बिहार में फिर चाचा – भतीजा की सरकार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने 160 विधायकों के समर्थन के साथ नई सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। शाम करीब 4:00 बजे नितीश, फागु चौहान से मिलने पहुंचे और अपना इस्तीफा सौंप दिया। नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ फिर बिहार में सरकार बनाने जा रहे हैं। बिहार के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद जनता दल यू नेता नीतीश कुमार ने कहा कि हमारे सभी सांसदों और विधायकों के बीच इस बात पर आम सहमति पर है हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए। राजभवन से बाहर आते हुए मीडिया कर्मियों से नीतीश कुमार ने कहा कि वह अब एनडीए गठबंधन से बाहर आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी सांसद और विधायक चाहते थे कि एनडीए गठबंधन छोड़ दिया जाए। उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. फैसला पार्टी का है। उन्होंने बताया कि आरजेडी के साथ नई सरकार बनाएंगे इस दौरान नीतीश कुमार ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। बिहार में पिछले 3 दिनों से जारी राजनैतिक उठापटक का दौर आखिरी दौर में पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री बनने का एक ख्वाब ओर एक (झठा) वादा नितीश को मोदी से दूर कर गया। 2024 की इंतज़ार सबको करनी पड़ेगी और देखना पड़ेगा की यहाँ का फदनवीस कौन ? – राजनैतिक विश्लेषक

  • जब नीतीश राजभवन से सीधे राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे, तो तेजस्वी यादव उन्हें रिसीव करने बाहर तक आए। राबड़ी के घर राजद, कांग्रेस और माले के विधायक मौजूद हैं।
  • पटना में भाजपा ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। मीटिंग में भाजपा कोटे के सभी मंत्रियों और संगठन के नेताओं को भी बुलाया गया है। पार्टी हाईकमान भी इनसे चर्चा कर सकता है।
  • RJD विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने 115 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी नीतीश कुमार को सौंपी है। इसमें नीतीश की अगुआई में सरकार बनाने की बात कही गई है।
  • सूत्रों के मुताबिक नई सरकार के गठन से पहले तेजस्वी ने गृह मंत्रालय मांगा है, जो अब तक नीतीश के पास था। पिछली सरकार में तेजस्वी यादव के पास पथ निर्माण विभाग था।

सारिका तिवारी(राजनैतिक विश्लेषक) डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राजभवन से बाहर निकलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम एनडीए में थे और अब एनडीए के मुख्यमंत्री पद से मैंने इस्तीफा दे दिया है। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाने का फैसला लिया है और इस फैसले के बाद वो राज्यपाल को इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे।  नीतीश कुमार ने सीएम के पद से इस्तीफा देने के साथ ही विधायकों का समर्थन – पत्र भी गवर्नर को सौंप दिया। इससे पहले मंगलवार को महागठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार को समर्थन दिए जाने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम नीतीश कुमार एनडीए(नरेंद्र मोदी) से अलग होंगे।

पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक के बाद जेडीयू ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया, हांलाकि इसका औपचारिक ऐलान होना अभी भी शेष है। इस घटना के बाद नीतीश कुमार राज्यपाल फागू चौहान को इस्तीफा देने पहुंचे। कहा जा रहा था कि किसी भी वक्त नीतीश कुमार अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप सकते हैं लेकिन अंततः राज्यपाल ने मिलने के लिए उन्हें शाम करीब 4 बजे का वक्त दिया। नीतीश कुमार राजभवन अकेल ही इस्तीफा देने पहुंचे। उनके इस्तीफा सौंपने के साथ ही बिहार में नई सरकार के गठन का रास्ता भी साफ हो गया है।

इस बीच बड़ी खबर यह है कि महागठबंधन की नई नीतीश सरकार में दो उपमुख्‍यमंत्री रहेंगे। इनमें आरजेडी से तेजस्‍वी यादव का नाम तय है। सूत्रों के मुताबिक JDU की मीटिंग में नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा हमेशा हमें कमजोर करने की कोशिश की। भाजपा ने मुझे अपमानित किया। 2013 से लेकर अब तक भाजपा ने सिर्फ धोखा ही दिया।

उपेंद्र कुशवाहा, JDU नेता- नए स्वरूप में नए गठबंधन के नेतृत्व की जवाबदेही के लिए नीतीश कुमार को बधाई। आप आगे बढ़िए। देश आपका इंतजार कर कर रहा है।रोहिणी आचार्य, लालू यादव की बेटी- राजतिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं लालटेनधारी।

पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय मंत्री- RJD और JDU की सरकार पहले भी बनी थी लेकिन चल नहीं पाई। फिर ये लोग मिलकर सरकार बना रहे हैं। ये बिहार के विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है। हमारी पार्टी NDA के साथ थी और आगे भी रहेगी।

नीतीश कुमार 2013 में भाजपा और 2017 में राजद से गठबंधन तोड़ चुके हैं। दोनों ही बार उन्होंने सरकार बनाई थी और सूबे के मुख्यमंत्री बने थे।

पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों की ओर से स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ किए गए दुर्व्यवहार मसले पर विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश के आधार पर 14 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। राज्य में जारी सियासी गतिविधि के बीच इस मसले पर भी फैसले लिए जाने की आशंका जताई जा रही है।

दरअसल, आचार समिति की सिफारिश अभी स्पीकर के स्तर पर विचाराधीन है। उस रिपोर्ट में क्या कार्रवाई की अनुशंसा की गई है यह सदन में पेश होने पर ही पता चलेगा, पर सूत्रों की मानें तो 14 आरोपी विधायकों की सदस्यता जाने का खतरा बरकरार है।

देश के पत्रकारों के लिए अभी कठिन समय  है ,इसलिए समाचार प्रेषण में शव्दों के प्रयोग में साबधानी बरतें,अनावश्यक विवाद में ना पड़ें :-रामनाथ विद्रोही

डेमोक्रेटिक फ्रंट, संवाददाता, पटना ,1.अगस्त :

इंडियन जर्नलिस्ट असोसिएशन(आईजेए ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनाथ  विद्रोही ने देश के पत्रकारों से अपील किया है की पत्रकारों के लिए वर्तमान समय सुरक्षित नहीं है इसलिए समाचार सम्प्रेषण के लिए सोंच समझकर शब्दों का चयन करें ,अनावश्यक विवाद में ना पड़ें ! विवाद के कारण आप और आपके पर काफी असर पड़ता है ,विवाद होने पर अखवार चैनलों के मालिक आपको अकेला छोड़ भाग खड़ा होता है !

विद्रोही ने यह सलाह देश के पत्रकारों से  आईजेए पदाधिकारियों के सम्मान समारोह को सम्वोधित करते हुए गोरौल के रामसेवक सभागार में उपस्थित पत्रकारों से कही ! इन्होने कहा की देश के पत्रकार वर्तमान समय में सुरक्षित नहीं है ,देश के विभिन्न भागों में कुछ दिनों में पत्रकारों के साथ घटित घटना के आकलन से यह सावित होता है की देश के किसी भी भाग में ईमानदार पत्रकार सुरक्षित नहीं और ना ही केंद्र और राज्य सरकारे पत्रकार सुरक्षा क़ानून बनाने और लागू करने  में कोई दिलचस्पी ही है !

सरकार गंभीर रहती तो पिछले 18,जुलाई को देश के दर्जनों पत्रकार संगठनों के जॉइंट फोरम को संसद के समक्ष प्रदर्शन नहीं करना पड़ता !

इन्होने देश के पत्रकारों ,पत्रकार संगठनों से अपील किया है की पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने और लागू करने के लिए सरकार के समक्ष अपनी बातों को रखें और सभी को जॉइंट फोरम का हिस्सा बनकर सहयोग करनी चाहिए !

समारोह में आईजेए के पदाधिकारियों पंकज चौहान ,नीलेश कुमार ,संतोष कुमार शर्मा आदि को अंगवस्त्र और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया ! सभा में प्रखंड प्रमुख मुन्ना कुमार राय ,जिला पार्षद रूबी देवी ,पूर्व जिला पार्षद धनमंती देवी ,प्रोo:अनिल पासवान धवन ,धर्मेंद्र कुमार ,कैप्टन डीके शर्मा ने भाग लिया जबकि सभा की अध्यक्षता रामानंद सिंह डाक बाबू ने किया !!

शुक्रवार को बंद रहते हैं किशनगंज के 37 सरकारी स्कूल, झारखंड में भी ऐसा हो चुका

मालूम हो कि किशनगंज जिले के कम से कम 37 सरकारी स्कूलों ने जुमे के लिए रविवार से शुक्रवार तक अपने साप्ताहिक अवकाश को मनमाने ढंग से स्थानांतरित कर दिया है। इस संबंध में बिहार सरकार की ओर से कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। ऐसा झारखंड के जामताड़ा और दुमका के सरकारी स्कूलों में पहले हो चुका है. वहां भी अधिकारियों से उचित अनुमति मांगे बिना स्कूलों द्वारा कथित तौर पर निर्णय लिया गया था। इस मामले पर बोलते हुए दुमका के डीएसई संजय कुमार डार ने मीडिया से कहा कि सभी स्कूलों के नाम में ‘उर्दू’ है, और इस तरह निर्णय के पीछे की स्थितियों की जांच की जाएगी।

