BJP releases manifesto, lauds Raman Singh govt for curbing Naxalism

Chhattisgarh Chief Minister Raman Singh and BJP President Amit Shah.


The first phase of polls in Chhattisgarh will be held on November 12 covering 18 constituencies while the remaining 72 constituencies will go to polls on November 20.


The Bharatiya Janata Party on Saturday released the manifesto for Chhattisgarh Assembly elections. The manifesto was jointly released by BJP chief Amit Shah and Chhattisgarh Chief Minister Raman Singh.

Lauding the ruling government in the state, Amit Shah said the Raman Singh-led BJP government has changed the state in the past 15 years and has been successful in containing Naxalism. He said the chief minister had made a successful attempt to transform the state.

He further said the BJP government has ensured the prosperity of farmers in the state by introducing e-procurement of food grains and digitisation of Public Distribution System.

Notably, Chhattisgarh is among many states in the country with a completely decentralised system for procurement of paddy and wheat under Centre’s ‘Decentralised Procurement Scheme (DCP)’.

The BJP president further noted that Chhattisgarh was the first state to provide short-term interest-free agriculture loan under the BJP rule.

He said the state was the among the first to bring out an ordinance for skill development, through which the BJP government had done a better job of employing the poor.

Exuding confidence in his party, Amit Shah said the BJP will form the government in Chhattisgarh for the fourth consecutive time.

Laying out a slew of projects, Shah said, extending 24-hour electricity, pure water, road construction, education, health, and transport facilities to the remote areas were the major achievements of the BJP government led by Chief Minister Raman Singh.

Meanwhile, Amit Shah accused the Congress of supporting and terming the Naxals as “revolutionaries” in the state.

He said a party which terms Naxals as revolutionaries cannot bring development in the state.

Earlier on Friday, while addressing a rally in Chhattisgarh’s Jagdalpur, Prime Minister Narendra Modi lashed out the opposition Congress accusing the party of “supporting urban Maoists” in the poll-bound state.

The PM had urged the people of Bastar to “teach the Congress leaders a fitting lesson who on one hand try to shield the urban Maoists and on the other, speak about freeing Chhattisgarh from Maoists”.

Rahul Gandhi who also addressed a rally in Chhattisgarh’s Kanker attacked the BJP government over alleged inaction against insolvent businessmen who have “fled the country”.

Gandhi is slated to be on a two-day tour of the state.

The Congress is hoping to leverage anti-incumbency sentiments and the rising agrarian crisis in the state in its bid to oust the 15-year-old Raman Singh-led government.

The campaigning for the first phase will end on Saturday.

The first phase of polls will be held on November 12 covering 18 constituencies across eight Naxal-affected districts namely Bastar, Kanker Sukma, Bijapur, Dantewada, Narayanpur, Kondagaon and Rajnandgaon. The remaining 72 constituencies will go to polls on November 20.

The counting of votes will be taken up on December 11.

प्रधानमंत्री मोदी के लिए बिगड़े कांग्रेस के बोल

 

Congress leader and former Karnataka Minister TB Jayachandra says ‘Prime Minister Modi had said (during demonetization) that give me 15 days or you can burn me alive. Now the time has come to do exactly that. If he has any self respect then he should quit and go.’

संजय निरूपम ने नोटेबन्दी पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए कहा,”क्या मोदी की पदाइश के लिए भी कॉंग्रेस जिम्मेदार है?”

अर्बन नक्सल ने आदिवासियों को तबाह किया- पीएम मोदी


पीएम मोदी ने अर्बन नक्सलियों के खिलाफ हमला बोला और कहा कि शहरी नक्सलवाद ने आदिवासियों को शिकार बनाया है.


जगदलपुर के लाल बाग में गुरुवार को पीएम मोदी ने चुनावी रैली में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. बस्तर की 12 सीटों पर 12 नवंबर को मतदान होना है. पहले चरण में 18 सीटों पर मतदान होने जा रहा है.

पीएम मोदी ने कहा ‘इस बार विकास की नई योजना लेकर आया हूं. पहले मेरा परिवार और मेरा रिश्तेदार होता था. बस्तर से भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी को मिटाना है.’

उन्होंने कहा कि बस्तर को समृद्ध और मजबूत बनाना है. पीएम मोदी ने कहा कि हमने बिचौलियों को खत्म किया है.

