ABVP hold dinner party after code of conduct comes into effect

The Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP) held two meetings after the campaign deadline on Tuesday. The code of conduct comes into effect from 5 pm onwards on the second last day before the election every year.

The authorities did not allow the Students for Society (SFS) to stage their street play ‘Mela Votaan Da’ at the girls’ hostels 3 and 4 after 5 pm.

This year, the student parties collectively decided not to hold rallies a day before the election.

Student bodies have to take permission of the election committee to hold their rallies. “We just did not have time to talk to students this time due to so many holidays. So, we collectively decided not to hold the rallies,” said Harmanjot Singh Gill, senior ABVP leader.

But the National Students Union of India (NSUI) and the Students Organisation of India (SOI) both took out mini-rallies at hostels.

Sources said during the day, the ABVP held a meeting exclusively for day scholars at the Law Bhawan, Sector 37, to ask for votes. Later in the evening, they called a meeting of research scholars from various departments, which triggered condemnation from the SFS.

Mohit Verma, Chandigarh president, ABVP, addressed the scholars and asked them to vote for the “progressive” alliance of the ABVP and the Students Federation of Panjab University (SFPU).

None of the panel members who are contesting the elections were present.

Those who attended the meeting said the speaker called for unity against “anti-nationals who called soldiers rapists”.

One scholar who was present at the meeting said research guides told scholars to attend a meeting that would “enlighten” them on scholarships.

The SFS alleged that even some heads of department were involved in spreading the word and demanded to know why they were discriminated against.

“Why weren’t we allowed to stage our play? We should all stand against the blatant intervention by the RSS in university elections,” said Harman Deep, spokesperson, SFS. The ABVP also asked scholars to fill up forms stating their name, phone, education, email and address.

ABVP leader Gill said it was just a meeting of scholars and there were only 20 to 30 of them. Sources said scholars from departments such as physics, mathematics, economics, Hindi, education and history attended the meeting.

Prof Upinder Sawhney, HoD, department of economics, said, “I have no knowledge of such a meeting and we did not get any such circular at all.”

Chairperson of Department of Hindi, Prof Gurmeet Singh, also said neither he was informed of the meeting nor did he ask any student to attend such a meeting.

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण पर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव की अभद्र टिप्पणी पर कांग्रेस चुप


गौरतलब है अभी कुछ दिन पहिले ही सुरजेवाला ने कांग्रेस्स के डीएनए में ब्राह्मण होने की बात काही थी, अब यह….. 


हिमाचल प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे नीरज भारती वक्त-वक्त पर अपनी अभद्र टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहते हैं. वो फिर अपनी एक फेसबुक पोस्ट को लेकर विवादों में आ गए हैं. जन्माष्टमी के मौके पर एक फेसबुक पोस्ट में भारती ने कृष्ण पर अपमानजनक पोस्ट किया है.

भारती ने जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण भगवान की एक फोटो फेसबुक पर शेयर की, जिसमें वह पेड़ पर बैठे हैं और नीचे नग्न अवस्था में गोपियों को नहाते हुए दिखाया है. इस फोटो के साथ भारती ने लिखा, ‘आज इसका जन्मदिन है क्या?’

भारती की इस पोस्ट पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने भारती पर निशाना साधा और साथ ही राहुल गांधी को भी लपेटे में ले लिया. ठाकुर ने राहुल से सवाल किया.

बीजेपी के संसद में मुख्य सचेतक ठाकुर ने फेसबुक पर लिखा, ‘आपकी मानसरोवर यात्रा ढोंग है. आपकी सुरक्षा के तहत ऐसे अपमानजनक पोस्ट लोगों की धार्मिक भावनाओं पर हमला हैं.’ ठाकुर ने अपने इस पोस्ट के साथ भारती की पूर्व हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री वीरभद्र के साथ की दो तस्वीरें भी पोस्ट कीं.

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि ऐसे पोस्ट कांग्रेस की एंटी हिंदू की छवि को उजागर करते हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से कांगड़ा के सुपरिटेंडेंट ने कहा है कि उन्हें इस बारे में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, अगर मिलती है तो भारती पर उचित कार्रवाई करेंगे.

