राहुल इकलौते प्रधान मंत्री पद के उम्मेदवार नहीं: तेजस्वी


बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य है कि विपक्ष ऐसे नेता को पीएम उम्मीदवार के लिए चुने जो संविधान की रक्षा कर सके


आरजेडी और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के मंगलवार को दिए ताजा बयान ने विपक्ष के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर आपसी रस्साकशी की उजागर कर दिया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी अकेले पीएम पद की दौड़ में नहीं हैं. तेजस्वी यादव ने पटना में पत्रकारों से कहा कि सभी विपक्षी दल एक साथ बैठेंगे और प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के नाम पर फैसला करेंगे. सिर्फ राहुल गांधी इस रेस में अकेले नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि विपक्ष में और भी नेता हैं जैसे ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, शरद पवार और मायावती. तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि उनकी पार्टी उस व्यक्ति का पूरा समर्थन करेगी जिसके नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट होकर मुहर लगाएगा. हालांकि तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कांग्रेस एक अखिल भारतीय पार्टी है. उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य है कि विपक्ष ऐसे नेता को चुने जो संविधान की रक्षा कर सके. राहुल गांधी भी यह नेता हो सकते हैं. राहुल गांधी को एक मजबूत महागठबंधन बनाने के लिए सभी गैर-बीजेपी दलों को एकजुट करना होगा.

आरजेडी नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री का पद मुख्य मुद्दा नहीं है और देश के लिए बहुत से वास्तविक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी राहुल गांधी का पुरजोर समर्थन करते रहे हैं और आरजेडी लंबे समय से कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है.

सरकार को पूर्वाग्रही चैनलों की पहचान करनि चाहिए: महबूबा

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर घाटी में 30 से ज्यादा टीवी चैनलों पर पाबंदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए रविवार को कहा कि इसकी बजाय सरकार को ऐसे ‘पूर्वाग्रही’ चैनलों की पहचान करनी चाहिए जो ‘तनाव भड़काने के लिए’ गलत बातें प्रसारित करते हैं.

सरकार ने घाटी में पाकिस्तान और सऊदी अरब के 30 से ज्यादा चैनलों पर पाबंदी लगा दी है. उसकी दलील है कि व्यापक जनहित में और अमन – चैन कायम करने के लिए केबल ऑपरेटरों को ऐसे टीवी चैनलों को दिखाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अनुमति प्राप्त नहीं है.

महबूबा ने ट्वीट किया, ‘जम्मू – कश्मीर में शांति के लिए खतरा होने की दलील देकर 30 से ज्यादा टीवी चैनलों पर हाल में लगाई गई पाबंदी सवाल उठाने लायक है.’

उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा कदम उठाने की बजाय ऐसे ‘पूर्वाग्रही’ चैनलों की पहचान करनी चाहिए जो देश में तनाव भड़काने और ध्रुवीकरण करने की मंशा से गलत बातें दिखाते हैं.

शिवसेना से नाराज शाह ने ली अलग राह


शाह ने कहा कि सभी सीटों पर ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि तीनों पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस व एनसीपी के एक साथ लड़ने पर भी चुनाव बीजेपी जीते


बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने महाराष्‍ट्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को 2019 का लोकसभा चुनाव शिवसेना के बिना लड़ने की तैयारी करने को कहा है. उन्‍होंने महाराष्ट्र के बीजेपी कार्यकर्ताओं को सभी 48 लोकसभा और 288 विधानसभा सीटों पर अकेले लड़ने के लिए संगठन मजबूत करने के निर्देश दिए. शाह ने कहा कि सभी सीटों पर ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि तीनों पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस व एनसीपी के एक साथ लड़ने पर भी चुनाव बीजेपी जीते.

शिवसेना से नाराज हैं शाह

अमित शाह अविश्‍वास प्रस्‍ताव के दौरान शिवसेना के बर्ताव से नाराज हैं. बता दें कि शिवसेना ने पहले तो प्रस्‍ताव के विरोध में वोट करने के लिए व्हिप जारी किया था लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया था. बाद में शिवसेना की तरफ से राहुल गांधी के भाषण की तारीफ भी की गई थी. इसने भी बीजेपी आलाकमान को नाराज किया है.

शिवसेना वर्तमान में महाराष्‍ट्र और केंद्र में बीजेपी के साथ है. इसके अलावा बृहन्‍मुंबई नगरपालिका (बीएमसी) में शिवसेना को बीजेपी ने समर्थन दिया है. इसके बावजूद शिवसेना लगातार केंद्र और राज्‍य की बीजेपी सरकार को निशाने पर लेती रही है. इसके चलते दोनों दलों के बीच दूरियां आ रही हैं. बीजेपी अध्‍यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं को 23 सूत्री कार्यक्रम के तहत काम करने को कहा है.

 

–  ऑनलाइन जुड़ने वाले कार्यकर्ताओ को सक्रिय किया जाए.

–  एक बूथ 25 यूथ के फॉर्मूले पर काम हो.

–  हर बूथ से बाइक रखने वाले पांच लोगों को जोड़ा जाए.

–  हर बूथ के मंदिर की लिस्ट, उनके ट्रस्टी और पुजारी का नंबर और डिटेल्स इकट्ठी की जाए.

–  हर बूथ में मस्जिदो की लिस्ट बनाई जाए.

–  किसी भी तरीके के लाभार्थियों की लिस्ट और डिटेल्‍स लाई जाए.

