हिंदुओं के महान तीर्थ ब्रह्मा नगरी पुष्कर को मेड़ता स्टेशन से रेललाईन से जोड़ो  :  करणीदानसिंह राजपूत

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ :

करणीदानसिंह राजपूत

                थूकेगा इतिहास तुम्हारी चुप्पी और नादानी पर” यह कविता और ऐसे अनेक संदेश केवल और केवल फारवर्ड होकर सामान्य लोगों तक आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों तक पहुंचाए जा रहे हैं। लेकिन जब लोकतंत्र सेनानी कोई बात कहते हैं तो बड़े नेता सुनते नहीं और लोकतंत्र सेनानी खुद भी कभी उन लेखों पर गौर नहीं करते कि किन परिस्थितियों में किस उम्र में कितनी सूझबूझ के साथ कितनी मेहनत से वे संदेश लिखे गए। लोकतंत्र सेनानियों के नेता भी एडमिन भी रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। कभी किसी पर टिप्पणी नहीं करते ऐसा तो है नहीं कि सभी संदेश केवल कचरा रहे हों।

      हर एक संदेश में कुछ ना कुछ संदेश होता है लेकिन उस पर चुप्पी धारण किए हुए अपने अपने काम धंधे में लगे रहते हैं। आज यह संदेश फारवर्ड होकर लगा है कि “थूकेगा इतिहास तुम्हारी चुप्पी और नादानी पर।”अब सवाल यह पैदा होता है कि पिछले कम से कम 14 -15 सालों में लोकतंत्र सेनानियों में कितने लोग बोले?

       केवल सामान्य लोकतंत्र सेनानियों को हर पाठ पढ़ाना ही उचित माना जाता रहा है। लेकिन किसी ने भी सर्वोच्च जनप्रतिनिधियों को व अन्य संगठनों के लोगों को जो मुखिया है उनको किसी ने कभी ऐसे पाठ पढ़ाने की कोशिश क्यों नहीं की?

                 ऐसे सवाल हैं  जिनका उत्तर या समर्थन कितने लोकतंत्र सेनानी और लोकतंत्र सेनानियों के नेता ग्रुपों के एडमिन करते हैं।

यह थोड़ी देर में मेरे इस लेख के बाद मालूम पड़ जाएगा कि हमारी स्थिति क्या है?

       मैं महत्वपूर्ण बिंदु रहते हुए लिख रहा हूं। ध्यान देना कि कितने नेताओं के पास यह संदेश गया और उसके बाद वे  क्या बोले? या केवल चुप रहे? “थूकेगा इतिहास तुम्हारी चुप्पी और नादानी पर” इसको भी पढते रहना और मनन भी करते रहना।

      1-  हमारा सदैव हिंदू एकता पर ध्यान रहा है संदेश आते रहे कि अन्य धर्म के स्थानों आदि पर उपस्थिति ने दी जाए। हम मानते नहीं हैं तो वहां पर क्यों जाया जाए? वहां पर क्यों पैसे चढ़ाए जाएं? इसमें अजमेर स्थान का भी उड़ा उल्लेख अनेक बार किया गया। लेकिन हमने या हमारे धनी लोगों ने कितना मनन किया?

      सच तो यह है कि जब हमारे यहां बड़े-बड़े देवी देवता महान शक्तिशाली मौजूद हैं तो किसी अन्य के पास माथा टेकने की आवश्यकता नहीं है। जब कलियुग में हनुमान जी बाबा का ही गुणगान करना है तब अन्य बाबाओं की मूर्तियां लगाने की आवश्यकता नहीं है जो हमारे मंदिरों में स्थापित कर दी गई है। जिनको दूसरे धर्म वाले भी अपना नहीं मानते। उनकी प्रतिमाएं मंदिरों में लगा दी गई केवल इसलिए कि कुछ लोगों को लगानी थी और पुजारी को अधिक पैसा मिल जाए। यह नीति रही।

      2- हमारे यहां मंदिरों में देवी देवताओं की प्रतिमाएं पाषाण या धातु की हों लेकिन उन्हें प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही  पूजा पाठ होती है। यही माना जाता है कि देवी देवता हर स्वरूप में जीवित हैं। हम उनके इसी स्वरूप की पूजा करते हैं।

      अन्य धर्म के स्थान और हिंदु धर्म स्थान में बस यही अंतर है। एक में प्राण हैं। इसे थोड़ा समझने की आवश्यकता है। इतना ही समझें कि जब जीवित देवी देवता हमारे मौजूद हैं तो वे दे सकते हैं लेकिन मृत व्यक्ति कुछ नहीं दे सकते। सभी का जवाब होगा की मृत व्यक्ति कभी भी कुछ भी नहीं दे सकता।

      3- अब सवाल यह उठता है कि “थूकेगा इतिहास तुम्हारी चुप्पी और नादानी पर”

मैं हर लोकतंत्र सेनानी से केवल यह आग्रह कर देखना चाहता हूं कि हम एक दूसरे को संदेश कहीं से भी आया फॉरवर्ड कर देते हैं कभी खुद का संदेश लिखने की कोशिश नहीं करते जबकि सभी पढ़े लिखे लोग हैं।

      4- सबसे बड़ा सवाल है कि हिंदू मंदिरों तीर्थों के अलावा अन्य स्थानों पर नहीं जाने के लिए चढावा नहीं चढ़ाने के लिए क्या कभी संघ के प्रमुख मोहन भागवत जी ने या पूर्व के संघ प्रमुखों ने कहा वे कुछ बोले? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी ने कहा कि हिंदुओं को अपने देवी-देवताओं के पूजा स्थल के अलावा अन्यत्र कहीं नहीं जाना चाहिए? उन्होंने भी नहीं कहा।  हमारे गृह मंत्री अमित शाह जीने भी यह नहीं कहा कि हिंदू मंदिर तीर्थों के अलावा हिंदुओं को और कहीं नहीं जाना चाहिए? भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले के और वर्तमान जेपी नड्डा जी ने भी हिंदुओं को कभी नहीं कहा कि हिंदू देवी देवताओं के अलावा उन्हें अन्य स्थानों के पूजा स्थलों पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है? आम सभाओं में नहीं अपने धार्मिक कार्यक्रमों में ही बोल दें कि हिंदुओं को केवल अपने मंदिरों तीर्थों में पूजा करनी चाहिए और वहीं चढावा भेंट आदि करनी चाहिए।

      ऊंचे पदों पर है और इनकी वाणी को सभी सुनकर उस पर चल सकते हैं। इसमें किसी धर्म विशेष का विरोध नहीं है। केवल इतना ही कहना है कि हिंदू हैं तो अपने आस्था स्थलों के अलावा अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं है लेकिन कोई नहीं बोला और आगे भी नहीं बोलेगा। केवल कहते रहेंगे कि हम सभी धर्मों का आदर करते हैं सत्कार करते हैं। क्या हर संदेश हम सामान्य लोगों के लिए ही होते हैं?

