कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार सुरक्शित अब कुट्टी के इस्तीफे का इंतज़ार

कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के 15 विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने के दावे को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है. कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडु ने इस दावे को लोगों को गुमराह करने वाला बताया है

कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के 15 विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने के दावे को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है. कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडु ने इस दावे को लोगों को गुमराह करने वाला बताया है.

बुधवार को बीजेपी विधायक उमेश कुट्टी ने दावा किया था कि कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर गठबंधन के 15 विधायक उनके संपर्क में है और अगर वह बीजेपी में शामिल होना चाहें तो पार्टी उनका स्वागत करने के लिए तैयार है. इस दावे पर कांग्रेस के राज्य प्रमुख ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी अध्यक्ष को अपने पद से इस्तीफा देना होगा.

आठ बार से विधायक कत्ती ने दावा किया था कि बीजेपी अगले सप्ताह तक नई सरकार का गठन कर लेगी. कुट्टी ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ विधायक हालिया मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं.

हाल ही में मंत्रिमंडल से बाहर किए गए वरिष्ठ नेता रमेश जरकिहोली पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दे चुके हैं. उन्होंने इस हफ्ते के आखिर में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर फैसला लेने की बात कही थी.

हालांकि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि कोई भी विधायक इस्तीफा नहीं देगा और छह महीने पुरानी गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है. बुधवार को ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि पार्टी किसी भी असंतुष्ट कांग्रेस विधायक के संपर्क में नहीं है.

पंचकुला उपायुक्त स्वस्थ्य भारत यात्रा का करेंगे स्वागत

पंचकूला, 27 दिसंबर:

उपायुक्त श्री मुकुल कुमार 28 दिसंबर को प्रातः 10 बजे एमडीसी सेक्टर-4 पंचकूला में स्थित सिविल डिस्पेंसरी में संपूर्ण भारत साईकिल यात्रा के पंहुचने पर स्वागत करेंगे। यह जानकारी सिविल सर्जन डाॅ योगेश शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस के मौके पर इट राईट इंडिया मिशन के तहत आम लोगों को जागरुक करने के लिये संपूर्ण भारत साईकिल यात्रा व पोषण अभियान का शुभारंभ किया गया था। इस यात्रा का 28 से 30 दिसंबर तक जिला पंचकूला के कालका से होकर जाना निर्धारित किया गया है। 

LPU students develop 1st driverless solar-powered bus, To welcome PM Narendra Modi

Driver Less Solar Power Bus
For PM to Ride

The eco-friendly solar powered-bus will hit airports, industries and in smart cities later

Jalandhar, December 27, 2018: Students of different departments of Lovely Professional University (LPU) have designed and built driverless solar-powered bus after putting a lot of efforts to give shape to their dream. The bus is slated to enter commercial service later this year. This first prototype will be used to welcome and ferry Honourable Prime Minister to the venue of Indian Science Congress to be held at the LPU campus on January 3, 2019.

Once launched commercially, the bus will be used at airports, housing societies, industrial complexes, and educational institutions. The design of the bus has been made keeping in mind Indian conditions and the vehicle will cost  just Rs. 6 lakh. Since the engine is both battery and solar powered, so its’ running cost is almost negligible. The bus has a maximum speed of 30 km/ph and could have a seating capacity from 10-30 people.

Over 300 students from Mechanical, Electrical, and Computer Engineering departments of the university collaborated under the guidance of LPU professors and experts to design and fabricate the vehicle. The fabrication is being done at the LPU Project Studio itself where other Research & Development and product commercialization also take place.

Unlike most hybrid vehicles, using internal combustion engine along with electric motors, the bus is completely pollution free and uses only renewable energy, in the form of electric motor and solar power, for propulsion. Vehicle-to-Vehicle (V2V) communication technology has been used to make the bus driverless. The bus also uses GPS and Bluetooth for navigation and could be controlled within a radius of 10 meters.

