कांग्रेस को ‘चड्डी’ क्यों भेज रहे आरएसएस कार्यकर्ता?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा है कि कांग्रेस आरएसएस (RSS) के खिलाफ बदनाम करने का अभियान चला रही है, लेकिन जनता सब कुछ जानती है। आरएसएस एक देशभक्त, राष्ट्रवादी संगठन है जो समाज सेवा में लगा हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कई राज्यों में सराहनीय काम किया है। कांग्रेस ने इस रुख के कारण कई राज्यों में सत्ता और अपना आधार खो दिया है। कर्नाटक में इस समय ‘चड्डी’ को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। खबर है कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) ने कर्नाटक कांग्रेस को चड्डी (अंडर वियर) भेजी हैं। दरअसल कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोध के संकेत के रूप में ‘चड्डी’ जलाई जाएगी और अब इसके जवाब में आरएसएस ने कांग्रेस कार्यालय में ‘चड्डी’ भेजना शुरू कर दिया है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, बेंगलुरु: 

‘खाकी पैंट’ जलाने के मुद्दे ने राज्य में बड़े पैमाने पर बहस छेड़ दी है। दो राष्ट्रीय दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की श्रृंखला शुरू हो गई है। यह सब तब शुरू हुआ जब एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने पाठ संशोधन को लेकर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के तिप्तूर आवास के पास प्रदर्शन किया। छात्र कांग्रेस नेताओं द्वारा सांकेतिक रूप से खाकी पैंट जलाकर आरएसएस के प्रति विरोध जताने पर अब राज्य स्तर पर बहस हो रही है। भाजपा और कांग्रेस अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी आमने-सामने हो गए हैं। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और भाजपा नेताओं के बीच मारपीट की भी घटनाएं सामने आई हैं।

पिछले हफ्ते, कांग्रेस की छात्र शाखा भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) के कुछ सदस्यों ने राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के घर के बाहर खाकी शॉर्ट्स की एक जोड़ी जलाई थी। यह राज्य में स्कूली पाठ्यपुस्तकों के कथित ‘भगवाकरण’ के विरोध में किया गया था। इसके बाद, रविवार को, कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा, “NSUI सदस्यों ने पुलिस के सामने चड्डी जलाई। तो क्या हुआ? हम आरएसएस के विरोध में हर जगह चड्डी जलाएंगे।”

इसका जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘सिद्धारमैया और कांग्रेस पार्टी की चड्डी पहले से ही ढीली है। उन्होंने चड्डी फाड़ दी है। इसलिए वे चड्डी जलाने जा रहे हैं। उनकी चड्डी यूपी में खो गई। सिद्धारमैया ने चामुंडेश्वरी में अपनी चड्डी और लुंगी खो दी। पलटवार करने के लिए, वह संघ की चड्डी जलाने की कोशिश कर रहे हैं।” अब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के बयान के विरोध में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने चड्डी इकट्ठा कर उसे बॉक्स में डालकर कांग्रेस दफ्तर भेज रहे हैं।

बीजेपी नेता चालवाडी नारायणस्वामी ने कहा, “अगर सिद्धारमैया चड्डी जलाना चाहते हैं, तो उन्हें अपने घर के अंदर ही जलने दें। मैंने एससी मोर्चा के सभी जिलाध्यक्षों से कहा है कि सिद्धारमैया को अपनी चड्डी भेजकर उनकी मदद करें। सबसे पहले, मैं सिद्धारमैया से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेने के लिए कहूंगा हूं क्योंकि चड्डी जलाने से वायु प्रदूषण होता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि सिद्धारमैया इस स्तर तक गिर जाएंगे।” अब, मांड्या जिले में आरएसएस कार्यकर्ताओं ने सिद्धारमैया की टिप्पणी के विरोध में कांग्रेस कार्यालय को भेजने के लिए चड्डी इकट्ठी की हैं। 

Haryana wins gold medal in Gatka

  • Haryana also wins silver medals in single individual women’s and men’s categories in Gatka

Koral ‘Purnoor’, Demokretic Front, Panchkula, June 6 :

In the ongoing Khelo India Youth Games in Panchkula, Haryana won gold medal in Gatka today and also won silver medals in single individual women and men in Gatka itself.

