न्यायमूर्ति जोसफ की नियुक्ति पर सरकार के रवैये से कई जज परेशान


सरकार ने विपक्ष के उन आरोपों का भी खंडन कर दिया जिसमें कहा गया था कि जस्टिस जोसेफ को 2016 के फैसले की वजह से टॉरगेट किया जा रहा है


सुप्रीम कोर्ट के कई जज सरकार से परेशान हैं क्योंकि सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना में उनकी वरिष्ठता में बदलाव किया है. एनडीटीवी के मुताबिक जज योजना बना रहे हैं कि वह चीफ जस्टिस दीपक मिश्र से मुलाकात करके केंद्र द्वारा किए जा रहे हस्तक्षेप पर शिकायत दर्ज कराएंगे.

सरकार की अधिसूचना के मुताबिक जस्टिस जोसेफ को जस्टिल इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन से निचले पद पर रखा गया है. एक जज ने कहा कि यह केंद्र सरकार का बहुत गहरा दखल है, जस्टिस जोसेफ का नाम पहले भेजा गया था और उनका नाम अधिसूचना में सबसे पहले होना चाहिए. लेकिन जस्टिस जोसेफ का नाम तीसरे स्थान पर रखा गया और उन्हें बाकी दो जजों से जूनियर बनाया जा रहा है. जबकि जस्टिस इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन का नाम जस्टिस जोसेफ के बाद भेजा गया था.

कोलेजियम ने जनवरी में एक स्लॉट के लिए जस्टिस जोसेफ का नाम दिया था, लेकिन सरकार ने अन्य राज्यों, विशेष रूप से केरल से शीर्ष अदालत में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का हवाला देते हुए इस विकल्प पर सवाल उठाया. सरकार ने विपक्ष के उन आरोपों का भी खंडन कर दिया जिसमें कहा गया था कि जस्टिस जोसेफ को 2016 के फैसले की वजह से टॉरगेट किया जा रहा है, इस फैसले ने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया था और कांग्रेस को सत्ता में रहने में मदद की थी.

बता दें कि कोलेजियम के रिटायर होने के बाद जस्टिस जोसेफ के नाम को सरकार ने स्वीकार कर लिया था. तीनों जज (जस्टिस इंदिरा बनर्जी, विनीत सरन और केएम जोसेफ) मंगलवार को शपथ ले सकते हैं.


 

उद्योग मंत्री विपुल गोयल की विधानसभा में शुरू हुआ स्मार्ट सिटी का पहला बड़ा प्रोजेक्ट


फरीदाबाद :

स्मार्ट सिटी फरीदाबाद के निर्माण के लिए पहले बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरु हो गया है। फरीदाबाद विधानसभा की संत नगर कॉलोनी में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 10 करोड़ के विकास कार्यों का शिलान्यास किया।

स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों का विवरण इस प्रकार है –

1- मीठे पीने का पानी का 15/15 मीटर का टैंक बनाया जाएगा।
2-  घरों को रेनीवेल का मीठा पानी मिल सकेगा इसके लिए 16A बूस्टर से लाइन बिछाई जाएगी।
3 – संत नगर के चारों तरफ सीमेंटेड रोड बनाई जाएगी
4- संत नगर को नालियों से छुटकारा मिल सके इसके लिए यहां पर सीवर लाइन डाली जाएगी।
5-  संत नगर में स्कूल को बड़ा बनाया जाएगा और स्कूल को अपग्रेड किया जाएगा।
6- एक सामुदायिक भवन बनाया जाएगा।
7- संत नगर के चारो तरफ नए 4 बड़े ट्यूबेल लगाए जाएंगे।
8 – संत नगर की चार प्रमुख नए द्वार बनाये जायेगे ।
9 – संत नगर में सभी खम्भों पर एलईडी लाइट लगाई जाएंगी ।

10- सीवर लाइन के बाद सड़क निर्माण का कार्य किया जाएगा।
11 – सभी घरों पर नए नंबर लिखे जाएंगे
12 – दो नए बिजली के ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे।
13 – नया और बडा छठ घाट बनाया जाएगा।
14-  जिन गलियो में बिजली नही है वहां पर नए खम्भे लगाए जाएंगे।
15-  जिन गलियों में सीवर नही डल सकेगी ,उन में नालियां बनाई जाएगी ।

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा की स्मार्ट सिटी का पहला प्रोजेक्ट झुग्गी बस्ती में शुरू हो रहा है यह दिखाता है कि बीजेपी सरकार की पहली प्राथमिकता गरीब और पिछड़ों का विकास करना है। उन्होंने कहा की पिछले 4 साल में बीजेपी सरकार ने फरीदाबाद को फिर से विकास के पथ पर अग्रसर किया है । वहीं उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने इस मौके पर कहा कि उन्हें खुशी है कि स्मार्ट सिटी का पहला बड़ा प्रोजेक्ट उनकी विधानसभा में अंतिम छोर पर खड़े व्यक्तियों के लिए शुरू किया गया है जहां सुविधाओं का अबतक अभाव रहा है। विपुल गोयल ने कहा कि फरीदाबाद में आज सेक्टरों ,कॉलोनियों और गांव में एक समान विकास कार्य जारी है और पिछले 4 साल में सरकार ने जितना काम किया है उतना 40 साल में भी नहीं हुआ।
विपुल गोयल ने कहा कि जो लोग लोगों को शौचालय, मीठा पानी सीवर और सड़क जैसी सुविधाएं भी नहीं दे पाए तो किस बात का नंबर वन हरियाणा था । ऐसे लोग कैसे 4 साल में हम से हिसाब मांग सकते हैं।

