कांग्रेसी कहलाने में शर्म आती है इसीलिए पार्टी छोड़ी: विनोद शर्मा

पटनाः बिहार में कांग्रेस के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने पार्टी पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. विनोद शर्मा ने कहा है कि उन्हें देशहित को देखते हुए यह फैसला लिया है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक का सबूत मांग रही है. जो कभी देशहित से जुड़ा नहीं हो सकता है. उन्हें अब कांग्रेसी कहलाने में शर्म आती है. इसलिए पार्टी से पहले देश को मानते हुए उन्होंने अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

विनोद शर्मा ने पद और पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि कांग्रेस लगातार बालाकोट में हुए आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक के सबूत मांग रही है. जो की गलत है. इतना ही नहीं विनोद शर्मा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी इस बारे में चिट्ठी लिखी. जिसमें उन्होंने एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने की बात को गलत ठहराया था.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि उन्हें कांग्रेसी कहलाने में शर्म आ रही है. उन्होंने एयर स्ट्राइक का सबूत मांगना शर्मनाक बताया. और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने को सेना का मनोबल तोड़ने वाला बताया. विनोद शर्मा ने कहा कि ऐसी ही कारणों से आज कांग्रेस की स्थिती बुरी हो रही है. लोग अब कांग्रेस को पाकिस्तानी एजेंट समझने लगे हैं.

विनोद शर्मा ने कहा कि वह पिछले 30 सालों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ हूं. उन्होंने पार्टी के लिए बहुत कुछ किया है. लेकिन देशहित को देखते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने विनोद शर्मा को हाल ही में जम्बो कमिटी में प्रवक्ता नियुक्त किया था.

विनोद शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी को चिट्ठी लिखने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इससे मुझे काफी दुख भी महसूस हुआ. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की कार्यकर्ता भी चाहते थे कि पार्टी ऐसे बयान नहीं दे. उन्हें पहले भी चिट्ठी लिखी थी लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी इस बारे में बात की. वह खुलकर नहीं कहते हैं लेकिन वह भी चाहते थे कि पार्टी की ओर से इस तरह के बयान नहीं आए.

वहीं, उन्होंने आगे की राह को लेकर कहा कि मुझे जो भी पार्टी राष्ट्रहित से जुड़ा दिखेगा उससे मैं जुड़ जाऊंगा. लेकिन ऐसा हो सकता है कि मैं सामाजिक कार्यकर्ता की तरह भी रह सकता हूं. अभी किसी तरह का फैसला नहीं किया है.

उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में सपा 4 सीटों पर लड़ेगी चुनाव बाकी पर बसपा

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं, समाजवादी 37 सीटों पर तो बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

उत्तर प्रदेश में गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी एकसाथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी सूचना दी.

इस गठबंधन के तहत मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी महज तीन सीटों- बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो सीट पर चुनाव लड़ेगी. बाकी सभी सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशी मैदान में होंगे. उधर उत्तराखंड में एसपी के खाते में एक सीट गई है. गठबंधन के तहत एसपी गढ़वाल (पौड़ी) लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगी. शेष चार सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार मैदान में होंगे.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं, समाजवादी 37 सीटों पर तो बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को भी तीन सीटें दी गई हैं. वहीं कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगा.

बता दें हाल ही में संपन्न हुए मधुआ प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी एक सीट और बहुजन समाज पार्टी को दो सीट पर जीत हासिल हुई थी. विधानसभा चुनाव में दोनों ही दल अलग-अलग लड़े थे. कई सीटों पर एसपी-बीएसपी उम्मीदवारों ने कांग्रेस के गणित को खराब किया था. दिलचस्प बात ये है कि मध्य प्रदेश में दोनों ही दलों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस को दूर ही रखा गया है.

