किसानों की कर्ज़ माफी पर भाजपा रखेगी पैनी नज़र


कांग्रेस के सामने सरकार बनाने के बाद 10 दिनों में चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती है और ये वादा किसी और ने नहीं बल्कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया है 

कांग्रेस शासित राज्यों में  अगर चुनावी वादे पूरे नहीं होते हैं तो बीजेपी इसका इस्तेमाल सत्ता विरोधी लहर के रूप में कर सकती है


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पुरजोर भरोसे के साथ कह रहे हैं कि जिस तरह बीजेपी को अभी हराया है उसी तरह साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी हराएंगे. कांग्रेस के आत्मविश्वास को संदेह से अब देखा नहीं जा सकता है क्योंकि चुनावी नतीजे गवाह हैं कि कांग्रेस ने किस तेजी से बीजेपी के खिलाफ तीन राज्यों में माहौल बदला. ये नतीजे लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हैं.

लेकिन तीन राज्यों में मिली जीत के बावजूद कांग्रेस अपने ही बनाए चक्रव्यूह में फंस सकती है. क्योंकि कांग्रेस ने बीजेपी को हराने के लिए जिन मुद्दों और वादों का इस्तेमाल किया वही तीन महीने बाद उसके सामने मुंह खोल कर खड़े होंगे. कांग्रेस के सामने सरकार बनाने के बाद 10 दिनों में चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती है. ये वादा किसी और ने नहीं बल्कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया है.

दस दिनों में कर्ज नहीं किया माफ तो ग्यारहवें दिन बदल देंगे सीएम

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार कहा था कि बीजेपी को उम्मीद नहीं थी कि बड़े-बड़े वादे करने के बाद वो सत्ता में भी आ जाएगी. शायद कांग्रेस को भी उम्मीद नहीं होगी कि उसके चुनावी वादे उसे सत्ता पर काबिज कर देंगे. तभी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि तीन राज्यों में मिली जीत से कांग्रेस पर बड़ी जिम्मेदारी आई है. उनके इशारे को कर्जमाफी का वादा माना जा सकता है.

राहुल ने अपनी रैलियों में जगह-जगह ऐलान किया था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर दस दिनों में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा वर्ना ग्यारहवें दिन सीएम बदल दिया जाएगा. अब कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने चुनावी वादे को पूरा करने की है क्योंकि कहीं ये वादे अधूरे छूटने पर  3 महीनों के भीतर ही सत्ता विरोधी लहर में न बदल जाएं.

बीजेपी को अब उन राज्यों में सतर्क रहने की जरूरत है जो 15 साल से उसके गढ़ थे. मध्यप्रदेश की 29, छत्तीसगढ़ की 11 और राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए नए समीकरण बनाने की जरूरत है क्योंकि जो मुद्दे विधानसभा चुनाव में हावी रहे वो ही लोकसभा चुनाव में भी हुंकार भरेंगे.

ऐसे में कर्जमाफी जैसे दूसरे वादे पूरा न कर पाने पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ ही सत्ता विरोधी लहर चल सकती है. जो लुभावने वादे कर कांग्रेस सत्ता में आई है अब वही वादे बीजेपी के लिए साल 2019 में माहौल बदलने के काम आ सकते हैं.

क्या कांग्रेस की जीत से बीजेपी को होगा फायदा?

कांग्रेस इस जीत से बेहद उत्साहित है. लेकिन बीजेपी के लिए राज्य की सत्ता से लोकसभा चुनाव से तीन-चार महीने पहले हटने के दूरगामी फायदे भी हो सकते हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने नतीजों पर कहा कि जनता ने दिल पर पत्थर रखकर कांग्रेस को वोट दिया. मायावती के बयान से क्या माना जाए कि जनता ने बीजेपी की राज्य सरकारों के प्रति गुस्से को कांग्रेस को वोट देकर निकाल बाहर कर दिया? अगर ये गुस्सा पंद्रह साल में उपजा तो फिर वोट शेयर में भारी गिरावट क्यों नहीं हुई.

