40,000 people, mostly from Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Bihar, have fled Gujarat


Gujarat Home Minister Pradeepsinh Jadeja said that the state government has asked the police to take action on anyone threatening migrant workers forcing them to flee the state.

Ahead of elections in 5 states it seems to be pretty strategic move to disturb immigrant voters in the states


Gujarat Home Minister Pradeepsinh Jadeja said that the state government has asked the police to take action on anyone threatening migrant workers forcing them to flee the state.

“Thirty-five FIRs have been lodged and the number of attacks on migrants has decreased in the last 24 hours,” Jadeja said, adding, “We appeal to people to not be frightened as we are taking appropriate actions.”

In a statement issued today, Gujarat Chief Minister Vijay Rupani assured the safety of migrant workers and promised appropriate action against those involved in attacks.

He also appealed for the unity “which is the culture and identity of Gujarat”.

Reports say that around 40,000 people, mostly from Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Bihar, have fled Gujarat following days of violence against them by unidentified groups.

In a press conference held on Monday, Jadeja acknowledged that there have attacks on the people from the three states in the last 4-5 days adding that action has been taken against the perpetrators.

“Police are interrogating the people who have been arrested for these attacks. We have registered three cases under the IT Act for spreading hatred on social media,” Jadeja told the media.

He said that the ruling Bharatiya Janata Party (BJP) government in the state is committed to provide security to those who come to Gujarat for employment.

“We have submitted a report to the central govt regarding every incident,” the state home minister said.

Railways stations in northern parts of Gujarat witnessed crowds of migrant workers boarding trains bound for their home state to escape targeted attacks on them.

The attacks on the migrants began after a labourer from Bihar was arrested for allegedly raping a 14-month-old girl in a village in Sabarkantha district on 28 September.

Hate messages on Whatsapp were circulated calling for attacks on people from Bihar and Uttar Pradesh. Around 170 people were arrested in connection with the attacks till 6 October. Though the intensity of attacks has reduced stray incidents continue to be reported from seven districts in north Gujarat.

Bihar Chief Minister Nitish Kumar said that he had spoken to his Gujarat counterpart on Sunday.

“I spoke to Gujarat CM yesterday. We’re in touch with them. They’re monitoring situation. Those who’ve committed a crime should be punished but no bias should be harboured for others,” Kumar was quoted as saying by ANI on Monday.

In a letter written to Gujarat High Court Chief Justice R Subhash Reddy, Deputy Chief Minister Nitin Patel had requested the setting up of a special fast-track court in the case.

Addressing reporters on Saturday in Ahmedabad, Patel said, “I have written to the chief justice with request to set up a special fast-track court so that trial in rape cases at Himmatnagar (in Sabarkantha district) and Surat are held there and completed in a month or so.”

Meanwhile, the state government blamed Congress MLA Alpesh Thakor for the violence. According to reports, the toddler who was raped belonged to the Thakor community.

His group, the Thakor Sena, have been staging protests in north Gujarat demanding justice for the girl. Thakor had on Sunday called the attacks “unfortunate” and stated that his group “never advocated violence and only talked peace”.

Thakor had on 3 October announced a fast outside Ahmedabad’s Sabarmati Ashram on 8 October to seek justice

जिस पार्टी ने राम के अस्तित्व को नकार दिया था वाही आज राम नाम जप रही है यही भाजपा कि वैचारिक जीत है: स्मृति ईरानी


इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों में खूब दर्शन के लिए जा रहे हैं. जिसको लेकर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने निशाना साधा है.


इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों में खूब दर्शन के लिए जा रहे हैं. जिसको लेकर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने निशाना साधा है. ईरानी का कहना है कि अगर राहुल मंदिर जाने लगे हैं तो इसमें भारतीय जनता पार्टी की ही जीत है.

स्मृति ईरानी का कहना है कि राहुल गांधी का आरती करना और राम नाम जपना भारतीय जनता पार्टी की जीत है. राहुल ने कहा था कि वे हिंदू आतंकवाद से डरते हैं और उनकी पार्टी ने कहा था कि भगवान राम का अस्तित्व नहीं है.

स्मृति ईरानी ने कहा कि आधी सच्चाई और झूठ के साथ राहुल गांधी को आज मंदिरों में अपने राजनीतिक लाभ के लिए जाते हुए देखा जा सकता है. उनके जरिए यह काम लोगों को इस बात पर विश्वास कराने का प्रयास है कि वह बहुसंख्यक समुदाय के बीच स्वीकार्य हो सकते हैं, जिसे उन्होंने सालों से अपमानित किया है.

