गहलोत के मंत्री के बेटे ने राहुल गांधी को बताया ‘पागल’ और ‘वो इटली को मातृभूमि मानते हैं’

राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेशी जमीन पर देश का अपमान करने का आरोप लगाया और राज्य में पार्टी की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसे जनता की समस्याओं से सरोकार नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया राहुल गांधी (gone Bonkers’) बौखला गए हैं। जो दूसरे देश की संसद में अपने देश का अपमान करते हैं। शायद वह इटली को अपनी मातृभूमि मानते हैं। विश्वेंद्र सिंह सबसे प्रसिद्ध कांग्रेस विधायकों में से एक थे, जिन्होंने 2020 में गहलोत प्रशासन के खिलाफ पायलट के साथ विद्रोह किया था। वो उस समय भी पर्यटन मंत्री थे, लेकिन पायलट के समर्थन में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें हटा दिया था। बाद में, कांग्रेस नेतृत्व द्वारा कुछ बागियों को शांत करने में कामयाब होने के बाद उन्हें मंत्री के रूप में बहाल कर दिया गया।

'वो इटली को मातृभूमि मानते हैं'...गहलोत के मंत्री के बेटे ने राहुल गांधी को बताया सिरफिरा
मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह

राजवीरेंद्र वशिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ :
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यूनाइटेड किंगडम में भारत के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजस्थान के मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे ने आलोचना की। राजस्थान के पर्यटन मंत्री के बेटे, अनिरुद्ध, जिन्हें कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है, ने कहा कि..

राहुल गांधी बौने हो गए हैं। दूसरे देश की संसद में अपने देश का अपमान कौन करता है? या शायद वह इटली को अपनी मातृभूमि मानते हैं।

राहुल गांधी के ब्रिटेन में दिए गए उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रहने वाली पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिरुद्ध ने ट्वीट किया कि “क्या वे भारत में ये सब बकवास नहीं बोल सकते हैं? या वह आनुवंशिक रूप से यूरोपीय मिट्टी को पसंद करते हैं?”

अनिरुद्ध कांग्रेस नेता सचिन पायलट के करीबी हैं क्योंकि उन्होंने ट्विटर पर दिए गए परिचय में स्वयं को सचिन पायलट के विचारों को मानने वाला बताया है। उनके पिता विश्वेंद्र ने भी 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान पायलट के साथ अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ बगावत की थी। उस समय मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के भीतर एक गुट उनकी निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश कर रहा है।

कॉन्ग्रेस पार्टी के ऑफिशियल हैंडल से राहुल गाँधी की एक तस्वीर शेयर की गई थी। इस तस्वीर पर कटाक्ष करते हुए अनिरुद्ध ने लिखा – “हाँ, राहुल मानते हैं कि वे एक इटालियन हैं।”

लंदन में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में राहुल गाँधी ने कहा था कि बीजेपी हमेशा सत्ता में नहीं रहने वाली। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिरुद्ध ने लिखा कि क्या यह सब बकवास भारत में नहीं किया जा सकता था या राहुल गाँधी अनुवांशिक रूप से यूरोपीय मिट्टी को पसंद करते हैं?

यह पहली बार नहीं है जब कॉन्ग्रेस नेता और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह के ट्वीट से विवाद खड़ा हो गया हो और कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसकी आलोचना की हो। इसके पहले भी अनिरुद्ध के ट्वीट ने भरतपुर इलाके में बड़ा विवाद खड़ा किया था। अनिरुद्ध ने दिसंबर 2022 में ब्रिटिश शासन की 1935 में प्रकाशित किताब ‘द इंडियन स्टेट्स’ का उल्लेख करते हुए लिखा था कि भरतपुर रियासत के सिनसिनवार जाट जादौन राजपूतों के वंशज हैं।

अनिरुद्ध सिंह की इस बात को लेकर बहुत हंगामा हुआ। जाट महासभा की बैठक में इस बात को खारिज कर दिया गया था। जाट महासभा ने सिनसिनवार जाटों को श्री कृष्ण का वंशज बताते हुए यदुवंशी जाट क्षत्रिय करार दिया था।

बताया जाता है कि अनिरुद्ध और उनके पिता विश्वेन्द्र सिंह के संबंध भी अच्छे नहीं हैं। मई 2021 में अनिरुद्ध ने अपने पिता पर शराब का सेवन करने और माता के प्रति हिंसक होने का आरोप लगाया था। इस दौरान उन्होंने दावा किया था कि 6 हफ्तों से वे अपने पिता के संपर्क में नहीं हैं। अनिरुद्ध ने खुद को मदद करने वाले अपने दोस्तों के कारोबार को नष्ट करने का आरोप भी अपने पिता पर लगाया था। अनिरुद्ध खुद को सचिन पायलट का समर्थक मानते हैं।

अनिरुद्ध ने पुलवामा हमले के शहीद जवानों के परिवार के साथ राज्य की कांग्रेस सरकार के व्यवहार पर भी टिप्पणी की। शहीदों के परिजन अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी, शहीद की मूर्ति स्थापित करने सहित अन्य मांगों को लेकर भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ धरने दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह हमेशा के लिए जारी रहेगा। कांग्रेस पार्टी को ऐसे मामलों की परवाह नहीं है – उन्हें लगता है कि ये मामले उनके इतालवी संचालकों को परेशान करने के लिए बहुत तुच्छ हैं! विश्वेंद्र सिंह ने अपने बेटे अनिरुद्ध की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

“मजबूरी में गौ-मांस खाने वालों की भी हो सकती है घर वापसी”, होसबोले बोले- विश्व गुरु बनकर भारत करेगा दुनिया का नेतृत्व

                   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत में 600 से अधिक जनजातियां कहती थीं कि हम अलग हैं और भारत विरोधी ताकतों ने उन्हें उकसाने का काम किया था। इस पर गोलवलकर गुरुजी ने कहा कि वह हिंदू हैं। ऐसे में हम अगर वसुधैव कुटुंबकम की दिशा में अगर काम कर रहे हैं तो उनके लिए दरवाजे बंद नहीं कर सकते। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि यहां तक कि जिन लोगों ने मजबूरी में गोमांस खाया है, हम उन्हें इस वजह से छोड़ नहीं सकते। हम उनके लिए दरवाजे बंद नहीं करा सकते। यहां तक कि उनकी हम अभी भी घर वापसी करा सकते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निंबाराम और सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निंबाराम और सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले

कोरल’पुरनूर’ डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ जयपुर – 02 फरवरी :

                        राजस्थान के जयपुर में इन दिनों संघ का कार्यक्रम चल रहा है, इसमें शिरकत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले भी पहुंचे हुए हैं। यहां उन्होंने कहा कि भारत में गौ-मांस खाने वालों की भी घर वापसी हो सकती है, क्योंकि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति जन्म से हिंदू है।

                        होसबोले ने कहा कि संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी है, बल्कि वह राष्ट्रवादी है। उन्होंने कहा कि लोग अपने मत एवं संप्रदाय का पालन करते हुए संघ के कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘संघ कठोर नहीं है, बल्कि लचीला है।” उन्होंने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिए। उन्होंने अगली पीढ़ी के कल्याण के लिए पर्यावरण की रक्षा करने पर बल दिया। होसबाले ने कहा कि देश में लोकतंत्र की स्थापना में आरएसएस की अहम भूमिका रही है।

                        उन्होंने कहा, ‘भारत में 600 से अधिक जनजातियां कहती थीं कि हम अलग हैं। हम हिंदू नहीं हैं। भारत विरोधी ताकतों ने उन्हें उकसाने का काम किया था। इस पर गोलवलकर जी ने कहा कि वे हिंदू हैं। उनके लिए दरवाजे बंद नहीं हैं, क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा पर काम करते हैं। किसी ने मजबूरी में गौ मांस ही क्यों न खाया हो, किसी कारण से वे चले गए तो दरवाजा बंद नहीं कर सकते हैं। आज भी उसकी घर वापसी हो सकती है।’

                        होसबोले ने कहा, ‘भारत हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि इस देश को बनाने वाले हिंदू हैं। कुछ लोग कहते हैं कि वेद पुराण में हिंदू नहीं हैं, लेकिन वेद पुराण में ऐसा भी नहीं कि इन्हें स्वीकार नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि सत्य और उपयोगी बातों को स्वीकार करना चाहिए। डॉ. हेडगेवार इस व्याख्या में नहीं पड़े कि हिंदू कौन हैं। भारत भूमि को पितृ भूमि मानने वाले हिंदू हैं, जिनके पूर्वज हिंदू हैं, वे लोग हिंदू हैं। जो स्वयं को हिंदू माने, वो हिंदू है। जिन्हें हम हिंदू कहते हैं, वो हिंदू हैं।’

होसबोले के स्पीच की बड़ी बातें, कहा- संघ सभी मतों और संप्रदाय को एक मानता है

  • संघ न तो दक्षिणपंथी है, और न ही वामपंथी: संघ न तो दक्षिणपंथी है, और न ही वामपंथी है। बल्कि राष्ट्रवादी है। संघ भारत के सभी मतों और संप्रदायों को एक मानता है। ऐसे में सभी के सामूहिक प्रयास से ही भारत विश्व गुरु बनकर दुनिया का नेतृत्व करेगा। संघ ने हर दर्द को सहा और कहा, एन्जॉय द पेन।
  • राष्ट्र जीवन के केंद्र बिंदु पर संघ है: आज राष्ट्र जीवन के केंद्र बिंदु पर संघ है। संघ व्यक्ति निर्माण और समाज निर्माण के कार्य करता रहेगा। समाज के लोगों को जोड़कर समाज के लिए काम करेगा। आज संघ के एक लाख सेवा कार्य चलते हैं। संघ एक जीवन पद्धति और कार्य पद्धति है। संघ एक जीवन शैली है और संघ आज एक आंदोलन बन गया है। हिंदुत्व के सतत विकास के आविष्कार का नाम RSS है।
  • संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिए: संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल चाहिए। केवल दिमाग से काम नहीं चलेगा, क्योंकि दिल और दिमाग बनाना ही संघ का काम है। यही वजह है कि आज संघ का प्रभाव भारत के राष्ट्रीय जीवन में है। देश में लोकतंत्र की स्थापना में RSS की भूमिका रही। ये बात विदेशी पत्रकारों ने लिखी थी।’
  • संघ छपता है तो अखबार बिकता: तमिलनाडु में मतांतरण के विरुद्ध हिंदू जागरण का शंखनाद हुआ था। जब पत्रकार संघ के कहने से खबर तक नहीं छापते थे, लेकिन आज संघ छपता है तो अखबार बिकता है। देश में संघ के सैकड़ों लोगों की हत्याएं हुईं, पर कार्यकर्ता डरे नहीं हैं। संघ सिर्फ राष्ट्र हित में काम करने वाला है और हम नेशनलिस्ट हैं।

                        इस कार्यक्रम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. महेश चन्द्र शर्मा, अशोक परनामी और प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया भी मौजूद थे।

बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे ने किया गठबंधन का एलान

                        2019 के विधानसभा चुनाव में भी प्रकाश आंबेडकर ने दलित-मुस्लिम गठजोड़ बना कि पार्टी ने कांग्रेस-एनसीपी के वोट काटे थे, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ था।  साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर की पार्टी की करीब 10 निर्वाचन क्षेत्रों में एक लाख से ज्यादा वोट पड़े थे। तब प्रकाश आंबेडकर की पार्टी का गठबंधन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से था। तब दलित-मुस्लिम गठजोड़ बना था और एआईएमआईएम के खाते में औरंगाबाद सीट गई थी। 

उद्धव ठाकरे - फोटो : Social Media
  • उद्धव ठाकरे और प्रकाश अंबेडकर आए साथ
  • BMC चुनाव के लिए VBA के साथ गठबंधन की घोषणा
  • MVA गठबंधन में अब VBA भी शामिल

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/मुंबई – 23 जनवरी :

                        आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के साथ हाथ मिलाया है। हालांकि निकाय चुनावों की तारीखों की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन इस कदम को इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि उद्धव की सेना ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सोमवार दोपहर दोनों पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटनाक्रम का ऐलान किया।