भारती के अभद्र टिप्पणी के मामले में कांग्रेस ने अपना पल्ला झाड़ा है. कांग्रेस के प्रवक्ता नरेश चौहान का कहना है कि कांग्रेस इस तरह की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करती है. कांग्रेस पार्टी इस मामले से खुद को अलग करती है और यह उनका निजी मामला है. कांग्रेस की विचारधारा ऐसी नहीं है.

नीरज भारती पर पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के चलते एफआईआर दर्ज करवाया जा चुका है. इस पोस्ट पर बीजेपी लीडर प्रतिभा बाली ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने उनका भी अपमान किया. इसके अलावा वह फेसबुक पर अपनी विवादित पोस्ट के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी, स्मृति ईरानी, बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर पर भी अभद्र टिप्पणियां कर चुके हैं.

हरियाणा सरकार व माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप सुचारू यातायात प्रबंधों में सफल रहा जिला प्रशासन

फोटो संदर्भ हेतु


-हड़ताल का जिला में नहीं दिखा कोई खास असर
-डीसी व एसपी ने प्रबंधों को लेकर स्वयं संभाली कमान


फतेहाबाद,
हरियाणा सरकार तथा माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा किए गए पुख्ता प्रबंधों के चलते बुधवार को कुछ संगठनों द्वारा की गई रोडवेज की हड़ताल का कुछ खास असर देखने को नहीं मिला और जिला से विभिन्न रूटों पर राज्य परिवहन के अतिरिक्त अन्य राज्यों की बसें व सरकार से परमिट प्राप्त बसें चलती रही। प्रशासनिक अधिकारियों तथा पुलिस के जवानों की मुस्तैदी के चलते आम जनता ने भी राहत की सांस ली और उन्हें अपने गंतव्य तक जाने में ज्यादा दिक्कतें नहीं हुई।
बुधवार सुबह हड़ताली कर्मचारियों ने बसों की आवाजाही को बाधित करने का प्रयास किया, जिस पर पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में ले लिया गया। प्रशासन द्वारा बसों को चलाने के लिए वैकल्पिक समाधान समय रहते कर लिए गए। उपायुक्त डॉ जेके आभीर तथा पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण ने स्वयं जिला भर के विभिन्न मार्गों एवं बस अड्डा परिसरों का दौरा कर सभी प्रबंधों व सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उपायुक्त डॉ आभीर ने कहा कि हरियाणा रोडवेज आम जनता के यातायात का प्रमुख साधन है, जिसे सुचारू रूप से चलाना प्रशासन की अह्म जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि आमजन को अपने रोजमर्रा के कार्यों के अतिरिक्त आकस्मिक कार्य भी करने होते हैं। ऐसे में यदि रोडवेज व्यवस्था ठप्प हो जाए तो जनता को भारी दिक्कतें होती है।
पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण ने कहा कि कानून एवं शांति व्यवस्था को बनाए रखना तथा आमजन के अधिकारों की रक्षा पुलिस की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है। हड़ताल के मद्देनजर पुलिस ने बखूबी से अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन किया है। उन्होंने अपील की कि कोई भी व्यक्ति किसी आंदोलन के नाम पर कानून एवं शांति व्यवस्था को न बिगाड़े। इस मौके पर एसडीएम सरजीत नैन, डीएसपी जोगेन्द्र शर्मा सहित अन्य प्रशासनिक अमला भी मौजूद रहा।

पुलिस ने हड़ताली रोडवेज कर्मचारियों पर बरसाए डंडे, बसों को किया रवाना

खबर ओर फोटो अजय कुमार


प्रशासन पूरी सुरक्षा में बसों को चलाने की कोशिश कर रहा है और लम्बे रूट की कई बसों को सुरक्षा के बीच रवाना किया गया


फोटो अजय कुमार

फोटो अजय कुमार

हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आज प्रदेश भर मेंहरियाणा रोडवेज की बसों का चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी. लेकिन सरकार की सख्ती के चलते रोडवेज का चक्का जाम बेअसर दिखाई दिया. जींद में चक्का जाम कर रहे रोडवेज कर्मियों पर आज सुबह पुलिस ने लाठी चार्ज किया. रोडवेज कर्मियों ने जब बसों को रोकना चाहा तो पुलिस ने हड़ताली कर्मचारियों को भगा भगा कर पीटा.