छतीसगढ़ की तरह बिहार में भी महागठबंधन में पीछे छूटते वामदल

  • लोकसभा चुनाव में वामदलों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है.
  • कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी लालू नहीं मिले
  • कन्हैया कुमार का राजनाइटिक भविष्य तो यहीं तय हो गया की बेगूसराय सीट पर उन्हे अपने दम पर ही लड़ना होगा क्योंकि राज्य परिषद की उनकी उम्मीदवारी पर भी ग्रहण लगता दीख पड़ता है।
  • बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में अकेले(अपने दम खम पर) चुनाव लड़ेंगे

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के सहारे बिहार में खुद को पुर्नजीवित करने की वामदलों, खासकर सीपीआई और सीपीएम, की रणनीति दम तोड़ती नजर आ रही है. भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि महाभारत 2019 में सीपीआई और सीपीएम की भागीदारी की उन्हें कोई जरूरत नहीं है.

सीपीआई के एक कद्दावर नेता ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘लोकसभा चुनाव में हमलोगों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है. वो नहीं चाहते हैं कि वामदल फिर से बिहार में जिंदा होकर अपने पैरों पर चल सकें.’

पिछले दो सप्ताह से बिहार के वामदलों के कई शीर्ष नेता लालू यादव से मिलने का अथक प्रयास कर रहे हैं. यहां तक कि सीपीआई के मूर्धन्य नेता रहे कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने उन सभी से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

सीपीआई के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने बातचीत में स्वीकार किया, ‘लालू यादव से मिलने के लिए बीते दो शनिवार को हमलोगों ने अर्जी लगाई थी लेकिन सफलता नहीं मिली’.

इसी बीच सीपीआई की बेगूसराय जिला कार्यकारिणी ने 16 फरवरी को सर्वसम्मति से कन्हैया कुमार का नाम चुनाव लड़ने के लिए फाइनल करके राज्य परिषद को भेज दिया है. समझा जाता है कि इस सप्ताह कन्हैया कुमार के अलावा और 4 सीटों के लिए उम्मीदवारों का नाम राज्य परिषद अनुमोदन करके नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी को अंतिम मुहर लगाने के लिए भेज देगी.

स्टेट सेक्रेटरी सत्यनारायण सिंह तथा सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सदस्य राम नरेश पांडेय ने बतौर पर्ववेक्षक बेगूसराय जिला परिषद की बैठक में शिरकत की थी. सत्यनाराण सिंह का कहना है कि किसी सूरत में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई लड़ेगी. कन्हैया कुमार ही उम्मीदवार होंगे. वैसे कुछ दिन पहले बयान जारी कर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.

कन्हैया कुमार को बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाए जाने और वामदलों को महागठबंधन में उचित स्थान देने के सवाल पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी तथा सीपीआई नेता डी राजा भी क्रमशः जनवरी 12 और 19 को रांची जेल में लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि डी राजा ने आरजेडी सुप्रीमो से रिक्वेस्ट की कि बेगूसराय को जोड़कर कम से कम तीन सीट सीपीआई के लिए छोड़ दें. उसी तरह सीताराम येचुरी ने बिहार के राजनीतिक क्षितिज पर आईसीयू में सांस ले रही अपनी पार्टी के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग की है.

महागंठबधन से जुड़े एक नेता का कहना है, ‘हमारे कुनबे में चुनावी जंग में भागीदारी के लिए उसी पार्टी और नेता को तरजीह दी जाती है जिसके घर में या तो ‘लक्ष्मी’ का वास हो या फिर पॉकेट में वोट का जखीरा हो. जगजाहिर है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में बिहार में वाम दलों के पास इन दोनों संसाधनों में से कोई पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है.

हां, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन यानी माले के पीछे अच्छा खासा जन समर्थन है. इसीलिए हमारे नेता लालू यादव के दिल में इनके प्रति स्नेह का भाव है. हो सकता है कि आरा की लोकसभा सीट माले के खाते में चली जाए. 1989 चुनाव में माले के रामेश्वर प्रसाद ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था. माले का अपना मजबूत आधार वोट है.’

चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव प्रत्येक शनिवार को तीन लोगों से मुलाकात करते हैं. 16 फरवरी को आरजेडी चीफ अपने छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मिले. काफी देर तक बातचीत हुई. लेकिन अर्जी लगने के बाद भी वामदलों के नेताओं से मिलने से मना कर दिया.

tejaswi yadav

कयास लग रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो ने तेजस्वी यादव को आरजेडी कोटे से किस सीट पर कौन व्यक्ति चुनाव लड़ेगा इसकी सूची दे दी है. यह भी चर्चा में है कि जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने उत्तराधिकारी पुत्र को यह भी बता दिया है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी, बीएसपी और हम सेकुलर पार्टियों को कौन सीटें दी जाएंगी.

