कांग्रेस की माँग तुरंत पेट्रो पदार्थों व रसोई गैस पर एक्ससाइज़ डूटी कम की जाए। इसे GST के दायरे में लाया जाए।

 

कांग्रेस ने कहा के देश में पेट्रोल डीज़ल व गैस सिलेंडर की बढ़ती क़ीमतों को लेकर भयंकर आक्रोश है। इसे लेकर कांग्रेस ने देशवासियों से 10 सितंबर को होनेवाले देशव्यापी बंद का आयोजन में भाग लेने की अपील की। इसने देशभर के पेट्रोलपंपस पर सुबह 9 बजे से लेकर दोहपर 3 बजे तक प्रतीकात्मक धरना होगा। दोपहर को इसलिए ताकि जनता को परेशानी न होगा।

कांग्रेस ने 11 लाख करोड़ रुपए फ़्यूअल लूट का आरोप मोदी सरकार पर लगाया। कांग्रेस का कहना कि दूसरे विपक्षी दलों ने भी इसके समर्थन का आश्वासन दिया।
आज कांग्रेस के टॉप लीडरशिप ने प्रभारी महासचिवों व पीसीसी चीफ़ के साथ मीटिंग कर इस कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। – सुरजेवाला

कांग्रेस की माँग तुरंत पेट्रो पदार्थों व रसोई गैस पर एक्ससाइज़ डूटी कम की जाए। इसे GST के दायरे में लाया जाए।

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण पर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव की अभद्र टिप्पणी पर कांग्रेस चुप


गौरतलब है अभी कुछ दिन पहिले ही सुरजेवाला ने कांग्रेस्स के डीएनए में ब्राह्मण होने की बात काही थी, अब यह….. 


हिमाचल प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे नीरज भारती वक्त-वक्त पर अपनी अभद्र टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहते हैं. वो फिर अपनी एक फेसबुक पोस्ट को लेकर विवादों में आ गए हैं. जन्माष्टमी के मौके पर एक फेसबुक पोस्ट में भारती ने कृष्ण पर अपमानजनक पोस्ट किया है.

भारती ने जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण भगवान की एक फोटो फेसबुक पर शेयर की, जिसमें वह पेड़ पर बैठे हैं और नीचे नग्न अवस्था में गोपियों को नहाते हुए दिखाया है. इस फोटो के साथ भारती ने लिखा, ‘आज इसका जन्मदिन है क्या?’

भारती की इस पोस्ट पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने भारती पर निशाना साधा और साथ ही राहुल गांधी को भी लपेटे में ले लिया. ठाकुर ने राहुल से सवाल किया.

बीजेपी के संसद में मुख्य सचेतक ठाकुर ने फेसबुक पर लिखा, ‘आपकी मानसरोवर यात्रा ढोंग है. आपकी सुरक्षा के तहत ऐसे अपमानजनक पोस्ट लोगों की धार्मिक भावनाओं पर हमला हैं.’ ठाकुर ने अपने इस पोस्ट के साथ भारती की पूर्व हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री वीरभद्र के साथ की दो तस्वीरें भी पोस्ट कीं.

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि ऐसे पोस्ट कांग्रेस की एंटी हिंदू की छवि को उजागर करते हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से कांगड़ा के सुपरिटेंडेंट ने कहा है कि उन्हें इस बारे में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, अगर मिलती है तो भारती पर उचित कार्रवाई करेंगे.

भारती के अभद्र टिप्पणी के मामले में कांग्रेस ने अपना पल्ला झाड़ा है. कांग्रेस के प्रवक्ता नरेश चौहान का कहना है कि कांग्रेस इस तरह की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करती है. कांग्रेस पार्टी इस मामले से खुद को अलग करती है और यह उनका निजी मामला है. कांग्रेस की विचारधारा ऐसी नहीं है.

नीरज भारती पर पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के चलते एफआईआर दर्ज करवाया जा चुका है. इस पोस्ट पर बीजेपी लीडर प्रतिभा बाली ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने उनका भी अपमान किया. इसके अलावा वह फेसबुक पर अपनी विवादित पोस्ट के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी, स्मृति ईरानी, बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर पर भी अभद्र टिप्पणियां कर चुके हैं.

