नवजात की हत्या/मृत्यु प्रथिमिकी दर्ज, जांच चालू , दोषी कौन……


नवजात की हत्या हुई या मृत्यु, क्या यह नूरा कुश्ती का मामला बन कर रह जाएगा जो कभी नहीं सुलझेगा?

सोनीपत पुलिस ने एफ़आईआर किसके खिलाफ लिखी?

क्या वाकई जांच होगी?


चंडीगढ़, 24 अगस्त:

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज को आज स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सतीश अग्रवाल ने सोनीपत में हुई नवजात की मौत की जांच रिपोर्ट सौंप दी। इसमें पाया कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की साइकिल रैली के कारण मरीज की एंबुलेंस अस्पताल में 30 मिनट की देरी से पहुंची।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस संबंध में गठित की गई कमेटी के सदस्य उप-सिविल सर्जन तथा एसएमओ ने पूरे मामले की जांच की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया गया कि उन्होंने इस बारे में सभी उपलब्ध दस्तावेजों, एंबुलेंस चालक, फलीट मैनेजर तथा शिशु रोग विशेषज्ञ के ब्यान दर्ज किए है। इसके आधार पर नवजात की मौत का प्रमुख कारण अस्पताल में देर से पहुंचना है।

रिपोर्ट में कहा गया कि सुबह 11.21 बजे दिव्य निजी अस्पताल मनियारी प्याऊ से नेशनल एंबुलेंस सेवा सोनीपत कार्यालय में एंबुलेस बुलाने की कॉल प्राप्त हुई, जिसमें एक नवजात बच्चे को नागरिक अस्पताल सोनीपत में रैफर करने की अपील की गई थी। इस पर तुरन्त कार्रवाई करते हुए अस्पताल प्रबन्धन ने सीएचसी बडखालसा से 11.22 मिनट पर एंबुलेंस को रवाना कर दिया, जोकि दिव्य अस्पताल में मात्र 10 मिनट में पहुंच गई।

रिपोर्ट के अनुसार एंबुलेंस को दिव्य अस्पताल से नागरिक अस्पताल तक पहुंचने में मात्र 15 मिनट लगते है परन्तु उस दिन जीटी रोड़ पर आयोजित की जा रही साइकिल रैली के कारण एंबुलेंस लगभग 30 मिनट देरी से अस्पताल पहुंची। इसके तुरन्त बाद बच्चे को एसएनसीयू में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने पाया कि बच्चे का रंग नीला पड़ा हुआ था तथा दिल की धडक़न बहुत कम थी। चिकित्सकों ने बच्चे की स्थिति को काबू करने के लिए सभी प्रयास किये और परन्तु स्थिति में सुधार नही होने पर बच्चे को पीजीआईएमएस रोहतक रैफर कर दिया, जहां उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

श्री विज ने बताया कि इस बारे में सोनीपत पुलिस को मामला दर्ज करने की हिदायत दी थी, जिसकी एफआईआर दर्ज कर ली गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की पूरी जांच कर रही है और इसमें जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र


फूल छाप कांग्रेसियों का डर इस कदर हावी है कि कांग्रेस को अपने टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र लेना पड़ रहा है


मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को अपने उम्मीदवार चुनने में अभी से ही पसीना आने लगा है. राज्य में कांग्रेस अविश्वास के भंवर में फंसी हुई है. कार्यकर्ता और नेता एक दूसरे को शंका भरी निगाहों से देखते रहते हैं. शंका बीजेपी से मिलीभगत को लेकर होती है? कांग्रेस में ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं को फूल छाप कांग्रेसी का नाम दिया गया है. फूल छाप कांग्रेसियों का डर इस कदर हावी है कि कांग्रेस को अपने टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र लेना पड़ रहा है.

राहुल गांधी के निर्देश पर लिए जा रहे हैं शपथ पत्र

मध्यप्रदेश में विधानसभा के उम्मीदवार तलाश करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मधूसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी गठित की है. मधुसूदन मिस्त्री ने ही पिछले विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नामों की स्क्रीनिंग की थी. कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेताओं को मधुसूदन मिस्त्री की कार्यशैली पसंद नहीं आती है. मिस्त्री अपने अंदाज में ही उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग कर नाम कांग्रेस अध्यक्ष के पास प्रस्तावित कर देते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त भी मिस्त्री ने कई उम्मीदवार राज्य के बड़े कांग्रेसी नेताओं की मर्जी के खिलाफ प्रस्तावित किए थे. ऐसे लोगों को टिकट देने का नतीजा यह हुआ कि वे चुनाव हार गए थे.

इस बार भी मधुसूदन मिस्त्री को उम्मीदवारों की छानबीन की जिम्मेदारी दिए जाने से राज्य के कांग्रेसी नेताओं में कानाफूसी चलती रहती है. मधुसूदन मिस्त्री इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ हैं कि राज्य में कांग्रेस के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता नहीं है. इस कारण से वह बड़ी ही बारीकी से दावेदारों पर ध्यान दे रहे हैं. राज्य में फूल छाप कांग्रेसी होने की आशंका को भी मिस्त्री नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर टिकट के सभी दावेदारों से दस रुपए के स्टांप पेपर पर एक शपथ पत्र भी लिया गया है. राज्य के कांग्रेसियों को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की यह कार्रवाई कुछ अटपटी सी लग रही है. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी का यह फार्मूला गुजरात और कर्नाटक में सफल हुआ था. एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि उम्मीदवारों के चयन के पहले ही अविश्वास का वातावरण तैयार करेंगे तो बीजेपी से मुकाबला करना बेहद कठिन होगा.