LPU Chancellor Ashok Mittal said, “The driverless bus is another example of LPU students being at the forefront of technology. Some other interesting projects done by the LPU students include Flying Farmer,  a wireless sensor device, exclusively used in farming and field survey, Formula one car and Go-karts. In fact, the LPU is one of the few universities from the country that have represented India at renowned global competitions like NASA Rover Challenge and international go-kart championship. The India Science Congress will be a great exposure for our students and they are very excited about it.”

Mandeep Singh, Project head, said, “We are very happy to design a completely driverless and eco-friendly bus to welcome PM Modi. If his schedule and security arrangements permit, we would love to give him a tour of our campus in the bus.”

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 477 महिलाएं ट्रिपल तलाक की शिकार हुईं- स्मृति ईरानी

तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार यानि आज लोकसभा में चर्चा हो सकती है. पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी. इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी. दरअसल, लोकसभा में पिछले सप्ताह जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया था तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया था कि इस पर अगले सप्ताह चर्चा कराई जाए.  इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा था कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी.

बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया

इस पर खड़गे ने कहा था, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए. हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं. वहीं इस पर बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है और चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है. अध्यादेश सितंबर में लाया गया था, जिसके अंतर्गत त्वरित तीन तलाक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध माना गया था. मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा.

पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा.

दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.

तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा.

अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’को मंजूरी प्रदान की थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था. इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे. 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था.

इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे 

प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा. इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई.

संसद की कार्यवाही LIVE UPDATES:

  • 16:59(IST)केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.
  • 16:54(IST)स्मृति ईरानी ने किया कांग्रेस पर हमलाजब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ: स्मृति ईरानी
  • 16:41(IST)टीडीपी एमपी ने कहा कि सरकार को पुरुषों को महिलाओं की रक्षा करने पर ध्यान देना चाहिए. बीजेपी सरकार में पुरुष-महिलाओं के साथ लिचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक बिल जम्मू-कश्मीर में भी लागू होना चाहिए.
  • 15:52(IST)बाल विवाह और सती प्रथा भी तो खत्म हुआ. बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठी थी तो वो भी खत्म हुआ. उस वक्त भी कुछ लोगों ने इसे मजहब से जोड़ा था, लेकिन वो खत्म हुआ हमारे देश के लोगों ने खत्म किया. आज कौन सी समस्या आ गई जो हम उसका विरोध कर रहे हैं: मुख्तार अब्बास नकवी
  • 15:11(IST)कांग्रेस को मीनाक्षी लेखी का जवाब-बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.
  • 14:58(IST)कांग्रेस नेता ने किया ट्रिपल तलाक का विरोधकांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.आगे बोलते हुए उन्होंने कहा शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.
  • 14:42(IST)RSP नेता एनके प्रेमचंद्रन ने भी ट्रिपल तलाक बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार ये बिल गुप्त रूप से ला रही है. 
  • 14:38(IST)AIADMK नेताओं ने कावेरी मुद्दे पर नारे लगाए. तमिलनाडु नेताओं ने मेडाकोट्टु मुद्दा भी उठाया. इस दौरान स्पीकर ने शांति बनाए रखने के लिए कहा.
  • 14:29(IST)कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कहा कि यह बेहद जरूरी बिल है जिसके बारे में गहन अध्य्यन होना चाहिए. इसके साथ ये संवैधानिक मामला भी है. मैं बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का आग्रह करता हूं. 
  • 14:23(IST)कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान कहा कि 20 इस्लामिक राष्ट्रों ने ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो हमारे जैसा धर्म निरपेक्ष ऐसा क्यों नहीं कर सकता? मेरा अनुरोध है कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
  • 14:20(IST) हमारी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है. मैं नारी सम्मान की बात करता हूं. तीन तलाक बिल का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. बिल पर विपक्ष के साथ चर्चा को तैयार हैं: रविशंकर प्रसाद  
  • 14:08(IST)मामले की गंभीरता को देखते हुए लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मुस्लिम महिला ( विवाह पर अधिकार की सुरक्षा ) बिल 2018 पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया है. 
  • 13:09(IST)लोकसभा की कार्यवाही फिर स्थगितराफेल डील पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा. बीच में केरल से सांसद शशि थरूर ने केरल में आए बाढ़ की त्रासदी का मसला उठाया. उन्होंने केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 7,304 करोड़ रुपए की मांग की थी. लेकिन केंद्र से सिर्फ 100 करोड़ रुपए मिले हैं. इस बीच राफेल डील पर हंगामा जारी रहा और लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
  • 11:51(IST)राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगितराज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद हंगामा के चलते कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गई. राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने हंगामा शांत कराने की कोशिश की. लेकिन सदस्य नारे लगाते रहे. जिसके बाद उन्होंने कहा कि राज्यसभा की कार्यवाही चलने देने में किसी की रूचि नहीं है इसलिए इसे दिनभर के लिए स्थगित किया जाता है.
  • 11:47(IST)कांग्रेस तीन तलाक पर विधेयक का विरोध करेगीमल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि वो हमलोग चर्चा में हिस्सा लेंगे लेकिन पुराने विचार पर अब भी कायम हैं. हम सरकार से अपील करेंगे कि वो धार्मिक मसलों में हस्तक्षेप न करे. अब वो विधेयक को स्टैंडिंग कमिटी को भेजेंगे या नहीं ये उनपर निर्भर करता है.
  • 11:43(IST)लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा था कि वो तीन तलाक की चर्चा में हिस्सा लेंगे. लेकिन लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सांसद राफेल डील पर हंगामा करने लगे. लोकसभी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने खडगे को याद दिलाया कि उन्होंने कहा था कि तीन तलाक पर चर्चा में कांग्रेस के सांसद सही तरीके से हिस्सा लेंगे. स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि राफेल डील के मुद्दे को 12 बजे उठा सकते हैं. लेकिन विपक्षा का हंगामा जारी रहा. जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक का दुरुपयोग हो रहा है. मुस्लिम महिलाओं को कभी ईमेल से तो कभी वाट्सएप से तलाक दिया जा रहा है इसलिए सरकार ने इसपर रोक लगाने के मकसद से तीन तलाक बिल पेश किया. 