अमेरिका भारत के मित्र ओर शत्रु तय नहीं करेगा


 

 

भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू की बैठक से पहले दो बातों से भारत के माथे पर चिंता के बल पड़ रहे हैं. पहली ये कि अमेरिकी नाराजगी को देखते हुए भारत ईरान से तेल नहीं खरीदें तो कहां जाए? दूसरा ये कि अमेरिकी आपत्तियों के चलते रूस से मिसाइल क्यों न खरीदें? अमेरिका की रिश्तों को लेकर सीधी शर्तों के चलते ईरान और रूस के बीच भारत फंसा हुआ है. भारत पर एक तरफ ईरान से तेल खरीदी को लेकर अमेरिकी दबाव है तो दूसरी तरफ रूस से हथियार खरदीने पर भी अमेरिका की आपत्ति है.

अमेरिका के साथ टू प्लस टू की वार्ता में अमेरिकी दबाव के बीच भारत पर सबकी निगाहें होंगी. भारत को ही तय करना है कि वो किस तरह से व्यावहारिक तर्क देकर ईरान से तेल खरीदने और रूस से हथियार खरीदने को लेकर अमेरिकी आपत्तियों को खारिज कर सकता है. साथ ही बड़ा सवाल ये भी रहेगा कि अगर अमेरिका भारतीय तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ तो फिर भारत के पास विकल्प क्या होंगे?

व्हाइट हाउस प्रशासन अमेरिका में बैठकर भारत में केंद्र सरकार पर पेट्रोल-डीज़ल के दामों से बढ़ रहे दबाव को नहीं समझ सकता है और न ही उसे समझने की दरकार है. अमेरिकी हित में उसका एक सूत्रीय एजेंडा सिर्फ ईरान से हिसाब चुकाना भर है. तभी अमेरिका ने भारत और चीन जैसे देशों को ईरान से तेल आयात न करने की चेतावनी दी है. अमेरिका ने भारत समेत सभी देशों से कहा है कि वो 3 नवंबर  2018 के बाद से ईरान से हर तरह का कारोबार करना बंद कर दें. ऐसा न करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रिकार्ड बढ़ोतरी की वजह से केंद्र सरकार भारी दबाव में है. चीन के बाद भारत ही ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार देश है. भारत ने फौरी राहत के तौर पर अमेरिकी आपत्तियों के बीच रास्ता निकालते हुए देश की रिफाइनरियों को ईरान से तेल खरीदने की मंजूरी दे दी है. भारत की इस मंजूरी के पीछे मजबूरी साफ है. लेकिन अब अमेरिका के साथ टू प्लस टू वार्ता में भारत को ईरान से तेल खरीद के मामले में सटीक तर्क भी देना होगा.

भारत के साथ बातचीत की मेज पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ और जेम्स मैटिस होंगे. हालांकि भारत इससे पहले ईरान के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका के पूर्व विदेशमंत्री जैक टिलरसन को समझा चुका है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की इस नई ‘डबल-टीम’ से पार पाना भी जरुरी है.

चीन के बाद भारत ही दुनिया में ईरान से कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. भारत अपनी जरुरतों का एक चौथाई तेल ईरान से मंगाता है. ऐसे में ईरान के साथ अचानक ही तेल खरीदना बंद कर भारत बेहद मुश्किलों में फंस सकता है. वहीं दूसरी तरफ ईरान के साथ भारत के दूसरे हित भी जुड़े हुए हैं. भारत के ईरान के साथ रिश्तों का अपना इतिहास है और ईरान में भारतीय उद्योगों के लिये अपार संभावनाएं भी हैं.

पीएम मोदी की ईरान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक, कूटनीतिक, सामरिक और व्यापारिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार पोर्ट के समझौते पर मुहर लगी थी. तेल की कटौती के चलते ईरान में बनने वाला चाबहार पोर्ट भी अटक सकता है. जबकि इस पोर्ट से अफगानिस्तान को भी फायदा पहुंचेगा क्योंकि अफगानिस्तान में बंदरगाह न होने की वजह से वो अभी पूरी तरह पाकिस्तान पर निर्भर है.  ईरान के साथ पुरानी व्यापारिक संधियों और रिश्तों की तिलांजलि देने से अफगानिस्तान में अमेरिका और भारत की शांति प्रक्रियाओं पर भी असर पड़ सकता है.

