11वां विश्व हिन्दी सम्मलन मरीशस में पीयू के 2 शोध छात्र लेंगे भाग

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के दो शोधार्थी आगामी 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में हो रहे 11 वें विश्व हिंदी सम्मेलन में अपने आलेख प्रस्तुतकरेंगे।

फोटो राकेश शाह

 हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर सेकिया जाता है और विभाग के दो शोधार्थियों केवल कुमार और सुनीता कुमारी का चयन विदेश मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने सभी आलेखों कीस्क्रीनिंग के आधार पर किया है।

फोटो राकेश शाह

 यह संभवतः पहली बार होगा जब हिंदी विभाग के शोधार्थियो को विदेश में आलेख प्रस्तुति का अवसर मिला है। दोनोशोधार्थियो को डीयूआई प्रोफेसर शंकरजी झा के  नेतृत्व में सम्मेलन में  जा रहे विश्वविद्यालय के शिष्टमंडल में शामिल किया गया है।

डॉ गुरमीत सिंह ने बताया कि 11 वें विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम” हिंदी विश्व और भारतीय संस्कृति” रखी गई है और दोनों शोधार्थियो के आलेख उसी पर आधारित थे।

डॉ सिंह ने बताया कि विदेश मंत्रालय द्वारा  विश्व में हिंदी के प्रसार के लिए सम्मेलन का आयोजन हर तीन वर्ष के अंतराल पर अलग अलग स्थान पर कियाजाता है। इससे पहले भोपाल , जोहान्सबर्ग, न्यूयॉर्क, लंदन, सूरीनाम आदि जगहों पर यह सम्मेलन हो चुके हैं। मॉरीशस में 11 वें  विश्व हिंदी सम्मेलन काउद्घाटन वहां के प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ और भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज संयुक्त रूप से करेंगे। सम्मेलन में भारत औरविभिन्न देशों के करीब ढाई हजार प्रतिभागी हिस्सा लेंगे।

An International Workshop on “Nanostructured metal oxides for sensing and environmental applications” under GIAN-MHRD scheme.

Photo by Raksh Shah

A week long International Workshop on “Nanostructured metal oxides for sensing and environmental applications” under GIAN-MHRD scheme concluded which was organized by Panjab University, Chandigarh.

 This workshop was successfully organized under the able guidance and efforts of Prof. S K Mehta, Director CIL, Panjab University, Chandigarh and Prof. S K Kansal of Dr. SSB UICET.

Mr. Sanjay Kumar (IAS), Principle Secretary, Govt. of Punjab was the Chief guest at the valedictory function of this international workshop.

Dr Sanjay Badada, Professor of Endocrinology PGI, Chandigarh and Dr Prakash Kumar, Asst, Vice President, RIL Vadodra were the Guest of honour.

Prof. Sushil Kumar Kansal, coordinator of this International workshop briefed the audience about the course components and outcomes. He also emphasized on the need and significance of such workshops to equip the participants with field knowledge.

Photo by Raksh Shah

The chief guest Shri Sanjay Kumar congratulated the organisers for successfully organizing this five day workshop on the theme nanostructured metal oxides for sensing applications and need of working on emerging areas of research such as nanotechnology.

Dr Sanjay Badada, guest of honour, also shared his views about societal research and scope of nanotechnology in emerging medical technologies.

Dr Prakash Kumar motivated the students to do useful research projects and deliberated upon emerging research problems to be undertaken by the students.

Photo by Rakesh Shah

Prof Ahmad Umar, the foreign faculty from Najran University, Saudi Arabia shared his experiences during the workshop and motivated the students to do specific and subject oriented research.

He expressed his gratitude to the organizers for inviting him for this workshop and expressed his satisfaction and happiness on completing the workshop.

Photo by Rakesh Shah

Prof. S. K. Mehta, Local Coordinator, GIAN thanked the distinguished guests and the participants and described the need to identify and work on cutting edge areas of science and technology in order to address the regional as well as national issues in the larger interest of the people.

The participants were seen highly enthusiastic for learning about the nanomaterials and metal oxides and theirapplications insensing area.

