कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार सुरक्शित अब कुट्टी के इस्तीफे का इंतज़ार

कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के 15 विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने के दावे को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है. कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडु ने इस दावे को लोगों को गुमराह करने वाला बताया है

कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के 15 विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने के दावे को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है. कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडु ने इस दावे को लोगों को गुमराह करने वाला बताया है.

बुधवार को बीजेपी विधायक उमेश कुट्टी ने दावा किया था कि कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर गठबंधन के 15 विधायक उनके संपर्क में है और अगर वह बीजेपी में शामिल होना चाहें तो पार्टी उनका स्वागत करने के लिए तैयार है. इस दावे पर कांग्रेस के राज्य प्रमुख ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी अध्यक्ष को अपने पद से इस्तीफा देना होगा.

आठ बार से विधायक कत्ती ने दावा किया था कि बीजेपी अगले सप्ताह तक नई सरकार का गठन कर लेगी. कुट्टी ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ विधायक हालिया मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं.

हाल ही में मंत्रिमंडल से बाहर किए गए वरिष्ठ नेता रमेश जरकिहोली पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दे चुके हैं. उन्होंने इस हफ्ते के आखिर में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर फैसला लेने की बात कही थी.

हालांकि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि कोई भी विधायक इस्तीफा नहीं देगा और छह महीने पुरानी गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है. बुधवार को ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि पार्टी किसी भी असंतुष्ट कांग्रेस विधायक के संपर्क में नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 477 महिलाएं ट्रिपल तलाक की शिकार हुईं- स्मृति ईरानी

तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार यानि आज लोकसभा में चर्चा हो सकती है. पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी. इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी. दरअसल, लोकसभा में पिछले सप्ताह जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया था तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया था कि इस पर अगले सप्ताह चर्चा कराई जाए.  इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा था कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी.

बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया

इस पर खड़गे ने कहा था, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए. हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं. वहीं इस पर बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है और चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है. अध्यादेश सितंबर में लाया गया था, जिसके अंतर्गत त्वरित तीन तलाक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध माना गया था. मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा.

पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा.

दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.

तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा.

अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’को मंजूरी प्रदान की थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था. इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे. 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था.

इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे 

प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा. इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई.

संसद की कार्यवाही LIVE UPDATES:

