20.200kg ganja recovered 1 held

The Local Police has achieved a major success by arresting one Shiv Parsad S/o Ram Kumar R/o Vill-Mansukh Baikunthpur, Distt-Koriya Chattisgarh by the team of Police Station-36 Chandigarh. On 10.9.19 SI Rajesh Kumar along with police party was performing Patrolling duty duty at ISBT, Sec-43, Chd.

When they were checking the vehicles at Back Side parking near entry gate  ISBT 43 Chd, they saw that one pedestrian was coming outside from the ISBT- 43, Chd and carrying a plastic bag on his right shoulder. On seeing the police party ahead he immediately turned back and starting moving towards the opposite side. On the basis of suspicion, he was nabbed by police party he disclosed his name Shiv Parsad S/o Ram Kumar R/o Vill-Mansukh Baikunthpur, Distt-Koriya Chattisgarh age 40 yrs. While checking the plastic bag 20KG, 200GM Ganja was recovered from his plastic carry bag.

In this regard Case FIR no. 185 dt. 9.9.19 u/s 20 NDPS Act has been registered in PS-36, Chd  and accused arrested. 

जस्टिस राकेश कुमार: मैं अपने फैसले पर अडिग, वही किया जो सही लगा

Justice Rakesh kumar: पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस राकेश कुमार ने बुधवार को अपने सीनियर और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे.

  1. मैं अपने फैसले पर अडिग: जस्टिस राकेश कुमार
  2. वही किया जो सही लगा: जस्टिस राकेश कुमार
  3. राकेश कुमार ने कार्यप्रणाली पर उठाए थे गंभीर सवाल

बिहार: 

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के जज जस्टिस राकेश कुमार (Justice Rakesh kumar) ने बुधवार को अपने सीनियर और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे, जिसके बाद गुरुवार को कोर्ट के 11 सदस्यों की बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार के फैसले को ख़ारिज कर दिया. इस मामले पर जस्टिस राकेश कुमार ने कहा, ‘मैं अपने फैसले पर अडिग हूं और मैंने वही किया जो मुझे सही लगा. अगर चीफ जस्टिस न्यायिक कार्य से मुझे हटाकर खुश हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.’

वहीं कोर्ट के 11 सदस्यों की बेंच ने कहा, ‘पूरा फैसला जज की सोच के धर्मयुद्ध के नाम पर नेचुरल जस्टिस, न्यायिक अनुपयुक्तता,दुर्भावनापूर्ण निंदा के सिद्धान्तों का उल्लंघन है.’ बेंच ने कहा, ‘जज ने खुद को अपने अनुभवों का अकेला सलाहकार ठहरा दिया और बाकी जजों की राय भी नहीं जानी. जो सोच फैलाई गई, वह कुछ इस तरह है, जैसे जज ने जो कहा है..केवल वही सच है और बाकी की दुनिया समाज की कुरीतियों से बेखबर है.’ 

बता दें पटना हाईकोर्ट की बेंच ने अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान में लेते हुए जस्टिस राकेश कुमार के फैसले को खारिज कर दिया था. जजों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि जस्टिस राकेश कुमार ने अपने न्यायिक अधिकार क्षेत्र को पार कर दिया है और उनकी अधिकांश टिप्पणियां अनचाही और अनुचित थीं.

कोर्ट के 11 सदस्यों की बेंच का फैसला

हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज राकेश कुमार ने कहा था, ‘लगता है कि हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है.’ उन्होंने ये सख़्त टिप्पणी पूर्व IPS अधिकारी रमैया के मामले की सुनवाई के दौरान की. इस दौरान उन्होंने ये सवाल भी उठाए कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से ज़मानत ख़ारिज होने के बाद निचली अदालत ने रमैया को बेल कैसे दे दी.

जज राकेश कुमार ने कहा था कि रमैया की अग्रिम जमानत की याचिका उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ख़ारिज कर दी गई थी, इन्होनें निचली अदालत से अपनी जमानत मैनेज की वो भी तब जब निगरानी विभाग के नियमित जज छुट्टी पर थे, उनके बदले जो जज प्रभार में थे उनसे जमानत ली गई. जस्टिस राकेश कुमार ने ये भी कहा कि जिस न्यायिक अधिकारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो चुका है उसे भी बर्खास्त करने के बजाय मामूली सज़ा देकर छोड़ दिया जाता है. स्टिंग में कोर्ट कर्मचारी घूस लेते पकड़े जाते हैं फिर भी उनपर कार्रवाई नहीं की जाती.

जस्टिस कुमार ने स्टिंग मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच CBI को सौंप दी थी. इस दौरान उन्होंने सरकारी बंगलों में हो रहे फ़िजूलखर्च का भी ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा था कि जजों के सरकारी बंगलों में करदाताओं के करोड़ों रुपये साज-सज्जा पर खर्च कर दिए जाते हैं. जस्टिस राकेश कुमार ने अपने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और CBI निदेशक को भी भेजने का आदेश कोर्ट में दिया था. बता दें कि जस्टिस राकेश चारा घोटाला केस में सीबीआई के वकील भी रह चुके हैं. 

