विधान सभा चुनावों के लिए काँग्रेस की चयन समिति से मिलने कोई भी दावेदार नहीं पहुंचा

मुंबई के महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी के ऑफिस में इन दिनों विधानसभा की तैयारी के लिए अहम बैठकें बुलाई जा रही है. विधानसभा के लिए इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार भी इसी ऑफिस में होना है. मुंबई में बुधवार को कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार रखा गया था. लेकिन कोई भी मौजूदा विधायक इस साक्षात्कार के लिए नहीं आया. मुंबई के विधायक वर्षा गायकवाड, अमीन पटेल भी साक्षात्कार लिए नहीं पहुंचे. इस पूरे मामले पर अब कांग्रेस पार्टी पर्दा डालती नजर आ रही है.

मुंबईः लोकसभा चुनाव 2019 में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीती कांग्रेस पार्टी की हालत काफी गंभीर मानी जा रही है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था. लेकिन मुंबई में कोई भी विधायक इस साक्षात्कार के लिए आया नहीं. जिससे इस बात का पता चलता है कि पार्टी की हालात कितने खस्ता है और पार्टी के विधायको में कितना असमंजस और निराशा फैली है.  

मुंबई के महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी के ऑफिस में इन दिनों विधानसभा की तैयारी के लिए अहम बैठकें बुलाई जा रही है. विधानसभा के लिए इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार भी इसी ऑफिस में होना है. हर बार जब चुनाव आते है तो पार्टी सभी चुनाव क्षेत्र के लिए इच्छुक उम्मीदवारों से अर्जी लेती है. जिसके बाद उनका साक्षात्कार होता है. जो फिलहाल विधायक चुनकर आए है वह भी इस साक्षात्कार के लिए आते है. लोकसभा की हार के बाद पार्टी में जो असमंजस की स्थिती तैयार हुई है. इसका असर दिखना अब शुरु हुआ है.

यह भी पढ़ें : 50 से अधिक विधायक भाजपा में शामिल होना चाहते हैं: महाजन

मुंबई में बुधवार को कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार रखा गया था. लेकिन कोई भी मौजूदा विधायक इस साक्षात्कार के लिए नहीं आया. मुंबई के विधायक वर्षा गायकवाड, अमीन पटेल भी साक्षात्कार लिए नहीं पहुंचे. इस पूरे मामले पर अब कांग्रेस पार्टी पर्दा डालती नजर आ रही है.

कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बाळासाहेब थोरात ने कहां, ‘जो विद्यमान विधायक है उनको साक्षात्कार की जरुरत नहीं है. वह कभी भी आकर अपनी बात रख सकते है. हर चुनाव क्षेत्र में पार्टी की टिकट के लिए उत्सुक उम्मीदवारों की संख्या बढी है. हम हर जिलास्तर यह साक्षात्कार लेते है. फिलहाल जो विधायक है वह अगर इस सात्क्षात्कार के लिए नही आता तो इसका मतलब यह नही है की वह चुनाव लढने के लिए उत्सुक नही है.’

पार्टी सूत्रों की मानें तो फिलहाल पार्टी संक्रमण की स्थिती से गुजर रही है. यह कहां जा रहा है की मुंबई के मालाड से पार्टी के विधायक अस्लम शेख शिवसेना में जाने की तैयारी कर रहे है. कलिना विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले कृपाशंकर सिंह ने अब तक चुनाव लड़ने के लिए तैयार होने की अर्जी भी पार्टी के पास नही भेजी है. वर्षा गायकवाड और अमीन पटेल ने भी साक्षात्कार के लिए ना आना इस बात को दर्शाता है की पार्टी में असमंजस और दुविधा बनी हुई है. 

सिर्फ मुंबई की बात करें तो इन दिनों पार्टी के पास कोई भी मुंबई अध्यक्ष नहीं है. फिलहाल पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड के पास मुंबई कार्यकारी अध्यक्ष पद का जिम्मा अस्थायी तौर पर दिया गया है. मिलिंद देवड़ा ने लोकसभा चुनाव के हार के बाद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था.  यह हालत सिर्फ मुंबई की नहीं है. मुंबई के बाहर भी पार्टी के कई विधायकों ने फिर से चुनाव लड़ने की अपनी अर्जी नहीं भेजी है.

