सीएम साहब/ गवर्नर साहिब सिविल  जज की प्रक्रिया 15 दिनों में  बनाएं पारदर्शी वरना होगा घेराव   – डॉ ए पी सिंह सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट

  • जज बनने जा रहे स्टूडेंट्स को ही न्याय नहीं तो आम जनता का क्या होगा उनकी अपनी आप सरकार में 
  • पंजाब के सिविल जज के एंट्रेंस एग्जाम के कैंडिडेट्स की स्टूडेंट यूनियन  ने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एपी सिंह की उपस्थिति में  फिर से सौंपा सीएम भगवंत मान को  ज्ञापन
  • मांग की स्पेशल बेंच या फिर स्पेशल कोर्ट की 

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़  – 24   अप्रैल :

 एग्जाम की पेटिशन खारिज होने से ज्यूडिशियरी से निराश होकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से लगाई गुहार , गवर्नर व सी एम को दिया ज्ञापन  – एडवोकेट एपी सिंहचंडीगढ़।  कई अनियमिताओं के चलते पीपीएससी में सिविल जज के प्री लिम एग्जाम से वंचित रह गए पंजाब के 500 कैंडिडेटस ने पंजाब के सीएम व गवर्नर को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया  है। इन स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एपी सिंह की उपस्थिति में सौंपा सीएम भगवंत मान को  ज्ञापन सौंपा। 

क्या है मामला

जनवरी 2023 को पीपीएससी में सिविल जज के प्री लिम एग्जाम में सिर्फ 30000 कैंडिडेट्स ही रह पाए व लगभग 10000 कैंडिडेट्स पीपीएससी की वेबसाइट में 5 से 10 अक्टूबर 2022 के बीच  टेक्निकल ग्लिच के चलते फॉर्म ही नहीं भर पाए या फिर अगले सात दिन फीस नहीं भर पाए ,और तो और उन दिनों पीपीएससी के मुलाज़िम भी स्ट्राइक पर चले गए ।

        अधिकतर कैंडिडेट ऑनलाइन मीटिंग में एडवोकेट एपी सिंह के साथ जुड़े उन्हें अपनी मुश्किलें बताएं । एडवोकेट एपी सिंह ने कहा इन 10000 में से लगभग 1000 कैंडिडेट ऐसे हैं जो ओवर एज हो चुके हैं और उनके  जज बनने का सपना अब  सपना ही रह जाएगा इसलिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवान सिंह मान से  स्पेशल बेंच या कोर्ट की मांग की है ।

एडवोकेट एपी सिंह ने कहा कैंडिडेट्स को भगवंत मान से बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ने पीपीएससी कि एंप्लाइज की स्ट्राइक को भी इलीगल घोषित कर दिया था और वह स्टूडेंट की  मांगों का ख्याल रखते हैं।

एडवोकेट एपी सिंह ने बताया कि पूरे भारतवर्ष में सिविल जज की एग्जाम्स को लेकर भारी अनियमितताओं का दौर है व जजों की कमी व  लेट भर्तियों के चलते ,  कॉलेजियम सिस्टम पर सवालिया निशान गाहे-बगाहे खड़े होते आ रहे हैं । इसलिए भारत की जुडिशरी में एक बड़ा परिवर्तन लाने की आवश्यकता है ।

पुंछ में ग्रेनेड अटैक से लगी थी सेना के ट्रक में आग, हमले में 5 जवान हुए शहीद

नॉर्दर्न कमांड हेडक्वार्टर की ओर से जारी बयान में बताया गया कि जवानों को लेकर ट्रक भिंबर गली से पुंछ की तरफ जा रहा था। बारिश हो रही थी। विजिबिलिटी भी काफी कम थी। आतंकियों ने इसी का फायदा उठाया। हमले में एक जवान गंभीर रूप से घायल भी हुआ है। उसे राजौरी में सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बयान में यह भी बताया गया कि शहीद हुए जवान राष्ट्रीय रायफल्स यूनिट के थे। उन्हें इस इलाके में आतंकियों के खिलाफ जारी ऑपरेशंस में लगाया गया था। इससे पहले सेना के एक अधिकारी ने बताया था कि जवानों की मौत ट्रक में आग लगने की वजह से हुई। शक यह भी जताया जा रहा था कि बिजली गिरने से ट्रक में आग लगी।

हमलावरों ने फायरिंग की, ग्रेनेड अटैक का भी शक; झुलसकर जवानों की मौत |  Indian Army Truck Fire Accident Video Update | Jammu Kashmir - Dainik  Bhaskar
आतंकी हमला भट्टा डूरियन जंगल में हुआ। यह इलाका पुंछ से 90 किलोमीटर दूर है

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, काश्मीर/पुंछ – 20 अप्रैल :

