अब कांग्रेस के विधायक पहुंचे रिज़ॉर्ट

सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कम से कम आठ विधायक पाला बदल सकते हैं
विधायकों की गैरमौजूदगी को “गंभीरता” से लिया जाएगा और दल-बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्तारुढ़ ग‍ठबंधन में दरार उजागर करते हुए चार नाराज कांग्रेसी विधायक पार्टी विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में शामिल नहीं हुए. हालांकि, कुमारस्वामी ने दावा किया कि गैरहाजिर विधायक उनके संपर्क में हैं और जल्द ही शामिल होंगे. सरकार बचाने के लिए कांग्रेस ने आनन-फानन में अपने विधायकों को रिसॉर्ट में शिफ्ट कर दिया है.

सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कम से कम आठ विधायकों पाला बदल सकते हैं. आंकड़ों के लिहाज से चार विधायकों की गैरमौजूदगी से सात महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस ग‍ठबंधन सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है लेकिन इससे यह संकेत मिलता है कि अब भी असंतोष झेल रही कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है. 

ये 4 विधायक रहे बैठक में गैरहाजिर
कांग्रेस विधायक रमेश जारकीहोली, बी नगेंद्र, उमेश जाधव और महेश कुमाताहल्ली पार्टी विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे. पार्टी उन्हें नोटिस जारी करेगी. हाल ही में कैबिनेट फेरबदल में मंत्रीपद से हटाए जाने के बाद से जारकीहोली बेहद नाखुश थे. बैठक में 76 विधायक मौजूद थे. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि जाधव ने लिखकर कहा था कि वह अस्वस्थ होने के कारण बैठक में भाग नहीं ले सकेंगे वहीं नागेंद्र ने कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल से कहा था कि अदालत में एक मामले के कारण वह बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि दो अन्य विधायकों से कोई सूचना नहीं मिली है.

सिद्धरमैया ने कहा कि अनुपस्थित रहे विधायकों के जवाब मिलने के बाद इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान और राज्य नेताओं के साथ विचार विमर्श किया जाएगा और उसके बाद अगला कदम तय किया जाएगा. बै‍ठक से पहले कांग्रेस विधायकों को जारी नोटिस में सीएलपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने चेतावनी दी थी कि विधायकों की गैरमौजूदगी को “गंभीरता” से लिया जाएगा और दल-बदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

इस बीच, भाजपा के विधायक अब भी गुरुग्राम के एक लग्जरी होटल में ठहरे हुए हैं और पार्टी का कहना है कि विधायकों को कांग्रेसी खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. यह अब भी नहीं पता है कि सोमवार से यहां डेरा डाले विधायक वापस कब लौटेंगे. ग‍ठबंधन सरकार को मंगलवार को पहला झटका तब लगा जब दो निर्दलीय विधायकों ने उससे समर्थन ले लिया था.

भय्यू जी महाराज ने ब्लैक मेलिंग के चलते की आत्म हत्या: आरोपी गिरफ्तार

पलक कुछ निजी वस्तुओं के आधार पर भय्यू महाराज को ब्लैकमेल कर उन पर शादी के लिए दबाव बना रही थी.

इंदौर: 

हाईप्रोफाइल आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज की मौत के सात महीने पुराने मामले में शुक्रवार को अहम मोड़ आ गया, जब उन्हें खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने 25 साल युवती समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया. उनमें भय्यू महाराज के दो सहयोगी शामिल हैं.

डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा ने बताया कि मामले में पलक, विनायक दुधाड़े और शरद देशमुख को गिरफ्तार किया गया है. उन पर भारतीय दंड विधान की धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाना) और अन्य संबद्ध धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

उन्होंने बताया कि पलक (25) पर आरोप है कि वह कुछ निजी वस्तुओं के आधार पर भय्यू महाराज (50) को ब्लैकमेल कर उन पर शादी के लिये दबाव बना रही थी, जबकि आध्यात्मिक गुरु के दो सहयोगी-दुधाड़े और देशमुख इस काम में युवती की कथित तौर पर मदद कर रहे थे. डीआईजी के मुताबिक भय्यू महाराज की पत्नी आयुषी और उनके अन्य नजदीकी संबंधियों ने तीनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस को हाल ही में बयान दर्ज कराए हैं.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक भय्यू महाराज के पूर्व ड्राइवर कैलाश पाटिल ने भी पुलिस को कुछ दिन पहले दिये बयान में कहा था कि पलक यह कहकर आध्यात्मिक गुरू को ब्लैकमेल कर रही थी कि उसके पास उनसे जुडी कुछ निजी वस्तुएं हैं.

भय्यू महाराज का सबसे खास सेवादार दुधाड़े उनकी आत्महत्या के तुरंत बाद चर्चा में आया था. आध्यात्मिक गुरू के कथित सुसाइड नोट में उनके वित्तीय उत्तराधिकार, संपत्ति, बैंक खाते और संबंधित मामलों में दस्तखत का हक दुधाड़े को ही सौंपे जाने का जिक्र था. वह भय्यू महाराज से करीब 15 साल पहले जुड़ा था और साये की तरह उनके साथ रहता था. दुधाड़े मामले में उस समय संदेह के घेरे में आया, जब वह आध्यात्मिक गुरु की खुदकुशी के कुछ समय बाद गायब हो गया था.

