केरल में मजबूत हो रही भाजपा: अब 2 पूर्व न्यायाधीशों ने बढ़ाया कुनबा

140 सीटों वाली केरल विधानसभा के लिए 6 अप्रैल को एक चरण में चुनाव होने वाले हैं। केरल में 15वीं विधानसभा के लिए कुल 2,67,88,268 मतदाता चुनाव करेंगे। विधानसभा चुनाव 2021 के लिए, केरल में मतदान केंद्रों की संख्या 21,498 से बढ़ाकर 40,771 कर दी गई है। यहां वोटों की गिनती 2 मई को होगी।चुनाव आयोग के अनुसार, 140 विधानसभा सीटों में से 14 सीटें एससी वर्ग के लिए और दो सीटें एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।

चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

केरल समेत देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल में भाजपा का अब तक उल्लेखनीय प्रदर्शन नहीं रहा है। लेकिन इस बार राज्य में पार्टी का कुनबा लगातार मजबूत होता जा रहा है। इसी क्रम में केरल हाईकोर्ट के दो पूर्व जज ने भाजपा ज्वाइन की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार (फरवरी 28, 2021) को केरल हाई कोर्ट के पूर्व जज पीएन रविंद्रन और वी चितंबरेश बीजेपी में शामिल हो गए।

हाई कोर्ट के पूर्व जजों के अलावा रविवार को 18 अन्य भी बीजेपी में शामिल हुए। इसमें कई महिला कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता भी शामिल हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केरल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन की मौजूदगी में एक कार्यक्रम में सभी का पार्टी में स्वागत किया। इसके लिए बीजेपी की जारी ‘विजय यात्रा’ के दौरान त्रिपुनिथुरा में विशेष आयोजन किया गया था।

एबीवीपी कार्यकर्ता भी रह चुके हैं ये जज

केरल हाई कोर्ट के जज जस्टिस वी चिताम्बरेश समारोह में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि वह दिल्ली में हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक पत्र में लव जिहाद कानून का समर्थन करने के बाद दोनों पूर्व न्यायाधीशों के नाम हाल ही में चर्चा में था। चितंबरेश ने कहा कि वह अपने छात्र जीवन के दौरान विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ में सक्रिय एबीवीपी कार्यकर्ता रहे थे।

चितंबरेश ने कहा, “मैं बीजेपी का साथी रहा हूँ। अब, मैंने आधिकारिक रूप से पार्टी को गले लगा लिया है। मैं कोच्चि में दिल्ली में होने वाले समारोह में शामिल नहीं पाया।” अन्य जो बीजेपी में शामिल हुए हैं- वे पूर्व डीजीपी वेणुगोपाल नायर, एडमिरल बी आर मेनन और बीपीसीएल सोमचूडन के पूर्व महाप्रबंधक। पूर्व महिला कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता शिजी रॉय सहित 12 अन्य कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता भी बीजेपी में शामिल हो गए।

गौरतलब है कि इससे पहले ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन औपचारिक तौर पर 25 फरवरी को केरल के मलप्पुरम में आयोजित एक रैली में बीजेपी में शामिल हुए थे। तब मंच पर उनके साथ केंद्रीय मंत्री आरके सिंह भी मौजूद थे। केरल की राजनीति में मेट्रो मैन की एंट्री को काफी अहम माना जा रहा है।

इस मौके पर उन्होंने कहा था, “भाजपा में शामिल होने का निर्णय मेरे जीवन का एक नया चरण है। मैं हमेशा केरल के लिए कुछ करना चाहता था… मुझे लगा कि भाजपा में शामिल होना सबसे अच्छा रहेगा और मैंने ऐसा किया है।” 

बता दें कि केरल में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग ने कर दी है। केरल में एक चरण में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि वोटों की गिनती 2 मई को होगी। केरल में इस समय लेफ्ट की सरकार है, हाल ही में संपन्न हए निकाय चुनाव में भाजपा ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था।

चुनावों की तारीखों पर रार, ममता का आयोग पर वार

ममता बनर्जी ने कहा कि इस बार पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में खेल खेला जाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के कहने पर चुनाव आयोग ने ऐसा किया. उन्होंने कहा कि बंगाल पर बंगाली ही राज करेगा किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा. ममता बनर्जी ने कहा, ”चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और अमित शाह के दौरे के हिसाब से तारीखों का एलान किया है. जो बीजेपी ने कहा चुनाव आयोग ने वही किया है. गृह मंत्री अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रहे हैं. हम हर हाल में बीजेपी को हराएंगे. खेल जारी है हम खेलेंगे और जीतेंगे भी.”

नई दिल्ली: 

4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इसके बाद से ही पार्टी नेता के रिएक्शन आने शुरू हो गए हैं. जहां कुछ नेता इसे अच्छा बता रहे हैं तो वहीं कुछ चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं.

कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘अगर केरल की 140 सीटों, तमिलनाडु की 234 सीटों और पुडुचेरी की 30 सीटों (कुल 404 सीट) पर एक ही दिन में वोटिंग पूरी हो सकती है, तो फिर असम की 126 और पश्चिम बंगाल की 294 सीटों (कुल 420 सीट) के चुनाव के लिए 7-8 फेज की क्या जरूरत है? क्या इसके पीछे कोई कुटिल रणनीती है?

ममता बनर्जी ने भी उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं. बीजेपी अपने पैसों की ताकत का इस्तेमाल न करे. ममता ने कहा कि बीजेपी हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेल रही है. बंगाल में एक ही चरण में चुनाव होना चाहिए था.

BJP ने दिया करारा जवाब

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) बंगाल चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें पर बहुमत हासिल करेगी. इस दौरान उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो 8 फेज में चुनाव होने से डर गईं हैं. मैं राजनीति का खेल समझने वालों से कहना चाहता हूं कि उनके दिन लदने वाले हैं.

गुलाम नबी आजाद ने भी कही ये बात

वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसन ने कहा कि इस चुनाव के लिए हम तैयार हैं और बीजेपी कहीं नहीं आएगी. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल चुनाव में डट कर मुकाबला करेगी. हम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे. चुनाव आयोग शांति के साथ मतदान प्रक्रिया को पूरा कराए. ताकि लोग निर्भीक होकर अपने मत का इस्तेमाल कर सकें.

बंगाल सहित 5 राज्यों में विधान सभा चुनावों ई दुंदुभि, नतीजे 2 मई को

पश्चिम बंगाल और केरल समेत 4 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव (Assembly Election 2021) की तारीखों का ऐलान हो गया। पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग होगी, जबकि असम में 3 चरणों में चुनाव होंगे. इसके अलावा केरल, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एक चरण में चुनाव होंगे।

  • पश्चिम बंगाल में चुनाव तारीखों की घोषणा, 27 मार्च को पहले चरण के वोट, 2 मई को होगी वोटों की गिनती।
  • पश्चिम बंगाल में आखिरी यानी आठवें चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होगीः चुनाव आयोग।
  • पश्चिम बंगाल में छठे चरण की वोटिंग 22 अप्रैल को, सातवें चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होगीः चुनाव आयोग।
  • पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग होगी। 27 मार्च को पहले चरण,1 अप्रैल को दूसरे चरण का, 6 अप्रैल को तीसरे चरण, 10 अप्रैल को चौथे चरण, 17 अप्रैल को पांचवे चरण की वोटिंग होगीः चुनाव आयोग।
  • तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एक ही चरण में सभी सीटों पर होगी वोटिंगः चुनाव आयोग।

नई दिल्ली:

 इलेक्शन कमीशन ने पांच राज्यों में चुनाव तारीख की घोषणा कर दी है। इलेक्शन कमीशन ने चुनावों संबंधी तैयारियों की भी पूरी जानकारी दी है। पांच राज्‍यों में 18 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे, केरल और पुडुचेरी में मतदान केंद्र बढ़ाए गए हैं।  मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि सभी पोलिंग स्टेशनों पर मास्क, सेनिटाइजेर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए जाएंगे. वरिष्ठ नागरिकों के लिए वॉलिटिंयर की तैनाती की जाएगी।

जानें बंगाल में कब-कब चुनाव

राजनीतिक रूप से सबसे गर्म माने जा रहे पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग की जाएगी। 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए वोटिंग 27 मार्च (30 सीट), 1 अप्रैल (30 सीट),  6 अप्रैल (31 सीट), 10 अप्रैल (44 सीट), 17 अप्रैल (45 सीट),  22 अप्रैल (43 सीट), 26 अप्रैल (36 सीट), 29 अप्रैल (35 सीट) को होगी।पश्चिम बंगाल में भी काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।

असम में तीन चरण में चुनाव

उत्तर-पूर्व के सबसे बड़े राज्य असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। राज्य में 27 मार्च को पहले चरण में 47 सीटों पर वोटिंग होगी। इसके बाद 1 अप्रैल को 39 सीटों पर दूसरे चरण और 6 अप्रैल को तीसरे चरण में 30 सीटों पर वोटिंग होगी। यहां भी काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।

तमिलनाडु में 234 सीट पर भी एक फेज में चुनाव

दक्षिण भारत के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों पर एक फेज में चुनाव संपन्न कराया जाएगा। राज्य की सभी सीटों पर 6 अप्रैल को वोटिंग होगी। काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।

केंद्रशासित पुडुचेरी में भी एक फेज में होगी वोटिंग

इसके अलावा वर्तमान में राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे पुडुचेरी में भी एक फेज में सभी सीटों पर वोटिंग का फैसला किया गया है। राज्य में 6 अप्रैल को वोटिंग करवाई जाएगी। राज्य विधानसभा में 30 सीटें हैं। काउंटिंग 2 मई को संपन्न होगी।