जम्मू कश्मीर के पुंछ में गुरुवार को भारतीय सेना के ट्रक में लगी आग की घटना आतंकी हमला थी. भारतीय सेना ने खुद इसकी पुष्टि की है। इस हमले में अब तक 5 सैनिकों के शहीद होने की खबर है। भारतीय सेना की ओर से इस हमले को लेकर बताया गया कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में अज्ञात आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड के इस्तेमाल के चलते सेना के ट्रक में आग लगने की घटना हुई। आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के 5 जवानों की जान चली गई, जबकि एक घायल अस्पताल में भर्ती है, जहां उनका उचित इलाज किया जा रहा है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि “आज, लगभग 1500 बजे, राजौरी सेक्टर में भीम्बर गली और पुंछ के बीच चल रहे सेना के एक वाहन पर भारी बारिश और कम दृश्यता का फायदा उठाते हुए अज्ञात आतंकवादियों ने गोलीबारी की। आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड के इस्तेमाल के कारण वाहन में आग लग गई।”

उधर, इस आतंकी हमले की ज‍िम्‍मेदारी आतंकवादी संगठन पीपुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट पीएएफएफ (PAFF) ने ली है। पीएएफएफ पाकिस्तान बेस्ड आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ही बदला हुआ रूप है। जो क‍ि पहले भी कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है।

जानकारी के अनुसार, गुरुवार दोपहर तीन बजे के करीब पुंछ जिले के भाटादूरिया इलाके में सेना के एक वाहन को आग लग गई थी। इसमें पांच जवान शहीद हुए और एक घायल हुआ था। उसके बाद पूरे इलाके को घेर कर सर्च आपॅरेशन चलाया गया। घायल को इलाज के लिए अस्पताल में ले जाया गया। सेना और पुलिस की टीमों की तरफ से पूरे इलाके को घेर कर सर्च अभ‍ियान चलाया गया। उसके बाद शाम को सेना की तरफ से बयान दिया गया है।

इसमें सेना के प्रवक्ता की तरफ से कहा गया कि सेना की आरआर का वाहन बिंबर गली से पुंछ की तरफ जा रहा था। तीन बजे के करीब इलाके में उस पर आतंकी हमला हुआ। तेज बारिश का फायदा उठाकर आतंकियों ने इस वाहन पर फायरिंग की। उसके बाद ग्रेनेड भी फेंके गए। इससे जवानों को संभालने का मौका नहीं मिला। इससे वाहन में आग लग गई और वाहन में मौजूद छह जवान चपेट में आ गए। इसमें पांच मौके पर ही शहीद हो गए। एक घायल को इलाज के लिए राजौरी के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

बताया गया कि यह वाहन इलाके में गश्त के लिए लगाया गया था। इस हमले के बाद पुलिस की तरफ से इस रूट को बंद करवा दिया गया है। लोगों को दूसरे रूट का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है। पूरे इलाके में टीमों को सर्च आपॅरेशन में चलाया गया है।

दरअसल इस इलाके में पहले भी आतंकियों के साथ मुठभेड़ हो चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि आतंकियों का कोई ग्रुप इस इलाके में सक्रिय है। जिन्होंने गुरुवार को बारिश का फायदा उठाकर सेना के वाहन पर हमला किया है।

मानहानि मामले में राहुल गाँधी को राहत नहीं, 2 साल की सजा सूरत कोर्ट ने रखी बरकरार

राहुल गाँधी ने सूरत की सेशन कोर्ट में मानहानि मामले में 2 साल की सजा पर रोक की गुहार लगाते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। यह फैसला जज रॉबिन मोगेरा ने सुनाया है। वह कभी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मुकदमा लड़ चुके हैं। उन्होंने 2006 के तुलसीराम प्रजापति फेक एनकाउंटर केस को लड़ा था। उस वक्त अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री हुआ करते थे।

सजा को चुनौती या सरेंडर का चलेंगे दांव? 5 points में समझें राहुल-कांग्रेस  की स्ट्रैटजी - rahul gandhi in surat pm modi surname defamation case surat  session court appeal congress ntc - AajTak

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट,गुजरात ब्यूरो – 20 अप्रैल :

कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात की एक सत्र अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद गुरुवार को कहा कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग जारी रखेगी। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि राहुल गांधी पर कोर्ट का आज का फैसला गलत कानूनी आधार पर सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत के फैसले में सजा को निलंबित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, सभी कानून के आधारभूत आधार पर ये गलत है। सिंघवी ने कहा कि जितने भी कानूनी विकल्प है हम उनका उपयोग करेंगे। इसमें प्राथमिक है हाईकोर्ट में जाना। हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी तारीख अभी तय नहीं है।

काॅन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को सूरत की सेशन कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। 20 अप्रैल 2020 को सेशन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। याचिका में उन्होंने मानहानि मामले में 2 साल की सजा पर रोक की गुहार लगाई थी। राहुल गाँधी ने 2019 में कर्नाटक की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है’। इसके बाद बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था। सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसी साल 23 मार्च को काॅन्ग्रेस नेता को इस मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई थी।

जज मोगेरा ने इस मामले पर 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब राहुल हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

