मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ‘लंगड़ी सरकार’ है: शिवराज सिंह

लोक सभा चुनावों के बिगुल बजते ही राजनैतिक दल आपसी खींच तान में जुट जाते हैं और कए जगह हमें यह देखने को मिल भी रहा है। फिलहाल तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने वालों की संख्या अधिक जान पड़ती है। मध्य प्रदेश में पहले ही से संख्या बल को लेकर हमेशा से घबराई कांग्रेस को बीएसपी ने तो तकरीबन नकार ही दिया है, शायद गठबंधन धर्म निभाने को एसपी भी बसपा की राह चल पड़े। असंतुष्ट विधायकों की भी कांग्रेस में कमी नहीं है, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस को “लंगड़ी सरकार” न कहें तो क्या कहें?

शिवपुरी (मध्यप्रदेश): बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बुधवार को दावा किया कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ‘लंगड़ी सरकार’ है, जो समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) और निर्दलीयों की बैसाखी पर खड़ी है. उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है. चौहान ने शिवपुरी जिले के बैराड़ में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की ‘विजय संकल्प यात्रा’ के दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही.

कांग्रेस की सरकार आते ही डकैतों का राज फिर लौटा
चौहान ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही डकैतों का राज फिर लौट आया है. लगातार अपहरण की घटनाएं सामने आ रही हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि बंटाधार युग फिर लौट आया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के पहले कई वादे किए थे, लेकिन बीते ढाई माह में एक भी विकास कार्य नहीं हुआ. सरकार ने प्रदेश में तबादला उद्योग शुरू कर दिया है, विकास के काम ठप हो गए. उन्होंने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस सरकार में हर चीज बिकाऊ हो गई है, हर चीज के रेट तय है. ’

देश पीएम मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है 
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है. लेकिन यह सब कांग्रेस के मित्रों को रास नहीं आ रहा. उनके नेता लगातार सेना का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी के मुकाबले में कई पार्टियों का ‘ठगबंधन’ है. ‘अब तय आपको करना है कि आपको मजबूत सरकार देने वाले नरेन्द्र मोदी चाहिए या आतंकवादियों के समर्थन में बोलने वाला ठगबंधन.’

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के समय जब देश पर आतंकी हमले होते थे, तब कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी कहते थे- ‘देखते हैं.’ तोमर ने कहा, ‘इसके विपरीत जब उरी में आतंकी हमला हुआ, तो पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को खत्म किया गया. जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ तो एयर स्ट्राइक करके सभी आतंकियों को जहन्नुम पहुंचाने का काम हमारी सेना ने किया.’

बेगूसराय में तनवीर हसन ने बढ़ाईं कन्हैया की मुश्किलें

जेएनयू से “भारत तेरे टुकड़े होंगे” और “कितने अफजल मरोगे हर घर से अफजल निकलेगा” जैसे नारों के बाद देश द्रोह के केस की आंच झेल रहे वाम दलों से उम्मीदवारी हासिल किए कन्हैया को बड़ी मुश्किल से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला जिसे अब आरजेडी के नेता तनवीर हसन ने चुनौती दे दी है।

पटनाः बेगूसराय सीट ने सीपीआई के लिए महागठबंधन में राह मुश्किल कर दी है. सीपीआई नेताओं ने बेगूसराय की सीट से कन्हैया के चुनाव लडने की घोषणा कर दी है. सीपीआई ने ये घोषणा महागठबंधन में शामिल होने से पहले कर दिया है. लेकिन अब आरजेडी के प्रदेश उपाध्यक्ष तनवीर हसन ने बेगुसराय की सीट पर दावा ठोंक कर सीपीआई की लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

बेगूसराय की सीट पर दावेदारी को लेकर एनडीए के विरोधी दलों में घमासान मचा हुआ है. आलम यह है कि एक सीट को लेकर सीपीआई के महागठबंधन में शामिल होने का रास्ता बंद होता नजर आ रहा है. दरअसल सीपीआई ने बेगूसराय सीट पर दावा ठोंक दिया है. सीपीआई की ओर से कन्हैया बेगूसराय सीट पर चुनाव लडेंगे और पार्टी ने इसकी तैयारी भी शुरु कर दी है.