केरल में एक चरण में वोटिंग, 2 मई को नतीजे

कांग्रेस और लेफ्ट के गढ़ कहे जाने वाले केरल में भी एक फेज में वोटिंग का फैसला किया गया है।पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की तरफ केरल में भी 6 अप्रैल को सभी सीटों पर वोटिंग की जाएगी। राज्यसभा विधानसभा में 140 सीटें हैं।

चुनावी माहौल की बात करें तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मियां पहले से तेज हैं। राज्य में दो टर्म से लगातार सत्ता में बनी हुई तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार भी सरकार बनाने के दावे कर रही है। वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाते हुए उत्साह से लबरेज है। बीजेपी की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा है कि वो 294 सीटों की विधानसभा में 200 सीटें हासिल करेगी. इस बीत कई कद्दावर टीएमसी नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है।

इनमें शुभेंदू अधिकारी सबसे कद्दावर नेता माने जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक ममता को इसका नुकसान हो सकता है। हालांकि खुद ममता बनर्जी की तरफ से कहा जा चुका है उन्हें इसका कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है। यहां तक कि उन्होंने शुभेंदू अधिकारी के गढ़ कहे जाने वाले नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की रणनीतिक घोषणा भी कर दी है।

वहीं पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी 2016 में मिली ऐतिहासिक सफलता को दोहराने के दावे कर रही है। विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सीएए के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। तमिलनाडु में बीजेपी सत्तारूढ़ एआईडीएमके के साथ है. वहीं केरल में पिनराई विजयन एक बार फिर एलडीएफ को सत्ता में वापस लाने की कोशिश करेंगे। पॉन्डिचेरी में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच चुनाव रोचक होने की संभावना है।

‘एंटी लव जिहाद’ विधेयक, ध्वनि मत से पारित

यूपी में धर्मांतरण कानून पहले ही बन चुका है।  लेकिन, पहले अध्यादेश लाकर बिल को मंजूरी दी गई और फिर राज्यपाल की सहमति के बाद इसे कानून बना दिया गया. लेकिन, अध्यादेश के नियमों के तहत सरकार को 6 महीने के भीतर सदन में बिल पेश करके प्रस्ताव पास कराना होता है। उत्तर प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन और लव-जिहाद (Love Jihad) के मामलों पर रोक लगाने के लिए बनाया गया उत्तर प्रदेश अवैध धर्म परिवर्तन विधेयक 2021 विधानसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया है। योगी सरकार ने प्रदेश में धर्मांतरण जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ये ड्राफ्ट तैयार किया था। ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021’ के मुताबिक, जबरदस्ती धर्मांतरण कराने वाले को अलग-अलग श्रेणी में एक साल से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही कम से कम 50,000 रुपए का जुर्माना भी पीड़ित पक्ष को देना होगा।

लखनऊ(ब्यूरो):

उत्तर प्रदेश विधान मंडल बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 को विधान सभा में पास करा लिया है। बुधवार को यूपी विधान सभा में इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया। हांलाकि अभी यह विधेयक विधान परिषद में पास होने के बाद राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। उसके बाद यह एक कानून बन जाएगा।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद)’ के खिलाफ बने विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दे दी थी। इसके मुताबिक अगर कोई सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाता है तो उसे 3 साल से 10 साल तक सजा दी जाएगी। अध्यादेश के उल्लंघन की दोषी किसी संस्था या संगठन के विरुद्ध भी सजा का प्रावधान होगा।

इसके अलावा कम से कम 50,000 रुपए का जुर्माना भी देना होगा। साथ ही, धर्म परिवर्तन में शामिल संगठनों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नाम छिपा कर छद्म नाम से शादी करने वालों को 10 साल तक की सज़ा मिलेगी। इसके साथ ही यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में होगा और गैर जमानती (Non Bailable) होगा। अभियोग का विचारण प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में किया जाएगा।

अध्यादेश के अनुसार, नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के मामले में कम से कम दो वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास तथा कम से कम 25 हजार रुपए जुर्माना होगा।

योगी आदित्यनाथ ने पहले ही कहा था, “यह अध्यादेश ऐसे लोगों के लिए चेतावनी है, जो अपनी पहचान छिपा कर हमारी बहनों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास करते हैं। हमने जो कहा था, वह करके दिखाया है। साथ ही यह भी कहने के लिए आए हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया है शादी ब्याह के लिए धर्म परिवर्तन आवश्यक नहीं है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए और न ही इसे मान्यता मिलनी चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार भी निर्णय ले रही है कि हम लव जिहाद को सख्ती से रोकने का प्रयास करेंगे।” 