Elections to five Assemblies from Nov. 12 to Dec 7; results on Dec. 11


Polling dates: November 12 and 20 (Chhattisgarh); November 28 (Madhya Pradesh and Mizoram) and December 7 (Rajasthan and Telangana


The Election Commission of India (ECI) on Saturday announced the election schedule to five States – Madhya Pradesh, Mizoram, Rajasthan, Chhattisgarh and Telangana.

Polling would be held in two phases in Chhattisgarh and in single phase in the other States, said Chief Election Commissioner O.P. Rawat at a press conference in New Delhi. All the results will be out on December 11.

Here are the updates:

Madhya Pradesh

Polling in single phase in 230 constituencies

Date of filing of nominations: November 7

Last date for withdrawal of nominations: November 14

Polling day: November 28

Chhattisgarh

First phase Southern Part-18 constituencies  (LWE-affected areas)

Date of filing of nominations: October 16

Last date for withdrawal of nominations: October 23

Last date for withdrawal of nominations: October 26

Polling day: November 12

Second phase -72 constituencies

Polling date: November 20

Rajasthan and Telangana

Polling in single phase

Date of filing of nominations: November 12

Last date for withdrawal of nominations: November 22

Polling day: December 7

Mizoram

Date of filing of nominations: November 7

Last date for withdrawal of nominations: November 14

Polling day: November 28

5 राज्यों में चुनावों कि घोषणा के साथ आज दोपहर 3:00 बजे से आदर्श आचार संहिता लागू


चुनाव आयोग ने आदेश कर आज दोपहर 3:00 बजे से आदर्श आचार संहिता लागू की। आदर्श आचार संहिता के अनुसार अब कोई स्थानांतरण पदस्थापन कोई मंत्रिमंडल की बैठक, कोई राजकीय स्वीकृति या किसी भी प्रकार की कोई बैठक कोई सरकारी वाहन का प्रयोग समस्त प्रकार की कार्यवाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है


नई दिल्ली
चुनाव आयोग आज 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ-साथ तेलंगाना के लिए भी चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है। चुनाव आयोग आज दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान कर सकता है। बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने समय से पहले विधानसभा भंग कर चुके हैं, जिसके बाद वहां भी विधानसभा के निर्धारित कार्यकाल से पहले ही चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। तेलंगाना में अगले साल चुनाव होने थे।

सूत्रों ने बताया कि इन राज्यों में चुनाव की पूरी प्रक्रिया दिसंबर के पहले हफ्ते तक पूरी कर ली जाएगी। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होने की संभावना है। अन्य राज्यों में एक चरण में ही चुनाव कराए जाने की उम्मीद है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने पांचों राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों से शुक्रवार को दिल्ली में बैठक की थी। दो दिवसीय इस बैठक में राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने भाग लिया था।

इन चुनावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है। बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों ने काफी पहले से ही इन चुनावों के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी एकबार फिर से बीजेपी के स्टार प्रचारक होंगे वहीं, राहुल गांधी कांग्रेस के प्रचार की कमान खुद थामेंगे।

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले, 5 राज्यों के चुनाव काफी अहम है। इन चुनावों के नतीजों का 2019 के चुनाव पर भी असर पड़ सकता है। अभी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकारें हैं। मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है तो तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है।

“याचना नहीं अब रण होगा” राम मंदिर पर संतों कि हुंकार


वीएचपी और साधु-संतों की तरफ से इस बीच बनाया जा रहा माहौल भी फिलहाल राम मंदिर के मुद्दे को फिर से गरमाने की ही रणनीति है. इस मसले पर सियासत का फायदा अबतक बीजेपी ही उठाती रही है


संत समाज कि हुंकार आज रश्मिरथी कि पंक्तियों से उद्धरित हुई

“याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।

‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा”

दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी के कार्यालय में देश भर से आए बड़े संतों का जमावड़ा लगा. राम मंदिर मुद्दे को लेकर चर्चा हुई और फिर संतों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से कानून बनाने का फरमान जारी कर दिया.

सरकार को संतों का फरमान

‘संत उच्चाधिकार समिति’ की बैठक राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में स्वामी वासुदेवानंद और विश्वेशतीर्थ महाराज समेत और कई बड़े संत मौजूद रहे. सबने एक सुर में साफ कर दिया कि सरकार जरूरत पड़ने पर लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र बुलाकर मंदिर निर्माण के लिए कानून पास कराए.

इस बैठक में रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य, परमानंद जी महाराज और राम विलास वेदांती, चिदानंद पुरी, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी अखिलेश्वरानन्द समेत देश भर से आए साधु संतों ने कहा कि संसद में जब कानून बनाने की बात आएगी तब पता चल जाएगा कि असल में रामभक्त कौन है?

