2019 में सुरक्षित सीट की तालाश में राहुल

अमेठी लोकसभा चुनाव क्षेत्र 1967 से कांग्रेस की सीट रही है संजय गांधी की मृत्यु के पश्चात राजीव गांधी यहाँ से निर्वाचित हुए तभी से यह कांग्रेस की पारंपरिक सीट से बदल कर पारिवारिक सीट हो गयी। 2004 के बाद से कोई भी राहुल गांधी को चुनौती नहीं दे पाया था, लेकिन 2014 के चुनावों में भाजपा की दिग्गज नेता, टीवी अभिनेत्री से नेत्री बनी समृति ईरानी के आने से महौल बदला और राहुल को एक चुनौती का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी द्वारा कुमार विश्वास को मैदान में उतारने से चुनावी समीकरण राहुल गांधी की ओर बैठ गए अन्यथा विश्वास द्वारा काटेगए वोट भी स्मृति के पक्ष में जाते और राहुल की जीत का अंतर कुछ 100 ही में सिमट जाता।

अब माहौल पूरी तरह से बदल चुका है राहुल गांधी ने अमेठी से सांसद होते हुए भी अकर्मण्यता का परिचय दिया और अमेठी के बारे में यह कहा जाता है कि राजीव गांधी ने 1981 में जिस झोंपड़ी से चुनाव प्रचार किया था 2019 के क्ंग्रेस चुनाव प्रचार भी उसी झोंपड़ी से किए जाएँगे (यह सिर्फ 1967 से आज तक कांग्रेस सांसदों के रहते अमेठी के हालात बयान करती प्रतीकात्मक बात है) भाजपा का मानना है कि 2004 से आज तक राहुल ने उतने वादे अमेठी से नहीं किए जीतने काम स्मृति ईरानी ने हारने के बाद भी अमेठी में करवा दिये। लोगों के मन में स्मृति इरानि को लेकर था कि हारने के बाद स्मृति पुन: अमेठी नहीं आएंगीन, परंतु स्मृति ने न केवल वहाँ अपना दफ्तर बनाया अपितु वह बारंबार अमेठी आती रहीं और स्थानीय लोगों की समस्याओं का निदान करतीं रहीं।

2010 में जिला घोषित होने के बाद से 2017 तक यहाँ डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर का दफ्तर भी नहीं था। अमेठी ने गांधी परिवार को चुनाव दर चुनाव जितया परंतु अमेठी को गांधी परिवार से सिर्फ राजनैतिक अकर्मण्यता के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। आज जब 2019 के चुनाव सामने हैं, स्मृति के किये काम दिखने लगे हैं ऐसे में लोगों को स्मृति से काफी उम्मीदें हैं। चुनावी समीकरण अब स्मृति की ओर झुके हुए हैं। बसपा सुप्रीमो ने हालांकि अमेठी सीट पर उम्मीदवार न उतारने की बात कही थी पर अब वह राहुल गांधी से नाराज़ चल रहीं हैं, विश्वास भी इस बार मैदान में नहीं हैं, चुनावी दंगल कर्मठ स्मृति तथा राहुल के बीच हैं जिसमे राहुल की जीत मुश्किल होती जान पड़ती है इसी लिए अब कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाइयां उन्हे (राहुल को) अपने राज्यों की सुरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की प्रार्थना कर रहीं हैं। भीतर ही भीतर स्मृति से डरे हुए रहल अप्रत्यक्ष रूप से यही चाहते हैं परन्तु परोक्ष रूप से इस पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

पत्तनमतिट्टा/कोट्टायम (केरल) : प्रदेश कांग्रेस ने वयनाड लोकसभा सीट के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया है. यह सीट राज्य में पार्टी का गढ़ मानी जाती है. वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को बताया कि राहुल गांधी ने इस अनुरोध पर फिलहाल प्रतक्रिया नहीं दी है.

एआईसीसी महासचिव ओमन चांडी ने पत्तनमतिट्टा जिले में संवाददाताओं से कहा कि केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने गांधी से वयनाड से लड़ने का आग्रह किया है लेकिन उन्होंने प्रस्ताव पर टिप्पणी नहीं की है.