  • 16:59(IST)केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.
  • 16:54(IST)स्मृति ईरानी ने किया कांग्रेस पर हमलाजब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ: स्मृति ईरानी
  • 16:41(IST)टीडीपी एमपी ने कहा कि सरकार को पुरुषों को महिलाओं की रक्षा करने पर ध्यान देना चाहिए. बीजेपी सरकार में पुरुष-महिलाओं के साथ लिचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक बिल जम्मू-कश्मीर में भी लागू होना चाहिए.
  • 15:52(IST)बाल विवाह और सती प्रथा भी तो खत्म हुआ. बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठी थी तो वो भी खत्म हुआ. उस वक्त भी कुछ लोगों ने इसे मजहब से जोड़ा था, लेकिन वो खत्म हुआ हमारे देश के लोगों ने खत्म किया. आज कौन सी समस्या आ गई जो हम उसका विरोध कर रहे हैं: मुख्तार अब्बास नकवी
  • 15:11(IST)कांग्रेस को मीनाक्षी लेखी का जवाब-बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.
  • 14:58(IST)कांग्रेस नेता ने किया ट्रिपल तलाक का विरोधकांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.आगे बोलते हुए उन्होंने कहा शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.
  • 14:42(IST)RSP नेता एनके प्रेमचंद्रन ने भी ट्रिपल तलाक बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार ये बिल गुप्त रूप से ला रही है. 
  • 14:38(IST)AIADMK नेताओं ने कावेरी मुद्दे पर नारे लगाए. तमिलनाडु नेताओं ने मेडाकोट्टु मुद्दा भी उठाया. इस दौरान स्पीकर ने शांति बनाए रखने के लिए कहा.
  • 14:29(IST)कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कहा कि यह बेहद जरूरी बिल है जिसके बारे में गहन अध्य्यन होना चाहिए. इसके साथ ये संवैधानिक मामला भी है. मैं बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का आग्रह करता हूं. 
  • 14:23(IST)कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान कहा कि 20 इस्लामिक राष्ट्रों ने ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो हमारे जैसा धर्म निरपेक्ष ऐसा क्यों नहीं कर सकता? मेरा अनुरोध है कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
  • 14:20(IST) हमारी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है. मैं नारी सम्मान की बात करता हूं. तीन तलाक बिल का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. बिल पर विपक्ष के साथ चर्चा को तैयार हैं: रविशंकर प्रसाद  
  • 14:08(IST)मामले की गंभीरता को देखते हुए लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मुस्लिम महिला ( विवाह पर अधिकार की सुरक्षा ) बिल 2018 पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया है. 
  • 13:09(IST)लोकसभा की कार्यवाही फिर स्थगितराफेल डील पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा. बीच में केरल से सांसद शशि थरूर ने केरल में आए बाढ़ की त्रासदी का मसला उठाया. उन्होंने केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 7,304 करोड़ रुपए की मांग की थी. लेकिन केंद्र से सिर्फ 100 करोड़ रुपए मिले हैं. इस बीच राफेल डील पर हंगामा जारी रहा और लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
  • 11:51(IST)राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगितराज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद हंगामा के चलते कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गई. राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने हंगामा शांत कराने की कोशिश की. लेकिन सदस्य नारे लगाते रहे. जिसके बाद उन्होंने कहा कि राज्यसभा की कार्यवाही चलने देने में किसी की रूचि नहीं है इसलिए इसे दिनभर के लिए स्थगित किया जाता है.
  • 11:47(IST)कांग्रेस तीन तलाक पर विधेयक का विरोध करेगीमल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि वो हमलोग चर्चा में हिस्सा लेंगे लेकिन पुराने विचार पर अब भी कायम हैं. हम सरकार से अपील करेंगे कि वो धार्मिक मसलों में हस्तक्षेप न करे. अब वो विधेयक को स्टैंडिंग कमिटी को भेजेंगे या नहीं ये उनपर निर्भर करता है.
  • 11:43(IST)लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा था कि वो तीन तलाक की चर्चा में हिस्सा लेंगे. लेकिन लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सांसद राफेल डील पर हंगामा करने लगे. लोकसभी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने खडगे को याद दिलाया कि उन्होंने कहा था कि तीन तलाक पर चर्चा में कांग्रेस के सांसद सही तरीके से हिस्सा लेंगे. स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि राफेल डील के मुद्दे को 12 बजे उठा सकते हैं. लेकिन विपक्षा का हंगामा जारी रहा. जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक का दुरुपयोग हो रहा है. मुस्लिम महिलाओं को कभी ईमेल से तो कभी वाट्सएप से तलाक दिया जा रहा है इसलिए सरकार ने इसपर रोक लगाने के मकसद से तीन तलाक बिल पेश किया. 

जेडीएस-कांग्रेस सरकार अगले 24 घंटों में गिर जाएगी: उमेश कट्टी

बीजेपी विधायक उमेश कट्टी ने कहा कि 15 बागी कांग्रेस विधायक उनके संपर्क में है. वह कांग्रेस से इस्तीफा दे सकते हैं.

ताकतवर बीजेपी विधायक उमेश कट्टी ने कहा था कि कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन अगले 24 घंटे में टूटने वाला है. कट्टी के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में शोर मच गया था.

पूर्व मंत्री और आठ बार विधायक रहे कट्टी ने ये बयान बेलगाम में बुधवार को दिया.

मीडिया से बात करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष येदियुरप्पा से मीटिंग से पहले उमेश कट्टी ने कहा कि 15 बागी कांग्रेस विधायक उनके संपर्क में है. वह कांग्रेस से इस्तीफा दे सकते हैं और एच.डी कुमारस्वामी की सरकार अगले 24 घंटे में टूट सकती है. अगले हफ्ते बीजेपी सरकार बन सकती है.

जबकि येदियुरप्पा ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी राज्य सरकार गिराने में कोई भी रूचि नहीं है. उन्होंने कहा ‘मेरी सरकार गिराने की कोई इच्छा नहीं है. हम विपक्षी हैं और फिलहाल वही रहेंगे.’

पिछले शनिवार को, एचडी कुमारस्वामी ने आठ विधायकों को शामिल कर मंत्रिमंडल का विस्तार किया था, जिन विधायकों को मंत्री पद नहीं मिला था उन्होंने गठबंधन की सरकार के जीवन पर चर्चा की थी.

