसी स्किलिंग होनी चाहिए जिससे उन्हें अच्छी नौकरी मिल सके. मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि आधुनिक तकनीक के अनुसार प्रदेश में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि उनका जोर प्रशिक्षणार्थियों की संख्या की बजाय उनकी नौकरी पर है. मुख्यमंत्री ने बताया कि देश ही पूरे विश्व में एक ही जिले में सर्वाधिक ट्रेनिंग सेंटर छिंदवाड़ा में हैं.

बिजली का स्टोरेज होगा 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बिजली के स्टोरेज की व्यवस्था की जा रही है. विश्व स्तर पर इसका टेंडर जारी किया जा चुका है. इस संबंध में चर्चा के लिये चीन की टीम को आमंत्रित किया गया है, जो शीघ्र ही मध्यप्रदेश के दौरे पर आ रही है. मध्यप्रदेश बिजली का स्टोरेज करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा.

नौजवानों के भविष्य का नया नक्शा बनाना है 
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम औद्योगिकीकरण की बात राजनीति के लिये नहीं, नौजवानों के भविष्य के लिये करते हैं. हम नौजवानों के भविष्य का नया नक्शा बनाना चाहते हैं. वर्तमान में युवाओं के हाथ को काम चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेश नीति हर सेक्टर के लिये अलग-अलग बनाई जायेगी और हर नीति में रोजगार को प्राथमिकता दी जायेगी. उन्होंने कहा कि औद्योगिकीकरण के लिये निवेशकर्ताओं में विश्वास का वातावरण जरूरी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि गत 15 साल में देश में जितना घरेलू और विदेशी निवेश भारत में आया, उसका बहुत कम हिस्सा मध्यप्रदेश में आया है… इससे हमको सबक लेने की जरूरत है…अपनी कार्यप्रणाली में परिवर्तन लाना होगा. मुख्यमंत्री कमल नाथ के जवाब के बाद सदन ने उनके विभागों से संबंधित 3259 करोड़ 29 लाख 9 हजार रूपये की अनुदान माँगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

सीएम कमलनाथ ने पीएम मोदी का माना आभार 
सीएम कमलनाथ ने सदन में बजट पर चर्चा के बीच कहा मुझे नीति आयोग की सब कमेटी में शामिल किया गया. इसके लिए मैं पीएम मोदी का आभारी हूं. उन्होंने बिना भेदभाव के काम किया.

अपने गढ़ को बचाने की काँग्रेस की आखिरी कोशिश

कर्नाटक विधानसभा में भाजपा बहुमत के साथ आई थी, लेकिन चुनावों के दौरान डीएचआर विरोधी रहे कॉंग्रेस – जेडीएस ने भाजपा की बढ़त को रोकने के लिए गठबंधन किया और सरार बना ली। अब लो सभा चुनावों में कर्नाटक की जनता ने एक बार फिर 28 में से 25 लोक सभा सीटें भपा को सौंप दीं। लोक सभा चुनावों में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत को देख कर काँग्रेस में निराशा का ज्वार आया हुआ है। बंगाल में टीएमसी के विधायक त्यागपत्र दे कर भाजपा में शामिल हो रहे हाँ तो स्दूर पश्चिम में गोवा में काँग्रेस के 15 विधायक भाजपा में शामिल हो गए( यहाँ कॉंग्रेस का वजूद ही खतरे में आ गया है)। मध्यप्रदेश में भी कॉंग्रेस ई गार्डन पर तलवार लटक रही है। करनाटक में बागी विधायों ने तो भाजपा में जाने आ मन बना लिया है, और तो और कारणता के दिग्गज काँग्रेस नेता तो पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। काँग्रेस बहुत डरी हुई है, कर्नाटक में सत्‍ता का संघर्ष बढ़ता जा रहा है. स्‍पीकर ने विधानसभा को एक दिन के लिए स्‍थग‍ित कर दिया है. बीजेपी फ्लोर टेस्‍ट आज ही चाहती है, ऐसे में बीजेपी विधायक विधानसभा में ही सो रहे हैं. अब राज्‍यपाल ने मुख्‍यमंत्री कुमारस्‍वामी को पत्र लिखकर कहा है कि वह शुक्रवार को अपना बहुमत साब‍ित करें.