–  तीनों पार्टियो के एक होने पर भी 51 फीसदी मतदान बीजेपी को कराने का लक्ष्‍य दिया.

–  अपने-अपने इलाके में सभी से लगातार संपर्क रखा जाए.

–  मुद्रा बैंक से ज्यादा से ज्यादा लोन दिलाने की कोशिश हो.

–  हर बूथ में 10 एससी, 10 एसटी, 10 ओबीसी कार्यकर्ता जोड़े जाए.

–  प्रत्‍येक पांच घरों के लिए एक बीजेपी कार्यकर्ता तय हो.

–  अन्य पार्टियों की जानकारी निकाली जाए.

–  विपक्षी पार्टियों के नाराज कार्यकर्ताओं की लिस्ट बनाकर उनसे संपर्क साधा जाए.

–  विधायक जनता के बीच जाकर काम करें.

–  विस्तारकों को ऑनलाइन रिपोर्ट देनी होगी, उनके लिए अलग मोबाइल ऐप है.

–  विस्तारक सरकार की तरफ से किसी को भी काम कराने का आश्वासन न दें.

मुठभेड़स्थल से 3 आतंकियों के शव और 3 हथियार बरामद हुए, मुठभेड़ अभी भी जारी


सुरक्षाबलों ने 24 घंटे के अंदर तीनों आतंकवादियों को ढेर कर पुलिस कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह की हत्या का बदला ले लिया है


जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 3 आतंकवादियों को ढेर कर दिया है. मारे गए तीनों आतंकियों के शनिवार को पुलिस कॉन्स्टेबल सलीम शाह के अपहरण और हत्या में शामिल होने की बात कही जा रही है.

मुठभेड़स्थल से 3 आतंकियों के शव और 3 हथियार बरामद हुए हैं. सूत्रों के अनुसार यह मुठभेड़ अभी भी जारी है.


Kulgam encounter: Three terrorists have been gunned down by security forces. Three weapons also recovered. (visuals deferred)


पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों के यहां मौजूद होने की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षाबलों में कुलगाम जिले के खुदवानी इलाके में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था. उन्होंने बताया कि इस दौरान छिपे आतंकियों के सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी जिसपर जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की.

इससे पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसपी वैद्य ने ट्वीट कर बताया कि जिस आतंकवादी गुट ने हमारे साथी मोहम्मद सलीम की कुलगाम में बर्बरता से हत्या कर दी थी, उन सभी आतंकियों को हमने घेर लिया है.


Shesh Paul Vaid

बता दें कि हिज्बुल आतंकियों ने शुक्रवार को कुलगाम जिले से कॉन्स्टेबल मोहम्मद सलीम शाह को उनके घर से अगवा कर लिया था, इसके अगले दिन यानी शनिवार शाम उनका शव बरामद किया गया था.

सलीम शाह छुट्टी पर यहां अपने घर आए हुए थे जब उनका अपहरण कर लिया गया.

कश्मीर घाटी में आतंकवादी बीते 2 महीने में अब तक 3 जवानों का अपहरण के बाद उनकी हत्या कर चुके हैं.

 

जुमलेबाजी बन कर रह गया अविश्वास प्रस्ताव


देश की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिनिधि लोकसभा में 27वें अविश्वास प्रस्ताव पर जो बहस हुई वह अधिकतर पुरानी बातों का दोहराव बन कर रह गई


अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में 20 जुलाई को पक्ष और विपक्ष के बीच हुई बहस में सरकारी कामकाज अथवा नेताओं की कार्यशैली पर तो जुमलेबाजी होनी प्रत्याशित थी मगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एनडीए सरकार के विरुद्ध असरदार भाषण देने के बाद अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘जादू की झप्पी’ देकर सदन में नई परिपाटी डाल दी. यह बात दीगर है कि संसदीय विमर्श में नई लकीर डालने की राहुल की यह स्वत:स्फूर्त कोशिश राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की शिकार हो गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और बीजेपी के अन्य नेताओं ने जहां राहुल की आलोचना की वहीं कांग्रेसियों ने उनकी सराहना की. यह बात दीगर है कि राहुल ने अपने चीफ व्हिप ज्योतिरादित्य सिंधिया से बातचीत के दौरान जो ‘आंख मारने’ का इशारा किया उससे भी उनकी पहल हल्की पड़ गई. हालांकि ऐसा इशारा राहुल एकाध बार अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कर चुके हैं. लेकिन संसदीय विमर्श के पुराने जानकारों की राय में लोकसभा में बहस का स्तर नीतिगत अथवा प्रखरता पूर्ण भाषणों के बजाए निरंतर व्यक्तिगत और दलगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित होता जा रहा है.

देश की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिनिधि लोकसभा में 27वें अविश्वास प्रस्ताव पर जो बहस हुई वह अधिकतर पुरानी बातों का दोहराव बन कर रह गई. साथ ही एनडीए सरकार ने 199 मतों के भारी अंतर से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज भी कर दिया. इससे 15 साल पहले 2003 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष का स्कोर 186 रहा था जो शुक्रवार के 126 के उसके स्कोर से कहीं बेहतर था.

शुक्रवार की बहस में नई बात बस कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अपने भाषण में राफेल लड़ाकू विमानों के खरीद समझौते पर फ्रांस के राष्ट्रपति से अपनी बातचीत के हवाले से रक्षा मंत्री पर ‘असत्य’ बोलने का आरोप ही रहा. हालांकि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल के आरोप का भारत और फ्रांस की सरकार के बीच राफेल खरीद पर 2008 में हुए गुप्तता संबंधी समझौते की प्रति दिखाकर तत्काल प्रतिवाद भी कर दिया.

