कांग्रेस-जेडीएस विधायक ‘रिजॉर्ट स्टे’ से तंग आ चुके हैं

कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई. अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे.

बेंगलुरू: 

कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई. अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे. उधर, सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन सरकार के विधायक रिजॉर्ट स्टे से तंग आ चुके हैं. कांग्रेस-जेडीएस विधायक पिछले एक सप्ताह से रिजॉर्ट में हैं. 

एक कांग्रेस विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हम पिछले एक सप्ताह से अपने परिवार से दूर हैं. अब हमें फ्लोर टेस्ट तक यानी 3-4 दिन तक रिजॉर्ट में और रहना होगा. हम एक सप्ताह से रिजॉर्ट में रह-रहकर तंग आ चुके हैं. हम कुछ कर नहीं सकते क्योंकि हम पर नजर है.”  

कांग्रेस के लगभग 40 विधायक शहर के बाहर क्लार्क्स एक्सोटिका कन्वेंशन रिजॉर्ट में जबकि 60 अन्य विधायक ताज वियांता होटल में हैं ताकि वे बीजेपी के संपर्क में न आ सकें. इसी तरह से, जेडीएस के लगभग 30 विधायकों को 6 जुलाई को गोल्फशायर रिजॉर्ट में शिफ्ट किया गया है. 

एक जेडीएस विधायक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया, “अपने दोस्तों और परिवार से कई दिनों से रिजॉर्ट में रहना मुश्किल हो रहा है. हम पर हर वक्त नजर रखी जा रही है.”  

गठबंधन सरकार का संकट जस का तस
16 विधायकों के इस्तीफे से मुश्किल में फंसी कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार का संकट जस का तस बना हुआ है. गठबंधन को हालांकि सोमवार को बीजेपी द्वारा की गई बहुमत पेश करने की मांग से बचने का मौका जरूर मिल गया. सदन में कार्रवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने मांग की कि बहुमत परीक्षण को गुरुवार तक के लिए टाल दिया जाए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सदन की कार्रवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है. इसके साथ ही राज्य की वर्तमान सरकार को थोड़ा और वक्त मिल गया है ताकि वो अपने बागी विधायकों को मना ले.

गौरतलब है कि अध्यक्ष ने अभी तक बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता होगी कि वे उचित फॉर्मेट में हैं भी या नहीं. बता दें कि 16 बागियों में से 15 ने 10 जुलाई और 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस्तीफे स्वीकार करने में हो रही देरी के कारण विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की गुहार लगाई थी. इस संबंध में शीर्ष अदालत मंगलवार को फिर से सुनवाई करेगी. 

225 सदस्यीय विधानसभा में, कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास बसपा व एक क्षेत्रीय पार्टी के एक-एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ अध्यक्ष सहित कुल 118 विधायक हैं. यह आवश्यक बहुमत के निशान से सिर्फ पांच ही अधिक है. अब अगर 16 बागी और दो निर्दलीय सहित सभी 18 विधायक सत्र में शामिल नहीं होते हैं, तो मतदान के लिए सदन की प्रभावी शक्ति 205 ही रह जाएगी, जिसमें भाजपा के 105 सदस्य होंगे. जबकि अध्यक्ष और नामित सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा.

मुकुल रॉय के ब्यान ने मचाई खलबली

गोवा और कर्नाटक में सियासी हलचल से अभी कांग्रेस थी तरह उभरी भी नहीं थी की उसे बंगाल से एक बहुत ही भयंकर समाचार प्राप्त हुआ है। बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने कहा

है कि पश्चिम बंगाल में 107 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. मुकुल रॉय ने कहा कि इन सभी विधायकों की लिस्ट तैयार हो चुकी है और उनसे लगातार संपर्क बना हुआ है। कर्नाटक में अभी थोड़ी सुध आ ही रही थी कि मुकुल रॉय के ब्यान ने एक बार फिर सियासी तूफान मचा दिया है।

कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता मुकुल रॉय ने शनिवार को एक ऐसा दावा किया है, जिससे पश्चिम बंगाल की सियासत में भारी उथल-पुथल मच सकती है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, मुकुल रॉय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में 107 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. उन्होंने दावा किया कि सीपीएम, कांग्रेस और टीएमसी के 107 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि हमारे पास उन विधायकों की लिस्ट तैयार हो गई है और उनसे लगातार संपर्क में हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर काबिज हुई थी. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी कोई भी कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहती है. अभी हाल ही में टीएमसी के कई नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा था. टीएमसी के नेताओं का बीजेपी में शामिल होने का क्रम लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था.  

यदि ऐसा हो जाता है तो सबसे अधिक नुकसान काँग्रेस को होगा। वह बंगाल में अपना बचाखुचा जनाधार भी खो देगी।

“हम विधानसभा सत्र के निर्वाध संचालन के लिए विश्वस्त और तैयार हैं.” कुमारस्वामी

कर्नाटक विधानसभा से सत्तारूढ़ कांग्रेस व जेडीएस के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने के बाद सरकार के भविष्य पर बड़ा संकट पैदा हो गया है.

बेंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा से सत्तारूढ़ कांग्रेस व जेडीएस के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने के बाद सरकार के भविष्य पर बड़ा संकट पैदा हो गया है. पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के 13 जबकि जेडीएस के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे गठबंधन सरकार संकट में पड़ गई है. राज्य में आज यानी शुक्रवार से मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि उनकी सरकार मजबूत है, हालांकि अस्थिर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. कुमारस्वामी ने कहा, “हम विधानसभा सत्र के निर्वाध संचालन के लिए विश्वस्त और तैयार हैं.” 
   
इससे पहले, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि उन्हें सत्ताधारी कांग्रेस और जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे नियत फॉर्मेट में मिले थे. कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, “विधायकों ने अपना इस्तीफा मेरे कार्यालय में नियत फॉर्मेट में लिखे. मैं उन पर विचार करूंगा और उनकी बात निजी तौर पर सुनने के बाद फैसला लूंगा.”

उन्होंने कहा, “मैं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित करूंगा कि मैंने मामले पर कार्रवाई कानून और दिन में पूर्व में जारी अपने आदेश के अनुसार की है.”

अगर 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हुए
अगर अध्यक्ष 16 विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लेते हैं, तो विधानसभा की प्रभावी ताकत 225 से घटकर 209 हो जाएगी और बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 105 हो जाएगा जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमटकर अल्पमत में आ जाएगा. 

स्पीकर को आज सर्वोच्च न्यायालय में सौंपनी होगी फैसले की प्रति

कर्णाटक के स्पेकर येन केन प्रकारेण अपने दल काँग्रेस की सरकार बचाने की जुगत में हैं। वह हर संभव कोशिश में हैं की किसी तरह सत्र मानसून सत्र निकाल जाये, परांतु ऐसा होता प्रतीत नहीं होता। जितना सत्ता पाक्स देरी कर रहा है उतने ही और नेता बागी हो रहे हैं। स्पीकर ने कहा था कि कोर्ट इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकता.स्पीकर की तत्काल सुनवाई की मांग गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी. परसों ही 3 और विधायकों ने त्यागपत्र दिये थे जिससे बागी हुए विधायकों की संख्या बढ़ कर 16 हो गयी है।

नई दिल्लीः कर्नाटक के 10 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा.चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई करेगी.गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को शाम छह बजे तक स्‍पीकर के सामने पेश होने कहा था. साथ ही स्‍पीकर को कोर्ट ने निर्देश दिया था कि उसके बाद वह इस्‍तीफे पर फैसला लें और फैसले की कॉपी कोर्ट में सौंपे. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के डीजीपी से बागी विधायकों को सुरक्षा देने को कहा था.उधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक विधानसभा स्पीकर ने शीर्ष अदालत से अपने आदेश को वापस लेने की मांग की थी.