  • झारखंड के गिरिडीह व रामगढ़ के बाद किशनगंज में धर्म के आधार पर स्कूलों के नियम
  • बिहार के किशनगंज जिले के 37 स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को छु्टी दी जा रही
  • सरकारी दस्तावेजों में भी जुमे की छुट्टी का जिक्र, मगर अधिकारियों को जानकारी नहीं

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो, पटना/किशनगंज:

झारखंड में मुस्लिमों की बड़ी आबादी वाले जिलों के 100 से अधिक सरकारी स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश की खबरें हाल में ही सामने आई थीं। अब झारखंड की तरह बिहार के 37 स्‍कूलों में रविवार की जगह जुमे यानी शुक्रवार को अवकाश रखे जाने की बात सामने आई है। इन स्कूलों में बच्चे रविवार को पढ़ने आते हैं और शुक्रवार को छुट्टी मनाते हैं। बिहार के किशनगंज जिले में के 19 स्कूलों का मामला सुर्खियों में बना हुआ है जहां शुक्रवार को छुट्टी दी जाती है।

बिहार के किशनगंज जिले में मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक हैं, इसलिए यहां शिक्षा के मंदिर को भी धर्म के आधार पर चलाया जा रहा है। यहां नियम सरकार नहीं बल्कि आबादी नियमों को बना रही है और यह खेल बहुत लंबे समय से चला आ रहा है। सबसे खास बात यह है कि शिक्षा विभाग को इसकी भनक तक नहीं है। किशनगंज मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। लगभग 80 % मुस्लिम आबादी है और यहां आबादी का दबाव सरकारी नियमों व संविधान पर भारी पड़ रहा है। जहां पूरे हिंदुस्तान में स्कूल रविवार को बंद होते है। वहीं किशनगंज में नियम सबसे अलग हैं. यहां के कई स्कूलों में जुमे की छुट्टी होती है।

किशनगंज के 37 सरकारी स्कूल रहते हैं शुक्रवार को बंद 

बता दें कि किशनगंज जिले के 37 ऐसे सरकारी स्कूल हैं जो रविवार को खुले और शुक्रवार को बंद रहते हैं। आखिर रविवार को ये 37 स्कूल किसके आदेश पर खुलते हैं और कब से ऐसा आदेश जारी किया गया इसकी जानकारी ना तो शिक्षा विभाग के पास है और ना ही किसी अधिकारी के पास।  

जिला शिक्षा पदाधिकारी की मानें तो यहां 19 स्‍कूल ऐसे हैं जो किसी सरकारी आदेश के बंद रखे जाते हैं। इन बंद रहने वाले स्‍कूलों को रविवार को खोला जाता है। पदाधिकारी का कहना है कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। जिसे लोगों ने व्‍यवस्‍था मान रखी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्‍ता का कहना है कि सिर्फ किशनगंज ही नहीं बिहार में कई जगह ऐसे कई स्कूल हैं जो शुक्रवार को बंद रखे जाते हैं। इसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है।

वहीं, डीपीओ मोहम्‍मद अशफाक आलम का कहना है कि बिहार के किशनगंज में जब से स्‍कूलों की स्‍थापना हुई है तभी से इन स्‍कूलों को शुक्रवार को बंद रहते हैं। उन्‍होंने स्‍कूलों को बंद करने के नियम पर नवभारत टाइम्‍स डॉटकॉम से कहा कि यह परंपरा स्‍कूलों की स्‍थापना से ही है। मोहम्‍मद अशफाक ने बताया कि लाइन एरिया में सभी स्‍कूलों को बंद रखा जाता है। उन्‍होंने कहा कि जुमा के दिन नमाज के लिए छुट्टी दी जाती है। उन्‍होंने इस सरकारी आदेश का भी जिक्र किया जिसमें सरकारी दफ्तरों में भी नमाज के लिए एक घंटे की छुट्टी का प्रवाधान किया गया था।

बताते चलें, इससे पहले झारखंड के जामताड़ा जिले के कुछ सरकारी स्कूलों में रविवार की बजाय शुक्रवार की छुट्टी दिए जाने की खबर सामने आई थी। दावा किया गया था कि स्कूल के नोटिस बोर्ड पर बकायदा शुक्रवार को जुमे का दिन घोषित करके अवकाश लिखा गया है। वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से उन स्कूलों को उर्दू स्कूल बताते हुए ऐसा कदम शिक्षकों की सुविधा को देखकर उठाया जाना बताया गया था।