यह केस 2019 में बेंगलुरु में चुनावी रैली के दौरान दिए गए राहुल के बयान से जुड़ा है। राहुल ने रैली में कहा था कि हर चोर का सरनेम मोदी क्यों होता है। इस बयान पर गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दाखिल किया था। इस पर कोर्ट ने 23 मार्च 2023 को फैसला सुनाया था। इसके आधार पर अगले दिन राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी।

अगर जज मोगेरा राहुल की याचिका मंजूर कर लेते तो उनकी संसद सदस्यता की बहाली का रास्ता खुल जाता।

कांग्रेस का बयान: 

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- यदि कोई समझता है कि राहुल गांधी की आवाज रुकेगी या झुकेगी, तो वो न राहुल गांधी को जानते हैं, न कांग्रेस को समझते हैं। राहुल गांधी अपनी आवाज पुरजोर तरीके से सबके सामने रखेंगे। हमारे पास जितने भी कानूनी विकल्प हैं, उनमें हम अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करेंगे।

जो OBC के अपमान की बात कह रहे हैं, अब उसका उल्टा असर हो रहा है। OBC वर्ग भी समझ चुका है कि मोदी जी और BJP राजनीतिक रूप से उनके नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।

भाजपा का बयान: 

पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा- पिछड़े वर्ग को गाली देकर गांधी परिवार को लगता था कि वो बचकर निकल जाएंगे, जो कि नहीं हो पाया। कोर्ट का फैसला गांधी परिवार के मुंह पर तमाचा है। आज सूरत की कोर्ट से सिद्ध होता है कि कानून सबके लिए बराबर है।

सूरत कोर्ट के 2 साल की जेल के फैसले के खिलाफ। 3 मई को सुनवाई

पहली एप्लिकेशन: जमानत दिए जाने की एप्लिकेशन। फैसले तक अंतरिम जमानत मिली
दूसरी एप्लिकेशन: 
अपील पर फैसला आने तक दोषी ठहराए जाने पर रोक। याचिका खारिज हुई

राहुल गांधी: सुनवाई के दौरान राहुल के वकील आरएस चीमा ने एडिशनल सेशन कोर्ट के जज आरपी मोगेरा को दलील दी थी कि मानहानि का केस उचित नहीं था। केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा था- सत्ता एक अपवाद है, लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को ज्यादा नुकसान होगा। ऐसी सजा मिलना अन्याय है।

मानहानि का केस करने वाले पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल गांधी बार-बार मानहानि वाले बयान देने के आदी हैं।

नई दिल्ली की 12 तुगलक लेन पर स्थित बंगले से राहुल गांधी का सामान 14 अप्रैल को शिफ्ट कर दिया गया।
नई दिल्ली की 12 तुगलक लेन पर स्थित बंगले से राहुल गांधी का सामान 14 अप्रैल को शिफ्ट कर दिया गया।

राहुल की संसद सदस्यता 24 मार्च को रद्द की गई थी। इसके बाद लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने 27 मार्च को बंगला खाली करने के लिए राहुल को नोटिस भेजा। कमेटी ने उन्हें 22 अप्रैल तक 12 तुगलक रोड का सरकारी आवास खाली करने को कहा। राहुल ने बंगला खाली कर सोनिया गांधी के आवास में रहने का फैसला किया। उनका सामान शिफ्ट भी हो चुका है।

गुजरात के नरोदा दंगे के सभी 86 आरोपी बरी

28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के पास नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे। इस केस में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल समेत 86 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। जज एसके बक्शी की अदालत ने 16 अप्रैल को इस मामले में फैसले की तारीख 20 अप्रैल तय की थी। सभी आरोपी जमानत पर थे। साल 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान दोनों पक्ष ने 187 गवाहों और 57 चश्मदीद गवाहों से जिरह की। लगभग 13 साल तक चले इस केस में 6 जजों ने लगातार मामले की सुनवाई की।

गुजरात के नरोदा दंगे के सभी 86 आरोपी बरी, 11 हत्याएं हुई थी, 21 साल बाद आया फैसला, बाबू बजरंगी-माया कोडनानी पर भी इल्जाम था

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, अहमदाबाद – 20 अप्रैल :

 गुजरात के गोधरा में फरवरी 2002 में ट्रेन को जलाने के अगले दिन हुए नरोटा नरसंहार के सभी आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है। अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा की पूर्व मंत्री समेत सभी आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के चलते बरी कर दिया है। गत 16 अप्रैल को अहमदाबाद स्पेशल कोर्ट के जज एसके बख्शी ने इस मामले में 20 अप्रैल को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी। इसके लिए जमानत पर चल रहे सभी आरोपियों को अदालत में बुलाया गया था। गुरुवार को जज ने फैसले में कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाया है, इसलिए सभी को बरी किया जाता है। हालांकि पीड़ित पक्ष के वकीलों ने फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही है। 5 पॉइंट्स में जानिए इस मुकदमे के बारे में सबकुछ।