राहुल गांधी के निर्देश पर उम्मीदवारों से जो शपथ पत्र लिया जा रहा है उसमें यह शपथ लेने के लिए कहा गया है कि वे (दावेदार) टिकट ना मिलने की स्थिति में पार्टी से बगावत नहीं करेंगे. पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगे. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में कहा कि इस तरह के शपथ पत्र की कोई कानूनी मान्यता या बंधन दिखाई नहीं देता है. यह समय बर्बाद करने वाली कवायद से ज्यादा कुछ नहीं है. यदि गलत व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाता है तो शपथ पत्र देने के बाद भी बगाबत हो सकती है. मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विजेंद्र सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस द्वारा दावेदारों से शपथ पत्र मांगने पर कहा कि यह हास्यास्पद है.

दावेदारों के साक्षात्कार भी ले चुके हैं मिस्त्री

कांग्रेस में पहली बार ऐसा हो रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन ने अपनी टीम के साथ राज्य कांग्रेस के मुख्यालय में बैठकर टिकट के दावेदारों का साक्षात्कार वैसे ही लिया जैसे किसी पब्लिक सर्विस परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों से वन-टू-वन किया जाता है. मिस्त्री के साथ अजय कुमार लल्लू और नेट्टा डिसूजा ने दो दिन तक दावेदारों के साक्षात्कार लिए. चुनाव समिति के सदस्यों और पार्टी के पदाधिकारियों से भी अनौपचारिक चर्चा की. चुनाव समिति के सदस्यों से भी मिस्त्री ने टिकट देने के आधार पर भी चर्चा की. उम्मीदवार कब घोषित किया जाना चाहिए इस पर भी विचार किया गया.

यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ यह पहले ही घोषित कर चुके हैं कि उम्मीदवारों की पहली सूची 15 सितंबर तक जारी कर दी जाएगी. कांंग्रेस पार्टी में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कमलनाथ की इस राय का समर्थन भी कर रहे हैं. इनमें प्रचार समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं. चुनाव की तारीखें घोषित होने के पहले उम्मीदवार घोषित करने का जोखिम भी कांग्रेस को दिखाई दे रहा है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भागीरथ प्रसाद भिंड से उम्मीदवार घोषित हो जाने के बाद भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. ऐसी स्थिति विधानसभा चुनाव में निर्मित ना हो यह कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है.

बायोडाटा के अलावा दावेदारों की पूरी कुंडली भी ले रही है समिति

राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इन सीटों के लिए प्रदेश कांग्रेस में 2,700 से अधिक आवेदन आए हैं. 100 से ज्यादा लोगों ने स्क्रीनिंग कमेटी के सामने सीधे अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि राज्य के कांग्रेसियों को इस बार जीत की उम्मीद दिखाई दे रही है इस कारण हर सीट पर एक दर्जन से अधिक दावेदार टिकट के लिए सामने आए हैं.

मिस्त्री के नेतृत्व वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने दावेदारों से वन-टू-वन चर्चा में जीत की संभावनाओं को लेकर कई सवाल किए हैं. कांग्रेस पिछले 3 चुनाव क्यों हारी इसका पता लगाने की कोशिश समिति ने दावेदारों से चर्चा में की. दावेदारों से सामान्य जानकारी के अलावा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी जानकारी ली गई. दावेदार कांग्रेस का प्रतिबद्ध कार्यकर्त्ता है या नहीं, यह पता लगाने के लिए एक सवाल यह भी पूछा कि उसने संगठन चुनाव में कितने सक्रिय सदस्य बनाए थे? दावेदारों को वे पांच कारण भी बताने पड़े जिनके कारण वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस हार गई थी.

करुणा शुक्ल का भाजपा पर राजनैतिक हमला


शुक्ला ने कहा, बीजेपी स्वार्थी पार्टी है और अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजनीति कर रही है. उनका नाम लेकर 2019 चुनावों की तैयारी की जा रही है

करुणा जो 2014 के चुनाव कांग्रेस के निशान पर लड़ कर हार चुकीं हैं, ने छत्तीस गढ़, ओर मध्य प्रदेश की भाजपा पर अटल के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया। पूछे जाने पर की उनका विरोध मात्र इन दो राज्यों के लिए है तो वह ‘जनता सब जानती है’ कह कर सवाल टाल गईं।


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने गुरुवार को बीजेपी पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने बीजेपी पर 2019 के आम चुनावों को देखते हुए वाजपेयी का नाम भुनाने का आरोप लगाया.

शुक्ला ने न्यूज18 से कहा, बीजेपी स्वार्थी पार्टी है और अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजनीति कर रही है. उनका नाम लेकर 2019 चुनावों की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा, बीजेपी को वाजपेयी की मृत्यु पर भी राजनीति करने में शर्म नहीं आती. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि पब्लिक सब जानती है और उसे सब पता है.

इससे पहले बुधवार को बीजेपी ने पूरे देश में बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा शुरू की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अशोक रोड स्थित बीजेपी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सभी राज्यों के बीजेपी अध्यक्षों को अस्थि कलश सौंपा.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, संगठन मंत्री रामलाल समेत कई केंद्रीय मंत्री और पार्टी के नेता मौजूद थे. वाजपेयी की दत्तक बेटी नमिता कौल भट्टाचार्य और परिवार के अन्य लोग भी मौजूद थे.

सभी बीजेपी अध्यक्ष अपने-अपने राज्यों में वाजपेयी की अस्थियों का कलश लेकर जाएंगे. हर राज्य में अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी. पूर्व प्रधानमंत्री की इस कलश यात्रा के लिए राजधानियों, जिलों और तालुकों में भी कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है.

राहुल बिना आंकड़ों के 10 जनपथ द्वारा पोषित झूठ फैलते हैं: संबित पात्रा


बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के लिए भारतीय संस्कृति को जिम्मेदार बताकर राहुल ने देश की छवि धूमिल की है।

क्या राहुल गांधी यह बताने का प्रयत्न करेंगे कि उनकी माता श्रीमती सोनिया गांधी 19 साल तक किस राष्ट्र में एक राजनैतिक दल की मुखिया रहीं?