बेंगलुरु: कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार रहेगी या जाएगी, इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. इस बीच सत्‍ता हासिल करने का ‘नाटक’ राज्‍य में बढ़ता जा रहा है. विधानसभा स्‍पीकर ने पहले व‍िश्‍वासमत हासिल करने के लिए गुरुवार का दिन तय किया, लेकिन शाम होते होते सदन को एक दिन के लिए स्‍थगि‍त कर दिया. इस पर बीजेपी भड़क गई है. उसने मांग की है कि फ्लोर टेस्‍ट गुरुवार को ही किया जाए. राज्‍यपाल ने स्‍पीकर से कहा था कि वह गुरुवार को ही विश्‍वासमत हासिल करने पर विचार करें. लेकिन स्‍पीकर ने सदन एक दिन के लिए स्‍थगित कर दिया. 

कर्नाटक में बढ़ते सियासी संकट के बीच राज्‍यपाल वजू भाई वाला ने अब मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारास्‍वामी को पत्र लिखकर कहा है कि वह शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे अपना बहुमत साबित करें. इससे पहले राज्‍यपाल ने विधानसभा स्‍पीकर से आग्रह किया था कि वह गुरुवार को ही फ्लोर टेस्‍ट पर विचार करें. लेकिन स्‍पीकर ने सदन एक दिन के लिए स्‍थग‍ित कर दिया.

इसके बाद बाद बीजेपी ने अपने विधायकों के साथ विधानसभा में ही धरना देना शुरू कर दिया. पूर्व मुख्‍यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा अपने सभी साथी विधायकों के साथ फ्लोर पर सोते दिखाई दिए.

बीजेपी विधायकों ने अपना धरना विधानसभा में शुरू भी कर दिया है. बीजेपी विधायकों और विपक्ष के नेता बीएस येदि‍युरप्‍पा से कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार और एचएस पाट‍िल ने बात की है. हालांकि इस मुलाकात का कोई परिणाम नहीं निकल पाया है. कर्नाटक बीजेपी के विधायक विधानसभा में ही सो गए.

बीजेपी के नेता बीएस येद‍ियुरप्‍पा ने कहा, हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि आज ही फ्लोर टेस्‍ट कराया जाए. लेकिन मुख्‍यमंत्री इसके लिए तैयार नहीं हैं. वह सदन और लोगों का भरोसा खो चुके हैं. उनके पास सिर्फ 98 विधायक हैं. हमारे पास 105 सदस्‍य हैं.

दरअसल नंबर गेम के कारण कांग्रेस और जेडीएस की सरकार चाहती है कि गुरुवार को सदन में फ्लोर टेस्‍ट न हो. वहीं बीजेपी ने साफ कर दिया है कि सदन में विश्‍वास मत आज ही हा‍स‍िल किया जाना चाहि‍ए. इसके ल‍िए बीजेपी विधायकों ने राज्‍यपाल वजूभाई वाला से मुलाकात की. इसके बाद राज्‍यपाल ने स्‍पीकर से कहा क‍ि वह आज ही विश्‍वासमत पर वि‍चार करें.

इधर कांग्रेस व‍िधायकों ने फि‍र से विधानसभा में हंगामा शुरू कर दिया है. उन्‍होंने हाथ में प्‍ले कार्ड लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कांग्रेस का का कहना है कि बीजेपी ने उसके विधायकों का अपहरण किया है. वह मुंबई में भर्ती कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाट‍िल की तस्‍वीरें भी लहराते दिखे.

इधर, कांग्रेस विधायक एचके पाट‍िल ने सदन में कहा राज्‍यपाल की सलाह पर कहा, राज्‍यपाल सदन की कार्यवाही में हस्‍तक्षेप नहीं कर सकते हैं. सदन की कार्यवाही संव‍िधान के हिसाब से चलेगी. मैं राज्‍यपाल से कहना चाहूंगा कि वह सदन की कार्यवाही में हस्‍तक्षेप न करें.

विधानसभा में बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री बीएस येद‍ियुरप्‍पा ने कहा, अगर रात 12 बजे तक बहस चले तो उसके बाद भी आज ही फ्लोर टेस्‍ट होना चाहि‍ए. दरअसल कांग्रेस और जेडीएस की सरकार आज सदन में फ्लोर टेस्‍ट से हिचकिचा रहे हैं. उनके पास जरूरी संख्‍या बल नहीं है.

गुरुवार को विश्वास मत पर विधानसभा में बहस शुरू हुई, लेकिन कांग्रेस और जेडीएस दोनों ही मतदान कराने से हिचकिचा रहे हैं. बहस के दौरान अपनी बात रखते वक्त सदन में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू होता है या फिर हमारा व्हिप काम में आता है, तो दोनों ही तरफ से हमारी सरकार पर संकट बरकरार है.

कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाट‍िल की हालत बिगड़ी, मुंबई में भर्ती
इधर, कर्नाटक कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल विधानसभा सत्र में चल रहे विश्वास मत प्रस्ताव में शामिल नहीं हुए. उन्हें मुंबई के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. सूत्र के अनुसार, “पाटिल ने बुधवार को सीने में दर्द व सांस लेने में शिकायत के बाद मुंबई के लिए उड़ान भरी और उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया.”

पाटिल, राज्य के उत्तरपश्चिमी बेलगाम जिले के कागवाड विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह शहर के बाहरी इलाके में देवनहल्ली के पास एक रिजॉर्ट में पार्टी के अन्य विधायकों के साथ ठहरे हुए थे. सूत्र ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, “हमें सुबह रिजॉर्ट से उनके गैरहाजिर होने की बात पता चली और पता करने पर सामने आया है कि वह इलाज के लिए मुंबई गए हैं.”

पाटिल के सत्र से गैरहाजिर होने के बाद सत्तारूढ़ सहयोगी की विधानसभा में संख्या 66 रह गई है. इसमें विधानसभा अध्यक्ष व वरिष्ठ बागी विधायक आर.रामलिंगा रेड्डी शामिल हैं. कांग्रेस के 12 बागी विधायकों व जद (सेक्युलर) के तीन विधायकों के गैर हाजिर होने से सदन में सत्तारूढ़ गठबंधन की संख्या 101 है. इसमें बहुजन समाज पार्टी का एक विधायक शामिल है. इस तरह से सदन की कुल संख्या 225 से घटकर 210 हो गई है.  इस तरह से बहुमत के लिए 106 सदस्यों की जरूरत होगी.

कर्नाटक संकट : बागी गैरहाज़िर तो कुमारस्वामी हारे

कोर्ट ने साफ किया है कि ये बागी विधायक विधानसभा की कार्रवाई में भाग लेने या न लेने के लिए स्वतंत्र हैं. यानी ये विधायक 18 जुलाई को बहुमत परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) के समय अनुपस्थित रह सकते हैं.

नई दिल्‍ली: कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच बागी विधायकों के इस्‍तीफे के संबंध में विधानसभा स्पीकर के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला स्पीकर पर छोड़ा. कोर्ट ने कहा स्पीकर उचित समय के भीतर फैसला लें लेकिन उचित समय क्या होगा, यह स्पीकर को ही तय करना है.

हालांकि इसके साथ ही बागी 16 विधायकों को कोर्ट से राहत भी मिली है. कोर्ट ने साफ किया है कि ये बागी विधायक विधानसभा की कार्रवाई में भाग लेने या न लेने के लिए स्वतंत्र हैं. यानी ये विधायक 18 जुलाई को बहुमत परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) के समय अनुपस्थित रह सकते हैं. ऐसी स्थिति में 224 सदस्‍यीय विधानसभा में कुमारस्‍वामी के नेतृत्‍व में जेडीएस-कांग्रेस सरकार के पक्ष में बहुमत का आंकड़ा नहीं रह जाएगा. इस सूरतेहाल में एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिर सकती है.

सीटों का गणित
कर्नाटक विधानसभा
कुल सीटें- 224
बागी विधायक -15
बची सीट 209

बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा- 105
कुमारस्वामी सरकार के पास विधायक (जेडीएस-कांग्रेस)- 101 (बहुमत से 4 कम)

भाजपा की स्थिति- 105 सीटें (इसके अलावा दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्‍त)

भाजपा की प्रतिक्रिया
इससे पहले कर्नाटक बाग़ी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि स्पीकर 15 विधायकों के इस्तीफ़े पर विचार करें. स्पीकर खुद से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्हें समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि इस केस में संवैधानिक मसले को देखते हुए इसमें विस्तृत फैसला देना पड़ेगा. हालांकि कर्नाटक सरकार को झटका देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि 15 बागी विधायकों को भी सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य न किया जाए.

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री और वरिष्‍ठ भाजपा नेता बीएस येदियुरप्‍पा ने कहा कि कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री के पास बहुमत नहीं है, उनको कल इस्‍तीफा देना चाहिए. मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्‍वागत करता हूं. यह संविधान और लोकतंत्र की जीत है. ये बागी विधायकों की नैतिक जीत है. हालांकि कोर्ट का ये अंतरिम आदेश है, स्‍पीकर की शक्तियों के संबंध में कोर्ट भविष्‍य में फैसला करेगा. विधानसभा स्‍पीकर केआर रमेश कुमार ने कहा कि मैं इस मसले पर निर्णय करूंगा, जोकि किसी भी तरह संविधान, कोर्ट और लोकपाल के विपरीत नहीं होगा. मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी ने फैसले पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

कांग्रेस-जेडीएस विधायक ‘रिजॉर्ट स्टे’ से तंग आ चुके हैं

कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई. अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे.

