सतलुज पब्लिक स्कूल ‘इंनोवेशन इन एकेडेमिक पेडागोजीस’ अवार्ड से सम्मानित

 
पंचकूला।
 सेक्टर 4 स्थित सतलुज पब्लिक स्कूल को नई दिल्ली में आयोजित वल्र्ड एजुकेशन सम्मिट में ‘इंनोवेशन इन एकेडेमिक पेडागोजीस (एकेडेमिक शिक्षण में नवाचार) अवार्ड से सम्मानित किया गया है। सम्मिट को एलेटस टेक्नोमीडिया एंड डिजीटल लर्निंग द्वारा आयोजित किया गया था जो कि देश की शीर्ष शिक्षिण मीडिया हाऊसिस में से एक है। इस अवार्ड को सतलुज पब्लिक स्कूलज की दीन रीक्रित सराय ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर सतलुज पब्लिक स्कूलज की दीन रीक्रित सराय ने बताया कि यह सम्मान विद्यालय को अपने इंनोवेटिव एकेडेमिक प्रैक्टिसिस के लिए दिया गया था। जिसमें वर्तमान शिक्षाविदों के साथ नवीनतम तकनीक को एकीकृत करना आदि शामिल है जैसे कि 3डी प्रिंटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग (आईओटी), वर्चुअल रियलिटी, (वीआर), एगुमेंटिड रियलिटी (एआर), मिक्सड रियलिटी (एमआर), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ब्लॉकचेन आदि। इन टेक्नोलॉजिस ने सतलुज के विद्यार्थियों की मूल एनसीईआरटी की अवधारणाओं की समझ में तेजी के साथ सुधार किया है जिससे वे समग्र विकास की ओर अग्रसर हुए हैं। यह पुरस्कार शिक्षा में नवाचार के लिए है और मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विभिन्न मंचों पर सतलुज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे इंनोवेटिव स्कूलों में गिना जा रहा है।

पंचकूला यूथ कांग्रेस के जिलाउपाध्यक्ष अंकुर गुलाटी के नतृत्व में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात कर इनसो (इनेलो) छोड़ कर दर्जनों युवाओं ने कांग्रेस का दामन थामा

आज दिनांक 27-8-18 को पंचकूला यूथ कांग्रेस के जिलाउपाध्यक्ष अंकुर गुलाटी के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में इनसो (इनेलो) के युवाओं ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का आशीर्वाद लेकर उनके चंडीगढ़ स्तिथ निवास स्थान पर कांग्रेस पार्टी का दामन थामा। अंकुर गुलाटी ने कहा कि आज का युवा भाजपा की कुनीतियों से बहुत ज्यादा परेशान है और युवाओं का मानना है कि आने वाला समय कांग्रेस पार्टी का है क्योंकि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जो युवाओं का भला सोचती है। भाजपा ने जो 4 साल पहले अपने चुनावी घोषणापत्र के अंदर बेरोजगार युवाओं को नोकरियाँ देने का जूठा वादा किया था उसकी अब पोल खुल चुकी है। नोकरियों के ना होते पंजाब के बाद हरियाणा भी नशे में आगे बढ़ता जा रहा है। अमरजीत लुबाना (निहाल) ने कहा कि आज आये हुए सभी युवाओं का यह मानना था कि इनसो भी जो कि लंबे समय से सत्ता से बहार चलते युवाओं के लिए कुछ भी नहीं कर पाई इस वजह आज इनसो से तंग आकर इन सब युवाओं ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। अंकुर गुलाटी ने कहा कि वह और आज पार्टी में शामिल हुए सभी युवा साथी आज के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मार्गदर्शन में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में कोई भी कसर नही छोड़ेंगे व होने वाले समय में आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनेगी। सभी युवाओं ने हुड्डा को भरोसा दिलाया कि होने वाले चुनावों में व घर घर जाकर कांग्रेस पार्टी का प्रचार करेंगे व जनक्रांति रथ यात्रा में भी सभी युवा ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लेंगे और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ मजबूत करेंगे। इनसो छोड़ कर कांग्रेस में शामिल होने वालों में अमरजीत लुबाना, मनीष, गोपी, प्रीत अमन, फतेह, गिन्नी, सौरव, संजू, अंकेश, विशाल, हैप्पी, हरजीत, गौरव, वैभव, रितबिक, आयुष, साकेत, तनीष, अभिषेक, विधुर, सौरव, करणवीर, गुरसिंरत साथ मे इस मौके पर पंचकूला के पूर्व पार्षद व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चन्दवीर हुड्डा, हरिप्रकाश, कृष्ण गोयल, प्रिंस गोयल व आदि भी मौजूद थे।