कुछ बीजेपी नेताओं के मुताबिक, 6-8 कांग्रेस विधायक उनके संपर्क में हैं और वह कुछ और विधायकों के बागी होने का इंतजार कर रहे हैं.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगाया था. इसके साथ उन्होंने कट्टी को अगले 24 घंटे में सरकार नहीं गिरने पर इस्तीफा देने के लिए कहा था.

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा ‘बीजेपी निराश है. वह सत्ता में आने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है, लेकिन कोई भी कांग्रेस विधायक उनके साथ जाने के लिए तैयार नहीं है. हाल ही में हुई हार के बाद बीजेपी को पूरे देश में हार का सामना करना पड़ा है. हारी हुई पार्टी के साथ कौन जाना पसंद करेगा? बीजेपी नेता इस प्रकार के बयान देते रहते हैं उन्हें तवज्जो देने की कोई जरूरत नहीं है.’

कमलनाथ की सरकार बनवाने में मददगार अब खफा हैं

मध्य प्रदेश सरकार में 28 विधायकों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ले ली है, जिसमें मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री गैरकांग्रेसी नहीं हैं

बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन के गाजे बाजे लेकर इकट्ठा हुईं राजनीतिक पार्टियों अब खुद ही नहीं एकजुट हो पा रही हैं. मध्य प्रदेश सहित तीन राज्यों में कांग्रेस भले ही जीत गई हो, लेकिन महागठबंधन में शामिल पार्टियों को एकजुट नहीं कर पा रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के एक फैसले ने महागठबंधन की अहम कड़ी बनकर उभर रही समाजवादी पार्टी को नाराज कर दिया. समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बयान दिया है कि बीजेपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में बनने जा रहा गठबंधन गैर-कांग्रेसी होगा.

कमलनाथ के कैबिनेट एक भी गैर-कांग्रेसी मंत्री नहीं

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार में 28 विधायकों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ले ली है. इस मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री गैरकांग्रेसी नहीं हैं. कमलनाथ ने ऐन मौके पर समर्थन देने वाली एसपी और बीएसपी के भी विधायकों को शामिल नहीं किया.

मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही मंत्री नहीं बनने वाले विधायकों की नाराजगी सामने आनी शुरू हो गई थी. पहले कांग्रेस के कई विधायकों के समर्थकों की नाराजगी सामने आई, उसके बाद अब एमपी में कांग्रेस को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी ने भी आंखें दिखा दी हैं.

अब अगर मध्य प्रदेश की नई कैबिनेट की बात करें तो कई कारण हैं कि कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के एकमात्र विधायक को कैबिनेट में जगह क्यों नहीं दी. दरअसल, मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 116 विधायक चाहिए थे, कांग्रेस के पास 114 विधायक थे, जबकि एसपी के एक और बीएसपी के दो विधायक थे. नतीजों के ही दिन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. इसके अलावा चार निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दिया था.

पहले ही एसपी-बीएसपी और निर्दलियों को कैबिनेट से बाहर रखने वाली थी सरकार?

कमलनाथ ने सरकार गठन के बाद कहा था कि एसपी और बीएसपी ने समर्थन के एवज में कोई मांग नहीं की है, ना ही किसी निर्दलीय विधायक ने मंत्रिपद की मांग की है. कमलनाथ के इस बयान के बाद ही ऐसी संभावना हो गई थी कि शायद ही मंत्रिमंडल में गठबंधन के साथी शामिल होंगे.

वहीं, अगर कमलनाथ मंत्रिमंडल में सामाजवादी पार्टी के विधायक को शामिल करते, तो बीएसपी की अनदेखी आसान नहीं होती. इसके अलावा निर्दलीयों को भी शामिल करना पड़ता, क्योंकि चार निर्दलीयों में से दो तो कांग्रेस के ही बागी हैं. यही कारण है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिर्फ अपनी ही पार्टी के विधायकों को सरकार में शामिल करना उचित समझा.

हालांकि, अब मामला बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस के ही विधायक बने जयस संगठन के मुखिया हीरालाल आलावा की बगावत के बाद अखिलेश यादव ने भी नाराजगी दिखाई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस इन संकट से कैसे पार पाती है. हालांकि, अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में अपने हाथ खींच नहीं सकते, क्योंकि उन्होंने समर्थन देने का फैसला खुद ही किया था.

H D Devegowda upset for not inviting on the inaguration of Bogibeel bridge he laid the foundation of

PM Modi on Tuesday inaugurated the 4.9 km long bridge at Bogibeel across Brahmaputra river.