उन्होंने कहा कि फरीदाबाद का नाम स्मार्ट सिटी में आया है तो हमारा मकसद ऐसी स्मार्ट सिटी बनाने का नहीं है,जिसमें कुछ एरिया स्मार्ट हो, बल्कि समूचा फरीदाबाद स्मार्ट सिटी के तहत विकसित हो सकें इसके लिए बीजेपी सरकार प्रतिबद्ध है और हर आदमी की विकास में भागीदारी होगी तभी फरीदाबाद स्मार्ट सिटी बन पाएगा। विपुल गोयल ने इस मौके पर स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अधिकारियों से प्रोजेक्ट को रफ्तार के साथ समय से पूरा करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि संत नगर में तंग गलियां है, इसीलिए लोगों को ज्यादा परेशानी ना हो इसके लिए समय से सारे प्रोजेक्ट पूरा करना जरूरी है। इस मौके पर फरीदाबाद नगर निगम की मेयर सुमन बाला, स्थानीय पार्षद छत्रपाल, पार्षद नरेश नंबरदार, नगर निगम कमिश्नर मोहम्मद शाइन, अजय गौड़, खादी बोर्ड के सदस्य विजय शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

खट्टर यू टर्न सरकार, इनैलो में चाचा भतीजा जुतम पजार इसलिए कांग्रेस आने को तैयार – सुरजेवाला


कहा – खट्टर सरकार के लुभावने वादे हर बार, चारों ओर फैला भ्रष्टाचार
इनैलो पर कटाक्ष – बाप बेटे की सरकार के बाद चाचा भतीजे की तकरार ! भाजपा व चौटाला एक ही थैली के चट्टे-बट्टे
बोले – इनेलो में अन्धकार, अज्ञान, सूखा, गुंडागर्दी और कमजोरी लेकिन कांग्रेस में रोशनी, सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली !
पूर्व विधायक सुलतान सिंह जडौला द्वारा आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में बत्तौर मुख्यातिथि पहुंचे अखिल भारतीय कांग्रेस मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला


पुण्डरी, 05 अगस्त 2018

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खट्टर सरकार को अनाड़ी और यू टर्न सरकार करार देते हुए कहा कि खुद खट्टर और उनके कैबिनेट को यही जानकारी नही है कि उनके फैसलों का सिर और पैर कहाँ हैं? हर रोज नए फैसले करना और फिर अगले ही पल उन्हें पलटना यह खट्टर सरकार की पहचान बन गई है।अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी व कैथल से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला आज पुण्डरी में पूर्व विधायक सुल्तान सिंह जडौला द्वारा आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में उमड़ी भारी भीड़ को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।

इनैलो में चल रही अंदरूनी कलह और भाजपा पर पर चुटकी लेते हुए सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर यू टर्न सरकार, इनैलो में चाचा भतीजा जुतम पजार इसलिए कांग्रेस आने को तैयार इनैलो में चाचा भतीजे की अंदरूनी जुतम पजार ही असली कहानी है। उन्होंने कहा कि जब हरियाणा में चौटाला का शासन था तो समस्त हरियाणा व् कैथल में गुंडागर्दी, फिरौती, चोरी, डकैती और लूट की घटनाओं का बोलबाला था लेकिन कांग्रेस पार्टी की सरकार बनते ही हमने कैथल और हरियाणा में गुंडागर्दी पनपने नहीं दी यही फर्क है कांग्रेस और इनेलो के शासन में।

इनैलो पार्टी को भाजपा की बी टीम करार देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि एक तरफ तो लोकदल के सांसद व नेता जनता की भलाई की बात करते हैं और दूसरी तरफ जब जनता के हितों के लिए मोदी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं क्योंकि भाजपा व चौटाला एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। दोनों लोकदल सांसद दुष्यंत चौटाला व चरनजीत रोड़ी ने जनता के हकों की लड़ाई में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव में वोट न डालकर कन्नी काट ली व संसद छोड़ कर चले गए। जनता इस मिलीभगत को पहचानती है।

सुरजेवाला ने भाजपा सरकार को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि सत्ता मिलने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुरुक्षेत्र के एक जलसे में किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा देने का वायदा किया लेकिन सत्ता मिलने के बाद ने 22 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि वह किसानों को 50 फीसदी मुनाफा नहीं दे सकते। इससे बाजार भाव बिगड़ जाएगा। सुरजेवाला ने कहा कि मेरा सरकार से सवाल है कि जब देश के 12 उद्योगपतियों का 1 लाख 86 हजार करोड़ का कर्जा माफ कर दिया गया तो बाजार भाव क्यों नहीं बिगड़े। सुरजेवाला ने कहा कि जब कांग्रेस का शासन था तो कांग्रेस पार्टी ने इस देश के किसानों का 72 हजार करोड़ रुपया कर्जा माफ किया और जब इस बार फिर कांग्रेस सरकार बनेगी तो भी 3-4 एकड़ तक के किसानों और भूमिहीन किसान खेत मजदूरों का 1 लाख तक का कर्जा माफ किया जायेगा। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि आज हर रोज 47 किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। खट्टर सरकार के साढ़े तीन साल से ऊपर और मोदी सरकार के 4 साल से ऊपर में किसानों की दशा दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर होने की हो गई है। कांग्रेस के शासन में बासमती की धान की कीमत 6,000 रु प्रति क्विंटल से 6500 रु प्रति क्विंटल और 1121 व 1509 किस्म की धान की कीमत 5000 रु प्रति क्विंटल से 5500 रु प्रति क्विंटल रही लेकिन आज भाजपा सरकार के शासनकाल में किसान फसलों को कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर है।इतिहास में पहली बार हुआ है कि खेती पर भाजपा द्वारा ट्रैक्टर एवं अन्य सभी उपकरणों पर 12 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स लगाया गया जबकि टायर, ट्यूब और ट्रांसमिशन पार्ट्स पर 18 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स लगाया गया। कीटनाशक दवाइयों पर 18 प्रतिशत, खाद पर 5 प्रतिशत तथा कोल्ड स्टोरेज पर 12 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया गया है। किसानो के आलू को सुरक्षित रखने वाले कोल्ड स्टोरेज पर भी 12 प्रतिशत टैक्स लगाकर किसानों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया गया है।