राम रहीम के पास पहुंची डेरा की चेयरपर्सन शोभा गोरा, पैरोल की संभावना


 

रविवार को रक्षा बंधन के पर्व पर जेल में दो दुष्कर्मों की सजा काट रहे राम रहीम के परिजन उनसे मिलने के लिए सुनारिया जेल पहुंचे। शाम करीब चार बजकर दस मिनट पर परिजन जेल पहुंचे। परिवार के सदस्यों में पुत्रवधु व दोनों बेटियां के अलावा पोती व पोता शामिल थे।

साथ ही डेरा साचा सौदा की चेयरपर्सन शोभा गोरा भी सुनारिया जेल पहुंची। जहां करीब आधे घंटे तक राम रहीम से मुलाकात की। जिसके चलते राम रहीम भावुक भी हो गए। सभी चार बजकर 40 मिनट तक जेल परिसर में रहे।

वहीं डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन शोभा गोरा के साथ राम रहीम की विशेष मुलाकात रही। जिसके बाद चेयरपर्सन ने बताया कि यह सामान्य दौरा था। किसी प्रकार कि कोई परेशानी नहीं है। डेरा संचालक का स्वास्थ्य ठीक है। वहीं बताया कि 28 अगस्त के बाद जेल से पेरौल मिलने की सम्भावना है।

साधुओं को नपुंसक बनाने का मामला अड़चन बन सकता है। जमानत न होने तक पेरौल में भी क़ानूनी अड़चन रहेगी। जमानत मिलने के बाद पेरौल के लिए अर्जी देने का रास्ता खुलेगा। सीबीआई कोर्ट इस मामले में तीन दिन पहले उसकी जमानत याचिका ख़ारिज कर चुकी है।

पंचकूला में इनसो के बढ़ते जनाधार से बौखलाई कांग्रेस

पंचकुला, 27 अगस्त 2018:

— पंचकूला में निरन्तर युवा साथी इनसो और युवा इनैलो में शामिल हो रहे ह । इसी की बौखलाहट आज कांग्रेस पार्टी में देखने को मिली जिन्होंने अपने ही साथियो को इनसो का बता कर दोबारा कांग्रेस पार्टी में शामिल करवाया । वही इनसो प्रवक्ता विकास मलिक ने कहा कि इन साथियो में से कोई भी साथी कभी भी इनसो का सदस्य नही रहा । ज्ञात हो कि पिछले दिनों सेक्टर 21 और सेक्टर 10 में सैंकड़ो युवाओ ने इनैलो की नीतियों में आस्था जताते हुए इनसो का दामन थामा था और चंडीगढ के छात्र संघ चुनावो में भी माहौल पूर्ण रूप से इनसो के पक्ष में ह । इनसो पंजाब विश्वविद्यालय सहित सभी कॉलेजो में परचम लहराने जा रही ह ।आने वाला समय इंडियन नेशनल लोकदल का है ।कांग्रेस में नेता लोगो की नही अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे ह और इसी बौखलाहट में नेता के आगे वाहा – वाही लूटने के लिए कांग्रेस द्वारा ऐसा प्रचार किया जा रहा ह ।

प्रदेश की प्राइवेट चीनी मिलों में किसानों के दो सौ करोड़ रुपए बकाया – सुरजेवाला

फ़ाइल फोटो


सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार को दी चेतावनी कहा -सरकार प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान कराये, नहीं तो कांग्रेस उतरेगी किसानों के पक्ष में


