पटेल की मूर्ति पर मायावती ने भाजपा आरएसएस को घेरा


गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि बीएसपी सरकार के समय बने स्मारकों को ‘फिजूलखर्ची’ बताने के लिए बीजेपी और आरएसएस को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए.


मायावती ने भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए एक बयान में कहा, लगभग तीन हजार करोड़ रुपए की लागत से बनी पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात में अनावरण के बाद बीजेपी और आरएसएस के उन सभी लोगों को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए जो बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर सहित दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बीएसपी सरकार द्वारा लखनऊ और नोएडा में निर्मित भव्य स्थलों, स्मारको, पार्कों को फिजूलखर्ची बताकर इसकी जबर्दस्त आलोचना किया करते थे.’

बीजेपी ने पटेल को क्षेत्रवाद में बांध दिया

मायावती ने कहा, ‘वैसे तो पटेल अपनी बोल-चाल, रहन-सहन व खान-पान में पूर्ण रूप से भारतीयता व भारतीय संस्कृति की एक मिसाल थे. लेकिन उनकी भव्य प्रतिमा का नामकरण हिंदी और भारतीय संस्कृति के नजदीक होने के बजाय स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसा अंग्रेजी नाम रखना कितनी राजनीति है, यह देश की जनता अच्छी तरह से समझ रही है.’

उन्होंने कहा कि पटेल विशुद्ध रूप से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के पोषक थे लेकिन उनकी प्रतिमा पर विदेशी निर्माण की छाप उनके समर्थकों को हमेशा सताती रहेगी. बीएसपी प्रमुख ने कहा कि आंबेडकर की तरह पटेल एक राष्ट्रीय व्यक्ति थे और उनका सम्मान भी था लेकिन बीजेपी और उसकी केंद्र सरकार ने उन्हें क्षेत्रवाद की संकीर्णता में बांध दिया है.

उन्होंने कहा कि देश की जनता यह भी नहीं समझ पा रही है कि बीजेपी को यदि वाकई पटेल के नाम पर राजनीति करने के बजाय उनसे सही मायने में लगाव होता तो गुजरात में अपने लम्बे शासन के दौरान उनकी ऐसी भव्य प्रतिमा क्यों नहीं बनाई.

सरदार पटेल की मूर्ति के लोकार्पण

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्वविक्रमी प्रतिमा का लोकार्पण किया.

उन्होंने कहा कि “ये मेरा सौभाग्य कि मुझे बतौर प्रधानमंत्री सरदार पटेल की इस प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी’ को देश को समर्पित करने का मौक़ा मिला.”

देश को एक सूत्र में बांधने वाले आज़ाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 143वीं जयंती है.

इस अवसर पर गुजरात के गवर्नर, सूबे के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, भाजपा के अध्यक्ष अमित भाई शाह और कुछ विदेशी अतिथि भी मौजूद थे.

सरदार पटेल की इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है जो कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.

लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत सरदार पटेल की विशाल मूर्ति की डिजिटल प्रस्तुति से हुई. इसके बाद भारतीय वायु सेना के विमानों ने प्रतिमा के ऊपर से फ़्लाई पास्ट किया.

अपने भाषण से पहले नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की प्रतिमा के शिल्पकार बताये जा रहे राम सुतार और उनके पुत्र अनिल सुतार को भी मंच पर आमंत्रित किया.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को ‘एक भारत, अखंड भारत’ बनाने का पुण्य काम किया.

अपने संबोधन की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने दो नारों के साथ की. उन्होंने कहा, “मैं बोलूंगा सरदार पटेल और आप मेरे साथ बोलेंगे अमर रहें.”

इसके बाद उन्होंने कहा, “देश की एकता, जिंदाबाद-जिंदाबाद.”

विरोध प्रदर्शन

लेकिन आज भी इस इलाके के कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. भारतीय ट्राइबल पार्टी और भिलीस्तान टाइगर सेना के कार्यकर्ताओं ने डेडियापाडा-राजपिपला सड़क मार्ग को ब्लॉक कर दिया.

ट्राइबल नेता प्रफ़ुल्ल वसावा ने बीबीसी को बताया, “स्टैच्यू के आस-पास के इलाक़ों में बुलाया गया बंद कामयाब रहा है. हमने आसमान में काले गुब्बारे छोड़कर अपना विरोध दर्ज किया है.”

डेडियापाडा के एक किसान गुरजी गुलाबसिंह ने कहा कि उन्हें तो पास के डैम से पानी तक नहीं मिलता. आम जीवन जीना मुश्किल होता है. क्योंकि हम खेतीबाड़ी के लिए बारिश पर निर्भर हैं.