लेकिन बेगूसराय सीट और भी दिलचस्प इसलिए भी हो गया है क्योंकि सीपीआई अभी महागठबंधन में शामिल नहीं हुई है. महागठबंधन में शामिल होने से पहले ही सीपीआई के दावे ने महागठबंधन के घटक दलों की मुसीबत बढ़ा दी है. पेंच तब और भी फंस गया जब आरजेडी ने भी बेगूसराय सीट से दावा ठोक दिया है. 

पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष तनवीर हसन ने बेगुसराय सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. तनवीर हसन ने कहा है कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देगी तो वो चुनाव जरुर लडेंगे. वहीं, तनवीर हसन ने सीपीआई की ओर से कन्हैया को बेगूसराय की सीट पर चुनाव लड़ाने के दावे पर जमकर भडास निकाली है.

तनवीर हसन ने कहा है कि सीपीआई अभी महागठबंधन का हिस्सा नहीं है. इसलिए महागठबंधन में शामिल होने से पहले इस तरह का दावा गलत है. तनवीर हसन ने यह भी कहा है कि कन्हैया कहां से चुनाव लड़ते हैं यह उनकी पार्टी और उनका मामला है.

सीपीआई के शर्तों को लेकर आरजेडी के दूसरे सीनियर लीडर भी नाराज नजर आ रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे सीपीआई के महागठबंधन में शामिल होने से जुड़े सवालों पर बचते नजर आए. हालांकि पूर्वे ने इतना जरुर कहा है कि इस मामले पर पार्टी के शीर्ष नेता फैसला लेंगे.

पूर्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ॰ जाधव भाजपा से खडगे को देंगे चुनौती

कर्नाटक कांग्रेस में मची घमासान अभी थमी भी न थी की एक और घबराने वाली खबर ने कांग्रेस को चिंता में दाल दिया है। अभी चार दिन पहले कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले डॉ॰ उमेश जाधव, खडगे को लोक सभा चुनावों में चुनौती देंगे। जहां यह खडगे के लिए एक मुश्किल भरी खबर है वहीं डॉ॰ जाधव के लिए भी चुनौती भरी राह होगी।
बीएस येदियुरप्पा ने यह भी दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी कर्नाटक की 28 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. 

बेंगलुरु: कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को कहा कि डॉ. उमेश जाधव लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में गुलबर्गा सीट से चुनाव लड़ेंगे. येदियुरप्पा ने कहा कि जाधव कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि दिवंगत केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार बेंगलुरु दक्षिण सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने यह भी कहा कि इस पर अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान लेगा. 

कर्नाटक में जीतेंगे 28 लोकसभा सीट- बीएस येदियुरप्पा
वहीं, बीएस येदियुरप्पा ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी कर्नाटक की 26 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की उपलब्धियों और कर्नाटक सरकार की नाकामी के कारण हमें राज्य में बड़ा फायदा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि राज्य सरकार की नाकाम नीतियों और मोदी सरकार की सफल योजनाओं के कारण कर्नाटक में बीजेपी को 26 सीटें मिलना तय माना जा रहा है. वहीं, उन्होंने कहा कि जाधव को खड़गे के खिलाफ प्रत्याशी बनाने का फैसला पार्टी आलाकमान करेगी. 

मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ है गुलबर्गा सीट
गौरतलब है कि उमेश जाधव ने हाल ही में कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. जाधव उन तीन विधायकों में से एक हैं जो बीते माह ‘गायब’ हो गए थे. इसके बाद कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर से उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. जाधव कलबुर्गी जिले की चिनचोली से दो बार विधायक रह चुके हैं. गुलबर्गा लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ माना जाता है. 

महाराष्ट्र कांग्रेस के 7 बार के विधायक कालिदास थाम सकते हैं कमल

चुनावी समय में विभिन्न प्रदेशों से कांग्रेस के लिए अच्छी ख़बरें नहीं आ रहीं। बिहार गुजरात के बाद अब महाराष्ट्र से भी कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के पुत्र अब भाजपा का हाथ थामने वाले हैं।

नई दिल्ली: बीते मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल बीजेपी में शामिल होने के बाद ही बुधवार को महाराष्ट्र से कांग्रेस नेता कालिदास कोलंबकर नेे अपनी ही पार्टी पर गंभीर आरोप लगाया है. इसके बाद यह संकेत माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस को एक और भी झटका लग सकता है. 7 बार के विधायक कोलंबकर ने मीडिया को बताया कि, ‘हमने कांग्रेस में 10 साल तक मेहनत से काम किया लेकिन कांग्रेस पार्टी 2004 से 2014 तक 10 साल सत्ता में रहते हुए भी उनके क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य नहीं किया है.

