Baroda Univ. Students Visited Centre for Social Work, Panjab University

Chandigarh December 7, 2018

47 IIIrd Year Bachelors of Social Work students along with two faculty members from MS University Baroda visited the Centre for Social Work, Panjab University. Dr Monica Munjial Singh, Chairperson along with faculty members Dr Gaurav Gaur and Field Supervisor Mr Prashant Sharma gave an overview of the course and the field work practicum. The students of both the Universities had an academic interaction which proved beneficial at both ends.

सोमनाथ मंदिर को सोने से मढ़ने का संकल्प लेना चाहिए: अमित शाह


शाह ने कहा, ‘एकमात्र जवाब है…मंदिर के वैभव को बहाल करने के लिए एक संकल्प लें. जिस गति से कार्य चल रहा है, आप जल्द ही मंदिर के ऊपर लगे सभी कलशों को स्वर्ण में मढ़ा देखेंगे.’


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि लोगों को ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर को लूटने वालों के खिलाफ क्रोध की भावना नहीं रखनी चाहिए बल्कि उसे ‘पूरी तरह से सोने से मढ़कर’ उसके पुराने गौरव को बहाल करने का संकल्प लेना चाहिए.

सोमनाथ ट्रस्ट के न्यासी शाह ने यह टिप्पणी पास के तट के किनारे एक पर्यटक पैदल पथ की आधारशिला रखने के बाद की. शाह ने कहा, ‘करीब एक करोड़ श्रद्धालु यहां प्रत्येक वर्ष आते हैं. ट्रस्ट ने भीड़ के लिए इंतजाम के वास्ते कई पहल की हैं. यद्यपि मेरा मानना है कि मंदिर का विकास अधूरा है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे जैसे लोग जो इस मंदिर से बचपन से जुड़े हुए हैं, उनके लिए उसका विकास तब तक बेमतलब है जब तक इसे पूरी तरह से स्वर्ण से मढ़ नहीं दिया जाता.’

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रिकार्ड से पता चलता है कि यह मंदिर कभी सोने और चांदी से ढका हुआ था और उसकी रक्षा के लिए कितने लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी.

उन्होंने कहा, ‘मंदिर को हालांकि पूर्व में कई बार नष्ट किया गया और लूटा गया, लेकिन लोगों को कोई द्वेष नहीं रखना चाहिए और बदला लेने के बारे में नहीं सोचना चाहिए.’

शाह ने कहा, ‘एकमात्र जवाब है…मंदिर के वैभव को बहाल करने के लिए एक संकल्प लें. जिस गति से कार्य चल रहा है, आप जल्द ही मंदिर के ऊपर लगे सभी कलशों को स्वर्ण में मढ़ा देखेंगे.’

किसान मार्च राजनैतिक और मोदी विरोध ही है


दरअसल, किसान मुक्ति मार्च की पूरी कवायद से भी साफ लग रहा है कि विरोधी पार्टियां और संगठन मिलकर किसानों के मुद्दे पर भी मोदी विरोधी एक मंच तैयार करना चाहते हैं.


किसान मुक्ति मार्च के दूसरे दिन दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद का घेराव करने के लिए सुबह-सुबह किसानों का जत्था निकल पड़ा. अलग-अलग प्रदेशों और क्षेत्रों से आए किसान अपनी अलग-अलग टोलियों में किसान एकता का नारा लगाते संसद मार्ग की तरफ बढ़ रहे थे, जिसके आगे जाकर संसद का घेराव करने की इजाजत नहीं दी गई थी.

किसान मुक्ति मार्च के नेताओं का दावा है कि इस मार्च में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसान पहुंचे थे. ऐसा दिख भी रहा था. तमिलनाडु से आए किसानों ने तो मंच के बिल्कुल नीचे होकर अपने शरीर के कपड़े उतारकर सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विरोध किया. तमिलनाडु से आए किसान सुरेंद्र जैन ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि सरकार न ही एमएसपी का डेढ़ गुना दाम दे रही है और न ही हमारा कर्ज माफ कर रही है.