Police Station Sector 36 solved cases of Snatching & Robbery

Photo by Rakesh Shah

 

Chandigarh Police achieved a major success in “Snatching & Robbery Cases” by arresting two accused, by the team of Police Station-36 Chandigarh.

Keeping in view the increasing of snatching incidents a special team was constituted for prevention and detection of crime specially snatching & robbery incidents in PS area. The Special team did commendable job by arresting the accused Ravi S/o Vinoj Kumar R/o # 77 Gwala colony Maloya Chd & Vinay S/o Ramji Lal R/o # 33 Gali No. 33 Jujhar Nagar Mohali PB. Who were involved in 3 snatching cases i.e PGI, Sec-38 and Sec-53, Chd which they have committed on 3.8.18.

With the arrest of these accused case FIR no. 286 dated 4.8.18 u/s 392,34 IPC and one case FIR no. 314 dated 4.8.18 u/s 356,379 IPC of PS-39 have been w/out and 3 mobile phones involved in these cases have also been recovered. The vehicle used for committing the crime i.e. Honda Activa, has also been recovered from them.

Previous criminal record – As per interrogation of these accused it has been revealed that they were involved and arrested in two cases in Mohali, PB.

Photo by Rakesh Shah

Modus Oprandi:-

During their interrogation it has been revealed that both the accused are drug addicted and after taking drug they used to target the pedestrians/victims carrying Costly Cell Phones and snatch phones from them on knife point and run away by their vehicle activa. After committing the crime they went to Haridwar and Rishikesh for taking Kawar (jal).

This case is still under investigation and more recovery is expected from their custodial interrogation. The 3rd accused who is involved in the above said snatching and robbery cases is absconder, after his arrest more recoveries are expected from him.

मानेसर लैंड घोटाले मामले में सुनवाई हुई खत्म

मानेसर लैंड घोटाले मामले में सुनवाई हुई खत्म।
पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में हुई सुनवाई।
सुनवाई में आज बचाव पक्ष ने कोर्ट से की मांग।
चार्जशीट के डाक्यूमेंट्स प्रोवाइड करने की मांग की।
मामले की अगली सुनवाई 20 सिंतबर को होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित अन्य आरोपी हुए कोर्ट में पेश।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित 34 आरोपियों के खिलाफ की गई थी चार्जशीट फाइल।
आरोपियों में पूर्व सीएम हुडडा के अलावा एम एल तायल, छतर सिंह, एस एस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत सहित व कई बिल्डरों के खिलाफ चार्जशीट में है नाम।
सीबीआई ने हुड्डा सहित 34 आरोपियों के खिलाफ 17 सितंबर 2015 को किया था मामला दर्ज।
इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का किया था केस दर्ज।
ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर आपराधिक मामला किया था दर्ज ।
अगस्‍त 2014 में निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात जनसेवकों के साथ मिलीभगत कर 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीदी
गुरुग्राम जिले में मानसेर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों को अधिग्रहण का भय दिखाकर खरीदी ।
हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का है आरोप।

नमस्कार यह संयुक्त राष्ट्र का हिन्दी बुलेट्न है …


भारत के लिए इस पल को ऐतिहासिक माना जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 22 जुलाई से साप्ताहिक आधार पर हिंदी समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया है. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर प्रसारण किया जा रहा है. प्रयोग सफल रहने पर इसके नियमित किया जाएगा.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ख़ुद यह जानकारी सार्वजनिक की है. मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा का दर्ज़ा दिलाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रसारित हिंदी समाचार बुलेटिन 10 मिनट का है. इस बुलेटिन के प्रसारण की ज़िम्मेदारी भारत सरकार उठा रही है. इस पर आने वाला ख़र्च भी वही वहन कर रही है.

उन्हाेंने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा बनाने का जहां तक सवाल है तो इस वैश्विक संस्था के 193 में 129 सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र को यह भरोसा भी दिया है कि हिंदी को अधिकृत भाषा का दर्ज़ा देने पर आने वाला पूरा खर्च भारत सरकार उठाने के लिए तैयार है. भारत की तरह जर्मनी और जापान भी जर्मन और जापानी भाषाओं को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा का दर्ज़ा दिलाने और उस पर आने वाला खर्च उठाने को तैयार हैं.