पुलिस के मुताबिक, भय्यू महाराज (50) ने यहां अपने बाइपास रोड स्थित बंगले में 12 जून को उनके लायसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.

पुलिस ने भय्यू महाराज के घर से छोटी-सी डायरी के पन्ने पर लिखा सुसाइड नोट बरामद किया था. इसमें उन्होंने लिखा था कि “वह भारी तनाव से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं.”

पुलिस को शुरुआत में संदेह था कि भय्यू महाराज ने कथित पारिवारिक कलह से परेशान होकर खुदकुशी की थी. लेकिन भय्यू महाराज के भक्त इस पहलू को खारिज करते हुए लगातार कह रहे थे कि आध्यात्मिक गुरु की मौत के पीछे कोई गहरी साजिश है और इसके खुलासे के लिये मामले की सीबीआई से जांच करायी जानी चाहिये.

क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों की बिसात है ममता की महारैली

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी एकता का इसे प्रदर्शन माना जा रहा है. “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.” : टीएमसी
भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी गेगोंग अपांग और शत्रुघ्न सिन्हा भी शिरकत करेंगे

कोलकाता: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ बने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन के बाद कोलकाता में शनिवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की विपक्षी दलों की महारैली होने जा रही है. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी एकता का इसे प्रदर्शन माना जा रहा है. यह रैली यहां ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में होगी. हालांकि, विपक्ष के कई नेता इस रैली में नजर नहीं आएंगे.  

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रैली में भाग लेंगे जबकि बसपा की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा के शिरकत करने की संभावना है. हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती खुद इस रैली में हिस्सा नहीं लेंगी. आरएलडी के अजीत सिंह और जयंत चौधरी भी मौजूद रहेंगे. वहीं, रैली में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे. 

उत्तर प्रदेश में नया चुनावी समीकरण बनाने वाली सपा और बसपा सहित सभी बड़ी विपक्षी पार्टियों की इस रैली में मौजूदगी काफी मायने रखती है. वहीं, कांग्रेस को भी यह लगता है कि विपक्ष की महारैली से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण के बारे में गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. रैली का आयोजन कर रही तृणमूल कांग्रेस ने कहा, “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.”

इस रैली में जिन अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है, उनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं. इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के भी शामिल होने की उम्मीद है. कांग्रेस से खड़गे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी रैली में भाग लेंगे. 

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ – साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी भी मंच पर नजर आएंगे. मंगलवार को भाजपा छोड़ने वाले अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग भी रैली में शामिल होंगे. 

बागी घर लौटे,कर्नाटक संकट टला

तथाकथित बागी विधायक अपने खेमे में पहुंचे और पार्टी में अपना विश्वास जताया, कर्नाटक संकट टला और एक पार्टी वैश्विक अपमान से बची

बेंगलुरु: कांग्रेस विधायक दल की शुक्रवार को होने वाली विधायक दल की अहम बैठक से पहले कई कांग्रेस विधायक पार्टी में लौट आए जिससे एचडी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार के लिए संकट के टलने की उम्मीद जगी है. इन विधायकों पर कथित तौर पर भाजपा की नजर थी. कांग्रेस ने पार्टी के अंदर असंतोष थामने की कोशिश तेज कर दी हैं. उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा यहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सरकार को गिराने के किसी भी अभियान में शामिल नहीं है.

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के विधायक भी गुरुग्राम से लौट रहे हैं जहां वे कुछ दिनों से ठहरे हुए थे. सरकार को अस्थिर करने की ‘व्यर्थ कोशिश’ करने को लेकर भाजपा पर हमला करते हुए कुमारस्वामी ने उस पर अपने विधायकों को गुरूग्राम के एक होटल में ‘बंधक बना कर’ रखने का आरोप लगाया. सरकार गठन के अपने प्रयास के तहत कांग्रेस विधायकों को फुसलाने की भाजपा की कथित कोशिशों की खबरों से पैदा राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे कुमारस्वामी ने भगवा पार्टी के इस आरोप को खारिज कर दिया कि वह भाजपा विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. शुक्रवार की कांग्रेस विधायक दल की बैठक को सरकार गिराने की भाजपा की कथित कोशिश के जवाब में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है. सत्तारूढ़ गठबंधन ने कहा है कि भाजपा की कोशिश विफल रही है.

कांग्रेस विधायकों को जारी नोटिस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने चेतावनी दी कि शुक्रवार की बैठक में विधायकों की गैर-मौजूदगी को गंभीरता से लिया जाएगा. सिद्धरमैया ने कहा, “मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि आपकी गैर हाजिरी को गंभरता से लिया जाएगा और यह माना जाएगा कि आपने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिकता सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ने का फैसला कर लिया है.” 
 
