अमृतसर बम कांड के परिवारों को मिशन देगा आर्थिक मदद

कल हुए अमृतसर हादसे के बाद मिशन की आपात बैठक में कुछ नीरना लिए गए जिसमे प्र्मुखता से यह बताया गया कि अमृतसर हादसे में मृतक परिवारों को दस – दस लाख रुपए की आर्थिक मदद दिल्ली निरंकारी मिशन हेड ऑफिस कर रहा है । साथ ही घायलों के इलाज का भी खर्च निरंकारी मिशन दिल्ली उठाएगा। दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान निरंकारी मिशन की तरफ से यह बात कही गई है।

Elite Global Earth 2018 coming soon

Anjini founder & Ambassador of Elite Global Earth NZ organising MR/MISS/MS/MRS 2018 on 24th Nov 2018 at Ascot Avenue,Remuera, Auckland, New Zealand

हरियाणा देश का एक मात्र कैरोसीन मुक्त राज्य बना


-हरियाणा प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध हो रही है 


हरियाणा सरकार ने अपने चार सालों में प्रदेश में अनेकों आयाम स्थापित किए हैं। हरियाणा देश का एक मात्र ऐसा पहला राज्य है जो कैरोसीन मुक्त है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने प्रदेश को हर क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं और कई बड़ी उपलब्धियां भी हासिल की हैं। प्रदेश का चहुमुखी विकास सुनिश्चित करने के दृष्टिगत हर क्षेत्र को प्राथमिकता दी है। राज्य में संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर को संजोए रखने की दिशा में भी विशेष कदम उठाए। सरकार ने सुशासन एवं पारदर्शी सरकार देने के अपने वादे को पूरा करते हुए डिजीटल हरियाणा व नौकरियों में मैरिट को आधार बना कर व्यवस्था में परिर्वतन किया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना को हरियाणा में युद्ध स्तर पर लागू किया है और इस दिशा में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसके तहत जिले में गरीब परिवार की महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनैक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के स्तत प्रयासों से प्रदेश को कैरोसीन मुक्त बनाने की योजना को प्रभावी एवं कारगर ढंग से लागू करते हुए राज्य को कैरोसीन मुक्त बनाया। इस योजना के तहत जिले में कुल 531 लाभपात्रों को गैस कनैक्शन दिये गए जिनमें पंचकूला के 372, बरवाला खण्ड के 67, कालका के 15 तथा रायपुररानी के 77 लाभार्थी शामिल हैं। इसी प्रकार प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत जिले में कुल एक हजार 733 लाभार्थियों को गैस कनैक्शन उपलब्ध करवाए गए हैं। इनमें पंचकूला उपमण्डल के 1010 तथा कालका के 723 लाभार्थी शामिल हैं।
इस योजना से बढ़ते हुए प्रदूषण को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी। महिलाएं खाना पकाने के लिए जिस इंधन का प्रयोग करती थी, उससे प्रदूषण होता था। इसके साथ-साथ इंधन का धुआं महिलाओं की आंखों व स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता था। गैस का कनैक्शन मिलने से ऐसी महिलाओं को काफी राहत मिली है।
मनुष्य सदैव ही प्रकृति से लेता रहा है और प्रकृति भी उसे सबकुछ देती रही है। मनुष्य ने अपनी बुद्धि से विज्ञान एवं तकनीक द्वारा बहुमुखी प्रगति की है। लेकिन संकट इस बात का है कि मनुष्य द्वारा प्रकृति का शोषण उस चरम सीमा तक न पहुंच जाए कि सारा संतुलन बिगड़ जाए। ऐसी कठिन परिस्थितियों में सरकार पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए अनेक कार्यक्रम प्रदेश में चला रही है और प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
वहीं सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण तथा स्वास्थ्य हित में चलाई गई इन योजनाओं से महिलाएं काफी खुश हैं और प्रधानमंत्री उज्जवला योजना को मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने युद्ध स्तर पर लागू किया तथा गरीब महिलाओं के लिए यह योजना वरदान सिद्ध हो रही हैं। पंचकूला शहर की राजीव कालोनी निवासी फूलवंती तथा भैंसा टिब्बा निवासी जसपाल कौर ने इस योजना के तहत उन्हें नि:शुल्क गैस कनैक्शन उपलब्ध करवाने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का विशेष तौर पर आभार प्रकट किया है। उनके अनुसार इससे पहले उन्हें चूल्हे पर या स्टोव पर खाना बनाना पड़ता था, जिससे कि उनमें से निकलने वाले धुएं से उनके स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता था। इससे पहले वे उपले या लकड़ी जला कर अथवा स्टोव पर खाना बनाते थे। अब सरकार द्वारा उन्हें गैस कनैक्शन उपलब्ध करवाए गए हैं और वे बहुत खुश हैं कि सरकार ने उनके बारे में सोचा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जिस प्रकार उन्हें लाभान्वित किया गया है उसी प्रकार सभी जरूरतमंद महिलाओं की सरकार मदद करेगी।