8 मई 2018 को ईरान के साथ न्यूक्लियर डील को अमेरिका ने रद्द कर दिया था. न्यूक्लियर डील से हटने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता चल गया. वहीं सीरिया मसले पर भी ईरान की भूमिका से अमेरिका की त्योरियां चढ़ती चली गईं. सीरिया के मुद्दे पर अमेरिका और ईरान आमने-सामने आ चुके हैं. जहां सीरिया मसले पर अमेरिका के साथ इजरायल और सऊदी अरब हैं तो वहीं सीरिया के साथ रूस और ईरान. अब सीरिया में इदलिब शहर पर रूस और ईरानी सेना के साथ मिलकर सीरियाई सेना अंतिम हमले की तैयारी में जुटी हुई है. जिस पर अमेरिका ने सीरिया को चेतावनी भी दी है.

अमेरिका के साथ रिश्तों की अहमियत को देखते हुए भारत अमेरिकी चेतावनियों को नजरअंदाज करने की हालत में नहीं है. यही वजह है कि ईरान के साथ भारत ने तेल आयात में काफी कटौती की है जिस पर ईरान ने एतराज जताया था. भारत ने ईरान से मई 2018 में जहां 7 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की खरीद की थी तो एक ही महीने में उसे घटाकर जून 2018 में 5.7 लाख बैरल प्रति दिन कर दिया गया. जबकि अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक केवल दस महीनों में ही भारत ने ईरान से 1.84 करोड़ टन कच्चा तेल आयात कराया था. ऐसे में जाहिर तौर पर भारत टू प्लस टू वार्ता में ईरान के साथ अपने रिश्तों पर तुरंत कोई फैसला लेना नहीं चाहेगा।

हालांकि भारत ने चीन की राह पर चलते हुए अमेरिकी धमकियों के बावजूद राज्यों की रिफाइनरियों को ईरान के तेल टैंकरों से तेल खरीदने की इजाजत दे दी है. इसके पीछे भारत का तकनीकी तर्क ये है कि भारत की रिफाइनरियों के लिये ईरान का तेल ही प्रोसेसिंग के लिये मुफीद है. जिस वजह से दूसरी रिफाइनरियों के तेल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके लिये भारी निवेश की जरूरत पड़ेगी.

अमेरिका की वजह से भारत और ईरान के रिश्तों में छह साल पहले भी तल्खी आ चुकी है. लेकिन ईरान भी ये जानता है कि भारत राष्ट्रहित में अपना फैसला लेने के लिये स्वतंत्र है.

बात सिर्फ ईरान तक ही सीमित नहीं है. अमेरिका ने रूस से हथियार खरीदने को लेकर भी भारत को चेताया है. भारत रूस के साथ एस 400 ट्रायम्फ मिसाइलें खरीद रहा है. इस डील पर अमेरिका डरा रहा है कि भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलने की कोई गारंटी नहीं है. लेकिन भारत को अमेरिका के दबाव में आने की जरुरत नहीं है. भारत किसी भी देश के साथ कारोबार करने के लिये स्वतंत्र है. अमेरिका के दबाव में भारत को झुकने की जरूरत नहीं है. अमेरिका पहले ये बताए कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम कसने के लिये उसने पाकिस्तान पर किस तरह की कार्रवाई की है.

बहरहाल, ईरान से तेल खरीदना भारत के लिये अमेरिका की वजह से खौलते तेल में हाथ डालने के बराबर हो गया है और तेल खरीद में कटौती की वजह से भारत-ईरान के रिश्ते तेल की तरह फिसल सकते हैं.