वहीं दूसरी तरफ कोलंबकर ने सीएम देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि, विपक्षी पार्टी के विधायक होने के बाद भी सीएम ने उनकी समस्याओं को सुना और क्षेत्र में विकास कार्य के लिए उचित कदम भी उठाए.कोलंबकर ने कहा कि, जब देवेंद्र फडणवीस ने सीएम के रूप में पदभार संभाला था तो उनसे मिलकर अपने क्षेत्र के कार्यों को लेकर बातचीत की थी.

जिसके बाद उन कार्यों की निपटाने में सीएम ने मदद की. इसके बाद कोलंबकर ने उस सवाल का जवाब दिया जिसमें कहा गया था कि, आपने अपने कार्यालय में जो बैनर लगाया है उसमें देवेंद्र फड़नवीस की फोटो क्यों लगाई है.

कोलंबकर ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए जवाब दिया कि, हमें किसकी फोटो लगानी चाहिए जिसने काम किया या उन लोगों की जिसने 10 साल सत्ता में रहते हुए काम ही नहीं किया. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में जहां एक ओर चुनावों को लेकर बीजेपी शिवसेना का प्लान 2019 चल रहा है इसी बीच कांग्रेस विधायक कालीदास कोलंबकर ने अपने कार्यालय में मुख्यमंत्री फड़णवीस के फोटो वाला बैनर लगाया है.

बैनर की सबसे खास बात यह है कि इस बैनर में कोई भी कांग्रेस का बड़ा नेता नहीं दिख रहा है. इसके बाद से कोलंबकर के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई है. इससे पहले भी कोलंबकर ने बताया था कि, उन्हें बीजेपी और शिवसेना की ओर से पार्टी में शामिल होने का ऑफर मिला हुआ है. लेकिन देवेंद्र फडणवीस की तारीफ और तस्वीर लगाने के बाद चर्चा है कि कोलंबकर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.

राजनाथ सिंह के खिलाफ पूनम सिन्हा होंगी सपा की उम्मीदवार: सूत्र

अटकलों के बाज़ार और राजनैतिक सरगरमियों का चोली दामन का साथ है। विगत पाँच वर्षों में अपने “मोदी प्रेम” को जहा तहां बयान करते दीख पड़ते शत्रु को पार्टी ने अभी तो शत्रु की तरह नहीं देखा परंतु शत्रु को “शत्रु” का अंजाम पता है तभी वह कभी लालू तो कभी अखिलेश को गलबहियाँ डाले दीखते हैं। ताज़ा मामला शत्रुप्रिया श्रीमति पूनम सिन्हा का है जो अटकलों की मानें तो सपा की उम्मीदवार होंगी, राजनाथ सिंह के खिलाफ। यदि एस होता है तो सभी समीकरण साफ हैं।

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद रोज़ राजनीति के नए-नए समीकरण देखने को मिल रहे हैं. बीजेपी के सांसद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा के जिस तरह के तेवर पिछले पांच साल में रहे हैं, उससे इतना तो तय है कि बीजेपी उन्‍हें अपना उम्‍मीदवार नहीं बनाएगी. वह किसी दूसरी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन उनसे जुड़ी एक और खबर सामने आ रही है कि यूपी में समाजवादी पार्टी शत्रघुन सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्‍हा को लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी गृहमंत्री राजनाथ सिंह के ख़िलाफ़ इस बार मजबूती से चुनाव लड़ना चाहती है और इसीलिए सपा शत्रुघ्‍न सिन्हा की पत्‍नी पर दांव लगा रही है. इसके ज़रिए सपा लखनऊ के कायस्थ और वैश्य वोट बैंक के अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी. यूपी की राजधानी लखनऊ में हाल ही में शत्रुघन सिन्हा ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. सूत्र बता रहे हैं कि इसी मुलाकात में शत्रुघ्‍न सिन्हा और अखिलेश यादव के बीच लखनऊ लोकसभा सीट से पूनम सिन्हा को चुनाव लड़ाने की चर्चा हुई.