संतों ने अपनी इस बैठक के बाद कानून बनाने के प्रस्ताव पर अमल के लिए राष्ट्रपति से भी मुलाकात की. आग्रह किया कि अपनी सरकार को कानून बनाने के लिए कहें.

संतों के देशव्यापी अभियान से दिसंबर तक गरमाएगा मुद्दा

वीएचपी के साथ संत समाज की बैठक के बाद जो तय हुआ है उसे आने वाले दिनों में मंदिर निर्माण के लिए देश भर में समर्थन की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है.

संतों ने प्रस्ताव पास कर अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए जनजागरण अभियान भी शुरू करने का फैसला किया है. जनजागरण अभियान के तहत हर राज्य में राम भक्तों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपालों से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपेगा. राज्यपालों के माध्यम से भी केंद्र सरकार तक राम भक्तों की मांग को पहुंचाने की कोशिश होगी.

इसके अलावा सभी संसदीय क्षेत्रों में राम मंदिर को लेकर बड़ी–बड़ी जनसभा कराने का भी फैसला किया गया है. हर क्षेत्र में जन सभाओं के बाद उस क्षेत्र के सांसदों से संतों और स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल मिलकर राम मंदिर बनाने के लिए कानून बनाने की पहल के लिए उन सांसदों से मांग करेगा.

इसके अलावा दिसंबर में जिस दिन विवादित ढांचा गिराया गया था, उस दिन से लेकर 26 दिसंबर तक देशभर में हर पूजा-पाठ के स्थान, मठ- मंदिर, आश्रम, गुरुद्वारा और हर घरों में अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए उस इलाके की परंपरा के मुताबिकि अनुष्ठान किया जाएगा.

लेकिन, संत समाज महज इतने भर से ही संतुष्ट नहीं होने वाला है. बल्कि आने वाले दिनों में संतों का एक प्रतिनिधि मण्डल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें करोड़ों राम भक्तों की भावना से अवगत कराकर कानून बनाने का आग्रह करेगा.

अक्टूबर में संतों की यह कवायद क्यों?

साधु-संतों की तरफ से पहले से ही राम मंदिर निर्माण की मांग की जाती रही है. पहले से भी अलग-अलग मंचों से संसद में कानून के जरिए भी इस पर पहल करने की मांग उठती रही है. लेकिन, अब इस मुद्दे को लेकर संत समाज और वीएचपी के लोग एक साथ मंथन कर रहे हैं. उनकी तरफ से एक साथ अभियान चलाने की बात की जा रही है. अब कानून की मांग को लेकर जनजागरण अभियान तेज किया जा रहा है.

यह सब तब हो रहा है जब, बीजेपी और सरकार की तरफ से पहले ही साफ कर दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक या फिर दोनों समुदायों के बीच आम सहमति के आधार पर ही मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सकता है. तो सवाल उठता है कि आखिर इस वक्त कानून बनाने की मांग इतनी तेज क्यों की जा रही है, जब 29 अक्टूबर से इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय हो गई है.

संतों के प्रस्ताव पर गौर करें तो कहीं भी आंदोलन की बात नहीं की गई है. संत समाज और वीएचपी इस मुद्दे पर जनजगारण अभियान की बात कर रहा है. सरकार से मांग कर रहा है. यानी संत समाज और वीएचपी सरकार को परेशान नहीं करना चाहता, महज माहौल को गरमाए रखना चाहता है.

वीएचपी और संत समाज की बैठक में जो जनजागरण अभियान का कार्यक्रम तय हुआ है, उसका समय अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का है. यानी एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही होगी तो दूसरी तरफ देश भर में वीएचपी के साथ मिलकर संत समाज राम मंदिर के निर्माण को लेकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा होगा.

सियासत पर कितना होगा असर?

अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा सियासी तौर पर भी बहुत ही संवेदनशील है. बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर का मुद्दा पहले से रहा है. यहां तक कि हर चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र रहता है. राम लहर पर ही सवार होकर नब्बे के दशक में बीजेपी का राष्ट्रीय स्तर पर उभार हुआ था.

अब जबकि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से दोबारा सुनवाई होगी, तो उम्मीद की जा रही है कि इस पर फैसला भी अगले लोकसभा चुनाव के पहले हो जाए. राम मंदिर पर आने वाला हर फैसला बीजेपी के साथ-साथ विपक्ष की राजनीति के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण होगा. क्योंकि, इस मुद्दे पर कोर्ट के अंदर से आने वाले फैसले से देश के अंदर की सियासत फिर गरमाएगी.