      लोकतंत्र सेनानियों मेरे इस लेख में किसी प्रारंभ दूसरे की कोई आलोचना नहीं है लेकिन मैं यह कहता हूं कि हिंदू हो हिंदू देवी देवताओं को मानते हो तो फिर दूसरे स्थानों पर माथा टेकने और मन्नत करने की बड़ी-बड़ी रकमें चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब जीवित हिंदू देवी देवताओं पर विश्वास नहीं है और मृत के आगे मत्था टेक रहे हो तो वहां से कुछ मिलने वाला नहीं है। मृत व्यक्ति कभी कुछ दे नहीं सकता। इसे समझने की बहुत बड़ी जरूरत है। केवल एक दूसरे लोगों से प्रभावित होकर ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए। कहीं पर्यटन स्थल पर पहुंचे हिंदू तीर्थों पर पहुंचे और वहां पर किसी अन्य धर्म का जो हिंदुओं का विरोध कर रहा हो वहां पर कोई स्थान हो तो उस पर भी मत्था टेकने पहुंच जाते हैं,जो की बहुत बड़ी गलती है। पर्यटन में आप 20 स्थानों के बजाए अट्ठारह उन्नीस स्थान देख लें कोई जरूरी नहीं है कि आए हैं तो चलो सभी देख लेते हैं।  इस विचारधारा को छोड़ें।

      6- मेरा तो यह कहना है कि सर्वोच्च लोगों को जब वे अपने अपने धार्मिक कार्यक्रमों में उपस्थित हों तब ऐसे ही संदेश उनके मुख से दिए जाने चाहिए। उनके मुख से  प्रकट होने चाहिए। राज करने के लिए सत्ता में बने रहने के लिए अगर छुप्पी रहती है तो गलत है।

      7-  मैंने जो बात कही है उसमें किसी भी अन्य धर्म का विरोध नहीं है। एक एक शब्द तोल तोल कर लिखा हुआ है सोच सोच कर लिखा हुआ है।

      8- हिदुत्व पर गर्व है: यह एक आवाज उठाओ और चुप्प नहीं रहो. बहुत चुप्प रह लिए।

       9- हिंदुओं का भारत भर में एकमात्र ब्रह्मा मंदिर पुष्कर  राजस्थान में स्थित है,जहां पर सभी स्थानों से श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन हमने सत्ता होते हुए भी या अभी सत्ता प्राप्ति के सालों में कभी पुष्कर की सुध लेने की कोशिश नहीं की।

                 एक भी लोकतंत्र सेनानियों का नेता नहीं बोला और सर्वोच्च नेता भी नहीं बोले। देश में हम सुपर स्पीड की रेलें चलाने की योजनाएं बना रहे हैं। लेकिन हिंदुओं के महान तीर्थ की उपेक्षा हर तरह से अभी भी हो रही है।

      बात रेलवे की चल रही है इसलिए कहता हूं कि राजस्थान में मेड़ता सिटी से पुष्कर तक केवल 72 किलोमीटर की  दूरी रेल लाइन से वंचित है। पिछले 20- 30 सालों से आवाज उठाई जा रही है कि मेड़ता सिटी से पुष्कर को जोड़ दिया जाए।  मेड़ता सिटी से पुष्कर को जोड़ा जाता है तो बहुत दूर से चलने वाली गाड़ियां बहुत दूर तक पहुंचने वाली गाड़ियां पुष्कर हो करके आवागमन करेंगी तो इस तीर्थ की महिमा बढ़ेगी और रेलवे को करोड़ों रुपए का लाभ हर महीने प्राप्त होगा।

                 मैंने मेरे एक लेख में यह लिखा था कि और यह मांग पत्र सर्वोच्च नेताओं को और रेल मंत्री को भी भिजवाया था।  केवल  72 किलोमीटर का यह टुकड़ा जो रेलवे से वंचित है यहां रेल लाइन बिछा दी जाए। इसका पहले बजट बनाया गया था तब करीब 350 करोड़ रुपए आकलन था हो सकता है कि आज की स्थिति में यह 500 करोड़ के करीब हो गया हो। ( मैंने तो एक और बात भी लिखी थी कि अगर सरकार यह बजट नहीं देना चाहे तो हमारे यहां बहुत बड़े श्रद्धालु दानी लोग हैं धार्मिक लोग हैं उनसे अपील की जाए तो कोई एक व्यक्ति ही इतनी बड़ी राशि रेलवे को सरकार को दे सकता है। लेकिन रेलवे गरीब नहीं है)

                 मेरा  यह भी कहना था कि बहुत बड़ा कोई षड्यंत्र रहा है जिसके कारण पुष्कर राज को इतिहास से ओझल रखने का कार्य चलता रहा।  अजमेर को कभी ब्रह्मा की नगरी नहीं बताया गया हालांकि अजमेर और पुष्कर में थोड़ी सी दूरी है लेकिन अजमेर को अन्य धर्म के व्यक्ति की नगरी बताया जाता रहा। सवाल यह है पहले कौन पैदा हुए? ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। उन्हीं ब्रह्मा ने पुष्कर में पूजा की थी।

                 मेरे मांग पत्रों को जो मैंने सरकार को भेजें लोकतंत्र सेनानियों के ग्रुपों में लगाए लेकिन आश्चर्य यह रहा कि किसी एक लोकतंत्र सेनानी ने भी उन पत्रों पर गौर नहीं किया। हिंदुत्व का नारा लगाना और उस पर कार्य करना दो अलग अलग बाते हैं। थोड़ा सा कार्य भी  खुद नहीं करते  किसी ने लिखा उसको आगे से आगे फॉरवर्ड करते चलें।

                10- मैं तो खुद लिखता हूं सोचता हूं सरकार को पत्र लिखता हूं और वे पत्र लोकतंत्र सेनानियों के ग्रुप में डालता हूं । हालांकि मैंने पिछले दिनों यह कहा था कि मैं अब ग्रुपों में मैटर नहीं डालूंगा मेरी खुद की करणी प्रेस इंडिया ब्लॉग में लगाऊंगा मेरी फेसबुक पर लगा लूंगा और सरकार को जो पत्र लिखूंगा और लिखता रहूंगा। जो मिशन लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान का है सम्मान राशि का है उसके लिए मेरा संघर्ष मेरी मांगे सर्वोच्च नेताओं के आगे प्रस्तुत करता रहूंगा।

                11-  जहां यह सबसे बड़ा सवाल काम करने और कराने के लिए रख रहा हूं की किसी धर्म विशेष का विरोध करने के बजाय हम हमारे धर्म तीर्थ का नाम ले और उस पर सोच विचार करें। जितने भी लोग पढ़ रहे हैं उन सब से आग्रह है कि पुष्कर राज को मेड़ता सिटी से रेलवे लाइन से जोड़ा जाए। मेड़ता रोड प्रमुख रेलवे स्टेशन है और यहां से मेड़ता सिटी तक रेल लाईन बनी हुई है।

                 यह कार्य हमारे राजस्थान और अन्य राज्यों के सांसद और विधायक भी करें। इसकी मांग कार्य राजस्थान विधानसभा के चुनाव 2023 के चुनाव से पहले हो, कार्य शुरू हो और इसका लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में हर हालत में  मिले। मेरी सोच है। अपने अपने लेटर पैडों पर अपने अपने संगठनों से अपने सर्वोच्च नेताओं को लिखें अपने इलाके के एमएलए एमपी को देखें मिले ताकि यह बहुत बड़ा कार्य हो सके। मेड़ता सिटी से पुष्कर को जोड़ा जा सके। पहले केवल लाईन का निर्माण हो जाए ताकि रेलों का आवागमन इस रेलमार्ग से होने लगे। अन्य स्टेशन के कार्य बाद में होते रहें।

                 यह षड्यंत्र वर्षों से चल रहा है जिससे मेड़ता सिटी से पुष्कर को जोड़ा नहीं गया। सर्वे को बस्ते में बंद कर दिया गया। वह षड्यंत्र खत्म हो सके।जय हिंद जय मां भारती।

sहवेत पत्र लाने वाली AAP सरकार ‘पेपर लेस’ बजट लाएगी

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार पेपरलेस (कागज रहित) बजट पेश करेगी, जिससे राज्य के खजाने के 21 लाख रुपये की बचत होगी और इसके साथ ही 34 टन कागज भी बचाये जा सकेंगे। मान ने इसे ई-गवर्नेंस की दिशा में एक कदम बताया। मान ने इसे ई-गवर्नेंस की दिशा में एक कदम बताया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”पंजाब के लोगों के लिए खुशखबरी। मेरी सरकार ने फैसला किया है कि इस बार पेपरलेस बजट होगा. इससे राजकोष के लगभग 21 लाख रुपये की बचत होगी। 34 टन कागज की बचत होगी. इसका मतलब यह है कि यह 814-834 पेड़ों को बचाया जा सकेगा. ई-गवर्नेंस की दिशा में एक और कदम.।”