‘आरक्षण और किसान’ का बड़ा मुद्दा है यह आंदोलन अब हम देश भर में चलाएंगे: यशवंत सिन्हा

इक हार्दिक और सिन्हा 2 फिर बात न कैसे हो


भाजपा के बागी 2 सिन्हा का हार्दिक को साथ 

लोकशाही और तानाशाही के खिलाफ लड़ने के लिये सब को मजबूत होना होगा: शत्रु


 

शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि लोकशाही और तानाशाही के खिलाफ लड़ने के लिये सब को मजबूत होना होगा. वे लोग हार्दिक पटेल के साथ हैं और हार्दिक पटेल के ज्यादा से ज्यादा मांगों के समर्थन में हैं. हम उनके प्रशंसक हैं और उनके हितैषी हैं. उन्होंने कहा कि ‘मैं यही कामना करता हूं कि सरकार को यह समझ आए और जल्द से जल्द वार्तालाप स्थापित करे और समस्या का समाधान करे.

दरअसल, हार्दिक पटेल 11 दिनों से हड़ताल पर हैं. इस दौरान लगभग उनका 20 किलो वजन घट गया है. इधर यशवंत सिन्हा ने कहा कि ये आंदोलन अब हम देश भर में चलाएंगे. आरक्षण और किसान का बड़ा मुद्दा है. गुजरात में पाटीदार समाज के ज्यादातर लोग किसान हैं और देश में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है. इसपर केंद्र सरकार को सोचना चाहिए.

हरियाणा सरकार व माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप सुचारू यातायात प्रबंधों में सफल रहा जिला प्रशासन

फोटो संदर्भ हेतु


-हड़ताल का जिला में नहीं दिखा कोई खास असर
-डीसी व एसपी ने प्रबंधों को लेकर स्वयं संभाली कमान


फतेहाबाद,
हरियाणा सरकार तथा माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा किए गए पुख्ता प्रबंधों के चलते बुधवार को कुछ संगठनों द्वारा की गई रोडवेज की हड़ताल का कुछ खास असर देखने को नहीं मिला और जिला से विभिन्न रूटों पर राज्य परिवहन के अतिरिक्त अन्य राज्यों की बसें व सरकार से परमिट प्राप्त बसें चलती रही। प्रशासनिक अधिकारियों तथा पुलिस के जवानों की मुस्तैदी के चलते आम जनता ने भी राहत की सांस ली और उन्हें अपने गंतव्य तक जाने में ज्यादा दिक्कतें नहीं हुई।
बुधवार सुबह हड़ताली कर्मचारियों ने बसों की आवाजाही को बाधित करने का प्रयास किया, जिस पर पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में ले लिया गया। प्रशासन द्वारा बसों को चलाने के लिए वैकल्पिक समाधान समय रहते कर लिए गए। उपायुक्त डॉ जेके आभीर तथा पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण ने स्वयं जिला भर के विभिन्न मार्गों एवं बस अड्डा परिसरों का दौरा कर सभी प्रबंधों व सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उपायुक्त डॉ आभीर ने कहा कि हरियाणा रोडवेज आम जनता के यातायात का प्रमुख साधन है, जिसे सुचारू रूप से चलाना प्रशासन की अह्म जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि आमजन को अपने रोजमर्रा के कार्यों के अतिरिक्त आकस्मिक कार्य भी करने होते हैं। ऐसे में यदि रोडवेज व्यवस्था ठप्प हो जाए तो जनता को भारी दिक्कतें होती है।
पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण ने कहा कि कानून एवं शांति व्यवस्था को बनाए रखना तथा आमजन के अधिकारों की रक्षा पुलिस की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है। हड़ताल के मद्देनजर पुलिस ने बखूबी से अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन किया है। उन्होंने अपील की कि कोई भी व्यक्ति किसी आंदोलन के नाम पर कानून एवं शांति व्यवस्था को न बिगाड़े। इस मौके पर एसडीएम सरजीत नैन, डीएसपी जोगेन्द्र शर्मा सहित अन्य प्रशासनिक अमला भी मौजूद रहा।

पुलिस ने हड़ताली रोडवेज कर्मचारियों पर बरसाए डंडे, बसों को किया रवाना

खबर ओर फोटो अजय कुमार


प्रशासन पूरी सुरक्षा में बसों को चलाने की कोशिश कर रहा है और लम्बे रूट की कई बसों को सुरक्षा के बीच रवाना किया गया


फोटो अजय कुमार

फोटो अजय कुमार

हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आज प्रदेश भर मेंहरियाणा रोडवेज की बसों का चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी. लेकिन सरकार की सख्ती के चलते रोडवेज का चक्का जाम बेअसर दिखाई दिया. जींद में चक्का जाम कर रहे रोडवेज कर्मियों पर आज सुबह पुलिस ने लाठी चार्ज किया. रोडवेज कर्मियों ने जब बसों को रोकना चाहा तो पुलिस ने हड़ताली कर्मचारियों को भगा भगा कर पीटा.