BENGALURU: While the inauguration of the Bogibeel Bridge by Prime Minister Narendra Modi in Assam on Tuesday was welcomed by many, it reportedly brought disappointment for former Prime Minister and JD (S) supremo HD Deve Gowda, who had laid the foundation stone of the longest rail-cum-road bridge, over not being invited to the event.

Though the PM inaugurated the 4.9 km long bridge at Bogibeel across Brahmaputra river, built at a cost of Rs 5,900 crore, its foundation stone was laid by Gowda when he was the prime minister in 1997.

“Railway line to Kashmir, Delhi Metro and Bogibeel rail-road bridgewere among the projects I had sanctioned (as prime minister). I had sanctioned the budget of Rs 100 crore for each of these projects and laid their foundation stones. People have forgotten today,” Gowda said.

Replying to a question from reporters on the sidelines of a function in Bengaluru as to how he felt about the inauguration of the project started by him, the former prime minister said he had given the nod for many projects.

To a question whether he received an invitation, Gowda quipped, “Aiyo Rama! Who will remember me? Some newspapers might have mentioned about it.”

On the enormous delay in completing the project, he said, “That is where I differ. I completed the Hassan-Mysuru project in 13 months. I completed two bridges on time. Anagwadi bridge (across Ghataprabha). Go and see the bridge on Krishna river.

“Some people from Bombay Karnataka region say that Deve Gowda did not do anything (for the north Karnataka region), go and see it,” he added. 

Amid much fanfare, the Prime Minister on Tuesday inaugurated the country’s longest rail-cum-road bridge over the Brahmaputra river at Bogibeel near Dibrugarh in Assam.

The PM, who reached Dibrugarh in the afternoon from New Delhi, flew directly to Bogibeel in a chopper and dedicated the 4.94-km-long double-decker bridge to the nation from the south bank of the river.

After greeting people, standing on the foothold of his vehicle, PM Modi deboarded the car and walked a few metres on the bridge along with Assam Governor Jagdish Mukhi and Chief Minister Sarbananda Sonowal.

The PM crossed the bridge in his cavalcade to the north bank of Brahmaputra, where he flagged off the Tinsukia-Naharlagun Intercity Express.

The train will run five days a week. 

The 4.9-km bridge will cut down the train-travel time between Tinsukia in Assam to Naharlagun town of Arunachal Pradesh by more than 10 hours.

The strategically important bridge, which begins at Dibrugarh and ends at Dhemaji districts of Assam, will remove communication bottlenecks to several districts of Arunachal Pradesh.

The Bogibeel Bridge, which was a part of the Assam Accord and sanctioned in 1997-98, is also likely to play a crucial role in defence movement along the India-China border in Arunachal Pradesh.

The foundation stone of the project was laid by former prime minister H D Deve Gowda on January 22, 1997, while work commenced on April 21, 2002, under the Atal Bihari Vajpayee-led government. The Congress-led UPA government had declared it a national project in 2007.

December 25 happens to be Vajpayee’s birth anniversary.

Due to an inordinate delay in its implementation, the cost of the project escalated by 85 per cent to Rs 5,960 crore from the sanctioned estimated cost of Rs 3,230.02 crore. The total length of the bridge was also revised to 4.94 km from the earlier 4.31 km.

The bridge is part of the infrastructure projects planned by India to improve logistics along the border in Arunachal Pradesh.

“The bridge will enhance the national security of the eastern region by facilitating the swift movement of defence forces and their equipment. It was constructed in such a way that even a fighter jet can land on it in case of emergency,” a source said.

A senior army official had earlier said the biggest advantage of the bridge will be an easy movement of troops from southern to northern bank.

“This means travelling to the farthest most point of India’s border with China will be shortened by several hundred kilometers,” he had said.

Northeast Frontier Railway (NFR) Chief Public Relations Officer Pranav Jyoti Sharma had also said that the bridge will provide logistical support for the Indian Army manning the border.

The road distance from Dibrugarh to Itanagar will be reduced by 150 km and the railway travel distance between these two points will shorten by 705 km, he had said.

The bridge and the train will be a boon for the people of Dhemaji as major hospitals, medical colleges and airport are in Dibrugarh, the third-largest city in the Northeast. 

The Congress alleged that the raid on the house of Ramesh Kumar Sharma was illegal

The Congress alleged that the raid on the house of Ramesh Kumar Sharma was illegal.


The Congress lashed out at the Modi government over the Enforcement Directorate’s raid on the house of a senior journalist in connection with alleged defence deals by three persons linked to firms of Robert Vadra.