कठघरे में न्यायपालिके: जस्टिस कुमार की सुनवाई पर 11 जजों ने लगाई रोक

  • पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने अपने सीनियरों और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए
  • कहा- भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आज तक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई

पटना/दिल्ली:

पटना हाईकोर्ट के सीनिय जज जस्टिस राकेश कुमार के एक फैसले को गुरुवार को 11 जजों की फुल बेंच ने सस्पेंड कर दिया। जस्टिस कुमार ने एक फैसले में लिखा था- लगता है हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है। चीफ जस्टिस एपी शाही की 11 सदस्यीय फुल बेंच ने कहा कि इस आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है। संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है।

जस्टिस कुमार बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान अपने आदेश में सख्त टिप्पणियां करते हुए उन्होंने लिखा- पटना के जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उन्हें बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा दी गई, क्यों? हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस और अन्य जजों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे विरोध को दरकिनार किया।

चीफ जस्टिस ने सुनवाई पर रोक लगाई

जस्टिस कुमार ने निचली अदालत में हुए स्टिंग ऑपरेशन मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एपी शाही ने जस्टिस राकेश कुमार की सिंगल बेंच की सभी केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी। अगले आदेश तक जस्टिस कुमार सिंगल बेंच केसों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे। हालांकि, डबल बेंच के जिन केसों में वे शामिल हैं, उसकी सुनवाई कर सकेंगे। चीफ जस्टिस ने उन्हें नोटिस भी जारी किया है।

जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में 4 सवाल उठाए थे

1. सवाल : हाईकाेर्ट से जमानत अर्जी खारिज हाेने के बाद निचली अदालत ने रमैया काे बेल कैसे दे दी?

जस्टिस राकेश कुमार ने रमैया की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज की थी। उन्होंने आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बावजूद वे खुलेआम घूमते रहे। इतना ही नहीं वे निचली अदालत से नियमित जमानत लेने में भी कामयाब रहे। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश पटना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दिया है। जस्टिस कुमार ने अपने आदेश में कहा कि जब हाईकोर्ट ने रमैया की अग्रिम जमानत खारिज कर दी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली, तो उन्हें निचली अदालत से बेल कैसे मिल गई? 

2. सवाल : भ्रष्टाचार का केस साबित होने पर भी पटना के एडीजे की बर्खास्तगी क्यों नहीं?

जस्टिस कुमार ने अपने लंबे-चौड़े आदेश में सूबे की निचली अदालतों और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण पर कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही में जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, उसे मेरी अनुपस्थिति में फुलकोर्ट की मीटिंग में बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है। मैंने विरोध किया तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। लगता है कि भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देने की परिपाटी हाईकोर्ट की बनती जा रही है। यही कारण है कि निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी रमैया जैसे भ्रष्ट अफसर को जमानत देने की धृष्टता करते हैं।

3. सवाल : सरकारी बंगलों के रखरखाव पर फिजूलखर्ची क्यों 

जस्टिस कुमार ने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और सीबीआई निदेशक को भी भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने जजों के सरकारी बंगले के रखरखाव पर होने वाले खर्च पर भी सवाल खड़े किए। कहा- टैक्स पेयर के करोड़ों रुपए साज-सज्जा पर खर्च किए जा रहे हैं।

4. सवाल : स्टिंग में कोर्टकर्मी घूस लेते पकड़े गए, अब तक केस दर्ज क्यों नहीं?

जस्टिस कुमार ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सरेआम घूस मांगते कोर्ट कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा। लेकिन ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आजतक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई, जबकि हाईकोर्ट के ही एक वकील पीआईएल दायर कर पिछले डेढ़ साल से एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। जस्टिस कुमार ने स्टिंग ऑपरेशन मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया।

चारा घोटाले में सीबीआई के वकील थे जस्टिस कुमार

जस्टिस राकेश कुमार ने 26 साल हाईकोर्ट में वकालत की। बिहार सरकार और केंद्र सरकार के वकील रहे। चारा घोटाले में सीबीआई के वकील थे। 25 दिसम्बर 2009 को हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने। 24अक्टूबर 2011 को स्थायी जज बने। वे 31 दिसंबर 2020 को रिटायर होंगे।

23 और 24 अगस्त को दो दिन मनाई जाएगी ‘जन्माष्टमी’

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी में इस बार 23 और 24 अगस्त को दो दिन मनाई जाएगी। जन्माष्टमी का पर्व हिन्दु पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार यह अष्टमी 23 और 24 तारीख दो दिन है। विशेष उपासक 23 को जन्माष्टमी मनाएंगे जबिक आम लोग 24 अगस्त को जन्माष्टमी मना सकते हैं। क्योंकि उदया तिथि अष्टमी की बात करें तो यह 24 अगस्त को है। हालांकि भगवान कृष्ण के जन्म के वक्त आधी रात को अष्टमी तिथि को देखें तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चन्द्रमा ग्रह भी उच्च राशि में है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी के साथ सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में होगा। द्वापर काल के अद्भुत संयोग में इस बार कान्हा जन्म लेंगे। घर-घर उत्सव होगा। लड्डू गोपाल की छठी तक धूम रहेगी। इस योग पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। 