मध्यप्रदेश में बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को 40.9 फीसदी. इसी तरह राजस्थान में भी बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 73 सीटें मिलीं. ये साफ संकेत है कि साल 2019 में इन राज्यों में वापसी के लिए बीजेपी के पास अभी कई मौके बाकी हैं.

हालांकि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी के सामने इस बार चुनौती ज्यादा है. न सिर्फ पांच साल सरकार के कामकाज का हिसाब देना है बल्कि इस बार सामने साल 2014 की तरह न तो बिखरा हुआ विपक्ष है और न ही यूपीए के दस साल के शासन की सत्ता विरोधी लहर का मौका. इस बार बीजेपी के सामने एनडीए को बिखराव से बचाने की चुनौती भी है.

शिवसेना नाराज है तो चंद्रबाबु नायडू जैसे एनडीए के पूर्व संयोजक ही साथ छोड़ गए और विपक्ष का महागठबंधन तैयार करने में जुटे हुए हैं. एनडीए छोड़कर जाने वाले दलों की वजह से बीजेपी को सीटों का कुछ नुकसान हो सकता है लेकिन उसके फायदे के लिए एक नया रास्ता टीआरएस खोल रही है.

टीआरएस के दांव से किसे होगा फायद किसका होगा नुकसान

तेलंगाना में सत्ता वापसी करने वाले केसीआर ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के नए गठबंधन की बात की है जो कि गैर कांग्रेसी और गैर-बीजेपी हो. केसीआर की इस नई कहानी से विपक्ष की एकता के प्रतीक महागठबंधन की परिकल्पना का पटाक्षेप हो जाता है. आखिर बीजेपी और कांग्रेस विरोधी कितने दल एक साथ अलग-अलग आएंगे?

केसीआर के इस दांव से फायदा बीजेपी को ही होगा तो नुकसान उस विपक्ष को जो बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना चाहती है. अब जबकि राहुल विपक्ष के नंबर वन नेता बनकर उभरे हैं और उनकी लीडरशिप में विपक्षी महागठबंधन की संभावना दिखाई देती है तो टीआरएस नेता केसीआर का अलग राग विपक्षी महागठबंधन के तोड़ के रूप में नजर आता है.

भले ही राज्यों की हार की नैतिक जिम्मेदारी शिवराज, वसुंधरा और रमन सिंह ने ली लेकिन बीजेपी को ये नहीं भूलना चाहिए कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी किसान, बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी और भ्रष्टाचार के आरोपों को कांग्रेस मुद्दा बनाएगी.

ऐसे में राहुल के हमलों को हल्के में लेने की भूल दोहरानी नहीं चाहिए क्योंकि जनता ने राहुल को अब विपक्ष के नंबर एक नेता के तौर पर स्थापित कर दिया है. साथ ही अब बीजेपी के उन जिम्मेदार नेताओं को ये कहने से भी बचना होगा कि राहुल जितनी रैलियां करेंगे उसका फायदा बीजेपी को ही मिलेगा. राहुल केंद्रित रणनीति का ठीक वैसा ही नुकसान हो सकता है जैसा कि साल 2014 में कांग्रेस और दूसरे दलों ने मोदी-केंद्रित प्रचार रखा था.

बीजेपी के पास फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ का विकल्प है. कांग्रेस शासित राज्यों में  अगर चुनावी वादे पूरे नहीं होते हैं तो बीजेपी इसका इस्तेमाल सत्ता विरोधी लहर के रूप में कर सकती है. इतिहास गवाह रहा है कि तीन-तीन राज्यों में एक साथ चुनाव जीतने वाली पार्टी को भी छह महीने के भीतर ही एंटीइंकंबेंसी की वजह से लोकसभा चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ा है. इसलिए बीजेपी के लिए अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है बल्कि नए सिरे से शुरू करने का अलार्म ही बजा है.