Haryana won the gold medal in the under-18 single stick team event of Gatka. This team consisted of Inderjit Singh, Krish and Jashanpreet Singh.

Similarly, in the individual men’s category of Gatka, Waris Preet Singh won the silver medal. Arjneet Kaur won silver medal in singel stick individual women’s category.

नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की बड़ी कार्रवाई, सोनिया और राहुल गांधी को भेजा समन

कांग्रेस ने नोटिस जारी होने पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि तानाशाह सरकार डर गई है, इसलिए बदले की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है। नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया और राहुल को ईडी का समन भेजा है। सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पार्टी फंड से राहुल और सोनिया को 90 करोड़ रुपए दिए थे। इसका मकदस एसोसिएट जर्नल्स की 2 हजार करोड़ की संपत्ति हासिल करना था। इसके लिए गांधी परिवार ने महज 50 लाख रुपए की मामूली रकम दी थी।

  • सोनिया और राहुल गांधी को ईडी ने भेजा समन
  • तानाशाह सरकार डर गई है, इसलिए बदले की कार्रवाई की जा रही है: रणदीप सुरजेवाला
  • नोटिस से डरेंगे नहीं,  झुकेंगे नहीं और सीना ठोक कर लड़ेंगे : सिंघवी
  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से भी ईडी ने पूछताछ की थी
  • नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी आरोपी है।
  • भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने किया था केस

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट : 

प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन भेजा है। एजेंसी ने नेशनल हेराल्ड केस की जांच में दोनों नेताओं को शामिल होने को कहा है। इस केस में ED ने कांग्रेस के 2 बड़े नेता पवन बंसल वह मल्लिकार्जुन खड़गे को बीते 12 अप्रैल को जांच में शामिल किया था। 2014 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इसमें स्वामी ने गांधी परिवार पर 55 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाया था।

नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। मंगलवार को वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन बंसल को पूछताछ के लिए समन भेजा है। इसके पहले ईडी ने सोमवार को कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से भी पूछताछ की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और कांग्रेस पार्टी के अंतरिम कोषाध्यक्ष हैं। एजेंसी ने इस मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को पेश होने के लिए तलब किया है। यंग इंडियन के अन्य प्रमोटरों को जल्द ही ईडी को तलब करने की उम्मीद है। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी यंग इंडियन के प्रमोटरों और शेयरधारकों में शामिल हैं।

कांग्रेस ने नोटिस जारी होने पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि तानाशाह सरकार डर गई है, इसलिए बदले की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सोनिया गांधी को 8 जून को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया गया है।  वहीं रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वे लोग इस नोटिस से डरेंगे नहीं,  झुकेंगे नहीं और सीना ठोक कर लड़ेंगे। सिंघवी ने कहा कि 8 जून को सोनिया पूछताछ में शामिल होंगी।

सिंघवी ने कहा, ईडी ने 8 जून को राहुल गांधी और सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया है।  सोनिया इस पूछताछ में जरूर शामिल होंगी।  राहुल फिलहाल विदेश गए हैं।  अगर वह तबतक वापस आ गए तो जाएंगे।  वरना ईडी से और वक्त मांगा जाएगा।“

जानकारों के मुताबिक, अगर सोनिया और राहुल ईडी के सामने पेश नहीं होना चाहते तो उनके सामने दो ऑप्शन हैं। पहला वे नोटिस का जवाब दिये बिना छोड़ सकते हैं।  इस स्थिति में ईडी उनको दोबारा नोटिस भेजेगी। वहीं दूसरा ऑप्शन यह है कि वे इस नोटिस को कोर्ट के सामने चैलेंज करें।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में रणदीप सुरजेवाला ने ईडी को घेरा। वह बोले कि पूरी साजिश के पीछे पीएम हैं और ईडी उनकी ‘पालतू’ एजेंसी है। सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है। उन्होंने ईडी के नोटिस को नई कायराना हरकत बताया है।