इसी महीने की शुरुआत में झारखंड में भी ऐसा ही मामला सामने आाया था। जामताड़ा में लगभग 100 सरकारी स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर शुक्रवार कर दिया गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जुमे के दिन न तो स्टूडेंट्स आते हैं और न ही टीचर। स्कूल की दीवार पर भी शुक्रवार को जुमा लिखा गया है। 

झारखंड के गढ़वा जिले में एक सरकारी स्कूल में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। वहां पढ़ने वाले बच्चे हाथ जोड़कर नहीं, बल्कि हाथ बांधकर ‘तू ही राम है तू ही रहीम है’ प्रार्थना करते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्कूल के अधिकतर बच्चे मुस्लिम समुदाय से आते हैं। गांव में भी 75% आबादी मुस्लिमों की ही है।

गांव वालों ने इसे लेकर प्रिंसिपल योगेश राम पर दबाव बनाया था। प्रिंसिपल ने स्थानीय लोगों के दबाव में पिछले 9 साल से यह सिलसिला जारी रहने की बात मानी थी। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी इसकी शिकायत की थी। 

श्रावण में सजा बाबा हरिहर नाथ दरबार महिमा है अपरम्पार

चन्दन चौबे, डेमोक्रेटिक फ्रंट, वैशाली(बिहार) :

बाबा हरिहर नाथ धाम  की मान्यता है कि भगवान विष्णु के दो भक्त हाथी ( गज ) और मगरमच्छ ( ग्राह ) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। कोनहारा घाट पर जब गज पानी पीने गया तो उसे ग्राह ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध शुरू हो गया। यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा। इस बीच गज जब कमजोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को खत्म कराया।इसी स्थान पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था, इस कारण यहां पशु की खरीददारी को शुभ माना जाता है। इसी स्थान पर हरि ( विष्णु ) और हर ( शिव ) का मंदिर है, जिसे बाबा हरिहर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और बाबा हरिहर नाथ का दर्शन करते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था।अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में हिंदू धर्म के दो संप्रदाय शैव व वैष्णव में अक्सर विवाद हुआ करता था, जिससे समाज में संघर्ष एवं तनाव की स्थिति बनी रहती थी। बताया जाता है कि कालांतर में दोनों संप्रदाय के प्रबुद्ध जनों के प्रयास से इस स्थल पर एक सम्मेलन आयोजित कर समझौता कराया गया और यहां हरि ( विष्णु ) एवं हर ( शंकर ) की संयुक्त स्थापना की गई, जिसे हरिहर क्षेत्र कहा गया।

श्रावण मास में मंदिर की शोभा देखते ही बनती है

श्रावण मास के दुसरी सोमवारी को बाबा हरिहर नाथ दरबार सज चुका है और  पंडित रामु बाबा बताते हैं की महान गाथा और मनोकामना पूर्ण होने के कारण श्रावण मास से लेकर अन्य महिनों में भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और बाबा सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

मिथिलांचल विकास सभा, चण्डीगढ़ की नई कार्यकारिणी गठित

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चण्डीगढ़ :

मिथिलांचल विकास सभा, चण्डीगढ़  की एक बैठक इंडस्ट्रियल एरिया फेस 2 स्थित शिव मानस मंदिर में हुई जिसमें सभी पदाधिकारियों द्वारा सर्वसम्मति से नई कार्यकारिणी का गठन किया गया l इस मौके पर मिथिलांचल विकास सभा के पूर्व अध्यक्ष विनोद झा एवं पूर्व महासचिव दिनेश मिश्रा मुख्य रूप से मौजूद रहे l बैठक में सर्वसम्मति से मनोरंजन झा को अध्यक्ष, मनोज ठाकुर को उपाध्यक्ष, गणेश झा को महासचिव, राजीव झा को  केशियर, संजीव चौधरी को प्रेस सचिव एवं सुभाष झा को ऑडिटर बनाया गया l पूर्व प्रधान विनोद झा ने कहा संस्था लोगो के साथ मिलजुल कर चलती हैं l संस्था का काम हैं लोगों के सुख दुःख में शामिल होना एवं बढ़ चढ़ कर सहयोग करना l झा ने बताया हमने अपना काम सही तरीके से किया हैं व उम्मीद हैं कि नवनिर्वाचित टीम भी लोगों को एक साथ लेकर चलेगी और मिथलांचल के लोगों के हित के लिए हर संभव कार्य करेगी l पूर्व महासचिव दिनेश मिश्रा ने भी नवनिर्वाचित कार्यकरणी टीम को बधाई दी l इस अवसर पर नवनिर्वाचित प्रधान मनोरंजन झा ने उन्हें प्रधान बनने पर संस्था का धन्यवाद किया और कहा जिस उम्मीद से सभी ने मुझे प्रधान बनाया मैं उस पर हमेशा खरा उतरूंगा l मनोरंजन झा ने कहा सभी सदस्यों को एक साथ लेकर और हमारे मिथलांचल के सभी कार्यक्रमों को धूम धाम से मनाया जाएगा l