पूनम सिन्हा को अगर समाजवादी पार्टी लोकसभा का टिकट देती है तो लखनऊ सीट पर मुकाबला बेहद रोमांचक होगा, क्योंकि एक तरफ जहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह चुनावी मैदान में होंगे तो वहीं दूसरी तरफ सपा बसपा की संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर शत्रुघन सिन्हा की पत्नी चुनावी मैदान में होंगी. सूत्र बता रहे हैं कि समाजवादी पार्टी ने पूनम सिन्हा की उम्मीदवारी को लेकर लखनऊ की लोकल पार्टी यूनिट से रिपोर्ट मांगी है और बूथ लेवल तक क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर भी रिसर्च कर रही है.

आपको बता दें कि महिला दिवस के मौके पर अखिलेश यादव ने 3 महिलाओं के टिकट की घोषणा की थी, जिसमें डिम्पल यादव को कन्नौज, डॉ पूर्वी वर्मा को लखीमपुर खीरी और ऊषा वर्मा को हरदोई (सु) सीट से टिकट दिया था. कुल मिलाकर अभी तक सपा ने यूपी में 11 उम्मीदवारों की घोषणा की है.

समाजवादी पार्टी ने 2 और सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणी की
समाजवादी पार्टी ने हाथरस से लालजी सुमन को टिकट दिया है. मिर्ज़ापुर से राजेन्द्र एस बिंद को लोकसभा टिकट दिया गया है. सपा अब तक कुल 11 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है.

“कांग्रेस के साथ कहीं भी गठबंधन नहीं करेगी बीएसपी” मायावती

मायावती ने अपनी रणनीति साफ राखी है, की वह किसी भी प्रकार के गठबंधन में स्व्यम को छोटा सांझीदार नहीं बनाने देगी। इसीलिए वह किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। हाँ यह अवश्य ही उनके दिमाग में है कि चुनावों के पश्चात मोदी विरोधी किसी भी गठबंधन को आवश्यकता हुई तो वह अपनी शर्तों पर संजीवनी का काम कर सकतीं हैं।

मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि देश में कहीं भी गठबंधन नहीं करेगी. लखनऊ में बीएसपी की अखिल भारतीय बैठक में मंगलवार को लोकसभा चुनाव की तैयारियों और पार्टी प्रत्याशियों के चयन पर चर्चा की गई. इस बैठक में एक बार फिर स्पष्ट किया गया कि बीएसपी किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी के साथ कोई चुनावी समझौता नहीं करेगी.

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के काफी समय पहले ही बीएसपी ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया था. इस गठबंधन में कांग्रेस पार्टी को शामिल नहीं किया गया. हालांकि सीट बंटवारे के समय इस गठबंधन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की सीटों पर अपने प्रत्यार्शी नहीं उतारे थे. इस गठबंधन ने यूपी की 80 में से कुल 76 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

गौरतलब है कि बीएसपी ने हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. लेकिन चुनाव बाद तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़) में बीएसपी ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया. इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है.

आईसीसी द्वारा पाक की शिकायत खारिज

पुलवामा आतंकी हमले के बाद चहुं ओर से पिटाई करवा रहे पाकिस्तान को अभी अमझ नहीं आ रही। शाहिद अफरीदी पाकिस्तान का बड़बोला क्रिकेटर रांची में खेले गए भारत औस्ट्रालिया खेल के दौरान भारतीय टीम द्वारा पाहणी गयी भारतीय सेना की टोपी पर तंज़ कसते मिले। पाकिस्तान को यहाँ भी आईसीसी द्वारा प्रताड़ित किया गया।

नई दिल्ली: 

भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के साथ रांची में खेले गए तीसरे वनडे में भारतीय टीम ने पुलवामा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों के सम्मान में आर्मी कैप पहनी थी. इतना ही नहीं, अपनी मैच फीस राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान कर दी थी.  पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने इस पर आपत्ति जताते हुए आईसीसी से इसकी शिकायत की थी. पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने आर्मी कैप पहनने के मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाफ आईसीसी से कार्रवाई की मांग की थी. चौधरी ने भारतीय टीम पर खेल का ‘राजनीतिकरण’ करने का भी आरोप लगाया था. 