वीएचपी और साधु-संतों की तरफ से इस बीच बनाया जा रहा माहौल भी फिलहाल राम मंदिर के मुद्दे को फिर से गरमाने की ही रणनीति है. इस मसले पर सियासत का फायदा अबतक बीजेपी ही उठाती रही है. अब अगले तीन-चार महीने भी चुनाव से पहले संतों की कवायद का फायदा भी बीजेपी को ही मिलेगा. यही वजह है कि वीएचपी के साथ संतों की राम मंदिर मुद्दे को गरमाने की कवायद को सियासी नजरिए से ही देखा जा रहा है

मायावती के बाद अब अखिलेश का महागठबंधन से किनारा

नई दिल्ली: 

मध्य प्रदेश चुनाव को देखते हुए पार्टियों के बीच गठजोड़ की राजनीति जोरों पर है. इसी बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बोले हुए कहा कि कांग्रेस ने हमें बहुत इंतजार करा दिया है. अब हम उनके साथ गठबंधन नहीं करेंगे. अखिलेश ने बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर बताते हुए कहा कि उनके साथ हमारी बात चल रही है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एमपी में बीएसपी के साथ गठबंधन के संकेत देते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमें लंबा इंतजार कराया. अब हम बहुजन समाज पार्टी से बातचीत करेंगे.

अखिलेश यादव से पहले मायावती ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को झटका देते हुए अजित जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है. इसी के साथ मायावती ने हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बयान पर निशाना साधते हुए कहा था कि कांग्रेस उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है और बीएसपी उनसे कभी गठबंधन नहीं करेगी.

बता दें कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में आज विधानसभा चुनाव का ऐलान होने की संभावना है.

चंडीगढ़ के बाद महाराष्ट्र में 4 रुपए सस्ता हुआ डीजल


महाराष्ट्र में डीजल की कीमतें 4.06 रुपए कम हो गई हैं. महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को डीजल पर करों में कटौती की घोषणा की. राज्य सरकार ने डीजल की कीमत में 1.56 रुपए की कमी की.


तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोगों को 2.5 रुपए की राहत देने का ऐलान किया था. साथ ही उन्होंने राज्य सरकारों से भी तेल की कीमतों में कमी करने की बात कही थी. इसके बाद कई राज्यों ने तेल की कीमतों में कमी की और अब बिहार सरकार ने भी उसी दिशा में कदम उठाते हुए पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी कर दी है.

इसके पहले चंडीगढ़ और बिहार सरकार ने तेल की कीमतों में कमी की घोषणा की थी. चंडीगढ़ प्रशासन ने पेट्रोल-डीजल पर 1.50 रुपए कम कर दिए थे जिसके बाद चंडीगढ़ में पेट्रोल-डीजल कुल 4 रुपए सस्ता हो गया. वहीं बिहार सरकार ने दामों में कटौती करते हुए पेट्रोल 2.52 रुपए प्रति लीटर और डीजल 2.55 रुपए प्रति लीटर सस्ता कर दिया.

इससे पहले तेल के दाम कम करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार एक्साइज ड्यूटी 1.5 रुपए कम कर रही है और तेल कंपनियां भी एक रुपए दाम कम करेंगी. इसके अलावा जेटली ने राज्य सरकारों से भी टैक्स कम करने को कहा था.

छत्तीसगढ़ में सीडी की बात सार्वजनिक होने से कांग्रेस नेताओं में हड़कंप


छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का नेतृत्व संकट गहरा गया है. पार्टी के दो बड़े नेताओं को लेकर विवाद हो गया है.


छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का नेतृत्व संकट गहरा गया है. पार्टी के दो बड़े नेताओं को लेकर विवाद हो गया है. विवाद की वजह सीडी है. जिसमें कांग्रेस के प्रदेश मुखिया और राज्य के प्रभारी पीएल पुनिया का नाम आ रहा है. पीएल पुनिया इस साल ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए थे. सीडी की बात सार्वजनिक होने से कांग्रेस नेताओं में हड़कंप है.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को चुनाव की तैयारी में व्यस्त होना चाहिए. पार्टी किसी और वजह से परेशान है. छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. ये नेता राहुल गांधी से मिलने के लिए इंतजार कर रहे हैं. सब अपनी बात राहुल गांधी को बताना चाहते हैं. एक खेमा स्टेट प्रेसिडेंट भूपेश बघेल और राज्य के प्रभारी पी एल पुनिया दोनों के खिलाफ है. एक खेमा पूरे प्रकरण के लिए भूपेश बघेल को ज़िम्मेदार बता रहा है. छत्तीसगढ़ में इस प्रकरण से कांग्रेस आलाकमान अंजान नहीं है.