DCW rescued a 13-year-old girl, who was being forcefully married to a 25-year-old man


A 13-year-old girl was being forced to get married in Delhi’s Palam

The minor had also been sexually abused earlier

‘Groom’s brother had sexually abused the girl’

DCW involved Delhi Police in the matter


The Delhi Commission for Women (DCW) on Monday said that following a complaint, the DCW rescued a 13-year-old girl, who was being forcefully married to a 25-year-old man.

“The 13-year-old girl was dressed as a bride and was being taken to Uttar Pradesh for her marriage. The DCW team learnt that the victim’s mother was a domestic help and father a daily-wage labourer,” said the DCW in a statement.

‘Sexual abuse’

“When the DCW team reached the Palam residence along with the Delhi Police team, they were informed that the groom’s brother had previously sexually abused the victim. The 35-year-old brother wanted to have the girl married to his brother, and the crime could have been repeated multiple times over,” the women’s commission also said.

DCW chairperson Swati Maliwal said, “It is a matter of great shame that in today’s India, little girls are being married off in the Capital. I thank the person who informed the commission about the matter and also appeal to all to keep their eyes and ears open.”

The commission also said that the girl has been sent to a shelter home by the Child Welfare Committee.

सिख विरोधी दंगे: दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी की याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब


इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी, निचली अदालत ने सिंह को 14 नवंबर को दोषी ठहराया था


दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित मामले में दोषी यशपाल सिंह की याचिका पर पुलिस से मंगलवार को जवाब मांगा है. यशपाल सिंह ने सिख विरोधी दंगा मामले में उसे सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी है.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की पीठ ने दोषी की मौत की सजा की पुष्टि करने के लिए पेश मामले में भी सिंह को नोटिस जारी किया. पीठ ने सिंह को पेशी के लिए वारंट जारी किया.

अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी. निचली अदालत ने सिंह को 14 नवंबर को दोषी ठहराया था. इस फैसले के बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद है. अदालत ने उसे 20 नवंबर को मौत की सजा सुनाई थी.

निचली अदालत ने 1984 दंगों के दौरान नई दिल्ली में दो लोगों की हत्या के मामले में अपराध में सहायता करने वाले नरेश सहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

गौरतलब है कि भारतीय सिखों के खिलाफ 1984 में जो दंगे हुए, उन्हें सिख विरोधी दंगे कहा जाता है. इसकी वजह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या थी. उनकी हत्या करने वाले बॉडीगार्ड सिख थे. इस घटना के बाद ही देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे.

जब इस मामले में इंदिरा के बेटे राजीव गांधी से पूछा गया था तो उन्होंने हैरान करने वाला बयान दिया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा था..जब बड़े पेड़ गिरते हैं तो धरती हिलती है.

प्रधान मंत्री मोदी ने कांग्रेस को दो जीत की बधाई


पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजे लगभग साफ हैं. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाएगी


पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजें लगभग आ चुके हैं. मध्यप्रदेश के अलावा बाकी चारो राज्यों में तस्वीर साफ हो चुकी है. इसमें से छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने वाली है.

जनता के इस आदेश को स्वीकार करते हुए पीएम मोदी ने आभार व्यक्त किया है. पीएम ने कहा- ‘हम जनता के आदेश को स्वीकार करते हैं. मैं छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमें राज्य की सेवा का अवसर दिया. इन राज्यों में बीजेपी सरकार ने पूरे जोश से लोगों के विकास के लिए काम किया है.’


Narendra Modi

@narendramodi

I thank the people of Chhattisgarh, Madhya Pradesh and Rajasthan for giving us the opportunity to serve these states. The BJP Governments in these states worked tirelessly for the welfare of the people.


इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने जीत के लिए कांग्रेस और के चंद्रशेखर राव को भी बधाई दी. पीएम ने ट्वीट किया- ‘कांग्रेस को जीत के लिए बधाई. केसीआर गारु को तेलंगाना में शानदार जीत के लिए बधाई और मिजो नेशनल फ्रंट को भी मिजोरम में जीत के लिए बधाई.’