50 से अधिक विधायक भाजपा में शामिल होना चाहते हैं: महाजन

इसके साथ ही महाजन ने कहा है कि बीजेपी हर किसी को पार्टी में शामिल नहीं करेगी. उन्हीं विधायकों को शामिल करेगी जिनके रिकॉर्ड सही हैं. वहीं लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी खराब है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

मुम्बई : महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों के 40 विधायक भी चुनकर नहीं आएंगे. महाजन ने कहा है कि विपक्षी पार्टियों की हालत काफी गंभीर है. महाजन ने दावा किया है कि विपक्षी पार्टीयों के लगभग 50 विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होना चाहते हैं.

इसके साथ ही महाजन ने कहा है कि बीजेपी हर किसी को पार्टी में शामिल नहीं करेगी. उन्हीं विधायकों को शामिल करेगी जिनके रिकॉर्ड सही हैं.

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे ठीक पहले शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बड़े स्तर पर भगदड़ मची है. खबर है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के कई विधायकों ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि ये सभी विधायक बीजेपी में शामिल होंगे.

वहीं, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी खराब है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

बागी विधायक स्पीकर के आदेशों को निरस्त करवाने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस – जेडीएस के अन्य 9 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आपकों बता दें कि 25 जुलाई को तीन जबकि 28 जुलाई 14 बाग़ी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था

ब्यूरो:

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस-जेडीएस के अन्य 9 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में स्पीकर के फैसले को चुनौती दी गई है. इससे पहले कांग्रेस के दो बागी विधायक रमेश जरकिहोली, महेश कुमाथल्ली और निर्दलीय विधायक आर शंकर ने मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहराने के फैसले को चुनौती दी थी. दरअसल,स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस-जेडीएस के 14 बागी विधायकों को मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल 2023 तक के लिए अयोग्य करार दिया था.

इससे पहले भी स्पीकर तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा चुके हैं. बीएस येदियुरप्पा ने दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है कुल 17 विधायकों (कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन) को अयोग्य करार दिए जाने के बाद सदन का नया समीकरण बदल गया है. 224 सदस्यीय विधानसभा में स्पीकर को छोड़कर सदस्यों की प्रभावी संख्या 207 हो गई है. ऐसे में बहुमत का आंक़़डा 104 पर आ गया है. भाजपा के खुद 105 विधायक हैं तथा उसे एक निर्दलीय का भी समर्थन है.

25 और 28 जुलाई को अयोग्‍य घोषित हुए थे विधायक  

आपकों बता दें कि 25 जुलाई को तीन जबकि 28 जुलाई 14 बाग़ी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था. जिनमें रमेश जारकिहोली (कांग्रेस), महेश कुमतल्‍ली (कांग्रेस), आर शंकर (निर्दलीय). कांग्रेस विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्‍बर, बीसी पाटिल, बयराती बासवराज, एसटी सोमशेखर, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रोशन बेग, आनंद सिंह और मुनिरत्‍ना और जेडीएस विधायक ए एच विश्‍वनाथ, नारायण गौड़ा, के गोपालैया शामिल हैं.