बीजेपी ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि जर्मनी के एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में उन्होंने भारत का कद घटाया, आतंकवाद को सही ठहराया और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ‘सफेद झूठ’ कहा.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने विभिन्न मुद्दों पर टिप्पणियों के लिए कांग्रेस अध्यक्ष से सफाई मांगी और दावा किया कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के लिए भारतीय संस्कृति को जिम्मेदार बताकर उन्होंने देश की छवि धूमिल की है.

हैम्बर्ग के बुसेरियस समर स्कूल में बुधवार को लोगों को संबोधित कर रहे राहुल ने आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट का उदाहरण देते हुए कहा था कि विकास प्रक्रिया से बड़ी संख्या में लोगों को बाहर रखना दुनिया में आतंकवादी समूहों की उपज का कारण बन सकता है.

राहुल ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को विकास प्रक्रिया से दूर रख रही है और यह खतरनाक हो सकता है.

कांग्रेस अध्यक्ष पर पलटवार करते हुए पात्रा ने कहा, ‘राहुल गांधी ने भारत का कद छोटा करने और उसकी छवि धूमिल करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. हमें आपसे स्पष्टीकरण चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘राहुल ने आतंकवाद को जायज ठहराने की कोशिश की और इस्लामिक स्टेट के लिए सफाई दी है. इससे ज्यादा भयभीत करने वाली और चिंताजनक कोई बात नहीं हो सकती.’

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि राहुल की यह टिप्पणी समुदाय के लिए अपमानजनक है कि भारत में अल्पसंख्यकों के लिए यदि नौकरियां नहीं हैं तो वे आईएस का रूख कर लेंगे.

पात्रा ने दावा किया कि भारत के संबंध में राहुल के विचार बहुत तुच्छ हैं, वह अब भी चीन का गुणगान कर रहे हैं जबकि मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बन गया है.

पात्रा ने आरोप लगाया, ‘उनका भाषण झूठ और भ्रम से भरा था.’ साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या वह आंकड़ा 10 जनपथ में तैयार किया गया है जिसमें राहुल ने बताया कि भारत में हर घंटे रोजगार के 44 अवसर सृजित होने की तुलना में चीन में हर घंटे रोजगार के 50 अवसर पैदा हो रहे हैं.

10 जनपथ राहुल की मां और संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी का आवास है. पात्रा ने राहुल के बारे में कहा, ‘न तो आपके पास कोई आंकड़े हैं और न ही आप कोई तैयारी करते हैं.’

बीजेपी नेता ने कहा कि सोनिया गांधी 19 साल से ज्यादा वक्त तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं और करीब 10 साल तक ‘प्रॉक्सी प्रधानमंत्री’ के रूप में देश पर शासन किया.

भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर राहुल की टिप्पणी को लेकर उनसे माफी की मांग कर रहे पात्रा ने पूछा, ‘क्या इस भारतीय संस्कृति ने उन्हें (सोनिया को) शीर्ष पर पहुंचने में मदद नहीं की? राहुल और सोनिया गांधी को सामने आकर सफाई देनी चाहिए कि वह ऐसी महान भारतीय संस्कृति पर ऊंगली कैसे उठा सकते हैं?’

पात्रा ने कहा कि दलितों और आदिवासियों के प्रति अत्याचार से निपटने वाला कानून मोदी सरकार द्वारा रद्द किए जाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रमुख ने ‘सफेद झूठ’ बोला है. उन्होंने कहा, वास्तव में संसद ने पिछले सत्र में संशोधन पारित कर कानून को और अधिक कठोर बनाया है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग के शासनकाल में खाद्य सुरक्षा कानून केवल 11 राज्यों में लागू था जबकि बीजेपी नीत राजग सरकार ने इसे देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया है.

मोदी विरोध के अपने राजनैतिक कर्तव्य का पालन करते हुए राहुल ने भारत को इराक के बराबर खड़ा किया


इससे पहले भी राहुल गांधी अपने विदेशी दौरे में देश के अंदरूनी हालात और सियासी मुद्दों को उठाकर विवादों को हवा दे चुके हैं

राहुल गांधी राजनीति की उस मानसिकता के द्योतक हैं जहा “इन्दिरा इस इंडिया” कहा जाता था, उसी के चलते वह ‘इंडिया इस मोदी’ मान कर चलते हैं ओर मोदी विरोध में वह कब भारत विरोध कर देते हैं उन्हे पता ही नहीं चलता।


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूरोप में दो देशों के दौरे पर हैं. विदेशी जमीन पर एक बार फिर उन्होंने देश के अंदरूनी मुद्दों को उठाया. मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने बताया कि देश में मॉब लिंचिंग की असली वजह बेरोजगारी है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर दलित और अल्सपसंख्यक जैसे समुदायों की विकास की दौड़ में अनदेखी हुई तो देश में आईएस की तरह विद्रोही और आतंकवादी ग्रुप बन सकते हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आज देश में नोटबंदी और जीएसटी की वजह से  गृहयुद्ध के हालात हैं? आखिर क्यों राहुल को इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन की देश में उभार की आशंका दिखाई दे रही है? लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर राहुल को ये आत्मज्ञान कहां से मिला?

आखिर राहुल कैसे कह सकते हैं कि देश में दलितों की अनदेखी होने पर  आतंकवादी संगठन बन सकते हैं? क्या राहुल को देश के हालात गृहयुद्ध जैसे नजर आते हैं? आखिर राहुल गांधी कैसे नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी के मुद्दे पर देश के हालातों की तुलना इराक की अराजकता से कैसे कर सकते हैं?  क्या पिछले 4 साल में वाकई देश में हालात राहुल के मुताबिक ऐसे हो गए हैं कि यहां अल्पसंख्यक आईएस जैसा आतंकवादी संगठन तैयार कर सकते हैं?