छत्तीसगढ़ में सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के प्रभारी पीएल पुनिया की कथित सीडी किन्हीं लोगों के पास है. सीडी में क्या है इसका खुलासा नहीं हो पा रहा है, लेकिन जिन लोगों के पास सीडी है, वो तीन विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे हैं. जिसकी बातचीत का ऑडियो वायरल हो गया है. इस बातचीत का ऑडियो वायरल होने से कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है. कांग्रेस के नेता परेशान है. राज्य में कांग्रेस का माहौल बन रहा था तभी सीडी कांड हो गया है.

बीजेपी आक्रामक

अभी तक बीजेपी बैकफुट पर थी फ्रंट फुट पर आ गई है. बीजेपी के नेता अमित शाह ने भी कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि ये कांग्रेस का असली चरित्र है. बीजेपी को बैठे बिठाए कांग्रेस के खिलाफ मुद्दा मिल गया है. जिस हिसाब से बीजेपी ने मुद्दा उठाया है उससे साफ है कि कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का बीजेपी लाभ लेना चाहती है.

पुनिया और भूपेश बघेल का किरदार

छत्तीसगढ़ में बताया जा रहा है कि पीएल पुनिया और भूपेश बघेल के बीच अनबन चल रही है. भूपेश बघेल को पुनिया के काम काज को लेकर ऐतराज था. तब से पुनिया को निबटाने की योजना बन रही थी. जिसमें बताया जा रहा है कि कांग्रेस के ही नेताओं ने साजिश के तहत प्रभारी पी.एल. पुनिया का स्टिंग कर दिया है. जिसके बाद सीट के लिए ब्लैकमेलिंग चल रही है.

एक ऑडियो वॉयरल हो रहा है जिसमें तीन सीटों को लेकर बातचीत करते हुए सुना जा सकता है. इस ऑडियो को अग्रेजी चैनल ने प्रसारित भी किया है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल और पप्पू फरिश्ता की आवाज है. जिसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.

पप्पू फरिश्ता, फिरोज सिद्दीकी और भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ में सीडी का कारोबार 2003 से चल रहा है. 2003 में तब के मुख्यमंत्री अजित जोगी का स्टिंग ऑपरेशन फिरोज सिद्दीकी ने किया था. जिसमें अजित जोगी बीजेपी के विधायक को कांग्रेस में आने का न्योता दे रहे थे. उस वक्त फिरोज अजित जोगी के करीबी थे. जिसमें पप्पू फरिश्ता का अहम रोल था. इस खुलासे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सोनिया गांधी से शिकायत की थी. इस मामले में अजित जोगी को कांग्रेस ने निलंबित कर दिया था. तब से रमन सिंह की सरकार है.

बाद में ये दोनों व्यक्ति पप्पू फरिश्ता और फिरोज सिद्दीकी भूपेश बघेल के करीबी हो गए. अजित जोगी को राजनीतिक तौर पर कमजोर करने के लिए इन दोनों का भूपेश बघेल ने खूब इस्तेमाल किया. अजित जोगी कांग्रेस से बाहर हो गए हैं. लेकिन अब फिरोज सिद्दीकी ने दावा किया है कि भूपेश बघेल का स्टिंग उनके बंगले में ही किया गया है. पप्पू फरिश्ता और फिरोज दोनों पेशे से अपने को पत्रकार बताते हैं, लेकिन स्टिंग करने में माहिर हैं.

कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई सड़क पर

कांग्रेस के लगभग सभी नेता दिल्ली दरबार में पहुंच बनाने की जुगत में है. लीडर ऑफ अपोजिशन टी.एस. सिंह देव, पूर्व मुखिया रवींद्र चौबे, चरणदास महंत सभी अपनी बात रखने के लिए राहुल गांधी से मिल रहे हैं. कांग्रेस के सामने मुश्किल है कि चुनाव सिर पर है, पार्टी इस तरह के विवाद में उलझ गई है. सभी चाहते हैं कि आलाकमान जल्दी से फैसला लेकर चुनाव की तैयारी करे. सब को अपने भाग्य खुलने की उम्मीद है. हालांकि अपनी सफाई देने के लिए भूपेश बघेल भी दिल्ली में हैं.