हिंदी विभाग द्वारा मुंशी प्रेमचंद की जयंती का आयोजन

प्रेमचन्द की कहानी ‘सद्गति’ का नाट्य मंचन

कानून विभाग की अर्शी ने जीती भाषण प्रतियोगिता

आज हिंदी विभाग द्वारा कथाकार मुंशी प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य तीन कार्यक्रम, प्रश्नोत्तरी और भाषण प्रतियोगिता एवं नाट्य मंचन किया गया। पहले चरण में मुंशी प्रेमचंद के जीवन और साहित्य पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हुई और दूसरे चरण में ‘यदि प्रेमचंद आज के समय में होते’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता हुई और आख़िर में विभाग के विद्यार्थियों द्वारा प्रेमचन्द की कहानी सद्गति का नाट्य मंचन किया गया। जिसमें राहुल, ममता चौबे, राहुल संधेर, इंदु, राहुल-2, अंजू, रुचि, अनुज और अजय मौर्य ने विभिन्न भूमिका अदा की। विभागाध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में 5 महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय के विभागों से 18 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में डी.यू.आई. प्रो. शंकरजी झा मुख्य अतिथि के रूप में शरीक हुए। उन्होंने हिंदी विभाग के कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘अर्न व्हाईल लर्न’ की शुरुआत भी हिंदी विभाग से हुई है। आज आयोजित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में आयोजनकर्ता हिंदी विभाग की टीम के प्रतिभागी ‘राहुल व ऋषभ’ ने जीत हासिल
की, किंतु सद्भावना के तौर पर उन्होंने खुद को प्रतियोगिता से अलग कर लिया, जिसके बाद विजेता सांध्यकालीन विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय की टीम के प्रतिभागियों अंकित कुमार और सोनिया रहे , जी.सी.जी., सेक्टर – 11 की प्रतिभागियों ज्योति और ज्योति -2 उपविजेता रही। वहीं भाषण प्रतियोगिता में पहला स्थान कानून विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय की प्रतिभागी अर्शी ने
प्रथम स्थान, एस. डी., सेक्टर – 32 के प्रतिभागी सिद्धार्थ सरण ने द्वितीय स्थान और एम.सी.एम.डी. ए.वी., सेक्टर – 36 की अमनदीप कौर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में रूसी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पंकज मालवीय, उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. अली अब्बास और मानव अधिकार विभाग की अध्यक्ष डॉ. नमिता गुप्ता शामिल हुईं।
कार्यक्रम का आयोजन संध्याकालीन सभागार में किया गया।

इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालय के प्रकाशन ब्यूरो द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई।
कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह, प्रो. नीरजा सूद, प्रो. बैजनाथ प्रसाद, प्रो. सत्यपाल सहगल और डॉ. अशोक कुमार उपस्थित रहे।

अमेठी से काँग्रेस गायब, संजय सिंह ने दिया काँग्रेस से इस्तीफा

अमेठी से पहले रहुल गांधी भागे अब रही सही कसर संजय सिंह ने काँग्रेस छोड़ कर पूरी आर दी। अमेठी होगी पूरी तरह से भगवा। डॉ. संजय सिंह असम से राज्यसभा सदस्य हैं और उनका कार्यकाल अभी एक साल का बचा हुआ है. इसके बावजूद उन्होंने राज्यसभा और कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया. संजय गांधी के दोस्त रहे संजय सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कांग्रेस से ही किया था, लेकिन राममंदिर आंदोलन के दौरान कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे.

नई दिल्‍ली: कांग्रेस नेता संजय सिंह ने राज्‍यसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया है. चेयरमैन वेंकैया नायडू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. उन्‍होंने और पत्‍नी अमिता ने कांग्रेस से भी इस्‍तीफा दे दिया है. उन्‍होंने कहा कि वह कल बीजेपी ज्‍वाइन करेंगे. संजय सिंह ने कहा कि मेरा गांधी परिवार से करीबी रिश्‍ता है और उन रिश्तों में कोई गड़बड़ी नहीं है. हमारा 40 साल से कांग्रेस से नाता है लेकिन 15-20 साल में पार्टी के भीतर जो संवादहीनता हुई, पहले कभी नहीं थी. हम दो बार लोकसभा में और दो बार राज्यसभा में रहे और ये फैसले 1-2 दिन के नहीं होते है. 

उन्‍होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में संवादहीनता है, नेतृत्‍व में शून्‍यता है. पार्टी बीते हुए कल में चल रही है और आने वाले कल से बेखबर है. उधर पीएम मोदी ने नारा दिया है- सबका साथ सबका विकास. उन्‍होंने जो कहा है, वो किया है. मुझे लगता है कि देश उनके साथ है और अगर देश उनके साथ है तो मैं भी उनके साथ हूं. अपनी आगे की योजनाओं के बारे में उन्‍होंने कहा कि मैं कल बीजेपी ज्‍वाइन करूंगा.

