HIGH COURT REJECTS CHIDAMBARAM’S WIFE’S APPEAL AGAINST ED SUMMONS

 


The Madras High Court has dismissed a petition filed by Senior Advocate Nalini Chidambaram for quashing a summons by Enforcement Directorate (ED) under section 50 of the Prevention of Money Laundering Act (PMLA)


Yet another attempt by Nalini Chidambaram, the advocate wife of Congress strongman and former Union Finance Minister P Chidambaram to stonewall the summons issued to her by the Enforcement Directorate in a money laundering case came to nought on Tuesday.

A Division Bench of the Madras High Court dismissed on Tuesday Nalini Chidambaram’s appeal for quashing the April 24 order of Justice S M Subramaniam who had dismissed her petition seeking exemption from appearing before the ED for questioning .

Justices M M Sundresh and Anand Venkatesh dismissed the appeal  filed by Nalini Chidambaram against ED summons requiring her personal appearance for investigation in the Saradha chit fund scam case. The court asked the Enforcement Directorate to issue fresh summons with new dates.

The case had its origin in September 2016 when the ED issued a summons to Nalini asking her to present herself as a witness in the Saradha Chit Fund scam case in its Kolkatta office.

The ED summons was based on the statement given by Manoranjana Sinh, an accused in the Saradha Chit Fund scam that Nalini was paid Rs One crore by the Saradha Group  for her appearances in court and Company Law Board in connection with  the purchase of a TV channel.

बहनों के अस्पताल पर IT raid से परेशान यादव ने मोदी पर साधा निशाना


योगेंद्र यादव ने कहा, ‘कृपया मेरी, मेरे घर की तलाशी लीजिए, मेरे परिवार को निशाना क्यों बनाते हैं ?’


नई दिल्ली: स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने मोदी सरकार पर ‘राजनीतिक बदले’ की भावना से आयकर के छापे मरवाने का आरोप लगाया है. योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें ‘डराने’ और ‘चुप’ करने के लिए रेवाड़ी में उनकी बहन के अस्पताल पर आयकर विभाग ने छापा मारा है. उन्होंने किसानों को फसल की उचित कीमत दिलाने और हरियाणा के रेवाड़ी में शराब की दुकानों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा हुआ है. योगेंद्र यादव ने दो दिन पहले, ‘पदयात्रा’ से अपना अभियान शुरू किया था.

उन्होंने ट्विटर पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार उनके परिवार को ‘निशाना’ बना रही है. उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘मोदी सरकार मेरे परिवार को निशाना बना रही है. रेवाड़ी में मेरी पदयात्रा शुरू होने के दो दिन बाद और अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा शराब के ठेकों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के बाद रेवाड़ी में मेरी बहनों के अस्पताल और नर्सिंग होम पर आयकर विभाग ने छापा मारा है.’

उन्होंने कहा, ‘कृपया मेरी, मेरे घर की तलाशी लीजिए, मेरे परिवार को निशाना क्यों बनाते हैं?’ एक अन्य ट्वीट में यादव ने कहा यह उन्हें डराने की कोशिश है. यादव ने ट्वीट में कहा, ‘दिल्ली के 100 से अधिक अधिकारियों ने सुबह 11 बजे अस्पताल पर छापा मारा. सभी डॉक्टरों (मेरी बहनें, बहनोई, भांजे) को उनके कमरों में रखा गया. नवजातों के लिए बने आईसीयू समेत अस्पताल को सील कर दिया गया.

योगेंद्र यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि परसों ही रेवाड़ी जिले की 9 दिन की पदयात्रा मैंने समाप्त की, जिसमें गांव-गांव जाकर किसानों की आवाज उठाई गई. इसके बाद कल हरियाणा के कृषि मंत्री ने बौखलाकर उस यात्रा के खिलाफ बयान दिया और रेवाड़ी में आज मेरी बहनों के घर छापा होता है, जिसके पास मैं रुका था. मेरी दो बहनों का यह अस्पताल  है. तो यह एक स्वभाविक बात है कि और क्या कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से मैं किसानों के लिए आवाज उठा रहा हूं. जाहिर है यह धमकाने की कोशिश है. डराने की कोशिश है.