उन्होंने कहा कि पार्टी नेता मांग कर रहे हैं कि गांधी को किसी दक्षिण भारतीय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए और “हमने गांधी से वयनाड सीट से लड़ने का आग्रह किया है.” चांडी ने कहा, “उन्होंने अब तक इस अनुरोध पर टिप्पणी नहीं की है. लेकिन हमें उम्मीद है कि कुछ सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी.”

पार्टी केरल की 20 लोकसभा सीटों में से 16 पर चुनाव लड़ रही है और उसने 14 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है लेकिन वयनाड एवं वडाकरा से अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं. वहीं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला ने कोट्टायम में कहा कि उन्होंने गांधी से वयनाड सीट से लड़ने का आग्रह किया था जब वह हाल ही में पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करने केरल आए थे.

राहुल बताएं की 55 लाख 9 करोड़ कैसे बने: रवि शंकर प्रसाद

नई दिल्‍ली: 

चुनाव की तारीखें जैसे जैसे करीब आ रही हैं, राजनीतिक दलों के बीच आरोप प्रत्‍यारोप और तीखे होते जा रहे हैं. पहले कांग्रेस ने कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्‍पा के सहारे बीजेपी आलाकमान पर निशाना साधा. अब बीजेपी ने कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. अब केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब से बीजेपी उम्‍मीदवार रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उनकी आय का स्रोत पूछ लिया है. उन्‍होंने कहा, राहुल गांधी बताएं कि उनकी संपत्‍त‍ि जो 2004 में 55 लाख थी, वह 2014 में बढ़कर 9 करोड़ कैसे हो गई.

रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में पूछा, राहुल गांधी जब से राजनीति में आए हैं, उनकी आय का स्रोत सिर्फ सांसद का वेतन है. इसके अलावा कोई दूसरा आय का स्रोत नहीं है. उनके 2004 के एफिडेविट में उनकी अाय 55 लाख 38 हजार रुपए बताई गई थी. 2009 तक आते आते ये इनकम 2 करोड़ हो गई. वहीं जब उन्‍होंने 2014 का चुनाव लड़ा तो उनकी आय बढ़कर 9 करोड़ हो गई. रविशंकर प्रसाद ने निशाना साधते हुए कहा कि हम सब ये जानना चाहते हैं कि 55 लाख से आपकी इन्‍कम बढ़कर 9 करोड़ कैसे हो गई.

येदियुरप्पा डायरीपर स्पष्टीकरण दें प्रधानमंत्री : वेणुगोपाल
बता दें कि कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि येदियुरप्‍पा ने सीएम रहते हुए बीजेपी आलाकमान को करोड़ों रुपए दिए थे. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा भाजपा के नेताओं को कथित तौर पर धन दिए जाने से जुड़ी डायरी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि इस मामले पर मोदी को स्पष्टीकरण देना चाहिए.

वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, ‘येदियुरप्पा डायरी से 1800 करोड़ रुपये के बड़े भ्रष्टाचार का संकेत मिलता है. इसकी जांच की जरूरत है क्योंकि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के मोदी सरकार के दावे को भंडाफोड़ होता है.’

उन्होंने कहा, ‘इन डायरी से सामने आई बातों पर प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए. प्रधानमंत्री इसका खुलासा करें कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पैस लिए थे या नहीं.’ कांग्रेस महासचिव ने येदियुरप्पा से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले की जांच लोकपाल से होनी चाहिए.

Rahul may opt a safe seat in Karnatka or Maharashtra

Exactly five years ago, at the onset of the summer of 2014, the BJP surprised everyone by announcing Smriti Irani as its candidate from Amethi. Irani was BJP’s giant killer, to take on Rahul Gandhi, heir of ruling Congress and prince of India’s mightiest political family.