प्रशासन पूरी सुरक्षा में बसों को चलाने की कोशिश कर रहा है और लम्बे रूट की कई बसों को सुरक्षा के बीच रवाना किया गया. पुलिस ने कुछ रोडवेज कर्मियों को भी हिरासत में ले लिया है. बता दें की प्राइवेट बसों को परमिट देने के विरोध में पूरे हरियाणा में रोडवेज कर्मचारियों आज चक्का जाम पर है.

पिछले चार साल में  रोडवेज कर्मचारियों यह 11वीं हड़ताल है. रोडवेज कर्मचारियों का कहना है की पूरे हरियाणा में पूर्ण चक्का जाम रहेगा. पूरे हरियाणा में लाखों यात्री इस चक्का जाम से प्रभावित होते है. सख्त कदम उठाते हुए अबकी बार सरकार ने एस्मा एक्ट लगाया है. हड़ताल को देखते हुए प्रसासन ने जींद बस अड्डे पर सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था. पुलिस को यहाँ बल प्रयोग करना पड़ा बसों की सुरक्षा हेतु पुलिस को यहाँ लाठी चार्ज भी करना पड़ा

सिरसा में रोडवेज की हड़ताल पूरी तरह कामयाब 2: 20 पर बस चलाने का प्रशासन ने किया प्रयास। विरोध के चलते बस नहीं चल पाई।

चरखी दादरी में प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में दादरी में बसों का संचालन करवाया, बसें रोकने पहुंचे रोडवेज के 7 कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार किया। सुबह 4 बजे से बसों का संचालन शुरू हो चुका था। बस स्टैंड से पुलिस गाड़ियों के पीछे निकाली बसें।

फ़तेहाबाद में भी बसों का संचालन शुरू, कर्मचारियों को किया गिरफ़्तार

पलवल में परिवहन का काम सुचारू रूप से चल रहा है, हरियाणा रोडवेज की बस हडताल का कोई असर नहीं
सिरसा में कर्मचारी नेताओं को हिरासत में लेने के बाद बस सेवा बहाल हो गई है

पंचकुला में हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों का बसस्टैंड पर शान्तिपूर्ण धरना जारी रहा, कुछ एक बसे विभाग द्वारा चलाई जा रही है
धरनासथल पर भारी पुलिस बल तैनात ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके।

Defence deals can be made public by stepping in Apex Court !!!


 

The Supreme Court will be hearing a petition seeking a stay on the Dassault Rafale fighter jet deal between India with France on the ground that there were discrepancies in the deal.

The plea, which will be heard next week, has been moved by advocate Manohar Lal Sharma who has alleged that there are gross irregularities in the deal for the purchase of 36 fighter jets inked between India and France on 23 September 2016.

A bench comprising Chief Justice Dipak Misra and Justices AM Khanwilkar and DY Chandrachud considered the advocate Sharma’s appeal that his plea be listed for urgent hearing.

According to reports, the petitioner has stated that the cancellation of the older tender without reason and the new deal getting inked without parliamentary approval suggest conspiracy.

Sharma has also sought an inquiry by a Special Investigation Team (SIT) monitored by the Supreme Court.

The Congress has been accusing the Bharatiya Janata Party (BJP)-led NDA government at the Centre over the pricing of the fighter jets. The Congress claims that the deal inked during the UPA rule was Rs 520 crore per aircraft which ballooned to Rs 1,600 crore in the new deal under the NDA regime.

Led by its president Rahul Gandhi, the party has demanded that the government reveal the price details of the Rafale fighter jets.

