श्राद्ध श्रद्धा का विषय है, प्रश्न हमारी आस्था पर ही क्यों?

पीयूष पियोधी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, अध्यात्मिक डेस्क – 23 सितंबर

सबसे पहले कुछ पुरानी बातें :

सा’ब को भोत बुरा लगता कि सनातनी मरणोपरान्त पितृपक्ष में श्राद्ध करते हैं – पिण्ड-तर्पण अर्पण करते हैं …

अपमानित-तौहीन करने के विचार-ख्याल से विद्वान कर्मकाण्डी को दरबार में बुलवाया और अपनी आपत्ति – एतराज जाहिर किया

पण्डित जी मुस्काये – सा’ब आपके वालिदान-पुरखों को कोई गाली दे तो उनको लगेगी  ?

 सा’ब तमतमा गये, बोले – उनको लगे कि न लगे मुझे तो बहुत बुरा लगेगा और गुस्ताख़ को  सजा मुकर्रर कर दूँगा ..

पण्डित जी बोले – पितरों को किया तर्पण उनको मिले कि न मिले पर हमारी अपनी प्रसन्नता के लिये, कृतज्ञता-ज्ञापन के लिये यदि हम करते हैं – शास्त्र-सम्मत विधि से तो उसमें आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिये !

श्राद्ध श्रद्धा का विषय है …

अब अगली बात

अंत्येष्टि का रहस्य

सोलह संस्कारों का यह अन्तिम संस्कार है ।

पर इस“ अंत्येष्टि” शब्द में एक गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है , जो संभव है की कुछ लोगों को नहीं पता होगा ।

यह अंत्येष्टि शब्द दो शब्दों अंत्य + इष्टि”  में गुण संधि के द्वारा बना है ।

अब जो पंथ , यज्ञ को संस्कार नहीं मानते पर अंत्येष्टि करते हैं उनके लिए भी जानने की बात है की इष्टि का निरुक्त  “यज्ञ”  होता है ।

अब एक शब्द “अंत्याक्षरी” (यह एक प्राचीन खेल है)  समझ लें जिससे अंत्येष्टि समझने में सहायता मिलेगी ।

अंत्याक्षरी में अंतिम अक्षर , समाप्त करने के लिए नहीं होता बल्कि उसी अन्तिम अक्षर से कविता आरम्भ करने के लिए होता है ।

ठीक वही भावना है अंत्येष्टि में । अंतिम यज्ञ पुनः नव यज्ञ का आरम्भ है । और वह आरम्भ वहीं से होता है जहाँ तक वह जीव पहुँच चुका होता है ।

अपने इसी जीवन को यज्ञ स्वरूप बनाएँ । हृदय में सीता राम धारण करें…

श्राद्ध करते हो अर्थात मानते हो कि देह , आत्मा से भिन्न है । और यह बताने के लिए हर गाँव में हमें स्कूल नही खोलना थाहमें दुकान नही चलानी थी ।

जो लोग भी आज बक बक करते हैं कि सनातन धर्म ने हर गाँव में वेदों को सिखाने का प्रयास क्यो नही किया ।

तो, भैया , हमने हर गाँव में नहीं बल्कि हर मनुष्य के हृदय में ज्ञान देने का प्रयास किया । पर तुम, संसार जो कभी भी पकड़ा नहीं जा सकता उसको पकड़ने के लिए भाग रहे हो , और तुम्हारी आत्मा जो सदैव तुम्हारे साथ है उसके साक्षात्कार की तुम्हें चिंता ही नहीं है ।

सभी संस्कार तुम्हारे अद्वितीय होने की सूचना देते है । तुम्हीं ब्रह्म हो । जगो ।

अब अंतिम पक्ष…..

सनातन धर्म का रहस्य”

01. जब आप , अपने पितामह , पर पितामह या पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं तो आपके बच्चे को पता चलता है की आत्मा , देह से अलग है ।सब कुछ पेट ही नहीं है ।

02. इंद्रिय का अर्थ “इंद्र का” अर्थात देवताओं का , जब आप अपनी इंद्रियों को बलशाली बनाते हैं , विभिन्न उपायों के द्वारा , वह देव पूजा है ।

03. जब आपको ज्ञान लेना होता है तब गीता , वेद , पुराण इत्यादि का सहारा लेते है और यह एक प्रकार की ऋषि पूजा है ।

04. जब आप चलकर मंदिरों में जाते हैं और उस मंदिर की मूर्ति को , वहाँ के विधि अनुसार मूर्ति पूजा करते हैं वह इश्वर के सर्वत्र होने का भाव प्रकट करता है ।

05. जब आप इश्वर के विवृति अभिन्न निमित्तोपादान कारण द्वारा अवतार की पूजा करते हैं वह आपके द्वारा इश्वर के वात्सल्य भाव की पूजा है ।

06. और यह सब करते हुए आप अपना अंत: करण शुद्ध करते हुए स्वंयम का स्वरूप जानने का प्रयास करते हैं । यह सब सनातन के अंग हैं । इसमें से किसी एक को न मानने वाला हिन्दु आपका शत्रु नहीं है ।

जीवन में IIT, IIM, IAS, बीस कोठियाँ , बैंक बैलेंस बनाइए पर उपर बताए हुए 6 बिंदुओं पर भी ध्यान रखिए ।

नोट: कुछ लोगों ने अभिन्न निमित्तोंपादान कारण की व्याख्या पूछी है , जो इस प्रकार से है ।