Amethi was Congress’ first family’s Pocket borough since the 1980s. The constituency has the distinction of sending Sanjay Gandhi, Rajeev Gandhi (four terms), Sonia Gandhi and whosoever it named, for example, Satish Sharma and Sanjay Singh. Rahul had won twice from Amethi, his victory margin in the election prior to 2014 was over 3.70 lakh votes. Congress had been projecting him as the future of the nation.

Smriti was tasked to take on the Gandhi scion on his home turf, which even the BJP, its supporters and Sangh Parivar thought was impenetrable. It was a challenge not many would like to take. She was a complete outsider to Uttar Pradesh. A television actor-turned-politician, Irani had contested one parliamentary election from Chandni Chowk against Kapil Sibal and lost it badly. She belonged to a community, Parsi (by marriage), which perhaps didn’t have any voter in that backward area called Amethi. It was brave on part of BJP and Irani to go to a state where caste was a guiding and in some cases the abiding principle of politics.

But Irani had the grit and appetite to take the challenge, and stamina to pursue it relentlessly to succeed. Over a period of time, having worked in various posts in the party — secretary, Mahila Morcha chief and vice-president — and as a Rajya Sabha MP and campaigner, Irani had proved that she was a fighter and had a propelling capability to leave a mark.

Her beginning in Amethi was tentative. Two persons who believed (who mattered most) in her capacity were Narendra Modi, the then prime ministerial candidate of BJP and Amit Shah the then general secretary in-charge of Uttar Pradesh.

Kumar Vishwas, who was then with the Aam Admi Party, had made an early beginning in Amethi. And the people in the constituency lent an ear to him. That made it clear that a big segment of the constituency was willing to accept somebody else as their leader, provided they had the right quality, grit and the strong backing of a strong party, to give Rahul a run for his money. Vishwas had great oratorical skills but didn’t have the party.

Irani with her energetic presence, sharp oratorical skills and the backing of BJP came as a person which the people, perhaps, had wanted to see for several decades. Still, not many in Amethi and outside the constituency believed that she may win.

Amethi had been a living example of how leaders, and that too the topmost leaders of the party which ruled India neglected their constituency and believed that only cosmetic work and occasional presence would ensure their victory in perpetuity. She was there to challenge that.

Though she had lost, as the result showed, she caused a great deal of scare in the Congress camp. Rahul’s victory margin was reduced from 3.70 lakh to 1.07 lakh.

Those in the rival camps dismissed her as a one time phenomenon in Amethi and believed that she may not return after the 20014 election. But contrary to their beliefs, Irani made Amethi her second home, preparing for 2019 elections, and taking up a series of developmental projects in the region.

Her name figured in the first list of BJP’s candidates for Lok Sabha, which was released on Thursday evening. No surprises this time. It was taken that she may be the candidate to challenge the Congress president.

The difference between Irani’s candidacy in 2014 and 2019 is noteworthy – this time around, the BJP and its sympathisers believe that she may win to write one of important chapters in India’s political history.

In the last five years, what Irani has done very effectively is, as they call “gherabandi (fencing)” of Amethi and Rahul Gandhi. Recently, a manufacturing unit for AK-203 Kalashnikov rifles, an India-Russia joint venture, was inaugurated in the presence of Prime Minister Narendra Modi, Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath and Union Minister of Defence Nirmala Sitharaman. Ironically, Rahul had laid the foundation stone for the arms factory in 2007 but not much had moved from there because there were a series of confusions.

AK 203 to be manufactured at Amethi

By visiting Amethi to open a unit as big as this, Modi has clearly displayed his intent and purpose, how he values Irani as a leader and Amethi as her constituency.

In the upcoming election for the Amethi Lok Sabha constituency, Smriti has a strong start. She has already made Congress worry, forcing the party to look another seat for Rahul in Karnataka or in Maharashtra. One after another, senior Congress leaders from south and west India are offering a seat to Rahul in their state.

48 घंटों में राम जन्मभूमि फिल्म को बैन करें: आल इंडिया उलेमा बोर्ड


उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवी द्वारा निर्मित यह फिल्म 29 मार्च को समूचे देश में रिलीज होने वाली है. 