Chowkidar Chor then why are you in his team so far

By using the slogan “Chowkidar Chor Hai” (the country’s watchman is a thief), the editorial said, Thackeray was calling himself and his party ministers thieves.

RSS-backed Marathi daily ‘Tarun Bharat’ launched a scathing attack on the Shiv Sena on Wednesday for targetting Prime Minister Narendra Modi, using the slogan ‘Chowkidar Chor Hai’. It asked why the Uddhav Thackeray-led party did not quit the coalition government if that was the case. The daily also said the Sena was criticising the BJP constantly despite being part of BJP-led coalitions in Maharashtra and the Centre.

By using the slogan “Chowkidar Chor Hai” (the country’s watchman is a thief), the editorial said, Thackeray was calling himself and his party ministers thieves. “Why does not the Shiv Sena immediately leave the government if it feels that the watchman is a thief,” it asked.

“The Shiv Sena does not intend to give up power nor does it have the guts to do so. There is a huge difference between the Shiv Sena when Balasaheb Thackeray was around and the Sena of today,” the newspaper said.

Just as Congress chief Rahul Gandhi showed his inexperience by insulting the prime minister by using the word “chor”, Thackeray exposed his own inexperience by using the same slogan, it claimed.

The editorial also questioned why the Shiv Sena had suddenly taken up the Ram Mandir issue. “It is because the Shiv Sena is scared of the 2019 elections… The Sena is not ready to accept that the younger brother (the BJP) has now become the elder brother (in the alliance),” it claimed. It is Sena’s illusion that it can come to power by pursuing the Ram temple issue, it said.

Sena chief Uddhav Thackeray Monday mouthed the Congress’ oft-repeated jibe of “Chowkidar Chor Hai” made in the context of the Rafale fighter jet deal.

Addressing a rally in Solapur district of Maharashtra, Thackeray used the slogan in a different context, without referring to the Rafale issue.

Saamana, Sena’s mouthpiece, in its editorial Wednesday targeted Prime Minister Narendra Modi over his ‘power is like oxygen for some people’ remark, claiming the BJP broke the alliance with it in 2014 for the sake of power.