विधायक रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर और भाजपा एक तरफ तो भ्रष्टाचार को खत्म करने के झूठे दावे करती है, लेकिन दूसरी ओर प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और आम जनमानस भ्रष्टाचार से त्रस्त है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्राइवेट मुनाफा कम्पनी व किसान शोषण योजना करार देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि किसान की फसल खराब होती है तो केन्द्र व खट्टर सरकार कहती है कि हमने फसल बीमा योजना लागू की है। इसकी सच्चाई किसी को नहीं बताई। इस सरकार ने खेती बाड़ी पर टैक्स लगाकर 20 हजार 500 करोड़ रुपये एकत्रित कर लिए और किसानों को बीमा के रूप में केवल मात्र 5000 करोड़ रुपया दिया गया। 14 हजार करोड़ रुपये देश की7 बीमा कंपनियों के खाते में चले गए, इनमें से कुछ कंपनियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चहेती कंपनियां हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं, बल्कि प्राइवेट मुनाफा कम्पनी होना चाहिए।

सुरजेवाला ने भाजपा सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क का पता इस बात से चलता है कि दो भाजपा नेताओं के बीच हुई बातचीत के वायरल हो जाने के पश्चात कांग्रेस के दबाव में खट्टर सरकार को इसकी जांच के आदेश देने पड़े, लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों का सामना कर रहे भारत भूषण भारती को तीन साल के लिए स्टाफ सलेक्शन कमीशन के चेयरमैन के रूप में एक्सटेंशन दे दी गई, जबकि अन्य सदस्यों को एक साल की एक्सटेंशन दी गई। भारती द्वारा ब्राह्मण समुदाय का अपमान करना और खट्टर सरकार द्वारा भारती को फर्जी संस्पेंड करना और फिर उसे फर्जी बहाल करना। अब एक नया खुलासा चेयरमैन भारती के बेटे का नौकरी धांधली को लेकर कथित ऑडियो भाजपा के भ्रष्टाचार में संलिप्त चेहरे को प्रदर्शित करता है। जनता यह साफ समझ रही है कि तथाकथित जांच केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए की गई थी और भारती की कारगुजारियों को भाजपा सरकार का पूरा समर्थन व संरक्षण प्राप्त है, जिसे कांग्रेस पार्टी व प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवा कतई स्वीकार नहीं करेंगे। इस कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मलेन को पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य, पूर्व विधायक फूलसिंह खेड़ी, सज्जन सिंह ढुल, बिल्लू चंदाना, रणसिंह देशवाल, संजीव भारद्वाज, हरियाणा कृषक समाज अध्यक्ष ईश्वर नैन, वीरेंद्र जागलान, सुरेश युनिसपुर, अमन चीमा, सुरेश रोड़, धर्मवीर कौलेखां आदि कांग्रेस नेताओं ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सुदीप सुरजेवाला, कविराज शर्मा, पूर्व सरपंच शमशेर सिंह, रघुबीर सिंह फौजी, नरेश ढुल पाई, सुलतान सिंह साकरा, रामचंद्र गुर्जर ढांड, विजयपाल कौल, सुरेन्द्र सिरसल, महेंद्र रसीना, बाबू राम पांचाल, सुमित चौधरी, राजू कश्यप, जगदीश कश्यप, प्रीतम सिंह नैन, शेरसिंह मुन्नारेह्डी, नरेश रंगा, रघबीर, सोमदत्त, राजपाल, दर्शन सिंह, नरेंद्र सिंह, ईश्वर जांगड़ा, कश्मीरी जांगड़ा. पाला राम सैन, सतपाल सैन, रामभज शर्मा, संदीप शर्मा, सुभाष खेड़ी, पुष्पिन्दर सिंह, ब्रिजेश गोरा, नवीन गोरा,रामफल मोहना, सुशिल जाम्बा, राजकुमार, संदीप कौशिक आदि कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Nirankari Mata Savinder Hardev ji passes away

Nirankari Mata Savinder Hardev ji passes away after a prolong illness at 5:15 pm in New Delhi. She was 61. Born on 2nd January 1957 to Sh. Manmohan Singh and Smt. Amrit Kaur and later was adopted by Sh. Gurumukh Singh and Mrs Madan Kaur ji.

She got her education at convent of Christian and Mary Mussoorie As a better half of Baba Hardev Singh she supported him in prachar and welfare in india and abroad.

She was the 5th Saduru of nirankari mission

She is survived by three daughters. Samta, Renuka and Sudeeksha

Sadguru Sudiksha ji is the 6th head of Nirankari Mission

The body of Mata ji will be plaed for last ‘darshans’ in Samagam ground no. 8 till 7th of August, 2018, the cremation will be held at Nigam Bodh Ghat on 8th August at 12 noon in electrical crematorium. The mission sources told.

The Shradhaanjli samaroh will take place in samagam ground the same day at 2:00 pm

जिस आरक्षण की मांग सवर्ण तबकों के खिलाफ शुरू हुई थी वो ही तबके धीरे-धीरे खुद के लिए आरक्षण का कवच मांगने लगे

अपने पैरों पर खड़ा होना होगा और सबसे बेहतर तरीके से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़नी होगी. तो अपने गुस्से को बनाए रखिए और शक्ति को इकट्टठा कीजिए. सत्ता और सम्मान आपके पास संघर्ष के जरिए ही आएगा.’

राज वशिष्ठ


हमें तैयार रहना चाहिए कि जिस ब्राह्मणवाद के खिलाफ बाबा साहेब ने आरक्षण की मांग की थी अब ब्राह्मण समाज खुद को उपेक्षित मानता हुआ सड़कों पर बस-ट्रक फूंकता दिखाई दे

इसके कई कार्न हैं ओर शायद सबसे बड़ा यह कि तमाम मेहनत (99%) के बावजूद सुवर्ण तबका आरक्षण के 9% से हार जाता है


भारतीय संविधान में आरक्षण न शामिल किए जाने की बात पर संविधान सभा से इस्तीफे की पेशकश कर देने वाले भीम राव आंबेडकर आखिर किस सत्ता और सम्मान के लिए लोगों की शक्ति इकट्ठा करने की बात कह रहे थे. दरअसल आजादी के पहले भारतीय समाज की जो संरचना थी उसमें संपत्ति और संसाधनों पर अधिकार सवर्ण जातियों के पास ही हुआ करते थे जिसके खिलाफ बिगुल फूंकने का काम भीम राव आंबेडकर ने किया. लेकिन वक्त जैसे-जैसे गुजरा आरक्षण की परिधि चौड़ी होती गई है. आरक्षण की शुरुआत जिन सवर्ण तबकों के खिलाफ शुरू हुई थी वो ही तबके धीरे-धीरे खुद के लिए आरक्षण का कवच मांगने लगे. कह सकते हैं कि आरक्षण की पूरी अवधारणा ही उलट गई.