अभिन्न निमित्तोपादान”

पिता ( कार्य ) होता है और पुत्र ( कारण ) , परन्तु वही पुत्र कालांतर में  ( स्वंय कार्य ) बन जाता है और उसका पुत्र , कारण ।

और दूसरे ढंग से देखिए । बीजांकुरण न्याय की दृष्टि से । बीज को आजकल (-30 डिग्री ) पर भी भविष्य के लिए सुरक्षित करके रखा जा रहा है , क्योकि यह बात सर्व सिद्ध है की उस बीज में वृक्ष बनने का संस्कार निहित है अर्थात बीज ( कार्य ) और वृक्ष ( कारण) रूपी गुण प्रकृति में निहित है । और उचित वातावरण , खाद जल प्रकाश तापमान आदि मिलने पर उसमें स्फुरण होगा ।

जब हम “अभिन्न” कहते है तो इसका अर्थ इस कार्य और कारण से भिन्न है अर्थात कार्य कारणातीत है । अर्थात यह विश्व प्रपंच में जो भी कार्य कारण है , परमात्मा उससे कारणातीत है ।

पर अभिन्न , तत्व से भिन्न नहीं है । तत्व के समान नहीं , तत्व से अभिन्न ।

जैसे एक बूँद सागर का जल पूरे के सागर के समान शक्तिशाली नहीं होता पर गुण में एक समान अर्थात अभिन्न होता है ।

निमित्त , एक कुम्हार ही घड़ा बना सकता है अत: कुम्हार , घड़े का निमित्त कारण है ।

और मिट्टी उस घड़े का “ उपादान “ कारण है , क्योकि घड़ा वास्तव में मिट्टी ही है ।

अत: अभिन्न निमित्तोंपादान का अर्थ , जीव भी वही , जगत भी वही और जगदीश्वर भी वही ।

घड़ा भी वही, मिट्टी भी वही, कुम्हार भी वही ।

अब एक और बात (अंतिम नहीं)…….

सवाल हमारी आस्था पर ही क्यों?

अगले माह ईसाइयों का हैलोवीन त्यौहार आने वाला है, जिसमें वे अपने मृत पूर्वजों को याद करते हैं।इस त्यौहार में लोग मृत्यु या मृतकों का संकेत देने वाली वस्तुओं से लोग अपने घरों को सजाते हैं। इनमें कंकाल, चुड़ैल, भूत-प्रेतों वाले मुखौटे, मकड़ियां और कटे हुए हाथ-पैर आदि कई प्रकार की वीभत्स चीजें होती हैं।इन दिनों वहां के लगभग सभी बड़े स्टोर हैलोवीन के सामान से पटे हुए हैं। यूरोप, अमरीका और कनाडा जैसे आधुनिक और विकसित समझे जाने वाले देशों में भी आज तक वहां के लोग अपने त्यौहारों को अपनी परंपराओं के अनुसार पूरे उत्साह व धूमधाम से मना रहे हैं। कोई इसे अंधविश्वास नहीं कहता और न कोई इसका वैज्ञानिक आधार पूछकर किसी की आस्था का मजाक उड़ाता है।

इधर दूसरी ओर भारत में कई नमूने हैं, जो लगभग हर सनातन धर्म (हिन्दू ) त्यौहार के खिलाफ कोई न कोई सवाल उठाते हैं और कभी पर्यावरण के नाम पर, कभी अंधविश्वास मिटाने के नाम पर, तो कभी किसी और बहाने से हमारे त्यौहारों को मिटाने में लगे रहते हैं। इन दिनों पितृ-पक्ष चल रहा है तो उस पर भी सवाल उठाने वाले या पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने वालों को अंधविश्वासी बताने वाले कई लोग आपको भी दिखते होंगे।

मेरा सुझाव है कि ऐसे कुंठित लोगों को उनके हाल पर छोड़ दें। उन्हें किसी बात का वैज्ञानिक आधार बताने या किसी त्यौहार का अर्थ समझाने के फेर में पड़कर अपना समय बर्बाद न करें क्योंकि ऐसे लोग कुछ जानने समझने के लिए सवाल नहीं पूछते हैं, बल्कि केवल आपकी आस्था को ठेस पहुंचाने या आपको अपमानित करके स्वयं प्रसन्न होने के लिए ही ऐसे सवाल पूछते हैं। आप इनकी उपेक्षा कीजिए और अपनी आस्था पर अडिग रहिए।

सैकड़ों वर्षों के अन्याय, अत्याचार और गुलामी के कालखंड में भी हमारे और आपके पूर्वज सारे संकटों का सामना करते हुए भी अपने धर्म, संस्कृति और आस्था पर अडिग रहे, इसीलिए आप और मैं आज भी गर्व से स्वयं को सनातन धर्म (हिन्दू ) कह पा रहे हैं और अपनी आस्था का पालन कर पा रहे हैं। हम सबके पूर्वजों के प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए। मैं उन सबको प्रणाम करता हूं।

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का दिल्ली AIIMS में निधन

 

            राजू श्रीवास्तव दिल्ली के एक होटल में रुके थे और वहीं के जिम में वह वर्कआउट कर रहे थे। वर्कआउट के दौरान राजू की तबीयत बिगड़ गई थी और ट्रेडमिल पर गिर पड़े थे। राजू को फिर तुरंत एम्स में भर्ती कराया गया, जहां कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में उनका इलाज चल रहा था। राजू के करीबियों ने जानकारी दी थी कि उनको ब्रेन इंजरी हो गई थी। हार्ट अटैक के बाद गिरने से काफी देर तक दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंची थी। डॉक्टर्स ने बताया था कि उनको होश में आने में वक्त लग सकता है। इलाज के बीच उनकी बॉडी में कुछ मूवमेंट की रिपोर्ट्स भी थीं।