Triple Talaq Bill Lok Sabha update

The controversial Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill, 2018, also known as the Triple Talaq bill, will be tabled in the Lok Sabha on Thursday.  The Bharatiya Janata Party (BJP) has issued a whip to all its lawmakers, asking them to be present in the House in full strength. 

The Parliament is meeting on December 27 after a long weekend Christmas holiday. Both Lok Sabha and Rajya Sabha has been witnessing disruptions over a range of issues, including protests by the Congress, which is demanding a joint parliamentary committee probe on the Rafale deal.

* “We will appeal to the government that it should not interfere in a religious matter. We will take part in the discussions today,” says Congress’ Mallikarjun Kharge.

* Congress has issued a whip asking its Lok Sabha MPs to be present in the House today, reports news agency ANI.

* The BJP on Tuesday issued a whip to its Lok Sabha members asking them to be present in the Lower House on December 27 when the Triple Talaq Bill will be taken up for discussion. The bill, which has faced resistance from several parties, is also likely to be put to vote on that day.

*Parliamentary Affairs Minister Narendra Singh Tomar Wednesday sought an assurance from the Opposition that it would allow discussion on the bill without disruption.

*The fresh Bill to make the practice of triple talaq among Muslims a penal offence was introduced in Lok Sabha on December 17 to replace an ordinance issued in September. Under the proposed law, giving instant triple talaq will be illegal and void, and will attract a jail term of three years for the husband. The fresh bill will supersede an earlier bill passed in the Lok Sabha and pending in the Rajya Sabha. The earlier bill was approved by the Lower House. But amid opposition by some parties in the upper house, the government had then cleared some amendments, including introduction of a provision of bail, to make it more acceptable. However, as the bill continued to face resistance in the Rajya Sabha, the government issued an ordinance in September, incorporating the amendments. An ordinance has a life of six months. But from the day a session begins, it has to be replaced by a bill which should be passed by Parliament within 42 days (six weeks), else it lapses. The government is at liberty to re-promulgate the ordinance if the bill fails to get through Parliament.

* Introducing the bill, Law Minister Ravi Shankar Prasad said despite the Supreme Court striking down the practice of talaq-e-biddat (instant triple talaq), terming it unconstitutional, divorces in this form were taking place. Citing details of instant triple talaq cases, the government had last week informed Lok Sabha that till now 430 incidents of triple talaq have come to the notice of the government through the media. Of these, 229 were reported before the Supreme Court judgment, while another 201 came to the notice after it. These cases were reported between the period of January 2017 and September 13, 2018. 

* In a landmark 3-2 verdict, the Supreme Court found the practice un-Islamic and “arbitrary”, and disagreed that Triple Talaq was an integral part of religious practice. 

NIA busts IS terror module after raids in Delhi, UP

In the summer of 2016, with the spectacular ravines of the Euphrates stretching out in the background, a soft-spoken eye-hospital technician from Mumbai spoke to India from the Islamic State’s capital at al-Raqqa.

“Do you not remember the serial blasts on the trains in Bombay?”

“Have you forgotten the serial blasts in Gujarat? Have you forgotten the destruction in Delhi and in Jaipur?

“We will deliver unto you a reckoning far more terrible than these… and will wage war upon you until polytheism is destroyed in India, and Allah’s rule is established,” he warned.

Like most of the 70-odd Indians who went to fight among the ranks of the Islamic State, Abu Rashid is almost certainly interred under the ruins of Raqqa or Mosul. But their dystopia didn’t.

Wednesday’s arrests by the National Investigations Agency in Delhi and Uttar Pradesh, preempting what officials say were plans to stage bombings in New Delhi over the New Year, demonstrate the Islamic State’s jihadist call is seducing some young Muslims in a time of deepening communal fractures.

Ever since 2009, over 91 jihadist cells have been dismantled by the NIA, which deals mainly with cases having pan-India significance; 63 of those have come since 2015. The Islamic State has been the biggest single contributor to this basket with 24 cases. Twenty-three of these cells were from Kashmir while 43 included other jihadist groups put together.