Narendra Modi

@narendramodi

Congratulations to KCR Garu for the thumping win in Telangana and to the Mizo National Front (MNF) for their impressive victory in Mizoram.


वसुंधरा ने दिया इस्तीफा

जयपुर:

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है. राज्य विधानसभा चुनाव में हुई बीजेपी के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया.

कांग्रेस को जीत की बधाई देते हुए वसुंधरा राजे ने कहा 5 साल में बीजेपी ने अच्छे काम किए हैं.मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रदेश की जनता की आवाज को सदन में उठाएंगे. मैं समस्त पार्टी कार्यकर्ताओं, पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को धन्यवाद देना चाहती हूं. जब पत्रकारों ने उनसे हार का कारण जानना चाहा तो वसुंधरा ने सवाल को टाल दिया.

वसुंधरा के कई मंत्री चुनाव हारे

बता दें राजस्थान में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. वसुंधरा राजे सरकार में कद्दावर रहे कई मंत्री विधानसभा चुनाव हार गए हैं. इनमें परिवहन मंत्री युनुस खान, खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी शामिल हैं. जीतने वाले मंत्रियों में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया व शिक्षा मंत्री किरण महेश्वरी का नाम प्रमुख है. वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले युनुस खान टोंक विधानसभा सीट से 54,179 मतों से हार गए. इस सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे सचिन पायलट जीते हैं.
वहीं जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप हनुमानगढ़ सीट पर 15522 मतों से तो पशुपालन मंत्री रहे ओटाराम देवासी सिरोही सीट पर 10253 मतों से पराजित हुए. इसी तरह राजे सरकार के कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी अंता सीट पर 34059 मतों से हारे. उन्हें कांग्रेस के प्रमोद भाया ने हराया. खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी करणपुर सीट पर हारे और वह मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहे.

खाद्य व आपूर्ति मंत्री बाबू लाल वर्मा बारां अटरू सीट पर 12248 मतों से हार गए. पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा नदबई सीट पर बसपा के जोगिंदर सिंह से 4094 मतों से हारीं जबकि यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी निंबाहेडा सीट पर 11908 मतों से हारे हैं.

सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी सिविल लाइंस सीट पर 18078 मतों से हार गए. उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत झोटवाड़ा सीट पर 10747 मतों से हार गए. वहीं गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने उदयपुर सीट पर कांग्रेस की गिरिजा व्यास को 9307 मतों से पराजित किया.

इन मंत्रियों को मिली सफलता

वसुंधरा राजे के जिन प्रमुख मंत्रियों ने जीत दर्ज करने में सफलता पाई है उनमें चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ मालवीयनगर सीट पर 1704 मतों से, महिला व बाल विकास मंत्री अनिता भदेल अजमेर (दक्षिण) सीट पर 5700 मतों से व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी अजमेर (उत्तर) सीट पर 8630 मतों से जीते हैं. बाली सीट पर ऊर्जा मंत्री पुष्पेंद्र सिंह 28081 मतों व शिक्षा मंत्री किरण महेश्वरी ने राजसमंद सीट पर 24532 मतों से जीत दर्ज की है

आज से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र


सुमित्रा महाजन ने ये बैठक इसलिए बुलाई है ताकि शीतकालीन सत्र को शातिंपूर्ण तरीके से चलाने पर चर्चा की जा सके


मंगलवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है. इस बीच लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. संसद के एनेक्सी भवन में चल रही इस बैठक में सभी पार्टियों के नेता शामिल हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की माने सुमित्रा महाजन ने ये बैठक इसलिए बुलाई है ताकि शीतकालीन सत्र को शातिंपूर्ण तरीके से चलाने पर चर्चा की जा सके. संसद का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर से शुरू होकर आठ जनवरी तक चलेगा.

शीतकालीन सत्र पर क्या बोले पीएम मोदी ?

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शीतकालीन सत्र को लोकहित और देशहित में सार्थक बनाने की अपील करते हुए कहा कि लंबित विधायी एजेंडा पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और सारे अहम विषयों को नतीजे तक पहुंचाएंगे.

सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि सत्र काफी सार्थक रहेगा. यह सत्र महत्‍वपूर्ण है. सरकार की तरफ से कई महत्‍वपूर्ण विषय रहेंगे, जो जनहित के हैं, देशहित के हैं और सभी का यह प्रयास रहे कि हम अधिक से अधिक काम जनहित, लोकहित का और देशहित का कर पाएं.’

मोदी ने कहा कि उन्हें विश्‍वास है कि सदन के सभी सदस्‍य इस भावना का आदर करते हुए आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि ‘हमारा निरंतर प्रयास रहा है कि सभी विषयों पर चर्चा हो. खुल करके चर्चा हो, तेज-तर्रार चर्चा हो, तीखी तमतमाती चर्चा हो… लेकिन चर्चा तो हो! वाद हो, विवाद हो, संवाद तो होना ही चाहिए.’

पीएम ने कहा, ‘इसलिए हमारी यह गुजारिश रहेगी, हमारा आग्रह रहेगा कि यह सदन निर्धारित समय से भी अधिक समय काम करे. सारे महत्‍वपूर्ण विषयों को नतीजे तक पहुंचाए.’ उन्होंने कहा कि चर्चा करके उसे और अधिक सार्थक बनाने के लिए, और अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रयास हो.’

पांच राज्यों में हार के बाद अब देश से भी भाजपा की विदायगी की शुरुआत होगी: योगेश्वर शर्मा

कहा: दिल्ली में भाजपा का इस बार खाता भी नहीं खुलेगा

हरियाणा में हो रहे नगर निगम के चुनावों पर भी होगा इस हार का असर

पंचकूला,11 दिसंबर:

आम आदमी पार्टी का कहना है कि देश के तीन बड़े राज्यों में भाजपा की करारी हार और दो राज्यों में उसकी नाममात्र की उपस्थिति अब उसके लिए केंद्र से भी उसकी विदायगी की नींव रखेगी। पार्टी का कहना है कि आने वाले जिन जिन राज्यों में भी चुनाव होंगे भाजपा का इससे भी बुरा हश्र होगा क्योंकि अब देश के लोगों ने अपना गुस्सा खुलकर भाजपा के खिलाफ निकालना शुरु कर दिया है। पार्टी ने यह भी कहा है कि यह भाजपा के तानाशाही राज का अंत होने की शुरुआत भर है। और दिल्ली में तो भाजपा का खाता भी नहीं खुलेगा। पार्टी ने पांचों राज्य की जनता को भाजपा को उसकी असली जगह दिखाने के लिए बधाई दी है।

आज यहां जारी एक ब्यान में पार्टी के अंबाला लोकसभा और जिला पंचकूला के अध्यक्ष योगेश्वर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के गिरते ग्राफ का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह आम चर्चा है कि वोट बैंक वटोरने के लिए केंद्र की सरकार ने आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल पर अनुचित दबाब बनाने का प्रयास किया जिसके चलते उन्हें गर्वनर पद से त्यागपत्र देना पड़ गया। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के संभावित हश्र को ध्यान में रखते हुए ही उसके कई दिगगज नेताओं ने अगला चुनाव लडऩे से ही इंकार करना शुरु कर दिया है और कई फिलमी हस्तियों ने भी भाजपा के डूबते हुए जहाज में स्वार होने से साफ मना कर दिया है।

योगेश्वर शर्मा ने आगे कहा कि हरियाणा में हो रहे नगर निगम के चुनावों पर भी भपाजपा की इन रनाज्यों की हार का सीधा असर पड़ेगा। क्योंकि लेाग अभी से ही जहां जहां नगर निगम के चुनाव हैं,वहां वहां राज्य की भाजपा सरकार को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं। पार्ट ी का कहना है कि सरकार की वायदा खिलाफी और उसकी गलत नीतियों से आजिज लोग अब भाजपा के उम्मीदवारों को अपने घर की दस्तक पर भी देखना नहीं चाहते। क्योंकि भाजपा ने प्रदेश व देश के लोगों से पिछले चार सालों में खूब छल किया है। आम आदमी की हालत इस पार्टी की सरकारों ने काफी खस्ता कर दी है। इस लिए लोग भी अब इस पार्टी को सत्ता से बाहर करने का मन बनाये बैठे हैं।