दिन भर चली बहस के दौरान राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के अलावा तेलगु देशम पार्टी के जयदेव गाला, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, सीपीएम के मोहम्मद सलीम, एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी आदि नेताओं ने भी अपने तर्कों से मोदी सरकार की खामियां गिनाने और सदन को और उसके बाहर अपने वोट बैंक को प्रभावित करने की भरपूर कोशिश की.

इस अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस ने हालांकि मोदी से पहले तक देश की सबसे विवादित प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष के ऐसे ही प्रस्तावों पर हुए भाषणों को याद करा दिया. राहुल सहित विपक्षी नेताओं ने जैसे प्रधानमंत्री मोदी पर देश में नफरत फैलाने, मनमानी करने और अपने वादे पूरे करने में कोताही का आरोप लगाया वैसे ही आरोप इंदिरा गांधी पर भी तत्कालीन विपक्षी नेता लगाते थे. उन पर सबसे बड़ा आरोप तो ‘गरीबी हटाओ’ के नारे पर अमल में कोताही का लगता था. उसके अलावा तानाशाही, संजय गांधी के सरकार में अनधिकृत दखल और उनकी मारुति कार परियोजना सहित अनेक अन्य कथित घोटालों के आरोप भी इंदिरा गांधी को झेलने पड़ते थे.

इंदिरा के खिलाफ मोर्चा संभालने वालों में राम मनोहर लोहिया, एन जी गोरे, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीज, ज्योतिर्मय बसु, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, मधु लिमये, मधु दंडवते, पीलू मोदी, अशोक मेहता, चंद्रशेखर, रामधन आदि नेता प्रमुख रहे. लोहिया ने ही इंदिरा गांधी को सदन में ‘गूंगी गुड़िया’ कह कर उनकी कमियां गिनाई थीं. इसकी वजह यह थी कि 1966 में इंदिरा गांधी को जब कांग्रेसी दिग्गजों के सिंडीकेट ने प्रधानमंत्री चुना तो सदन में बोलने के समय घबराहट के मारे उनके हाथ कांपते थे और जुबान तालू से चिपक जाती थी. अपने सामने लोहिया, वाजपेयी, ज्योतिर्मय बसु, एन जी गोरे, अशोक मेहता आदि जैसे कद्दावर विपक्षी नेताओं को देख कर संसदीय अनुभव के लिहाज से नौसिखिया इंदिरा के लिए ऐसा होना शायद स्वाभाविक भी था. फिर भी बार—बार कुल 15 अविश्वास प्रस्ताव झेलने वाली इंदिरा गांधी की सरकार एक बार नहीं गिरी.

गौरवशाली संसदीय इतिहास

गनीमत यह रही कि इंदिरा गांधी के समय तक पक्ष और विपक्ष में ऐसे नेता मौजूद थे जो विरोधियों की निजी कमियों के बजाए अधिकतर नीतिगत मुद्दों पर सदन में अपनी बात रखते थे जिनमें वैचारिक और विद्वत्तापूर्ण तत्व भी होते थे. भारत की संसद का इतिहास यूं भी बेहद गौरवशाली रहा है. हमारी संसद में डॉ बी आर अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, महावीर त्यागी, डॉ सुशीला नैयर, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, आर आर दिवाकर, आचार्य जे बी कृपलानी, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सी डी देशमुख, अशोक सेन, भूपेश गुप्त, ज्योतिर्मय बसु, हीरेन मुखर्जी, अशोक मेहता, बलराज मधोक, पीलू मोदी, राजनारायण, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, हरेकृष्ण महताब, बीजू पटनायक, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ मुरली मनोहर जोशी जैसे प्रखर प्रवक्ता रहे हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. बाद में वाजपेयी जब खुद प्रधानमंत्री बने तो उन्हें भी एक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. इससे पहले दो बार विश्वास प्रस्ताव में वो सरकार नहीं बचा पाए लेकिन 2003 में विपक्ष को उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव में निर्णायक मात दे दी थी. इस अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में उन्होंने विपक्षी कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी के भाषण में अपनी सरकार की नाकामी गिनाने वाले जुमलों पर कड़ा एतराज जताया था. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने श्रीमती सोनिया जी का भाषण पढ़ा, तो दंग रह गया. उन्होंने एक ही पैरा में सारे शब्द इकट्ठे कर दिए और बीजेपी की अगुआई वाली सरकार को नाकाबिल, संवेदनहीन, गैर-जिम्मेदार और बड़ी ढिठाई से भ्रष्ट ठहरा दिया.’ उन्होंने पूछा था, ‘राजनीति में जो कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं, उनके बारे में आपका ये मूल्यांकन है. मतभेदों को प्रकट करने का ये कैसा तरीका है.’

UNDATED FILE PHOTO: India’s Prime minister Atal Bihari Vajpayee and President of Congress(I) Sonia Gandhi speak with each other during a function in New Delhi on April 29,1998. (photo by T.C.Malhotra)

उन्होंने सोनिया गांधी के सरकार पर जनादेश को धोखा देने के आरोप पर भी एतराज किया था. उन्होंने पूछा था कि आपको जज किसने बनाया? उन्होंने कहा था कि सभ्य तरीके से लड़िए, इस देश की मर्यादाओं का ध्यान रखिए. गाली से देश की समस्या का समाधान नहीं होगा.