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़

आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकार पंजाब विधानसभा की कार्यवाही को पेपरलेस करने जा रही है। आगामी सत्र में पेश किया जाने वाला बजट पेपरलेस होगा। सीएम भगवंत मान ने कहा है कि हमारी सरकार ने फैसला किया है कि इस बार पंजाब सरकार का बजट पेपरलेस होगा। इससे सरकार के लगभग 21 लाख रुपये और 34 टन कागज की बचत होगी, जिसका अर्थ है कि 814-834 पेड़ बचेंगे। यह ई गवर्नेंस की ओर एक और कदम है। पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा ने कहा कि अगले छह महीने के भीतर पूरी कार्यवाही पेपरलेस हो जाएगी। इस बार मीडिया और विधायकों को बजट दस्तावेज पेन ड्राइव में दिया जाएगा।

संधवा ने कहा कि अगले छह महीनों में विधानसभा में विधायकों के लिए टैबलेट और कार्यवाही को ऑनलाइन करने के लिए आवश्यक अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि विधायकों को तकनीक की जानकारी रखने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीन दिवसीय प्रशिक्षण 31 मई से 2 जून तक आयोजित किया जा रहा है। उन्हें कंप्यूटर, पेन ड्राइव और टैबलेट को संभालने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

नई सरकार ने मार्च के तीसरे सप्ताह में ही कार्यभार संभाला था, इसलिए उन्होंने तीन महीने के लिए लेखानुदान प्रस्तुत किया था। पंजाब का बजट जून में पेश किया जाना है। भगवंत मान सरकार के पहले बजट में जनता के सुझाव भी शामिल होंगे। सरकार ने कहा है कि सरकार ‘जनता का बजट’ तैयार करने में जनता को शामिल करने का प्रयास कर रही है। सरकार इसे एक महत्वपूर्ण वित्तीय नीति दस्तावेज बनाने के अवसर के रूप में देख रही है। बजट तैयार करने के लिए राज्य के बुद्धिजीवियों के सुझाव आ रहे हैं। सरकार ने कहा कि सुझाव विशेष रूप से निर्यात और कृषि पर काफी व्यावहारिक हैं और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि हम बजट में इन सभी सुझावों को शामिल करेंगे।

श्वेत पत्र पेश करेंगे और एक एक पैसे का हिसाब लेंगे – CM पंजाब

श्वेत पत्र में मुख्य रूप से 4 अध्याय होते हैं, जो ऐतिहासिक पैटर्न और वित्तीय संकेतकों की वर्तमान स्थिति, ऋण की स्थिति और राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की वित्तीय स्थिति को सामने लाते हैं। यह राज्य के राजकोषीय स्वास्थ्य के पुनरुत्थान के संभावित तरीके पर भी टिप्पणी करेगा। कैबिनेट ने विधानसभा के चालू बजट सत्र में 2022-23 के बजट अनुमानों को पेश करने को भी मंजूरी दी। ईमेल, पत्र और सीधे संचार के माध्यम से अपने सुझाव देने वाले निवासियों और अन्य लोगों सहित सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद बजट अनुमान तैयार किए गए हैं।

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

पंजाब की भगवंत मान सरकार बजट सत्र में वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र लाएगी। शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे मंजूरी दे दी है। पांच वर्षों में यह दूसरा मौका होगा जब विधान सभा में वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र लाया जाएगा। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में भी श्वेत पत्र लाया गया था, जबकि अब आआपा(आम आदमी पार्टी) सरकार इसे सदन में लाएगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाले पंजाब मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को विधानसभा के मौजूदा सेशन के दौरान राज्य के वित्त संबंधी व्हाइट पेपर सदन में पेश करने की मंजूरी दे दी है।

CM भगवंत मान ने कहा कि पिछली सरकारों ने पंजाब के खजाने का कैसे दुरुपयोग किया। पंजाब कैसे कर्जाई हुआ। पूरे लेखा-जोखा का व्हाइट पेपर लाया जाएगा। पंजाबियों के एक-एक पैसे का हिसाब लेंगे।

इससे पहले अपने भाषण में मान ने कहा कि मेरी सरकार ने अपने ही कैबिनेट मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। मान ने कहा कि अब भ्रष्टाचार करने वालों को नहीं बचाया जाएगा और न ही खोखले वादे किए जाएंगे। हमने ‘एक विधायक-एक पेंशन’ कदम से एक मिसाल कायम की है। इसी सत्र में बिल पेश किया जाएगा। आप की विचारधारा का केंद्र बिंदु भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन है।

वहीं बोलने के लिए समय न मिलने पर कांग्रेस ने हंगामा किया और सभी सदस्य सदन के बाहर चले गए। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि हम विधानसभा से वॉकआउट कर गए क्योंकि स्पीकर ने अपना वादा तोड़ा। चर्चा जारी रहनी थी और सीएम को जवाब देना था लेकिन उन्हें कुल्लू मनाली में तिरंगा यात्रा के लिए जाना है और अपने कार्यक्रम की सुविधा के लिए अध्यक्ष ने उन्हें अनुमति दे दी। सीएम के पास विपक्ष का सामना करने की ताकत नहीं है। वहीं कांग्रेस के सदन से वॉक आउट करने पर मुख्यमंत्री ने तंज कसा। कहा कि यह अभी 15-20 मिनट में पानी पीकर वापस आ जाएंगे। पहले भी यह ऐसा करते रहे हैं। 

इसके बाद भगवंत मान ने पठानकोट की लीची की तारीफ की। उन्होंने कहा कि वहां की लीची बहुत मीठी है। इसे मार्कफेड के जरिए अमेरिका तक पहुंचाएंगे। इससे किसानों को खूब फायदा होगा। मान ने कहा कि पराली को भी आमदनी का साधन बनाने के लिए सरकार पहल करेगी। सीएम मान ने नशे के खिलाफ किए गए कामों के बारे में भी जानकारी दी। इसके बाद इंकलाब जिंदाबाद के नारे के साथ मुख्यमंत्री ने अपना भाषण खत्म किया। 

एयर इंडिया की फ्लाइट में पेशे से डॉक्टर पेशे के साथ सामने आए भाजपा नेता

एयर इंडिया की फ्लाइट में सफर के दौरान एक यात्री की तबीयत बिगड़ गई थी लेकिन मोदी सरकार के मंत्री के कारण पैसेजर की जान बच गई। दरअसल दिल्ली से औरंगाबाद जा रहे फ्लाइट में यात्रा के दौरान एक यात्री की तबीयत काफी खराब हो गई। यात्री की हालत को देखते हुए फ्लाइट में अनाउंसमेंट की गई कि विमान में कोई डॉक्टर है तो प्लीज मदद करें।

पेशे से डॉक्टर दोनों राजनेता फौरन मदद के लिए आगे आए

नयी दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली :

एयर इंडिया की फ्लाइट से यात्रा कर रहे एक यात्री के लिए मोदी सरकार के मंत्री फरिश्ता बनकर आए। दरअसल, दिल्ली से औरंगाबाद जा रहे फ्लाइट में यात्रा के दौरान एक यात्री की तबीयत काफी खराब हो गई, जिसके बाद तुरंत किसी डॉक्टर की जरूरत को देखते हुए फ्लाइट में अनाउंसमेंट की गई। मामले की गंभीरता को समझते हुए मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. बीके कराड (एमओएस वित्त) और  डॉ.सुभाष भामरे मदद के लिए आगे आए। और प्रारंभिक उपचार कर यात्री की मदद की। मेडिकल सहायता के बाद यात्री ने खुद को बेहतर महसूस किया। मदद करने वाले दोनों राजनेता पेशे से डॉक्टर हैं।