बेंगलुरू: 

कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई. अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे. उधर, सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन सरकार के विधायक रिजॉर्ट स्टे से तंग आ चुके हैं. कांग्रेस-जेडीएस विधायक पिछले एक सप्ताह से रिजॉर्ट में हैं. 

एक कांग्रेस विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हम पिछले एक सप्ताह से अपने परिवार से दूर हैं. अब हमें फ्लोर टेस्ट तक यानी 3-4 दिन तक रिजॉर्ट में और रहना होगा. हम एक सप्ताह से रिजॉर्ट में रह-रहकर तंग आ चुके हैं. हम कुछ कर नहीं सकते क्योंकि हम पर नजर है.”  

कांग्रेस के लगभग 40 विधायक शहर के बाहर क्लार्क्स एक्सोटिका कन्वेंशन रिजॉर्ट में जबकि 60 अन्य विधायक ताज वियांता होटल में हैं ताकि वे बीजेपी के संपर्क में न आ सकें. इसी तरह से, जेडीएस के लगभग 30 विधायकों को 6 जुलाई को गोल्फशायर रिजॉर्ट में शिफ्ट किया गया है. 

एक जेडीएस विधायक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया, “अपने दोस्तों और परिवार से कई दिनों से रिजॉर्ट में रहना मुश्किल हो रहा है. हम पर हर वक्त नजर रखी जा रही है.”  

गठबंधन सरकार का संकट जस का तस
16 विधायकों के इस्तीफे से मुश्किल में फंसी कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार का संकट जस का तस बना हुआ है. गठबंधन को हालांकि सोमवार को बीजेपी द्वारा की गई बहुमत पेश करने की मांग से बचने का मौका जरूर मिल गया. सदन में कार्रवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने मांग की कि बहुमत परीक्षण को गुरुवार तक के लिए टाल दिया जाए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सदन की कार्रवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है. इसके साथ ही राज्य की वर्तमान सरकार को थोड़ा और वक्त मिल गया है ताकि वो अपने बागी विधायकों को मना ले.

गौरतलब है कि अध्यक्ष ने अभी तक बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता होगी कि वे उचित फॉर्मेट में हैं भी या नहीं. बता दें कि 16 बागियों में से 15 ने 10 जुलाई और 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस्तीफे स्वीकार करने में हो रही देरी के कारण विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की गुहार लगाई थी. इस संबंध में शीर्ष अदालत मंगलवार को फिर से सुनवाई करेगी. 

225 सदस्यीय विधानसभा में, कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास बसपा व एक क्षेत्रीय पार्टी के एक-एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ अध्यक्ष सहित कुल 118 विधायक हैं. यह आवश्यक बहुमत के निशान से सिर्फ पांच ही अधिक है. अब अगर 16 बागी और दो निर्दलीय सहित सभी 18 विधायक सत्र में शामिल नहीं होते हैं, तो मतदान के लिए सदन की प्रभावी शक्ति 205 ही रह जाएगी, जिसमें भाजपा के 105 सदस्य होंगे. जबकि अध्यक्ष और नामित सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा.

‘ओवैसी साहब,आपको सुनने की आदत डालनी होगी.’ : अमित शाह

लोकसभा में सोमवार को एनआईए संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक देखने को मिली. ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो डराइए मत, जिस पर शाह ने कहा कि वह डरा नहीं रहे हैं, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है.अमित शाह की बात वाजिब भी है की जब बात आतंकवाद निरोध की हो तो ओवैसी को डर क्यों लगता है?

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में हंगामे और तीखी नोकझोंक के बाद सोमवार को लोकसभा में ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ को मंजूरी दे दी गई. इस विधेयक के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी भी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ का समर्थन किया. वहीं, इस बिल पर चर्चा के दौरान शाह की एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से तीखी बहस भी हुई. 