लोजपा रामविलास के मुख्य प्रवक्ता बनने पर राजेश भट्ट को ब्रहम भट्ट  समाज ने दी बधाई

            चन्दन चौबे, डेमोक्रेटिक फ्रंट, वैशाली – 23 जुलाई :

           ब्रह्मभट्ट समाज के प्रतिभावान बहुआयामी प्रतिभा के धनी ओजस्वी वक्ता राजेश भट्ट को लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास बिहार प्रदेश का मुख्य प्रदेश प्रवक्ता बनाए जाने पर पंडित राजकुमार शुक्ल स्मृति संस्थान वैशाली जिला इकाई के जिला अध्यक्ष संजीव राय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बधाई दी है । श्री राय ने कहा इस मनोनयन से वैशाली जिले के तमाम ब्रह्मभट्ट ब्राह्मण समाज के बीच खुशी की लहर है।  श्री राजेश भट्ट भोजपुर जिले के गडहनी प्रखंड अंतर्गत बालबांध गांव के मूल निवासी हैं।   वे प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लंबे अरसे से सक्रिय  हैं। श्री भट्ट  आकाशवाणी के पटना केंद्र के प्रादेशिक समाचार एकांश में 16 सालों तक अपनी सेवाएं दी हैं। फिलवक्त वे पंडित राजकुमार शुक्ला स्मृति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को भी सुशोभित कर रहे हैं जिसके तहत कई लोक कल्याणकारी सामाजिक कार्य प्रदेश के सभी जिलों में संपादित  किए जा रहे हैं।  उनके वृहद अनुभव और नेतृत्व कौशल क्षमता को देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जमुई सांसद चिराग पासवान के निर्देश पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इन्हें मुख्य प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेवारी सौंपी है।  उक्त मनोनयन को लेकर श्री राय ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी  का आभार व्यक्त किया है। उक्त मनोनयन को लेकर मुख्य रूप से संजीव राय के अलावे कौशल कुंवर धर्मेंद्र कुमार ने बधाई दी है

अर्पिता मुखर्जी की कार हादसे का शिकार, सुनवाई के बाद लेकर जा रही थी ईडी

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पार्था चटर्जी की पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड घोटाले के मामले में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामले की जाँच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में भर्थी पार्था चटर्जी एक डॉन की तरह व्यवहार कर रहे हैं और जाँच में किसी भी तरह का सहयोग नहीं कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती घोटाले में फंसी अर्पिता मुखर्जी को लेकर जा रही कार हादसे का शिकार हो गई। हालांकि यह हादसा बहुत बड़ा नहीं है। सुनवाई के बाद ईडी अर्पिता मुखर्जी को लेकर जा रही थी।

पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना/कोलकत्ता :

पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती घोटाले में फंसी अर्पिता मुखर्जी को लेकर जा रही कार हादसे का शिकार हो गई। हालांकि यह हादसा बहुत बड़ा नहीं है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट में सुनवाई के बाद ईडी अर्पिता मुखर्जी को लेकर सीजीओ कॉम्पलेक्स जा रही थी। इसी दौरान कार हादसे का शिकार हो गई। हादसे में अर्पिता मुखर्जी पूरी तरह से सुरक्षित बताई जा रही हैं। 