उन्होंने कहा कि मेरे बारे में जांच की होगी तो कुछ मिला नहीं होगा. मेरे मां-बाप के बारे में जांच की होगी तो वहां कुछ करने की गुंजाइश ही नहीं है, तो सोचा होगा कि बहनों पर हमला किया जाएगा. छापा मारने का उनका अधिकार है. एक बार नहीं 10 बार छापा मार लें. कुल मिलाकर ये सारा मैसेज इमरजेंसी के दिनों वाला है कि सरकार के खिलाफ बोलोगे तो तुम्हें और तुम्हारे परिवारवालों को प्रताड़ित किया जाएगा.


राजनीति से प्रेरित कोई भी कदम निंदनीय है। लेकिन इसका अर्थ यह भी तो नहीं कि किसी संस्थान पर केवल इसलिए कार्यवाही न कि जाए क्योंकि वो किसी राजनेता के संबंधी का है।
यह कैसा माप दंड है। मेरे लिए एक फुट 12 इंच का, और किसी और के लिए 10 या फिर 14 इंच का। 

ravi.bharati.gupta@gmail.com


 

‘दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे मजाकिया ट्वीट पर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है.’ फाइसल


उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मेरी नौकरी जा सकती है लेकिन उसके बाद भी दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है

राजनीति भी एक विकल्प हो सकती है ? बस  यूँ ही पूछ लिए 


जम्मू-कश्मीर से सिविल सर्विस परीक्षा के पहले टॉपर शाह फैसल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. फैसल कुछ दिनों पहले रेप को लेकर ट्वीट करने के चलते सुर्खियों में आए थे. इस ट्वीट पर ही जम्मू कश्मीर सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है.

सरकार के इस फैसले पर शाह फैसल ने गुस्सा जाहिर किया है. इस फैसले से संबंधित सवाल पूछे जाने पर शाह ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें नौकरी जाने का कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मेरी नौकरी जा सकती है लेकिन उसके बाद भी दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है.’

फैसल ने इसी के साथ कहा ‘सरकारी अधिकारियों की एक छवि लोगों के जहन में बनी हुई है. उस छवि के अनुसार वह बहस नहीं कर सकते. उनके चारों ओर जो भी हो रहा है उसे देख कर बस वह अपनी आंखें मूंद सकते हैं. लेकिन अब इस छवि को बदलना होगा.’

दरअसल फैसल ने मंगलवार को एक ट्वीट किया था जिसमें उनके खिलाफ सरकार की कार्रवाई का जिक्र था. इस ट्वीट पर उन्होंने लिखा, ‘दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे मजाकिया ट्वीट पर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है.’ वह सरकारी चिट्ठी की ओर इशारा कर रहे थे.’

शाह फैसल ने भारत के रेप कल्चर की व्याख्या करते हुए रेपिस्तान का मतलब समझाया था. उन्होंने कहा था जनसंख्या + पितृसत्ता + निरक्षरता + शराब + पॉर्न + तकनीक + अराजकता = रेपिस्तान.

LG द्वारा 3 अफसरों के तबादले पर आआपा फिर सर्वोच्च न्यायालय में


राजभवन की ओर से जारी आदेशों के मुताबिक सौम्या गुप्ता की जगह अब संजय गोयल को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया है. एसडीएमसी की डिप्टी कमिश्नर चंचल यादव का ट्रांसफर कर उन्हें एलजी का विशेष सचिव नियुक्त किया गया है. जबकि वसंत कुमार एन. को व्यापार और कर का विशेष आयुक्त बनाया गया है


दिल्ली में उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच अधिकारों की लड़ाई को लेकर शुरू हुई ‘जंग’ जारी है. इस कड़ी में एलजी अनिल बैजल ने 3 आईएएस अफसरों का ट्रांसफर कर दिया है.

राजभवन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सौम्या गुप्ता की जगह अब संजय गोयल को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया है. दक्षिण दिल्ली नगर निगम की डिप्टी कमिश्नर चंचल यादव का ट्रांसफर कर उन्हें उपराज्यपाल का विशेष सचिव नियुक्त किया गया है. जबकि वसंत कुमार एन. को व्यापार और कर (ट्रेड एंड टैक्स) का विशेष आयुक्त (स्पेशल कमिश्नर) बनाया गया है.