सुरजेवाला ने कहा कि नेशनल हेराल्ड 1942 का अखबार था।  उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने इसको दबाने का काम किया था। अब मोदी सरकार ईडी का इस्तेमाल करके ऐसा कर रही है।

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने साल 1937 में स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी, एसोशिएटेड ज़र्नल्स लिमिटेड को लगभग 10 साल वक्त में, लगभग 100 किश्तों में चेक द्वारा अपनी देनदारी के भुगतान के लिए 90 करोड़ रु॰ की राशि दी।  इसमें से 67 करोड़ का इस्तेमाल नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों। की बकाया सैलरी देने में किया। बाकी पैसा बिजली भुगतान, किराया, भवन आदि पर खर्च किया गया
  2. नेशनल हेराल्ड अखबार आय के अभाव में कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं था, इसलिए इसकी एवज़ में असोशिएटेड ज़र्नल्स लिमिटेड के शेयर ‘‘यंग इंडिया’’ को दे दिए को दे दिए गए थे। जो कि कानून में एक ‘‘नॉट फॉर प्रॉफ़िट’’ कंपनी है।
  3. साल 2013-14 में सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा नेशनल हेराल्ड को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा कर्ज देने को लेकर एक प्राईवेट कंप्लेंट अदालत में दायर की, जो आज भी विचाराधीन है। कांग्रेस का कहना है कि याचिका को लेकर झूठ बोला गया।

Krishnakumar Kunnath, 53, popularly known as KK, died

Krishnakumar Kunnath, 53, popularly known as KK, died while performing a concert on Nazrul Manch, Kolkata on 31st May 2022. He was a popular Indian playback singer. He was regarded as one of the most versatile singers of his generation.

Koral ‘Prnoor’, Demokretic Front, Kolkata/ Chandigarh :

Singer KK, who gave Indian music lovers many hits over the last three decades has died at 53. He gave a performance at Nazrul Mancha on Tuesday and later went to his hotel where he fell ill. He was brought to a hospital where he was declared dead.

KK was feeling unwell after reaching his hotel, following a performance at a concert in the evening where he sang for almost an hour, officials said.

He was taken to a private hospital in south Kolkata where doctors declared him brought dead, they said. “It’s unfortunate that we could not treat him,” a senior official of the hospital said.

Minister Arup Biswas said about KK’s death, “Singer Anupam Roy called me up and said he is hearing something bad from the hospital. Then I contacted the hospital. They said he was brought dead. Then I rushed to the hospital.”

KK released his first album, Pal in 1999. The singer-composer, whose real name was Krishnakumar Kunnath then focussed more on Bollywood than on his independent music, giving hits such as Tadap Tadap (Hum Dil De Chuke Sanam, 1999), Dus Bahane (Dus, 2005), and Tune Maari Entriyaan (Gunday, 2014). 

He was born in Delhi and was also known for his electric live shows. His Instagram page had been sharing updates from his concert in Kolkata as recently as eight hours ago.

Singer Harshdeep Kaur expressed shock at his death. “Just can’t believe that our beloved #KK is no more. This really can’t be true. The voice of love has gone. This is heartbreaking.” Actor Akshay Kumar wrote, “Extremely sad and shocked to know of the sad demise of KK. What a loss! Om Shanti.”

Filmmaker Srijit Mukerji wrote on Facebook, “In a state of total shock. Just met him last month for the first time and it seemed that we had known each other for years. The chatter wouldn’t just stop. And I was so moved to see the love he had for Gulzar saab. He said he stepped into the film world with Chhor aaye hum and sang it to him as a tribute. Farewell, my newest friend. Will miss you. I wish we could have had more sessions on music and food and cinema.”