गृह मंत्री ने ओवैसी से कहा, ‘जब कोई और बोलता है तो आप चुप रहकर सुनते हैं लेकिन जब सत्यपाल सिंह बोल रहे हैं तो आप लगातार बीच में बोल रहे हैं. आपको सुनने की आदत डालनी होगी.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनआईए तेजी से मामलों को खत्म करती है और एजेंसी ने अपने 90 फीसदी केस समाप्त किए हैं, जो दुनियाभर की एजेंसियों की तुलना में अच्छा है. शाह ने एनआईए की तारीफ करते हुए कहा कि मजबूत एनआईए के साथ भारत आतंकवाद को खत्म करेगा.  

विपक्ष के द्वारा एजेंसी के गलत रूप से प्रयोग किए जाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार कानून के नियमों से चलती है और सभी जांच एजेंसियां कानून द्वार स्थापित प्रक्रिया का ही पालन करती है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार की आतंकवाद को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति की सराहना की. गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को आतंकवाद के तौर पर ही देखा जाना चाहिए. आतंकवाद में राइट और लेफ्ट नहीं होता है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं के अपराधियों को दंडित करने की जरूरत है और उन्हें दंडित किया जाएगा.

मुकुल रॉय के ब्यान ने मचाई खलबली

गोवा और कर्नाटक में सियासी हलचल से अभी कांग्रेस थी तरह उभरी भी नहीं थी की उसे बंगाल से एक बहुत ही भयंकर समाचार प्राप्त हुआ है। बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने कहा

है कि पश्चिम बंगाल में 107 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. मुकुल रॉय ने कहा कि इन सभी विधायकों की लिस्ट तैयार हो चुकी है और उनसे लगातार संपर्क बना हुआ है। कर्नाटक में अभी थोड़ी सुध आ ही रही थी कि मुकुल रॉय के ब्यान ने एक बार फिर सियासी तूफान मचा दिया है।

कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता मुकुल रॉय ने शनिवार को एक ऐसा दावा किया है, जिससे पश्चिम बंगाल की सियासत में भारी उथल-पुथल मच सकती है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, मुकुल रॉय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में 107 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. उन्होंने दावा किया कि सीपीएम, कांग्रेस और टीएमसी के 107 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि हमारे पास उन विधायकों की लिस्ट तैयार हो गई है और उनसे लगातार संपर्क में हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर काबिज हुई थी. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी कोई भी कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहती है. अभी हाल ही में टीएमसी के कई नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा था. टीएमसी के नेताओं का बीजेपी में शामिल होने का क्रम लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था.  

यदि ऐसा हो जाता है तो सबसे अधिक नुकसान काँग्रेस को होगा। वह बंगाल में अपना बचाखुचा जनाधार भी खो देगी।

कर्णाटक में लोकतन्त्र पर कठोर प्रहार

संसद भवन में गला फाड़ फाड़ कर लोकतन्त्र बचाने की गुहार लगाने वाली कांग्रेस कर्णाटक में खुद ही लोकतन्त्र की हत्या करने पर उतारू है। जिन विधायकों ने राज्यपाल और स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया है उन्हे भी व्हिप के तहत लाने की कॉंग्रेस की चाल न केवल अमर्यादित है आपितु स्पीकर का उन्हे बल और समय दोनों प्रदान करना आलोकतांत्रिक है। कॉंग्रेस और स्पीकर चाहते हैं की इन बागी विधायकों को वहिप की अवहेलना करने पर अयोग्य ठहरा दिया जाये। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद यही सवाल उठ रहा है कि क्या बागी विधायक अयोग्य ठहरा दिए जाएंगे?

नई दिल्ली/बेंगलुरू: 

कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद यही सवाल उठ रहा है कि क्या बागी विधायक अयोग्य ठहरा दिए जाएंगे? प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अध्यक्ष को इस्तीफे पर फैसला करने के लिए 16 जुलाई तक का समय देते हुए तब तक के लिए यथास्थिति का आदेश दिया. वहीं, गुरुवार की शाम जब अध्यक्ष की ओर से शीर्ष अदालत के सामने कहा गया कि उन्हें इस्तीफा स्वीकार करने से संबंधित निर्णय लेने के लिए समय की आवश्यकता होगी, तब अदालत ने उन्हें एक दिन के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा था.