बात सिर्फ अल्पसंख्यक और दलित समुदायों की असुरक्षा या अनदेखी की नहीं रही. राहुल ने इस मौके पर बेरोजगारी को लेकर नया फंडा दे डाला. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने जिस तरह से देश में नोटबंदी और जीएसटी लागू की उससे कई लोगों के उद्योग चौपट हो गए और लाखों लोग बेरोजगार हो गए. राहुल के मुताबिक बेरोजगारी की वजह से पनपा गुस्सा ही मॉब लिंचिंग की शक्ल में सामने आ रहा है. इस तरह, राहुल ने दो अलग अलग समस्याओं को नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी, दलित-पिछड़े-अल्पसंख्यकों की अनदेखी से जोड़कर देश को इराक के बरक्स खड़ा कर दिया.

देश में मॉब लिंचिंग की जितनी भी घटनाएं हुईं उनकी अलग अलग वजहें मानी जाती रहीं हैं. कहीं पर गौ-तस्करी के आरोप में लोग भीड़ के हमले का शिकार हुए तो कहीं बच्चा-चोर जैसी अफवाहों ने भीड़ के उन्माद को हत्यारा बनाने का काम किया. सवाल उठता है कि क्या उन्मादी भीड़ में शामिल लोग वो थे जो नोटबंदी का शिकार हो गए थे? मॉब लिंचिंग में शामिल लोग वो थे जिनका कारोबार जीएसटी की वजह से ठप हो गया था?

राहुल कहते हैं ‘अगर देश के लोगों को विकास से बाहर रखा गया तो देश में आईएस जैसे आतंकी संगठन बन सकते हैं.’ आखिर वो कौन लोग हैं जिनकी देश की विकास यात्रा में अनदेखी की गई या की जा रही है?

जिस देश का राष्ट्रपति दलित समुदाय से हो वहां क्या दलित समुदाय इराक के इस्लामिक स्टेट को अपनी प्रेरणा बना सकता है? इस देश के दलितों की प्रेरणा हमेशा गांधी और आंबेडकर जैसे महापुरूष रहे हैं. लेकिन ये विडंबना ही है कि दलित वर्ग का मसीहा कहलाने वाले राजनीतिक दलों ने हमेशा ही इनका शोषण किया.

आज राहुल विदेशी जमीन पर बैठकर जिन दलित और मुस्लिम समुदाय की बात कर रहे हैं, वो ये भूल रहे हैं कि कभी दलित-मुस्लिम ही कांग्रेस के कोर वोटर हुआ करते थे. उसके बावजूद आज ये वर्ग हाशिए पर क्यों है? खासतौर से तब जबकि देश में पचास साल से ज्यादा कांग्रेस का शासन रहा. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट ने तो कांग्रेस शासन के वक्त ही देश के मुसलमानों की बदहाल तस्वीर को नुमाया किया.

जर्मनी के हैम्बर्ग में छात्रों से बात करते हुए राहुल ने कहा कि साल 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद एक कानून लाया गया जिसने वहां की एक विशेष जनजाति को सरकार और सेना में नौकरी पाने से रोक दिया था. राहुल ने कहा कि इराक सरकार के उस फैसले की वजह से कई लोग विद्रोही हो गए और ये विद्रोही संगठन इराक से लेकर सीरिया तक फैल गया जो बाद में  IS जैसा खतरनाक ग्रुप बन गया.

राहुल की इस्लामिक स्टेट को लेकर सोच पर सवाल उठते हैं. क्या इराक में इस्लामिक स्टेट का उभार बेरोजगारी और समाज में भागेदारी में अनदेखी की वजह से हुआ?

साल 2003 में इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के अपदस्थ होने के बाद हालात गृहयुद्ध की तरफ बढ़ चुके थे. इराक में शिया-सुन्नियों के बीच बम धमाकों के चलते नफरत और अविश्वास की खाई गहराती चली गई थी. ‘बांटो और राज करो’ की नीति के जरिये अमेरिका इराक में सुन्नियों के प्रभुत्व को कम करने में जुटा हुआ था. इस वजह से शिया-सुन्नी के बीच अमेरिका की वजह से नफरत की दीवार बड़ी होती चली गई.

इराक का आम सुन्नी खुद को अपदस्थ राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से जोड़ कर देखता था. सद्दाम हुसैन में आम इराकी को ही अपना गौरव और शौर्य दिखाई देता था. खुद सद्दाम हुसैन सुन्नी थे लेकिन इसके बावजूद सद्दाम के दौर में इराक में कभी शिया-सुन्नी विवाद नहीं था. शिया बहुल इराक में सुन्नी शासन था. सद्दाम की बाथ पार्टी में शिया और सुन्नी बराबरी से थे और किसी एक समुदाय की अनदेखी नहीं थी.

लेकिन सद्दाम की फांसी ने शिया और सुन्नियों के बीच की नफरत को झुलसा कर रख दिया. इराक की शिया सरकार ने अमेरिका के इशारे पर फांसी की सजा सुनाई थी. उन तेजी से बदलते हालातों में इराकी सरकार के इशारे पर सेना ने सुन्नियों पर जमकर कहर बरपाया. जिससे वहां सुन्नी, कुर्दों और तमाम कबीलों में अमेरिका और इराकी सरकार के खिलाफ नफरत बढ़ती चली गई जिससे हिंसा बढ़ती गई. उस नाजुक मौके का कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा ने भरपूर फायदा उठाया. अमेरिकी सेना के खिलाफ जंग के नाम पर विद्रोही अलकायदा के साथ इकट्ठे होते चले गए.