डैमेज कंट्रोल मोड में कांग्रेस

कांग्रेस पूरे मसले पर डैमेज कंट्रोल मोड में है. पार्टी विवाद से बचने के लिए सभी विवादित लोगों के हटाने के लिए विचार कर रही है. ऐसे में चुनाव से ऐन पहले प्रदेश का नेतृत्व किसके हाथ में जाएगा ये बड़ा सवाल है. पूर्व में प्रदेश के मुखिया रहे चरणदास मंहत पर पार्टी फिर से भरोसा कर सकती है. वहीं प्रभारी के तौर पर फिलहाल मुकुल वासनिक या बीके हरिप्रसाद को भेजा जा सकता है. मुकुल वासनिक पिछले चुनाव में प्रदेश की देख-रेख कर रहे थे. बीके हरिप्रसाद कई साल तक राज्य के प्रभारी रह चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को लग रहा था, इस बार सरकार बन सकती है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी उम्मीद थी. पहली बार बिना अजित जोगी के कांग्रेस चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही थी. अब तक हार का ठीकरा अजित जोगी पर फूटता रहा है. प्रदेश के नेता ये आरोप लगाते रहे कि अजित जोगी और रमन सिंह की मिलीभगत है, इसलिए कांग्रेस जीत नहीं पा रही है. हालांकि पार्टी के सीनियर नेता मोतीलाल वोरा भी इस प्रदेश से आते हैं. लेकिन जोगी और वोरा के बीच खाई गहरी थी. एक जमाने में अजित जोगी सोनिया गांधी के करीबी थे. छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री अजित जोगी को बनाया गया था लेकिन अपनी कार्यशैली की वजह से जोगी 2003 में चुनाव हार गए. तब से प्रदेश में बीजेपी का शासन है.

इस बार कांग्रेस बीजेपी के सीधे मुकाबले में थी. कांग्रेस को कामयाबी मिल सकती है लेकिन अजित जोगी काम खराब करने के लिए मुकाबले में हैं. अजित ने मायावती के साथ गठबंधन करके कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती पेश कर दी है. इधर कांग्रेस के नेताओं की सीडी की चर्चा भी शुरू हो गई है. जिससे कांग्रेस की किरकिरी हो रही है.

आखिर क्यूँ …


मध्य प्रदेश में मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. छत्तीसगढ़ में अजित जोगी के साथ गठबंधन किया है. जहां तक राजस्थान की बात है पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गठबंधन के समर्थन में नहीं थे.


लखनऊ में इस साल जून में उत्तर प्रदेश के सीनियर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात हुई थी. ये मंत्री जी पहले बीएसपी में थे. अब बीजेपी में हैं. गठबंधन को लेकर बातचीत हो रही थी. उन्होंने कहा कि मायावती कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगी. मैंने कारण पूछा तो कहा कि मायावती को डर रहता है कि बीएसपी का वोट कांग्रेस में न चला जाए. मायावती कहती है कि पहले ये वोट कांग्रेस में ही था. जाहिर है कि तीन राज्यों के चुनाव में मायावती ने एकला चलो का नारा बुलंद किया है. स्वामी प्रसाद मौर्य की भविष्यवाणी सच साबित हुई है. मायावती ने ऐन मौके पर कांग्रेस को गच्चा दिया है. कुछ ऐसा ही अंदेशा बीएसपी से कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी किया था. ये लोग ऐसे है कि जिन्होंने मायावती के साथ कई दशक तक काम किया है. मायावती की राजनीति को अच्छी तरह समझते हैं.

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अकेले पड़ गई है. कांग्रेस को आस थी कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीएसपी के समर्थन से बीजेपी के पंद्रह साल के राज का अंत कर पाएंगे, लेकिन मध्य प्रदेश में मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. छत्तीसगढ़ में अजित जोगी के साथ गठबंधन किया है. जहां तक राजस्थान की बात है पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गठबंधन के समर्थन में नहीं थे.

मायावती ने इस पूरे मामले में दिग्विजय सिंह पर ठीकरा फोड़ा है. मायावती ने आरोप लगाया है कि दिग्विजय बीजेपी के एजेंट हैं. जिसका कई ट्वीट के जरिए दिग्विजय सिंह ने खंडन किया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो मायावती का सम्मान करते हैं, वो चाहते थे कि मायावती के साथ गठबंधन हो जाए इसके अलावा दिग्विजय सिंह ने अपनी सफाई में कहा है कि वो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सबसे बड़े आलोचक हैं. जाहिर है कि दिग्विजय अपना बचाव कर रहे हैं लेकिन मायावती का इल्जाम बहुत हद तक सही नहीं है. कांग्रेस ने कोई लिस्ट जारी नहीं की है न ही अभी कोई फैसला हुआ है. जबकि प्रदेश की कमान संभाल रहे कमलनाथ गठबंधन के हिमायती हैं. ऐसा लग रहा है कि मायावती गठबंधन से निकलने की फिराक में थीं.