भोपाल: ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की मध्यप्रदेश इकाई ने फिल्म ‘राम जन्मभूमि’ पर मंगलवार को दो फतवे जारी करने के साथ-साथ केन्द्र एवं मध्य प्रदेश सरकार से मंगलवार को मांग की कि वे इस फिल्म पर रोक लगाएं. एक फतवा इस फिल्म की मुस्लिम अभिनेत्री नाज़नीन पाटनी के खिलाफ जारी कर उसे सलाह दी है कि वह अपने ईमान को तजदीद करे, जबकि दूसरे फतवे में देश के मुस्लिम समुदाय से अपील की गई है कि वह इस फिल्म को देखने से गुरेज़ करें. ये दोनों फतवे मंगलवार को आल इंडिया उलेमा बोर्ड के मध्यप्रदेश अध्यक्ष एवं क़ाज़ी सय्यद अनस अली नदवी ने जारी किये.

29 मार्च को रिलीज हो रही है फिल्म
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद वसीम रिजवी द्वारा निर्मित यह फिल्म 29 मार्च को समूचे देश में रिलीज होने वाली है. आल इंडिया उलेमा बोर्ड, मध्य प्रदेश के उपाध्यक्ष नूर उल्लाह यूसुफ ज़ई ने  संवाददाताओं को बताया, ‘‘फिल्म ‘राम जन्मभूमि’ न सिर्फ विवादित है, बल्कि दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाली है. इस फिल्म में शरीयत के साथ खिलवाड़ किया गया है. इस्लाम के दो अहम और संजीदा मुद्दों को विवादित करने की कोशिश की गई है.’’ 

तीन तलाक को किया गलत तरीके से पेश- बोर्ड
उन्होंने कहा, ‘‘इस फिल्म में तीन तलाक को गलत तरह से पेश किया गया है. इसके अलावा, इसमें बताया गया है कि एक ससुर बहू के साथ हलाला करता है. यह पूरे तौर पर गलत है. पूरी दुनिया में इसकी मिसाल नहीं मिलती. इसने मुस्लिम समुदाय के जज्बात को बुरी तरह आहत किया है.’’ 

शरीयत के साथ खिलवाड़- उलेमा बोर्ड
ज़ई ने बताया, ‘‘बोर्ड यह कतई बर्दाश्त नहीं करेगा कि शरीयत से कोई खिलवाड़ करे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मध्य प्रदेश सरकार एवं केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि फिल्म ‘राम जन्मभूमि’ के प्रदर्शन पर 48 घंटे के अंदर रोक लगाई जाए.’’ उन्होंने कहा कि यदि 48 घंटे के अंदर इस फिल्म के रिलीज पर रोक नहीं लगाई गई, तो हम अदालत का दरवाजा खटखटांगे.

पद्मश्री थिमक्का ने राष्ट्रपति कोविन्द को आशीर्वाद दिया

सहज भाव से किए हुए किसी भी काम से मन ही नहीं समाज भी प्रसन्न हो उठता है, आज वैसा ही कुछ हमारे राष्ट्रपति के साथ हुआ, राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने को कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया।

नई दिल्ली: पद्म पुरस्कारों के वितरण समारोह में राष्ट्रपति भवन का कड़ा प्रोटोकाल भी कर्नाटक में हजारों पौधे लगाने के लिये पद्म श्री से सम्मानित 106 साल की सालूमरदा थीमक्का को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आशीर्वाद देने से नहीं रोक सका. पुरस्कार लेने पहुंची थीमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे को हाथ लगाया. 

थीमक्का ने बरगद के 400 पेड़ों समेत 8000 से ज्यादा पेड़ लगाएं हैं और यही वजह है कि उन्हें ‘वृक्ष माता’ की उपाधि मिली है. उन्हें राष्ट्रपति भवन में शनिवार को अन्य विजेताओं के साथ पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

थीमक्का ने माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ लगा रखा था
कड़े प्रोटोकाल के तहत आयोजित होने वाले समारोह में हल्के हरे रंग की साड़ी पहने थीमक्का ने अपने मुस्कुराते चेहरे के साथ माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ लगा रखा था. जब थीमक्का से 33 साल छोटे राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने को कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया. 