अष्टमी तिथि : 
अष्टमी 23 अगस्त 2019 शुक्रवार को सुबह 8:09 बजे लगेगी।

अगस्त 24, 2019 को 08:32 बजे अष्टमी समाप्त होगी। जन्मोत्सव तीसरे दिन तक मनाया जाएगा।

रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 को दोपहर  12:55 बजे लगेगा। 
रोहिणी नक्षत्र 25 अगस्त 2019 को रात 12:17 बजे तक रहेगा।


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व –
मान्यता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। क्योंकि भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। इसके अलावा भगवान कृष्ण का ध्यान, व्रत और पूजा  करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम या बलदाऊ जी का पालन पोषण भी नंदबाबा के घर में हुआ। वासुदेव जी की एक पत्नी थीं रोहिणी जिनके पुत्र बलदाऊ जी महाराज थे। कंस ने देवकी को वासुदेव के साथ जेल में डाला तो रोहिणी को नंद बाबा के यहां भेज दिया गया। वैष्णव पंथ को मानने वाले हिन्दु धर्म के उपासक भगवान कृष्ण को अपना आराध्य मानते हैं ऐसे में आराध्य को याद करने लिए भी प्रित वर्ष लोग उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

भोग में चढ़ाएं दूध-धी और मेवा-
त्व देवां वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पयेति!! मंत्र के साथ भगवान कृष्ण का भोग लगाना चाहिए। भोग के लिए माखन मिश्री, दूध, घी, दही और मेवा काफी महत्व पूर्ण माना गया है। पूजा में पांच फलों का भी भोग लगा सकते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण को दूध-दही बहुत पसंद था ऐसे में उनके भोग में दूध, दही और माखन जरूर सम्मिलित करना चाहिए।

पूजन विधान-
जन्माष्टमी के दिन व्रती सुबह में स्नानादि कर ब्रह्मा आदि पंच देवों को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर मुख होकर आसन ग्रहण करें। हाथ में जल, गंध, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प इस मंत्र का उच्चारण करते हुए लें- ‘मम अखिल पापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करिष्ये।’ इसके बाद बाल रूप श्रीकृष्ण की पूजा करें। गृहस्थों को श्रीकृष्ण का शृंगार कर विधिवत पूजा करनी चाहिए। बाल गोपाल को झूले में झुलाएं। प्रात: पूजन के बाद दोपहर को राहु, केतु, क्रूर ग्रहों की शांति के लिए काले तिल मिश्रित जल से स्नान करें। इससे उनका कुप्रभाव कम होता है।

इस मंत्र का करें जाप-
सायंकाल भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-
‘धर्माय धर्मपतये धर्मेश्वराय धर्मसम्भवाय श्री गोविन्दाय नमो नम:।’
इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर दूध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपते:! नमस्ते रोहिणिकांतं अघ्र्यं मे प्रतिग्रह्यताम!’ रात्रि में कृष्ण जन्म से पूर्व कृष्ण स्तोत्र, भजन, मंत्र- ‘ऊं क्रीं कृष्णाय नम:’ का जप आदि कर प्रसन्नतापूर्वक आरती करें। 

यूएपीए बिल राज्यसभा में पास

  • गैर-कानूनी गतिविधि निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक, 2019 बिल राज्यसभा में भी पास हुआ
  • इसमें गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का प्रावधान, विपक्षी दल इसके विरोध में
  • गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- कब तक संगठनों पर प्रतिबंध लगाएंगे, एक के बाद दूसरा सामने आ जाता है
मैं भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा : अमित शाह

नई दिल्ली. आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए मोदी सरकार संशोधित यूएपीए बिल लेकर आई है। शुक्रवार को यह विधेयक राज्यसभा में भी पास हो गया। चर्चा के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विधेयक में संशोधन का विरोध किया। दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आतंकवाद से समझौता करने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ”दिग्विजय सिंह जी कह रहे हैं कि मुझे ही आतंकी घोषित कर दो। आपका गुस्सा जायज है, वे क्योंकि अभी-अभी चुनाव हारे हैं। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा।”

संशोधित बिल में सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया है। दिग्विजय ने कहा कि हमें भाजपा की मंशा पर संदेह है। कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया, इसीलिए यह कानून लेकर आए थे। आतंकवाद से समझौता करने वाले आप लोग हैं। भाजपा सरकार ने ही पहले रुबैया सईद और फिर मसूद अजहर को छोड़ा था।

कानून का दुरुपयोग के आरोप लगाने से पहले अपना इतिहास देखिए

गृह मंत्री ने कहा, ”इमरजेंसी के दौरान क्या हुआ था? मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया और विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था। 19 महीने तक देश में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया और अब आप (कांग्रेस) हम पर कानून के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। कृपया अपना इतिहास भी देख लीजिए। जब हम विपक्ष में थे तो 2004, 2008 और 2013 में हमने यूपीए सरकार के यूएपीए बिल को समर्थन दिया था। क्योंकि हमें लगता था कि आतंकवाद से लड़ने के लिए यह जरूरी था।”

हम सिर्फ व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के विरोध में: कांग्रेस

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ”अगर विधेयक के संशोधन को देखें तो लगता है कि यह एनआईए को ताकतवर बनाएगा। लेकिन इसमें किसी व्यक्ति का नाम आतंकी की सूची में हटाने और जोड़ने का प्रावधान है। हम इसी का विरोध कर रहे हैं न कि गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बने कानून का। 2008 में जब मैंने गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाली तो आतंकवाद का सामना करने के लिए तीन स्तंभ- एनआईए, नेटग्रिड और एनसीटीसी बनाए थे। आज हमारे पास सिर्फ एक स्तंभ है। आपने एनआईए को छोड़कर बाकी दो के लिए क्या किया?”