पढ़िए, नरेंद्र मोदी के भाषण की मुख्य बातें:

  • नर्मदा नदी के किनारे पर खड़े होकर मुझे ये कहने में बहुत गर्व हो रहा है कि आज पूरा देश सरदार पटेल की स्मृति में राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है.
  • भारत सरकार ने भारत के स्वर्णिम पुत्र को सम्मान देने का काम किया है.
  • हम आजादी के इतने साल तक एक अधूरापन लेकर चल रहे थे, लेकिन आज भारत के वर्तमान ने सरदार के विराट व्यक्तित्व को उजागर करने का काम किया है. आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तो ये काम भविष्य के लिए प्रेरणा का आधार है.
  • इस प्रतिमा को बनाने के लिए हमने हर किसान के घर से लोहा और मिट्टी ली. इस योगदान को देश याद रखेगा.
  • किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं, जब वो पूर्णता का अहसास कराते हैं. आज वही पल है जो देश के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है, जिसे मिटा पाना मुश्किल है.
  • सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था जब माँ भारती साढ़े 500 से ज़्यादा रियासतों में बंटी थी. दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी. निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से ही बिखर जाएगा.
  • सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी के शौर्य का समावेश था.
  • कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से है. ये उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है.

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  • सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, तो आज गीर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए हमें वीज़ा लेना पड़ता.
  • सरदार साहब का संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.
  • ये प्रतिमा, सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा, पुरुषार्थ और परमार्थ की भावना का प्रकटीकरण है.
  • ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा.
  • प्रतिमा की ये ऊंचाई, ये बुलंदी भारत के युवाओं को ये याद दिलाने के लिए है कि भविष्य का भारत आपकी आकांक्षाओं का है, जो इतनी ही विराट हैं. इन आकांक्षाओं को पूरा करने का सामर्थ्य और मंत्र सिर्फ और सिर्फ एक ही है- ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’.
  • स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकि सामर्थ्य का भी प्रतीक है. बीते क़रीब साढ़े तीन वर्षों में हर रोज़ कामगारों ने, शिल्पकारों ने मिशन मोड पर काम किया है. राम सुतार जी की अगुवाई में देश के अद्भुत शिल्पकारों की टीम ने कला के इस गौरवशाली स्मारक को पूरा किया है.
  • आज जो ये सफ़र एक पड़ाव तक पहुँचा है, उसकी यात्रा 8 वर्ष पहले आज के ही दिन शुरू हुई थी. 31 अक्तूबर 2010 को गुजरात के अहमदाबाद शहर में मैंने इसका विचार सबके सामने रखा था.
  • जब ये कल्पना मन में चल रही थी, तब मैं सोच रहा था कि यहां कोई ऐसा पहाड़ मिल जाए जिसे तराशकर मूर्ति बना दी जाए. लेकिन वो संभव नहीं हो पाया, फिर इस रूप की कल्पना की गई.
  • सतपुड़ा और विंध्य के इस अंचल में बसे आप सभी जनों को प्रकृति ने जो कुछ भी सौंपा है, वो अब आधुनिक रूप में आपके काम आने वाला है.
  • देश ने जिन जंगलों के बारे में कविताओं के ज़रिए पढ़ा, अब उन जंगलों, उन आदिवासी परंपराओं से पूरी दुनिया प्रत्यक्ष साक्षात्कार करने वाली है.
  • सरदार साहब के दर्शन करने आने वाले टूरिस्ट सरदार सरोवर बांध, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे.
  • कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूँ, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं. सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है. ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है.
  • आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति हमारे पास है. देश के विकास के लिए, यही एक रास्ता है, जिसको लेकर हमें आगे बढ़ना है.
  • देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना, एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार साहब हमें देकर गए हैं.
  • हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरज़ोर जवाब दें. इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है. समाज के तौर पर एकजुट रहना है.