लोकतंत्र की जननी – वैशाली आधा सच आधा फ़साना

महाभारत काल से ही वैशाली को इतिहास का पता चलता है। वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि “रिपब्लिक” कायम किया गया था। वैशाली के कई संदर्भ जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों में पाए जाते हैं, जिसमे वैशाली और अन्य महाजनपदों के बारे में जिक्र है। इन ग्रंथों में मिली जानकारी के आधार पर, वैशाली को गणराज्य के रूप में 6 वीं शताब्दी ई.पू. तक गौतम बुद्ध के जन्म से पहले 563 में स्थापित किया गया था, जिससे यह विश्व का पहला गणतंत्र बना। पिछले जैन “तीर्थंकारा” भगवान महावीर के जन्मस्थान होने के नाते, वैशाली को इतिहास में एक विशेष स्थान दिया गया था। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने अपना आखिरी उपदेश दिया और इस पवित्र भूमि पर अपनी पारिनीवणा (ज्ञान की प्राप्ति) की घोषणा की। यह अम्बपाली(आम्रपाली) की भूमि के रूप में भी प्रशिद्ध है, जो एक महान नृत्यांगना थी। यह माना जाता है कि जिला को राजा विशाल से अपना नाम मिला है। हालांकि, इतिहास के अनुसार पाटलीपुत्र गंगा के मैदानी इलाकों में राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र था, वैशाली गंगा के केंद्र के रूप में अस्तित्व में आया, यह वाजजी गणराज्य की सीट थी। वैशाली को प्रतिनिधियों की एक विधिवत चुने विधानसभा और कुशल प्रशासन के लिए विश्व का पहला गणराज्य होने का श्रेय दिया जाता है।

 चंदन चौबे ,डेमोक्रेटिक फ्रंट, वैशाली, बिहार – जुलाई 22 :

 चंदन चौबे 

एक जिला है वैशाली जो बिहार में स्थित है जिसे लोकतंत्र की जननी भी कहते हैं आज विश्व में जिसके लोकतंत्र को अपनाया जा रहा है जिसने विश्व को गणतंत्र का पाठ पढ़ाया जी हां वहीं है वैशाली आप सब ये सोच रहे होंगे की वैशाली जहां से लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्वनेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्‍छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरुआत की गयी थी। यहां का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता था।  प्राचीनकाल में वैशाली बहुत ही समृद्ध क्षेत्र हुआ करता था। कहा जाता है कि इस नगर का नामकरण राजा विशाल के नाम पर हुआ है। विष्णु पुराण के अनुसार यहां पर लगभग 34 राजाओं ने राज किया था। पहले नभग और अंतिम सुमति थे। राजा सुमति भगवान राम के पिता राजा दशरथ के समकालीन थे।  बौद्धकाल में यह नगरी जैन और बौद्ध धर्म का केंद्र थी। यह भूमि महावीर स्वामी की जन्मभूमि और भगवान बुद्ध की कर्मभूमि है। इसी नगर क्षेत्र के बसोकुंड गांव के पास कुंडलपुर में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। भगवान महावीर वैशाली राज्य में लगभग 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। यहां कई अशोक स्तंभ के अलावा कुछ बौद्ध स्तूप है और यही 4 किलोमीटर दूर कुंडलपुर में जैन मंदिर भी स्थित हैं। जिसकी महानता इतनी है उसकी महानता को और स्मृतियों को डूबाया क्यूं जा रहा?

लोकतंत्र के पुजारियों का ध्यान क्यूं नहीं लोकतंत्र की जननी पर –

वैशाली की महानता किसी से छिपी नहीं है सम्पूर्ण विश्व जानता है देश की धरोहरों में से एक कही जाने वाली वैशाली पर किसी लोकतंत्र के पुजारियों पर क्यूं नहीं जा रही वैशाली जिले के महान क्रांतिकारी स्व अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल जी ने शहीद भगत सिंह के मौत का बदला लिया जब देश में भगत सिंह के मौत के खिलाफ बदले की आग देशवासियों के मन में जगह बना रही थी वैसे वैशाली पर‌ किसी का ध्यान नहीं 

चुनावी मंच तक ही सीमित है वैशाली जिले की महानता- 

वैशाली जहां से स्व रघुवंश बाबू, स्व रामविलास पासवान एवं वर्तमान में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय व कई महान नेताओं की भूमि है जहां से देश के विकास में अहम भागीदारी होती है बावजूद इसके वैशाली की स्मृतियों व वैशाली का अद्भुत ज्ञान, त्याग,प्रेम व अमूल्य धरोहर पर नेता ध्यान नहीं दे रहे न ध्यान दें रही है सरकार चुनाव में व बड़े मंच से नेतागण व वर्तमान प्रधानमंत्री  व मुख्यमंत्री ने अनेकों बार वैशाली के जनता को लुभाने के लिए वैशाली की महानता को दर्शाया हर भाषण स्वयं को लोकतंत्र के पुजारी और भारतीय संविधान के अनुयाई बताने वाले नेताकभी भी ना ही लोकतंत्र की रक्षा करते हैं ना ही संविधान का सम्मान अब वैशाली की स्थिति को देखकर ये प्रतीत होता है की ये हर रोज हजारों बार लोकतंत्र की हत्या और संविधान का विरोध किसी न किसी रूप करते हैंवो दिन दूर नहीं जब हम अमूल्य व महान वैशाली की स्मृतियां सिर्फ यादों और किताबों तक सिमट कर रह जाएगी। 2022 में यास तुफान में वैशाली के तमाम स्मृतियों का किया था बुरा हाल-यास तुफान में वैसे तो बिहार के तमाम जगहों की स्थिति बुरी थी अगर बात करें वैशाली की स्मृतियों की तो घूटने भर गंदे पानी से लबालब भरा वैशाली के पार्क व राजा विशाल गढ़ व अन्य स्मृतियों की स्थिति देखते ही बनती थी पर पर्यटन विभाग से लेकर स्थानीय नेता व सरकार किसी का ध्यान वैशाली पर नहीं गयाहमेशा के तरह फिर चुनाव होंगे फिर बयानबाजी होगी फिर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री का आगमन होगा सब वादों पर एक वादा सिमट जाएगा और नहीं ध्यान आकृष्ट कर पाएगी लोकतंत्र की जननी वैशाली 