लेकिन जब इराक में अलकायदा का कमांडर अबू मुसाब अल जरकावी मारा गया तो इराक में अलकायदा कमजोर पड़ने लगा. अलकायदा के कमजोर होने पर इस्लामिक स्टेट का उभार होता चला गया. अबू बक्र अल बगदादी के इस संगठन से तमाम कबीले, लड़ाके, विद्रोही जुड़ते चले गए और देखते ही देखते इस्लामिक स्टेट दुनिया का सबसे दुर्दांत और अमीर आतंकी संगठन बन गया.

सवाल उठता है कि आखिर राहुल इराक की राजनीतिक और समाजिक परिस्थितियों से भारत की तुलना कैसे कर सकते हैं? बल्कि अपनी इस सोच के जरिए राहुल देश के दलितों और अल्पसंख्यकों को लेकर विदेशी जमीन पर कौन सा विज़न रख रहे हैं?

विदेश जमीन पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार पर बरसने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते. लेकिन इस तरह भारत की छवि पर भी सवाल उठते हैं. राहुल के जवाब से दुनिया में ये संदेश जा सकता है कि आतंकवाद को मिटाने के नाम पर दुनिया के तमाम देशों को एक साथ लाने की मुहिम में जुटे भारत में ही अस्थिरता का आलम ये है कि यहां इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन सिर उठा सकते हैं. कम से कम राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा और अखंडता को लेकर राहुल गांधी को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए.

 

इससे पहले सिंगापुर और मलेशिया के दौरे पर राहुल गांधी ने देश के अंदरूनी हालातों पर सवाल उठाया था. सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मामले में राहुल ने सिंगापुर में कहा था कि लोग इंसाफ के लिए न्यायपालिका के पास जाते हैं, लेकिन पहली बार चार जज इंसाफ के लिए लोगों के पास आए.

इससे पहले बहरीन में भी उन्होंने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि देश में विघटन के हालात पैदा हो रहे हैं. राहुल ने कहा था कि मोदी सरकार देश में नौकरियां पैदा नहीं कर पा रही है जिससे लोगों में गुस्सा है.

वहीं सितंबर 2017 में अमेरिका की बर्कले यूनिवर्सिटी में राहुल ने नोटबंदी के फैसले पर निशाना साधते हुए कहा था कि नोटबंदी की वजह से भारत में नई नौकरियां बिलकुल पैदा नहीं हो रही हैं. आखिर राहुल अपने सियासी फायदे के लिए विदेशी धरती पर देश की कौन सी छवि रखना चाहते हैं? वो अप्रवासी भारतीयों को कौन सा संदेश देना चाहते हैं?

राहुल दरअसल इस तरह से देश की छवि खराब करने का ही काम कर रहे हैं. वो विभिन्न समुदायों, पंथों, धर्मों, जातियों, भाषाओं से बने और समरसता के एक सूत्र में पिरोए हुए भारत को दरअसल बंटा और टूटा हुआ बता रहे हैं. वो ये बताना चाह रहे हैं कि भारत में राष्ट्रीयता के मूल्य इतने कमजोर हैं कि यहां इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन खड़े हो सकते हैं.

राहुल को ये सोचना चाहिए कि भारत वो मुल्क है जो भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से सिर्फ नक्शे में ही बंटा हुआ दिख सकता है. जबकि राहुल अपने सियासी नजरिए से देश को विघटन की कगार पर देख रहे हैं.

“एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति” ने हरियाणा के हित में सुझाया नया ‘जल मार्ग’

फोटो: राकेश शाह


हिमाचल के बद्दी से पिंजौर लाया जा सकता है

राजनैतिक दलों पर लगाया हरियाणा व पंजाब के किसानों की बरगलाने का आरोप

एडवोकट जितेंद्र्नाथ के नेतृत्व मे समिति जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधान मंत्री को सौंपेगी ज्ञापन


चंडीगढ़, 23 अगस्त-

हरियाणा व पंजाब के बीच राजनैतिक फुटबाल बना एसवाईएल का पानी अगर केंद्र सरकार चाहे तो एक साल के भीतर दक्षिणी हरियाणा के सूखे खेतों को सींच कर हारा-भरा कर सकती है बेशर्ते बिना राजनैतिक स्वार्थ के दृढ़ संकल्प होना चाहिए। यह पानी भी ऐसे रास्ते से आएगा की न पंजाब के किसानों को कोई क्षति होगी ओर न हरियाणा को उसके भाग में कमी आएगी।*

यह रास्ता सुझा रहे हैं “एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति” के अध्यक्ष अडवोकेट जितेंद्र्नाथ। उन्होने आज यहाँ प्रैस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि उन्होने एसवाईएल नहर के पानी को भाखड़ा डैम से हरियाणा तक लाने का शांति व सद्भाव से मार्ग तलाशने के लिए विस्तार से अध्ययन किया। उन्होने जो मार्ग तालाश किया उससे न तो पंजाब के किसानों को कोई एतराज़ होगा ओर न ही हरियाणा के किसानों के हक़ में कोई कटौती होगी। अगर सरकार ने उनके द्वारा सुझाए हुए मार्ग के रास्ते एसवाईएल का पानी लाने के लिए कोई कार्यवाही शुरू नहीं कि तो आगामी 28 अगस्त से शुरू करके करीब 4 महीने तक विभिन्न गतिविधियां आयोजित कि जाएंगी ओर 1 दिसम्बर 2018 को दिल्ली के जंतर मंत्र पर प्रदर्शन करके प्रधान मंत्री को ज्ञापन सोनपा जाएगा।