शुक्रवार से विधानसभा का 10 दिवसीय सत्र शुरू होने के कारण उनका यह दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है. क्योंकि जब तक उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हो जाते, तब तक दोनों दलों के सभी विधायक अपने-अपने दलों द्वारा विधानसभा की उपस्थिति और उसमें मतदान के संबंध में जारी किए गए व्हिप के लिए बाध्य होंगे. अगर विधायक व्हिप का उल्लंघन करते हैं, तो वे अयोग्यता सहित अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर सकते हैं. इस स्थिति में विधानसभा की शेष अवधि के लिए वह फिर से चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

कांग्रेस और जेडीएस दोनों ने अपने सभी विधायकों को राज्य के बजट (वित्त विधेयक) को पारित कराने के लिए विधानसभा में उपस्थित रहने और अन्य विषयों पर चर्चा में भाग लेने के लिए व्हिप जारी किया है. कांग्रेस प्रवक्ता रवि गौड़ा ने आईएएनएस को बताया, “बागियों को भी व्हिप जारी किया गया है, क्योंकि उनके इस्तीफे को अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया है.”

कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने पहले ही अध्यक्ष को याचिका दी है कि जो विधायक व्हिप की अवहेलना करते हैं, उन्हें अयोग्य घोषित करें. हालांकि, बागियों ने दावा किया है कि अयोग्यता उन पर लागू नहीं होगी, क्योंकि वे अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं और 6 जुलाई को राज्यपाल के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष को भी पत्र सौंप चुके हैं. अगर अध्यक्ष सभी 16 इस्तीफों को स्वीकार कर लेते हैं, तो विधानसभा की प्रभावी ताकत 225 से घटकर 209 हो जाएगी और सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमट जाएगा. इस स्थिति में बहुमत का जादुई आंकड़ा 105 होगा.

वहीं, कांग्रेस व जेडीएस के 16 विधायकों के अलावा, केपीजेपी विधायक और निर्दलीय विधायक ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसकी वजह से गठबंधन खतरे में पड़ गया है. दूसरी ओर, भाजपा के पास 105 विधायक हैं और वह सरकार बनाने के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को कहा कि वह विश्वास मत हासिल करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि उनकी जेडीएस व कांग्रेस गठबंधन सरकार के पास सदन में पर्याप्त बहुमत है.

कुमारस्वामी ने कहा कि अगर भाजपा चाहती है तो वह अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए भी तैयार हैं. मुख्यमंत्री ने कन्नड़ भाषा में विधानसभा अध्यक्ष से कहा, “मैं विश्वास मत या अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तारीख और समय को निर्धारित करना आप पर छोड़ता हूं.”

बागियों की दलील पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए अध्यक्ष को निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वे विधायक के पद पर बने रहेंगे और अयोग्य नहीं ठहराए जाएंगे. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और जेडीएस ने भी अध्यक्ष को याचिका दी है कि वे उन 10 बागियों को अयोग्य घोषित करें, जो उनके खिलाफ शीर्ष अदालत में गए और उनकी विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं हुए.
शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को इस्तीफे पर फैसला करने के अपने गुरुवार के आदेश को संशोधित करते हुए अध्यक्ष को अतिरिक्त समय दिया.

“हम विधानसभा सत्र के निर्वाध संचालन के लिए विश्वस्त और तैयार हैं.” कुमारस्वामी

कर्नाटक विधानसभा से सत्तारूढ़ कांग्रेस व जेडीएस के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने के बाद सरकार के भविष्य पर बड़ा संकट पैदा हो गया है.

बेंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा से सत्तारूढ़ कांग्रेस व जेडीएस के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने के बाद सरकार के भविष्य पर बड़ा संकट पैदा हो गया है. पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के 13 जबकि जेडीएस के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे गठबंधन सरकार संकट में पड़ गई है. राज्य में आज यानी शुक्रवार से मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि उनकी सरकार मजबूत है, हालांकि अस्थिर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. कुमारस्वामी ने कहा, “हम विधानसभा सत्र के निर्वाध संचालन के लिए विश्वस्त और तैयार हैं.” 
   
इससे पहले, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि उन्हें सत्ताधारी कांग्रेस और जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे नियत फॉर्मेट में मिले थे. कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, “विधायकों ने अपना इस्तीफा मेरे कार्यालय में नियत फॉर्मेट में लिखे. मैं उन पर विचार करूंगा और उनकी बात निजी तौर पर सुनने के बाद फैसला लूंगा.”

उन्होंने कहा, “मैं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित करूंगा कि मैंने मामले पर कार्रवाई कानून और दिन में पूर्व में जारी अपने आदेश के अनुसार की है.”

अगर 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हुए
अगर अध्यक्ष 16 विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लेते हैं, तो विधानसभा की प्रभावी ताकत 225 से घटकर 209 हो जाएगी और बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 105 हो जाएगा जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमटकर अल्पमत में आ जाएगा.