उन्होंने कहा कि ऐसे में दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. हुबली में सिद्धरमैया ने दावा किया कि पार्टी के सभी विधायक सीएलपी की बैठक में आएंगे. जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी में लौटने वाले असंतुष्ट विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा तो उन्होंने कहा, “हमने किसी से नहीं कहा है कि हम उन्हें मंत्री या कुछ और बनायेंगे. कांग्रेस में कोई असंतोष नहीं है.” 

कांग्रेस के लिए राहत की बात है कि कुछ और विधायक, जो कथित रूप से पार्टी के संपर्क से कट गए गए थे तथा जिन्हें कथित रूप से भाजपा अपने पाले में करने के लिए बहला फुसला रही थी, सामने आए और उन्होंने पार्टी के प्रति निष्ठा जताई. येल्लापुर के विधायक शिवराम हेब्बार ने बृहस्पतिवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुंडू राव से भेंट की और कहा कि वह परिवार के साथ अंडमान निकोबार गये थे जिसकी योजना एक महीने पहले बनी थी.

उन्होंने अपनी इस यात्रा को वर्तमान घटनाक्रम के साथ महज संयोग बताया और कहा, “मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं… किसी भी कारणसे बिक जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.’’ उनकी तरह कई और विधायकों ने करीब करीब ऐसी ही बात कही. वैसे असंतोष से इनकार करने वाले बल्लारी के विधायक बी नागेंद्र ने अदालती सुनवाई के चलते विधायक दल की बैठक में पहुंच पाने पर संदेह प्रकट किया.

कुमारस्वामी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष येद्दियुरप्पा का बार बार यह दावा करना कि मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस जदएस के नेता उनकी पार्टी के विधायकों को लालच दे रहे हैं, उनके लिए हैरत की बात है. उन्होंने कहा, ‘‘वे (सरकार को अस्थिर करने के लिए) सभी प्रकार की व्यर्थ कोशिशें कर रहे हैं. कौन आगे आगे चल रहा है और (विधायकों को) फुसलाने में जुटा है?’’ 

उन्होंने सवाल दागा, “आज मैं येदियुरप्पा और उनके मित्रों से से पूछना चाहता हूं कि कब तक आप गुरुग्राम के एक होटल में ठहरे रहेंगे, आपने किस वजह से विधायकों को बंधक बना रखा है.” बीजेपी पर विधायकों को फुसलाने के लिए ‘हर चीज’ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, “लेकिन अब आप हमपर आरोप मढ़ रहे हैं, यदि आप महसूस करते हैं कि आप जो कुछ कह रहे हैं लोग मान लेंगे, तो आप गलत हैं. लोग सही समय पर भाजपा नेताओं को जवाब देंगे.”  

उधर, येदियुरप्पा ने कहा, “बीजेपी से कोई भी किसी भी प्रकार के अभियान या कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के विधायकों को फुसलाने में नहीं लगा है.’’ उन्होंने कहा, “हमने एक स्थान पर अपने सभी विधायकों को एकत्रित किया था और पिछले दो तीन दिन से आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा कर रहे थे. आज सभी लौट रहे हैं.” उन्होंने कहा, “हम अपने विधायकों को एकत्रित करते हैं तो उन्हें डर किस बात का है, मुझे समझ में नहीं आता. कांग्रेस और जेडीएस के बीच की अंदरूनी लड़ाई नियंत्रण के बाहर जा रही है, अपनी अंदरूनी लड़ाई पर पर्दा डालने के लिए वे भाजपा पर दोष मढ़ रहे हैं.”

घृणा भरी बयानबाजियों पर कांग्रेस की चुप्पी यह दर्शाती है कि इस प्रकार के सभी ‘जहरीले’ विचारों को नेतृत्व से मंजूरी मिली हुई है: बीजेपी

‘फ्लू का तो उपचार है लेकिन कांग्रेस नेता की मानसिक बीमारी का उपचार मुश्किल है.’ गोयल
इस प्रकार के बयान कांग्रेस नेतृत्व के निराशा को भी दिखाते हैं: राठौड़
यह विचारों को दीवालियापन है और नैतिक मूल्यों की कमी है: जी वी एल नरसिम्हा राव

नई दिल्ली: बीजेपी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के ‘स्वाइन फ्लू’ पर कांग्रेस नेता बी के हरिप्रसाद के तंज पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि फ्लू का इलाज है लेकिन विपक्षी दल के नेता के मानसिक स्वास्थ्य का इलाज मुश्किल है. 

बीजेपी ने कांग्रेस से हरिप्रसाद को पार्टी से बर्खास्त करने और घृणित बयान के लिए सरेआम माफी मांगने की मांग की है. बीजेपी ने दावा किया कि इन बयानबाजियों पर विपक्षी दल की चुप्पी यह दर्शाती है कि इस प्रकार के सभी ‘जहरीले’ विचारों को नेतृत्व से मंजूरी मिली हुई है.

दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी के हरिप्रसाद ने बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के खराब स्वास्थ्य पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि उन्हें स्वाइन फ्लू इसलिए हुआ क्योंकि उनकी पार्टी ने कर्नाटक में कांग्रेस और जेडी(एस) सरकार को कथिततौर पर अस्थिर करने की कोशिश की है. 

बीजेपी नेताओं ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया
केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा,‘कांग्रेस सांसद बी के हरिप्रसाद ने बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ जिस प्रकार की घृणित और अभद्र टिप्पणी की है वह कांग्रेस के स्तर को दिखाती है. फ्लू का तो उपचार है लेकिन कांग्रेस नेता की मानसिक बीमारी का उपचार मुश्किल है.’ गोयल के अलावा राज्यवर्धन सिंह राठौड़, मुख्तार अब्बास नकवी तथा पार्टी के अन्य नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. 

नकवी ने कहा, ‘यह पूरी तरह से घृणित और भद्दा बयान है. इनमें इतनी शालीनता भी नहीं है कि किसी की बीमारी पर किस प्रकार से प्रतिक्रिया देते हैं.’ वहीं राठौड़ ने इस बयान पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह यह देख का जरा भी अचंभित नहीं हुए कि कांग्रेस के नेताओं ने शालीनता और मर्यादा को एकदम त्याग दिया है. इस प्रकार के बयान कांग्रेस नेतृत्व के निराशा को भी दिखाते हैं.

वहीं बीजेपी प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि हरिप्रसाद का बयान कांग्रेस के नैतिक पतन को दिखाता है. यह विचारों को दीवालियापन है और नैतिक मूल्यों की कमी है.

पार्टी के अन्य प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने हरिप्रसाद के बयान को शर्मनाक बताया और कहा कि यही कांग्रेस का वास्तिव चेहरा है. उन्होंने कहा कि शाह ने खुद ही अपनी बीमारी लोगों को बताई है ऐसे में कांग्रेस नेता के बयान से जनता को दुख पहुंचेगा.

WJI ने दिल्ली में अपना मांग पत्र PMO को सौंपा

महाधरना के बाद WJI ने‌  देश की मीडियाकर्मियों की 28 मांगों का ज्ञापन PMO को सौंपा

WJI ने अपने सदस्यों को 3 लाख का दुर्घटना बीमा  देने की घोषणा की

नई दिल्ली /  वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया ने 16 जनवरी अपने स्थापना दिवस के अवसर पर  मीडिया महा धरना का आयोजन किया।

पिछले कुछ समय से पत्रकारों की मांगो को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ काफी सक्रिय रहा है।

देश में पत्रकारों का शीर्ष संगठन है। यह  संगठन पत्रकारों के कल्याणार्थ समय समय पर रचनात्मक और प्ररेणादायक कार्यक्रम और आंदोलन चलाता रहा है।इसको देश के विभिन्न राज्यों से आये पत्रकार संगठन समर्थन दे रहे है।

वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी और राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी ने

आज के महाधरना में पत्रकार एकजुटता का दृश्य देखने को मिला।देश के 12 राज्यों के पत्रकार और कई पत्रकार संगठन धरना में आकर सरकारों के प्रति आक्रोश व्यक्ति किया।पत्रकारों का खाना था केंद्र सरकार तो नया मीडिया आयोग बना रही है और न ही ऑनलाइन मीडिया को मंदिर का दे रही है जबकि पूरे देश में मीडिया कर्मी देश को मजबूत बनाने का काम करते हैं। महा धरना के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी के नेतृत्व में WJI  प्रतिनिधिमंडल pmo पहुंचा और वहां पर पत्रकारों की 28 मांगो का ज्ञापन सौंपा गया।

आज  WJI ने अपने स्थापना दिवस पर अपने सदस्य पत्रकारों के हित में 3 लाख दुर्घटना बीमा की घोषणा की।

माहौल उस समय बहुत ही उत्साहवर्धक हो गया जब भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार,  संगठन महामंत्री अनीश मिश्रा और संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों की मांगों का समर्थन दिया।

वर्किंग जर्नलिस्ट आफ India  WJI प्रवक्ता उदय मन्ना ने बताया कि पत्रकारों में जो आक्रोश भरा वो कोई भी दिशा ले सकता है। मीडियाकर्मी RJS स्टार सुरेंद्र आनंद के गीत ने माहौल में जोश भर दिया।

 वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों द्वारा तैयार मांग पत्र जिसमे सरकार से मांग हैः-

वर्तमान समय की मांगों पर ध्यान में रखते हुए वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में संशोधन किया जाये।

कार्यकारी पत्रकार अधिनियम में इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेब मीडिया, ई-मीडिया और अन्य सभी मीड़िया को

अपने अधिकार क्षेत्र में लाया जाये।

भारत की प्रेस काउंसिल के स्थान पर मीडिया काउंसिल बनाई जाये। जिससे पीसीआई के दायरे और

क्षेत्राधिकार को बढ़ाया जाये।

भारत के सभी पत्रकारों को भारत सरकार के साथ पंजीकृत किया जाये और वास्तविक मीड़िया

पहचान पत्र जारी किया जायें।

जिन अखबारों ने वेज कार्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया उन पर सरकारी विज्ञापन देने पर