कांग्रेस को होगा नुकसान

कांग्रेस का ओवर कॉन्फिडेंस उसे ले डूबा है. कांग्रेस को लग रहा था कि मायावती गठबंधन के लिए ज्यादा बेकरार हैं इसलिए पार्टी आश्वस्त थी. लेकिन ये नहीं सोचा कि मायावती अलग तरह के फैसले लेने के लिए विख्यात हैं. कांग्रेस को लगा कि गठबंधन का मसला लटकाने से कांग्रेस को फायदा होगा लेकिन मायावती ने कुछ और सोच रखा था और नतीजा आपके सामने है. मायावती के इस फैसले से बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है. मायावती की बीएसपी का तकरीबन बीस सीट पर 30 से 35 हजार वोट है. जबकि मध्य प्रदेश में हर सीट पर 5 से 10 हजार वोट है. जो बीजेपी के खिलाफ एकजुट होता तो कांग्रेस को फायदा होता, लेकिन अब बंटने की सूरत में बीजेपी को फायदा हो सकता है. शिवराज सिंह चौहान के लिए राजनीतिक संजीवनी बन सकती है.

बीजेपी को नाराज नहीं करना चाहती

मायावती बीजेपी को नाराज नहीं करना चाहती है. मायावती को डर है कि उनके भाई पर शिंकजा कस सकता है. जिसकी वजह से फूंक-फूंक कर राजनीतिक फैसले कर रही हैं. मायावती इन चुनाव वाले राज्यों में मजबूत प्लेयर नहीं हैं लेकिन नाइटवॉचमैन की भूमिका में हैं. मायावती समझ रही हैं कि वैसे ही वो इन तीनों राज्यों में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं. कांग्रेस के साथ जाने में भी कोई राजनीतिक ताकत का इजाफा नहीं हो रहा है. इसलिए बीजेपी से दुश्मनी न करने में ही भलाई समझी है.

मायावती ने लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस को फिर उम्मीद बंधाई है. मायावती ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी गठबंधन के हिमायत में थे. मायावती आम चुनाव में कांग्रेस के साथ संभावना बनाकर रखना चाहती हैं. आम चुनाव में हो सकता है कि बीजेपी के दबाव में न रहे. इसलिए कांग्रेस मायावती को कुछ भी कहने से बच रही है. दिग्विजय सिंह भी अपनी सफाई ही दे रहे हैं. मायावती पर पलटवार नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस के साथ आगे किसी भी रिश्ते की संभावना से आगे इनकार नहीं किया जा सकता है.

अकेले चलना कांग्रेस के लिए मुफीद ?

कांग्रेस के लिए तीनों राज्यों में अकेले लड़ना ज्यादा फायदेमंद है. मायावती को खुश करने के लिए ज्यादा सीट देनी पड़ती जिससे कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता था. ऐसी सीटों पर बागी उम्मीदवार के लड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है. जिससे कांग्रेस को ही नुकसान होता, जिस तरह 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में हुआ था. इसके अलावा बीजेपी के खिलाफ आमने-सामने की लड़ाई में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ता अब त्रिकोणीय लड़ाई में कांग्रेस को फायदा हो सकता है.

कैसे चलेगा गठबंधन ?

कांग्रेस 2019 से पहले गठबंधन के मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई पड़ रहा है. राज्यों के चुनाव में गठबंधन न कर पाना कांग्रेस की कमजोरी के तौर पर देखा जा रहा है. इसमें गठबंधन हो जाने से टेस्ट हो जाता और आगे इसमें सुधार की गुंजाइंश भी बनी रहती. अब नए सिरे से मेहनत करनी होगी जिस तरह राज्य के लीडर्स तेवर दिखा रहे हैं. उससे लग रहा है कि कांग्रेस के लिए आगे की राह आसान नहीं है.

ममता बनर्जी राहुल गांधी को लेकर सवाल खड़े कर रही है. शरद पवार अपनी बिसात बिछा रहे हैं. साउथ में भी हालात बहुत अच्छे नहीं है. कांग्रेस को नए सिरे से कवायद करने की जरूरत है.

 

50, 000 करोड़ कि अनुमानित राशि के मालिक “दलित नेता” दलितों के लिए दो गज ज़मीन कि मांग कर बुरे फंसे.


50, 000 करोड़ कि अनुमानित राशि के मालिक “दलित नायक” दलितों के लिए दो गज ज़मीन कि मांग कर बुरे फंसे. 

