ममता के कारण रद्द हुई भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की बैठक


सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से कैंसिल हुई


लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए 22 नवंबर को प्रस्तावित मीटिंग कैंसिल कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से कैंसिल हुई.

दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी विरोधी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें ममता बनर्जी का साथ काफी अहम बताया जा रहा है. लेकिन, अभी तक ममता ने इस मीटिंग के लिए सहमति नहीं जताई है. सूत्रों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू पहले ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे. इसके बाद मीटिंग की अगली तारीख तय होगी.

कौन-कौन सी पार्टियां हो सकती हैं शामिल?

सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस, टीडीपी, आम आदमी पार्टी, जेडीएस, एनसीपी और टीएमसी मान गए हैं. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि मायावती ने बैठक में शामिल होने के लिए हामी नहीं भरी है. बैठक में एंटी बीजेपी फ्रंट को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा.

गहलोत से मिलकर लिया था 22 नवंबर को बैठक का फैसला

सभी दलों को करीब लाने का जिम्मा इस बार तेलुगू देशम पार्टी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लिया है. इससे पहले उन्होंने अमरावती में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत से भी मुलाकात की थी. इस मुलाकात में यह तय हुआ था कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के सभी बड़े दल 22 नवंबर को दिल्ली में बैठक करेंगे. इस बैठक में नोटबंदी, सीबीआई आदि मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी.

केवल इतना ही नहीं नायडू विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. यह बैठक ठीक ममता के उस फैसले के बाद आयोजित की गई है, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश की तरह ही अपने राज्य में भी मामलों की जांच के लिए सीबीआई के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी

10 सर्कुलर रोड से खाली हाथ लौटीं टेज़्प्र्तप की सास


इस पारिवारिक घमासान के बीच राबड़ी देवी शनिवार को ही बिहार से दिल्ली के लिए निकली थीं


लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के तलाक की खबर जब से आई है तबसे इस मामले में रोज नए पहलू सामने आ रहे हैं. जहां यादव फैमली इस तलाक को रोकने के लिए पूरा जोर लगा रही है वहीं रविवार को ऐश्वर्या की मां पूर्णिमा दास, राबड़ी देवी से मिलने सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड पहुंची. सूत्रों की माने तो ऐश्वर्या की मां राबड़ी के घर से रोते हुए बाहर निकली.

इस पारिवारिक घमासान के बीच राबड़ी देवी शनिवार को ही बिहार से दिल्ली के लिए निकली थीं. क्योंकि आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला मामले में सोमवार को राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी होने वाली है. आरजेडी नेता तेजस्वी पहले से ही दिल्ली में हैं. ऐसा माना जा रहा है कि राबड़ी दिल्ली में ही तेजप्रताप को समझाने की कोशिश करेंगी.

वहीं दूसरी तरफ तेजप्रताप अपने परिवार के रवैये से दुखी हैं. उनका आरोप है कि उनका अपना परिवार इस तलाक केस में ऐश्वर्या के साथ खड़ा है. यही कारण है कि तेजप्रताप अपने घर नहीं जाकर वाराणसी, मथुरा, वृंदावन आदि जगहों पर घूम रहे हैं.

तेजप्रताप यादव पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक लेने की ज़िद पर अड़े हुए हैं. एक तरफ पटना में लालू का परिवार अपने बेटे की घर वापसी की दुआएं मांग रहा है. उनकी सलामती के लिए यज्ञ-अनुष्ठान करवा रहा है, लेकिन, तेजप्रताप फिलहाल घर लौटने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने अपने परिवार से गुजारिश की है कि उन्हें अकेले छोड़ दिया जाए.

The huge enthusiasm  at the Chhath festival at Maloya


36 hour fast, the first arghya given to Sun God, the Chhath vrat is specially considered auspicious  for women aspiring son


Chandigarh:
Special arrangements had been made by the Purvanchal Organizing Committee for the Chhath festival on the pond located in Maloya. During the festival, devotees who had fasted started thronging from two o’clock in the afternoon. Most of the women’s  came here singing from their houses singing  the Chathi  Maai and Suraj Dev’s songs. A large crowd gathered by four o’clock in the evening. Meanwhile, almost all the roads in the surrounding areas, including Maloa, remained resonant with Chhath’s songs. Nearly thousands of pilgrims from all corners and villages around Maloa, Dadu Majra, Sector 39, Jujharanagar and villages and people from all corners of the village reached there to give the first half of Chhath. Ram babu, chief secretary of Purvanchal organization committee, general secretary Sanjay Bihari, chairman Kedar Yadav, KP Singh, Rahul Verma, Shivnath, Subhash, Shatbughan, Ranjit and other members congratulated all the fasting women for Chhath Puja. In order to give offering to the sun , people raised Prasad and lamp in the hands and bowed down to Lord Bhaskar and wished for prosperity and worshiped chath  mai with Lord Sun.