28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के पास नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे। इस केस में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल समेत 86 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इनमें से 18 लोगों की मौत हो चुकी है। एक आरोपी प्रदीप कांतिलाल संघवी को पहले ही सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।

जज एसके बक्शी की अदालत ने 16 अप्रैल को इस मामले में फैसले की तारीख 20 अप्रैल तय की थी। सभी आरोपी जमानत पर थे। साल 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान दोनों पक्ष ने 187 गवाहों और 57 चश्मदीद गवाहों से जिरह की। लगभग 13 साल तक चले इस केस में 6 जजों ने लगातार मामले की सुनवाई की।

नरोदा पाटिया नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे।

गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी को नरोदा गांव में बंद का ऐलान किया गया था। इसी दौरान सुबह करीब 9 बजे लोगों की भीड़ बाजार बंद कराने लगी, तभी हिंसा भड़क उठी। भीड़ में शामिल लोगों ने पथराव के साथ आगजनी, तोड़फोड़ शुरू कर दी। देखते ही देखते 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

इसके बाद पाटिया में भी दंगे फैल गए। यहां भी बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। इन दोनों इलाकों में 97 लोगों की हत्याएं की गई थीं। इस नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे। इस मामले में SIT ने तत्कालीन भाजपा विधायक माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था। हालांकि इस मामले में वे बरी हो चुकी हैं।

माया कोडनानी ने खुद पर लगे आरोपों पर कहा था- दंगे वाले दिन सुबह के वक्त वह गुजरात विधानसभा में थीं। दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कारसेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं। जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी थी कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था।

साल 2002 के दंगों के एक केस में हाईकोर्ट माया कोडनानी को बरी भी कर चुका है। बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी की सजा को आजीवन कारावास से कम कर 21 साल कर दिया था। इस मामले में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष और मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी माया कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे।

शाह ने बयान दिया था कि पुलिस उन्हें और माया को सुरक्षित जगह ले गई थी क्योंकि गुस्साई भीड़ ने अस्पताल को घेर लिया था।

2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर एक दुखद घटना हुई थी। अहमदाबाद जाने के लिए साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक दी और फिर पथराव शुरू हो गया। बाद में ट्रेन के S-6 कोच में आग लगा दी गई। कोच में अयोध्या से लौट रहे 59 तीर्थयात्री थे, सभी की मौत हो गई थी।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी।

चण्डीगढ़ नगर निगम में नॉमिनेटेड काउंसलर के चयन को उच्च न्यायालय में चुनौती

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़  – 20  अप्रैल :

चण्डीगढ़ नगर निगम मैं नॉमिनेटेड काउंसलर नियुक्ति हेतु समाजसेवी जसपाल सिंह ने अपने वकील मनदीप के. साजन के माध्यम से पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी है जिस पर आगामी 3 अगस्त को सुनवाई होगी। इस केस की सुनवाई के लिए माननीय उच्च न्यायालय ने तारीख निर्धारित करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन के संबंधित अधिकारियों व सभी नॉमिनेटेड पार्षदों को पेश  होने के लिए कहा है।

याचिका के मुताबिक पिछले 25 वर्ष का इतिहास है कि चंडीगढ़ नगर निगम में नॉमिनेटेड और चुनाव जीतकर आने वाले पार्षद एक साथ शपथ ग्रहण करते रहे हैं । साथ ही साथ महापौर, उपमहापौर व वरिष्ठ उप महापौर का चुनाव भी नॉमिनेटेड पार्षदों के नॉमिनेशन के बाद होता रहा है लेकिन इस बार यह इतिहास बदल गया है ।

नॉमिनेटेड पार्षद के मनोनयन के लिए प्रशासन के पास काफी संख्या में दावेदारियां पहुंची थी। अप्रैल 2022 के दौरान प्रशासन के अधिकारियों ने पुलिस व पटवारी के माध्यम से जांच के बाद जसपाल सिंह सहित 32 आवेदकों के नाम शॉर्टलिस्ट करके प्रशासक चंडीगढ़ के पास भेज दिए थे। इसी शॉर्ट लिस्ट में से 9 नॉमिनेटेड पार्षद होने चाहिए थे लेकिन कानून को व संविधान को ठेंगा दिखाते हुए सरकार मनमानी की है ।

विधिवत कानूनी तौर पर तैयार शॉर्टलिस्ट को नजरअंदाज करके बाहर से 9 नॉमिनेटेड पार्षद मनोनीत किए गए, कानून को व संविधान को ठेंगा दिखाते हुए सरकार ने मनमानी की है।  

युवाओं ने थामा कांग्रेस का हाथ

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 20अप्रैल :

चंडीगढ़ प्रदेश युवा कांग्रेस ने सेक्टर 54 के आदर्श कॉलोनी में युवाओं के साथ बैठक की। इस दौरान 18 से अधिक युवाओं ने कांग्रेस में विश्वास जताते हुए हाथ का दामन थामा। युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव मंजू, नगर निगम पार्षद गुरप्रीत सिंह और उपाध्यक्ष दीपक लुबाना ने सभी युवाओं को पटका पहनाकर सम्मानित किया।