एयर इंडिया ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। साथ ही राजनेताओं की फोटो भी साझा की है। फोटो में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत किशनराव कराड और महाराष्ट्र के धूले से सांसद डॉ. सुभाष भामरे यात्री के पास खड़े होकर उसकी मदद कर रहे हैं। वहीं, यात्री बदहवास हालत में सीट पर लेटा हुआ है। एयर इंडिया के मुताबिक, दिल्ली से उड़ान भरने के बाद यात्री ने घबराहट और बेचैनी की शिकायत की थी। पता लगने पर क्रू मेंबर ने तय नियमों के मुताबिक घोषणा की कि उड़ान में मौजूद कोई डॉक्टर मदद के लिए आएं।

इंडिगो ने ट्वीट करते हुए केंद्रीय मंत्री का शुक्रिया अदा किया. कंपनी ने ट्वीट किया, हम वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड का शुक्रिया अदा करते हैं, जो अपने कर्तव्यों पर नॉन स्टॉप लगे हैं। डॉ कराड आपका एक यात्री की मदद करना बेहद प्रेरणादायक था। बता दें कि डॉ भागवत कराड ने जुलाई 2021 को बतौर वित्त राज्य मंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट जॉइन की थी.वह महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद हैं।

 

पेशे से डॉक्टर दोनों राजनेता फौरन मदद के लिए आगे आए। मेडिकल सहायता के बाद यात्री की तबीयत में सुधार देखा गया और उसने यात्रा पूरी की। क्रू मेंबर की सूझबूझ और राजनेताओं की मदद से यात्री की ज्यादा तबीयत नहीं बिगड़ी। बता दें हाल ही में नई दिल्ली के ताजमान सिंह होटल में एक फोटोग्राफर की तबीयत बिगड़ने पर भी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत किशनराव कराड ने उसकी मदद की थी।

‘मेरी याददाश्‍त चली गई है’, सत्‍येंद्र जैन ने ED के सवालों पर द‍िया ये जवाब

साल 2017 में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसी शिकायत के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने AAP नेता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। जाँच एजेंसी ने ये आरोप लगाया था कि जैन चार कंपनियों से मिली फंडिंग के स्त्रोत के बारे में नहीं बता सके थे, जबकि वो उसमें शेयर होल्डर थे। इन कंपनियों ने कथित तौर पर 2010 से 2014 तक 16.39 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की थी।

  • धन शोधन मामले में मंत्री सत्येंद्र जैन और करीबियों पर मामला दर्ज
  • ईडी ने छानबीन के दौरान कैश और सोना बरामद किया था
  • ईडी के सामने बोले जैन, कोरोना के कारण मेरी याददाश्त ही चली गई

नयी दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली :

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। जैन को मनी लॉड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने ईडी के साथ ही जैन की दलीलों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम कानून की आपराधिक धाराओं के तहत जैन को हिरासत में लिया था, वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं।

सुनवाई के दौरान ईडी ने बताया कि एक सवाल पूछे जाने के दौरान सत्येन्द्र जैन ने कहा कि उन्हें कोरोना हुआ था और इसके कारण उनकी याददाश्त चली गई। हवाला से जुड़े कुछ कागजातों के सम्बन्ध में सत्येन्द्र जैन से ईडी सवाल कर रही थी। ईडी ने बताया कि सत्येंद्र जैन से कुछ कागजात के बारे में सवाल किए गए थे। जैसे हवाला से पैसा पाने वाले ट्रस्ट से सत्येंद्र जैन का क्या कनेक्शन है, वे उसके मेंबर क्यों हैं?

कोर्ट में सत्येंद्र जैन के वकील हरिहरन पेश हुए थे। उन्होंने उन पॉइंट्स के बारे में अपनी दलीलें पेश की हैं, जिन बिंदुओं की वजह से जमानत न मिलने का डर है। वकील ने कहा कि जैन के देश छोड़ने का डर, सबूतों को नष्ट करने और गवाहों को धमकाने की बात कही जा रही है, लेकिन मामले की जांच के दौरान सत्येंद्र जैन विदेश गए थे और वापस भी आए थे।

कोर्ट से वकील ने कहा कि इस मामले की जांच 2018 से चल रही है और आज तक किसी भी गवाह को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया गया है और न ही धमकाया गया है। यहां तक की जांच कर रही एजेंसियों ने सभी गवाहों के बयान पहले ही रिकॉर्ड कर चुकी हैं।

सबूत नष्ट करने वाले पॉइंट पर वकील ने कहा कि सभी सबूत डॉक्यूमेंट में हैं और सभी एजेंसी के पास हैं, जिनसे छेड़छाड़ बिल्कुल नहीं की जा सकती है।

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आआपा) के नेता सत्येंद्र कुमार जैन को सोमवार (13 जून, 2022) को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। प्रवर्तन निदेशालय ने जैन को 30 मई की रात को गिरफ्तार किया था। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering Case) का आरोप है। 

उल्लेखनीय है कि 6 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘आम आदमी पार्टी’ नेता के घर सहित उनके 7 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने 2.82 करोड़ रुपए की अघोषित नकदी व 1.80 किग्रा सोना बरामद किया था। इसके बाद ईडी ने 9 जून को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जैन को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था। ईडी ने दावा किया था कि केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन ने पत्नी और बेटियों के नाम पर 16 करोड़ की धोखाधड़ी की है।

गौरतलब है कि साल 2017 में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसी शिकायत के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी (आआपा) नेता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। जाँच एजेंसी ने ये आरोप लगाया था कि जैन चार कंपनियों से मिली फंडिंग के स्त्रोत के बारे में नहीं बता सके थे, जबकि वो उसमें शेयर होल्डर थे। इन कंपनियों ने कथित तौर पर 2010 से 2014 तक 16.39 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की थी।

आडवाणी ने सिखाया था राजधर्म, पर कॉंग्रेस ने इंदिरा की मानी

नेशनल हेरॉल्ड में कथित घोटाले को उजागर करने वाले बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी पहले जयललिता के सिपाही हुआ करते थे। उस वक्त स्वामी ने ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर जैन हवाला का गंभीर आरोप लगा दिया। 29 जून 1993 को स्वामी ने दावा किया कि हवाला कारोबारी सुरेंद्र जैन ने 1991 में आडवाणी को एक करोड़ रुपये दिए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि इस काले धन को कश्मीर में टेरर फंडिंग के इस्तेमाल किया गया है। 1996 में सीबीआई ने इस मामले में आडवाणी के खिलाफ FIR दर्ज की. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि सड़क से संसद तक बीजेपी को घेरा जाने लगा। तब आडवाणी ने राजधर्म निभाते हुए लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और कसम खाई कि अब बेगुनाही साबित करने के बाद ही संसद में कदम रखूंगा। आखिरकार वे इस मामले में बरी हुए और 1998 में फिर से जीतकर लोकसभा पहुंचे।

  • राहुल पर कार्रवाई से कांग्रेस बिफरी
  • राहुल गांधी इकलौते नेता नहीं हैं
  • आडवाणी ने सिखाया था राजधर्म
  • कभी मोदी से SIT ने 9 घंटे की थी पूछताछ
  • अमित शाह तो जेल गए, तड़ीपार भी हुए
  • राहुल गांधी को किस बात का डर है?