 

एक उदाहरण से समझें तो जिस महाराष्ट्र के रहने वाले भीम राव आंबेडकर थे उस महाराष्ट्र में दलितों को प्रताड़ित करने के आरोप सबसे ज्यादा मराठाओं पर ही लगते हैं. जिस मराठा साम्राज्य की गौरव गाथा महाराष्ट्र में गाई जाती हैं उस मराठा साम्राज्य में दलितों की स्थिति सबसे ज्यादा विदीर्ण थी. और शायद यही वजह है जिसकी वजह से मराठा साम्राज्य के खिलाफ वहां के दलितों ने अंग्रेजों का साथ दिया था जिसका जश्न हर साल मनाया जाता है और भीमा-कोरेगांव हिंसा भी उसी दिन हुई थी. अब वही मराठा समुदाय आरक्षण की मांग कर रहा है. और आरक्षण मांगने का अंदाज ‘मराठा स्टाइल’ में ही है. अब सोचिए क्या भीमराव आंबेडकर की आरक्षण की पूरी अवधारणा इस मराठा आंदोलन के बाद उलटी नहीं हो गई है? यानी जिन पर प्रताड़ना का आरोप था आज वही खुद को प्रताड़ित दिखा रहे हैं.

बड़े जातीय आंदोलनों की परिणति

संविधान निर्माण के समय जब भीमराव आंबेडकर आरक्षण की बात पर संविधान सभा से इस्तीफा तक देने को तैयार थे तो उस समय देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी आरक्षण का एक मजबूत पक्ष रखा था. वल्लभ भाई को संशय था कि अगर आरक्षण की व्यवस्था संविधान में की जाएगी तो धीरे-धीरे ये अन्य जातियों में भी फैलेगा. लेकिन आंबेडकर अड़े रहे और वल्लभ भाई अपने संशय के बावजूद उनके सामने झुक गए लेकिन इतिहास ने दोनों दूरदर्शियों को सही साबित किया. आगे चलकर जैसे आरक्षण ने पिछड़ी जातियों को मजबूत करने और मुख्यधारा में जोड़ने में काफी हद तक भूमिका निभाई तो वल्लभ भाई का वो संशय भी सही साबित हुआ कि वक्त गुजरने के साथ आरक्षण की मांग अन्य जातियों में अपना पैर पसारेगी.

एक मजेदार बात यह भी देखिए कि सरदार वल्लभ भाई पटेल गुजरात की जिस पाटीदार बिरादरी से ताल्लुक रखते थे वो राज्य की सबसे मजबूत जातियों में गिनी जाती है. गुजरात की राजनीति में वर्तमान समय सबसे ज्यादा छाए रहने वाले चेहरे हैं हार्दिक पटेल. उनकी ख्याति की वजह है अनामत आंदोलन. मतलब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जो संशय जाहिर किया था उसने उनकी ही बिरादरी को घेर लिया.

इतना ही राजस्थान के गुर्जर, हरियाणा के जाट, आंध्र प्रदेश के कापू दशकों से आरक्षण की मांग करते रहे हैं. अब मराठा भी कुछ सालों से इनमें शामिल हो गए हैं. ये सभी जातियां अपने-अपने राज्यों में राजनीतिक और सामाजिक रसूख रखने वाली जातियां हैं.

गुर्जर आंदोलन

1990 में बने गुरनाम सिंह कमीशन ने जाट समुदाय को ओबीसी वर्ग में रखा था. लेकिन सालों तक चले वादों के खेल के बावजूद इस जाति के लोगों को ओबीसी स्टेटस नहीं मिला. 10 साल के शासन के बाद जब यूपीए की सरकार के आखिरी दिन तो केंद्र ने इस जाति को ओबीसी लिस्ट में डाल दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस प्रावधान को खारिज कर दिया और जाट फिर वहीं खड़े हो गए जहां खड़े थे. हालांकि जाट उतनी बुरी जगह नहीं खड़े थे जहां वो खुद को दिखाना चाहते थे. क्यों!!!

दरअसल जिस हरियाणा में जाटों ने ओबीसी स्टेटस पाने के लिए करोड़ों की संपत्ति फूंक डाली उस राज्य में तकरीबन 50 प्रतिशत के आस-पास जमीनों पर कब्जा जाट समुदाय का ही है. इसी वजह से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सितंबर 2014 में जाटों सहित चार अन्य जातियों को राज्य के स्पेशल बैकवर्ड क्लास के प्रावधान से भी बाहर कर दिया था.

कुछ ऐसी ही दिलचस्प कहानी गुजरात के पाटीदारों की भी है. मूल तौर पर पाटीदार नाम ही पट्टी यानी खेत से निकला हुआ है. आजादी के बाद गुजरात के पाटीदार समुदाय ने राजनीति से लेकर सामाजिक हैसियत बेहद मजबूत की है. लेकिन पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले हार्दिक पटेल को खूब प्रसिद्धि मिली.

कुछ ऐसा ही हाल आंध्र के कापू और राजस्थान के गुर्जरों का है. दोनों ही राज्यों में इन जातियों का जबरदस्त प्रभाव है लेकिन आरक्षण की मांग दिन ब दिन बलवती होती जा रही है.