उन्होने बताया अगर केंद्र की भाजपा सरकार वास्तव में एसवाईएल के पानी कि समस्या का हल चाहती है तो भाखड़ा डैम से हिमाचल के रास्ते बद्दी होते हुए पिंजौर के साथ से पंचकुला के पास टांगरी नदी से पानी जनसुई हैड तक लाया जा सकता है। उन्होने एक डॉक्यूमेंटरी के मधायम से एसवाईएल के वर्तमान हालात व उनके सुझाए गए रस्तों को दिखते हुए बताया कि जनसुई हैड से आगे नहर का काम पूरा हो चुका है।  भोगोलिक दृष्टि से देखें तो भाखड़ा डैम से वाया हिमाचल हरियाणा कि सीमा मात्र 67 किलोमीटर दूऋ पर है जबकि पंजाब के रास्ते हरियाणा सीमा कि दूरी 156 किलोमीटर पड़ती है।

अडवोकेट जातींद्र्नाथ ने बताया कि उनकी “एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति” ने जो रास्ता सुझाया है उस रास्ते में पड़ने वाली हिमाचल प्रदेश की ज़मीन पहाड़ी व वीरानी है ओर सरकारी भी है जिसको हिमाचल सरकार बड़ी आसानी से दे सकती है। यहाँ उन्होने बताया कि हिमाचल प्रदेश के भाखड़ा डैम का पानी भी तेज़ बहाव से नीचे कि तरफ आता है जिससे बिजली बनाई जाती है। भाखरा डैम से विद्युत उत्पादन के बाद यह पानी सतलुज नदी में गिरता है। हिमाचल में सतलुज नदी 11 किलोमीटर तक बहती है जिसमें कहीं पर भी एसवाईएल को जोड़ कर पानी लाया जा सकता है। समुद्र तल से सतलुज नदी का लेवल वहाँ पर 1203 फीट है, पंचकुला में 1000 फीट  और अंबाला  में 900 फीट व जनसुई हैड तक 823 फीट समुद्र ताल से ऊंचाई है। कहने का भाव यह है कि सतलुज नदी से लेकर जनसुई हैड तक एसवाईएल का पानी सरपट दौड़ता हुआ आएगा।

उन्होने बताया कि कि ऐसे में यदि एसवाईएल का निर्माण पंजाब के बजाए हिमाचल से सीधा करवाते हैं तो प्रदेश सरकार को खर्चा भी अधिक वहन नहीं करना पड़ेगा ओर पुनर्वास कि समस्या भी नहीं आएगी। इस रास्ते से हरियाणा में पानी लाये जाने से 1100 मेगावाट बिजली भी बनाई जा सकती है ओर प्रदेश वासियों को उनके हक का पानी भी मिल जाएगा, दक्षिणी हरियाणा की पानी की कमी से जूझती बंजर होती जा रही भूमि सिंचित हो जाएगी। दक्षिण हरियाणा का किसान पिछले करीब 43 साल से एसवाईएल के पानी का इंतज़ार कर रहा है। वहाँ का भूमिगत जल स्तर काफी नीचे चला गया है, खेत व जोहड़ की बात तो दूर पीने का पानी तक खारा हो गया है। ख़राब भूमिगत पानी पीने से लोगों में कैंसर जैसी भयानक बिमारियाँ फैलने लगीं हैं।

उन्होने हरियाणा के पंजाब से अलग होने पर एसवाईएल के पानी के मुद्दे पर अभी तक सत्ता में आए सभी राजनैतिक दलों द्वारा मात्र राजनीति किए जाने का आरोप लगाया। सर्वोच्च नयायालय के निर्णय के बावजूद राजनैतिक दलों ने ऐसे हालात पैदा कर दिये है कि अगर पंजाब के रास्ते जबरन एसवाईएल का पानी हरियाणा में लाया जाता है तो पंजाब के भोलेभाले किसान राजनेताओं के बहकावे में आ कर कोई अवांछित कदम उठा सकते हैं। दोनों प्रदेशों के लोगों में रोटी बेटी का नाता है ओर यहाँ के जवानों का राष्ट्र कि सीमा पर और क्षेत्र के किसानों का राष्ट्र के अन्न भंडार में भरपूर योगदान रहा है। ऐसे में “एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति” चाहती है कि किसी भी कीमत पर हरियाणा व पंजाब के बीच सामाजिक सद्भाव व प्रेम खत्म नहीं होना चाहिए।

फोटो: राकेश शाह

कभी कांग्रेस तो कभी आईएनएलओ ओर भाजपा सरकारें मामले को सर्वोच्च नयायालय में लंबित बता मुद्दे को लटकती आ रहीं हैं॥ पिछले दिनों सर्वोच्च नयायालय ने अपने फैसले में कहा है कि एसवाईएल नहर बनानी चाहिए  ताकि ब्यास नदी का अतिरिक्त पानी दक्षिणी हरियाणा की प्यासी भूमि को मिल सके। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने यह बिलकुल नहीं कहा कि यह पानी पंजाब के रास्ते ही आना चाहिए, या यह पानी हिमाचल के रास्ते नहीं आना चाहिए।

जितेंद्र्नाथ ने बताया कि उनकी समिति द्वारा तैयार किए गए ‘वैकल्पिक’ जल मार्ग का खाका बना कर उन्होने 8 जनवरी 2017 को हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री, राज्यपाल व हिमाचल प्रदेश की सरकार को दिया था, जिसका अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया। सरकारों के मंसूबों को भाँप कर सर्वोच्च नयायालय में एक जनहित याचिका दायर की, कि नयायालय केंद्र एवं राज्य सरकारों को समिति द्वारा सुझाए गए जल मार्ग को प्रशस्त करने के लिए प्रोत्साहित कर सके, इस मांग को नयायालय ने अपने कार्यक्षेत्र के बाहर कि बात कह कर समिति को सरकारों के द्वार खटखटाने के लिए कहा।