प्रदेश में होने जा रहे नगर निगम के चुनावों में भाजपा की हालत पतली होती अभी से साफ नजर आ रही है। लोग अब भाजपा के उम्मीदवारों को अपने घर गली या मुहल्लों में भी घुसने देना चाहते। इसी लिए सबने अपने अपने इलाकों में अपने घरों  के बाहर ऐसे शब्द लिखकर लगा डाले हैं जोकि भाजपा के प्रति लेागों की नारजगी को साफ दर्शातें हैं।  यही हाल भाजपा का आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी होगा। शर्मा ने कहा कि एन्हांसमेंट के मामले को लेकर सरकार से नाराज हिसार में जहां लोगों ने अपने अपने घरों के बाहर ये स्टिकर चिपका दिए हैं कि भाजपा उम्मीदवार डोरबैल न बजाये तो वहीं रोहतक में सोनीपत रोड़ के पास के इलाकें में किसी ने यह लिखकर कर टांग दिया है कि भाजपा को वोट न दें। इसके आलावा रोहतक में यह लिखकर टांगा गया है कि वोट मांग कर शर्मिंदा न करें। उन्होंने कहा कि हिसार में सेक्टरों की हाउस वैलफेयर एसोसिएशनों ने तो वकायदा भाजपा उम्मीदवारों को वोट न देने की अपील करने का अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की यही खूबी है कि सरकार से नाराज सत्तारुढ पार्टी के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकते हैं। ऐसे में सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि जनता अपने साथ की गई वायदा खिलाफी के लिए या खुद को परेशान किए जाने के लिए सत्तारुढ पार्टी को कभी माफ नहीं करती और इसका सही वक्त आने पर मूंहतोड़ जाबाब देती है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी लोगों की इन सभी समस्याओं को आने वाले समय में और भी जोरशोर से उठायेगी।

AIBOC   strongly  criticize the government move of merger /amalgamation of Public Sector Banks

On the call of All India Bank Officers Confederation , a body having more than 3.20 lac members across the country, held a massive demonstration , today , in front of Punjab National Bank , Bank Square Sector-17, Chandigarh, where more than 1000 bank officers participated and They demand their long pending Wage Revision as per Charter of Demand for all officer up to Scale VII, updation /revision of pension and family pension, introduction of five day week with immediate effect, stop mis- selling of third party products , focus on core business and NPA recovery , stop merger of Public Sector Banks. Speaking on the occasion Com Deepak Sharma, Joint General Secretary of AIBOC , strongly criticize the government and IBA for delay in their wage revision, which is due since November 2017 and demand immediate wage hike as per the charter of Demand for all the officers up to scale VII. He also demand immediate implementation of five day week . He further told that bank officers will observe 24 hour strike on 21st December to press for acceptance of their demands.

Speaking on the occasion Com T S Saggu, State Secretary, AIBOC   strongly  criticize the government move of merger /amalgamation of Public Sector Banks and said that on the one side government is issuing licenses to the new small banks and on the other side they are merging the PSBs in the name of weak banks. He stated the all most all the PSBs  are in operating profit and in net loss due to provisioning. Government is not serious about recovery from big corporate defaulters and are not making stringent laws for the recovery from them. He further stated that proposed 24 hour strike  on 21st December would be preceded by a series of massive agitation programmes across all the major centres and district headquarters, wearing of demand badges, display of posters at all Bank branches / offices / railway stations / bus stands, lunch time / evening time rally / demonstrations at all branches / offices and a Centralized Dharna at Delhi and at all State capitals and submission of Memorandum.