मराठा समुदाय तो महाराष्ट्र की लड़ाका कौम के तौर पर देखा जाता है. इस समुदाय की सामाजिक हैसियत ब्राह्मणों के ठीक बाद वाली श्रेणी में गिनी जाती है. मराठी जातियों पर रिसर्च करने वाली समाज विज्ञानी शर्मिला रेगे ने अपनी किताब:

Writing Caste/Writing Gender: Narrating Dalit Women’s Testimonies’

में लिखा है-‘ महाराष्ट्र में पारंपरिक जातीय संरचना के हिसाब से ब्राह्मण सबसे ऊपर आते हैं. उसके बाद मराठा जातियां आती हैं और उसके बाद महार व अन्या एससी जातियां. ‘

भारतीय समाज में आरक्षण का प्रावधान सामाजिक रूप से पिछड़ेपन की व्यवस्था को ठीक करने के लिए शुरू किया गया था. लेकिन ऊपर दी गई सभी जातियां दशकों से आरक्षण के लिए आंदोलनरत हैं जबकि सामाजिक स्थिति के आधार पर देखा जाए तो सभी तकरीबन रसूख वाली जातियां ही हैं.

जातियों को आरक्षण के जरिए दिए जा रहे प्रलोभन

मजबूत जातियों द्वारा भी आरक्षण की मांग से इतर राजनीतिक पार्टियां भी इसे चुनावी हथकंडे के तौर पर अपनाने लगी हैं. जातियों को आरक्षण देने को नेताओं के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जाता है. बिहार में दलित से अलग महादलित वाले फैसले को नीतीश कुमार की राजनीतिक महारत के तौर पर ही देखा जाता है. लेकिन क्या आरक्षण की शुरुआत के पीछे भी यही ‘लॉलीपॉप’ की अवधारणा थी? बिल्कुल नहीं. ये समाज के वंचित तबकों को सरकारी मदद के जरिए ताकतवर बनाने के प्रयास भर था जो वीभत्स राजनीतिक रूप लेता चला जा रहा है.

इसी साल अप्रैल महीने में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने उच्च जातियों को 15 फीसदी आरक्षण दिए जाने के वकालत कर दी है. इससे इतर राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड में ब्राह्मण आरक्षण की मांग उठ चुकी है. जिस तरीके मराठा आंदोलन अपना उग्र रूप धारण किए हुए है बहुत मुश्किल नहीं कि देश भर में ब्राह्मण और क्षत्रियों का संगठन बनाकर इनके लिए भी आरक्षण की मांग शुरू कर दी जाए.

रामविलास पासवान

संविधान निर्माण के समय आरक्षण के प्रावधान के साथ ही 10 सालों में इसकी समीक्षा किए जाने की भी बात कही गई थी जिसका उद्देश्य निश्चित रूप से यही होगा कि आरक्षित समाज के तबकों का अध्ययन कर धीरे-धीरे इसे कम किया जाए. लेकिन 20वीं सदी के मध्य में आजादी पाने वाला भारत 21वीं सदी की शुरुआत में आरक्षण की जकड़न में और फंसता हुआ दिखाई दे रहा है. हमें तैयार रहना चाहिए कि जिस ब्राह्मणवाद के खिलाफ बाबासाहेब ने आरक्षण की मांग की थी अब ब्राह्मण समाज खुद को उपेक्षित मानता हुआ सड़कों पर बस-ट्रक फूंकता दिखाई दे.

मुजफ्फरपुर कांड:: सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा – निलंबित, आरोपी ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार

शेल्टर होम कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार हो चुका है


विभाग के निदेशक राजकुमार के आदेश पर सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा के खिलाफ मामले में देरी करने पर यह कार्रवाई की गई है


बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह (शेल्टर होम) रेप कांड में बड़ी कार्रवाई हुई है. बिहार सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए समाज कल्याण विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर (सहायक निदेशक) देवेश कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है.

विभाग के डायरेक्टर (निदेशक) राजकुमार के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है.

दिवेश शर्मा ने ही शेल्टर होम रेप कांड की एफआईआर दर्ज कराई थी. देवेश इस कांड में वादी भी हैं. देवेश शर्मा पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई में देरी करने का आरोप है.

शेल्टर होम रेप कांड पर बिहार से लेकर दिल्ली तक राजनीति तेज है. विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर बिहार सरकार पर लगातार हल्ला बोल रही हैं. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है.

शनिवार को शेल्टर होम कांड के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर तेजस्वी यादव ने खूब राजनीति की, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बुलाए इस धरने में राहुल गांधी समेत विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता पहुंचे थे. इस दौरान सबने एक सुर से बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इस मामले में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया.

शनिवार को ही बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री सुरेश शर्मा को इस मामले में विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. नगर निगम में योजनाओं का शिल्यान्यास करने दरभंगा पहुंचे सुरेश शर्मा को कांग्रेस सेवा दल के जमाल हसन ने अपने समर्थकों के साथ काले झंडे दिखाए.

TISS के सोशल ऑडिट से नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का हुआ था खुलासा

बता दें कि इस साल के शुरुआत में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई (टीआईएसएस) ने अपने सोशल ऑडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर के साहु रोड स्थित बालिका सुधार गृह (शेल्टर होम) में नाबालिग लड़कियों के साथ कई महीने तक रेप और यौन शोषण होने का खुलासा किया था. इस दौरान कई लड़कियों को गर्भपात के लिए भी मजूबर किया गया था.

मेडिकल जांच में शेल्टर होम की कम से कम 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई है. पीड़ित कुछ बच्चियों ने कोर्ट को बताया कि उन्हें नशीला पदार्थ दिया जाता था फिर उनके साथ रेप किया जाता था. इस दौरान उनके साथ मारपीट भी होती थी. पीड़ित लड़कियों ने बताया कि जब उनकी बेहोशी छंटती थी और वो होश में आती थीं तो खुद को निर्वस्र (बिना कपड़ों) पाती थीं.

मामले के तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके अलावा शेल्टर होम चलाने वाले एनजीओ को काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में डाल दिया गया है.

28 जुलाई को सीबीआई की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी. इस हाई प्रोफाइल केस में कई आरोपी जेल में हैं.

मुजफ्फरपुर बलात्कार कांड – जंतर मंतर “दिन में राजनैतिक चराग जलाए गए”

दिल्ली में मुजफ्फरपुर रेप कांड पर एकजुट दिखा विपक्ष, क्या होगा अंजाम!