The searches, ED officials said, were carried out in Delhi-NCR and Bengaluru, and were also related to cases of assets held abroad.


The Congress lashed out at the Modi government over the Enforcement Directorate’s raid on the house of a senior journalist in connection with alleged defence deals by three persons linked to firms of Robert Vadra.

Party spokesperson Randeep Singh Surjewala said that the searches were “vendetta politics” by the Modi government, which is “unnerved” by the prospect of defeat in the assembly elections in five states.

Surjewala alleged that raid on the house of Ramesh Kumar Sharma, the father-in-law of one of the persons linked to Vadra, was “illegal”.

“Ramesh Kumar Sharma is a 64-year-old man and the vice-president on Hindustan Times. They have illegally raided his house without a warrant and detained him and his wife for 10 hours. They also ransacked his house,” Surjewala alleged.

Attacking Prime Minister Narendra Modi over the searches and especially the raid on Sharma’s house, Surjewala said that it is an attack on the freedom of press.

“Is this how the family of a journalist should be treated? Will you enter and vandalise any journalist’s home in this manner? Is this not an attack on freedom of press?” Surjewala said.

“Who gave Modi-ji this right? He must answer what kind of rule of law attacks journalists,” the Congress spokesperson said.

Surjewala also alleged that the raids were conducted on the offices of Vadra without any FIR or search warrant.

On Friday, the ED raided the premises of three persons, two of them linked to Vadra – Rahul Gandhi’s brother-in-law. The agency reportedly said that the suspects had acquired assets abroad, allegedly using commissions from the defence deals.

The searches were conducted in the Delhi-NCR and Bengaluru.

सोमनाथ मंदिर को सोने से मढ़ने का संकल्प लेना चाहिए: अमित शाह


शाह ने कहा, ‘एकमात्र जवाब है…मंदिर के वैभव को बहाल करने के लिए एक संकल्प लें. जिस गति से कार्य चल रहा है, आप जल्द ही मंदिर के ऊपर लगे सभी कलशों को स्वर्ण में मढ़ा देखेंगे.’


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि लोगों को ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर को लूटने वालों के खिलाफ क्रोध की भावना नहीं रखनी चाहिए बल्कि उसे ‘पूरी तरह से सोने से मढ़कर’ उसके पुराने गौरव को बहाल करने का संकल्प लेना चाहिए.

सोमनाथ ट्रस्ट के न्यासी शाह ने यह टिप्पणी पास के तट के किनारे एक पर्यटक पैदल पथ की आधारशिला रखने के बाद की. शाह ने कहा, ‘करीब एक करोड़ श्रद्धालु यहां प्रत्येक वर्ष आते हैं. ट्रस्ट ने भीड़ के लिए इंतजाम के वास्ते कई पहल की हैं. यद्यपि मेरा मानना है कि मंदिर का विकास अधूरा है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे जैसे लोग जो इस मंदिर से बचपन से जुड़े हुए हैं, उनके लिए उसका विकास तब तक बेमतलब है जब तक इसे पूरी तरह से स्वर्ण से मढ़ नहीं दिया जाता.’

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रिकार्ड से पता चलता है कि यह मंदिर कभी सोने और चांदी से ढका हुआ था और उसकी रक्षा के लिए कितने लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी.

उन्होंने कहा, ‘मंदिर को हालांकि पूर्व में कई बार नष्ट किया गया और लूटा गया, लेकिन लोगों को कोई द्वेष नहीं रखना चाहिए और बदला लेने के बारे में नहीं सोचना चाहिए.’

शाह ने कहा, ‘एकमात्र जवाब है…मंदिर के वैभव को बहाल करने के लिए एक संकल्प लें. जिस गति से कार्य चल रहा है, आप जल्द ही मंदिर के ऊपर लगे सभी कलशों को स्वर्ण में मढ़ा देखेंगे.’

बिन्नी बंसल की शिकायत , फिर केस बंद

 

फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिन्नी बंसल की शिकायत पर एक महिला के खिलाफ गैर-संज्ञेय (Non-cognizable) मामला दर्ज किया. शुक्रवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि फिर थोड़ी सी जांच के बाद मामले को बंद कर दिया गया. बंसल को ‘गंभीर व्यक्तिगत दुराचार’ के आरोप लगने के बाद फ्लिपकार्ट के सीईओ पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद बंसल ने महिला द्वारा धमकी भरा मेल भेजने की शिकायत की थी.