  • कॉलेज में महसूस हो चुका था कि वह अच्छे कॉमेडियन बन सकते हैं
  • अमिताभ बच्चन उनके पहले आदर्श थे और उनकी खूब मिमिक्री भी की
  • लालू यादव के सामने जब उनकी नकल उतारी तो वह भी खूब हंसेराजू श्रीवास्तव ने मुंबई में कुछ समय के लिए ऑटो भी चलाया
  • तेजाब, मैंने प्यार किया, बाजीगर, आमदानी अठन्नी खर्चा रुपैया जैसी फिल्मों में उनके रोल थे
  • 80 के दशक में कॉमेडियन बनने मुंबई पहुंचे राजू श्रीवास्तव के हुनर को बहुत देर से पहचान मिली

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली  –  21 सितंबर :

            श्रीवास्तव की बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की खबरें बनते-बनाते आखिरी खबर आ गई। बुधवार सुबह 10 बजे के करीब दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया। उमर 58 साल थी। दिल्ली में ही 10 अगस्त को एक्सरसाइज करते उन्हें हार्ट अटैक आया था। उसके बाद से ही एम्स में भर्ती थे। इलाज में पता चला था कि दिल के एक हिस्से में 100% ब्लॉकेज है।

                        पत्रकार विकास भदौरिया ने भी ट्वीट कर इस खबर की पुष्टि की है। उन्होंने लिखा, “एम्स से बुरी खबर आ रही है, राजू श्रीवास्तव का निधन हो गया है। प्रभु उन्हें श्रीचरणों में स्थान दे। ॐ शांति शांति शांति।”

            बता दें कि 10 अगस्त 2022 की सुबह एक्सरसाइज करते वक्त राजू श्रीवास्तव बेहोश होकर गिर गए थे। इसके बाद उन्हें एम्स लाया गया था। वहाँ डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। इसके कारण उनका ब्रेन डैमेज हो गया और उन्हें एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी।

            पिछले 10 साल में उनकी 3 बार एंजियोप्लास्टी हो चुकी थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके निधन के खबरें वायरल हुई थीं। इसको देखते हुए उनके परिजन और बॉलीवुड के पूर्व अभिनेता एवं महाभारत में भीष्म पितामह का किरदार निभाने वाले मुकेश खन्ना ने तब इसका खंडन किया था। इतने दिनों तक मौत से लड़ने के बाद आज वो हार गए। सबको हँसाने वाले आज बहुतों को रुला गए।

 

छठ पूजा त्यौहार की तैयारियों को लेकर बैठक आयोजित

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चण्डीगढ़ –  19 सितंबर  : 

            चण्डीगढ़ पूर्वांचल वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक में अगले माह आने वाले छठ पूजा त्यौहार की तैयारियों को लेकर एक बैठक आयोजित हुई जिसमें फ़ैसला लिया गया कि 30 अक्तूबर को सेक्टर 42 स्थित सन लेक पर हर साल की तरह ही महापर्व छठ पूजा त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाएगा।

            संस्था के वरिष्ठ सदस्य  सुनील गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि घाट पर पहुचने वाले श्रद्धालुओं व व्रतियों के लिए सभी मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रशासन के साथ मिलकर पहले से पुख्ता इंतज़ाम किये जाने बारे में चर्चा हुई।

            बैठक में डीके सिंह, राजिंदर सिंह, डॉ. एसडी पांडे, यूके सिंह, विक्रम यादव, गोविन्द राव व भोला रॉय आदि भी शामिल रहे। 

बदल गए दोस्त और सियासी दुश्मन, जानिए नीतीश का ये दिल्ली दौरा क्यों है

चुनाव के चाणक्य कहे जाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर से चर्चा में हैं। उन्होंने बिहार की राजनीति को लेकर बड़ा बयान दिया है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आने वाला है। बड़ी उटल फेर की संभावना है। उनके इस बयान से सब का ध्यान उनकी तरफ एक फिर से खींच गया है। प्रशांत किशोर सुराज यात्रा के दौरान हाजीपुर में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की राजनीति अभी 180 डिग्री घूमी है। पीछे क्या चल रहा है यह किसी को पता नहीं है। अभी देखिए प्रदेश की राजनीति कितनी बार घूमेगी। पीके ने दावा किया है कि वो 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में हवा का रुख सुराज की ओर मोड़ देंगे।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सीतामढ़ी/नयी दिल्ली – 05 सितंबर :

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने जोर देकर कहा कि बिहार में हालिया उथल-पुथल (सत्ता परिवर्तन) ‘राज्य केंद्रित’ घटना थी, और इससे राष्ट्रव्यापी प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। स्पष्ट है कि उन्होंने पिछले महीने जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के बीजेपी से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ महागठबंधन सरकार बनाने के घटनाक्रम की ओर इशारा करते हुए यह बात कही।  उन्होंने विपक्षी एकता कायम करने के लिए नीतीश कुमार के तीन दिन के दिल्ली दौरे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बिहार पर शासन करने के लिए जनादेश मिला है, और यही उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके अलावा, यहां जो हुआ है वो एक राज्य पर केंद्रित घटना है, जिसका कोई राष्ट्रव्यापी प्रभाव होने की संभावना नहीं है।