तबादले का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के पिछले हफ्ते दिए उस फैसले के बाद आया है जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल का अधिकार क्षेत्र भूमि, पुलिस और कानून व्यवस्था तक सीमित रखा गया है. और सेवा विभाग की अधिसूचना को रद्द नही किया गया था.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलजी के उठाए गए इस कदम की आलोचना की है. वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे उपराज्यपाल की मनमर्जी और जोर-जबरदस्ती करार दिया. उन्हें कहा कि शिक्षा निदेशक की नियुक्ति से पहले उन्हें (उपराज्यपाल) हमसे (दिल्ली सरकार) एक बार मशविरा कर लेनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने बजट का 26 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च कर रही है मगर हमसे इस पर (ट्रांसफर) चर्चा तक नहीं की गई.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उपराज्यपाल को इस बारे में पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने उनसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने में मनमानी करने की बात कही.

मंगलवार को दिल्ली सरकार इसे लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे सर्विस मैटर सहित लंबित कुल 9 अपीलों पर जल्द सुनवाई कर निपटारा करने की मांग की. हालांकि कोर्ट ने इस बारे में कोई निश्चित तारीख नहीं दी लेकिन अगले हफ्ते सुनवाई के संकेत दिए हैं.

जांच से दुखी : चिदम्बरम बोले,”सीबीआई को जो बात करनी है मुझसे करे”

मेरे बेटे को परेशान मत करो

  1. सीबीआई गलत सूचना फैला रही है

  2. सीबीआई को जो बात करनी है मुझसे करे

  3. मेरे बेटे कार्ति चिदंबरम को परेशान न करे

 

 

 


चिदंबरम ने कहा कि एयरसेल-मैक्सिस मामले में किसी अपराध का उल्लेख करते हुए प्राथमिकी नहीं है, ईडी पीछे पड़ी हुई है और आरोपों का जवाब अदालत में दिया जाएगा


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर आरोप लगाया कि वह एयरसेल-मैक्सिस मामले में उनके पीछे पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं है और आरोपों का जवाब अदालत में दिया जाएगा. पूर्व वित्त मंत्री की यह टिप्पणी उस वक्त आई है जब दिल्ली की एक अदालत ने चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति की गिरफ्तारी पर लगी रोक को सात अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया है.

कार्ति ने सीबीआई के जांच जारी रहने के दावे का खंडन करते हुए उसके समक्ष पेश होने से इंकार कर दिया था और कहा था कि एक विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था और इस मामले की सुनवाई समाप्त हो चुकी है. पी चिदंबरम ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट के जरिए कहा, एयरसेल-मैक्सिस में, एफआईपीबी ने सिफारिश की थी और मैंने उस कार्यवाही के के विवरण (मिनिट्स) को मंजूरी दी थी. सीबीआई को मुझसे पूछताछ करनी चाहिए और कार्ति चिदंबरम को परेशान नहीं करना चाहिए. पी चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, निराश सीबीआई गलत सूचना प्रसारित कर रही है. एयरसेल-मैक्सिस में एफआईपीबी के अधिकारियों ने सीबीआई के सामने बयान दर्ज किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मंजूरी वैध था.

एक विशेष अदालत में दायर सीबीआई के एक आरोपपत्र के मुताबिक, मैक्सिस की सहायक कंपनी मॉरीशस स्थित मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड ने एयरसेल में 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर निवेश करने की मंजूरी मांगी थी. (मौजूदा विनिमय दर के आधार पर यह 5,127 करोड़ रुपया होता है) आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) इसकी मंजूरी देने के लिए सक्षम थी. एजेंसी ने 2014 में कहा था, हालांकि, वित्त मंत्री ने मंजूरी दी थी. तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा मंजूरी दिए जाने को लेकर एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) की परिस्थितयों के आधार पर आगे की जांच की जाएगी. इससे जुड़े हुए मामले की भी जांच की जा रही है. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया था कि पूर्व वित्त मंत्री ने समझौते के लिए एफआईपीबी को मंजूरी दी थी, जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले सीसीईए को भेजा जाना चाहिए था क्योंकि 600 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अधिकार सिर्फ इसी समिति को था. इस मामले के सिलसिले में 2014 में एजेंसी के समक्ष पेश होने वाले पी चिंदबरम ने इस साल एक बयान में कहा था कि एफआईपीबी का अनुमोदन की मंजूरी ‘सामान्य कामकाज’ में दी गई थी.