कंपनी के मालिक वॉलमार्ट इंकार्प ने पिछले मंगलवार को घोषणा की थी कि बंसल ने समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद से इस्तीफा दे दिया है. गंभीर व्यक्तिगत दुराचार के आरोप की स्वतंत्र जांच के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया. आरोप से इनकार करते हुए 37 साल के बिन्नी ने कहा था कि अपने उपर लगे आरोप से वो स्तब्ध हैं. हालांकि, वह बड़े शेयरधारक और कंपनी के निदेशक मंडल में बने रहेंगे.

अधिकारी ने कहा, ‘कोरोमंगला पुलिस ने महिला के खिलाफ गैर-संज्ञेय मामला दायर किया था. बंसल ने आरोप लगाया था कि महिला उन्हें धमकी भरे मेल भेज रही थी.’ अधिकारी ने कहा कि कुछ दिन की जांच के बाद मामले को बंद कर दिया गया. हालांकि इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया.

गैर संज्ञेय अपराध है क्या?

गैर-संज्ञेय (Non-cognizable) अपराध से तात्पर्य ऐसे अपराध से है, जिसमें पुलिस के पास किसी व्यक्ति को खुद से गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है. इसके तहत उसे आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट और जांच शुरू करने के लिए अदालत की मंजूरी लेनी होती है.

फ्लिपकार्ट का बहुराष्ट्रीय कंपनी वालमार्ट द्वारा अधिग्रहण किए जाने के महीने भर बाद ही बंसल को कंपनी से बाहर होना पड़ा. वह समूह के सीईओ के तौर पर काम कर रहे थे. बेंगलूरू की इस कंपनी में वालमार्ट ने 16 अरब डालर का निवेश किया.

काश्मीर के रास्ते आपना फायदा ढूंढती कांग्रेस


कांग्रेस ने सिर्फ कश्मीर का हित नहीं देखा है. बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दाव चला है


जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया है. इस फैसले की आलोचना हो रही है. पीडीपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस पहली बार एक साथ आ रहे थे. गवर्नर के फैसले के बाद ये सभी दल हतप्रभ हैं. अब ये दल बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार के इशारे पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोका गया है.

PDP का रवैया ज्यादा तल्ख है. राज्यपाल के रवैये से नाराज़ पीडीपी की नेता ने कहा कि बीजेपी के नेता उनकी पार्टी को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे, जब इसमें कामयाबी नहीं मिली तो केंद्रीय एजेंसियों का डर दिखाया गया, अब जब सरकार बनने जा रही थी तो बीजेपी ने राज्यपाल के ज़रिए ये फैसला करा दिया है.

कश्मीर के इस राजनीतिक शह मात में कांग्रेस को कामयाबी मिली है. कांग्रेस ने बीजेपी के बरअक्स ये साबित करने का प्रयास किया है कि वो राज्य में चुनी हुई सरकार को तरजीह दे रही थी. वहीं कांग्रेस ने पीडीपी के साथ जो तल्खी थी वो भी कम कर ली है. एनसी के साथ कांग्रेस के रिश्ते पहले से ही ठीक थे.

अब इस फैसले से कांग्रेस ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी दिया है. कर्नाटक के बाद कश्मीर में भी कांग्रेस बीजेपी को रोकने के लिए कुर्बानी दे रही थी. इससे छोटे दलों को लोकसभा चुनाव से पहले एक मैसेज है कि कांग्रेस सब को साथ लेकर चलने के लिए तैयार है.

कई दौर की मंत्रणा के बाद फैसला

जम्मू कश्मीर में बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद से ही कांग्रेस में कशमकश चल रही थी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के यहां कई दौर की बैठक भी हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए, कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि राजनीतिक हित की जगह कश्मीर के हित में फैसला लिया गया कि वहां घाटी की सबसे बड़ी पार्टियों के साथ ही जाना चाहिए.

इन बैठकों में कांग्रेस के राज्य के नेताओं के साथ बातचीत की गई, इसके अलावा जो लोग कश्मीर के बारे में जानकार हैं उनसे भी राय मशविरा किया गया था. कांग्रेस पहले भी राज्य में पीडीपी और एनसी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दे चुकी है, इसलिए फैसला लेना मुश्किल नहीं था.