सोमवार को अपने जन सुराज अभियान में सीतामढ़ी पहुंचे पीके ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया बागी रुख ‘राजनीतिक अस्थिरता’ का प्रतीक है, जिसका सामना बिहार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘नई बीजेपी’ के उदय के बाद से कर रहा है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि हम केवल एक बात निश्चित रूप से कह सकते हैं कि कुछ भी हो, नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज रहेंगे जैसे कि वो इतने वर्षों से करते आ रहे हैं।

किशोर को चार साल पहले हफ्तों के भीतर ही जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया था और सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद पर तीखे मतभेदों के बाद दो साल से भी कम समय में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। 

किशोर ने दावा किया, मैं आपको लिखित रूप में दे सकता हूं कि बिहार में अगले विधानसभा चुनाव के लिए 2025 में एक और गठबंधन होगा। हम नहीं जानते कि कौन सी पार्टी या नेता किस तरफ उतरेगा। लेकिन वर्तमान परिदृश्य बदल जाएगा। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी के शानदार अभियान के लिए आईपैक को श्रेय दिया गया था। 

जेल जाएंगे नीतीश के पूर्व मंत्री कार्तिक सिंह! अपहरण केस में खारिज हुई जमानत

कार्तिकेय कुमार को अपहरण के एक मामले में कथित संलिप्तता के बावजूद विधि मंत्री बनाए जाने पर विपक्ष ने आपत्ति जताई थी और उनके इस्तीफे की मांग की थी। इसके बाद मंगलवार को उनका विभाग बदल दिया गया था और उनसे विधि विभाग लेकर गन्ना विभाग सौंपा गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्तिक कुमार का इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी है।

पटना(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट – 01 सितंबर :

बिहार के पूर्व मंत्री कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय कुमार सिंह के खिलाफ दर्ज अपहरण मामले में पटना के दानापुर कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया है। एडीजे अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कार्तिक कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी। अब उनपर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा गया है। बता दें कि इस केस में विवादों के चलते कार्तिकेय कुमार ने नीतीश कैबिनेट से बुधवार को इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे से पहले सीएम नीतीश कुमार ने उनका विभाग भी बदला था। उन्हें कानून मंत्री से हटाकर गन्ना उद्योग मंत्री बनाया गया था।

कार्तिकेय कुमार सिंह के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज है और इसी वजह से कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था और 16 अगस्त को सरेंडर करने के लिए कहा था। विवाद उस समय उठा जब बाहुबली कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) को सरेंडर कराने के बजाय उसी दिन कानून मंत्री पद की शपथ दिला दी गई थी।

इससे पहले इस्तीफे पर चुप्पी तोड़ते हुए कार्तिकेय ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला था। कार्तिकेय सिंह ने कहा कि भूमिहार समुदाय के एक मंत्री को भाजपा बर्दाश्त नहीं कर सकी। वे मेरी छवि खराब करना चाहते हैं, मैं 28 साल से सरकारी शिक्षक हूं। मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है और न्याय मिलने की उम्मीद है। मैंने इस्तीफा दिया क्योंकि यह सब हमारी सरकार की छवि खराब कर रहा था। 

दरअसल, साल 2014 में एक शख्स का अपहरण हुआ था। इस मामले में कार्तिकेय सिंह भी आरोपी हैं। उनके खिलाफ अदालत ने वारंट जारी किया है। उन्हें 16 अगस्त को पेश होना था लेकिन वे उस दौरान शपथ ले रहे थे। कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है।

चुनावी हलफनामे में कार्तिकेय ने अपने ऊपर चार मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। इन मामलों में उनके ऊपर चोरी, अपहरण, दंगा करने, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, आपराधिक साजिश रचने, जबरन वसूली, घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करने से जुड़े आरोप हैं। इसके साथ ही  सार्वजनिक सड़क, पुल, नदी या चैनल को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप उनके ऊपर है।

हाथ में तिरंगे के बावजूद लाठी बरसाते रहे ADM

डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे TET-STET पास अभ्यर्थियों पर हुई लाठीचार्ज की घटना को लेकर बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि यह घटना बताने के लिए काफी है कि नौकरशाही का एक हिस्सा बेहद अलोकतांत्रिक हो चुका है। उन्होंने कहा कि नौकरशाह लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलते हुए आगे बढ़ने लगे हैं। जबकि हम सब जानते हैं कि रोजगार मांगना ना तो गैरकानूनी कृत्य है और ना ही रोजगार के लिए प्रदर्शन करना गैरकानूनी है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट (ब्यूरो) पटना :

पटना में सोमवार को पुलिस ने बेरोजगार शिक्षक कैंडिडेट्स के प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज कर दिया। पटना के ADM केके सिंह ने तिरंगा लिए एक प्रदर्शनकारी पर जमकर लाठी बरसाई। इतनी लाठियां मारीं कि उसका खून बहने लगा। बाद में एक पुलिसकर्मी ने प्रदर्शनकारी से तिरंगा छीन लिया। मामले पर डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने कहा है कि ADM को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। जांच का आदेश दिया जा चुका है।