पार्षद गुप्रीत सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे चंडीगढ़ क्षेत्र में कांग्रेस का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों से हर वर्ग परेशान है। खासकर युवाओं में ज्यादा रोष है कहा कि रोजगार न होने से बेरोजगार युवा इधर-उधर भटक रहा है।वही मंजू टंगोर ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी किसी एक राजनीतिक दल के लोगों को परेशान नहीं कर रही है। बढ़ती महंगाई से हर कोई परेशान है। तभी लोग कांग्रेस के साथ जुड़ रहे हैं।

दीपक लुबाना ने कहा कि नए जुड़े कार्यकर्ता अपने अपने एरिया में कांग्रेस पार्टी को मजबूती देने का काम करेंगे।

आज पूरे देश में खेती और किसान संकट में : हुड्डा

  • पूरी तरह विफल साबित हुई है फसल बीमा योजना, सिर्फ कंपनियों को हो रहा मुनाफा- हुड्डा
  • कांग्रेस सरकार बनने पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सौंपा जाएगा फसल बीमा का काम- हुड्डा
  • एमएसपी बढ़ोत्तरी के मामले में कांग्रेस के मुकाबले दूर-दूर तक कहीं नहीं ठहरती बीजेपी सरकार- हुड्डा
  • किसानों को स्वामीनाथन के सी2 फार्मूले पर कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देगी कांग्रेस- हुड्डा
  • बेमौसमी बारिश के नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे सरकार- हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़  – 20  अप्रैल :

आज पूरे देश में खेती और किसान संकट में हैं। बीजेपी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सपना दिखाया था लेकिन उसने किसानों की आय की बजाए उसकी लागत और कर्जा कई गुना बढ़ा दिया। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह का। देश में कृषि व किसानों की हालत पर कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे हुड्डा ने कहा कि यह योजना किसानों की बजाय बीमा कंपनियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। क्योंकि, फसल खराबे के समय किसान मुआवजे का इंतज़ार करते रहते हैं और कंपनियां मोटा मुनाफा कूटती हैं। हरियाणा में पिछले दिनों हुई बेमौसमी बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा अबतक किसानों को नहीं मिला। इस योजना के जरिए अबतक बीमा कंपनियां पूरे देश में 40 हजार करोड़ का लाभ कमा चुकी हैं।

हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में पार्टी ने संकल्प लिया था कि कांग्रेस सरकार बनने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सभी कमियों को दूर कर इसको नया स्वरूप दिया जाएगा। बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जाएगा, जो कि ‘नो-प्रॉफिट, नो-लॉस’ के सिद्धांत पर काम करेंगी। इसके लिए रिवॉल्विंग फंड का इंतजाम किया जाएगा । साथ ही इसका लाभ भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को भी दिया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किसानों को ना मुआवजा मिल रहा है और ना एमएसपी। इसी सीजन में किसानों को अपनी सरसों और गेहूं को एमएसपी से कम रेट पर बेचने पड़ रहे हैं। उन्होंने खुद मंडियों का दौरा करके किसानों का दर्द जाना।

2018-19 के बजट में सरकार ने टॉप (TOP- Tomato, Onion and Potato) स्कीम का ऐलान किया था ताकि टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियां उगाने वाले किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके। लेकिन आज पंजाब के किसानों की शिमला मिर्च, मध्य प्रदेश के किसानों का टमाटर, महाराष्ट्र के किसानों की प्याज और हरियाणा के किसानों का आलू बुरी तरह पिट रहा है। पिछले दिनों उन्होंने खुद कुरुक्षेत्र की मंडी का दौरा किया तो किसानों ने उन्हें बताया कि उनका आलू आज 50 पैसे प्रति किलो के रेट पर पिट रहा है। जबकि उसे उगाने की लागत ₹5-6 प्रति किलो है। इसी तरह आज सरसों किसानों को भी एमएसपी नहीं मिल पा रही है। किसान अपनी फसल को एमएसपी से 1000-1500 रुपए कम रेट पर बेचने के लिए मजबूर है।

यहीं हाल गेहूं का है। ऊपर से बेमौसमी बारिश के चलते हुए लस्टर लॉस पर सरकारी खरीद एजेंसियों से गेहूं के रेट में भारी भरकम वैल्यू कट लगाने का फैसला लिया है। जबकि सरकार को ये वैल्यू कट खुद वहन करना चाहिए और किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपये का बोनस देना चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि बीजेपी स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले पर किसानों को एमएसपी देने का वादा करके सत्ता में आई थी। किसान आंदोलन के समय सरकार ने एमएसपी की लीगल गारंटी के लिए एक कमेटी बनाई थी, आज उनका कोई अता-पता नहीं है। सच्चाई यह है कि किसानों को एमसपी देने के मामले में मौजूदा सरकार कांग्रेस के सामने दूर-दूर तक कहीं नहीं ठहरती।