पीएम मोदी के भाई ने बढ़ाई योगी सरकार की मुश्किल, लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के भाई व ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रहलाद मोदी ने योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। दरअसल, प्रहलाद मोदी ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ‘डोर स्टेप डिलीवरी’ योजना के लागू करने में योगी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई से जांच की मांगकर सब को हैरत में डाल दिया है।

प्रहलाद मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत कोटेदारों को प्रति डोर स्टेप डिलीवरी पर 17 रुपये भुगतान का प्रावधान हैं, लेकिन उन्हें नहीं दिया जा रहा है। कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है और प्रदेश सरकार ने भी चुप्पी साधी हुई है। ऐसे में जरूरी है कि पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए ताकि वास्तविकता सबके सामने आए।

मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कोटेदारों की मांग पर उन्होंने इस गंभीर मुद्दे को उठाया है, ताकि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले तथा जांच कराकर दोषी अधिकारियों एवं संबंधित लोगों पर उचित कार्रवाई की जा सके। वहीं राफेल डील मामले में पीएम मोदी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा भाई ईमानदार है। वह भ्रष्टाचार नहीं कर सकता।

आज देश भर में सरदार पटेल के जन्म दिवस पर रन फॉर युनिटी दौड़ का आयाजन किया गया

फोटो और ख़बर कमल कलसी

 

पंचकूला,(कमल कलसी)

पंचकूला में आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की जंयती के अवसर पर 31 अक्तूबर को देशभर में रन फॉर युनिटी का आयोजन किया गया इसके अलावा आम जन को राष्ट्रीय एकता की शपथ भी दिलाई गई, इसी कड़ी में जिला प्रशासन की ओर से सैक्टर 3 स्थित ताऊ देवीलाल स्टेडियम में -रन फॉर युनिटी-जिला स्तरीय मैराथन का आयोजन किया गया.

उपायुक्त मुकुल कुमार ने इस संबध में जानकारी देते हुए बताया कि लौह पुरूष सरदार बल्लभभाई पटेल ने आजादी के बाद देश की विभिन्न रियासतों को जोडऩ़े का कार्य किया। इसलिए आज उनकी जयंती पर रन फॉर युनिटी दौड़ का आयोजन किया गया।

विडियो कमल कलसी

यह दौड़ जिला के नागरिकों को राष्ट्रीय एकता का संदेश देती हुई शहर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी। इस दौड़ में समाज के नागरिक, स्वंय सेवी संस्थाओं के सहयोगी ने भाग लिया सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने के लिए इसके साथ जोड़ा जा रहा है। एनएसएस, नेहरू युवा केन्द्र, डीपीई, स्पोटर्स एकेडमी, पीटीआई, एनसीसी के लडक़े लड़कियों की विंग को भी इस मैराथन से जोड़ा गया है। इस प्रकार जिला के ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।

विडियो कमल कलसी

उपायुक्त ने बताया कि इस रन फॉर युनिटी को पंचकूला के विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता ने झण्डी दिखाकर रवाना किया इसके अलावा लौहपुरूष सरदार का संदेश आम नागरिकों को देने के लिए राष्ट्रीय एकता की शपथ भी दिलाई ,शपथ में नागरिकों को सत्यनिष्ठा से राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए समर्पित रहने तथा देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भरसक प्रयास किया गया इसके अलावा पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों के प्रति अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम योगदान देने का भी संकल्प लिया।

सरदार पटेल जयंती-राष्ट्रीय एकता दिवस

भारत की आजादी एक लंबे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्ष का नतीजा थी। इसे हासिल करने के लिए महात्मा गांधी , जवाहर लाल नेहरू , भगत सिंह से लेकर सुभाषचंद्र बोस सभी ने अपनी-अपनी तरह से योगदान दिया है । आम जनता ने भी आजादी की जंग में अपना खून पसीना एक किया। सभी किसी न किसी तरह से भारत की सत्ता पर स्वदेशी हुकूमत देखना चाहते थे।

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया।

देश पर एकीकरण का एक भयावह खतरा मंडरा रहा था जिसे न जवाहर लाल नेहरू कर पाते और न राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। सरदार बल्लभ भाई पटेल की दृढ़ इच्छा शक्ति, लौह जैसे इरादे के बूते भारत आजाद और संगठित हुआ। आज जिस अखंड और एक भारत को हम देख रहे हैं यह पूरा भारत हम सबको इसी शख्स का दिया हुआ ऐसा अनमोल तोहफा है, जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते। लौह जैसे इरादों के चलते पटेल लौह पुरूष के नाम से पूरे भारत में लोकप्रिय रहे। दरअसल, भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ा और चुनौतीपूर्ण काम था रियासत में खंड-खंड रूप से बंटे, राजे-रजवाड़ों के छोटी-छोटी सल्तनों की हुकूमतों के अहंकार में डूबे हिंदुस्तान को एक करना कोई आसान काम नहीं था। अंग्रेज भारत को आजाद तो कर गए, लेकिन उन्होंने देश का बंटवारा भी कर दिया । पाकिस्तान के बनाने का निर्णय अंग्रेजों द्वारा अधिकृत लार्ड माउंटबेटन कर गए, लेकिन वे हिंदुस्तान को अखंड बनाने वाली 536 छोटी-बड़ी रियासतों को लेकर चुप्पी साध गए। उस समय नेहरू के लिए भी रियासतों को एक करना सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती थी, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल को सौंपी । इस तरह एक दृढ़ इच्छाशक्ति के कुशल संगठक, शानदार प्रशासक, पटेल के लिए 500 से ज्यादा राजाओं को आजाद भारत में शामिल करना आसान नहीं था। वे उन्हें नई कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि के रूप में इस बात के लिए राजी करने का प्रयास करना चाह रहे थे कि वे भारत की कांग्रेस सरकार के अधीन आ जाए। जिस तरह से उन्होंने हैदराबाद, जूनागढ़ जैसी रियासतों को एक किया वह काबिले तारीफ था।