व्यभिचार मामले मे केवल पुरुषों को सज़ा देने की पक्षकार मोदी सरकार


मौजूदा एडल्टरी कानून में महिलाओं को सजा दिए जाने का प्रावधान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में इस नियम में बदलाव के लिए एक याचिका दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने महिलाओं को भी एडल्टरी कानून के दायरे में न लाने की वकालत की है लेकिन पुरुषों को सजा मिलती रहे… इसका पक्ष लिया है


नई दिल्ली :

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि एडल्टरी एक अपराध ही रहना चाहिए. एडल्टरी कानून को खत्म करने से विवाह की पवित्रता पर असर पड़ेगा. एडल्टरी को वैधानिक (लीगल) बनाने से वैवाहिक संबंधों को नुकसान होगा. केंद्र ने कहा है कि धारा 497 को विवाह की पवित्रता की रक्षा करने के लिए बनाया गया था.

एडल्टरी कानून को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ कर रही है. मौजूदा कानून के मुताबिक, शादी के बाद किसी दूसरी महिला से संबंध बनाने पर अभी तक सिर्फ पुरुष के लिए ही सजा का प्रावधान है. महिलाओं को इस मामले में कोई सजा नहीं होती. क्योंकि कानून में महिला शब्द का कोई जिक्र ही नहीं है.

जब आज महिला और पुरुष को एक समान माना जाता है तो कानून इन्हें क्यों अलग मान रहा है? यही सवाल सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है. व्यभिचार या एडल्ट्री के केस में अब तक केवल पुरुषों पर मुकदमा चलता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट इसकी समीक्षा करने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है कि विवाह के बाहर संबंध बनाने में पुरुष का ही दोष कैसे होता है और महिला क्या कोई वस्तु है ?

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह 157 साल पुराने प्रावधान की संवैधान के नज़रिए से जांच करेगा और चार सप्ताह में इसकी प्रतिक्रिया मांगने के लिए केंद्र को नोटिस जारी करेगा. कोर्ट ने कहा, ‘आपराधिक कानूनों में भेदभाव क्यों?’ केरल के एक्टीविस्ट जोसेफ साइन ने सुप्रीम कोर्ट में आईपीसी की धारा 497 की वैधता को चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि ये समानता के हक के खिलाफ है. इसपर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने इस धारा पर कई सवाल उठाए हैं.

पीठ का कहना है कि जब महिला-पुरुष बराबर हैं तो आपराधिक कानूनों में ये भेदभाव क्यों? ये पुरुषों के साथ भेदभाव है. व्यभिचार में महिलाओं को पीड़ित मानता है कानून आईपीसी की धारा 497 के तहत शादी के बाहर किसी महिला से संबंध बनाने वाले पुरुष पर व्यभिचार का मुकदमा चलता है और उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है. लेकिन अगर व्यभिचार महिला ने किया हो तो वो उसे पीड़ित मानता है. संबंध बनाने में भले ही दोनों पक्षों की सहमति हो, लेकिन पीड़ित हमेशा महिलाओं को माना जाता है.

कोर्ट ने ये भी पूछा कि अगर पति अपनी पत्नी को किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने की इजाजत देता है, तो क्या वो महिला को एक वस्तु में नहीं बदल देता. महिलाओं को क्यों न मिले सजा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून हमेशा महिलाओं को पीड़ित मानकर उन्हें संरक्षण नहीं दे सकता. ये कानून पुरुषों को समानता का अधिकार नहीं देता.

यह जांचना आवश्यक है कि एक विवाहित महिला, जो एक विवाहित पुरुष के साथ व्यभिचार के अपराध के बराबर साथी हो सकती है, जो उसका पति नहीं है, उसे पुरुष के साथ क्यों दंडित नहीं किया जाना चाहिए. समाज की प्रगति के साथ बदले सोच सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि वर्तमान में, कानून महिला के प्रति एक ‘संरक्षक रवैया’ मानता है और उसे एक पीड़ित के रूप में देखता है जो कि मौलिक अधिकारों और लिंग भेदभाव का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा समय आ गया है जब समाज को एहसास होना चाहिए कि महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर है. प्रथम दृष्ट्या से ये प्रावधान काफी पुरानी प्रतीत होती है. जब समाज की प्रगति होती है और अधिकार प्राप्त होते हैं, तो लोगों की सोच बदलती है.