केजरीवाल ने एक ही दिन में 80,000 की शराब पी डाली : सिरसा


बीजेपी विधायक ओपी शर्मा ने कहा है कि जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल जनता के पैसे को अपने निजी कामों में उपयोग कर रहे हैं इसकी हम घोर निंदा करते हैं


दिल्ली में विपक्ष ने पोस्टर के जरिए एक बार फिर अरविंद केजरीवाल और आप सरकार पर निशाना साधा है. आरटीआई में खुलासा हुआ है कि अरविंद केजरीवाल जब बेंगलुरु गए थे तो एक दिन में 80000 रुपये का शराब का बिल सामने आया था. इसी को लेकर अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए दिल्ली के तमाम जगहों पर पोस्टर लगाए हैं.

पोस्टर में एक तरफ अरविंद केजरीवाल को शराब पीते हुए दिखाया गया है और दूसरे तरफ भूखे बच्चों की तस्वीर लगाई गई है. बता दें कि इस पोस्टर पर लिखा गया है कि शराब पीने में अरविंद केजरीवाल ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. कुछ दिन पहले ही दिल्ली में भूख से तीन बच्चियों की मौत हुई थी. उस पर भी सवाल लगाए गए हैं और पूछा गया है कि एक तरफ बच्चे भूख से मर रहे हैं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल पार्टी में मस्त हैं.

बीजेपी विधायक ओपी शर्मा ने कहा है कि जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल जनता के पैसे को अपने निजी कामों में उपयोग कर रहे हैं इसकी हम घोर निंदा करते हैं और अरविंद केजरीवाल से जवाब मांगते हैं कि जनता के पैसे का दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बेंगलुरु होटल मे 80,000 के शराब बिल पर बीजेपी विधायक ओपी शर्मा ने तंज कसते हुए कहा जनता के पैसे से शराब परोसा जाना बेहद निंदनीय है हम इस कृत्य की घोर निंदा करते हैं.

बेगानी शादी में केजरीवाल फूफा


  • आम आदमी पार्टी के संभावित महागठबंधन से अलग होना भले ही राजनीति की कोई बड़ी घटना न हो लेकिन ये उतार-चढ़ाव मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद होने वाले विपक्षी दलों की एकता की कलई खोलने का काम जरूर कर रहे हैं

  • सनद रहे यह वही केजरीवाल हैं जो कांग्रेस के खिलाफ इलैक्शन लड़ते हैं ओर फिर उसी कांग्रेस्स की सहायता से दिल्ली में सरकार बनाते हैं 

  • जिस कांग्रेस के खिलाफ इनहोने जंतर मंत्र पर अपनी लड़ाई का बिगुल ठोका था उसी कांग्रेस्स के साथजंतर मंत्र में मंच सांझा कर तूतनी फूंकते हैं 

  • जिस कांग्रेस के खिलाफ यह भ्रष्टाचार का आरोप लगते हैं उसी के साथ बहुमत को धता बता कर सत्ता पे काबिज कांग्रेस को कर्नाटक में मंच से बधाई देते हैं 

  • पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त, बहुत बार गुलाटी मारी जाएगी बहुत फिरकियाँ लीं जाएंगी

  • यह लड़की की शादी में रूठे फूफा हैं जिनहे पता है कि अब अगली पीढ़ी का फूफा आ रहा है ओर यही आखिर वक्त है नखरे दिखा लो.


संसद में विपक्षी एकता का एक और शक्ति परीक्षण धराशायी हो गया. अविश्वास प्रस्ताव में हार से हुई किरकिरी के बाद राज्यसभा के उप-सभापति चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा. सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि विपक्ष ने एनडीए को कड़ी टक्कर देने का मौका गंवा दिया. सवाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रणनीति और सक्रियता पर उठ रहे हैं लेकिन एक अजीब सा सवाल आम आदमी पार्टी भी उठा रही है.

आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में उप-सभापति चुनाव में कांग्रेस का समर्थन नहीं किया. इसकी वजह है ‘झप्पी पॉलिटिक्स.’ AAP की शिकायत है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फोन कर के समर्थन नहीं मांगा. राहुल के ‘इग्नोरेंस’ को आम आदमी पार्टी ने दिल पे ले लिया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय  सिंह का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संसद में पीएम मोदी को गले लगा सकते हैं लेकिन AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को समर्थन के लिए फोन नहीं लगा सकते.

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि एनडीए की तरफ से बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से फोन कर समर्थन मांगा था लेकिन केजरीवाल ने समर्थन देने से इनकार कर दिया. जबकि राहुल ने एक बार भी फोन करना जरूरी नहीं समझा. अगर राहुल वोट के लिए समर्थन मांगते तो अरविंद केजरीवाल समर्थन जरूर देते.

फोन कॉल की तकरार में फंसा महागठबंधन

राहुल से आम आदमी पार्टी की ये शिकायत शादी-ब्याह के मौके पर रिश्तेदारों के रूठने की याद दिलाती है. अमूमन शादी ब्याह के मौके पर फूफाजी नाराज हो जाते हैं. पूरी शादी में उनकी एक ही शिकायत होती है कि किसी भी बड़े या छोटे काम के लिए ‘उनसे किसी ने कहा ही नहीं’. साल 2019 के चुनावी मंडप में भी विपक्षी रिश्तेदारों के बीच हालात कमोबेश वैसे ही हैं. कोई रूठा हुआ है, किसी को मनाया जा रहा है, तो कोई खुद को ही दूल्हा समझ रहा है.

फोन करके राहुल ने तवज्जो क्यों नहीं दी? अक्सर होता ये आया है कि फोन करके समर्थन मांगने वाली पार्टी ही खुद तब नाराज हुई है जब उसे समर्थन नहीं मिला लेकिन यहां मामला उलटा है. आम आदमी पार्टी इसलिए नाराज है क्योंकि कांग्रेस की तरफ से कोई कॉल नहीं आई. कॉल नहीं आई तो वोट का इस्तेमाल नहीं हो सका. वोट धरे रह गए और चोट गहरा गई. तभी आम आदमी पार्टी राज्यसभा में चुनाव के वक्त ‘मौका-ए-वोटिंग’ से गायब हो गई. कांग्रेस चुनाव हार गई. हाथ आया बड़ा मौका ‘हाथ’ से फिसल गया.

वोट के लिए समर्थन न मांगना तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने जिस तरह से आम आदमी पार्टी पर ‘संसद’ का गुस्सा उतारा वो वाकई किसी को भी तिलमिला कर रख दे. कांग्रेस के बड़े नेताओं ने आम आदमी पार्टी पर अवसरवादिता की राजनीति का आरोप लगाया. ये तक याद दिलाया कि अगर साल 2013 में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन नहीं दिया होता तो आज AAP इतिहास बन गई होती.

कांग्रेस का यही रवैया AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को खल गया. तभी उन्होंने आनन-फानन में संभावित महागठबंधन से अलग होने का एलान करके कांग्रेस से हिसाब बराबर कर डाला. अरविंद केजरीवाल ने एलान कर दिया कि वो बीजेपी के खिलाफ बनने वाले संभावित महागठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे.

आप को हल्के में लेना बड़ी भूल

केजरीवाल का ये एलान-ए-जंग कांग्रेस को झटका देने के लिए काफी है. भले ही आप के पास सांसदों की संख्या की ताकत न हो लेकिन सौदेबाजी की सियासत के दौर में AAP भी अहमियत रखती है. दिल्ली में लोकसभा की 7 और पंजाब में 13 सीटों के दंगल को देखते हुए भविष्य में  AAP को नजरअंदाज करने की भूल नहीं की जा सकती. महागठबंधन से अलग हो कर आम आदमी पार्टी दूसरे क्षेत्रीय दलों को भी ये संदेश दे रही है कि वो भी महागठबंधन पर पुनर्विचार करें.

कांग्रेस की बेरुखी की वजह से ही आम आदमी पार्टी कह रही है कि एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए खुद राहुल गांधी ही सबसे बड़ा रोड़ा हैं तो बीजेपी के लिए पूंजी भी.