कोई अनुशासत्मक प्रतिबंध हो।

केन्द्र सरकार लघु व मध्यम समाचार पत्रों को ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन जारी करने के अपने

नियमों को जल्द से जल्द परिवर्तित करे।

देश में पत्रकार सुरक्षा कानून तैयार किया जाये।

तहसील और जिला स्तर के संवाददाताओं एवं मीडिया व्यक्तियों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाईन

सेवायें उपलब्ध कराई जायें।

भारत में सभी मीड़िया संस्थानों को वेज बोर्ड की सिफारिशों को सख्ती से लागू करवाने के नियम बनाये जाये।

ड्यूटी के दौरान अथवा किसी मिशन पर काम करते हुये पत्रकार एवं मीडियाकर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिजन को 15 लाख का मुआवजा और परिजनों को नौकरी दी जाये।

सभी पत्रकारों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा ओर सेवानिवृति की उम्र 64 वर्ष की जाये।

सभी पत्रकारों को राज्य एवं केन्द्र सरकारों की तरफ से चिकित्सा सुविधा और बीमा सुविधा दी जाये।

पत्रकारिता नौकरियों में अनुबंध प्रणाली का उन्मूलन किया जाये।

कैमरामैन समेत सभी पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों को कवर करने के लिए कोई पांबदी नहीं होनी चाहिए।

बेहतर पारस्परिक सहयोग के लिए जिला स्तर पुलिस-पत्रकार समितियां गठित की जाये।

 शुरूआती चरणों में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा पत्रकारों से संबंधित सभी मामलों की समीक्षा की जाये

और पत्रकारों से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाये।

मीड़िया व्यक्तियों को देश भर में उनकी संस्थान के पहचान पत्र के आधार पर सड़क टोल पर भुगतान

करने से मुक्त किया जाये।

पत्रकारों को बस और रेल किराये में कुछ रियायत प्रदान की जाये।

केन्द्रों और राज्य सरकारें PIB-DIP पत्रकारों की मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया को एकरूपता व सरल बनायें।

समाचार पत्रों से GST खत्म की जाए।

विदेशी मीडिया के लिए भारतीय मीडिया संस्थानों में विनिवेश की अनुमति ना दी जाये।

आनलाईन मीडिया को मान्यता दी जाये उन्हें सरकारी विज्ञापन दिये जायें व उनका सरकारी एक्रीडेशन किया जाये।

केन्द्र सरकार अविलम्ब नये मीडिया आयोग का गठन करें।

संविधान में मीडिया को चौथे स्तम्भ के रूप में संवैधानिक दर्जा दिया जाये।

महिला पत्रकारों के लिए होस्टल बनाये जायें।

पत्रकारों की रिहायश के लिए सस्ती दरों पर भूखंड आबंटित किये जायें। अलग-अलग राज्यों से पत्रकार और WJI पदाधिकारी भी उपस्थित रहे और संबोधन दिया।

हरियाणा

भूपिंदर सिंह

धर्मेंद्र यादव

अमित चौधरी

राजिंदर सिंह

मोहन सिंह

राज कुमार भाटिया

उत्तर खंड

सुनील गुप्ता  महा सचिव उत्तरखंड  व कार्यकारिणी सदस्य

लखनऊ

पवन श्रीवास्तव अध्यक्ष उत्तर प्रदेश व कार्यकारिणी

विशेष

Mr अशोक मालिक – राष्ट्रीय अध्यक्ष

नेशनल यूनियन ऑफ जॉर्नलिस्ट

मनोहर सिंह अध्यक्ष

दिल्ली पत्रकार संघ

संजय राठी अध्यक्ष

हरियाणा यूनियन ऑफ जॉर्नलिस्ट

चंडीगढ़ से नेशनल मीडिया कन्फेडरेशन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा,

राष्ट्रीय मीडिया फाउंडेशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष आशीष पाण्डेय,

दिल्ली एनसीआर की टीम आरजेएस मीडिया

इसके अलावा WJI की‌ राष्ट्रीय कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय,संजय सक्सेना

कोषाध्यक्ष अंजलि भाटिया,

सचिव अर्जुन जैन,विपिन चौहान आदि ने महाधरना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आशा है पत्रकारों के संगठनों की एकजुटता का प्रयास सरकार का ध्यान आकर्षित करेगा।

सीएम कुमारस्वामी बोले-सरकार को कोई खतरा नहीं

पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के वरिष्ठ नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा, ‘दो विधायकों की समर्थन वापसी से सरकार को कोई खतरा नहीं है. दोनों निर्दलीय हैं. इसे ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है, मीडिया बेकार में इसे तूल दे रही है.’ 
‘मैं अपनी ताकत को जानता हूं. मेरी सरकार स्थिर है. चिंता मत करिए.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे कन्नड़ (टीवी) चैनलों में पिछले एक हफ्ते से जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, मैं उसका लुत्फ उठा रहा हूं.’ : कुमारस्वामी

बेंगलुरू:

कर्नाटक में सात माह पुरानी एच डी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को झटका देते हुए दो निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को अपना समर्थन वापस ले लिया. दोनों विधायकों ने यह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन और बीजेपी की ओर से एक-दूसरे पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने के बीच उठाया है. एच नागेश (निर्दलीय) और आर शंकर (केपीजेपी) ने राज्यपाल वजुभाईवाला को पत्र लिख कर तत्काल प्रभाव से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले से अवगत कराया है. 

इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के वरिष्ठ नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा, ‘दो विधायकों की समर्थन वापसी से सरकार को कोई खतरा नहीं है. दोनों निर्दलीय हैं. इसे ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है, मीडिया बेकार में इसे तूल दे रही है.’ 

मालूम हो कि फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए इन विधायकों ने अपने-अपने पत्र में राज्यपाल से आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है. इससे राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या घटकर 118 हो जाएगी. हालांकि, सरकार को अब भी कोई खतरा नहीं है.

सीएम कुमारस्वामी बोले-सरकार को कोई खतरा नहीं
इससे बेपरवाह कांग्रेस और जद (एस) शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है. इस घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी सरकार स्थिर है और ‘वह पूरी तरह निश्चिंत हैं.’ नागेश और शंकर ने यह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा खरीद-फरोख्त किये जाने के डर से भाजपा के 104 विधायकों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पास हरियाणा के नूह जिले में एक रिसॉर्ट में ठहराए जाने की खबरों के बीच उठाया. हाल में मंत्रिपरिषद में हुए फेरबदल में शंकर को मंत्री पद से हटा दिया गया था, जबकि नागेश मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे.

मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया के दौरान शंकर ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन आखिरी वक्त में कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की थी. कांग्रेस के पूर्व सदस्य नागेश ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इस घटनाक्रम से तनिक भी परेशान नहीं दिखने की कोशिश करते हुए कुमारस्वामी ने कहा, ‘मैं अपनी ताकत को जानता हूं. मेरी सरकार स्थिर है. चिंता मत करिए.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे कन्नड़ (टीवी) चैनलों में पिछले एक हफ्ते से जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, मैं उसका लुत्फ उठा रहा हूं.’

जदएस नेता ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘क्या होने जा रहा है? यदि दो निर्दलीय (विधायक) समर्थन करने (भाजपा को) की घोषणा भी कर दें तो क्या संख्या होगी? मैं पूरी तरह से निश्चिंत हूं.’ इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर, वरिष्ठ मंत्री डी के शिवकुमार, गृह मंत्री एम बी पाटिल और पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मीडिया इस ‘ऑपरेशन लोटस’ को लेकर बेवजह शोर मचा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार को कोई खतरा नहीं है. मैं सरकार को खतरा होने के बारे में समाचार चैनलों पर धारावाहिक की तरह दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों का आनंद लेता हूं.’ पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने भी कहा कि उनके बेटे के नेतृत्व वाली सरकार को कुछ भी नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘यह मीडिया समेत किसी के भी हाथ में नहीं है.’ उन्होंने कहा कि आप कितना भी शोर मचा लें, कुछ भी नहीं होगा क्योंकि यह ईश्वर के हाथ में है. उन्होंने कहा, ‘जब एक पार्टी (जदएस) के 38 विधायकों को एक राष्ट्रीय पार्टी (कांग्रेस) का आशीर्वाद प्राप्त है, ऐसे में सब ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है.’ 

देवगौड़ा ने भाजपा की ओर से सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को 60 करोड़ रुपये और मंत्री पद की पेशकश किये जाने के आरोपों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि ‘क्या यह अच्छा लगता है कि एक राष्ट्रीय पार्टी (भाजपा) अपने 104 विधायकों को सुरक्षित स्थान पर रखे हुए है? मैं अमित शाह के बारे में बात नहीं कर रहा, बल्कि मोदी के बारे में कह रहा हूं जो दिन भर ढेर सारी बातें करते हैं.’

इस बीच, कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने दो विधायकों की समर्थन वापसी के बाद कर्नाटक की एच डी कुमारस्वामी सरकार के सामने किसी खतरे की आशंका को मंगलवार को खारिज किया और कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त की भाजपा की ‘‘घिनौनी और गलीज’’ कोशिशों के बावजूद गठबंधन सरकार बनी रहेगी.

वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि भाजपा दल बदल करने के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के विधायकों को ‘ढेर सारी चीजों की पेशकश कर रही है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘हमें यकीन है कि कुमारस्वामी सरकार बनी रहेगी. वे हमारे विधायकों को ढेर सारी चीजों की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन हमें पूरा यकीन है.’ वेणुगोपाल ने कहा, ‘हम अपने सभी विधायकों के साथ संपर्क में हैं. हमारे लोग हमारे साथ हैं. हमारी सरकार बनी रहेगी.’ पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने ताजा घटनाक्रम पर विचार करने के लिये बुधवार को अपने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार तथा शोभा करंदलाजे जैसे वरिष्ठ नेताओं समेत पार्टी के 104 विधायक सोमवार से ही हरियाणा के नूह जिले के हसनपुर तौरू में आईटीसी ग्रैंड भारत रिसॉर्ट में ठहरे हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि भाजपा विधायकों को रिसॉर्ट में इसलिये ठहराया गया है ताकि कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की ओर से खरीद-फरोख्त की कोशिशों से उन्हें बचाया जा सके. शेट्टार ने कहा, ‘हम रिसॉर्ट में ठहरे हुए हैं. हमें नहीं पता कि हम कितने समय तक यहां रुकेंगे.’ 