इस मुद्दे को लेकर राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार पर हमला करना और कटघरे में खड़ा करना साफ दिखा रहा है कि विपक्ष अब सरकार को एकजुट होकर घेरने की तैयारी में है

यह धरना प्रदर्शन लेकर दिल्ली आने वाले तेजशवी यादव के तार सीधे सीधे अनैतिक देह व्यापार (देह व्यापार हमेशा ही अनैतिक रहा है) में लिप्त मणि प्रकाश यादव से जुड़े हैं। (कहीं यह उस मुद्दे से ध्यान भटकने कि एक कमजोर कोशिश तो नहीं?

वही दिल्ली, वही जंतरमंतर, वही बलात्कार की पीड़ा, वही धारना प्रदर्शन। इस बार फर्क सिर्फ इतना था कि धरने पर आने वाले लोगों ने मोमबत्तियाँ जलाईं और नितीश एवं मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। बलात्कार जैसे विषयों पर राजनीति न करने कि सलाह देने वालों ने जंतरमंतर पर जम कर राजनीति की।

निर्भ्या कांड के दौरान दिल्ली का हर युवा, प्रोढ़, वृद्ध क्या स्त्री क्या पुरुष सभी ने न्याय की गुहार लगाई, पानी की तोपों, लाठीयों डंडों क्या काय नहीं झेला, हफ्तों भर दिल्ली सुलगती रही, राहुल गांधी मौन रहे, मौन तो क्या किसी को दिखाई भी नहीं पड़े, ओर आज जंतर मंत्र पर मोमबत्ती जलाए खड़े हैं


सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या किया

दिन में अगर चराग जलाए तो क्या किया।

अरविंद केजरीवाल आज तक के दिल्ली के सबसे विवादास्पद मुख्यमंत्री, निर्भ्या कांड के दोषी को बाल गृह से बाहर निकलने पर वोटबंक की खातिर 25000 रुपए, सिलाई मशीन इत्यादि भेंट किए। उन्हें भी बिहार में हुई निर्मम, निर्लज्ज घटनाओं  पर बहुत क्षोभ है।उन्होने दिल्ली वासियों से कहा कि वह तेजशवी के धरने मे शामिल हो कर उनके धरने को सार्थक करें, और खुद भी दल बल सहित वहाँ मंच सांझा किया।

बलात्कार एक दर्दनाक धब्बा है जो स्त्री कि आत्मा तक को घायल कर देता है, घायल देह, विदीर्ण आत्मा सामाजिक अपमान झेलती स्त्री के दर्द को कब समझेंगे 

 

दिल्ली के जंतर-मंतर पर तेजस्वी यादव की अगुआई में सभी विपक्षी दलों का जमावड़ा लगा था. बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मुद्दा गरम है और विपक्ष इस मुद्दे को लेकर बिहार की नीतीश सरकार के अलावा केंद्र की सरकार पर भी हमलावर है. विपक्ष इस मुद्दे को गरमाए रखना चाहता है. आलम यह है कि पटना में धरना-प्रदर्शन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अब दिल्ली में भी विरोध का बिगुल फूंका गया.

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की अगुआई में दिल्ली के जंतर मंतर पर सभी विरोधी पार्टियों के बड़े नेता पहुंचे थे. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, शरद यादव, टीएमसी से दिनेश त्रिवेदी, आप से संजय सिंह और सोमनाथ भारती, आईएनएलडी से दुष्यंत चौटाला समेत कई पार्टियों के नेता मंच पर मौजूद थे.

लेकिन, मंच पर तेजस्वी के धरने प्रदर्शन को समर्थन देने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल  गांधी का आना यह साबित कर गया कि इस वक्त मोदी विरोधी धड़े को मजबूती देने के लिए सभी विरोधी दल कुछ भी करने को तैयार हैं.

विपक्ष कि एकजुटता मात्र राजनैतिक

भले ही मुद्दा बिहार के मुजफ्फरपुर से जुड़ा है. लेकिन, इस मुद्दे को लेकर राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार पर हमला करना और कटघरे में खड़ा करना साफ दिखा रहा है कि विपक्ष अब सरकार को एकजुट होकर घेरने की तैयारी में है. धरने में शामिल होने आए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुजफ्फपुर की घटना को लेकर देश भर की महिलाओं के हालात को लेकर चिंता जताई.

उन्होंने कहा कि ‘हम केवल 40 बच्चियों के लिए नहीं बल्कि हिंदुस्तान की सभी महिलाओं के लिए यहां आए हैं.’ एक बार फिर राहुल गांधी ने बीजेपी –आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘एक तरफ बीजेपी-आरएसएस की सोच तो दूसरी तरफ पूरा हिंदुस्तान है और यह बात पीएम और उनकी पार्टी को भी दिखाई देगी.’

New Delhi: RJD leader Tejashwi Prasad Yadav addresses during a protest over the issue of alleged sexual abuse at a government-funded shelter home in Muzaffarpur district, in New Delhi on Saturday, Aug 4, 2018. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI8_4_2018_000207B)

तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार पर जमकर हमला किया. तेजस्वी ने साफ शब्दों में कहा कि ‘इस मामले में दोषी लोग सत्ता के करीब थे लिहाजा कोई कार्रवाई नहीं हुई. तेजस्वी ने कहा कि मेरी भी सात बहनें हैं, मैं रात भर सो नहीं पाता.’ इस मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम खुला खत भी लिखकर उनके इस्तीफे की मांग की है.

कुमार से इस मुद्दे को लेकर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा  मांग दिया. उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मुद्दे पर तीन महीने के भीतर कार्रवाई कर दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर दी.

नीतीश के सुशासन बाबू की छवि तोड़ना चाहते हैं तेजस्वी

दरअसल, यह मुद्दा बिहार में काफी तूल पकड़ता जा रहा है.आरजेडी की तरफ से लालू यादव के वारिस तेजस्वी यादव ने पूरी तरह से मोर्चा संभाल रखा है. तेजस्वी ने बिहार विधानसभा के भीतर भी इस मुद्दे पर जोरदार विरोध दर्ज कराया. बिहार में इस घटना के विरोध में जमकर मोर्चेबंदी की.