Recently, the Congress also attacked the government and Anil Ambani-led Reliance Group over the deal. Dassault entered into a joint-venture with the Reliance Group to fulfil the offset requirement of the deal.

Ambani had in August sent legal notices to several Congress leaders and also told Rahul Gandhi in a letter that his party has been “misinformed, misdirected and misled” by “malicious vested interests and corporate rivals” on the issue.

In its defence, the government has said that it is bound by a “secrecy clause” that was signed in 2008 during the UPA years which prohibits both New Delhi and Paris from revealing details of the deal to the public.

In his address during the debate on no-confidence motion in Lok Sabha in July, Gandhi said the French president Emmanuel Macron had clearly conveyed to him that there was no problem in sharing details relating to the Rafale contrary to what the government has been saying and that the “Defence Minister (Nirmala Sitharaman) has clearly spoken an untruth” about there being a secrecy pact.

However, a statement issued by the French government apparently punctured the Congress president’s claim.

“We have noted the statement of Mr Rahul Gandhi before the Indian Parliament. France and India concluded in 2008 a security agreement, which legally binds the two States to protect the classified information provided by the partner, that could impact security and operational capabilities of the defence equipment of India or France,” the Spokesperson of the Ministry of Europe and Foreign Affairs said.

Yug Gupta murder case: ‘Death Penalty’ to all three convicts

Yug Guptas father and relatives holding a protest demanding justice to him in Shimla.


Holding the case as rarest of the rare, Sessions Judge Virender Singh pronounced the verdict at 2 pm amidst tight security.


All three accused in the Yug Gupta murder case were sentenced to death by a District and Sessions Court on Wednesday.

Chander Sharma (26), Tajender Pal Singh (29) and Vikrant Bakshi (22) have been held guilty of kidnapping, murder and conspiracy in connection with the death of 4-year-old Yug Gupta in Shimla in 2014.

Holding the case as rarest of the rare, Sessions Judge Virender Singh pronounced the verdict at 2 pm amidst tight security.

All three accused were convicted by the court on 6 August. The court had fixed the date for pronouncing quantum of sentence on 29 August, eight days after recording the statements of the parents of the accused.

Later, the court deferred the date of pronouncing the quantum of sentence to 5 September.

Justice Singh said that the execution of sentence shall be subject to the confirmation from High Court of Himachal Pradesh.

The Judge also told the accused, who were present in the court, that they can file an appeal before the High Court within a period of 30 days from today. A fine of Rs 50,000 also imposed on all the three accused.

The teary-eyed parents and grandmother of Yug Gupta heaved a sigh of relief as the Judge pronounced the punishment.

Yug’s father Vinod Gupta said that justice has been finally delivered.

“Though my son is not alive anymore, the court has done justice,” he said.

Yug’s mother, Pinki Gupta, broke down as she heard the judgment. “My son has got justice and I am relieved,” she said.

Calling it “a landmark”, District Attorney RS Parmar said that the judgment restored the faith of the people in rule of law.

Yug Gupta was kidnapped from outside his house in Ram Bazaar in Shimla on 14 June 2014 by his neighbour Chander Sharma, who lured him with chocolates.

The accused had kept the boy naked, tortured him and forced him to consume liquor for seven days. He was later dumped alive in water storage tank seven days after the abduction, even before the first ransom call was made to his parents.

The accused allegedly sent a letter demanding ransom from the child’s father on 27 June, six days after they had killed the boy.

Two years after the Shimla Police failed to make any headway, the case was handed over to CID who recovered the minor boy’s skeletal remains from the Shimla Municipal Corporation’s water storage tank in Kelston area on 21 August 2016.

On 22 August 2016, the police arrested Sharma, Singh and Bakshi and booked them under sections 302, 201, 342, 364 A and 120 B of the Indian Penal Code.

Police investigations had revealed that Chander had even taken part in protests and search for child to avoid suspicion. And he was the one who had insisted on killing the boy as the child knew him while Tejender and Vikrant were opposed to the idea.