हालांकि, पाकिस्तान की शिकायत से भारतीय क्रिकेट टीम या बोर्ड को कोई नुकसान नहीं हुआ. आईसीसी ने साफ कहा कि भारतीय टीम को देश के सैन्य बलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सैनिकों जैसी टोपी पहनने की अनुमति दी गई थी. 

पाकिस्तान के ऑलराउंडर शाहिद अफ्रीदी ने टीम इंडिया द्वारा आर्मी कैप पहनने पर उसका मजाक उड़ाया. सोमवार को नेशनल स्टेडियम कराची में लाहौर कलंदर्स पर जीत दर्ज करने के बाद अफरीदी ने मीडिया से बातचीत करने के दौरान यह बात कही. पत्रकारों ने जब अफरीदी से प्रतिक्रिया लेनी चाहिए तो टीम के मैनेजर नदीम खान ने तत्काल हस्तक्षेप किया और पत्रकारों से क्रिकेट से संबंधित सवाल पूछने का आग्रह किया. पत्रकारों ने सवाल पर खेद जताया लेकिन इसी बीच अफरीदी ने हास्यपद टिप्पणी कर डाली. अफरीदी ने कहा, “कैप पहनी तो उतार भी दी.”

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Shahid Afridi replies to the Indian team’s wearing of army caps against Australia #Cricket7836:40 PM – Mar 11, 2019215 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

उधर, भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने मंगलवार को इस पूरे मसले पर एक बार फिर भारत का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि टीम को जो सही लगा उसने वही किया और उनका यह कदम सेना के सम्मान के लिए था. भरत अरुण ने भारत और आस्ट्रेलिया के बीच बुधवार को यहां होने वाले पांचवें और आखिरी वनडे मैच की पूर्वसंध्या पर संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जबाव में कहा, “हमने वही किया जो हमें लगा कि हमें देश के लिए करना चाहिए. सेना ने जो इस देश के लिए किया हमारा यह कदम उसके सम्मान के लिए था.” 

लोकतंत्र के महाकुम्भ के लिए आचार संहिता लागू, 7 चरणों में होंगे चुनाव

विभिन्न मुख्यमंत्रियों ने भी ली अधिकारियों की बैठक। हरियाणा के सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से खट्टर ने की विडियो कॉन्फ्रेंस के मधायम से मीटिंग। मुख्यमंत्री योगी ने भी विभिन्न बोर्ड के चेयर पर्सन और अधिकारियों की ली बैठक चुनावी प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए राष्ट्र एवं राज्य स्तर के अधिकारी लामबंध। लाउड स्पीकरों की अनावश्यक इस्तेमाल पर चुनाव आयोग की रोक का विद्यार्थियों और अभिभावकों ने किया स्वागत

चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस बार 7 चरणों में चुनाव होंगे. पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल, दूसरे चरण की 18 अप्रैल, तीसरे चरण की 23 अप्रैल, चौथे चरण की 29 अप्रैल, पांचवे चरण की 6 मई, छठे चरण की 12 मई और सातवें चरण की वोटिंग 19 मई को होगी. और 23 मई को मतगणना होगी.

चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है.

पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटें, दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 सीटें, तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटें, चोथे चरण में 9 राज्यों की 71 सीटें, पांचवे चरण में 7 राज्यों की 51 सीटें, छठे चरण में 7 राज्यों की 59 सीटें और सातवें चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर चुनाव होगा.

पहले चरण में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, केरल, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड, अंडमान, दादरा-नागर हवेली, दमन-दीव, लक्षदीप, दिल्ली, पांडिचेरी में मतदान होंगे.

कर्नाटक, मणिपुर, राजस्थान, त्रिपुरा में दो चरणों में मतदान होंगे. असम और छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में चुनाव होंगे. झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में चार चरणों में मतदान होगा. जम्मू कश्मीर में पांच चरणों, जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सात चरणों में चुनाव होंगे.