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ED के सामने आज भी पेशी है। इस मामले में ईडी ने राहुल को पूछताछ के लिए बुलाया है। राहुल गांधी पर ईडी की कार्रवाई कांग्रेसियों को जरा भी अच्छी नहीं लगी है। ईडी कार्रवाई के विरोध में पार्टी ने देशव्यापी प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। कल सुबह से ही देश के कई हिस्सों में कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रदर्शन शुरू कर चुके हैं। ऐसा नहीं है कि देश में पहली बार किसी राजनेता को जांच का सामना करना पड़ रहा हो। कांग्रेस सरकार में भी कई नेता इस तरह की जांचों का सामना कर चुके हैं, लेकिन तब किसी तरह का कोई प्रदर्शन नहीं देखने को मिले।

कांग्रेस पार्टी के दो प्रमुख चेहरे सोनिया गांधी और राहुल गांधी फिलहाल एक बड़ी मुसीबत में घिरे हुए हैं। सोनिया गांधी को तो 8 जून को ही पेश होना था, लेकिन कोरोनावायरस से ग्रस्त होने के कारण वह ईडी के सामने पेश नहीं हुई। उधर राहुल गांधी को भी 2 जून को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन राहुल ने असमर्थता जताई थी, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें 13 जून को पेश होने के लिए समन भेजा है। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती, क्योंकि कांग्रेस राहुल गांधी की पेशी के दौरान पूरे देश भर में बड़े स्तर पर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रही है। दरअसल राहुल गांधी की पेशी से पहले गुरुवार को कांग्रेस ने तमाम पार्टी महासचिवों, प्रभारियों और प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्षों की एक वर्चुअल बैठक बुलाई है, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ईडी के सामने पेशी के संदर्भ में भी चर्चा होगी।

यहां तक की चर्चा यह भी है कि कांग्रेस ने अपने तमाम सांसदों से 13 जून की सुबह दिल्ली में मौजूद रहने को भी कहा है। कुल मिलाकर कहें तो ईडी के सामने राहुल गांधी और सोनिया गांधी की पेशी को कांग्रेस एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है, हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है इसके पहले जब इंदिरा गांधी पर मुसीबत आई पार्टी उनके लिए भी विक्टिम कार्ड खेलने के लिए तैयार हो गई थी। 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला हो या जीप घोटाले में इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी हुई हो, दोनों ही मौकों पर कांग्रेस ने खूब हंगामा मचाया था। कांग्रेस पार्टी आरोप लगा रही है यह सब कुछ ईडी प्रधानमंत्री मोदी के इशारे पर कर रही है। लेकिन कांग्रेस पार्टी जानती है कि एक वक्त ऐसा भी था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए एसआईटी के सामने 9 घंटे तक पूछताछ के लिए पेश होना पड़ा था। यह वही समय है जब कोंग्रेसी नेताओं ने हिन्दू आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था। मोदी को गुजरात में फैले दंगों के लिए आरोपित किया था। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गुजरात में कॉंग्रेस बुरी तरह हारी थी, सूत्रों के अनुसार तभी से मोदी के खिलाफ चालें चली जा रहीं थी।

ईडी द्वारा राहुल गांधी और सोनिया गांधी को समन भेजे जाने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन शुरू हो गया है। कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ता बुधवार से ही कांग्रेस मुख्यालय के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से जुड़े सूत्रों के हवाले से तो यहां तक कहा गया है कि गुरुवार को पार्टी अपने तमाम महासचिवों, प्रभारियों और प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्षों के डिजिटल बैठक बुला रही है. सूत्रों के हवाले से कहा तो यह भी जा रहा है कि 13 जून की सुबह कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी सांसदों को दिल्ली में मौजूद रहने को कहा है। हालांकि अगर पार्टी की आधिकारिक लाइन को देखें तो उसके प्रवक्ता कह रहे हैं कि कांग्रेस कानून को मानने वाली पार्टी है और वह नियमों का अनुसरण करती है, इसलिए अगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी को तलब किया गया है तो वह निश्चित तौर पर पेश होंगे।

1977 में 3 अक्टूबर को जब सीबीआई की टीम जीप घोटाले में इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने उनके आवास 12, वेलिंगटन क्रीसेंट पर पहुंची तो मानो हंगामा मच गया। तमाम कांग्रेस समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के नेतृत्व में आवास को घेर लिया, और नारेबाजी करने लगे। यह पूरा तमाशा घंटों तक चलता रहा। हालांकि बाद में इंदिरा गांधी सीबीआई की टीम के साथ जाने को तैयार हो गईं। लेकिन हंगामा इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उन्हें जेल न ले जाकर फरीदाबाद के पास बडखल गेस्टहाउस में रखा गया और अगले दिन ही जब उन्हें मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो उन्हें जमानत मिल गई। इसी तरह 1978 में इंदिरा गांधी के पुत्र और उस वक्त कांग्रेस पार्टी में दूसरे नंबर के नेता संजय गांधी को फिल्म किस्सा कुर्सी का प्रिंट जलाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। संजय गांधी को अदालत ने 1 महीने तक न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया था, जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल में रखा गया था। इस गिरफ्तारी को लेकर भी तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था।

नेशनल हेरॉल्ड में कथित घोटाले को उजागर करने वाले बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी पहले जयललिता के सिपाही हुआ करते थे। उस वक्त स्वामी ने ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर जैन हवाला का गंभीर आरोप लगा दिया। 29 जून 1993 को स्वामी ने दावा किया कि हवाला कारोबारी सुरेंद्र जैन ने 1991 में आडवाणी को एक करोड़ रुपये दिए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस काले धन को कश्मीर में टेरर फंडिंग के इस्तेमाल किया गया है। 1996 में सीबीआई ने इस मामले में आडवाणी के खिलाफ FIR दर्ज की। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि सड़क से संसद तक बीजेपी को घेरा जाने लगा। तब आडवाणी ने राजधर्म निभाते हुए लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और कसम खाई कि अब बेगुनाही साबित करने के बाद ही संसद में कदम रखूंगा। आखिरकार वे इस मामले में बरी हुए और 1998 में फिर से जीतकर लोकसभा पहुंचे।

गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी का गठन हुआ। एसआईटी ने उस वक्त गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से 9 घंटे तक पूछताछ की थी। लेकिन इस पूछताछ के दौरान ना तो बीजेपी समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने कोई हंगामा या प्रदर्शन किया और न ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर नाराजगी जाहिर की। उस वक्त पूछताछ के दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए-

नरेंद्र मोदी कहते हैं, “दंगों की जांच के लिए जो एसआईटी की रचना की है, उस एसआईटी ने मुझको एक चिट्ठी लिखी थी, जिस चिट्ठी में 27 तारीख को मुझसे मिलने के लिए बताया था और आज 27 तारीख को मैं एसआईटी के सामने प्रस्तुत हूं। विस्तार से बातचीत उन्होंने मेरे से की है। उनको जो सवाल पूछने थे, मैंने पहले से ही कहा है भारत का संविधान, भारत का कानून सुप्रीम है और एक नागरिक के नाते एवं मुख्यमंत्री के नाते मैं भारत के संविधान से भारत के कानून से बंधा हुआ हूं। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं हो सकता है। और आज मेरे व्यवहार ने, मेरे आचरण ने भांति-भांति की बातें फैलाने वालों को करारा जवाब दे दिया है। मैं आशा करता हूं इस प्रकार की बातें वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप बंद करेंगे। अभी भी कुछ लोगों को भ्रम रहते हैं, तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं यह एसआईटी सुप्रीम कोर्ट ने बनाई हैं, एसआईटी का जांच करने वाला जो दल है, जिसने आज मुझसे पूछताछ की है, इस पूरी व्यवस्था में गुजरात का कोई भी अफसर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पसंद किए हुए, नियुक्त किए गए अफसर हैं, इसलिए यह सीधा-सीधा सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन में काम कर रहा है और उन्हीं लोगों ने आज मेरे से पूछताछ की है।”