कुछ ही दिन पहले जंतर-मंतर पर विपक्षी एकता के प्रतीकात्मक प्रदर्शन के तौर पर इकट्ठे हुए सियासी नेताओं में अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे. वहीं कर्नाटक के सीएम की ताजपोशी के वक्त भी आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता का झंडा उठाया था. इसके बावजूद कांग्रेस की बेरुखी के चलते आम आदमी पार्टी की हालत सियासत के बाजार में उस दुकानदार जैसी हो गई जहां उसके माल का खरीदार सिर्फ कांग्रेस थी और कांग्रेस की ही वजह से उसका माल बिक न सका.

केजरीवाल का महागठबंधन से तौबा क्यों?

अब केजरीवाल के महागठबंधन से अलग होने के फैसले को आसानी से समझा जा सकता है. केजरीवाल के सामने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से ज्यादा जरूरी अपना गढ़ बचाना है. विपक्षी एकता और महागठबंधन के नाम पर इकट्ठा हो रही पार्टियों के पास दो दशक से ज्यादा पुराना राजनीतिक अनुभव और इतिहास है. इन पार्टियों का अपना कोर वोटर है और जमा हुआ आधार है. इनके मुकाबले आम आदमी पार्टी का वजूद बेहद छोटा है. आम आदमी पार्टी तभी राष्ट्रीय राजनीति के महामुकाबले में ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ नहीं बनना चाहती है.

खुद केजरीवाल बोल चुके हैं कि वो न तो पीएम कैंडिडेट हैं और न ही वो महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे. आम आदमी पार्टी को अपनी सीमाएं और संभावनाएं मालूम हैं. तभी वो मोदी विरोध की राजनीति में कांग्रेस विरोध की राजनीति को दफन नहीं करना चाहती. ये विडंबना ही है कि जिस जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ शंखनाद किया था, सत्ता में आने के लिए उसी कांग्रेस से समर्थन लिया और अब मोदी सरकार के खिलाफ उसी कांग्रेस के साथ जंतर-मंतर पर एक मंच साझा किया.

साल 2019 के महामुकाबले में बड़ों की लड़ाई के बीच केजरीवाल अपना दुर्ग नहीं हारना चाहेंगे. बीजेपी और कांग्रेस के विरोध में हासिल हुए वोटबेस को केजरीवाल कांग्रेस के साथ खड़े हो कर गंवाना भी नहीं चाहेंगे. तभी केजरीवाल ने साल 2019 में अपने दम पर चुनाव लड़ने का एलान कर दांव चला है. आम आदमी पार्टी ये जानती है कि उसके पास साल 2019 में खोने को कुछ भी नहीं और पाने को बहुत कुछ होगा.

इधर, कांग्रेस की कमजोरी भी संसद में खुलकर दिख रही है. उप-सभापति पद के लिए कांग्रेस विपक्षी एकता के नाम पर दूसरे दलों में से एक नाम तक नहीं चुन सकी. ऐसा माना जा रहा है कि अगर उप-सभापति पद के लिए कांग्रेस की बजाए दूसरे दल के नेता को उम्मीदवार बनाया जाता तो कहानी दूसरी हो सकती थी.

यहां चूक गए कांग्रेस के ‘युवराज’

वहीं राहुल पर ये भी सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उप- सभापति पद के उम्मीदवार के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरह दूसरी पार्टियों से समर्थन के लिए सहयोग नहीं मांगा. आम आदमी पार्टी, पीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस की गैरमौजूदगी से साबित होता है कि राहुल ने इनसे संपर्क साधने की कोशिश नहीं की.वहीं एनडीए के नाराज सहयोगी अकाली दल और शिवसेना को भी कांग्रेस मोदी विरोध के नाम पर साथ नहीं ला सकी.

ऐसे में सवाल उठता है कि जब उप-सभापति पद पर विपक्ष में आम राय कायम नहीं हो सकी है तो फिर सीटों के बंटवारे और पीएम पद पर कैसे बात बनेगी?