4 से 5 साल की 59 बच्चियों को तहखाने में भूखे प्यासे रखा कैद


दिल्ली के एक स्कूल में चार से पांच साल की बच्चियों को तहखाने में बंद करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि बच्चों को पांच घंटे से भी ज्यादा समय के लिए भूखे प्यासे तहकाने में बंद रखा गया


दिल्ली के राबिया पब्लिक स्कूल में चार से पांच साल की बच्चियों को तहखाने में बंद करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि बच्चों को पांच घंटे से भी ज्यादा समय के लिए भूखे प्यासे तहखाने में बंद रखा गया. मिली जानकारी के अनुसार, तहखाने में पंखा तक नहीं था और भीषण गर्मी से बच्चियों की हालत खराब हो गई थी.

दिल्ली पुलिस ने सेंट्रल दिल्ली के हौज काजी में एक प्राइवेट स्कूल के खिलाफ मामला दर्ज किया है. चांदनी चौक के राबिया पब्लिक स्कूल के खिलाफ बच्चियों को घंटों तक तहखाने में बंद रखने को लेकर मामला दर्ज किया गया है. स्कूल ने चार से पांच साल की 20 से ज्यादा बच्चियों को बंधक बना कर रखा. बच्चों के माता-पिताओं ने आरोप लगाया है कि सोमवार को मंथली फीस जमा न होने पर स्कूल ने बच्चियों को पांच घंटे तक तहखाने में बंद रखा. स्कूल की छुट्टी के बाद जब अभिभावक अपने बच्चों को लेने स्कूल गए, तब उन्हें इस घटना के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद अभिभावकों ने स्कूल में जमकर हंगामा किया.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ ही स्कूल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर ली गई है. साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है.

अभिभावकों का आरोप है कि बच्चों को बिना भूखे-प्यासे पांच घंटों तक बेसमेंट में बंद रखा गया. जब वो अपने बच्चों को स्कूल लेने पहुंचे तब जाकर उनके बच्चियों को बाहर निकाला जा सका. इस मामले को लेकर स्कूल के प्रिंसिपल ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीच में कहा है सभी आरोप झूठे हैं. उन्होंने इस तरह के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है.

प्रिंसिपल ने कहा है कि बेसमेंट कोई सजा देने की जगह नहीं है. दरअसल ये एक एक्टिविटी रूम है, जहां बच्चे खेलते और म्यूजिक सीखते हैं. ये एक तरह का क्लासरूम है. हालांकि पुलिस ने स्कूल के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के तहत हौज काजी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस का कहना है कि हमने स्कूल के प्रिंसिपल को नोटिस भेजा है. साथ ही हम पीड़ित बच्चों के माता-पिता के बयान भी दर्ज करेंगे.

Jio अस्तित्व मे आने से पहिले ही मिला उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा


 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के 6 शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों का दर्जा दिया है. इन संस्थानों में 3 सरकारी और 3 निजी संस्थान शामिल हैं. इन निजी संस्थानों में एक ऐसा नाम भी सामने आ रहा है, जिसका नाम काफी प्रचलित नहीं है और उसे उत्कृष्ट संस्थानों में शामिल किया है. इस संस्थान का नाम है जियो इंस्टीट्यूट. खास बात ये है कि इस जियो इंस्टीट्यूट का नाम भी पहले नहीं सुना गया और इंटरनेट पर भी इसका अस्तित्व नहीं दिख रहा है.

सरकार की ओर एक ‘बिना अस्तित्व’ वाले कॉलेज या यूनिवर्सिटी को उत्कृष्ट संस्थान में शामिल करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार जियो इंस्टीट्यूट रिलायंस का एक संस्थान है, लेकिन अभी तक इस संस्थान ने काम करना शुरू नहीं किया है. वहीं ट्विटर पर भी इस संस्थान का उल्लेख नहीं मिलता. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भी इन संस्थानों का नाम घोषित करते हुए जियो इंस्टीट्यूट का कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला और उन्हें भी ऐसे ही इसका नाम लिखना पड़ा.

बताया जा रहा है कि आने वाले कुछ साल में यह संस्थान अस्तित्व में आ सकता है. द प्रिंट वेबसाइट के अनुसार यूजीसी का कहना है कि जब यह तीन साल बाद अस्तित्व में आएगा तो इसके पास अधिक एटोनॉमी होगी. साथ ही इसे ग्रीन फील्ड कैटेगरी के अधीन चुना गया है. हालांकि अभी तक इंटरनेट पर जियो इंस्टीट्यूट के कैंपस, कोर्स आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है. यह एक प्रोजेक्टेड संस्थान है.