धर्म संसद में महाभारत

भगवान हनुमान के जन्मस्थान तय करने को लेकर नासिक में मंगलवार को संतों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। एक संत ने कर्नाटक के संत गोविंदानंद पर मीडिया के माइक से मारने की कोशिश की। अंतत: शास्त्रार्थ से पहले चली तीन घंटे तक चर्चा में कोई समाधान नहीं निकला। धर्म संसद में ये बात तय तो नहीं हो पाई, लेकिन जो साधु-संत बातचीत के लिए इकट्‌ठा हुए थे, वे लड़ जरूर पड़े। नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास और कर्नाटक के किष्किंधा के महंत गोविंदानंद सरस्वती के बीच झगड़ा हो गया। हालात यहां तक आ गए कि, महंत सुधीरदास ने गोविंदानंद सरस्वी को मारने के लिए रिपोर्टर का माइक छीन लिया। हालांकि, मारपीट शुरू होने से पहले हालात नियंत्रण में आ गए। इसके बाद धर्म संसद बिना किसी नतीजे के रद्द हो गई। धर्म संसद में नासिक, त्रयंम्बकेश्वर, कर्नाटक और सोलापुर के करीब 20-25 साधु-संत शामिल हुए थे।

नासिक, नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

ज्ञानवापी विवाद के बाद अब भगवान हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। मामले को सुलझाने के लिए महंत श्री मंडलाचार्य पीठाधीश्वर स्वामी अनिकेत शास्त्री देशपांडे महाराज ने 31 मई को नासिक में धर्म संसद बुलाई । स्वामी अनिकेत शास्त्री ने कहा कि धर्म संसद में देश भर के सभी साधु भगवान हनुमान की जन्मभूमि के संबंध में अपने विचार रखते और उसके बाद संसद में जो भी निर्णय होगा उसे सभी स्वीकार कराते। विशेष रूप से, कर्नाटक के एक संत ने दावा किया है कि भगवान हनुमान का जन्म नासिक के अंजनेरी में नहीं बल्कि किष्किंधा, कर्नाटक में हुआ था।

धर्म संसद में ये बात तय तो नहीं हो पाई, लेकिन जो साधु-संत बातचीत के लिए इकट्‌ठा हुए थे, वे लड़ जरूर पड़े। नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास और कर्नाटक के किष्किंधा के महंत गोविंदानंद सरस्वती के बीच झगड़ा हो गया।

हालात यहां तक आ गए कि महंत सुधीरदास ने गोविंदानंद सरस्वती को मारने के लिए रिपोर्टर का माइक छीन लिया। हालांकि मारपीट शुरू होने से पहले हालात नियंत्रण में आ गए। इसके बाद धर्म संसद बिना किसी नतीजे के रद्द हो गई। धर्म संसद में नासिक, त्रयम्बकेश्वर, कर्नाटक और सोलापुर के करीब 20-25 साधु-संत शामिल हुए थे।

दरअसल, नासिक के संतों ने पूछा कि गोविंदानंद सरस्वती किसके शिष्य हैं? तब उन्होंने जगतगुरु शंकराचार्य का नाम लिया। इस पर संत सुधीरदास पुजारी ने कहा कि वो तो कांग्रेस को समर्थन करते हैं। इस पर गोविंदानंद सरस्वती ने उंगली दिखाते हुए कहा कि आप उन्हें कांग्रेसी बोल रहे हैं। माफी मांगिए। इसके बाद सुधीरदास ने गोविंदानंद को मारने के लिए मीडिया का माइक उठा लिया। शास्‍त्रार्थ शुरू होने के पहले ही आसन और बैठने पर विवाद हो गया। मौके पर मौजूद पुलिस ने गोविंदानंद सरस्वती को एक कमरे में ले जाकर बिठा दिया। महंत गोविंदानंद महाराज नासिक के त्रयंबकेश्वर में आए हुए हैं और अपनी बात को प्रमणित करने के लिए उन्होंने त्रयंबकेश्वर के स्वामी और संतों को शास्त्रार्थ की चुनौती दी है।