राष्ट्रपति चुनाव आज

राष्ट्रपति चुनाव एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा भारी माना जा रहा है। उन्हें बीजद, वाईएसआरसीपी, बसपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, जद (एस), शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झामुमो जैसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिला है। द्रौपदी मुर्मू का वोट शेयर लगभग दो-तिहाई तक पहुंचने की संभावना है।  

पियूशा पयोधि, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं और सोमवार को संसद भवन व राज्यों की विधानसभाओं में इसके लिए वोट डाले जाएंगे। देशभर के करीब 4,800 विधायक और सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे। वोटों के गणित में पक्ष और विपक्ष के बीच बने बड़े फासले को देखते हुए राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का देश की अगली राष्ट्रपति चुना जाना तय है। वह आदिवासी समुदाय की देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली शख्सियत होंगी।

21 जुलाई को परिणाम घोषित होने के बाद 25 जुलाई 2022 को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होगा। आज होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। संसद भवन के कमरा नम्बर-63 में 6 बूथ बनाए गए हैं। जिसमें एक दिव्यांग वोटर के लिए है। अलग-अलग राज्यों के कुल 9 विधायक संसद भवन में वोट करेंगे। यूपी से 4, त्रिपुरा से 2, असम से 1, ओडिसा से 1, हरियाणा से 1 जबकि 42 सांसद विधानसभाओं में वोट करेंगे।

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं। मुर्मू अनुसूचित जनजाति से संबंधित दूसरी व्यक्ति हैं, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया है। उन्होंने इससे पहले 2015 से 2021 तक झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव में जीतती हैं तो वे राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी।

पीएफआई की तुलना RSS से करने पर पटना के SSP मानवजीत सिंह ढिल्लो पर भड़की बीजेपी, बताया- मानसिक दिवालिया

पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में बड़े आतंकी माड्यूल का उद्भेदन किया गया है। आतंकी भारत को इस्‍लामी राष्‍ट्र बनाने के मिशन  पर काम कर रहे थे। उनके निशाने पर नुपूर शर्मा तथा अन्‍य लोग भी थे। आतंकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना आने के दिन किसी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। इसी बीच सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक लग गई और पुलिस ने कार्रवाई कर दी। एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। हर मुद्दे पर मुखर रहने वाले बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों “दिमागी तौर पर दिवालिया हो गए हैं। बचौल ने सरकार से मांग की उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाए।”

पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना :

पटना पुलिस ने बड़े टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनका संबंध PFI से बताया जा रहा है। लेकिन इसी बीच पटना के SSP मानवजीत सिंह ढिल्लो ने PFI की तुलना RSS से कर दी, जिसके बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए। इस मामले में अब पटना SSP को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो की थ्योरी पूरे मामले को हल्का बना रही है। जबकि संदिग्ध आतंकियों के मंसूबे बेहद खतरनाक थे। फुलवारी शरीफ के एएसपी मनीष कुमार सिन्हा ने बुधवार को बताया था कि आईबी की सूचना के आधार पर 11 जुलाई को नया टोला नहर स्थित अहमद पैलेस में मोहम्मद जलालुद्दीन के मकान में छापेमारी की गई, जो झारखंड पुलिस का रिटायर सब इंस्पेक्टर है। इसके अलावा फुलवारी शरीफ के गुलिस्तान मोहल्ला के रहनेवाले अतहर परवेज के यहां पुलिस ने दबिश दी, जो प्रतिबंधित संगठन सिमी का पूर्व सदस्य भी है। अतहर परवेज, सिमी के अभियुक्तों का बेल कराते रहा है। फिलहाल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के सक्रिय सदस्य है। संगठन की आड़ में ये दोनों (मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज) देश विरोधी बैठक करते थे। इसमें स्थानीय, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के PFI/SDPI के सक्रिय सदस्य भाग लेते रहे हैं। इन बैठकों में सांप्रदायिकता और देश विरोधी जहर उपस्थित लोगों के दिमाग में भरने का काम किया जाता था।