सन् 1947 में स्वतंत्र होने के बाद भारत स्वतंत्र रियासतों में बंटा हुआ था। 15 अगस्त 1945 को जापान आत्म समर्पण कर दिया था, तब माउण्टबैटन सेना के साथ बर्मा के जंगलों में थे। इसी वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए माउण्टबैटन ने 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के लिए तय किया था। वास्तव में, माउण्टबैटन ने जो प्रस्ताव भारत की आजादी को लेकर जवाहरलाल नेहरू के सामने रखा था उसमें ये प्रावधान था कि भारत के 565 रजवाड़े भारत या पाकिस्तान में किसी एक में विलय को चुनेंगे और वे चाहें तो दोनों के साथ न जाकर अपने को स्वतंत्र भी रख सकेंगे। इन 565 रजवाड़ों जिनमें से अधिकांश प्रिंसली स्टेट (ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का हिस्सा) थे में से भारत के हिस्से में आए रजवाड़ों ने एक-एक करके विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए, या यूँ कह सकते हैं कि सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा वीपी मेनन ने हस्ताक्षर करवा लिए। भोपाल के लोगों को भारत संघ का हिस्सा बनने के लिए बाद में दो साल और इंतजार करना पड़ा था। तब सरदार पटेल ने कोई 600 देशी रियासतों को भारत में मिलाकर भारत को एक सूत्र में बांधा और भारत को मौजूदा स्वरूप दिया। एक कुशल प्रशासक होने के कारण कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें ’लौह पुरुष‘ के रूप में भी याद करता है।सरदार पटेल तब अंतरिम सरकार में उपप्रधानमंत्री के साथ देश के गृहमंत्री थे। भोपाल का विलय सबसे अंत में भारत में हुआ। भारत संघ में शामिल होने वाली अंतिम रियासत भोपाल इसलिए थी क्योंकि पटेल और मेनन को पता था कि भोपाल को अंतत: मिलना ही होगा। भोपाल का विलय सबसे अंत में भारत में हुआ। भारत संघ में शामिल होने वाली अंतिम रियासत भोपाल इसलिए थी क्योंकि पटेल और मेनन को पता था कि भोपाल को अंतत: मिलना ही होगा। जूनागढ़ पाकिस्तान में मिलने की घोषणा कर चुका था तो काश्मीर स्वतंत्र बने रहने की। जूनागढ़, काश्मीर तथा हैदराबाद तीनों राज्यों को सेना की मदद से विलय करवाया गया किन्तु भोपाल में इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी। 26 अक्टूबर को कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण हो जाने पर वहाँ के महाराजा हरी सिंह ने उसे भारतीय संघ में मिला दिया। पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ में विद्रोह हो गया जिसके कारण प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसे भारत में मिला लिया गया। वहाँ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 1948 में पुलिस कार्रवाई द्वारा हैदराबाद भी भारत में मिल गया। इस प्रकार रियासतों का अन्त हुआ और पूरे देश में लोकतन्त्रात्मक शासन चालू हुआ। इसके एवज़ में रियासतों के शासकों व नवाबों को भारत सरकार की ओर से उनकी क्षतिपूर्ति हेतु निजी कोष प्रिवीपर्स दिया गया।