थीमक्का के इस सहज कदम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और समारोह कक्ष उत्साहपूर्वक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. 

थीमक्का की कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी है. जब वह उम्र के चौथे दशक में थीं तो बच्चा न होने की वजह से खुदकुशी करने की सोच रही थीं, लेकिन अपने पति के सहयोग से उन्होंने पौधरोपण में जीवन का संतोष तलाश लिया. 

दनिश आली हुए बीएसपी में शामिल

अभी कल तक कर्नाटक में कांग्रेस के सहयोग से बनी जेडीएस की सरकार के प्रवक्ता रहे और टीवी पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए तेज़ तर्रार नेता ‘दनिश अली’ अभ बीएसपी में शामिल हो चुके हैं। पार्टी बदली है तेवर नहीं बस यहाँ उन्हे भाजा के साथ साथ पुराने साथी कांग्रेस के खिलाफ भी कुछ कहना होगा। चलो देखते हैं क्या होता है?

नई दिल्‍ली : जनता दल (सेक्‍युलर) यानी जेडीएस के महासचिव दानिश अली ने पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया है. दानिश अली लखनऊ में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में बसपा में शामिल हुए. उन्‍हें सतीश चंद्र मिश्रा ने पार्टी ज्‍वाइन कराई. सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती दानिश अली को यूपी के अमरोहा से बतौर प्रत्‍याशी चुनावी मैदान में उतार सकती हैं. बता दें कि दानिश अली ने हाल ही में कांग्रेस और जेडीएस के बीच हुए गठबंधन कराने में अहम भूमिका निभाई थी.

बसपा का दामन थामने के बाद दानिश अली ने कहा कि जब मैं जेडीएस में भी था तो मैंने कभी किसी चीज के लिए नहीं कहा. जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा जी ही यह निर्णय लेते थे कि मुझे क्‍या काम करना है. मैं एचडी देवेगौड़ा जी की शुभकामनाएं और अनुमति लेकर ही यहां आया हूं. बहन जी (मायावती) मुझे जो भी जिम्‍मेदारी सौंपेंगी, उसे मैं निभाऊंगा.

13 मार्च को दानिश अली और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के बीच कोच्चि में अहम बैठक हुई थी. इसमें लोकसभा चुनाव में जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन पर मुहर लगी थी. इसके तहत कर्नाटक में कांग्रेस 20 और जेडीएस आठ सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी. बता दें कि इस गठबंधन पर पिछले काफी दिनों से खींचतान चल रही थी. दोनों पार्टियों के बीच बातचीत सफल नहीं हो पा र‍ही थी. 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और जेडीएस ने एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा था. लेकिन चुनाव नतीजे में त्रिशंकु रहने पर दोनों दलों ने सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिया.

थरूर के मौसा-मौसी और 13 अन्य ने उठाई केरल में कमल की ज़िम्मेदारी

जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्वी उत्तरप्रदेश की कमान संभाली तभी से वह राष्ट्र भर ए दौरों पर हैं। और तभी से कभी बिहार कभी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात से वरिष्ठ नेता यहाँ तक की विधायक भी अपने पदों से इस्तीफा दे कर भाजपा का दामन पकड़ रहे हैं। अभी टॉम वादक्कन का मामला शांत भी नहीं हुआ था की शोभना शशिकुमार अपने पति और 13 अन्य सहित भाजपा में शामिल हो गईं। कांग्रेस के अपने को पुन:sथापित करने की राह में यह बड़ी रुकावट है। वहीं शशि थरूर के लिए भी यह अच्छी खबर नहीं है।

कोच्चि: कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन के भाजपा में शामिल होने के एक दिन बाद तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर के मौसा-मौसी ने शुक्रवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. थरूर की मां की बहन, सोभना शशिकुमार और उनके पति शशिकुमार तथा 13 अन्य लोग बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के राज्य अध्यक्ष पी.एस. श्रीधरन पिल्लै ने सभी का पार्टी में स्वागत किया. थरूर के मौसा-मौसी ने कहा कि एक लंबे समय से वे भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का अनुसरण कर रहे हैं.