बहरहाल, महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों की बटवारे की घोषणा इस महीने के अंतिम सप्ताह में की जानी की पूरी संभावना है. वैसे आरजेडी के एक नेता ने बताया कि एनडीए की सूची आने तक हमलोगों द्वारा इंतजार किया जा सकता है. जो भी हो, लेकिन एक बात तो लगभग क्लियर हो गई है कि वामदलों के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है.

ऐसी परिस्थति में बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में एकला तलवार भाजेंगे. कुछ सीटों पर आपसी तालमेल कर सकते हैं. वैसे जानकारी के लिए पड़ोसी राज्य झारखंड में भी महागठबंधन ने वामदलों को लोकसभा की कुल 14 सीटों में से एक सीट भी नहीं दी है, जिसे लेकर वामदलों में नाराजगी है.

वामदल की नाराजगी को दूर करने के लिए झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ने 16 फरवरी को कहा, ‘विधानसभा चुनाव में हमलोग लेफ्ट पार्टियों को उचित जगह और सम्मान देंगे.’

मोदी ने कांग्रेस और टीएमसी को जम कर कोसा

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में पीएम मोदी ने अपनी चुनावी रैली में कांग्रेस पर जोरदार हमले किए और कहा कि कांग्रेस सीबीआई जांच से डर क्यों रही है? उन्होंने कहा कि मोदी को गाली देने वाले लोग महागठबंधन के नाम पर महामिलावट में शामिल हैं. वहीं उन्होंने किसानों की कर्जमाफी को धोखा बताया. पढ़िए उनके भाषण की दस बड़ी बातें :

1.चौकीदार की सख्त कार्रवाई से कांग्रेस बौखला गई है.देश के अलग अलग हिस्सों से ऐसे लोगों की मिलावट हो रही है.

2.जो कभी कांग्रेस को ही कोसते हुए कांग्रेस से बाहर निकल निकल गए थे आज उन लोगों में मोदी को ज्यादा से ज्यादा गाली देकर नंबर बढ़ाने की होड़ मची हुई है.

3.मिलावटी लोगों ने मोदी को मुद्दा बना रखा है.सुबह शाम मोदी-मोदी करते हैं ये मिलावटी लोग. ये कितनी भी मिलावट कर लें चौकीदार चुप बैठने वाला नहीं है.

4.छत्तीसगढ़ के किसानों से कर्जमाफी का वादा कर कितने लोगों का कर्जमाफ किया गया? दस दिनों में कर्ज माफ करने के लिए कहा था लेकिन वोट बटोर लिए और खेल खतम.

5.सिर्फ उन किसानों का थोड़ा बहुत कर्ज माफ किया गया है जिन्होंने ग्रामीण और सहकारिता बैंकों से लोन लिया था.किसानों के साथ कांग्रेस ने धोखाधड़ी की.

6.भ्रष्टाचार के मामले में पीएम मोदी का कांग्रेस पर सीधा हमला

मोदी ने रायगढ़ में कहा कि छत्तीसगढ़ में जो पहला दो फैसला लिया है उसके बारे में आपको सोचना चाहिए. उन्होंने सबसे पहले तो छत्तीसगढ़ को ‘मोदीकेयर’ से हटा दिया. फिर राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा दी. क्यों आपको किस बात का डर है?

7.आयुष्मान योजना को लेकर पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला

आयुष्मान योजना में वैज्ञानिक तरीके से लाभार्थियों का चयन होता था. पैसे सीधे अस्पताल के अकाउंट में जाता है. गरीब मरीज को एक भी पैसा अस्पताल को नहीं देना पड़ता है. बिचौलियों की इस योजना में कोई भूमिका नहीं होती है. कांग्रेस को बिचौलियों के बिना की योजनाएं पसंद नहीं है. वो ऐसी योजना लाएंगे जिसमें तुम भी खाओ – मैं भी खाऊं की व्यवस्था हो.