भोपाल का विलय:- भोपाल स्टेट की नींव रखी मुग़ल फ़ौज के एक अफ़ग़ान पश्तून फौजी दोस्त मोहम्मद खान ने। आगे चलकर 1818 में यह अंग्रेज़ो के अधीन आगया और 1818 से 1947 तक यह अंग्रेज़ो की सुरक्षा में रहा। 1857 को भोपाल स्टेट के मौलवियों ने स्टेट की नीतियों के खिलाफ जाकर अंग्रेज़ो के खिलाफ जिहाद का फतवा देदिया और लगातार तात्या तोपे, टोंक के नवाब और रानी लक्ष्मी बाई से संपर्क में रहे। यह मौलवी घर घर में अपनी बात पहुंचाने के लिए चपाती पर सन्देश लिखने लगे। उस वक़्त की रानी सिकंदर जहां बेगम को जब पता लगा तो उन्होंने चपातियों के वितरण पर प्रतिबन्ध लगा दिया। मार्च 1948 में यह स्टेट भी इंडिया में ले लिया गया।भोपाल के लोगों को भारत संघ का हिस्सा बनने के लिए बाद में दो साल और इंतजार करना पड़ा था। जूनागढ़: जूनागढ़ पाकिस्तान में मिलने की घोषणा कर चुका था पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ में नवाब के विरुद्ध बहुत विद्रोह हो गया वहाँ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। जिसके कारण प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसे भारत में मिला लिया गया।
 हैदराबाद:- 1798 में हैदराबाद के तहत एक राजसी राज्य बन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आधिपत्य में जाना जाता है । एक सहायक गठबंधन करके यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए अपनी विदेश का नियंत्रण सौंप दिया था। 1903 में बरार राज्य के क्षेत्र अलग और मध्य प्रांतों में विलय कर दिया गया था। 1948 में हैदराबाद के लिए तो बाकायदा उन्हें सेना की एक टुकड़ी भेजनी पड़ी। पुलिस कार्रवाई द्वारा हैदराबाद भी भारत में मिल गया।
कश्मीर समस्या:- कश्मीर रियासत पंडित नेहरू ने स्वयं अपने अधिकार में लिया हुआ था, परंतु इतिहासकारों की मानें तो सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह तथा कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने पर बेहद क्षुब्ध थे, और हम कम से कम इस बात में यकीं कर सकतेहैं कि पटेल होते तो कश्मीर समस्या का आज इस तरह से विकराल नहीं हो सकती थी। बावजूद नि:संदेह सरदार पटेल द्वारा यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी। महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को इन रियासतों के बारे में लिखा था, “रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।”
सरदार पटेल की जयंती:31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। देश के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के समकक्ष खड़ा करने के अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार आगे बढ़ा रहे हैं।इसी क्रम में सरकार ने सरदार पटेल की जयंती 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस दिन देशभर में एकता दौड़ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री खुद भी दौड़ लगा सकते हैं।इसके अलावा ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री इसी दिन आकाशवाणी के जरिए मन की बात के तहत जनता से अपना दूसरा संवाद भी कर सकते हैं। केंद्र की सत्ता में आने से पहले से ही पीएम मोदी सरकार पटेल की विरासत को लेकर कांग्रेस से दो दो चार हाथ कर रहे हैं। उन्होंने गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा बनाने के लिए बाकायदा हर गांव से लोहा इकट्ठा करने का अभियान छेड़ा था।उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि सरदार पटेल की इस प्रतिमा को दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा के तौर पर स्थापित किया जाएगा। मोदी ने कांग्रेस पर सरदार पटेल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया था। साथ ही जवाहर लाल नेहरू पर भी सवाल खड़े किए थे।

Supreme Court adjourns Ayodhya dispute matter, 3-judge bench led by CJI Gogoi says date of hearing will be fixed in January


70 years, 2 minutes, indefinite date of January 2019

Why if one sees Congress Connection in SC

Sibal is obeyed today

When parties indicate urgency and an early hearing, CJI-led Bench clarifies that it cannot really say when hearing will begin.


A three-judge Bench of the Supreme Court, led by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, on Monday posted the Ayodhya title suit appeals in January before an appropriate Bench to fix a date for hearing the case.

When parties indicated urgency and an early hearing, the CJI-led Bench clarified that it cannot really say when hearing would begin. It left it to the discretion of the “appropriate Bench” before which the matter would come up on January.

“We have our own priorities… whether hearing would take place in January, March or April would be decided by an appropriate Bench,” the CJI said.

The CJI repeated that all the court was ordering was that the appeals would come up in January first week before a Bench “not for hearing but for fixing the date of hearing”.

On September 27, a three-judge Bench of the court led by then Chief Justice Dipak Misra, in a majority opinion, decided against referring the question ‘whether offering prayers in a mosque is an essential part of Islam’ to a seven-judge Constitution Bench.