प्रशासन पूरी सुरक्षा में बसों को चलाने की कोशिश कर रहा है और लम्बे रूट की कई बसों को सुरक्षा के बीच रवाना किया गया. पुलिस ने कुछ रोडवेज कर्मियों को भी हिरासत में ले लिया है. बता दें की प्राइवेट बसों को परमिट देने के विरोध में पूरे हरियाणा में रोडवेज कर्मचारियों आज चक्का जाम पर है.

पिछले चार साल में  रोडवेज कर्मचारियों यह 11वीं हड़ताल है. रोडवेज कर्मचारियों का कहना है की पूरे हरियाणा में पूर्ण चक्का जाम रहेगा. पूरे हरियाणा में लाखों यात्री इस चक्का जाम से प्रभावित होते है. सख्त कदम उठाते हुए अबकी बार सरकार ने एस्मा एक्ट लगाया है. हड़ताल को देखते हुए प्रसासन ने जींद बस अड्डे पर सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था. पुलिस को यहाँ बल प्रयोग करना पड़ा बसों की सुरक्षा हेतु पुलिस को यहाँ लाठी चार्ज भी करना पड़ा

सिरसा में रोडवेज की हड़ताल पूरी तरह कामयाब 2: 20 पर बस चलाने का प्रशासन ने किया प्रयास। विरोध के चलते बस नहीं चल पाई।

चरखी दादरी में प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में दादरी में बसों का संचालन करवाया, बसें रोकने पहुंचे रोडवेज के 7 कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार किया। सुबह 4 बजे से बसों का संचालन शुरू हो चुका था। बस स्टैंड से पुलिस गाड़ियों के पीछे निकाली बसें।

फ़तेहाबाद में भी बसों का संचालन शुरू, कर्मचारियों को किया गिरफ़्तार

पलवल में परिवहन का काम सुचारू रूप से चल रहा है, हरियाणा रोडवेज की बस हडताल का कोई असर नहीं
सिरसा में कर्मचारी नेताओं को हिरासत में लेने के बाद बस सेवा बहाल हो गई है

पंचकुला में हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों का बसस्टैंड पर शान्तिपूर्ण धरना जारी रहा, कुछ एक बसे विभाग द्वारा चलाई जा रही है
धरनासथल पर भारी पुलिस बल तैनात ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके।

Yug Gupta murder case: ‘Death Penalty’ to all three convicts

Yug Guptas father and relatives holding a protest demanding justice to him in Shimla.


Holding the case as rarest of the rare, Sessions Judge Virender Singh pronounced the verdict at 2 pm amidst tight security.


All three accused in the Yug Gupta murder case were sentenced to death by a District and Sessions Court on Wednesday.

Chander Sharma (26), Tajender Pal Singh (29) and Vikrant Bakshi (22) have been held guilty of kidnapping, murder and conspiracy in connection with the death of 4-year-old Yug Gupta in Shimla in 2014.

Holding the case as rarest of the rare, Sessions Judge Virender Singh pronounced the verdict at 2 pm amidst tight security.

All three accused were convicted by the court on 6 August. The court had fixed the date for pronouncing quantum of sentence on 29 August, eight days after recording the statements of the parents of the accused.

Later, the court deferred the date of pronouncing the quantum of sentence to 5 September.

Justice Singh said that the execution of sentence shall be subject to the confirmation from High Court of Himachal Pradesh.

The Judge also told the accused, who were present in the court, that they can file an appeal before the High Court within a period of 30 days from today. A fine of Rs 50,000 also imposed on all the three accused.

The teary-eyed parents and grandmother of Yug Gupta heaved a sigh of relief as the Judge pronounced the punishment.

Yug’s father Vinod Gupta said that justice has been finally delivered.

“Though my son is not alive anymore, the court has done justice,” he said.

Yug’s mother, Pinki Gupta, broke down as she heard the judgment. “My son has got justice and I am relieved,” she said.

Calling it “a landmark”, District Attorney RS Parmar said that the judgment restored the faith of the people in rule of law.

Yug Gupta was kidnapped from outside his house in Ram Bazaar in Shimla on 14 June 2014 by his neighbour Chander Sharma, who lured him with chocolates.

The accused had kept the boy naked, tortured him and forced him to consume liquor for seven days. He was later dumped alive in water storage tank seven days after the abduction, even before the first ransom call was made to his parents.

The accused allegedly sent a letter demanding ransom from the child’s father on 27 June, six days after they had killed the boy.