कब तक संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे: गृह मंत्री

अमित शाह ने चिदंबरम को जवाब दिया, ”आपने पूछा कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठनों पर प्रतिबंध है तो किसी व्यक्ति को विशेष को आतंकी घोषित करने की क्या जरूरत है। हमने संशोधन में ऐसा प्रावधान रखा है क्योंकि एक संगठन पर रोक लगाई जाती है तो कुछ व्यक्तियों के द्वारा दूसरा खड़ा कर दिया जाता है। कब तक हम संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे?

एनआईए को पहले से ज्यादा अधिकार, इसलिए विरोध

बिल में नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रावधान यह है कि एनआईए अब आतंकी के समर्थकों को भी आतंकी घोषित कर उनकी संपत्ति जब्त कर सकेगी। यही नहीं, अब आतंकी संगठन के साथ-साथ उस व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा, जो किसी न किसी रूप से आतंक को बढ़ावा दे रहा होगा। उसकी संपत्ति जब्त करने के लिए एनआईए को उससे संबंधित राज्य की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के 4 आधार होंगे

1. जो व्यक्ति आतंकी घटना को अंजाम देगा या इसमें सहयोग देगा।
2. जो व्यक्ति किसी आतंकी घटना की तैयारी कर रहा होगा।
3. जो देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कृत्य करेगा।
4. जो व्यक्ति किसी भी तरह से आतंकवाद से जुड़ा हुआ पाया जाएगा।

विपक्ष ने लोकसभा में चर्चा के दौरान वॉकआउट किया था

लोकसभा में 24 जुलाई को बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजनी की मांग करते हुए वॉकआउट किया था। चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है। कौन-सी पार्टी सत्ता में हैं और बिल कौन लेकर आया, उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। आतंकवाद के खात्मे के लिए कड़े कानून की जरूरत है। कांग्रेस सरकार बिल लाती है तो सही, लेकिन हम संशोधन कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? हम आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं, संशोधित कानून से राज्यों की शक्ति कम नहीं होगी। यह कानून 1967 में कांग्रेस सरकार लेकर आई। इसके बाद आप ही ने इसमें तीन संशोधन किए।

श्रीलंका में रामायण के प्रमाण

रावण जब माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका पहुंचा तो सबसे पहले सीता जी को इसी जगह रखा था। इस गुफा का सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ है। गुफा के आसपास की नक्‍काशी इस बात का प्रमाण है। इसके बाद जब माता सीता ने महल मे रहने से इंकार कर दिया तब उन्‍हें अशोक वाटिका में रखा गया। सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्‍या के नाम से प्रसिद्ध है। 2007 में श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्‍टि की, कि सीता एल्‍या ही अशोक वाटिका है। बाद में हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी।

हनुमान जी के पद चिन्ह

रामायण मे वर्णन है जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तब उन्होंने विशाल रूप धारण किया था। जिसके चलते जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए। जो आज भी मौजूद हैं।

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श्रीलंका में हिमालय की जड़ी-बूटी

श्रीलंका मे उस स्थान पर जहां लक्ष्मण मूर्छित होकर गिरे थे और उन्‍हे संजीवनी दी गई थी वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं। दावा है कि इन  जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्‍तविकता को प्रमाणित करता है।

विशालकाय हाथी

रामायण के सुंदर कांड अध्‍याय में लिखा है लंका की रखवाली के लिए विशालकाय हाथी करता था। जिन्हें हनुमान जी ने अपने एक प्रहार से धराशाही किया था।  पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे ही हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार वर्तमान हाथियों से बहुत ज्‍यादा है। 

रावण का महल

पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का बताया जाता है। रामायण लंका दहन का वर्णन है जब हनुमान जी ने पूरी लंका मे अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। जलने के बाद उस जगह की की मिट्टी काली हो गई थी, इस बात के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं। यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्‍चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।

कॉंग्रेस के बड़े नेताओं ने पेशकश की, त्यागपत्र नहीं सौंपे

मोदी की सुनामी में धराशायी हुई काँग्रेस के नेताओं द्वारा आज कल इस्तीफा-इस्तीफा खेला जा रहा है। यह नौटंकी राहुल द्वारा शुरू की गयी। राहुल तो चाहते थे कि अपने अपने प्रदेशों में कुर्सियों से चिपके नेता जवाबदेही से काम लें। लेकिन राहुल के इस्तीफे कि खबर से ही सबके पाँव तले ज़मीन खिसक गयी। अपनी ज़िम्मेदारी तो क्या तय करनी थी राहुल को मनाने में लग गए। पर राहुल टस से मस नहीं हो रहे। फिर राहुल ने अपना दर्द हरियाणा में युवा कार्यकर्ताओं से सांझा किया, तब जमीनी कार्यकर्ताओं के इस्तीफे आने लग गए। आज जब राहुल अपने इस्तीफे पर अडिग हैं वहीं बड़े नेता (कमलनाथ, गेहलोत) इत्यादि अपनी अपनी कुर्सी से चिपके हुए इस्तीफे कि पेशकश कर रहे हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी को मनाने के लिए अब पार्टी के कार्यकर्ता अनशन पर बैठेंगे. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने कहा कि सभी कांग्रेसजन मानते हैं कि आज ज़रूरत एकजुट होकर नए संकल्प के साथ नई शुरूआत करने की है. चुनाव परिणाम भले ही कुछ भी रहे हों परंतु अपने संघर्ष एवं जुझारूपन से राहुल गांधी देश का मन जीतने में सफल रहे हैं. 