जगदलपुर के लालबाग में पीएम मोदी ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने बस्तर के विकास के लिए बहुत प्रयास किए हैं. उन्होंने कहा कि हर बार बस्तर के विकास की नई योजना लेकर आए हैं. नक्सली मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अर्बन नक्सल बस्तर के आदिवासियों को शिकार बना रहे हैं और अर्बन नक्सलियों ने आदिवासियों की जिंदगी तबाह कर दी है.

पीएम मोदी ने अर्बन नक्सलियों के खिलाफ हमला बोला और कहा कि शहरी नक्सलवाद ने आदिवासियों को शिकार बनाया है.

उन्होंने कहा ‘अब अर्बन नक्सली शहरों में रहते हैं और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करते हैं. काम करने वाली सरकार चाहिए या काम रोकने वाली सरकार चाहिए? क्या आप आजादी के बाद भी सालों विकास के लिए इंतजार करेंगे?’

प्रधानमंत्री ने कहा ‘माओवादियों को क्रांतिकारी कहने वाली कांग्रेस को जनता माफ नहीं करेगी. दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी है, जो छत्तीसगढ़ सरकार के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रही है. चार सालों में छत्तीसगढ़ 9 हजार से अधिक गांवों को सड़क से जोड़ा गया.’

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने इतने साल सत्ता में रही, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पहली बार आदिवासी विकास के लिए अलग से मंत्रालय बनाया. कांग्रेस सरकार आदिवासियों का मजाक बनाया

व्यापम पर राहुल हुए बे – नकाब आनंद को किया इस्तेमाल


मध्य प्रदेश में आरटीआई एक्टिविस्ट और व्यापमं के व्हिसिल ब्लोअर डॉ आनंद राय ने कांग्रेस की तरफ से टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर की है


मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकटों को लेकर राजनीति सरगर्म है. टिकट नहीं पाने वाले नेता खुलकर बोल रहे हैं. मध्य प्रदेश में आरटीआई एक्टिविस्ट और व्यापमं के व्हिसिल ब्लोअर डॉ आनंद राय ने कांग्रेस की तरफ से टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर की है. आनंद ने कहा है कि राहुल गांधी ने उन्हें टिकट देने का भरोसा दिया था, इसके बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिला. आनंद राय ने बताया कि सिर्फ उनकी वजह से कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना को टिकट नहीं मिला है. संजीव सक्सेना व्यापमं में आरोपी हैं.

कांग्रेस ने व्यापमं के व्हिसल ब्लोअर आनंद राय और इसके आरोपी संजीव सक्सेना दोनों को ही टिकट नहीं दिया है. हालांकि इसके पहले ऐसी चर्चा थी कि डॉ आनंद राय कांग्रेस के टिकट पर इंदौर से चुनाव लड़ सकते हैं.

डॉ आनंद राय आरटीआई एक्टिविस्ट हैं. इन्होंने ही व्यापमं घोटाले का पर्दाफाश किया था. उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर चुनाव लड़ने का मन बनाया था. पिछले 6 नवंबर को डॉ आनंद राय ने इस्तीफा दे दिया था. ऐसी चर्चा थी कि कांग्रेस के इशारे पर उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है. लेकिन कांग्रेस ने बाद में उन्हीं का पत्ता साफ कर दिया.

उधर व्यापमं के आरोप संजीव सक्सेना को भी टिकट नहीं मिला है. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कहा कि ‘मैंने कांग्रेस की मजबूती के लिए काम किया है. थोड़ी देर के लिए मुझे लगा कि मेरे साथ धोखेबाजी की गई है. लेकिन अब मैं सब भूलकर बड़े मुद्दों पर ध्यान दूंगा.’

संजीव सक्सेना ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से मुलाकात करने के बाद निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है.

रमन सिंह के गढ़ में कांग्रेस मांग रही अटल के नाम पर वोट


सत्तारुढ़ दल बीजेपी के नेता कहते हैं कि बीजेपी और वाजपेयी एक दूसरे के पर्याय हैं. वहीं कांग्रेस का कहना है कि राज्य सरकार पूर्व प्रधानमंत्री की सीखों से मीलों दूर है


अक्सर यह कहा जाता है कि नाम में क्या रखा है? हां, नाम में ही काफी कुछ होता है, खासकर छत्तीसगढ़ के इस निर्वाचन क्षेत्र में जब भरोसा करने लायक नाम अटल बिहारी वाजपेयी का हो, जहां बीजेपी के उम्मीदवार मुख्यमंत्री रमन सिंह का कांग्रेस की प्रत्याशी पूर्व प्रधानमंत्री की भतीजी करुणा शुक्ला से चुनावी मुकाबला है.