                        उद्धव ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘हम संविधान को अक्षुण्ण रखने के लिए एक साथ आए हैं।’ इस दौरान उन्होंने प्रकाश अंबेडकर के साथ मंच साझा किया। गौरतलब है कि उद्धव की महा विकास अघाड़ी सरकार को जून में एकनाथ शिंदे नेतृत्व वाले विद्रोही सेना गुट द्वारा गिरा दिया गया था। MVA गठबंधन के बारे में बात करते हुए, प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस और एनसीपी उनकी वीबीए पार्टी को सहयोगी के रूप में भी स्वीकार करेंगे। अंबेडकर ने ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर भी भाजपा सरकार पर हमला किया।

                        वहीं वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर शिवसेना (यूबीटी) और वीबीए का गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया बदलाव लाएगा। इस कदम से राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां कुछ पार्टियों ने अपने सहयोगियों को कम करने और खत्म करने की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक दल की जीत का फैसला करना लोगों पर निर्भर है। हमारे देश की इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कोई नहीं बदल सकता है।

                        पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि अभी तक चुनाव की कोई घोषणा नहीं हुई है। मैं देशद्रोहियों (शिंदे गुट) को चुनाव कराने की चुनौती देना चाहता हूं। अगर उनमें (शिवसेना शिंदे गुट और बीजेपी में) दम है तो उन्हें चुनाव की घोषणा करनी चाहिए। 

                        इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने आरएसएस प्रमुख पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत मस्जिद गए तो क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया? जब बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन किया तो क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया? वे जो कुछ भी करते हैं वह सही है और जब हम कुछ करते हैं, तो हम हिंदुत्व छोड़ देते हैं, यह सही नहीं है। 

इंडो एथलेटिक्स सोसायटी के नेतृत्व में पुणे से हम्पी तक हेरिटेज राइड सफलतापूर्वक संपन्न 

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 22 दिसंबर  :

            स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्र में भारत में उल्लेखनीय कार्य करने वाली संस्था इंडो एथलेटिक्स सोसाइटी ने पिछले साल पुणे से कन्याकुमारी तक 1600 सौ किलोमीटर की दूरी  साइकिलों से सफलतापूर्वक तय की थी। स्वतंत्रता और इस वर्ष इसने अमृत जयंती वर्ष मनाने के लिए पुणे से हम्पी तक 600 किलोमीटर की दूरी पूरी की है।इसके लिए एक बार फिर आई.ए.एस.की 75 साइकिलें पुणे से हम्पी के लिए साइकिल पर रवाना हुई । उद्यमी अन्ना बिरादर, एफ.डी.सी.लिमिटेड के संदीप कुलकर्णी, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के मुख्य अभियंता ,इंडो एथलेटिक्स सोसायटी के नितिन वानखेड़े सर, प्रकाश शेटबाले,अजीत पाटिल,गणेश भुजबल, गजानन खैरे और अमृता पाटिल ने हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की।

 पुणे से हम्पी की दूरी तीन दिनों में तय की गई। पुणे से मोहोल – 240 किमी,

 मोहोल से बीजापुर – 150 किमी,

 बीजापुर से हम्पी – 220 किमी,

             बीजापुर में गोल घुमट और इब्राहिम रोजा का दौरा किया गया। हम्पी में तीन दिन रहे और विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया।पूरे हम्पी क्षेत्र में ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी ली गई।इस राइड में पुणे, पिंपरी चिंचवाड़, मावल और महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों के साइकिल प्रेमियों ने भाग लिया।  सभी लोगों ने 600 किलोमीटर से अधिक की दूरी साइकिल से तय की। यात्रा के दौरान भिगवां में भिगवान साइक्लिस्ट क्लब ने शर्बत और जलपान प्रदान किया, सोलापुर मौली राजे मंगल कार्यालय एम.आई.डी.सी. सोलापुर के वरिष्ठ अभियंता अशोक मागर सर ने स्वप्निल लोढ़ा द्वारा टेंभुरनी में सभी सुविधाएं प्रदान कीं।  साडू श्री संचेती, वैभव गायकवाड़, मारुति गाडेकर सर,मनोज चोपड़े, सचिन सावंत ने सिरप प्रदान किया। सोलापुर शहर के पास रॉयल साइकिल साइकिल क्लब ने पानी और पोहे प्रदान किए।  संस्थापक सदस्य गजानन खैरे ने कहा कि कोर्ति स्थित रेवनसिद्ध मंदिर में महाप्रसाद का आयोजन किया गया जबकि बीजापुर स्थित अन्ना बिरादर के होटल में ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई.

             इंडो एथलेटिक्स सोसाइटी से गिरिराज उमरीकर, अजीत गोरे, संदीप परदेशी, रमेश माने, श्रीकांत चौधरी, सुशील मोरे, अमित पवार,प्रतीक पवार, नितिन पवार, सुधाकर तिलकर, अविनाश चौगुले,रवि पाटिल, अमृता पाटिल, पूनम रणदिवे,मंगेश पुणे से सवारी हम्पी को दाभाडे, शिवाजीराव काले, स्वप्निल लोढ़ा, दर्शन वाले, हनुमंत शिंदे, गणपत मसल, अभिजीत सरवाडे,रमेश सेन्चा,प्रवीण पवार, धानाजी गोसावी,अभय खाटावकर, दत्तात्रय मेंदुगड़े, राहुल जाधव, मंगेश भुजबल,सुजीत मेनन,माधवन स्वामी, वाल्मीक अहिरराव,  देवीदास खुर्द,अमित काडे,शीतल कुमार चौहान,अनिल पिंपलकर,डॉ.अजीत कुलकर्णी,विवेक सिंह, चैतन्य वज़रकर,अमित कुमार, सुबोध मेडिसीकर,प्रसाद सागरे, संदीप परदेशी, हेमंत डंगट, पंजाबराव इंगले, नरेश चड्ढा,अभिजीत रोडे, तानाजी मांगडे  , संतोष तोंपे,सचिन तोंपे, उमेश सुर्वे,श्रेयस पाटिल, विवेक कडू, सुनीलजी चाको, प्रशांत जाधव, मदन शिंदे, अजीत पुरोहित, ईश्वर जामगांवकर,सागर शिरभाटे,बालाजी जगताप,दीपक उमरंकर, दत्तात्रेय आनंदकर, योगेश तवारे, योगेश कौशिक और अन्य  साइकिल चालकों ने भाग लिया। इंडो एथलेटिक सोसाइटी ने दस वर्षों में भक्ति शक्ति साइक्लोथॉन, घोरवाडेश्वर बाइक और हाइक, पुणे से पंढरपुर साइकिल वारी, पुणे से शिवनेरी दुर्गवारी, नवरात्रि रन, पुणे से गेट ऑफ इंडिया सहित सौ से अधिक सामाजिक गतिविधियों का सफलतापूर्वक संचालन किया है। संस्थान को विभिन्न स्थानीय निकायों से कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। नवरात्रि रन, पुणे से गेट ऑफ इंडिया तक विभिन्न सवारी सफलतापूर्वक आयोजित की गई हैं, संगठन को विभिन्न स्थानीय निकायों से कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।  खेलों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता पैदा करने में संस्था हमेशा आगे रहती है।  स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्र में भारत में उल्लेखनीय कार्य करने में इंडो एथलेटिक्स सोसायटी हमेशा अग्रणी रही है।