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लिलोठिया ने कहा कि अपने त्याग, स्वच्छ छवि और नेतृत्व क्षमता के कारण इस परिवार का, खास तौर पर राहुल गांधी का कोई विकल्प नहीं हो सकता है. हम राहुल के हर निर्णय का सम्मान करते हैं और उनके नेतृत्व के प्रति आस्था व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश कांग्रेसजनों के लिए अकल्पनीय और असहनीय है. उन्होंने कहा कि देश की संवैधानिक संस्थाओं तथा संविधान को बचाने एवं देश के ग़रीबों, मज़दूरों एवं किसानों के उत्थान के लिए राहुल के नेतृत्व में जो संकल्प हम सब ने लिया है, वह तभी पूरा हो सकेगा जब वह हमारे अध्यक्ष के रूप में हमारे मार्गदर्शक बने रहें. हम सब को उनके साथ एक नई शुरुआत करने की ज़रूरत है.

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उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम सब कांग्रेस कार्यकर्ता आगामी 2 जुलाई को दोपहर 12 बजे से कांग्रेस कार्यालय पर एकत्रित होकर, इस दिशा में प्रयास के लिए अनशन की शुरुआत करेंगे. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के 5 मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को मुलाकात कर उनसे इस्तीफा वापस लेने की मांग की. बैठक के खत्म होने के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी के साथ बैठक अच्छी रही. हमने करीब दो घंटे तक बातचीत की. हमने राहुल गांधी को पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की इच्छा से अवगत कराया. गहलोत ने कहा कि उम्मीद है कि राहुल गांधी हमारी बात पर विचार करेंगे और सही निर्णय लेंगे.

अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस शासित 5 राज्यों के सीएम ने राहुल गांधी को इस्तीफे की पेशकश की थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे पर फैसला राहुल गांधी करेंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव में हार-जीत होती रहती है और हमने वर्तमान हाताल पर राहुल गांधी से खुलकर चर्चा की. इसके साथ ही गहलोत ने मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की बात पर कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही हमने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी. अब राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व को इस पर फैसला लेना है.

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बता दें कि सोमवार को कांग्रेस शासित पांच राज्यों पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पुडुचेरी के मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी से मुलाकात की. बैठक में अमरिंदर सिंह, कमलनाथ, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और वी नारायणसामी मौजूद रहे.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद 25 मई को हुई पार्टी कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी. हालांकि, कार्य समिति के सदस्यों ने उनकी पेशकश को खारिज करते हुए उन्हें आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था. इसके बाद से राहुल गांधी लगातार इस्तीफे की पेशकश पर अड़े हुए हैं. साथ ही उन्होंने ताकीद की थी कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार से किसी को न चुना जाए. हालांकि, पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे आग्रह किया है कि वह कांग्रेस का नेतृत्व करते रहें.

राहुल जी, यही नव भारत है, जहां कुत्ते भी आपसे अधिक बुद्धिमान हैं : परेश रावल

लोक सभा च्नावोन में मिली करारी हार से राहुल का उबरना कठिन लग रहा है। वह आए दिन अपने अंदाज़ से भारत की लोक तांत्रिक व्यवस्था का मज़ाक दाते दिखाई पड़ते हैं ओर फिर न्के नेता उनके बचाव में आ जाते हैं, लेकिन रहल हैं के मानते ही नहीं।

नई दिल्ली: राहुल गांधी का योग दिवस पर किए गए तंज पर विवाद बढ़ता जा रहा है. योग दिवस के मौके पर राहुल गांधी ने सेना के जवानों और कुत्तों के जरिए योग करते हुए तस्वीरें ट्वीट की थी. इस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. इस तस्वीर में जवानों के साथ सेना के कुत्ते भी योग करते नजर आ रहे हैं. इस पर राहुल गांधी ने तंज कसा था.

इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सेना का अपमान करना कांग्रेस की परंपरा रही है. कांग्रेस का हाथ नकारात्मकता के साथ. उनके अलावा केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी राहुल गांधी के बयान पर निराशा जताते हुए कहा, भगवान उन्हें सदबुद्धि दे.