अप्रैल 2018 का संसद भवन का वाकया आपकी नज़र:


जाति के नाम पर आरक्षण एक अभिशाप है। देश के विकास में बाधा डालनेवाले और देश में असमानता लाने वाले जातिवाद आरक्षण के वजह से आज भारत दुनिया में ही पिछड़ा हुआ देश है। अपने राजनैतिक मुनाफे के लिए आरक्षण का उपयॊग करने वाले नेता गण वास्तव में संविधान और अंबेडकर जी का अपमान कर रहे हैं। खुद अंबेडकर जी ने कहा था की जाति के आधार पर आरक्षण केवल दस साल के लिए ही रहना चाहिए और जो दलित आरक्षण का लाभ उठाकर सक्षम होता है उसे दूसरॊं की सहायता करना चाहिए तांकि  उसका भी उत्थान हो।

लेकिन कांग्रेस पिछले 60 साल से देश के साथ गद्दारी कर रही है और आज भी जाति के नाम पर न केवल वॊट मांग रही है अपितु एक दूसरों को लड़वा भी रही है। कांग्रेस के दलित नायक मल्लिकार्जुन जो हमेशा मोदी सरकार पर निशाना साधते हैं, उनकी संपत्ति के बारे में जानेंगे तो आपके हॊश उड़ जाएंगे।

खड्गे ने प्रधानमंत्री मोदी जी के सामने हाथ जोड़ते हुए, आखों में आँसू लाते हुए गिड गिडाया था और कहा था ” इस देश में दलितों को दो गज ज़मीन दे दीजिए तांकि वे भी गौरव से अपना जीवन यापन कर सके”

 

उसी जगह पर मात्र 15 मिनिट के अंदर मॊदी ने खड्गे के सामने उनके संपत्ति से जुड़ा दस्तावेज़ दिखाया और सारा कच्चा चिटठा खॊल दिया। उस दस्तावेज़ के अनुसार ‘दलित नायक’ की संपत्ति का ब्यॊरा कुछ इस प्रकार है:

पीएम मोदी ने दिया राहुल-खड़गे को करारा जवाब, बेनामी संपत्ति पर ‘चेतावनी’

कर्नाटक के बन्नेरघट्टा रॊड में 500 करोड़ का एक बड़ा कांपलेक्स खड्गे के नाम पर है।
चिक्कमगलूरु ज़िले में 300 एकड़ काफी एस्टेट जिसकी कुल कीमत करीब 1000 करोड़ रुपये हैं।
चिक्कमगलूरु ज़िले में ही एक घर है जिसकी कीमत 50 करोड़ है।
बेंगलूरु के केंगेरी में 40 एकड़ की फार्म हाऊस है।
बेंगलूरु के एम.एस.रामय्या कॉलेज के पास इनके नाम पर एक इमारत है जिसकी कीमत 25 करोड़ रूपए हैं।
बेंगलूरु के ही आर. टि. नगर में एक बड़ा बंगला है।
बल्लारी रॊड में 17 एकड़ ज़मीन है।
बेंगलूरु के इंद्रा नगर में तीन मंजिला बंगला है ।
बेंगलूरु के सदाशिव नगर में दो और बंगले इनके नाम पर है।

इसके अलावा इनके और इनके रिश्तेदारों के नाम पर देश के महा नगर जैसे मैसूरु, गुलबर्गा, चेन्नई, गॊवा, पूना, नागपुर, मुम्बई और देश की राजधानी दिल्ली तक में रियल एस्टेट कि संपत्ति है जो 1000 करोड़ रुपए की कीमत की है। खडग देश की जनता को उल्लू समझते होगें कि वे जानते नहीं कि दलित -दलित का नाम जप कर खड्गे ने इतनी संपत्ती कहां से और कैसे बनाई। कुल मिलाकर खड्गे के पास 50,000 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति है। 1980 से रेवेन्यू मिनिस्टर रह चुके खड्गे ने SC बेकलोग उद्योग की चयन प्रक्रिया में भी खूब घॊटाला किया है और अपने अधिकारॊं का दुरुपयॊग करते हुए खूब पैसा ऐंठा है।

दलितों का नाम इस्तेमाल कर के कांग्रेस के दलित नायक खड्गे ने देश का पैसा लूटा है। अगर खड्गे को दलितों से इतना ही प्यार है तो वो अपनी सारी संपत्ति गरीब दलितों को दे और उनका उद्धार करे किसी को इससे कॊई आपत्ति नहीं लेकिन दलित कार्ड का उपयॊग कर मॊदी सरकार को बदनाम करने का काम ना ही करे तो उनके लिए ही अच्छा है।