 लोकसभा चुनाव 2019 चुनावों के समर में कांग्रेस प्रवक्‍ता टॉम वडक्‍कन ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. केरल में शशि थरूर कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं. वह इस समय त‍िरुवनंतपुरम से सांसद है. बीजेपी की लंबे समय से इस सीट पर नजर है. इस बार भी वह उनके सामने अपना मजबूत उम्‍मीदवार उतार सकती है. एेसी भी चर्चा है कि हाल ही में मिजोरम के राज्‍यपाल पद से इस्‍तीफा देने वाले कुम्‍मानम राजशेखरन यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. पद संभालने के 10 महीने के बाद ही उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था.

आरएसएस के निष्ठावान व्यक्ति माने जाने वाले और भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख राजशेखरन (65) को केरल में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बेहतर मौका नजर आ रहा है. इस राज्य में पार्टी अभी तक अपना खाता नहीं खोल पायी है. भाजपा नेतृत्व ने उम्मीदवार सूची की घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रदेश पार्टी के सूत्रों ने यहां कहा कि इसकी काफी संभावना है कि राजशेखरन बहुचर्चित तिरूवनंतपुरम सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पार्टी राज्य में करीब छह सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है और यह सीट भी उनमें से एक है.

केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने शुरू किया चुनावी अभियान, कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी तय नहीं
केरल में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 23 अप्रैल को होना है और सत्तारूढ़ एलडीएफ ने इसके लिए सोशल मीडिया पर और घर-घर जाकर प्रचार शुरू कर दिया है. उधर, विपक्षी यूडीएफ तथा भाजपा नीत राजग अभी प्रत्याशियों के नामों पर माथापच्ची करने में जुटे हैं. माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने बहुत पहले उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इस मोर्चे ने चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें घोषित करने से पहले ही अपने उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक कर दिये थे. वाम मोर्चे के उम्मीदवारों ने मतदाताओं से व्यक्तिगत रूप से मिलना शुरू कर दिया है जबकि विपक्षी दल अभी चुनावी समर में उतरने की तैयारी ही कर रहे हैं.

माकपा की ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटों पर नजर
भाकपा के वरिष्ठ नेता और तिरूवनंतपुरम सीट से एलडीएफ के उम्मीदवार सी दिवाकरन ने यहां एक स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आईं महिला श्रद्धालुओं से वोट मांगे. एलडीएफ ने अपने छह वर्तमान सांसदों और छह विधायकों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. मोर्चे ने इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं और अनुभवी पार्टी सदस्यों को टिकटें दी हैं. अधिक से अधिक सीटें हासिल करना माकपा के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकसभा चुनावों के नतीजों को उनकी तीन साल पुरानी सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के तौर पर देखा जाएगा.

सबरीमाला मुद्दे का कितना होगा असर
विजयन को नतीजों के जरिये यह भी साबित करना है कि सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति के उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के उनके निर्णय को आम लोगों से समर्थन प्राप्त हुआ. विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे सबरीमला मुद्दे तथा विजयन के ‘‘अड़ियल रवैये’’ को उठाएंगे.

बीजेपी को खाता खुलने की उम्‍मीद
इस बीच, खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, केपीसीसी प्रमुख एवं वर्तमान सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन और वरिष्ठ नेता वीएम सुधीरन सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने लेाकसभा चुनाव लड़ने से अनिच्छा जाहिर की है जिससे कांग्रेसी नेतृत्व दुविधा में है. कांग्रेस नीत गठबंधन की चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों ने भी आशाएं बढ़ा दी हैं, जिनमें कांग्रेस नीत मोर्चे का केरल में शानदार प्रदर्शन का पूर्वानुमान लगाया गया है. भाजपा नीत राजग इस दक्षिणी राज्य में अपने उम्मीदवारों पर माथापच्ची करने में जुटा है. उसे इस बार केरल में खाता खुलने की उम्मीद है. वर्ष 2014 लोकसभा चुनावों में, केरल की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस नीत यूडीएफ ने 12 जबकि माकपा नीत एलडीएफ ने आठ सीटें जीती थीं.