चंडीगढ़ ::
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कोर कमेटी के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है की भाजपा सरकार और हरियाणा की प्राइवेट चीनी मिलों की मिलीभगत के चलते प्रदेश की प्राइवेट चीनी मिलों में किसानों के दो सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया हैं और किसान अपने हक़ को लेने के लिए दर-दर की ठोकर खाने पर मजबूर हैं।

भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सुरजेवाला ने कहा कि इस सरकार ने पिछले 4 सालों में सिर्फ किसानों को छलने व धोखा देने का काम किया है, जिससे अन्नदाता परेशान हैं। उन्होंने कहा कि​ आय दोगुनी करने के वायदे पर वोट हासिल कर सरकार में आयी भाजपा के राज में आय दोगुनी होना तो दूर यह सरकार चौदह दिनों में गन्ना मूल्य भुगतान के वायदों पर सरकार खरा नहीं उतर रही और उत्तरी हरियाणा के किसान पिछले तीन महीने से अपनी बकाया रकम का इन्तजार कर रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार प्राइवेट चीनी मिलों से केवल नूरा कुश्ती खेल रही है और अब उन्हें वो नोटिस देने का नाटक किया जा रहा है, जो उन्हें दो महीने पहले दे देने चाहियें थे। इस सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण प्राइवेट मिलो में गन्ना डालने वाले किसान-मारे-मारे फिर रहे है। चीनी मिलें किसानों का दो सौ करोड़ रूपए दबाए बैठी हैं, पर किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।

सुरजेवाला ने कहा कि कहा कि गन्ना भुगतान के बड़े दावे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करते हैं लेकिन झूठ की बुनियाद पर टिकी केंद्र और राज्य सरकार का किसानों के हितों से कोई सरोकार नहीं है। इस निकम्मी सरकार की उपेक्षा के कारण हरियाणा के किसानों के लिए मीठा गन्ना कड़वाहट का कारण बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का मेहनती किसान,गन्ने की रिकॉर्ड उपज कर हमारा गौरव बढ़ाता है,पर भाजपा सरकार के किसान विरोधी राज में उनका बक़ाया रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच जाता है। क्या मोदी जी और खट्टर जी गन्ना किसानों की सुध केवल चुनावी घोषणा के दौरान ही लेते हैं?

सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा सरकार का गन्ना किसानों को दिया गया पैकेज महज एक दिखावा था, जिसकी कलई अब पूरी तरह से खुल चुकी है। गन्ना किसानों का आज दो सौ करोड़ रूपया बकाया है।किसान सिर से लेकर पांव तक कर्ज में डूबता जा रहा है, लेकिन भाजपा सरकार किसानों को राहत देने की बजाय अपने कुछ चुनिंदा खास उद्योगपतियों को लाखो करोड़ों का फायदा पहुंचा रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि जनता को जात-पात के आधार पर बाँट कर असली मुद्दों से ध्यान हटाकर उनके साथ धोखाधड़ी करना और जुमले गढ़ना ही इस लूट-खसोट सरकार का मूल मंत्र बन गया है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि प्राइवेट मिलों और सरकार की मिलीभगत के कारण हरियाणा के गन्ना किसानों को उनके बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार प्रदेश के गन्ना किसानों का करोडों रुपये का बकाया का भुगतान करे अन्यथा कांग्रेस पार्टी को सड़क से लेकर विधानसभा तक सरकार के खिलाफ उतरने पर मजबूर होना पड़ेगा।

‘मन की बात’ का 47वां संस्करण

 

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 47वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन को मुख्य धारा में लाने के लिए देश सदा वाजपेयी का आभारी रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने भारत को नई राजनीतिक संस्कृति दी और बदलाव लाने का प्रयास किया। इस बदलाव को उन्होंने व्यवस्था के ढांचे में ढालने की कोशिश की जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला सुनिश्चित है।

उन्होेंने कहा कि भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। पहला यह कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 प्रतिशत तक सीमित किया गया। दूसरा यह कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वर्षों तक भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े “जम्बो” मंत्रिमंडल कार्य के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे। वाजपेयी ने इसे बदल दिया। इससे पैसों और संसाधनों की बचत हुई। इसके साथ ही कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी हुई।