हनुमान जयंती के मौके पर कर्नाटक के किष्किंधा और आंध्रप्रदेश के TTD(Tirumala Tirupati Devasthanams) पहुंचा था और हनुमान जन्मस्थान को लेकर एक-एक तथ्य खंगाले थे। हम TTD इसलिए गए थे, क्योंकि वहां हनुमान जी के जन्मस्थान का न सिर्फ दावा किया गया है बल्कि एक बुकलेट भी पब्लिश कर दी गई है, जिसमें जन्मस्थान के प्रमाण दिए गए हैं। यहां TTD निर्माणकार्य भी शुरू करने वाला था, जिस पर आंध्रप्रदेश के हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।

हालांकि हमें जो प्रमाण मिले थे, उसमें कर्नाटक के किष्किंधा का दावा ही ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। यहां जन्म के 5 मजबूत प्रमाण मिले हैं। जिसमें गुफाएं, सुनहरा पर्वत, पत्थरों से बनी नगरी, पंपा नंदी, बालि-सुग्रीव किला शामिल है। 45 दिन पहले पब्लिश रिपोर्ट को हम दोबारा आपके साथ साझा कर रहे हैं।

रामानंद संप्रदाय से महंत विद्यादास यहां बीते 25 सालों से पूजन का जिम्मा संभाल रहे हैं। हनुमान जी के जन्म स्थान के बारे में पूछने पर उन्होंने कई प्रमाण दिए। तथ्यों को और ज्यादा टटोलने के लिए हम इतिहासकार, आर्कियोलॉजिस्ट और 20 सालों से भी ज्यादा समय से हंपी और किष्किंधा में रिसर्च कर रहे डॉ. शरणबसप्पा कोलकर के पास पहुंचे। वे कन्नड़ में बातचीत करते हैं, इसलिए हम अपने साथ एक बाइलिंगुअल को भी ले गए। डॉ. कोलकर के मुताबिक हनुमान जी की जन्मभूमि कर्नाटक में हंपी के पास स्थित किष्किंधा ही है।

स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो पर सफाई देने आए थे राकेश टिकैत, हुई माइके-माइके पिटाई, फिर स्याही फेंक कर चेहरा काला किया 

किसान सभा के अध्यक्ष अवनीश पवार ने कहा कि जो भी हुआ उसकी जांच होनी चाहिए। किसान यूनियन के महासचिव सावित मलिक ने कह कि किसानों पर तो लाठीचार्ज तक हुआ है, हम स्याही से डरने वाले नहीं हैं। दिल्ली में गाजीपुर सीमा पर सालभर से चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत सबसे आगे थे। राकेश टिकैत और नरेश टिकैत पर स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की विचारधारा से भटकने का आरोप लगा है।  भारतीय किसान यूनियन ने हाल ही में असली संगठन होने का दावा करने वाले एक अलग समूह के साथ विभाजित हो गया और राजेश चौहान को नया मुखिया नियुक्त किया। साथ ही नरेश टिकैत को अध्यक्ष पद और राकेश टिकैत को प्रवक्ता पद से हटा दिया। 

  • राकेश टिकैत पर फेंकी गई काली स्याही
  • बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हुआ हमला
  • असल में कर्नाटक के किसान नेता कोडिहल्ली चंद्रशेखर को पैसे माँगते हुए कैद कर लिया किया गया था
  • स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो पर सफाई देने आए थे राकेश टिकैत