Two years after the Shimla Police failed to make any headway, the case was handed over to CID who recovered the minor boy’s skeletal remains from the Shimla Municipal Corporation’s water storage tank in Kelston area on 21 August 2016.

On 22 August 2016, the police arrested Sharma, Singh and Bakshi and booked them under sections 302, 201, 342, 364 A and 120 B of the Indian Penal Code.

Police investigations had revealed that Chander had even taken part in protests and search for child to avoid suspicion. And he was the one who had insisted on killing the boy as the child knew him while Tejender and Vikrant were opposed to the idea.

Chronology of Events in Yug Gupta murder case:

14 June 2014: Yug Gupta kidnapped from outside house

16 June 2014: Sadar Police station registers case

21 June 2014: Yug dumped alive in water tank with stone tied to his body

27 June 2014: Parents receive ransom letter demanding Rs 3.6 crore

14 August 2016: Case transferred to CID

21 August 2016: Police recovers skeletal remains from water tank

22 August 2016: Chander, Tejender, Vikrant arrested for kidnapping, murder

25 February 2017: CID filed chargesheet in court

6 August 2018: Court convicts the trio in the case

मोहाली में किसानों का प्रदर्शन, चंडीगढ़ में हरियाणा रोडवेज कर्मियों का चक्का जाम

चंडीगढ़/मोहाली। पंजाब व हरियाणा सरकार के खिलाफ मंगलवार को मोहाली में किसान तो चंडीगढ़ में हरियाणा रोडवेज कर्मियों ने आंदोलन शुरू कर दिया। मोहाली में जहां किसानों की कर्ज माफी से संबंधित मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने पंजाब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया, वहीं चंडीगढ़ में हरियाणा रोडवेज वर्कर्स ने डिपो में पूरी तरह चक्का जाम कर आंदोलन की शुरुआत की।
मोहाली के गुरुद्वारा अंब साहिब में किसान एकत्रित हुए और फिर किसानों ने पंजाब राज भवन की ओर कूच किया। दोपहर के समय किसान नेता राज्यपाल से मिलने पहुंचे। किसानों ने कर्ज माफी सहित अन्य मांगों को लेकर उन्हें मांगपत्र सौंपा।

दूसरी ओर हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने 5 सितंबर से प्रस्तावित हड़ताल के चलते मंगलवार को दिन में ही डिपो में चक्का जाम कर दिया। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के वरिष्ठ सदस्य बलवान सिंह दोदवा ने कहा कि ये सरकार की वादाखिलाफी, तानाशाही रवैये और परिवन के निजीकरण के विरोध में किया गया है।

हरियाणा रोडवेज यूनियन के प्रधान प्रदीप बूरा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बताया कि हरियाणा सरकार 700  नई बसें प्रति किलोमीटर के हिसाब से शामिल करने जा रही है उन्होंने आगेे कहा कि प्राइवेट बसों के आने से सवारियों व हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने बताया कि 13 जून और 27 दिसम्बर 2017 को सरकार के साथ हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था कि प्राइवेट बसों को शामिल नहीं किया जाएगा।

मगर सरकार ने वादा खिलाफी करते हुए सरकार ने प्राइवेट बसों को शामिल करने का निर्णय लिया है। जिसका वह तथा उनकी यूनियन पुरजोर विरोध करती है। इसके साथ ही उन्होंने खट्टर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कर्मचारियों ने वर्कशॉप के गेट बंद कर दिए जिसके बाद पुलिस ने आके गेट खुलवाए। उसके बाद प्रदर्शनकारी गेट के बाहर धरने पर बैठ गए।

एस्मा को तोड़ते हुए 5 सितम्बर को करेंगे चक्का जाम ।

फोटो केवल संदर्भ हेतु

चण्डीगढ़,3 सितम्बर:

हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन इंटक के राज्य प्रधान अनूप सहरावत व ज्वाईन्ट एक्शन कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सहरावत ने ब्यान जारी करते हुए बताया कि सरकार की वादाखिलाफी, तानाशाही, हठधर्मिता,700 बसें निजी कम्पनियों से किलोमीटर स्किम के तहत हायर करने व एस्मा जैसे काले कानून के खिलाफ ज्वाईन्ट एक्शन कमेटी के आह्वान पर 5 सितम्बर को होने वाली राज्यव्यापी हड़ताल की तैयारी पूरी हो चुकी हैं तथा सभी संगठन व कर्मचारियों का पुरा समर्थन मिल रहा है। इसलिए एस्मा को तोड़ते हुए 5 सितम्बर को पुरे प्रदेश में पुर्ण रुप से चक्का जाम होगा जो अनिश्चितकालीन चलेगा।
नसीब जाखड़ प्रदेश प्रवक्ता व चण्डीगड़ डिपो के प्रधान प्रदीप बूरा ने बताया कि हड़ताल को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए राज्य प्रधान हरिनारायण शर्मा, दलबीर किरमारा व अनुप सहरावत के नेतृत्व में ‌तीन जीप जत्थों का गठन किया गया था जिन्होंने प्रदेश के सभी डिपो व सब डिपुओं का ‌दौरा करके गेट मिटींगो के माध्यम से कर्मचारियों को हड़ताल करने के लिए तैयार किया है। सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ कर्मचारियों में भारी गुस्सा है तथा कर्मचारी हड़ताल करने के लिए ‌पुर्ण रुप से तैयार हैं। उन्होंने बताया कि रोड़वेज कर्मचारी बिल्कुल भी हड़ताल पर जाने के हक में नहीं है लेकिन सरकार इनको जानबूझकर हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है। सरकार एस्मा जैसे काले कानून लागू ‌करके रोड़वेज कर्मचारीयों की आवाज को दबाना चाहती है लेकिन ‌इससे‌ कर्मचारी डरने वाला नही है तथा किसी भी सूरत में आवाज को दबाया नही जा सकता। ऐसे काले कानुनों से आन्दोलन रुकने की‌ बजाय और ज्यादा ‌उग्ररुप धारण करेगा। हर समस्या का समाधान बातचीत से होता है लेकिन सरकार बातचीत करने की बजाय ‌दमनकारी नितियां अपना रही है। ज्वाईन्ट एक्शन कमेटी ने चेतावनी ‌देते‌ हुए कहा है कि ‌सरकार दमनकारी नितियां छोड़कर ‌बातचीत का रास्ता अपनाये तथा ‌समय रहते वार्ता ‌करके रोड़वेज कर्मचारियों की सभी समस्याओं का समाधान करें व किलोमीटर स्किम को वापिस ले वरना सरकार ने ‌इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।‌ रोड़वेज कर्मचारी किसी भी सूरत में ‌झुकने वाले नहीं हैं तथा यह आर-पार का व निर्णायक आन्दोलन होगा। इसलिए रोड़वेज कर्मचारी ‌एस्मा की परवाह न करते हुए तथा काले कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए 5 सितम्बर से ‌अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जायेगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व परिवहन अधिकारियों की होगी।

जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है


धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं


जनमाष्टमी यानी कृष्ण के जन्म का उत्सव. कृष्ण के जन्म से दो बिल्कुल कड़ियां अलग जुड़ती हैं. एक ओर मथुरा की काल कोठरी है जहां वासुदेव और देवकी जेल में अपनी आठवीं संतान की निश्चित हत्या का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ गोकुल में बच्चे के पैदा होने की खुशियां हैं. कृष्ण के जन्म का ये विरोधाभास उनके जीवन में हर जगह दिखता है. धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं. और समय-समय पर उनके बारे में जो नई कहानियां गढ़ी गईं उन्हें समझना भी किसी समाजशास्त्रीय अध्ययन से कम नहीं है.

अब देखिए वृंदावन कृष्ण की जगह है, लेकिन वृंदावन में रहना है तो ‘राधे-राधे’ कहना है. ऐसा नहीं हो सकता कि आप अयोध्या में रहकर सिया-सिया, लुंबिनी में यशोधरा-यशोधरा या ऐसा कुछ और कहें. यह कृष्ण के ही साथ संभव है. कान्हा, मुरली और माखन के कथाओं में कृष्ण का बचपन बेहद सुहावना लगता है. लेकिन कृष्ण का बचपन एक ऐसे शख्स का बचपन है, जिसके पैदा होने से पहले ही उसके पिता ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली थी. वो एक राज्य की गद्दी का दावेदार हो सकता था तो उसको मारने के लिए हर तरह की कोशिशें की गईं. बचपन के इन झटकों के खत्म होते-होते पता चलता है कि जिस परिवार और परिवेश के साथ वो रह रहा था वो सब उसका था ही नहीं.

कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं. मथुरा के कृष्ण के सामने अलग चुनौतियां दिखती हैं. जिस राज सिंहासन को वो कंस से खाली कराते हैं उसे संभालने में तमाम मुश्किलें आती हैं. अंत में उन्हें मथुरा छोड़नी ही पड़ती है. महाभारत युद्ध में एक तरफ वे खुद होते हैं दूसरी ओर उनकी सेना होती है. वो तमाम योद्धा जिनके साथ उन्होंने कई तैयारियां की होंगी, युद्ध जीते होंगे. अब अगर कृष्ण को जीतना है तो उनकी सेना को मरना होगा. इसीलिए महाभारत के कथानक में कृष्ण जब अर्जुन को ‘मैं ही मारता हूं, मैं ही मरता हूं’ कहते हैं तो खुद इसे जी रहे होते हैं.

महाभारत से इस्कॉन तक कृष्ण

अलग-अलग काल के साहित्य और पुराणों में कृष्ण के कई अलग रूप हैं. मसलन महाभारत में कृष्ण का जिक्र आज लोकप्रिय कृष्ण की छवि से बिलकुल नहीं मिलता. भारतीय परंपरा के सबसे बड़े महाकाव्य में कृष्ण के साथ राधा का वर्णन ही नहीं है. वेदव्यास के साथ-साथ श्रीमदभागवत् में भी राधा-कृष्ण की लीलाओं का कोई वर्णन नहीं है. राधा का विस्तृत वर्णन सबसे पहले ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है. इसके अलावा पद्म पुराण में भी राधा का जिक्र है. राधा के शुरुआती वर्णनों में कई असमानताएं भी हैं. कहीं दोनों की उम्र में बहुत अंतर है, कहीं दोनों हमउम्र हैं.

इसके बाद मैथिल कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति के पदों में राधा आती हैं. यह राधा विरह की ‘आग’ में जल रही हैं. 13वीं 14वीं शताब्दी के विद्यापति राधा-कान्हा के प्रेम के बहाने, शृंगार और काम की तमाम बातें कह जाते हैं. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल से चैतन्य महाप्रभु कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ‘राधे-राधे’ का स्मरण शुरू करते हैं. यह वही समय था जब भारत में सूफी संप्रदाय बढ़ रहा था, जिसमें ईश्वर के साथ प्रेमी-प्रेमिका का संबंध होता है. चैतन्य महाप्रभु के साथ जो हरे कृष्ण वाला नया भक्ति आंदोलन चला उसने भक्ति को एक नया आयाम दिया जहां पूजा-पाठ साधना से उत्सव में बदल गया.

अब देखिए बात कृष्ण की करनी है और जिक्र लगातार राधा का हो रहा है. राधा से शुरू किए बिना कृष्ण की बात करना बहुत मुश्किल है. वापस कृष्ण पर आते हैं. भक्तिकाल में कृष्ण का जिक्र उनकी बाल लीलाओं तक ही सीमित है. कृष्ण ब्रज छोड़ कर जाते हैं तो सूरदास और उनके साथ बाकी सभी कवि भी ब्रज में ठहर जाते हैं. उसके आगे की कहानी वो नहीं सुनाते हैं. भक्तिकाल के कृष्ण ही सनातन परंपरा में पहली बार ईश्वर को मानवीय चेहरा देते हैं. भक्तिकाल के बाद रीतिकाल आता है और कवियों का ध्यान कृष्ण की लीलाओं से गोपियों और राधा पर ज्यादा जाने लगता है. बिहारी भी जब श्रृद्धा के साथ सतसई शुरू करते हैं, तो ‘मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोए’ ही कहते हैं. इन सबके बाद 60 के दशक में इस्कॉन जैसा मूवमेंट आता है जो उस समय दुनिया भर में फैल रहे हिप्पी मूवमेंट के साथ मिलकर ‘हरे कृष्णा’ मूवमेंट बनाता है.