मोदी ने कहा कि यह अटल जी दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी। अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे। उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को पांच बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में संसद शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया।

मोदी ने कहा कि वाजपेयी के कारण ही देशवासियों को ‘एक और आज़ादी’ मिली। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय ध्वज संहिता बनाई गई और 2002 में इसे अधिसूचित कर दिया गया। इस संहिता में कई ऐसे नियम बनाए गए जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ। इसी के कारण अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया। इस तरह से उन्होंने प्राण प्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब कर दिया। उन्होेंने कहा कि वाजपेयी ने चुनाव प्रक्रिया और जनप्रतिनिधियों से संबंधित प्रावधानों में साहसिक कदम उठाकर बुनियादी सुधार किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी। मैं जरुर कहूंगा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।

वाजपेयी के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बनर्जी और बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे के सुझावाें का जिक्र किया।

श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन की कोटी कोटी बधाई

श्रावण माह की पूर्णिमा: ओणम एवं रक्षाबंधन

 

श्रावण माह की पूर्णिमा बहुत ही शुभ व पवित्र दिन माना जाता है. ग्रंथों में इन दिनों किए गए तप और दान का महत्व उल्लेखित है. इस दिन रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है इसके साथ ही साथ श्रावणी उपक्रम श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को आरम्भ होता है. श्रावणी कर्म का विशेष महत्त्व है इस दिनयज्ञोपवीत के पूजन तथा उपनयन संस्कार का भी विधान है.

ब्राह्मण वर्ग अपनी कर्म शुद्धि के लिए उपक्रम करते हैं. हिन्दू धर्म में सावन माह की पूर्णिमा बहुत ही पवित्र व शुभ दिन माना जाता है सावन पूर्णिमा की तिथि धार्मिक दृष्टि के साथ ही साथ व्यावहारिक रूप से भी बहुत ही महत्व रखती है. सावन माह भगवान शिव की पूजा उपासना का महीना माना जाता है. सावन में हर दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने का विधान है.

इस प्रकार की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. इस माह की पूर्णिमा तिथि इस मास का अंतिम दिन माना जाता है  अत: इस दिन शिव पूजा व जल अभिषेक से पूरे माह की शिव भक्ति का पुण्य प्राप्त होता है.

कजरी पूर्णिमा | Kajari Purnima

कजरी पूर्णिमा का पर्व भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है यह पर्व विशेषत: मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों में मनाया जाता है. श्रावण अमावस्या के नौंवे दिन से इस उत्सव तैयारीयां आरंभ हो जाती हैं. कजरी नवमी के दिन महिलाएँ पेड़ के पत्तों के पात्रों में मिट्टी भरकर लाती हैं जिसमें जौ बोया जाता है.

कजरी पूर्णिमा के दिन महिलाएँ इन जौ पात्रों को सिर पर रखकर पास के किसी तालाब या नदी में विसर्जित करने के लिए ले जाती हैं .इस नवमी की पूजा करके स्त्रीयाँ कजरी बोती है. गीत गाती है तथा कथा कहती है. महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं.

श्रावण पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है और उसके अनुसार पर्व रुप में मनाया जाता है जैसे उत्तर भारत में रक्षा बंधन के पर्व रुप में, दक्षिण भारत में नारयली पूर्णिमा व अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम तथा गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है.

रक्षाबंधन | Rakshabandhan

रक्षाबंधन का त्यौहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं. रक्षाबंधन, राखी या रक्षासूत्र का रूप है राखी सामान्यतः बहनें भाई को बांधती हैं इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं उनकी आरती उतारती हैं तथा इसके बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहार स्वरूप उसे भेंट भी देता है.

इसके अतिरिक्त ब्राहमणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा संबंधियों को जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी रक्षासूत्र या राखी बांधी जाती है. इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपकर्म होता है, उत्सर्जन, स्नान-विधि, ॠषि-तर्पणादि करके नवीनयज्ञोपवीत धारण किया जाता है. वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं.