8.यहां की सरकार ने वीवीआईपी जांच में भी अड़ंगा लगाने का फैसला किया. अगर किसी ने कुछ किया नहीं है तो वो क्या किसी जांच से डरेगा?

9.छत्तीसगढ़ के गरीबों को किस बात की सजा दे रहे हैं. देश का गरीब मोदी के साथ खड़ा है. कांग्रेस को लगता है कि 55 साल गरीबों के नाम की माला जपकर गरीबों पर एकाधिकार बनाया लेकिन मोदी को गरीबों ने अपना लिया.

10. कांग्रेस ये समझ ले कि आपने 55 साल गरीबों के नाम पर देश को गुमराह किया और गरीबों को बर्बाद किया और हमने 55 महीनों के भीतर गरीबों के भीतर नया जोश भरा है और नये सपने जगाए हैं.

अविवादित ज़मीन ‘न्यास’को लौटाई जाये ताकि निर्माण आरंभ हो: केंद्र सरकार

केंद्र का कहना है कि राम जन्मभूमि न्यास से 1993 में जो 42 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी सरकार उसे मूल मालिकों को वापस करना चाहती है.

नई दिल्‍ली : अयोध्‍या विवाद पर केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए  सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इसमें मोदी सरकार ने कहा है कि 67 एकड़ जमीन सरकार ने अधिग्रहण की थी. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है. सरकार का कहना है कि जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एकड़ का है, बल्कि बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. सरकार चाहती है जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट से इसकी इजाजत मांगी है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह अपने 31 मार्च, 2003 के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश में संशोधन करे या उसे वापस ले. केंद्र सरकार ने SC में अर्जी दाखिल कर अयोध्या की विवादित जमीन को मूल मालिकों को वापस देने की अनुमति देने की अनुमति मांगी है. इसमें 67 एकड़ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था, जिसमें लगभग 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि का अधिग्रहण किया था.

केंद्र का कहना है कि राम जन्मभूमि न्यास से 1993 में जो 42 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी सरकार उसे मूल मालिकों को वापस करना चाहती है. केंद्र ने कहा है कि अयोध्या जमीन अधिग्रहण कानून 1993 के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें उन्‍होंने सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर ही अपना हक जताया था, बाकि जमीन पर मुस्लिम पक्ष ने कभी भी दावा नहीं किया है.

अर्जी में कहा गया है कि इस्माइल फारुकी नाम के केस के फैसले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि सरकार सिविल सूट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद विवादित भूमि के आसपास की 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने पर विचार कर सकती है. केंद्र का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है और इसके खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है, गैर-उद्देश्यपूर्ण उद्देश्य को केंद्र द्वारा अतिरिक्त भूमि को अपने नियंत्रण में रखा जाएगा और मूल मालिकों को अतिरिक्त जमीन वापस करने के लिए बेहतर होगा.

बता दें कि अयोध्‍या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 29 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन इसके लिए बनाई गई जजों की बेंच में शामिल जस्‍ट‍िस बोबड़े के मौजूद न होने पर अब ये सुनवाई आगे के लिए टल गई है. अभी इस मामले में सुनवाई के लिए तारीख भी तय नहीं हुई है. इससे पहले पीठ के गठन और जस्‍ट‍िस यूयू ललित के हटने के कारण भी सुनवाई में देरी हुई थी.

इससे पहले 25 जनवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्‍ट‍िस रंजन गोगोई ने नई बेंच का गठन कर दि‍या था. इस बैंच में CJI रंजन गोगोई के अलावा एसए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर शामि‍ल हैं. पिछली बैंच में कि‍सी मुस्‍ल‍िम जस्‍ट‍िस के न होने से कई पक्षों ने सवाल भी उठाए थे.

इससे पहले बनी पांच जजों की पीठ में जस्‍ट‍िस यूयू ललित शामि‍ल थे, लेकिन उन पर मुस्‍लि‍म पक्ष के वकील राजीव धवन ने  सवाल उठाए थे. इसके बाद वह उस पीठ से अलग हो गए थे. इसके बाद चीफ जस्‍ट‍िस ने नई पीठ गे गठन का फैसला किया था. वहीं अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की मांग कर रहे साधु-संतों की ओर से प्रयागराज में चल रहे कुंभ में परम धर्म संसद का आगाज सोमवार को हो चुका है. स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के नेतृत्‍व में 30 जनवरी तक प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में परम धर्म संसद का आयोजन होगा.