छठ पूजा से बच्चे देशभक्त और ईमानदार पैदा होते हैं


मनोज तिवारी के हालिया बयान ने राहुल गांधी को एक चुनावी मुद्दा दे दिया है जिसे वह बीजेपी के खिलाफ हथियार बनाकर भुनाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं


छठ पूजा बिहार और पूर्वांचल के लोगों लिए बेहद आस्था का विषय है. लोगों की आस्था इस लोकपर्व में कुछ इस तरीके की है कि इस पूजा को लेकर हंसी-मजाक भी नहीं किया जाता. इस छठ के व्रत में पवित्रता को बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है. लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति ऐसी है कि बिना धर्म का सहारा लिए इसका काम नहीं चलता है. छठ जैसे पवित्र पर्व को इस बार राजनीतिक हथियार के रूप में भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस्तेमाल किया है. मनोज तिवारी ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छठ की आड़ लेकर कटाक्ष किया है. मनोज तिवारी ने कहा है कि अगर सोनिया गांधी ने छठ का व्रत किया होता तो उनका बच्चा भी बुद्धिमान होता!

मनोज तिवारी ने अंबिकापुर में बीजेपी एक सभा में एक बयान में कहा कि देशभक्त और बुद्धिमान होने के लिए छठ की पूजा जरूरी है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने कभी छठ नहीं किया, अगर सोनियाजी ने छठ पूजा की होती तो बड़ा बुद्धिमान …. आता। छठ पूजा की बड़ी महिमा है।
उन्होंने कहा कि छठ की पूजा किया कीजिए आप लोग, न हो सके तो इसमें शामिल होइए। उन्होने आगे यह भी कहा कि “मेरे बयान को विवादित मत बनाइये मैंने तो बस सीएचएचटीएच महिमा कही है, माता के आशीर्वाद से बच्चे ईमानदार ओर देशभक्त होते हैं।” मनोज तिवारी के बयान से साफ है कि वे सोनिया गांधी के जरिए राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि छठ पूजा करने से देशभक्त पैदा होते हैं।

मनोज तिवारी का बयान ऐसे समय में आया है जब सभी सियासी पार्टियां आने वाले चुनावों के लिए जनता को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही हैं. ऐसे में मनोज तिवारी छठ पूजा के नाम पर सियासी जुमला तैयार करने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं. बीजेपी के पास पहले ही जुमलों की कोई कमी नहीं है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई मौकों पर ऐसा कहते हुए सुने गए हैं.

मनोज तिवारी के हालिया बयान ने राहुल गांधी को एक चुनावी मुद्दा दे दिया है जिसे वह बीजेपी के खिलाफ हथियार बनाकर भुनाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं. यह पहली बार नहीं है जब राहुल की मां और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष को लेकर सियासी बयानबाजी हुई हो. इससे पहले भी सोनिया गांधी को लेकर सियासी बयानबाजी होती रही है जिसका खूब मुद्दा भी बना है. साल 2004 में जब सोनिया गांधी के पीएम बनने की बात आई थी तो उस समय बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का अजीबोगरीब बयान आज भी लोगों की याद में तारी है. सुषमा स्वराज ने तब कहा था कि अगर सोनिया गांधी भारत की पीएम बन जाएंगी तो मैं अपने बाल कटवा लूंगी और सन्यासी का जीवन व्यतीत करूंगी.

हालांकि इस बार यह मुद्दा इसलिए ज्यादा गरमा गया है क्योंकि छठ बिहार समेत कई राज्यों में प्रमुखता से मनाया जाने वाला पर्व है. क्या ये बयान देते समय मनोज तिवारी के जेहन में इस बात का खयाल आया होगा कि भारत के ही जिन इलाकों में छठ व्रत नहीं मनाया जाता क्या वहां के लोग बुद्धिमान नहीं होते! आस्था और बुद्धिमत्तता का ये कैसा बेमेल संबंध स्थापित किया गया है!