उस जांच के दौरान नरेंद्र मोदी से तकरीबन 100 सवाल किए गए थे और उन्होंने उन सभी सवालों के जवाब दिए थे. दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उस एसआईटी के प्रमुख रहे आरके राघवन अपनी आत्मकथा ‘अ रोड वेल ट्रैवेल्ड’ में लिखा है कि इस जांच के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से एसआईटी ने तकरीबन 9 घंटे तक पूछताछ की थी. पूरे पूछताछ के दौरान नरेंद्र मोदी ने चाय तक नहीं पी थी. यहां तक कि वह पानी भी अपना खुद का लेकर आए थे. सबसे बड़ी बात कि जब एसआईटी ने उनसे कहा की पूछताछ एसआईटी के दफ्तर में ही होगी तो उसके लिए नरेंद्र मोदी बड़ी सहजता से मान गए.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला तो सालों तक सुर्खियों में रहा। इस केस में बीजेपी नेता अमित शाह भी आरोपी बनाए गए थे। CID से लेकर CBI तक से इस मामले की जांच कराई गई। केस में गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह के ऊपर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने मार्बल व्यापारियों के कहने पर सोहराबुद्दीन का फर्जी एनकाउंटर कराया था। शाह के ऊपर इस मामले में अपहरण, हत्या और सबूत मिटाने का आरोप लगाया गया था। जांच में सहयोग करते हुए जुलाई 2010 में अमित शाह ने आत्मसमर्पण किया और उनको जेल भेज दिया गया था। जेल जाने के तीन महीने बाद ही अक्टूबर 2010 में अमित शाह को जमानत दे दी गई हालांकि कोर्ट ने अमित शाह को जमानत देते हुए 2 साल तक गुजरात ना आने की शर्त रखी थी। सोहराबुद्दीन शेख के भाई नयाबुद्दीन शेख ने कोर्ट को बताया था कि CBI ने अपने मन से इस केस में अमित शाह के नाम को जोड़ा था। 2014 में वे इस मामले से बरी हुए।

कांग्रेस जिस तरह से इस मुद्दे को बड़ा बना रही है, उससे दो सवाल उठ रहे हैं।

एक- क्या कांग्रेसी गांधी परिवार को कानून और संविधान से भी ऊपर मानते हैं?

दूसरा- राहुल गांधी ईडी की पूछताछ से इतना घबरा क्यों रहे हैं?

देश में कानून सबके लिए बराबर है। किसी पर भी कोई आरोप लगता है तो उसे एक न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ता है, फिर राहुल गांधी क्यों स्पेशल ट्रीटमेंट चाहते हैं। यदि राहुल गांधी पर कोई आरोप लगा है तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए. जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. उनको संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा होना चाहिए।

कुलदीप बिशनोई और हुड्डा में ‘अंतरात्मा’ जंग, कुलदीप हुए कॉंग्रेस से निलंबित

आखिरकार चार राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों पर हुई वोटिंग की मतगणना शनिवार तड़के तक पूरी हो ही गई। सबसे आखिर में महाराष्ट्र के नतीजे आए। महाराष्ट्र में भाजपा को जहां तीन सीटें मिलीं वहीं शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने क्रमश: एक-एक सीट पर जीत दर्ज की। हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा जहां कि वरिष्ठ नेता अजय माकन को हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा में भाजपा के कृष्ण लाल पंवार तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा ने जीत दर्ज की। राजस्थान की बात करें तो यहां कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं तो भाजपा को एक सीट पर संतोष करना पड़ा।

3 कोंग्रेसियों में से 2 तो गए
  • कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई ने बढ़ाई माकन की दिक्कत
  • हरियाणा राज्यसभा चुनाव में जारी है सियासी घमासान
  • सीएम खट्टर संग कुलदीप की फोटो से टेंशन में कांग्रेस

सारिका तिवारी, राजनीतिक विशेषज्ञ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़:

हरियाणा की दो राज्यसभा सीटों पर बीते कल चुनाव सम्पन्न हो गया और इस चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा| दोनों सीटों में एक पर जहां भाजपा प्रत्याशी कृष्णलाल पंवार जीते तो वहीं दूसरी सीट पर भाजपा-जजपा समर्थित निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा विजयी हुए| बतादें कि, कांग्रेस ने अजय माकन को अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाया था| कार्तिकेय शर्मा अगर न जीतते तो अजय माकन की जीत हो जाती| पर यहां सारा खेल कुलदीप बिश्नोई ने बिगाड़ दिया। कुलदीप बिश्नोई ने अपनी अंतरआत्मा से वोट दिया और माना जाता है कि यह वोट कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में गया। कुलदीप बिश्नोई ने क्रॉस वोटिंग की और अपने ही उम्मीदवार को हरवा दिया।

हरियाणा के दिग्गज नेताओं में शुमार और पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस आलाकमान से खासा नाराज चल रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह पार्टी की ओर से राज्य में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति बताई जा रही है। दरअसल कांग्रेस पार्टी की तरफ से हाल ही में राज्य स्तर पर संगठन में बड़े बदलाव कि गए हैं। इनमें कुमारी शैलजा की जगह पर उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। आपको बता दें कि कुलदीप बिश्नोई भी अध्यक्ष बनने की रेस में शामिल थे। लेकिन हुड्डा विरोधी खेमे का होने की वजह से उन्हें इस पद की कमान नहीं मिली। पार्टी के इसी फैसले के बाद से ही कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी पार्टी से खासा बढ़ चली थी।

हरियाणा राज्यसभा चुनाव के लिए 10 जून को वोटिंग होनी है। वहीं राज्य में निर्दलीय उम्मीदवारों ने पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है। जिसमें सबसे ज्यादा डर कांग्रेस को सता रहा है। दरअसल पार्टी को डर है कि विधायक क्रॉस वोटिंग न कर दें। जिसको मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस ने पार्टी विधायकों की कैप्चरिंग शुरू कर दी है। हरियाणा कांग्रेस के विधायकों को छत्तीसगढ़ में शिफ्ट किया गया है। यहां नया रायपुर स्थित मेफेयर रिसॉर्ट में विधायकों को रुकवाया गया है। लेकिन पार्टी के लिए सबसे बड़ी फजीहत यह है कि 31 में से 28 विधायक ही रायपुर पहुंचे हैं। इसके बाद पार्टी की बेचैनी बढ़ी हुई है कि बाकी तीन विधायक कहां गायब हो गए हैं। इन तीन में कुलदीप बिश्नोई, दूसरी किरण चौधरी और तीसरे चिरंजीव राव हैं।

हरियाणा राज्यसभा चुनाव में कार्तिकेय शर्मा वह चेहरा हैं जिन पर सभी की निगाहें टिकी हैं। इसके पीछे की वजह बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के बाद भी वोटों का बाकी रह जाना है। ऐसे में कांग्रेस को यह डर है कि कहीं बीजेपी कार्तिकेय को समर्थन न कर दे और साथ ही साथ निर्दलीय और बाकी दलों के वोट से माकन का खेल बिगड़ जाए। दरअसल कार्तिकेय शर्मा एक जमाने में दिग्गज नेता रहे विनोद शर्मा के बेटे होने के साथ साथ एक मीडिया पर्सनालिटी भी है। इसके साथ ही साथ वे कांग्रेस के पुराने नेता रहे कुलदीप शर्मा के दामाद भी हैं।

कुलदीप बिश्नोई की सीएम खट्टर के साथ मुलाकात की तस्वीर सामने आने के बाद हरियाणा कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। कुलदीप बिश्नोई की खट्टर के साथ ये तस्वीर सामने आने से हरियाणा की राजनीतिक सियासत में सरगर्मी तेज हो गई है। दोनों की मुलाकात की यह तस्वीर कथित तौर पर हरियाणा के गुरुग्राम शहर की बताई जा रही है। हालांकि खट्टर से इस बारे में सवाल करने पर उन्होंने इसे साधारण मुलाकात करार दिया है। लेकिन राजनीतिक सूरमाओं की मानें तो इसके अलग ही मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या बिश्नोई हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लेंगे? इसके पीछे की वजह विश्नोई का पुराना बीजेपी कनेक्शन भी मानी जा रही है।

कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी दूर करने के लिए कांग्रेस भी पूरी जी जान से लगी है। कुलदीप की नाराजगी के बाद कांग्रेस आलाकमान और बिश्नोई के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। लेकिन इसका कोई सार्थक हल निकलता नहीं दिख रहा, जिससे कि यह माना जाए कि कांग्रेस बिश्नोई को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। वहीं पार्टी से नाराजगी के बीच जब भी कुलदीप विश्नोई से इसको लेकर सवाल किये गए तो वे कुछ कहने से बचते नजर आए।

कांग्रेस की मुसीबतें सिर्फ हरियाणा ही नहीं पंजाब और गुजरात में भी देखने को मिली है। यहां उसे पहले ही बड़े झटके लग चुके हैं। जहां पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ ने पार्टी का हाथ छोड़ते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। तो वहीं दूसरी तरफ गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी की राह पकड़ ली है। वहीं हार्दिक ने ट्वीट कर यह भी कहा है कि मैं पीएम नरेंद्र भाई मोदी का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा। हालांकि हार्दिक के ऊपर काफी सियासतदानों ने इस बात का आरोप लगाया कि कल तक जिस पार्टी की वे बुराई किया करते थे आज वे उसी को राष्ट्रहित में काम करने वाली बता रहे हैं।

वेरका समेत 4 पूर्व कांग्रेसी मंत्री और मोहाली के मेयर भाजपा में शामिल

राजा का दावा है कि सुनील जाखड़ राज्यसभा का टिकट हासिल करना चाहते हैं। अमरिंदर सिंह ने कहा, ”इस साल हुए विधानसभा चुनाव ने बहुत कुछ बदल दिया है। कितने बड़े नेता हार गए हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपने कितनी बार चुनाव जीता है। जो नेता काम करते हैं सिर्फ वही अपनी पकड़ जनता के बीच बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।” अमरिंदर सिंह राजा ने आगे कहा, ”सुनील जाखड़ पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। उनको कैंपेन कमेटी का चीफ बनाया गया. टिकट बंटवारे में वो स्क्रीनिंग कमेटी के मेंबर रहे। लेकिन उन्होंने इसलिए कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की क्योंकि उन्हें सीएम नहीं बनाया गया।” राजा वडिंग ने कहा,” काँग्रेस के कुछ सीनियर नेताओं ने ताकत और मंत्रिपद का लुत्फ उठाया। वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं। वह अमित शाह से मिलने जा रहजे हजाइओन। वह चाहते हैं की पंजाब में पैदा हुए हालात से ध्यान हटा कर इस तरफ लगा दिया जाए। जो जाना चाहते हैं, कह चले जाएँ, लेकिन डोला पैन न करें। वह मूसे वाला से ध्यान हटा कर फोकस अपनी ओर करना चाहते हैं।“

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :  

पंजाब कांग्रेस की हालत गुजरात कांग्रेस की तरह हो चली है, जहां बीते पांच साल में एक दर्जन से ज्यादा विधायकों सहित पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बीते शुक्रवार को कहा जा रहा था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजकुमार वेरका भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं, लेकिन उनका जाना तो तय ही है, साथ में कई बड़े नेताओं के भी शामिल होने की संभावना है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के जो नेता अब भाजपा में शामिल हो सकते हैं, उनमें बलबीर सिद्धू, गुरप्रीत कांगड़ और श्याम सुंदर अरोड़ा भी शामिल हैं। इन नेताओं की हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ एक अहम बैठक हुई है।

चंडीगढ़ में भाजपा के कार्यक्रम में मौजूद पूर्व मंत्री राजकुमार वेरका, गुरप्रीत कांगड़, बलबीर सिद्धू, शाम सुंदर अरोड़ा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चंडीगढ़ दौरे ने पंजाब कांग्रेस में खलबली मचा दी है। पंजाब के 4 पूर्व कांग्रेसी मंत्री भाजपा में शामिल हो गए हैं। इनमें राजकुमार वेरका, शाम सुंदर अरोड़ा, गुरप्रीत कांगड़ और बलबीर सिद्धू शामिल हैं। इनके अलावा महिंदर कौर जोश और केवल ढिल्लो ने भी भाजपा जॉइन कर ली है। मोहाली से नगर निगम के मेयर अमरजीत सिंह ने भी भाजपा जॉइन कर ली है। बठिंडा से अकाली दल नेता रहे सरूप चंद सिंगला ने भी भाजपा जॉइन कर ली है। जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन्हें भाजपा की प्राथमिक सदस्यता दिलाएंगे।

पहले यह भी अटकलें लगाई जा रही थी कि पूर्व डिप्टी सीएम ओपी सोनी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इस बात को नकार दिया है, जबकि पूर्व मंत्री राजकुमार वेरका ने भाजपा में जाने से पहले अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस वाला अपना प्रोफाइल हटा दिया है। इसलिए उनका भाजपा में शामिल होना सुनिश्चित हो चुका है। इसके अलावा कांग्रेस नेता केवल सिंह ढिल्लों ने भी भाजपा में जाने के लिए कमर कस ली है।

पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी रहे राजकुमार वेरका लंबे समय से अपने स्तर पर कांग्रेस पार्टी के लिए बयान जारी कर रहे थे। बीते 27 मई को उन्होंने कांग्रेस हाईकमान पर हमला बोला था। उन्होंने कांग्रेस हाईकान को मूक दर्शक और तमाशबीन बताया था।

वेरका का यह बयान तब आया था जब पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की थी कि उन्हें कैप्टन से पूछताछ कर कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान रेत-बजरी की काम करने वाले कांग्रेसी नेताओं की लिस्ट हासिल करनी चाहिए और उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

इस पर कैप्टन ने कहा था कि मुख्यमंत्री भगवंत मान अगर उनसे लिस्ट मांगेगे तो वह उन्हें मुहैया करवा देंगे। रंधावा के इस बयान से कांग्रेस पार्टी में खासी खलबली मच गई थी। कई नेताओं की जान सांसत में आ गई थी कि अगर कहीं कैप्टन ने मुख्यमंत्री को लिस्ट दे दी तो उनकी परेशानी बढ़ जाएगी।

इसी प्रतिक्रम में राजकुमार वेरका द्वारा हाईकमान को मूकदर्शक और तमाशबीन बताए जाने के बाद से ही यह संकेत मिलने लगे थे कि वह भी कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। हालांकि वेरका ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने की अभी पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनके करीबी सूत्र बताते हैं कि वह एक दो दिनों में ही भाजपा ज्वाइन कर सकते है।

वेरका अगर भाजपा ज्वाइन करते हैं तो वह कांग्रेस पांचवें बड़े नेता होंगे, क्योंकि इससे पहले सुनील जाखड़, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, फतेह जंग बाजवा, मोगा से डा. हरजोत कांग्रेस को छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। वहीं, ओपी सोनी को लेकर जिस प्रकार से चर्चा गर्म है। उसे देखते हुए लगता है कि आने वाले दिनों में ओपी सोनी भी कांग्रेस को झटका दे सकते हैं।

अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग

इसकी भनक मिलते ही पंजाब कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि कांग्रेस के कुछ सीनियर नेताओं ने ताकत और मंत्री पद का लुत्फ उठाया। वह भाजपा जॉइन कर रहे हैं। वह अमित शाह से मिलने जा रहे हैं। वह चाहते हैं कि पंजाब में पैदा हुए हालात से ध्यान हटाकर इस तरफ लगा दिया जाए। जो जाना चाहता है, वह चला जाए। वह मूसेवाला से ध्यान हटाकर फोकस खुद पर करना चाहते हैं।