With this, the court had signalled that it would decide the appeals like any other civil suit, based on evidence, and pay little heed to arguments about the “religious significance” of the Ayodhya issue and the communal strife it has led to over the past many years.

The Misra Bench’s judgment, authored by Justice Ashok Bhushan on the Bench, directed the hearing in the appeals to start from October 29. This last paragraph in the September 27 judgment led to questions whether the court would deliver a judgment in the appeals before the May 2019 general election.

These appeals are against the September 30, 2010 verdict of the Allahabad High Court to divide the disputed 2.77 acre area among the Sunni Waqf Board, the Nirmohi Akhara and Ram Lalla. The Bench had relied on Hindu faith, belief and folklore.

Lord Ram’s birthplace

The High Court concluded that Lord Ram, son of King Dashrath, was born within the 1,482.5 square yards of the disputed Ramjanmabhoomi-Babri Masjid premises over 900,000 years ago during the Treta Yuga. One of the judges said the “world knows” where Ram’s birthplace was while another said his finding was an “informed guess” based on “oral evidences of several Hindus and some Muslims” that the precise birthplace of Ram was under the central dome.

The final hearings in the Ayodhya appeals began before the Misra Bench, also comprising Justice S. Abdul Nazeer, on December 5 last.

The day happened to be the eve of the 25th anniversary of the demolition of the 15th century Babri Masjid by kar sevaks on December 6, 1992. The appeals were taken up after a delay of almost eight years. They remained shelved through the tenures of eight Chief Justices of India from 2010.

However, the Muslim appellants, a cross-section of Islamic bodies like the Sunni Wakf Board and individuals, had drawn the Bench’s attention to certain paragraphs in a 1994 five-judge Constitution Bench judgment in the Dr Ismail Faruqui case. One of these paragraphs stated that “a mosque is not an essential part of the practice of the religion of Islam and namaz [prayer] by Muslims can be offered anywhere, even in open”.

Mosque and Islam

“So is the mosque not an essential part of Islam? Muslims cannot go to the garden and pray,” their lawyer and senior advocate Rajeev Dhavan had asked the court. He asked the Bench to freeze the Ayodhya appeals’ hearing till this question is referred and decided by a seven-judge Bench.

In their majority view, Chief Justice (retired) Misra and Justice Bhushan refused to send the question to a seven-judge Bench. Their opinion said the observations were made in the context of the Faruqui case which was about public acquisition of places of religious worship. It should not be dragged into the Ayodhya appeals. The minority decision authored by Justice Nazeer dissented with the majority on the Bench, and said this observation about offering prayer in a mosque influenced the Allahabad High Court in 2010. He questioned the haste of the court.

During the maiden Supreme Court hearing of the Ayodhya appeals last year, senior advocate Kapil Sibal suggested to the court to post the Ayodhya hearings after July 15, 2019.

Along with Mr. Sibal, senior advocate Dushyant Dave and Mr. Dhavan argued that the Ayodhya dispute was not just another civil suit. The case covered religion and faith and dates back to the era of King Vikramaditya. It is probably the most important case in the history of India which would “decide the future of the polity”. The appeals would have the court decide “whether this is a country where a mosque can be destroyed”.

“These appeals go to the very heart of our secular and democratic fabric,” Mr. Dhavan had submitted.

Mr. Sibal had alleged the government was using the judiciary to realise its agenda for a Ram mandir assured in the ruling BJP’s 2014 election manifesto.

Promoting Hindi language is my duty: Pankaj Tripathi

Pankaj-Tripathi


Generally, I don’t use common Hindi words while communicating. I use a bit difficult Hindi words on set.


Pankaj Tripathi says he is a Hindi cinema actor so, promoting the Hindi language is his duty.

“Being a responsible citizen of India and coming from a Hindi medium school, I believe it’s my responsibility and duty to teach and correct Hindi. While shooting for Shakeela biopic, my director Indrajit Lankesh used to tell me to speak in Hindi with him so that his Hindi could improve,” Pankaj said in a statement.

“Generally, I don’t use common Hindi words while communicating. I use a bit difficult Hindi words on set. Crew members often used to ask me the meaning of those Hindi words. They were excited to learn meaning of new Hindi words. It wasn’t difficult communicating with Bengaluru crew members on sets of Shakeela biopic. I am a Hindi cinema actor, promoting Hindi language is my duty,” he added.

The film is based on South Indian glamour actress Shakeela.

India asked the Pak PM to stop supporting and glorifying terrorists and terror activities against India and its other neighbours.