पूरे मामले पर पटना के सीनियर पुलिस ऑफिसर मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि ‘इसका जो मॉडस (उद्देश्य) था कि ये लोग…जैसे शाखा होती है आरएसएस की…आरएसएस की शाखा में लाठी की ट्रेनिंग देते हैं। उसी तरह से ये लोग शारीरिक प्रशिक्षण…फिजिकल एजुकेशन के नाम से ये लोग अपने यूथ को बुलाते और प्रशिक्षण दे रहे थे और उसी के साथ अपना जो एजेंडा है…प्रोपेगेंडा है…उसके माध्यम से यूथ का ब्रेनवॉश करने का काम कर रहे थे।’ जबकि फुलवारीशरीफ स्थित नया टोला इलाके में मार्शल आर्ट और शारीरिक प्रशिक्षण की आड़ में देश विरोधी गतिविधियां चल रही थी। सुरक्षा बलों ने मौके से रिटायर्ड दारोगा और सिमी के पूर्व सदस्य को गिरफ्तार किया था। 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रची जा रही थी। मगर पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो को लगा कि RSS की तरह यूथ को शारीरिक प्रशिक्षण दिया जा रहा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 जुलाई को पटना दौरे पर थे। इससे कुछ घंटों पहले ही संदिग्ध आतंकी अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को गिरफ्तार किया गया। दो दिन बाद जब पटना एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो मीडिया से सामने आए तो विवादित बयान दे दिए। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की तुलना राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) से कर दी है। उन्होंने कहा कि पकड़े गए लोग सिमी के कार्यकर्ता रहे हैं। जिस तरह आरएसएस की शाखा में स्वयं सेवकों को शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है, उसी तरह पकड़े गए लोगों को भी मस्जिद में ट्रेनिंग दी जा रही थी। जबकि जिन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया वो भारत को साल 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का खतरनाक मंसूबा पाले थे। उस पर काम कर रहे थे। इनमें अतहर परवेज सिमी का पूर्व सदस्य रहा है। साल 2001, 2003, 2013 में बिहार में जो भी आतंकी घटनाएं हुई हैं, उसमें अतहर ने गिरफ्तार लोगों के बेलर बनने का काम किया। वो पिछले दो साल से PFI-SDPI का सदस्य है। मोहम्मद जलालुद्दीन झारखंड में दारोगा रह चुका है।

पटना पुलिस के नए खुलासे के मुताबिक 6 और 7 जुलाई को जलालुद्दीन के मकान में स्थित PFI कार्यालय में मार्शल आर्ट/ शारीरिक शिक्षा के नाम पर साजिश रची गई थी। देश विरोधी अस्त्र/शस्त्र की ट्रेनिंग देने, धार्मिक उन्माद फैलाने और आतंकवादी गतिविधि करने की बात सामने आई है। काफी गोपनीय ढंग से ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल लोगों को निर्देश दिया गया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में जाकर अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षित, प्रेरित और उन्मादित करें। इसमें बिहार के अलावा कई राज्यों के चरमपंथी और सांप्रदायिक लोग शामिल हुए थे। खुफिया विभाग से मिले इनपुट के आधार पर पटना पुलिस ने छापामारी की। यहां से पीएफआई का झंडा, पम्पलेट, बुकलेट और गुप्त दस्तावेज मिले। इनमें 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का रोडमैप भी मिला। मुहिम चलाने से संबंधित दस्तावेज मिशन-2047 बरामद किया गया। अब पुलिस इनके आगे की लिंक खंगाल रही है।

प्रतिबंधित संगठनों ने भारत को ध्यान में रखकर ‘मिशन इस्लाम 2047’ तैयार किया है। इसका मुख्य मकसद 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना है। मिशन को सफल बनाने के लिए कई स्तर की प्लानिंग की गई है। उदाहरण के तौर पर देश के अलग-अलग कोने से ऐसे लोगों का चयन करना जो इस तरह की सोच को सपोर्ट करते हैं। ऐसे लोगों का चयन कर उन्हें विशेष ट्रेनिंग देना। ट्रेंड लोग समाज में जाकर अपने तर्कों से लोगों की सोच बदलने का काम करेंगे। ट्रेनिंग के दौरान दो समुदायों के बीच विद्वेष फैलाने का काम करना है।