ईश्वर का भारतीय रूप हैं कृष्ण

कृष्ण को संपूर्ण अवतार कहा जाता है. गीता में वे खुद को योगेश्वर भी कहते हैं. सही मायनों में ये कृष्ण हैं जो ईश्वर के भारतीय चेहरे का प्रतीक बनते हैं. अगर कथाओं के जरिए बात कहें तो वे छोटी सी उम्र में इंद्र की सत्ता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जीवन भर युद्ध की कठोरता और संघर्षों के बावजूद भी उनके पास मुरली और संगीत की सराहना का समय है. वहीं वह प्रेम को पाकर भी प्रेम को तरसते रहते हैं. यही कारण है कि योगेश्वर कृष्ण की ‘लीलाओं’ के बहाने मध्यकाल में लेखकों ने तमाम तरह की कुंठाओं को भी छंद में पिरोकर लिखा है. उनका यह अनेकता में एकता वाला रूप है जिसके चलते कृष्ण को हम बतौर ईश्वर अलग तरह से अपनाते हैं.

तमाम जटिलताएं

इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्ण की लीलाओं के नाम पर बहुत सी अतिशयोक्तियां कहीं गईं हैं. बहुत कुछ ऐसा कहा गया है जो, ‘आप करें तो रास लीला…’ जैसे मुहावरे गढ़ने का मौका देता है. लेकिन इन कथाओं की मिलावटों को हटा देने पर जो निकल कर आता है वो चरित्र अपने आप में खास है. अगर किसी बात को मानें और किसी को न मानें को समझने में कठिनाई हो तो एक काम करिए, कथानकों को जमीन पर जांचिए. उदाहरण के लिए वृंदावन और मथुरा में कुछ मिनट पैदल चलने जितनी दूरी है. मथुरा और गोकुल या वृंदावन और बरसाने का सफर भी 2-3 घंटे पैदल चलकर पूरा किया जा सकता है. इस कसौटी पर कसेंगे तो समझ जाएंगे कि कौन-कौन सी विरह की कथाएं कवियों की कल्पना का हिस्सा हैं.

कृष्ण के जीवन में बहुत सारे रंग हैं. कुछ बहुत बाद में जोड़े गए प्रसंग हैं जिन्हें सही मायनों में धार्मिक-सामाजिक हर तरह के परिवेश से हटा दिया जाना चाहिए. राधा के वर्णन जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो महाभारत और भागवत में नहीं मिलती मगर आज कृष्ण का वर्णन उनके बिना संभव नहीं है. इन सबके बाद भगवद् गीता है जो सनातन धर्म के एक मात्र और संपूर्ण कलाओं वाले अवतार की कही बात. जिसमें वो अपनी तुलना तमाम प्रतीकों से करते हुए खुद को पीपल, नारद कपिल मुनि जैसा बताते हैं. आज जब तमाम चीजों की रक्षा के नाम पर हत्याओं और अराजकता एक सामान्य अवधारणा बनती जा रही है. निर्लज्जता, झूठ और तमाम तरह की हिंसा को कथित धर्म की रक्षा के नाम पर फैलाया जा रहा है, ऐसे में कृष्ण के लिए अर्जुन का कहा गया श्लोक याद रखना चाहिए यतः सत्यं यतो धर्मो यतो ह्लीराजर्वं यतः. ततो भवति गोविंदो यतः कृष्णोस्ततो जयः यानी जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है. अंतिम बात यही है कि कृष्ण होना सरस होना, क्षमाशील होना, नियमों की जगह परिस्थिति देख कर फैसले लेना और सबसे ज़रूरी, निरंकुशता के प्रतिपक्ष में रहना है.

श्री कृष्ण के नामकरण पर पधारे महर्षि गर्ग ने कुंडली विचार जो भविष्यवाणियाँ कीं वह अक्षरश: सत्य थीं

जगत के पालनहार का कृष्ण अवतार विधि का विधान था और वे स्वयं दुनिया का भाग्य लिखते हैं, उनके भाग्य को कोई नहीं पढ सकता। लेकिन जैसे ही मानव योनि में अवतार आया तो वे संसार के बंधन में पड़ जाता है और इस कारण उसे दुनिया के लोकाचार को भी निभाना पडता है। जन्म से मृत्यु तक सभी संस्कार करने पडते हैं।

इन्हीं लोकाचारों में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर महर्षि गर्ग पधारे और उनका नामकरण संस्कार किया। उनका नाम कृष्ण निकाल कर उनके जीवन की अनेकों भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की थी जो अक्षरशः सही रही। इस आधार पर श्रीकृष्ण की कुंडली में ग्रह क्या बोलते हैं का यह संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया जा रहा है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सोलह कला सम्पूर्ण महान योगी श्रीकृष्ण का नामकरण व अन्नप्राशन संस्कार गर्ग ऋषि ने कुल गुरू की हैसियत से किया तथा कृष्ण के जीवन की सभी भविष्यवाणियां की जो अक्षरशः सही रहीं। भाद्रपद मास की इस बेला पर हम गर्ग ऋषि को प्रणाम करते हैं।