पुडुचेरी में सरकार गंवाने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस की अंतर्कलह उजागर हो गई है, अबकी बार आलाकमान पर भी उठ रहे सवाल

चुनावों में हारने के पश्चात अपने ही विपक्षी दलों से मिल कर सरकार बनाने की परंपरा कांग्रेस की ही शुरू की हुई है। जिनसे लड़ो उनही के साथ मिल कर सरकार बना डालो। जब कॉंग्रेस के साथ आमने सामने की भाजपा के साथ त्रिकोणिय लड़ाई में हार चुके दलों के नेता भाजपा को सत्ता से दूर ररखने के लिए अपने कैडर को नज़रअंदाज़ कर आपस में हाथ मिला लेते हैं, फिर अपनी ही पार्टी में असंतोष पनपने पर भाजपा पर आरोप लगाते हैं। अभी हाल ही के घटनाक्रम में राहुल गांधी का ब्यान बेहद निराशाजनक है ।  राहुल गांधी ने कहा कि वो एक के बाद एक चुनी हुई सरकारों को गिराते हैं। आजाद भारत में पहली बार चुनाव जीतने का मतलब चुनाव हारना है और चुनाव हारने का मतलब चुनाव जीतना है। यह राजनैतिक दल चुनावी हार को चुनावों ए पश्चात के गठबंधन को जनता का फैसला मानते हैं, जबकि जनता अपना फैसला दे चुकी होती है

पुड्डुचेरी/ नयी दिल्ली:

पुडुचेरी में सरकार गंवाने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस की अंतर्कलह उजागर हो गई है। पुडुचेरी में सरकार जाने का ठीकरा बेशक वी नारायणस्वामी के सिर फोड़ा जा रहा हो, लेकिन कुछ नेता इसमें कांग्रेस आलाकमान को भी बराबर रूप से जिम्मेदार बता रहे हैं। इनकी शिकायत है कि पुडुचेरी में सियासी संकट की खबरें काफी वक्त से आ रही थीं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इस असंतोष को नजरअंदाज किया। पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने वाले नारायणसामी पार्टी आलाकमान के करीबी हैं। ऐसे में सत्ता बचा पाने की उनकी असफलता की आंच कहीं न कहीं पार्टी नेतृत्व को भी पहले से ही चुनौतियों से जूझ रही कांग्रेस के लिए पुडुचेरी में सरकार का पतन उसकी सियासी मुसीबतें और बढ़ाएंगी। पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले लगे इस बड़े झटके से पार्टी की राजनीतिक परेशानियों में इजाफा तो होगा ही, साथ ही पिछले कुछ महीनों से जारी अंदरूनी असंतोष के एक बार फिर से मुखर होने की आशकाएं बढ़ गई हैं।

हालांकि, कांग्रेस का अभी भी मानना ​​है कि वह आगामी चुनावों में सहानुभूति फैक्टर पर लाभ उठा सकती है। मगर, ज्यादातर पार्टी नेता इससे कोई इत्तेफाक नहीं रखते। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नारायणसामी और पार्टी आलाकमान दोनों ने कुछ विधायकों को अति आत्मविश्वास में कम करके आंका। इसी अति आत्मविश्वास में कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल मध्य प्रदेश में अपनी सरकार खो दी थी। कर्नाटक में यही हाल हुआ था।

एक दैनिक समाछर पत्र  के , पुडुचेरी संकट को लेकर सूत्रों को कहना है कि वहां 2018 में ही दूसरी पार्टी ने विधायकों को साधने की कोशिश शुरू कर दी थी. ।विधायक ई थेप्पनथन और विजेवेनी वी ने तत्कालीन स्पीकर वी वैथीलिंगम से इसकी शिकायत भी की थी। इसमें कहा गया था कि कांग्रेस के दो विधायक (एक एआईएडीएमके से और दूसरा एनआर कांग्रेस से) को दल बदलने के लिए मोटी रकम का ऑफर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, स्पीकर को इसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सौंपी गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन स्पीकर वी वैथीलिंगम ने ऑडियो रिकॉर्डिंग मिलने की बात भी कबूली है। उनके मुताबिक, इस मामले में पूछताछ भी की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया था। फिर 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया. पुडुचेरी के एक कांग्रेस नेता ने बताया, ‘बाद में नए विधानसभा स्पीकर बनाए गए पी शिवकोलन्धु को भी ऑडियो रिकॉर्डिंग सौंपी गई थी। लेकिन उन्होंने इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।’

पार्टी के एक हाईकमान नेता ने कहा, ‘नमसिव्यम जैसे नेताओं को प्रमुख पोर्टफोलियो दिए गए थे। हम और क्या दे सकते हैं? अगर वह सीएम बनना चाहते थे तो उन्हें विधायकों का समर्थन मिलना चाहिए था। वह अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं।’ पार्टी के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘बीजेपी, AIADMK और NR कांग्रेस के साथ गठबंधन में होगी।’