विरोध प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने बताया कि सरकार बनने से पहले डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कहते थे कि मेरी सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में बहाली की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अब तो सरकार राजद और जदयू की बन चुकी है। अब तो हम लोगों के लिए तेजस्वी यादव को सोचना चाहिए. लेकिन, ऐसा नहीं किया जा रहा है। हम लोगों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है। अभ्यार्थियों ने कहा कि सातवें चरण के नियोजन के नोटिफिकेशन को लेकर सरकार गंभीर नहीं दिख रही है।

करीब 5 हजार CTET और BTET पास कैंडिडेट डाक बंगला चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। पटना DM ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है और 2 दिन में रिपोर्ट मांगी है। ये कैंडिडेट्स सातवें चरण की नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। भारी संख्या में पुलिस फोर्स और वाटर कैनन वहां तैनात थी। कैंडिडेट्स बिहार के नए शिक्षा मंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे। वे सरकार से प्राथमिक विज्ञप्ति जारी करने की मांग कर रहे थे।

आनन-फानन में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव RJD कार्यालय पहुंचे और इस मामले पर सरकार का पक्ष रखा। तेजस्वी यादव ने कहा- आज की घटना शर्मनाक है। ADM को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। शिक्षक अभ्यर्थी राजभवन मार्च कर रहे थे। हमने न्यूज में तस्वीरें देखी हैं। मेरी जिलाधिकारी से बात हुई है। जांच कमेटी बना दी गई है। ADM दोषी पाए गए तो उन्हें सजा मिलेगी।

बता दें ADM की पिटाई से अनिशु(अभ्यर्थी) का जबड़ा टूट गया है। इलाज कर टांका लगाने के बाद उसके पैतृक घर दरभंगा भेजा गया। वहीं एक अन्य घायल धीरज को फर्स्ट एड देकर हॉस्पिटल से छोड़ दिया गया।

लेसी सिंह को मंत्री पद से नहीं हटाया गया तो दे देंगे इस्तीफा : बीमा भारती

बीमा भारती ने लेसी सिंह को मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लेसी सिंह मर्डर करवाती है। फिर भी उसे मंत्री बनाया गया है। बीमा भारती ने आगे कहा कि लेसी सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लेसी सिंह को मंत्री पद से नहीं हटाए तो मैं विधायक पद से इस्तीफा दूंगी।  बता दें कि बीमा भारती रुपौली की विधायक हैं। उन्होंने कहा लेसी सिंह अपने स्वार्थ के लिए पूर्णिया इलाके मेंमर्डर करवा देती है।

मंत्री लेसी सिंह (फाइल)

सारिका तिवारी/पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद बनी महागठबंधन सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. पहले बीजेपी ने मंत्रिमंडल में आपराधिक छवि के लोगों को शामिल करने का आरोप लगाया, और अब जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) की विधायक ने ही अपनी सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रुपौली से जेडीयू की विधायक बीमा भारती की नाराजगी लेसी सिंह से है। उनका आरोप है कि मंत्रिमंडल विस्तार में आपराधिक छवि और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले को मंत्री बनाया गया है।

बिहार सरकार की खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह से बीमा भारती की नाराजगी का आलम यह है कि वो उनके खिलाफ खुलकर मैदान में आ गई हैं। उन्होंने लेसी सिंह पर हत्या सहित अन्य अपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार को अविलंब उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए।  बीमा भारती ने कहा कि लेसी सिंह पर लगाए आरोपों का खुलासा खुद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने किया था जब वो विपक्ष में थे। उन्होंने तब कहा था कि लेसी सिंह हत्या के मामले में आरोपित हैं, लेकिन अब उनको महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कराया गया है।

पहली बार लेसी सिंह साल 2014 में उद्योग विभाग की मंत्री बनीं। इसके बाद 9 फरवरी 2021 को खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री बनीं। इस बार भी खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का ही मंत्री बनाया गया है।  

लेसी सिंह का जन्म 5 जनवरी साल 1974 को कटिहार जिले के मनिहारी में हुआ था। वर्तमान में लेसी सिंह पूर्णिया में रहती हैं। इनके पिता का नाम गंगाशरण सिंह है। लेसी सिंह ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। साल 1990 में उनकी शादी मधुसुदन सिंह उर्फ बूटन सिंह से हो गई। इनके तीन बेटे और एक बेटी भी है।

साल 1995 में लेशी सिंह ने पति बूटन सिंह के साथ मिलकर अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। उनके चुनाव प्रचार में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देती थीं।

लेसी सिंह पहली बार 27 फरवरी 2000 को जार्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित समता पार्टी के सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी। लेसी सिंह कोशी-पूर्णिया प्रमंडल में पहली ऐसी उम्मीदवार थी जो समता पार्टी से चुनाव जीत विधानसभा पहुंची।

विधायक बनने के दो महीनों के भीतर 19 अप्रैल 2000 को पति बूटन सिंह की हत्या हो गई। इसके बाद विपत्ति को झेलते हुए उन्होंने समाजसेवा जारी रखी। साल 2001 में पूर्णिया में समता पार्टी की जिला अध्यक्ष रहीं। साथ ही विधानसभा में समता पार्टी की उपसचेतक भी रहीं। फरवरी 2005 में समता पार्टी में जदयू के विलय के बाद नवंबर 2005 में जदयू से दोबारा चुनाव जीतीं।

साल 2006 में जनता दल यूनाइटेड महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व मिला। इनके अच्छे कार्य को देखते हुए 2 नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य महिला आयोग बिहार की अध्यक्ष बनाया।