External Affairs Ministry Spokesperson Raveesh Kumar said, instead of making comments on India’s internal affairs, Pakistan leadership should look inwards and address its own issues. (File Photo)


India asked the Pak PM to stop supporting and glorifying terrorists and terror activities against India and its other neighbours.


A day after Pakistan Prime Minister Imran Khan condemned the ‘new cycle of killing of innocent Kashmiris’ targeting India, India, on Tuesday, termed Pakistan Prime Minister’s remark about the situation in Kashmir as deeply regrettable.

India asked the Pak PM to stop supporting and glorifying terrorists and terror activities against India and its other neighbours.

External Affairs Ministry Spokesperson Raveesh Kumar said, instead of making comments on India’s internal affairs, Pakistan leadership should look inwards and address its own issues.

Pakistan should serve the interest of the people of the region by taking credible action against all kind of support to terrorism and terror infrastructure from all territories under its control, said Kumar, adding that Pakistan’s deceitful stand on dialogue, while supporting terror and violence, stands exposed to the whole world.

नेताजी, पटेल और आंबेडकर के सम्मान से कांग्रेस को क्यों ऐतराज है: शाहनवाज हुसैन


शाहनवाज हुसैन ने कहा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जैसे महापुरूषों का सम्मान किए जाने का तो कांग्रेस को स्वागत करना चाहिए


मोदी सरकार पर इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास करने के कांग्रेस के आरोप पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने सोमवार को कहा कि नेताजी, सरदार पटेल, बाबा साहब आंबेडकर जैसे महापुरूषों के सम्मान पर विपक्षी दल को ऐतराज क्यों हो रहा है?

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जैसे महापुरूषों का सम्मान किए जाने का तो कांग्रेस को स्वागत करना चाहिए. लेकिन उसे इस पर ऐतराज है, क्यों?’

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास नहीं कर रही है, बल्कि इन महापुरूषों के साथ जो नाइंसाफी हुई, जिस प्रकार इन्हें कांग्रेस ने भुलाने का काम किया, उसे दूर करते हुए उन्हें सम्मान देने का प्रयास किया जा रहा है.

हुसैन ने कहा कि 75 साल में पहली बार, अखंड भारत की पहली सरकार को सम्मानपूर्वक, समारोह में याद किया गया. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि नेताजी की तरह ही सरदार पटेल और बाबा साहब आंबेडकर का योगदान भुलाने की कोशिश की गई. 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की याद में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया जा रहा है.

स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस के योगदान पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने के विषय पर हुसैन ने कहा कि कांग्रेस के लिए एक ही परिवार का योगदान मायने रखता है जबकि आजादी की लड़ाई में नागरिक होने के नाते अनेकानेक लोगों ने योगदान दिया और देश से मोहब्बत रखने वाला संगठन होने के नाते संघ ने भी योगदान दिया.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धरोहर हथियाने के लिए ‘षडयंत्रपूर्ण प्रयास’ करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा था कि बीजेपी इतिहास फिर से लिखने के लिए व्याकुल है.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ‘व्याकुल बीजेपी इतिहास फिर से लिखने की कोशिश कर रही है और सरदार पटेल एवं जवाहरलाल नेहरू के बीच तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं नेहरू के बीच एक काल्पनिक प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है. इसने शुभ अवसरों का इस्तेमाल ओछे राजनीतिक हथकंडों के लिए किया है.’

इससे पहले आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर रविवार को आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यह दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया.