लेकिन, अब दिल्ली में पहुंचकर मुजफ्फरपुर की घटना को बिहार के बाहर राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी से साफ है कि आरजेडी हर हाल में नीतीश कुमार की उस छवि को तोड़ना चाहती है, जिसके दम पर वो सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं.

New Delhi: (L-R) CPI leader D Raja, RJD leader Tejashwi Prasad Yadav, Loktantrik Janata Dal leader Sharad Yadav and Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal during a protest over the issue of alleged sexual abuse at a government-funded shelter home in Muzaffarpur district, in New Delhi on Saturday, Aug 4, 2018. (PTI Photo/Indraneel Chowdhury)(PTI8_4_2018_000223B)

आरजेडी को लगता है कि नीतीश कुमार की बेहतर छवि पर सवाल खड़ा करने से बिहार और बिहार के बाहर पूरे देश भर में इसका फायदा उसे ही मिलेगा. लालू-राबड़ी शासनकाल में बिहार में जंगलराज का हवाला देकर नीतीश कुमार ने बेहतर शासन का विकल्प देने का वादा किया था. ऐसे में अब पलटवार आरजेडी की तरफ से हो रही है. इस तरह की घटनाओं को जोर-शोर से उठाकर आरजेडी दिखाने की कोशिश कर रही है कि नीतीश कुमार बेहतर शासन देने में विफल रहे हैं, इस उम्मीद में कि अब अगले चुनाव में जनता नीतीश के चेहरे को बदल दे.

लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू कर दी है. लेकिन, लगता है इस मुद्दे पर विरोधियों से अभी तकरार  जारी रहने वाली है. इस मुद्दे पर सियासी बवाल भी जारी रहेगा. लेकिन, बार-बार दुष्कर्म की इस हृदय विदारक घटना पर सियासत नहीं करने की बात करने वाले सभी दल अपनी सियासत ही चमकाने में ज्यादा लगे हैं.

There is no vacancy for the prime minister’s post till 2024: Paswan

Union minister Ram Vilas Paswan

Chandigarh: Union minister Ram Vilas Paswan on Saturday asserted that there was no vacancy for the prime minister’s post in 2019 and the Opposition should work hard and aim for it in 2024.

The ruling NDA partner Lok Janshakti Party chief Pawan made the assertion and claimed that the achievements of the Narendra Modi government in last four years were more than those of any other regime since Independence.

Paswan also spoke at length on Dalit issues, acknowledging that the government earlier had a problem of perception on the Dalit issue, but the same had been set right.

The Union Minister for Consumer Affairs, Food and Public Distribution was addressing a news conference, during which he also described the NDA government as “pro-poor, pro-Dalits and pro-farmers”.

Paswan made the remarks in reply to queries on his experience as the NDA partner and if he would be the part of the BJP-led alliance in the 2019 polls.

“The Modi government has been in power for over four years now and if you count the achievements of this government during this tenure, it has been better than any other government since Independence.

“There is no charge which the prime minister faces, he comes from a humble background. Out of 24 hours, he works for 20 hours… This government brought so many schemes for common man and the poor like Jan Dhan Yojana, insurance cover for common people. Besides, India is emerging as an economic superpower,” he said.

He said the LJP supported the NDA when it had only two other allies – the Akali Dal and the Shiv Sena.

“For the last two years, we (LJP) have been saying that in 2019, there is no vacancy, the Congress and the Opposition can work hard, but they should realise there is no vacancy in 2019. They can work hard for 2024 and not 2019,” he said.

Asked if the LJP would be part of the NDA in 2019, Paswan categorically said, “Not being so is unthinkable.”

Referring to the Supreme Court’s March 2018 order which had laid down some safeguards against the misuse of the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, Paswan said after this verdict some people started a campaign to portray the Modi regime as “anti-Dalit”.

He said the entire country knew that the Supreme Court had diluted the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act and that it was not a government decision, but a countrywide protest was started as if the government had done it.

“We filed a review petition in the court. As we felt it may take time, a decision was taken in the Cabinet and a bill (to undo the Supreme Court order) was introduced in the Lok Sabha on Friday,” he said.

With the Opposition targeting the BJP over dilution of the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, Paswan said various Dalit organisations would hold rallies across the country from 11-14 August, and thank the prime minister for bringing the bill to undo the apex court verdict on the matter.

The Dalit Sena, affiliated to the LJP, has lauded Prime Minister Narendra Modi for the government’s “historic” decision to bring the bill to undo the apex court order on the law on atrocities against the Dalits.

Paswan said four-five months back he had stated that despite so many works and achievements of the Narendra Modi government, there was “a perception that this regime is anti-Dalit.” And, he had also said he would set this perception right, he added.

Paswan said while speaking in the ongoing session of the Parliament recently that he had pointed out that that the Opposition brought the no-confidence motion against the government, “but not even one from the Opposition, be it the Congress or the Samajwadi Party, uttered a word pertaining to Dalits or the atrocities.”

Asked if the government’s stand would change in case the Supreme Court stands by its verdict in response to the petition for review of the March verdict on the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, Paswan asserted that “it is the government’s job to make law.”

“Parliament is supreme, the court’s work is to see whether the laws which have been made, are constitutionally right… it is the government’s job to make law,” he said.

Countering arguments that the apex court’s judgment had only laid down some safeguards to prevent the misuse of the SC/ST Act, Paswan said any act can be misused, but the misuse of any law is not a valid ground for repeal of its provisions.

“Did it not happen in dowry cases when entire family often landed behind bars?” he asked.

He said “many Dalits feared lodging an FIR after dilution of the Act.”

“Now, they have said a DSP will probe, but which DSP favours the poor? The result will be that the atrocities will once again rise,” he said referring to the apex court’s 20 March verdict, which stipulated that before registering the FIRs under the SC/ST Act, a DSP-level officer would hold a preliminary inquiry and the prior permission of an SP-rank officer would be needed to arrest the accused.

Asked about Rashtriya Janata Dal’s (RJD) protest rally with other Opposition parties at Jantar Mantar in New Delhi over sexual abuse of the girls at Muzaffarpur shelter home, Paswan said taking out protest march was the job of the Opposition and they would do that.