कार्यकाल खत्‍म होने के बाद नेताओं को हर हाल में खाली करना होगा बंगला, आज पेश हो सकता है बिल

सराकारी बंगले को स्मृति भवन बना दो, या फिर सोनिया गांधी का आज तक प्रधानमंत्री आवास को खाली न करना और प्रधान मंत्री निवास का बदला जाना यह सब, या मात्र इस लिए कि वह नामदार परिवार की बेटी है से सरकारी बंगले का मात्र कुछ रुपयों में किराए पर देना इस बिल से क्या इन सब बातों पर लगाम लगेगी, शायद नहीं। बिल लाने से नहीं राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखाने से ही बात बनेगी। यदि आज आप न्यायालय की बात करते हैं तो शायद बिल लाने से इस प्रकार की मनोवृत्ति वाले नेता अपने कदम ओर भी मजबूत कर लेंगे।
सरकार का दावा है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद दिल्ली में कोई सांसद, विधायक, समय खत्म होने के बाद बंगले में रहने के लिए कोर्ट की शरण नही ले पाएंगे. सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए भी इसमें कड़े प्रावधान होंगे.

नई दिल्‍ली: केंद्र सरकार ने अपने अहम ब‍िल पास कराने के लिए संसद का सत्र बढ़ा दिया है. सरकार जल्‍द से जल्‍द कई ब‍िल पास कराने में जुटी है. अब मोदी सरकार एक अहम बिल लाने जा रही है. इसके अनुसार अब सांसदों विधायकों का कार्यकाल खत्‍म होने के बाद उन्‍हें अपना बंगला हर हाल में खाली करना होगा. अभी तक ऐसा नहीं होता था. नेतागण बंगले पर वर्षों तक कब्‍जा जमाए रखते थे. इसी से निजात पाने के लिए सरकार अब इस बिल को लाने जा रही है.

सरकार The Eviction of illegal occupants on public land bill लाने की तैयारी में है. इस बिल के पास हो जाने के बाद दिल्ली में कोई सांसद, विधायक, समय खत्म होने के बाद बंगले में रहने के लिए कोर्ट की शरण नही ले पाएंगे. सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए भी इसमें कड़े प्रावधान होंगे.

अभी कोई भी सांसद, पूर्व सांसद एक ही बंगले में जमे रहने के लिए कोर्ट से स्टे ले आते हैं. ये बिल पास हो जाने के बाद कोर्ट से ऐसे मामलों में स्टे नहीं मिलेगा. इसी बिल पर चर्चा के दौरान पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा दिल्ली में सरकारी जमीन पर बन रही अवैध मस्जिदों का मामला भी उठाएंगे.

लोकसभा में ये बिल मंगलवार को पेश किया जा सकता है. लोकसभा में सरकार ब‍िल अपने दम पर पास करा सकती है. लेकिन उसके पास अब भी राज्‍यसभा में इतने नंबर नहीं हैं कि वह बिना दूसरे दलों की मदद से बिल पास करवा सके.

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण

रामकथा ने केवल भारत को ही नहीं एशिया के अन्य देशों को भी प्रेरित किया है। एक सहस्ताब्दी पूर्व भारतीय संस्कृति दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहुँची और तभी से रामायण वहाँ के जन-जीवन में रस-बस गई। थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया, बर्मा, लओस आदि में रामकथा का प्रर्याप्त प्रचार है।

थाईलैंड और कम्बोडिया में रामकिर्ती प्रसिद्ध है। यहाँ रामलीला का आयोजन नृत्य-नाटक के रुप में होता है। इंडोनेशिया की रामलीला का आयोजन रंग-बिरंगे नृत्य के रुप में होता है। यहाँ रामायण की जनप्रिय ककाविन कवित्ते है जिनसे रामलीला के मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। नृत्य जावा व बाली द्वीपों में काफी प्रसिद्ध हैं। करीब सौ व्यक्तियों द्वारा खुली रंगशाला में खेला जाने वाला सुग्रीव वानर नृत्य भी अत्यन्त आकर्षक होता है। वायंगकुलैत नामक छायानृत्य काफी लोकप्रिय है जिसमें रामकथा के पात्र चमड़े के वस्र पहन कर नृत्य करते हैं।