अष्टमी तिथिि की मध्य रात्रि में जन्मे कृष्ण का वृषभ लग्न में हुआ। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में बैठे व गुरू, शनि, मंगल, बुध भी अपनी-अपनी उच्च राशियों में बैठे थे। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में बैठे।

योग साधना, सिद्धि एवं विद्याओं की जानकारी के लिए जन्म जन्म कालीन ग्रह ही मुख्य रूप से निर्भर करते हैं। अनुकूल ग्रह योग के कारण ही कृष्ण योग, साधना व सिद्धि में श्रेष्ठ बने। गुरू अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान पर उच्च राशि में बैठ गुप्त साधनाओं से सिद्धि प्राप्त की तथा पंचमेश बुध ने पंचम स्थान पर उच्च राशि कन्या में बैठ हर तरह की कला व तकनीकी को सीखा।

चन्द्रमा ने कला में निपुणता दी। मंगल ने गजब का साहस व निर्भिकता दी। शुक्र ने वैभवशाली व प्रेमी बनवाया। शनि ने शत्रुहन्ता बनाया व सुदर्शन चक्र धारण करवाया। सूर्य ने विश्व में कृष्ण का नाम प्रसिद्ध कर दिया।

जन्म के ग्रहों ने कृष्ण को श्रेष्ठ योगी, शासक, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, चमत्कारी योद्धा, प्रेमी, वैभवशाली बनाया। श्रीकृष्ण की कुंडली में पांच ग्रह चन्द्रमा, गुरू, बुध, मंगल और शनि अपनी उच्च राशि में बैठे तथा सूर्य व मंगल अपनी स्वराशि में हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धि और विवेक का धनी होता है। यही चन्द्रमा का अति प्रिय नक्षत्र और चन्द्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को जातक मे आकर्षण बढा देती है। ऐसे व्यक्ति सभी को प्रेम देते हैं और अन्य लोगों से प्रेम लेते हैं। श्रीकृष्ण को इस योग ने सबका प्रेमी बना दिया और वे भी सबसे प्रेम करते थे।

जन्म कुंडली का पांचवा स्थान विद्या, बुद्धि और विवेक तथा प्रेम, संतान, पूजा, उपासना व साधना की सिद्धि का होता है। यहां बुध ग्रह ने उच्च राशि में जमकर इन क्षेत्रों में कृष्ण को सफल बनाया तथा राहू के संयोग से बुध ग्रह ने परम्पराओं को तुड़वा ङाला और भारी कूटनीतिकज्ञ को धराशायी करवा डाला।

स्वगृही शुक्र ने उन्हें वैभवशाली बनाया तो वहां उच्च राशि में बैठे शनि ने जमकर शत्रुओं का संहार करवाया। भाग्य व धर्मस्थान में उच्च राशि में बैठे मंगल ने उनका भाग्य छोटी उम्र में ही बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मारकेश व व्ययेश बने मंगल ने धर्म युद्ध कराकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कराया।

अष्टमेश गुरू को मारकेश मंगल ने देख उनके पांव के अगूठे में वार करा पुनः बैकुणठ धाम पहुंचाया। अष्टमेश और मारकेश का यह षडाष्ठक योग बना हुआ है और मारकेश मंगल ग्रह को पांचवी दृष्टि से राहू देख रहा। यह सब ज्योतिष शास्त्र के ग्रह नक्षत्रों का आकलन मात्र है। सत्य क्या था यह तो परमात्मा श्रीकृष्ण ही बता सकते हैं।

तरुण सागर जी के ब्रह्मलीन होने की खबर सुनकर आहत हूं: अनिल विज

 

 

अम्बाला- जैन मुनि तरुण सागर जी के निधन पर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने व्यक्त किया शोक।

अम्बाला- विज ने कहा समाज को सही दिशा दिखाने में हमेशा याद किया जायेगा तरुण सागर जी का योगदान।

अम्बाला- विज ने कहा- तरुण सागर जी के ब्रह्मलीन होने की खबर सुनकर आहत हूं।