इस मायने में अलग रहा अविश्वास प्रस्ताव पर बहस

बहरहाल शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सरकार की ओर से सबसे दमदार भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा अपनी आलोचना में कहे गए एक-एक मुद्दे का जी भर कर प्रतिवाद किया. डेढ़ घंटे लंबा उनका भाषण इस मायने में अलग रहा कि उसकी अधिकतर इबारत उन्होंने पढ़ कर बोली. साथ ही राहुल गांधी द्वारा अपने गले लगने को भी उन्होंने नहीं बख्शा. उन्होंने पूछा कि कांग्रेस के नेता को यह कुर्सी हथियाने की इतनी भी क्या जल्दी है? उनके अनुसार देश के 125 करोड़ लोग ही यह तय करेंगे कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा?

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल की ‘झप्पी’ को ‘संसद में चिपको आंदोलन की शुरुआत’ बताया. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘सदन की अपनी गरिमा है और वे प्रधानमंत्री है. हमें सदन की गरिमा का पालन करना चाहिए. मुझे लगा कि कोई नाटक हो रहा है.’ हालांकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने राहुल गांधी के भाषण और उनकी ‘झप्पी’ को नई शुरुआत बताया.

तेलगु देशम पार्टी के सांसद जयदेव गाला ने मोदी सरकार पर आंध्र प्रदेश से अन्याय का आरोप लगाया. उनका कहना था कि हैदराबाद का विकास संयुकत आंध्र प्रदेश की जनता के पैसे से हुआ था और उसके तेलंगाना में जाने की भरपाई केंद्र को करनी थी मगर मोदी सरकार मुकर गई. उन्होंने कहा कि खनिज आदि संसाधनों के आंध्र के हाथ से निकल जाने का भी राज्य की भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने अपने भाषण में भावुक होते हुए मोदी सरकार को आंध्र की जनता का श्राप लगने का जुमला भी बोल डाला जिससे प्रधानमंत्री बेहद आहत दिखे.

प्रधानमंत्री मोदी ने हालांकि गाला के आरोपों का आंकड़ों और पुरानी घटनाओं के जिक्र के साथ जवाब देने की पूरी कोशिश की. अब देखना यही है कि राजीव गांधी द्वारा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री टी अंजैया के अपमान को तेलगु कौम की तौहीन के रूप में भुनाकर एनटी रामाराव जैसे नौसिखिया सत्ता हासिल करने में जिस प्रकार कामयाब रहे थे वैसे ही उनके दामाद ओर चतुर नेता चंद्रबाबू नायडू क्या विपक्षी गठजोड़ के चाणक्य बन कर मोदी को शिकस्त देने में कामयाब रहेंगे?jumlebaazi

वसुंधरा ही रहेंगी भाजपा की मुख्यमंत्री की उम्मीदवार


शाह ने कहा कि राजस्थान में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की परंपरा इस बार टूटने जा रही है. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे की सरकार ने राजस्थान में बहुत काम किया है


बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को प्रदेश बीजेपी कार्यसमिति की दो दिन की बैठक के समापन सत्र को संबोधित करने के लिए जयपुर पहुंचे. उन्होंने बैठक में ऐलान किया कि भावी विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ही मुख्यमंत्री की उम्मीदवार होंगी.

शाह ने इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष मदनलाल सैनी और अन्य लोगों ने सांगानेर हवाई अड्डे पर शाह की अगवानी की.

शाह के स्वागत के लिए हवाई अड्डे के बाहर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे. तोतूका भवन में शाह प्रदेश कार्यसमिति के दो दिवसीय समापन समारोह को संबोधित किया.

शाह ने कहा कि राजस्थान में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की परंपरा इस बार टूटने जा रही है. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे की सरकार ने राजस्थान में बहुत काम किया है. भामाशाह योजना, मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान और गौरव पथ जैसी कई योजनाओं को देशभर में यश मिला है.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नकारात्मक राजनीति कर अफवाहें फैलाने का काम कर रही है. यह लोकतंत्र पर अघोषित हमला है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश से अपना जुड़ाव महसूस नहीं कर सकते. कांग्रेस बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकती. कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा खत्म हो गया है. अब तो कांग्रेस में भ्रष्टाचारियों को जमघट बचा है.’

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कनार्टक जब तक नहीं जीत लेते तब तक हमारी जीत पूरी नहीं है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि हम विधानसभा चुनावों में पिछली बार से भी अधिक सीटें जीतेंगे. पिछली जीत से भी इस बार की जीत बड़ी होगी. हम लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें जीतकर एक बार फिर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाएंगे. प्रदेश की जनता कांग्रेस की चालों को समझ गई है. हमारे पास चुनाव जीतने की हर वजह मौजूद है.

एक अन्य बैठक में शाह ने जयपुर के राज मंदिर सिनेमा घर में सोशल मीडिया सेल के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में सोशल मीडिया की हमारी टीम ही बीजेपी को जीत दिलाएगी.

पीडीपी अपना घर संभालने में सक्षम नहीं हैं: भाजपा

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया था कि पीडीपी विधायकों को एनआईए के छापों की धमकी देकर पार्टी छोड़ने के लिए उकसाया जा रहा है. शनिवार को बीजेपी ने एक बयान जारी कर मुफ्ती के इन तमाम बयानों को झूठा और बेबुनियाद बताया है.