छत्‍तीसगढ़ में सनातन धर्म के देवी-देवताओं का कांग्रेस नेता की उपस्थिती में अपमान

            आम आदमी पार्टी के बाद अब कॉंग्रेस के राज में दिलाई गई हिंदू विरोधी शपथ, वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक कार्यक्रम में हिंदू विरोधी शपथ दिलवाई जा रही है। यह वायरल वीडियो छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का बताया जा रहा है। इस वीडियो में हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई जा रही है। वीडियो में एक व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को शपथ दिलाते हुए कह रहा है, “मैं गौरी,गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूँगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूँगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूँगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।” इस दौरान शपथ दोहराने वाले लोगों में महापौर देशमुख भी दिख रहीं हैं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पटना :

 

            कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ से एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में हिंदू विरोधी शपथ दिलवाई जा रही है। वीडियो राजनांदगांव का है। इस दौरान कॉन्ग्रेस की महापौर हेमा सुदेश देशमुख भी मौजूद थीं।

राहुल गांधी के कर्नाटक दौरे के बाद कांग्रेसी नेता के बयानों पर बीजेपी ने कहा था कि रिजिल मकुट्टी के साथ राहुल गांधी के दिखने से साफ हो गया है कि कांग्रेस अपनी हिंदू विरोधी नफरत को छिपाने की कोशिश भी नहीं कर रही है।  दरअसल, सतीश जारकीहोली को अंध विश्वास की खुलकर मुख़ालफ़त करने वाला नेता माना जाता है और उन्होंने  ‘मानव बंधुत्व वेदिके’ नाम से अंध-विश्वास विरोधी संगठन भी बना रखा है। हाल ही में एक सभा में दिए भाषण में उन्होंने कहा कि हिंदू एक फारसी शब्द है और इसका अर्थ भयानक होता है। हिंदू शब्द भारत का है ही नहीं ये तो फारस से आया है। उनके मुताबिक हिन्दू का अर्थ बहुत विचित्र है। कहीं का धर्म लाकर आप चर्चा कर रहे हैं। हम पर हिन्दू शब्द थोपा जा रहा है। ईरान और इराक से आया है, हिन्दू शब्द। हिंदू शब्द कहां से आया? यह फ़ारसी है। भारत का क्या संबंध है? यह आपका कैसे हो गया हिंदू? इस पर बहस होनी चाहिए। यह शब्द आपका नहीं है। अगर आपको इसका मतलब समझ में आएगा, तो आपको शर्म आ जाएगी।

            वीडियो राजनांदगांव के वार्ड मोहरा में आयोजित राज्यस्तरीय बौद्ध सम्मेलन का है। यह वीडियो 7 नवंबर 2022 का है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई जा रही है।

            वीडियो में एक व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को शपथ दिलाते हुए कह रहा है, “मैं गौरी,गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूँगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूँगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूँगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।” इस दौरान शपथ दोहराने वाले लोगों में महापौर देशमुख भी दिख रहीं हैं।

            जनजातीय मामलों की केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने यह वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है, कॉन्ग्रेस राज में हिंदू विरोध चरम पर है। यहाँ हिंदू आस्था पर खुलेआम प्रहार किया जा रहा है और कॉन्ग्रेस की राजनांदगांव महापौर हिंदू धर्म के विरूद्ध शपथ ले रही हैं। कोई सनातन विरोधी कार्यक्रम हो और कॉन्ग्रेस से उसके तार ना जुड़े ऐसा हो सकता है क्या?”

            छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता नीलू शर्मा ने भी इस आयोजन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पत्रकारों को बताया, “एक तरफ भूपेश बघेल की सरकार छतीसगढ़ में राम गमन पथ निर्माण की बात करती है। दूसरी और कॉन्ग्रेस नेता हिंदू विरोधी कार्यक्रमों में शिकरत करते हैं। कॉन्ग्रेस महापौर की ऐसे कार्यक्रम में मौजूदगी दुर्भाग्यजनक है।”

            गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इसी तरह का कार्यक्रम दिल्ली में भी हुआ था। 5 अक्टूबर 2022 को आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 10 हजार लोगों को हिंदू विरोधी शपथ दिलाई गई थी। इसका आयोजन बौद्ध सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा नई दिल्ली के झंडेवालान स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर भवन में किया गया था।

            इस कार्यक्रम में केजरीवाल सरकार के तत्कालीन मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी शामिल हुए थे। गौतम ने इसकी कुछ तस्वीरें ट्विटर पर साझा करते हुए कहा था, आज मिशन जय भीम के तत्वाधान में अशोका विजयदशमी पर डॉ. अंबेडकर भवन रानी झाँसी रोड पर 10000 से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने तथागत गौतम बुद्ध के धाम में घर वापसी कर जाति विहीन और छुआछूत मुक्त भारत बनाने की शपथ ली। नमो बुद्धाय, जय भीम!