मनोज तिवारी जिस पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष हैं उसी पार्टी में ऐसे नेता बड़ी संख्या में भरे हैं जिनका ताल्लुक ऐसे इलाकों से है जहां छठ पर्व नहीं मनाया जाता. तो क्या देश के उन इलाकों से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के नेता बुद्धिमान नहीं होते. ऐसे नेताओं में हमारे देश के प्रधानमंत्री से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता शामिल हैं. ये नेता कम से कम मनोज तिवारी की नजर में तो बुद्धिमान होंगे ही. तो क्या इन नेताओं के बारे में भी मनोज तिवारी ऐसी ही कोई बात कहेंगे? बिल्कुल नहीं.

Undefeated Veteran looses battle against Cancer at 59


Karnataka has announced holiday for all schools and colleges on Monday, as a mark of respect for the leader.


Union Minister for Parliamentary Affairs, and Chemicals and Fertilizers H.N. Ananth Kumar, also a senior BJP leader from the State passed away at a private hospital in Bengaluru in the wee hours of Monday. He was 59.

According to the hospital, Mr Kumar was diagnosed with lung cancer at an advanced stage in June. He underwent initial treatment in Sri Shankara Cancer Hospital and Research Centre and then went to the US for further treatment.  He returned 25 days ago and continued treatment in the hospital.

Hospital Managing Trustee B N Srinath told media persons that he battled cancer fiercely, however, the infection had spread to other organs and he succumbed to the disease. He breathed his last around 2 am on Monday. His wife Tejashwini and both daughters were beside him.

Former Chief Minister B.S. Yeddyurappa pays his last respects to Union Minster H.N. Ananth Kumar at his residence at Basavanagudi in Bengaluru on Monday

Mr. Kumar’s body will be kept for public viewing at National College Grounds, Basavanagudi at 11 am and he will be cremated on Tuesday. Prime minister Narendra Modi is expected to pay his respects and participate in the funeral.

The State government has announced holiday for all schools and colleges on Monday, as a mark of respect for the leader. The State will observe three-day mourning and accord state funeral.

A six-time member of parliament from Bengaluru South Lok Sabha seat, Mr. Kumar was representing it continuously since 1996.

An RSS worker, Mr. Kumar was arrested during Emergency.

He held civil aviation, urban development and tourism portofolios in Atal Bihari Vajpayee cabinet during 1999-2004. He was State president of BJP during 2004 Assembly elections when the party for the first time emerged as the single largest party in the State. He was a national General Secretary of BJP for nine years.

Mr. Kumar and former Chief Minister B.S. Yeddyurappa were two prominent leaders credited with building the BJP in Karnataka. Mr. Yeddyurappa, in a condolence message, said that he had lost “a personal friend” and Mr. Kumar had gone away at a young age leaving him alone.

Relatives and friends pay their last respects to Union Minster H.N. Ananth Kumar at his residence at Basavanagudi in Bengaluru on Monday.

Relatives and friends pay their last respects to Union Minster H.N. Ananth Kumar at his residence at Basavanagudi in Bengaluru on Monday.

PM condoles demise

Prime Minister Narendra Modi and Defence Minister Nirmala Sitharaman condoled the demise of Mr. Kumar.

“Extremely saddened by the passing away of my valued colleague and friend, Shri Ananth Kumar Ji. He was a remarkable leader, who entered public life at a young age and went on to serve society with utmost diligence and compassion. He will always be remembered for his good work,” Mr. Modi tweeted.

“Deep sense of grief on hearing that Shri @AnanthKumar_BJP is no more with us. Served @BJP4India @BJP4Karnataka all along. Bengaluru was in his head and heart, always. May God give his family the strength to bear with this loss,” Ms. Sitharaman tweeted.

तेजप्रताप ने विवाह विच्छेद की अर्ज़ी दाखिल की


तेजप्रताप इस शादी से खुश नहीं थे


हाल ही शादी के बंधन में बंधे लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप ने शादी के 6 महीने के भीतर ही तलाक की अर्जी डाल दी है. पटना के सिविल कोर्ट और फैमिली कोर्ट में उन्होंने अपनी पत्नी ऐश्वर्या से तलाक के लिए अर्जी डाली है. तेजप्रताप इस शादी से खुश नहीं थे. वह ऐश्वर्या से शादी ही नहीं करना चाहते थे. परिवार के दबाव में उन्होंने शादी की थी.