बीजेपी के प्रवक्ता का कहना है, ‘महबूबा मुफ्ती का बयान यह दिखाता है कि वह हताशा की शिकार हैं. और अब अपनी विफलता से बचने के लिए झूठ के सहारे लोगों से सहानुभूति हासिल करने की कोशिश में हैं.’

दरअसल पीडीपी अध्यक्ष ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उनके विधायकों को एनआईए के छापों की धमकी देकर पार्टी छोड़ने को कहा जा रहा है. सीधे बीजेपी का हवाला देने से बचते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने खरीद फरोख्त का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पीडीपी के कई विधायकों ने उन्हें निजी तौर पर कहा है कि उन पर पार्टी छोड़ने को लेकर भारी दबाव डाला जा रहा है.

इन बयानों पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि पीडीपी के विधायकों को एनआईए से धमकी मिलने की बात झूठी है. इसी के साथ उन्होंने पीडीपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपना घर संभालने में सक्षम नहीं हैं.

चंद्रशेखर राव, नायडू की तरह झगड़ने के बजाय अपने राज्य के विकास को तरजीह देते हैं : मोदी


तेलंगाना के सीएम की तारीफ करके मोदी ने ये सुनिश्चित कर लिया है कि 2019 में उनके पास एक संभावित सहयोगी के तौर पर टीआरएस होगी


शुक्रवार देर रात, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में अपना जवाब पूरा किया, तो, विजयवाड़ा से सांसद केसीनेनी नानी बोलने के लिए खड़े हुए. नानी ने शुरुआत में पीएम मोदी की भाषण कला की तारीफ की और कहा कि जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे, तो, उन्हें लगा कि वो एक ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फ़िल्म देख रहे हैं. लेकिन, कुछ सेकेंड के बाद ही नानी के बयान में तुर्शी नजर आ गई, जब उन्होंने कहा कि दुनिया में मोदी से बड़ा कोई अभिनेता नहीं. सत्ता पक्ष के सांसदों ने नानी के इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया.

लेकिन, फिल्मी दुनिया से प्रभावित विजयवाड़ा के सांसद नानी के आरोप में कुछ तो दम जरूर है. पीएम मोदी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के हीरो हैं. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में टीडीपी अध्यक्ष को आंध्र के विकास का विलेन ठहराने की कोशिश की थी. पीएम ने टीडीपी नेता को झगड़ालू बताया और कहा कि वो अक्सर तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस से झगड़ते रहते थे. जिसकी वजह से कई बार राज्यपाल, गृह मंत्री और खुद पीएम को ये झगड़ा शांत कराना पड़ता था.

टीडीपी की आलोचना टीआरएस की तारीफ के साथ

चंद्रबाबू नायडू के जख्मों पर और नमक डालते हुए पीएम मोदी ने टीआरस प्रमुख और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव की तारीफ की और कहा कि चंद्रशेखर राव, नायडू की तरह झगड़ने के बजाय अपने राज्य के विकास को तरजीह देते हैं. नायडू को इस बात से और भी गुस्सा आया होगा.

लेकिन, मोदी यहीं पर नहीं रुके. नायडू के साथ अकेले में हुई अपनी बातों को सार्वजनिक करते हुए पीएम ने कहा कि जब मार्च में टीडीपी ने एनडीए से बाहर जाने का फैसला किया, तो उन्होंने नायडू को आगाह किया था कि आप वायएसआर कांग्रेस के जाल में फंस रहे हैं. मोदी ने अपने भाषण के जरिए चंद्रबाबू नायडू को एक छोटे से क्षेत्रीय दल का नेता ठहरा दिया, जो अपने घरेलू मसले निपटाने के लिए झगड़ता है. मगर दावे ऐसे करता है कि वो बहुत बड़ा नेता हो और देश की बड़ी सियासी तस्वीर समझता है.

लोकसभा में पीएम मोदी ने चंद्रबाबू नायडू पर जो तीखे हमले किए उसमें एक बात सबसे अहम है, वो ये कि नायडू के साथ बीजेपी की दोस्ती गए जमाने की बात हो गई है. हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नायडू अभी भी उनके दोस्त हैं, लेकिन, पीएम के भाषण से साफ है कि नायडू के एनडीए छोड़ने को मोदी निजी दुश्मनी के तौर पर देख रहे हैं. निजी स्तर पर नायडू के राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और प्रकाश जावडेकर से रिश्ते अब भी बहुत अच्छे हैं. लेकिन अमित शाह और पीएम मोदी के साथ उनकी केमिस्ट्री गड़बड़ा गई है. और आज की तारीख में मोदी और शाह ही बीजेपी में सबसे अहम हैं.

आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने पर नायडू का यू-टर्न

पीएम मोदी के भाषण पर पहली प्रतिक्रिया में नायडू ने उन्हें अहंकारी कहा. लेकिन तल्ख हकीकत ये है कि आंध्र प्रदेश और टीडीपी, राज्य को विशेष दर्जा दिलाने की ये सियासी लड़ाई हार गए हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने पर उन्होंने यू-टर्न लिया है क्योंकि ये नायडू ही थे जिन्होंने 2016-17 में राज्य के लिए विशेष वित्तीय पैकेज को स्वीकार किया था. केवल यही नहीं, मार्च 2017 में नायडू ने आंध्र प्रदेश विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पेश किया था जिसमें इस पैकेज के लिए आंध्र प्रदेश की जनता की तरफ से केंद्र को दिल से शुक्रिया कहा गया. इस प्रस्ताव में साफ लिखा था कि भले ही नाम अलग हो, लेकिन ये पैकेज असल में राज्य के लिए विशेष दर्जे जैसा ही है. उस वक्त नायडू के प्रचारकों ने इसे जोर-शोर से आंध्र प्रदेश की जनता और नायडू की जीत के तौर पर पेश किया था. बल्कि, लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करने वाले टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला ने मार्च 2017 में कहा था कि, ‘स्पेशल पैकेज विशेष राज्य के दर्जे से बेहतर है’. गुंटूर से सांसद गल्ला अब कह रहे हैं कि, ‘मेरे लिए विशेष दर्जा ही सब कुछ है’. ये आला दर्जे का सियासी दोगलापन है.