इसी तरह बिहार के बाढ़ से आए शिवनंदन ने भी सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप लगाया. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान शिवनंदन का कहना था कि एमएसपी के डेढ़ गुना दाम देने की बात तो सरकार कहती है लेकिन, इसको लागू नहीं कर पा रही है. इनकी शिकायत है कि जमीन पर हालात इन दावों से अलग हैं. उनकी तरफ से भी सरकार से किसानों की कर्जमाफी की मांग की गई.

इसी तरह यूपी से लेकर मध्य प्रदेश तक, पंजाब से लेकर हरियाणा तक और महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान तक के किसान इस मार्च में हिस्सा लेने पहुंचे थे. सबकी तरफ से एक ही नारा और एक ही मांग थी किसानों की मांगों को पूरी करो, वरना इसका अंजाम बुरा होगा.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देशभर के 200 से भी ज्यादा किसान संगठनों ने इस मार्च में हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व स्वराज इंडिया के संरक्षक योगेंद्र यादव ने किया था. किसानों की दो मांगें थीं, पहला किसानों की कर्जमाफी के लिए एक बिल को पास कराना और दूसरा लागत के डेढ़ गुना एमएसपी दिलाने के लिए बिल को पास कराना. संघर्ष समिति ने मंच से सरकार से किसानों के हक और हित में इन दो बिल को पास कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.


पूरे किसान मार्च का नेतृत्व कर रहे योगेंद्र यादव ने भी इस मंच से मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी इस मंच से किसानों की इन दो मांगों के समर्थन में खड़ी पार्टियों को किसान हितैषी और इस रैली में शामिल नहीं होने वाली पार्टियों को किसान विरोधी तक कह डाला. किसान मुक्ति मार्च में कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान विरोधी बताने की थी.


जब मंच पर इस तरह सरकार विरोधी बात हो और मंच के नीचे देश के अलग-अलग कोने से आए किसान और किसानों के संगठन के लोग हैं तो फिर विरोधी पार्टियां भला कैसे पीछे रह सकती हैं. देखते ही देखते किसानों के समर्थन में और सरकार के विरोध में सभी विपक्षी दलों का जमावड़ा लग गया.

लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी से लेकर डी. राजा तक और फिर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, एलजेडी नेता शरद यादव, एसपी नेता धर्मेंद्र यादव, आप से संजय सिंह, एनसी के फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी से दिनेश त्रिवेदी भी मंच पर पहुंचे. इसके अलावा टीडीपी और आऱएलडी के भी नेता इस मार्च में पहुंचे. सबने एक सुर में किसानों की मांगों का समर्थन किया.

लेकिन, अंत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस आंदोलन में किसानों के सुर में सुर मिलाकर माहौल को और गरमा दिया. राहुल गांधी ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा, ‘मोदी जी ने कहा था कि एमएसपी बढ़ेगी, पीएम ने बोनस का भी वादा किया था, लेकिन हालात पर नजर डालें, सिर्फ झूठे वादे किए गए थे और कुछ नहीं.’

राहुल गांधी ने कहा ‘आज हिंदुस्तान के सामने दो बड़े मुद्दे हैं. एक मुद्दा हिंदुस्तान में किसान के भविष्य का मुद्दा, दूसरा देश के युवाओं के भविष्य का मुद्दा. पिछले साढ़े चार साल में नरेंद्र मोदी ने 15 अमीर लोगों का कर्जा माफ किया है. अगर 15 अमीर लोगों का कर्जा माफ किया जा सकता है तो किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता?’


राहुल गांधी के अलावा अरविंद केजरीवाल ने भी इस मंच पर आने के बाद सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. केजरीवाल ने सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, ‘जिस देश के अंदर किसानों को आत्महत्या करनी पड़ी, जिस देश का किसान खुद भुखमरी का शिकार हो.


ऐसा देश कभी तरक्की नहीं कर सकता. बीजेपी ने किसानों से जो वादे किए उससे वो मुकर गई. किसानों को 100 रुपए में से 50 रुपए मुनाफा देने की बात बीजेपी कह रही थी. सबसे पहले किसानों का जितना कर्ज है वो सारा कर्ज माफ होना चाहिए. दूसरी मांग किसानों को फसल का पूरा दाम मिलना चाहिए’

राहुल और केजरीवाल के अलावा लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और शरद पवार सहित सभी नेताओं ने किसानों की दोनों मांगों का समर्थन करते हुए मोदी सरकार को अगले चुनाव में नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दी.