अखिलेश और राहुल के बीच सबकुछ ठीक नहीं


बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के तेवर दिखाने के बाद अब समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को इशारों-इशारों में बड़ी चेतावनी दे दी है


2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनने से पहले ही खत्म होता दिखाई दे रहा है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के तेवर दिखाने के बाद अब समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को इशारों-इशारों में बड़ी चेतावनी दे दी है. ‘महागठबंधन’ बनने पर अखिलेश यादव ने कहा, ‘अगर साइकिल (एसपी का चुनाव चिन्ह) को रोकोगे तो आपका हाथ (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) हैंडल से हटा दिया जाएगा.’

2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह अब मुश्किल नजर आ रही है

अखिलेश यादव ने बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,” इसलिए हमने भी तय किया है कि साइकिल को रोकोगे तो आपका हाथ हैंडल से हटा दिया जाएगा. कंट्रोल और किसी के हाथ में हो जाएगा”. अखिलेश ने इस बयान के जरिए साफ संकेत दे दिया है कि 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह अब मुश्किल नजर आ रही है. अगर कांग्रेस ने एसपी की सहमति से अलग कोई फैसला लिया, तो संभव है कि कांग्रेस को पार्टी बड़ा झटका दे सकती है. बता दें बीएसपी-एसपी का पहले से ही गठबंधन हो चुका है.

मायावती ने गठबंधन न करने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया है

उधर गठबंधन में सीटों को लेकर मायावती कितना गंभीर हैं, इसका अंदाजा 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में उनके कदम से लग जाता है. मायावती ने यहां गठबंधन न करने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया है. उन्होंने सीट शेयरिंग में बीएसपी को उचित हिस्सा नहीं दिए जाने की बात कहकर ऐलान कर दिया है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा. बीएसपी अब इन राज्यों में दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरने की तैयारी मे है. दूसरी तरफ एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस से विधानसभा चुनावों में गठबंधन नहीं करने का ऐलान किया है.

लखनऊ के सत्ता के गलियारे में महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं

इन बयानों से कांग्रेस की यूपी में महागठबंधन की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है. वहीं दूसरी तरफ बीएसपी के कड़े रुख से समाजवादी पार्टी पर भी दबाव बढ़ता दिख रहा है. लखनऊ के सत्ता के गलियारे में महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि बीएसपी तो सीटों को लेकर समझौता करने वाली नहीं, लिहाजा देखना ये होगा कि अखिलेश यादव कितनी सीटों पर राजी होते हैं?

जेडीयू ने कहा कि मोदी को सिर्फ नीतीश ही टक्कर दे सकते हैं

दरअसल, यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के तुरंत बाद महागठबंधन बनाने को लेकर कांग्रेस और जेडीयू के बयान आए थे. लेकिन साथ ही नेता कौन होगा इस पर भी बयानबाजी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी के अलावा और कोई नेता नहीं हो सकता तो जेडीयू ने कहा कि मोदी को सिर्फ नीतीश ही टक्कर दे सकते हैं. बाद में नीतीश का भी बयान आया कि अगर यूपी में कांग्रेस-बीएसपी और एसपी मिलकर लड़े होते तो बीजेपी से 10 प्रतिशत ज्यादा वोट पाते.

बिहार में बीजेपी हारी क्योंकि यहां विपक्ष एकजुट था

बिहार में बीजेपी इसलिए हारी क्योंकि यहां विपक्ष एकजुट था. अब यही एकजुटता पूरे देश में दिखानी होगी. तभी बेड़ा पार होगा लेकिन यहां सवाल ये है कि मोदी के खिलाफ एक नेता पर क्या राय बनेगी. राहुल गांधी, नीतीश, मुलायम, ममता, लालू, मायावती, नवीन पटनायक में पीएम फेस को लेकर किस हद तक सहमति बन पाएगी इस पर सबकी निगाहें रहेंगी.