ऐसा लगता है कि कांग्रेस आलाकमान को इस बात का अंदेशा था कि पुडुचेरी में उसकी सरकार गिर जाएगी। पुडुचेरी में एक कांग्रेस नेता कहते हैं, ‘हमने कुछ समस्याओं का अनुमान लगाया था। हमें एक या दो लोगों के जाने का अंदेशा था। हमने सोचा कि चूंकि चुनावी माहौल है. इसलिए दूसरी पार्टी सरकार को पछाड़ना चाहती है। सरकार गिर जाएगी हमें इसका अंदाजा न हुआ।’ ये नेता आगे कहते हैं, ‘वैसे ये हमारे लिए यह कुछ मायनों में आगे चलकर लाभकारी हो सकता है। हमें एक बड़ा टॉकिंग पॉइंट मिल गया है। अब ध्यान केवल सरकार के प्रदर्शन पर होगा. अब हम इस सबके बारे में बात कर सकते हैं।’

वैसे सत्ता के लिहाज से पुडुचेरी का राजनीतिक प्रभाव चाहे बहुत ज्यादा न हो, मगर देश की सियासत में कांग्रेस के सिकुड़े आधार को देखते हुए पार्टी के मनोबल की दृष्टि से इसकी अहमियत थी। ऐसे में पार्टी की रीति-नीति और संगठन के संचालन को लेकर असंतोष की आवाज उठा रहे कांग्रेस के ‘जी 23’ के नेताओं के लिए पुडुचेरी का यह प्रकरण नेतृत्व पर दबाव बनाने का एक और मौका बन सकता है।

इस साल जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें पुडुचेरी भी शामिल है। चुनाव में केवल दो-तीन महीने रह जाने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व अपनी सरकार नहीं बचा पाया। सरकार गिर जाने के बाद सूबे में पार्टी के टूटे मनोबल का असर अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव में भी पड़ सकता है. ऐसे में सूबे के चुनाव में पार्टी की चुनौतियां गहरी हो गई हैं।

नारायणसामी कि सरकार गिरने के बाद दक्षिण भारत से साफ हुई कॉंग्रेस

एक जमाना था जब दक्षिण भारत को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था. लेकिन तस्वीर बदल रही है। आईए एक नजर डालते हैं कि अब किन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार के गिरने के पीछे बीजेपी का हाथ होते हुए आरोप लगाया था कि पहले कर्नाटक, मध्यप्रदेश और अब पुडुचेरी में विधायकों को प्रलोभन देकर इस्तीफा दिलवाना भाजपा का गलत तरीके से सत्ता हथियाने का तरीका है। जिसका इस्तेमाल उसने राजस्थान में भी करने की कोशिश की थी मगर राजस्थान की जनता ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। सीएम गहलोत ने कहा है कि भाजपा इन तौर-तरीके को अपनाकर लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है मगर पुडुचेरी की जनता उसे सबक सिखाकर मानेगी। वह इन चुनावों में भाजपा को जवाब देगी। 

नई दिल्ली ( ब्यूरो):  

पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिर गई है। सोमवार को फ्लोर टेस्ट में मुख्यमंत्री वी। नारायणसामी हार गए। नारायणसामी ने उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन और द्रमुक के विधायक वेंकटेशन के रविवार को इस्तीफा देने के बाद 33 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई। जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक हैं।

पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद कांग्रेस का दक्षिण भारत से सफाया हो गया है. दो साल पहले कर्नाटक में कांग्रेस की हार हुई थी। और अब पार्टी की सत्ता पुडुचेरी में भी खत्म हो गई है। एक जमाना था जब दक्षिण भारत को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। लेकिन तस्वीर बदल रही है. आईए एक नजर डालते हैं कि अब किन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है।

सिर्फ 5 राज्यों में सरकार

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों हार के बाद कांग्रेस कमजोर होती दिख रही है। कुछ राज्यों में पार्टी की जरूर वापसी हुई है. लेकिन अगर पूरे देश की बड़ी तस्वीर देखी जाए तो कांग्रेस पिछड़ती दिख रही है. अब सिर्फ 5 राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह गई है। ये राज्य हैं- पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और झारखंडमहाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस गठबंधन में शामिल है।

इन राज्यों से छीन गई सत्ता

मध्यप्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में लौटी थी. लेकिन सिर्फ 15 महीने बाद ही सरकार गिर गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही 25 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। एक बार फिर से शिवराज सिंह सीएम बन गए. कर्नाटक में जुलाई 2019 में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, और यहां भी सरकार गिर गई।

5 राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की चुनौती

इस साल अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के लिए जीत दर्ज करना बेहद मुश्किल चुनौती होगी. बंगाल में इस बार असली लड़ाई बीजेपी और और तृणमूल कांग्रेस के बीच है. यहां कांग्रेस पार्टी लेफ्ट के साथ गठबंधन में है.। उधर तमिलनाडु में कांग्रेस डीएमके के साथ गठबंधन के जरिये सत्ता में वापसी  की कोशिश करेगी। केरल और असम में भी कांग्रेस के लिए चुनौती आसान नहीं है।