दोनों ही दल वाजपेयी के नाम पर वोट बटोरने की यथासंभव कोशिश में लगे हैं. सत्तारुढ़ दल बीजेपी के नेता कहते हैं कि बीजेपी और वाजपेयी एक दूसरे के पर्याय हैं. उधर, शुक्ला का आरोप है कि मुख्यमंत्री बीजेपी के इन कद्दावर नेता की विचाराधारा का पालन करने का दावा कर अपना दोहरा मापदंड दिखा रहे हैं क्योंकि राज्य सरकार पूर्व प्रधानमंत्री की सीखों से मीलों दूर है.

चुनाव प्रचार में जुटीं शुक्ला ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘बीजेपी ने अपना ‘चाल, चरित्र और चेहरा’ बदल लिया है. अब वह वैसी पार्टी नहीं है जिसकी संकल्पना अटल जी और आडवाणी जी ने की थी और राज्य के लोग यह जानते हैं.’

2013 में बीजेपी छोड़ने से पहले पार्टी की केंद्रीय पदाधिकारी रह चुकीं शुक्ला ने कहा, ‘इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि मैं अटल जी की भतीजी हूं. उनकी सीख और साहस मेरे खून में हैं. मैं उनके सिद्धांतों से निर्दिष्ट होती हूं. राजनांदगांव के लोग जानते हैं कि यदि कांग्रेस चुनाव जीत गई तो मैं भ्रष्टाचार में डूबे इस राज्य में सुशासन का आदर्श कायम करुंगी.’

अटलजी की सीखों से मीलों दूर है रमन सिंह की सरकार

तीस साल तक जुड़े रहने के बाद बीजेपी से निकलकर शुक्ला फरवरी, 2014 में कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गईं. बीजेपी नेता के तौर पर उन्होंने 2004 में जांजगीर से लोकसभा चुनाव जीता लेकिन 2009 में वह कोरबा से हार गईं.

कांग्रेस ने अब उन्हें मुख्यमंत्री के गढ़ समझे जाने वाले क्षेत्र राजनांदगांव से चुनाव मैदान में उतारा है. शुक्ला ने कहा, ‘रमन सिंह मुझे अपनी बहन कहते हैं. वह दावा करते हें कि वह अटल बिहारी वाजपेयी की विचारधारा पर चलते हैं. जहां तक मैं जानती हूं कि यह सरकार अटलजी की सीखों से मीलों दूर है. यह उनका (मुख्यमंत्री का) दोहरा मापदंड है.’

बीजेपी ने सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव को स्थानीय बनाम बाहरी के मुकाबले के रुप में पेश किया है. प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि शुक्ला बाहरी हैं और मतदाता यह बात जानते हैं.

एक अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी सुशासन और विकास के नाम पर वोट मांग रही है. अटलजी समेत पार्टी के सभी नेता और उनकी विरासत निश्चित ही पार्टी के अभियान का हिस्सा है.

भाजपा से रूठे सरताज, होशंगाबाद से अब कांग्रेसी उम्मीदवार


इधर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पांचवी लिस्ट जारी कर के सरताज सिंह को होशंगाबाद सीट से टिकट देने वाली बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी है


चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच जैसे-जैसे पार्टियां उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रही हैं, वैसे ही सरगर्मियां बढ़ रही हैं. अपनी पार्टी से टिकट ना मिलने पर कुछ नेता पार्टी भी बदल रहे हं. ऐसे ही दल बदलने वालों में मध्यप्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह का नाम भी शामिल हो गया है.

मध्यप्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी की तीसरी सूची जारी होने के बाद बीजेपी के असंतुष्ट और दरकिनार कर दिए गए वरिष्ठ नेता सरताज सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस के स्टेट मीडिया पैनलिस्ट राजेन्द्र ठाकुर ने होशंगाबाद आरओ कार्यालय से सरताज के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पत्र लिया है. उन्हें होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार टिकट दिया जा रहा है. इधर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पांचवी लिस्ट जारी कर के सरताज सिंह को होशंगाबाद सीट से टिकट देने वाली बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी है.