नेपाल में रामलीला का आयोजन काफी बड़े पैमाने पर होता है। नेपाल में रामलीला मनोरंजन के लिए नहीं होता बल्कि धार्मिकता की भावना से की जाती है। नेपाली भाषा में अनूदित “भानु रामायण” पर आधारित रामकथा को प्रत्येक वर्ष पंचमी तिथि पर जानकी मंदिर में अनुप्राणित किया जाता है, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि यहाँ सीता-राम का विवाह हुआ था।

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श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण आगामी जनवरी माह में हिंदुस्तान में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय रामायण कांक्लेव का आमंत्रण गत 21 जुलाई को श्रीलंका में आयोजित समारोह में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकार किया कांक्लेव के मुख्य प्रवक्ता महेंद्र चौधरी ने बताया की उपरोक्त समारोह में तकरीबन 10 से 12 देशों के वर्तमान व पूर्व राष्ट्राध्यक्ष सहित कई विद्वान व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कलाकार हिस्सा लेंगे इसी क्रम में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे ने कार्यक्रम हेतु अपनी सहमति प्रदान की।

उपरोक्त कार्यक्रम के अंतर्गत नेपाल भूटान सिंगापुर मलेशिया थाईलैंड मारीशस फिजी दुबई इत्यादि देशों के शीर्ष लोगों को आमंत्रित करने का क्रम शुरू हो गया है कांक्लेव के निर्देशक दुष्यंत सिंह के अनुसार समूची रामचरितमानस को एक विशेष तरह के संगीत में  संगीतबद्ध कर उसका अंतरराष्ट्रीय फिल्मांकन किया जाएगा एवं उसका बृहद प्रचार प्रसार व प्रदर्शन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। उपरोक्त संगीत में ही रचना में देश विदेश के दिग्गज कलाकार अपना स्वर देंगे।

रूचिन त्यागी के अनुसार जनवरी माह में तीन दिवसीय रामायण कांक्लेव में देश-विदेश से आ रहे महानुभाव प्रभु श्री राम व रामचरितमानस के ऊपर अपने विचार रखेंगे व उपरोक्त कार्यक्रम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभु श्री राम के भक्तों को जोड़ने के साथ साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी एक वृहद रामायण कारी डोर की परिकल्पना को पंख लगेंगे आयोजकों के अनुसार उपरोक्त कार्यक्रम में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी व प्रभु श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या का प्रतिनिधित्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रण के साथ साथ कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद लिया जाएगा उपरोक्त कार्यक्रम की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं व आयोजकों के अनुसार सन 2020 का कदाचित वैश्विक तौर पर यह सबसे बड़ा आयोजन होगा

श्रीलंका में रामायण के प्रमाण

रावण जब माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका पहुंचा तो सबसे पहले सीता जी को इसी जगह रखा था। इस गुफा का सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ है। गुफा के आसपास की नक्‍काशी इस बात का प्रमाण है। इसके बाद जब माता सीता ने महल मे रहने से इंकार कर दिया तब उन्‍हें अशोक वाटिका में रखा गया। सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्‍या के नाम से प्रसिद्ध है। 2007 में श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्‍टि की, कि सीता एल्‍या ही अशोक वाटिका है। बाद में हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी।

हनुमान जी के पद चिन्ह

रामायण मे वर्णन है जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तब उन्होंने विशाल रूप धारण किया था। जिसके चलते जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए। जो आज भी मौजूद हैं।

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श्रीलंका में हिमालय की जड़ी-बूटी

श्रीलंका मे उस स्थान पर जहां लक्ष्मण मूर्छित होकर गिरे थे और उन्‍हे संजीवनी दी गई थी वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं। दावा है कि इन  जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्‍तविकता को प्रमाणित करता है।