What was important in this case, he said, was to see the intent of the Bihar chief minister, who has described the incident as “shameful” and assured that the culprits would not be spared.

Sepratists and political parties join hands for Artical 35.A

 

Days before the Supreme Court is to start hearing a bunch of petitions challenging the validity of Artical 35.A of the Constitution which gives the Jammu and Kashmir legislature the powers to decide who are permanent residents of the state, the administration has written to the apex court to defer the hearings, citing upcoming panchayat and urban local body elections.

In a letter written to the Registrar of the Supreme Court, on Friday, counsel for the Jammu and Kashmir government sought an adjournment of the hearings on “account of the ongoing preparations for the upcoming panchayat/urban local body and municipal elections.” The hearings are to start on Monday.

Hindustan Times is in possession of a copy of the letter written to the Supreme Court Registrar. Kashmiri separatist organisations have called for a two day shutdown against the attempts to repeal Article 35 A.

Article 35A gives special rights to permanent residents of Jammu and Kashmir. It disallows people from outside the state from buying or owning immovable property in the state settle permanently, or avail themselves of state-sponsored scholarships.

A bunch of petitions have been filed in the top court challenging article 35 A of the constitution contending that the article was illegally added because it was never proposed before Parliament.

Article 35 A was added to the Constitution by a Presidential Order. It accords special rights and privileges to the citizens of J&K and also empowers the state legislature to frame any law without attracting a challenge on the grounds of it violating the Right to Equality of people from other states under the Indian Constitution.

A think tank associated with the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) that has been campaigning to repeal Article 35A of the Constitution has, meanwhile, stepped up efforts to garner support for its demand.

The Jammu and Kashmir Study Centre (JKSC) has been opposing the article on grounds that it “violates the rights of citizens and has been incorporated without following the due process.” It has also been pushing for abrogation of Article 370 that confers special status on Jammu and Kashmir,

JKSC has been trying to shape public opinion through discussions and closed door meetings on how Article 35 A is discriminatory against women and the marginalised sections.

As per the provision of the law, if a woman from the state marries a non-state subject, her husband and children cannot inherit her assets and are denied a permanent resident certificate (PRC); this does not apply to men who marry non-state subjects.

“Women are the worst affected by this (35A) provision,” said Abha Khanna, director (media) of the JKSC. She said over 200 Valmiki (lower caste) families that were moved to the state in 1957 with the promise that they would be granted a permanent residence certificate (PRC) had not yet been rehabilitated.

“These people were offered permanent residency, with the condition that it would last only till the time they were alive; now their children and grandchildren are denied admissions and jobs. Similarly, the Gorkhas who came in 18th Century and have served the state and its people are also denied PRC,” she said.

According to an RSS functionary, the issue came up for discussion at the Akhil Bharatiya Prant Pracharak meeting held in Jammu in June, where the Sangh brass reiterated the need to repeal the Article.

“The decision to mobilise support for repealing the Article, which the Sangh feels is a fraud, was taken at the meeting,” the functionary said on condition of anonymity.

BJP says ready to debate on scrapping of J&K’s Article 35A in Supreme Court

 


SC is hearing a batch of petitions in the matter, including the one filed by an RSS-linked NGO ‘We the Citizens’, seeking quashing of the article


The Jammu and Kashmir unit of the BJP on Saturday said the party was open to a debate over Article 35A of the Constitution, which confers special status to permanent residents of the state, as protests continued against the August 6Supreme Court hearing on petitions challenging the provision.

The apex court is hearing a batch of petitions in the matter, including the one filed by an RSS-linked NGO ‘We the Citizens’, seeking quashing of the article.

“The BJP is open to a debate with anyone or any political party on whether or not Article 35A is in the interest of the people of the state. We are extending an open invitation,” the state BJP chief spokesperson Sunil Sethi told reporters here.

He said over the last few days, the political climate in the state has heated up over Article 35A and some political parties, especially those active in Kashmir, have taken an “anti-national and anti-people” stand on the issue.

Targeting the National Conference (NC) and the Congress, Sethi said people in the Valley are being misled over Article 35A by being told that it is for their betterment and in the interest of the state.

“The continuation of Article 35A will not have any benefit for the state. The central government has pumped crores of rupees into the state over the last 70 years but the development has not been as it should have been,” he said.

He said Article 35A has acted as an obstacle in the state’s development because it did not allow outside investment.

“Investors do not come here to set up Infrastructure. The youth are not getting the jobs,” he added.

The BJP spokesperson alleged some politicians want to maintain the position for vote bank politics.

Responding to a statement by the NC’s provincial president Devender Singh Rana that the special provision was introduced by Maharaja Hari Singh to safeguard the interests of the state, Sethi said the situation was different from what it was now when the law was enacted.

Maharaj Hari Singh

“It was a princely state and not a part of India at that time. After accession, Jammu and Kashmir became part of India,” he said.

“When we are a part of India then what is the need for separate provisions and that too when it has created hurdles in the development and is also discriminatory in nature,” he added.

Accusing Rana of playing politics over the name of Maharaja Hari Singh, Sethi said it was the NC and the Congress who conspired to send the king out of the state and did not allow him to return till death.

As a result of Article 35A, West Paksitan refugees, who came to the state in 1947, have been denied the right of being state subjects, which was promised to them, and local girls who marry outside the state lose their right over property, he said.

“Jammu and Kashmir is not for foreigners but West Pakistan refugees are Indians and can live anywhere in the country, but not Rohingyas and Bangladeshi nationals,” he said.

“My appeal to the people of Jammu and Kashmir is to understand the real purpose of Article 35A. It is like an iron chain which is keeping us from moving forward. If the state subject laws change, it will benefit the state,” Sethi said.

He said if the article is repealed, new laws could be made to pave way for industrial growth and to prevent outsiders from settling in residential areas.

Article 35A, which was incorporated in the Constitution by a 1954 Presidential Order, accords special rights and privileges to the citizens of Jammu and Kashmir and denies property rights to a woman who marries a person from outside the state.

The provision, which leads such women from the state to forfeit their right over property, also applies to their heirs.