Wednesday’s arrests have provided some important insights into the nature of the threat. Incensed by what he perceived to be growing state-abetted violence against Muslims, NIA sources say, Delhi-born cleric Mufti Muhammad Suhail — code-named Hazrat or Prophet — mobilised young men and recruited them through his mosque in Amroha.


The cell, the NIA believes, was mentored by an Islamic State supporter overseas, likely in Pakistan — though they have so far been unable to dig out evidence of his identity through the mass of encrypted messaging the group used to communicate.

Earlier Islamic State cells in India have had little operational success. Barring a 17 March, 2017, bombing on board a Bhopal-Ujjain bus, there has been no operation of significant scale.

But this time, the cell meant business. Helped by nothing but internet research, NIA investigators believed, the men had gathered 25 kilogrammes of potassium nitrate, ammonium nitrate, sugar and sulphur — easily turned into low-grade explosives — meant to be packed inside metal lunch-boxes, and detonated using simple remote-controlled devices. The cell had gathered 12 pistols, 150 rounds of ammunition, and even assembled a simple rocket-launcher.

Put simply, this the first Islamic State group that had acquired the necessary elements for true lethality. Had the Telangana Police’s counter-terrorism unit, regarded as the most sophisticated operational unit of its kind in India, not broken into their digital conversations, this New Year would have looked very different.

New Delhi: National Investigation Agency (NIA) takes away a suspect arrested during its raids at a house in Seelampur in connection with its probe into a new Islamic State-inspired module, ‘Harkat ul Harb e Islam’, in New Delhi, Wednesday, Dec 26, 2018. (PTI Photo) (PTI12_26_2018_000118B)

Muhammad Suhail may have been a cleric, as was his aide and alleged weapons-procurer Saqib Iftekar, but the men the two recruited weren’t. Delhi resident Anas Yunus, alleged to have purchased the electrical components for the bombs, studies civil engineering at a university in Noida; Zubair Malik, who allegedly bought SIM cards for the plot is in the final year of a Bachelor’s programme in a New Delhi university. His brother, Zaid Malik, also accused of purchasing SIM cards and components, also has a university education.

The brothers Saeed Ahmed and Raees Ahmed, accused of purchasing the explosive material and fabricating the rocket-launcher, run a welding workshop in Islam Nagar.

Also accused are: garments business owner Rashid Zafar Raq, auto-rickshaw driver Muhammad Irshad, and medical-store owner Mohammad Azam. According to investigators, the group even included a middle-aged woman, who was given the charge of safely keeping the ₹7.5 lakh in cash that the group raised among themselves and from their supporters. However, it is unclear if she knew what it was intended for.

From the government’s data, it’s clear that those drawn to the Islamic State’s ideology aren’t the stereotypical madrasa-educated fanatics. Instead, they are members of the Muslim middle class, who the government says are deeply attached to the Indian democracy.

Estimates based on government data show that almost three in four Islamic State suspects arrested on terrorism charges — 68 percent — came from middle-class backgrounds while a similar percentage had a university or post-graduate degree. Eleven percent, a small sub-set, had some kind of religious education.

In interrogations by the NIA, half the suspects said communalism — ranging from riots to compulsory yoga practice — led them to join the Islamic State. Barely half of them cited the global Islamist project that underpins the Islamic State.

Counter-terrorism experts around the world have learned that it doesn’t take more than an internet connection and some common sense to turn those ideas into dead bodies.
His face masked with a white handkerchief, an assault rifle cradled in his lap, and wearing the combat fatigues in which he would be buried, Muhammad Taufiq delivered his only testament in the rolling accent of the Deccan:

“Twenty-five years ago, our enemies destroyed a mosque, but their eyes were not only on the Babri Masjid. These perfidious Hindus will keep changing their tactics until their mission is accomplished — and that mission is the elimination of every last Muslim.”

Three months later, Taufiq was dead, killed in a shootout with an al-Qaeda cell in Jammu and Kashmir. He’d been twice caught trawling Islamic State websites, and counselled by the police in Hyderabad. Failing to make it to Syria, he chose to die in Kashmir.