नीतीश कुमार की नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड के टिकट से लेसी सिंह लगातार चुनाव जीता। साल 2010 में 45 हजार वोट, साल 2015 में 30921 और 2020 विधानसभा चुनाव में 33594 वोट से जीतकर धमदाहा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुईं।

लेसी सिंह हमेशा लोगों की सेवा में उपलब्ध रहती हैं। इसके अलावा वे जनता की सुख-दुख में शामिल रहीं। लोगों के साथ उनका सीधा संपर्क रहता है। पटना से पूर्णिया आने पर घर पर लोगों से मिलकर समस्याओं का निपटारा करती हैं।  

नीतीश सरकार के क़ानून मंत्री कार्तिकेय सिंह पर रविशंकर प्रसाद का निशाना, कहा ‘कार्तिकेय को बर्खास्त और सख्त कार्रवाई की जाए’

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “नीतीश कुमार जी आपके कानून मंत्री कोर्ट की प्रक्रिया से मजाक कर रहे हैं उनका एंटीसिपेटरी बेल पटना हाई कोर्ट ने फरवरी 2017 में खारिज कर सरेंडर करने के लिए कहा था। पीड़ित ने साफ तौर पर कहा कि उनके अपहरण में कार्तिकेय सिंह की बड़ी भूमिका थी। ये अपहरण का गंभीर केस है जिसमें कार्तिकेय सिंह सरेंडर नहीं करते हैं। इसमें आजीवन कारावास या कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है।” कार्तिकेय सिंह के मंत्री के तौर पर शपथ लेते ही सोशल मीडिया समेत तमाम जगहों पर ऐसी ख़बरें चलने लगीं कि उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी किया जा चुका है। कोर्ट की नज़रों में वो फ़रार हैं, और फ़रार होते हुए उन्होंने बतौर विधि मंत्री शपथ ले ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन पर पटना ज़िले के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज है। मामला आईपीसी की 363, 365, 364 और 34 धाराओं के तहत दर्ज है।

कार्तिकेय सिंह
कार्तिकेय सिंह
  • नीतीश के मंत्री कार्तिकेय सिंह पर दर्ज हैं कई मामले
  • बाहुबली नेता अनंत सिंह के करीबी माने जाते हैं कार्तिकेय सिंह
  • बीजेपी ने कार्तिकेय सिंह समेत कई मंत्रियों को लेकर नीतीश को घेरा

सारिका तिवारी/पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

  बिहार में नीतीश सरकार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह शपथ लेते ही विवादों में घिरे हुए है और उन्हें बर्खास्त किए जाने की मांग की जा रही हैं। दरअसल कार्तिकेय सिंह के वारंट को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच नेताओं का बयानबाजी का दौर जारी है। अब भारतीय जनता पार्टी के नेता व केंद्रीय मंत्री का बयान सामने आया है।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नीतीश कुमार RJD के सामने झुक गए है वो RJD से समझौता कर रहे है। ये एक बड़ा सवाल है की आखिर पांच साल पहले का आदेश हैं तो कार्तिकेय सिंह ने अभी तक सरेंडर क्यों नहीं किया। दरअसल नीतीश कुमार कानून प्रक्रिया से खिलवाड़ कर रहे है। मामले को लेकर जांच होनी चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करने पर कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही कार्तिकेय सिंह को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की।

कार्तिकेय सिंह के मंत्री के तौर पर शपथ लेते ही सोशल मीडिया समेत तमाम जगहों पर ऐसी ख़बरें चलने लगीं कि उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी किया जा चुका है। कोर्ट की नज़रों में वो फ़रार हैं, और फ़रार होते हुए उन्होंने बतौर विधि मंत्री शपथ ले ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन पर पटना ज़िले के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज है। मामला आईपीसी की 363, 365, 364 और 34 धाराओं के तहत दर्ज है।

आईपीसी की 363 : भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत से या किसी क़ानूनी अभिभावक की संरक्षता से किसी का अपहरण करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। सजा – सात वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।

आईपीसी की 364 : भारतीय दंड संहिता की धारा 364 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या करने के लिए उसका व्यपहरण या अपहरण करे या उस व्यक्ति को ऐसे व्यवस्थित करे कि उसे अपनी हत्या होने का ख़तरा हो जाए, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

आईपीसी की 365 : भारतीय दंड संहिता की धारा 365 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

आईपीसी की 34 : भारतीय दंड संहिता की धारा  34 के अनुसार, जब कई लोग समान इरादे से कोई आपराधिक कृत्य करते हैं तो उनमें से प्रत्येक इस कृत्य के लिए उसी तरह जवाबदेह होगा, जैसे उसने अकेले इस काम को अंजाम दिया हो।

हालांकि RJD कार्तिकेय सिंह पर लगे अपराधिक मामले को झूठा करार दे रही है। बिहार में क़ानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर जारी वारंट पर RJD प्रमुख लालू यादव ने कहा है ऐसा कोई मामला नहीं है ,सुशील मोदी झूठ बोल रहे है।

दरअसल नीतीश सरकार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। नीतीश सरकार में एक दिन पहले जिस कानून मंत्री ने शपथ ली थी उन पर अपरहण का केस दर्ज है। ताज्जुब की बात ये है की कल उन्हें अपहरण के केस में दानापुर कोर्ट में सरेंडर करना था लेकिन वो दूसरी तरफ कानून मंत्री की शपथ लेने राजभवन पहुंचे हुए थे। नए कानून मंत्री के लिए अपरहण मामले में गैरजमानती वारंट जारी है।कार्तिकेय सिंह को न तो बिहार की पुलिस पकड़ पाई है न ही कोर्ट में उनकी पेशी हुई है।

कार्तिकेय सिंह पर क्या मामला है?