Congress stands for negativity.
Today, their negativity was seen in their clear support to the medieval practice of Triple Talaq. Now, they mock Yoga Day and insult our forces (yet again!) Hoping the spirit of positivity will prevail. It can help overcome toughest challenges. https://twitter.com/rahulgandhi/status/1142019983485988864 …Rahul Gandhi✔@RahulGandhiNew India.21.5K6:39 PM – Jun 21, 2019Twitter Ads info and privacy7,346 people are talking about this

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सबसे तीखा हमला बीजेपी के पूर्व सांसद और फिल्म अभिनेता परेश रावल ने किया. उन्होंने कहा, हां राहुल गांधी जी ये न्यू इंडिया है. यहां पर कुत्ते आपसे ज्यादा स्मार्ट हैं.

Yes it’s a NEW INDIA Rahul ji where even dogs are smarter than you . @RahulGandhi27K4:42 PM – Jun 21, 2019Twitter Ads info and privacy8,038 people are talking about this

योग दिवस पर पूरी दुनिया समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में योगा दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के रांची में योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. खुद कांग्रेस शासित कई राज्यों में योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए गए थे.

गंगा दशहरा 2019

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा दशहरा का पर्व 12 जून 2019 यानी बुधवार के दिन मनाया जाएगा। गंगा दशहरा के दिन ही ईक्षवाकू वंश के राजा भागीरथ के प्रयास से मां गंगा धरती पर प्रकट हुई थी। मां गंगा की इस दिन विधिवत पूजा का विधान है। ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि के दिन यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन दान और स्नान को अधिक महत्व दिया जाता है। अगर आप भी गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना करना चाहते हैं और आपको गंगा की पृथ्वी पर उत्पत्ति, गंगा जल के फायदे और गंगा दशहरा पर स्नान के महत्व के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं गंगा जल के फायदे और गंगा दशहरा पर स्नान के महत्व के बारे में…