Like so many other young jihadists, Taufiq wasn’t even born when the Babri Masjid was demolished — and could have chosen a different kind of future. His father works at the Department of Atomic Energy’s heavy water plant in Manuguru, a key part of India’s nuclear programme. Like his two other sons, Taufiq’s father has no connection to Islamist politics or jihadism.

Back in 2016, the Indian jihadists who appeared in the Islamic State video made much the same point. Aman Tandel, one of four Thane men who joined the jihad in Iraq, vowed to return home “with a sword in hand, to avenge the Babri Masjid, and the killings of Muslims in Kashmir, in Gujarat, and in Muzaffarnagar”.

The language is designed to provoke rage among Indians — but it should also be a reason for reflection, on why these young men ended up where they did.

Ever since December 1993, there have been successive waves of jihadist recruitment. That tragedy saw the rise of jihadists lead by Abdul Karim Tunda heading into the Lashkar-e-Taiba. Following 2002, another generation formed the Indian Mujahideen. And following the Indian Mujahideen’s collapse, many of its members — among them, Mumbai eye-hospital worker Ahmed — fled for the Afghanistan-Pakistan borderlands, and then Syria.

The small numbers involved in these violent groups, given India’s giant Muslim population, demonstrate their cause has no wide appeal. Yet, communal violence enables and legitimises the operations of successive waves of jihadist groups, drawing in young recruits who believe democracy has betrayed them. That, in turn, feeds and empowers the Hindu-nationalist range.

Each successive cycle of hatred makes the process more powerful, increasing the risk of large-scale violence that could tear the country apart. India’s police and intelligence services can take a bow— but the country needs to find a way to dismantle this perpetual motion machine of hatred if their efforts are to have meaning.

पर्याप्त सीटों के न मिलने पर गठबंधन का बहिष्कार कर सकती है ‘हम’

मांझी ने कुछ महीने पहले यह दावा किया था कि उनकी पार्टी राज्य में 20 लोकसभा सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन करने की स्थिति में है, राज्य में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं

बिहार में विपक्ष के महागठबंधन के साथी दल हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) ने बुधवार को धमकी दी है कि यदि उसे पर्याप्त सीटें नहीं मिली, तो वह अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करेगी. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले ‘हम’ के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने महागठबंधन में सीट बंटवारा समझौते के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में यह कहा.

पूर्व मंत्री पटेल ने कहा कि हर पार्टी को अपने लिए सर्वश्रेष्ठ सौदेबाजी करने का अधिकार है और जहां तक हमारी बात है हम सड़क पर खड़े हैं. जो लोग मुकम्मल मकानों में रह रहे हैं उन्हें एक उचित आकलन करना चाहिए. नहीं तो वे भी सड़क पर आ जाएंगे. मांझी की पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि यदि उसे पर्याप्त संख्या में सीटें नहीं मिली तो वह चुनावों में भाग नहीं लेगी. दरअसल, उनसे (पटेल से) यह पूछा गया था कि पार्टी कितनी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.

पार्टी का दावा 20 सीटों पर है मजबूत स्थिति में

खास बात यह है कि मांझी ने कुछ महीने पहले यह दावा किया था कि उनकी पार्टी राज्य में 20 लोकसभा सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन करने की स्थिति में है. राज्य में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. उन्होंने बाद में स्पष्ट किया कि वह इतनी सीटों के लिए जोर नहीं दे रहे हैं और इसके बजाय जिन स्थानों पर पार्टी की अच्छी मौजूदगी है वह गठबंधन सहयोगियों को जीत हासिल करने में मदद करेगी.

गौरतलब है कि मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और जेडीयू छोड़ने के बाद हम का गठन किया था. मांझी ने इस साल फरवरी में एनडीए छोड़ दिया और महागठबंधन में शामिल हो गए.