तेजप्रताप के वकील यशवंत कुमार शर्मा ने कहा, मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं कह सकता. दोनों साथ में तालमेल नहीं बिठा सके .तेज प्रताप यादव की तरफ से हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आवेदन किया गया है.

बताया जा रहा है कि जब शादी के बाद ऐश्वर्या लालू के 10 सर्कुलर रोड वाले घर में आई थीं. तो दस दिनों के बाद ही परिवार में अनबन शुरू हो गई थी.

बता दें कि दोनों की शादी इसी साल 12 मई को हुई थी. तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या आरजेडी विधायक चंद्रिका की बेटी हैं. ऐश्वर्या पिछले कई महीने से परिवार के साथ नहीं रह रही थीं.

हालांकि लालू का परिवार इस खबर का खंडन कर रहा है. लालू का परिवार चाहता है कि दोनों साथ बने रहे. वहीं ऐश्वर्या के परिवार की तरफ से भी अभी कोई बयान नहीं जारी किया गया है. माना जा रहा है कि तेजप्रताप का यह व्यक्तिगत फैसला है. फिलहाल तेजप्रताप लालू यादव से मिलने गए हैं.

इससे पहले तेज प्रताप अपनी वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए ‘कृष्णवतार’ का तीन दिनों तक मंचन भी करवा चुके हैं. तेज प्रताप का विवाह 12 मई को हुआ था. 13 मई को राबड़ी देवी के आवास और 14 एवं 15 मई को बांके बिहारी शिव मंदिर के प्रांगण में शाम 5 बजे से रात 10.30 बजे तक कृष्णलीला करवाया गया था.

पेरेंट्स एजुकेशन लोन नहीं चुका पाएंगे तो माफ कर दिया जाएगा: नीतीश


नीतीश कुमार ने कहा है कि हमें बिहार का वही पुराना गौरवशाली सम्मान दोबारा हासिल करना है


‘कभी बिहार का गौरवशाली इतिहास था. इसे ज्ञान की धरती कहा जाता था. आज हमें वही पुराना गौरवशाली सम्मान दोबारा हासिल करना है.’ गोपालगंज जिले को पॉलिटेक्निक कॉलेज की सौगात देते हुए सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को ये बातें कही. सीएम ने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट से छात्रों को पढ़ने के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. छात्रों को कम ब्याज पर पैसे उपलब्ध कराए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई के बाद भी छात्रों के अभिभावक पैसे वापस करने में सक्षम नहीं होंगे तो उनके ऋण भी माफ कर दिए जाएंगे.इस अवसर पर उन्होंने जिले में एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोलने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 5 एकड़ भूमि में निर्मित इस कॉलेज भवन के निर्माण के लिए भवन निर्माण विभाग को 44 करोड़ 90 लाख की राशि आवंटित की गई थी, लेकिन भवन निर्माण विभाग ने कॉलेज का निर्माण महज 34 करोड़ रुपए की लागत से ही रिकॉर्ड समय में कर दिखाया है.

मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों को बधाई भी दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबू बृज किशोर नारायण सिंह के नाम से यह पॉलिटेक्निक कॉलेज उनको श्रद्धांजलि है. आपको बता दें कि बैकुंठपुर के मान टेंगराही गांव में बृज किशोर नारायण सिंह राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना की गई है.

बिहार की लड़कियां देश के बाहर भी जाकर कर सकेंगी काम

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में शैक्षणिक संस्थानों को विकसित किया जा रहा है. सात निश्चय के तहत उच्च शिक्षण संस्थान खोले जा रहे हैं. पूरे देश में केरल से नर्स आती हैं, लेकिन अब बिहार में ही नर्सों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इस ट्रेनिंग के बाद बिहार की लड़कियां दूसरे राज्यों में जाकर काम तो करेंगी ही अगर वे चाहेंगी तो देश के बाहर भी जाकर काम कर सकेंगी.