गंगा का भूलोक पर उतरना

  • राजा दशरथ के पूर्वजों में राजा सगर हुए थे। सगर के पिता का नाम असित था। वे अत्यंत पराक्रमी थे। हैहय, तालजंघ, शूर और शशबिन्दु नामक राजा उनके शत्रु थे। उनसे युद्ध करते-करते राज्य त्यागकर उन्हें अपनी दो पत्नियों के साथ हिमालय भाग जाना पड़ा। वहां कुछ काल बाद उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी दोनों पत्नियां गर्भवती थीं। उनमें से एक का नाम कालिंदी था। कालिंदी की संतान नष्ट करने के लिए उसकी सौत ने उसको विष दे दिया। कालिंदी अपनी संतान की रक्षा के निमित्त भृगुवंशी महर्षि च्यवन के पास गयी। महर्षि ने उसे आश्वासन दिया कि उसकी कोख से एक प्रतापी बालक विष के साथ (स+गर) जन्म लेगा। अत: उसके पुत्र का नाम सगर पड़ा।
  • सगर अयोध्या नगरी के राजा हुए। वे संतान प्राप्त करने के इच्छुक थे। उनकी सबसे बड़ी रानी विदर्भ नरेश की पुत्री केशिनी थी। दूसरी रानी का नाम सुमति था। दोनों रानियों के साथ राजा सगर ने हिमवान के प्रस्त्रवण गिरि पर तप किया। प्रसन्न होकर भृगु मुनि ने उन्हें वरदान दिया कि एक रानी को वंश चलाने वाले एक पुत्र की प्राप्ति होगी और दूसरी के साठ हज़ार वीर उत्साही पुत्र होंगे। बड़ी रानी के एक पुत्र और छोटी ने साठ हज़ार पुत्रों की कामना की। केशिनी का असमंजस नामक एक पुत्र हुआ और सुमति के गर्भ से एक तूंबा निकला जिसके फटने पर साठ हज़ार पुत्रों का जन्म हुआ। असमंजस बहुत दुष्ट प्रकृति का था। अयोध्या के बच्चों को सताकर प्रसन्न होता था। सगर ने उसे अपने देश से निकाल दिया। कालांतर में उसका पुत्र हुआ, जिसका नाम अंशुमान था। वह वीर, मधुरभाषी और पराक्रमी था।
  • राजा सगर ने विंध्य और हिमालय के मध्य यज्ञ किया। सगर के पौत्र अंशुमान यज्ञ के घोड़े की रक्षा कर रहे थे। जब अश्ववध का समय आया तो इन्द्र राक्षस का रूप धारण कर घोड़ा चुरा ले गये। सगर ने अपने साठ हज़ार पुत्रों को आज्ञा दी कि वे पृथ्वी खोद-खोदकर घोड़े को ढूंढ़ लायें। जब तक वे नहीं लौटेंगे, सगर और अंशुमान दीक्षा लिये यज्ञशाला में ही रहेंगे। सगर-पुत्रों ने पृथ्वी को बुरी तरह खोद डाला तथा जंतुओं का भी नाश किया। देवतागण ब्रह्मा के पास पहुंचे और बताया कि पृथ्वी और जीव-जंतु कैसे चिल्ला रहे हैं। ब्रह्मा ने कहा कि पृथ्वी विष्णु भगवान की स्त्री हैं वे ही कपिल मुनि का रूप धारण कर पृथ्वी की रक्षा करेंगे। सगर-पुत्र निराश होकर पिता के पास पहुंचे। पिता ने रुष्ट होकर उन्हें फिर से अश्व खोजने के लिए भेजा। हज़ार योजन खोदकर उन्होंने पृथ्वी धारण करने वाले विरूपाक्ष नामक दिग्गज को देखा। उसका सम्मान कर फिर वे आगे बढ़े। दक्षिण में महापद्म, उत्तर में श्वेतवर्ण भद्र दिग्गज तथा पश्चिम में सोमनस नामक दिग्गज को देखा। तदुपरांत उन्होंने कपिल मुनि को देखा तथा थोड़ी दूरी पर अश्व को चरते हुए पाया। उन्होंने कपिल मुनि का निरादर किया, फलस्वरूप मुनि के शाप से वे सब भस्म हो गये। बहुत दिनों तक पुत्रों को लौटता न देख राजा सगर ने अंशुमान को अश्व ढूंढ़ने के लिए भेजा। वे ढूंढ़ने-ढूंढ़ते अश्व के पास पहुंचे जहां सब चाचाओं की भस्म का स्तूप पड़ा था। जलदान के लिए आसपास कोई जलाशय भी नहीं मिला। तभी पक्षीराज गरुड़ उड़ते हुए वहां पहुंचे और कहा कि ‘ये सब कपिल मुनि के शाप से हुआ है, अत: साधारण जलदान से कुछ न होगा। गंगा का तर्पण करना होगा। इस समय तुम अश्व लेकर जाओ और पिता का यज्ञ पूर्ण करो।’ उन्होंने ऐसा ही किया।
  • सगर के बाद उनके पौत्र अंशुमान राजा हुए थे। अंशुमान अपने पुत्र दिलीप को राज्य-भार सौंप कर गंगा को पृथ्वी पर लाने की चिंता में ग्रस्त थे। उन्होंने घोर तपस्या करते हुए शरीर त्याग किया। राजा दिलीप गंगा को पृथ्वी पर लाने का कोई मार्ग नहीं सोच पाये और बीमार होकर स्वर्ग सिधार गये।
  • भगीरथ पुत्रहीन थे। उन्होंने राज्यभार अपने मन्त्रियों को सौंपा और स्वयं गोकर्ण तीर्थ में जाकर घोर तपस्या करने लगे। ब्रह्मा के प्रसन्न होने पर उन्होंने दो वर माँगे—एक तो यह कि गंगा जल चढ़ाकर भस्मीभूत पितरों को स्वर्ग प्राप्त करवा पायें और दूसरा यह कि उनको कुल की सुरक्षा करने वाला पुत्र प्राप्त हो। ब्रह्मा ने उन्हें दोनों वर दिये, साथ ही यह भी कहा कि गंगा का वेग इतना अधिक है कि पृथ्वी उसे संभाल नहीं सकती। शंकर भगवान की सहायता लेनी होगी। ब्रह्मा के देवताओं सहित चले जाने के उपरान्त भगीरथ ने पैर के अंगूठों पर खड़े होकर एक वर्ष तक तपस्या की। शंकर ने प्रसन्न होकर गंगा को अपने मस्तक पर धारण किया। गंगा को अपने वेग पर अभिमान था। उन्होंने सोचा था कि उनके वेग से शिव पाताल में पहुँच जायेंगे। शिव ने यह जानकर उन्हें अपनी जटाओं में ऐसे समा लिया कि उन्हें वर्षों तक शिव-जटाओं से निकलने का मार्ग नहीं मिला।
  • भगीरथ ने फिर से तपस्या की। शिव ने प्रसन्न होकर उसे बिंदुसर की ओर छोड़ा। वे सात धाराओं के रूप में प्रवाहित हुईं। ह्लादिनी, पावनी और नलिनी पूर्व दिशा की ओर; सुचक्षु, सीता और महानदी सिंधु पश्चिम की ओर बढ़ी। सातवीं धारा राजा भगीरथ की अनुगामिनी हुई। राजा भगीरथ गंगा में स्नान करके पवित्र हुए और अपने दिव्य रथ पर चढ़कर चल दिये। गंगा उनके पीछे-पीछे चलीं। मार्ग में अभिमानिनी गंगा के जल से जह्नुमुनि की यज्ञशाला बह गयी। क्रुद्ध होकर मुनि ने सम्पूर्ण गंगा जल पी लिया। इस पर चिंतित समस्त देवताओं ने जह्नुमुनि का पूजन किया तथा गंगा को उनकी पुत्री कहकर क्षमा-याचना की। जह्नु ने कानों के मार्ग से गंगा को बाहर निकाला। तभी से गंगा जह्नुसुता जान्हवी भी कहलाने लगीं। भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर गंगा समुद्र तक पहुँच गयीं। भगीरथ उन्हें रसातल ले गये तथा पितरों की भस्म को गंगा से सिंचित कर उन्हें पाप-मुक्त कर दिया। ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर कहा—“हे भगीरथ, जब तक समुद्र रहेगा, तुम्हारे पितर देववत माने जायेंगे तथा गंगा तुम्हारी पुत्री कहलाकर भागीरथी नाम से विख्यात होगी। साथ ही वह तीन धाराओं में प्रवाहित होगी, इसलिए त्रिपथगा कहलायेगी।’’