वहीं साधु और संतों ने इस संबंध में बड़ा ऐलान भी किया हुआ है. उनका कहना है कि राम मंदिर सविनय अवज्ञा आंदोलन के जरिये बनाया जाएगा. प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में इस समय साधु और संतों का जमावड़ा लगा हुआ है. यहां विश्‍व हिंदू परिषद (विहिप) की धर्म संसद से पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती परम धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं. यह परम धर्म संसद कुंभ में 28, 29 और 30 जनवरी तक चलेगी. इसमें राम मंदिर निर्माण के लिए चर्चा और रणनीति बनेगी. बता दें कि विश्‍व हिंदू परिषद 31 जनवरी को राम मंदिर मुद्दे पर धर्म संसद का आयोजन कर रही है.

क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों की बिसात है ममता की महारैली

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी एकता का इसे प्रदर्शन माना जा रहा है. “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.” : टीएमसी
भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी गेगोंग अपांग और शत्रुघ्न सिन्हा भी शिरकत करेंगे

कोलकाता: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ बने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन के बाद कोलकाता में शनिवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की विपक्षी दलों की महारैली होने जा रही है. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी एकता का इसे प्रदर्शन माना जा रहा है. यह रैली यहां ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में होगी. हालांकि, विपक्ष के कई नेता इस रैली में नजर नहीं आएंगे.  

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रैली में भाग लेंगे जबकि बसपा की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा के शिरकत करने की संभावना है. हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती खुद इस रैली में हिस्सा नहीं लेंगी. आरएलडी के अजीत सिंह और जयंत चौधरी भी मौजूद रहेंगे. वहीं, रैली में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे. 

उत्तर प्रदेश में नया चुनावी समीकरण बनाने वाली सपा और बसपा सहित सभी बड़ी विपक्षी पार्टियों की इस रैली में मौजूदगी काफी मायने रखती है. वहीं, कांग्रेस को भी यह लगता है कि विपक्ष की महारैली से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण के बारे में गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. रैली का आयोजन कर रही तृणमूल कांग्रेस ने कहा, “क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए.”

इस रैली में जिन अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है, उनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं. इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के भी शामिल होने की उम्मीद है. कांग्रेस से खड़गे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी रैली में भाग लेंगे. 

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ – साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी भी मंच पर नजर आएंगे. मंगलवार को भाजपा छोड़ने वाले अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग भी रैली में शामिल होंगे. 

WJI ने दिल्ली में अपना मांग पत्र PMO को सौंपा

महाधरना के बाद WJI ने‌  देश की मीडियाकर्मियों की 28 मांगों का ज्ञापन PMO को सौंपा

WJI ने अपने सदस्यों को 3 लाख का दुर्घटना बीमा  देने की घोषणा की

नई दिल्ली /  वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया ने 16 जनवरी अपने स्थापना दिवस के अवसर पर  मीडिया महा धरना का आयोजन किया।

पिछले कुछ समय से पत्रकारों की मांगो को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ काफी सक्रिय रहा है।

देश में पत्रकारों का शीर्ष संगठन है। यह  संगठन पत्रकारों के कल्याणार्थ समय समय पर रचनात्मक और प्ररेणादायक कार्यक्रम और आंदोलन चलाता रहा है।इसको देश के विभिन्न राज्यों से आये पत्रकार संगठन समर्थन दे रहे है।

वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी और राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी ने

आज के महाधरना में पत्रकार एकजुटता का दृश्य देखने को मिला।देश के 12 राज्यों के पत्रकार और कई पत्रकार संगठन धरना में आकर सरकारों के प्रति आक्रोश व्यक्ति किया।पत्रकारों का खाना था केंद्र सरकार तो नया मीडिया आयोग बना रही है और न ही ऑनलाइन मीडिया को मंदिर का दे रही है जबकि पूरे देश में मीडिया कर्मी देश को मजबूत बनाने का काम करते हैं। महा धरना के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी के नेतृत्व में WJI  प्रतिनिधिमंडल pmo पहुंचा और वहां पर पत्रकारों की 28 मांगो का ज्ञापन सौंपा गया।