            इस कार्यक्रम में गौतम समेत कई लोग एक शपथ लेते भी दिखे थे। इसमें कहा गया था, मैं हिंदू धर्म के देवी देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्रीराम और श्रीकृष्ण को भगवान नहीं मानूँगा, न ही उनकी पूजा करूँगा। मुझे राम और कृष्ण में कोई विश्वास नहीं होगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है। इस दौरान यह भी कहते हुए सुना गया, मैं इस बात को नहीं मानता और न ही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे केवल पागलपन और झूठा प्रचार मानता हूँ। मैं श्राद्ध नहीं करूँगा और न ही पिंडदान करूँगा। इसके बाद गौतम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

मोदी ने मैसूर दाशरा के जश्नों की झलकियां की सांझा 

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो  –  6 अक्तूबर  :

            प्रधान मंत्री कार्यालय ने वीरवार को बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर दाशरा समारोह की झलकियां सांझा की हैं और मैसूर के लोगों की अपनी संस्कृति और विरासत को सुंदर तरीके से संरक्षित करने की प्रतिबद्धता की सराहना की है। प्रधान मंत्री मोदी ने 2022 योग दिवस के अवसर पर सबसे हाल की मैसूर यात्रा की यादों को याद किया।

            एक नागरिक के ट्वीट का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि “मैसुर दशरा शानदार है। मैं मैसूर के लोगों की उनकी संस्कृति और विरासत को इतनी खूबसूरती से संरक्षित करने के लिए सराहना करता हूं। मेरे पास अपनी मैसूर यात्रा की यादें हैं, जो सबसे हाल ही में 2022 योग दिवस के दौरान हुई थी।

            कैप्टन – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सांझा की झलकियां।

पीएफआई और RSS बराबर, इसपर भी लगाओ बैन : कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल

                        उर्दू अखबार ‘इंकलाब’ ने एक जुलाई 2018 को रिपोर्ट छापी थी जिसमें बताया गया था कि राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात के दौरान कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है इस रिपोर्ट को पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा खारिज करने पर उसी अखबार में कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रमुख नदीम जावेद का इंटरव्यू छपा है, जिसमें कांग्रेस नेता ने एक तरह से यह पुष्टि की है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया था। साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए। आज कॉंग्रेस की सनातन धर्मी लोगों के प्रति नफरत फिर सामने आई जब केरल से कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है और कहा है कि पीएफआई पर बैन लगाना कोई उपाय नहीं है।  

  • भारत सरकार ने पीएफआई को पांच साल के लिए बैन कर दिया
  • पीएफआई पर बैन को लेकर कांग्रेस सांसद ने उठाया सवाल
  • कांग्रेस सांसद सुरेश ने कहा कि आरएसएस पर भी बैन लगना चाहिए

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट चंडीगढ़/ नयी दिल्ली

            समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मल्लपुरम में कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल ने कहा. “हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं।  पीएफआई पर बैन कोई उपाय नहीं है। आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है। आरएसएस और पीएफआई दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई पर ही बैन क्यों?”

            गौरतलब है कि पीएफआई के अलावा, आतंकवाद रोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफ), ‘ऑल इंडिया इमाम काउंसिल’ (एआईआईसी), ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन’ (एनसीएचआरओ), ‘नेशनल विमेंस फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, ‘एम्पावर इंडिया फाउंडेशन’ और ‘रिहैब फाउंडेशन’(केरल) को भी प्रतिबंधित किया गया है।

            कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए।


            PFI पर बैन लगने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है। सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा- बाय बाय PFI। वहीं असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा- मैं भारत सरकार की ओर से PFI पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा।

           12 सितंबर को कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट से खाकी की एक निक्कर की तस्वीर शेयर की। इसमें लिखा- देश को नफरत से मुक्त कराने में 145 दिन बाकी हैं। हालांकि, संघ ने भी इसका तुरंत विरोध किया और संगठन के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा था कि इनके बाप-दादा ने संघ का बहुत तिरस्कार किया, लेकिन संघ रुका नहीं। 

           भारत में आजादी के बाद 3 बार बैन लग चुका है। पहली बार 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद बैन लगा था। यह प्रतिबंध करीब 2 सालों तक लगा रहा। संघ पर दूसरा प्रतिबंध 1975 में लागू आंतरिक आपातकाल के समय लगा। आपातकाल खत्म होने के बाद बैन हटा लिया गया।

वहीं तीसरी बार RSS पर 1992 में बाबरी विध्वंस के वक्त बैन लगाया गया। यह बैन करीब 6 महीने के लिए लगाया गया था।

           RSS की स्थापना साल 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ में सर संघचालक सबसे प्रमुख होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं। संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी या आनुषांगिक संगठन हैं। दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है।

           मौजूदा समय में संघ की 56 हजार 569 दैनिक शाखाएं लगती हैं. करीब 13 हजार 847 साप्ताहिक मंडली और 9 हजार मासिक शाखाएं भी हैं। संघ में सर कार्यवाह पद के लिए चुनाव होता है। संचालन की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है।

वहीं PFI के खिलाफ हुई इस कार्रवाई को लेकर SDPI  ने कहा है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।  

एक तरफ जहां पीएफआई के खिलाफ इस कार्रवाई पर संगठन से सहानुभूति रखने वाला पक्ष केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहा है तो दूसरी ओर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने इस कदम का स्वागत किया है।  PFI पर बैन को लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “देश गृह मंत्री अमित शाह के फैसले की सराहना कर रहा है, हम उनका धन्यवाद करते हैं और इस निर्णय का स्वागत करते हैं इसका विरोध करने वालों भारत स्वीकार नहीं करेगा और सख्त जवाब देगा।”

                पीएफआई को लेकर सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में संभावनाएं है कि बैन जैसी बड़ी कार्रवाई के बाद पीएफआई के कार्यकर्ता सामाजिक माहौल खराब करने की कोशिश कर सकते हैं जिसके चलते पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है. दिल्ली से लेकर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में सुरक्षा एजेंसियां चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं।  

                आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए छापेमारी की थी जिसमें संगठन के खिलाफ अहम सबूत मिले थे और विदेशी फंडिंग तक की बातें सामने आईं थीं। इसके चलते मंगलवार देर रात मोदी सरकार ने इस संगठन को बैन करने का ऐलान कर दिया जो कि संगठन के लिए एक बड़ा झटका है।

उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहेगी टीएमसी पार्टी, विपक्ष को लगा झटका

ममता बनर्जी ने कहा कि आपत्तिजनक तरीके से टीएमसी को लूप में रखे बिना ही विपक्ष के उम्मीदवार का फैसला किया गया। उन्‍होंने कहा कि दोनों सदनों में 35 सांसदों वाली पार्टी के साथ उचित परामर्श और विचार-विमर्श के बिना जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, ऐसे में हमने सर्वसम्मति से मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है। टीएमसी महासचिव ने कहा कि हमने कुछ नामों का प्रस्ताव दिया था और वे परामर्श से थे, लेकिन नाम हमारे परामर्श के बिना तय किया गया था। हालांकि, विपक्षी एकता राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव के मापदंड पर निर्भर नहीं करती है। मार्गरेट अल्वा के साथ ममता बनर्जी के बहुत अच्छे समीकरण हैं, लेकिन व्यक्तिगत समीकरण कोई मायने नहीं रखता। इस बीच जगदीप धनखड़ को उपराष्‍ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से ठीक पहले ममता बनर्जी ने असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा के साथ दार्जिलिंग गवर्नर हाउस में उनके साथ तीन घंटे की बैठक की थी।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला/नई दिल्ली: 

उपराषट्रपति चुनाव को लेकर तृणमूण कांग्रेस ने एक बड़ा फैसला लिया है। टीएमसी ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव 2022 की वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लेगी। टीएमसी के इस फैसले से विपक्ष की एकजुटता को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के इस फैसले की जानकारी पार्टी नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी ने दी।

गौरतलब है कि देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि वहीं विपक्ष ने राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है।

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “एनडीए (वीपी) के उम्मीदवार का समर्थन करना भी नहीं आता है और जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, दोनों सदनों में 35 सांसदों वाली पार्टी के साथ उचित परामर्श और विचार-विमर्श के बिना, हमने सर्वसम्मति से मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा, “हम टीएमसी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा की प्रक्रिया से असहमत हैं। हमसे न तो सलाह ली गई और न ही हमारे साथ कुछ चर्चा की गई। इसलिए हम विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते।”

घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी को वी-पी चुनावों में मतदान से दूर रहने के लिए मना लिया।

राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा के नाम को राकांपा प्रमुख शरद पवार के आवास पर एक बैठक के बाद अंतिम रूप दिया गया, जिसमें कांग्रेस, वाम मोर्चा के घटक, द्रमुक, राजद, सपा और अन्य सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने भाग लिया।

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद, टीएमसी दुविधा में आ गई थी, जिसने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि मुर्मू एक आम सहमति हो सकती थी। क्या बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारने से पहले विपक्ष से सलाह मशविरा किया था।

सोनिया गांधी से 2 घंटे तक हुई पूछताछ, सोमवार को फिर से होंगे सवाल-जवाब

  कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी आज नैशनल हेरल्ड से जुड़े मनीलॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दफ्तर में पूछताछ के लिए पेश हुईं। सोनिया करीब 12 बजे ईडी ऑफिस पहुंचीं। सोनिया गांधी के साथ बेटी प्रियंका गांधी ईडी ऑफिस आई हैं। ईडी नेशनल हेरल्ड मामले में कथित रूप से वित्तीय अनियमितता के मामले में सोनिया गांधी से सवाल करेगी। इस केस में ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कंपनी से जुड़े कई अन्य कांग्रेस नेताओं पर पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया है। इस मौके पर सोनिया के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए उनकी पार्टी देश भर में प्रदर्शन कर रही है।

  • सोनिया गांधी के आवास और ED कार्यालय के बीच भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया था
  • पार्टी ने शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ एजेंसी की कार्रवाई की आलोचना की है और इसे ”राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है
  • सोनिया गांधी से पूछताछ के मुद्दे को विपक्ष ने संसद में उठाया
  • कांग्रेस प्रमुख को इससे पहले आठ जून और 23 जून को ईडी के सामने पेश होना था

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली : 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड धनशोधन मामले में बृहस्पतिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दो घंटे तक पूछताछ की। दूसरी ओर, सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में पूरे देश में कांग्रेस पार्टी ने शक्ति प्रदर्शन किया और नेताओं ने गिरफ्तारियां दीं।

अधिकारियों ने बताया कि कोविड से उबर रहीं सोनिया गांधी (75) से पूछताछ करीब दो घंटे चली और उनके अनुरोध पर पूछताछ सत्र समाप्त कर दिया गया। कुछ दिनों में उन्हें अगले दौर की पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।

कांग्रेस ने पूछताछ को लेकर अलग ही दावा किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक, ED ने कहा हमारे पास कोई सवाल नहीं है, आप जा सकती हैं, मगर सोनिया जी ने कहा कि आपके जितने सवाल हैं, पूछिए, मैं रात 8-9 बजे तक रुकने को तैयार हूं। जयराम ने बताया कि सोनिया ने पूछताछ खत्म करने के लिए कोई निवेदन नहीं किया था।

सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी से पूछताछ की अगुआई महिला अफसर मोनिका शर्मा ने की। वे ED कार्यालय में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर हैं। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देशभर में इस पेशी के खिलाफ प्रदर्शन किया।

पूछे गए सवाल….