साल 2014 में राजीव रंजन नाम के एक व्यक्ति का अपहरण किया गया था। इस मामले में दर्ज एफआईआर में अपहरण के आरोपियों में कार्तिकेय सिंह का नाम भी शामिल है। केस अदालत में लंबित है। इसी सिलसिले में उन्हें वॉरंट जारी किया गया था।  

वहीं मीडिया में कोर्ट का वो आदेश भी सामने आया है जिसके मुताबिक कार्तिकेय सिंह को 1 सितंबर तक गिरफ्तारी से राहत दी गई है। 12 अगस्त 2022 के इस आदेश में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 1 सितंबर तक कार्तिकेय सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है जिस पर अब सवाल उठ रहे हैं।  

एनडीए से अलग होने पर शंभू पटेल नितीश से हुए दूर, नीतीश सरकार का हर तीसरा मंत्री दागी

बिहार में नए मंत्रिमंडल का विस्तार मंगलवार को हो गया। राजद के 16, जदयू के 11, कांग्रेस के दो तथा एक निर्दलीय सहित कुल 31 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गयी। नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने कई ऐसे नेता हैं, जिनपर कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। तेजस्वी यादव, लेशी सिंह, तेजप्रताप यादव समेत दस मंत्रियों पर कई केस चल रहे हैं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना(ब्यूरो) :

महागठबंधन सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होते ही सत्ताधारी दलों के नेताओं के बीच विरोध के सुर उभरने लगे हैं। इसी कड़ी में जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के नेता शंभू पटेल ने एनडीए से नाता तोड़ने पर नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ दी है। शंभू पटेल बिहार विधानसभा चुनाव में कैमूर जिले के भभुआ से महागठबंधन से उम्मीदवार थे। उन्होंने यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था।

शंभू पटेल कांग्रेस के दिवंगत नेता सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद सिंह के साथ जेडीयू में शामिल हुए थे। इन दोनों ने 12 दिसंबर, 2021 को कांग्रेस छोड़ कर जेडीयू का दामन थाम लिया था। भभुआ से राजनीति करने वाले शंभू सिंह को सदानंद सिंह का करीबी माना जाता था।

बता दें कि, नीतीश कुमार ने बीजेपी पर उनकी पार्टी जेडीयू को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए पिछले हफ्ते एनडीए से नाता तोड़ लिया था, और आरजेडी के साथ जाते हुए महागठबंधन सरकार बना ली थी। उन्होंने कहा था कि जेडीयू के सभी लोग चाहते हैं कि हम बीजेपी का साथ छोड़ दें और नए सिरे से सरकार का गठन करें।

दूसरी ओर राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार के डिप्टी सीएम बन चुके हैं। तेजस्वी का नाम आईआरसीटीसी घोटाले में आ चुका है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान दायर किए हलनामे के मुताबिक, तेजस्वी यादव पर 11 मामले दर्ज हैं। इनमें 7 आपराधिक केस हैं, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी के मामले चल रहे हैं। इसके अलावा चार सिविल केस भी चल रहे हैं। तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी करने के लिए आईपीसी की धारा 120 B के तहत आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। आईआरसीटीसी मामले में कार्रवाई हुई तो 7 साल की जेल तक हो सकती है।

 अब बात करते हैं लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर से विधायक तेज प्रजाप यादव की। तेज प्रजाप यादव पर राजधानी पटना के अलग-अलग थानों में चार मामले दर्ज हैं और एक मामला दहेज से भी जुड़ा हुआ है।

नीतीश सरकार में खाद्य-उपभोक्ता मंत्री बनी लेशी सिंह पर पूर्णिया के सरसी में पूर्व में पूर्व जिला परिषद रिंटू सिंह की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा हुआ है। इतना ही नहीं, नवंबर 2000 में चुनाव के दौरान राजद नेता बिन्नी सिंह की हत्या की साजिश रचने का आरोप भी उन पर लगा। साल 2000 में लेशी सिंह के पति को पूर्णिया कोर्ट में गोलियों से भूनकर मार डाला गया था। पति की मौत होने के बाद लेशी सिंह ने राजनीति का रास्ता चुना। साल 2000 में चुनाव लड़ा और जीता भी। इसके अलावा नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने जमा खान की छवि दबंग नेता की रही है। जमा खान हत्या की कोशिश करने, हिंसा को भड़काने, आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में मुकदमे चल रहे थे।

लालू यादव और तेजस्वी यादव के करीबी सुरेंद्र यादव की छवि भी एक दबंग विधायक की है। सुरेंद्र यादव पिछले 30 साल से बेलागंज से विधायक रहे हैं। वह दो बार जनता दल और पांच बार आरजेडी विधायक रहे हैं। वहीं राजद नेता ललित यादव दरभंगा ग्रामीण सीट से विधायक हैं। उनके खिलाफ पटना थाने में एक केस दर्ज है। ललित यादव उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे जब उन पर प्रॉपर्टी डीलर की हत्या करने का आरोप लगा था। शाहपुर चक्का गांव के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर हीरा पासवान की गोली मारकर हत्या हुई थी। शव ललित यादव के बगीचे से बरामद हुआ था। राजद नेता कार्तिक कुमार पर कई थानों में मामले दर्ज में हैं। मोकामा थाना, मोकामा रेल थाना समेत बिहटा में भी इनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। हालांकि किसी भी मामले में अब तक न्यायालय से इन्हें दोषी करार नहीं दिया गया है।