कई उम्मीदवारों ने एक-दूसरे पर भितरघात का आरोप लगाया

महागठबंधन के नाम पर अगर ये दो दर्जन से ज्यादा पार्टियां एक हो भी जाती हैं तो इनके कार्यकर्ता कितने साथ आएंगे ये फैक्टर भी अहम होगा. यूपी में एसपी-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव तो लड़ा लेकिन कई सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार मैदान में उतर गए. चुनाव में हार के तुरंत बाद कई उम्मीदवारों ने एक-दूसरे की पार्टियों पर भितरघात का आरोप लगाना शुरू कर दिया. ऐसा हाल ही अन्य राज्यों में भी होगा.

वसुंधरा के खिलाफ चुनावी दंगल मनवेन्द्र के दोनों हाथों में लड्डू


बीजेपी छोड़कर पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनौती देने के लिए उनके ही गढ़ में ताल ठोंक रहे हैं

जीत न मिले तो भी मानवेंद्र के दोनों हाथों में लड्डू हो सकते हैं. वसुंधरा राजे के सामने होने की वजह से पूरी मीडिया का अटेंशन इस सीट पर रहेगा और उन्हे लगातार पब्लिसिटी मिलेगी. इसके अलावा, अगर वे अच्छी फाइट देने में कामयाब रहते हैं तो हार के बावजूद वे पार्टी से इनाम के हकदार रहेंगे 

“हम तो वैसे भी हारी हुई लड़ाई लड़ रहे है. नुकसान तो कांग्रेस का ही है.”


बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीधे चुनौती देने के लिए मैदान में आ डटे हैं, या कहें कि ‘जबरन’ ला दिए गए हैं. बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे मानवेंद्र के पिता जसवंत सिंह और वसुंधरा राजे के बीच कुछ साल से अनबन रही है. ये अदावत पिछले दिनों के घटनाक्रम किसी से छिपे नहीं है. लिहाजा, फिलहाल बात करते हैं झालरापाटन से मानवेंद्र की दावेदारी क्या कहती है.

मीडिया की नजर में कांग्रेस की 32 नाम वाली दूसरी लिस्ट की सबसे बड़ी खासियत मानवेंद्र सिंह की उम्मीदवारी ही है. लेकिन टिकट मिलते ही मानवेंद्र ने जो पहला बयान दिया, उसके मतलब कुछ और निकलते से लगते हैं. मानवेंद्र ने कहा कि मैने पार्टी से टिकट मांगा ही नहीं था. मैं तो पश्चिम में पाकिस्तान बॉर्डर का निवासी हूं लेकिन अब पूर्व में भेज दिया गया है. पार्टी ने मुझे बुलाकर पूछा कि क्या ये चैलेंज मंजूर करोगे तो मैंने कह दिया कि देख लेंगे.

जाल में ‘फंस’ तो नहीं गए मानवेंद्र ?

माना जा रहा था कि उन्हे कांग्रेस ज्वॉइन कराने के पीछे अशोक गहलोत का ही हाथ है. इसी बैकिंग के बूते वे प्रदेशाध्यक्ष को बाइपास कर सीधे राहुल गांधी से ‘डील’ कर रहे थे. बाड़मेर में मानवेंद्र के प्रतिद्वंद्वी हरीश चौधरी ने उनके पार्टी में आने का विरोध भी जताया था. लेकिन जब उनकी सीधे राहुल से बातचीत का पता चला तो हरीश चौधरी भी शांत हो गए. अभी तक राजस्थान में आमतौर पर ये चर्चा थी कि मानवेंद्र ने खुद के लिए बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट और पत्नी चित्रा सिंह के लिए शिव विधानसभा सीट से टिकट की ‘डील’ की थी.

कांग्रेस की पहली लिस्ट में शिव सीट से अमीन खान को टिकट दे दिया गया. उधर हरीश चौधरी ने तो लिस्ट आने से पहले ही बायतू से नामांकन भी दाखिल कर दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि मानवेंद्र के राजनीतिक भविष्य का क्या होगा ? अब उनकी ‘अनिच्छा’ और वसुंधरा राजे जैसी ताकतवर हस्ती से प्रतिद्वंद्विता देखकर ये सवाल कहीं बड़ा हो गया है.