सीएम ने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट से छात्रों को पढ़ने के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. छात्रों को महज चार प्रतिशत, जबकि छात्राओं को महज एक प्रतिशत ब्याज दर पर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से पैसे उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई के बाद भी छात्रों के अभिभावक पैसे वापस करने में सक्षम नहीं होंगे तो वे ऋण भी माफ कर दिए जाएंगे. सीएम ने कहा कि इंटर के बाद ही स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड देने का प्रावधान था, लेकिन अब मैट्रिक के बाद भी पॉलिटेक्निक करने वाले छात्रों को इस क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री ने शराबबंदी का भी जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग उनका मजाक उड़ाते हैं, लेकिन बता दें कि शराब पीना उनका मौलिक अधिकार नहीं है. संविधान में लिखा है कि शराब पीना अपराध है. सीएम ने सोशल मीडिया पर हेट कैंपेन चलाने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोग देश में कटुता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे सोशल मीडिया पर झूठ फैला रहे हैं, लेकिन इससे सचेत रहने की जरूरत है.

किस करवट बैठेगा उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति का ऊँट?


कुशवाहा को बीजेपी की तरफ से 2 सीटों के ऑफर के बारे में साफ-साफ बता दिया गया है और उन्हें भी त्याग करने को कह दिया गया है


आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा सोमवार रात को ही पटना से दिल्ली आ गए थे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात बीजेपी के महासचिव और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव से मंगलवार 30 अक्टूबर को हुई. बातचीत के पहले उपेंद्र कुशवाहा के कदम को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे.

लेकिन, मीडिया से बातचीत में उपेंद्र कुशवाहा ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए बीजेपी अध्यक्ष के उस फॉर्मूले को लेकर अपनी सहमति जताई जिसमें वो सभी पार्टनर से जेडीयू की एंट्री के बाद ‘त्याग’ करने की बात कह चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया के सामने जो बातें की उसमें तीन बातें ऐसी रही जिसको देखकर ऐसा लग रहा था कि कुशवाहा फिलहाल एनडीए में बने रहने के लिए कुर्बानी को तैयार हो गए हैं.

‘कुर्बानी’ को तैयार कुशवाहा !

सबसे पहले ‘त्याग’ के फॉर्मूले की बात करें तो कुशवाहा ने कहा, ‘हम उनकी (बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह) बात से सहमत हैं. हम ‘कुर्बानी’ को तैयार हैं. लेकिन, जब कई हिस्सेदार एक साथ हैं और उनमें नुकसान जब सभी शेयरधारी और पार्टनर करते हैं तो फिर लाभ वाले मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ ? कुशवाहा ने सवाल उठाया कि हम लाभ वाले मामले में क्यों वंचित हुए ?’ उपेंद्र कुशवाहा ने उस वक्त का जिक्र किया जब पिछले साल नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की फिर से एनडीए में एंट्री हुई और उस वक्त जेडीयू-बीजेपी ने मिलकर फिर से सरकार बना ली.

उस वक्त बिहार में एलजेपी और आरएलएसपी दोनों के दो-दो विधायक थे. लेकिन, विधानसभा का उपचुनाव हार चुके एलजेपी से रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को एमएलसी भी बनाया गया और नीतीश सरकार में मंत्री पद भी मिला. उस वक्त कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को नीतीश सरकार में जगह नहीं मिली. कुशवाहा ने बीजेपी की तरफ से नीतीश की एंट्री के बाद ‘त्याग’ के फॉर्मूले पर अपनी तरफ से बीजेपी के सामने यह तर्क रख दिया है.

हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा ने फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री पद के मुद्दे पर साफ-साफ कुछ नहीं कहा, लेकिन, हो सकता है कि अगर कुशवाहा बीजेपी की तरफ से दी गईं 2 लोकसभा सीटों के फॉर्मूले पर तैयार हो गए तो उनके एक एमएलए को बिहार सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है. ऐसा करते वक्त नीतीश कुमार के साथ उनके रिश्ते और समीकरण पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा.

कैसा होगा नीतीश-कुशवाहा का समीकरण ?

उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से दूसरी महत्वपूर्ण बात यह रही कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना बड़ा भाई बताकर अपनी तरफ से नरमी के संकेत दिए हैं. उनके इस बयान का बड़ा सियासी मतलब निकाला जा रहा है. जब चार रोज पहले दिल्ली में नीतीश कुमार और अमित शाह ने संयुक्त रूप से मीडिया के सामने आकर बराबर- बराबर सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था तो उस वक्त नीतीश कुमार की अहमियत का अंदाजा साफ दिख रहा था. बीजेपी किसी भी हालत में नीतीश कुमार को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहती थी.