उदहारण के तौर पर मौजूदा सरकार के कार्यकाल में धान की एमएसपी में मात्र 6% सालाना की बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि कांग्रेस कार्यकाल में 12.6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होती थी। इसी तरह गेहूं की एमएसपी में आज 5.5 प्रतिशत सालाना बढ़ोत्तरी हो रही है, जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान ये बढ़ोत्तरी 12.2 प्रतिशत थी। अरहर के रेट में मौजूदा सरकार द्वारा सिर्फ 5.8 प्रतिशत तो कांग्रेस द्वारा 21.6 प्रतिशत और मूंग के दाम में बीजेपी सरकार द्वारा 5.8 प्रतिशत तो कांग्रेस सरकार द्वारा 22.8 प्रतिशत सालाना की बढ़ोत्तरी की गई। किसानों की हालत इतनी ख़राब है कि आज किसान मात्र 27 रुपये प्रतिदिन कमा रहा है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कांग्रेस उनको स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देगी। कांग्रेस का मानना है कि एमएसपी की दायरे को और बढ़ाकर अन्य फसलों पर भी लागू किया जाना चाहिए। अदरक, लहसुन, हल्दी, मिर्च से लेकर बागवानी तक सभी कृषि उत्पादों को गारंटीशुदा कीमत मिलनी चाहिए।

हुड्डा ने किसानों पर खतरनाक रूप से बढ़ते जा रहे कर्ज के बोझ को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। बीजेपी सरकार के दौरान किसानों पर कुल बकाया कर्ज 2021-22 में बढ़कर ₹23.44 लाख करोड़ हो चुका है, जो कि 31 मार्च, 2014 तक ₹9.64 लाख करोड़ था। यूपीए सरकार ने 2007 में किसानों के लिए ₹72,000 करोड़ की कर्ज माफी योजना को लागू किया था। कांग्रेस की राज्य सरकारें लगातार किसानों को कर्ज मुक्ति दिलाने की दिशा मे काम कर रही हैं। लेकिन बीजेपी सरकार लगातार पेट्रोल-डीजल, खाद, बीज, दवाई व खेती उपकरणों पर टैक्स लगाकर किसानों की लागत बढ़ा रही है।

हुड्डा ने कहा है कि बीजेपी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को पूरा करने में फेल साबित हुई है। खेती से जुड़ी बजट में भी लगातार कटौती की जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के बजट को ₹68,000 करोड़ से घटाकर ₹60,000 करोड़ कर दिया गया। इसी तरह पीएम फसल बीमा योजना के लिए आवंटन 15,000 करोड़ से घटाकर इस साल 13,625 करोड़ रुपया कर दिया है। एफसीआई को मिलने वाली खाद्य सब्सिडी 2.14 लाख करोड़ से घटाकर 1.37 लाख करोड़ कर दी गई। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सब्सिडी 72,000 करोड़ से घटाकर 59,793 करोड़ कर दी गई है। मनरेगा के बजट को 73,000 करोड़ से घटाकर 60,000 करोड़ कर दिया गया है।

अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या, मेडिकल कॉलेज के पास हुई वारदात

अतीक और उसके भाई अशरफ एहमद की गोली मार कर हत्या कर दी गई है। हत्यारों ने गोली चलाने से पहले जयश्री राम के नारे लगाए। पुलिस अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। गोली चलाने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। गोली चलाने वाले तीन आरोपी बताए जा रहे हैं।बता दें कि अतीक अहमद को मेडिकल के लिए ले जा रही पुलिस की गाड़ी पर हमला हुआ है। पुलिस की गाड़ियों पर फायरिंग की गई है। इस हमले में अतीक और अशरफ की मौत हो गई है। मेडिकल कॉलेज के पास अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की गई है। जिस वक्त ये हमला हुआ उस वक्त दोनों को जांच के लिए ले जाया जा रहा था। दोनों के शवों को मेडकल कॉलेज के अंदर ले जाया गया है। मौके पर जय श्रीराम के नारे जरूर सुने गए हैं. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। जानकारी के मुताबिक प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के पास ये हमला तब हुआ, जब पुलिस टीम अतीक और अहमद को लेकर जा रही थी। इसी दौरान तीन-चार हमलावर अचानक बीच में पहुंचे और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने हमलावरों को मौके से दबोच लिया है। इस पूरे हमले को बकायदा मीडिया और पुलिस के सामने अंजाम दिया गया है। दोनों आरोपियों पर जब फायरिंग हुई, पूरी वारदात कैमरे में भी कैद हुई है।

Why does Atiq brother Ashraf not want to come to Prayagraj Umesh murder  accused application in court - अतीक का भाई अशरफ क्यों नहीं आना चाहता  प्रयागराज? उमेश हत्याकांड के आरोपी की

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, प्रयागराज – 15 अप्रैल :

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अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हत्या कर दी गई है। हत्या किसने की यह अभी पता नहीं चला है। शनिवार रात अतीक अहमद को कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल के लिए ले जा रही पुलिस की गाड़ी पर अज्ञान लोगों ने हमला किया। इन लोगों ने पुलिस की गाड़ियों पर फायरिंग की। हमले में अतीक और अशरफ की मौत हो गई। हालांकि यूपी पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी कह नहीं रही है।