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत के ऊपर स्याही फेंकी गई है। प्रेस वार्ता के दौरान धक्कामुक्की के बाद इस घटना को अंजाम दिया गया। इसके बाद राकेश टिकैत के समर्थकों ने आरोपी को पकड़कर उसकी पिटाई भी कर दी। वहीं इस घटना के बाद कार्यक्रम में जमकर एक दूसरे के ऊपर कुर्सियां फेंकी गईं। ताजा जानकारी के अनुसार इस घटना के बाद तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है।

वीडियो में देखा जा सकता है कि ‘किसान नेता’ के समर्थक उस शख्स की पिटाई करने लगते हैं, जिससे वो नीचे गिर जाता है। हालाँकि, इस दौरान एक दूसरा व्यक्ति आ धमकता है और राकेश टिकैत के चेहरे पर स्याही छिड़क कर उनका चेहरा काला कर देता हो। राकेश टिकैत की ‘माइके-माइके’ हुई पिटाई की लोग ‘कड़ी निंदा’ कर रहे हैं। इस मामले में कर्नाटक पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।

वीडियो में देखा जा सकता है कि ‘किसान नेता’ के समर्थक उस शख्स की पिटाई करने लगते हैं, जिससे वो नीचे गिर जाता है। हालाँकि, इस दौरान एक दूसरा व्यक्ति आ धमकता है और राकेश टिकैत के चेहरे पर स्याही छिड़क कर उनका चेहरा काला कर देता हो। राकेश टिकैत की ‘माइके-माइके’ हुई पिटाई की लोग ‘कड़ी निंदा’ कर रहे हैं। इस मामले में कर्नाटक पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।

एक अन्य वायरल वीडियो में लोगों को कार्यक्रम में एक-दूसरे पर कुर्सियों से हमला करते हुए भी देखा जा सकता है। टेलीविजन माइक से राकेश टिकैत को पीटा गया। इस दौरान ‘मोदी-मोदी’ के नारे भी लगते हुए सुना जा सकता है। तीनों हमलावरों को किसान नेताओं ने पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया। तीनों को हाई ग्राउंड्स पुलिस थाने में जाँच-पड़ताल के लिए ले जाया गया है। कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि एक दिन पहले प्रशासन को आयोजन की सूचना दे दी गई थी।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गई है हाल ही में ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU)’ ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। जहाँ राकेश टिकैत BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता बन कर बैठे हुए थे, संगठन के अध्यक्ष की कमान उनके बड़े भाई नरेश टिकैत के पास थी। राकेश टिकैत सोमवार (30 मई, 2022) को बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे। कार्यक्रम के दौरान जम कर हंगामा और मारपीट भी हुई।

‘सरकार की मिलीभगत से फेंकी गई स्याही’ टिकैत

राकेश टिकैत ने इसका आरोप भी भाजपा पर ही लगाया है। उन्होंने कहा कि ये सब सरकार की मिलीभगत से हुआ है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही एक व्यक्ति वहाँ आ धमका और उसने स्याही फेंक राकेश टिकैत का चेहरा काला कर दिया। उस व्यक्ति ने वहाँ से भागने का भी प्रयास किया, लेकिन राकेश टिकैत के समर्थकों ने उसे पकड़ लिया और उसकी पिटाई कर दी। राकेश टिकैत ने कहा कि ये सब सरकार की ही साजिश है।

बता दें कि कर्नाटक में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने वहाँ उनके लिए सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार और पुलिस की ही होती है। उनके समर्थकों ने वहाँ इस घटना के बाद जम कर बवाल काटा। किसान नेता युद्धवीर सिंह भी इस दौरान उनके साथ मौजूद थे। दोनों किसान नेता एक स्थानीय चैनल के स्टिंग खुलासे को लेकर सफाई देने आए थे।

असल में कर्नाटक के किसान नेता कोडिहल्ली चंद्रशेखर को पैसे माँगते हुए कैद कर लिया किया गया था, जिस बाबत सफाई देने के लिए ये किसान नेता वहाँ पहुँचे थे।

राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की सूची

बीते दिनों उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में तमाम फैसले किए गए थे। इनमें से युवाओं पर दांव लगाना भी एक अहम फैसला था। यह अलग बात बात है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस अपने ही लिए तमाम फैसले लागू नहीं कर सकेगी। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि कांग्रेस पार्टी के पास राज्यसभा सीट कम और दावेदार कहीं ज्यादा हैं। इसके साथ ही पार्टी को एकजुट रखने के लिए आलाकमान पर कई वरिष्ठ नेताओं को राज्यसभा भेजने का भी दबाव है। ऐसे में पार्टी के लिए युवा नेताओं को राज्यसभा भेजना आसान नहीं होगा। दूसरी तरफ जिन राज्यों में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है, वह भी राज्यसभा चुनाव को लेकर आंखे तरेर रहे हैं।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

कांग्रेस ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। 10 नामों की जो सूची जारी की गई है, उसमें छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन का नाम है। वहीं, हरियाणा से अजय माकन, कर्नाटक से जयराम रमेश, मध्य प्रदेश से विवेक तन्खा, महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी, राजस्थान से रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी का नाम है। तमिलनाडु से पी चिदंबरम के नाम का ऐलान हुआ है।

10 उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस पार्टी ने अजय माकन को हरियाणा से, जयराम रमेश को कर्नाटक से, पी चिदंबरम को तमिलनाडु से, प्रमोद तिवारी, रणदीप सुरजेवाला और मुकुल वासनिक को राजस्थान, विवेक तन्खा को मध्य प्रदेश से उम्मीदवार बनाया है। वहीं, इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से और राजीव शुक्ला को छत्तीसगढ़ से उम्मीदवार घोषित किया है।

बीजेपी ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। इनमें केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण को महाराष्ट्र और कर्नाटक से उम्मीदवार बनाया गया है। इन 16 उम्मीदवारों में से छह उत्तर प्रदेश से हैं।

मैंगलोर यूनिवर्सिटी का फैसला, हिजाब पहन कर आने पर क्लास नहीं : दूसरी जगह एडमिशन चाहिए तो मिलेगी मदद

कॉलेज में हिजाब पहनने और न पहनने दोनों को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। एक तरफ मुस्लिम छात्राएं अपनी शिकायत लेकर वाइस चांसलर और जिला कलेक्टर के पास पहुंची तो वहीं एबीवीपी ने भी हिजाब पर पूर्ण बैन लगाने की मांग की। मुस्लिम छात्राओं के लगातार हिजाब पहनकर कॉलेज आने को लेकर एबीवीपी समर्थित छात्र संगठनों ने इसका विरोध किया प्रदर्शन कर गुस्सा दिखाया। इन छात्र-छात्राओं का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज आ रही हैं और कॉलेज प्रशासन इस पर कोई ऐतराज नहीं जता रहा है। इस बात से नाराज छात्रों ने ऐलान किया कि ये हरकत बंद नहीं हुई तो हम लोग भी केसरिया साफा पहनकर कॉलेज में इसका विरोध दर्ज कराएंगे।

मंगलौर(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट (कर्नाटक) :  

दक्षिण कन्नड़ जिले के एक कॉलेज के अधिकारियों ने शनिवार को हिजाब पहनकर आई छात्राओं को वापस घर भेज दिया। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी. सी. नागेश की ओर से यह बयान देने के बाद कि कक्षाओं के अंदर केवल वर्दी पहनने वाले छात्रों को ही अनुमति है, यह फैसला लिया गया है। घटना मंगलौर के यूनिवर्सिटी कॉलेज की है। इससे पहले कॉलेज ने सिंडिकेट के फैसले के तहत हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी। हालांकि अधिकांश मुस्लिम छात्राएं शनिवार को बिना हिजाब के कक्षाओं में शामिल हुईं, लेकिन 12 छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंची थीं।