जितेंद्र्नाथ ने कहा कि एसवाईएल मामले पर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा उदासीन रवैये के चलते वह अपने वैकल्पिक जल मार्ग का रास्ता जनता के बीच ले कर आए हैं ताकि प्रदेश की जनता को साथ लेकर सरकार पर दबाव बनाया जा सके। इसके लिए उनकी समिति पूरे हरियाणा में 28 अगस्त से जागरूकता अभियान चलाएगी ओर करीब चार महीने तक गाँव, ब्लाक, कालेज व विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को एसवाईएल के पानी के महत्व व सरकार द्वारा इस मुद्दे की उपेक्षा के बारे में समझाया जाएगा। बाद में, ‘एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति’ के नेतृत्व में प्रदेश की जनता द्वारा एक दिसंबर 2018 को जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर देश के प्रधान मंत्री श्री मोदी को ज्ञापन सौंपा जाएगा जिसमें एसवाईएल का पानी समिति द्वारा सुझाए गए मार्ग से लाने की मांग की जाएगी। इससे पंजाब व हरियाणा के बीच सामाजिक सद्भाव भी बना रहेगा और हरियाणा के किसानों को उनके हक का पानी भी मिल जाएगा।

एडवोकेट जितेंद्र्नाथ ने एसवाईएल नहर के पानी के मुद्दे के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि 29 जनवरी 1955 को पंजाब, राजस्थान व जम्मू कश्मीर के पानी का बटवारा हुआ था। वर्ष 1966 में हरियाणा बनाने के बाद पंजाब के पानी का बंटवारा हुआ था जिसमें हरियाणा को 3.50 मिलियन एकड़ फुट पानी दिया गया था जो एसवाईएल नहर का निर्माण कर दक्षिण हरियाणा कि भूमि को पंहुचना था, उस नहर का निर्माण आज तक नहीं हुआ।इस पर पिछले 43 सालों से पंजाब ओर हरियाणा में विवाद चल रहा है। वर्ष 1990 तक नहर का थोड़ा बहुत निर्माण चलता रहा परंतु 2 जुलाई 1990 को एक मुखी अभियंता, एक अधीक्षक अभियंता व 22 मजदूरों कि गोली मर कर हत्या कर देने के बाद से नहर निर्माण के लिए पंजाब में कोई नहीं गया। वर्ष 1996 में हरियाणा सरकार उच्चतम नयायालय में चली गयी, जिसका फैसला 2002 में आया लेकिन उस पर भी अमल नहीं हुआ। हम सब जानते हैं कि पंजाब सरकार ने पिछले दिनों नहर कि भूमि के आबंटन रद्द कर नहर कि भूमि किसानों को लौटा दी व पंजाब के किसानों के इंतकाल कार्वा दिये गए।इस हालत में नहर के पुनर्निर्माण के लिए ज़मीन सरकार के पास नहीं है, पंजाब सरकार ने उच्च नयायालय मे शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि पंजाब के पास नहर के पुनर्निर्माण के लिय भूमि नहीं है।

ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारों से समिति का अनुरोध है कि दोनों प्रदेशों के भाई चारे व हरियाणा के किसानों के हित को देखते हुए इनके द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक जल मार्ग से एसवाईएल का पानी हरियाणा को दिया जाये

 

Congress gear up to corner BJP’s ‘8 month rule ‘

 

Monsoon session of Himachal Pradesh Assembly is, however, set to begin on somber note on 23 August with obituary references for former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee, who always showered special concern on the hill state.

The Opposition Congress is geared up to corner Bharatiya Janata Party (BJP) government on ‘administrative’ failures in its eight months rule in Himachal, right from Kasauli shoot out over demolition drive, that claimed two lives, to the worst ever water crisis in Shimla.

“Just because of the myopic vision of the present government, Shimla got defamed for the water crisis nationally as well as internationally for the water crisis. The government swung into action only after people took to streets over the water scarcity in Shimla. The Congress party will raise this issue strongly,” said Sukhvinder Singh Sukhu, state Congress president, Himachal Pradesh, who represents Nahan Assembly segment in the Assembly.

Sukhu said the Congress will also question the government on the Kasauli shoot out, which occurred just because of laxity on the part of administration. “There was total lack of official preparedness while implementing Supreme Court orders on demolition of unauthorised buildings,” he said.

Besides, the Congress party is likely to rake up debate on drug menace in HP, an issue that has acquired serious proportions in the state lately. “The crime rate in state has increased and the menace of drugs is going out of hands. The government needs to draw a joint strategy with neighbouring states to nab the networking of drug peddlers. Our party wants strict implementation of the law to check drug pedalling,” said Congress leaders.

The nine-day session till 31 August will have seven sittings, including a private members day on 30 August. The members, across the parties, are prepared to take up the issue of damage in different districts due to rains and the condition of roads.

The BJP Legislative Party, headed by Chief Minister Jai Ram Thakur will, however, chalk out its floor strategy for the Monsoon session in a meeting late in the evening, the insiders said ruling benches are also fully prepared to counter the Congress attack.

“Chief Minister Jai Ram Thakur has done good work in eight months and has jumped into the problems to solve them. He has never evaded any issue, whether it is about drug menace, the Kasauli shoot out or the water crisis. Rather, he is the only CM who took lead in monitoring the water situation day to day in Shimla till it got normal,”he said.

He said the strength of BJP is the honest function of the CM, and the Congress party can’t draw any mileage over any issue by making it controversial.

Assembly Speaker, Dr Rajeev Bindal, who is extra cautious to run the session smoothly, has already convened all party meeting in this regard. “I hope the members fully utilise the opportunity to raise the issues of public importance,” said the Speaker.

Bimal – Rajnath to talk ‘other issues’

Darjeeling MP SS Ahluwalia with GTA chief Bimal Gurung a file photo


Ahluwalia hopes for tribal status for 11 Hill communities during House winter session


Darjeeling Member of Parliament SS Ahluwalia on Wednesday said Home Minister Rajnath Singh and leaders of the Gorkha Jan Mukti Morcha (GJMM), Bimal Gurung camp, will talk “other issues” pertaining to the Hills in an “official-level” meeting to be held in September. Mr Ahluwalia also expressed hope that the winter session of Parliament will do the needful, like amending the constitution, about granting tribal status to 11 Gorkha communities in the Hills.