 

कांग्रेस का राजनीतिक दाव

कांग्रेस ने सिर्फ कश्मीर का हित नहीं देखा है. बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दाव चला है. कांग्रेस ने ये दिखाने की कोशिश की है कि जब कांग्रेस पीडीपी और एनसी को साथ ला सकती है, तो लोकसभा चुनाव में रीजनल पार्टियों को इकट्ठा कर सकती हैं. जिस तरह से दो दल साथ आए हैं उसको कांग्रेस उदाहरण के तौर पर पेश कर सकती है. जो रीजनल पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ हैं, वो भी कांग्रेस के साथ आ सकती हैं. यही नहीं कांग्रेस ये भी दिखाने का प्रयास कर रही है कि सत्ता पाना महत्वपूर्ण नहीं है जितना बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना है.

बीजेपी बनाम कांग्रेस

बीजेपी 2014 के बाद जिस तरह से मजबूत हुई है. उससे सहयोगी दलों के प्रति बीजेपी का रवैया बदला है. कश्मीर में पीडीपी से अलग होने का फैसला अचानक लिया गया था. इस तरह टीडीपी के साथ बीजेपी ने रिश्ता निभाने का प्रयास नहीं किया है. बल्कि टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के साथ नज़दीकी बढ़ाई गई. यही हाल बिहार में आरएलएसपी के साथ हो रहा है. शिवसेना भी नाराज़ चल रही है. एआईडीएमके में टूट का आरोप भी बीजेपी पर है, लेकिन इन सब मुद्दों पर बीजेपी बेपरवाह नज़र आ रही है.

इस तरह का रवैया पहले मज़बूत कांग्रेस का रहता था. कांग्रेस पर कभी सहयोगी दलों को ही तोड़ने का आरोप लगाया जाता था. कांग्रेस के बारे में ये कहा जाता था कि जो नज़दीक गया उसका राजनीतिक वजूद खत्म हो जाता था. राजनीतिक बाज़ी उलट गयी है. अब यही आरोप बीजेपी पर लग रहा है. जो काम पहले अटल बिहारी वाजपेयी के समय बीजेपी करती थी वो अब कांग्रेस करने लगी है.

90 के दशक में बीजेपी ने शिवसेना की सरकार का समर्थन किया. ममता बनर्जी और नीतीश कुमार को पूरा सहयोग दिया. नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी एनडीए के साथ रखा गया, डीएमके एनडीए की सहयोगी बनी रही, ओडिशा और आन्ध्र में नवीन पटनायक और टीडीपी के काम में कोई दखल नहीं दिया गया. यूपी में मुलायम सिंह की सरकार को बनवाने में बीजेपी की अहम भूमिका थी.

अब ये काम कांग्रेस कर रही है, कर्नाटक में जेडीएस का समर्थन, कश्मीर का फैसला सब यही दर्शाता है कि कांग्रेस गठबंधन को लेकर बीजेपी की नीति पर चल रही है. वही बीजेपी पुराने कांग्रेसी ढर्रे पर चल रही है.

महागठबंधन का एजेंडा

कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने बड़ा गठबंधन खड़ा करने की कोशिश कर रही है. हालांकि अभी कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है. लेकिन कश्मीर का फैसला कांग्रेस की राह आसान कर सकता है.

उत्तर भारत में कई राज्यों का चुनाव चल रहा है, इसमें कांग्रेस को महागठबंधन बनाने में कामयाबी नहीं मिली है. कांग्रेस को गंभीरता से इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है. हालांकि कई बड़े दल का साथ मिला है. कर्नाटक में जेडीएस का साथ मिला है जिसका अच्छा नतीजा उपचुनाव में देखने को मिला है.

टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू भी कांग्रेस के साथ हैं, जिसका नतीजा तेलंगाना चुनाव के बाद पता चलेगा. लेकिन टीडीपी के मुखिया कई सरकारों का सहयोग कर चुके हैं. 1996 में जनता दल की सरकार और बाद में एनडीए की सरकार के संयोजक भी थे. बीजेपी से हाल फिलहाल में ही अलग हुए हैं. कांग्रेस को साउथ में साथी मिल गए हैं, आंध्र और तेलंगाना में टीडीपी, कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में डीएमके और केरल में यूडीएफ चल रहा है.

महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ सीटों के तालमेल पर बातचीत जारी है. कांग्रेस के नज़रिए से अच्छा हल निकलने की उम्मीद है. लेकिन कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में है.