येदियुरप्पा ने उन खबरों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि कर्नाटक सरकार को गिराने के लिये भाजपा ‘ऑपरेशन लोटस’ का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है और कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन विपक्षी विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहा है. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 104, कांग्रेस के 79, जद (एस) के 37, बसपा, केपीजेपी के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक के अतिरिक्त विधानसभा अध्यक्ष हैं.

भाजपा के 100 विधायक दिल्ली में ओर कांग्रेस्स के 5 विधायक गायब

कर्नाटक की राजनीतिक उथल-पुथल में एक नया मोड़ आया है. बेंगलुरू का राजनीतिक ड्रामा अब राजधानी दिल्ली तक पहुंच चुका है. दरअसल बीजेपी ने पहले तो अपने 100 विधायकों को दिल्ली बुलाया. फिर दिल्ली के पास गुड़गांव में एक रिसॉर्ट में भेज दिया.

बीजेपी का आरोप है कि राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा, ‘जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) बीजेपी विधायकों को तोड़ना चाहता है. हम एकजुट हैं. हम एक-दो दिन दिल्ली में रहेंगे.’

दोनों पार्टियां एक दूसरे पर लगा रही हैं खरीद-फरोख्त का आरोप

कांग्रेस पार्टी भी लगातार आरोप लगा रही है कि बीजेपी कर्नाटक में विधायकों की खरीद फरोख्त कर के वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है. इस पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम एक वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.’

कांग्रेस ने कहा है कि लापता विधायकों का एक समूह इस बात का सबूत है कि बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ लॉन्च किया है. यह शब्द पहली बार 2008 में इस्तेमाल किया गया था, जब बीजेपी पर कई विपक्षी विधायकों को उकसाने का आरोप लगाया गया था. ताकि येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली अपनी सरकार की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में, जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन में 118 विधायक हैं, जो बहुमत के 113 के आंकड़े से अधिक है. बीजेपी के पास 104 विधायक हैं और यह आवश्यक संख्या से बहुत कम है.

कांग्रेस के पांच विधायक भी गायब हैं लेकिन येदियुरप्पा के संपर्क में हैं

लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी कोशिश कर रही है, यही कारण है कि उसके पांच विधायक गायब हो गए हैं. कुमारस्वामी का दावा है कि वे मुंबई के एक होटल में हैं और उनके संपर्क में हैं. मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘वे सभी (कांग्रेस विधायक) मुझसे लगातार संपर्क में हैं. वे मुझे सूचित करने के बाद मुंबई चले गए. मेरी सरकार किसी भी खतरे में नहीं है.’

कुमारस्वामी ने कहा ‘मुझे पता है कि बीजेपी किससे संपर्क करने की कोशिश कर रही है और वे क्या पेशकश कर रहे हैं. मैं इसे संभाल सकता हूं.’ कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य के डिप्टी गवर्नर जी परमेस्वर ने कहा, ‘हमारे कुछ विधायक चले गए हैं, वे मंदिर, छुट्टी, परिवार के कार्यक्रमों के लिए जा सकते हैं, हम नहीं जानते. हमारे सभी विधायक बरकरार हैं.’

मध्य प्रदेश में बीजेपी नेताओं की तरफ से लगातार इशारों-इशारों में इस बात को कहा जा रहा है कि मौजूदा कमलनाथ सरकार कभी भी गिर जाएगी.

 मध्य प्रदेश में बीजेपी नेताओं की तरफ से इशारों-इशारों में इस बात को कहा जा रहा है कि मौजूदा कमलनाथ सरकार कभी भी गिर जाएगी. इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पहली बार सागर पहुंचे नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राहतगढ़ में कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब तक मंत्रियों के बंगले पुतेंगे तब तक सरकार गिर जाएगी. बंगले पुते के पुते रह जाएंगे.

नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष ने आगे कह, ”जिसके हार्ट और किडनी दूसरी पार्टी के हैं, वह सरकार ज्यादा दिन नहीं चलती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार चार माह से ज्यादा नहीं चलेगी.  उन्होंने कहा, ”11 दिसंबर (चुनाव परिणाम के बाद) को बीमार शिशु पैदा हुआ जिसकी किडनी समाजवादी पार्टी, हार्ट बहुजन समाज पार्टी और अन्य अंग निर्दलियों के लगे हैं.