Asked if the demand for a separate state of Gorkhaland will be discussed in the meeting with the Home Minister, Mr Ahluwalia, who is on a two-day visit here, said there are “other issues” that can be discussed, like the tribal status for the 11 communities.

“In a meeting with the Home Minister on Tuesday, the Morcha leaders apprised him of the deceit and onesided decisions being taken in the Hills, like the names of leaders and their families being struck off the voter rolls…,” the MP, who is also the union minister of state for Electronics and Information Technology, said.

According to him, the Morcha delegation also talked about the Home Minister’s plea on 26 September last year to withdraw the protracted Hill shutdown and his offer to hold talks within a fortnight then.

“However, when the Centre asked the state government to communicate as to who would represent the state in the tripartite talks to be held then, the state refused to attend such talks and asked us not to hold the talks too,” the MP clarified.

On the demand for tribal status for the Gorkha communities, Mr Ahluwalia said that Union Tribal Minister Jual Oram has assured he would have a full report, with recommendations, from the committee studying the same in six weeks’ time.

He also slammed chief minister Mamata Banerjee for her Hill policies and said that peace cannot be restored by “picking lame horses (a veiled reference to Morcha leader Binoy Tamang and his group of leaders) breaking houses, breaking political parties and creating a divide in society.”

He further expressed concern about the alleged Rohingya Muslims settling down in Bengal, including in Kalimpong areas. “An effort to make a demographic change in the Hills is a dangerous trend, and not good for national security,” he said. On the issue of minimum wages for tea workers, Mr Ahluwalia said he is for implementing the Minimum Wages Act in tea plantations.

“The salary is rising in every sector and the prices of commodities are ever rising, but nothing is happening in the gardens,” he said, adding that he also demands Hindi or English schools for children of tea workers so that they can learn the “language of opportunity.” He further demanded retirement benefits and provident funds for workers.

Alleging that massive corruption was happening in West Bengal in the Prime Minister’s Aawas Yojana (housing scheme), he sought investigations into it. He also came down on the land mafia that is active in Bengal and which has been grabbing plots of land.

“There was action on some persons regarding this, but the mafia is still there,” he said. Asked where fugitive Morcha leader Bimal Gurung was, he said he is very much in India and “in Darjeeing and Dooars.”

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 वर्ष की उम्र में निधन


वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर का निधन, 1 बजे लोधी घाट में होगा अंतिम संस्कार


नई दिल्ली: भारतीय पत्रकारिता जगत के अहम चेहरा रहे वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 साल की उम्र में आज निधन हो गया. बताया जा रहा है कि कुलदीप नैयर बीते तीन दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. काफी समय में से उनकी सेहत बहुत खराब थी. बुधवार की रात करीब साढ़े बारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. आज दोपहर एक बजे लोधी रोड पर स्थित घाट में अंतिम संस्कार होगा.

बता दें कि कुलदीप नैयर कई किताबें लिख चुके हैं. कुलदीप भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यू.एन.आई, पी.आई.बी., ‘द स्टैट्समैन’, ‘इण्डियन एक्सप्रेस’ के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे थे. वे पच्चीस वर्षों तक ‘द टाइम्स’ लन्दन के संवाददाता भी रहे हैं.

गौरतलब है कि पत्रकारिता की दुनिया में कुलदीप नैयर पत्रकारिता अवार्ड भी दिया जाता है. 23 नवम्बर, 2015 को वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक कुलदीप नैयर को पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृ़ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें यह पुरस्कार दिल्ली में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में केद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने प्रदान किया था. कुलदीप नैयर अगस्त, 1997 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए.

शुरुआती दिनों में कुलदीप नैय्यर एक उर्दू प्रेस रिपोर्टर थे. वह दिल्ली के समाचार पत्र द स्टेट्समैन के संपादक थे और उन्हें भारतीय आपातकाल (1 975-77) के अंत में गिरफ्तार किया गया था. वह एक मानवीय अधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता भी रहे हैं. वह 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे. 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था. वह डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऐप-एड लिखते रहे.

Amarinder Wants Kartarpur Corridor Opened For Sri Guru Nanak Dev Ji Anniversary , Writes to Sushma for Intervention


Chandigarh, August 22, 2018 :

Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh has sought the personal intervention of External Affairs Minister Sushma Swaraj in seeking access from the Pakistan government to enable devotees to visit the historic Gurudwara Sahib in Kartapur on the 550th birth anniversary of Sri Guru Nanak Dev ji.

In a letter to the Union Minister, the Chief Minister has urged Sushma to take up the matter with her counterpart for having the corridor from the International Border to Kartarpur opened for the duration of the celebrations. “This will allow the faithful to pay their respects at the Gurudwara Sahib in Kartarpur,” said Captain Amarinder, pointing out that Kartarpur is located across the river Ravi at a distance of around 4 kms from the International Border near Dera Baba Nanak in Gurdaspur district.

The Chief Minister noted that the 550th Birth anniversary of the first Guru, who breathed his last in Kartarpur, is being observed in November 2019. He pointed out that one of the historical demands of the Sikh community has been to have access to the revered Gurudwara Sahib in Kartarpur. “The Government of Punjab has been requesting Government of India time and again for taking up the matter with the Government of Pakistan for a corridor from the International Border to Kartarpur,” he added.

Captain Amarinder further observed that in pursuance of the long-standing demand, former Prime Minister Dr. Manmohan Singh had made an announcement to this effect at Amritsar on 1st September 2004 on the occasion of the 400th Anniversary of Prakash Utsav of Guru Guru Granth Sahib ji. He had reiterated the same during his subsequent visits to the State in 2005 and 2006. However, despite best efforts this has not materialized, said the Chief Minister, urging Sushma to make personal efforts in the matter.