दूसरी तरफ, एनडीए के भीतर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के बीच तल्खी कई बार दिख चुकी है. आरएलएसपी के नेता और यहां तक कि उनके कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने तो नीतीश कुमार को उनकी जाति यानी कूर्मी जाति के डेढ़ फीसदी लोगों का नेता तक बता दिया था, जबकि उपेंद्र कुशवाहा और अपनी पार्टी को 10 फीसदी लोगों का नेता तक कह दिया था. इस तरह की तल्खी के बावजूद बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ मुलाकात के बाद अगर कुशवाहा ने नीतीश कुमार को बड़ा भाई बताया है तो यह भी उनके रुख में नरमी का संकेत दे रहा है.

मोदी को फिर से ‘प्रधानमंत्री’ बनाएंगे कुशवाहा

कुशवाहा की तीसरी महत्वपूर्ण बात यह रही कि उन्होंने फिर से नरेंद्र मोदी को अगले पांच साल के लिए प्रधानमंत्री पद पर बैठाने की बात दोहराई. हालाकि कुशवाहा यह बात पहले से भी बोलते आए हैं. लेकिन, इस वक्त सीट बंटवारे को लेकर नाराजगी की अटकलों के बीच उनकी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने वाले बयान से भी यह संकेत मिला कि कुशवाहा फिलहाल एनडीए के साथ ही रहने को तैयार हो गए हैं.

कैसा रहेगा सीटों का फॉर्मूला ?

सूत्रों के मुताबिक, सीट बंटवारे पर बीजेपी-जेडीयू के अलावा एलजेपी से भी समझौता हो गया है. समझौते के मुताबिक, बीजेपी और जेडीयू कुल 40 सीटों में से 17-17 सीटों पर लड़ेगी, जबकि, 4 सीटें एलजेपी के खाते में जाएगी, जबकि 2 सीटें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, चार सीटों के अलावा राज्यसभा के लिए भी बीजेपी अपने खाते से एक सीट एलजेपी को देगी. सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा. हालाकि एलजेपी सूत्रों के मुताबिक, उन 4 सीटों के अलावा एक और लोकसभा की सीट झारखंड या यूपी में एलजेपी को मिल सकती है.

कुशवाहा के सामने पार्टी नेताओं को मनाने की चुनौती

इस तरह कुशवाहा को बीजेपी की तरफ से 2 सीटों के ऑफर के बारे में साफ-साफ बता दिया गया है और उन्हें भी त्याग करने को कह दिया गया है. लेकिन, कुशवाहा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि महज 2 सीटों पर मानकर वे अपने पार्टी नेताओं को कैसे मना पाएंगे ? इस वक्त उपेंद्र कुशवाहा खुद बिहार की काराकाट से सांसद हैं. इसके अलावा उनके दूसरे सांसद रामकुमार शर्मा सीतामढ़ी से सांसद हैं. इन दो सीटों पर तो उनका ही दावा बनता है.

लेकिन, उनकी पार्टी में पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर नंबर दो की हैसियत में हैं. नागमणि भी चुनाव लड़ना चाहते हैं. ऐसे में 2 सीटों के ऑफर को मानने पर पार्टी नेताओं में नाराजगी हो सकती है. दूसरी तरफ, पार्टी कार्यकर्ताओं को भी इस फॉर्मूले पर मनाने और बेहतर संदेश देने की चुनौती होगी. उपेंद्र कुशवाहा अब चार दिन बाद फिर दिल्ली में होंगे, जिसमें बीजेपी नेताओं के साथ सीटों के समझौते को लेकर अंतिम फैसला हो सकता है.

अभी खुला रखना चाहते हैं विकल्प

दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले पांच सालों में केंद्र में मंत्री रहते अपनी पार्टी का संगठन पूरे बिहार में खड़ा कर लिया है. उनको भी लगता है कि अगर लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़कर भी जीत मिल गई तो उस हालत में उन्हें फिर से सरकार बनने की सूरत में मंत्री पद मिल सकता है. इस तरह से उन्हें फिर से अपना संगठन और मजबूत करने और विधानसभा चुनाव में अपनी हैसियत बढ़ाने का मौका मिल सकता है.

जीतन राम मांझी ने उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर तंज

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने केंद्रीय मंत्री एवं रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर तंज कसा है. जीतन राम मांझी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए को ब्लैकमेल कर रहे हैं. यह बस उनका व्यक्तिगत स्वार्थ है. मांझी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को दो नाव की सवारी नहीं करनी चाहिए. दो नाव की सवारी करनेवाला सफल नहीं होता है.