15 दिन के अंदर उल्टी कर देंगे MP सरकार, ऊपर से सिग्नल मिलने की देर: कैलाश विजयवर्गीय
यह पूछे जाने पर कि विपक्षी दल के तौर पर आपकी क्या चुनौतियां है? इसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनता के लिए की गई घोषणाएं सरकार से गला दबाकर पूरी करवाएंगे. उन्होंने कांग्रेस की गुटबाजी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब प्रदेश में 12 मुख्यमंत्री हो गए हैं जो कि सरकार का नियंत्रण कर रहे हैं. यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश: इन बीजेपी नेताओं से छिना पद, अब कांग्रेस सरकार ने थमाया बंगला छोड़ने का नोटिस

MP: कमलनाथ के मंत्री ही उन्हें नहीं मान रहे ‘मुख्य’मंत्री, सिंधिया गुट का अलग राग
सूबे में कांग्रेस के अलग-अलग धड़ों पर भार्गव ने कहा कि इसके कोटे में 7 मंत्री और उसके कोटे में 8 मंत्री, ये कोटे न हुए बल्कि राशन की दुकान हो गई. आपको बता दें कि सीएम कमलनाथ के मंत्रिमंडल में राज्य के तीनों बड़े नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन वाले विधायकों को जगह दी गई है. मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री कमलनाथ के 11, दिग्विजय सिंह के 9, ज्योतिरादित्य सिंधिया के 7 और अरुण यादव खेमे के एक मंत्री को शामिल किया गया है.

भाजपा आलाकमान को छींक भर आ गई, तो MP में हमारी सरकार बन जायेगी: BJP महासचिव
विपक्षी दलों के महागठबंधन को लेकर गोपाल भार्गव ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी का तूफान आता है तो शेर-बिल्ली एक साथ पेड़ पर चढ़ जाते हैं. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पहली बार सागर पहुंचे गोपाल भार्गव का जगह-जगह स्वागत किया गया.

राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार की ‘अस्थिरता’ का कोई सवाल नहीं है : एचडी कुमारस्वामी

बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने कर्नाटक में राजनेतिक हालात को देखकर अपने 102 विधायकों को गुड़गांव के रिज़ॉर्ट में शिफ़्ट करने फ़ैसला किया है

नई दिल्ली/बेंगलुरू: कर्नाटक की सियासत में एक बार फिर से हलचल बढ़ गई है. कुमारस्वामी सरकार पर संकट बढ़ गया है. कांग्रेस ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है. उधर, बीजेपी ने भी पलटवार किया है. सूत्रों के मुताबिक, कोंग्रेस के 10 और जेडीएस के 3 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. बीजेपी की कोशिश है कि जल्दी ही ये 13 विधायकों इस्तीफ़ा दे दें. बीजेपी कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के ख़िलाफ़ अगले हफ़्ते अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है. 

इसके अलावा, बीजेपी ने अपनी पार्टी के विधायकों को दिल्ली बुला लिया है. कर्नाटक विधायकों की बैठक 1:30 बजे दिल्ली के वेस्टर्न कोर्ट एनेक्सी में हुई. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष येदियुरप्पा के साथ -साथ प्रदेश बीजेपी के कई नेता भी मौजूद थे. हालांकि बताया जा रहा है कि बैठक लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई लेकिन सूत्रों का कहना इस बैठक में राज्य के ताजा राजनीतिक हालातों पर चर्चा के साथ-साथ बीजेपी की कोशिश अपने विधायकों को एकजुट रखने और संभावित तोड़-फोड़ से बचाने की है. मीटिंग के बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने कर्नाटक में राजनेतिक हालात को देखकर अपने 102 विधायकों को गुड़गांव के रिज़ॉर्ट में शिफ़्ट करने फ़ैसला किया है. 

कुमारस्वामी ने सरकार गिराने की रिपोर्ट को खारिज किया
उधर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को कहा कि राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार की ‘अस्थिरता’ का कोई सवाल नहीं है. उन्होंने इन रिपोर्टो को भी खारिज किया जिनमें कहा गया है कि बीजेपी उनकी सरकार को गिराने के लिए कथित रूप से ‘ऑपरेशन कमल’ चला रही है. कुमारस्वामी ने हालांकि अपने इस आरोप को दोहराया कि बीजेपी सत्तारुढ़ गठबंधन के विधायकों को लुभाने का प्रयास कर रही है. हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि गठबंधन का कोई भी विधायक पाला नहीं बदलेगा. 

कुमारस्वामी ने कहा, “मैंने मीडिया में आई इन रिपोर्ट (ऑपरेशन कमल) को देखा है. आज भी मैंने एक मीडिया रिपोर्ट देखी जिसमें कहा गया है कि 17 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा. मुझे नहीं मालूम कि मीडिया में इस प्रकार की रिपोर्ट कौन दे रहा है…. मुझे यह रिपोर्ट देखकर बड़ी हैरानी हुई.” उन्होंने कहा, “मुझे नहीं मालूम ऐसी रिपोर्टो से किसको फायदा होगा लेकिन मेरी राय में, इससे राज्य की जनता का नुकसान होगा.” उन्होंने मैसूर में संवाददाताओं से यह बात कही.