भाजपा के महासचिव तरूण चुघ ने कहा कि यह तो सिर्फ ट्रेलर है। असली पिक्चर अभी बाकी है। उन्होंने इशारा किया कि कांग्रेस के कई और दिग्गज भाजपा में शामिल होंगे। चुघ ने कहा कि कांग्रेस से लोगों का विश्वास उठ चुका है। आम आदमी पार्टी का काम भी लोग देख रहे हैं। इसलिए पंजाब के भले के लिए लोगों की आस अब भाजपा पर टिकी है। भाजपा उनकी उम्मीदों पर जरूर खरा उतरेगी।

मनीष सिसोदिया के खिलाफ तैयार किया जा रहा फर्जी केस : केजरीवाल

मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फेंस की शुरुआत करते हुए कहा, “आपको याद होगा कि मैंने कुछ महीने पहले ही सबको बता दिया था कि केंद्र सरकार सत्येंद्र जैन को एक फर्जी केस में फंसाने वाली है। मुझे यह बात बहुत ही विश्वस्त सूत्रों से पता चली थी। कल उन्हीं सूत्रों से यह पता चल रहा है कि अब मनीष सिसोदिया को फर्जी केस में फंसाए जाने की तैयारी चल रही है। केंद्र सरकार ने सभी जांच एजेंसियों को कोई न कोई फर्जी केस करने की बात कही है।” केजरीवाल ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, “आज मैं उन 18 लाख बच्चों से पूछना चाहता हूं कि क्या आपके मनीष सिसोदिया भ्रष्ट हैं? मैं उन बच्चों के माता-पिता से पूछना चाहता हूं कि ये लोग मनीष सिसोदिया को भ्रष्ट कह रहे हैं, ऐसा है क्या?”

फ़ाइल फोटो

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सत्येंद्र जैन को लेकर बात कर रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया को फर्जी मामलों में जेल में डालकर ये लोग दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो अच्छे काम हो रहे हैं, उन्हें रोकना चाहते हैं। परन्तु चिंता मत कीजिए मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। सभी अच्छे काम चलते रहेंगे।”

सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि मुझे कुछ महीनों पहले ही पता चल गया था कि सत्येंद्र जैन को फर्जी केस में अरेस्ट किया जाने वाला है। साथ ही मुझे अपने विश्वसनीय सूत्रों से यह भी पता चला है कि मनीष सिसोदिया को भी जल्द ही अरेस्ट किया जाएगा। उनके खिलाफ कई फर्जी केस केन्द्र सरकार के आदेश पर बनाए जा रहे हैं।

केजरीवाल ने कहा, ”मनीष सिसोदिया आजाद भारत के अब तक के सबसे अच्छे शिक्षा मंत्री हैं। उन्होंने दिल्ली में शिक्षा क्रांति लाने का काम किया है। मैं दिल्ली के 18 लाख सरकारी स्कूलों के बच्चों से पूछना चाहता हूं कि क्या आपके शिक्षा मंत्री भ्रष्ट हैं। मैं उनके परिजनों से भी पूछना चाहता हूं कि क्या आपको सिसोदिया करप्ट लगते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आप लोग कितनी भी रेड डाल लो, हम काम करते रहेंगे।”

केजरीवाल ने कहा कि मंत्रियों को गिरफ्तार करने से जनता के काम में बाधा आती है। उन्होंने कहा, ”मेरी प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर अपील है कि एक-एक करके जेल में डालने की बजाय आप आम आदमी पार्टी के हम सभी मंत्री और विधायकों को एक साथ जेल में डाल दीजिए। सारी एजेंसियों को बोल दीजिए कि एक साथ सभी जांच कर लें। आप एक एक मंत्री को गिरफ्तार करते हो इससे जनता के काम में बाधा आती है।”

वहीं, इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जज की भूमिका में आने के लिए कटाक्ष करते हुए स्मृति इरानी ने कहा कि सारे तथ्यों को नजरअंदाज कर सत्येंद्र जैन को उन्होंने जनता की अदालत में बरी कर दिया।

इरानी ने कहा, 2016 में सत्येंद्र ने खुद स्वीकार किया था कि कोलकाता की मुखौटा (शेल) कंपनियों से 16.39 करोड़ रुपये की मनी लांडिंग हुई थी, लेकिन जैन ने सफाई दी थी कि यह पैसा उनका नहीं बल्कि उनके सहयोगियों का है।

2019 में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि मनी लांड्रिंग से आई रकम के असली मालिक सत्येंद्र जैन ही हैं। स्मृति इरानी ने कहा कि यदि अरविंद केजरीवाल के पास हाई कोर्ट के आदेश की कापी नहीं है, तो वह इसे विनम्रतापूर्वक भिजवा सकती हैं।

2 जून को 15000 समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होंगे हार्दिक पटेल

कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देने के बाद हार्दिक पटेल ने कहा था, “कॉन्ग्रेस पार्टी जनता की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का काम करती है,जब भी राहुल गाँधी गुजरात में आते हैं, तो हम अपेक्षा करते हैं कि वह यहाँ के जमीनी मुद्दों पर बात करेंगे। लेकिन यहाँ पार्टी के नेता उनके आने पर उनकी खातिरदारी में जुट जाते हैं कि वो कब खाएँगे, क्या खाएँगे। नाश्ते में क्या लेंगे। उनके लिए कौन सा चिकन सैंडविच लाना है, कहाँ से लाना है। ये सब देखकर बहुत दुःख होता है। ये लोग अपनी गलतियों को सुधारना ही नहीं चाहते हैं। इसलिए जो गलत होगा उस पर बोलूँगा।”

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ अहमदाबाद :

कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हार्दिक पटेल 2 जून को भारतीय जनता पार्टी का दामन थामेंगे. हार्दिक ने न्यूज एजेंसी एएनआई से इस बात की पुष्टि की है। बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही हार्दिक ने कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। पत्र में उन्होंने पार्टी की राज्य इकाई के साथ-साथ शीर्ष नेतृत्व के रवैये पर भी सवाल उठाया था। वहीं हाल में कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले हार्दिक पटेल ने तमाम मुद्दों को लेकर पत्रकारों से खास बातचीत की थी. उन्होंने मौजूदा कांग्रेस नेतृृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा था, ‘जब 75 साल के कपिल सिब्बल साहब ने कांग्रेस छोड़ी, 50 साल के सुनील जाखड़ ने पार्टी छोड़ी, तब तो चिंता होनी चाहिए कि क्या गलती है आपकी. इन नेताओं ने पार्टी को लंबा वक्त दिया है।’

कहा जा रहा है कि हार्दिक पटेल के साथ ही 15,000 अन्य लोग भाजपा में शामिल होंगे। हार्दिक का भाजपा में शामिल होना पाटीदार राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। गुजरात में 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का हार्दिक पटेल प्रमुख चेहरा थे। कांग्रेस में उनकी एंट्री के बाद पार्टी मान रही थी कि उसे पाटीदार समाज का समर्थन मिलेगा, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन के बाद भी वह सत्ता से दूर रह गई थी।

इससे पहले उन्होंने उन्होंने कॉन्ग्रेस पर हिंदू धर्म की आस्था को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “मैंने पहले भी कहा था कि कॉन्ग्रेस पार्टी जनता की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का काम करती है, हमेशा हिंदू धर्म की आस्था को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करती है। आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री और गुजरात कॉन्ग्रेस के नेता ने बयान दिया की राम मंदिर की ईंटों पर कुत्ते पेशाब करते हैं..!” उन्होंने पूछा था कि कि कॉन्ग्रेस नेताओं को भगवान श्रीराम से क्या दुश्मनी है?

पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें 11 जुलाई 2020 को गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि 2022 आते-आते उनका पार्टी से मोहभंग हो गया और इस्तीफा दे दिया। 

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता याग्नेश दवे ने बताया कि हार्दिक पटेल दो जून को पार्टी की सदस्यता लेंगे। वह गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में भापा में शामिल होंगे। दरअसल, पिछले कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल हो सकते हैं।