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तन लेने के पश्चात दलित नहीं ले सकेंगे जातिगत आरक्षण का लाभ

हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है, हिन्द धर्म 4 वर्णों में बंटा हुआ है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्या एवं शूद्र। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात पीढ़ियों से वंचित शूद्र समाज को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण लाया गया। यह आरक्षण केवल (शूद्रों (दलितों) के लिए था। कालांतर में भारत में धर्म परिवर्तन का खुला खेल आरंभ हुआ। जहां शोषित वर्ग को लालच अथवा दारा धमका कर ईसाई या मुसलिम धर्म में दीक्षित किया गया। यह खेल आज भी जारी है। दलितों ने नाम बदले बिना धर्म परिवर्तन क्यी, जिससे वह स्वयं को समाज में नचा समझने लगे और साथ ही अपने जातिगत आरक्षण का लाभ भी लेते रहे। लंबे समय त यह मंथन होता रहा की जब ईसाई समाज अथवा मुसलिम समाज में जातिगत व्यवस्था नहीं है तो परिवर्तित मुसलमानों अथवा इसाइयों को जातिगत आरक्षण का लाभ कैसे? अब इन तमाम बहसों को विराम लग गया है जब एकेन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह ने सांसद में स्पष्ट आर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों को चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा वह आरक्षण से जुड़े अन्य लाभ भी नहीं ले पाएँगे। गुरुवार (11 फरवरी 2021) को राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी। 

हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। साथ ही साथ, वह अन्य आरक्षण सम्बन्धी लाभ भी ले पाएँगे। भाजपा नेता जीवी एल नरसिम्हा राव के सवाल का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर जानकारी दी। 

आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की पात्रता पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “स्ट्रक्चर (शेड्यूल कास्ट) ऑर्डर के तीसरे पैराग्राफ के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।” इन बातों के आधार पर क़ानून मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी। 

क़ानून मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संसदीय या लोकसभा चुनाव लड़ने वाले इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को निषेध करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव मौजूद नहीं।    

विदेशी खिलाड़ियों को सचिन कि नसीहत पर बिफरी कॉंग्रेस और वामपंथी

राष्ट्र विरोधी किसी का भी ब्यान क्यों न हो कॉंग्रेस उसके स्मैथन में खड़ी दीखती है। विदेशी कलाकारों , खिलाड़ियों के भारत के आंतरिक मामलों में आए द्र्भाग्यपूर्ण विवादों के पश्चात ही से कॉंग्रेस उन बयानों के पाक्स में होकर मौजूदा सरकार को घेरने को लेकर अतिऊत्साहित है। इनहि कलारों खिलाड़ियों को जिनको शायद भारत कि राजधानी अथवा यहाँ के राष्ट्रपति का नाम तक न पता हो वह हमारे आंतरिक मामलों में ब्यान दे देते है , जब सचिन ने उन हिलाड़ियों को अपने दायरे में रहने कि नसीहत दी तो कॉंग्रेस को यह बात नागवार गुज़री। कॉंग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं ने उनके पटलों पर कालिख पोतनी शुरू आर दी।

क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के पक्ष-विपक्ष में बिहार की राजनीतिक पिच पर बयानों   के चौके-छक्‍कों की बरसात हो रही है। राजद के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष शिवानंद तिवारी ने सचिन को भारत रत्‍न (Bharat Ratna) की उपाधि देने को इस सम्‍मान और देश का अपमान बताया तो भाजपा नेता व राज्‍य सभा सदस्‍य सुशील कुमार मोदी ने भारत रत्‍न पर राजनीति करने के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है। 

दिल्ली/पटना:

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे कथित किसान आंदोलन के नाम पर विदेशी प्रोपेगेंडा को हवा मिलने के बाद भारत की कई नामी हस्तियों ने विदेशी हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ होकर देश के साथ एकजुटता दिखाई। बुधवार को इसी लिस्ट में एक नाम क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर का जुड़ा। सचिन ने भी फर्जी प्रोपेगेंडा के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद की थी।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। बाहरी ताकत दर्शक हो सकते हैं, लेकिन भागीदार नहीं। भारतीय नागरिक भारत के बारे में जानते हैं। हम एक राष्ट्र के तौर पर एकजुट रहें।”

अब बाहरी ताकतों के ख़िलाफ़ सचिन के आवाज उठाते ही कुछ लोगों में हलचल मच गई। सोशल मीडिया पर केरल वाले यूजर्स का एक धड़ा तो खुलकर न केवल सचिन का विरोध करने लगा, बल्कि देश के साथ खड़े होने के लिए उनका अपमान भी किया जाने लगा।