विशालकाय हाथी

रामायण के सुंदर कांड अध्‍याय में लिखा है लंका की रखवाली के लिए विशालकाय हाथी करता था। जिन्हें हनुमान जी ने अपने एक प्रहार से धराशाही किया था।  पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे ही हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार वर्तमान हाथियों से बहुत ज्‍यादा है। 

रावण का महल

पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का बताया जाता है। रामायण लंका दहन का वर्णन है जब हनुमान जी ने पूरी लंका मे अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। जलने के बाद उस जगह की की मिट्टी काली हो गई थी, इस बात के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं। यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्‍चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।

कर्नाटका विवाद: स्पीकर ने 3 विधायकों की अयोग्य घोषित किया

कर्नाटक का सियासी तूफान अभी थमा नहीं है। कॉंग्रेस पार्टी और उसके शुभचिंतक अभी भी कॉंग्रेस को इस संकट से उबारने में लगे हूए हैं। अभी हालिया घटनाक्रम में स्पीकर द्वारा 3 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। स्पीकर का मानना है की तीनों दल बदल की श्रेणि में आते हैं। अत: उन्हे अयोग्य घोषित किया जाता है। सिद्धरमाइया ने पहले ही विधायकों के राजनैतिक जीवन की समाप्ती की धमकी दे दी थी। वही सच साबित हुई। विडम्बना यह है कि मद्यप्रदेश में भाजपा विधायकों का कॉंग्रेस में शामिल होना घर वापिसी है अत: उन पर कोई कार्यवाई नहीं कि जा सकती है। दोनों स्पीकरों ने अपनी ताकत दिखा दी है।

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा के स्‍पीकर केआर रमेश ने तीन विधायकों को अयोग्‍य करार दिया है. इनमें दो विधायक कांग्रेस के और एक विधायक निर्दलीय है. स्‍पीकर का कहना है कि वह निर्दलीय विधायक ने खुद को कांग्रेस में विलय कर लिया था, इसलिए वह भी कांग्रेस का ही हिस्‍सा थे. इस लिए पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण स्‍पीकर ने उन्‍हें भी अयोग्‍य करार दिया है.

जिन तीन विधायकों को स्‍पीकर केआर रमेश ने अयोग्‍य करार दिया है, उनमें कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जारकीहोली और महेश कुमाथल्‍ली शामिल हैं. निर्दलीय विधायक आर शंकर को भी स्‍पीकर ने अयोग्‍य घोषित करार दिया है. इन विधायको के खिलाफ स्‍पीकर ने एंटी डिफेक्‍शन लॉ के तहत कार्रवाई की है. अगर स्‍पीकर का यही फैसला लागू रहा तो ये विधायक इस विधानसभा के समाप्‍त होने तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

के आर रमेश कुमार ने बताया कि निर्दलीय विधायक आर शंकर, कांग्रेस के विधायकों रमेश जारकिहोली और महेश कुमातल्ली की सदस्यता समाप्त कर दी गई है. इस प्रकार अब तक कुल तीन विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी गई है. स्‍पीकर के अनुसार, अभी तक सिर्फ 3 विधायकों के बारे में फैसला लिया गया है. बाकी के विधायकों के बारे में जल्‍द ही फैसला ले लिया जाएगा.

केआर रमेश के अनुसार, ये केस कॉम्‍प्‍लीकेटड है. इसलिए मैं इसमें जल्‍दबाजी नहीं करना चाहता था. इस मामले में मेरे सामने 17 याचिकाएं आईं. इसमें 2 अयोग्‍यता संबंधी और अन्‍य इस्‍तीफे के बारे में थीं. स्‍पीकर ने बताया, जिन तीन विधायकों की सदस्‍यता गई है उनमें एक विधायक शंकर हैं. उन्‍होंने विधानसभा चुनाव निर्दलीय के तौर पर लिया था. 25 जून को उन्‍होंने कांग्रेस में विलय कर लिया. इस बारे में सिद्धरमैया ने अपील की थी. इसलिए उन्‍हें कांग्रेस की सीट दी गई. 8 जुलाई को शंकर नागेश ने मंत्रीपद से इस्‍तीफा दिया. इसके बाद उन्‍होंने बीजेपी को समर्थन देने का दावा किया. सिद्धरमैया ने इस बारे में स्‍पीकर यानी मेरे सामने शिकायत दर्ज कराई.