स्पीकर ने कहा था कि कोर्ट इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकता.स्पीकर की तत्काल सुनवाई की मांग गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी. हालांकि कोर्ट ने स्पीकर को याचिका दायर करने की इजाजत दे दी थी. 

यह भी पढ़ें : कर्णाटक स्पीकर ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय तय नहीं करेगा की कब और क्या फैसला लेना है

इससे पहले बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाए थे.विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार इस्तीफे को खारिज कर दिया था.इसके खारिज करने की वजह इस्तीफा तय फॉर्मेट में नहीं होना बताया गया था. स्पीकर ने इन विधायकों को अब दोबारा इस्तीफा सौंपने के लिए कहा था. इस्तीफों के खारिज होने के बाद गठबंधन सरकार अल्पमत में आने से बच गई है और उसे थोड़ी राहत मिली थी.

आपको बता दें कि बागी विधायकों के इस्तीफों के बाद सदन में गठबंधन सरकार के विधायक घटकर 103 हो गए हैं. जबकि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और दो निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है जिन्होंने सोमवार को गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था. सभी बागी विधायकों ने महाराष्ट्र में किसी गुप्त जगह पर डेरा डालकर रखा है.कांग्रेस के कई शीर्ष नेता और इसके संकटमोचक डीके शिवकुमार बागी नेताओं के साथ लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह अभी तक कामयाब नहीं हो पाए है.कांग्रेस को उम्मीद हैं की वह बागी विधायकों से बात कर उन्हें मना लेंगे और वापस पार्टी में शामिल करने में सफल होंगे.


गोवा में कॉंग्रेस विलुप्त

काँग्रेस को सिर्फ सत्ता लोलुपता और ऐय्याशियों ने डुबोया है, काँग्रेस सत्ता से दूर शायद रह भी ले परंतु कोंग्रेसी नहीं रह सकते। आज जिस प्रकार से भाजपा में शामिल होने की होड़ मची है सासे यही साबित होता है की येन केन प्रकारेण कोई पद, कोई कुर्सी या महकमा हाथ लग जाये। मोदी के नेतृत्व में भाजपा की प्रचंड जीत और सर्वोपरो अमेठी से राहुल गांधी की शर्मनाक हार का असर कॉंग्रेस पर इतना पड़ा की वह 2024 के लिए भी परेशान हो गए। आज गोवा में कॉंग्रेस विल्प्त हो गयी। गोवा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो ने इस मामले पर कहा कि कांग्रेस के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. यह उनके कुल विधायकों की संख्या का दो-तिहाई है.

नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार पर सियासी संकट गहरा रहा है. वहीं, इन सबके बीच कांग्रेस के लिए गोवा राज्य से भी बुरी खबर सामने आ रही है. गोवा में कांग्रेस के 10 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इन विधायकों में चंद्रकांत कावलेकर भी शामिल हैं, जो विपक्ष के नेता थे. कांग्रेस के 10 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों के अपने विपक्षी नेता के साथ बीजेपी में शामिल होने से हमारी संख्या 27 हो गई है. सभी विधायक बिना किसी शर्त के बीजेपी में शामिल हुए हैं.

गोवा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो ने इस मामले पर कहा कि कांग्रेस के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. यह उनके कुल विधायकों की संख्या का दो-तिहाई है. कांग्रेस विधायकों का विलय नियमानुसार हुआ है. वहीं, गोवा विधानसभा के स्पीकर राजेश पाटनेकर ने कहा कि आज कांग्रेस के 10 विधायकों ने मुझे पत्र देकर बीजेपी में शामिल होने की जानकारी दी. दूसरा पत्र मुझे गोवा के सीएम प्रमोद सावंत की ओर से मिला, जिसमें बीजेपी का संख्याबल बढ़ने की बात कही गई थी. मैंने दोनों पत्र स्वीकार कर लिए हैं.  