 

कांग्रेस की चुनौती

कांग्रेस की बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में है. जहां से लोकसभा की 80 सीट है. बीजेपी और सहयोगी दल के पास 73 सीट हैं. कांग्रेस के सामने परेशानी है कि एसपी-बीएसपी के प्रस्तावित गठबंधन में शामिल होने के लिए दोनों दलों को मनाए, ऐसा हो जाने पर सम्मानजनक सीट हासिल करने का सिर दर्द है. कांग्रेस के लिए यूपी में अपने सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने के लिए सीटों की दरकार है.

दिल्ली में कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है कि आप से कोई तालमेल करना है या अकेले लड़ना है. पार्टी के केंद्रीय नेताओं और राज्य के नेताओं के बीच मतभेद है. राज्य के नेता अकेले लड़ने के पैरोकारी कर रहे हैं. हालांकि बिहार में कांग्रेस का गठबंधन आरजेडी के साथ है, लेकिन इसमें आरएलएसपी या लोक जनशक्ति पार्टी के तड़के की ज़रूरत है.

कांग्रेस की सबसे बड़ा सिरदर्द बंगाल है. जहां टीएमसी और लेफ्ट को एक साथ लेकर चलना आसान नहीं है. हालांकि राज्य में बीजेपी की ताकत बढ़ रही है लेकिन दोनों दल आमने सामने है. ऐसे में टीएमसी की नेता को लेफ्ट के साथ लाना मुश्किल काम है. कश्मीर फॉर्मूला कितना कारगर होगा ये कयास लगाना आसान नहीं है

वहीं असम में बीजेपी मजबूत है. बीजेपी को हराने के लिए एआईयूडीएफ का साथ ज़रूरी है. लेकिन असम में इस गठबंधन को पार लगाने के लिए तरुण गेगोई को बैकसीट पर रखना ज़रूरी है. हालांकि जिस तरह राहुल गांधी तरुण गोगोई के साथ हैं उससे ये फैसला लेना आसान नहीं है.

कांग्रेस की मजबूरी

कांग्रेस की मजबूरी है कि उत्तर भारत के तकरीबन 175 सीटों पर बीजेपी के मुकाबले रीजनल पार्टियां हैं, कांग्रेस इन्हीं दलों के आसरे पर है. बीजेपी धीरे-धीरे ओडिशा और बंगाल में पैर पसार रही है. रीजनल पार्टियों और कांग्रेस का वोट बैंक एक समान है इसलिए तालमेल में परेशानी हो रही है

सीएम कुमारस्वामी ने महिला किसान से पूछा- पिछले 4 सालों से कहां सो रही थीं?


सैकड़ों किसान उत्तर कर्नाटक में गन्ना खरीद के लिए न्यूनतम मूल्य के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं


कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी के द्वारा एक महिला किसान पर की गई टिप्पणी से हड़कंप मच गया. दरअसल एनडीटीवी के मुताबिक सैकड़ों किसान उत्तर कर्नाटक में गन्ना खरीद के लिए न्यूनतम मूल्य के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच एक महिला किसान ने सीएम का विरोध किया.

जिसके बाद कुमारस्वामी ने कन्नड में जवाब देते हुए कहा, ‘थाई(मां), तुम पिछले चार सालों से कहां सो रही थीं?. सीएम ने यह भी कहा कि प्रदर्शन करने वाले किसान नहीं हैं बल्कि यह भड़काए हुए कुछ समूह हैं.

इस बयान के बाद बीजेपी ने कुमारस्वामी को अवसरवादी कहा है और माफी मांगने की मांग की है. एनडीटीवी के मुताबिक, ‘कर्नाटक बीजेपी प्रमुख और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कहा, ‘कल सीएम कुमारस्वामी ने महिला के लिए जिस तरह के शब्दों का प्रयोग किया वह आज तक किसी सीएम ने नहीं किया. यह मूर्खतापूर्ण है. मैं सीएम से इस मुद्दे पर माफी मांगने की मांग करता हूं.’

हालांकि बाद में कुमारस्वामी ने सफाई देते हुए कहा, ‘मेरे कहने का मतलब यह था कि आप अब क्यों जाग रहे हो, अब तक कहां सो रहे थे?. मैंने महिला का अपमान नहीं किया और जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, वह किसान नहीं हैं बल्कि सुनियोजित प्रदर्शनकारी हैं.’

गौरतलब है कि किसानों ने रविवार को बेलागावी में सुवर्णा विधाना सोउधा पर हमला किया था. पुलिस ने बताया था कि गन्नों के चार ट्रकों के साथ 10 किसान जबरदस्ती यहां घुस आए थे.. कुमारस्वामी के किसानों से बात करने से मना करने की वजह से यह किसान नाराज थे.