दूसरी तरफ, अगर दोबारा एनडीए सत्ता में नहीं भी आई तो उस हालात में उनके पास फिर भी नए समीकरण का विकल्प रह सकता है. लालू परिवार से उनकी हो रही समय-समय पर बातचीत इस बात का संकेत है, क्योंकि राजनीति में कुछ भी संभव है.

Supreme Court adjourns Ayodhya dispute matter, 3-judge bench led by CJI Gogoi says date of hearing will be fixed in January


70 years, 2 minutes, indefinite date of January 2019

Why if one sees Congress Connection in SC

Sibal is obeyed today

When parties indicate urgency and an early hearing, CJI-led Bench clarifies that it cannot really say when hearing will begin.


A three-judge Bench of the Supreme Court, led by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, on Monday posted the Ayodhya title suit appeals in January before an appropriate Bench to fix a date for hearing the case.

When parties indicated urgency and an early hearing, the CJI-led Bench clarified that it cannot really say when hearing would begin. It left it to the discretion of the “appropriate Bench” before which the matter would come up on January.

“We have our own priorities… whether hearing would take place in January, March or April would be decided by an appropriate Bench,” the CJI said.

The CJI repeated that all the court was ordering was that the appeals would come up in January first week before a Bench “not for hearing but for fixing the date of hearing”.

On September 27, a three-judge Bench of the court led by then Chief Justice Dipak Misra, in a majority opinion, decided against referring the question ‘whether offering prayers in a mosque is an essential part of Islam’ to a seven-judge Constitution Bench.

With this, the court had signalled that it would decide the appeals like any other civil suit, based on evidence, and pay little heed to arguments about the “religious significance” of the Ayodhya issue and the communal strife it has led to over the past many years.

The Misra Bench’s judgment, authored by Justice Ashok Bhushan on the Bench, directed the hearing in the appeals to start from October 29. This last paragraph in the September 27 judgment led to questions whether the court would deliver a judgment in the appeals before the May 2019 general election.

These appeals are against the September 30, 2010 verdict of the Allahabad High Court to divide the disputed 2.77 acre area among the Sunni Waqf Board, the Nirmohi Akhara and Ram Lalla. The Bench had relied on Hindu faith, belief and folklore.

Lord Ram’s birthplace

The High Court concluded that Lord Ram, son of King Dashrath, was born within the 1,482.5 square yards of the disputed Ramjanmabhoomi-Babri Masjid premises over 900,000 years ago during the Treta Yuga. One of the judges said the “world knows” where Ram’s birthplace was while another said his finding was an “informed guess” based on “oral evidences of several Hindus and some Muslims” that the precise birthplace of Ram was under the central dome.

The final hearings in the Ayodhya appeals began before the Misra Bench, also comprising Justice S. Abdul Nazeer, on December 5 last.

The day happened to be the eve of the 25th anniversary of the demolition of the 15th century Babri Masjid by kar sevaks on December 6, 1992. The appeals were taken up after a delay of almost eight years. They remained shelved through the tenures of eight Chief Justices of India from 2010.

However, the Muslim appellants, a cross-section of Islamic bodies like the Sunni Wakf Board and individuals, had drawn the Bench’s attention to certain paragraphs in a 1994 five-judge Constitution Bench judgment in the Dr Ismail Faruqui case. One of these paragraphs stated that “a mosque is not an essential part of the practice of the religion of Islam and namaz [prayer] by Muslims can be offered anywhere, even in open”.

Mosque and Islam

“So is the mosque not an essential part of Islam? Muslims cannot go to the garden and pray,” their lawyer and senior advocate Rajeev Dhavan had asked the court. He asked the Bench to freeze the Ayodhya appeals’ hearing till this question is referred and decided by a seven-judge Bench.

In their majority view, Chief Justice (retired) Misra and Justice Bhushan refused to send the question to a seven-judge Bench. Their opinion said the observations were made in the context of the Faruqui case which was about public acquisition of places of religious worship. It should not be dragged into the Ayodhya appeals. The minority decision authored by Justice Nazeer dissented with the majority on the Bench, and said this observation about offering prayer in a mosque influenced the Allahabad High Court in 2010. He questioned the haste of the court.