  • आप यंग इंडिया की निर्देशक क्यों बनीं
  • यंग इंडिया कम्पनी का क्या काम था
  • कांग्रेस और एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के बीच किस प्रकार का लेन-देन हुआ
  • क्या आपको ये पता था कि यंग इंडिया AJL का अधिग्रहण कर रही है
  • AJL के पास कुल कितनी सम्पत्ति देश भर में थी
  • AJL की सभी सम्पत्ति का क्या उपयोग किया जाता था

अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान सोनिया गांधी की तबीयत का भी ख्याल रखा। उनके लिए एक मेडिकल ऑफिसर को दूसरे कमरे में बैठाया गया था। वहां प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। इस दौरान प्रियंका ने सोनिया से दो बार मुलाकात भी की। सोनिया के वकीलों को पूछताछ के दौरान मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी गई।

पूछताछ के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 75 कांग्रेसी सांसदों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर, अजय माकन और पी चिदंबरम भी शामिल हैं। इनके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को भी हिरासत में लिया गया

  • कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि ये अन्याय हो रहा है और अन्याय की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
  • हिरासत में लिए जाने के बाद सचिन पायलट ने कहा- ‘लोकतंत्र में एजेंसी का दुरुपयोग हो रहा है। उसके जवाब में हम अहिंसक तरीके से विरोध कर रहे हैं, ये हमारा अधिकार है। लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज को दबाने का काम हो रहा है।’
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार को अपने व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए। ED घर जाकर भी सोनिया गांधी का बयान ले सकती थी, जैसा पहले भी होता आया है, लेकिन सरकार के कानून विपक्ष के लिए बदल जाते हैं।
  • विपक्ष ने कहा- सरकार जानबूझकर पार्टियों के बड़े नेताओं को निशाना बना रही है। मोदी सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। विपक्ष सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई में तेजी लाएगा।

पहले भी ED सोनिया गांधी को समन भेज चुकी है, लेकिन खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सोनिया ने ED से समय मांगा था। सोनिया गांधी इससे पहले ED की नोटिस पर 8 जून, 11 जून और 23 जून को नहीं पहुंची थी। कांग्रेस ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पूछताछ के समय को टालने की मांग की थी।

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ED 5 बार पूछताछ कर चुकी है। उनसे करीब 40 घंटे तक सवाल-जवाब किए गए थे। अब सोनिया गांधी की पेशी हो रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जांच में शामिल होने के लिए पेश होना पड़ रहा है।

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था।

आरोप के मुताबिक, इन कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड, यानी YIL नामक आर्गनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड, यानी AJL का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था।

स्वामी ने 2000 करोड़ रुपए की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

इस मामले में जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। अब ED ने इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल से पूछताछ कर रही है।

राज्य सभा चुनाव : सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई से पहले बसपा के विधायकों ने वोट डाले

आज शुक्रवार 10 जून को हो रहे राज्यसभा चुनाव में राजस्थान के 6 विधायकों के मताधिकार संकट आ सकता था। सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल पिटिशन दायर की गई है। इस मामले की जल्द सुनवाई होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट इन 6 विधायकों के मताधिकार को रोक सकते हैं। अगर मताधिकार के प्रयोग को रोकने के बजाय इन विधायकों के मतों को मतगणना में शामिल नहीं किया जाए तो भी कांग्रेस के तीसरे प्रत्याशी की जीत मुश्किल हो जाएगी।

हरियाणा(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट, :

राजस्थान में होने वाले राज्यसभा चुनाव का मामला अब सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर आए सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। एडवोकेट हेमंत नाहटा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने मांग की है कि बसपा का कांग्रेस में विलय असंवैधानिक है। ऐसे में बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आने वाले सभी 6 विधायकों का कांग्रेस विधायक के रूप में राज्यसभा चुनाव में मताधिकार रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी लेकिन, राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने से इंकार कर दिया।

राजस्थान में दिसंबर, 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। बसपा के टिकट पर जोगिंदर सिंह अवाना, लाखन मीणा, राजेंद्र सिंह गुढ़ा, संदीप यादव, दीपचंद खेरिया और वाजिब अली ने चुनाव जीता था। सितंबर, 2019 में ये सभी 6 विधायक बसपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। विधायकों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को बसपा का विलय कांग्रेस में करने का आवेदन दिया था। कुछ दिनों बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद से इन्हें बसपा के बजाय कांग्रेस का विधायक कहा जाने लगा। हालांकि, भाजपा विधायक मदन दिलावर की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई। दिलावर ने कहा कि बसपा का कांग्रेस में विलय गैरकानूनी है। यह प्रकरण फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

चार राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग शुरू हो चुकी है। इनमें राजस्थान की 4, हरियाणा की 2, महाराष्ट्र की 6 और कर्नाटक की 4 सीटें शामिल हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले वोट डाला। वहीं, महाराष्ट्र में डेढ़ घंटे में 50% मतदान हो गया है। 143 विधायक वोट डाल चुके हैं, इनमें 60 भाजपा के और 20 कांग्रेस के विधायक शामिल हैं।

राज्यसभा चुनाव वोटिंग से जुड़े अपडेट्स

  • जेल में बंद नवाब मलिक को बॉम्बे हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली, राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के लिए याचिका में संशोधन करने को कहा है। मलिक की ओर से विधान भवन जाने के लिए पुलिस एस्कॉर्ट की मांग की गई थी।
  • पुणे से भाजपा विधायक मुक्ता तिलक को एम्बुलेंस में विधान भवन लाया गया।
  • महाराष्ट्र में ‌BJP को हराने के लिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी को समर्थन देने का फैसला किया। हालांकि, इसका फायदा शिवसेना को मिलेगा जिससे AIMIM दो-दो हाथ करती आई है।
  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले राजस्थान बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों ने वोट डाले। CM अशोक गहलोत के बाद इन्हीं छहों विधायकों ने वोट डाले। कांग्रेस ने रणनीति के तहत ऐसा किया है। इन विधायकों को वोटिंग से रोकने सुनवाई होती, इससे पहले ही ये वोटिंग कर चुके। पढे़ें पूरी खबर…
  • केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भाजपा का एक उम्मीदवार है जिसकी जीत तय है। सरप्लस वोट निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को दिए जाएंगे। बाकी उनको कौन समर्थन देगा, इस बारे में सुभाष चंद्रा ही जानते हैं।
  • राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने शिवसेना पर हमला बोला है। मनसे ने कहा है कि शिवसेना ने ओवैसी से समर्थन लिया, इससे उनका हिंदुत्व उजागर हो गया है। वे निजाम के वंशजों से भी समर्थन लेने में नहीं हिचकिचाते हैं।
  • शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि महाविकास अघाड़ी के सभी उम्मीदवार जीत दर्ज करेंगे। उन्होंने कहा, हमारे पास पर्याप्त समर्थन है।
  • उधर राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने आमेर क्षेत्र में 12 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया है।
  • पिंपरी चिंकवड के भाजपा विधायक बीमार होने के बावजूद मतदान करने निकले। भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं। वे आज सुबह एंबुलेंस से मुम्बई पहुंचे।

राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों में से दो कांग्रेस और एक भाजपा के खाते में जानी तय है। चौथी सीट पर कांग्रेस के प्रमोद तिवारी और निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा के बीच टक्कर है। चूंकि राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार है। गहलोत विधायकों पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेता हैं। उनकी पहुंच केवल कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों में ही नहीं बल्कि यहां तक कहा जाता है कि जरूरत पड़ने पर वह भाजपा विधायकों को भी तोड़ने का दमखम रखते हैं।

वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सुभाष चंद्रा ने नाराज चल रहे विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। भाजपा की ओर से भी उनकी पूरी मदद की जा रही है।

CM अशोक गहलोत ने क्रॉस वोटिंग की आशंका को भांपते हुए एक-एक विधायक की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। इस सिलसिले में उन्होंने पिछले दिनों ताबड़तोड़ आदेश भी जारी किए।

ये है जीत का गणित: राजस्थान में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। कांग्रेस से तीन उम्मीदवार मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी मैदान में हैं। तीनों उम्मीदवारों के लिए 123 विधायकों के वोट जरूरी हैं, जबकि सरकार के पास अभी 126 विधायकों का समर्थन है, जिसमें से 107 कांग्रेस के हैं। जब तक नाराज या निर्दलीय विधायक इधर उधर नहीं जाते, तब तक कांग्रेस की जीत तय है।

आठ निर्दलीय विधायक नाराज माने जा रहे हैं, जिनके खिसकते ही तीसरे प्रत्याशी की हार तय है।

उधर, भाजपा प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी की भी जीत तय है, क्योंकि भाजपा के पास 71 विधायक हैं। 41 वोट मिलते ही तिवाड़ी जीत जाएंगे, जबकि भाजपा के 30 विधायक निर्दलीय सुभाष चंद्रा के लिए वोट करेंगे। चंद्रा को 3 RLP विधायकों का भी समर्थन हासिल है। उन्हें केवल 8 विधायकों की दरकार है। जयपुर में कैंप करके वे विधायकों का समर्थन जुटाने में लगे हैं।

हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव होना है। यहां एक सीट पर BJP की जीत तय है, जबकि दूसरी सीट के लिए कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन और निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के बीच मुकाबला है।

राजस्थान की तरह ही शर्मा को BJP का समर्थन हासिल है। उन्हें जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस से नाराज चल रहे विधायक उनके पक्ष में मतदान करेंगे। कार्तिकेय शर्मा के पक्ष मे एक और बात ये है कि उनके पिता विनोद शर्मा का हरियाणा में काफी गहरा प्रभाव रह चुका है। वे कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे थे।

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन तभी जीत सकते हैं, जब उन्हें कांग्रेस के कुल 31 विधायकों में से 30 का वोट मिल जाए, लेकिन कांग्रेस में जिस तरह की गुटबाजी हावी है, उससे माकन की राह आसान नजर नहीं आती।

वहीं निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय को दुष्यंत चौटाला की JJP के 10 विधायकों और BJP के बचे 10 विधायकों के वोट मिलने की पूरी संभावना है। 7 निर्दलीय और कांग्रेस के नाराज विधायकों की मदद से कार्तिकेय बाजी पलट सकते हैं।

महाराष्ट्र : एक सीट के लिए शिवसेना-भाजपा में घमासान

महाराष्ट्र में वैसे तो 6 सीटों पर चुनाव होने हैं, लेकिन कांटे की टक्कर केवल एक सीट पर देखने को मिलेगी। राज्यसभा सीट के चुनाव में एक-एक उम्मीदवार को जीतने के लिए कुल 42 वोटों की जरूरत पड़ेगी।

BJP के पास 106 विधायक हैं, जिसके बल पर पार्टी आसानी से दो सांसद जिता लेगी। वहीं शिवसेना, NCP और कांग्रेस के एक-एक सांसद जीत जाएंगे।

इसके बाद महाविकास अघाड़ी (महाराष्ट्र सरकार गठबंधन) और BJP के पास कुछ अतिरिक्त वोट बचेंगे, लेकिन ये वोट इतने ज्यादा नहीं होंगे कि राज्यसभा के छठे सदस्य का चुनाव आसानी से हो सके। गठबंधन के अतिरिक्त वोट शिवसेना के प्रत्याशी को मिलने तय हैं। शिवसेना ने कोल्हापुर जिलाध्यक्ष संजय पवार को उम्मीदवार बनाया है।

वहीं, BJP ने कोल्हापुर के धनंजय महादिक को तीसरा उम्मीदवार बनाया है। महादिक के पक्ष में 7 निर्दलीय विधायक भी होंगे। दो सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने के बाद पार्टी के पास 29 वोट बचेंगे। महादिक के पास फिलहाल 36 वोट (7 निर्दलीय मिला कर) हैं, जबकि 6 वोट कम पड़ रहे हैं।

वहीं महाविकास आघाडी सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उनके पास 41 वोट हैं और केवल एक वोट मैनेज करना होगा, जो बड़ी बात नहीं है।

कर्नाटक में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होंगे। इसके लिए 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस और भाजपा ने एक-एक अतिरिक्त प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, जिससे चौथी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

कांग्रेस ने पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, अल्पसंख्यक नेता मंसूर अली खान को प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता जग्गेश और कर्नाटक के MLC लहर सिंह सिरोया को मैदान में उतारा है।

जनला दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस से रियल एस्टेट कारोबारी डी कुपेंद्र रेड्डी उम्मीदवार हैं।

224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं, वहीं भाजपा के पास 121 विधायक हैं और जेडीएस के पास 32 MLA हैं।

कर्नाटक में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए 45 विधायकों के वोट चाहिए। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा आसानी से चार में से दो सीटें जीत सकती है, जबकि कांग्रेस के हाथ एक जीत आ सकती है।

32 विधायकों के साथ जेडीएस के पास राज्यसभा सीट जीतने के लिए संख्या नहीं है। ऐसे में चौथी सीट के लिए भी कर्नाटक में दिलचस्प नतीजे आने की संभावना है।