वहीं, कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने कहा कि अगर विधानसभा क्षेत्र में कोई विकास नहीं होगा तो लोग हमें दोबारा कैसे चुनेंगे. कांग्रेस ने जो भी वादें किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास गोवा में सरकार बनाने के कई मौके थे, लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में एकता की कमी के कारण यह नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि यह कभी हो भी नहीं पाएगा इसलिए हमनें बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया है. 

कावलेकर ने कहा कि गोवा के सीएम प्रमोद सावंत अच्छा काम कर रहे हैं इसलिए हम 10 विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है. मैं विपक्ष का नेता होने के बावजूद अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं करवा पा रहा था. उन्होंने कहा कि राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कुछ लोगों के कारण हम सरकार नहीं बना सके. बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं में बाबू कावलेकर, बाबुश मोनसेराट, उनकी पत्नी जेनिफर मोनसेरेट, टोनी फर्नांडिस, फ्रांसिस सिल्वेरा आदि हैं.  

गुलाम नबी आज़ाद impact: 2 और कोंग्रेसी विधायकों ने त्यागपत्र सौंपा

आज़ाद के आने का असर यह हुआ कि 2 और विधायकों ने त्यागपत्र सोंप दिये

रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया है.  कांग्रेस के संकटमोचन राज्य सभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद आज बेंगलोर में हुंकार भर रहे थे। वह आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा ओ धोबी पछाड़ देने के लिए और काँग्रेस को कर्णाटक संकट से उबारने गए थे। वह जब राज्यपाल के संदिग्ध आचरण पर पत्रकारों से बातचीत करने में मशगूल थे तब कॉंग्रेस के 2 और नेताओं ने अपना इस्तीफा दे दिया इस्तीफा देने वालों की संख्या ग्लाम नबी आज़ाद के जाने के बाद अब 16 हो गयी है। आज़ाद राज्यपाल पर आलोकतांत्रिक तरीके से काम करने का इल्ज़ाम लगा रहे थे। तब स्पीकर काँग्रेस सरकार बचाने की जगत में इस्तीफ़ों में खामियाँ नियालने में तुले थे। कॉंग्रेस भाजपा पर खरीद फ़रोहत के इल्ज़ाम लगा रही थी तो दूसरी ओर वह बागी विधायकों को मंत्री पद दे कर खरीदना चाहती है। जहां कॉंग्रेस राज्यपाल पर दोषारोपण करती है वहीं स्पीकर की भूमिका सीधे सीधे एक तरफा दीख पड़ती है। वैसे त्यागपत्रों का सिलसिला अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे और भी राज्यपालों की भूमिका को संदिग्ध कहा जाने वाला है।

बेंगलुरू: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संकटमोचक गुलाम नबी आजाद ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ अपनी गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कर्नाटक के बागी विधायकआर. रामालिंगा रेड्डी से आग्रह किया कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें. यह जानकारी बुधवार को पार्टी ने आधिकारिक तौर पर दी है. पार्टी आलाकमान की सलाह पर, आजाद पार्टी के दर्जन भर उन बागी विधायकों को रोकने के लिए मंगलवार रात बेंगलुरू रवाना हुए थे, जिन्होंने अपनी 13 महीने पुरानी सरकार में अविश्वास जाहिर करते हुए छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. इनमें रेड्डी भी शामिल हैं.

पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता रवि गौड़ा के अनुसार, आजाद ने दिन में पहले रेड्डी से फोन पर बात की और उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने और गठबंधन सरकार को बचाने में मदद करने के लिए कहा है. गौड़ा ने कहा कि आजाद ने रेड्डी से राज्य के एक अतिथि गृह में मिलने के लिए भी कहा, जहां वह रह रहे हैं. उन्होंने रेड्डी से यह भी कहा कि वह शहर में उनके घर पर उनसे मिलकर गठबंधन सरकार पर आए संकट पर चर्चा करने के लिए भी तैयार हैं.