नेताओं का भाजपा में खिंचाव कब तक?

चुनावों से पहले बदलते राजनैतिक समीकरण, बयार किस ओर बह रही है का इशारा माने जाते हैं। मोदी को चोर, डरपोक हत्यारा और भी न जाने क्या क्या कहने वाले इन हवाओं के रुख को नहीं समझ पा रहे।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले कई दलों में हलचल बढ़ गई है. बीजेपी में आज तीन बड़े नेता शामिल हुए हैं. तीनों नेता अलग-अलग दलों के हैं. ये तीन दल तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और बीजू जनता दल हैं. सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के सपा-बसपा के कई नेता बीजेपी के पाले में जा सकते हैं.  

चार बार के तृणमूल विधायक अर्जुन सिंह बीजेपी में शामिल
पश्चिम बंगाल की भाटापारा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह बृहस्पतिवार को भाजपा में शामिल हो गए. चार बार के विधायक सिंह के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को आम चुनावों में पश्चिम बंगाल में काफी लाभ मिलने की संभावना है. भाटपारा से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह भाजपा मुख्यालय में पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने सिंह के भाजपा में शामिल होने को कुछ खास महत्व नहीं दिया और उन्हें अपनी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चुनौती दी. गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित सांसद अनुपम हाजरा तथा कुछ और नेता कुछ ही दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौमित्र खान भी भाजपा में शामिल हुए थे.

सोनिया गांधी के करीबी नेता ने थामा बीजेपी का दामन
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को गुरुवार को बड़ा झटका लगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन बीजेपी में शामिल हो गए. टॉम वडक्कन केरल के त्रिशूर जिले से आते हैं. वडक्कन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निजी सहायक रहे हैं. राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद भी वह उनके करीबी माने जाते हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद टॉम वडक्कन ने कहा, ‘मैंने 20 साल कांग्रेस को दिए. कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति हावी है. पुलवामा हमले के बाद कांग्रेस के रुख से मैं काफी दुखी हूं. कांग्रेस पुलवामा हमले पर राजनीति कर रही है. मैं भारी मन से कांग्रेस को छोड़ रहा हूं.पाकिस्तानी आतंकियों का हमारी जमीन पर हमला और आप उस पर राजनीति करते हैं.’

बीजेडी के पूर्व नेता दामोदर राउत बीजेपी में 
बीजेडी के पूर्व नेता व विधायक दामोदर राउत ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. राउत ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ओडिशा के बीजेपी प्रभारी अर्जुन सिंह की उपस्थिति में बीजेपी ज्वॉइन की. बीजेपी में शामिल होने के बाद राउत ने कहा, “आखिरकार, बहुत ज्यादा सोच-विचार करने के बाद मैंने आज बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है. मैंने 45 साल राजनीति में गुजारे हैं. बीजेडी बीजू बाबू की विचारधारा को भुला चुकी है. राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ा है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा, “उनके मन में ओडिशा के लोगों के प्रति कोई प्यार नहीं है. ओडिशा में कई साल गुजारने के बाद भी वह उड़िया भाषा को नहीं बोल सकते.”  

मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ‘लंगड़ी सरकार’ है: शिवराज सिंह

लोक सभा चुनावों के बिगुल बजते ही राजनैतिक दल आपसी खींच तान में जुट जाते हैं और कए जगह हमें यह देखने को मिल भी रहा है। फिलहाल तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने वालों की संख्या अधिक जान पड़ती है। मध्य प्रदेश में पहले ही से संख्या बल को लेकर हमेशा से घबराई कांग्रेस को बीएसपी ने तो तकरीबन नकार ही दिया है, शायद गठबंधन धर्म निभाने को एसपी भी बसपा की राह चल पड़े। असंतुष्ट विधायकों की भी कांग्रेस में कमी नहीं है, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस को “लंगड़ी सरकार” न कहें तो क्या कहें?