 

पीएम ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा न देने के लिए वित्तीय आयोग की सिफारिशों का बहाना बनाया. मोदी ने कहा कि उत्तर-पूर्व के राज्यों और पहाड़ी इलाकों के सिवा किसी और राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता. चंद्रबाबू नायडू इसे सरासर झूठा दावा कहते हैं. सच तो ये है कि अगर आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस दिया जाता, तो केंद्र सरकार को तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे आंध्र प्रदेश के पड़ोसी राज्यों का विरोध झेलना पड़ता. क्योंकि तब इन राज्यों को लगता कि निवेशकों को रिझाने में आंध्र प्रदेश उनसे आगे निकल जाता.

2019 के लिए बड़ी दूर का पासा है टीआरएस का नाम लेना

बीजेपी की रणनीति साफ है. वो चंद्रबाबू नायडू पर दबाव बनाए रखना चाहती है. इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस और पवन कल्याण उसके मददगार हैं. खास तौर से अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण के तीखे हमलों से नायडू को शक है कि वो बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं.

आंध्र प्रदेश के सियासी मैदान में जो तस्वीर बन रही है, उसमें नायडू के मुकाबले बीजेपी, वाईएसआर कांग्रेस और पवन कल्याण की जनसेना का मोर्चा बनता दिख रहा है. इस मुकाबले में नायडू तभी जीत सकते हैं, जब उनके खिलाफ इस तिकड़ी के वोट बंटें. अगर ये तीनों आपसी तालमेल से नायडू का मुकाबला करने की ठानते हैं, तो टीडीपी के लिए चुनौती बहुत बड़ी होगी. दूसरी तरफ टी़डीपी, कांग्रेस के साथ नहीं जा सकती, क्योंकि आंध्र की जनता उसे राज्य के बंटवारे का विलेन मानती है. हालांकि कांग्रेस ने वादा किया है कि वो सत्ता में आई तो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी.

हालांकि मोदी का नायडू के दावों को झूठा साबित करना सिक्के का एक ही पहलू है. पीएम ने जिस तरह से इशारों में चंद्रशेखर राव की तारीफ की, उससे 2019 में हम नई तस्वीर देख सकते हैं. तेलंगाना के सीएम की तारीफ करके मोदी ने ये सुनिश्चित कर लिया है कि अगर 2019 में वो बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से दूर रहते हैं, तो उनके पास एक संभावित सहयोगी के तौर पर टीआरएस होगी. आखिर चंद्रशेखर राव को लुभाने के लिए इससे अच्छा दांव क्या हो सकता है कि उन्हें अपने दुश्मन चंद्रबाबू नायडू से बेहतर नेता बताया जाए.

जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं वे कभी अज्ञानता, झूठ और कलाबाजी को मिश्रित नहीं करते हैं:जेटली


जेटली ने लिखा, ‘राहुल ने बार-बार ये दर्शाया है कि वे तथ्यों से अनजान हैं. लागत बताने का मतलब होता है कि विमान में मौजूद हथियारों की भी जानकारी देना.’


लोकसभा में शुक्रवार को मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा है. शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र पर संविधान बदलने से लेकर जीएसटी पर आरोप लगाए थे. अरुण जेटली ने फेसबुक पर ब्लॉग लिखकर इन सभी आरोपों पर जवाब दिया है.

जेटली ने लिखा, ‘अगर कोई प्रतिभागी (राहुल गांधी) जो एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का अध्यक्ष भी है (जो प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखता है), तो उसका बोला हुआ हर एक शब्द मूल्यवान होना चाहिए. उनके तथ्यों में विश्वसनीयता और सत्यता होनी चाहिए. बहस महत्वहीन नहीं होनी चाहिए.’ राहुल का घेराव करते हुए जेटली ने आगे कहा कि जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं वे कभी अज्ञानता, झूठ और कलाबाजी को मिश्रित नहीं करते हैं.

जितना ज्यादा ‘दल-दल’ होगा, उतना खिलेगा कमल- शाहजहांपुर में PM मोदी ने विपक्ष पर किए ये प्रहार

अरुण जेटली ने लिखा, ‘अफसोस की बात है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने एक महान अवसर खो दिया है. अगर 2019 के लिए यह उनकी अबतक की सबसे अच्छी बहस थी, तो भगवान उनकी पार्टी (कांग्रेस) की मदद करे.’ जेटली ने कहा कि उनकी समझ की कमी न केवल बुनियादी मुद्दों तक ही सीमित है, बल्कि प्रोटोकॉल की जानकारी भी सीमित है.