कमलनाथ की सरकार बनवाने में मददगार अब खफा हैं

मध्य प्रदेश सरकार में 28 विधायकों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ले ली है, जिसमें मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री गैरकांग्रेसी नहीं हैं

बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन के गाजे बाजे लेकर इकट्ठा हुईं राजनीतिक पार्टियों अब खुद ही नहीं एकजुट हो पा रही हैं. मध्य प्रदेश सहित तीन राज्यों में कांग्रेस भले ही जीत गई हो, लेकिन महागठबंधन में शामिल पार्टियों को एकजुट नहीं कर पा रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के एक फैसले ने महागठबंधन की अहम कड़ी बनकर उभर रही समाजवादी पार्टी को नाराज कर दिया. समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बयान दिया है कि बीजेपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में बनने जा रहा गठबंधन गैर-कांग्रेसी होगा.

कमलनाथ के कैबिनेट एक भी गैर-कांग्रेसी मंत्री नहीं

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार में 28 विधायकों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ले ली है. इस मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री गैरकांग्रेसी नहीं हैं. कमलनाथ ने ऐन मौके पर समर्थन देने वाली एसपी और बीएसपी के भी विधायकों को शामिल नहीं किया.

मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही मंत्री नहीं बनने वाले विधायकों की नाराजगी सामने आनी शुरू हो गई थी. पहले कांग्रेस के कई विधायकों के समर्थकों की नाराजगी सामने आई, उसके बाद अब एमपी में कांग्रेस को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी ने भी आंखें दिखा दी हैं.

अब अगर मध्य प्रदेश की नई कैबिनेट की बात करें तो कई कारण हैं कि कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के एकमात्र विधायक को कैबिनेट में जगह क्यों नहीं दी. दरअसल, मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 116 विधायक चाहिए थे, कांग्रेस के पास 114 विधायक थे, जबकि एसपी के एक और बीएसपी के दो विधायक थे. नतीजों के ही दिन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. इसके अलावा चार निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दिया था.

पहले ही एसपी-बीएसपी और निर्दलियों को कैबिनेट से बाहर रखने वाली थी सरकार?

कमलनाथ ने सरकार गठन के बाद कहा था कि एसपी और बीएसपी ने समर्थन के एवज में कोई मांग नहीं की है, ना ही किसी निर्दलीय विधायक ने मंत्रिपद की मांग की है. कमलनाथ के इस बयान के बाद ही ऐसी संभावना हो गई थी कि शायद ही मंत्रिमंडल में गठबंधन के साथी शामिल होंगे.

वहीं, अगर कमलनाथ मंत्रिमंडल में सामाजवादी पार्टी के विधायक को शामिल करते, तो बीएसपी की अनदेखी आसान नहीं होती. इसके अलावा निर्दलीयों को भी शामिल करना पड़ता, क्योंकि चार निर्दलीयों में से दो तो कांग्रेस के ही बागी हैं. यही कारण है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिर्फ अपनी ही पार्टी के विधायकों को सरकार में शामिल करना उचित समझा.

हालांकि, अब मामला बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस के ही विधायक बने जयस संगठन के मुखिया हीरालाल आलावा की बगावत के बाद अखिलेश यादव ने भी नाराजगी दिखाई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस इन संकट से कैसे पार पाती है. हालांकि, अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में अपने हाथ खींच नहीं सकते, क्योंकि उन्होंने समर्थन देने का फैसला खुद ही किया था.

बुलंद शहर की हिंसा

—-{ नसीरुद्दीन शाह ने की आवाज़ बुलंद }—

Er. S. K. Jain

बुलंदशहर की हिंसा पर अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने टीवी पर कहा,”मुझे अपने बच्चों के बारे में सोच कर बड़ी फिक्र होती है। कल को किसी ने भी इनसे पूछा की तुम हिन्दू हो या मुसलमान तो मेरे बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होगा, क्योंकि मैंने उन्हे न हिन्दू बनाया न मुसलमान। मुझे हालात जल्दी सुधरते तो नज़र नहीं आ रहे। मुझे दर नहीं लग रहा बल्कि गुस्सा आ रहा है। में चाहता हूँ की हर इंसान को गुस्सा आना चाहिए।