Chronology of Events in Yug Gupta murder case:

14 June 2014: Yug Gupta kidnapped from outside house

16 June 2014: Sadar Police station registers case

21 June 2014: Yug dumped alive in water tank with stone tied to his body

27 June 2014: Parents receive ransom letter demanding Rs 3.6 crore

14 August 2016: Case transferred to CID

21 August 2016: Police recovers skeletal remains from water tank

22 August 2016: Chander, Tejender, Vikrant arrested for kidnapping, murder

25 February 2017: CID filed chargesheet in court

6 August 2018: Court convicts the trio in the case

Former Gujarat IPS officer Sanjiv Bhatt arrested in 22-year-old narcotics case


The Congress has come out in support of the former IPS officer alleging that the arrest is an example of “undeclared emergency”.

Suspended IPS officer Sanjiv Bhatt’s wife Shweta Bhatt was congress candidate against then Gujarat CM Narendra Modi 


The Crime Investigation Department of the Gujarat Police arrested sacked IPS officer Sanjiv Bhatt in connection with the 1998 Palanpur drug planting case.

Bhatt, who was dismissed by the Union Ministry of Home Affairs in August 2015 for “unauthorised absence” from service, was among eight former policemen detained by the CID for questioning.

Bhatt and seven others, including some former policemen attached with the Banaskatha police, were earlier in the day detained for questioning in the case, Director General of Police, Crime Investigation Department (CID), Ashish Bhatia said.

The 22-year-old case relates to the arrest of a man for alleged possession of drugs by Banaskatha Police. Bhatt was the Banaskantha district superintendent of police in 1996. The other cops, too, were associated with the Banaskantha Police force.

According to reports, the arrested man, an advocate called Sumersingh Rajpurohit, was charged for possessing around 1 kg of drugs. At that time, the Banaskanta police had claimed that the drugs were found in a hotel room occupied by Rajpurohit in the district’s Palanpur town.

However, an investigation by the Rajasthan Police had revealed that Rajpurohit was falsely implicated by the Banaskatha police. It had also found that Rajpurohit was allegedly kidnapped by the Banaskatha police from his residence at Pali in Rajasthan.

The Gujarat High Court had in June this year handed over the probe to the CID setting a deadline of three months.

Reports say that interrogation of Sanjiv Bhatt and the seven others is under way.

The Congress dubbed the arrest a case of “kangaroo justice BJP style” and an example of an “undeclared emergency”.

“For an alleged case dating back to 1998 @sanjivbhatt detained/ arrested in 2018. Kangaroo justice BJP style. Looks to be a desperate act of vendetta to settle old scores now with less than 6 months of the Government’s tenure left. Dono Bhai  Lage Hua Hain #undeclaredemergency,” wrote Congress spokesperson Manish Tewari on Twitter.

सवर्ण जातियों का विरोध झेलतीं राजनैतिक पार्टियां


अब सवर्णों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. हिंदी भाषी राज्यों में अपनी जड़े जमाने वाली बीजेपी इस तबके के वोटरों को लेकर सशंकित भी है और चिंतित भी


एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम का विरोध तेज हो रहा है. मध्यप्रदेश के ग्वालियर के फूलबाग मैदान में जुटे करीब दर्जन भर संगठनों की तरफ से इस मुद्दे पर हल्लाबोल शुरू किया गया है. मध्यप्रदेश में सवर्ण संगठनों ने विरोध ज्यादा तेज कर दिया है.

क्षत्रिय महासभा, गुर्जर महासभा, परशुराम सेना जैसे सवर्ण जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों की ओर से विरोध का बिगुल फूंका गया है. 6 सितंबर को इस मुद्दे पर भारत बंद का आह्वान भी किया जा रहा है. इनकी नाराजगी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ है. लेकिन, निशाने पर बीजेपी के नेता और केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री ज्यादा हैं. क्योंकि सरकार बीजेपी की ही है.

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उस पर आरोपों की जांच की जाएगी. इसी के बाद देशभर में एसएसी-एसटी तबके की तरफ से विरोध तेज हो गया था. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों और बीजेपी के सहयोगी दलों की तरफ से भी इस मुद्दे पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई थी.

Supreme Court

राजनीतिक दबाव में केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस मामले में संसद के मॉनसून सत्र में कानून पास कराकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. अब एक बार फिर से पुराने ढर्रे पर ही एससी-एसटी कानून के तहत कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया है. यानी इस एक्ट में फिर से बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है.