वेबसाइट के अनुसार पैनल अधिकारी एन गोपाल स्वामी का कहना है, ‘हमनें जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के तहत चुना है, जो कि नए संस्थानों के लिए होती है और उनका कोई इतिहास नहीं होता है. हमनें प्रपोजल देखा और इसके लिए चुना. उनके पास स्थान स्थान के लिए प्लान है, उन्होंने फंडिंग की है और उनके पास कैंपस है और इस कैटेगरी के लिए आवश्यक सबकुछ है.’

इस लिस्ट में शामिल होने से संस्थानों के स्तर और गुणवत्ता को तेजी से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और पाठ्यक्रमों को भी जोड़ा जा सकेगा. इसके अलावा विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की दिशा में जो कुछ भी जरूरी होगा, किया जा सकेगा. जावड़ेकर ने बताया कि रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिये टिकाऊ योजना, सम्पूर्ण स्वतंत्रता और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को सार्वजनिक वित्त पोषण की जरूरत होती है.

बताया जा रहा है कि यह श्रेणीबद्ध स्वायत्तता से कहीं आगे की चीज है और वास्तव में संस्थानों की पूर्ण स्वायत्तता जैसा है. इससे संस्थान अपना निर्णय ले सकेंगे. आज का निर्णय एक तरह से पूर्ण स्वायत्तता है और इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी छात्र को शिक्षा के अवसर एवं छात्रवृत्ति, ब्याज में छूट, फीस में छूट जैसी  सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सके.

सुरजेवाला का कोई मानसिक एवं राजनैतिक स्तर नही है: विज

चंडीगढ़, 10 जुलाई

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि यदि दुष्यंत चौटाला उनके कथित आरोपों के दस्तावेज उपलब्ध करवाते हैं तो उसकी पूरी जांच करवाई जाएगी तथा किसी भी दोषी को छोड़ा नही जाएगा।
श्री विज ने आज यहां पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इनेलो के दुष्यंत चौटाला एक भ्रमित व्यक्ति है, जिनको स्वयं नही पता कि वह क्या कह रहे हैं और क्या कहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दुष्यंत हर बार अलग-अलग ब्यान दे रहा हैं। वह कभी लोकल परचेज में 100 करोड़ रुपये का घोटाला बता रहा है, तो कभी एनएचएम में 300 करोड़ का तथा कभी किसी और में बड़ा घोटाला होने का अंदेशा प्रकट कर रहा हैं। इसलिए उनकी बातों पर विश्वास नही किया जा सकता है, इसके बावजूद भी यदि वह सरकार को दस्तावेज उपलब्ध करवाएगें तो उसकी पूरी जांच करवाई जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला के ब्यान को हास्यस्पद करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री से बहस के लिए एक स्तर होना चाहिए परन्तु सुरजेवाला का कोई मानसिक एवं राजनैतिक स्तर नही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही अपने करीब 60 वर्ष के शासन के दौरान न केवल खेती को बर्बाद किया है बल्कि किसानों को खुदकुशी करने के लिए मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने जब किसानों को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ गुणा किया है तो कांग्रेस को यह हजम नही हो पा रहा है।
क्रमांक 2018

मोदी जी को न्यूनतम समर्थन मूल्य के झूठ व फ़रेब पर चर्चा करने की खुली चुनौती


वादा था ‘‘लागत+50 %’’ समर्थन मूल्य का देंगे मौका, अब ‘झूठे ठुमके’ लगा कर रहे अन्नदाता से धोखा

झूठ की बुवाई – जुमलों का खाद, वोटों की फसलें – वादे नहीं याद, झांसों का खेल – मोदी सरकार फेल


साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने कुरुक्षेत्र व पठानकोट की भूमि पर आयोजित जनसभाओं में देश के किसान को ‘लागत+50% मुनाफा’ की सार्वजनिक घोषणा की, जिसे प्रधानमंत्री ने पूरे देश में दोहराया। भाजपा ने अपने 2014 के घोषणापत्र के पृष्ठ 44 पर बाकायदा किसान को ‘लागत + 50 % मुनाफा’ देने का वायदा अंकित किया। सच्चाई यह है कि 4 सालों से लागत+50 % मुनाफा का ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ की बिसात पर मोदी सरकार कभी खरी नहीं उतरी।