पार्टी से अलग जा कर थरूर ने किया मोदी का बचाव

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर झूठा बयान दिया है. इसकेजिंका बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पीएम मोदी का बचाव किया है. शशि थरूर का यह बयान उस समय आया है जब लोकसभा में कॉंग्रेस ने जाम कर बवाल काटा। कॉंग्रेस नेताओं ने ट्रम्प के बयान पर प्रधान मंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया और उन्हे स्वयं उपस्थित हो कर जवाब देने को कहा। हालात तो यह हो गए की टीवी समाचारों में छुटभैये नेता भी जिनका अस्तित्व उनके मोहल्ले तक ही है वह भी स्वयं को प्रधान मंत्री का समकक्ष मान कर प्रधान मंत्री हाजिर हो वाली तर्ज़ पर एनएसई जवाब मांग रहे हैं।

नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान  से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप  ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  को लेकर झूठा बयान दिया है. इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पीएम मोदी का बचाव किया है. थरूर ने डोनाल्ड ट्रंप की क्लास लगाते हुए कहा है कि ट्रंप सरासर झूठ बोल रहे हैं. पीएम मोदी कभी भी कश्मीर मसले में किसी तीसरे की मध्यस्थता की बात कह ही नहीं सकते हैं. थरूर ने कहा है कि बातचीत के दौरान पीएम मोदी की कही गई बातों को ट्रंप ठीक से समझ नहीं पाए होंगे, इसलिए वह इस तरह की बातें कर रहे हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप को झूठा ठहराया
इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय भी अमेरिकी राष्ट्रपति को झूठा ठहरा चुका है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा, ‘हमने राष्ट्रपति ट्रंप के बयान को प्रेस में देखा कि वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं, अगर भारत और पाकिस्तान इसकी मांग करें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी कोई मांग राष्ट्रपति ट्रंप से नहीं की है.’

उन्होंने आगे लिखा है कि कश्मीर मसले पर भारत का स्टैंड साफ है. कश्मीर दो देशों के बीच का मुद्दा है, ऐसे में इस पर द्विपक्षीय वार्ता ही हो सकती है. पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत की शर्त ये है कि सीमा पार से आतंकवाद बंद हो.

ट्रंप ने क्या कहा?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बातचीत के दौरान प्रेस को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘दो सप्ताह पहले मेरी पीएम नरेंद्र मोदी से भेंट हुई थी और उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या आप मथ्यस्थ बनना चाहेंगे? मैंने पूछा कहां? उन्होंने कहा, कश्मीर में.’

उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी डोनाल्ड ट्रंप से कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की भूमिका निभाने का आग्रह किया है. इसपर ट्रंप ने कहा, ‘अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मुझे मध्यस्थ बन कर खुशी होगी.’

ट्रंप का यह बयान आते ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे झूठा बता दिया. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमेशा आक्रामक रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी ट्रंप को झूठा ठहराया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पीएम मोदी कश्मीर मसले पर किसी तीसरे के मध्यस्थ बनने की बात कतई नहीं कह सकते हैं. यहां आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौर में शशि थरूर को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद के लिए नॉमिनेट किया गया था. हालांकि थरूर यह चुनाव हार गए थे.

कांग्रेस ने ट्रंप के बयान पर संसद में बहस की मांग की
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंपके बयान पर संसद में बहस होनी चाहिए. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर अपनी बात संसद में रखनी चाहिए. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर अपनी बात संसद में रखनी चाहिए. कांग्रेस ने लोकसभा और राज्यसभा में नोटिस देकर कहा है कि ट्रंप के बयान पर बहस कराई जाए.