1980 के दशक से ही वसुंधरा राजे झालावाड़ जिले को अपना पॉलिटिकल बेस बनाए हुए हैं. 2003 से पहले तक वे झालावाड़ लोकसभा सीट से लगातार जीत दर्ज कर रही थी. यहां से अब उनके बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं. पिछले 15 साल से वे झालरापाटन से विधायक हैं. वैसे भी हाड़ौती संभाग बीजेपी का पुराना गढ़ रहा है. हो सकता है कि वसुंधरा राजे को शिकस्त देना जसोल परिवार की दिली इच्छा हो लेकिन तमाम समीकरणों को देखें तो वसुंधरा राजे के सामने मानवेंद्र के चुनौती बनने में संशय ही दिखता है.

राजपूतों की नाराजगी को भुनाने की कोशिश

मानवेंद्र, राजपूतों की बीजेपी खासकर वसुंधरा राजे से नाराजगी को लगातार हवा दे रहे हैं. हाड़ौती में राजपूतों के अच्छी संख्या में वोट हैं और उन्हे उम्मीद है कि नाराजगी को सुलगाकर वे समाज को अपनी तरफ कर सकते हैं. लेकिन इस रणनीति में भी एक झोल है. राजपूतों के एक वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराजगी तो है. लेकिन लगता है ये समाज के कुछ नेताओं की निजी नाराजगी ज्यादा है.

पिछले महीने करणी सेना ने जयपुर में बीजेपी को अपनी ताकत दिखाने के लिए सभा का आयोजन किया था. सभा में 50 हजार लोगों के आने का दावा किया गया. लेकिन हालात ये थे कि तय समय पर पूरे स्टेडियम में सिर्फ 100 लोग पहुंचे थे. आयोजकों ने 3 घंटे तक लोगों का इंतजार कर आखिर में सभा रद्द कर दी. इसके बाद बीजेपी ने इन राजपूत नेताओं की रही सही ‘पूछ-परख’ भी बंद कर दी.

वैसे, जीत न मिले तो भी मानवेंद्र के दोनों हाथों में लड्डू हो सकते हैं. वसुंधरा राजे के सामने होने की वजह से पूरी मीडिया का अटेंशन इस सीट पर रहेगा और उन्हे लगातार पब्लिसिटी मिलेगी. इसके अलावा, अगर वे अच्छी फाइट देने में कामयाब रहते हैं तो हार के बावजूद वे पार्टी से इनाम के हकदार रहेंगे. आखिर उन्होने बिना ना-नुकुर किए सबसे बड़ी चुनौती को स्वीकार किया है. इस कदम के जरिए उन्होंने फिलहाल अपने राजनीतिक विरोधियों को शांत करने में भी कामयाबी हासिल कर ली है.

बीजेपी-कांग्रेस में उठापटक चरम पर

सोमवार यानी 19 नवंबर नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है. बीच मे सिर्फ रविवार का दिन है और उठापटक ऐसी मची है कि दोनों ही पार्टियां अभी तक पूरे उम्मीदवार भी घोषित नहीं कर पाई हैं. अब तक कांग्रेस ने 2 लिस्ट में 184 तो बीजेपी ने 3 बार मे 170 उम्मीदवार घोषित किए हैं.

कांग्रेस में पहली लिस्ट के बाद शुरू हुआ बवाल अब और तेज हो गया है. जयपुर जिले की फुलेरा सीट पर टिकट के लिए प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी में राहुल गांधी के सामने ही तीखी बहस हो गई थी. इस सीट के लिए डूडी अपनी रिश्तेदार स्पर्धा चौधरी के लिए टिकट मांग रहे थे. स्पर्धा को टिकट तो नहीं मिला, उल्टे उन्हे 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. निश्चित रूप से ये लड़ाई अब और तीखी होने की आशंका है. सचिन पायलट पर अपनी जाति के खास लोगों को टिकट बांटने के आरोप भी लगने लगे हैं.

इधर, बीजेपी की तीसरी लिस्ट में कांग्रेस से एक दिन पहले ही आए पूर्व मंत्री राम किशोर सैनी को बांदीकुई से टिकट दे दिया गया है. यहां से मौजूदा विधायक अलका गुर्जर का टिकट काटा गया है. जिनके पति ने 1989 में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट को दौसा लोकसभा सीट से शिकस्त दी थी.