कर्नाटक में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं और प्रदेश में मलाली मंदिर मस्जिद विवाद और अब एक बार फिर कक्षाओं में हिजाब पहनने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हिजाब का मुद्दा गुरुवार को एक बार फिर राज्य में तब सामने आया जब मैंगलोर के यूनिवर्सिटी कॉलेज की छात्राओं के एक समूह ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और आरोप लगाते हुए परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। कुछ मुस्लिम छात्राएं सिर पर दुपट्टा पहनकर कक्षाओं में भाग ले रही थीं। शनिवार को हिजाब पहनकर कुछ छात्राएं कॉलेज पहुंची लेकिन प्रिंसिपल अनुसूया राय ने उन्हें अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। इसके बाद वे लाइब्रेरी की ओर गईं लेकिन वहां भी अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद वे वापस लौट गईं।

कॉलेज प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ छात्रों ने परिसर में धरने पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया था। छात्रों का कहना था कि मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देखकर कॉलेज प्रशासन कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहा है।

भारी विरोध को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने फैसले को वापस ले लिया और कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का आदेश डिग्री कॉलेजों पर भी लागू होगा और इसलिए धार्मिक पोशाक को कक्षाओं के अंदर अनुमति नहीं दी जाएगी।

कॉलेज के VC प्रोफेसर सुब्रह्मण्य यदपादित्या ने कहा, “हमारा कॉलेज शुरू में लड़कियों को यूनिफॉर्म की रंग से मेल खाते हेडस्कार्फ़ को पहनने की अनुमति दी थी, लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर CDC (कॉलेज विकास परिषद) के अध्यक्ष और मैंगलोर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र के विधायक वेदव्यास कामथ और सिंडिकेट के सदस्यों के साथ बैठक के बाद निर्णय लिया गया है कि कक्षाओं के अंदर धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी।”

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश डिग्री कॉलेजों पर लागू होगा या नहीं, इसको लेकर असमंजस की स्थिति थी। राज्य सरकार की एडवाइजरी, उच्च शिक्षा परिषद और कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी कॉलेजों को यूनिफॉर्म का पालन करना होगा। इसके बाद आदेश को वापस ले लिया गया। VC ने कहा कि छात्राएँ कैंपस में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन कक्षा में नहीं।

VC यदपादित्य ने हिजाब पहनने की जिद पर अड़ी मुस्लिम छात्राओं की काउंसलिंग को लेकर कहा, “हमें पता चला है कि लगभग 15 मुस्लिम लड़कियाँ क्लास में हिजाब पहनने को लेकर अड़ी हुई हैं। हम इन लड़कियों को कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के संबंध परामर्श देने के तैयार हैं। इसके बाद बाद भी वे नहीं मानती हैं तो उन्हें उन शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने में हम मदद करेंगे, जहाँ हिजाब की अनुमति है या जहाँ कोई यूनिफॉर्म नहीं है।”

बंगाल में अब मुख्य मंत्री होंगी विश्वविद्यालयों की कुलपति

बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद नया नहीं है। कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती हैं। वहीं, राज्यपाल कहते हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है। चुनाव बाद राज्य में में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। 

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है, लेकिन अब राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक और दांव चल दिया है। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति अब गर्वनर न होकर मुख्यमंत्री होंगी। उन्होंने जल्द ही विधानसभा में कानून में बदलाव करके इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति राज्यपाल होते थे और वही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करते थे.

ममता बनर्जी की सरकार का कहना था कि कुलपति की नियुक्तियों के लिए राज्यपाल के पास नाम भेजे जाते हैं लेकिन मंजुरी नहीं मिलती है। अब विधानसभा में एक नया बिल लाया जाएगा। इसके बाद कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का फैसला तमिलनाडु की सरकार ने भी लिया था। तमिलनाडु में विधानसभा में बिल पेश करके राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया गया था।

तमिलनाडु के सीएम ने उदाहरण दिया था कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही होता है। 

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