बहरहाल, आम आदमी पार्टी के संभावित महागठबंधन से अलग होना भले ही राजनीति की कोई बड़ी घटना न हो लेकिन ये उतार-चढ़ाव मोदी के खिलाफ लामबंद होने वाले विपक्षी दलों की कलई खोलने का काम जरूर कर रहे हैं. साल 2019 से पहले संभावित महागठबंधन का ‘महाट्रेलर’ संसद में दो अहम मौकों पर दिख चुका है. अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा में उप-सभापति के चुनाव में विपक्ष का भटकाव और बिखराव साफ दिखता है.

ब्लैकमेलिंग करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, महिला समेत तीन गिरफ्तार

अजय कुमार
सिरसा, 10 अगस्त।

जिला की डिंग थाना पुलिस व सीआईए सिरसा पुलिस ने एक ब्लैकमेंलिंग गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एक महिला समेत गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान गुरपण उर्फ अर्पण पुत्री सुखपाल सिंह निवासी संगतकला पंजाब, लखवीर सिंह पुत्र हरदीप सिंह व गुरमीत सिंह पुत्र स्वरूप सिंह निवासियान हजरावा कला जिला फतेहाबाद के रूप में हुई है। तीनों आरोपियों को आज डिंग पुलिस ने सिरसा अदालत में पेश किया, जहां से महिला अर्पण को न्यायिक हिरासत में सिरसा जेल भेजा गया है, जबकि दोनो युवकों को एक दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। जानकारी के अनुसार फतेहाबाद निवासी दीक्षांत पुत्र दलीप सिंह की वाट्सएप्प पर कॉल आई। कॉल करने वाली महिला ने अपना नाम अर्पण निवासी संगतकला पंजाब बताया। उक्त महिला ने दीक्षांत को कॉल कर अपने प्रेम जाल में फांस लिया और बीती 8 अगस्त 2018 को उसे फतेहाबाद के बतरा अस्पताल के पास बुला लिया। दीक्षांत गाड़ी लेकर आया। लड़की उसके साथ गाड़ी में बैठ गई। कुछ समय उसे इधर उधर घुमाती रही और फिर सिरसा जाने की बात कही। फतेहाबाद से सिरसा जाते हुए रास्ते में डिंग रोड क्षेत्र में एक ढाबा पर गाड़ी रूकवाकर महिला ने बाथरूम जाने का बहाना बनाया। जैसे ही गाड़ी ढाबे पर रूकी, तो स्कॉरपियो में सवार चार लोगों ने दीक्षांत का जबरन अपहरण कर लिया और दीक्षांत के साथ मारपीट कर उसे पंजाब की साइड ले गए। लड़की अर्पण व दीक्षांत की अश्लील वीडिय़ों बना ली और एक करोड़ रुपये की मांग की। दीक्षांत को यह भी धमकी दी गई कि अगर उसने यह राशि नहीं दी, तो उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज होगा। दस लाख रुपये में सौदा कर दीक्षांत को छोड़ते हुए चेतावनी कि दस लाख की राशि तैयार रखें, उससे मंगवा ली जाएगी। आज जैसे ही उक्त आरोपियों ने दीक्षांत को फोन कर फतेहाबाद की सोमा सिटी में पैसे के साथ बुलाया। दीक्षांत ने इसकी सूचना डिंग थाना पुलिस को दी। डिंग थाना पुलिस व सीआईए सिरसा पुलिस ने उक्त स्थान पर दबिश देकर महिला सहित तीन लोगों को मौके से काबू कर लिया। इस संबंध में फतेहाबाद निवासी दीक्षांत के पिता दलीप की शिकायत पर डिंग थाना में आरोपियों के खिलाफ अपहरण, ब्लैकमेल कर फिरौती मांगने तथा ठगी करने व शस्त्र अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज किया गया है।

राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में खुली इनेलो की पोल


भाजपा का विरोध इेनेलो का राजनीतिक ड्रामा

इनेलो भाजपा की टीम के तौर ही कर रही है काम: योगेश्वर शर्मा


पंचकूला,10 अगस्त।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि अब तो यह पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है कि इंडियन नेशनल लोकदल भाजपा की बी टीम है और उसकी बी टीम के रुप में ही पूरी तरह से काम कर रही है। पार्टी ने कहा कि इनेलो की ओर से भाजपा का विरोध करना महज एक दिखावा है,हकीकत में वह उसके लिए ही काम कर रही है। पार्टी का यह भी कहना है कि कोई हैरानी की बात नहीं कि आने वाले चुनावों में वह भाजपा के साथ समझौता कर चुनाव लड़े।