श्रावणी पूर्णिमा पर अमरनाथ यात्रा का समापन

पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री अमरनाथ की पवित्र छडी यात्रा का शुभारंभ होता है और यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है. कांवडियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही शिवलिंग पर जल चढया जाता है और उनकी कांवड़ यात्रा संपन्न होती है. इस दिन शिव जी का पूजन होता है पवित्रोपना के तहत रूई की बत्तियाँ पंचग्वया में डुबाकर भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं.

श्रावण पूर्णिमा महत्व

श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है अत: इस दिन पूजा उपासना करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है, श्रावणी पूर्णिमा का दिन दान, पुण्य के लिए महत्वपूर्ण होता है अत: इस दिन स्नान के बाद गाय आदि को चारा खिलाना, चिंटियों, मछलियों आदि को दाना खिलाना चाहिए इस दिन गोदान का बहुत महत्व होता है.

श्रावणी पर्व के दिन जनेऊ पहनने वाला हर धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दे और भोजन कराया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है. विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन और समृद्धि कि प्राप्ति होती है. इस पावन दिन पर भगवान शिव, विष्णु, महालक्ष्मीव हनुमान को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए.

इतिहास में वर्णित कुछ प्रसंग:

श्रावण मास पूर्णिमा को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस बार 26 अगस्त रविवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। इस त्योहार का प्रचलन सदियों पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार की परंपरा उन बहनों ने रखी जो सगी बहनें नहीं थी। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता हैं रक्षाबंधन का त्योहार।

राजा बलि और देवी-लक्ष्मी ने शुरू की भाई बहनों की राखी

राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान, वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। तब राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया और भेंट में अपने पति को साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी।

द्रौपदी और कृष्ण का रक्षाबंधन

राखी या रक्षा बंधन या रक्षा सूत्र बांधने की सबसे पहली चर्चा महाभारत में आती है, जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। दरअसल, भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत मानते हैं। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वादा निभाया और द्रौपदी की लाज बचाने में मदद की।

कर्णावती-हुमायूं

मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा की मृत्यु के बाद बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया था। इससे चिंतित रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को एक चिट्टी भेजी। इस चिट्ठी के साथ कर्णावती ने हुमायूं को भाई मानते हुए एक राखी भी भेजी और उनसे सहायता मांगी। हालांकि मुगल बादशाह हुमायूं बहन कर्णावती की रक्षा के लिए समय पर नहीं पहुंच पाया, लेकिन उसने कर्णावती के बेटे विक्रमजीत को मेवाड़ की रियासत लौटाने में मदद की।

रुक्साना-पोरस

रक्षा बंधन को लेकर इतिहास में राजा पुरु (पोरस) और सिकंदर की पत्नी रुक्साना के बीच राखी भेजने की एक कहानी भी खूब प्रसिद्ध है। दरअसल, यूनान का बादशाह सिकंदर जब अपने विश्व विजय अभियान के तहत भारत पहुंचा तो उसकी पत्नी रुक्साना ने राजा पोरस को एक पवित्र धागे के साथ संदेश भेजा। इस संदेश में रुक्साना ने पोरस से निवेदन किया कि वह युद्ध में सिकंदर को जान की हानि न पहुंचाए।

कहा जाता है कि राजा पोरस ने जंग के मैदान में इसका मान रखा और युद्ध के दौरान जब एक बार सिकंदर पर उसका धावा मजबूत हुआ तो उसने यूनानी बादशाह की जान बख्श दी। इतिहासकार रुक्साना और पोरस के बीच धागा भेजने की घटना से भी राखी के त्योहार की शुरुआत मानते हैं।

जब युद्धिष्ठिर ने अपने सैनिको को बांधी राखी

राखी की एक अन्य कथा यह भी हैं कि पांडवो को महाभारत का युद्ध जिताने में रक्षासूत्र का बड़ा योगदान था। महाभारत युद्ध के दौरान युद्धिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं कैसे सभी संकटो से पार पा सकता हूं। इस पर श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिको को रक्षासूत्र बांधे। इससे उसकी विजय सुनिश्चिच होगी। तब जाकर युद्धिष्ठिर ने ऐसा किया और विजयी बने। तब से यह त्योहार मनाया जाता है।