Others who were present on the demonstration are

Com. Ashok Goyal, Com Vipin Beri , Com . Arun Sikka Com D N Sharma, Com. H S Loona, Com. Neeru Saldi, Com. Balwinder Singh were also present on the venue.

 कांग्रेस की जीत पर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह

 

ब्रेकिंग् फ्रॉम झजजर

कांग्रेस की जीत पर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह

:  ढोल -नगाड़ो व लडडू बाटकर मनाई जीत की खुशी

: झज्जर के अंबेडकर चौक पर अशोक तंवर के कार्यकर्ताओं ने  ढोल बजाकर किया खुशी का इजहार

: कहा,  2019 में देश के प्रधानमंत्री होंगे राहुल गांधी

: कहा,  झज्जर का बेटा अशोक तंवर होगा हरयाणा का मुख्यमंत्री

AIBOC ANNOUNCES 24 HOUR NATIONWIDE STRIKE ON 21ST DECEMBER 2018

ALL INDIA BANK OFFICERS’ CONFEDERATION (AIBOC), the apex body of Bank Officers’ trade union movement comprising over 3,20,000 members announces a nationwide strike call on 21st December, 2018 demanding inter-alia, full and unconditional mandate for the XIth Bi-partite wage revision talks based on Charter of Demands submitted by four Officers’ organisations viz. AIBOC, AIBOA, NOBO and INBOC on the minimum wages concept, Focus on Core Business and NPA Recovery, Abolishing New Pension Scheme, Updation/Revision of Pension and Family Pension et al; while opposing the Amalgamation of Vijaya Bank, Dena Bank and Bank of Baroda, Merger/amalgamation of Regional Rural Banks, Attack and Assault on Bank officers across the country, Reduction of existing medical benefits, Steep hike in insurance premium of retirees etc.

It is worthwhile mentioning here that the Department of Financial Services, as early as on 12th January 2016 had urged the IBA and the member Banks to expedite the process so that the new wage structure can be implemented on the effective date i.e. 01st November 2017.  In spite of this communication and also many reminders from the Government, the negotiations ultimately commenced only on 02nd May 2017!

AIBOC notes with serious concern that absolutely no headway has been made in the process so far even after the elapse of 19 months since the discussions have begun. The lack of urgency becomes quite evident when one considers the fact that IBA has not been able to obtain “Unconditional Mandate”, the basic authority given by all the member Banks to IBA to negotiate on their behalf with the trade unions, from 5 Major Banks till date!  It has been a practice in the Bipartite Settlements so far, to negotiate salary structure of officers up to Scale VII.

AIBOC believes that it is nothing but a farcical logic to restrict the wage negotiations up to the officers in scale III whereas the entire officer community is covered under unified Service Regulations.

AIBOC strongly opposes the current move to restrict the salary settlements only up to Scale III by citing non-receipt of the ‘unconditional mandates’ from 5 Banks as a reason whereas as many as 15 Banks from the Public Sector and 2 Private Sector Banks have already given ‘unconditional mandates’.

AIBOC in its charter of demand submitted to IBA for negotiations have clearly demanded that the salary settlement for the officer community has to be on ‘Minimum Wage Concept’.  Negotiating Committee of the IBA seems to be showing scant regard for this important demand so far has not come out to discuss with us based on the lines of minimum wage concept and equal work-equal wage principle stressed upon in the Charter of Demands, thereby digressing once again from the Pillai Committee Recommendation of restoring parity in wages and perquisites of Bank Officers with Civil Service Officers. Instead of discussing based on our charter of demands, IBA has been offering pittance in terms of percentages in the negotiations so far.  AIBOC representatives had excused themselves during the wage revision talks held on 30th November, 2018 on failing to get any assurance from IBA on the mandate issue.