हालांकि, रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया. गौरतलब है कि 66 वर्षीय रेड्डी आठ बार के दिग्गज कांग्रेसी विधायक हैं. आजाद ने सुबह नाश्ते पर हुई एक बैठक में पार्टी के स्थानीय नेताओं राज्य के प्रभारी के. सी. वेणुगोपाल, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, उप-मुख्यमंत्री जी. परमेश्वरा, राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा सदस्य बी. के. हरिप्रसाद के साथ संकट पर चर्चा की.

बाद में आजाद ने पत्रकारों से बातचीत में उन राज्यों के राज्यपालों पर आरोप लगाए कि जहां हाल तक कांग्रेस सत्ता में रही है, वहां के राज्यपालों ने भजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर काम करते हुए लोकतंत्र को नष्ट किया. उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्यों में राज्यपाल जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे लोग आंदोलित हैं. इस देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है. एक के बाद एक राज्य में विपक्षी सरकारें गिराई जा रही हैं और राजग सरकार उनका (राज्यपाल) उपयोग बोली लगाने में कर रही है.

इस दौरान आजाद ने राज्यपालों और केंद्र सरकार के “अलोकतांत्रिक” तरीकों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की अपील भी की. उन्होंने यहां तक कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला राज्य की गठबंधन सरकार को गिराने में भाजपा की मदद कर रहे हैं. 

हारने के बाद पहली बार अमेठी आए राहुल

राहुल गांधी अपनी पुश्तैनी सीट ‘अमेठी’ गँवाने के बाद पहली बार यहाँ आए। यहाँ आ कर उन्होने अपनी हार की समीक्षा नहीं की, उन्होने अमेठी जो की उनकी परंपरागत और पुश्तैनी सीट रही है वहाँ हुई शर्मनाक हार के कारणों का विश्लेषण अपने कार्यकर्ताओं के साथ सांझा नहीं किया आपितु उन्हे यह बताया की वह ताल ठोकते रहें रहुल तो अब वायनाड में सक्रिय रहेंगे। उनके हस्पताल के बाहर लगे पोस्टर पर भी उन्होने कोई टिप्पणी नहीं की।

अमेठी: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में अपने परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से पराजित होने के बाद बुधवार को पहली बार यहां पहुंचे. राहुल ने इस दौरान निर्मला शैक्षिक संस्थान में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. बैठक में शामिल रहे कार्यकर्ताओं के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा कि वह अमेठी नहीं छोड़ेंगे, और वह लगातार यहां आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी बहन प्रियंका वाड्रा भी यहां आती रहेंगी. राहुल ने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया और कहा कि वे हार से निराशा न हों, और क्षेत्र में जाकर पार्टी को मजबूत करें. उन्होंने आगे कहा कि अब वह वायनाड से सांसद हैं, इसलिए ज्यादा समय उन्हें वहां देना होगा.

फिर भी यहां के कार्यकर्ताओं को जब भी उनकी जरूरत होगी, वह हर समय उनके साथ खड़ा रहेंगे. इस दौरान, कार्यकर्ताओं के साथ राहुल की बैठक में प्रवेश न मिलने पर नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गेट के बाहर जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र के खिलाफ नारेबाजी की.

इस बीच, अमेठी में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें संजय गांधी अस्पताल को लेकर राहुल गांधी से जवाब मांगा गया है. पोस्टर में लिखा है, “न्याय दो न्याय दो, मेरे परिवार को न्याय दो, दोषियों को सजा दो, इस अस्पताल में जिंदगी बचाई नहीं गंवाई जाती है. सुबह से ही यह पोस्टर अमेठी में चर्चा का विषय है.