शिवपुरी (मध्यप्रदेश): बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बुधवार को दावा किया कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ‘लंगड़ी सरकार’ है, जो समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) और निर्दलीयों की बैसाखी पर खड़ी है. उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है. चौहान ने शिवपुरी जिले के बैराड़ में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की ‘विजय संकल्प यात्रा’ के दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही.

कांग्रेस की सरकार आते ही डकैतों का राज फिर लौटा
चौहान ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही डकैतों का राज फिर लौट आया है. लगातार अपहरण की घटनाएं सामने आ रही हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि बंटाधार युग फिर लौट आया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के पहले कई वादे किए थे, लेकिन बीते ढाई माह में एक भी विकास कार्य नहीं हुआ. सरकार ने प्रदेश में तबादला उद्योग शुरू कर दिया है, विकास के काम ठप हो गए. उन्होंने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस सरकार में हर चीज बिकाऊ हो गई है, हर चीज के रेट तय है. ’

देश पीएम मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है 
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है. लेकिन यह सब कांग्रेस के मित्रों को रास नहीं आ रहा. उनके नेता लगातार सेना का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी के मुकाबले में कई पार्टियों का ‘ठगबंधन’ है. ‘अब तय आपको करना है कि आपको मजबूत सरकार देने वाले नरेन्द्र मोदी चाहिए या आतंकवादियों के समर्थन में बोलने वाला ठगबंधन.’

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के समय जब देश पर आतंकी हमले होते थे, तब कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी कहते थे- ‘देखते हैं.’ तोमर ने कहा, ‘इसके विपरीत जब उरी में आतंकी हमला हुआ, तो पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को खत्म किया गया. जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ तो एयर स्ट्राइक करके सभी आतंकियों को जहन्नुम पहुंचाने का काम हमारी सेना ने किया.’

पूर्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ॰ जाधव भाजपा से खडगे को देंगे चुनौती

कर्नाटक कांग्रेस में मची घमासान अभी थमी भी न थी की एक और घबराने वाली खबर ने कांग्रेस को चिंता में दाल दिया है। अभी चार दिन पहले कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले डॉ॰ उमेश जाधव, खडगे को लोक सभा चुनावों में चुनौती देंगे। जहां यह खडगे के लिए एक मुश्किल भरी खबर है वहीं डॉ॰ जाधव के लिए भी चुनौती भरी राह होगी।
बीएस येदियुरप्पा ने यह भी दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी कर्नाटक की 28 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. 

बेंगलुरु: कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को कहा कि डॉ. उमेश जाधव लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में गुलबर्गा सीट से चुनाव लड़ेंगे. येदियुरप्पा ने कहा कि जाधव कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि दिवंगत केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार बेंगलुरु दक्षिण सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने यह भी कहा कि इस पर अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान लेगा. 

कर्नाटक में जीतेंगे 28 लोकसभा सीट- बीएस येदियुरप्पा
वहीं, बीएस येदियुरप्पा ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी कर्नाटक की 26 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की उपलब्धियों और कर्नाटक सरकार की नाकामी के कारण हमें राज्य में बड़ा फायदा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि राज्य सरकार की नाकाम नीतियों और मोदी सरकार की सफल योजनाओं के कारण कर्नाटक में बीजेपी को 26 सीटें मिलना तय माना जा रहा है. वहीं, उन्होंने कहा कि जाधव को खड़गे के खिलाफ प्रत्याशी बनाने का फैसला पार्टी आलाकमान करेगी. 

मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ है गुलबर्गा सीट
गौरतलब है कि उमेश जाधव ने हाल ही में कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. जाधव उन तीन विधायकों में से एक हैं जो बीते माह ‘गायब’ हो गए थे. इसके बाद कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर से उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. जाधव कलबुर्गी जिले की चिनचोली से दो बार विधायक रह चुके हैं. गुलबर्गा लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ माना जाता है.