हार की कगार पर खड़ी मोदी सरकार ने 4 जुलाई, 2018 को ‘समर्थन मूल्य’ की झूठ को ‘एक राजनैतिक लॉलीपॉप’ के जुमले की तरह देश को पेश करने का छल किया। हरियाणा के मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री ने तो ‘झूठे ठुमके’ लगाकर किसानों को बरगलाने व बेशर्मी की एक नई मिसाल बना डाली। दूसरी तरफ, चाटुकारिता की दौड़ में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए बादल परिवार ने तो समर्थन मूल्य की झूठी शान बघारने के लिए मलोट, पंजाब में 11 जुलाई, 2018 को प्रधानमंत्री की धन्यवाद जनसभा तक रख डाली।

सच तो यह है न समर्थन मूल्य मिला, न मेहनत की कीमत। न खाद/कीटनाशनक दवाई/बिजली/डीज़ल की कीमतें कम हुईं और न ही हुआ फसल के बाजार भावों का इंतजाम। क्या झूठी वाहवाही लूटने, अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनने, ढ़ोल- नगाड़े बजाने व समाचारों की सुर्खियां बटोरने से आगे बढ़ मोदी जी व हरियाणा/पंजाब के भाजपाई-अकाली दल नेतागण देश को जवाब देंगे:-

1. ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ (commission for agricultural costs and prices) की 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक (संलग्नक A1) खरीफ फसलों की कीमत ‘लागत+50% मुनाफा के आधार’ पर निम्नलिखित होनी चाहिए –

Cost+50% as per CACP recommendations for year 2018-19 (Rs/Qtl. Cost+50% (Rs/Qtl.) MSP actually given for Kharif 2018-19 (Rs/Qtl.) Difference of ‘Cost+50%’ & MSP (Rs/Qtl.)
Paddy
1560 2340 1750 590
Jowar
2138 3274.5 2430 844.5
Ragi
2370 3555 2897 658
Maize
1480 2220 1700 520
Arhar
4981 7471.5 5675 1796.5
Moong
6161 9241.5 6975 2266.5
Urad
4989 7483.5 5600 1883.5
Ground Nut
4186 6279 4890 1389
Sunflower
4501 6751.5 5388 1363.5
Soyabean
2972 4458 3399 1059
Cotton
4514 6771 5150 1621

04 जुलाई, 2018 को मोदी सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य ‘लागत+50%’ की शर्त को कहीं भी पूरा नहीं करता। यह किसान के साथ धोखा नहीं तो क्या है?

20 जून, 2018 को नमो ऐप पर किसानों से बातचीत करते हुए खुद मोदी जी ने ‘लागत+50%’ का आंकलन ‘C2’ के आधार पर देने का वादा किया (http://www.hindkisan.com/video/pm-modis-interaction-with-farmers-via-namo-app/)। स्पष्ट तौर पर कहा कि किसान के मज़दूरी व परिश्रम + बीज + खाद + मशीन + सिंचाई + ज़मीन का किराया आदि शामिल किया जाएगा। फिर वह वायदा आज जुमला क्यों बन गया?

अगर चार वर्षों में ‘लागत+50%’ मुनाफा सही मायनों में मोदी सरकार ने किसान को दिया होता, तो लगभग 200,000 करोड़ रुपया किसान की जेब में उसकी मेहनत की कमाई के तौर पर जाता। परंतु यह बात मोदी जी व भाजपा देश को नहीं बताएंगे। यह किसानों के साथ विश्वासघात नहीं तो क्या है?

2. ​क्या मोदी सरकार ने लागत निर्धारित करते वक्त निम्नलिखित मूलभूत बातों पर ध्यान दिया, जैसे कि:-

i. ​16 मई, 2014 को डीज़ल की कीमत 56.71 रु. प्रति लीटर थी। यह लगभग 11.15 रु प्रति लीटर बढ़कर आज 67.86 रु. हो गई है।
ii. ​यहां तक कि पिछले 6 महीने में खाद की कीमतें बेलगाम हो 24 प्रतिशत तक बढ़ गईं। IFFCO DAP खाद का 50 किलो का कट्टा जनवरी, 2018 में 1091 रु में बेच रहा था, जो आज बढ़कर 1290 रु प्रति 50 किलो हो गया है। हर साल किसान 89.80 लाख टन DAP खरीदता है, यानि उसे 5561 रु करोड़ की चपत लगी।
ज़िंक – सलफेट की कीमतें 50 रु किलो से बढ़कर 80 रु किलो हो गयी, यानी 60% की बढ़ोतरी । इसी प्रकार “सुपर” के 50 kg के कट्टे की कीमत 260 रु से बढ़कर 310 रु हो गयी, यानी 20 % की बढ़ोतरी ।
iii. ​कीटनाशक दवाई हों, बिजली हो, सिंचाई के साधन हों या खेती के उपकरण, उन सबकी कीमतें बेतहाशा बढ़ गईं।

3. ​क्या मोदी सरकार ने आजादी के बाद पहली बार खेती पर टैक्स नहीं लगाया?