करनाटक के नाटक का आज हो सकता है पटाक्षेप

सरकार को समर्थन दे रहे 2 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कि‍या है. वहीं कांग्रेस के निलंबि‍त विधायक रोशन बेग इस्‍तीफा देकर बीजेपी में शा‍मि‍ल होंगे. गठबंधन सरकार की हालत सोमवार को तब और ज्यादा नाजुक हो गई, जब लघु उद्योग मंत्री एच नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, उनके साथ क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी (कर्नाटक प्रज्ञावंतारा जनता पक्ष) के आर. शंकर ने भी मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है सूत्रों की मानें तो शंकर भी नागेश की राह पर हैं और भाजपा को समर्थन दे सकते हैं। जहां जेडीएस और काँग्रेस इस संकट के लिए भजपा को दोषी मान रही है वहीं जानकारों की मानें तो सारा खेल काँग्रेस का रचाया हुआ है। सत्ता से बाहर हुए मल्लिकार्जुन खडगे को कर्णाटक के मुख्य मंत्री बनाए जाने की कवायद में सिद्धरमाइया ने अपना हित ऊपर रख लिया, बागी विधायक सिद्धरमिया के खेमे से हैं।

बेंगलुरु: कर्नाटक में चल रहे सियासी नाटक से मंगलवार को पर्दा उठ सकता है.आज राज्य की कांग्रेस और जेडीएस सरकार की किस्‍मत का फैसला आज हो जाएगा. कांग्रेस-जेडीएस के 11 विधायकों के इस्‍तीफे स्‍वीकार होते हैं या नहीं, इस पर आज स्पीकर फैसला लेंगे. बता दें इन सभी विधायकों गोवा भेजा गया है. उधर बेंगलुरु में बैठे तीन विधायकों ने इस सरकार की मुसीबतें बहुत बढ़ा दी हैं. इनमें दो निर्दलीय वि‍धायक हैं. सरकार को समर्थन दे रहे 2 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कि‍या है. 

बेंगलुरु में आज बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है. वहीं निलंबित कांग्रेस विधायक रोशन बेग आज बीजेपी में शामिल होंगे. इससे पहले कांग्रेस विधायक अरव‍िंद स‍िंह इस्‍तीफा दे चुके हैं. वहीं एक और विधायक प्रताप गौड़ा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं.

वहीं आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी होने जा रही है. बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस ने सभी विधायकों को सर्कुलर जारी कर चेतावनी दी है. पार्टी ने कहा है कि बैठक में शामिल नहीं होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. विधायक दल की बैठक में सिद्धारमैया भी शामिल होंगे. बताया जा रहा है कि कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी और कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडू राव भी शामिल होंगे. 

कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी ने कहा कि राज्य सरकार आसानी से चलेगी. वहीं, कुमारस्वामी के इस बयान पर बीएस येदियुरप्पा ने पलटवार किया है. येदियुरप्पा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि दो निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की है. साथ ही उन्होंने पत्र लिखकर बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है. विधानसभा में अब हमारी संख्या 107 हो गई है. उन्होंने कुमारस्वामी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बहुमत खो दिया है, इसके बावजूद वो इस तरह की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता हर चीज समझ रही है. हम देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रहे हैं.

कांग्रेस से निलंबित चल रहे विधायक रौशन बेग ने न्यूज एजेंसी एएनआई पर बड़ा बयान दिया है. विधायक रोशन बेग ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव किया है, उससे मैं आहत हूं, उन्होंने कहा कि मैं अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा और बीजेपी में शामिल हो जाऊंगा.

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार असंतुष्ट विधायकों से मिलने के लिए मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार नाराज चल रहे विधायकों से मिलने के लिए मुंबई के सोफीटेल होटल पहुंचेंगे. वहीं, बताया जा रहा है कि कर्नाटक के निर्दलीय विधायक आर शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है.  खबर है कि आर शंकर भी मुंबई जाकर नाराज विधायकों से बात कर सकते हैं.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक से पहले बड़ा बयान दिया था. येदियुरप्पा ने कहा कि बीजेपी विधायकों की बैठक होने वाली है और हम इसमें उचित निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि मंगलवार को बीजेपी कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की सरकार ने बहुमत खो दिया है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग होगी कि सीएम कुमारस्वामी तत्काल इस्तीफा दें और कर्नाटक की जनता भी यही चाहती है.

येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार ने बहुमत खो दिया है. इस स्थिति में उनके पास सरकार को चलाने का कोई नैतिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार के अल्पमत में आने के कारण ही हम मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग रहे हैं.

कर्नाटक में संकट में चल रही जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार की हालत सोमवार को तब और ज्यादा नाजुक हो गई, जब लघु उद्योग मंत्री एच नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. राज्यपाल वजुभाई वाला को लिखे पत्र में नागेश ने कहा, “मैंने आज (मुख्यमंत्री) एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया है.” नागेश ने शहर के मध्य स्थित राजभवन में वाला को अपना इस्तीफा सौंपा. उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि वह 13 महीने पुरानी सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं.

नागेश ने पत्र में लिखा, “इस पत्र के माध्यम से आपको यह भी सूचित करना चाहूंगा कि मैं कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहा हूं.” नागेश ने राज्यपाल से यह भी कहा है कि वह कोलार जिले की मुलबगल (अनुसूचित जाति) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे.

नागेश को बमुश्किल एक महीने पहले ही 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. उनके साथ क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी (कर्नाटक प्रज्ञावंतारा जनता पक्ष) के आर. शंकर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, ताकि दिसंबर से ही बगावत पर उतारू कांग्रेस के लगभग दर्जन भर विधायकों की धमकी से उत्पन्न खतरे से गठबंधन सरकार को बचाया जा सके. 

नगर निकाय मंत्री शंकर ने भी कांग्रेस के अन्य 20 मंत्रियों के साथ अपना इस्तीफा कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया को सौंप दिया, ताकि दर्जन भर बागी विधायकों के इस्तीफा वापस लेने और उन्हें मंत्री बनाए जाने का रास्ता साफ हो सके, और गठबंधन सरकार को 12 जुलाई से शुरू हो रहे 10 दिवसीय मॉनसून सत्र से पहले गिरने से बचाया जा सके. यह दूसरा मौका है, जब नागेश और रन्नेबेन्नूर सीट से विधायक शंकर ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है. इससे पहले उन्होंने 22 दिसंबर को मंत्री पद से हटाए जाने के बाद 15 जनवरी को सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार के संकट के लिए भाजपा पर आरोप लगाया है. कांग्रेस विधायक डीके सुरेश ने संवाददाताओं से कहा, “राज्य में इस राजनीतिक संकट के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेताओं का हाथ है. वे किसी भी राज्य में कोई सरकार या किसी विपक्षी दल की सरकार नहीं चाहते हैं. वे लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं.” भाजपा के नेताओं ने इस आरोप पर पलटवार किया है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा, “कर्नाटक में राजनीतिक संकट से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है.”

कर्नाटक सरकार पर संकट गहराया

कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिरने की कगार पर है. बागी कांग्रेस विधायक रोशन बेग ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया है. वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं. ये पूरा राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब राज्य में 12 जुलाई से मानसून सत्र होना है. दोनों दलों के नेता सरकार बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. देखना होगा कि उन्हें इसमें कहां तक सफलता मिलती है. 

बेंगलुरू: कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिरने की कगार पर है. कांग्रेस के 22 मंत्रियों और जनता दल-सेकुलर (जेडीएस) के सभी नौ मंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया है. सोमवार को यह संकट और बढ़ गया जब निर्दलीय नागेश ने लघु उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया  और मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया. नागेश के साथ क्षेत्रीय पार्टी के पीजेपी के आर.शंकर ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया है. रही सही कसर बागी कांग्रेस विधायक रोशन बेग ने पूरी कर दी है. बेग ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया है. वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं.