दरअसल, किसान मुक्ति मार्च की पूरी कवायद से भी साफ लग रहा है कि विरोधी पार्टियां और संगठन मिलकर किसानों के मुद्दे पर भी मोदी विरोधी एक मंच तैयार करना चाहते हैं. किसान मुक्ति मार्च भी किसानों की समस्या का दीर्घकालिक समाधान ढ़ूंढ़ने के बजाए मोदी विरोधी मंच बनकर रह गया.

 

 

Shiv Sena endorsed Shahid Afridi’s statement on Kashmir

 

The Shiv Sena on today reacted on former Pakistani cricketer Shahid Afridi’s remarks that his country “does not want Kashmir” and said all sane Pakistanis would endorse the view.

According to the Sena, in an editorial in its mouthpiece ‘Saamana’, said Pakistan’s government and the military chief gave more impetus on trying to harm India than governing the country as a result of which it has to seek external financial aid even 70 years after Independence.

Former all-round cricketer of Pakistan Shahid Afridi on Wednesday proposed that Pakistan-occupied Kashmir should be given “independence”, saying the country does not want the region as it cannot even manage its four provinces.

Afridi was addressing students in London when he is learnt to have the statement. The video, in which he is heard saying that Pakistan is not interested in Kashmir and since the country is against giving it to India, the region should be given independence, has gone viral on the social media.

“I say Pakistan doesn’t want Kashmir. Don’t give it to India either. Let Kashmir be independent. At least humanity will be alive. Let people not die,” he said.

He went on add that “humanity” or “insaniyat” should be prioritised.

Afridi later blamed the Indian media for quoting him.

The Sena’s editorial Friday stated, “Pakistan has become so poor in trying to support terrorism and corruption that it now is left with only the option of selling cattle and vehicles from the Prime Minister’s residence.”

It claimed that Pakistan was on the verge of a financial breakdown and it had been relegated to begging for a bailout from countries like China after the International Monetary Fund (IMF) turned down its aid request.

“If the country needs financial oxygen to keep its economy going, alive, how will it take care of Kashmir? Not just Afridi, every sane Pakistani will hold the same view. However, who asks the common man there?” the editorial questioned.

“The government and the military chief there give more impetus on harming India than doing good for its people. Therefore, they have to beg for aid even 70 years after Independence,” it said.

The Sena further dubbed Afridi as “anti-Indian” and said he has, in the past, made derogatory statements against India.

Citing examples, it said Afridi had shown a soft corner for 13 terrorists eliminated by Indian security forces and has been repeatedly advocating Independence for Kashmir.

A day after Afridi’s remarks, Home Minister Rajnath Singh on Thursday said the former cricketer’s comment that his country could not even manage its four provinces, was right.

Addressing a press conference in Raipur, the minister said, “What is he said is right. They are not able to manage Pakistan. How can they manage Kashmir? Kashmir is and will be a part of India.”

राहुल के बचाव में उतरे मनीष


स्मिता प्रकाश द्वारा राफेल के सीईओ के स्क्षातकार के बाद कांग्रेस की सुर ताल बिगड़ गयी है, जब से एरिक ने राहुल के बयानों को खारिज किया है ओर एक – एक कर कांग्रेस द्वारा लगाये आरोपों का सिलसिले वार जवाब दिया है तभी से राहुल के बचाव में कांग्रेस के सभी दिग्गज उतर गए हैं। पहले सुरजेवाला ने स्मिता प्रकाश के साक्षात्कार को प्रायोजित करार दे दिया वहीं अब मनीष भी ज़ुबानी जंग में कूद पड़े हैं। de


नई दिल्ली:

कांग्रेस ने आज कहा कि राफेल सौदे के बारे में सरकार द्वारा सुप्रीमकोर्ट में दायर हलफनामे में तथ्यों की जानकारी देने के बजाय छिपाने की कोशिश की गई है और सरकार को यह बताना चाहिए कि आफॅसेट साझीदार बनाने के बारे में रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 में पूर्व प्रभाव से संशोधन क्यों किया गया।

कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि इस सौदे को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को मिली सरकार के हलफनामे की प्रति को पढने से ऐसा लगता है कि इसमें जानकारी देने के बजाय तथ्यों को छिपाने की कोशिश की गई है। इससे कई सवाल उठते हैं लेकिन देश सरकार से पांच बुनियादी सवालों का जवाब चाहता है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 5 अगस्त 2015 को रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 में पूर्व प्रभाव से संशोधन कर रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर से पहले विक्रेता द्वारा ऑफसेट साझीदार की सूची रक्षा मंत्रालय को देने की बाध्यता खत्म कर दी। पहले की नीति के अनुसार रक्षा मंत्रालय ऑफसेट कंपनी का मूल्यांकन कर सौदे पर हस्ताक्षर से पहले इस सूची को मंजूरी देता था।

लेकिन संशोधन के बाद विक्रेता रक्षा मंत्रालय को अपने ऑफसेट साझीदार की जानकारी सौदे पर हस्ताक्षर के बाद देगा। उन्होंने कहा कि सरकार यह बताए कि यह संशोधन पूर्व प्रभाव से क्यों किया गया? इसके पीछे क्या उद्देश्य था?

प्रवक्ता ने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि 126 बहुउद्देशीय राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार का सौदा और मोदी सरकार का 36 राफेल विमान की खरीद का सौदा अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह सही है तो सरकार ने पहले सौदे को रद्द करने से तीन महीने पूर्व दूसरे सौदे की घोषणा कैसे कर दी। क्या दूसरे सौदे के लिए सभी नियम प्रक्रियाओं को अपनाया गया।

तिवारी ने कहा कि विमानों की संख्या 126 से 36 करने के बारे में क्या वायु सेना से बात की गयी थी। क्या नये सौदे के तहत विमानों की मानक गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए ‘एस क्यू आर’ की प्रक्रिया पूरी की गई थी। क्या वायु सेना ने इनके बारे में ‘स्टेटमेंट ऑफ केस’ दी थी। किसी भी सौदे को मंजूरी के लिए रक्षा खरीद परिषद में भेजने से पहले दो महत्वपूर्ण समिति इसकी जांच करती हैं उनकी बैठक कब हुई। उन्होंने दावा किया कि इस सौदे के बारे में सभी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।

प्रवक्ता ने कहा कि रक्षा खरीद परिषद ने 13 मई 2015 में वायु सेना के लिए 36 राफेल विमान की खरीद को जरूरत के आधार पर मंजूरी दी। लेकिन सरकार यह बताए कि इस मंजूरी से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 अप्रेल 2015 को पेरिस में इस सौदे का ऐलान कैसे कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि निर्णय पहले ले लिया गया और उसे प्रक्रियागत अमली जामा बाद में पहनाया गया।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार के मंत्री बार बार यह कह रहे हैं कि विमानों में भारतीय जरूरत के हिसाब से अस्त्र शस्त्र लगाए गए हैं इसीलिए इसकी कीमत 526 करोड रूपए से बढकर 1670 करोड रूपए हो गई। उन्होंने कहा कि लेकिन हलफनामे में सरकार ने कहा है कि इन 36 विमानों में लगाए जाने वाली हथियार प्रणाली वही है जो 126 विमानों के सौदे के तहत उडने की हालत में खरीदे जाने वाले 18 विमानों में लगाई जाने वाली थी। उन्होंने पूछा कि यदि यह सही है तो 1100 करोड रूपए कहां गए।

उन्होंने कहा कि देश सरकार से यह भी जानना चाहता है कि रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे से बाहर क्यों किया गया। फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक ट्रेपियर के एक साक्षात्कार में किए गए दावे कि मोदी सरकार को ये विमान 9 प्रतिशत कम कीमत पर बेचे गए हैं के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा कि वह सरकार के वकील की तरह बात कर रहे हैं। क्या ट्रेपियर यह बताएंगे कि संप्रग सरकार का सौदा जब अंतिम पड़ाव पर था तो एक विमान की कीमत क्या था। यदि वह सही हैं तो कीमत का खुलासा करें।

Sardar Patel statue fast emerging as tourist spot but visitors rue lack of facilities

The daily quota of number of people visiting the observation deck has been fixed at 5,000.