जब पत्नी सचि ने इन्द्रदेव को बांधी राखी

भविष्य पुराण में एक कथा हैं कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई में बांध दी। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए। यह घटना भी सतयुग में ही हुई थी

हरियाणा एजुकेशन बोर्ड द्वारा अनुक्रमांक पात्रता से सम्बन्धित अधूरे दस्तावेजॉन को पूरे करने की समयावधि तय की गयी

 

भिवानी, 25 अगस्त, 2018 :

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड सचिव डॉ. अंशज सिंह, आई.ए.एस. ने आज यहाँ जारी एक प्रेस-वक्तव्य में बताया कि हरियाणा मुक्त विद्यालय की सैकेण्डरी एवं सीनियर सैकेण्डरी सितम्बर-2018 (सी.टी.पी./एस.टी.सी./ आंशिक अंक सुधार/पूर्ण अंक सुधार/अतिरिक्त विषय) की परीक्षाएं 05 सितम्बर, 2018 सेे आरम्भ हो रही हैं। इन परीक्षाओं से सम्बन्धित अनुक्रमांक बोर्ड वैबसाईट पर 24 अगस्त, 2018 से जारी कर दिए गए हैं।
बोर्ड सचिव ने बताया कि जिन परीक्षार्थियों के अनुक्रमांक पात्रता से सम्बन्धित दस्तावेज अधूरे होने के कारण रोके गये हैं ऐसे परीक्षार्थी 27 अगस्त (सोमवार) से 31 अगस्त (शुक्रवार) तक (प्रात: 9:00 बजे से सायं 5:00 बजे) अपने पात्रता से सम्बन्धित पूर्ण दस्तावेजों (ऑनलाईन आवेदन की हार्डकापी/पास प्रमाण-पत्र/विद्यालय त्याग प्रमाण-पत्र/जन्मतिथि प्रमाण-पत्र/रि-अपीयर कार्ड इत्यादि) सहित बोर्ड कार्यालय के कमरा नं. 90-91 में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर सम्पर्क करें।
उन्होंने बताया कि बोर्ड कार्यालय 01 सितम्बर से 03 सितम्बर तक अवकाश होने के कारण बन्द रहेगा, इसलिए परीक्षार्थी इन दिनों में अनुक्रमांक के लिए बोर्ड कार्यालय में न आयें।

Rahul Gandhi has constituted 3 Committies for the Lok Sabha Election 2019.

 

New Delhi, August 25, 2018 :

Ahead of Lok Sabha elections, Congress President Rahul Gandhi on Saturday constituted a core group committee comprising leaders like A.K. Antony, Ghulam Nabi Azad and P. Chidambaram, a manifesto committee and a publicity committee.

Besides Antony, Azad and Chidambaram, the core group committee also includes Ashok Gehlot, Mallikarjun Kharge, Ahmed Patel, Jairam Ramesh, Randeep Singh Surjewala and K.C. Venugopal.

The manifesto committee has Chidambaram, Ramesh, Bhupinder Singh Hooda, Salman Khurshid, Shashi Tharoor, Kumari Selja, Sushmita Dev, Rajeev Gowda, Mukul Sangma, Manpreet Singh Badal, Sam Pitroda, Sachin Rao, Bindu Krishnan, Raghuveer Meena, Balchnadra Mungekar, Meenakshi Natrajan, Rajni Patil, Tamradhwaj Sahu and Lalitesh Tripathii as its members.

The publicity committee includes Anand Sharma, Randeep Surjewala, Manish Tiwari, Pramod Tiwari, Rajeev Shukla, Bhakta Charan Das, Praveen Chakravarty, Milind Deora, Ketkar Kumar, Pawan Khera, V.D. Satheesan, Jaiveer Shergill and Divya Spandana.

Only Punjab FM Manpreet Badal has been nominated to Manifesto Committee of AICC. No other Punjab leader has been included in these committees.

The lists of the members of these committees have been released by Ashok Gehlot, General Secretary of AICC :