31 अक्टूबर को अनावरण होगा पटेल की प्रतिमा का

पंचकूला, 18 अक्तूबर:
गुजरात के शिक्षा मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह चूड़ासमा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी ने नर्मदा नदी के तट पर लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण करवाकर देश का गौरव बढ़ाया है और पटेल के आजादी के लिए और आजादी के बाद देश की एकता और अखंडता के लिए दिये गए योगदान का ऋण भी अदा किया।
गुजरात के शिक्षा मंत्री इन्द्रधनुष में आयोजित कार्यक्रम में आमजन से रूबरू हो रहे थे। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का 31 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकार्पण करेंगें। इस स्थल पर नई दिल्ली की तर्ज पर बड़ा म्यूजिम बनाया जाएगा। इसके लिए गुजरात के मुख्यमंत्री ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल इस पत्र के जवाब में 1500 वर्ग गज में गैस्ट हाऊस बनाने की हामी भर दी है। इसके अलावा लगभग 17 किलोमीटर के क्षेत्र को शानदार बागवानी के रूप में भी विकसित किया जाएगा ताकि आने वाले दर्शकों को एक भव्य एवं मनोहरम वातावरण उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार की ओर से हरियाणा के कृषि मं़त्री एवं लोहा संग्रहण समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री ओम प्रकाश धनखड़ और प्रदेश संयोजक श्री सुभाष बराला का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस स्टेच्यू के निर्माण में पूरे देश में घूम कर मिट्टी और लोहा एकत्रित करने का अनुकरणीय कार्य किया। उन्होंने कहा कि   यह स्टेच्यू हमें एकता के साथ आगे बढऩे की प्रेरणा देता रहेगा।  इस अवसर पर उन्होंने आमजन को ट्टस्टेच्यू ऑफ यूनिटी* को देखने के लिए आमंत्रित भी किया।
हरियाणा के शिक्षा मं़त्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि लोहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 562 रियासतों को जोडक़र देश को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया। उसी राह पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक राज्य व एक राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए *स्टेच्यू ऑफ यूनिटी * का निर्माण करवाया। इस स्टेच्यू के निर्माण में पूरे भारत के नागरिकों का अह्म योगदान है।
         शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह विचार रखा था कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जिस तरह देश को एक किया है उसी प्रकार उनकी प्रतिमा भी देश के हर नागरिक के योगदान के साथ ही बनेगी। इसके लिए उन्होंने देशभर से मिट्टी और लोहा एकत्र करने का निर्णय लिया। श्री शर्मा ने कहा कि इस कार्य के लिए देश के 5 लाख से अधिक किसानों ने लगभग 5000 मीट्रिक टन लोहा दान में दिया और देश के शहीदों व वीरों के पांव की मिट्टी भी इस प्रतिमा के निर्माण में लगाई गई ताकि देश का प्रत्येक नागरिक खुद को उस भव्य प्रतिमा के साथ जुड़ा हुआ महसूस करें। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा विश्व की सबसे ऊंची है लेकिन देश का राष्ट्रीय ध्वज इससे भी ऊंचा है।
         हरियाणा के कृषि मं़त्री एवं लोहा संग्रहण समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि *स्टेच्यू आफ यूनिटीट्ट नए भारत का तीर्थ बनने जा रहा है, जिससे देश की आने वाली पीढ़ी और दुनिया को भारत की संस्कृति और परंपरा का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि लोहा संग्रहण समिति के राष्ट्रीय संयोजक बनने के बाद जब उन्हें देश का इतिहास जानने का मौका मिला, तब उन्हें पता लगा कि जिस भारत को आज हम देख रहे हैं, उस भारत को बनाने वाले शिल्पीकार लोहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के इतिहास को झरोखों के पीछे छिपाया गया। इस छिपे हुए इतिहास से देशभर के लोगों को अवगत करवाने में ट्टस्टेच्यू आफ यूनिटी* का अहम योगदान रहेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस विजन की बधाई देते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को *स्टेच्यू आफ यूनिटी का अनावरण देश के हर नागरिक के लिए यादगार क्षण होगा।
    श्री धनखड़ ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश के 6500 गांवों में गौरव. पट्ट लगाए जा  रहे हैं। इन गौरव पटृट पर 1857 से लेकर अब तक शहीद हुए वीरों व स्वतं़त्रता  सेनानियों, खिलाडिय़ों, दानवीरों और विख्याताओं के नाम लिखे जा रहे है, जो उस गांव के शौर्य और सम्मान के परिचायक होंगे।
इस अवसर पर पंचकूला के विधायक एवं मुख्य सचेतक श्री ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी में लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की छवि देखने को मिलती है। सरदार पटेल की तरह प्रधानमंत्री भी दृढ़ इच्छा और संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं, जिससे देश बुलंदियों को छू रहा है। इसके लिए प्रदेश का नागरिक उन्हें तहेदिल से बधाई देता है। इस अवसर पर कालका की विधायक श्रीमती लतिका शर्मा ने गुजरात से आए शिष्टमंडल का अभिवादन किया। इसके साथ.साथ भाजपा जिला प्रभारी,ख्पंचकूला श्री संजय शर्मा ने शिष्टमंडल को यादगार स्वरुप स्मृति चिह्न भेंट किये और आभार प्रकट किया।
    इस कार्यक्रम में जिला भाजपा के प्रधान दीपक शर्मा, जिला परिषद के चेयरपर्सन ़रितु सिंगला, उपायुक्त मुकुल कुमार, एसडीएम पंचकूला पंकज सेतिया सहित काफी संख्या में आमजन उपस्थित थे।