पार्टी ने सवाई माधोपुर से जयपुर राजपरिवार की मौजूदा विधायक दीया कुमारी का पत्ता भी काट दिया है. दीया को 2013 में खुद वसुंधरा राजे ही राजनीति में लेकर आई थी. लेकिन इसके बाद से दोनों के बीच ‘कुछ भी ठीक’ नहीं चल रहा था. चर्चा है कि यहां पिछली बार दीया से हारने वाले किरोड़ी लाल मीणा की सिफारिश चली है. पार्टी ने अलवर के थानागाज़ी से मंत्री हेमसिंह भड़ाना का टिकट काटकर वसुंधरा राजे के नजदीकी डॉ रोहिताश्व शर्मा को टिकट दिया है. जमवा रामगढ़ से भी मौजूदा विधायक का टिकट काट दिया गया है. इन पर अपने बेटे को विधानसभा में सरकारी नौकरी लगवाने में अनैतिकता के आरोप लगे थे.

बीजेपी बदलेगी कुछ उम्मीदवार

बीजेपी ने अब कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदलने के संकेत भी दिए हैं. इनमें सबसे ऊपर है टोंक सीट. यहां से सचिन पायलट उतर रहे हैं. जिस तरह से कांग्रेस ने वसुंधरा को घेरने की कोशिश की है, उसके बाद बीजेपी यहां से सरकार मे नंबर 2 युनूस खान को उतारने का मन बना रही है. टोंक सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. युनूस खान को अभी तक टिकट नहीं दिया गया है.

शुक्रवार को उनके सरकारी आवास पर डीडवाणा से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और उनसे निर्दलीय चुनाव लड़ने की इच्छा जताने लगे. इसी दौरान प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी वहां पहुंचे और खान से एकांत में चर्चा की. माना जा रहा है कि पार्टी की तरफ से उन्हे आश्वासन दे दिया गया है. वैसे भी किसी मुसलमान को टिकट न दिए जाने का मुद्दा बड़ा बनता जा रहा था.

बहरहाल, इस बार लहरविहीन लड़ाई में कांग्रेस जीत को आसान मान कर चल रही थी. लेकिन जिस तरीके से बागियों ने सिर उठाया है, उसने तगड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए बागियों को मनाए बिना जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. हालांकि यही चुनौती बीजेपी के सामने भी है लेकिन नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक नेता ने जो कहा वो जबरदस्त पंचलाइन है- “हम तो वैसे भी हारी हुई लड़ाई लड़ रहे है. नुकसान तो कांग्रेस का ही है.”

Bomb blast at Nirankari Bhavan – Raja Sansi


It is gruesome act of cowardiness I condemn this from the core of my heart: Sant Daduwal

Just to prove him right Gen Rawat might be behind this blast: H.S.Phoolka

This is betrayal to the mission, one cant rule out the foul play of an insider: a devotee


Three people were killed and at least 10 were injured in a blast at a religious gathering on the outskirts of Amritsar, the police said. The blast reportedly took place when members of the Nirankari sect were gathered at Nirankari Bhawan at Rajasansi village near the Amritsar international airport.

According to News18, the police is investigating several angles behind the attack as no terrorist organisation has taken responsibility for it yet. Eyewitnesses claimed that two or three bike-borne men hurled bombs — grenades, according to some reports — at the gathering and fled.

Hours after the blast, the Punjab Police arrested two suspects from Bathinda and also live cartridges from them, reports said. Officials in the Ministry of Home Affairs said that two “turbaned youths” had thrown the grenade at the gathering, and that security agencies already had “enough leads” in the investigations.

Punjab Director General of Police Suresh Arora said the incident “appears to have a terror angle” because it was carried out against a group of people and not against an individual. “There is no reason to throw a hand grenade at a group of people, so we will investigate it as a terrorist act. Till proven otherwise, prima facie we will take it as that,” he said, according to PTI.

As the Punjab Police said they could not rule out a terror angle in the blast, a three-member team of the National Investigation Agency (NIA) is expected to reach the site of the site in Amritsar later on Sunday, ANI reported.

The blast took place despite Punjab being on high alert after the counter-intelligence wing of the state police force had warned them that six to seven Jaish-e-Mohammad (JeM) terrorists were “planning to move towards Delhi” from the state.