सरताज के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी संगठन मंत्री उन्हें मनाने उनके घर पहुंचे थे लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा. कहा जा रहा था कि बीजेपी की तीसरी सूची में अपना नाम न देखकर सरताज फूंट-फूंटकर रोने लगे थे. उन्होंने कहा, ‘मैं घर में बैठकर घुट घुट कर रोने वालों में से नहीं हूं. उन्होंने कहा कि मैं लड़ूंगा तो मैदान में और मरुंगा तो मैदान ए जंग में.’

सरताज ने इससे पहले न्यूज 18 से बातचीत में कहा था कि कांग्रेस ने इटारसी और होशंगाबाद से टिकट का ऑफर दिया है. सरताज सिंह ने साफ कहा वो चुनाव तो लड़ेंगे लेकिन सिवनी मालवा से अब खड़े नहीं होंगे. आख़िरी फैसला कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद ही किया जाएगा. बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता ने पार्टी के रुख़ पर निराशा जतायी और याद दिलाया कि हमने मुश्किल सीट पर पार्टी को जीत दिलाई थी.

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. वो राजनगर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.

Three civilians, CISF jawan killed in IED blast in Chhattisgarh


Two CISF personnel were also injured in the blast triggered by Naxals and have been shifted to a hospital.


Five people including a CISF jawan were killed after Naxals blew up a bus using an improvised explosive device (IED) near Bacheli in poll-bound Chhattisgarh’s Dantewada district as the state prepares to go for the first phase of elections on November 12.

Four civilians were among those killed in the blast.

Two CISF personnel were also injured in the blast triggered by Naxals and have been shifted to a hospital.

Earlier on Tuesday, Naxals torched a bus after asking its passengers to get down in the state’s Bijapur district. No passengers were injured in the incident, police said.

The private bus was on its way to Usoor from Bijapur town when eight Naxals, some of them armed, stopped it near Usoor, around 450 km from Raipur. There were some 35 passengers on the bus. The Naxals asked them to get down and then set it on fire, he said.

In another incident in Bijapur district, a 52-year-old man, abducted by Naxals three days ago, was found killed, the official said. Aaytu Hemla and another person had been abducted on November 3 from village Baddepara in Gangaloor area, he said.

Hemla’s body was found in the forest near his village Tuesday while the other man was reportedly released, he said.

As per the preliminary information, Naxals had accused Hemla of being a police informer. He was found strangulated.

October 30, Naxals had attacked the Doordarshan TV crew during an election coverage in which Doordarshan cameraperson Achyutananda Sahu was killed. Three security personnel were also killed in the attack.

Last month, at least four jawans of the Central Reserve Police Force (CRPF) were killed after Naxals blew up a bunker vehicle in Chhattisgarh’s strife-torn Bijapur district.

In a “huge achievement” as termed by the government, 62 “hardcore Naxals” surrendered before security forces in Chhattisgarh on Tuesday. Of the 62 Naxals, 55 surrendered with their arms and ammunition in Narayanpur district.

The ultras have called upon voters to boycott the assembly polls, scheduled to be held in two phases next month.

Security forces have been finding Maoist posters and banners appealing for poll boycott almost every day in south Bastar.

The first phase of polls will be held on November 12 covering 18 constituencies across eight Naxal-affected districts namely Bastar, Kanker Sukma, Bijapur, Dantewada, Narayanpur, Kondagaon and Rajnandgaon. The remaining 72 constituencies will go to polls on November 20.

The counting of votes will be taken up on December 11.

सिंधिया की राह में रुकावट बन रहे हैं परंपरागत विरोधी


राज्य में मैदानी कार्यकर्ता लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा है. लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य में किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट न करने का फैसला कर लिया है


सारिका तिवारी

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के कुछ घंटे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कथित तौर पर हुई तू-तू,मैं-मैं की खबर से कांग्रेस की राजनीति में एक बार फिर गुटबाजी हावी होती दिखाई दे रही है. हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ता किसी भी विवाद से इनकार कर रहे हैं. लेकिन, विवाद की खबरों को कांग्रेसी असामान्य घटना भी नहीं मानते हैं. सिंधिया-दिग्विजय सिंह का विवाद अक्सर सामने आता रहता है. सिंधिया का संसदीय क्षेत्र और दिग्विजय सिंह का गृह जिला एक ही है.

सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच विवाद दूरी होने के कुछ एतिहासिक कारण हैं जो राजे-रजवाड़ों के दौर से जुड़े हुए हैं. ग्वालियर के महल और राघोगढ़ के किले के बीच स्थिति हमेशा टकराव की रही है. दिग्विजय सिंह राघोगढ़ के राज परिवार से हैं. इसका असर आज भी कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति में देखने को मिलता है. राज्य कांग्रेस में पिछले चार दशक से राजनीति सिंधिया के समर्थन और विरोध के बीच ही चल रही है. माधवराव सिंधिया भी इसी राजनीति के चलते कभी राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं बनने दिया मुख्यमंत्री का चेहरा

राज्य में मैदानी कार्यकर्ता लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा है. लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य में किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट न करने का फैसला कर लिया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्य में कांग्रेस की कमान थामने के लिए भी तैयार थे. लेकिन, विरोध कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की ओर से हो रहा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य की राजनीति में रोकने के लिए ही कमलनाथ ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी को आगे बढ़ाया था. कमलनाथ की इस दावेदारी को दिग्विजय सिंह का पूरा समर्थन था. दिग्विजय सिंह दस साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्हें कमलनाथ का खुला समर्थन मिला हुआ था.

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दिग्विजय सिंह को अर्जुन सिंह गुट का ही माना जाता रहा है. अस्सी के दशक से राज्य कांग्रेस की राजनीति दो गुटों में बंटी रही है- अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया. दिल्ली की राजनीति में अर्जुन सिंह को कमलनाथ का साथ हमेशा ही मिलता रहा है. कमलनाथ की मदद से ही अर्जुन सिंह हमेशा ही माधवराव सिंधिया को मुख्यमंत्री बनने से रोकने में सफल होते रहे हैं. साल 1989 में चुरहट लाटरी कांड में हाईकोर्ट के फैसले के बाद अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, माधवराव सिंधिया को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन विधायकों के बहुमत के आधार पर अर्जुन सिंह, सिंधिया के नाम पर सहमत नहीं हुए. तीन दिन तक भोपाल में कांग्रेसी विधायक अर्जुन सिंह के करीबी माने जाने वाले हरवंश सिंह के निवास पर नजरबंद रहे. बाद में सहमति मोतीलाल वोरा के नाम पर बनी.

चार दशक बाद भी राज्य की राजनीति में कोई बड़ा परिवर्तन दिखाई नहीं दिया है. कांग्रेस की राजनीति अभी भी सिंधिया विरोधी और सिंधिया समर्थकों के बीच बंटी हुई दिखाई दे रही है. कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के अलावा राज्य की राजनीति में प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह भी लड़ाई का महत्वपूर्ण चेहरा हैं. अजय सिंह, स्वर्गीय अर्जुन सिंह के पुत्र हैं. दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह कांग्रेस के विधायक हैं. पीढ़ी बदलने के बाद भी राज्य की राजनीति में गुटिय लड़ाई में बदलाव नहीं आया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया को अलग-थलग करने की राजनीति

राज्य के कांग्रेसी नेताओं के बीच की गुटबाजी पर लगाम लगाने के लिए हर बड़े नेता को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. कमलनाथ को अध्यक्ष बनाने के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार समिति का अध्यक्ष और दिग्विजय सिंह को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई. पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस को मिली हार के पीछे जो बड़ी वजह सामने आई थी, उसमें दिग्विजय सिंह समर्थकों द्वारा भितरघात करना प्रमुख था. दिग्विजय सिंह राज्य के अकेले ऐसे नेता हैं, जिनके समर्थक गांव-गांव में हैं. दिग्विजय सिंह के समर्थक पिछले पंद्रह साल में उनको (दिग्विजय सिंह) लेकर वोटरों की नाराजगी को दूर नहीं कर पाए हैं.

भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में दिग्विजय सिंह शासनकाल की याद दिलाकर अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही है. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिग्विजय सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा के चलते दस साल तक राज्य की राजनीति में कोई सक्रिय भूमिका अदा नहीं की. साल 2008 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के नेतृत्व में लड़ा था. उस वक्त भी टिकट के बंटवारे को लेकर विवाद की स्थिति बनी थी. सुरेश पचौरी ने दस जनपथ के अपने संपर्कों के आधार पर समर्थकों को टिकट तो दिला दिए लेकिन, सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं जुटा सके. सुरेश पचौरी को भी राज्य की राजनीति का महत्वपूर्ण चेहरा माना जाता है. किसी दौर में वे मोती-माधव एक्सप्रेस का हिस्सा रहे थे. वर्तमान में वे कमलनाथ के ज्यादा नजदीक माने जा रहे हैं. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया था.