पहले चरण में 11 अप्रैल को आंध्र प्रदेश की 25, असम की पांच, बिहार की चार, छत्तीसगढ़ की एक, जम्मू कश्मीर की दो, महाराष्ट्र की सात, मणिपुर की दो, मेघालय की दो, नगालैंड की एक, मिजोरम की एक, तेलंगाना की 17, उत्तर प्रदेश की आठ, उत्तराखंड की पांच, पश्चिम बंगाल की दो सीटों पर मतदान होगा.

दूसरे चरण में 18 अप्रैल को असम की पांच, बिहार की पांच, छत्तीसगढ़ की तीन, जम्मू कश्मीर की दो, कर्नाटक की 14, महाराष्ट्र की 10, मणिपुर की एक, ओडिशा की पांच, तमिलनाडु की 39, उत्तर प्रदेश की 8, पश्चिम बंगाल की तीन और पुदुच्चेरी की एक सीट पर वोट डाले जाएंगे.

तीसरे चरण में 23 अप्रैल को असम की चार, बिहार की पांच, छत्तीसगढ़ की सात, गुजरात की 26, गोवा की दो, जम्मू कश्मीर की एक, कर्नाटक की 14, केरल की 20, महाराष्ट्र की 14, ओडिशा की छह, उत्तर प्रदेश की 10, पश्चिम बंगाल की पांच, दादरा एवं नगर हवेली की एक, दमन व दीव की एक सीट पर वोटिंग होगी.

सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘परीक्षा, त्योहारों और कटाई के मौसम को ध्यान में रखकर तारीख पर फैसला किया गया है. इस चुनाव में 90 करोड़ वोटर्स मताधिकार का प्रयोग करेंगे.’

साथ ही उन्होंने कहा, ‘EVM पर इस बार उम्मीदवारों की तस्वीर होगी. सभी मतदान केंद्रों पर इस बार VVPAT का इस्तेमाल होगा. साथ ही इस बार लोकसभा चुनाव में डेढ़ करोड़ युवा पहली बार वोट डालेंगे.

उन्होंने ये भी बताया कि, ‘1590 पर फोन कर और SMS के जरिए वोटर, वोटिंग लिस्ट में अपना नाम चेक कर सकते हैं. कुल 10 लाख बूथों पर वोट डाले जाएंगे. देशभर में आज से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी और किसी भी उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.  लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर नजर रखी जाएगी और समय-सीमा के अंदर की उसके इस्तेमाल की इजाजत होगी.’

इसके साथ ही सभी संवेदनशील जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और वेबकास्टिंग होगी. सभी बड़ी घटनाओं की वीडियोग्राफी की जाएगी. आयोग ने कहा कि उम्मीदवारों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी देनी होगी. साथ ही कुछ राज्यों के लिए विशेष पर्यवेक्षक भी नियुक्त किए गए हैं. इसके साथ ही साथ चुनाव में ईवीएम की जीपीएस ट्रैकिंग भी की जाएगी. संवेदनशील इलाकों में CRPF की तैनाती भी की जाएगी.

सोशल मीडिया पर प्रचार करने के पहले भी राजनीतिक पार्टियों को इजाजत लेनी होगी. साथ ही सोशल मीडिया पर प्रचार का खर्च भी चुनाव के खर्च में जुड़ेगा. इसके साथ ही पेड न्यूज पर नजर रखने के लिए एक कमिटि का गठन किया जाएगा.

सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए चुनाव आयुक्त ने घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव के साथ नहीं होगा विधानसभा चुनाव.

जम्मू कश्मीर विधान सभा के चुनावों पर चुनाव आयोग का मत है की सुरक्षा कारणों से विधानसभा चुनावों को फिलहाल लोक सभा चुनावों के साथ नहीं किया जा रहा

कांग्रेसी कहलाने में शर्म आती है इसीलिए पार्टी छोड़ी: विनोद शर्मा

पटनाः बिहार में कांग्रेस के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने पार्टी पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. विनोद शर्मा ने कहा है कि उन्हें देशहित को देखते हुए यह फैसला लिया है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक का सबूत मांग रही है. जो कभी देशहित से जुड़ा नहीं हो सकता है. उन्हें अब कांग्रेसी कहलाने में शर्म आती है. इसलिए पार्टी से पहले देश को मानते हुए उन्होंने अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