Rahul Gandhi, by concocting a conversation with President Macron, has lowered his own credibility&seriously hurt the image of an Indian politician before the world at large. Not to be aware of the fact that UPA Government Minister had signed the secrecy pact is not understandable


जेटली ने आगे लिखा, ‘उन्होंने कहा कि किसी को भी कभी भी सरकार के मुखिया या राज्य के मुखिया के साथ हुई बातचीत को गलत नहीं ठहराना चाहिए. अगर कोई ऐसा कहता है, तो गंभीर लोग आपसे बात करने या आपकी उपस्थिति में बोलने के लिए अनिच्छुक होंगे.’

PM मोदी का राहुल पर तंज, कहा- ‘अविश्वास प्रस्ताव का कारण नहीं बता पाए तो गले पड़ गए’

केंद्रीय मंत्री ने ब्लॉग में लिखा, ‘सदन में राफेल का मुद्दा उठाने के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो से मुलाकात का भी जिक्र किया. इसको राहुल गांधी ने राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बातचीत करके अपनी विश्वसनीयता कम की है. दुनिया भर में एक भारतीय राजनेता की छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है.’


Hallucinations can give momentary pleasure to a person. Therefore, to hallucinate after an embarrassing performance that he has won future election or to hallucinate that he is the reincarnation of Mark Antony may give him self-satisfaction but– in fact it is a serious problem.


जेटली ने लिखा, ‘ये नहीं भूलना चाहिए कि यूपीए सरकार के मंत्री ने गोपनीयता समझौते पर साइन किए. राहुल गांधी अब डॉक्टर मनमोहन सिंह को शर्मिंदा करना चाहते हैं, जो इस बातचीत के गवाह हैं.’

जेटली ने लिखा, ‘राहुल ने बार-बार ये दर्शाया है कि वे तथ्यों से अनजान हैं. लागत बताने का मतलब होता है कि विमान में मौजूद हथियारों की भी जानकारी देना.’

उन्होंने जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा कि क्या वह इस तथ्य से अनजान हैं कि यूपीए ने जीएसटी संशोधन का प्रस्ताव दिया था? जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम उत्पादों को शामिल नहीं किया गया? यह केवल एनडीए सरकार है जो जीएसटी परिषद द्वारा सहमत होने के बाद जीएसटी लेकर आई.

बार-बार चीख कर आप देश को गुमराह करने का काम कर रहे हो : मोदी


पीएम मोदी ने राहुल गांधी के राफेल डील पर लगाए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि मैं कल्पना नहीं कर सकता कि सत्य को इस प्रकार से रौंदा जाता है. बार-बार चीख कर आप देश को गुमराह करने का काम कर रहे हो.


संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने विपक्ष के आरोपों पर पलटवार किया है. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा लगाए गए आरोपों पर पीएम मोदी ने कहा कि वो सबसे सवालों का एक-एक करके जवाब देंगे. तंज कसते हुए पीएम ने कहा कि परेशान न हों, सभी का सम्मान किया जाएगा.

पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें-

1. पीएम ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि जितना अविश्वास कांग्रेस सरकार पर करती है कम से कम उतना विश्वास अपने संभावित साथियों पर तो करे. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हमारे पास संख्याबल है. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि 125 करोड़ देशवासियों का हमारे पास आशीर्वाद है.

2. पीएम ने कहा कि सबका साथ सबका विकास के मंत्र को लेकर हम चले और हमारी सरकार 18 हजार गांवों में बिजली लेकर पहुंची. ये काम पहले भी सरकारें कर सकती थीं लेकिन उन्होंने नहीं किया.

3. उज्जवाल योजना का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 4.5 करोड़ माताओं-बहनों को धुंआ मुक्त और विश्वास जगाने का काम हमने किया है. ये वो लोग थे जो 9 या 12 सिलेंडर में ही खोए हुए थे. बीते दो सालों में 5 करोड़ देशवासी गरीबी से बाहर आए.

4. पीएम मोदी ने किसानों की आय का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने की दिशा में काम कर रहे हैं. 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके 99 सिंचाई योजनाओं को पूरा करने का हम काम कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को कोई विश्वास नहीं है.

5. पीएम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में एलईडी बल्ब 450-500 रुपए में बिकता था. अब 45 रुपए में एलईडी बल्ब मिलता है. कांग्रेस के दौर में मोबाइल बनाने वाली कंपनियां दो थीं, आज मोबाइल बनाने वाली 120 कंपनियां हैं. लेकिन कांग्रेस का विश्वास काम नहीं कर रहा है.

6. पीएम ने स्टार्ट-अप को मोदी सरकार की उपलब्धि बताते हुए कहा कि आज 10 हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप हमारे युवा चला रहे हैं. जब हम डिजिटल लेनदेन की बात करते थे तो विपक्ष ने इसका भी विरोध किया था. जो लोग इस प्रकार से जनता की ताकत को कम आंकते थे. उनको जनता ने करारा जवाब दिया है. एक महीने में 41 करोड़ रुपए का लेनदेन देश की जनता ने किया है.

7. पीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की. इससे गरीबों को अच्छा स्वास्थ्य लाभ मिला.

8. भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में पीएम ने कहा कि 5 मिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की तरफ देश बढ़ गया है. मैं जानता हूं इसके कारण कैसे-कैसे लोगों को परेशानी हो रही है. हमने टेक्नोलॉजी का उपयोग किया और सरकारी खजाने से निकले रुपए रोकने का काम हमने किया है.

9. काले धन पर राहुल के आरोपों पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अबतक 4-4.5 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति बेनामी संपत्ति के रूप में जब्त कर ली गई है. जो खुद पर विश्वास नहीं कर सकते वो हम विश्वास क्या करें.