प्रदेश कांग्रेस की कमान कांतिलाल भूरिया को सौंपी गई थीं. भूरिया आदिवासी नेता हैं. वे भी दिग्विजय सिंह गुट के ही माने जाते रहे हैं. भूरिया के नेतृत्व में हुए चुनाव में सिंधिया के चेहरे का उपयोग गुटबाजी के चलते नहीं किया गया. नतीजा कांग्रेस फिर एक बार चुनाव हार गई. स्थिति में कोई बड़ा बदलाव अभी भी देखने को नहीं मिल रहा है. सिंधिया, प्रचार समिति के प्रमुख जरूर हैं लेकिन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रचार के लिए उनका उपयोग अब तब नहीं किया है. सिंधिया ने राज्य के बीस से अधिक जिलों में रैलियां की हैं.

टिकट के बंटवारे से पक्की करना चाहते हैं मुख्यमंत्री की कुर्सी

ज्योतिरादित्य सिंधिया, पिता माधवराव सिंधिया की विमान दुर्घटना में हुई मौत के बाद वर्ष 2002 में कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में आए. राज्य में उनका मुकाबला पिता माधवराव सिंधिया के परंपरागत विरोधियों से हो रहा है. पिछले सोलह साल में कई मौकों पर सिंधिया को अलग-थलग करने की कोशिश विरोधी गुट द्वारा की जाती रही है. सिंधिया चुनाव के बाद मुख्यमंत्री न बन जाएं इसकी कवायद विरोधी गुट ने टिकट वितरण में ही करना शुरू कर दी.

दिग्विजय सिंह अपने कुछ समर्थकों को कमलनाथ के जरिए टिकट दिलाना चाहते हैं. अजय सिंह भी कमलनाथ की मदद ले रहे हैं. सुरेश पचौरी, सिंधिया और कमलनाथ दोनों के ही जरिए अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में लगे हुए हैं. ऊपरी तौर देखा जाए तो यह लगता है कि कांग्रेस छोटे-छोटे गुटों में बंटी हुई है. वास्तविक रूप में आज भी कांग्रेस में दो गुट ही दिखाई दे रहे हैं. एक गुट सिंधिया का है. दूसरा गुट दिग्विजय सिंह का है, जिसका नेतृत्व कमलनाथ कर रहे हैं. सिंधिया विरोधी गुट अपने आपको अलग-अलग दिखाकर ज्यादा टिकट हासिल करना चाहता है.

इसके पीछे रणनीति यह है कि चुनाव बाद यदि बहुमत आता है तो विधायकों की संख्या के आधार पर मुख्यमंत्री का चुनाव हो सके. यहां उल्लेखनीय है कि साल 1980 में जब अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था, उस वक्त बहुमत शिवभानु सिंह सोलंकी के साथ था. लेकिन, कमलनाथ ने संजय गांधी की मदद से अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री बनवा दिया था. वर्तमान राजनीति में राहुल गांधी के सबसे करीबी नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिया जाता है.

पेरेंट्स एजुकेशन लोन नहीं चुका पाएंगे तो माफ कर दिया जाएगा: नीतीश


नीतीश कुमार ने कहा है कि हमें बिहार का वही पुराना गौरवशाली सम्मान दोबारा हासिल करना है


‘कभी बिहार का गौरवशाली इतिहास था. इसे ज्ञान की धरती कहा जाता था. आज हमें वही पुराना गौरवशाली सम्मान दोबारा हासिल करना है.’ गोपालगंज जिले को पॉलिटेक्निक कॉलेज की सौगात देते हुए सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को ये बातें कही. सीएम ने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट से छात्रों को पढ़ने के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. छात्रों को कम ब्याज पर पैसे उपलब्ध कराए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई के बाद भी छात्रों के अभिभावक पैसे वापस करने में सक्षम नहीं होंगे तो उनके ऋण भी माफ कर दिए जाएंगे.इस अवसर पर उन्होंने जिले में एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोलने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 5 एकड़ भूमि में निर्मित इस कॉलेज भवन के निर्माण के लिए भवन निर्माण विभाग को 44 करोड़ 90 लाख की राशि आवंटित की गई थी, लेकिन भवन निर्माण विभाग ने कॉलेज का निर्माण महज 34 करोड़ रुपए की लागत से ही रिकॉर्ड समय में कर दिखाया है.

मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों को बधाई भी दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबू बृज किशोर नारायण सिंह के नाम से यह पॉलिटेक्निक कॉलेज उनको श्रद्धांजलि है. आपको बता दें कि बैकुंठपुर के मान टेंगराही गांव में बृज किशोर नारायण सिंह राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना की गई है.

बिहार की लड़कियां देश के बाहर भी जाकर कर सकेंगी काम

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में शैक्षणिक संस्थानों को विकसित किया जा रहा है. सात निश्चय के तहत उच्च शिक्षण संस्थान खोले जा रहे हैं. पूरे देश में केरल से नर्स आती हैं, लेकिन अब बिहार में ही नर्सों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इस ट्रेनिंग के बाद बिहार की लड़कियां दूसरे राज्यों में जाकर काम तो करेंगी ही अगर वे चाहेंगी तो देश के बाहर भी जाकर काम कर सकेंगी.

सीएम ने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट से छात्रों को पढ़ने के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. छात्रों को महज चार प्रतिशत, जबकि छात्राओं को महज एक प्रतिशत ब्याज दर पर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से पैसे उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई के बाद भी छात्रों के अभिभावक पैसे वापस करने में सक्षम नहीं होंगे तो वे ऋण भी माफ कर दिए जाएंगे. सीएम ने कहा कि इंटर के बाद ही स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड देने का प्रावधान था, लेकिन अब मैट्रिक के बाद भी पॉलिटेक्निक करने वाले छात्रों को इस क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री ने शराबबंदी का भी जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग उनका मजाक उड़ाते हैं, लेकिन बता दें कि शराब पीना उनका मौलिक अधिकार नहीं है. संविधान में लिखा है कि शराब पीना अपराध है. सीएम ने सोशल मीडिया पर हेट कैंपेन चलाने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोग देश में कटुता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे सोशल मीडिया पर झूठ फैला रहे हैं, लेकिन इससे सचेत रहने की जरूरत है.

सीटों के बंटवारों को लेकर ज्योतिरादित्य से अनबन की बात से दिग्विजय सिंह ने किया इंकार


दिग्विजय सिंह ने कहा है कि जो खबरें मीडिया में दिखाई जा रही हैं वो पूरी तरह गलत हैं


मध्यप्रदेश में टिकट के बंटवारे को लेकर कांग्रेस में मतभेद की खबरें तेज हैं. कहा जा रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह में भी सीटों को लेकर बहस हुई है, लेकिन दिग्विजय सिंह ने खुद इन खबरों को गलत करार दिया है.

उन्होंने कहा, ‘जो खबरें मीडिया में दिखाई जा रही हैं वह पूरी तरह से गलत हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हम सब एक हैं और भ्रष्ट बीजेपी सरकार को हराने के लिए दृढ़ हैं.’

इससे पहले यह खबर तेज थी कि राहुल गांधी के सामने ही दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में जमकर तू-तू मैं-मैं हुई है. दोनों के बीच बहस इतनी तेज़ होने लगी कि राहुल गांधी भी नाराज़ हो गए. बाद में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दोनों के बीच मतभेद सुलझाने के लिए अहमद पटेल और अशोक गहलोत सरीखे वरिष्ठ नेताओं की एक कमेटी बना दी. शिवराज चौहान को हराने के लिए पूरा दम लगाने का दावा करने वाले राहुल के लिए पार्टी नेताओं में फूट बड़ी समस्या बन गई है.

सिंधिया के गढ़ गुना और दिग्गी के गढ़ राघोगढ़ में ज्यादा दूरी नहीं है लिहाज़ा आस-पास की विधानसभा सीटों पर दोनों के समर्थक टिकट मांग रहे हैं. इसके अलावा भी राज्य के कई हिस्सों में दोनों के समर्थकों के बीच तनातनी है. यही तनातनी राहुल गांधी के सामने खुलकर आ गई.

अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलाने को लेकर प्रदेश के दो बड़े नेताओं में राहुल गांधी के सामने ही झगड़ा हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सीएम बनने की चाह रखने वाले सिंधिया ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए राहुल की अध्यक्षता वाली बैठक में ही तू-तू मैं-मैं कर लिया.