Due to the heavy rush of visitors, the Gujarat government has issued an advisory about restrictions on the number of people the site can accommodate per day


The Statue of Unity, unveiled on 31 October to mark the birth anniversary of Sardar Patel, has already become a tourist destination. The rush of people to the Sardar Patel statue has also been facilitated by the ongoing holidays to mark Deepawali followed by the Gujarati New Year the next day and then the Bhaidooj festival followed by the weekend.

More than 18,000 people have visited the 182-metre statue erected on Sadhu island on the western bank of Narmada river, 3 kilometres downstream of the multipurpose dam at the tri-junction of Gujarat, Madhya Pradesh and Maharashtra.

The highest ticket collection in a single day has been recorded at Rs 36 lakh, with 11,219 people visiting the Sardar Patel statue the day before Diwali.

Due to the heavy rush of visitors, the Gujarat government has issued an advisory about restrictions on the number of people the site can accommodate per day, and also the limited capacity of the two lifts that take visitors to the viewing gallery at the chest level of the world’s tallest statue. People have also been advised to avoid crowding at the Statue of Unity site.

The daily quota of number of people visiting the observation deck has been fixed at 5,000 only, according to a statement from the information department.

Meanwhile, tourists visiting the Statue of Unity have complained of improper planning at the fast emerging tourism destination in Gujarat, pointing out lack of parking facilities, covered waiting areas and separate lanes for vehicles and pedestrians.

“Did they really want people to visit the monument?We were standing 3 hours straight in the heat on the road for 16 buses that’d cater to approximately 10k people at a time since private vehicles weren’t given direct entry clearly highlighting lack of parking provision,” Twitter user @kosha_shah11 posted on the micro-blogging site on 9 November.

She also posted photographs of the tourist centre showing lack of facilities, and blamed the government for opening a “world record breaker monument to the public with half planned proposals”.

She was not alone. Another user tweeted this: “Very bad experience at statue of unity, sardar sarovar.Pick and drop facilities are very poor. Got frustrated people were in queue for more than 2 hrs. Is it worth just for 5 min drive.Was expecting good service from Gujarat.”

Seema Darshan at Pakistan border

The Gujarat government also intends to develop its barren border with Pakistan as a tourist destination, being marketed as ‘Seema Darshan’. Chief Minister Vijay Rupani visited Nandabet in Banaskantha district bordering Pakistan on Deepawali to spend time with jawans of the Border Security Force (BSF). About 10 lakh people have visited Nandabet for ‘Seema Darshan’ ever since then CM Narendra Modi spent a day at the site along with BSF jawans.

अरिहंत की तैनाती से बौखलाया पाकिस्तान दे रहा गीदड़ भभकियाँ


पाकिस्तान ने कहा, इस्लामाबाद की क्षमता पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए


भारत की परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत की हालिया तैनाती को लेकर पाकिस्तान ने गुरुवार को गीदड़ भभकी दी है. उसने कहा कि दक्षिण एशिया में परमाणु और परंपरागत क्षेत्रों में चुनौतियों से निपटने के लिए इस्लामाबाद की क्षमता पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए.

पाकिस्तान विदेश कार्यालय प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि यह घटना दक्षिण एशिया में परमाणु शस्त्र की पहली तैनाती है, जो न सिर्फ हिंद महासागर के तट पर स्थित देशों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है.

आईएनएस अरिहंत ने इस हफ्ते अपनी पहली गश्त सफलतापूर्वक पूरी की है जिससे भारत उन गिने चुने देशों में शुमार हो गया जो इस तरह की पनडुब्बी की डिजाइन तैयार करने, उसका निर्माण करने और उसे परिचालित करने में सक्षम हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि शीर्ष भारतीय नेतृत्व ने जो कटुतापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया वह दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए खतरे को दिखाता है और भारत में परमाणु के क्षेत्र में जिम्मेदाराना कदम पर सवाल खड़े करता है.