केरल के कोच्चि में शुक्रवार (5 फरवरी 2021) को युवा कॉन्ग्रेस के सदस्यों ने विरोध जताते हुए सचिन तेंदुलकर के कट आउट पर कालिख पोत दी। इसके बाद जमकर नारेबाजी की।

इस बीच कई यूजर्स ने रूस की टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा से माफी माँगनी शुरू कर दी है, जिसने एक दफा ये कहा था कि वह सचिन तेंदुलकर को नहीं जानती। शारपोवा ने 7 साल पहले एक प्रश्न के जवाब में अपनी बात कही थी, जब उनसे उनके मैच के दौरान सचिन की उपस्थिति पर पूछा गया था। 

इस घटना के बाद वर्चुअल स्पेस पर कई लोगों ने मारिया शारापोवा को उलटा सीधा बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लोगों ने पूछा था कि आखिर सदी से महान क्रिकेटर को कैसे वह जानने से इनकार कर सकती हैं। दिलचस्प बात यह थी कि ये धड़ा केरल से ही था।

अब यही वजह है कि मात्र सचिन के देश के साथ खड़े भर हो जाने से यही केरल वाले अपनी गलती का पश्चताप कर रहे हैं। तेंदुलकर पर नाराजगी दिखाने के लिए इन्होंने शारापोवा से माफी माँगी है। हैरानी की बात यह है कि भारत के तमाम मीडिया हाउसों ने ऐसी हरकत की निंदा करने की बजाय अप्रत्यक्ष रूप से उनको सराहते हुए अपनी रिपोर्ट पब्लिश की है।

नीचे कुछ रिपोर्ट के शीर्षक उदाहरण के साथ हैं।

भारत में हो रही घटनाओं के बीच मारिया शारापोवा पर केरल के सोशल मीडिया यूजर्स के ऐसे पोस्ट साफ तौर पर बताते हैं कि ये सब भारत के खेल जगत दिग्गजों  को निशाना बनाने के लिए चलाया जा रहा अभियान है, खासकर सचिन को, क्योंकि उन्होंने किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया।

पूरा पैटर्न देखें तो ये सोशल मीडिया यूजर्स ज्यादा से ज्यादा शारापोवा की टाइमलाइन पर जाकर सचिन की छवि मटियामेट करने में लगे हैं। खास बात यह है कि इनमें कुछ कॉमरेड हैं, कुछ कॉन्ग्रेस समर्थक और कई केरल के इस्लामी ट्रोल हैं।

यहाँ कुछ सोशल मीडिया अकाउंट हैं, जिन्होंने शारापोवा से गिड़गिड़ा कर माफी माँगी। 

 कॉमरेड

केरल में वामपंथी पार्टियों में से एक दल लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के समर्थक सचिन तेंदुलकर पर निशाना साधने वाले पहले थे। हमने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इस सूची में कई और नाम हैं।

राहुल गांधी पहुंचे ‘बैलों को यातना’ का खेल देखने

तमिलनाडु के मदुरई के अवनीयापुरम में जल्लीकट्टू का खेल आरंभ हो चुका है। इस प्रतियोगिता में 200 से अधिक बैल हिस्सा ले रहे हैं। वहीं कोविड-19 को देखते हुए, राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि किसी कार्यक्रम में खिलाड़ियों की संख्या 150 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साथ ही दर्शकों की तादाद सभा के 50 फीसद से अधिक नहीं होनी चाहिए। बता दें कि प्रति वर्ष इस खूनी खेल में कई लोग बुरी तरह जख्मी भी हो जाते हैं, तो कई की जान भी जाती है। साल 2019 में इसी वक़्त शुरू हुये पोंगल महोत्सव में राज्य के विभन्न हिस्से में आयोजित जलीकट्टू के दौरान यहां दिल का दौरा पड़ने की वजह से एक दर्शक की मौत हो गई थी। इसके अलावा बैलों को काबू करने वाले 40 से अधिक व्यक्ति जख्मी हो गए थे। उस वक़्त समारोह में कुल 729 बैलों का उपयोग किया गया था।

चेन्नई/नयी दिल्ली :

तमिलनाडु के मदुरई के अवनीयापुरम में जलीकट्टू का खेल शुरू हो चुका है। कॉन्ग्रेस ने जिस खेल को कभी ‘बर्बर’ बताकर भाजपा पर इसके राजनीतिकरण का आरोप लगाया था, उसी जलीकट्टू का मजा लेने कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी अवनियापुरम के इस कार्यक्रम में पहुँच चुके हैं।

राहुल गाँधी शायद ये भूल गए कि उन्हीं की पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस जलीकट्टू को ‘हिंसक’ और पशुओं पर अत्याचार वाला खेल बता चुके हैं। यही नहीं, साल 2016 के कॉन्ग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में जलीकट्टू को प्रतिबंधित करना भी शामिल था।

सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी की जलीकट्टू में शामिल होने को लेकर जमकर खिंचाई हो रही है। वर्ष 2016 में, कॉन्ग्रेस ने जल्लीकट्टू को ‘बर्बर’ हरकत कहते हुए भाजपा पर इसे समर्थन देकर राजनीति करने का आरोप लगाया था।

वहीं, शशि थरूर ने तो जनवरी, 2016 में भाजपा को घेरते हुए पशु कल्याण बोर्ड से आग्रह कर लिया था कि वो ‘बैलों को यातना’ देने वाले इस खेल पर एक्शन ले।

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बृहस्पतिवार (जनवरी 14, 2021) को जलीकट्टू में शामिल होने के बाद बयान दिया, “मैं यहाँ आया हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि तमिल संस्कृति, भाषा और इतिहास भारत के भविष्य के लिए आवश्यक हैं और इसका सम्मान करने की आवश्यकता है।”

राहुल गाँधी ने कहा कि तमिल संस्कृति को देखना काफी प्यारा अनुभव था और उन्हें ये देखकर बेहद खुशी हुई कि जलीकट्टू को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जा रहा है। राहुल ने कहा कि वो उन लोगों को संदेश देने के लिए गए हैं, जो ये सोचते हैं कि वो तमिल संस्कृति को खत्म कर देंगे।

गायों पर दोहरा चरित्र दिखाती प्रियंका की योगी को शिकायती चिट्ठी

केरल के पूर्व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष रिजिल मक्कुट्टी को एक बछड़े को सडक पर काट कर पकाने के लिए कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था और 2017 में इसे पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से देखने के बाद लोकसभा चुनावों के लिए केरल में पार्टी के लिए आक्रामक प्रचार करते हुए देखा गया। रिजिल मक्कुट्टी ने केरल में बछड़े को सरेआम काट कर पकाने के बाद काँग्रेस कार्यकर्ताओं में बांटने के साथ खुद भी खाया था। उस समय प्रियंका गांधी की ट्वीट्टर पर उँगलियाँ नहीं चलीं थीं।

नयी दिल्ली/ लखनऊ:

प्रियंका वाड्रा ने नया कीर्तिमान रचा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है। लेकिन अफ़सोस! जिस मुद्दे पर रोष जताते हुए पत्र लिखा गया है, उससे जुड़ी जानकारी की तस्दीक नहीं की गई। पत्र में प्रियंका गाँधी ने लिखा है कि वह सोशल मीडिया पर वायरल हो रही गाय की लाशों की तस्वीर देख कर काफी निराश हैं। 

पत्र में उन्होंने बताया कि मृत गायों की यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के ललितपुर की है। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि गायों की मृत्यु कैसे हुई। फिर भी वह इस निष्कर्ष पर पहुँच गईं कि संभावित रूप से उनकी मृत्यु भुखमरी की वजह से हुई है। 

कुछ समय बाद पता चला कि ख़बर फ़र्ज़ी (फ़ेक) है और ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। इसके बाद उत्तर प्रदेश के आधिकारिक फैक्ट चेकिंग हैंडल आईपीआरडी (IPRD) ने ट्वीट करते हुए कहा कि ललितपुर गोशाला के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (Chief Veterinary Officer) के मुताबिक़ गोशाला के भीतर, बाहर या आस-पास के क्षेत्र में गाय की कोई लाश नहीं मिली है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को बहुत समय नहीं बचा है इसलिए कॉन्ग्रेस का गाय के प्रति स्नेह और समर्पण तत्काल प्रभाव से बढ़ गया है। प्रियंका गाँधी को कॉन्ग्रेस पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया जाता है। पर गऊ प्रेम दिखाने के लिए व्याकुल प्रियंका फ़ेक न्यूज़ के फेर में उलझ कर रह गईं।    

ठीक इसी तरह प्रियंका गाँधी के यशस्वी भ्राता राहुल गाँधी भी देश के बड़े चुनावों के दौरान मंदिर-मंदिर भागने का अभ्यास करते हुए नज़र आते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने बिना देर किए गोरक्षा के मसले पर कॉन्ग्रेस का मूल चरित्र और पाखण्ड सार्वजनिक कर दिया। 

शलभमणि त्रिपाठी ने उस घटना का उल्लेख किया जब केरल में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीच सड़क पर आम जनता के सामने गाय के बछड़े की हत्या की और उसे पका कर खाया भी। यह निकृष्ट घटना साल 2017 में हुई थी। इसे अंजाम देते हुए पर्याप्त बर्बरता की गई थी इसलिए मुद्दे पर देशव्यापी विरोध हुआ था। घटना के लगभग 3 साल बाद उसी कॉन्ग्रेस को गाय की चिंता सता रही है। आखिरकार 2022 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव जो हैं।