मदन सहनी जेडीयू से हैं और बहादुरपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। इनकेखिलाफ बहादुरपुर और घनश्यामपुर थाने में एक-एक मामला दर्ज है। 53 वर्षीय मदन सहनी 2 करोड़ रुपये की सम्पत्ति के मालिक हैं। इसके अलावा सुमित कुमार सिंह चकाई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं. इन्हें भी नीतीश सरकार की कैबिनेट में जगह मिली है. सुमित कुमार परपांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं राजद  के वरिष्ठ नेता डॉ. रामानंद यादव फतुहा विधानसभा सीट से विधायक हैं। करीब 11 करोड़ रुपये की सम्पत्ति के मालिक रामानंद यादव पर 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं।

हर घर तिरंगा आजादी का अमृत महोत्सव के नेतृत्व में एक अभियान

स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को सामूहिक रूप से घर लाना न केवल तिरंगे से हमारे व्यक्तिगत संबंध का एक कार्य है बल्कि यह राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन जाता है। आजादी के अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान 13 से 15 अगस्त, 2022 तक आयोजित किया जाएगा।

हमारे देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर हर घर में तिरंगा फहराया जा रहा है। आइए जानते हैं हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में।

जसविंदर पाल शर्मा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, श्री मुक्तसर साहिब पंजाब :

झंडा किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक होता है। इसी तरह, भारत का राष्ट्रीय ध्वज भारत के लिए सर्वोच्च महत्व का प्रतीक है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज देश के सम्मान, देशभक्ति और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति आदि में अंतर के बावजूद भारत के लोगों की एकता को दर्शाता है। सबसे विशेष रूप से, भारतीय ध्वज एक क्षैतिज आयताकार तिरंगा है। इसके अलावा भारत के झंडे में केसरिया, सफेद और हरा रंग होता है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

15जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई, 1947 को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था

1921 में महात्मा गांधी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ध्वज का प्रस्ताव दिया गया था। इसके अतिरिक्त, ध्वज को पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था। झंडे के केंद्र में एक पारंपरिक चरखा था। फिर केंद्र में एक सफेद पट्टी को शामिल करने के लिए डिजाइन में एक संशोधन किया गया। यह संशोधन अन्य धार्मिक समुदायों के लिए भी हुआ और चरखे की पृष्ठभूमि बनाने के लिए भी।

रंग योजना के साथ सांप्रदायिक जुड़ाव से बचने के लिए, विशेषज्ञों ने तीन रंगों को चुना। सबसे खास यह कि ये तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा थे। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, हरा रंग विश्वास और बहादुरी का प्रतीक है।
आजादी से कुछ दिन पहले विशेष रूप से गठित संविधान सभा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। निर्णय यह था कि भारतीय ध्वज सभी समुदायों और पार्टियों को स्वीकार्य होना चाहिए। हालांकि, भारतीय ध्वज के रंगों में कोई बदलाव नहीं आया। हालांकि, चरखे को अशोक चक्र से बदल दिया गया था। इसके अलावा, यह अशोक चक्र कानून के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन

ध्वज का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो ध्वज उनके दाहिने ओर हो। ध्वज किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए। फटा या मैला ध्वज नहीं फहराया जाता है।

Independence Day: The Demand For The Tricolor Has Doubled After Indias  Stellar Performance In The Olympics ANN | Independence Day: Olympics में  भारत के शानदार प्रदर्शन के बाद दोगुनी हुई तिरंगे की

नियमों में कहा गया है कि जब दो झंडे किसी पोडियम के पीछे की दीवार पर क्षैतिज रूप से फैले होते हैं, तो उनके झंडे एक दूसरे के सामने होने चाहिए। साथ ही केसर की पट्टियां ऊपर होनी चाहिए। जब फ्लैग डिस्प्ले एक छोटे फ्लैगपोल पर होता है, तो माउंटिंग दीवार के कोण पर होनी चाहिए। साथ ही, कोण ऐसा है कि उसमें से झंडा लिपटा हुआ है। जब एक पार किए गए कर्मचारी पर झंडे दिखाई देते हैं, तो लहराते हुए एक दूसरे की ओर होना चाहिए।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल कभी भी टेबल, लेक्चर, पोडियम या इमारतों को ढंकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। जब ध्वज को घर के अंदर प्रदर्शित किया जाता है, तो यह हमेशा दाहिनी ओर होना चाहिए। इसका कारण प्राधिकरण की स्थिति है। इसके अतिरिक्त, ध्वज हमेशा वक्ता के दाहिने हाथ पर होना चाहिए जब ध्वज वक्ता के सामने प्रदर्शित होता है। सबसे विशेष रूप से, जब भी ध्वज प्रदर्शित किया जाता है, तो इसे पूरी तरह से बढ़ाया जाना चाहिए।
अंत में, भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश का गौरव है। इसके अलावा, भारत का झंडा देश की संप्रभुता का प्रतिनिधित्व करता है। सबसे विशेष रूप से, राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हुए देखना हर भारतीय के लिए गर्व और खुशी का क्षण होता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज निश्चित रूप से भारत के प्रत्येक नागरिक से बहुत सम्मान का पात्र है।