During the maiden Supreme Court hearing of the Ayodhya appeals last year, senior advocate Kapil Sibal suggested to the court to post the Ayodhya hearings after July 15, 2019.

Along with Mr. Sibal, senior advocate Dushyant Dave and Mr. Dhavan argued that the Ayodhya dispute was not just another civil suit. The case covered religion and faith and dates back to the era of King Vikramaditya. It is probably the most important case in the history of India which would “decide the future of the polity”. The appeals would have the court decide “whether this is a country where a mosque can be destroyed”.

“These appeals go to the very heart of our secular and democratic fabric,” Mr. Dhavan had submitted.

Mr. Sibal had alleged the government was using the judiciary to realise its agenda for a Ram mandir assured in the ruling BJP’s 2014 election manifesto.

स्वामी सानंद (जी डी अग्रवाल) के बलिदान की स्मृति में और संत गोपाल दास के तप के लिए सामूहिक प्रार्थना

गंगा-भक्त स्वामी सानंद (जी डी अग्रवाल)

गंगा की आस्था-पवित्रता बनाए रखने के लिए गंगा-भक्त स्वामी सानंद (जी डी अग्रवाल) ने 111 दिन अनशन के बाद शरीर का त्याग कर दिया. गंगा भक्त के इस बलिदान के स्मृति में और संत गोपाल दास (121वां दिन अनशन) के तप के लिए 21 अक्टूबर दिन रविवार को उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में सामूहिक प्रार्थना, यज्ञ-हवन, आरती, सभा इत्यादि का आयोजन हो रहा है. लखनऊ में भी गांधी प्रतिमा हज़रतगंज पर शाम 4 से 6 सामूहिक प्रार्थना किया गया. इसमें शहर के दर्जनों गणमान्य नागरिक शामिल हुए.

आलोक ने कहा कि गंगा केवल नदी नहीं है यह भारतीय सभ्यता संस्कृति का तप है, मूल है जो आस्था पर टिकी है. गंगा पर संकट का मतलब पूरी भारतीय सभ्यता संस्कृति पर संकट से है. अतहर ने गंगा पर जी डी अग्रवाल का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. पूरा समाज एकजुट होकर जी डी अग्रवाल की इच्छा को पूरा करेगा. संतोष परिवर्तक ने गंगा और उसके लिए हो रहे बलिदानों पर स्वलिखित कविता सुनाई. कार्यक्रम में लाल बहादुर राय, इमरान, नायब इमाम टीले वाली मस्जिद, उषा विश्वकर्मा, आफरीन, मोहित, प्रदीप पाण्डेय, हरिभान यादव इत्यादि लोग शामिल हुए.

ऐसा लगता है कि सरकार ने तय कर लिया है कि वह प्रत्यक्ष उदाहरण से अंग्रेजी राज के जुल्मों की याद दिलाएगी। चंडीगढ़ पीजीआई में भी संथारा की घोषणा कर चुके संत गोपाल दास जी पर प्रशासन के अत्यचार जारी हैं। 18 अक्टूबर की आधी रात में पीजीआई पहुंचाए गए संत गोपालदास जी ने फिर से एलोपैथिक ट्रीटमेंट न लेने का अपना प्रण दोहराया साथ ही कहा कि यदि सरकार को बहुत जरूरी लगे तो यूनानी या आयुर्वेद चिकित्सा कर सकती है। उनकी देखभाल के लिए बनी पीजीआई मेडिकल टीम ने इस सब पर अपनी रिर्पोट बनाते हुए सन्त जी को दिल्ली एम्स रेफर करने की सलाह दी। लेकिन पीजीआई के निदेशक ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन एक बड़े अमले के साथ पीजीआई पहुंचा, सन्त जी के सहयोगियों को बाहर किया और फोर्स फीडिंग शुरू कर दी। सन्त जी ने यथाशक्ति इसका विरोध करते हुए अपनी नाक में ठूंसी गई नली निकाल कर बाहर फेंक दी। इसके बाद प्रशासन ने उनके दोनों हाथ ही बांध दिये। अस्पताल में उपस्थित सूत्रों के अनुसार सन्त जी के साथ पहले से ही हरिद्वार से चार पुलिस कर्मियों की ड्यूटी थी अब चंडीगढ़ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी लगा दी है। एक 40 किलो वजनी कृशकाय हो चुके सन्त के साथ यह व्यवहार सरकार के डर की गहराई ही दर्शाता है। -राजेश बहुगुणा