70 वर्ष के इतिहास में पहली बार किसान और खेती पर टैक्स लगाने वाली यह पहली सरकार है। खाद पर 5% जीएसटी, ट्रैक्टर/कृषि उपकरणों पर 12 % जीएसटी, टायर/ट्यूब/ट्रांसमिशन पार्ट्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी, कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत जीएसटी, कोल्ड स्टोरेज़ इक्विपमेंट पर 18 प्रतिशत जीएसटी पिछले एक साल में मोदी सरकार ने लगा डाला।

4.छोटे किसान को कर्जमाफी से मोदी सरकार कन्नी क्यों काट रही?

देश की आबादी में 62 प्रतिशत किसान हैं। परंतु प्रधानमंत्री, मोदी जी ने छोटे और मंझले किसान की कर्जमाफी से साफ इंकार कर दिया। प्रश्न बड़ा साफ है – यदि मोदी सरकार अपने चंद पूंजीपति मित्रों का 2,41,000 करोड़ रु. बैंकों का कर्ज माफ कर सकती है, तो खेत मजदूर व किसान को कर्ज के बोझ से मुक्ति क्यों नहीं दे सकती?

5. ​प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राईवेट बीमा कंपनी मुनाफा योजना बन गई?

2016-17 व 2017-18 में कृषि कल्याण से मोदी सरकार ने 19,800 करोड़ रु. इकट्ठा किए, जिसका इस्तेमाल फसल बीमा योजना में किया गया, परंतु फसल बीमा योजना से बीमा कंपनियों को 14,828 करोड़ का मुनाफा हुआ, जबकि किसान को मुआवज़े के तौर पर मिला केवल 5,650 करोड़।

6. ​क्या मोदी सरकार में किसान मुसीबत में और माफिया की पौ बारह सच नहीं?

भाजपा सरकार ने गेहूँ पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत से घटाकर 0 प्रतिशत कर दिया। अनाज माफिया से मिलीभगत साफ है। कांग्रेस सरकार ने 2013-14 में 9261 करोड़ रु. के गेहूँ का निर्यात हुआ, जो 2016-17 में घटकर 4375 करोड़ रु. रह गया। साल 2015-16 में भाजपा सरकार ने 44 रु. प्रति किलो पर दाल के आयात की अनुमति दी थी, जबकि दालें 230 रु. प्रति किलो बिकी थीं। 2016-17 में भी 221 लाख टन के दाल के बंपर उत्पादन के बावजूद भाजपा सरकार ने 44 रु. प्रति किलो की दर से 66 लाख टन दाल के आयात की अनुमति दे दी। साफ है, किसान पिस रहा है और अनाज माफिया फलफूल रहा है।

7. ​क्या कृषि निर्यात औंधे मुंह नहीं गिरा और विदेशों से कृषि उत्पादों का बेतहाशा आयात नहीं बढ़ा?

किसान पर दोहरी मार यह है कि कृषि निर्यात में 9.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी आई और कृषि आयात 10.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ गया। यानि किसान को 19.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।

हम प्रधानमंत्री/राष्ट्रीय कृषि मंत्री को समर्थन मूल्य के झूठ, फ़रेब व किसान से किये गए कुठाराघात पर खुले मंच से चर्चा की चुनौती देते है।

परेशान किसान कह रहा है –

अपनी फसलों के दाम, खुद्दारी के साथ चाहता हूँ,
तेरा रहमो करम नहीं, अपना हक चाहता हूँ ,

आख़िर कब तक छलेगा तू मुझे देखना चाहता हूँ,
कितने दिनों तक चलेगा झूठ ये तेरा देखना चाहता हूँ,

समाचारों की सुर्खियों से सिर्फ सरोकार है तुझे,
मैं तो बस अपने खेतों की खुशियाँ चाहता हूँ।