​​​​​​​​​​​​​​अतीक अहमद और उसके छोटे भाई अशरफ को लेकर प्रयागराज की पुलिस शुक्रवार रात कौशांबी पहुंची थी। उसे संदीपन घाट थाना क्षेत्र स्थित महंगाई कस्बा लाया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच टीम में ED के अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने अतीक से उसकी बेनामी संपत्ति कहां-कहां और किस-किस के जरिए संचालित होती है, इस बारे में पता लगाने की कोशिश की। इसी बीच असद के एनकाउंटर पर अशरफ ने कहा, अल्लाह की चीज थी, अल्लाह ने ले लिया।

शनिवार सुबह 10 बजे माफिया अतीक अहमद के बेटे असद को प्रयागराज के कब्रिस्तान में दफनाया गया। असद के नाना हामिद अली समेत 20-25 रिश्तेदारों को ही कब्रिस्तान में पुलिस ने जाने दिया। अतीक बेटे के जनाजे में शामिल नहीं हो पाया था। सुपुर्द-ए-खाक की रस्म के दौरान कसारी-मसारी कब्रिस्तान की ड्रोन से निगरानी की गई। पुलिस की सुरक्षा की भी सख्त थी। उधर, मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने नगर मजिस्ट्रेट अंकुर श्रीवास्तव को जांच अ​धिकारी बनाया है। आदेश में बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति एनकाउंटर से जुड़ा सबूत 3 दिन तक दे सकता है।

मुझे सीबीआई ने बुलाया है, मैं जरूर जाऊँगा : सीएम अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से ठीक पहले बीजेपी ने भी मोर्चा खोला। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दावा किया कि सीबीआई के तलब किए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल डर के मारे कांप रहे हैं। पार्टी ने कहा कि अगर डरने की कोई बात नहीं है तो उन्हें ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ कराना चाहिए। भाटिया ने कहा कि यह बयानबाजी का नहीं, बल्कि जवाबदेही का वक्त है। भाटिया ने कहा कि हथकड़ियां उनके (केजरीवाल) पास पहुंच रही हैं और वह डरे हुए हैं तथा डर के मारे कांप रहे हैं।

मुझे सीबीआई ने बुलाया है, मैं जरूर जाऊँगा

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़/नई दिल्ली – 15 अप्रैल

दिल्ली में शराब घोटाले मामले को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है। इस मामले में अब केंद्रीय जांच एजेंसी ने आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी समन भेज दिया। इन सबके बीच शनिवार को सीएम केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसा। आम आदमी पार्टी के नेताओं पर लग रहे आरोपों के बीच उन्होंने पीएम पर तंज कसते हुए कहा- दिल्ली के सीएम ने कहा- आज मैं कहता हूँ कि मैंने 17 Sep, शाम 7 बजे नरेंद्र मोदी जी को ₹1000 Crore दिए हैं। अब कर लो उनको गिरफ़्तार। क्या इस आधार पर उन्हें गिरफ़्तार कर लोगे? ऐसे तो कोई भी खड़ा होकर कुछ भी कह देगा। कहां हैं सुबूत?

दिल्ली के सीएम ने कहा, “मुझे सीबीआई ने बुलाया है, मैं जरूर जाऊँगा। अगर भाजपा वालों ने CBI को मुझे गिरफ्तार करने का आदेश दिया है तो फिर वो मुझे जरूर गिरफ्तार करेंगे।” अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ईडी और सीबीआई ने कोर्ट में झूठे बयान दिए हैं। शराब घोटाला केस कुछ नहीं है। झूठ की बुनियाद पर केस बनाए गए हैं। एजेंसियों के पास एक रुपए के घोटाले का भी सबूत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि एजेंसियों ने मारपीट कर के और गवाहों को डरा-धमका कर केजरीवाल और सिसोदिया का नाम कबूल कराया है।

सीबीआई का समन मिलने से बौखलाए अरविंद केजरीवाल ने एजेंसियों पर तंज करते हुए कहा, “मैं प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलता हूँ कि मैंने 17 सितंबर की शाम 7 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1 हजार करोड़ रुपए दिए थे। अगर सिर्फ आरोप लगाने मात्र से कार्रवाई हो सकती है तो कर लो गिरफ्तार नरेंद्र मोदी को। कार्रवाई के लिए सबूत तो चाहिए ना। या ऐसे ही कार्रवाई हो जाएगी?”