आज यहां जारी एक ब्यान में आम आदमी पार्टी के जिला प्रधान योगेश्वर शर्मा ने कहा कि आज राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में इनेलो के सदस्यों की ओर से भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में जिस तरह से मतदान किया गया, वह उसकी पोल खोलने के लिए काफी है कि यह पार्टी भाजपा की बी टीम है और ये दोनों अंदर से एक हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी विपक्ष की ओर से लाए गये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी इनेलो ने सदन से बहिष्कार कर एक तरह से भाजपा की ही मदद की थी। उन्होंने कहा कि इनेलो पार्टी का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो रहा है और अपनी राजनीति बचाने के लिए ही वह भाजपा का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि इनेलो की ओर से एसवाईएल के मुद्दे को लेकर जेल भरो आंदोलन भी एक ड्रामा ही है और यह दिखावे के तौर पर भाजपा का विरोध है, अन्यथा अंदर से से तो दोनो एक ही हैं। उन्होंने कहा कि इेनेलो ने अंपने जेल भरो आंदोलन के दौरान कितनी जेले भरीं, इसका कोई रिकार्ड नहीं है। और आने वाले दिनों में भी वह यही ड्रामा एक बार फिर से करने जा रही है। उन्होंने कहा कि हकीकत में तो यह पार्टी कभी भी एसवाईएल को लेकर गंभीर ही नहीं रही। अन्यथा वह जब भाजपा के साथ प्रदेश में और देश में सत्ता में थी तब भी एसवाईएल के मसले को निबटा सकती थी। मगर उसने ऐसा नहीं किया और अब हरियाणा की भोलीभाली जनता को वहलाने का प्रयास जेल भरो आंदोलन करके कर रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी हरियाणा की जनता के सामने आने वाले दिनों में उसकी यह पोल भी खोलेगी तथा जनता को उसकी हकीकत से आवगत करवायेगी।


वैसे पूछते हैं, 

राज्यसभा के उपसभा पति चुनाव में तो आआपा भी सदन का बहिष्कार कर भाजपा को मदद की, तो आ आपा भी क्या भाजपा की ‘B’ टीम है?

भाजपा हर रूप में किसान विरोधी पार्टी है, किसान हित का एक भी काम नहीं गिना सकते: हुडा

फोटो राकेश शाह

चण्डीगढ़ 10 अगस्त 2018
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा ने आज प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हर रूप में किसान विरोधी पार्टी है। भाजपा के पास गिनाने के लिए एक भी काम नहीं है, जो किसान हित में लिया गया हो। हम यह सवाल नहीं उठा रहे कि खट्टर साहब ने खेती की या नहीं पर इतना जरूर कहेंगे कि मुख्यमंत्री बन कर उन्होंने किसान का दर्द कभी नहीं समझा। उनके मुख्यमंत्री बनते ही – ‘‘जिकर चला था गाणां म्है – खाद बंटी थी थाणां म्हैं‘‘। मुख्य मंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने खेती की है और सब्जी भी बेची है तो फिर भाजपा राज में टमाटर, आलू और प्याज आदि सब्जियों की दुर्गत क्यूं हुई ? यदि सरकार ने किसान का दर्द समझा होता तो आज गन्ना उत्पादक किसान शुगर मिलों में अपने बकाये के लिये दर-दर की ठोकरें नहीं खा रहे होते और सरसों, बाजरा, सूरजमुखी और सोयाबिन जैसी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरी की पूरी खरीद होती और दादुपुर-नलवी नहर को पाटने की बजाये उसका निर्माण पूरा करवाया जाता, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में किसान के दर्द को हमने समझा। 2005 में हमारी सरकार बनने पर हमने किसानों पर बोझ बने 1600 सौ करोड़ रूपये बिजली के बकाया बिल माफ किये, जबकि किसानों को बिजली के बिल न भरने का नारा इनेलो और भाजपा का था। हमने कृषि क्षेत्र के लिये 10 पैसे प्रति यूनिट दर तय की और स्लैब प्रणाली बहाल की। हमने फसली ऋण पर ब्याज जीरो प्रतिशत किया और किसानों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई। हमारे समय में धान, पॉपुलर और कपास का किसानों को इतना अच्छा भाव मिला कि किसान कर्ज मुक्त हो गया था। हमने किसान के हित में जमीन अधिग्रहण का नया कानून बनाया। जिसमें मुआवजे के साथ विकसित क्षेत्र में किसान का हिस्सा सुनिश्चित किया, चाहे वह अधिग्रहण रिहायशी उद्देश्य के लिये हुआ हो और चाहे व्यवसायिक रहा हो और 33 वर्ष तक रॉयलटी देने का प्रावधान किया।