The strike call also features the burning issue of the announcement proposing to merge 3 Public Sector Banks and the consolidation of Regional Rural Banks. The merger announcement dated 17th September 2018, proposing to merge Bank of Baroda, Vijaya Bank & Dena Bank was defying all norms, even defying the parliament.  This is not only detrimental to the Indian Banking Industry, but inimical to the interest of the common man. AIBOC is protesting and mobilizing public opinion against this proposed merger across the country. The merger of PSU Banks along with Regional Rural Banks will result in closure of hundreds of Bank branches and affect the flow of credit to the rural sector, which will affect the agriculturists, farmers, MSMEs, SHGs, Women, students and the common man. We have also explored legal options in this regard by filing a Writ Petition in the Delhi High Court.  The merger of State Bank of India with its Associate Banks has already evinced that it was a disaster as SBI posted a humongous loss in FY’18. AIBOC will oppose this proposal in all possible forums.

The corporate masters who are trying to enter the Public Sector Banking space are already showing their true colour in Catholic Syrian Bank by unleashing mayhem inside the Bank.  The HR situation in IDBI Bank is a key issue in our strike call. AIBOC will be in the forefront in both these institutions to ensure that sanity is restored and normalcy returned.

Issues explained above will show that situations are allowed to worsen in many spheres so that a congenial atmosphere is created for the backdoor entry of corporates and NBFCs as probable saviours into the Indian Banking Industry. Whereas it is crystal clear that, it is the ‘Public Sector Banks’ who have shouldered the responsibilities of ‘Nation Building’  and there is no case here for any saviour per se.  AIBOC will make all out efforts to ensure that the sanctity of the Public Sector is preserved and the common man will have no barriers in accessing basic Banking Needs.

AIBOC will, therefore, observe a 24 hour Nationwide Strike on 21st December 2018 Opposing:-

 IBA’s reluctance to honour the ‘unconditional mandate’ submitted by the majority of the Banks   and limiting the scope of the Bipartite Negotiations only up to scale III.

 

  • The proposed merger of Bank of Baroda, Vijaya Bank and Dena Bank and the amalgamation of Regional Rural Banks

 

  • IBA’s reluctance to carry forward the negotiations as per the charter of demand submitted by the 4 Officers’ organisations

 

  • Unabated attack on Bankers in various parts of the country while discharging official duties.

 

  • Unilateral reduction of medical benefits of officers.

 

  • Dictatorial and oppressive regime in Catholic Syrian Bank and major HR issues in IDBI Bank

 

And other related issues.

 

More than 800 members of AIBOC from all the Banks assembled in front of Punjab National Bank, Bank square, Sector 17, Chandigarh today i.e. on 11.12.2018. Addressing to the gathering, Com. Deepak K Sharma, Jt. General Secretary, AIBOC and General Secretary, SBI Officers’ Association, Chandigarh Circle apprised the members that the proposed 24 hour Strike on 21st December, 2018 would be preceded by a series of massive agitation programmes across all the major centres and district headquarters, wearing of demand badges, display of posters at all Bank branches / offices / railway stations / bus stands, lunch time / evening time rally / demonstrations at all branches / offices and a Centralized Dharna at Delhi and at all State capitals and submission of Memorandum to the Hon’ble Finance Minister. The other members included Com. T S Saggu, State Secretary, AIBOC, Com. Sanjay Sharma, Convener UFBU Chandigarh,  Com Ashok Goyal, General Secretary, PNB Officers’ Association, Com. R K Arora, General Secretary, UCO Bank Officers’ Association,     Com. Sachin Katyal, General Secretary, Allahabad Bank Officers’ Association, Com. Shivani Sharma, Bank of India Officers’ Association , Com Nisha Kumari, Vijya Bank Officers’ Association, Com Navvrn Nishchal, Union Bank of India Officers’ Association, Com. Vipan Berri, Dy General Secretary, AIBOC Chandigarh, Com. Harvinder Singh, Vice President, AIBOC Chandigarh, Com. V. Trighatia, Vice President, AIBOC Chandigarh, Com. Naveen Jha, Corporation Bank Officers’ Association and Com. Balvinder Singh, IOB Officers’ Association.

 AIBOC is confident that all stakeholders will spontaneously join the movement and make the strike a grand success.