The police were asked to set up checkpoints at all important routes, conduct strict vehicle inspection and take suitable countermeasures for all sensitive locations. Police areas along the India-Pakistan border were also asked to coordinate with the Border Security Force. Officers were also advised to plan and implement precautionary measures to thwart any untoward incident.

Following the attack on the outskirts of Amritsar, both Punjab and the Delhi-NCR are on high alert.

Chief Minister Amarinder Singh condemned the blast at Nirankari Bhawan in Amritsar. He reviewed the law and order situation in Punjab and has ordered the state home secretary, Director General of Police, Director General (Law and Order) and Director General (Intelligence) to head to Rajasansi and oversee the investigation, an official spokesman said.

According to reports, the chief minister reviewed the security situation in the state in a high level meeting with officials, and has asked the state home secretary along with Punjab DGP, DGP (Intelligence) and DGP (Law and Order) to rush to the site to investigate.

The chief minister also offered his condolences, while announcing Rs 5 lakh ex-gratia to the kin of the dead and free treatment for the injured.

Later in the day, the chief minister said they could not rule out the “possible involvement of ISI-based Khalistani or Kashmiri terror groups”. “Police teams have been rushed to raid the suspected hideouts of the assailants, and multiple teams are investigating various angles to crack the case,” he added.

After the blast in Rajasansi village, Punjab Congress chief Sunil Jakhar offered his condolences, saying: “My condolences are with families of those who lost lives in this incident. It is an attempt to disturb peace in Punjab. I believe all security agencies should stay alert and coordinate with each other to maintain peace.”

Union Home Affairs Minister Rajnath Singh, too, said he was “deeply anguished by the death of innocent people” in Amritsar, and that “strongest possible action will be taken against the perpetrators of this crime”.

Police deny Zakir Musa link to attack

While initial reports speculated about the possible involvement of terrorist Zakir Musa in the Amritsar attack, Parmar denied the supposed links to Musa, who was  spotted in Punjab four days ago. Musa is the chief of the Jammu and Kashmir-based Ansar Ghazwat-ul-Hind (AGH), a terror outfit linked to the Al-Qaeda, which allegedly maintains close ties with the JeM.

In October, in a joint operation, the Punjab Police and the Special Operations Group of Jammu and Kashmir Police had arrested three studets and busted a module of AGH in Jalandhar. The students were nabbed from the hostel of CT Institute of Engineering Management and Technology, located in Shahpur on the outskirts of Jalandhar, Director General of Police Suresh Arora had said.

चंडीगढ़ के हरदिल अज़ीज़ हुए आम आदमी


हरमोहन धवन के आम आदमी बनाने पर गुल पनाग की प्रतिकृया नहीं ली जा सकी।

अपने से कम तजुर्बेकार ओर कहीं छोटी सियासी सोच वाले अरविंद के साथ धवन कैसे ताल मेल बैठा पाएंगे तजुर्बे को देखें तो धवन अरविंद से कहीं ऊंचा सियासी कद रखते हैं