एससी-एसटी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए पिछले 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था, जिसमें काफी हिंसक झड़पें भी हुई थीं. मध्यप्रदेश समेत देश भर में बंद का असर भी दिखा था. सरकार को लगा कि इस तबके को मनाने और विरोधियों का मुंह बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाला कानून पास कराना होगा. सरकार ने ऐसा  कर भी दिया. लेकिन, अब यह मुद्दा उसके गले की हड्डी बनता जा रहा है.

बीजेपी के खिलाफ सवर्ण हो रहे लामबंद:

अब सवर्ण संगठनों का विरोध सरकार और बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बनता जा रहा है. सबसे ज्यादा विरोध मध्यप्रदेश में दिख रहा है, जहां, दो महीने के भीतर विधानसभा का चुनाव होना है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस वक्त राज्य भर का दौरा कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी नेता प्रभात झा, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे कई दूसरे नेताओं को भी सवर्ण संगठनों की तरफ से घेरा जा रहा है. उनसे जवाब मांगा जा रहा है. लेकिन, बीजेपी के इन सवर्ण नेताओं के लिए उन्हें समझा पाना मुश्किल हो रहा है.

विरोध की आग मध्यप्रदेश से आगे भी पहुंच रही है. बिहार और यूपी समेत दूसरे प्रदेशों में एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर विरोध हो रहा है. बिहार के बेगूसराय, गया, नालंदा और बाढ़ जिलों में सवर्ण संगठनों ने बंद भी बुलाया. कई जगह पर नेशनल हाईवे भी जाम किया और जमकर विरोध किया.

File photo of protests over SC/ST (Prevention of Atrocities) Act

File photo of protests over SC/ST (Prevention of Atrocities) Act

विरोध बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ दिख रहा है. लेकिन, इससे सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है. इन सवर्ण संगठनों की तरफ से विरोध के क्रम में अगले चुनाव में नोटा दबाने की अपील की जा रही है. इनकी तरफ से बार-बार यही कहा जा रहा है कि नोटा के जरिए हम बीजेपी और कांग्रेस दोनों का विरोध करेंगे.

दरअसल, बीजेपी को अबतक सवर्णों की पार्टी कहा जाता रहा है. ब्राम्हण –बनिया की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी ने धीरे-धीरे समाज के हर तबके में अपना विस्तार भी किया है. पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों के अलावा, एससी-एसटी तबके में भी बीजेपी का जनाधार पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुआ है. खासतौर से 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में कास्ट बैरियर टूट जाने के बाद बीजेपी के वोट शेयर में जबरदस्त इजाफा हुआ. अपने दम पर बीजेपी पहली बार सत्ता में आई.

लोकसभा में कितने हैं एससी-एसटी सांसद?

यहां तक कि लोकसभा में एससी-एसटी सांसदों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 131 है. जिसमें 84 एससी और 47 एसटी सांसदों की संख्या है. मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास इस तबके के 67 सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी किसी भी कीमत पर इस तबके की नाराजगी नहीं मोल लेना चाह रही थी. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का फैसला किया गया.

लेकिन, अब सवर्णों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. हिंदी भाषी राज्यों में अपनी जड़े जमाने वाली बीजेपी इस तबके के वोटरों को लेकर सशंकित भी है और चिंतित भी. तभी तो पार्टी नेताओं और मुख्यमंत्रियों को सवर्ण तबके को समझाने की जिम्मेदारी दी गई है कि आखिर यह फैसला क्यों करना पड़ा.

वजह जो भी हो, लेकिन, सवर्ण मतदाताओं के भीतर अब यह बात घर कर गई है कि एससी-एसटी तबके को साधने के लिए सरकार ने उनके साथ अन्याय किया है. अब इस बात को लेकर उनका विरोध शुरू हो गया है. मंडल कमीशन लागू होने के बाद शायद यह पहला मौका है कि सवर्ण तबका भी अब खुलकर अपनी बात कर रहा है. चुनावी साल में राजनीतिक दल परेशान हैं. बीजेपी डरी है कहीं यह नाराजगी उस पर भारी न पड़ जाए ?