उन्होंने कहा कि भारत द्वारा मिसाइल परीक्षणों को बढ़ाया जाना, परमाणु हथियारों का प्रदर्शन और उनकी तैनाती मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) से भारत को मिलने वाले लाभों के आकलन की मांग करती है.

प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में सामरिक स्थिरता को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी दक्षिण एशिया में परमाणु और परंपरागत क्षेत्र में हालिया घटनाक्रमों से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में पाकिस्तान की क्षमता को लेकर भ्रम में नहीं रहना चाहिए.

Ahmedabad risks UNESCO status tag


Official says renaming city to Karnavati would be illogical


Though Gujarat’s deputy chief minister has announced the government’s readiness to rename Ahmedabad city as ‘Karnavati’, the UNESCO World Heritage City tag it has won last year may not make that possible.

In tune with the rightwing sentiments here, soon after Uttar Pradesh chief minister renamed Faizabad district as Ayodhya, Gujarat’s deputy chief minister Nitin Patel said that the Gujarat government is keen to rename Ahmedabad as ‘Karnavati’.

A few days ago, the Yogi government changed the name of Allahabad to Prayagraj. Renaming of Ahmedabad as ‘Karnavati’ had been a long pending demand of the Sangh Parivar constituents here due to the presence of an ancient Karnmukteshwar temple in the old city.

Despite the BJP-controlled Ahmedabad Municipal Corporation (AMC) as well as the Gujarat Assembly passing resolutions towards that effect during the tenure of Atat Behari Vajpayee at the Centre, the city could not be renamed as ‘Karnavati’ as the then NDA partners like AIADMK and Trinamul Congress did not agree to the idea.

Though the BJP is once again in power at all three levels like the local civic body, the Assembly and the Centre, the latest hurdle to the city’s renaming attempt is its UNESCO World Heritage City tag earned last year after at least a decade’s efforts.

Ahmedabad has earned the World Heritage City status on the basis of structures and architecture built during the period when it carried the present name, said Debashish Nayak who had led the committee which prepared the framework and documents to stake the claim for the global honour.

It is logical to retain the name for which the heritage tag has been earned, Mr Nayak told The Statesman on Wednesday.

He explained that the ancient names like Ashawal and Karnavati being quoted in favour of the renaming bid were only some ‘outposts’ of the city which later became Ahmedabad where the structures were built that brought the World Heritage city tag.

There is no rule to ban renaming of the city, but the logic behind the Heritage tag should continue, reasoned Mr Nayak.

Probably realising the difficulties in renaming the city after it earned the World Heritage City tag, chief minister Vijay Rupani had himself announced in the state Assembly earlier this year that the Gujarat government has not sent any such proposal to the Centre in the last two years.

Slamming the BJP government over the issue, state unit Congress spokesperson Manish Doshi, however, said that the promise to rename Ahmedabad was just another “poll gimmick” by the ruling party. “For the BJP, issues like construction of a Ram temple in Ayodhya and renaming Ahmedabad to Karnavati are simply ways to get votes of Hindus,” said Doshi.

“BJP leaders dump such issues after coming to power. They only cheated Hindus all these years,” he added.

PTV ने इमरान खान की फजीहत की


चीन की राजधानी बीजिंग में जब इमरान भाषण दे रहे थे तब पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन यानी पीटीवी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं थी


कई बार दिल की बात जुबान से निकल जाती है. कुछ ऐसा ही पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान के साथ हुआ. इमरान खान इन दिनों चीन के दौरे पर गए हुए हैं. चीन की राजधानी बीजिंग में जब इमरान भाषण दे रहे थे तब पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन यानी पीटीवी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं थी.

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में  इमरान खान के भाषण के LIVE के दौरान स्क्रीन पर पीटीवी ने तीर बनाकर शहर के नाम की जानकारी देने की कोशिश की. लेकिन हुआ कुछ उलटा. पीटीवी ने तीर का निशान तो बनाया लेकिन Beijng की जगह Begging लिख दिया. वैसे दिलचस्प है कि इमरान खान के चीन जाने का मकसद वित्तीय मदद मांगना भी था. आर्थिक तंगी से गुजर रहे पाकिस्तान के लिये आर्थिक पैकेज सुनिश्चित करने के इरादे से चीन की आधिकारिक यात्रा पर गये खान रविवार को बीजिंग स्थित सेंट्रल पार्टी स्कूल में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

curtsey PTV

अपनी इस गलती के लिए पीटीवी ने माफी भी मांग ली है. लेकिन जब तक पीटीवी यह गलती सुधारती तब तक यह वीडियो वायरल हो चुका था. यह शब्द करीब 20 सेकेंड तक स्क्रीन पर दिखता रहा, जिसे बाद में बदल दिया गया.