चंडीगढ़ 17 नवम्बर 2018:
सूत्रों के हवाले से सनसनीखेज भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन ने पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी व पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भेजा है। वहीं धवन ने शहर के आम लोगों व अपने सैकड़ों समर्थकों को अपनी कोठी पर आने के लिए बुलावा भी भेजा है। ताकि 18 नवंबर 2018 को पूरे जोशो-खरोष के साथ हजारों की संख्या में लोग आम आदमी पार्टी में शामिल हो सके। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद इस माह के अंतिम सप्ताह तक पार्टी की लोकसभा सीट से उम्मीदवारी के तौर पर धवन के नाम की घोषणा भी कर दी जाएगी। इस बीच धवन के सैकड़ों समर्थकों ने शहर भर में जन-सम्पर्क अभियान छेड़ दिया है। ताकि रविवार को आप पार्टी में शामिल होने के कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके।
सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से कयास लग रहा था कि किरण खेर की अहंकार, घमंड और गुरुर से हरमोहन धवन बेहद नाराज हैं। पिछले करीब पांच साल से पार्टी स्तर पर धवन बेइज्जत होते रहे और उनकी राजनितिक रूप से लोकसभा चुनाव-2014 में बनी  छोटी बहन खेर तमाशा देखती रही। हैरानी वाली बात है कि चुनाव के दौरान अपनी बहन को जिताने के लिए धवन ने अपने सिर से अपनी पगड़ी उतार कर खेर के सर पर रख दिया था। उसी बहन खेर ने चुनाव जीतने के बाद कभी भी अपने बड़े भाई धवन से किसी भी मसले पर बात तक नहीं की। हैरानी की यह भी है कि जब धवन के भाजपा छोड़ने की बात आई तो भी बहन ने सम्पर्क कर नाराजगी के कारणों की जानकारी तक नहीं ली। सूत्रों का दावा है कि किरण खेर ने ही धवन की पत्नी सतिंदर धवन से नॉमिनेटेड काउंसलर बनवाने के लिए दबाव बनाकर बायोडाटा मांगी थी और नॉमिनेटेड काउंसलर नहीं बनने दिया। यह भी धवन को बेईज्जत करने का एक तरीका ही था।
केजरीवाल से 5 नवंबर 2018 को मिले थे धवन 
बता दें कि बीते दिनों हरमोहन धवन की दिल्ली में आप पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात हुई थी। इसके बाद से ही धवन के आप में जाने की चर्चाएं शुरू हो गर्इ थी। अब उनके भाजपा को छोड़ आप में जाना लगभग तय है। जानकारी अनुसार धवन 18 नवंबर को अपने समर्थकों के साथ चंडीगढ़ में आप में शामिल होंगे।
जानकारी अनुसार आगामी 18 नवंबर को हरमोहन धवन चंडीगढ़ में आयोजित एक समारोह में आप में शामिल होंगे। इस मौके पर सांसद भगवंत सिंह मान, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता विधायक हरपाल सिंह चीमा, आप कोर कमेटी के चेयरमैन बुद्ध होम, विधायक अमन अरोड़ा के अलावा कई नेताओं के मौजूद रहने की संभावना है। यह समारोह कहां होगा इस बारे में अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। यह कार्यक्रम हरमोहन धवन के सेक्टर 9 स्थित घर पर होगा सकता है।

सिख समुदाय के इतिहास को खराब होने से बचाए भाजपा: हूड़ा


कांग्रेस की तरफ से सिखों के प्रति हमदर्दी भरा बान तब आया है जब 1984 के सिख नरसनहार के आरोपी सज्जन कुमार को एक प्रत्यक्षदर्शी ने पहचाना है। 


चण्डीगढ़ 17 नवम्बर 2018:

हरियाणा के पूर्व मुख्य मन्त्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर सिख इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने और गलत ढ़ंग से पेश करने पर सख्त ऐतराज जताया है। सिख धर्म के इतिहास का हरियाणा के साथ बहुत ही गहरा सम्बंध है और प्रदेश सिखों के इतिहास के बहुत सारे सुनहरी पन्ने संजोय हुए है। सिख धर्म के 10 गुरू साहिबानों ने हरियाणा की धरती को अपने पवित्र चरण कमलों से कृतार्थ किया है। पर भाजपा सरकार सिख धर्म के इतिहास के अन्दर सीधी दखलंदाजी कर रही है। सरकार वीर योद्धा बाबा बन्दा सिंह बहादुर बारे सिखों की भावना से खिलवाड़ कर रही है। जिसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पानीपत में एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बाबा बन्दा सिंह बहादुर का नाम बदल कर गलत मिसाल पेश की है। खेद की बात यह है कि मुख्यमंत्री ने सिख समुदाय के तीखे विरोध को नजर अंदाज किया। बाद में सिखों के एक प्रतिनीधिमंडल को मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन दिया कि पानीपत में की गई सारी घोषणाएं बाबा बन्दा सिंह बहादुर के नाम होंगी। परन्तु मुख्यमंत्री बाद में अपनी बात से मुकर गए। इससे सिख इतिहास धुमिल हुआ है, क्योंकि सिख इतिहास के दस्तावेजों में किसी और का नाम नहीं बल्कि केवल बाबा बन्दा सिंह बहादुर का नाम ही आया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ही उनको सिखों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधीमंडल मिला और इस विषय में पूरी जानकारी दी। सरकार के मुखिया को अपना वचन निभाना चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि जैसाकि भाजपा ने मिलकर हरियाणा में दूसरी बिरादरियों का आपसी भाईचारा खराब किया है, कुछ वैसा ही अब साम्प्रदायिकता फैला कर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास हो रहा है। कांग्रेस पार्टी भाजपा की इस विघटनकारी नीति की घोर निंदा करती है। सरकार का यह काम नहीं है कि वह चुनावी लाभ के लिए प्रदेश के भाईचारे को खराब करे। मेरा सरकार से आग्रह है कि वो सिख समुदाय से किये अपने वायदे को निभाये।

Shiv Sena endorsed Shahid Afridi’s statement on Kashmir

 

The Shiv Sena on today reacted on former Pakistani cricketer Shahid Afridi’s remarks that his country “does not want Kashmir” and said all sane Pakistanis would endorse the view.