भाजपा सरकार केवन नाम बदलने में माहिर है। हमारी सरकार में करनाल में कल्पना चावला मेडिकल विश्वविद्यालय की स्वीकृति दी थी, परन्तु भाजपा सरकार ने इसका नाम बदल कर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल विश्वविद्यालय कर दिया है। इसी तरह हमारे समय चल रही और बहुत सी स्कीमों के भी नाम बदल दिये हैं, परन्तु जनहित में कोई नई स्कीम या संस्था धरातल पर नहीं आई।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा चुनाव के वक्त भाजपा नेताओं ने कर्मचारियों को अनेकों आश्वासन दिए, पर अब कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण खून के आंसु बहा रहे हैं। कर्मचारी सरकार चलाने की महत्वपूर्ण मशीनरी है, पर भाजपा राज में दफ्तरों की बजाये सड़कों पर हैं। सरकारें कच्चे कर्मचारियों को तो पक्का करती हैं, पर भाजपा तो पक्के कर्मचारियों को भी कच्चा कर रही है। सरकार ईवेंट मैनेजमैंट कम्पनी लगती है। बेशक करोड़ों रूपये विज्ञापनों पर खर्च कर रही है, पर धरातल पर कुछ नहीं है। सरकार ने एक लाख साठ हजार करोड़ रूपये का कर्ज तो उठा लिया, पर यह नहीं बता रही कि वो खर्च कहां किया गया ?

पूर्व मुख्यमंत्री ने इनेलो पर भी हमला बोला और कहा कि वो एसवाईएल निर्माण को लेकर नकली लड़ाई लड़ रही है। हरियाणा के लोग जानते हैं कि एसवाईएल न बनने का एक मात्र कारण इनेलो की सियासत रही है। उन्होंने
कहा कि –
इनेलो का देखो खेल-घर बैठे भर रहे जेल,
नकली गिरफ्तारी – नकली बेल,
जेल भरो आन्दोलन हो गया फेल
जाँच हो तो साफ हो जायेगा की पहले इनेलो और अब भाजपा का निराशाजनक रवैया एसवाईएल निर्माण में बड़ी बाधा है। मेरा कहना है कि एसवाईएल की आड़ में इनेलो अपने पारिवारिक झगड़े में लोगों को न घसीटे।

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा को जलाने व सामाजिक सद्भाव खराब करने की असली दोषी भाजपा है। सरकार इतनी ही पाक साफ है तो क्यूं प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया गया ? भाजपा सरकार की विफलता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि उसके वरिष्ठ मंत्री स्वयं यह कह रहे हैं कि जाट आरक्षण आन्दोलन के दौरान हिंसा रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहियें थे, वह सरकार ने नहीं उठाये। अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि हरियाणा भाजपा सरकार ही पूर्ण रूप से दोषी है। नूंह के बाल गृह और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा भी भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण और नफरत फैलाने की नियत से उठा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने 12 अगस्त को पांचवें चरण की जन क्रान्ति यात्रा, जो महेन्द्रगढ से शुरू हो रही है, को अपनी आँखों से देखने के लिए पत्रकारों को आमंत्रित किया। जहां आपको अहसास होगा कि हरियाणा का हर वर्ग प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश से भरा बैठा है और उन्हें विकल्प के तौर पर केवल कांग्रेस ही दीख रही है।