नसीर मानते हैं की इंसान की हत्या कानूनन जुर्म है। क्या वह यह नहीं मानते की गौ हत्या भी कानूनन अपराध है। वह गौ हत्या करने वाले कसाइयों के खिलाफ नहीं बोलते, लेकिन गौ हत्या के विरोध में बोलने वालों के खिलाफ बोलते हैं। क्या कार्न है कि 21 गायों के काटने के बारे में कोई नहीं बोलता लेकिन असहिष्णुता के नए एपिसोड को लेकर नसीरुद्दीन शाह सामने हैं।

जिस नसीरुद्दीन शाह को लोग हीरो मानते थे, अभिनेता मानते थे, आज उसे गाली दे रहे हैं, क्योंकि उनकी सच्चाई सामने आ गयी है। कृष्ण जी ने कहा था कि यदि हम एक गौ के लिए अपने कई जन्म भी कुर्बान कर दें तो भी काफी नहीं हैं। जिस सुमित कि हत्या हुई उस सुमित कि बहन अपने भाई कि हत्या पर मात्र 15 सेकंड बोली शेष समय उसने गौहत्या पर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया, उसके मटा पिता भी अपने बेटे पर कम और गौरक्षा पर ज़्यादा बोले। थैलियों का दूध पीने वाले नसीरुद्दीन शाह को क्या पता कि इस राष्ट्र में गाय पर श्रद्धा रखने वाले 100 करोड़ से भी अधिक का एक सभ्य समाज है। अगर 21 गायों को काटा नहीं गया होता तो दंगों कि कोई संभावना ही नहीं थी। नसीर पाइसोंकी खातिर कुछ भी संवाद बोल सकते हैं यह एचएम विज्ञापनों के माध्यम से देख ही सकते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे लोगों को समुद्र में फेंक देना चाहिए, अगर वह तैर सकते हैं तो तैर कर पाकिस्तान चले जाएँ नहीं तो समुद्र के नीचे ता-कयामत ओसामा – बिन –लादेन के पास आराम फर्माएं।

यह भी पढ़ें: नसीरुद्दीन शाह ने सच ही तो कहा है

1984 में हजारों लोगों को मारा गया, कश्मीर में हिन्दू पंडितों को मारा गया और उन्हे काश्मीर से विस्थापित कर दिया गया, तब नसीरुद्दीन शाह कि आवाज़ नहीं निकली। नसीरुद्दीन शाह मुंबई ब्लास्ट के आरोपी याक़ूब मेनन के लिए रात 2 बजे खुलने वाले दरवाजों पर भी कुछ नहीं बोले, कोई प्रतिक्रिया नहीं। जिस देश में रहते हैं, जिसका अन्न खाते हैं, जहां से वह शोहरत दौलत कमाते हैं उसी के साथ गद्दारी करते हैं। आम जन का कहना है कि शाहरुख खान हो, आमिर खान या नसीरुद्दीन शाह सब के सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। 1983 के बीएमबी ब्लास्ट, 1984 के सीख दंगोन के वक्त नसीरुद्दीन नहीं जागा। अब जाग गया है क्योंकि 2018 जा रहा है ओर 2019 में चुनाव आ रहे हैं।शायद आने वाले चुनावों कि बानगी यह नाटक रचा जा रहा है। लोगों कि प्रतिक्रिया आ रही है कि यह नसीरुद्दीन नहीं जहरुद्दीन है, देश कि फिजा में जहर घोलने का काम कर रहा है। नसीरुद्दीन शाह ने ट्वेत कर कहा था, “एक शख्स जो काश्मीर में नहीं रहता, उसने काश्मीरी पंडितों कि लड़ाई शुरू कर दी और खुद को विस्थापित कर दिया।“ उनका यह ट्वीट काश्मीरी पंडितों कि लड़ाई लड़ने वाले अनुपम खेर के लिए किया गया है। आज वह खुद भी तो मुंबई में रह कर बुलद शहर वालों के लिए लड़ रहे हैं। फिल्मी पर्दे पर अपनी सोच बदलने वाले असल जिंदगी में भी अपनी सोच कैसे बदल लेते हैं, देखने वाली बात है।