‘पीटीवी न्यूज’ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया, ‘चीन की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री के संबोधन के आज सीधे प्रसारण के दौरान वर्तनी से संबंधित गलती हुई. यह गलती करीब 20 सेकंड तक बनी रही, जिसे बाद में हटा लिया गया. इस घटना पर हमें खेद है. संबंधित अधिकारियों के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है.’

इन मीडियाई कामरेडो को सरदार पटेल की मूर्ति ही व्यर्थ क्यों लगती है ??

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

3 साल पहले रवीश कुमार ने अपने ब्लॉग पर स्टेचू ऑफ यूनिटी पर यह लिखा था कि यह भी नरेंद्र मोदी की तमाम घोषणाओं की तरह एक हवा हवाई है और कहीं कोई काम नहीं हो रहा है

कल जब मैंने एनडीटीवी देखा तो मैं इस आदमी का दोगलापन देखकर चौक गया कि यह आदमी दुनिया भर के गरीबी के आंकड़े गिना रहा था …कितने लोग आवास हीन है यह दिखा रहा था ..कितने बच्चे कुपोषित हैं यह बता रहा था

मगर इस ने कभी यह जिक्र नहीं किया देश की राजधानी दिल्ली जहां जमीने सोने से भी महंगी है वहां पर 272 एकड़ में नेहरू की समाधि 100 एकड़ में इंदिरा गांधी की समाधि डेढ़ सौ एकड़ में राजीव गांधी की समाधी बनी है ..इतना ही नहीं जिस आवास में नेहरू रहते थे उसे नेहरू म्यूजियम बना दिया गया है जिस सरकारी आवास तीन मूर्ति भवन में इंदिरा गांधी रहती थी उसे भी म्यूजिक बना गया है ….जहां राजीव गांधी की हत्या हुई यानी श्रीपेरंबदूर में वहां 400 एकड़ में राजीव गांधी स्मारक बना दिया गया है

देश में लाखों की संख्या में लगे गांधी नेहरू और अंबेडकर की मूर्तियों पर तो यह यह तर्क देते हैं कि इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी….. इन मीडियाई कामरेडो को सरदार पटेल की मूर्ति ही व्यर्थ क्यों लगती है ??

अगर आज इस मूर्ति को बनाने में 3000 करोड़ का खर्चा हुआ यदि कांग्रेस ऐसी मूर्ति 50 साल पहले बना देती तो शायद 50 करोड़ में ही काम हो जाता ..गलती तो कांग्रेस की है कि जिसने सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्व को भुला दिया जो भारत के बिस्मार्क हैं यानी वह बिस्मार्क जिन्होंने जर्मनी के छोटे-छोटे टुकड़ों को इकट्ठा करके एक संयुक्त जर्मनी बनाया ठीक उसी तरह सरदार पटेल ने 562 रियासतों को मिलाकर एक अखंड भारत बनाया और जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे जो भारत में नहीं मिलना चाहती थी उन्हें लाठी मारकर मिलाया

आप गुजरात आइए यहां ऐसे तमाम बुजुर्ग आपको मिलेंगे जो जूनागढ़ या सोमनाथ दर्शन करने जाते थे तो केशोद के पास स्थित एक जूनागढ़ रियासत के बनाए ऑफिस में उन्हें परमिट लेना पड़ता था और उन्हें कहीं और घूमने की इजाजत नहीं होती थी

आज अगर सरदार पटेल नहीं होते तो सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गीर का विशाल जंगल, जूनागढ़ शहर यह सब पाकिस्तान में होते क्योंकि जूनागढ़ के नवाब महावत खान बॉबी ने अपनी रियासत को पाकिस्तान में मिलाने का ऐलान कर दिया था