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उधर, कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी को विधानसभा में समर्थन मिलने की बात कही है. येदियुरप्पा का कहना है कि विधानसभा में अब बीजेपी की सदस्य संख्या 107 हो गई है. उन्होंने कुमारस्वामी से इस्तीफे की मांग की है. यह समस्या शनिवार को शुरू हुई जब सरकार पर अविश्वास जताते हुए कांग्रेस के 10 व जेडीएस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. शनिवार को इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने कर्नाटक छोड़ दिया है और वे मुंबई में ठहरे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, इस्तीफा देने वाले विधायक मंगलवार को बेंगलुरू लौटकर स्पीकर से मुलाकात कर सकते हैं. इस्तीफा का दौर शुरू होने से पहले गठबंधन के पास 118 विधायकों का समर्थन था जो कि 113 के बहुमत के आंकड़े से 5 ज्यादा था. 

नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर टिकीं 
विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफे के बाद सभी की नजरें विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार पर टिकी हैं. उन्हें इन इस्तीफों पर अभी निर्णय लेना है. उधर, कर्नाकट कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने स्पीकर से बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील की है. मजेदार बात यह है कि ये पूरा राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब राज्य में 12 जुलाई से मानसून सत्र होना है. दोनों दलों के नेता सरकार बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. देखना होगा कि उन्हें इसमें कहां तक सफलता मिलती है. 

रौशन बेग ने भाजपा में शामिल होंगे

लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर शिवाजीनगर से विधायक रोशन बेग ने कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधा था. दरअसल, विधायक रोशन बेग ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव किया है, उससे मैं आहत हूं. उन्होंने कहा कि मैं अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा और बीजेपी में शामिल हो जाऊंगा.

बेंगलुरु: कर्नाटक में जारी सियासी संकट से निपटने के लिए कांग्रेस हरसंभव कोशिश करने में जुटी हुई है. इन सबके बीच कांग्रेस से निलंबित चल रहे विधायक रोशन बेग ने ही पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. दरअसल, विधायक रोशन बेग ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव किया है, उससे मैं आहत हूं. उन्होंने कहा कि मैं अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा और बीजेपी में शामिल हो जाऊंगा. बता दें कि रोशन बेग को कांग्रेस ने ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था.

रोशन बेग ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी के मेर प्रति किए गए व्यवहार से आहत हूं और मुझे कड़वा सच बोलने के कारण निलंबित किया गया. उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व पूरी तरह से नाकाम रही है और उनकी कोई जवाबदेही नहीं है. मैं न मुंबई जा रहा हूं और न गोवा, मैं यहीं बेंगलुरु में ही रहूंगा. उन्होंने कहा कि मैं विधायक के पद से इस्तीफा दे रहा हूं. साथ ही बीजेपी के संपर्क में हूं. उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर कहा कि क्यों नहीं. मैं ईमान नहीं बदल रहा हूं. बीजेपी भी एक राजनीतिक पार्टी है. उसमें क्या बुरी बात है. 

दरअसल, लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर शिवाजीनगर से विधायक रोशन बेग ने कांग्रेसी नेताओं पर निशाना साधा था. विधायक बेग ने सिद्धारमैया के ‘अहंकार” और केपीसीसी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव की ‘अपरिपक्वता’ को ‘फ्लॉप शो’ के लिए जिम्मेदार ठहराया था. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. 

इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर मुस्लिमों को नजरअंदाज करने आरोप भी लगाया था. उन्‍होंने कहा था, ‘कर्नाटक में कांग्रेस ने ईसाइयों को एक भी सीट नहीं दी, मुस्लिमों को सिर्फ एक सीट पर टिकट दिया गया. उनको नजरअंदाज किया गया है. मैं इस सबको लेकर परेशान हूं. हमारा इस्‍तेमाल किया गया है.’ बेग से जब यह पूछा गया था कि क्‍या आने वाले कुछ दिनों में आप कांग्रेस छोड़ सकते हैं. तो उनका कहना था कि अगर आवश्‍यक हुआ तो जरूर ऐसा होगा.