आज  WJI ने अपने स्थापना दिवस पर अपने सदस्य पत्रकारों के हित में 3 लाख दुर्घटना बीमा की घोषणा की।

माहौल उस समय बहुत ही उत्साहवर्धक हो गया जब भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार,  संगठन महामंत्री अनीश मिश्रा और संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों की मांगों का समर्थन दिया।

वर्किंग जर्नलिस्ट आफ India  WJI प्रवक्ता उदय मन्ना ने बताया कि पत्रकारों में जो आक्रोश भरा वो कोई भी दिशा ले सकता है। मीडियाकर्मी RJS स्टार सुरेंद्र आनंद के गीत ने माहौल में जोश भर दिया।

 वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों द्वारा तैयार मांग पत्र जिसमे सरकार से मांग हैः-

वर्तमान समय की मांगों पर ध्यान में रखते हुए वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में संशोधन किया जाये।

कार्यकारी पत्रकार अधिनियम में इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेब मीडिया, ई-मीडिया और अन्य सभी मीड़िया को

अपने अधिकार क्षेत्र में लाया जाये।

भारत की प्रेस काउंसिल के स्थान पर मीडिया काउंसिल बनाई जाये। जिससे पीसीआई के दायरे और

क्षेत्राधिकार को बढ़ाया जाये।

भारत के सभी पत्रकारों को भारत सरकार के साथ पंजीकृत किया जाये और वास्तविक मीड़िया

पहचान पत्र जारी किया जायें।

जिन अखबारों ने वेज कार्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया उन पर सरकारी विज्ञापन देने पर

कोई अनुशासत्मक प्रतिबंध हो।

केन्द्र सरकार लघु व मध्यम समाचार पत्रों को ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन जारी करने के अपने

नियमों को जल्द से जल्द परिवर्तित करे।

देश में पत्रकार सुरक्षा कानून तैयार किया जाये।

तहसील और जिला स्तर के संवाददाताओं एवं मीडिया व्यक्तियों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाईन

सेवायें उपलब्ध कराई जायें।

भारत में सभी मीड़िया संस्थानों को वेज बोर्ड की सिफारिशों को सख्ती से लागू करवाने के नियम बनाये जाये।

ड्यूटी के दौरान अथवा किसी मिशन पर काम करते हुये पत्रकार एवं मीडियाकर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिजन को 15 लाख का मुआवजा और परिजनों को नौकरी दी जाये।

सभी पत्रकारों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा ओर सेवानिवृति की उम्र 64 वर्ष की जाये।

सभी पत्रकारों को राज्य एवं केन्द्र सरकारों की तरफ से चिकित्सा सुविधा और बीमा सुविधा दी जाये।

पत्रकारिता नौकरियों में अनुबंध प्रणाली का उन्मूलन किया जाये।

कैमरामैन समेत सभी पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों को कवर करने के लिए कोई पांबदी नहीं होनी चाहिए।

बेहतर पारस्परिक सहयोग के लिए जिला स्तर पुलिस-पत्रकार समितियां गठित की जाये।

 शुरूआती चरणों में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा पत्रकारों से संबंधित सभी मामलों की समीक्षा की जाये

और पत्रकारों से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाये।

मीड़िया व्यक्तियों को देश भर में उनकी संस्थान के पहचान पत्र के आधार पर सड़क टोल पर भुगतान

करने से मुक्त किया जाये।

पत्रकारों को बस और रेल किराये में कुछ रियायत प्रदान की जाये।

केन्द्रों और राज्य सरकारें PIB-DIP पत्रकारों की मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया को एकरूपता व सरल बनायें।

समाचार पत्रों से GST खत्म की जाए।

विदेशी मीडिया के लिए भारतीय मीडिया संस्थानों में विनिवेश की अनुमति ना दी जाये।

आनलाईन मीडिया को मान्यता दी जाये उन्हें सरकारी विज्ञापन दिये जायें व उनका सरकारी एक्रीडेशन किया जाये।