गंगा जल के फायदे

1.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा जल के स्पर्श मात्र से ही किसी भी चीज का शुद्धिकरण हो जाता है।
2.गंगा जल कई प्रकार की औषोधियों में भी प्रयोग होता है।
3.शास्त्रों के अनुसार अगर किसी मरते हुए व्यक्ति के गंगा की बूंदे डालने से उसके सभी पाप धूल जाते हैं।
4. गंगा जल का विशेष गुण है। उसका कभी न खराब होना । गंगा जल सालों तक खराब नहीं होता
5.शास्त्रों के अनुसार पूजा में गंगा जल का विशेष प्रयोग किया जाता है।

गंगा दशहरा पर स्नान महत्व

गंगा दशहरा पर स्नान को विशेष महत्व दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन पवित्र गंगा जी में डुबकी लगाने से मनुष्य अपने जीवन के सभी पाप और कष्ट से मुक्त हो जाता है। इसके अलावा गंगा दशहरा अगर आपको कोई ऐसा रोग है जो ठीक न हो और वह गंगा दशहरा के दिन कोई रोगी गंगा नदी में स्नान कर लेता है तो उसे उस रोग से मुक्ति मिल जाती है।

गंगा दशहरा पर किया गया स्नान मनुष्य के जन्म – जन्मांतर के पाप को धो देता है। माना जाता है अगर आप गंगा दशहरा के दिन किसी तीर्थ पर जाते हैं तो आपको इस दिन भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी।शास्त्रों में एक और चीज वर्णित है कि अगर आप गंगा जी में स्नान नहीं कर पाते तो अपने नहाने के पानी में इस दिन नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।

इस दिन किया गया स्नान मनुष्य के जन्मों के पाप को धो देता है। इस दिन अगर आप किसी तीर्थ पर भी जाते हैं तो आपको इसका लाभ अवश्य मिलेगा और अगर आप गंगा जी में स्नान नहीं कर पाते तो अपने नहाने के पानी में इस दिन नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।

पाँच महीने पुरानी जीत छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने भाजपा के हाथों गंवाई

12 दिसम्बर 2018 को आए छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने 90 सीटों में सबसे ज्यादा 68 सीटों पर जीत दर्ज की। 15 सालों तक सत्ता संभालने वाली भाजपा 15 पर ही सिमट गई लेकिन महज़ 6 महीनों ही में छत्तीसगढ़ के लोगों का कांग्रेस से मोह भंग हो गया लगता है तभी तो लोक सभा चुनावों में 11 में से 9 सीटें भाजपा के खाते में गईं वह भी तब जब प्रदेश में सरकार काँग्रेस की है।

  • कांग्रेस को एक सीट की बढ़त, लेकिन मुख्यमंत्री और गृहमंत्री नहीं बचा सके अपना ‘दुर्ग’
  • भाजपा के सुनील सोनी ने रायपुर और दुर्ग से विजय बघेल ने दर्ज की रिकॉर्ड मतों से जीत 
  • वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 11 में से कांग्रेस को एक, भाजपा को मिली थीं 10 सीटें

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद पहली बार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर जीत हासिल की है. छत्तीसगढ़ में इस लोकसभा चुनाव में 11 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने नौ सीटों पर तथा कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की. राज्य में पहली बार कांग्रेस ने दो सीटें जीती है और सत्ताधारी दल के लिए यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पार्टी ने पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर विजय प्राप्त की है.

छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों में सरगुजा, रायगढ़, कांकेर और बस्तर अनुसूचित जनजाति के लिए तथा जांजगीर चांपा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. राज्य के निर्माण के बाद वर्ष 2004, 2009 तथा वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 में से एक सीट पर ही जीत दर्ज की थी. पार्टी को 2004 में महासमुंद, 2009 में कोरबा और वर्ष 2014 में दुर्ग सीट पर जीत हासिल हुई थी जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अन्य 10 सीटें जीती थी. इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो सीटों बस्तर और कोरबा से जीत मिली है जिसमें बस्तर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.

पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 वर्ष से सत्ता में रहे भारतीय जनता पार्टी को बड़ी शिकस्त दी थी. कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 68 सीटों पर तथा भाजपा को 15 सीटों पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में भी वह जीत दोहराएगी. कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति सीटों पर जीत हासिल करने के लिए सुरगजा लोकसभा क्षेत्र में प्रेमनगर विधानसभा सीट से विधायक खेलसाय सिंह को, रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में धर्मजयगढ़ विधानसभा सीट से विधायक लालजीत सिंह राठिया को तथा बस्तर लोकसभा क्षेत्र से चित्रकोट के मौजूदा विधायक दीपक बैज को चुनाव मैदान में उतारा था. 

कांग्रेस ने कांकेर लोकसभा सीट से नए चेहरे बीरेश ठाकुर पर भरोसा जताया था, लेकिन इनमें से केवल बस्तर सीट से दीपक बैज ही चुनाव जीत सके. दीपक बैज ने भाजपा के बैदूराम कश्यप को 38982 मतों से पराजित किया. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी लगभग 32 फीसदी है और राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को आदिवासियों का साथ जरूरी होता है. राज्य के आदिवासी विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के साथ थे वहीं लोकसभा में वे भाजपा के साथ हो गए.

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी जाति ने नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और मोदी प्रभाव ने काम किया जिसके तहत पांच महीने के अंतराल में ही भाजपा को यहां एक बार फिर जश्न मनाने का मौका मिल गया.