आप संयोजक केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा लाई जा रही नई शराब नीति एक अच्छी नीति थी जिससे शराब के कारोबार से सारा भष्टाचार खत्म हो जाता। केजरीवाल ने कहा कि ईडी और सीबीआई का कहना है कि 100 करोड़ की रिश्वत ली गई लेकिन 400 बार रेड के बावजूद एजेंसियों को पैसे नहीं मिले। उन्होंने कहा कि जिस दिन मैंने दिल्ली विधानसभा में भष्टाचार पर बात की थी मुझे पता चल गया था कि अब मेरा नंबर आ चुका है।

केजरीवाल को CBI का नोटिस

दिल्ली में हुए कथित शराब घोटाले की जांच अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक पहुंच गई है। वजह, इस मामले में सीबीआई आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करेगी। उन्हें 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए समन जारी किया गया है। अब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह आज शाम 6 बजे इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल तक पहुंची शराब घोटाले की आंच, CBI का समन भेजकर  पूछताछ के लिए बुलाया
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इसी मामले में ED की हिरासत में हैं। उन्हें 26 फरवरी को सीबीआई ने 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, नई दिल्ली ब्यूरो – 14 अप्रैल :

दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई पूछताछ करेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है। आप के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली शराब मामले में सीबीआई ने 16 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया है। केजरीवाल को नोटिस मिलने के बाद आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा कि अत्याचार का अंत जरूर होगा। भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि कानून अपना काम कर रहा है।

बता दें कि इसी घोटाले में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी 26 फरवरी 2023 को हुई थी। उसके बाद से उन्हें जमानत नहीं मिल पाई है। राउज एवेन्यू कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर अब 18 अप्रैल को सुनवाई होनी है। पिछली सुनवाई में ईडी ने सिसोदिया को इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता बताया था। साथ ही कहा था कि आबकारी नीति पर जनता की सहमति दिखाने के लिए उन्होंने फर्जी ईमेल कराए थे।

  1. नवंबर 2021 में लागू की गई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति के तहत राज्य में कुल 849 दुकानें खोली गईं। इस शराब नीति से पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट होती थीं। वहीं, घोटाले के लिए तैयार की गई शराब नीति में सभी दुकानें प्राइवेट कर दी गईं। इससे सरकार को सीधी तरह नुकसान हुआ।
  2. दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के लिए मिलने वाले लाइसेंस की फीस कई गुना बढ़ा दी। L-1 लाइसेंस पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए में मिल जाता था। हालाँकि नई शराब नीति लागू होने के बाद इसके लिए ठेकेदारों को 5 करोड़ रुपए देने पड़े। इसी तरह अन्य लाइसेंस के लिए भी फीस कई गुना तक बढ़ा दी गई। इससे छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके। इसका सीधा फायदा बड़े व्यपारियों को मिला।
  3. उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के कहने पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 बिडर को 30 करोड़ रुपए वापस कर दिए। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में किसी भी बिडर का पैसा करने का नियम नहीं है। लेकिन सिसोदिया के कहने पर भी यह भी हुआ।
  4. कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी। वास्तव में सरकार ने कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।
  5. विदेशी शराब और बियर के पर मनमाने ढंग से 50 रुपए प्रति केस की छूट दी गई। यह छूट कंपनियों को फायदा देने के लिए दी गई थी।
  6. दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत राज्य को 32 जोन में बाँटा था। इसमें से 2 जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को दिए गए जो ब्लैक लिस्टेड थी।
  7. शराब बेचने वाली कंपनियों के बीच कार्टेल पर प्रतिबंध होने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टेल को लाइसेंस दिए थे। इसके तहत शराब कंपनियों को शराब पर डिस्काउंट देने और एमआरपी पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट मिल गई। इसका फायदा भी शराब बेचने वालों को हुआ।
  8. नई शराब नीति को लेकर कैबिनेट की बैठकों में मनमाने ढंग से फैसले लिए गए। यही नहीं, नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट नोट सर्कुलेशन के बिना ही प्रस्ताव पास करा दिए गए।
  9. शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई। यह संख्या पहले 21 थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे महज 3 दिन ही था।
  10. शराब ठेकेदारों को पहले 2.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था। वहीं नई शराब नीति के तहत इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इससे शराब ठेकेदारों को फायदा हुआ। वहीं सरकारी खजाने को नुकसान झेलना पड़ा।
  11. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 2 जोन में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। वहीं, नियम यह है कि शराब निर्माता और रिटेल विक्रेता अलग-अलग होगा।
  12. उपराज्यपाल से अनुमति लिए बिना ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ाया गया। साथ ही मनमाने ढंग से छूट दी गई। इसका शराब कंपनियों ने फायदा उठाया। कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही सारे फैसले ले लिए गए।
  13. दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के टेंडर में नई शर्त जोड़ते हुए कहा था कि हर वार्ड में कम से कम दो दुकानें खोलनी पड़ेंगीं। इसके लिए दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना ही अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति दे दी। इसका शराब निर्माता कंपनियों ने फायदा उठाया।
  14. सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा देने वालों पर दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह दिल्ली एक्साइज नियम 2010 के 26 और 27 नियम का उल्लंघन है।
  15. नई आबकारी नीति लागू करने के लिए केजरीवाल सरकार ने जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का सीधे तौर पर उल्लंघन किया