केन्द्र सरकार अविलम्ब नये मीडिया आयोग का गठन करें।

संविधान में मीडिया को चौथे स्तम्भ के रूप में संवैधानिक दर्जा दिया जाये।

महिला पत्रकारों के लिए होस्टल बनाये जायें।

पत्रकारों की रिहायश के लिए सस्ती दरों पर भूखंड आबंटित किये जायें। अलग-अलग राज्यों से पत्रकार और WJI पदाधिकारी भी उपस्थित रहे और संबोधन दिया।

हरियाणा

भूपिंदर सिंह

धर्मेंद्र यादव

अमित चौधरी

राजिंदर सिंह

मोहन सिंह

राज कुमार भाटिया

उत्तर खंड

सुनील गुप्ता  महा सचिव उत्तरखंड  व कार्यकारिणी सदस्य

लखनऊ

पवन श्रीवास्तव अध्यक्ष उत्तर प्रदेश व कार्यकारिणी

विशेष

Mr अशोक मालिक – राष्ट्रीय अध्यक्ष

नेशनल यूनियन ऑफ जॉर्नलिस्ट

मनोहर सिंह अध्यक्ष

दिल्ली पत्रकार संघ

संजय राठी अध्यक्ष

हरियाणा यूनियन ऑफ जॉर्नलिस्ट

चंडीगढ़ से नेशनल मीडिया कन्फेडरेशन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा,

राष्ट्रीय मीडिया फाउंडेशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष आशीष पाण्डेय,

दिल्ली एनसीआर की टीम आरजेएस मीडिया

इसके अलावा WJI की‌ राष्ट्रीय कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय,संजय सक्सेना

कोषाध्यक्ष अंजलि भाटिया,

सचिव अर्जुन जैन,विपिन चौहान आदि ने महाधरना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आशा है पत्रकारों के संगठनों की एकजुटता का प्रयास सरकार का ध्यान आकर्षित करेगा।

भाजपा के 100 विधायक दिल्ली में ओर कांग्रेस्स के 5 विधायक गायब

कर्नाटक की राजनीतिक उथल-पुथल में एक नया मोड़ आया है. बेंगलुरू का राजनीतिक ड्रामा अब राजधानी दिल्ली तक पहुंच चुका है. दरअसल बीजेपी ने पहले तो अपने 100 विधायकों को दिल्ली बुलाया. फिर दिल्ली के पास गुड़गांव में एक रिसॉर्ट में भेज दिया.

बीजेपी का आरोप है कि राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा, ‘जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) बीजेपी विधायकों को तोड़ना चाहता है. हम एकजुट हैं. हम एक-दो दिन दिल्ली में रहेंगे.’

दोनों पार्टियां एक दूसरे पर लगा रही हैं खरीद-फरोख्त का आरोप

कांग्रेस पार्टी भी लगातार आरोप लगा रही है कि बीजेपी कर्नाटक में विधायकों की खरीद फरोख्त कर के वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है. इस पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम एक वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.’

कांग्रेस ने कहा है कि लापता विधायकों का एक समूह इस बात का सबूत है कि बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ लॉन्च किया है. यह शब्द पहली बार 2008 में इस्तेमाल किया गया था, जब बीजेपी पर कई विपक्षी विधायकों को उकसाने का आरोप लगाया गया था. ताकि येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली अपनी सरकार की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में, जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन में 118 विधायक हैं, जो बहुमत के 113 के आंकड़े से अधिक है. बीजेपी के पास 104 विधायक हैं और यह आवश्यक संख्या से बहुत कम है.

कांग्रेस के पांच विधायक भी गायब हैं लेकिन येदियुरप्पा के संपर्क में हैं

लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी कोशिश कर रही है, यही कारण है कि उसके पांच विधायक गायब हो गए हैं. कुमारस्वामी का दावा है कि वे मुंबई के एक होटल में हैं और उनके संपर्क में हैं. मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘वे सभी (कांग्रेस विधायक) मुझसे लगातार संपर्क में हैं. वे मुझे सूचित करने के बाद मुंबई चले गए. मेरी सरकार किसी भी खतरे में नहीं है.’