10. पीएम ने कांग्रेस को अविश्वासी बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को खुदपर अविश्वास है. ये लोग अविश्वास से घिरे हुए हैं. इनको विश्वास नहीं है- स्वच्छ भारत, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, मुख्य न्यायधीश, आरबीआई किसी पर भी कांग्रेस को विश्वास नहीं है.

11. पीएम ने कहा कि जब भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार होने लगा तो कांग्रेस को परेशानी होनी स्वभाविक थी. जब कोर्ट कचहरी में उन्हें भी पेश होना पड़ा तो उन्हें भी तकलीफ होने लगी. आजकल शिव भक्ति की बातें हो रही हैं. मैं भी भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं. आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में आप फिर से अविश्वास प्रस्ताव दे आएं. मेरी आपको शुभकामनाएं.

12. पीएम मोदी ने राहुल गांधी के राफेल डील पर लगाए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि मैं कल्पना नहीं कर सकता कि सत्य को इस प्रकार से रौंदा जाता है. बार-बार चीख कर आप देश को गुमराह करने का काम कर रहे हो. ये देश कभी ऐसे लोगों को माफ नहीं करेगा. यह दुखद है कि इस सदन में लगाए गए आरोप पर दोनों देश को खंडन करना पड़ा. ऐसी बचकाना हरकत हम करते रहेंगे क्या? देश की जनता भली-भांति जानती है कि अब सुधरने का मौका है. राजनीति का स्तर देशहित में नहीं है. मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि ये समझौता दो जिम्मेदार सरकारों के बीच में हुआ और पूरी पारदर्शिता के बीच हुआ है.

13. पीएम ने देश के सैनिकों का हवाला देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आपको गालियां देनी है तो मोदी मौजूद है, जो देश के जवान मर मिटने के लिए निकले हैं उन्हें गाली देने का आपको कोई अधिकार नहीं है.

14. पीएम ने कहा कि मैं इस सदन को याद कराना चाहता हूं कि 1999 में राष्ट्रपति भवन के सामने खड़े होकर दावा किया गया था कि हमारे पास 272 की संख्या है. अटल जी की सरकार को सिर्फ एक वोट से गिरा दिया, लेकिन खुद जो वादा किया था वो खोखला निकला.

15. पीएम ने कांग्रेस द्वारा अपमानित किए गए नेताओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह जैसे एक किसान का अपमान किया गया. पहले संयोग की रस्सी फेंको और फिर उसे धोखे से वापस खींच लो. पहले देवगौड़ा जी को अपमानित किया गया और फिर इंद्र कुमार गुजराल जी की बारी आई. कौन भूल सकता है कि कांग्रेस ने इनके साथ क्या किया.

16. राहुल के आंख में आंख डालने वाले मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा कि हम कौन होते हैं जो आपकी आंख में आंख डाल सकें. एक गरीब मां का बेटा, पिछड़े समाज से आया हुआ कैसे आपकी आंख में आंख डाल सकता है. इतिहास गवाह है सुभाषचंद्र बोस, मोरारजी देसाई, जे.पी के साथ कांग्रेस ने क्या किया. चौधरी चरण सिंह के साथ कांग्रेस ने क्या किया. सरदार पटेल के साथ क्या किया. प्रणब मुखर्जी ने आंख में आंख डालने की कोशिश की तो क्या किया गया. शरद पवार ने आंख में आंख डाली तो क्या किया आपने. हम तो कामगार हैं, नामदार के साथ आंख में आंख कैसे डाल सकते हैं.

17. राहुल के भागीदार कहने पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज सदन में कहा गया कि आप चौकीदार नहीं भागीदार हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं गर्व से कहता हूं मैं चौंकीदार भी हूं, भागीदार भी हूं, लेकिन सौदागर नहीं हूं.

18. बाबा साहब का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बार-बार बाबा साहेब की राजनीति का मजाक उड़ाने वाले लोग आज उनके गुण गाने लगे हैं. हमें लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने की बात करते हैं, जबकि मुख्यमंत्री पसंद नहीं आने पर उसे हटाने का काम कांग्रेस ने शुरू किया था.

19. कांग्रेस पर हमलावर रुख अपनाते हुए पीएम ने कहा कि कांग्रेस के अंदर बहुत अहंकार भरा है, ये लोग हमें कैसे स्वीकार कर सकते हैं. कांग्रेस जमीन से कट चुकी है. ये खुद तो डूब रही है साथ में सबको लेकर डूब रही है.

20. पीएम ने कहा कि 18 साल पहले अटली जी की सरकार ने तीन राज्यों का गठन किया- उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़. तीनों राज्य शांति से प्रगति कर रहे हैं. लेकिन राजनीतिक लाभ पाने के लिए आपने आंध्र और तेलंगाना का गठन किया. उस समय मैंने कहा था तेलुगू हमारी मां है.

21. पीएम ने विभाजन का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि आपने भारत-पाकिस्तान का विभाजन किया. आज भी यही मुसीबत झेल रहे हैं. चंद्रबाबू का और हमारे तेलंगाना का सीएम का केसीआर का बंटवारे को लेकर झगड़ा चल रहा था. संसाधनों का विभाजन आज भी चल रहा है.

22. मॉब लिंचिंग पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राज्य सरकारें इस पर कार्रवाई करें. उन्होंने कहा कि हम इस मसले पर राज्यों की हरसंभव मदद करने के लिए तत्पर हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि हमने महिलाओं का सस्मान बढ़ाया है.