According to the Sena, in an editorial in its mouthpiece ‘Saamana’, said Pakistan’s government and the military chief gave more impetus on trying to harm India than governing the country as a result of which it has to seek external financial aid even 70 years after Independence.

Former all-round cricketer of Pakistan Shahid Afridi on Wednesday proposed that Pakistan-occupied Kashmir should be given “independence”, saying the country does not want the region as it cannot even manage its four provinces.

Afridi was addressing students in London when he is learnt to have the statement. The video, in which he is heard saying that Pakistan is not interested in Kashmir and since the country is against giving it to India, the region should be given independence, has gone viral on the social media.

“I say Pakistan doesn’t want Kashmir. Don’t give it to India either. Let Kashmir be independent. At least humanity will be alive. Let people not die,” he said.

He went on add that “humanity” or “insaniyat” should be prioritised.

Afridi later blamed the Indian media for quoting him.

The Sena’s editorial Friday stated, “Pakistan has become so poor in trying to support terrorism and corruption that it now is left with only the option of selling cattle and vehicles from the Prime Minister’s residence.”

It claimed that Pakistan was on the verge of a financial breakdown and it had been relegated to begging for a bailout from countries like China after the International Monetary Fund (IMF) turned down its aid request.

“If the country needs financial oxygen to keep its economy going, alive, how will it take care of Kashmir? Not just Afridi, every sane Pakistani will hold the same view. However, who asks the common man there?” the editorial questioned.

“The government and the military chief there give more impetus on harming India than doing good for its people. Therefore, they have to beg for aid even 70 years after Independence,” it said.

The Sena further dubbed Afridi as “anti-Indian” and said he has, in the past, made derogatory statements against India.

Citing examples, it said Afridi had shown a soft corner for 13 terrorists eliminated by Indian security forces and has been repeatedly advocating Independence for Kashmir.

A day after Afridi’s remarks, Home Minister Rajnath Singh on Thursday said the former cricketer’s comment that his country could not even manage its four provinces, was right.

Addressing a press conference in Raipur, the minister said, “What is he said is right. They are not able to manage Pakistan. How can they manage Kashmir? Kashmir is and will be a part of India.”

Saffron party took ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’: Modi

The second phase of polling in 72 seats, out of the 90-member Assembly, would be held on 20th of November 2018. Assuring a wave of development and progress under the BJP rule, PM Modi said the saffron party was the only party that took forward the mantra ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’ in the country without any form of discrimination.

Prime Minister Narendra Modi on Friday appreciated the people of Bastar in Chhattisgarh for turning out in large numbers to vote in the first phase of polling, despite targeted attacks by the Naxals.

The turnout in the first phase of Chhattisgarh polls in 18 seats on November 12 was recorded at 76.28 per cent, as compared to 75.79 per cent in the 2013 polls.He said by improving the voting percentage, the people of Chhattisgarh have proved the strength of Indian democracy even in harsh conditions.

Addressing a rally in Chhattisgarh’s Ambikapur, PM Modi further urged the people to register an even higher voting percentage than Bastar in the second phase of polling on November 20 to give an answer to those creating violence.

Shifting his focus to the opposition Congress, PM accused the party of disregarding Ambikapur and said the Congress will be ousted from the state after the election.

He further said the Congress had not yet come to terms with the fact that a ‘Chaiwala’ had become the Prime Minister of the country.

Congress leader Shashi Tharoor had earlier said that India has a tea-seller as its prime minister today because of the country’s first PM Jawaharlal Nehru.

Modi, in his speech, challenged the Congress to allow a good leader of the party outside of the Gandhi family to become the party president for five years. He said then only will he agree that Nehru had really created a truly democratic system within the Congress.

Recalling how former prime minister Atal Bihari Vajpayee had peacefully divided and created the two states of Madhya Pradesh and Chhattisgarh, he took the opportunity to accuse the Congress of creating a mess during the formation of Telangana.