कुमारस्वामी ने कहा ‘मुझे पता है कि बीजेपी किससे संपर्क करने की कोशिश कर रही है और वे क्या पेशकश कर रहे हैं. मैं इसे संभाल सकता हूं.’ कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य के डिप्टी गवर्नर जी परमेस्वर ने कहा, ‘हमारे कुछ विधायक चले गए हैं, वे मंदिर, छुट्टी, परिवार के कार्यक्रमों के लिए जा सकते हैं, हम नहीं जानते. हमारे सभी विधायक बरकरार हैं.’

माता मनसा देवी परिसर में आयोजित होगा 11वाँ आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम

पंचकूला, 14 जनवरी:

अतिरिक्त उपायुक्त जगदीप ढांडा की अध्यक्षता में अगामी 23 से 29 फरवरी तक चलने वाले माता मनसा देवी परिसर में 11 वें आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये बैठक आयोजित की गई।

बैठक में एसडीएम पंकज सेतिया, नेहरु युवा केंद्र के संयोजक डाॅ जीएस बाजवा, उपसिविल सर्जन सरोज अग्रवाल, श्रीमाता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड की सचिव शारदा प्रजापति सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।

अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि यह कार्यक्रम नेहरु युवा केंद्र पंचकूला, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार एवं जिला प्रशासन पंचकूला द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के लगभग 200 युवक, युवतियां व सिक्योरिटी आॅफिसर भाग लेंगें। उन्होंने श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड की सचिव को निर्देश दिये कि वे मंदिर परिसर लक्ष्मी भवन धर्मशाला में इनके ठहरने व खाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने एमडीएम पंचकूला से कहा कि वे जिला की विभिन्न जगहों पर इन्हें भ्रमण करवाने के लिये ट्रांसपोरेशन की व्यवस्था करवाना सुनिश्चित करें ताकि ये युवा यहां की संस्कृति को नजदीक से देख सके। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निदेश दिये कि वे इस कार्यक्रम में प्रत्येक दिन किसी चिकित्सक की ड्यूटि लगाये। उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस विभाग के अधिकारी को निर्देश दिये कि वे सातों दिन एक पीसीआर व जवानों को लक्ष्मी भवन में तैनात रखें।

  उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी युवाओं को विभिन्न स्थानों की भाषा, लोकाचार एवं जीवनशैली को समझकर शिक्षित रास्ते पर रोजगार के अवसर तलाशना और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्मारकों को देखना है। इससे सदभावना, शांति, सांस्कृतिक आदान प्रदान एवं समग्र विकास होगा। उन्होंने नेहरु युवा केंद्र पंचकूला के संयोजक डाॅ जीएस बाजवा से कहा कि वे इन युवाओं को यादविंद्रा गार्डन, सीआरपीएफ कैंप पिंजौर तथा राजभवन का भी भ्रमण करवाना सुनिश्चित करें ताकि इन युवाओं को यहां की संस्कृति का बोध हो। इसके साथ साथ कालका व सेक्टर-1 पंचकूला के काॅलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करवाये।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने शिवराज, रमन सिंह और वसुंधरा राजे

बीजेपी ने तीन राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी है

बीजेपी में संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव सामने आया है. 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले इस बदलाव को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बीजेपी ने तीन राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी है.

मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बीजेपी ने पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है.

तीन राज्यों की बागडोर संभालने वाले इन तीनों नेताओं को संगठन में इतनी बड़ी जिम्मेदारी देना बीजेपी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है क्योंकि तीनों ही नेता बहुत अनुभवी हैं और राज्य में सरकार चलाने के हर दांव पेंच से वाकिफ हैं.

शिवराज सिंह चौहान हालही में हुए एमपी चुनावों से पहले तीन बार लगातार सीएम रह चुके हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह भी लगातार तीन बार से राज्य के सीएम थे. वसुंधरा राजे भी राजस्थान की दो बार सीएम रही हैं.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने भी इन नियुक्तियों पर खुशी जताई है और तीनों ही नेताओं को बधाई दी है.

गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारियों को जोर देना शुरू कर दिया है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा था कि बीजेपी गठबंधन करने के लिए तैयार है और वह अपने पुराने मित्रों के साथ दोस्ती निभाते हुए चलती है. इसी के साथ उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए कि बीजेपी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तमिलनाडु में एनडीए को मजबूत करना चाहती है.