विनोद शर्मा ने पद और पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि कांग्रेस लगातार बालाकोट में हुए आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक के सबूत मांग रही है. जो की गलत है. इतना ही नहीं विनोद शर्मा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी इस बारे में चिट्ठी लिखी. जिसमें उन्होंने एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने की बात को गलत ठहराया था.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि उन्हें कांग्रेसी कहलाने में शर्म आ रही है. उन्होंने एयर स्ट्राइक का सबूत मांगना शर्मनाक बताया. और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने को सेना का मनोबल तोड़ने वाला बताया. विनोद शर्मा ने कहा कि ऐसी ही कारणों से आज कांग्रेस की स्थिती बुरी हो रही है. लोग अब कांग्रेस को पाकिस्तानी एजेंट समझने लगे हैं.

विनोद शर्मा ने कहा कि वह पिछले 30 सालों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ हूं. उन्होंने पार्टी के लिए बहुत कुछ किया है. लेकिन देशहित को देखते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने विनोद शर्मा को हाल ही में जम्बो कमिटी में प्रवक्ता नियुक्त किया था.

विनोद शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी को चिट्ठी लिखने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इससे मुझे काफी दुख भी महसूस हुआ. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की कार्यकर्ता भी चाहते थे कि पार्टी ऐसे बयान नहीं दे. उन्हें पहले भी चिट्ठी लिखी थी लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी इस बारे में बात की. वह खुलकर नहीं कहते हैं लेकिन वह भी चाहते थे कि पार्टी की ओर से इस तरह के बयान नहीं आए.

वहीं, उन्होंने आगे की राह को लेकर कहा कि मुझे जो भी पार्टी राष्ट्रहित से जुड़ा दिखेगा उससे मैं जुड़ जाऊंगा. लेकिन ऐसा हो सकता है कि मैं सामाजिक कार्यकर्ता की तरह भी रह सकता हूं. अभी किसी तरह का फैसला नहीं किया है.

बुआ – बबुआ देंगे कॉंग्रेस को नव जीवन

उत्तर प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस अब जमीनी हकीकत से रु – ब -रु हो चुकी है। कांग्रेस अब माया अखिलेश गठबंधन में शामिल होगी और अखिलेश माया ने बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को 9 सीटों की पेशकश की है।

कांग्रेस और एसपी-बीएसपी गठबंधन के बीच यूपी में बैक चैनल बात हुई है. कांग्रेस को गठबंधन ने 9 सीटें ऑफर की हैं. इनमें से 2 सीटें अमेठी और रायबरेली हैं. यूपी में कांग्रेस के धीमे हुए प्रचार अभियान के पीछे एक वजह यह भी है.

प्रियंका गांधी 20 दिनों पहले लखनऊ गई थीं उसके बाद चुनाव प्रचार नहीं किया बस शहीद के परिवार से मिलने पश्चिमी उत्तर प्रदेश गई थीं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी फिलहाल यूपी से दूर हैं.

एयर स्ट्राइक के बाद बदली परिस्थितियों में विपक्ष को एकजुट रखने की कोशिश के तहत नई प्रक्रिया शुरू की गई है. राष्ट्रीय स्तर के 2 बड़े नेताओं ने यूपी में विपक्ष को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस और सपा-बसपा से बात की.

प्रियंका गांधी 8 मार्च के आसपास से यूपी दौरे का दूसरा चरण शुरू कर सकती हैं. अंतिम फैसला कुछ दिनों में किए जाने की संभावना है. प्रियंका की वजह से ही 2017 में विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के ज़रिए यूपी में सपा से गठबंधन किया गया था. अन्य राज्यों में भी कांग्रेस नए सिरे से गठबंधन की कोशिश करेगी.

राहुल गांधी द्वारा गठबंधन मामलों के लिए बनाई एके एंटोनी कमेटी सभी राज्यों में गठबंधन की संभावना को नए सिरे से देख रही है. दिल्ली में इसी क्रम में आप से भी गठबंधन के विकल्प पर चर्चा हो रही है. झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार में गठबंधन पर बातचीत अंतिम चरण में है. अगले दो हफ्ते में कांग्रेस सभी राज्यों में तस्वीर साफ कर देगी.